मजदूरी संहिता,...

55
2019 कक कककककक कककककककक 185 ककककककककक कककककककककककक कककक कककककक, 2019 खखखखख खख खखखख ककक कककककक 1 ककककककककक 1. खखखखखखखखख खखख, खखखखखखखख खखखखखखख 2. खखखखखख कककककक 2 कककक ककककक कककककककककककक कककक 3. खखखख खखखखख खखखखखखखखखखखख खखखख खख खखख ख 4. खखखखखखखखखखखख 5. खखखखखख खखख खख खखखखखखखख खख खखख खखखखखख खखखखख 6. खखखखख खखखखखख खख खखखख खखखखखख 7. खखखखख खखखखख खख खख खख खखखखख खखखख 8. खखखख खख खखखख, खखखखखखखखखख, ख , खखखखखखखखखखखखखख खख खखखखखखखख 9. खखखख खख खखखख, खखख ख 10. खखखखख खखखखख कककककक 3 कककककककककककक ककककककक कककककक 11. खखखखखखखख खखखखखख खख खखख खख खखखख खखखखखख 12. खखखखखखखख खख खखखखख 13. खखखखखखखख खखखखखख खख खखखखखख कककककक 4 कककक ककककक ककककककक 14. खखखख खखखखख खखखखखखख-खख-खखखखखख खखखखखखख ख 15. खखखखखखखखख खखखखखख खखखखखखख ख कककककक 5 ककककककक ककककक 16. खखखख खखख 17. खखखख खखखखखख 18. खखखखख खखखखखखखख खख खखख खखखखखख खखखखख 19. खखखखखखखखख खख खखखखखख खख खखखख खखखखखख ककक 20. खखख खखखखखखख खखखखख

Upload: others

Post on 20-Jan-2020

14 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

2019 का वि�धेयक संख्यांक 185

राष्‍ट्रीय आयुर्वि��ज्ञान आयोग वि�धेयक, 2019खंडों का क्रम

खंडअध्याय 1प्रारंभि�क

1. संक्षि�प्त नाम, वि�स्तार और प्रारंभ ।2. परिरभाषाए ं।

अध्याय 2राष्‍ट्रीय आयुर्वि��ज्ञान आयोग

3. राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का गठन ।4. आयोग की संरचना ।5. अध् य� और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित ।6. अध् य� और सदस् यों की पदा�मि6 और से�ा शत8 ।7. आयोग के अध् य� और सदस् य का पद से हटाया जाना ।8. आयोग के सलिच�, वि�शेषज्ञों, �ृत्‍ति= तकों, अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों की विनयुक्‍ति. त ।

9. आयोग की बैठक, आदिद ।10. आयोग की शक्‍ति. तयां और कृ= य ।

अध्‍याय 3 आयुर्वि��ज्ञान सलाहकार परिरषद ्

11. आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्का गठन और उसकी संरचना ।12. आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्के कृ= य । 13. आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्की बैठकें ।

अध्‍याय 4 राष्‍ट्रीय परीक्षा

14. राष् ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ण । 15. राष् ट्रीय विनग?म परी�ा ।

अध्‍याय 5 स्‍�शासी बोड+

16. स् �शासी बोडG का गठन । 17. स् �शासी बोडG की संरचना । 18. प्र6ान और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित ।19. प्र6ान और सदस् यों की पदा�मि6 और से�ा शत8 ।खंड20. वि�शेषज्ञों की स1ाहकार समिमवित ।21. स् �शासी बोडG के कम?चारिर�ंृद । 22. स् �शासी बोडG की बैठकें , आदिद ।

Page 2: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

23. स् �शासी बोड? की शक्‍ति. तयां और शक्‍ति. तयों का प्र= यायोजन ।24. स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य । 25. स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य । 26. लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य । 27. लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य । 28. नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य की स् थापना के लि1ए अनुज्ञा । 29. स् कीम के अनुमोदन या अननुमोदन के लि1ए मानदंड ।30. राज्य लिचविक= सा परिरषद ्।31. राष् ट्रीय रजिजस् टर और राज् य रजिजस् टर । 32. सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता । 33. व् यक्‍ति. तयों के व् य�साय करने के लि1ए अनुज्ञप्‍तिप् त प्राप् त करने और राष् ट्रीय रजिजस् टर या राज् य रजिजस् टर में

नामा�1ीगत विकए जाने के अमि6कार और उससे संबंमि6त उनकी बाध् यताए ं।34. व् य�साय का �ज?न ।

अध्‍याय 6 आयुर्वि��ज्ञान अह+ताओं को मान्‍यता

35. भारत में के वि�श् �वि�द्या1यों या आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को मान् यता ।

36. भारत के बाहर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को मान्यता ।

37. भारत में के कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को मान्यता ।

38. भारत में आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता की अनुदत्त मान् यता का �ापस लि1या जाना ।

39. भारत के बाहर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को अमान्य विकया जाना ।

40. कवितपय दशाओं में आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यताओं के लि1ए वि�शेष उपबं6 ।अध्याय 7

अनुदान, संपरीक्षा और लेखा41. केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुदान ।42. राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग विनमि6 ।43. संपरी�ा और 1ेखा ।खंड44. वि��रक्षिणयां और रिरपोटG का केन्द्रीय सरकार को दिदया जाना ।

अध्‍याय 8प्रकीर्ण+

45. आयोग और स् �शासी बोडG को विनदेश देने की कें द्रीय सरकार की शलिX ।46. राज् य सरकारों को विनदेश देने की कें द्रीय सरकार की शलिX ।47. आयोग द्वारा दी जाने �ा1ी जानकारी और उसका प्रकाशन ।

48. वि�श् �वि�द्या1य और आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं की बाध् यताएं ।

49. आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में अध् ययन पाठ्यक्रमों का पूरा विकया जाना ।

50. आयोग, होम् योपैथी और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान की कें द्रीय परिरषदों की, उनकी अपनी लिचविक= सा

ii

Page 3: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

पद्धवितयों के मध् य अंतरपृष् ठ में �ृजिद्ध के लि1ए संयु. त बैठकें ।51. राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण �ेत्रों में प्राथमिमक स्�ास्थ्य देखरेख का सं�6?न विकया जाना ।

52. आयोग और स् �शासी बोडG के अध् य�, सदस् यों और अमि6कारिरयों का 1ोक से�क होना ।

53. सद्भा�पू�?क की गई कार?�ाई के लि1ए संर�ण ।54. अपरा6ों का संज्ञान ।55. केन्द्रीय सरकार की आयोग को अवितमि_त करने की शलिX ।

56. विनयम बनाने की शलिX ।57. वि�विनयम बनाने की शलिX ।58. विनयमों और वि�विनयमों का संसद ्के सम� रखा जाना ।59. कदिठनाइयों को दूर करने की शक्‍ति. त ।

60. विनरसन और व् या�ृत्‍ति= त ।61. संक्रमणका1ीन उपबं6 ।

अनुसूची ।

iii

Page 4: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

2019 का वि�धेयक संख्यांक 185

[दिद नेशन1 मेविडक1 कमीशन विब1, 2019 का विहन्दी अनु�ाद]

राष्‍ट्रीय आयुर्वि��ज्ञान आयोग वि�धेयक, 2019ऐसी आयुर्वि��ज्ञान भिशक्षा पद्धवित का, जो देश के स�ी �ागों में क्�ालिलटी और �हन योग्य आयुर्वि��ज्ञान‍

भिशक्षा तक पहुंच का सुधार करती हो, जिजससे पया+प्‍त और उच्‍च क्‍�ालिलटी �ालेलिचविकत्‍सा �ृत्‍तित्‍तकों की उपलब्‍धता सुविनश्‍चिG‍चत हो, जो ऐसी साम्यपूर्ण+ और सा�+�ौमिमक

स्�ास्थ्य देखरेख का सं�ध+न करती हो जिजससे सामुदामियक स्�ास्थ्य परिरप्रेक्ष्य कोबढ़ा�ा मिमलता हो और स�ी नागरिरकों के लिलए लिचविकत्सा �ृलिPकों की से�ाओं को

सुनम्य बनाती हो ; जो राष्ट्रीय स्�ास्थ्य संबंधी लक्ष्यों का सं�ध+न करती हो ; जो लिचविकत्सा �ृलिPकों को उनके काय+ में न�ीनतम आयुर्वि��ज्ञान अनुसंधानअंगीकृत करने और अनुसंधान में योगदान करने के लिलए प्रोत्‍साविहतकरती हो ; जिजसका एक उदे्दG‍य आयुर्वि��ज्ञान संस्‍थाओं का आ�लिधकऔर पारदशT विनधा+रर्ण करना तथा �ारत के लिलए एक लिचविकत्‍सकरजिजस्‍टर रखे जाने को सुकर बनाना और लिचविकत्‍सा से�ाओंके स�ी पहलुओं में उच्‍च नीवितपरक मानकों पर बल देनाहो ; जो परिर�त+नशील आ�G‍यकताओं को अंगीकार

करने में सुनम्‍य हो और जिजसमें एक प्र�ा�ीभिशकायत समाधान तंत्र हो, तथा उससे

संबंलिधत और उसके आनुषंविगकवि�षयों का उपबंधकरने के लिलएवि�धेयक

भारत गणराज्य के सत्तर�ें �ष? में संसद ्द्वारा विनम्नलि1खिखत रूप में यह अमि6विनयमिमत हों :-- अध्याय 1

प्रारंभि�क1. (1) इस अमि6विनयम का संक्षि�प्त नाम राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग अमि6विनयम, 2019 है ।(2) इसका वि�स्तार संपूण? भारत पर है ।(3) यह उस तारीख को प्र�ृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अमि6सूचना द्वारा, विनयत करे ; और

इस अमि6विनयम के क्षिभन्न-क्षिभन्न उपबं6ों के लि1ए क्षिभन्न-क्षिभन्न तारीखें विनयत की जा सकें गी और ऐसे विकसी उपबं6 में इस अमि6विनयम के प्रारंभ के प्रवित विनदfश का यह अथ? 1गाया जाएगा विक �ह इस उपबं6 के प्र�ृत्त होने के प्रवित विनदfश है ।

संक्षि�प्त नाम, वि�स्तार और प्रारंभ ।

परिरभाषाए ं। 2. (1) इस अमि6विनयम में, जब तक संदभ? से अन्यथा अपेक्षि�त न हो,--(क) “स् �शासी बोड?” से 6ारा 16 के अ6ीन गदिठत कोई स् �शासी बोड? अक्षिभप्रेत है ;

Page 5: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(ख) “अध् य�” से 6ारा 5 के अ6ीन विनयु. त राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का अध् य� अक्षिभप्रेत है ;

(ग) “आयोग” से 6ारा 3 के अ6ीन गदिठत राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग अक्षिभप्रेत है ;

(घ) “परिरषद”् से 6ारा 11 के अ6ीन गदिठत आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्अक्षिभप्रेत है ;

(ङ) “लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?” से 6ारा 16 के अ6ीन गदिठत लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? अक्षिभप्रेत है ;

(च) “स् �ास् थ् य वि�श् �वि�द्या1य” से ऐसा वि�श् �वि�द्या1य अक्षिभप्रेत है, जो औष6, आयुर्वि�#ज्ञान और स् �ास् थ् य वि�ज्ञान संबं6ी अध् यापन में 1गी संस् थाओं को संबद्ध करने में वि�शेषीकृत हो और इसके अंतग?त कोई आयुर्वि�#ज्ञान वि�श् �वि�द्या1य और स् �ास् थ् य वि�ज्ञान वि�श् �वि�द्या1य भी है ;

(छ) “अनुज्ञप्‍तिप् त” से 6ारा 32 की उप6ारा (1) के अ6ीन लिचविक= सा व् य�साय के लि1ए दी गई कोई अनुज्ञप्‍तिप् त अक्षिभप्रेत है ;

(ज) “लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?” से 6ारा 16 के अ6ीन गदिठत लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? अक्षिभप्रेत है ;

(झ) “आयुर्वि�#ज्ञान संस् था” से भारत में या भारत के बाहर की ऐसी संस् था अक्षिभप्रेत है, जो आयुर्वि�#ज्ञान में विडविग्रयां, विडप् 1ोमें या अनुज्ञप्‍तिप् तयां अनुद= त करती है और इसके अंतग?त संबद्ध महावि�द्या1य और डीम्ड वि�श्ववि�द्या1य भी हैं ;

(ञ) “आयुर्वि�#ज्ञान” से आ6ुविनक आयुर्वि�#ज्ञान की समस् त शाखाए ंअक्षिभप्रेत हैं और इसके अंतग?त शल् य वि�ज्ञान और प्रसूवित वि�ज्ञान भी हैं, किक#त ुइसके अंतग?त पशु आयुर्वि�#ज्ञान और शल् यवि�ज्ञान नहीं है ;

(ट) “सदस् य” से 6ारा 5 के अ6ीन विनयु. त आयोग का कोई सदस् य अक्षिभप्रेत है और इसके अंतग?त उसका अध् य� भी है ;

(ठ) “राष् ट्रीय परी�ा बोड?” से सोसाइटी रजिजस् ट्रीकरण अमि6विनयम, 1860 के अ6ीन उस रूप में रजिजस् ट्रीकृत कोई ऐसा विनकाय अक्षिभप्रेत है जो अनुसूची में विनर्दिद#ष् ट �ृह= त वि�लिशष् ट और अवित वि�लिशष् ट अह?ताए ंअनुद= त करता है ;

(ड) “राष् ट्रीय रजिजस् टर” से 6ारा 31 के अ6ीन लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? द्वारा रखा जाने �ा1ा राष् ट्रीय लिचविक= सक रजिजस् टर अक्षिभप्रेत है ;

(ढ) “अमि6सूचना” से राजपत्र में प्रकालिशत अमि6सूचना अक्षिभप्रेत है और “अमि6सूलिचत” पद का तदनुसार अथ? 1गाया जाएगा ;

(ण) “स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?” से 6ारा 16 के अ6ीन गदिठत स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? अक्षिभप्रेत है ;

(त) “वि�विहत” से इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए विनयमों द्वारा वि�विहत अक्षिभप्रेत है ;

(थ) “प्र6ान” से 6ारा 18 के अ6ीन विनयु. त स् �शासी बोड? का प्र6ान अक्षिभप्रेत है ;

(द) “मान् यताप्राप् त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता” से, यथाक्‍तिस् थवित, 6ारा 35 या 6ारा 36 6ारा 37 या 6ारा 40 के अ6ीन कोई मान् यताप्राप् त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता अक्षिभप्रेत है ;

(6) “वि�विनयम” से इस अमि6विनयम के अ6ीन आयोग द्वारा बनाए गए वि�विनयम अक्षिभप्रेत हैं ;(न) “अनुसूची” से इस अमि6विनयम की अनुसूची अक्षिभप्रेत है ;

(प) “राज् य आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद”् से कोई ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अक्षिभप्रेत है, जो विकसी राज् य या संघ राज् य�ेत्र में के लिचविक= सा व् य�सामिययों के व् य�साय और रजिजस् ट्रीकरण का वि�विनयमन करने �ा1ी उस राज् य या संघ राज् य�ेत्र में त= समय प्र�ृ= त विकसी वि�मि6 के अ6ीन गदिठत की गई है ;

(फ) “राज् य रजिजस् टर” से ऐसा रजिजस् टर अक्षिभप्रेत है, जो लिचविक= सा व् य�सामिययों के रजिजस् ट्रीकरण के लि1ए विकसी राज् य या संघ राज् य�ेत्र में त= समय प्र�ृ= त विकसी वि�मि6 के अ6ीन रखा जाता है ;

(ब) “स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?” से 6ारा 16 के अ6ीन गदिठत स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? अक्षिभप्रेत है ;

1860 का 21

(भ) “वि�श् �वि�द्या1य” का �ही अथ? होगा, जो वि�श् �वि�द्या1य अनुदान आयोग अमि6विनयम, 1956

2

Page 6: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

1956 का 3 की 6ारा 2 के खंड (च) में उसका है और इसके अंतग?त स् �ास् थ् य वि�श् �वि�द्या1य भी है ।

अध्याय 2

राष्‍ट्रीय आयुर्वि��ज्ञान आयोग3. (1) कें द्रीय सरकार, इस अमि6विनयम के अ6ीन, राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग नाम से ज्ञात एक आयोग

का, उसे प्रद= त शक्‍ति. तयों का प्रयोग और सौंपे गए कृ= यों का विन�?हन करने के लि1ए, गठन करेगी ।(2) आयोग शाश्वत उत्तरामि6कार और सामान्य मुद्रा �ा1ा पू�x. त नाम का एक विनगमिमत विनकाय होगा,

जिजसे इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन रहते हुए, जंगम और स्था�र, दोनों प्रकार की संपक्षित्त का अज?न, 6ारण और व्ययन करने की तथा संवि�दा करने की शलिX होगी तथा उX नाम से �ह �ाद 1ा सकेगा और उस पर �ाद 1ाया जा सकेगा ।

(3) आयोग का मुख्या1य नई दिदल् 1ी में होगा ।

राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का गठन ।

आयोग की संरचना ।

4. (1) आयोग में विनम् नलि1खिखत व् यक्‍ति. त होंगे, जो कें द्रीय सरकार द्वारा विनयु. त विकए जाएगंे, अथा?त् :-- (क) अध् य� ;

(ख) दस पदेन सदस् य ; और(ग) चौदह अंशकालि1क सदस् य ।

(2) अध् य�, असा6ारण योग् यता, प्रमाक्षिणत प्रशासविनक �मता और स= यविनष् ठा �ा1ा ऐसा व् यक्‍ति. त होगा, जिजसके पास विकसी वि�श् �वि�द्या1य से आयुर्वि�#ज्ञान की विकसी वि�द्या शाखा में स् नातको= तर विडग्री हो और जिजसके पास आयुर्वि�#ज्ञान के �ेत्र में कम से कम बीस �ष? का अनुभ� हो, जिजसमें से कम से कम दस �ष? तक �ह आयरु्वि�#ज्ञान लिश�ा के �ेत्र में अग्रणी के रूप में रहा हो ।

(3) विनम् नलि1खिखत व् यक्‍ति. त आयोग के पदेन सदस् य होंगे, अथा?त् :-- (क) स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? का प्र6ान ;

(ख) स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? का प्र6ान ;

(ग) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? का प्र6ान ;

(घ) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? का प्र6ान ;

(ङ) महाविनदेशक, स् �ास् थ् य से�ाएं, महाविनदेशा1य, स् �ास् थ् य से�ाए,ं नई दिदल् 1ी ; (च) महाविनदेशक, भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान अनुसं6ान परिरषद ्; (छ) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष्ट विकए जाने �ा1ा, अखिख1 भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान संस् थानों में

से विकसी अखिख1 भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान संस्थान का विनदेशक;

(ज) स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और अनुसं6ान संस् थान, चंडीगढ़ ; ज�ाहर 1ा1 स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और अनुसं6ान संस् थान, पुडुचेरी ; टाटा मेमोरिरय1 अस् पता1, मुंबई ; पू�x= तर इंदिदरा गां6ी प्रादेलिशक स् �ास् थ् य और आयुर्वि�#ज्ञान संस् थान, लिश1ांग; और अखिख1 भारतीय स्�च्छता और 1ोक स्�ास्थ्य संस्थान, को1काता के विनदेशकों में से केन्द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष्ट विकए जाने �ा1े दो व्यलिX ;

(झ) कें द्रीय सरकार के स् �ास् थ् य और परिर�ार कल् याण मंत्रा1य का प्रवितविनमि6= � करने हेतु उस मंत्रा1य द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट ऐसा व् यक्‍ति. त, जो अपर सलिच� की पंक्‍ति. त से नीचे का न हो ।(4) विनम् नलि1खिखत व् यक्‍ति. त आयोग के अंशकालि1क सदस् य के रूप में विनयु. त विकए जाएगंे, अथा?त् :--

(क) योग् यता, स= यविनष् ठा और प्रवितष् ठा �ा1े व् यक्‍ति. तयों में से विनयु. त विकए जाने �ा1े ऐसे तीन सदस् य, जिजन् हें प्रबं6न, वि�मि6, लिचविक= सा संबं6ी लिशष् टाचार, स् �ास् थ् य अनुसं6ान, उपभो. ता या रोगी अमि6कार समथ?न, वि�ज्ञान और प्रौद्योविगकी तथा अथ?शास्त्र सविहत ऐसे �ेत्रों में वि�शेष ज्ञान और �ृत्‍ति= तक अनुभ� हो ;

(ख) ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए, दो �ष? की अ�मि6 के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्में 6ारा 11 की उप6ारा (2) के खंड (ग) और खंड (घ) के अ6ीन राज् यों और संघ राज् य�ेत्रों

3

Page 7: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

के नामविनदfलिशवितयों में से विनयु. त विकए जाने �ा1े छह सदस् य ;

(ग) ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए, दो �ष? की अ�मि6 के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्में 6ारा 11 की उप6ारा (2) के खंड (ङ) के अ6ीन राज् यों और संघ राज् य�ेत्रों के नामविनदfलिशवितयों में से विनयु. त विकए जाने �ा1े पांच सदस् य ।

स्‍पष्‍टीकरर्ण—इस 6ारा और 6ारा 17 के प्रयोजनों के लि1ए, "अग्रणी" पद से कोई वि�भागाध् य� या विकसी संगठन का प्रमुख अक्षिभप्रेत है ।

5. (1) कें द्रीय सरकार, 6ारा 4 की उप6ारा (4) के खंड (क) में विनर्दिद#ष् ट अध् य�, अंशकालि1क सदस् यों और 6ारा 8 में विनर्दिद#ष् ट सलिच� की विनयुक्‍ति. त विनम् नलि1खिखत से मिम1कर बनी खोजबीन समिमवित की लिसफारिरश के आ6ार पर करेगी,--

(क) मंवित्रमंड1 सलिच� – अध् य� ;

(ख) कें द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट तीन ऐसे वि�शेषज्ञ, जिजनके पास उ= कृष् ट अह?ताए ं और आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, 1ोक स् �ास् थ् य लिश�ा और स्�ास्थ्य अनुसं6ान के �ेत्र में कम से कम पच् चीस �ष? का अनुभ� हो – सदस् य ;

(ग) 6ारा 4 की उप6ारा (4) के खंड (ग) में विनर्दिद#ष् ट अंशकालि1क सदस् यों में से कें द्रीय सरकार द्वारा ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए, नामविनर्दिद#ष् ट एक वि�शेषज्ञ – सदस् य ;

(घ) कें द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट एक ऐसा व् यक्‍ति. त, जिजनके पास उ= कृष् ट अह?ताए ंऔर प्रबं6न या वि�मि6 या अथ?शास् त्र या वि�ज्ञान और प्रौद्योविगकी के �ेत्र में कम से कम पच् चीस �ष? का अनुभ� हो – सदस् य ;

(ङ) भारत सरकार के स् �ास् थ् य और परिर�ार कल् याण मंत्रा1य का भारसा6क सलिच� – संयोजक सदस् य होगा । (2) कें द्रीय सरकार, कोई रिरक्‍ति. त, जिजसके अंतग?त अध् य� या विकसी सदस् य की मृ= यु हो जाने, पद =

याग कर देने या हटाए जाने का कारण भी है, होने के एक मास के भीतर या अध् य� या सदस् य की पदा�मि6 की समाप्‍तिप् त से पू�? तीन मास के भीतर रिरक्‍ति. त के भरे जाने के लि1ए खोजबीन समिमवित को विनदfश करेगी ।

(3) खोजबीन समिमवित, उसे विनर्दिद#ष् ट प्र= येक रिरक्‍ति. त के लि1ए कम से कम तीन नामों के एक पैन1 की लिसफारिरश करेगी ।

(4) खोजबीन समिमवित, आयोग के अध् य� या सदस् य के रूप में विनयुक्‍ति. त के लि1ए विकसी व्यलिX की लिसफारिरश करने के पू�?, अपना यह समा6ान करेगी विक ऐसे व् यक्‍ति. त का कोई ऐसा वि�= तीय या अन् य विहत नहीं है, जिजससे अध् य� या सदस् य के रूप में उसके कृ= यों पर प्रवितकू1 प्रभा� पड़ने की संभा�ना हो ।

(5) अध् य� या सदस् य की कोई विनयुक्‍ति. त, खोजबीन समिमवित के विकसी सदस् य की विकसी रिरक्‍ति. त या अनुपक्‍तिस् थवित के कारण अवि�मि6मान् य नहीं होगी ।

(6) उप6ारा (2) से उप6ारा (5) के उपबं6ों के अ6ीन रहते हुए, खोजबीन समिमवित अपनी स्�यं की प्रविक्रया वि�विनयमिमत कर सकेगी ।

अध् य� और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित ।

अध् य� और सदस् यों की पदा�मि6 और से�ा शत8 ।

6. (1) अध् य� और 6ारा 4 की उप6ारा (4) के खंड (ख) और खंड (ग) के अ6ीन विनयु. त अंशकालि1क सदस् यों से क्षिभन् न सदस् य चार से अनमि6क �ष? की अ�मि6 के लि1ए पद 6ारण करेंगे और विकसी वि�स् तार या पुनर्विन#युक्‍ति. त के पात्र नहीं होंगे :

परंतु ऐसा व् यक्‍ति. त स= तर �ष? की आयु पूण? कर 1ेने के पश् चात् पद 6ारण करने से प्रवि�रत हो जाएगा ।

(2) विकसी पदेन सदस् य की पदा�मि6 तब तक बनी रहेगी जब तक �ह उस पद को 6ारण करता है जिजसके आ6ार पर �ह ऐसा सदस् य है ।

(3) जहां (पदेन सदस् य से क्षिभन् न) कोई सदस् य आयोग की तीन क्रम�त� सामान् य बैठकों से अनुपक्‍तिस् थत रहता है और ऐसी अनुपक्‍तिस् थवित का कारण आयोग की राय में कोई वि�मि6मान् य कारण नहीं माना जा सकता है, �हां ऐसे सदस् य के बारे में यह समझा जाएगा विक उसने अपना पद रिर. त कर दिदया है ।

(4) अध् य� और सदस् य (पदेन सदस् य से क्षिभन् न) को संदेय �ेतन और भ= ते तथा उनकी से�ा के विनबं6न और शत8 �े होंगी, जो वि�विहत की जाए ं।

4

Page 8: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(5) अध् य� या कोई सदस् य,--

(क) कें द्रीय सरकार को कम से कम तीन मास की लि1खिखत सूचना देकर अपना पद = याग सकेगा ; या

(ख) उसे 6ारा 7 के उपबं6ों के अनुसार उसके पद से हटाया जा सकेगा : परंतु ऐसे व् यक्‍ति. त को तीन मास से पह1े कत?व् यों से मु. त विकया जा सकेगा या यदिद कें द्रीय सरकार

ऐसा वि�विनश् चय करती है तो �ह तीन मास के पश् चात् तब तक पद पर बना रहेगा, जब तक विकसी उ= तर�त� की विनयुक्‍ति. त नहीं हो जाती है ।

(6) आयोग का अध्य� और प्र=येक सदस्य, ऐसे प्ररूप और रीवित में, जो वि�विहत की जाए, अपना पद ग्रहण करने के समय और अपना पद छोड़ने के समय अपनी आस्तिस्तयों और अपने दामिय=�ों की घोषणा करेंगे और अपनी �ृक्षित्तक और �ाक्षिणक्‍तिज्यक काय?व्यस्तता या अंतग्र?स्तता की भी घोषणा करेंगे ।

(7) अध् य� या कोई सदस् य, इस प्रकार पद 6ारण करने से प्रवि�रत हो जाने के पश् चात्, ऐसा पद छोडे़ जाने की तारीख से एक �ष? की अ�मि6 के लि1ए, विकसी ऐसी प्राइ�ेट आयुर्वि�#ज्ञान संस्था में, जिजसके विकसी माम1े में ऐसे अध् य� या सदस् य द्वारा प्र= य� रूप से या अप्र= य� रूप से कोई कार?�ाई की गई है, विकसी हैलिसयत में, जिजसके अंतग?त कोई परामश� या वि�शेषज्ञ भी है, कोई विनयोजन स् �ीकार नहीं करेगा :

परंतु इसमें की विकसी बात का, ऐसे व् यक्‍ति. त को विकसी विनकाय या संस् था में, जिजसके अंतग?त कें द्रीय सरकार या विकसी राज् य सरकार द्वारा विनयंवित्रत या अनुरक्षि�त आयुर्वि�#ज्ञान संस् था भी है, विकसी विनयोजन को स् �ीकार करने से विन�ारिरत करने के रूप में अथ? नहीं 1गाया जाएगा :

परंतु यह और विक इसमें की कोई बात, कें द्रीय सरकार को, अध् य� या विकसी सदस् य को विकसी ऐसी प्राइ�ेट आयुर्वि�#ज्ञान संस् था में, जिजसके विकसी माम1े में ऐसे अध् य� या सदस् य द्वारा कोई कार?�ाई की गई है, विकसी हैलिसयत में, जिजसके अंतग?त कोई परामश� या वि�शेषज्ञ भी है, कोई विनयोजन स् �ीकार करने हेतु अनुज्ञात करने से विन�ारिरत नहीं करेगी ।

7. (1) कें द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, ऐसे अध् य� या विकसी अन् य सदस् य को पद से हटा सकेगी,-- (क) जिजसे दिद�ालि1या न् यायविनण�त विकया गया है ; या (ख) जिजसे ऐसे विकसी अपरा6 के लि1ए लिसद्धदोष ठहराया गया है जिजसमें कें द्रीय सरकार की राय

में नैवितक अ6मता अंतग्र?स् त है ; या (ग) जो सदस् य के रूप में काय? करने के लि1ए शारीरिरक या मानलिसक रूप से असमथ? हो गया है ;

या (घ) जो वि�कृतलिच= त का है और स�म न् याया1य द्वारा ऐसी घोषणा वि�द्यमान है ; या (ङ) जिजसने ऐसा वि�= तीय या अन् य विहत अर्जिज#त कर लि1या है जिजसके कारण सदस् य के रूप में

उसके कृ= यों पर प्रवितकू1 प्रभा� पड़ने की संभा�ना है ; या (च) जिजसने अपन े पद का इस प्रकार दुरुपयोग विकया ह ै जिजससे उसके पद पर बन े रहने से

1ोकविहत पर प्रवितकू1 प्रभा� पडे़गा । (2) विकसी सदस् य को उप6ारा (1) के खंड (ङ) और खंड (च) के अ6ीन पद से तब तक नहीं हटाया

जाएगा, जब तक उसे माम1े में सुन�ाई का युलिXयुX अ�सर नहीं दे दिदया गया हो ।

आयोग के अध् य� और सदस् य का पद स े हटाया जाना ।

8. (1) आयोग का एक सलिच�ा1य होगा, जिजसका प्रमुख सलिच� होगा, जिजसकी विनयुक्‍ति. त 6ारा 5 के उपबं6ों के अनुसार कें द्रीय सरकार द्वारा की जाएगी ।

(2) आयोग का सलिच� उ= कृष् ट योग् यता और स= यविनष् ठा �ा1ा ऐसा व्यलिX होगा, जिजसके पास प्रमाक्षिणत प्रशासविनक �मता, अह?ताए ंऔर अनुभ� हो, जो वि�विहत की जाए ं।

(3) सलिच� की विनयुक्‍ति. त कें द्रीय सरकार द्वारा चार �ष? की अ�मि6 के लि1ए की जाएगी और �ह विकसी वि�स् तार या पुनर्विन#यकु्‍ति. त का पात्र नहीं होगा ।

(4) सलिच� आयोग के ऐसे कृ= यों का विन�?हन करेगा, जो आयोग द्वारा उसे सौंपे जाए और जो इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट विकए जाएं ।

आयोग के सलिच�, वि�शेषज्ञों, �ृत्‍ति= तकों, अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों की विनयुक्‍ति. त ।

5

Page 9: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(5) आयोग, इस अमि6विनयम के अ6ीन अपने कृ= यों के द� विन�?हन के लि1ए, कें द्रीय सरकार द्वारा सृजिजत पदों पर, उतने अमि6कारिरयों और कम?चारिरयों की विनयुक्‍ति. त कर सकेगा, जो �ह आ�श् यक समझे ।

(6) आयोग के सलिच�, अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों को संदेय �ेतन और भ= ते तथा उनकी से�ा के अन् य विनबं6न और शत8 �े होंगी, जो वि�विहत की जाएं ।

(7) आयोग, वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट प्रविक्रया के अनुसार उतनी संख् या में स= यविनष् ठा और योग् यता �ा1े ऐसे वि�शेषज्ञों और �ृत्‍ति= तकों को, जिजन् हें ऐसे �ेत्रों में, जिजसके अंतग?त आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, 1ोक स् �ास् थ् य, प्रबं6न, स् �ास् थ् य संबं6ी अथ?शास्त्र, गुणता आश् �ासन, रोगी प� समथ?न, स् �ास् थ् य अनुसं6ान, वि�ज्ञान और प्रौद्योविगकी, प्रशासन, वि�= त, 1ेखे और वि�मि6 भी हैं, वि�शेष ज्ञान और अनुभ� है, विनयु. त कर सकेगा, जो �ह अमि6विनयम के अ6ीन अपने कृ= यों के विन�?हन में आयोग की सहायता के लि1ए आ�श् यक समझे ।

आयोग की बैठक, आदिद ।

9. (1) आयोग की बैठक, प्र= येक तीन मास में कम से कम एक बार, ऐसे समय और स् थान पर, होगी, जो अध् य� द्वारा विनयत विकया जाए ।

(2) अध् य�, आयोग की बैठक की अध् य�ता करेगा और यदिद विकसी कारण से अध् य� आयोग की बैठक में उपक्‍तिस् थत होने में असमथ? है तो अध् य� द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट कोई अन् य ऐसा सदस् य, जो स् �शासी बोड? का प्र6ान रहा हो, बैठक की अध् य�ता करेगा ।

(3) जब तक वि�विनयमों द्वारा आयोग की बैठकों में अनुसरण की जाने �ा1ी प्रविक्रया के संबं6 में अन् यथा उपबंमि6त न विकया जाए, गणपूर्वित# अध् य� सविहत आयोग के सदस् यों की कु1 संख् या के आ6े से होगी और आयोग के सभी कृ= यों का वि�विनश् चय उपक्‍तिस् थत और मत देने �ा1े सदस् यों के बहुमत से विकया जाएगा और मत बराबर होने की दशा में अध् य� या उसकी अनुपक्‍तिस् थवित में उप6ारा (2) के अ6ीन नामविनर्दिद#ष् ट स् �शासी बोड? के प्र6ान का विनणा?यक मत होगा ।

(4) आयोग के प्रशासन का सा6ारण अ6ी�ण, विनदेशन और विनयंत्रण अध् य� में विनविहत होगा । (5) आयोग द्वारा विकए गए विकसी काय? को उसके सदस् यों में विकसी रिरक्‍ति. त या उसके गठन में कोई त्रुदिट

होने के आ6ार पर प्रश् नगत नहीं विकया जाएगा । (6) कोई व् यक्‍ति. त, जो 6ारा 30 की उप6ारा (4) में विनर्दिद#ष्ट आयोग के वि�विनश्चय के लिस�ाय विकसी वि�विनश्

चय से व् यलिथत है, ऐसे वि�विनश् चय की संसूचना के तीस दिदन के भीतर ऐसे वि�विनश् चय के वि�रुद्ध कें द्रीय सरकार को अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

आयोग की श. वितयां और कृ= य ।

10. (1) आयोग, विनम् नलि1खिखत कृ= यों का विन�?हन करेगा, अथा?त् :-- (क) आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा की उच् च . �ालि1टी और उच् च स् तरमान को बनाए रखने के लि1ए नीवितयां

अमि6कलिथत करना और इस विनमिम= त आ�श् यक वि�विनयम बनाना ;(ख) आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं, आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी अनुसं6ानों और लिचविक= सा �ृत्‍ति= तकों को

वि�विनयमिमत करने के लि1ए नीवितयां अमि6कलिथत करना और इस विनमिम= त आ�श् यक वि�विनयम बनाना ;(ग) स् �ास्थ् य संबं6ी देखभा1, जिजसके अंतग?त स् �ास्थ् य और स् �ास्थ् य संबं6ी देखभा1 से संबंमि6त

अ�संरचना के लि1ए मान� संसा6न भी है, की अपे�ाओं तक पहंुच बनाना और ऐसी अपे�ाओं को पूरा करने के लि1ए एक आ1ेख वि�कलिसत करना ;

(घ) आयोग, स् �शासी बोडG और राज् य आयुर्वि�#ज्ञान परिरषदों के उलिचत काय?करण का सं�6?न, समन् �य और माग?दश?क लिसद्धांत वि�रलिचत करना और आ�श् यक वि�विनयम बनाकर नीवितयां अमि6कलिथत करना ;

(ङ) स् �शासी बोडG के बीच समन् �य सुविनक्‍तिश् चत करना ;(च) इस अमि6विनयम के अ6ीन वि�रलिचत माग?दश?क लिसद्धांत और बनाए गए वि�विनयमों का राज् य

लिचविक= सा परिरषदों द्वारा अनुपा1न सुविनक्‍तिश् चत करने हेतु ऐसे उपाय करना, जो आ�श् यक हों ; (छ) स् �शासी बोडG के वि�विनश् चयों के संबं6 में अपी1ीय अमि6कारिरता का प्रयोग करना ;(ज) चि�विक= सा व् य�साय म ें �ृत्‍ति= तक लिशष् टाचार के अनुपा1न को सुविनक्‍तिश् चत करन े के लि1ए

नीवितयां और संविहता अमि6कलिथत करना तथा लिचविक= सा व् य�सामिययों द्वारा देखभा1 करने के दौरान लिशष् टाचारी आचरण का सं�6?न करना ;

(झ) ऐसे प्राइ�ेट आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं और माविनत वि�श् �वि�द्या1यों में के, जो इस अमि6विनयम के

6

Page 10: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

उपबं6ों के अ6ीन शालिसत होत े हैं, पचास प्रवितशत स् थानों की बाबत फीस और अन्य प्रभारों के अ�6ारण के लि1ए माग?दश?क लिसद्धांत वि�रलिचत करना ;

(ञ) ऐसी अन्य शक्‍ति. तयों का प्रयोग और ऐसे अन् य कत?व् यों का विन�?हन करना, जो वि�विहत विकए जाए ं। (2) आयोग के सभी आदेश और वि�विनश् चय सलिच� के हस् ता�र द्वारा अमि6प्रमाक्षिणत होंगे ।(3) आयोग, सलिच� को अपनी ऐसी प्रशासविनक और वि�= तीय वि�षयों से संबंमि6त शक्‍ति. तयां प्र= यायोजिजत

कर सकेगा, जो �ह ठीक समझे । (4) आयोग उप समिमवितया ं गदिठत कर सकेगा और ऐसी उप समिमवितयों को अपनी ऐसी शक्‍ति. तया ं प्र=

यायोजिजत कर सकेगा, जो उन् हें वि�विनर्दिद#ष् ट काय? पूरा करने हेतु समथ? बनाने के लि1ए आ�श् यक हों । अध्‍याय 3

आयुर्वि��ज्ञान सलाहकार परिरषद ्11. (1) कें द्रीय सरकार, आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्नामक एक स1ाहकार विनकाय का गठन करेगी । (2) परिरषद,् अध् य� और विनम्नलि1खिखत सदस् यों से मिम1कर बनेगी,--

(क) आयोग का अध्य� परिरषद ्का पदेन अध् य� होगा : (ख) आयोग के प्र= येक सदस्य परिरषद ्के पदेन सदस् य होंगे ;(ग) प्र= येक राज् य का प्रवितविनमि6= � करने के लि1ए, उस राज्य सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट विकए जाने

�ा1ा एक सदस् य, जो उस राज् य में विकसी स् �ास् थ् य वि�श् �वि�द्या1य का कु1पवित हो ; (घ) प्र= येक संघ राज् य�ेत्र का प्रवितविनमि6= � करने के लि1ए, भारत सरकार के गृह मंत्रा1य द्वारा

नामविनर्दिद#ष् ट विकए जाने �ा1ा एक सदस् य, जो उस संघ राज् य�ेत्र में विकसी स् �ास् थ् य वि�श् �वि�द्या1य का कु1पवित हो ;

(ङ) प्र=येक राज्य और प्र= येक संघ राज् य�ेत्र का प्रवितविनमि6= � करने के लि1ए, राज्य लिचविक=सा परिरषद ्के विन�ा?लिचत सदस्यों में से, उस राज्य लिचविक=सा परिरषद ्द्वारा नामविनर्दिद#ष्ट विकए जाने �ा1ा एक सदस्य ;

(च) अध् य�, वि�श् �वि�द्या1य अनुदान आयोग ; (छ) विनदेशक, राष् ट्रीय विन6ा?रण और प्र= यायन परिरषद ्; (ज) भारतीय प्रौद्योविगकी संस् थानों, भारतीय प्रबं6 संस् थानों और भारतीय वि�ज्ञान संस् थान में

विनदेशक का पद 6ारण करने �ा1े व् यक्‍ति. तयों में से कें द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट विकए जाने �ा1े चार सदस् य : परंतु यदिद विकसी राज् य या संघ राज् य�ेत्र में कोई स् �ास् थ् य वि�श् �वि�द्या1य नहीं है तो उस राज् य या संघ राज्

य�ेत्र में के विकसी ऐसे वि�श् �वि�द्या1य के, जिजससे अमि6कांश आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य सहबद्ध हैं, कु1पवित को राज्य सरकार द्वारा या भारत सरकार के गृह मंत्रा1य द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट विकया जाएगा :

परंतु यह और विक यदिद विकसी संघ राज् य�ेत्र में कोई वि�श् �वि�द्या1य नहीं है तो गृह मंत्रा1य विकसी ऐसे सदस् य को नामविनर्दिद#ष् ट करेगा, जिजसके पास ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता और अनुभ� हो, जो वि�विहत विकया जाए ।

आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्का गठन और उसकी संरचना ।

आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्के कृ= य ।

12. (1) परिरषद ्ऐसा प्राथमिमक मंच होगा, जिजसके माध् यम से राज् य और संघ राज् य�ेत्र आयोग के सम� अपने वि�चार और प्रसंग रख सकें गे और जो आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और प्रलिश�ण से संबंमि6त समग्र काय?सूची, नीवित और काय? को आकार प्रदान करने में सहायक हो सकें गे ।

(2) परिरषद,् आयोग को आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, प्रलिश�ण और अनुसं6ान से संबंमि6त सभी वि�षयों के न् यूनतम स् तरमान के अ�6ारण और उसे बनाए रखने के लि1ए तथा उन् हें बनाए रखने के लि1ए समन् �य हेतु उपायों पर स1ाह देगा ।

(3) परिरषद,् आयोग को आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के प्रवित न् यायोलिचत पहंुच की अक्षिभ�ृजिद्ध करने संबं6ी उपायों पर स1ाह देगा ।

आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्की बैठकें ।

13. (1) परिरषद ्की बैठक, �ष? में कम से कम तीन बार, ऐसे समय और स् थान पर, जो अध् य� द्वारा वि�विनक्‍तिश् चत विकया जाए, होगी ।

(2) अध् य�, परिरषद ्की बैठक की अध् य�ता करेगा और यदिद विकसी कारण से अध् य� परिरषद ्की

7

Page 11: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

बैठक में उपक्‍तिस् थत होने में असमथ? है तो कोई अन् य सदस् य, जो अध् य� द्वारा नामविनर्दिद#ष् ट विकया जाए, बैठक की अध् य�ता करेगा ।

(3) जब तक वि�विनयमों द्वारा प्रविक्रया अन् यथा वि�विहत न की जाए, गणपूर्वित# परिरषद ्के अध् य� सविहत पचास प्रवितशत सदस् यों से होगी और परिरषद ्के सभी कायG का वि�विनश् चय उपक्‍तिस् थत और मत देने �ा1े सदस् यों के बहुमत से होगा ।

अध्‍याय 4

राष्‍ट्रीय परीक्षा राष् ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ण ।

14. (1) सभी आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में, जो इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन शालिसत होती हैं, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के लि1ए प्र�ेश हेतु एक सामान् य राष् ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा होगी :

परंतु स्नातकपू�? लिचविक=सा लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए समान राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा, त=समय प्र�ृत्त विकसी अन्य वि�मि6 के अ6ीन शालिसत सभी आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं को भी 1ागू होगी ।

(2) आयोग, ऐसे अक्षिभविहत प्रामि6कारी के माध् यम से और ऐसी रीवित में, अंगेजी और ऐसी अन् य भाषाओं में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाएं, राष् ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा का संचा1न करेगा ।

(3) आयोग, वि�विनयमों द्वारा, ऐसी सभी आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में, जो इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन शालिसत होती हैं, स्नातक पू�? और स्नातकोत्तर स्थानों पर प्र�ेश के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा सामान् य काउंसलि1#ग करने की रीवित वि�विनर्दिद#ष् ट करेगा :

परंतु अखिख1 भारतीय स् थानों के लि1ए सामान् य काउंसलि1#ग कें द्रीय सरकार का अक्षिभविहत प्रामि6कारी संचालि1त करेगा और राज् य स् तर के स् थानों के लि1ए सामान् य काउंसलि1#ग राज् य सरकार का अक्षिभविहत प्रामि6कारी संचालि1त करेगा ।

15. (1) लिचविक= सा व् य�सामिययों के रूप में लिचविक= सा व् य�साय करने हेतु अनुज्ञप्‍तिप् त प्रदान करने के लि1ए और, यथाक्‍तिस् थवित, राज् य रजिजस् टर या राष् ट्रीय रजिजस् टर के नामांकन हेतु एक सामान् य राष् ट्रीय विनग?म परी�ा नामक अंवितम �ष? स्नातक पू�? परी�ा आयोजिजत की जाएगी ।

(2) आयोग, ऐसे अक्षिभविहत प्रामि6कारी के माध् यम से और ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, राष् ट्रीय विनग?म परी�ा का संचा1न करेगा ।

(3) राष् ट्रीय विनग?म (एक्‍ति.सट) परी�ा, इस अमि6विनयम के प्रारंभ की तारीख से तीन �ष? के भीतर, उस तारीख से, जो कें द्रीय सरकार द्वारा, अमि6सूचना द्वारा, विनयत की जाए, प्रचालि1त होगी ।

(4) वि�देशी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता �ा1े विकसी व्यलिX को, लिचविक=सा व्य�सायी के रूप में लिचविक=सा व्य�साय करने हेतु अनुज्ञप्‍तिप्त अक्षिभप्राप्त करने के प्रयोजन के लि1ए और, यथाक्‍तिस्थवित, राज्य रजिजस्टर या राष्ट्रीय रजिजस्टर में ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, नामांकन हेतु राष्ट्रीय विनग?म (एक्‍ति.सट) परी�ा अर्विह#त करनी होगी ।

(5) राष्ट्रीय विनग?म परी�ा, ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में, जो इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन या त=समय प्र�ृत्त विकसी अन्य वि�मि6 के अ6ीन शालिसत होती हैं, स्नातकोत्तर बोड? वि�शेविषत आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा हेतु प्र�ेश का आ6ार होगी ।

(6) आयोग, वि�विनयमों द्वारा, उप6ारा (5) में विनर्दिद#ष्ट आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में स् नातको= तर वि�लिशष्ट वि�शेविषत स्थानों के लि1ए प्र�ेश हेतु अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा सामान् य काउंसलि1#ग करने की रीवित वि�विनर्दिद#ष् ट करेगा :

परंतु अखिख1 भारतीय स् थानों के लि1ए सामान् य काउंसलि1#ग कें द्रीय सरकार का अक्षिभविहत प्रामि6कारी संचालि1त करेगा और राज् य स् तर के स् थानों के लि1ए सामान् य काउंसलि1#ग राज् य सरकार का अक्षिभविहत प्रामि6कारी संचालि1त करेगा ।

राष् ट्रीय विनग?म परी�ा ।

अध्‍याय 5

स्‍�शासी बोड+16. (1) कें द्रीय सरकार, अमि6सूचना द्वारा, विनम् नलि1खिखत स् �शासी बोडG का, इस अमि6विनयम के अ6ीन

ऐसे बोडG को सौंपे गए कृ= यों का आयोग के संपूण? पय?�े�णा6ीन पा1न करने के लि1ए गठन करेगी, अथा?त् :-- (क) स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? ;

स् �शासी बोडG का गठन ।

8

Page 12: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(ख) स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? ; (ग) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? ; और(घ) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? ।

(2) उप6ारा (1) म ें विनर्दिद#ष् ट प्र= येक बोड? एक स् �शासी विनकाय होगा, जो आयोग द्वारा बनाए गए वि�विनयमों के अ6ीन रहते हुए, इस अमि6विनयम के अ6ीन अपने कायG का संपादन करेगा ।

स् �शासी बोडG की संरचना ।

17. (1) प्र= येक स् �शासी बोड?, एक प्र6ान और दो पूण?कालि1क सदस् यों और दो अंशकालि1क सदस्यों से मिम1कर बनेगा ।

(2) प्र= येक स् �शासी बोड? का प्र6ान, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? और स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? के तीन सदस् य (जिजसके अंतग?त एक अंशकालि1क सदस्य भी है) तथा लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? तथा लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? में के प्र= येक के दो सदस् य (जिजसके अंतग?त एक अंशकालि1क सदस्य भी है) उ= कृष् ट योग् यता, प्रमाक्षिणत प्रशासविनक सामथ् य? और स= यविनष् ठा �ा1े ऐसे व् यक्‍ति. त होंगे, जिजनके पास विकसी वि�श् �वि�द्या1य से आयुर्वि�#ज्ञान की विकसी वि�द्याशाखा में स् नातको= तर विडग्री हो और जिजन् हें ऐसे �ेत्र में कम से कम पन् द्रह �ष? का अनुभ� हो, जिजनमें से कम से कम सात �ष? तक �ह आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, 1ोक स् �ास् थ् य, सामुदामियक औषमि6 या स् �ास् थ् य अनुसं6ान के �ेत्र में अग्रणीय के रूप में रहा हो ।

(3) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? का तीसरा सदस् य, उ= कृष् ट योग् यता और स= यविनष् ठा �ा1ा ऐसा व् यक्‍ति. त होगा, जिजसके पास विकसी वि�श् �वि�द्या1य स े प्रबं6न, . �ालि1टी आश् �ासन, वि�मि6 या वि�ज्ञान और प्रौद्योविगकी की विकसी वि�द्याशाखा में स् नातको= तर विडग्री हो और जिजन् हें ऐसे �ेत्र में कम से कम पन् द्रह �ष? का अनुभ� हो, जिजनमें से कम से कम सात �ष? तक �ह अग्रणीय के रूप में रहा हो ।

(4) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? का तीसरा सदस् य, उ= कृष् ट योग् यता �ा1ा ऐसा व् यक्‍ति. त होगा, जिजसने लिचविक= सा लिशष् टाचार संबं6ी काय? के 1ोक अक्षिभ1ेख का विनदश?न विकया हो या उ= कृष् ट योग् यता �ा1ा ऐसा व् यक्‍ति. त होगा, जिजसके पास विकसी वि�श् �वि�द्या1य से . �ालि1टी आश् �ासन, 1ोक स् �ास् थ् य, वि�मि6 या रोगी प� समथ?न की विकसी वि�द्याशाखा में स् नातको= तर विडग्री हो और जिजन् हें ऐसे �ेत्र में कम से कम पन् द्रह �ष? का अनुभ� हो, जिजनमें से कम से कम सात �ष? तक �ह अग्रणीय के रूप में रहा हो ।

(5) प्र=येक स्�शासी बोड? का चौथा सदस्य, जो अंशकालि1क सदस्य है, राज्य लिचविक=सा परिरषद ्के विन�ा?लिचत सदस्यों में से, ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए, चुना जाएगा ।

प्र6ान और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित ।

18. कें द्रीय सरकार, 6ारा 17 की उप6ारा (5) में विनर्दिद#ष्ट सदस्यों के लिस�ाए, स् �शासी बोड? के प्र6ान और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त, 6ारा 5 के अ6ीन गदिठत खोजबीन समिमवित द्वारा की गई लिसफारिरशों के आ6ार पर, उस 6ारा में वि�विनर्दिद#ष् ट प्रविक्रया के अनुसार करेगी ।

प्र6ान और सदस् यों की पदा�मि6 और से�ा शत8 ।

19. (1) प्र= येक स् �शासी बोड? का प्र6ान और सदस् य (अंशकालि1क सदस्यों से क्षिभन्न) चार �ष? से अनमि6क की अ�मि6 के लि1ए पद 6ारण करेंगे और विकसी वि�स् तार या पुनर्विन#युक्‍ति. त के पात्र नहीं होंगे :

परंतु प्र= येक स् �शासी बोड? के अंशकालि1क सदस्य दो �ष? की अ�मि6 के लि1ए पद 6ारण करेंगे :

परंतु यह और विक कोई सदस्य स= तर �ष? की आयु पूण? कर 1ेने के पश् चात् पद 6ारण करने से प्रवि�रत हो जाएगा ।

(2) स् �शासी बोड? के प्र6ान और सदस् यों (अंशकालि1क सदस्यों से क्षिभन्न) को संदेय �ेतन और भ= त ेतथा उनकी से�ा के विनबं6न और शत8 �े होंगी, जो वि�विहत की जाए ं:

परंतु प्र= येक स् �शासी बोड? के अंशकालि1क सदस्य, ऐसे भ= तों के हकदार होंगे, जो वि�विहत विकए जाए ं।(3) आयोग के अध् य� और सदस् यों की से�ा के विनबं6नों और शतG से संबंमि6त 6ारा 6 की उप6ारा (3),

उप6ारा (5) , उप6ारा (6), उप6ारा (7) और उप6ारा (8) में के और उन् हें पद से हटाए जाने से संबंमि6त 6ारा 7 में के अंतर्वि�#ष् ट उपबं6 स् �शासी बोडG के प्र6ान और सदस् यों को भी 1ागू होंगे ।

20. (1) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? के लिस�ाय प्र= येक स् �शासी बोड? की सहायता वि�शेषज्ञों की ऐसी स1ाहकार समिमवितयों द्वारा की जाएगी, जो इस अमि6विनयम के अ6ीन ऐसे बोडG के कृ= यों के द� विन�?हन के लि1ए आयोग द्वारा गदिठत की जाए ं।

(2) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? की सहायता वि�शेषज्ञों की ऐसी लिशष् टाचार समिमवितयों द्वारा की जाएगी, जो इस अमि6विनयम के अ6ीन उस बोड? के कृ= यों के द� विन�?हन के लि1ए आयोग द्वारा गदिठत

वि�शेषज्ञों की स1ाहकार समिमवित ।

9

Page 13: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

की जाए ं।21. स् �शासी बोडG के लि1ए उतनी संख् या में और ऐसी रीवित में, जो आयोग द्वारा वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट

की जाए, 6ारा 8 के अ6ीन विनय.ु त वि�शेषज्ञ, �ृत्‍ति= तक, अमि6कारी और अन् य कम?चारी उप1ब् 6 होंगे । स् �शासी बोडG के कम?चारिर�ंृद ।

22. (1) प्र= येक स् �शासी बोड? की बैठक, प्र= येक �ष? में कम से कम एक बार, ऐसे समय और स् थान पर होगी, जो विनयत विकया जाए ।

(2) स् �शासी बोड? के सभी वि�विनश् चय, प्र6ान और सदस् यों के बहुमत द्वारा विकए जाएगें ।(3) 6ारा 28 के उपबं6ों के अ6ीन रहते हुए, कोई व् यक्‍ति. त, जो विकसी स् �शासी बोड? के विकसी वि�विनश्

चय से व् यलिथत है, ऐसे वि�विनश् चय की संसूचना के साठ दिदन के भीतर ऐसे वि�विनश् चय के वि�रुद्ध आयोग को अपी1 कर सकेगा ।

स् �शासी बोडG की बैठकें , आदिद ।

23. (1) प्र= येक स् �शासी बोड? के प्र6ान को ऐसी प्रशासविनक और वि�= तीय शक्‍ति. तयां होंगी, जो आयोग द्वारा द� रूप से काय? करने के लि1ए ऐसे बोड? को समथ? बनाने हेतु उसे प्र= यायोजिजत की जाएं ।

(2) विकसी स् �शासी बोड? का प्र6ान, उस बोड? के विकसी सदस् य या विकसी अमि6कारी को अपनी शक्‍ति. तयों में से विकन् हीं शक्‍ति. तयों का और प्र= यायोजन कर सकेगा ।

स् �शासी बोड? की शक्‍ति. तया ं और शक्‍ति. तयों का प्र= यायोजन ।

स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य ।

24. (1) स् नातक-पू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? विनम् नलि1खिखत कृ= यों का पा1न करेगा, अथा?त् :-- (क) स् नातक-पू�? स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के स् तरमानों का अ�6ारण और उससे संबंमि6त

सभी पह1ूओं की विनगरानी करना ;(ख) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार स् नातकपू�? स् तर पर गवितशी1

पाठ्यचया? पर आ6ारिरत �मता वि�कलिसत करना ;(ग) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के उपबं6ों के अनुसार प्राथमिमक स्�ास्थ्य

से�ाओं, सामुदामियक आयुर्वि�#ज्ञान और कौटुत्‍तिम् बक आयुर्वि�#ज्ञान आ�श्यकताओं का, ऐसे �ेत्रों में स् �ास्थ् य संबं6ी देखरेख सुविनक्‍तिश् चत करन े के लि1ए पता 1गान े हेत ु गवितशी1 पाठ्यचया? पर आ6ारिरत �मता वि�कलिसत करना ;

(घ) देश की आ�श् यकताओं और सा�?वित्रक मानकों को ध् यान में रखते हुए, इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के उपबं6ों के अनुसार स् नातकपू�? पाठ्यकमों में लिश�ण हेतु आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं की स् थापना के लि1ए माग?दश?क लिसद्धांत वि�रलिचत करना ;

(ङ) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के उपबं6ों के अनुसार आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में, स् थानीय स् तरों पर सृजना= मकता की आ�श् यकताओं को ध् यान म ें रखत े हुए पाठ्यक्रमों और परी�ाओं के संचा1न के लि1ए, जिजसके अंतग?त अ1ग-अ1ग संस् थाओं द्वारा कुछ पाठ्यक्रमों की परिरकल् पना करना भी है, न् यूनतम अपे�ाओं और स् तरमानों का अ�6ारण करना ;

(च) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के उपबं6ों के अनुसार स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा उप1ब् 6 कर�ाने के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में की अ�संरचना, संकाय और लिश�ा की . �ालि1टी के लि1ए स् तरमानों और मानकों का अ�6ारण करना ;

(छ) स् नातकपू�? पाठ्यक्रमों के अध् यापन के लि1ए संकाय सदस् यों के वि�कास और प्रलिश�ण को सुकर बनाना ;

(ज) स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा से संबंमि6त अनुसं6ान और अंतरराष् ट्रीय छात्र और संकाय सदस् य के आदान-प्रदान संबं6ी काय?क्रमों को सुकर बनाना ;

(झ) आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं द्वारा इ1ै. ट्राविनक रूप से या अन् यथा, उनके ऐसे कृ= यों के संबं6 में, जो छात्रों, संकाय सदस् यों, आयोग और कें द्रीय सरकार सविहत सभी पण6ारिरयों के विहत से संबंमि6त हैं, अविन�ाय? �ार्विष#क प्रकटन के लि1ए मानक वि�विनर्दिद#ष् ट करना ;

(ञ) स् नातकपू�? स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी विकसी अह?ता को मान् यता देना । (2) स् नातक-पू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?, अपने कृ=यों के विन�?हन में आयोग को ऐसी लिसफारिरशें कर

सकेगा और ऐसे विनदेशों की ईप् सा कर सकेगा, जो �ह आ�श् यक समझे ।

स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा

25. (1) स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? विनम् नलि1खिखत कृ= यों का पा1न करेगा, अथा?त् :--

10

Page 14: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

बोड? की शक्‍ति. तयां और कृ= य ।

(क) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार स् नातको= तर स् तर पर और अवित वि�लिशष् ट स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के स् तरमान का अ�6ारण करना और उससे संबंमि6त सभी पह1ूओं की विनगरानी करना ;

(ख) स् �ास् थ् य संबं6ी देखरेख करने, आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा देने और आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी अनुसं6ान करने हेतु स् नातको= तरों और अवित वि�लिशष् ट वि�शेषज्ञों के बीच समुलिचत कौश1, ज्ञान, अक्षिभ�ृत्‍ति= त, मूल् य और लिशष् टाचार वि�कलिसत करने की दृखिष् ट से इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार स् नातको= तर स् तर पर और अवित वि�लिशष् ट स् तर पर गवितशी1 पाठ्यचया? पर आ6ारिरत �मता वि�कलिसत करना ;

(ग) देश की आ�श् यकताओं और सा�?वित्रक मानकों को ध् यान में रखते हुए, इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट पाठ्यकमों म ें लिश�ण हेतु आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं की स् थापना के लि1ए माग?दश?क लिसद्धांत वि�रलिचत करना ;

(घ) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट पाठ्यक्रमों और परी�ाओं के संचा1न के लि1ए न् यूनतम अपे�ाओं और स् तरमानों का अ�6ारण करना ;

(ङ) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के संचा1न के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में की अ�संरचना, संकाय और लिश�ा की . �ालि1टी के लि1ए स् तरमानों और मानकों का अ�6ारण करना ;

(च) स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट पाठ्यक्रमों के अध् यापन के लि1ए संकाय सदस् यों के वि�कास और प्रलिश�ण को सुकर बनाना ;

(छ) स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा से संबंमि6त अनुसं6ान और अंतरराष् ट्रीय छात्र और संकाय सदस् य के आदान-प्रदान संबं6ी काय?क्रमों को सुकर बनाना ;

(ज) आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं द्वारा इ1ै. ट्राविनक रूप से या अन् यथा, उनके ऐसे कृ= यों के संबं6 में, जो छात्रों, संकाय सदस् यों, आयोग और कें द्रीय सरकार सविहत सभी पण6ारिरयों के विहत से संबंमि6त हैं, अविन�ाय? �ार्विष#क प्रकटन के लि1ए मानक वि�विनर्दिद#ष् ट करना ;

(झ) स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी विकन् हीं अह?ताओं को मान् यता देना ;

(ञ) कुटंुब औषमि6यों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का सं�6?न करना और उसे सुकर बनाना । (2) स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?, अपने कृ=यों के विन�?हन में आयोग को ऐसी लिसफारिरशें कर

सकेगा और ऐसे विनदेशों की ईप् सा कर सकेगा, जो �ह आ�श् यक समझे । 26. (1) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? विनम् नलि1खिखत कृ= यों का पा1न करेगा, अथा?त् :--

(क) आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं का, इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार, यथाक्‍तिस् थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= = र आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा अमि6कलिथत स् तरमानों के अनुसार उनके अनुपा1न के विन6ा?रण और रेटिट#ग के लि1ए प्रविक्रया अ�6ारिरत करना ;

(ख) 6ारा 28 के उपबं6ों के अनुसार विकसी नए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थान की स् थापना के लि1ए या कोई स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लि1ए, या स्थानों की संख्या बढ़ाने के लि1ए अनुमवित देना ;

(ग) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार ऐसी संस् थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं का विनरी�ण करना :

परंतु लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?, यदिद आ�श् यक समझे, ऐसी संस् थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग हेतु आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं का विनरी�ण करने के लि1ए विकसी अन् य प�कार अक्षिभकरण या व् य. वितयों को भाडे़ पर 1े सकेगा या प्रामि6कृत कर सकेगा :

परंतु यह और विक जहा ं लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? द्वारा प्रामि6कृत विकसी अन् य प�कार अक्षिभकरण या व् यक्‍ति. तयों द्वारा आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं का विनरी�ण विकया जाता है, �हां ऐसी संस् थाओं पर यह बाध् यकारी होगा विक �ह ऐसे अक्षिभकरण या व् यक्‍ति. त को पहंुच उप1ब् 6 कर�ाए ;

(घ) सभी आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं का, उनके प्रारंभ होने की ऐसी अ�मि6 के भीतर और उसके पश् चात् प्र= येक �ष?, ऐसे समय पर और ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, विन6ा?रण और रेटिट#ग करना या विन6ा?रण और रेटिट#ग करने के लि1ए स् �तंत्र रेटिट#ग अक्षिभकरणों को पैनलि1त करना ;

लिचविक=सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? की शक्‍ति. तया ं और कृ= य ।

11

Page 15: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(ङ) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार विनयमिमत अंतरा1ों पर आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग को उसकी �ेबसाइट पर या सा�?जविनक पट1 पर उप1ब् 6 करना ;

(च) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार, यथाक्‍तिस् थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट न् यूनतम आ�श् यक स् तरमानों को बनाए रखने में असफ1 रहने के लि1ए विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस् था के वि�रुद्ध ऐसे उपाय करना, जिजसके अंतग?त चेता�नी देना, 6नीय शास्तिस् त का अमि6रोपण, प्र�ेश कम करना या रोकना और आयोग को मान्यता �ापस 1ेने की लिसफारिरश करना भी है : (2) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?, अपने कृ=यों के विन�?हन में आयोग को ऐसी लिसफारिरशें कर

सकेगा और ऐसे विनदेशों की ईप् सा कर सकेगा, जो �ह आ�श् यक समझे । लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? की शक्‍ति. तया ं और कृ= य ।

27. (1) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? विनम् नलि1खिखत कृ= यों का पा1न करेगा, अथा?त् :-- (क) 6ारा 31 के उपबं6ों के अनुसार सभी अनुज्ञप् त लिचविक= सा व् य�सामिययों का एक राष् ट्रीय

रजिजस् टर रखना ; (ख) इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों के अनुसार �ृत्‍ति= तक आचरण को वि�विनयमिमत

करना और लिचविक= सा लिशष् टाचार का सं�6?न करना ; परंतु उस दशा में, जहां राज् य लिचविक= सा परिरषद ्को संबंमि6त राज् य अमि6विनयमों के अ6ीन लिचविक=

सा व् य�सामिययों द्वारा �ृत्‍ति= तक और लिशष् टाचार संबं6ी अ�चार के संबं6 में अनुशासना= मक कार?�ाइयां करने की शक्‍ति. त प्रद= त की गई है, लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, राज् य लिचविक= सा परिरषद ्के माध् यम से �ृत्‍ति= तक और लिशष् टाचार संबं6ी आचार संविहता के अनुपा1न को सुविनक्‍तिश् चत करेगा ;

(ग) लिचविक= सा व् य�सामिययों और �ृक्षित्तकों के आचरण को प्रभा�ी रूप से सं�र्धि6#त और वि�विनयमिमत करने के लि1ए राज् य लिचविक= सा परिरषद ्के साथ सतत ्संपक? बनाए रखने के लि1ए तंत्र वि�कलिसत करना ;

(घ) 6ारा 31 के अ6ीन विकसी राज् य लिचविक= सा परिरषद ्द्वारा की गई कार?�ाइयों के संबं6 में अपी1ीय अमि6कारिरता का प्रयोग करना । (2) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, अपन े कृ=यों के विन�?हन म ें आयोग को ऐसी

लिसफारिरशें कर सकेगा और ऐसे विनदेशों की ईप् सा कर सकेगा, जो �ह आ�श् यक समझे ।

28. (1) कोई व् यक्‍ति. त, लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? की पू�? अनुज्ञा अक्षिभप्राप् त विकए विबना विकसी नए आयरु्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य की स् थापना नहीं करेगा या कोई अन्य स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ नहीं करेगा या स्थानों की संख्या में �ृजिद्ध नहीं करेगा ।

(2) कोई व् यक्‍ति. त, उप6ारा (1) के अ6ीन अनुज्ञा अक्षिभप्राप् त करने के प्रयोजनों के लि1ए ऐसी वि�लिशखिष् टयां अंतर्वि�#ष् ट करते हुए, ऐसे प्ररूप में, ऐसी फीस के साथ और ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? को स् कीम प्रस् तुत कर सकेगा ।

(3) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?, 6ारा 29 में वि�विनर्दिद#ष् ट कसौदिटयों को ध् यान में रखते हुए, उप6ारा (2) के अ6ीन प्राप् त स् कीम पर वि�चार करेगा और ऐसी प्राप्‍तिप् त की तारीख से छह मास की अ�मि6 के भीतर ऐसी स् कीम का अनुमोदन या अननुमोदन करेगा :

परंतु ऐसी स् कीम का अननुमोदन करने के पू�? संबंमि6त व् यक्‍ति. त को तु्रदिटयों के, यदिद कोई हों, सु6ार का एक अ�सर दिदया जाएगा ।

(4) जहां उप6ारा (3) के अ6ीन विकसी स् कीम का अनुमोदन कर दिदया जाता है, �हां ऐसा अनुमोदन उप6ारा (1) के अ6ीन नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य की स् थापना के लि1ए अनुज्ञा होगी ।

(5) जहां उप6ारा (3) के अ6ीन विकसी स् कीम का अननुमोदन विकया जाता है या जहां उप6ारा (1) के अ6ीन कोई स् कीम प्रस् तुत करने के छह मास के भीतर कोई वि�विनश् चय नहीं विकया जाता है, �हां संबद्ध व् यक्‍ति. त, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, यथाक्‍तिस् थवित, ऐसे अननुमोदन के पन् द्रह दिदन के भीतर या छह मास बीत जाने पर स् कीम के अनुमोदन के लि1ए आयोग को अपी1 कर सकेगा ।

(6) आयोग, उप6ारा (5) के अ6ीन प्राप् त अपी1 का वि�विनश् चय अपी1 प्राप् त होने की तारीख से पैंता1ीस दिदन की अ�मि6 के भीतर करेगा और यदिद आयोग स् कीम का अनुमोदन कर देता है तो ऐसा अनुमोदन

नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य की स् थापना क े लि1ए अनुज्ञा ।

12

Page 16: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

नया आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य स् थाविपत करने के लि1ए उप6ारा (1) के अ6ीन अनुज्ञा होगी और यदिद आयोग स् कीम का अननुमोदन कर देता है या वि�विनर्दिद#ष् ट अ�मि6 के भीतर वि�विनश् चय करने में असफ1 रहता है तो संबद्ध व् यक्‍ति. त, यथाक्‍तिस् थवित, ऐसे अननुमोदन की संसूचना के तीस दिदन के भीतर या वि�विनर्दिद#ष् ट अ�मि6 बीत जाने पर कें द्रीय सरकार को दूसरी अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

(7) लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?, विकसी समय प्र= य�त: या विकसी अन् य वि�शेषज्ञ के माध् यम से और विबना विकसी पू�? सूचना के, विकसी वि�श् �वि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस् था का मूल् यांकन और विन6ा?रण करा सकेगा और ऐसे आयुर्वि�#ज्ञान संस् था के विकसी काय?पा1न, स् तरमान और विनदfशलिचन् हों का विन6ा?रण और मूल् यांकन कर सकेगा ।

स्‍पष्‍टीकरर्ण—इस 6ारा के प्रयोजनों के लि1ए, "व् यक्‍ति. त" पद के अंतग?त कोई वि�श् �वि�द्या1य, न् यास या अन् य व् यक्‍ति. तयों का कोई संगम और व् यखिष् ट विनकाय भी है, किक#त ुइसके अंतग?त कें द्रीय सरकार नहीं है ।

स् कीम के अनुमोदन या अननुमोदन के लि1ए मानदंड ।

29. 6ारा 28 के अ6ीन विकसी स् कीम का अनुमोदन या अननुमोदन करते समय, यथाक्‍तिस् थवित, लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? या आयोग विनम् नलि1खिखत मानदंडों पर वि�चार करेगा, अथा?त् :--

(क) वि�= तीय संसा6नों की पया?प् तता ; (ख) . या आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य के समुलिचत काय?करण को सुविनक्‍तिश् चत करने के लि1ए पया?प् त

श�ैक्षिणक संकाय और अन् य आ�श् यक सुवि�6ाओं का उपबं6 विकया गया है या उनका स् कीम में वि�विनर्दिद#ष् ट समय सीमा के भीतर उपबं6 कर दिदया जाएगा ;

(ग) . या पया?प् त लिचविक= सा1य सुवि�6ाए ंउप1ब् 6 कर�ाई गई है या उनका स् कीम में वि�विनर्दिद#ष् ट समय सीमा के भीतर उपबं6 विकया जाएगा ;

(घ) ऐसे अन् य कारक, जो वि�विहत विकए जाए ं:

परंतु कें द्रीय सरकार के पू�? अनुमोदन के अ6ीन रहते हुए, ऐसे आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य के लि1ए, जो ऐसे �ेत्रों में स् थाविपत हैं, जो वि�विनयमों में वि�विनर्दिद#ष् ट विकए जाएं, मानदंड में छूट दी जा सकेगी ।

राज्य लिचविक= सा परिरषद ्।

30. (1) राज् य सरकार, उस राज् य में यदिद �हां कोई लिचविक= सा परिरषद ्वि�द्यमान नहीं है तो, इस अमि6विनयम के प्रारंभ के तीन �ष? के भीतर उस राज् य में लिचविक= सा परिरषद ्स् थाविपत करने के लि1ए आ�श् यक उपाय करेगी ।

(2) जहां कोई राज् य अमि6विनयम, राज् य लिचविक= सा परिरषद ्को, विकसी रजिजस् ट्रीकृत लिचविक= सा व् य�सायी या �ृत्‍ति= तक द्वारा विकए गए विकसी �ृत्‍ति= तक या लिशष् टाचार संबं6ी अ�चार के संबं6 में अनुशासना= मक कार?�ाइयां करने के लि1ए शक्‍ति. त प्रद= त करता है, �हां राज् य लिचविक= सा परिरषद ्इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाए गए वि�विनयमों और वि�रलिचत माग?दश?क लिसद्धांतों के अनुसार काय? करेगी :

परंतु उस समय तक जब तक विकसी राज् य में राज् य लिचविक= सा परिरषद ्की स् थापना नहीं हो जाती है, लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, ऐसी प्रविक्रया के अनुसार, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, उस राज् य में के विकसी रजिजस् ट्रीकृत लिचविक= सा व् य�सायी या �ृत्‍ति= तक के वि�रुद्ध विकसी �ृत्‍ति= तक या लिशष् टाचार से संबंमि6त अ�चार से संबंमि6त परिर�ाद और लिशकायतें प्राप् त करेगा :

परंतु यह और विक, यथाक्‍तिस् थवित, लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? या राज् य लिचविक= सा परिरषद ्ऐसे व् यक्‍ति. त के वि�रुद्ध कोई कार?�ाई, जिजसके अंतग?त विकसी आर्थिथ#क शास्तिस् त का अमि6रोपण विकया जाना भी है, विकए जाने से पू�? संबद्ध लिचविक= सा व् य�सायी या �ृत्‍ति= तक को सुन�ाई का अ�सर देगी ।

(3) कोई लिचविक= सा व् य�सायी या �ृत्‍ति= तक, जो उप6ारा (2) के अ6ीन राज् य लिचविक= सा परिरषद ्द्वारा की गई विकसी कार?�ाई से व् यलिथत है, ऐसी कार?�ाई के वि�रुद्ध लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? को अपी1 कर सकेगा और उस पर लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? का वि�विनश् चय राज् य लिचविक= सा परिरषद ्पर तब तक बाध् यकारी होगा, जब तक उप6ारा (4) के अ6ीन कोई विद्वतीय अपी1 प्रस् तुत नहीं कर दी जाती है ।

(4) कोई लिचविक= सा व् य�सायी या �ृत्‍ति= तक, जो लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? के वि�विनश् चय से व् यलिथत है, ऐसे वि�विनश् चय की संसूचना के साठ दिदन के भीतर आयोग को अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

स्‍पष्‍टीकरर्ण—इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए,--

13

Page 17: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(क) "राज् य" के अंतग?त संघ राज् य�ेत्र सत्‍तिम्मलि1त हैं और संघ राज् य�ेत्र के संबं6 में "राज् य सरकार" और "राज् य लिचविक= सा परिरषद"् पद से क्रमश: "कें द्रीय सरकार" और "संघ राज् य�ेत्र लिचविक= सा परिरषद"् अक्षिभप्रेत है ;

(ख) "�ृत्‍ति= तक या लिशष् टाचार से संबंमि6त अ�चार" के अंतग?त विकसी ऐसे कृ= य का विकया जाना या उसका 1ोप विकया जाना सत्‍तिम् मलि1त है, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट विकया जाए ।31. (1) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, एक राष् ट्रीय रजिजस् टर रखेगा, जिजसमें विकसी

अनुज्ञप् त लिचविक= सा व् य�सायी का नाम, पता, उसके द्वारा 6ारिरत सभी मान् यताप्राप् त अह?ताए ंऔर ऐसी अन् य वि�लिशखिष् टयां, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, अंतर्वि�#ष् ट होंगी ।

(2) राष् ट्रीय रजिजस् टर ऐसे प्ररूप में, जिजसके अंतग?त इ1ै. ट्राविनक प्ररूप भी है, और ऐसी रीवित में रखा जाएगा, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए ।

(3) �ह रीवित, जिजसमें राष् ट्रीय रजिजस् टर में कोई नाम या अह?ता जोड़ी जा सकेगी या उसमें से हटाई जा सकेगी और उसके हटाए जाने के आ6ार �े होंगे, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट विकए जाएं ।

राष् ट्रीय रजिजस् टर और राज् य रजिजस् टर ।

1872 का 1 (4) राष् ट्रीय रजिजस् टर, भारतीय साक्ष् य अमि6विनयम, 1872 की 6ारा 74 के अथ? में एक 1ोक दस् ता�ेज होगा ।

(5) राष् ट्रीय रजिजस् टर को लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? की �ेबसाइट पर रखकर जनता के लि1ए उप1ब् 6 कर�ाया जाएगा ।

(6) प्र= येक राज् य लिचविक= सा परिरषद,् वि�विनर्दिद#ष् ट इ1ै. ट्राविनक रूपवि�6ान में राज् य रजिजस् टर रखेगी और इस अमि6विनयम के प्रारंभ से तीन मास के भीतर उसकी �ास् तवि�क प्रवित लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? को देगी ।

(7) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, राष् ट्रीय रजिजस् टर और राज् य रजिजस् टर का, ऐसी रीवित में इ1ै. ट्राविनक तुल् यका1न सुविनक्‍तिश् चत करेगा जिजससे एक रजिजस् टर में का कोई परिर�त?न स् �त: ही दूसरे रजिजस् टर में प्रवितविबत्‍तिम् बत हो जाए ।

(8) लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड?, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, 6ारा 32 में विनर्दिद#ष्ट सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता, लिचविक=सा व् य�सायी का नाम, पता और उसके द्वारा 6ारिरत सभी मान् यताप्राप् त अह?ताओं सविहत ऐसी वि�लिशखिष् टयां अंतर्वि�#ष् ट करते हुए, ऐसे प्ररूप में, पृथक् राष् ट्रीय रजिजस् टर रखेगा ।

सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता ।

32. (1) आयोग, आ6ुविनक �ैज्ञाविनक लिचविक=सा व्य�साय से संबद्ध ऐसे व्यलिX को, जिजसने ऐसे मानदंड अर्विह#त विकए हैं, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट विकए जाएं, सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता के रूप में मध्यम स्तर पर लिचविक=सा व्य�साय करने के लि1ए सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त दे सकेगा :

परंतु इस उप6ारा के अ6ीन अनुदत्त सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त की संख्या 6ारा 31 की उप6ारा (1) के अ6ीन रजिजस्ट्रीकृत अनुज्ञप्‍तिप्त6ारी लिचविक=सा व्य�सामिययों की कु1 संख्या के एक वितहाई से अमि6क नहीं होगी ।

(2) सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता, जिजसे उप6ारा (1) के अ6ीन सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त की गई है, ऐसी परिरक्‍तिस्थवितयों में उस वि�स्तार तक और ऐसी अ�मि6 के लि1ए लिचविक=सा व्य�साय कर सकेगा, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट विकया जाए ।

(3) सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता, के�1 प्राथमिमक और विन�ारक स्�ास्थ्य देखरेख में स्�तंत्र रूप से वि�विनर्दिद#ष्ट औष6 वि�विहत कर सकेगा, किक#तु प्राथमिमक और विन�ारक स्�ास्थ्य देखरेख से क्षिभन्न माम1ों में �ह के�1 6ारा 32 की उप6ारा (1) के अ6ीन रजिजस्ट्रीकृत लिचविक=सा व्य�सामिययों के पय?�े�णीय औष6 वि�विहत कर सकेगा ।

व् यक्‍ति. तयों क े व् य�साय करन े के लि1ए अनुज्ञप्‍तिप् त प्राप् त करन े और राष् ट्रीय रजिजस् टर या राज् य रजिजस् टर में नामा�1ीगत विकए

33. (1) विकसी ऐसे व् यक्‍ति. त को, जिजसने 6ारा 15 के अ6ीन आयोजिजत राष् ट्रीय विनग?म परी�ा उ= तीण? की है, लिचविक= सा व् य�साय करने के लि1ए अनुज्ञप्‍तिप् त दी जाएगी और उसका नाम तथा अह?ताए,ं यथाक्‍तिस् थवित, राष् ट्रीय रजिजस् टर या राज् य रजिजस् टर में नामा�1ीगत की जाएगी :

परंतु ऐसे विकसी व् यक्‍ति. त को, जिजसे इस अमि6विनयम के प्र�त?न में आने के पू�? और 6ारा 15 की उप6ारा (3) के अ6ीन राष् ट्रीय विनग?म परी�ा के प्र�?तन में आने के पह1े भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956

14

Page 18: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

जाने के अमि6कार और उससे संबंमि6त उनकी बाध् यताएं ।

के अ6ीन भारतीय लिचविक= सा रजिजस् टर में रजिजस् ट्रीकृत विकया गया है, इस अमि6विनयम के अ6ीन रजिजस् ट्रीकृत विकया गया समझा जाएगा और उसे इस अमि6विनयम के अ6ीन रखे गए राष् ट्रीय रजिजस् टर में नामा�1ीगत विकया जाएगा ।

(2) ऐसे विकसी व् यक्‍ति. त को, जिजसने भारत से बाहर विकसी देश में स् थाविपत विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस् था से कोई आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता अक्षिभप्राप् त की है और �ह उस देश में लिचविक= सा व् य�सायी के रूप में मान् यताप्राप् त है, इस अमि6विनयम के प्रारंभ होने और 6ारा 15 की उप6ारा (3) के अ6ीन राष् ट्रीय विनग?म परी�ा के व् य�हृत होने के पश् चात् राष् ट्रीय रजिजस् टर में तब तक नामा�1ीगत नहीं विकया जाएगा, जब तक �ह राष् ट्रीय विनग?म परी�ा में अर्विह#त नहीं हो जाता है ।

(3) जब कोई ऐसा व् यक्‍ति. त, जिजसका नाम, यथाक्‍तिस् थवित, राज् य रजिजस् टर या राष् ट्रीय रजिजस् टर में प्रवि�ष् ट है, वि�ज्ञान या 1ोक स् �ास् थ् य या आयुर्वि�#ज्ञान में, जो, यथाक्‍तिस् थवित, 6ारा 34 या 6ारा 35 के अ6ीन मान् यताप्राप् त आयरु्वि�#ज्ञान अह?ता है, कोई उपामि6, विडप् 1ोमा या प्र�ीणता संबं6ी कोई अन् य अह?ता अक्षिभप्राप् त करता है, तो �ह ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, यथाक्‍तिस् थवित, राज् य रजिजस् टर या राष् ट्रीय रजिजस् टर में अपने नाम के सामने ऐसी उपामि6, विडप् 1ोमा या अह?ता को प्रवि�ष् ट करने का हकदार होगा ।

1956 का 102

34. (1) विकसी ऐसे व् यक्‍ति. त से क्षिभन् न, जो, यथाक्‍तिस् थवित, राज् य रजिजस् टर या राष् ट्रीय रजिजस् टर में नामा�1ीगत है, कोई व् यक्‍ति. त,--

(क) अर्विह#त लिचविक= सा व् य�सायी के रूप में लिचविक= सा व् य�साय के लि1ए अनुज्ञात नहीं विकया जाएगा ;

(ख) लिचविक= सक या शल् य लिचविक= सक के रूप में कोई पद या कोई अन् य ऐसा पद, चाहे विकसी भी नाम से ज्ञात हो, जो विकसी लिचविक= सक या सज?न द्वारा 6ारिरत विकए जाने के लि1ए हो, 6ारण नहीं करेगा ;

(ग) विकसी ऐसे लिचविक= सा प्रमाणपत्र या आरोग् य प्रमाणपत्र या विकसी अन् य ऐसे प्रमाणपत्र पर हस् ता�र करने या अमि6प्रमाक्षिणत करने का हकदार नहीं होगा, जिजसका विकसी वि�मि6 द्वारा सम् यक् रूप से अर्विह#त लिचविक= सा व् य�सायी द्वारा हस् ता�रिरत या अमि6प्रमाक्षिणत विकया जाना अपेक्षि�त है ;

व् य�साय का �ज?न ।

1872 का 1(घ) आयुर्वि�#ज्ञान से संबंमि6त विकसी माम1े में भारतीय साक्ष् य अमि6विनयम, 1872 की 6ारा 45

के अ6ीन वि�शेषज्ञ के रूप में विकसी मृ= यु समी�ा में या विकसी न् याया1य में साक्ष् य देने का हकदार नहीं होगा :

परंतु आयोग, ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए, कें द्रीय सरकार को ऐसे लिचविक= सा �ृत्‍ति= तक की सूची प्रस् तुत करेगा :

परंतु यह और विक विकसी ऐसे वि�देशी नागरिरक को, जो उस देश में के लिचविक= सा व् य�सामिययों के रजिजस् ट्रीकरण को वि�विनयमिमत करने �ा1ी वि�मि6 के अनुसार लिचविक= सा व् य�सायी के रूप में अपने देश में नामा�1ीगत है, भारत में ऐसी अ�मि6 के लि1ए और ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, अस् थायी रजिजस् ट्रीकरण अनुज्ञात विकया जा सकेगा ।

(2) विकसी व् यक्‍ति. त को, जो इस 6ारा के उपबं6ों में से विकसी उपबं6 का उल् 1ंघन करेगा, �ह कारा�ास से, जिजसकी अ�मि6 एक �ष? तक की हो सकेगी या ऐसे जुमा?ने से, जो पांच 1ाख रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंविडत विकया जाएगा ।

अध्‍याय 6

आयुर्वि��ज्ञान अह+ताओं को मान्‍यता 35. (1) भारत में के विकसी वि�श् �वि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस् था द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को,

ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष् ट की जाए, यथाक्‍तिस् थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा सूचीबद्ध विकया जाएगा और उसे अनुरक्षि�त विकया जाएगा तथा ऐसी आयरु्वि�#ज्ञान अह?ता, इस अमि6विनयम के प्रयोजन के लि1ए मान् यताप्राप् त आयरु्वि�#ज्ञान अह?ता होगी ।

(2) भारत में का कोई ऐसा वि�श्ववि�द्या1य या ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान संस्था, जो ऐसी स्नातकपू�? या स्नातकोत्तर या अवित वि�लिशष् ट आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता अनुद= त करती है, जो, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा अनुरक्षि�त सूची में सत्‍तिम् मलि1त नहीं है, ऐसी अह?ता को मान्यता अनुद= त करने के लि1ए उस बोड? को आ�ेदन कर सकेगी ।

भारत म ें के वि�श् �वि�द्या1यों या आयुर्वि�#ज्ञानसंस् थाओं द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को मान् यता ।

15

Page 19: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(3) यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?, छह मास की अ�मि6 के भीतर, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, विकसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त करने के लि1ए विकए गए आ�ेदन की परी�ा करेगा ।

(4) जहां, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? विकसी आयरु्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त करने का वि�विनश्चय करता है, �हां �ह ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को उसके द्वारा अनुरक्षि�त सूची में सत्‍तिम् मलि1त करेगा और ऐसी मान्यता के प्रभा�ी होने की तारीख भी वि�विनर्दिद#ष्ट करेगा ।

(5) जहां, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? विकसी आयरु्वि�#ज्ञान मान्यता को अनुद= त न करने का वि�विनश्चय करता है �हां संबंमि6त वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, ऐसे वि�विनश्चय की संसूचना से साठ दिदन के भीतर मान्यता अनुद= त करने के लि1ए आयोग को अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

(6) आयोग, दो मास की अ�मि6 के भीतर उप6ारा (5) के अ6ीन प्राप्त अपी1 की परी�ा करेगा और यदिद �ह यह वि�विनश्चय करता है विक ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त कर दी जाए तो �ह, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? को, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, उस बोड? द्वारा अनुरक्षि�त सूची में ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को सत्‍तिम्मलि1त करने का विनदेश दे सकेगा ।

(7) जहां आयोग, आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त न करने का वि�विनश्चय करता है या वि�विनर्दिद#ष्ट अ�मि6 के भीतर कोई वि�विनश्चय करने में असफ1 रहता है, �हां संबंमि6त वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था, यथाक्‍तिस्थवित, ऐसे वि�विनश्चय की संसूचना के तीस दिदन के भीतर या वि�र्विन#दिदष्ट अ�मि6 के व्यपगत हो जाने पर कें द्रीय सरकार को दूसरी अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

(8) ऐसी सभी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए,ं जो इस अमि6विनयम के प्रांरभ की तारीख से पह1े मान्यता प्राप्त हैं और जो भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 की पह1ी अनुसूची और तीसरी अनुसूची के भाग 1 में सत्‍तिम्मलि1त हैं, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं होंगी और उन् हें, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, सूचीबद्ध और अनुरक्षि�त विकया जाएगा ।

1956 का 102

भारत के बाहर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को मान्यता ।

36. (1) जहां भारत से बाहर विकसी देश का ऐसा प्रामि6कारी, जिजसे उस देश की वि�मि6 द्वारा, उस देश में आयरु्वि�#ज्ञान संबं6ी अह?ताओं की मान्यता न् यस् त की गई है, आयोग को, भारत में ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी अह?ता को मान्यता अनुद= त करने के लि1ए कोई आ�ेदन करता है, �हां आयोग ऐसे स=यापन के अ6ीन रहते हुए, जो �ह आ�श्यक समझे, उस आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त कर सकेगा या अनुद= त करने से इंकार कर सकेगा :

परंतु आयोग ऐसी मान्यता देने से इंकार करने से पू�? ऐसे प्रामि6कारी को सुन�ाई का युलिXयुX अ�सर प्रदान करेगा ।

(2) कोई ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी अह?ता, जिजसे उप6ारा (1) के अ6ीन आयोग द्वारा मान् यता अनुद= त की गई है, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता होगी और ऐसी अह?ता को, आयोग द्वारा ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, सूचीबद्ध और अनुरक्षि�त विकया जाएगा ।

(3) जहां आयोग उप6ारा (1) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को मान्यता अनुद= त करने से इंकार कर देता है, संबंद्ध प्रामि6कारी कें द्रीय सरकार को, ऐसे वि�विनश्चय के वि�रुद्ध, उसकी संसूचना के तीस दिदन के भीतर अपी1 प्रस् तुत कर सकेगा ।

1956 का 102

(4) ऐसी सभी आयुर्वि�#ज्ञान संबं6ी अह?ताए ं भी, जो इस अमि6विनयम के प्रांरभ की तारीख से पू�? मान्यताप्राप्त हैं और जो भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् अमि6विनयम, 1956 की दूसरी अनुसूची और तीसरी अनुसूची के भाग 2 में सत्‍तिम्मलि1त हैं, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ंहोंगी और उन् हें आयोग द्वारा, ऐसी रीवित में, जो वि�विनयमों द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, सूचीबद्ध और अनुरक्षि�त विकया जाएगा ।

37. (1) भारत में के विकसी कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा अनुद= त ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए,ं जो अनुसूची में सूचीबद्ध प्र�गG के अंतग?त आती हैं, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताएं होंगी ।

भारत में के कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान

16

Page 20: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(2) मुख्य वि�लिशष्ट अह?ताओं और अवित वि�लिशष्ट अह?ताओं में राष्ट्रीय बोड? का विडप्1ोमा6ारी, जब �ह सहबद्ध लिचविक=सा1य �ा1े या पांच सौ या अमि6क विबस्तरों की संख्या के लिचविक=सा1य �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान संस्था में राष्ट्रीय परी�ा बोड? द्वारा अनुदत्त विकया जाए, सभी प्रकार से इस अमि6विनयम के अ6ीन अनुदत्त त=स्थानी स्नातकोत्तर अह?ता और अवित वि�लिशष्ट अह?ता के समतुल्य होगा, किक#तु अन्य सभी माम1ों में विकसी आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य में एक �ष? की अवितरिरX अ�मि6 के लि1ए ज्ये_ रेजिजडेंसी ऐसी अह?ता के समतुल्य होगी ।

(3) केन्द्रीय सरकार, आयोग की लिसफारिरशों पर और इस अमि6विनयम के उदे्दश्यों को ध्यान में रखते हुए, अमि6सूचना द्वारा, भारत में के कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा अनुदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं के विकन् हीं प्र�गG को अनुसूची में, यथाक्‍तिस्थवित, जोड़ सकेगी या उनका 1ोप कर सकेगी और यथाक्‍तिस्थवित, ऐसे जोडे़ जाने या 1ोप विकए जाने पर भारत में के ऐसे कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा अनुदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए,ं इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ंहोंगी या नहीं रहेंगी ।

अह?ताओं को मान्यता ।

38. (1) जहां 6ारा 26 के अ6ीन लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? से रिरपोट? प्राप्त होने पर या अन्यथा, यदिद आयोग की यह राय है विक,--

(क) विकसी वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा पूरे विकए जाने �ा1े पाठ्यक्रम और दी जाने �ा1ी परी�ा या उसके द्वारा 1ी गई परी�ा में अभ् यर्थिथ#यों से अपेक्षि�त प्र�ीणता, यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा वि�विनर्दिद#ष्ट स् तरों के अनुरूप नहीं हैं ; या

(ख) यथाक्‍तिस्थवित, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? द्वारा यथा अ�6ारिरत आयुर्वि�#ज्ञान संस्था में की अ�संरचना, संकाय और लिश�ा की . �ालि1टी के स् तरमानों और मानकों का वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा पा1न नही विकया गया है और ऐसा वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था वि�विनर्दिद#ष्ट न्यूनतम स् तरमानों को बनाए रखने के लि1ए आ�श्यक संशो6नकारी कार?�ाई करने में असफ1 रही है, �हां आयोग उप6ारा (2) के उपबं6ों के अनुसार कार?�ाई आरंभ कर सकेगा : परंतु आयोग, विकसी वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा प्रदान की गई आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को

अनुदत्त मान्यता को स्�प्रेरणा से �ापस लि1ए जाने हेतु कोई कार?�ाई करने से पह1े 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (च) के उपबं6 के अनुसार आर्थिथ#क शास्तिस्त अमि6रोविपत करेगा ।

(2) आयोग, ऐसी अवितरिर. त जांच करने के पश्चात्, जो �ह ठीक समझे और सम्बद्ध राज्य सरकार तथा सम्बद्ध वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था के प्रामि6कारी से परामश? करने के पश्चात् इस विनष्कष? पर पहंुचेगा विक विकसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को अनुद= त मान् यता को �ापस 1े लि1या जाना चाविहए तो �ह, आदेश द्वारा, ऐसी आयरु्वि�#ज्ञान अह?ता को अनुदत्त मान्यता �ापस 1े सकेगा तथा, यथाक्‍तिस्थवित, स्नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स्नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? को, उस बोड? द्वारा अनुरक्षि�त सूची म ें संबद्ध वि�श्ववि�द्या1य या आयरु्वि�#ज्ञान संस्था के सामने की प्रवि�मिष्ट में इस प्रभा� का संशो6न करने का विनदेश देगा विक ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को अनुदत्त मान्यता उस आदेश में वि�विनर्दिद#ष्ट तारीख से �ापस 1ी जाती है ।

भारत में आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता की अनुदत्त मान् यता का �ापस लि1या जाना ।

भारत के बाहर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को अमान्य विकया जाना ।

39. जहां भारत के बाहर विकसी देश में के प्रामि6कारी के स=यापन के पश्चात्, आयोग की यह राय है विक ऐसी मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को, जो उसके द्वारा अनुरक्षि�त सूची में सत्‍तिम्मलि1त है, मान्यता नहीं दी जानी चाविहए, �हां �ह, आदेश द्वारा, ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को अमान् य कर सकेगा और उसे ऐसे आदेश की तारीख से आयोग द्वारा अनुरक्षि�त सूची से हटा सकेगा ।

कवितपय दशाओं में आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यताओं के लि1ए वि�शेष उपबं6 ।

40. जहां आयोग यह आ�श्यक समझता है �हां �ह, राजपत्र में प्रकालिशत आदेश द्वारा, यह विनदेश दे सकेगा विक भारत के बाहर विकसी देश में की विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा अनुदत्त कोई आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता, ऐसी तारीख के पश्चात्, जो उस अमि6सूचना में वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता होगी :

परंतु ऐसी अह?ता रखने �ा1े विकसी व् यक्‍ति. त द्वारा विकया जाने �ा1ा लिचविक= सा व् य�साय के�1 तभी अनुजे्ञय होगा, यदिद ऐसे व्यलिX ने राष्ट्रीय विनग?म परी�ा अर्विह#त की है ।

अध्याय 7

17

Page 21: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

अनुदान, संपरीक्षा और लेखाकेन्द्रीय सरकार द्वारा अनुदान ।

41. केन्द्रीय सरकार, इस विनमिमत्त संसद ्की वि�मि6 द्वारा वि�विनयोग के पश्चात्, आयोग को ऐसी 6नरालिश का अनुदान दे सकेगी, जैसा केन्द्रीय सरकार ठीक समझे ।

42. (1) "राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग विनमि6" नामक एक विनमि6 का गठन विकया जाएगा, जो भारत के 1ोक 1ेखा का भागरूप होगी और उसमें विनम् नलि1खिखत से संबंमि6त रालिशयां जमा की जाएगंी,--

(क) आयोग और स्�शासी बोडG द्वारा प्राप्त सभी सरकारी अनुदान, फीस, शास्तिस्त और प्रभार ;

(ख) आयोग द्वारा ऐसे अन्य स्रोतों से, जो उसके द्वारा वि�विनक्षिश्चत विकए जाए,ं प्राप्त सभी 6नरालिशयां ।

(2) विनमि6 का उपयोजन,--

(क) आयोग के अध्य� और सदस्यों, स् �शासी बोडG के प्र6ान और सदस् यों को संदेय �ेतन और भत्तों तथा प्रशासविनक व् यय, जिजनके अंतग?त आयोग और स् �शासी बोडG के अमि6कारिरयों और अन्य कम?चारिरयों को संदेय �ेतन और भते्त भी हैं ;

(ख) इस अमि6विनयम के उपबं6ों के विक्रयान् �यन में उपगत व् यय, जिजसके अंतग?त आयोग और स् �शासी बोडG के कृ=यों के विन�?हन के संबं6 में उपगत व्यय भी हैं,

के मदे्द संदाय के लि1ए विकया जाएगा ।

राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग विनमि6 ।

43. (1) आयोग, उलिचत 1ेखे और अन्य सुसंगत अक्षिभ1ेख रखेगा और 1ेखाओं का एक �ार्विष#क वि��रण ऐसे प्ररूप में तैयार करेगा, जो भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क से परामश? करके वि�विहत विकया जाए ।

(2) आयोग के 1ेखाओं की संपरी�ा भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क द्वारा, ऐसे अंतरा1ों पर की जाएगी, जो उसके द्वारा वि�विहत विकए जाए ंऔर ऐसी संपरी�ा के संबं6 में उपगत कोई व्यय आयोग द्वारा भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क को संदेय होगा ।

(3) भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क और आयोग के 1ेखाओं की संपरी�ा के संबं6 में उसके द्वारा विनयुX विकसी व्यलिX को उस संपरी�ा के संबं6 में �ही अमि6कार, वि�शेषामि6कार और प्रामि6कार होंगे, जो सरकारी 1ेखाओं की संपरी�ा के संबं6 में सा6ारणतया भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क के होते हैं और उसे वि�लिशष् ट रूप से अक्षिभ1ेखों, बविहयों, 1ेखा, संबद्ध �ाऊचर तथा अन्य दस्ता�ेज और कागज-पत्र पेश विकए जाने की मांग करने और पूण? पहंुच बनाने तथा आयोग के काया?1यों का विनरी�ण करने का अमि6कार होगा ।

(4) भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क या इस विनमिम= त उसके द्वारा विनयुX विकसी अन्य व्यलिX द्वारा यथा प्रमाक्षिणत आयोग के 1ेखे उस पर संपरी�ा रिरपोट? के साथ प्र=येक �ष? कें द्रीय सरकार को अग्रेविषत विकए जाएगंे और �ह सरकार उन् हें संसद ्के दोनों सदनों के सम� रख�ाएगी ।

संपरी�ा और 1ेखा ।

44. (1) आयोग, केन्द्रीय सरकार को, ऐसे समय पर, ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीवित में, जो वि�विहत की जाए या जैसा केन्द्रीय सरकार विनदेश दे, ऐसी रिरपोट? और वि��रणी, जिजसमें आयोग की अमि6कारिरता के अ6ीन विकसी वि�षय के संबं6 में ऐसी वि�लिशमिष्टयां अंतर्वि�#ष् ट होंगी, जिजनकी केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर अपे�ा की जाए, प्रस्तुत करेगा ।

(2) आयोग, प्र=येक �ष? में एक बार, �ार्विष#क रिरपोट?, ऐसे प्ररूप में और ऐसे समय पर, जो वि�विहत विकया जाए, तैयार करेगा, जिजसमें पू�?�त� �ष? के दौरान उसके विक्रयाक1ापों का संक्षि�प् त वि��रण होगा और रिरपोट? की प्रवितयां केन्द्रीय सरकार को अग्रेविषत की जाएगंी ।

(3) केन्द्रीय सरकार द्वारा, उप6ारा (2) के अ6ीन प्राप्त रिरपोट? की एक प्रवित, प्राप् त होने के पश् चात् यथाशीघ्र, संसद ्के सम� रखी जाएगी ।

वि��रक्षिणयां और रिरपोटG का केन्द्रीय सरकार को दिदया जाना ।

अध्‍याय 8

प्रकीर्ण+आयोग और स् �शासी बोडG को

45. (1) इस अमि6विनयम के पू�?गामी उपबं6ों पर प्रवितकू1 प्रभा� डा1े विबना, आयोग और स् �शासी बोड?, इस अमि6विनयम के अ6ीन अपनी शलिXयों का प्रयोग करते हुए और अपने कृ=यों के विन�?हन में नीवित के

18

Page 22: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

विनदेश देने की कें द्रीय सरकार की शलिX ।

ऐसे प्रश् नों पर ऐसे विनदेशों से आबद्ध होगा, जो उन् हें समय-समय पर लि1खिखत में दिदए जाए ं: परंतु इस उप6ारा के अ6ीन आयोग और स् �शासी बोड? को कोई विनदेश दिदए जाने के पू�?, जहां तक साध्

य हो, अपने वि�चार प्रकट करने का अ�सर दिदया जाएगा । (2) कोई प्रश् न नीवित का है या नहीं, इस बारे में कें द्रीय सरकार का वि�विनश् चय अंवितम होगा ।

राज् य सरकारों को विनदेश देने की कें द्रीय सरकार की शलिX ।

46. कें द्रीय सरकार, राज् य सरकार को, इस अमि6विनयम के सभी या विकन् हीं उपबं6ों को विक्रयाप्‍तिन् �त करने के लि1ए ऐसे विनदेश दे सकेगी, जो �ह आ�श् यक समझे और राज् य सरकार ऐसे विनदेशों का पा1न करेगी ।

आयोग द्वारा दी जाने �ा1ी जानकारी और उसका प्रकाशन ।

47. (1) आयोग, कें द्रीय सरकार को, ऐसी रिरपोट8, अपने काय?�ृ= तों की प्रवितलि1विपयां, अपने 1ेखाओं की संक्षि�प्‍तिप् तयां और अन् य जानकारी देगा, जिजनकी �ह सरकार अपे�ा करे ।

(2) कें द्रीय सरकार, उप6ारा (1) के अ6ीन उसे दी गई रिरपोटG, काय?�ृ= तों, 1ेखाओं की संक्षि�प्‍तिप् त और अन् य जानकारी ऐसी रीवित में प्रकालिशत कर सकेगी, जैसी �ह ठीक समझे ।

वि�श् �वि�द्या1य और आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं की बाध् यताएं ।

48. इस अमि6विनयम के अ6ीन शालिसत प्र= येक वि�श् �वि�द्या1य और आयुर्वि�#ज्ञान संस् था सभी समयों पर �ेबसाइट बनाए रखेगी और अपनी �ेबसाइट पर ऐसी सभी जानकारी संप्रदर्थिश#त करेगी, जिजसकी, यथाक्‍तिस् थवित, आयोग या स् �शासी बोड? द्वारा अपे�ा की जाए ।

आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में अध् ययन पाठ्यक्रमों का पूरा विकया जाना ।

49. (1) इस अमि6विनयम में अंतर्वि�#ष् ट विकसी बात के होते हुए भी, कोई छात्र, जो इस अमि6विनयम के प्रारंभ से ठीक पह1े विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस् था में विडग्री, विडप्1ोमा या प्रमाणपत्र के लि1ए अध् ययन कर रहा है, �ैसे ही अध् ययन जारी रखेगा तथा �ह ऐसी विडग्री, विडप्1ोमा या प्रमाणपत्र के लि1ए अपना पाठ्यक्रम पूरा करेगा और ऐसी संस् था पाठ्य वि��रण के अनुसार ऐसे छात्र के लि1ए �ैसा ही लिश�ण और परी�ा उप1ब् 6 कर�ाती रहेगी जैसा ऐस े प्रारंभ स े पह1 े वि�द्यमान था और ऐस े छात्र को इस अमि6विनयम के अ6ीन अपना पाठ्यक्रमानुसार अध् ययन पूरा विकया गया समझा जाएगा और उसे इस अमि6विनयम के अ6ीन विडग्री, विडप्1ोमा या प्रमाणपत्र दिदया जाएगा ।

(2) इस अमि6विनयम में अंतर्वि�#ष् ट विकसी बात के होते हुए भी, जहां विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस् था को अनुद= त मान् यता समय बीत जाने के कारण या उसके द्वारा स् �ेच् छा से अभ् यप?ण करने के कारण या विकसी भी अन् य कारण से व् यपगत हो गई है, �हां ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान संस् था, उस समय तक, जब तक विक ऐसे सभी अभ् यथ�, जिजन् होंने उस आयुर्वि�#ज्ञान संस् था में प्र�ेश लि1या है, अपना अध् ययन पूरा नहीं कर 1ेते हैं, ऐसे न् यूनतम मानकों को बनाए रखेगी और उप1ब् 6 कराएगी, जिजनका इस अमि6विनयम के अ6ीन उप1ब् 6 कर�ाया जाना अपेक्षि�त है ।

50. (1) होम् योपैथी और भारतीय लिचविक= सा पद्धवित और आ6ुविनक लिचविक= सा पद्धवित के मध् य अंतरपृष् ठ में �ृजिद्ध के लि1ए, आयोग, कें द्रीय होम् योपैथी परिरषद ्और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान कें द्रीय परिरषद ्की प्र= येक �ष? में कम से कम एक बार, ऐसे समय और स् थान पर, जो �े परस् पर विनयत करे, संयु. त बैठकें होंगी ।

(2) संयु. त बैठक के लि1ए काय?सूची, आयोग के अध् य�, कें द्रीय होम् योपैथी परिरषद ् और भारतीय आयरु्वि�#ज्ञान कें द्रीय परिरषद ्के बीच पारस् परिरक सहमवित से तैयार की जा सकेगी या उनमें से प्र= येक के द्वारा पृथक् रूप से तैयार की जा सकेगी ।

(3) उप6ारा (1) में विनर्दिद#ष् ट संयु. त बैठक में, उपक्‍तिस् थत और मत देने �ा1े सभी सदस् यों के सकारा= मक मत द्वारा ऐसे वि�विनर्दिद#ष् ट शैक्षि�क मापदंडों या काय?क्रमों के अनुमोदन के संबं6 में वि�विनश् चय विकया जा सकेगा, जिजन् हें सभी लिचविक= सा पद्धवितयों के स् नातकपू�? पाठ्यक्रम और स् नातको= तर पाठ्यक्रम में पुर:स् थाविपत विकया जा सकेगा और जिजनसे एकामि6क लिचविक= सा का सं�6?न हो सकेगा ।

आयोग, होम् योपैथी और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान की कें द्रीय परिरषदों की, उनकी अपनी लिचविक= सा पद्धवितयों के मध् य अंतरपृष् ठ में �ृजिद्ध के लि1ए संयु. त बैठकें ।

51. प्र=येक राज्य सरकार, ग्रामीण �ेत्र में प्राथमिमक स्�ास्थ्य देखरेख का पता 1गाने या उसके सं�6?न के प्रयोजनों के लि1ए स्�ास्थ्य देखरेख �ृक्षित्तकों की �मता �ृजिद्ध के लि1ए आ�श्यक उपाय कर सकेगी ।

राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण �ेत्रों में प्राथमिमक स्�ास्थ्य देखरेख का सं�6?न विकया जाना ।

52. आयोग और अपी1 अमि6करण के अध् य�, सदस् यों, अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों तथा स् �शासी बोडG के प्र6ान, सदस् यों तथा अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों के बारे में, जब �े इस अमि6विनयम के

आयोग और स् �शासी बोडG के

19

Page 23: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

1860 का 45

विकन् हीं उपबं6ों के अनुसरण में काय? कर रहे हैं या उनका काय? विकया जाना ता= पर्धिय#त है, यह समझा जाएगा विक �े भारतीय दंड संविहता की 6ारा 21 के अथ? के भीतर 1ोक से�क हैं ।

अध् य�, सदस् यों और अमि6कारिरयों का 1ोक से�क होना ।

53. इस अमि6विनयम या उसके अ6ीन बनाए गए विनयमों या वि�विनयमों के अ6ीन सद्भा�पू�?क की गई या की जाने के लि1ए आशमियत विकसी बात के लि1ए कोई �ाद, अक्षिभयोजन या अन्य वि�मि6क काय?�ाही कें द्रीय सरकार, आयोग या विकसी स् �शासी बोड? या राज् य लिचविक= सा परिरषद ्या उसकी विकसी समिमवित के या सरकार या आयोग के विकसी अमि6कारी या अन् य कम?चारी के वि�रुद्ध नहीं होगी ।

सद्भा�पू�?क की गई कार?�ाई के लि1ए संर�ण ।

54. कोई भी न् याया1य, इस अमि6विनयम के अ6ीन दंडनीय विकसी अपरा6 का संज्ञान इस प्रयोजन के लि1ए, यथाक्‍तिस् थवित, आयोग या लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? या राज् य लिचविक= सा परिरषद ्द्वारा प्रामि6कृत विकसी अमि6कारी की लि1खिखत रिरपोट? पर करने के लिस�ाय नहीं करेगा ।

अपरा6ों का संज्ञान ।

केन्द्रीय सरकार की आयोग को अवितमि_त करने की शलिX ।

55. (1) यदिद विकसी समय केन्द्रीय सरकार की यह राय है विक--

(क) आयोग इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन अपने कृ=यों का विन�?हन करने में असमथ? है ; या

(ख) आयोग, इस अमि6विनयम के अ6ीन केन्द्रीय सरकार द्वारा जारी विकसी विनदेश का पा1न करने में या इस अमि6विनयम के उपबं6ों के अ6ीन अपने कृ=यों के विन�?हन में बार-बार व्यवितक्रम कर रहा है,

तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अमि6सूचना द्वारा, छह मास से अनमि6क की उतनी अ�मि6 के लि1ए, जिजतनी अमि6सूचना में वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, आयोग को अवितमि_त कर सकेगी :

परंतु केन्द्रीय सरकार, इस उप6ारा के अ6ीन कोई अमि6सूचना जारी करने से पू�?, आयोग को यह कारण दर्थिश#त करने के लि1ए युक्‍ति. तयु. त अ�सर प्रदान करेगी विक उसे अवितमि_त .यों न कर दिदया जाए और �ह आयोग के स्पष्टीकरणों और आ�ेपों पर, यदिद कोई हों, वि�चार करेगी ।

(2) उप6ारा (1) के अ6ीन आयोग के अवितमि_त होने संबं6ी अमि6सूचना के प्रकाशन पर,--

(क) आयोग के सभी सदस् य, अवितमि_वित की तारीख से उस हैलिसयत में अपना पद रिरX कर देंगे ;

(ख) ऐसी सभी शलिXयां, कृ=य और कत?व्य, जिजनका इस अमि6विनयम के उपबं6ों के द्वारा या उसके अ6ीन आयोग द्वारा या उसकी ओर से प्रयोग या विन�?हन विकया जा सकेगा, उप6ारा (3) के अ6ीन आयोग का पुनग?ठन हो जाने तक ऐसे व्यलिX या व्यलिXयों द्वारा प्रयोग और विन�?हन विकया जाएगा जैसा केन्द्रीय सरकार द्वारा विनदेश दिदया जाए ;

(ग) आयोग के स्�ामिम=�ा6ीन या विनयंत्रणा6ीन सभी संपक्षित्त, उप6ारा (3) के अ6ीन आयोग का पुनग?ठन हो जाने तक केन्द्रीय सरकार में विनविहत हो जाएगी ।

(3) केन्द्रीय सरकार, उप6ारा (1) के अ6ीन जारी अमि6सूचना में वि�विनर्दिद#ष्ट अवितमि_वित का1 की समाप्‍तिप्त पर,--

(क) अवितमि_वित का1 को छह मास से अनमि6क की उतनी और अ�मि6 के लि1ए बढ़ा सकेगी, जिजतनी �ह आ�श्यक समझे ; या

(ख) आयोग का, नए लिसरे से विनयुलिX करके, पुनग?ठन कर सकेगी और उस दशा में ऐसे सदस् यों को, जिजन्होंने उप6ारा (2) के खंड (क) के अ6ीन अपना पद रिरX कर दिदया था, विनयुलिX के लि1ए विनरर्विह#त नहीं समझा जाएगा :

परंतु केन्द्रीय सरकार, उप6ारा (1) के अ6ीन आरंभत: वि�विनर्दिद#ष्ट या इस उप6ारा के अ6ीन वि�स् तारिरत अवितमि_वित का1 की समाप्‍तिप्त के पू�? विकसी समय, इस उप6ारा के खंड (ख) के अ6ीन कार?�ाई कर सकेगी ।(4) केन्द्रीय सरकार, उप6ारा (1) के अ6ीन जारी अमि6सूचना और इस 6ारा के अ6ीन की गई विकसी

कार?�ाई की तथा ऐसी कार?�ाई करने संबं6ी परिरक्‍तिस्थवितयों की पूरी रिरपोट?, शीघ्रतम अ�सर पर, संसद ्के दोनों सदनों के सम� रख�ाएगी ।

56. (1) केन्द्रीय सरकार, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों को काया?प्‍तिन्�त करने के लि1ए, अमि6सूचना द्वारा, विनयम बनान े की

20

Page 24: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

पू�? प्रकाशन के पश्चात् विनयम बना सकेगी । (2) वि�लिशष्टतया और पू�?गामी शलिX की व्यापकता पर प्रवितकू1 प्रभा� डा1े विबना, ऐसे विनयम

विनम्नलि1खिखत सभी या विकन्हीं वि�षयों के लि1ए उपबं6 कर सकें गे, अथा?त् :-- (क) 6ारा 4 की उप6ारा (4) के खंड (ख) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्में राज्यों और

संघ राज्य �ेत्रों के नामविनदfलिशवितयों में से चक्रानुक्रम के आ6ार पर आयोग के तीन सदस्यों की विनयुलिX की रीवित ;

(ख) 6ारा 4 की उप6ारा (4) के खंड (ग) के अ6ीन आयोग के पांच सदस्यों की विनयुलिX की रीवित ;

(ग) 6ारा 5 की उप6ारा (1) के खंड (घ) के अ6ीन केन्द्रीय सरकार द्वारा एक वि�शेषज्ञ को नामविनर्दिद#ष्ट करने की रीवित ;

(घ) 6ारा 6 की उप6ारा (4) के अ6ीन अध्य� और सदस्यों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन्य विनबं6न और शत8 ;

(ङ) 6ारा 6 की उप6ारा (6) के अ6ीन घोषणा करने का प्ररूप और रीवित ;

(च) 6ारा 8 की उप6ारा (2) के अ6ीन आयोग के सलिच� द्वारा 6ारिरत की जाने �ा1ी अह?ताए ंऔर अनुभ� ;

(छ) 6ारा 8 की उप6ारा (6) के अ6ीन आयोग के सलिच�, अमि6कारिरयों और अन्य कम?चारिरयों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन्य विनबं6न और शत8 ;

(ज) 6ारा 10 की उप6ारा (1) के खंड (ञ) के अ6ीन आयोग की अन्य शलिXयां और कृ=य ;

(झ) 6ारा 11 के दूसरे परंतुक के अ6ीन विकसी सदस्य द्वारा 6ारिरत की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता और अनुभ� ;

(ञ) 6ारा 17 की उप6ारा (5) के अ6ीन अंशकालि1क सदस्यों को चुने जाने की रीवित ;

(ट) 6ारा 19 की उप6ारा (2) के अ6ीन विकसी स् �शासी बोड? के प्र6ान और सदस् यों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन् य विनबं6न और शत8 तथा उसके परंतुक के अ6ीन अंशकालि1क सदस्य को संदेय भते्त ;

(ठ) 6ारा 29 के खंड (घ) के अ6ीन अन्य कारक ;

(ड) 6ारा 33 की उप6ारा (1) के दूसरे परंतुक के अ6ीन लिचविक= सा �ृक्षित्तकों की सूची प्रस्तुत करने की रीवित ;

(ढ) 6ारा 42 की उप6ारा (1) के अ6ीन �ार्विष#क 1ेखा वि��रण तैयार करने का प्ररूप ;

(ण) �ह समय, जिजसके भीतर और �ह प्ररूप तथा रीवित, जिजसमें आयोग द्वारा रिरपोट8 और वि��रण प्रस्तुत विकए जाएगंे और विकसी ऐसे वि�षय के संबं6 में वि�लिशमिष्टयां, जिजसकी 6ारा 43 की उप6ारा (1) के अ6ीन केन्द्रीय सरकार अपे�ा करे ;

(त) 6ारा 43 की उप6ारा (2) के अ6ीन �ार्विष#क रिरपोट? तैयार करने का प्ररूप और समय ;

(थ) कोई अन् य वि�षय, जिजसके संबं6 में विनयमों द्वारा उपबं6 विकए जा सकें गे ।

शलिX ।

वि�विनयम बनान े की शलिX ।

57. (1) आयोग, पू�? प्रकाशन के पश्चात्, अमि6सूचना द्वारा, इस अमि6विनयम के उपबं6ों को काया?प्‍तिन्�त करने के लि1ए, इस अमि6विनयम और उसके अ6ीन बनाए गए विनयमों के संगत वि�विनयम बना सकेगा ।

(2) वि�लिशष्टतया और पू�?गामी शलिX की व् यापकता पर प्रवितकू1 प्रभा� डा1े विबना, ऐसे वि�विनयम विनम्नलि1खिखत सभी या विकन्हीं वि�षयों के लि1ए उपबं6 कर सकें गे, अथा?त् :--

(क) 6ारा 8 की उप6ारा (4) के अ6ीन आयोग के सलिच� द्वारा विन�?हन विकए जाने �ा1े कृ=य ;

(ख) �ह प्रविक्रया, जिजसके अनुसार 6ारा 8 की उप6ारा (7) के अ6ीन वि�शेषज्ञ और �ृक्षित्तक विनयु. त विकए जा सकें गे और ऐसे वि�शेषज्ञों और �ृक्षित्तकों की संख्या ;

(ग) 6ारा 9 की उप6ारा (3) के अ6ीन आयोग की बैठकों में अनुसरण की जाने �ा1ी प्रविक्रया, जिजसके अंतग?त उसकी बैठकों की गणपूर्वित# भी है ;

(घ) ऐसी . �ालि1टी और स् तरमान, जो 6ारा 10 की उप6ारा (1) के खंड (क) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में बनाए रखे जाएगंे ;

21

Page 25: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(ङ) 6ारा 10 की उप6ारा (1) के खंड (ख) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं, आयुर्वि�#ज्ञान अनुसं6ानों और लिचविक= सा �ृक्षित्तकों को वि�विनयमिमत करने की रीवित ;

(च) 6ारा 10 की उप6ारा (1) के खंड (घ) के अ6ीन आयोग, स् �शासी बोडG और राज्य लिचविक= सा परिरषदों के काय?करण की रीवित ;

(छ) 6ारा 13 की उप6ारा (3) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्की बैठकों में अनुसरण की जाने �ा1ी प्रविक्रया, जिजसके अंतग?त उसकी बैठकों की गणपूर्वित# भी है ;

(ज) अन्य भाषाए,ं जिजनमें और �ह रीवित, जिजसमें 6ारा 14 की उप6ारा (2) के अ6ीन राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा का संचा1न विकया जाएगा ;

(झ) 6ारा 14 की उप6ारा (3) के अ6ीन स् नातकपू�? और स्नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा सामान्य काउंलिसलि1#ग करने की रीवित ;

(ञ) 6ारा 15 की उप6ारा (2) के अ6ीन राष्ट्रीय विनग?म परी�ा का संचा1न करने के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी और उसके संचा1न की रीवित ;

(ट) �ह रीवित जिजसमें वि�देशी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता �ा1ा कोई व्यलिX 6ारा 15 की उप6ारा (4) के अ6ीन राष्ट्रीय विनग?म परी�ा अर्विह#त करेगा ;

(ठ) �ह रीवित जिजसमें 6ारा 15 की उप6ारा (6) के अ6ीन राष्ट्रीय विनग?म परी�ा के आ6ार पर स्नातकोत्तर बोड? वि�लिशष्ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के लि1ए प्र�ेश दिदया जाएगा ;

(ड) 6ारा 15 की उप6ारा (7) के अ6ीन स्नातको= तर बोड? वि�लिशष्ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा सामान् य काउंलिसलि1#ग करने की रीवित ;

(ढ) �ह रीवित, जिजसमें 6ारा 21 के अ6ीन आयोग द्वारा वि�शेषज्ञ, �ृक्षित्तक, अमि6कारी और अन्य कम?चारी स् �शासी बोडG को उप1ब्ध कराए ंजाएगंे ;

(ण) 6ारा 24 की उप6ारा (1) के खंड (ख) के अ6ीन स् नातकपू�? स्तर पर पाठ्यक्रम ;

(त) 6ारा 24 की उप6ारा (1) के खंड (ग) के अ6ीन प्राथमिमक आयुर्वि�#ज्ञान, सामुदामियक आयुर्वि�#ज्ञान और कौटुत्‍तिम् बक आयुर्वि�#ज्ञान के लि1ए पाठ्यक्रम ;

(थ) 6ारा 24 की उप6ारा (1) के खंड (घ) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा स् नातकपू�? पाठ्यक्रमों में लिश�ण की रीवित ;

(द) 6ारा 24 की उप6ारा (1) के खंड (ङ) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स् नातकपू�? छात्रों के लि1ए पाठ्यक्रमों और परी�ाओं के संचा1न हेतु न्यूनतम अपे�ाए ंऔर मानक ;

(6) 6ारा 24 की उप6ारा (1) के खंड (च) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स् नातकपू�? छात्रों के स्तर की अ�संरचना, संकाय तथा लिश�ा की . �ालि1टी के लि1ए स् तरमान और मानक ;

(न) 6ारा 25 की उप6ारा (1) के खंड (क) के अ6ीन स्नातकोत्तर स्तर और अवित वि�लिशष् ट स्तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा का स् तरमान ;

(प) 6ारा 25 की उप6ारा (1) के खंड (ख) के अ6ीन स्नातकोत्तर स्तर और अवित वि�लिशष् ट स्तर पर पाठ्यक्रम ;

(फ) 6ारा 25 की उप6ारा (1) के खंड (ग) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट पाठ्यक्रमों के लिश�ण की रीवित ;

(ब) 6ारा 25 की उप6ारा (1) के खंड (घ) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट पाठ्यक्रमों और परी�ाओं के संचा1न के लि1ए न्यूनतम अपे�ाएं और स् तरमान ;

(भ) 6ारा 25 की उप6ारा (1) के खंड (ङ) के अ6ीन स् नातको= तर और अवित वि�लिशष् ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के संचा1न के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में की अ�संरचना, संकाय और लिश�ा की . �ालि1टी के लि1ए स् तरमान और मानक ;

(म) 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (क) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग की प्रविक्रया ;

(य) 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (ग) के अ6ीन ऐसी संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं का विनरी�ण करने की रीवित ;

22

Page 26: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(यक) 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (घ) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थ�ाओं का विन6ा?रण और रेटिट#ग करने की रीवित तथा विन6ा?रण और रेटिट#ग करने के लि1ए स्�तंत्र रेटिट#ग अक्षिभकरणों को प�ैनलि1त करने की रीवित ;

(यख) 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (ङ) के अ6ीन आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग को �ेबसाईट या सा�?जविनक पट1 पर उप1ब्ध कराने की रीवित ;

(यग) 6ारा 26 की उप6ारा (1) के खंड (च) के अ6ीन न्यूनतम आ�श्यक स् तरमानों को बनाए रखने में आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के असफ1 रहने के लि1ए उसके वि�रुद्ध विकए जाने �ा1े उपाय ;

(यघ) 6ारा 27 की उप6ारा (1) के खंड (ख) के अ6ीन �ृक्षित्तक आचरण को वि�विनयमिमत करने और लिचविक= सा लिशष् टाचार का सं�6?न करने की रीवित ;

(यङ) 6ारा 28 की उप6ारा (2) के अ6ीन नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य की स्थापना के लि1ए या कोई नया स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लि1ए स्थानों की संख्या में �ृजिद्ध हेतु स्कीम का प्ररूप, उसकी वि�लिशमिष्टयां, उसके साथ सं1ग् न की जाने �ा1ी फीस और स्कीम प्रस् तुत करने की रीवित ;

(यच) 6ारा 28 की उप6ारा (5) के अ6ीन स्कीम के अनुमोदन के लि1ए आयोग को आ�ेदन करने की रीवित ;

(यछ) ऐसे �ेत्र, जिजनके संबं6 में 6ारा 29 के परंतुक के अ6ीन मापदंड में छूट दी जा सकेगी ;(यज) 6ारा 30 की उप6ारा (2) के अ6ीन रजिजस्ट्रीकृत लिचविक= सा व् य�सामिययों या �ृक्षित्तकों के

�ृक्षित्तक या लिशष् टाचार संबं6ी अ�चार के लि1ए विकसी राज्य लिचविक= सा परिरषद ् द्वारा अनुशासना=मक कार?�ाई करने की रीवित तथा लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? द्वारा परिर�ाद और लिशकायत प्राप्त करने की प्रविक्रया ;

(यझ) ऐसे कृ=य का विकया जाना या उसका 1ोप, जो 6ारा 30 के स्पष्टीकरण के खंड (ख) के अ6ीन �ृक्षित्तक या लिशष् टाचार संबं6ी अ�चार की कोदिट में आता है ;

(यञ) 6ारा 31 की उप6ारा (1) के अ6ीन राष्ट्रीय रजिजस्टर में अंतर्वि�#ष्ट की जाने �ा1ी अन्य वि�लिशमिष्टयां ;

(यट) 6ारा 31 की उप6ारा (2) के अ6ीन राष्ट्रीय रजिजस्टर का प्ररूप, जिजसके अंतग?त इ1ै.ट्राविनक प्ररूप भी है और उसके अनुर�ण की रीवित ;

(यठ) �ह रीवित, जिजसमें 6ारा 31 की उप6ारा (3) के अ6ीन राष्ट्रीय रजिजस्टर में विकसी नाम या अह?ता को जोड़ा या हटाया जा सकेगा और उसके हटाए जाने के आ6ार ;

(यड) ऐसा प्ररूप और रीवित, जिजसमें 6ारा 31 की उप6ारा (8) के अ6ीन सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाता को रजिजस्ट्रीकृत करने �ा1ा राष्ट्रीय रजिजस्टर अनुरक्षि�त विकया जाएगा ;

(यढ) 6ारा 32 की उप6ारा (1) के अ6ीन लिचविक=सा व्य�साय करने हेतु सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त करने में मानदंड ;

(यण) 6ारा 32 की उप6ारा (2) के अ6ीन वि�स्तार, परिरक्‍तिस्थवितयां और अ�मि6 ;

(यत) 6ारा 35 की उप6ारा (1) के अ6ीन भारत में विकसी वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को सूचीबद्ध और उसका अनुर�ण करने की रीवित ;

(यथ) 6ारा 35 की उप6ारा (3) के अ6ीन मान्यता प्रदान करने हेतु आ�ेदन की परी�ा करने की रीवित ;

(यद) 6ारा 35 की उप6ारा (5) के अ6ीन मान्यता प्रदान करने के लि1ए आयोग को अपी1 प्रस् तुत करने की रीवित ;

(य6) 6ारा 34 की उप6ारा (6) के अ6ीन बोड? द्वारा अनुरक्षि�त सूची में आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को सत्‍तिम्मलि1त करने की रीवित ;

(यन) ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को सूचीबद्ध करने और उनके अनुर�ण की रीवित, जिजन् हें 6ारा 35 की उप6ारा (8) के अ6ीन इस अमि6विनयम के प्रारंभ की तारीख से पह1े मान्यता अनुद= त की गई थी ।58. इस अमि6विनयम के अ6ीन बनाया गया प्र=येक विनयम और वि�विनयम तथा जारी की गई प्र=येक

अमि6सूचना, उसके बनाए जाने या जारी विकए जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, संसद ्के प्र=येक सदन के सम�, विनयमों और वि�विनयमों का संसद ् के सम�

23

Page 27: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

जब �ह सत्र में हो, कु1 तीस दिदन की अ�मि6 के लि1ए रखा जाएगा/रखी जाएगी, यह अ�मि6 एक सत्र में अथ�ा दो या अमि6क आनुक्रमिमक सत्रों में पूरी हो सकेगी और यदिद उस सत्र के या पू�xX आनुक्रमिमक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अ�सान के पू�? दोनों सदन उस विनयम या वि�विनयम या अमि6सूचना में कोई परिर�त?न करने के लि1ए सहमत हो जाएं या दोनों सदन इस बात पर सहमत हो जाए ंविक �ह विनयम या वि�विनयम नहीं बनाया जाना चाविहए या अमि6सूचना जारी नहीं की जानी चाविहए तो त=पश्चात् �ह विनयम या वि�विनयम या अमि6सूचना, यथाक्‍तिस् थवित, ऐसे परिर�र्वित#त रूप में ही प्रभा�ी होगा/होगी या �ह विनष् प्रभा� हो जाएगा/जाएगी, किक#तु विनयम या वि�विनयम या अमि6सूचना के इस प्रकार परिर�र्वित#त या विनष् प्रभा� होने से उसके अ6ीन पह1े की गई विकसी बात की वि�मि6मान्यता पर प्रवितकू1 प्रभा� नहीं पडे़गा ।

रखा जाना ।

59. (1) यदिद इस अमि6विनयम के उपबं6ों को प्रभा�ी करने में कोई कदिठनाई उ=पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकालिशत ऐसे आदेश द्वारा, जो उसे आ�श्यक प्रतीत हों, इस अमि6विनयम के उपबं6ों से असंगत न हो, उस कदिठनाई को दूर कर सकेगी :

परंतु यह विक ऐसा कोई आदेश इस अमि6विनयम के प्रारंभ से दो �ष? की अ�मि6 की समाप्‍तिप्त के पश्चात् नहीं विकया जाएगा ।

(2) इस 6ारा के अ6ीन विकया गया प्र=येक आदेश, विकए जाने के पश् चात्, यथाशीघ्र, संसद ्के प्र=येक सदन के सम� रखा जाएगा ।

कदिठनाइयों को दूर करने की शक्‍ति. त ।

1956 का 102

60. (1) उस तारीख से, जो केन्द्रीय सरकार, इस विनमिमत्त विनयत करे, भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 विनरलिसत हो जाएगा और उX अमि6विनयम की 6ारा 3 की उप6ारा (1) के अ6ीन गदिठत भारतीय लिचविक= सा परिरषद ्समाप्त हो जाएगी ।

(2) उप6ारा (1) में विनर्दिद#ष्ट अमि6विनयम के विनरसन के होते हुए भी, इसका -- (क) इस प्रकार विनरलिसत अमि6विनयम के पू�? प्र�त?न या उसके अ6ीन सम्यक् रूप से की गई या

सहन की गई विकसी बात पर ; या (ख) इस प्रकार विनरलिसत अमि6विनयम के अ6ीन अर्जिज#त, प्रोद्भतू या उपगत विकसी अमि6कार,

वि�शेषामि6कार, बाध्यता या दामिय=� पर ; या(ग) इस प्रकार विनरलिसत अमि6विनयम के अ6ीन विकसी उल्1ंघन की बाबत उपगत विकसी शास्तिस्त पर

; या(घ) यथापू�x. त विकसी ऐसे अमि6कार, वि�शेषामि6कार, बाध्यता, दामिय=�, शास्तिस्त के संबं6 में विकसी

कार?�ाई या उपचार पर,

कोई प्रभा� नहीं पडे़गा और ऐसी काय?�ाही या उपचार उसी प्रकार संक्‍तिस्थत, जारी या प्र�ृत्त रखे जा सकें गे और कोई ऐसी शास्तिस्त �ैसे ही अमि6रोविपत की जा सकेगी, मानो �ह अमि6विनयम विनरलिसत नहीं विकया गया है ।

(3) भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् की समाप्‍तिप् त पर भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् के अध्य� के रूप में विनयुX व्यलिX और उस परिरषद ्के सदस्य और विकसी अमि6कारी तथा अन्य कम?चारी के रूप में विनयुX प्र=येक अन्य व्यलिX तथा ऐसी समाप्‍तिप् त के ठीक पह1े उस रूप में पद 6ारण करने �ा1े प्र= येक अन् य व् यक्‍ति. त अपना-अपना पद रिर. त कर देंगे तथा ऐसा अध्य� और अन्य सदस्य अपनी पदा�मि6 के या से�ा संवि�दा के समय पू�? पय?�सान के लि1ए तीन मास से अनमि6क के �ेतन और भत्तों के प्रवितकर का दा�ा करने का हकदार होगा :

परंतु कोई ऐसा अमि6कारी या अन् य कम?चारी, जिजसे भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्की समाप्‍तिप् त के ठीक पह1े भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् में प्रवितविनयुलिX के आ6ार पर विनयुX विकया गया है, ऐसी समाप्‍तिप् त पर, यथाक्‍तिस्थवित, अपने मू1 काडर, मंत्रा1य या वि�भाग को प्र=या�र्वित#त हो जाएगा :

परंतु यह और विक कोई ऐसा अमि6कारी या अन्य कम?चारी, जिजसे भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् की समाप्‍तिप् त के ठीक पह1े भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्द्वारा विनयमिमत या संवि�दा= मक आ6ार पर विनयुX विकया गया है, ऐसी समाप्‍तिप् त से ही भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् का अमि6कारी या कम?चारी नही रहेगा और भारतीय आयरु्वि�#ज्ञान परिरषद ्में उसका विनयोजन त= का1 प्रभा� से समाप्त हो जाएगा :

परंतु यह भी विक भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्का ऐसा अमि6कारी या कम?चारी, अपने विनयोजन के समय पू�? पय?�सान के लि1ए ऐसे प्रवितकर का हकदार होगा, जो कम से कम तीन मास का ऐसा �ेतन और भत्ता होगा, जो वि�विहत विकया जाए ।

विनरसन और व् या�ृत्‍ति= त ।

24

Page 28: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

(4) पू�xX अमि6विनयमिमवित के विनरसन के होते हुए भी, भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 के अ6ीन विकया गया कोई आदेश, लिचविक= सा व् य�साय करने के लि1ए जारी कोई अनुज्ञप्‍तिप् त, विकया गया कोई रजिजस्ट्रीकरण, नया आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य प्रारंभ करने के लि1ए या उच्चतर पाठ्यक्रमानुसार अध्ययन या अनुदत्त प्र�ेश �मता में �ृजिद्ध करने के लि1ए, अनुदत्त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की विकसी ऐसी मान्यता के लि1ए कोई अनुज्ञा, जो इस अमि6विनयम के प्रारंभ की तारीख को प्र�ृत्त हैं, सभी प्रयोजनों के लि1ए उनके अ�सान की तारीख तक �ैसे ही प्र�ृ= त बनी रहेंगी, मानो �े इस अमि6विनयम या उसके अ6ीन बनाए गए विनयमों या वि�विनयमों के उपबं6ों के अ6ीन जारी या अनुदत्त की गईं हैं ।

1956 का 102

संक्रमणका1ीन उपबं6 ।

61. (1) आयोग, भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्के, जिजसके अंतग?त उसके समनुषंगी और स् �ामिम= �ा6ीन न् यास भी हैं, विहत में उत्तरामि6कारी होगा और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् की सभी आस्तिस्तयां और दामिय=�, आयोग को अंतरिरत विकए गए समझे जाएगंे ।

(2) भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् अमि6विनयम, 1956 के विनरसन के होते हुए भी, शैक्षि�क स् तरमान, अपे�ाए ं और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् अमि6विनयम, 1956 और उसके अ6ीन बनाए गए विनयम और वि�विनयम, इस अमि6विनयम या उसके अ6ीन बनाए गए विनयमों और वि�विनयमों के अ6ीन नए स् तरमान और अपे�ाए ंवि�विनर्दिद#ष्ट विकए जाने तक प्र�ृत्त और प्र�त?न में बने रहेंगे :

परंतु विनरसन के अ6ीन अमि6विनयमिमवित और उसके अ6ीन बनाए गए विनयमों और वि�विनयमों के अ6ीन शैक्षि�क स् तरमान और अपे�ाओं के संबं6 में की गई कोई बात या कार?�ाई इस अमि6विनयम के त=स्थानी उपबं6ों के अ6ीन की गई समझी जाएगी और तदनुसार �ह तब तक प्र�ृ= त बनी रहेगी जब तक उसे इस अमि6विनयम के अ6ीन की गई विकसी बात या कार?�ाई द्वारा अमि6क्रांत नहीं कर दिदया जाता है ।

1956 का 102

25

Page 29: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

अनुसूची(धारा 37 देखिखए)

�ारत में के कानूनी विनकाय या अन्य विनकाय द्वारा अनुदत्‍त आयुर्वि��ज्ञान‍अहता+ओं के प्र�गY की सूची

क्रम सं0 आयुर्वि��ज्ञान अह+ताओं के प्र�ग+1. ज�ाहर1ा1 नेहरू स्नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और अनुसं6ान संस्थान,

पुडुचेरी द्वारा अनुदत्त सभी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं।2. अखिख1 भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान संस्थान द्वारा अनुदत्त सभी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं।3. स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और अनुसं6ान संस्थान, चंडीगढ़ द्वारा अनुदत्त

सभी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं।4. राष्ट्रीय मानलिसक स्�ास्थ्य और तंवित्रका वि�ज्ञान संस् थान, बैंग1ौर द्वारा अनुदत्त सभी

आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं।5. राष्ट्रीय परी�ा बोड? द्वारा अनुदत्त सभी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताए ं।

26

Page 30: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

उदे्दGयों और कारर्णों का कथन

आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा विकसी भी देश में अच्छी स्�ास्थ्य देखरेख प्राप्त करने के लि1ए मह=�पूण? है । विकसी भी राष्ट्र के कल्याण के लि1ए एक ऐसा नम्य और भ1ी प्रकार से विक्रयाशी1 वि�6ायी ढांचा आ�श्यक है, जिजसमें आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा अंतर्विन#विहत हो । भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956, जो विक पू�? की दशाखिब्दयों म ें आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के वि�कास के लि1ए एक ठोस आ6ार प्रदान करने के लि1ए अमि6विनयमिमत विकया गया था, समय के साथ ता1मे1 नहीं रख सका । इस पद्धवित में वि�क्षिभन्न अड़चनें पैदा हो गई हैं जिजनका आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा पर और वि���ा द्वारा अच्छी स्�ास्थ्य से�ाए ंप्रदान करने पर गंभीर अविहतकर प्रभा� पड़ रह�े हैं ।

2. स्�ास्थ्य और परिर�ार कल्याण वि�भाग से संबद्ध संसदीय स्थायी समिमवित ने अपनी बान�े�ीं रिरपोट? में भारत में आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा का आ1ोचना=मक विनर्6ारण करने की प्रस्थापना की है । स्थायी समिमवित न े आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा और लिचविक=सा व्य�साय की वि�विनयामक पद्धवित का पुनग?ठन और सु6ार करन े के लि1ए और डा. रंजीत राय चौ6री की अध्य�ता �ा1 े वि�शेषज्ञ-समूह द्वारा, जिजसका गठन केन्द्रीय सरकार द्वारा विकया गया था, सुझाए गए वि�विनयामक ढांच े के अनुसार भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्में सु6ार करने के लि1ए वि�विनश्चया=मक और अनुकरणीय कार?�ाई करने की लिसफारिरश की है । स्थायी समिमवित न े चार स्�शासी बोडG का गठन करके कृ=यों के पृथ.करण का समथ?न विकया ह ै और वि�विनयामकों की विनयुलिX विन�ा?चन की बजाय चयन के माध्यम से करने और इस प्रयोजनाथ? संसद ्में एक नया व्यापक वि�6ेयक 1ान े की लिसफारिरश की ह ै .योंविक भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 के वि�द्यमान उपबं6 पुराने हो गए हैं । 3. माननीय उच्चतम न्याया1य न े 2009 की लिसवि�1 अपी1 सं0 4060, माड?न डेन्ट1 का1ेज एडं रिरसच? सेन्टर और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य में तारीख 2 मई, 2016 के अपने विनण?य में केन्द्रीय सरकार को राय चौ6री समिमवित की लिसफारिरशों पर वि�चार करने और समुलिचत कार?�ाई करने का विनदेश दिदया था । इन लिसफारिरशों को ध्यान में रखते हुए, 1ोक सभा में तारीख 29 दिदसंबर, 2017 को राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग वि�6ेयक, 2017 पुरःस्थाविपत विकया गया था और जो त=पश्चात् परी�ा और रिरपोट? के लि1ए वि�भाग संबं6ी संसदीय स्थायी समिमवित को विनर्दिद#ष्ट कर दिदया गया था । स्थायी समिमवित ने उX वि�6ेयक पर अपनी 109 �ीं रिरपोट? प्रस्तुत की । वि�भाग संबं6ी संसदीय स्थायी समिमवित की लिसफारिरशों के आ6ार पर सरकार न े 28 माच?, 2018 को 1ोक सभा में 1ंविबत वि�6ेयक के संबं6 म ें आ�श्यक शासकीय संशो6न प्रस्तुत विकए । तथाविप, वि�6ेयक को संसद ् के पश्चात�त� सत्र�ों में वि�चारण और पारिरत विकए जाने के लि1ए नहीं लि1या जा सका और �ह 16 �ीं 1ोक सभा के वि�घटन पर व्यपगत हो गया ।

4. तदनु्सार राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग वि�6ेयक, 2019 को पुरःस्थाविपत करने का प्रस्ता� है जो अन्य बातों के साथ-साथ विनम्नलि1खिखत का उपबं6 करने के लि1ए है—

(क) आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, लिचविक=सा �ृक्षित्त और आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के वि�कास और उससे संबंमि6त सभी पह1ुओं के लि1ए एक राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का और आयोग को स1ाह देने तथा लिसफारिरशें करने के लि1ए एक आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्का गठन करने के लि1ए ;

(ख) चार स्�शासी बोडG का गठन करने के लि1ए, अथा?त् :--(i) स्नातक पू�? स्तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा को वि�विनयमिमत करने के लि1ए और

उसके स्तरमानों के अ�6ारण के लि1ए स्नातक पू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? ;(ii) स्नातकोत्तर स्तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा को वि�विनयमिमत करने के लि1ए और

उसके स्तरमानों के अ�6ारण के लि1ए स्नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? ;(iii) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं का विनरी�ण करने तथा उनकी रेटिट#ग और विन6ा?रण के

27

Page 31: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

लि1ए लिचविक=सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? ; और(iv) लिचविक=सा व्य�साय के आचरण को वि�विनयमिमत करन े और लिचविक=सा

व्य�सामिययों तथा लिचविक=सा �ृक्षित्तकों के बीच लिचविक=सा लिशष्टाचार का सं�6?न करने के लि1ए और सभी अनुज्ञप्त लिचविक=सा व्य�सामिययों का एक राष्ट्रीय रजिजस्टर को और सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाताओं का एक पृथक् राष्ट्रीय रजिजस्टर को बनाए रखने के लि1ए लिशष्टाचार और लिचविक=सक रजिजस्ट्रीकरण बोड? ;(ग) स्नातक पू�? और स्नातकोत्तर अवितवि�लिशष्ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए एक

सामान्य राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा आयोजिजत करने के लि1ए ;(घ) लिचविक=सा व्य�सामिययों के रूप में लिचविक=सा व्य�साय करने हेतु अऩुज्ञप्‍तिप्त प्रदान करने

के लि1ए और राज्य रजिजस्टर और राष्ट्रीय रजिजस्टर में नामांकन के लि1ए एक सामान्य राष्ट्रीय विनग?म परी�ा, जो स्नातकोत्तर व्यापक वि�लिशष्ट पाठ्यक्रमों में प्र�ेश का आ6ार भी होगी, आयोजिजत करने के लि1ए ;

(ङ) नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य स्थाविपत करने के लि1ए, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लि1ए और आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अक्षिभप्राप्त स्थानों की संख्या बढ़ाने के लि1ए अनुज्ञा हेतु ;

(च) भारत में और भारत से बाहर वि�श्ववि�द्या1यों और आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त लिचविक=सा अह?ताओं की मान्यता के लि1ए और भारत में से ऐसे कानूनी और अन्य विनकायों द्वारा, जो अनुसूची में सूचीबद्ध हैं, अनुदत्त लिचविक=सा अह?ताओं की भी मान्यता के लि1ए ;

(छ) ऐसे राष्ट्रीय रजिजस्टर के अनुर�ण के लि1ए जिजसमें विकसी अनुज्ञप्‍तिप्त6ारी लिचविक=सा व्य�सायी का नाम, पता, उसके द्वारा 6ारिरत मान्यताप्राप्त अह?ताए ंअंतर्वि�#ष्ट होगी ;

(ज) सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाताओं के नाम से ज्ञात आ6ुविनक �ैज्ञाविनक लिचविक=सा �ृक्षित्त के साथ संबद्ध व्यलिXयों को मध्य-स्तर पर लिचविक=सा व्य�साय करने हेतु सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त करने के लि1ए ;

(झ) सरकारी अनुदानों, फीस, शास्तिस्तया ं और प्रभारों को जमा करन े के लि1ए राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग विनमि6 गदिठत करने के लि1ए ;

(ञ) भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 को विनरलिसत करन े और यह उपबंमि6त करते हुए भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्को समाप्त करने के लि1ए है विक ऐसी समाप्‍तिप्त पर,--

(i) उX परिरषद ्के अध्य� और अन्य सदस्यों के बारे में यह समझा जाएगा विक उन्होंने अपने-अपने पद रिरX कर दिदए हैं और �े तीन मास से अनमि6क के �ेतन और भत्तों के प्रवितकर के हकदार होंगे ;

(ii) प्रवितविनयुलिX पर विनयुX अमि6कारी और कम?चारी अपन े मू1 काडर को प्र=या�र्वित#त हो जाएगें ;

(iii) उX परिरषद ्द्वारा विनयमिमत या संवि�दा=मक आ6ार पर विनयोजिजत अमि6कारी और अन्य कम?चारी उX परिरषद ्के अमि6कारी और कम?चारी नहीं रहेंगे और �े विनयोजन के समयपू�? पया?�सान के लि1ए कम से कम तीन मास के �ेतन और भत्तों के ऐसे प्रवितकर के हकदार होंगे जो विनयमों द्वारा उपबंमि6त विकया जाए ;

28

Page 32: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

5. वि�6ेयक उपरोX उदे्दश्यों को प्राप्त करने के लि1ए है ।

नई‍दिदल्ली‍‍; हष+�ध+न18 जुलाई, 2019

29

Page 33: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

खंडों‍पर‍दिटप्पर्ण‍खंड‍1 प्रस्तावि�त अमि6विनयम के संक्षि�प्त नाम, वि�स्तार और प्रारंभ का उपबं6 करने के लि1ए है

। खंड‍2 प्रस्तावि�त अमि6विनयम में प्रयोग विकए गए वि�क्षिभन्न पदों और अक्षिभव्यलिXयों को परिरभाविषत

करने के लि1ए है । खंड‍3 प्रस्तावि�त अमि6विनयम में राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग के गठन के लि1ए है ।

खंड‍4 राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग के गठन और संघटक सदस्यों की विनयुलिX और अह?ताओं का उपबं6 करने के लि1ए है । आयोग एक पच्चीस सदस्यीय विनकाय होगा, जो अध्य�, दस सलिच�, बारह पदेन सदस्यों और चौदह अंशकालि1क सदस्यों से मिम1कर बनेगा । अंशकालि1क सदस्यों में से तीन सदस्य पृथक् पृ_भूमिम से होंगे और छह सदस्य लिचविक=सा स1ाहकार परिरषद ्में राज्य और संघ राज्य�ेत्रों के नामविनदfलिशवितयों में से होंगे और पांच लिचविक=सा स1ाहकार परिरषद ्में की राज्य लिचविक=सा परिरषद ्के विन�ा?लिचत सदस्य होंगे ।

खंड ‍5 प्रस्तावि�त अमि6विनयम के अ6ीन आयोग के अध्य�, सदस् यों और सदस्य-सलिच� की विनयकु्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित की संरचना का उपबं6 करने के लि1ए है । समिमवित की अध्य�ता मंवित्रमंड1 सलिच� द्वारा की जाएगी और जिजसमें तीन आयुर्वि�#ज्ञान के �ेत्र में अनुभ� रखने �ा1े वि�शेषज्ञ होंगे और एक केन्द्रीय सरकार द्वारा नामविनर्दिद#ष्ट पृथक् पृ_भूमिम का व्यलिX होगा । राष् ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग में विन�ा?लिचत एक आयुर्वि�#ज्ञान सदस्य इस समिमवित का भी सदस्य होगा । सलिच�, भारत सरकार, स्�ास्थ्य और परिर�ार कल्याण मंत्रा1य का भारसा6क एक अन्य सदस्य होग�ा ।

खंड ‍6 आयोग के अध्य� और सदस्यों की पदा�मि6, �ेतन और भत्तों तथा से�ा के अन्य विनबं6न और शतG का उपबं6 करने के लि1ए है । �े चार �ष? स े अनमि6क अ�मि6 के लि1ए पद 6ारण करेंगे और वि�स्तार या पुनर्विन#युलिX के लि1ए पात्र नहीं होंगे ।

खंड‍7 आयोग के अध् य� और सदस् यों को पद से हटाने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड ‍8 आयोग के सलिच�, वि�शेषज्ञों, �ृत्‍ति= तकों, अमि6कारिरयों और अन् य कम?चारिरयों की विनयकु्‍ति. त का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍9 बैठकों, अध्य�, गणपूर्वित# और उसकी बैठकों से संबंमि6त अन्य आनुषंविगक वि�षयों का उपबं6 करने के लि1ए है । आयोग प्र=येक वितमाही में कम से कम एक बैठक करेगा ।

खंड ‍10 आयोग की शक्‍ति. तयों और कृ= यों का उपबं6 करन े के लि1ए है, जिजसके अंतग?त विनम्नलि1खिखत हैं :--

(क) आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा तथा अनुसं6ान की उच् च . �ालि1टी और उच् च मानकों को बनाए रखने के लि1ए नीवितयां अमि6कलिथत करना और माग?दश?क लिसद्धांतों की वि�रचना करना ;

(ख) आयोग, स्�ायत्त बोडG और राज्य आयुर्वि�#ज्ञान परिरषदों के काय?करण का समन्�यन करना ;

(ग) आयुर्वि�#ज्ञान व्य�साय के वि�विनयमन के लि1ए नीवित बनाना ; (घ) प्रदत्त वि�6ान और उप समिमवितयां बनाने की शलिX ।

खंड‍11 आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्का गठन और उसकी संरचना का उपबं6 करने के लि1ए ह ै । यह प्र=येक राज्य स े एक नामविनदfलिशती स े मिम1कर बनेगी, जो विक राज्य स्�ास्थ्य वि�श्ववि�द्या1य या उस वि�श्ववि�द्या1य का कु1ामि6पवित होगा, जिजसके अ6ीन अमि6कतम आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य हैं । गृह मंत्रा1य प्र=येक संघ राज्य�ेत्र का प्रवितविनमि6=� करने के लि1ए एक सदस्य को नामविनर्दिद#ष्ट करेगा । राज्य लिचविक=सा परिरषद ्के विन�ा?लिचत सदस्यों में से प्र=येक राज्य और संघ राज्य�ेत्र से एक नामविनदfलिशती राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का प्र=येक सदस्य स1ाहकार परिरषद ्का पदेन सदस्य होगा । अध् य�, वि�श् �वि�द्या1य अनुदान आयोग, विनदेशक, राष् ट्रीय विन6ा?रण और प्र= यायन परिरषद ्तथा

30

Page 34: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

भारतीय प्रौद्योविगकी संस् थान, भारतीय प्रबं6 संस् थान और भारतीय वि�ज्ञान संस् थान में से चार सदस्य भी इसके सदस्य होंगे ।

खंड ‍12 आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा, प्रलिश�ण और अनुसं6ान के न्यूनतम मानकों पर आयोग को परामश? देने के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्के कृ= यों का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍13 आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्की बैठकों और गणपूर्वित# का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍14 आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं में, स्नातक पू�? और स्नातकोत्तर अवित वि�लिशष्ट पाठ्यक्रमों में प्र�ेश के लि1ए एकसमान राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा और स्नातकपू�? पाठ्यक्रम में प्र�ेश के लि1ए काउंसलि1#ग का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍15 लिचविक=सा व्य�साय करने हेतु अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त करने के लि1ए और राज्य रजिजस्टर या राष्ट्रीय रजिजस्टर म ें नामांकन कर�ान े हेत ु राष्ट्रीय विनग?म परी�ा का उपबं6 करन े के लि1ए ह ै जो आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स्नातकोत्तर व्यापक वि�लिशष्ट आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश का आ6ार भी होगी ।

खंड‍16 आयोग के समग्र पय?�े�ण के अ6ीन चार स् �शासी बोडG का गठन करने के लि1ए है । चार स् �शासी बोड? स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?, स् नातको= तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड?, लिचविक= सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? तथा लिशष् टाचार और लिचविक= सक रजिजस् ट्रीकरण बोड? हैं ।

खंड ‍17 स् �शासी बोडG की संरचना का उपबं6 करने के लि1ए है, जो एक अध्य� और दो पूण?कालि1क सदस्य और दो अंशकालि1क सदस् यों से मिम1कर बनेगा । आयुर्वि�#ज्ञान विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? तथा लिशष् टाचार और आयुर्वि�#ज्ञान रजिजस् ट्रीकरण बोड? का तीसरा सदस्य पृथक् पृ_भूमिम से होगा ।

खंड‍18 स् �शासी बोडG के अध्य� और सदस् यों की विनयुक्‍ति. त के लि1ए खोजबीन समिमवित का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍19 स् �शासी बोडG के अध्य� और सदस् यों की पदा�मि6, �ेतन और भ= ते तथा से�ा के अन्य विनबं6नों और शतG का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड ‍20 अमि6विनयम के अ6ीन समनुदेलिशत कृ=यों का विन�?हन करने के लि1ए सभी स् �शासी बोडG को सहायता प्रदान करने के लि1ए आयोग द्वारा गदिठत वि�शेषज्ञों की स1ाहकार समिमवित का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍21 स् �शासी बोडG के कम?चारिर�ंृद का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍22 स् �शासी बोडG की बैठक का उपबं6 करने के लि1ए है । प्र= येक बोड? मास में कम से कम एक बार बैठक करेगा ।

खंड‍23 स् �शासी बोडG की शलिXयों और प्रदत्त वि�6ान की शलिXयों का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍24 स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? की शलिXयों का उपबं6 करने के लि1ए है, जिजसके अंतग?त स् नातकपू�? स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के मानकों का अ�6ारण, स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान पाठ्यक्रमों के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं की स्थापना के लि1ए मार्गदश?क लिसद्धांत, स् नातकपू�? स्तर पर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं को मान्यता अनुदत्त करना है ।

खंड‍25 स् नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? की शलिXयों और कृ=यों का उपबं6 करने के लि1ए है, जिजसके अंतग?त स् नातकोत्तर और अवित वि�शेषज्ञता स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के मानकों का अ�6ारण, स् नातकोत्तर और अवित वि�शेषज्ञता आयुर्वि�#ज्ञान पाठ्यक्रमों के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं की स्थापना के लि1ए मागद?श?क लिसद्धांतों की वि�रचना, स् नातकोत्तर और अवित वि�शेषज्ञता स् तर पर आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं को मान्यता अनुदत्त करना है ।

खंड‍26 आयुर्वि�#ज्ञान विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड? की शक्‍ति. तयों और कृ= यों का उपबं6 करने के लि1ए है, जिजसके अंतग?त वि�विहत मानकों की अनुपा1ना के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग के लि1ए, नई आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं की स् थापना के लि1ए अनुज्ञा अनुदत्त करन�े के लि1ए या कोई स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लि1ए या स्थानों को बढ़ाने के लि1ए और इस प्रयोजन के लि1ए विनरी�ण करने के लि1ए, चेता�नी जारी करने के लि1ए, वि�विहत न्यूनतम अविन�ाय? मानकों को बनाए

31

Page 35: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

रखने में असफ1ता के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस् थाओं पर 6नीय शास्तिस्त अमि6रोविपत करन�े के लि1ए प्रविक्रया का अ�6ारण भी है ।

खंड ‍27 लिशष्टाचार और लिचविक=सक रजिजस्ट्रीकरण बोड? की शलिXयों और कृ=यों का उपबं6 करने के लि1ए है जिजसके अंतग?त राज्य लिचविक=सा परिरषदों के साथ सतत् सम्पक? बनाए रखने हेतु तंत्र का वि�कास करने के लि1ए सभी अनुज्ञप्त लिचविक=सा व्य�सामिययों का एक राष्ट्रीय रजिजस्टर रखना और �ृक्षित्तक आचरण को वि�विनयमिमत करना भी है ।

खंड‍28 नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1यों की स्थापना स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने और स्थानों को बढ़ाने हेतु अनुज्ञा प्रदान करने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍29 नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1यों की स्थापना हेतु स्कीम के अनुमोदन या अननुमोदन के लि1ए मापदंड का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍30 राज्य लिचविक=सा परिरषद ्हेतु तथा उससे संबंमि6त अन्य उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍31 लिशष्टाचार और लिचविक=सक रजिजस्ट्रीकरण बोड? द्वारा एक राष्ट्रीय रजिजस्टर बनाए रखने का उपबं6 करने के लि1ए है, जिजसमें विकसी अनुज्ञप्त लिचविक=सा व्य�सायी का नाम, पता और उसकी सभी मान्यताप्राप्त अह?ताए ंअंतर्वि�#ष्ट होंगी । प्र=येक राज्य लिचविक=सा परिरषद ्एक रजिजस्टर रखेगी । इन रजिजस्टरों को इ1ै.ट्रोविनक प्ररूप सविहत ऐस े प्ररूपों म ें रखा जाएगा, जो वि�विनर्दिद#ष्ट विकए जाए ं । सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाताओं के लि1ए एक पृथक�् राष्ट्रीय रजिजस्टर रखा जाएगा ।

खंड‍32 आ6ुविनक �ैज्ञाविनक लिचविक=सा व्य�साय से संबंमि6त व्यलिXयों को सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाताओं के रूप में मध्यम स्तर पर लिचविक=सा व्य�साय करने के लि1ए सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त करने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंंड ‍33 व्यलिXयों को लिचविक=सा व्य�साय करन े की अनुज्ञप्‍तिप्त प्राप्त करने और राष्ट्रीय रजिजस्टर या राज्य रजिजस्टर में नामा�ंकन विकए जाने के अमि6कारों का उपबं6 करने के लि1ए है । ऐसे विकसी व्यलिX को, जो राष्ट्रीय विनग?म परी�ा अर्विह#त करता है, राष्ट्रीय रजिजस्टर या राज्य रजिजस्टर में नामा�1ीगत विकया जाएगा ।

खंड‍34 व्य�साय के �ज?न का उपबं6 करने के लि1ए है । ऐसे विकसी व्यलिX को, जो राज्य या राष्ट्रीय रजिजस्टर म ें नामा�1ीगत नहीं है, लिचविक=सा व्य�साय करन े या ऐस े विकसी अन्य कृ=य का अनुपा1न करने की अनुज्ञा नहीं दी जाएगी, जो के�1 अर्विह#त लिचविक=सा व्य�सायी द्वारा नामा�1ीगत होन े के पश्चात ् ही विकए जात े ह ैं जैसे विक लिचविक=सक या शल्य लिचविक=सक का पद 6ारण करना, लिचविक=सा प्रमाणपत्र पर हस्ता�र करना या आयुर्वि�#ज्ञान से संबंमि6त विकसी माम1े में साक्ष्य देना । इनमें से विकसी का उल्1ंघन के लि1ए, ऐसी अ�मि6 के कारा�ास से जो एक �ष? से कम की हो सकेगी या पांच 1ाख रुपए तक के जुमा?ने से या दोनों से दंडनीय होगा । आयोग कवितपय माम1ों में राष्ट्रीय विनग?म परी�ा अर्विह#त करने से अप�ादों की अनुज्ञा दे सकेगा । वि�देशी लिचविक=सा व्य�सामिययों को वि�विहत की जाने �ा1ी रीवित में अस्थायी रजिजस्ट्रीकरण की अनुज्ञा दी जाएगी ।

खंड ‍35 भारत म ें वि�श्ववि�द्या1यों या आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त की जान े �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यता का उपबं6 करने के लि1ए है । संस्थाए ंस्नातक-पू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? या स्नातकोत्तर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा बोड? को आ�ेदन करेंगे, जो आ�ेदनों की समी�ा करेगा और मान्यता प्रदान विकए जाने के संबं6 में वि�विनश्चय करेगा । इस संबं6 में, प्रथम अपी1 आयोग को और विद्वतीय अपी1 केन्द्रीय सरकार को की जाएगी ।

खंड‍36 भारत से बाहर की आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यता का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍37 भारत में कानूनी या अन्य विनकायों द्वारा, जो अनुसूची में सूचीबद्ध प्र�गG के अंतग?त आते हैं, अनुदत्त की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यता का उपबं6 करने के लि1ए है । राष्ट्रीय बोड? अह?ताओं का विडप्1ोमा कवितपय माम1ों म ें त=स्थानी स्नातकोत्तर और अवितवि�लिशष्ट अह?ताओं के समतुल्य होगा ।

खंड‍38 भारत में आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को अनुदत्त मान्यता को �ापस 1ेने का उपबं6 करने के लि1ए है । लिचविक=सा विन6ा?रण और रेटिट#ग बोड?

32

Page 36: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

आयोग को रिरपोट? करेगा, जो इस माम1े के संबं6 में वि�विनश्चय करेगा ।खंड‍39 भारत से बाहर की आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा अनुदत्त की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान

अह?ताओं की मान्यता को रद्द करने का उपबं6 करने के लि1ए है ।खंड‍40 कवितपय माम1ों में आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं की मान्यता के संबं6 में वि�शेष उपबं6ों का

उपबं6 करने के लि1ए है । यह भारत से बाहर की आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं से संबंमि6त है ।खंड‍41 केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुदानों का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड ‍42 राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग विनमि6 का उपबं6 करन े के लि1ए है, जो भारत के 1ोक1ेखा का भाग होगी । आयोग द्वारा प्राप्त सभी सरकारी अनुदान, फीस, शास्तिस्तयां और सभी रालिशयां इसका भाग होंगी । इस विनमि6 का उपयोजन आयोग के कृ=यों के विन�?हन में होने �ा1े सभी व्ययों के संदायों के लि1ए विकया जाएगा ।

खंड ‍43 संपरी�ा और 1ेखाओं का उपबं6 करन े के लि1ए ह ै । आयोग के 1ेखाओं की संपरी�ा भारत के विनयंत्रक-महा1ेखापरी�क द्वारा की जाएगी ।

खंड‍44 वि��रक्षिणयों और रिरपोटG को केन्द्रीय सरकार को प्रस्तुत विकए जाने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍45 केन्द्रीय सरकार की, नीवित के प्रश्नों पर आयोग और स्�शासी बोडG को विनदेश देने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍46 केन्द्रीय सरकार की, राज्य सरकारों को विनदेश देने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍47 आयोग द्वारा प्रस्तुत की जाने �ा1ी सूचना और उसके प्रकाशन का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍48 वि�श्ववि�द्या1यों और आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं की बाध्याताओं का उपबं6 करने के लि1ए है । �े सभी समयों पर एक �ैबसाइट बनाए रखेंगे और उस पर ऐसी जानकारी प्रदर्थिश#त करेंगे, जिजसकी आयोग द्वारा अपे�ा की जाए ।

खंड‍49 आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में अध्ययन पाठ्यक्रमों को पूरा विकए जाने का उपबं6 करने के लि1ए है । ऐसे छात्र, जो इस अमि6विनयम के प्रारंभ से पू�? विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस्था में अध्ययन कर रहे थे, अपना अध्ययन जारी रखेंग े और ऐसे प्रारंभ से पू�? यथावि�द्यमान पाठ्यचया? और अध्ययनों के अनुसार उसे पूरा करेंगे ।

खंड‍50 आयोग, होमिमयोपैथी और भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान की केन्द्रीय परिरषदों के बीच, उनकी अपनी-अपनी आयुर्वि�#ज्ञान प्रणालि1यों के मध्य परस्पर विक्रया में अक्षिभ�ृजिद्ध करने हेतु संयुX बैठकों का उपबं6 करने के लि1ए है । ऐसी बैठक �ष? में कम से कम एक बार की जाएगी । ऐसी संयुX बैठक में लिचविक=सीय बहु1ता का सं�6?न करने के लि1ए शै�क्षिणक मौड्यू1ों का अनुमोदन करने के संबं6 में वि�विनश्चय विकया जा सकेगा ।

खंड‍51 राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण �ेत्र‍में प्राथमिमक स्�ास्थ्य देखरेख का सं�6?न करने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍52 आयोग और स्�शासी बोडx के अध्य�ों, सदस्यों और अमि6कारिरयों का भारतीय दंड संविहता की 6ारा 21 के अथा?न्तग?त 1ोकसे�क होने के संबं6 में उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍53 सद्भा�पू�?क की गई कार?�ाई के संर�ण का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍54 समिमवित या लिशष्टाचार और लिचविक=सक रजिजस्ट्रीकरण बोड? या राज्य आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्के विकसी प्रामि6कृत अमि6कारी द्वारा लि1खिखत में लिशकायत विकए जाने पर ही न्याया1यों द्वारा अपरा6ों के संज्ञान लि1ए जाने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍55 केन्द्रीय सरकार की आयोग को उस समय अवितमि_त करने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है यदिद �ह उस पर अमि6रोविपत कृ=यों और कत?व्यों का विन�?हन करने में असमथ? है या �ह केन्द्रीय सरकार द्वारा जारी विकन्हीं विनदेशों का अनुपा1न करने में 1गातार व्यवितक्रम करता है । केन्द्रीय

33

Page 37: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

सरकार एक समय में छह मास के अनमि6क समय के लि1ए अमि6क्रमण की अमि6सूचनाए ंजारी कर सकेगी ।

खंड‍56 विनयम बनाने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है । केन्द्रीय सरकार इस अमि6विनयम के प्रयोजनों को काया?प्‍तिन्�त करने के लि1ए अमि6सूचना द्वारा विनयम बना सकेगी ।

खंड ‍57 वि�विनयम बनाने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है । आयोग पू�? प्रकाशन के पश्चात् अमि6सूचना द्वारा इस अमि6विनयम से सुसंगत वि�विनयम बना सकेगा ।

खंड‍58 विनयमों और वि�विनयमों को संसद� ्के सम� रखे जाने का उपबं6 करने के लि1ए है ।

खंड‍59 कदिठनाईयों को दूर करने की शलिX का उपबं6 करने के लि1ए है । केन्द्रीय सरकार कदिठनाई को दूर करने के लि1ए राजपत्र में प्रकालिशत आदेश द्वारा ऐसे उपबं6 कर सकेगी, जो इस अमि6विनयम के उपबं6ों से असंगत न हों ।

खंड ‍60 विनरसन और व्या�ृक्षित्त का उपबं6 करने के लि1ए है । उस तारीख से, जो केन्द्रीय सरकार, वि�विहत करे, भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 विनरलिसत हो जाएगा और भारतीय लिचविक= सा परिरषद ्समाप्त हो जाएगी । भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्के अध्य� और अन्य सदस्य तथा कम?चारी अपने-अपने पदों को रिरX कर देंगे और �े प्रवितकर के लि1ए हकदार होंगे ।

खंड‍61--संक्रमणका1ीन उपबं6ों का उपबं6 करने के लि1ए है । भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्अमि6विनयम, 1956 के विनरलिसत हो जाने के पश्चात् भी उसके अ6ीन बनाए गए विनयम और वि�विनयम तब तक प्र�ृत्त बने रहेंगे, जब तक विक राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्द्वारा नए विनयमों और वि�विनयमों की वि�रचना नहीं कर दी जाती है ।

34

Page 38: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

वि�Pीय ज्ञापनवि�6ेयक के खंड 3 के उपखंड (1) में, राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग का, उसे प्रदत्त शलिXयों का प्रयोग और

कृ=यों का विन�?हन करने के लि1ए, गठन करने के बारे में उपबं6 है । खंड 4 का उपखंड (1) आयोग के अध्य� और सदस्यों की विनयुलिX के वि�षय में उपबं6 करने के लि1ए है । खंड 6 के उपखंड (4) में अध्य� और पदेन सदस्यों से क्षिभन्न सदस्यों के �ेतन और भत्तों के संदाय के बारे में उपबं6 है । खंड 8 के उपखंड (1) में आयोग के सलिच� की विनयुलिX के लि1ए उपबं6 है और उसके उपखंड (5) में आयोग के अमि6कारिरयों और अन्य कम?चारिरयों की विनयुलिX के लि1ए उपबं6 है । उX खंड के उपखंड (6) में आयोग के सलिच�, अमि6कारिरयों और अन्य कम?चारिरयों के �ेतन और भत्तों के संदाय के वि�षय में उपबं6 है ।

2. खंड 16 के उपखंड (1) में चार स्�शासी बोडG का गठन करने हेतु उपबं6 करने के लि1ए है, जो प्र6ान और दो पूण?कालि1क सदस्यों और दो अंशकालि1क सदस्यों से मिम1कर बनेंगे । खंड 18 में स्�शासी बोडG के प्र6ान और सदस्यों की विनयुलिX के लि1ए उपबं6 है और खंड 19 के उपखंड (2) में स्�ाशासी बोड? के प्र6ान और सदस्यों के �ेतन और भत्तों के लि1ए उपबं6 है ।

3. खंड 41 में इस विनमिमत्त संसद ्द्वारा वि�मि6 द्वारा वि�विनयोग के पश्चात् आयोग को ऐसे अनुदानों के संदाय के लि1ए उपबं6 है, जैसा केन्द्रीय सरकार ठीक समझे ।

4. खंड 42 के उपखंड (1) में राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान विनमि6 नामक एक विनमि6 का गठन करने के बारे में उपबं6 है, जो भारत के 1ोक 1ेखा का भागरूप होगी और जिजसमें आयोग और उसके संघटक विनकायों द्वारा प्राप्त सभी सरकारी अनुदान, फीस और प्रभार तथा आयोग द्वारा ऐसे अन्य स्रोतों से, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा वि�विनक्षिश्चत विकए जाए,ं प्राप्त सभी 6नरालिशयां जमा की जाएगंी और उसका उपयोजन �ेतन और भत्तों के संदाय तथा वि�6ेयक के उपबं6ों को विक्रयाप्‍तिन्�त करने के लि1ए उपगत व्ययों के लि1ए विकया जाएगा ।

5. खंड 60 के उपखंड (3) में यह उपबंमि6त है विक भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्की समाप्‍तिप् त पर परिरषद ्के अध्य�, सदस् यों, अमि6कारिरयों तथा अन्य कम?चारी के रूप में विनयुX व् यक्‍ति. त अपना-अपना पद रिर. त कर देंगे तथा ऐसा अध्य� और सदस् य समय पू�? पय?�सान के लि1ए तीन मास से अनमि6क के �ेतन और भत्तों के प्रवितकर का दा�ा करने के हकदार होंगे और ऐसे अमि6कारी और कम?चारी, जिजन्हें भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ्द्वारा विनयमिमत या संवि�दा= मक आ6ार पर विनयुX विकया गया है, ऐसे प्रवितकर के हकदार होंगे, जो कम से कम तीन मास का ऐसा �ेतन और भते्त होंगे, जो वि�विहत विकए जाए ं ।

6. ऐसा व्यय मुख्यरूप से वि�द्यमान भारतीय आयुर्वि�#ज्ञान परिरषद ् के काप?स और राष्ट्रीय आयुर्वि�#ज्ञान आयोग द्वारा सृजिजत विनमि6यों से पूरा विकया जाएगा । आयोग और उसके संघटक विनकायों को सरकार द्वारा दिदए जाने �ा1े बजट समथ?न का प्रा.क1न परिरषद ्को दिदए गए वि�द्यमान बजट समथ?न के स्तर से अमि6क नहीं है । इसके अवितरिरX, चंूविक होने �ा1ा व्यय आयोग की बैठकों पर विनभ?र होगा, इसलि1ए इस प्रक्रम पर आ�त� या अना�त� व्यय का पू�ा?नुमान नहीं 1गाया जा सकता है ।

35

Page 39: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

प्रत्यायोजिजत वि�धान के बार ेमें ज्ञापन

वि�6ेयक के खंड 15 का उपखंड (3) कें द्रीय सरकार को इस अमि6विनयम के प्रारंभ की तारीख से तीन �ष? के भीतर, ऐसी तारीख से, जो अमि6सूचना द्वारा विनयत की जाए, राष्ट्रीय विनग?म परी�ा को आरंभ करने के लि1ए सशX करता है ।

वि�6ेयक के खंड 16 का उपखंड (1) कें द्रीय सरकार को अमि6सूचना द्वारा इस अमि6विनयम के अ6ीन ऐसे बोडG को सौंपे गए कृ=यों का पा1न करने के लि1ए आयोग के समग्र पय?�े�णा6ीन स्�शासी बोड? गदिठत करने के लि1ए सशX करता है ।

वि�6ेयक के खंड 37 का उपखंड (3) कें द्रीय सरकार को आयोग की लिसफारिरश पर और इस अमि6विनयम के उदे्दश्यों को ध्यान में रखते हुए भारत में विकसी कानूनी या अन्य विनकाय द्वारा प्रदत्त लिचविक=सा अह?ताओं के विकन्हीं प्र�गG को अनुसूची में, यथाक्‍तिस्थवित, जोड़ने या उससे 1ोप करने के लि1ए सशX करता है ।

वि�6ेयक का खंड 40 आयोग को यह विनदेश करने के लि1ए आदेश करने हेतु सशX करता है विक भारत से बाहर विकसी देश की लिचविक=सा संस्था द्वारा अनुदत्त लिचविक=सा अह?ता, ऐसी तारीख के पश्चात् जो उस अमि6सूचना में वि�विनर्दिद#ष्ट की जाए, इस अमि6विनयम के प्रयोजनों के लि1ए मान्यताप्राप्त लिचविक=सा अह?ता होगी ।

वि�6ेयक का खंड 56 केन्द्रीय सरकार को, अन्य बातों के साथ-साथ, (क) आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्में राज्यों और संघ राज्य �ेत्रों के नामविनदfलिशवितयों में से चक्रानुक्रम के आ6ार पर आयोग के छह सदस्यों की विनयुलिX की रीवित ; (ख) आयोग के पांच सदस्यों के विन�ा?चन की रीवित ; (ग) केन्द्रीय सरकार द्वारा एक वि�शेषज्ञ को नामविनर्दिद#ष्ट करने की रीवित ; (घ) अध्य� और सदस्यों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन्य विनबं6न और शत8 ; (ङ) आयोग के अध्य� और सदस्योँ द्वारा आस्तिस्तयोँ और दामिय=�ों की घोषणा करने का प्ररुप और रीवित; (च) आयोग के सलिच� द्वारा 6ारण की जाने �ा1ी अह?ता और अनुभ� ; (छ) आयोग के सलिच�, अमि6कारिरयों और अन्य कम?चारिरयों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन्य विनबं6न और शत8 ; (ज) आयोग की अन्य शलिXयां और कत?व्य ; (झ) विकसी सदस्य द्वारा 6ारिरत की जाने �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता और अनुभ� ; (ञ) अंशकालि1क सदस्योँ के चयन की रीवित ; (ट) विकसी स् �शासी बोड? के प्र6ान और सदस् यों को संदेय �ेतन और भते्त तथा उनकी से�ा के अन् य विनबं6न और शत8 ; (ठ) अन्य कारक ; (ड) लिचविक= सा �ृक्षित्तकों की सूची प्रस्तुत करने की रीवित ; (ढ) �ार्विष#क 1ेखा वि��रण तैयार करने का प्ररूप ; (ण) �ह समय, जिजसके भीतर और �ह प्ररूप तथा रीवित, जिजसमें आयोग द्वारा रिरपोट? और वि��रण प्रस्तुत विकया जाएगा और विकसी ऐसे वि�षय के संबं6 में वि�लिशमिष्टयां, जिजसकी केन्द्रीय सरकार अपे�ा करे ; (त) �ार्विष#क रिरपोट? तैयार करने का प्ररूप और समय ; (थ) कोई अन् य वि�षय, जिजसके संबं6 में विनयमों द्वारा उपबं6 विकए जा सकें गे, के संबं6 में विनयम बनाने के लि1ए सशX करता है ।

वि�6ेयक का खंड 57 आयोग को पू�? प्रकाशन के पश्चात् और राजपत्र में अमि6सूचना द्वारा, अन्य बातों के साथ-साथ (क) आयोग के सलिच� द्वारा विन�?हन विकए जाने �ा1े कृ=यों ; (ख) �ह प्रविक्रया, जिजसके अनुसार वि�शेषज्ञ और �ृक्षित्तक विनय.ु त विकए जा सकें गे और ऐसे वि�शेषज्ञों और �ृक्षित्तकों की संख्या ; (ग) आयोग की बैठकों में अनुसरण की जाने �ा1ी प्रविक्रया, जिजसके अंतग?त उसकी बैठकों की गणपूर्वित# भी है ; (घ) ऐसी . �ालि1टी और स् तरमान, जो आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में बनाए रखे जाएगंे ; (ङ) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं, आयुर्वि�#ज्ञान अनुसं6ानों और लिचविक= सा �ृक्षित्तकों को वि�विनयमिमत करने की रीवित ; (च) आयोग, स् �शासी बोडG और राज्य आयुर्वि�#ज्ञान परिरषदों के काय?करण की रीवित ; (छ) आयुर्वि�#ज्ञान स1ाहकार परिरषद ्की बैठकों में अनुसरण की जाने �ा1ी प्रविक्रया, जिजसके अंतग?त उसकी बैठकों की गणपूर्वित# भी है ; (ज) अन्य भाषाएं, जिजनमें और �ह रीवित, जिजसमें राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्र�ेश परी�ा का संचा1न विकया जाएगा ; (झ) स् नातकपू�? आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा समान्य काउंलिसलि1#ग करने की रीवित ; (ञ) राष्ट्रीय विनग?म परी�ा का संचा1न करने के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी और उसके संचा1न की रीवित ; (ट) �ह रीवित, जिजसमें वि�देशी लिचविक=सा अह?ता �ा1ा कोई व्यलिX राष्ट्रीय विनग?म परी�ा उत्तीण? करेगा ; (ठ) �ह रीवित, जिजसमें राष्ट्रीय विनग?म परी�ा के आ6ार पर स्नातकोत्तर �ृहद वि�शेषज्ञता

36

Page 40: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश दिदया जाएगा; (ड) �ह रीवित, जिजसमें स्नातकोत्तर �ृहद वि�शेषज्ञता आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा में प्र�ेश के लि1ए अक्षिभविहत प्रामि6कारी द्वारा सामान्य काउंसलि1#ग की जाएगी ; (ढ) �ह संख्या और �ह रीवित जिजसमें स्�शासी बोडG को आयोग द्वारा वि�शेषज्ञ, �ृक्षित्तक, अमि6कारी और अन्य कम?चारी उप1ब्ध कर�ाए जाएगंे ; (ण) स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम ; (त) प्राथमिमक लिचविक=सा, सामुदामियक लिचविक=सा और कुटंुब लिचविक=सा के लि1ए पाठ्यक्रम ; (थ) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा स्नातक पाठ्यक्रमों को प्रदान करने की रीवित ; (द) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स्नातकों के लि1ए पाठयक्रम और परी�ा संचालि1त करने के लि1ए न्यूनतम अपे�ाएं और मानक ; (6) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स्नातक पू�? स्तर पर लिश�ा की अ�संरचना, संकाय और .�ालि1टी के लि1ए मानक और मानदंड ; (न) स्नातकोत्तर स्तर और वि�लिशष्ट वि�शेषज्ञता स्तर पर आयुर्वि�#ज्ञान लिश�ा के मानक ; (प) स्नातकोत्तर स्तर और वि�लिशष्ट वि�शेषज्ञता स्तर पर पाठयक्रम ; (फ) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं द्वारा स्नातकोत्तर और वि�लिशष्ट वि�शेषज्ञता पाठ्यक्रमों को प्रदान करने की रीवित ; (ब) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में स्नातकोत्तर और वि�लिशष्ट वि�शेषज्ञता पाठ्यक्रमों के संचा1न के लि1ए न्यूनतम अह?ताए ंऔर मानक ; (भ) स्नातकोत्तर और वि�लिशष्ट वि�शेषज्ञता पाठ्यक्रमों के संचा1न �ा1ी आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं में अ�संरचना और संकाय लिश�ा की .�ालि1टी के मानक और मानदंड ; (म) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग की प्रविक्रया ; (य) ऐसी संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग के लि1ए आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विनरी�ण की रीवित ; (यक) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग के संचा1न के लि1ए स्�तंत्र रेटिट#ग अक्षिभकरणों के संचा1न की रीवित और पेन1ीकरण के लि1ए रीवित ; (यख) आयुर्वि�#ज्ञान संस्थाओं के विन6ा?रण और रेटिट#ग को �ेबसाइट पर या पक्‍तिब्1क डोमेन में उप1ब्ध कराने की रीवित ; (यग) विकसी आयुर्वि�#ज्ञान संस्था के न्यूनतम आ�श्यक मानकों को अनुरक्षि�त करने में असफ1 रहने पर उसके वि�रुद्ध विकए जाने �ा1े उपाय ; (यघ) �ृक्षित्तक आचार को वि�विनयमिमत करने और लिचविक=सा नीवित के सं�6?न की रीवित ; (यङ) नए आयुर्वि�#ज्ञान महावि�द्या1य स्थाविपत करने, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ करने या सीटों की संख्या बढ़ाने के लि1ए स्कीम का प्ररूप, उसकी वि�लिशमिष्टयां और सं1ग्न की जाने �ा1ी फीस तथा स्कीम प्रस्तुत करने की रीवित ; (यच) स्कीम के अनुमोदन के लि1ए आयोग को आ�ेदन करने की रीवित ; (यछ) �े �ेत्र जिजनमें मानकों को लिशलिथ1 विकया जा सकेगा ; (यज) रजिजस्ट्रीकृत लिचविक=सा व्य�सायी या �ृक्षित्तक के �ृक्षित्तक अथ�ा नीवितगत कदाचार के लि1ए राज्य लिचविक=सा परिरषद ् द्वारा अनुशासना=मक कार?�ाई करने की रीवित और लिशष्टाचार तथा लिचविक=सा रजिजस्ट्रीकरण बोड? द्वारा परिर�ाद और लिशकायतें प्राप्त करने की प्रविक्रया ; (यझ) करना या करने को 1ोप करना जो �ृक्षित्तक या नीवितगत कदाचार है ; (यञ) राष्ट्रीय रजिजस्टर में अंतर्वि�#ष्ट की जाने �ा1ी अन्य वि�लिशमिष्टयां ; (यट) राष्ट्रीय रजिजस्टर का प्ररूप, जिजसके अंतग?त इ1ै.ट्राविनक प्ररूप भी है और उसके अनुर�ण की रीवित ; (यठ) �ह रीवित, जिजसमें राष्ट्रीय रजिजस्टर में विकसी नाम या अह?ता को जोड़ा या हटाया जा सकेगा और उसके हटाए जाने के आ6ार ; (यड) �ह रीवित, जिजसमें और �ह अ�मि6, जिजसके लि1ए विकसी वि�देशी नागरिरक के लि1ए अस्थाई रजिजस्ट्रीकरण अनुज्ञात विकया जा सकेगा ; (यढ) लिचविक=सा में व्य�साय करने के लि1ए सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त करने के लि1ए मानदंड ; (यण) वि�स्तार परिरक्‍तिस्थवितयां और अ�मि6 जिजसके लि1ए सामुदामियक स्�ास्थ्य प्रदाताओं को सीमिमत अनुज्ञप्‍तिप्त अनुदत्त की जाएगी ; (यत) भारत में विकसी वि�श्ववि�द्या1य या आयुर्वि�#ज्ञान संस्था द्वारा अनुद= त आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को सूचीबद्ध और उनका अनुर�ण करने की रीवित ; (यथ) मान्यता प्रदान करने हेतु आ�ेदन की परी�ा करने की रीवित ; (यद) मान्यता प्रदान करने के लि1ए आयोग को अपी1 प्रस् तुत करने की रीवित ; (य6) बोड? द्वारा अनुरक्षि�त सूची में आयुर्वि�#ज्ञान अह?ता को सत्‍तिम्मलि1त करने की रीवित ; (यन) ऐसी आयुर्वि�#ज्ञान अह?ताओं को सूचीबद्ध करने और उनके अनुर�ण की रीवित, जिजन् हें इस अमि6विनयम के प्रारंभ की तारीख से पह1े मान्यता अनुद= त की गई थी, के संबं6 में वि�विनयम बनाने के लि1ए सशX करता है ।

�े वि�षय, जिजनकी बाबत विनयम बनाए जा सकें गे, प्रविक्रया और प्रशासविनक ब्यौरे के वि�षय हैं और उनके लि1ए वि�6ेयक में ही उपबं6 करना व्य�हाय? नहीं है । अतः, वि�6ायी शलिX का प्र=यायोजन सामान्य प्रकृवित का है ।

37

Page 41: मजदूरी संहिता, 2015164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Hindi/Asintroduced/... · Web view(2) अध यक ष, अस ध रण य ग यत , प रम

38