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  • अ�याय एक

    १. तीनो लोको के �वामी सव� श��मान भगवान �व�णु को नमन करते �ए मै एक रा�य के �लए नी�तशा� के �स�ांतों को कहता हँू. मै यह सू� अनेक शा�ों का आधार ले कर कह रहा हँू।

    2. जो �य�� शा�ों के सू�ों का अ�यास करके �ान �हण करे गा उसे अ�यंत वैभवशाली कत� �य के�स�ांत �ात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा �क �कन बातों का अनुशरण करना चा�हए और�कनका नहीं। उसे अ�छाई और बुराई का भी �ात होगा और अंततः उसे सवो� �म का भी �ान होगा।

    ३. इस�लए लोगो का भला करने के �लए मै उन बातों को कहंूगा �जनसे लोग सभी चीजों को सहीप�रपे��य मे देखेगे।

    ४. एक पं�डत भी घोर क� म� आ जाता है य�द वह �कसी मुख� को उपदेश देता है, य�द वह एक ��प�नी का पालन-पोषण करता है या �कसी �खी �य�� के साथ अतयंत घ�न� स�ब�ध बना लेता है.

    ५. �� प�नी, झूठा �म�, बदमाश नौकर और सप� के साथ �नवास सा�ात् मृ�यु के समान है।

    ६ . �य�� को आने वाली मुसीबतो से �नबटने के �लए धन संचय करना चा�हए। उसे धन-स�पदा�यागकर भी प�नी की सुर�ा करनी चा�हए। ले�कन य�द आ�मा की सुर�ा की बात आती है तो उसे

    धन और प�नी दोनो को तु��य समझना चा�हए।

    ७ .भ�व�य म� आने वाली मुसीबतो के �लए धन एक��त कर� । ऐसा ना सोच� की धनवान �य�� कोमुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संग�ठत धन भी तेजी से घटने लगता है।

    ८. उस देश मे �नवास न कर� जहाँ आपकी कोई ई�त नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते,जहा आपका कोई �म� नहीं और जहा आप कोई �ान आ�ज� त नहीं कर सकते।

    ९ . ऐसे जगह एक �दन भी �नवास न कर� जहाँ �न�न�ल�खत पांच ना हो:

    एक धनवान �य�� ,

    एक �ा�ण जो वै�दक शा�ों म� �नपुण हो,

    एक राजा,

    एक नदी ,

    और एक �च�क�सक।

    १० . बु��मान �य�� को ऐसे देश म� कभी नहीं जाना चा�हए जहाँ :

    रोजगार कमाने का कोई मा�यम ना हो,

    जहा लोगों को �कसी बात का भय न हो,

    जहा लोगो को �कसी बात की ल�ा न हो,

    जहा लोग बु��मान न हो,

    और जहाँ लोगो की वृ�� दान धरम करने की ना हो।

    ११ . नौकर की परी�ा तब कर� जब वह क�� �य का पालन न कर रहा हो,

    �र�तेदार की परी�ा तब कर� जब आप मुसीबत मे �घर� हों,

    �म� की परी�ा �वपरीत प�र��थ�तयों मे कर� ,

    और जब आपका व� अ�छा न चल रहा हो तब प�नी की परी�ा करे ।

    १२ . अ�छा �म� वही है जो हमे �न�न�ल�खत प�र��थ�तयों म� नहीं �यागे:

    आव�यकता पड़ने पर,

    �कसी �घ� टना पड़ने पर,

    जब अकाल पड़ा हो,

    जब यु� चल रहा हो,

    जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,

    और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।

    १३ . जो �य�� कसी नाशवंत चीज के �लए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तोउसके हाथ से अ�वनाशी व�तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी

    वह खो देता है।

    १४ . एक बु��मान �य�� को �कसी इ�तदार घर की अ�ववा�हत क�या से �कस वयंग होने केबावजूद भी �ववाह करना चा�हए। उसे �कसी हीन घर की अ�यंत सु�दर �ी से भी �ववाह नहीं करनी

    चा�हए। शादी-�ववाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही िउचत होता है।

    १५ . इन ५ पर कभी �व�ास ना कर� :

    १. न�दयां,

    २. �जन �य��यों के पास अ��-श� हों,

    ३. नाख़ून और सींग वाले पशु,

    ४. औरत� (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )

    ५. राज घरानो के लोगो पर।

    १७ . म�हलाओं म� पु�षों �क अपे�ा:

    भूख दो गुना,

    ल�ा चार गुना,

    साहस छः गुना,

    और काम आठ गुना होती है।

    अ�याय दो

    1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अप�व�ता और �नद� यता ये औरतो केकुछ नैस�ग� क �गु� ण है।

    2.भोजन के यो�य पदाथ� और भोजन करने की �मता, सु�दर �ी और उसे भोगने के �लए काम श��,पया� � धनराशी तथा दान देने की भावना - ऐसे संयोगों का होना सामा�य तप का फल नहीं है।

    ३. उस �य�� ने धरती पर ही �वग� को पा �लया : १. �जसका पु� आ�ांकारी है, २. �जसकी प�नीउसकी इ�छा के अनु�प �य�हार करती है, ३. �जसे अपने धन पर संतोष है।

    ४. पु� वही है जो �पता का कहना मानता हो, �पता वही है जो पु�ों का पालन-पोषण करे , �म� वही है�जस पर आप �व�ास कर सकते हों और प�नी वही है �जससे सुख �ा� हो।

    ५. ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बात� करते ह� , ले�कन आपके पीठ पीछे आपकोबबा� द करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस �वष के घड़े के समान है �जसकी उपरी

    सतह दूध से भरी है।

    ६. एक बुरे �म� पर तो कभी �व�ास ना करे । एक अ�छे �म� पर भी �व�ास ना कर� । �यंू�क य�द ऐसेलोग आपसे �� होते है तो आप के सभी राज से पदा� खोल द� गे।

    ७. मन म� सोंचे �ए काय� को �कसी के सामने �कट न कर� बि�क मनन पूव� क उसकी सुर�ा करते �एउसे काय� म� प�रणत कर द� ।

    ८. मुख� ता �खदायी है, जवानी भी �खदायी है,ले�कन इन सबसे कहीं �यादा �खदायी �कसी �सरेके घर जाकर उसका अहसान लेना है।

    ९. हर पव� त पर मा�ण�य नहीं होते, हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, स�न पु�ष भी हर जगह नहींहोते और हर वन मे च�दन के वृ� भी नहीं होते ह� ।

    १०. बु��मान �पता को अपने पु�ों को शुभ गुणों की सीख देनी चा�हए �यों�क नी�त� और �ानी�य��यों की ही कुल म� पूजा होती है।

    ११. जो माता व् �पता अपने ब�ों को �श�ा नहीं देते है वो तो ब�ों के श�ु के सामान ह� । �यों�क वे�व�ाहीन बालक �व�ानों की सभा म� वैसे ही �तर�कृत �कये जाते ह� जैसे हंसो की सभा मे बगुले।

    १२. लाड-�यार से ब�ों मे गलत आदते ढलती है, उ�ह� कड़ी �श�ा देने से वे अ�छी आदते सीखते है,इस�लए ब�ों को ज�रत पड़ने पर दि�डत कर� , �यादा लाड ना कर� ।

    १३. ऐसा एक भी �दन नहीं जाना चा�हए जब आपने एक �ोक, आधा �ोक, चौथाई �ोक, या �ोकका केवल एक अ�र नहीं सीखा, या आपने दान, अ�यास या कोई प�व� काय� नहीं �कया।

    १४. प�नी का �वयोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा �आ ऋण, �� राजा की सेवाकरना, गरीबी एवं द�र�ों की सभा - ये छह बात� शरीर को �बना अ�� के ही जला देती ह� ।

    १५. नदी के �कनारे वाले वृ�, �सरे �य�� के घर मे जाने अथवा रहने वाली �ी एवं �बना मं��यों काराजा - ये सब �न�य ही शी� न�ट हो जाते ह� ।

    १६. एक �ा�ण का बल तेज और �व�ा है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बलउसकी दौलत मे है तथा एक शु� का बल उसकी सेवा परायणता मे है।

    १७. वे�या को �नध� न �य�� को �याग देना चा�हए, �जा को परा�जत राजा को �याग देना चा�हए,प��यों को फलर�हत वृ� �याग देना चा�हए एवं अ�त�थयों को भोजन करने के प�ात् मेजबान के घर

    से �नकल देना चा�हए।

    १८. �ा�ण द��णा �मलने के प�ात् आपने यजमानो को छोड़ देते है, �व�ान �व�ा �ा�� के बाद गु�को छोड़ जाते ह� और पशु जले �ए वन को �याग देते ह� ।

    १९. जो �य�� �राचारी, कुदृ�� वाले, एवं बुरे �थान पर रहने वाले मनु�य के साथ �म�ता करता है, वहशी� न� हो जाता है।

    २०. �ेम और �म�ता बराबर वालों म� अ�छी लगती है, राजा के यहाँ नौकरी करने वाले को ही स�मान�मलता है, �यवसायों म� वा�ण�य सबसे अ�छा है, अवं उ�म गुणों वाली �ी अपने घर म� सुर��त रहती

    है।

    अ�याय तीन

    1. इस ��नया मे ऐसा �कसका घर है �जस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और �ख सेमु� है.सदा सुख �कसको रहता है?

    २. मनु�य के कुल की �या�त उसके आचरण से होती है, मनु�य के बोल चल से उसके देश की �या�तबढ़ती है, मान स�मान उसके �ेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.

    ३. लड़की का बयाह अ�छे खानदान मे करना चा�हए. पु� को अचछी �श�ा देनी चा�हए, श�ु कोआप�� और क�ों म� डालना चा�हए, एवं �म�ों को धम� कम� म� लगाना चा�हए.

    4. एक �ज� न और एक सप� मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरे गा जब उसकी जान को खतरा होले�कन �ज� न पग पग पर हा�न प�चने की को�शश करे गा .

    ५. राजा लोग अपने आस पास अ�छे कुल के लोगो को इस�लए रखते है �यों�क ऐसे लोग ना आर�भमे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है.

    ६. जब �लय का समय आता है तो समु� भी अपनी मयारदा छोड़कर �कनारों को छोड़ अथवा तोड़जाते है, ले�कन स�न पु�ष �लय के सामान भयंकर आप�� अवं �वप�� म� भी आपनी मया� दा नहीं

    बदलते.

    ७. मूखो� के साथ �म�ता नहीं रखनी चा�हए उ�ह� �याग देना ही उ�चत है, �यों�क ��य� �प से वे दोपैरों वाले पशु के सामान ह� ,जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृ�य

    काँ टा शारीर म� घुसकर छलनी करता है .

    ८. �प और यौवन से स�प� तथा कुलीन प�रवार म� ज�मा लेने पर भी �व�ा हीन पु�ष पलाश के फूलके समान है जो सु�दर तो है ले�कन खुशबु र�हत है.

    ९. कोयल की सु�दरता उसके गायन मे है. एक �ी की सु�दरता उसके अपने �परवार के ��त समप� णमे है. एक बदसूरत आदमी की सु�दरता उसके �ान मे है तथा एक तप�वी की सु�दरता उसकी

    �माशीलता मे है.

    १०. कुल की र�ा के �लए एक सद�य का �बलदान द� ,गाव की र�ा के �लए एक कुल का �बलदान द� ,देश की र�ा के �लए एक गाव का �बलदान द� , आतमा की र�ा के �लए देश का �बलदान द� .

    ११.जो उ�मशील ह� , वे गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छूसकता. जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते. जो जागृत रहते है वो ि◌नभरय होते है.

    12. आ�या�धक सु�दरता के कारन सीताहरण �आ, अ�यंत घमंड के कारन रावन का अंत �आ,अ�य�धक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन म� बंधना पड़ा, अतः सव� � अ�त को �यागना चा�हए.

    १3. श��शाली लोगों के �लए कौनसा काय� क�ठन है ? �यापा�रओं के �लए कौनसा जगह दूर है,�व�ानों के �लए कोई देश �वदेश नहीं है, मधुभा�षयों का कोई श�ु नहीं.

    १४. �जस तरह सारा वन केवल एक ही पु�प अवं सुगंध भरे वृ� से महक जाता है उसी तरह एक हीगुणवान पु� पुरे कुल का नाम बढाता है.

    १५. �जस �कार केवल एक सुखा �आ जलता वृ� स�पूण� वन को जला देता है उसी �कार एक हीकुपु� सरे कुल के मान, मया� दा और ��त�ा को न� कर देता है.

    १६. �व�ान एवं सदाचारी एक ही पु� के कारन स�पूण� प�रवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे च��माके �नकालने पर रा�� जगमगा उठती है.

    १७. ऐसे अनेक पु� �कस काम के जो �ःख और �नराशा पैदा करे . इससे तो वह एक ही पु� अ�छा हैजो समपूणर घर को सहारा और शांि◌त पदान करे .

    १८. पांच साल तक पु� को लाड एवं �यार से पालन करना चा�हए, दस साल तक उसे छड़ी की मार सेडराए. ले�कन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे �म� के समान वयवहार करे .

    १९. वह �य�� सुर��त रह सकता है जो नीचे दी �ई प�र��थ�तयां उ�प� होने पर भाग जाए. १. भयावहआपदा. २. �वदेशी आ�मण ३. भयंकर अकाल ४. �ष �य�� का संग.

    २०. जो �य�� �न�न�ल�खत बाते अ�ज� त नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है. १. धमर २.अथ� ३. काम ४. मो�

    २१. धन की देवी ल��मी �वयं वहां चली आती है जहाँ ... १. मूखो का स�मान नहीं होता. २. अनाजका अचछे से भणडारण ि◌कया जाता है. ३. �पत, प�नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.

    अ�याय चार

    �न�न�ल�खत बात� माता के गभ� म� ही �न��त हो जाती है.... १. �य�� �कतने साल �जयेगा २. वह �कस�कार का काम करे गा ३. उसके पास �कतनी संप�� होगी ४. उसकी मृ�यु कब होगी .

    पु� , �म�, सगे स�ब�धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, ले�कन जो लोग साधुओं का अनुशरणकरते है उनमे भ�� जागृत होती है और उनके उस पु�य से उनका सारा कुल ध�य हो जाता है .

    जैसे मछली दृ�ी से, कछुआ �यान देकर और पंछी �पश� करके अपने ब�ो को पालते है, वैसे हीसंतजन पु�षों की संगती मनु�य का पालन पोषण करती है.

    जब आपका शरीर �व�थ है और आपके �नयं�ण म� है उसी समय आ�मसा�ा�कार का उपाय कर लेनाचा�हए �यों�क मृ�यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.

    �व�ा अज� न करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम म� अमृत �दान करती है. वह �वदेशम� माता के समान र�क अवं �हतकारी होती है. इसी�लए �व�ा को एक गु� धन कहा जाता है.

    सैकड़ों गुणर�हत पु�ों से अ�छा एक गुणी पु� है �यों�क एक च��मा ही रा�� के अ�धकार कोभगाता है, असं�य तारे यह काम नहीं करते.

    एक ऐसा बालक जो ज�मते व�त मृत था, एक मुख� दीघा� यु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक�ण के �लए �ःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को �जंदगी भर �ःख की अ�� म� जलाता है.

    �न�न�ल�खत बाते �य�� को �बना आग के ही जलाती है... १. एक छोटे गाव म� बसना जहा रहने कीसु�वधाए उपल�ध नहीं. २. एक ऐसे �य�� के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल म� पैदा �आ है. ३.अ�वा�थ�वध� क भोजन का सेवन करना. ४. �जसकी प�नी हरदम गु�से म� होती है. ५. �जसको मुख�

    पु� है. ६. �जसकी पु�ी �वधवा हो गयी है.

    वह गाय �कस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो ब�े को ज�म देती है. उसी �कार उस ब�े काज�म �कस काम का जो ना ही �व�ान �आ ना ही भगवान् का भ� �आ.

    जब �य�� जीवन के �ःख से �लसता है उसे �न�न�ल�खत ही सहारा देते है... १. पु� और पु�ी २.प�नी ३. भगवान् के भ�.

    यह बाते एक बार ही होनी चा�हए.. १. राजा का बोलना. २. �ब�ान �य�� का बोलना. ३. लड़की का�याहना.

    जब आप तप करते है तो अकेले करे . अ�यास करते है तो �सरे के साथ करे . गायन करते है तो तीनलोग करे . कृ�ष चार लोग करे . यु� अनेक लोग �मलकर करे .

    वही अ�छी प�नी है जो शु�चपूण� है, पारंगत है, शु� है, प�त को �स� करने वाली है और स�यवादी है.

    �जस �य�� के पु� नहीं है उसका घर उजाड़ है. �जसे कोई स�ब�धी नहीं है उसकी सभी �दशाए उजाड़है. मुख� �य�� का �दय उजाड़ है. �नध� न �य�� का सब कुछ उजाड़ है.

    �जस अ�याि�मक सीख का आचरण नहीं �कया जाता वह जहर है. �जसका पेट ख़राब है उसके �लएभोजन जहर है. �नध� न �य�� के �लए लोगो का �कसी सामा�जक या �य��गत काय� �म म� एक�

    होना जहर है.

    �जस �य�� के पास धम� और दया नहीं है उसे दूर करो. �जस गु� के पास अ�याि�मक �ान नहीं है उसेदूर करो. �जस प�नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. �जन �र�तेदारों के पास �ेम नहीं उ�ह� दूर

    करो.

    सतत �मण करना �य�� को बूढ़ा बना देता है. य�द घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा होजाता है. य�द �ी उसके प�त के साथ �णय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप म� रखने से कपडे

    पुराने हो जाते है.

    इन बातो को बार बार गौर करे ... सही समय सही �म� सही �ठकाना पैसे कमाने के सही साधन पैसेखचा� करने के सही तरीके आपके उजा� �ोत.

    ��ज अ�� म� भगवान् देखते है. भ�ो के �दय म� परमा�मा का वास होता है. जो अ�प म�त के लोग हैवो मू�त� म� भगवान् देखते है. ले�कन जो �यापक दृ�ी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान

    सव� �यापी है.

    पांचवा अ�याय

    �ा�णों को अ�� की पूजा करनी चा�हए . �सरे लोगों को �ा�ण की पूजा करनी चा�हए . प�नी कोप�त की पूजा करनी चा�हए तथा दोपहर के भोजन के �लए जो अ�त�थ आये उसकी सभी को पूजा

    करनी चा�हए

    सोने की परख उसे �घस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह �य�� कापरी�ण वह �कतना �याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका

    �यवहार कैसा है इससे होता है

    य�द आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. ले�कन य�द मुसीबत आ जाती है तो �कसीभी तरह उससे छुटकारा पाए.

    अनेक �य�� जो एक ही गभ� से पैदा �ए है या एक ही न�� म� पैदा �ए है वे एकसे नहीं रहते. उसी�कार जैसे बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते.

    वह �य�� �जसके हाथ �व�छ है काया� लय म� काम नहीं करना चाहता. �जस ने अपनी कामना कोख़तम कर �दया है, वह शारी�रक शंृगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा �आ �य�� है वो मीठे बोल बोल

    नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.

    मूढ़ लोग बु��मानो से इ�या� करते है. गलत माग� पर चलने वाली औरत प�व� �ी से इ�या� करती है.बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इ�या� करती है.

    बुवाई करने वाला �कसान अपने बीजो का नाश करता है. य�द सेनाप�त नहीं है तो सेना का नाशहोता है.

    अ�ज� त �व�ा अ�यास से सुर��त रहती है.

    घर की इ�त अ�छे �यवहार से सुर��त रहती है.

    अ�छे गुणों से इ�तदार आदमी को मान �मलता है.

    �कसीभी �य�� का गु�सा उसकी आँखों म� �दखता है

    .

    धम�ं की र�ा पैसे से होती है.

    �ान की र�ा जमकर आजमाने से होती है.

    राजा से र�ा उसकी बात मानने से होती है.

    घर की र�ा एक द� गृ�हणी से होती है.

    जो वै�दक �ान की �नंदा करते है, शा�्त स�मत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है, शांतीपूण� �वभावके लोगो की मजाक उड़ाते है, �बना �कसी आव�यकता के �ःख को �ा� होते है.

    दान गरीबी को ख़�म करता है. अ�छा आचरण �ःख को �मटाता है. �ववेक अ�ान को न� करता है.जानकारी भय को समा� करती है.

    वासना के समान ��कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई श�ु नहीं. �ोध के समान अ�� नहीं.�व�प �ान के समान कोई बोध नहीं.

    �य�� अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कमो� के शुभ अशुभ प�रणाम अकेले हीभोगता है. अकेले ही नरक म� जाता है या सदग�त �ा� करता है.

    �जसने अपने �व�प को जान �लया उसके �लए �वग� तो �तनके के समान है. एक परा�मी यो�ाअपने जीवन को तु�छ मानता है. �जसने अपनी कामना को जीत �लया उसके �लए �ी भोग का

    �वषय नहीं. उसके �लए स�पूण� ��ा�ड तु�छ है �जसके मन म� कोई आस�� नहीं.

    जब आप सफ़र पर जाते हो तो �व�ाज� न ही आपका �म� है. घर म� प�नी �म� है. बीमार होने पर दवा�म� है. अ�ज� त पु�य मृ�यु के बाद एकमा� �म� है.

    समु� म� होने वाली वषा� �यथ� है. �जसका पेट भरा �आ है उसके �लए अ� �यथ� है. पैसे वाले आदमीके �लए भेट व�तु का कोई अथ� नहीं. �दन के समय जलता �दया �यथ� है.

    वषा� के जल के समान कोई जल नहीं. खुदकी श�� के समान कोई श�� नहीं. ने� �यो�त के समानकोई �काश नहीं. अ� से बढ़कर कोई संप�� नहीं.

    �नध� न को धन की कामना. पशु को वाणी की कामना. लोगो को �वग� की कामना. देव लोगो कोमु�� की कामना.

    स�य की श�� ही इस ��नया को धारण करती है. स�य की श�� से ही सूय� �काशमान है, हवाएचलती है, सही म� सब कुछ स�य पर आ��त है.

    ल��मी जो संप�� की देवता है, वह चंचला है. हमारी �ास भी चंचला है. हम �कतना समय �जय� गेइसका कोई �ठकाना नहीं. हम कहा रह� गे यह भी प�ा नहीं. कोई बात यहाँ पर प�ी है तो यह है की

    हमारा अ�ज� त पु�य �कतना है.

    आद�मयों म� नाई सबसे धूत� है. कौवा प�ीयों म� धूत� है. लोमड़ी �ाणीयो म� धूत� है. औरतो म� ल�पटऔरत सबसे धूत� है.

    ये सब आपके �पता है...१. �जसने आपको ज�म �दया. २. �जसने आपका य�ोप�वत सं�कार �कया. ३.�जसने आपको पढाया. ४. �जसने आपको भोजन �दया. ५. �जसने आपको भयपूण� प�र��थ�तयों म�

    बचाया.

    अ�याय छह

    �वण करने से धम�ं का �ान होता है, �ेष दूर होता है, �ान की �ा�� होती है और माया की आस��से मु�� होती है.

    प�ीयों म� कौवा नीच है. पशुओ म� कु�ा नीच है. जो तप�वी पाप करता है वो �घनौना है. ले�कन जोदूसरो की �नंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है.

    राख से �घसने पर पीतल चमकता है . ता�बा इमली से साफ़ होता है. औरते �दर से शु� होती है. नदीबहती रहे तो साफ़ रहती है.

    राजा, �ा�ण और तप�वी योगी जब �सरे देश जाते है, तो आदर पाते है. ले�कन औरत य�द भटकजाती है तो बबा� द हो जाती है.

    धनवान �य�� के कई �म� होते है. उसके कई स�ब�धी भी होते है. धनवान को ही आदमी कहाजाता है और पैसेवालों को ही पं�डत कह कर नवाजा जाता है.

    सव� श��मान के इ�छा से ही बु�� काम करती है, वही कमो� को �नयं�ीत करता है. उसी की इ�छा सेआस पास म� मदद करने वाले आ जाते है.

    काल सभी जीवो को �नपुणता �दान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागतारहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.

    जो ज�म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते.अहंकारी �य�� को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है

    उनको उनके कमो� म� कोई पाप �दखाई नहीं देता.

    जीवा�मा अपने कम� के माग� से जाता है. और जो भी भले बुरे प�रणाम कमो� के आते है उ�ह� भोगता है.अपने ही कमो� से वह संसार म� बंधता है और अपने ही कमो� से ब�धनों से छूटता है.

    राजा को उसके नाग�रको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पापलगते है. प�त को प�नी के पाप लगते है. गु� को उसके �श�यों के पाप लगते है.

    अपने ही घर म� �य�� के ये श�ु हो सकते है... उसका बाप य�द वह हरदम कज� म� डूबा रहता है.उसकी माँ य�द वह �सरे पु�ष से संग करती है. सु�दर प�नी वह लड़का �जसने �श�ा �ा� नहीं की.

    एक लालची आदमी को भेट वा�तु दे कर संतु� करे . एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतु� करे .एक मुख� को स�मान देकर संतु� करे . एक �व�ान् आदमी को सच बोलकर संतु� करे .

    एक बेकार रा�य का राजा होने से यह बेहतर है की �य�� �कसी रा�य का राजा ना हो. एक पापी का�म� होने से बेहतर है की �बना �म� का हो. एक मुख� का गु� होने से बेहतर है की �बना �श�य वाला

    हो. एक बुरीं प�नी होने से बेहतर है की �बना प�नी वाला हो.

    एक बेकार रा�य म� लोग सुखी कैसे हो? एक पापी से �कसी शाि�त की �ा�� कैसे हो? एक बुरी प�नीके साथ घर म� कौनसा सुख �ा� हो सकता है. एक नालायक �श�य को �श�ा देकर कैसे की�त�

    �ा� हो?

    शेर से एक बात सीखे. बगुले से एक. मुगे� से चार. कौवे से पाच. कु�े से छह. और गधे से तीन.

    शेर से यह ब�ढ़या बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एक�दली से और जबरद�त �यास सेकरे .

    बु��मान �य�� अपने इि��यों को बगुले की तरह वश म� करते �ए अपने ल��य को जगह, समय औरयो�यता का पूरा �यान रखते �ए पूण� करे .

    मुगे� से हे चार बाते सीखे... १. सही समय पर उठे. २. नीडर बने और लढ़े. ३. संप�� का �र�तेदारों सेउ�चत बटवारा करे . ४. अपने क� से अपना रोजगार �ा� करे .

    कौवे से ये पाच बाते सीखे... १. अपनी प�नी के साथ एकांत म� �णय करे . २. नीडरता ३. उपयोगीव�तुओ का संचय करे . ४. सभी ओर दृ�ी घुमाये. ५. �सरो पर आसानी से �व�ास ना करे .

    कु�े से ये बाते सीखे १. ब�त भूख हो पर खाने को कुछ ना �मले या कम �मले तो भी संतोष करे . २.गाढ़ी नींद म� हो तो भी �ण म� उठ जाए. ३. अपने �वामी के ��त बे�हचक इमानदारी रखे ४. नीडरता.

    गधे से ये तीन बाते सीखे. १. अपना बोझा ढोना ना छोड़े. २. सदी� गमी� की �चंता ना करे . ३. सदा संतु�रहे.

    जो �य�� इन बीस गुणों पर अमल करे गा वह जो भी करे गा सफल होगा.

    अ�याय सात

    एक बु��मान �य�� को �न�न�ल�खत बात� �कसी को नहीं बतानी चा�हए .. १. की उसकी दौलत खोचुकी है. २. उसे �ोध आ गया है. ३. उसकी प�नी ने जो गलत �यवहार �कया. ४. लोगो ने उसे जो

    गा�लया दी. ५. वह �कस �कार बेइ�त �आ है.

    जो �य�� आ�थ� क �यवहार करने म� , �ान अज� न करने म� , खाने म� और काम-धंदा करने म� शमा� तानहीं है वो सुखी हो जाता है.

    जो सुख और शां�त का अनुभव �व�प �ान को �ा� करने से होता है, वैसा अनुभव जो लोभी लोगधन के लोभ म� यहाँ वहा भटकते रहते है उ�ह� नहीं होता.

    �य�� नीचे दी �ए ३ चीजो से संतु� रहे... १. खुदकी प�नी २. वह भोजन जो �वधाता ने �दान �कया.३. उतना धन �जतना इमानदारी से �मल गया.

    ले�कन �य�� को नीचे दी �ई ३ चीजो से संतु� नहीं होना चा�हए... १. अ�यास २. भगवान् का नाम�मरण. ३. परोपकार

    इन दोनों के म�य से कभी ना जाए.. १. दो �ा�ण. २. �ा�ण और उसके य� म� जलने वाली अ��. ३.प�त प�नी. ४. �वामी और उसका चाकर. ५. हल और बैल.

    अपना पैर कभी भी इनसे न छूने दे...१. अ�� २. अ�याि�मक गु� ३. �ा�ण ४. गाय ५. एक कुमा�रका६. एक उ� म� बड़ा आदमी. ५. एक ब�ा.

    हाथी से हजार गज की �री रखे. घोड़े से सौ की. �संग वाले जानवर से दस की. ले�कन �� जहा होउस जगह से ही �नकल जाए.

    हाथी को अंकुश से �नयं��त करे . घोड़े को थप थपा के. �संग वाले जानवर को डंडा �दखा के. एकबदमाश को तलवार से.

    �ा�ण अ�छे भोजन से तृ� होते है. मोर मेघ गज� ना से. साधू �सरो की स�प�ता देखकर और ���सरो की �वपदा देखकर.

    एक श��शाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करे . एक �� का ��तकार करे . और�जनकी श�� आपकी श�� के बराबर है उनसे समझौता �वन�ता से या कठोरता से करे .

    एक राजा की श�� उसकी श��शाली भुजाओ म� है. एक �ा�ण की श�� उसके �व�प �ान म� है.एक �ी की श�� उसकी सु�दरता, ता��य और मीठे वचनों म� है.

    अपने �यवहार म� ब�त सीधे ना रहे. आप य�द वन जाकर देखते है तो पाय� गे की जो पेड़ सीधे उगे उ�ह�काट �लया गया और जो पेड़ आड़े �तरछे है वो खड़े है.

    हंस वहा रहते है जहा पानी होता है. पानी सूखने पर वे उस जगह को छोड़ देते है. आप �कसी आदमीको ऐसा �यवहार ना करने दे की वह आपके पास आता जाता रहे.

    सं�चत धन खच� करने से बढ़ता है. उसी �कार जैसे ताजा जल जो अभी आया है बचता है, य�द पुराने��थर जल को �नकल बहार �कया जाये.

    वह �य�� �जसके पास धन है उसके पास �म� और स�ब�धी भी बहोत रहते है. वही इस ��नया म��टक पाता है और उसीको इ�त �मलती है.

    �वग� म� �नवास करने वाले देवता लोगो म� और धरती पर �नवास करने वाले लोगो म� कुछ सा�य पायाजाता है. उनके समान गुण है १. परोपकार २. मीठे वचन ३. भगवान् की आराधना. ४. �ा�णों के

    ज�रतों की पू�त� .

    नरक म� �नवास करने वाले और धरती पर �नवास करने वालो म� सा�यता - १. अ�या�धक �ोध २.कठोर वचन ३. अपने ही संबं�धयों से श�ुता ४. नीच लोगो से मै�ी ५. हीन हरकते करने वालो की

    चाकरी.

    य�द आप शेर की गुफा म� जाते हो तो आप को हाथी के माथे का म�ण �मल सकता है. ले�कन य�दआप लोमड़ी जहा रहती है वहा जाते हो तो बछड़े की पूछ या गधे की ह�ी के अलावा कुछ नहीं

    �मलेगा.

    एक अनपढ़ आदमी की �जंदगी �कसी कु�े की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इ�त हीढकती है और ना ही कीड़े म��खयों को भागने के काम आती है.

    य�द आप �द�यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इि��यों म� शु�ता होनी चा�हए. उसी �कारआपके �दय म� क�णा होनी चा�हए.

    �जस �कार एक फूल म� खुशबु है. तील म� तेल है. लकड़ी म� अ�� है. दूध म� घी है. ग�े म� गुड है. उसी�कार य�द आप ठीक से देखते हो तो हर �य�� म� परमा�मा है.

    अ�याय आठ

    नीच वग� के लोग दौलत चाहते है, म�यम वग� के दौलत और इ�त, ले�कन उ� वग� के लोग स�मानचाहते है �यों की स�मान ही उ� लोगो की असली दौलत है.

    दीपक अँधेरे का भ�ण करता है इसी�लए काला धुआ बनाता है. इसी �कार हम �जस �कार काअ� खाते है. माने साि�वक, राज�सक, ताम�सक उसी �कार के �वचार उ�प� करते है.

    हे �व�ान् पु�ष ! अपनी संप�� केवल पा� को ही दे और दूसरो को कभी ना दे. जो जल बादल कोसमु� देता है वह बड़ा मीठा होता है. बादल वषा� करके वह जल पृ�वी के सभी चल अचल जीवो को

    देता है और �फर उसे समु� को लौटा देता है.

    �व�ान् लोग जो त��व को जानने वाले है उ�होंने कहा है की मास खाने वाले चांडालो से हजार गुनानीच है. इस�लए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं.

    शरीर पर मा�लश करने के बाद, �मशान म� �चता का धुआ शरीर पर आने के बाद, स�भोग करने केबाद, दाढ़ी बनाने के बाद जब तक आदमी नहा ना ले वह चांडाल रहता है.

    जल अपच की दवा है. जल चैत�य �नमा� ण करता है, य�द उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है. पानीको भोजन के बाद तुरंत पीना �वष �पने के समान है.

    य�द �ान को उपयोग म� ना लाया जाए तो वह खो जाता है. आदमी य�द अ�ानी है तो खो जाता है.सेनाप�त के �बना सेना खो जाती है. प�त के �बना प�नी खो जाती है.

    वह आदमी अभागा है जो अपने बुढ़ापे म� प�नी की मृ�यु देखता है. वह भी अभागा है जो अपनीस�पदा संबं�धयों को सौप देता है. वह भी अभागा है जो खाने के �लए �सरो पर �नभ� र है.

    यह बाते बेकार है. वेद मं�ो का उ�ारण करना ले�कन �न�हत य� कमो� को ना करना. य� करनाले�कन बाद म� लोगो को दान दे कर तृ� ना करना. पूण� ता तो भ�� से ही आती है. भ�� ही सभी

    सफलताओ का मूल है.

    एक संय�मत मन के समान कोई तप नहीं. संतोष के समान कोई सुख नहीं. लोभ के समान कोई रोगनहीं. दया के समान कोई गुण नहीं.

    �ोध सा�ात् यम है. तृ�णा नरक की और ले जाने वाली वैतरणी है. �ान कामधेनु है. संतोष ही तोनंदनवन है.

    नी�त की उ�मता ही �य�� के सौंदय� का गहना है. उ�म आचरण से �य�� उ�रो�र ऊँचे लोक म�जाता है. सफलता ही �व�ा का आभूषण है. उ�चत �व�नयोग ही संप�� का गहना है.

    �न�त �� होने से सु�दरता का नाश होता है. हीन आचरण से अ�छे कुल का नाश होता है. पूण� ता नआने से �व�ा का नाश होता है. उ�चत �व�नयोग के �बना धन का नाश होता है.

    जो जल धरती म� समां गया वो शु� है. प�रवार को सम�प� त प�नी शु� है. लोगो का क�याण करनेवाला राजा शु� है. वह �ा�ण शु� है जो संतु� है.

    असंतु� �ा�ण, संतु� राजा, ल�ा रखने वाली वे�या, कठोर आचरण करने वाली गृ�हणी ये सभी लोग�वनाश को �ा� होते है.

    �या करना उचे कुल का य�द बु��म�ा ना हो. एक नीच कुल म� उ�प� होने वाले �व�ान् �य�� कास�मान देवता भी करते है.

    �व�ान् �य�� लोगो से स�मान पाता है. �व�ान् उसकी �व��ा के �लए हर जगह स�मान पाता है. यह�बलकुल सच है की �व�ा हर जगह स�मा�नत है.

    जो लोग �दखने म� सु�दर है, जवान है, ऊँचे कुल म� पैदा �ए है, वो बेकार है य�द उनके पास �व�ा नहींहै. वो तो पलाश के फूल के समान है जो �दखते तो अ�छे है पर महकते नहीं.

    यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है, जो मास खाते है, दा� पीते है, बेवकूफ है, वे सब तोआदमी होते �ए पशु ही है.

    उस य� के समान कोई श�ु नहीं �जसके उपरांत लोगो को बड़े पैमाने पर भोजन ना कराया जाए. ऐसाय� रा�यों को ख़तम कर देता है. य�द पुरो�हत य� म� ठीक से उ�ारण ना करे तो य� उसे ख़तम करदेता है. और य�द यजमान लोगो को दान एवं भेटव�तू ना दे तो वह भी य� �ारा ख़तम हो जाता है.

    अ�याय नौ

    तात, य�द तुम ज�म मरण के च� से मु� होना चाहते हो तो �जन �वषयो के पीछे तुम इि��यों कीसंतु�� के �लए भागते �फरते हो उ�ह� ऐसे �याग दो जैसे तुम �वष को �याग देते हो. इन सब को छोड़कर

    हे तात �त�त�ा, ईमानदारी का आचरण, दया, शु�चता और स�य इसका अमृत �पयो.

    वो कमीने लोग जो दूसरो की गु� खा�मयों को उजागर करते �ए �फरते है, उसी तरह न� हो जाते है�जस तरह कोई साप ची�टयों के टीलों म� जा कर मर जाता है.

    शायद �कसीने ��ाजी, जो इस सृ�� के �नमा� ता है, को यह सलाह नहीं दी की वह ... सुवण� कोसुगंध �दान करे . ग�े के झाड को फल �दान करे . च�दन के वृ� को फूल �दान करे . �व�ान् को धन

    �दान करे . राजा को ल�बी आयु �दान करे .

    अमृत सबसे ब�ढ़या औष�ध है. इि��य सुख म� अ�छा भोजन सव� �े� सुख है. ने� सभी इि��यों म� �े�है. म�तक शरीर के सभी भागो मे �े� है.

    कोई संदेशवाहक आकाश म� जा नहीं सकता और आकाश से कोई खबर आ नहीं सकती. वहा रहनेवाले लोगो की आवाज सुनाई नहीं देती. और उनके साथ कोई संपक� नहीं हो सकता. इसी�लए वह

    �ा�ण जो सूय� और च�� �हण की भ�व�य वाणी करता है, उसे �व�ान मानना चा�हए.

    इन सातो को जगा दे य�द ये सो जाए... १. �व�ाथी� २. सेवक ३. प�थक ४. भूखा आदमी ५. डरा �आआदमी ६. खजाने का र�क ७. खजांची

    इन सातो को नींद से नहीं जगाना चा�हए... १. साप २. राजा ३. बाघ ४. डंख करने वाला कीड़ा ५.छोटा ब�ा ६. �सरो का कु�ा ७. मुख�

    �ज�होंने वेदों का अ�ययन पैसा कमाने के �लए �कया और जो नीच काम करने वाले लोगो का �दया�आ अ� खाते है उनके पास कौनसी श�� हो सकती है. वो ऐसे भुजंगो के समान है जो दंश नहीं कर

    सकते.

    �जसके डाटने से सामने वाले के मन म� डर नहीं पैदा होता और �स� होने के बाद जो सामने वाले कोकुछ देता नहीं है. वो ना �कसी की र�ा कर सकता है ना �कसी को �नयं��त कर सकता है. ऐसा

    आदमी भला �या कर सकता है.

    य�द नाग अपना फना खड़ा करे तो भले ही वह जहरीला ना हो तो भी उसका यह करना सामने वालेके मन म� डर पैदा करने को पया� � है. यहाँ यह बात कोई माइना नहीं रखती की वह जहरीला है की

    नहीं.

    सुबह उठकर �दन भर जो दाव आप लगाने वाले है उसके बारे म� सोचे. दोपहर को अपनी माँ को यादकरे . रात को चोरो को ना भूले.

    आपको इ�� के समान वैभव �ा� होगा य�द आप.. अपने भगवान् के गले की माला अपने हाथो सेबनाये. अपने भगवान् के �लए च�दन अपने हाथो से �घसे. अपने हाथो से प�व� �ंथो को �लखे.

    गरीबी पर धैय� से मात करे . पुराने व�ो को �व�छ रखे. बासी अ� को गरम करे . अपनी कु�पता परअपने अ�छे �यवहार से मात करे .

    अ�याय दस

    �जसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल म� रहीस है, य�द उसके पास �व�ा है. ले�कन�जसके पास �व�ा नहीं है वह तो सब �कार से �नध� न है.

    हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना �आ जल �पए. हम वही बात बोले जो शा�स�मत है. हम वही काम करे �जसके बारे हम सावधानीपुव� क सोच चुके है.

    �जसे अपने इि��यों की तु�� चा�हए, वह �व�ा अज� न करने के सभी �वचार भूल जाए. और �जसे �ानचा�हए वह अपने इि��यों की तु�� भूल जाये. जो इि��य �वषयों म� लगा है उसे �ान कैसा, और �जसे

    �ान है वह �यथ� की इि��य तु�� म� लगा रहे यह संभव नहीं.

    वह �या है जो कवी क�पना म� नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है �जसे करने म� औरत स�म नहींहै. ऐसी कौनसी बकवास है जो दा� �पया �आ आदमी नहीं करता. ऐसा �या है जो कौवा नहीं खाता.

    �नय�त एक �भखारी को राजा और राजा को �भखारी बनाती है. वह एक अमीर आदमी को गरीब औरगरीब को अमीर.

    �भखारी यह कंजूस आदमी का ��मन है. एक अ�छा सलाहकार एक मुख� आदमी का श�ु है. वहप�नी जो पर पु�ष म� ��च रखती है, उसके �लए उसका प�त ही उसका श�ु है. जो चोर रात को काम

    करने �नकलता है, च��मा ही उसका श�ु है.

    �जनके पास यह कुछ नहीं है... �व�ा. तप. �ान. अ�छा �वभाव. गुण. दया भाव. ...वो धरती पर मनु�यके �प म� घुमने वाले पशु है. धरती पर उनका भार है.

    �जनके भेजे खाली है, वो कोई उपदेश नहीं समझते. य�द बास को मलय पव� त पर उगाया जाये तो भीउसमे च�दन के गुण नहीं आते.

    �जसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शा� �या भलाई कर� गे. एक अँधा आदमी आयने का �याकरे गा.

    एक बुरा आदमी सुधर नहीं सकता. आप पृ� भाग को चाहे �जतना साफ़ करे वो �े� भागो कीबराबरी नहीं कर सकता.

    अपने �नकट संबं�धयों का अपमान करने से जान जाती है. �सरो का अपमान करने से दौलत जातीहै. राजा का अपमान करने से सब कुछ जाता है. एक �ा�ण का अपमान करने से कुल का नाश हो

    जाता है.

    यह बेहतर है की आप जंगल म� एक झाड के नीचे रहे, जहा बाघ और हाथी रहते है, उस जगह रहकरआप फल खाए और जलपान करे , आप घास पर सोये और पुराने पेड़ो की खाले पहने. ले�कन आप

    अपने सगे संबं�धयों म� ना रहे य�द आप �नध� न हो गए है.

    �ा�ण एक वृ� के समान है. उसकी �ाथ� ना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वहीउसकी शाखाए है. वह जो पु�य कम� करता है वही उसके प�े है. इसी�लए उसने अपने मूल को

    बचाना चा�हए. य�द मूल न� हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और प�े भी.

    ल��मी मेरी माता है. �व�णु मेरे �पता है. वै�णव जन मेरे सगे स�ब�धी है. तीनो लोक मेरा देश है.

    रा�� के समय �कतने ही �कार के पंछी वृ� पर �व�ाम करते है. भोर होते ही सब पंछी दसो �दशाओम� उड़ जाते है. हम �यों भला �ःख करे य�द हमारे अपने हम� छोड़कर चले गए.

    �जसके पास म� �व�ा है वह श��शाली है. �नबु� � पु�ष के पास �या श�� हो सकती है? एक छोटाखरगोश भी चतुराई से मदम�त हाथी को तालाब म� �गरा देता है.

    हे �व��भर तू सबका पालन करता है. मै मेरे गुजारे की �यों �चंता क� जब मेरा मन तेरी म�हमा गानेम� लगा �आ है. आपके अनु�ह के �बना एक माता की छाती से दूध नहीं बह सकता और �शशु कापालन नहीं हो सकता. मै हरदम यही सोचता �आ, हे य� वं�शयो के �भु, हे ल��मी प�त, मेरा पूरा

    समय आपकी ही चरण सेवा म� खच� करता हू.

    अ�याय �यारह

    उदारता, वचनों म� मधुरता, साहस, आचरण म� �ववेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल म� होनीचा�हए.

    जो अपने समाज को छोड़कर �सरे समाज को जा �मलता है, वह उसी राजा की तरह न� हो जाता हैजो अधम� के माग� पर चलता है.

    हाथी का शरीर �कतना �वशाल है ले�कन एक छोटे से अंकुश से �नयं��त हो जाता है. एक �दया घनेअ�धकार का नाश करता है, �या अँधेरे से �दया बड़ा है. एक कड़कती �ई �बजली एक पहाड़ कोतोड़ देती है, �या �बजली पहाड़ �जतनी �वशाल है. जी नहीं. �बलकुल नहीं. वही बड़ा है �जसकी

    श�� छा जाती है. इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार �कतना है.

    जो घर गृह�थी के काम म� लगा रहता है वह कभी �ान �ा� नहीं कर सकता. मॉस खाने वाले के�दय म� दया नहीं हो सकती. लोभी �य�� कभी स�य भाषण नहीं कर सकता. और एक �शकारी म�

    कभी शु�ता नहीं हो सकती.

    एक �� �य�� म� कभी प�व�ता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जैसे समझा लो. नीम का वृ� कभीमीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी �शखा से मूल तक घी और श�र �छड़क दे.

    आप चाहे सौ बार प�व� जल म� �नान करे , आप अपने मन का मैल नहीं धो सकते. उसी �कार �जस�कार म�दरा का पा� प�व� नहीं हो सकता चाहे आप उसे गरम करके सारी म�दरा की भाप बना दे.

    इसम� कोई आ�य� नहीं की �य�� उन बातो के ��त अनुदगार कहता है �जसका उसे कोई �ान नहीं.उसी �कार जैसे एक जंगली �शकारी की प�नी हाथी के सर का म�ण फेककर गंूजे की माला धारण

    करती है.

    जो �य�� एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का �यान करे गा और मुह से कुछ नहीं बोलेगाउसे एक हजार करोड़ वष� तक �वग� लोक की �ा�� होगी.

    एक �व�ाथी� पूण� �प से �न�न �ल�खत बातो का �याग करे . १. काम २. �ोध ३. लोभ ४. �वा�द�भोजन की अपे�ा. ५. शरीर का शंृगार ६. अ�या�धक �ज�ासा ७. अ�धक �न�ा ८. शरीर �नवा� ह के

    �लए अ�या�धक �यास.

    वही सही म� �ा�ण है जो केवल एक बार के भोजन से संतु� रहे, �जस पर १६ सं�कार �कये गए हो,जो अपनी प�नी के साथ महीने म� केवल एक �दन समागम करे . माहवारी समा� होने के �सरे �दन.

    वह �ा�ण जो �कानदारी म� लगा है, असल म� वै�य ही है.

    �न�न �तर के लोगो से �जस �यवसाय म� संपक� आता है, वह �यवसाय �ा�ण को शु� बना देता है.

    वह �ा�ण जो �सरो के काम म� अड़ंगे डालता है, जो द�भी है, �वाथी� है, धोखेबाज है, �सरो से घृणाकरता है और बोलते समय मुह म� �मठास और �दय म� �ूरता रखता है, वह एक �ब�ी के समान है.

    एक �ा�ण जो तालाब को, कुए को, टाके को, बगीचे को और मं�दर को न� करता है, वह �ले�छ है.

    वह �ा�ण जो भगवान् के मू�त� की स�पदा चुराता है और वह अ�याि�मक गु� जो �सरे की प�नी केसाथ समागम करता है और जो अपना गुजारा करने के �लए कुछ भी और सब कुछ खाता है वह

    चांडाल है.

    एक गुणवान �य�� को वह सब कुछ दान म� देना चा�हए जो उसकी आव�यकता से अ�धक है.केवल दान के कारण ही कण� , बाली और राजा �व�मा�द�य आज तक चल रहे है. दे�खये उन मधुम��खयों को जो अपने पैर �खे से धारती पर पटक रही है. वो अपने आप से कहती है " आ�खर म�सब चला ही गया. हमने हमारे शहद को जो बचा कर रखा था, ना ही दान �दया और ना ही खुद

    खाया. अभी एक पल म� ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया."

    अ�याय बारह

    वह गृह�थ भगवान् की कृपा को पा चुका है �जसके घर म� आनंददायी वातावरण है. �जसके ब�ेगुणी है. �जसकी प�नी मधुर वाणी बोलती है. �जसके पास अपनी ज�रते पूरा करने के �लए पया� �धन है. जो अपनी प�नी से सुखपूण� स�ब�ध रखता है. �जसके नौकर उसका कहा मानते है. �जसकेघर म� मेहमान का �वागत �कया जाता है. �जसके घर म� मंगल दायी भगवान की पूजा रोज की जातीहै. जहा �वाद भरा भोजन और पान �कया जाता है. �जसे भगवान् के भ�ो की संगती म� आनंद आताहै. जो एक संकट का सामना करने वाले �ा�ण को भ�� भाव से अ�प दान देता है उसे बदले म�

    �वपुल लाभ होता है.

    वे लोग जो इस ��नया म� सुखी है. जो अपने संबं�धयों के ��त उदार है. अनजाने लोगो के ��त स�दयहै. अ�छे लोगो के ��त �ेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूत� ता पूण� �यवहार करते है. �व�ानों से कुछनहीं छुपाते. ��मनों के सामने साहस �दखाते है. बड़ो के ��त �वन� और प�नी के ��त स�त है.

    अरे लोमड़ी !!! उस �य�� के शरीर को तुरंत छोड़ दे. �जसके हाथो ने कोई दान नहीं �दया. �जसकेकानो ने कोई �व�ा �हण नहीं की. �जसके आँखों ने भगवान् का स�ा भ� नहीं देखा. �जसके पाँ वकभी तीथ� �े�ो म� नहीं गए. �जसने अधम� के माग� से कमाए �ए धन से अपना पेट भरा. और �जसने�बना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा रखा है. अरे लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दू�षत हो जाएगी.

    �ध�ार है उ�ह� �ज�ह� भगवान् �ी कृ�ण जो माँ यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो म� कोई भ��नहीं. मृदंग की �व�न �धक् तम �धक् तम करके ऐसे लोगो का �ध�ार करती है.

    बसंत ऋतू �या करे गी य�द बास पर प�े नहीं आते. सूय� का �या दोष य�द उ�ू �दन म� देख नहींसकता. बादलो का �या दोष य�द बा�रश की बंूदे चातक प�ी की चोच म� नहीं �गरती. उसे कोई कैसे

    बदल सकता है जो �कसी के मूल म� है.

    एक �� के मन म� स�णों का उदय हो सकता है य�द वह एक भ� से स�संग करता है. ले�कन ��का संग करने से भ� दू�षत नहीं होता. जमीन पर जो फूल �गरता है उससे धरती सुगि�धत होती है

    ले�कन पु�प को धरती की गंध नहीं लगती.

    उसका सही म� क�याण हो जाता है �जसे भ� के दश� न होते है. भ� म� तुरंत शु� करने की �मता है.प�व� �े� म� तो ल�बे समय के संपक� से शु�� होती है.

    एक अजनबी ने एक �ा�ण से पूछा. "बताइए, इस शहर म� महान �या है?". �ा�ण ने जवाब �दया कीखजूर के पेड़ का समूह महान है. अजनबी ने सवाल �कया की यहाँ दानी कौन है? जवाब �मला केवह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है. �� �आ यहाँ सबसे का�बल कौन है.जवाब �मला यहाँ हर कोई �सरे का ��य और दारा हरण करने म� का�बल है. �� �आ की आप ऐसी

    जगह रह कैसे लेते हो? जवाब �मला की जैसे एक कीड़ा एक �ग� �ध यु� जगह पर रहता है.

    वह घर जहा �ा�णों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वै�दक मं�ो का जोर से उ�ारण नहींहोता. और जहा भगवान् को और �पतरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक �मशान है.

    स�य मेरी माता है. अ�याि�मक �ान मेरा �पता है. धमा� चरण मेरा बंधू है. दया मेरा �म� है. भीतर कीशां�त मेरी प�नी है. �मा मेरा पु� है. मेरे प�रवार म� ये छह लोग है.

    हमारे शारीर न�र है. धन म� तो कोई �थायी भाव नहीं है. ��यु हरदम हमारे �नकट है. इसी�लए हम�तुरंत पु�य कम� करने चा�हए.

    �ा�णों को �वा�द� भोजन म� आनंद आता है. गायो को ताज़ी कोमल घास खाने म� . प�नी को प�त केसा���य म� . ���यो को यु� म� आनंद आता है.

    जो �सरे के प�नी को अपनी माता मानता है, �सरे को धन को �मटटी का ढेला, �सरे के सुख �ःखको अपने सुख �ःख. उसी को सही दृ�ी �ा� है और वही �व�ान है.

    भगवान राम म� ये सब गुण है. १. स�णों म� �ीती. २. मीठे वचन ३. दान देने की ती� इ�छा श��. ४.�म�ो के साथ कपट र�हत �यवहार. ५. गु� की उप��थ�त म� �वन�ता ६. मन की गहरी शाि�त. ६. शु�आचरण ७. गुणों की परख ८. शा� के �ान की अनुभू�त ८. �प की सु�दरता ९. भगवत भ��.

    क�प त� तो एक लकड़ी ही है. सुवण� का सुमेर पव� त तो �न�छल है. �चंता म�ण तो एक प�थर है. सूय�म� ताप है. च��मा तो घटता बढ़ता रहता है. अमया� द समु� तो खारा है. काम देव का तो शरीर ही जलगया. महाराज ब�ल तो रा�स कुल म� पैदा �ए. कामधेनु तो पशु ही है. भगवान् राम के समान कौन है.

    �व�ा सफ़र म� हमारा �म� है. प�नी घर पर �म� है. औष�ध ��ण �य�� की �म� है. मरते व� तो पु�यकम� ही �म� है.

    राज प�रवारों से �श�ाचार सीखे. पं�डतो से बोलने की कला सीखे. जुआ�रयो से झूट बोलना सीखे.एक औरत से छल सीखे.

    �बना सोचे समझे खच� करने वाला, नटखट ब�ा �जसे अपना घर नहीं, झगड़े पर आमदा आदमी,अपनी प�नी को �ल� ��त करने वाला, जो अपने आचरण पर �यान नहीं देता है. ये सब लोग ज�दी ही

    बबा� द हो जाय� गे.

    एक �व�ान �य�� ने अपने भोजन की �चंता नहीं करनी चा�हए. उसे �सफ� अपने धम� को �नभाने की�चंता होनी चा�हए. हर �य�� का भोजन पर ज�म से ही अ�धकार है.

    �जसे दौलत, अनाज और �व�ा अ�ज� त करने म� और भोजन करने म� शम� नहीं आती वह सुखी रहताहै.

    बंूद बंूद से सागर बनता है. इसी तरह बंूद बंूद से �ान, गुण और संप�� �ा� होते है.

    जो �य�� अपने बुढ़ापे म� भी मुख� है वह सचमुच ही मुख� है. उसी �कार �जस �कार इ�� व�ण काफल �कतना भी पके मीठा नहीं होता.

    अ�याय तेरह

    य�द आदमी एक पल के �लए


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