सिसिल िर्िििेि ासिक अगस् 2019 · 1 | p a g e...

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सिसिल िᳶििेि मासिक अगत-2019 वेतन संहिता एक रार एक राशन काड मयथता पर ससंगाप र कवशन बिग िक ससांत ेववटेशनल लससंग अमेजन वन म आग सरल SO2 का सिसे िड़ा उसजडक भारत ONE STOP SOLUTION FOR CIVIL SERVICES

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  • 1 | P a g e

    सिसिल िर्िििेि

    मासिक

    अगस्त-2019

    वे तन सं हि ता

    एक राष्ट्र एक राशन कार्ड

    मध्यस्थता पर ससगंापुर कन्वेंशन

    बिग िैंक ससद्ांत

    गे्रववटेशनल लेंससगं

    अमेजन वनों में आग

    सरल

    SO2 का सिसे िड़ा उत्सजडक भारत

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    R C

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    IL SER

    VIC

    ES

  • 2 | P a g e

    अनकु्रमसिका राजव्यिस्था और शािन

    1. असनसित काल के सलए स्थगन 4

    2. िेतन िंसिता सिधेयक 5

    3. िुप्रीम कोर्ि मे जजों की िंख्या मे िृसि 6

    4. जम्मू और कश्मीर पुनगिठन सिधेयक 7

    5. कोिी-मेची इंर्रललंककंग पररयोजना 9

    6. मोर्र िािन सिधेयक 10

    7. फास्र् टै्रक अदालतें 11

    8. राष्ट्रीय सचककत्िा आयोग सिधेयक 13

    9. एक राष्ट्र एक राशन कार्ि 15

    10. सनरिन और िंशोधन सिधेयक 16

    अंतरािष्ट्रीय िंबंध

    1. यमन िंकर् 18

    2. जी-7 सशखर िम्मेलन 19

    3. नो फस्र्ि यूज़ परमािु नीसत 21

    4. प्रधान मंत्री की भूर्ान यात्रा 22

    5. अंतरािष्ट्रीय िमझौतों पर िंयुकलर् राष्ट्र कन्िेन्शन 23

    6. अमेररका चीन व्यापार युि 24

    अथिव्यिस्था और सिकाि

    1. सबग बैंक थ्योरी 26

    2. भारतीय मंदी : चक्रीय या िंरचनात्मक 28

    3. उच्च सिकाि दर ितेु िरकारी घोषिाएं 30

    4. सिकाि बैंक 32

    5. आर. िी . ई . पी 33

    6. नकारात्मक ब्याज दर नीसत 35

    7. भारतीय ररजिि बैंक की मौकिक िसमसत की बैठक 36

    8. ऑफ-बजर् सित्तपोषि 37

    सिज्ञानं एिं प्रौद्योसगकी

    1. दिा प्रसतरोधी तपेकदक 39

    2. H1N1 फ्लू 40

    3. रोर्ा िायरि िैक्िीन 42

    4. गै्रसिरै्शनल लेंलिंग 44

    5. इंर्रप्लेनेर्री शॉक 45

    6. कांगो फीिर 46

    पयाििरि, पाररसस्थसतकी एिं जैि-सिसिधता

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    1. अमेजन िनों मे आग 47

    2. िमग्र जल प्रबंधन िूचकांक 48

    3. सिश्व जैि ईंधन कदिि 49

    4. SARAL - स्रे्र् रूफर्ॉप िोलर अटे्रसक्र्िनैि इंर्ेक्ि’ 50

    5. पयाििरि और िामासजक प्रबंधन फे्रम िकि 51

    6. भारत दसुनया में (SO2) का िबिे बडा उत्िजिक 52

    7. राष्ट्रीय िंिाधन दक्षता नीसत 53

    8. कोिी-मेची इंर्रललंककंग पररयोजना 55

    9. सिश्व बैंक की जल प्रदषूि पर ररपोर्ि 56

    कला और िंस्कृसत

    1. नगर कीतिन 56

    2. 'एनओिी ऑनलाइन एप्लीकेशन प्रोिेलिंग सिस्र्म 57

    3. लिंधु सशलालेख 58

    4. मचैल माता यात्रा 59

    5. लसलत कला अकादमी का स्थापना कदिि 59

    6. सिराित-ए-खालिा म्यूसजयम 60

    7. जंग-ए-आज़ादी ’ स्मारक 60

    8. आकद मिोत्िि 61

    9. बंकर िंग्रिालय 62

    10. द र्ायरी ऑफ मनु गांधी 62

    11. प्रधानमंत्री ने बिरीन मे मंकदर पुनर्ििकाि पररयोजना लॉन्च की 63

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    राजव्यिस्था और शािन

    असनसित काल के सलए स्थगन खबरों में क्यों?

    िंिद के दोनों िदनों को िंबंसधत अध्यक्ष और स्पीकर द्वारा

    असनसित काल के सलए स्थसगत कर कदया गया िै।

    मलू बातें:

    37िीं बैठक के िाथ यि 17 िीं लोकिभा का पिला और बजर्

    ित्र था।

    यि राज्यिभा का 249 िां ित्र भी था, सजिमें 35 बैठकें शासमल

    थीं।

    ििंद ित्रों का मित्ि:

    िंिद दशे का ििोच्च कानून बनाने िाला सनकाय ि।ै अपने

    सिधायी कायि के अलािा, यि िरकार के कामकाज पर नज़र

    रखती ि ै और यि दशे के बजर् को भी पाररत करती िै। एक

    प्रसतसनसध िंस्थान के रूप में, यि लोगों द्वारा िामना ककए जा रि े

    मित्िपूिि मुद्दों पर भी प्रकाश र्ालती ि।ै

    इन सजम्मेदाररयों को िंसिधान द्वारा िंिद के दोनों िदनों को

    िौंपा गया ि।ै इि असधदशे की पूर्ति इिकी कायििािी में िंिद

    िदस्यों (िांिदों) की प्रभािी भागीदारी पर सनभिर िै।

    यि प्रश्नकाल के दौरान और िंिदीय िसमसतयों में मसंत्रयों के

    िमक्ष प्रश्न प्रस्तुत करके, िंिद के पर्ल पर चचाि या मुद्दों पर

    बिि िसित सिसभन्न तरीकों का उपयोग करके ककया जा िकता

    ि।ै

    इि ित्र की मखु्य बातें:

    आम चुनािों के बाद यि पिला ित्र िोने के नात,े राष्ट्रपसत न े

    िंसिधान के अनुच्छेद 87 (1) के िंदभि में िंिद के दोनों िदनों

    को एक िाथ िंबोसधत ककया।

    इि ित्र में 2019-20 का कें िीय बजर् पेश ककया गया था और

    दोनों िदनों में कें िीय बजर् पर िामान्य चचाि हुई थी।

    इि ित्र के बाद िे, एक कदन की मृत्यु की सस्थसत में िदनों को

    कदन के सलए स्थसगत करने के पिले के अभ्याि िे प्रस्थान ककया

    गया

    इि ित्र िे, िदन के ककिी िदस्य की मृत्यु की सस्थसत में िदनों

    को स्थसगत करने के पिले की परंपरा में बदलाि करके, िदन को

    एक या दो घंरे् के सलए स्थसगत करने और कफर िे बैठक करने की

    एक नई प्रथा सिकसित की गई ि।ै

    इिने दोनों िदनों की कुल उत्पादकता में िृसि के सलए योगदान

    कदया ि ैजो लोकिभा में 137% और राज्य िभा में 103% ि।ै

    यि ित्र कई मायनों में ऐसतिासिक रिा ि ै क्योंकक इि दौरान

    िामासजक और आर्थिक गसतसिसधयों के लगभग िभी क्षेत्रों िे

    िंबंसधत कानून पाररत ककए गए िैं।

    िदन को िंबोसधत करते हुए, अध्यक्ष ने 1952 के बाद इिे िबिे

    उत्पादक ित्र किा।

    ित्र के दौरान, 35 सबल पाररत ककए गए, कुल 183 तारांककत

    प्रश्नों का मौसखक रूप िे उत्तर कदया गया, 1,066 मित्िपूिि

    मित्ि के मुद्दों को सलया गया, और 488 मुद्दों को सनयम 377

    (प्रकक्रया सनयमों और लोकिभा में कायि- िंचालन) के तित

    सलया गया।

    ििंद के ित्र

    िंिद ित्र आमतौर पर िाल में तीन बार आयोसजत ककए जाते िैं:

    बजर् ित्र (फरिरी-मई)

    मानिून ित्र (जुलाई-अगस्त);

    शीतकालीन ित्र (निंबर-कदिंबर)

    िमलनंग या आह्िान करना, िंिद के िभी िदस्यों को बैठक के

    सलए बुलाने की प्रकक्रया िै। िमय-िमय पर िंिद के प्रत्येक िदन

    का आह्िान करना भारतीय राष्ट्रपसत का कतिव्य िै। िंिद के दो

    ित्रों के बीच असधकतम अंतराल छि मिीने िे असधक निीं िो

    िकता ि।ै

    स्थगन एक सनर्दिष्ट िमय के सलए एक बैठक में काम को सनलंसबत

    करता िै, जो घंरे्, कदन या िप्ताि का िो िकता िै। इि मामले में,

    आश्वस्त िोने का िमय सनर्दिष्ट िै। यि केिल िदन का ित्र निीं

    िोता ि।ै इिकी शसि िदन के पीठािीन असधकारी के पाि िोती

    ि।ै

    एर्जनिमेंर् सिने र्ाई का मतलब िै असनसित काल के सलए िंिद

    की बैठक को स्थसगत करना। इिमें िदन को पुनः बैठक के सलए

    िूसचत ककए सबना स्थसगत कर कदया जाता ि।ै यि शसि िदन के

    पीठािीन असधकारी के पाि िोती ि।ै

    ित्राििान का अथि ि ै अनुच्छेद 85 (2) (क) के तित राष्ट्रपसत

    द्वारा ककए गए आदशे द्वारा िदन के ित्र की िमासप्त

    यि िदन के बैठक और ित्र दोनों को िमाप्त करता िै। पीठािीन

    असधकारी द्वारा िदन को स्थसगत ककए जाने के बाद आम तौर पर

    स्थसगत ककए जाने के कुछ कदनों के भीतर, राष्ट्रपसत ित्र के

    अििान के सलए एक असधिूचना जारी करता ि।ै िालााँकक,

    राष्ट्रपसत ित्र में रिते हुए भी ऐिा कर िकते िैं।

    िभी लंसबत नोरर्ि (पेश ककये जा चुके सिधेयकों को छोडकर)

    व्यपगत िो जाते िैं और अगले ित्र के सलए नए नोरर्ि जारी

    ककये जाते िैं।

    सिघर्न िे मौजूदा िदन का कायिकाल िमाप्त िो जाता िै, और

    आम चुनाि िोने के बाद एक नए िदन का गठन ककया जाता ि।ै

    राज्य िभा, एक स्थायी िदन िोने के नात,े सिघर्न के अधीन

    निीं ि।ै केिल लोकिभा िी सिघर्न के अधीन ि।ै

    जब लोकिभा को भंग कर कदया जाता ि,ै तो लोकिभा या

    इिकी िसमसतयों के िमक्ष लंसबत सबल, प्रस्ताि, िंकल्प, नोरर्ि,

    यासचकायें आकद िभी िमाप्त िो जाते िैं।

    ििंदीय कायििािी के उपकरि

    प्रश्नकाल लोकिभा की बैठक का पिला घंर्ा िै। इिका उपयोग

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    िांिदों द्वारा अपने कायों के सलए िरकार को जिाबदिे ठिराने

    के सलए ककया जाता िै। नीसतयों आकद िे िंबंसधत तथ्यों पर

    ििाल उठाए जा िकते िैं और मंत्री अपने मंत्रालय के कायों के

    सलए जिाबदेि िैं।

    शून्यकाल प्रश्नकाल के तुरंत बाद का िमय िै। इि अिसध का

    उपयोग आमतौर पर ऐिे मामलों को उठाने के सलए ककया जाता

    ि ै जो अत्यािश्यक िैं और अन्य प्रकक्रयाओं के तित आिश्यक

    िूचना अिसध की प्रतीक्षा निीं कर िकते।

    िदन में सिसभन्न मुद्दों पर बिि और प्रस्ताि िांिद उठा िकते िैं

    और बिि कर िकते िैं। इनमें िे कुछ पर िदन द्वारा मतदान

    ककया जाता ि ैऔर कुछ पर केिल क्रसमक मतदान के िाथ चचाि

    की जाती ि।ै

    जब िदन की कायििािी िामान्य सनयमों का पालन निीं करती िै

    तो प्िाइंर् ऑफ ऑर्िर को िदस्य द्वारा उठाया जा िकता ि।ै यि

    आमतौर पर िरकार को सनयंसत्रत करने के सलए एक सिपक्षी

    िदस्य द्वारा उठाया जाता ि।ै यि एक अिाधारि युसि ि ैक्योंकक

    यि िदन के िमक्ष कायििािी को स्थसगत कर दतेी िै। प्िाइंर्

    ऑफ ऑर्िर पर बिि की अनुमसत निीं ि।ै

    लचतंायें:

    अनुशािनिीनता के िाथ-िाथ िंिदीय व्यिधान िंिद के

    मूल्यिान िमय और करदाताओं के पैिे की बबािदी ि ै जो इि

    िम्मासनत िंस्था की छसि को भी काफी प्रभासित करते िैं।

    आग ेका रास्ता

    नागररकों के सिचारों, सितों और जरूरतों का प्रसतसनसधत्ि करने

    के कायि को ििोपरर मित्ि कदया जाना चासिए।

    क्षमता सनमािि गसतसिसधयााँ जैिे कक िांिदों को कायािलय स्थान

    प्रदान करना, िंस्थागत अनुिंधान िमथिन और गुिित्ता प्रसशक्षि

    कायिक्रमों तक पहुाँच िुसनसित करना आकद के जररये िमारी

    लोकतांसत्रक राजनीसत को व्यापक बनाया जा िकता ि।ै

    ितेन िसंिता सिधयेक, 2019

    खबरों में क्यों?

    मजदरूी पर िंसिता िंिद द्वारा श्रम और रोजगार मंत्रालय के

    अधीन पाररत की गई।

    यि िभी रोजगार जिां ककिी भी उद्योग, व्यापार, व्यििाय, या

    सनमािि में मजदरूी और बोनि भुगतान को सिसनयसमत करने का

    प्रयाि करता ि।ै

    मलू तथ्य:

    यि कोर् िरकार के श्रम िुधार पिल में प्रस्तासित चार श्रम

    कोर्ों की श्रृंखला में पिला ि।ै

    कें ि द्वारा सनधािररत न्यूनतम मजदरूी अब रोजगार पर निीं बसल्क

    भूगोल और कौशल पर आधाररत िोगी।

    ििंैधासनक प्रािधान

    भारत के िंसिधान के अनुच्छेद 43 में किा गया ि ै कक राज्य

    उपयुि कानून या आर्थिक िंगठन या ककिी भी अन्य तरीके ि े

    िभी श्रसमकों को एक जीिनयापन योग्य िेतन, जीिन की एक

    िभ्य मानक पररसस्थतयां और जीिन का पूिि आनंद तथा

    िामासजक और िांस्कृसतक अििरों के िुख को िुसनसित करने

    का प्रयाि करेगा।

    भारत के िंसिधान के तित, श्रम िातिीं अनुिूची की िमिती

    िूची में एक सिषय ि ैजिां कें ि और राज्य दोनों िरकारें कानून

    बनाने के सलए िक्षम िैं।

    िसंिता की आिश्यकता

    ितिमान श्रम कानूनों के रूप में िेतन की पररभाषा को कारगर

    बनाने के सलए इिकी 12 अलग-अलग पररभाषाएं शासमल िैं, जो

    श्रम कानूनों के कायािन्ियन में मकुदमेबाजी और अक्षमता का

    प्रमुख कारि िै।

    17 श्रम कानून 50 िषि िे असधक पुराने िैं और कुछ स्ितंत्रता पूिि

    युग के भी िैं।

    एक प्रसतष्ठान को रसजस्र्रों की िंख्या, ररर्नि, फॉमि आकद को

    इलेक्ट्रॉसनक रूप िे मेंरे्न रखकर लाभासन्ित ककया जा िकता ि।ै

    कोर् की मखु्य सिशेषताएं

    कोर् सनम्नसलसखत चार कानूनों की जगि लेता ि:ै

    भुगतान कानून, 1936,

    न्यूनतम मजदरूी कानून, 1948

    बोनि भुगतान कानून 1965

    िमान पाररश्रसमक कानून 1976

    यि न्यूनतम कमिचाररयों के िेतन और िमय पर भुगतान के

    प्रािधानों को िाििभौसमक बनाता िै, चाि े िि क्षेत्र के िभी

    कमिचाररयों के सलए िो और िेतन िीमा कोई भी िो।

    सबल यि िुसनसित करता ि ै कक मासिक िेतन पाने िाले

    कमिचाररयों को अगले मिीने की 7 तारीख तक िेतन समल

    जाएगा, िाप्तासिक आधार पर काम करने िालों को िप्ताि के

    आसखरी कदन िेतन समलेगा और दसैनक िेतन भोसगयों को उिी

    कदन समलना चासिए।

    कई अिंगरठत क्षेत्र के श्रसमक जैिे कृसष श्रसमक, पेंर्र, रेस्तरां में

    काम करने िाले व्यसि आकद, जो न्यूनतम मजदरूी असधसनयम के

    दायरे िे बािर थे, सिधेयक के असधसनयम बनन े के बाद उन्िें

    न्यूनतम िेतन का सिधायी िंरक्षि प्राप्त िोगा।

    कें ि िरकार को श्रसमकों के जीिन स्तर को ध्यान में रखते हुए

    फ्लोर िेज़ेि तय करने का असधकार ि।ै यि सिसभन्न भौगोसलक

    क्षेत्रों के सलए अलग-अलग मजदरूी सनधािररत कर िकता िै।

    कें ि या राज्य िरकारों द्वारा तय न्यूनतम मजदरूी, फ्लोर िेज िे

    असधक िोनी चासिए।

  • 6 | P a g e

    सबल के अनुिार, मजदरूी में कमिचाररयों के सलए दये बोनि या

    यात्रा भत्ता शासमल निीं ि।ै

    पारदर्शिता और जिाबदिेी िुसनसित करने के सलए, सबल िेब

    आधाररत यादसृच्छक कम्प्यूर्रीकृत सनरीक्षि योजना,

    क्षेत्रासधकार-मुि सनरीक्षि, इलेक्ट्रॉसनक रूप िे िूचना की

    कॉललंग, जुमािना की िंरचना आकद की शुरुआत करके सनरीक्षि

    व्यिस्था में िुधार करना चािता िै।

    श्रसमकों के दािों को कारगर बनाने के सलए, न्यूनतम मजदरूी,

    बोनि, िमान पाररश्रसमक के दािों को दायर करने की िीमा

    अिसध 3 िषि तक बढा दी गई ि।ै

    यि िमान कायि या िमान प्रकृसत के कमिचाररयों के सलए िेतन

    और कमिचाररयों की भती िे िंबंसधत मामलों में लैंसगक भेदभाि

    को प्रसतबंसधत करता िै।

    िसंिता का भसिष्य में प्रभाि

    इििे मुकदमेबाजी कम िोने की उम्मीद ि ै क्योंकक यि दशे में

    प्रचसलत न्यूनतम िेतन की 2000 िे असधक सिसभन्न दरों की

    िंख्या को कम करने के िाथ-िाथ दशे में न्यूनतम मजदरूी की

    एक िििमान्य पररभाषा भी स्थासपत करेगा।

    इििे यि भी िुसनसित िोगा कक प्रत्येक श्रसमक को एक न्यूनतम

    िेतन समलता ि,ै जो कक श्रसमक की क्रय शसि में िृसि करेगा,

    सजििे अथिव्यिस्था में िृसि को प्रोत्िािन समलेगा।

    िपु्रीम कोर्ि के न्यायाधीशों की िखं्या बढी

    खबरों में क्यों?

    राष्ट्रपसत राम नाथ कोलिंद ने िाल िी में कानून में एक सिधेयक

    पर िस्ताक्षर ककए िैं जो भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलािा

    उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्िीकृत िंख्या 30 िे 33

    तक बढाने का प्रयाि करता िै।

    पृष्ठभसूम:

    मूल रूप िे, िुप्रीम कोर्ि में जजों की िंख्या आठ (एक मुख्य

    न्यायाधीश और िात अन्य न्यायाधीश) तय की गई थी।

    िंिद ने 1956 में अन्य न्यायाधीशों की िंख्या में उत्तरोत्तर दि

    की िृसि की, 1960 में तेरि, 1977 में ित्रि और 1986 में

    पच्चीि िो गई।

    फरिरी 2009 में, कें ि ने भारत के मुख्य न्यायाधीश िसित

    छब्बीि िे इकतीि तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की

    िंख्या में िृसि को असधिूसचत ककया।

    इिके बाद ििोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों की िंख्या) िंशोधन

    असधसनयम, 2008 को असधसनयसमत ककया गया। ितिमान में,

    िुप्रीम कोर्ि में 31 न्यायाधीश (एक मुख्य न्यायाधीश और तीि

    अन्य न्यायाधीश) िोते िैं।

    उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीश की िखं्या) िशंोधन सिधयेक,

    2019 के बारे में:

    उच्चतम न्यायालय (न्यायाधीशों की िंख्या) िंशोधन सिधेयक,

    2019 को 5 अगस्त, 2019 को कानून और न्याय मंत्री श्री

    रसिशंकर प्रिाद द्वारा लोकिभा में पेश ककया गया था।

    सिधेयक िुप्रीम कोर्ि (न्यायाधीशों की िंख्या) असधसनयम, 1956

    में िंशोधन करता ि।ै

    असधसनयम उच्चतम न्यायालय (भारत के मुख्य न्यायाधीश को

    छोडकर) में न्यायाधीशों की असधकतम िंख्या तय करता िै।

    सिधेयक इि िंख्या को 30 िे बढाकर 33 कर दतेा ि।ै

    िाल िी में, राष्ट्रपसत राम नाथ कोलिंद ने कानून में एक सिधेयक

    पर िस्ताक्षर ककए िैं जो भारत के मुख्य न्यायाधीश के अलािा

    उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्िीकृत शसि को 30 ि े

    बढाकर 33 करने का प्रयाि करता ि।ै

    न्यायाधीशों की सनयसुि:

    ििोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सनयुसि राष्ट्रपसत द्वारा की

    जाती ि।ै

    मुख्य न्यायाधीश को ििोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के

    न्यायाधीशों के परामशि के बाद राष्ट्रपसत द्वारा सनयुि ककया जाता

    ि।ै

    अन्य न्यायाधीशों को मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय

    और उच्च न्यायालयों के ऐिे अन्य न्यायाधीशों के परामशि के बाद

    राष्ट्रपसत द्वारा सनयुि ककया जाता िै, जब िि आिश्यक िमझते

    िैं।

    मुख्य न्यायाधीश के अलािा ककिी अन्य न्यायाधीश की सनयसुि

    के मामले में मुख्य न्यायाधीश के िाथ परामशि असनिायि ि।ै

    मखु्य न्यायाधीश की सनयसुि:

    1950 िे 1973 तक, िुप्रीम कोर्ि के िररष्ठतम न्यायाधीश को

    भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सनयुि करने की प्रथा रिी

    ि।ै

    1973 में इि स्थासपत परम्परा का उल्लंघन ककया गया था, जब

    तीन िररष्ठ न्यायाधीशों को अपदस्थ करके ए.एन.रे को भारत के

    मुख्य न्यायाधीश के रूप में सनयुि ककया गया था। 1977 में,

    तत्कालीन िररष्ठतम न्यायाधीश एम यू बेग को ििोच्च न्यायालय

    द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सनयुि ककया गया था।

    िरकार के इि सििेक को ििोच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों के

    दिूरे मामले (1993) में रद्द कर कदया था, सजिमें ििोच्च

    न्यायालय ने फैिला कदया कक ििोच्च न्यायालय के िररष्ठतम

    न्यायाधीश को भारत के मुख्य न्यायाधीश के कायािलय में सनयुि

    ककया जाना चासिए।

  • 7 | P a g e

    िशंोधन का मित्ि:

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा िुप्रीम कोर्ि के

    न्यायाधीशों की िंख्या बढाने के सलए अनुरोध ककए जाने के कुछ

    कदनों बाद यि सबल आया।

    अपने पत्र में CJI ने सलखा, "मैं आपिे अनुरोध करता हं कक

    कृपया ििोच्च प्राथसमकता पर, िुप्रीम कोर्ि में न्यायाधीशों की

    िंख्या बढाने के सलए उसचत रूप िे सिचार करें, ताकक यि असधक

    कुशलतापूििक और प्रभािी ढंग िे कायि कर िके क्योंकक इिे

    अंसतम लक्ष्य को प्राप्त करने के सलए अभी एक लंबा रास्ता तय

    करना ि।ै यि कदम मुकदमेबाजी में फंिी जनता को िमय पर

    न्याय प्रदान करेगा, "

    िंशोधन मित्िपूिि िै क्यों कक कुल 58,669 मामले 1 जून,

    2019 तक उच्चतम न्यायालय में लंसबत िैं।

    30 न्यायाधीशों की ितिमान िंख्या के िाथ, भारत के मुख्य

    न्यायाधीश के सलए यि मुसश्कल था कक िे सिसिल िुनिाई के

    सलए सर्िीजन बेंच (दो या दो िे असधक न्यायाधीशों की िंख्या)

    की िंख्या को कम ककए सबना कानून िे िंबंसधत मित्त्िपूिि

    मामलों िे जुडे मामलों की िुनिाईकी सलए 5 िदस्यीय बेंच का

    गठन करें।

    भारत में न्यायाधीशों की िखं्या बढान े के सलए और उपायों की

    आिश्यकता:

    2016 में, भारत के पूिि मुख्य न्यायाधीश र्ीएि ठाकुर ने उन

    प्रमुख िमस्याओं में िे एक पर प्रकाश र्ाला, सजिने दशकों िे

    भारतीय न्यायपासलका को परेशान ककया ि।ै

    CJI ने किा कक 1.2 सबसलयन के दशे भारत में सिफि 18,000

    जज िैं। यि शमिनाक ि ैक्योंकक सिसध आयोग ने लगभग 30 िाल

    पिले 40,000 न्यायाधीश िोने की बात किी थी।

    एक अनुमान के अनुिार, दशे के उच्च न्यायालयों में लगभग 4

    समसलयन मामले िैं सजनके सनपर्ने का इंतजार ि।ै यकद इिमें

    अधीनस्थ न्यायालयों में लंसबत मामलों की 30 समसलयन िंख्या

    को भी शासमल कर कदया जाये, तो िंख्या लगभग 34 समसलयन

    के करीब िो जाती िै।

    भारत की िाक्षरता दर और प्रसत व्यसि आय बढने के कारि,

    प्रसत 1,000 लोगों पर दजि मामलों की िंख्या लगभग 15 की

    ितिमान दर िे बढने के सलए बाध्य ि ै - जो लगभग तीन दशक

    पिले लगभग 1,000 मामलों में 3 िे काफी ऊपर ि ै– SC द्वारा

    सनयुि पैनल के अनुमान के अनुिार इिके अगले तीन दशक में

    लगभग 75 िो जाने की िम्भािना िै। (उदािरि के सलए, 90%

    िे असधक िाक्षरता दर िाले केरल में, प्रसत 1,000 लोगों पर 28

    नए मामले िैं, जबकक झारखंर् में प्रसत 1,000 पर चार मामलों के

    ि,ै सजनकी िाक्षरता दर लगभग 53% िै।)

    इि िमय तक भारत की जनिंख्या लगभग 1.5 सबसलयन ि।ै

    इिका अथि यि िोगा कक तब तक प्रत्येक िषि कम िे कम 150

    समसलयन मामले दायर ककए जा िकते िैं, सजिमें प्रसत 13 जजों

    के मौजूदा अनुपात के मुकाबले 50 न्यायाधीश प्रसत समसलयन के

    अनुपात में 75,000 न्यायाधीशों की

    जम्म-ूकश्मीर पनुगिठन सिधयेक:

    खबरों में क्यों?

    जम्मू और कश्मीर पुनगिठन सिधेयक, 2019 िंिद द्वारा पाररत

    ककया गया, अनुच्छेद 370 को कमजोर करते हुए और राज्य के

    सिशेष दजे को रद्द कर कदया गया ि।ै

    मलू तथ्य:

    अनुच्छेद 370 भारत के िंसिधान के भाग XXI के तित जम्मू

    और कश्मीर को सिशेष स्िायत्तता का दजाि दनेे िाला एक

    अस्थायी प्रािधान ि,ै जो "अस्थायी, िंक्रमिकालीन और सिशेष"

    प्रािधानों िे िंबंसधत ि।ै

    धारा 370 की ितिमान सस्थसत

    िंसिधान (जम्मू और कश्मीर के सलए आिेदन) आदशे, 2019,

    राष्ट्रपसत द्वारा जारी ककए गए अनुच्छेद 370 को सनरस्त निीं

    ककया ि।ै

    जबकक यि प्रािधान कानून की ककताब में बना हुआ िै, इिका

    उपयोग जम्मू और कश्मीर की सिशेष सस्थसत को िमाप्त करने के

    सलए ककया गया िै।

    राष्ट्रपसत के आदशे ने भारतीय िसंिधान के िभी प्रािधानों को

    जम्मू-कश्मीर तक सिस्ताररत कर कदया ि।ै

    यि भी आदशे कदया ि ै कक जम्मू-कश्मीर के िदर-ए-ररयाित के

    िंदभि को राज्य के राज्यपाल के िंदभि के रूप में माना जाएगा।

    यि पिली बार िै कक अनुच्छेद 370 का उपयोग जम्मू और

    कश्मीर के िंबंध में अनुच्छेद 367 (जो व्याख्या िे िंबंसधत ि)ै में

    िंशोधन के सलए ककया गया िै, और इि िंशोधन का उपयोग

    अनुच्छेद 370 में िंशोधन के सलए ककया गया ि।ै

    अनचु्छेद 370 के कमजोर पडन ेके बाद पररितिन

    जम्मू और कश्मीर के पाि अब कोई अलग ध्िज या िंसिधान निीं

    िोगा और राज्य सिधान िभा का कायिकाल ककिी अन्य राज्य की

    तरि 5 िाल िोगा और दशे में अन्य 2 कें ि शासित प्रदशे िोंगे।

    भारतीय दरं् िंसिता (IPC) आपरासधक मामलों और अनुच्छेद

    356 िे सनपर्ने के सलए रिबीर दरं् िंसिता (RPC) की जगि

    लेगी, सजिके तित ककिी भी राज्य में राष्ट्रपसत शािन लगाया जा

    िकता ि,ै यि कें ि शासित प्रदशेों (UTs) जम्मू और कश्मीर, और

    लद्दाख में भी लागू िोगा।

    दो नए कें ि शासित प्रदशेों के िाथ इनकी कुल िंख्या अब 9 िो

  • 8 | P a g e

    गयी ि-ै जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, कदल्ली, पुरु्चेरी, दीि और दमन,

    दादरा और नगर ििेली, चंर्ीगढ, लक्षद्वीप और अंर्मान और

    सनकोबार द्वीप िमूि ।

    अनचु्छेद 35 ए की ितिमान सस्थसत

    अनुच्छेद 35 ए अनुच्छेद 370 िे उपजा िै, और 1954 में

    राष्ट्रपसत के एक आदशे के माध्यम िे पेश ककया गया था।

    िंसिधान के मुख्य भाग में अनुच्छेद 35A कदखाई निीं दतेा ि:ै

    इिके बाद अनुच्छेद 36 आता ि ैलेककन पररसशष्ट I में कदखाई दतेा

    ि।ै

    अनुच्छेद 35A राज्य के स्थायी सनिासियों और उनके

    सिशेषासधकारों को पररभासषत करने के सलए जम्मू और कश्मीर

    सिधासयका को असधकार दतेा िै।

    राष्ट्रपसत के आदशे ने िंसिधान के िभी प्रािधानों को जम्मू और

    कश्मीर तक सिस्ताररत कर कदया ि,ै सजिमें मौसलक असधकारों के

    प्रािधान भी शासमल ि।ै

    इिसलए अनुच्छेद 35-A के तित भेदभािपूिि प्रािधान अब

    अिंिैधासनक िैं।

    राष्ट्रपसत अनुच्छेद 35-A को भी िापि ले िकते िैं। यि प्रािधान

    ितिमान में ििोच्च न्यायालय में इि आधार पर चुनौती ि ैकक इिे

    भारतीय िंसिधान में केिल अनुच्छेद 368 के तित एक िंसिधान

    िंशोधन के माध्यम िे पेश ककया जा िकता िै, न कक अनुच्छेद

    370 के तित एक राष्ट्रपसत के आदेश के माध्यम िे।

    िालााँकक, राष्ट्रपसत के आदशे ने, िंशोसधत प्रकक्रया का पालन ककए

    सबना अनुच्छेद 367 में भी िंशोधन ककया ि।ै

    जम्म-ूकश्मीर पनुगिठन सिधयेक 2019

    इि सिधेयक में जम्मू और कश्मीर राज्य को पुनगिरठत ककया गया

    ि:ै (i) जम्मू और कश्मीर कें ि शासित प्रदशे एक सिधासयका के

    िाथ, और

    (ii) कें ि शासित प्रदशे लद्दाख सबना सिधासयका के।

    कें ि शासित प्रदशे लद्दाख में कारसगल और लेि सजले शासमल

    िोंगे।

    जम्मू और कश्मीर के कें ि शासित प्रदशे में एक सिधान िभा

    िोगी, जबकक कें ि शासित प्रदशे लद्दाख में सिधान िभा निीं

    िोगी और इिे उपराज्यपाल द्वारा प्रशासित ककया जाएगा।

    लोक िभा में प्रसतसनसधत्ि

    जम्मू और कश्मीर राज्य की छि लोकिभा िीर्ों में ि ेपांच कें ि

    शासित प्रदशे जम्म ू और कश्मीर के िाथ रिेंगी और एक कें ि

    शासित प्रदशे लद्दाख में जाएगी।

    चुनाि आयोग इि असधसनयम द्वारा िंशोसधत िंिदीय सनिािचन

    आदशे, 1976 के पररिीमन में सनर्दिष्ट िीर्ों के आिंर्न के

    अनुिार दोनों कें ि शासित प्रदशेों के सलए लोकिभा चुनाि करिा

    िकता ि।ै

    कें ि शासित प्रदशे जम्म ूऔर कश्मीर:

    जम्मू और कश्मीर सिधानिभा का कायिकाल पांच िषि का िोगा,

    जब तक कक इिे उपराज्यपाल द्वारा पिले भंग निीं कर कदया

    जाता।

    िंसिधान के अनुच्छेद 239-a के तित सनसित प्रािधान, जो

    पुरु्चेरी के सलए लागू िैं, यिां भी लागू िोंगे।

    यि जम्मू और कश्मीर के कें ि शासित प्रदशे को सिधान िभा के

    रूप में उि अनुच्छेद के तित सनयुि प्रशािक के रूप में कायि

    करने की अनुमसत दतेा ि।ै इि मामले में, यि उप-राज्यपाल

    िोगा।

    सिधेयक में किा गया ि ै कक प्रत्यक्ष सनिािचन द्वारा चुने गए

    व्यसियों द्वारा भरी जाने िाली सिधानिभा की कुल िीर्ों की

    िंख्या 107 िोगी जो पररिीमन प्रकक्रया के बाद बढकर 114 िो

    जाएगी।

    सद्वभाजन के बाद सनिािचन क्षेत्रों का पररिीमन सनिािचन आयोग

    द्वारा सनधािररत ककया जा िकता ि।ै

    इिके िाथ, जम्मू और कश्मीर में मौजूदा सिधान पररषद िमाप्त

    िो गई ि ै । सिधान पररषद में लंसबत िभी सबल व्यपगत िो

    जायेंगे।

    जम्मू और कश्मीर की मौजूदा सस्थसत का प्रसतसनसधत्ि करने िाले

    राज्यों की पररषद के चार िदस्यों को कें ि शासित प्रदशे जम्मू

    और कश्मीर के सलए आिंरर्त िीर्ों को भरने के सलए चुना गया

    माना जाएगा। उनके पद का कायिकाल िमाप्त िो गया।

    जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राज्य का उच्च न्यायालय दो कें ि शासित

    प्रदशेों का िाझा उच्च न्यायालय िोगा।

    सिधान िभा “िाििजसनक व्यिस्था” और “पुसलि” को छोडकर

    राज्य िूची में शासमल ककिी भी मामले के िंबंध में जम्मू और

    कश्मीर के कें ि शासित प्रदशे के पूरे या ककिी भी सिस्िे के सलए

    कानून बना िकती ि।ै

    िंिद द्वारा बनाए गए कानूनों और सिधान िभा द्वारा बनाए गए

    कानूनों के बीच सििंगसतयों के मामले में, पिले िंिद का कानून

    लागू िोगा और सिधान िभा द्वारा बनाए गए कानून शून्य िो

    जाएंगे।

    मुख्यमंत्री की भूसमका एलजी को कें िीय क्षेत्र के मामलों के

    प्रशािन िे िंबंसधत मंसत्रपररषद के िभी फैिलों और कानून के

    प्रस्तािों और कानून के प्रशािन िे िंबंसधत ऐिी जानकारी

    प्रस्तुत करने के सलए िोगी सजिे एलजी प्रस्तुत करने के सलए किें।

    उपराज्यपाल की भसूमका और शसिया ं

    सिधेयक में किा गया िै कक कें ि शासित प्रदशे जम्मू-कश्मीर और

    कें ि शासित प्रदशे लद्दाख में एक िाझा उपराज्यपाल िोगा।

    ित्यपाल मसलक, जम्मू और कश्मीर के मौजूदा राज्य के

    राज्यपाल थे, तब तक एल-जी की भूसमका सनभाएंगे, जब तक

    यि "भारत के राष्ट्रपसत द्वारा सनधािररत ककया जाता ि।ै

  • 9 | P a g e

    लद्दाख में उप-राज्यपाल

    अनुच्छेद 239 के तित राष्ट्रपसत एल-जी की सनयुसि करेगा।

    कें ि द्वारा सनयुि िलािकारों द्वारा L-G की ििायता की जाएगी

    क्योंकक कें ि शासित प्रदशे में सिधानिभा निीं िोगी।

    जम्म ूऔर कश्मीर के कें ि शासित प्रदशे का उप-राज्यपाल

    एलजी उन मुद्दों पर "अपने सििेक िे कायि" करेगा जो सिधान

    िभा पर प्रदत्त असधकारों के दायरे िे बािर िैं, सजिमें उन्िें ककिी

    भी न्यासयक कायों, और / या असखल भारतीय िेिाओं और

    भ्रष्टाचार सनरोधक ब्यूरो िे िंबंसधत मामलों का उपयोग करना

    आिश्यक िै। ।

    उपराज्यपाल, आिश्यकता पडने पर कर िकता िै:

    a) िदन का ित्राििान करना

    b) सिधान िभा को भंग करना।

    मुख्यमंत्री को उप-राज्यपाल द्वारा सनयुि ककया जाएगा।

    मुख्यमंत्री की ििायता िे अन्य मंसत्रयों को भी उप-राज्यपाल

    सनयुि करेंगे।

    उप-राज्यपाल मंसत्रयों और मुख्यमंत्री को पद और गोपनीयता की

    शपथ भी कदलाएगा।

    आग ेकी चनुौसतया ं

    इि प्रकक्रया को प्रकक्रयात्मक दबुिलताओं के आधार पर कानूनी रूप

    िे चुनौती दी जाएगी और यि कदल्ली और श्रीनगर के बीच

    िंबंधों की बुसनयादी सिशेषता को कम करती िै, सजि पर 1947

    में ििमसत बनी थी।

    अनुच्छेद 370 के तित राष्ट्रपसत की शसि का उपयोग एक िक्षम

    प्रािधान बनाने और आदशे को िंशोसधत करने के उद्देश्य िे ककया

    गया िै, सजििे राज्य सिधानिभा के सलए पररकसल्पत भूसमका

    का सनिििन िो िके।

    िालांकक, 1961 में ििोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर में उन्िें

    लागू करने के सलए िंिैधासनक प्रािधानों को 'िंशोसधत' करने की

    राष्ट्रपसत की शसि को बरकरार रखा, यि एक सििादास्पद प्रश्न िै

    कक क्या इि तरि के आमूलचूल पररितिन को लागू करने के सलए

    इिे लागू ककया जा िकता ि ै कक एक कायिशील राज्य को अब

    अपग्रेर् ककया गया ि ै और उिका दो कें ि शासित प्रदशेों में

    सिभाजन ककया गया ि ै।

    िैधता िे परे, अिली परीक्षा श्रीनगर, जम्मू और कदल्ली की

    िडकों पर िोगी क्योंकक राज्य िे िुरक्षा घेरा िर्ा सलया गया िै।

    कोिी-मचेी इंर्रललकंकंग पररयोजना

    खबरों में क्यों?

    िाल िी में, कें ि िरकार ने सबिार की कोिी और मेची नकदयों को

    आपि में जोडने के सलए 4,900 करोड रुपये की कोिी-मेची

    इंर्रललंककंग पररयोजना को मंजूरी दी ि।ै

    मलू तथ्य:

    यि मध्यप्रदशे में केन-बेतिा पररयोजना के बाद कें ि िरकार

    द्वारा अनुमोकदत िोने िाली दशे की दिूरी प्रमुख नदी-जोडो

    पररयोजना ि।ै

    कोिी नदी एक अंतरराष्ट्रीय नदी ि ै जो सतब्बत िे सनकलती ि ै

    और नेपाल िे िोते हुए सिमालय पिित और सनचले सिस्िे में उत्तर

    सबिार के मैदानी इलाकों िे िोकर बिती ि।ै

    पररयोजना की आिश्यकता

    कोिी नदी के बिाि की भारी िमस्या, भारी तलछर्, बाढ आकद

    की िमस्या को दरू करना और सबिार के लोगों की गंभीर पीडा

    को कम करना।

    खरीफ मौिम के दौरान अरररया, ककशनगंज, पूर्ििया और

    करर्िार सजलों में जल की कमी िाले मिानंदा बेसिन कमान के

    सलए लिंचाई लाभ प्रदान करने ितेु।

    पररयोजना की मखु्य सिशेषताएं

    सबिार को MoEFCC िे पररयोजना के सलए अंसतम शेष

    असनिायि तकनीकी-प्रशािसनक स्िीकृसत समल गई ि।ै

    कें ि िरकार ने लिंचाई के उद्देश्य िे कोिी के पूिी तर् पर 76.20

    ककमी निरों के सनमािि को मंजूरी दी ि।ै

    ग्रीन प्रोजेक्र् िोने के कारि, यि लोगों को सिस्थासपत निीं करेगा

    और इिके सलए न िी िन भूसम के असधग्रिि की आिश्यकता

    िोगी।

    कुल भूसम की आिश्यकता लगभग 1,396.81 िेक्रे्यर ि।ै

    मित्ि:

    पररयोजना िे न केिल उत्तर सबिार में बाढ को रोका जा िकेगा,

    बसल्क अरररया, पूर्ििया, ककशनगंज और करर्िार सजलों में 2.14

    लाख िके्रे्यर खेती योग्य भूसम को लिसंचत ककया जाएगा, सजिे

    िामूसिक रूप िे िीमांचल क्षेत्र किा जाता ि।ै

    यि पररयोजना बाढ िे उत्पन्न लोगों की करठनाइयों को दरू करने

    के उद्देश्य पर केसन्ित ि ैऔर िीमांचल क्षेत्र में िररत क्रांसत की

    शुरूआत करने की क्षमता रखती ि।ै

    यि पररयोजना मौजूदा िनुमान नगर बैराज िे मिानंदा बेसिन

    की मेची नदी तक कोिी नदी के असधशेष जल को र्ायिजिन

    प्रदान करेगी।

  • 10 | P a g e

    मेची नदी को दिूरे स्रोत िे पानी समलेगा और यि लिंचाई का

    एक सिशाल प्राकृसतक िंिाधन बन जाएगा।

    पररयोजना के 10 ककमी के दायरे में कोई राष्ट्रीय उद्यान,

    िन्यजीि अभयारण्य या पयाििरि-िंिेदनशील क्षेत्र निीं िैं।

    मोर्र िािन (AMENDMENT) सबल, 2019

    खबरों में क्यों?

    िाल िी में, राष्ट्रपसत राम नाथ कोलिंद ने मोर्र िािन (िंशोधन)

    असधसनयम, 2019 को स्िीकृसत प्रदान की, सजिका उद्देश्य

    भारतीय िडकों को िुरसक्षत बनाना, भ्रष्टाचार को कम करना

    और दशे की पररििन प्रिाली का कायापलर् करने के सलए

    प्रौद्योसगकी का उपयोग करना ि।ै

    यि असधसनयम िुर्खियों में िै, क्योंकक यातायात सनयमों के

    उल्लंघन के सलए इिे िख्त दंर् के रूप में अपनाया गया ि ैजैिे

    कक ओिर-स्पीलरं्ग, खतरनाक ड्राइलिंग, शराब के नशे में ड्राइलिंग

    और अन्य अपराध जैिे कक िेलमेर् निीं पिनना या सबना लाइिेंि

    के ड्राइलिंग करना आकद।

    पृष्ठभसूम:

    िडक पररििन और राजमागि मंत्री, श्री सनसतन गर्करी द्वारा 15

    जुलाई, 2019 को लोकिभा में मोर्र िािन (िंशोधन) सिधेयक,

    2019 पेश ककया गया था।

    िडक िुरक्षा प्रदान करने के सलए सिधेयक मोर्र िािन

    असधसनयम, 1988 में िंशोधन करना चािता िै। असधसनयम में

    मोर्र िािनों िे िंबंसधत लाइिेंि और परसमर् प्रदान करना,

    मोर्र िािनों के सलए मानक तैयार करना और इन प्रािधानों के

    उल्लंघन के सलए दंर् का प्रािधान करना शासमल ि।ै

    सिधेयक िडक पररििन और राजमागि मंत्रालय द्वारा गरठत

    राज्यों के पररििन मंसत्रयों के िमूि (GoM) की सिफाररशों पर

    आधाररत ि,ै ताकक िडक िुरक्षा के मुद्दे को िंबोसधत ककया जा

    िके और िभी पररििन सिभागों के िाथ काम करते िमय

    नागररकों की िुसिधा में िुधार ककया जा िके।

    सिधेयक में िंशोधन मुख्य रूप िे िडक िुरक्षा में िुधार,

    नागररकों की िुसिधा, ग्रामीि पररििन को मजबूत करने, अंसतम

    मील कनेसक्र्सिर्ी और िाििजसनक पररििन, स्िचालन और

    पररििन सिभाग के कम्प्यूर्रीकरि और ऑनलाइन िेिाओं को

    िक्षम करने िे िंबंसधत मुद्दों पर कें कित िैं।

    मोर्र िािन (िशंोधन) सिधयेक, 2019 के बारे में:

    िडक िुरक्षा प्रदान करने के सलए यि सिधेयक मोर्र िािन

    असधसनयम, 1988 में िंशोधन करता ि।ै असधसनयम असधसनयम

    में मोर्र िािनों िे िंबंसधत लाइिेंि और परसमर् प्रदान करना,

    मोर्र िािनों के सलए मानक तैयार करना और इन प्रािधानों के

    उल्लंघन के सलए दंर् का प्रािधान करना शासमल ि।ै

    िशंोधन के कुछ मित्िपिूि लबदं ुइि प्रकार िैं:

    िडक िुरक्षा: िडक िुरक्षा के क्षेत्र में, सिधेयक

    यातायात उल्लंघन के सखलाफ सनिारक के रूप में कायि

    करने के सलए दंर् बढाने का प्रस्ताि करता ि।ै ककशोर-

    ड्राइलिंग, शराब के नशे में ड्राइलिंग, सबना लाइिेंि के

    ड्राइलिंग, खतरनाक ड्राइलिंग, ओिर-स्पीलरं्ग,

    ओिरलोलरं्ग आकद अपराधों के िंबंध में िख्त प्रािधान

    प्रस्तासित ककए जा रि ेिैं।

    ‘गुर् िमेररर्न’ का िंरक्षि: िडक दघुिर्ना के पीसडतों

    की मदद के सलए गुर् िमेररर्न कदशासनदशेों को

    सिधेयक में शासमल ककया गया ि।ै सिधेयक एक गुर्

    िमेररर्न को एक ऐिे व्यसि के रूप में पररभासषत

    करता ि ैजो ककिी दघुिर्ना के िमय पीसडत व्यसि को

    आपातकालीन सचककत्िा या गैर-सचककत्िकीय ििायता

    प्रदान करता िै, और ऐिे व्यसि के उत्पीडन को रोकने

    के सलए सनयम प्रदान करता ि।ै

    गोल्र्न ऑिर के दौरान कैशलेि उपचार: सिधेयक में

    गोल्र्न ऑिर (दघुिर्ना के बाद के िबिे जरूरी घंरे्) के

    दौरान िडक दघुिर्ना पीसडतों के कैशलेि उपचार की

    योजना ि।ै

    िडक िुरक्षा बोर्ि: सिधेयक में िडक िुरक्षा और

    यातायात प्रबंधन के िभी पिलुओं पर कें ि और राज्य

    िरकारों को िलाि दनेे के सलए कें ि िरकार द्वारा एक

    राष्ट्रीय िडक िुरक्षा बोर्ि बनाने का प्रािधान ि।ै

    िािनों के इस्तेमाल पर प्रसतबन्ध: सिधेयक कें ि िरकार

    को ऐिे मोर्र िािनों को प्रसतबंसधत करने के सलए

    आदशे दनेे की अनुमसत दतेा िै, सजन िािनों में खराबी

    िे पयाििरि, चालक या अन्य िडक उपयोगकतािओं को

    नुकिान िो िकता ि।ै

    िािन कफर्नेि: सिधेयक में िािनों के सलए स्िचासलत

    कफर्नेि परीक्षि को असनिायि ककया गया ि ैजो िािन

    की िडक ितेु योग्यता में िुधार करते हुए पररििन

    सिभाग में भ्रष्टाचार को कम करेगा। ऑर्ोमोबाइल के

    सलए परीक्षि और प्रमािन की प्रकक्रया को और असधक

    प्रभािी ढंग िे सिसनयसमत करने का प्रस्ताि ि।ै

    ऑर्ोमोबाइल अनुमोदन जारी करने िाली परीक्षि

    एजेंसियों को असधसनयम के दायरे में लाया गया ि ैऔर

    मोर्र िािन परीक्षि िंस्थानों के सलए मानक

    सनधािररत ककए जाएंगे।

  • 11 | P a g e

    मोर्र िािन दघुिर्ना सनसध: सिधेयक में कें ि िरकार को

    भारत में िभी िडक उपयोगकतािओं को असनिायि

    बीमा किर प्रदान करने के सलए मोर्र िािन दघुिर्ना

    सनसध का गठन करने की आिश्यकता ि।ै इिका

    उपयोग ककया जाएगा: िडक दघुिर्ना में घायल हुए

    लोगों के इलाज के सलए, सिर् एंर् रन दघुिर्ना में मारे

    गए व्यसि के पररजनों को मुआिजा दनेे, एक सिर् एंर्

    रन दघुिर्ना में गंभीर रूप िे घायल व्यसि और कें ि

    िरकार द्वारा सनधािररत ककिी अन्य व्यसि को

    मुआिजा दनेे के सलए ।

    ई-गिनेंि का उपयोग कर िेिाओं में िुधार: ई-गिनेंि

    का उपयोग कर सितधारकों को िेिाओं की सर्लीिरी

    में िुधार करना इि सिधेयक के प्रमुख उद्देश्यों में िे एक

    ि।ै यि भी शासमल िै:

    ऑनलाइन ड्राइलिंग लाइिेंि के सलए प्रािधान:

    सिधेयक ऑनलाइन ड्राइलिंग लाइिेंि के सलए

    असनिायि ऑनलाइन पिचान ित्यापन प्रदान करता िै

    नकली र्ीएल िे बचने के सलए ड्राइलिंग रे्स्र् को

    कम्प्यूर्रीकृत ककया जाएगा। ड्राइिर टे्रलनंग स्कूल खोले

    जाएंगे ताकक असधक कुशल ड्राइिर उपलब्ध िो िकें ।

    िािन पंजीकरि की प्रकक्रया: नए िािनों के सलए

    पंजीकरि प्रकक्रया में िुधार करने के सलए, र्ीलर को

    पंजीकरि िक्षम ककया जा रिा ि ै और अस्थायी

    पंजीकरि के सलए प्रसतबंध लगाए गए िैं। पंजीकरि

    और लाइिेंलिंग प्रकक्रया में िामंजस्य लाने के सलए,

    "िािन" और "िारथी" प्लेर्फामों के माध्यम िे

    ड्राइलिंग लाइिेंि के सलए राष्ट्रीय रसजस्र्र और िािन

    पंजीकरि के सलए राष्ट्रीय रसजस्र्र बनाने का प्रस्ताि

    ि।ै

    ड्राइििि टे्रलनंग: ट्रांिपोर्ि लाइिेंि को तेजी िे जारी

    करने के सलए ड्राइलिंग प्रसशक्षि प्रकक्रया को मजबूत

    ककया गया ि।ै िािन कफर्नेि िेंर्र खोलने िाले असधक

    िे असधक ड्राइिर स्कूल खोले जाएंगे। कदव्यांगों के सलए

    पररििन िमाधान की िुसिधा, ड्राइलिंग लाइिेंि के

    अनुदान के िाथ-िाथ उनकी िुसिधा के सलए िािनों

    में पररितिन के सलए मौजूद बाधाओं को िर्ा कदया गया

    ि।ै

    पररििन प्रिाली में िुधार: एकीकृत पररििन प्रिाली

    का सिकाि राष्ट्रीय पररििन नीसत िे िंभि िोगा।

    रै्क्िी एग्रीगेर्िि: सिधेयक एग्रीगेर्िि को सर्सजर्ल

    मध्यस्थों या बाजार स्थानों के रूप में पररभासषत

    करता िै, सजनका उपयोग यासत्रयों द्वारा पररििन

    उद्देश्यों (रै्क्िी िेिाओं) के सलए ड्राइिर के िाथ जुडने

    के सलए ककया जा िकता िै। सिधेयक एग्रीगेर्िि के सलए

    कदशासनदशे प्रदान करता ि।ै ितिमान में, एग्रीगेर्र,

    रै्क्िी आकद को सिसनयसमत करने के सलए कई राज्यों मे

    कोई सनयम निीं िैं।

    आग ेकी चनुौसतया ं

    कायािन्ियन: असधसनयम का कायािन्ियन आिान निीं िो िकता

    ि,ै िडक पररििन िमिती िूची का एक सिषय िै, राज्य

    िरकारें भी अपने स्ियं के कानून और सनयम बनाने के सलए

    स्ितंत्र िैं। सिपक्ष ने पिले िी िरकार की आलोचना करते हुए

    किा कक कें ि मिौदा कानून के कुछ प्रािधानों के िाथ राज्यों की

    शसियों को खत्म करने की कोसशश कर रिा िै

    पारदर्शिता िुसनसित करना: 'िािन ’और, िारथी’ जैिे

    ररपोसजर्री, िािनों पर असनिायि जानकारी और स्िासमत्ि के

    िाथ-िाथ िडक पररििन िंबंधी िेिाओं को धीरे-धीरे

    ऑनलाइन स्थानांतररत ककया जा रिा िै, राज्य िरकारों को

    पारदर्शिता िुसनसित करनी चासिए और क्षेत्रीय पररििन

    कायािलयों में लोगों के सलए िमस्या रसित अनुभि प्रदान करना

    चासिए। ।

    कायािन्ियन की लागत: सिधेयक राज्य िरकारों को कें ि द्वारा

    सनधािररत सनयमों के अनुिार िीिीर्ीिी कैमरे, स्पीर् गन और

    अन्य ऐिे उपकरिों का उपयोग करके राष्ट्रीय राजमागों, राज्य

    राजमागों और शिरी िडकों पर िडक िुरक्षा की इलेक्ट्रॉसनक

    सनगरानी और प्रितिन िसुनसित करने के सलए आदशे दतेा िै।

    इिमें पयािप्त सनिेश शासमल िो िकता िै, और यि स्पष्ट निीं िै

    कक लागत कौन ििन करेगा?

    यकद कोई दोषपूिि िािन पयाििरि, चालक या अन्य िडक

    उपयोगकतािओं को नुकिान पहुंचा िकता िै, तो सिधेयक कें ि को

    ऐिे मोर्र िािनों को प्रसतबंसधत करने के सलए आदशे दनेे की

    अनुमसत दतेा ि ै । िािन सनमािता जो भारत िसित अन्य दशेों में

    िािनों में िुरक्षा िुसिधाओं को लागू करने में सशसथलता बरत रिे

    िैं, उन्िें अब िंभल जाना चासिए।

    फास्र् टै्रक अदालतें:

    खबरों में क्यों?

    िाल िी में मसिला और बाल सिकाि मंत्री ने राज्यिभा को

    िूसचत ककया कक िरकार ने यौन अपराधों िे बच्चों के िंरक्षि

    असधसनयम (POCSO) के तित मामलों को सनपर्ाने के सलए

    1,023 फास्र्-टै्रक अदालतें स्थासपत करने का प्रस्ताि कदया ि।ै

    यि िुप्रीम कोर्ि की एक यासचका में सनदशे जारी करने की

    पृष्ठभूसम में आया था, सजिमें किा गया था कक POCSO

    असधसनयम के तित लंसबत 100 िे असधक मामलों िाले सजलों

  • 12 | P a g e

    को सिशेष अदालतें स्थासपत करने की आिश्यकता िै जो इन

    मामलों िे सिशेष रूप िे सनपर् िकें ।

    फास्र् टै्रक कोर्ि क्या िैं

    ये सिशेष प्रकार की अदालतें िोती िैं सजनका ककिी क्षेत्र सिशेष

    पर सिशेष असधकार िोता िै

    कानून की श्रेिी (उपरोि मामले में- यौन उत्पीडन और बच्चों के

    मामले)।

    फास्र् टै्रक कोर्ि आमतौर पर उच्च न्यायालयों और सजला अदालतों

    िे मामलों के बोझ को कम कर