अयाय - chanakya-drishti.firebaseapp.com › chanakya-niti-in-hindi.pdf · अयाय...

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अयाय एक . तीनो लोको के वामी सव शमान भगवान वणु को नमन करते मै एक राय के लए नीत शा के सां तों को कहता हूँ . मै यह सू अनेक शाों का आधार ले कर कह रहा हूँ। 2. जो शाों के सू ों का अयास करके ान हण कर े गा उसे अयं त वैभवशाली कत य के सां त ात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कन बातों का अनुशरण करना चाहए और कनका नहीं । उसे अछाई और बुराई का भी ात होगा और अं ततः उसे सवो म का भी ान होगा। . इसलए लोगो का भला करने के लए मै उन बातों को कहूं गा जनसे लोग सभी चीजों को सही परपेय मे देखेगे। . एक पं डत भी घोर जाता है यद वह कसी मु ख को उपदेश देता है , यद वह एक पनी का पालन-पोषण करता है या कसी खी के साथ अतयं त घन सबध बना लेता है . . पनी, झूठा , बदमाश नौकर और सप के साथ नवास साात् मृ यु के समान है। . को आने वाली मुसीबतो से नबटने के लए धन सं चय करना चाहए। उसे धन-सपदा यागकर भी पनी की सुरा करनी चाहए। लेकन यद आमा की सुरा की बात आती है तो उसे धन और पनी दोनो को तुय समझना चाहए। .भवय आने वाली मुसीबतो के लए धन एकत कर ऐसा ना सोच की धनवान को मुसीबत कै सी? जब धन साथ छोड़ता है तो सं गठत धन भी तेजी से घटने लगता है। . उस देश मे नवास कर जहा आपकी कोई ईत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते , जहा आपका कोई नहीं और जहा आप कोई ान आज त नहीं कर सकते। . ऐसे जगह एक दन भी नवास कर जहा ननलखत पां च ना हो: एक धनवान , एक ाण जो वैदक शाों नपुण हो, एक राजा, एक नदी , और एक चकसक। १० . बुमान को ऐसे देश कभी नहीं जाना चाहए जहा : रोजगार कमाने का कोई मायम ना हो, जहा लोगों को कसी बात का भय हो, जहा लोगो को कसी बात की ला हो, जहा लोग बुमान हो, और जहा लोगो की वृ दान धरम करने की ना हो। ११ . नौकर की परीा तब कर जब वह क य का पालन कर रहा हो, रतेदार की परीा तब कर जब आप मुसीबत मे घर हों , की परीा वपरीत परथतयों मे कर , और जब आपका अछा चल रहा हो तब पनी की परीा कर े। १२ . अछा वही है जो हमे ननलखत परथतयों नहीं यागे : आवयकता पड़ने पर, कसी घ टना पड़ने पर, जब अकाल पड़ा हो, जब यु चल रहा हो, जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े , और जब हमे समशान घाट जाना पड़े। १३ . जो कसी नाशवं त चीज के लए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है , तो उसके हाथ से अवनाशी वतु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदे ह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है। १४ . एक बुमान को कसी इतदार घर की अववाहत कया से कस वयं ग होने के बावजूद भी ववाह करना चाहए। उसे कसी हीन घर की अयं त सुदर से भी ववाह नहीं करनी चाहए। शादी-ववाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही िउचत होता है। १५ . इन पर कभी वास ना कर : . नदयां , . जन ययों के पास -हों , . नाख़ू न और सीं ग वाले पशु , . औरत (यहा संके भोली सूरत की तरफ है , बहने बुरा माने ) . राज घरानो के लोगो पर। १७ . महलाओं पु षों अपेा: भूख दो गुना, ला चार गुना, साहस छः गुना, और काम आठ गुना होती है। अयाय दो 1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवता और नदयता ये औरतो के कु नैसगक गु ण है। 2.भोजन के योय पदाथ और भोजन करने की मता, सुदर और उसे भोगने के लए काम , पया धनराशी तथा दान दे ने की भावना - ऐसे सं योगों का होना सामाय तप का फल नहीं है। . उस ने धरती पर ही वग को पा लया : . जसका पु आां कारी है , . जसकी पनी उसकी इछा के अनुप यहार करती है , . जसे अपने धन पर सं तोष है। . पु वही है जो पता का कहना मानता हो, पता वही है जो पु ों का पालन-पोषण कर , वही है जस पर आप वास कर सकते हों और पनी वही है जससे सुख हो। . ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बात करते , लेकन आपके पीठ पीछे आपको बबा द करने की योजना बनाते है , ऐसा करने वाले तो उस वष के घड़े के समान है जसकी उपरी सतह दूध से भरी है। . एक बुर पर तो कभी वास ना कर े। एक अछे पर भी वास ना कर यूं क यद ऐसे लोग आपसे होते है तो आप के सभी राज से पदा खोल दगे। . मन सोंचे काय को कसी के सामने कट कर बिक मनन पू वक उसकी सुरा करते उसे काय परणत कर द। . मु खता खदायी है , जवानी भी खदायी है ,लेकन इन सबसे कहीं यादा खदायी कसी सर के घर जाकर उसका अहसान लेना है। . हर पव त पर माणय नहीं होते , हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, सन पुष भी हर जगह नहीं होते और हर वन मे चदन के वृ भी नहीं होते ह। १०. बुमान पता को अपने पु ों को शुभ गु णों की सीख देनी चाहए यों क नीत और ानी ययों की ही कु पूजा होती है। ११. जो माता व् पता अपने बों को शा नहीं दे ते है वो तो बों के शु के सामान ह। यों क वे वाहीन बालक वानों की सभा वै से ही तरकृत कये जाते जै से हं सो की सभा मे बगुले। १२. लाड-यार से बों मे गलत आदते ढलती है , उह कड़ी शा दे ने से वे अछी आदते सीखते है , इसलए बों को जरत पड़ने पर दिडत कर , यादा लाड ना कर १३. ऐसा एक भी दन नहीं जाना चाहए जब आपने एक ोक, आधा ोक, चौथाई ोक, या ोक का के वल एक अर नहीं सीखा, या आपने दान, अयास या कोई पव काय नहीं कया। १४. पनी का वयोग होना, आपने ही लोगो से बे -इजजत होना, बचा ऋण, राजा की सेवा करना, गरीबी एवं दरों की सभा - ये छह बात शरीर को बना के ही जला देती ह। १५. नदी के कनार वाले वृ, सर के घर मे जाने अथवा रहने वाली एवं बना मं यों का राजा - ये सब नय ही शी नट हो जाते ह। १६. एक ाण का बल तेज और वा है , एक राजा का बल उसकी सेना मे है , एक वैशय का बल उसकी दौलत मे है तथा एक शु का बल उसकी सेवा परायणता मे है। १७. वेया को नध न को याग देना चाहए, जा को पराजत राजा को याग देना चाहए, पयों को फलरहत वृ याग देना चाहए एवं अतथयों को भोजन करने के पात् मेजबान के घर से नकल देना चाहए। १८. ाण दणा मलने के पात् आपने यजमानो को छोड़ दे ते है , वान वा के बाद गु को छोड़ जाते और पशु जले वन को याग दे ते ह। १९. जो राचारी, कु दृ वाले , एवं बुर थान पर रहने वाले मनुय के साथ मता करता है , वह शी हो जाता है। २०. ेम और मता बराबर वालों अछी लगती है , राजा के यहा नौकरी करने वाले को ही समान मलता है , यवसायों वाणय सबसे अछा है , अवं उम गु णों वाली अपने घर सुरत रहती है। अयाय तीन 1. इस नया मे ऐसा कसका घर है जस पर कोई कलं क नहीं , वह कौन है जो रोग और से मु है .सदा सुख कसको रहता है ? . मनुय के कु की यात उसके आचरण से होती है , मनुय के बोल चल से उसके देश की यात बढ़ती है , मान समान उसके ेम को बढ़ता है , एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है . . लड़की का बयाह अछे खानदान मे करना चाहए. पु को अचछी शा देनी चाहए, शु को आप और कों डालना चाहए, एवं मों को धम कम लगाना चाहए. 4. एक ज न और एक सप मे यह अं तर है की साप तभी डं ख मर े गा जब उसकी जान को खतरा हो लेकन ज न पग पग पर हान पचने की कोशश कर े गा . . राजा लोग अपने आस पास अछे कु के लोगो को इसलए रखते है यों क ऐसे लोग ना आरभ मे , ना बीच मे और ना ही अं त मे साथ छोड़कर जाते है . . जब लय का समय आता है तो समु भी अपनी मयारदा छोड़कर कनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है , लेकन सन पुष लय के सामान भयं कर आप अवं वप भी आपनी मया दा नहीं बदलते . . मू खो के साथ मता नहीं रखनी चाहए उह याग देना ही उचत है , यों क से वे दो पैरों वाले पशु के सामान ,जो अपने धारदार वचनो से वै से ही हदय को छलनी करता है जै से अदृय का ँ टा शारीर घुसकर छलनी करता है . . और यौवन से सप तथा कु लीन परवार जमा ले ने पर भी वा हीन पुष पलाश के फूल के समान है जो सुदर तो है लेकन खु शबु रहत है . . कोयल की सुदरता उसके गायन मे है . एक की सुदरता उसके अपने परवार के समप ण मे है . एक बदसूरत आदमी की सुदरता उसके ान मे है तथा एक तपवी की सुदरता उसकी माशीलता मे है . १०. कु की रा के लए एक सदय का बलदान ,गाव की रा के लए एक कु का बलदान , देश की रा के लए एक गाव का बलदान , आतमा की रा के लए देश का बलदान . ११.जो उमशील , वे गरीब नहीं हो सकते , जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता. जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते . जो जागृत रहते है वो ि◌नभरय होते है . 12. आयाधक सुदरता के कारन सीताहरण , अयं त घमं ड के कारन रावन का अं त , अयधक दान दे ने के कारन रजा बाली को बं धन बं धना पड़ा, अतः सव अत को यागना चाहए. 3. शशाली लोगों के लए कौनसा काय कठन है ? यापारओं के लए कौनसा जगह दूर है , वानों के लए कोई देश वदेश नहीं है , मधुभाषयों का कोई शु नहीं . १४. जस तरह सारा वन के वल एक ही पुप अवं सु गंध भर वृ से महक जाता है उसी तरह एक ही गुणवान पु पुर कु का नाम बढाता है . १५. जस कार के वल एक सुखा जलता वृ सपू ण वन को जला देता है उसी कार एक ही कु पु सर कु के मान, मया दा और ता को कर देता है . १६. वान एवं सदाचारी एक ही पु के कारन सपू ण परवार वै से ही खुशहाल रहता है जै से चमा के नकालने पर रा जगमगा उठती है . १७. ऐसे अनेक पु कस काम के जो ःख और नराशा पैदा कर . इससे तो वह एक ही पु अछा है जो समपू णर घर को सहारा और शां ि◌त पदान कर . १८. पां च साल तक पु को लाड एवं यार से पालन करना चाहए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए. लेकन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे के समान वयवहार कर . १९. वह सुरत रह सकता है जो नीचे दी परथतयां उप होने पर भाग जाए. . भयावह आपदा. . वदेशी आमण . भयं कर अकाल . का सं ग. २०. जो ननलखत बाते अज त नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है . . धमर . अथ . काम . मो २१. धन की देवी लमी वयं वहां चली आती है जहा ... . मूखो का समान नहीं होता. . अनाज का अचछे से भणडारण ि◌कया जाता है . . पत, पनी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है . अयाय चार ननलखत बात माता के गभ ही नत हो जाती है .... . कतने साल जयेगा . वह कस कार का काम कर े गा . उसके पास कतनी सं प होगी . उसकी मृ यु कब होगी . पु , , सगे सबधी साधु ओं को देखकर दूर भागते है , लेकन जो लोग साधु ओं का अनुशरण करते है उनमे जागृत होती है और उनके उस पुय से उनका सारा कु धय हो जाता है . जै से मछली दृी से , कछु यान देकर और पं छी पश करके अपने बो को पालते है , वै से ही सं तजन पु षों की सं गती मनुय का पालन पोषण करती है . जब आपका शरीर वथ है और आपके नयं ण है उसी समय आमसााकार का उपाय कर लेना चाहए यों क मृ यु हो जाने के बाद कोई कु नहीं कर सकता है . वा अज न करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम अमृत दान करती है . वह वदेश माता के समान रक अवं हतकारी होती है . इसीलए वा को एक गु धन कहा जाता है . सैकड़ों गुणरहत पु ों से अछा एक गुणी पु है यों क एक चमा ही रा के अधकार को भगाता है , असं य तार यह काम नहीं करते . एक ऐसा बालक जो जमते वत मृत था, एक मु ख दीघा यु बालक से बेहतर है . पहला बालक तो एक के लए ःख देता है , दूसरा बालक उसके मा बाप को जं दगी भर ःख की जलाता है . ननलखत बाते को बना आग के ही जलाती है ... . एक छोटे गाव बसना जहा रहने की सुवधाए उपलध नहीं . . एक ऐसे के यहा नौकरी करना जो नीच कु पैदा है . . अवाथवध क भोजन का सेवन करना. . जसकी पनी हरदम गुसे होती है . . जसको मु ख पु है . . जसकी पुी वधवा हो गयी है . वह गाय कस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बे को जम देती है . उसी कार उस बे का जम कस काम का जो ना ही वान ना ही भगवान् का . जब जीवन के ःख से लसता है उसे ननलखत ही सहारा दे ते है ... . पु और पुी . पनी . भगवान् के . यह बाते एक बार ही होनी चाहए.. . राजा का बोलना. . बान का बोलना. . लड़की का याहना. जब आप तप करते है तो अके ले कर . अयास करते है तो सर के साथ कर . गायन करते है तो तीन लोग कर . कृष चार लोग कर . यु अनेक लोग मलकर कर . वही अछी पनी है जो शु चपूण है , पारं गत है , शु है , पत को करने वाली है और सयवादी है . जस के पु नहीं है उसका घर उजाड़ है . जसे कोई सबधी नहीं है उसकी सभी दशाए उजाड़ है . मु ख का दय उजाड़ है . नध न का सब कु उजाड़ है . जस अयािमक सीख का आचरण नहीं कया जाता वह जहर है . जसका पेट ख़राब है उसके लए भोजन जहर है . नध न के लए लोगो का कसी सामाजक या यगत काय म एक होना जहर है . जस के पास धम और दया नहीं है उसे दूर करो. जस गु के पास अयािमक ान नहीं है उसे दूर करो. जस पनी के चेहर पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. जन रतेदारों के पास ेम नहीं उह दूर करो. सतत मण करना को बूढ़ा बना देता है . यद घोड़े को हरदम बां ध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है . यद उसके पत के साथ णय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है . धुप रखने से कपडे पुराने हो जाते है . इन बातो को बार बार गौर कर ... सही समय सही सही ठकाना पै से कमाने के सही साधन पै से खचा करने के सही तरीके आपके उजा ोत. भगवान् देखते है . भो के दय परमामा का वास होता है . जो अप मत के लोग है वो मू त भगवान् देखते है . लेकन जो यापक दृी रखने वाले लोग है , वो यह जानते है की भगवान सव यापी है . पां चवा अयाय ाणों को की पूजा करनी चाहए . सर लोगों को ाण की पूजा करनी चाहए . पनी को पत की पूजा करनी चाहए तथा दोपहर के भोजन के लए जो अतथ आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहए सोने की परख उसे घस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है . उसी तरह का परीण वह कतना याग करता है , उसका आचरण कै सा है , उसमे गुण कौनसे है और उसका यवहार कै सा है इससे होता है यद आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे . लेकन यद मुसीबत जाती है तो कसी भी तरह उससे छु टकारा पाए. अनेक जो एक ही गभ से पैदा है या एक ही पैदा है वे एकसे नहीं रहते . उसी कार जै से बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते . वह जसके हाथ वछ है काया लय काम नहीं करना चाहता. जस ने अपनी कामना को ख़तम कर दया है , वह शारीरक शृं गार नहीं करता, जो आधा पढ़ा है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता. मूढ़ लोग बुमानो से इया करते है . गलत माग पर चलने वाली औरत पव से इया करती है . बदसूरत औरत खु बसूरत औरत से इया करती है . बुवाई करने वाला कसान अपने बीजो का नाश करता है . यद सेनापत नहीं है तो सेना का नाश होता है . अज त वा अयास से सुरत रहती है . घर की इत अछे यवहार से सुरत रहती है . अछे गु णों से इतदार आदमी को मान मलता है . कसीभी का गुसा उसकी आँ खों दखता है . धमकी रा पै से से होती है . ान की रा जमकर आजमाने से होती है . राजा से रा उसकी बात मानने से होती है . घर की रा एक गृहणी से होती है . जो वैदक ान की नं दा करते है , शा् त समत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है , शांतीपू ण वभाव के लोगो की मजाक उड़ाते है , बना कसी आवयकता के ःख को होते है . दान गरीबी को ख़म करता है . अछा आचरण ःख को मटाता है . ववेक अान को करता है . जानकारी भय को समा करती है . वासना के समान कर कोई रोग नहीं . मोह के समान कोई शु नहीं . ोध के समान नहीं . वप ान के समान कोई बोध नहीं . अके ले ही पैदा होता है . अके ले ही मरता है . अपने कमो के शुभ अशुभ परणाम अके ले ही भोगता है . अके ले ही नरक जाता है या सदगत करता है . जसने अपने वप को जान लया उसके लए वग तो तनके के समान है . एक परामी योा अपने जीवन को तुछ मानता है . जसने अपनी कामना को जीत लया उसके लए भोग का वषय नहीं . उसके लए सपू ण ाड तुछ है जसके मन कोई आस नहीं . जब आप सफ़र पर जाते हो तो वाज न ही आपका है . घर पनी है . बीमार होने पर दवा है . अज त पुय मृ यु के बाद एकमा है . समु होने वाली वषा यथ है . जसका पेट भरा है उसके लए यथ है . पै से वाले आदमी के लए भेट वतु का कोई अथ नहीं . दन के समय जलता दया यथ है . वषा के जल के समान कोई जल नहीं . खुदकी के समान कोई नहीं . ने योत के समान कोई काश नहीं . से बढ़कर कोई सं प नहीं . नध न को धन की कामना. पशु को वाणी की कामना. लोगो को वग की कामना. देव लोगो को मु की कामना. सय की ही इस नया को धारण करती है . सय की से ही सू य काशमान है , हवाए चलती है , सही सब कु सय पर आत है . लमी जो सं प की देवता है , वह चं चला है . हमारी ास भी चं चला है . हम कतना समय जयगे इसका कोई ठकाना नहीं . हम कहा रहगे यह भी पा नहीं . कोई बात यहा पर पी है तो यह है की हमारा अज त पुय कतना है . आदमयों नाई सबसे धू त है . कौवा पीयों धू त है . लोमड़ी ाणीयो धू त है . औरतो लपट औरत सबसे धू त है . ये सब आपके पता है .... जसने आपको जम दया. . जसने आपका योपवत सं कार कया. . जसने आपको पढाया. . जसने आपको भोजन दया. . जसने आपको भयपू ण परथतयों बचाया. अयाय छह वण करने से धमका ान होता है , ेष दूर होता है , ान की होती है और माया की आस से मु होती है . पीयों कौवा नीच है . पशुओ कु नीच है . जो तपवी पाप करता है वो घनौना है . लेकन जो दूसरो की नं दा करता है वह सबसे बड़ा चां डाल है . राख से घसने पर पीतल चमकता है . ताबा इमली से साफ़ होता है . औरते दर से शु होती है . नदी बहती रहे तो साफ़ रहती है . राजा, ाण और तपवी योगी जब सर देश जाते है , तो आदर पाते है . लेकन औरत यद भटक जाती है तो बबा द हो जाती है . धनवान के कई होते है . उसके कई सबधी भी होते है . धनवान को ही आदमी कहा जाता है और पैसेवालों को ही पं डत कह कर नवाजा जाता है . सव शमान के इछा से ही बु काम करती है , वही कमो को नयं ीत करता है . उसी की इछा से आस पास मदद करने वाले जाते है . काल सभी जीवो को नपुणता दान करता है . वही सभी जीवो का सं हार भी करता है . वह जागता रहता है जब सब सो जाते है . काल को कोई जीत नहीं सकता. जो जम से अं ध है वो देख नहीं सकते . उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते . अहं कारी को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कु बुरा कर रहा है . और जो पै से के पीछे पड़े है उनको उनके कमो कोई पाप दखाई नहीं देता. जीवामा अपने कम के माग से जाता है . और जो भी भले बुर परणाम कमो के आते है उह भोगता है . अपने ही कमो से वह सं सार बं धता है और अपने ही कमो से बधनों से छूटता है . राजा को उसके नागरको के पाप लगते है . राजा के यहा काम करने वाले पुजारी को राजा के पाप लगते है . पत को पनी के पाप लगते है . गु को उसके शयों के पाप लगते है . अपने ही घर के ये शु हो सकते है ... उसका बाप यद वह हरदम कज डूबा रहता है . उसकी मा यद वह सर पुष से सं ग करती है . सुदर पनी वह लड़का जसने शा नहीं की. एक लालची आदमी को भेट वातु दे कर संतु कर . एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतु कर . एक मु ख को समान देकर संतु कर . एक वान् आदमी को सच बोलकर संतु कर . एक बेकार राय का राजा होने से यह बेहतर है की कसी राय का राजा ना हो. एक पापी का होने से बेहतर है की बना का हो. एक मु ख का गु होने से बेहतर है की बना शय वाला हो. एक बु रीं पनी होने से बेहतर है की बना पनी वाला हो. एक बेकार राय लोग सुखी कै से हो? एक पापी से कसी शाित की कै से हो? एक बुरी पनी के साथ घर कौनसा सुख हो सकता है . एक नालायक शय को शा देकर कै से कीत हो? शेर से एक बात सीखे . बगुले से एक. मु गे से चार. कौवे से पाच. कु से छह. और गधे से तीन. शेर से यह बढ़या बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एकदली से और जबरदत यास से कर . बुमान अपने इियों को बगुले की तरह वश करते अपने लय को जगह, समय और योयता का पूरा यान रखते पू ण कर . मु गे से हे चार बाते सीखे ... . सही समय पर उठे . . नीडर बने और लढ़े . . सं प का रतेदारों से उचत बटवारा कर . . अपने से अपना रोजगार कर . कौवे से ये पाच बाते सीखे ... . अपनी पनी के साथ एकां त णय कर . . नीडरता . उपयोगी वतुओ का सं चय कर . . सभी ओर दृी घुमाये . . सरो पर आसानी से वास ना कर . कु से ये बाते सीखे . बत भूख हो पर खाने को कु ना मले या कम मले तो भी सं तोष कर . . गाढ़ी नीं द हो तो भी उठ जाए. . अपने वामी के बेहचक इमानदारी रखे . नीडरता. गधे से ये तीन बाते सीखे . . अपना बोझा ढोना ना छोड़े . . सदी गमी की चं ता ना कर . . सदा संतु रहे . जो इन बीस गु णों पर अमल कर े गा वह जो भी कर े गा सफल होगा. अयाय सात एक बुमान को ननलखत बात कसी को नहीं बतानी चाहए .. . की उसकी दौलत खो चुकी है . . उसे ोध गया है . . उसकी पनी ने जो गलत यवहार कया. . लोगो ने उसे जो गालया दी. . वह कस कार बेइत है . जो आथ क यवहार करने , ान अज न करने , खाने और काम-धं दा करने शमा ता नहीं है वो सुखी हो जाता है . जो सुख और शां त का अनुभव वप ान को करने से होता है , वैसा अनुभव जो लोभी लोग धन के लोभ यहा वहा भटकते रहते है उह नहीं होता. नीचे दी चीजो से संतु रहे ... . खुदकी पनी . वह भोजन जो वधाता ने दान कया. . उतना धन जतना इमानदारी से मल गया. लेकन को नीचे दी चीजो से संतु नहीं होना चाहए... . अयास . भगवान् का नाम मरण. . परोपकार इन दोनों के मय से कभी ना जाए.. . दो ाण. . ाण और उसके जलने वाली . . पत पनी. . वामी और उसका चाकर. . हल और बैल. अपना पैर कभी भी इनसे छू ने दे .... . अयािमक गु . ाण . गाय . एक कु मारका . एक बड़ा आदमी. . एक बा. हाथी से हजार गज की री रखे . घोड़े से सौ की. सं ग वाले जानवर से दस की. लेकन जहा हो उस जगह से ही नकल जाए. हाथी को अंकु से नयं त कर . घोड़े को थप थपा के . सं ग वाले जानवर को डं डा दखा के . एक बदमाश को तलवार से . ाण अछे भोजन से तृ होते है . मोर मेघ गज ना से . साधू सरो की सपता देखकर और सरो की वपदा देखकर. एक शशाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता कर . एक का तकार कर . और जनकी आपकी के बराबर है उनसे समझौता वनता से या कठोरता से कर . एक राजा की उसकी शशाली भुजाओ है . एक ाण की उसके वप ान है . एक की उसकी सुदरता, ताय और मीठे वचनों है . अपने यवहार बत सीधे ना रहे . आप यद वन जाकर देखते है तो पायगे की जो पेड़ सीधे उगे उह काट लया गया और जो पेड़ आड़े तरछे है वो खड़े है . हं स वहा रहते है जहा पानी होता है . पानी सू खने पर वे उस जगह को छोड़ दे ते है . आप कसी आदमी को ऐसा यवहार ना करने दे की वह आपके पास आता जाता रहे . सं चत धन खच करने से बढ़ता है . उसी कार जै से ताजा जल जो अभी आया है बचता है , यद पुराने थर जल को नकल बहार कया जाये . वह जसके पास धन है उसके पास और सबधी भी बहोत रहते है . वही इस नया टक पाता है और उसीको इत मलती है . वग नवास करने वाले देवता लोगो और धरती पर नवास करने वाले लोगो कु साय पाया जाता है . उनके समान गुण है . परोपकार . मीठे वचन . भगवान् की आराधना. . ाणों के जरतों की पू त . नरक नवास करने वाले और धरती पर नवास करने वालो सायता - . अयाधक ोध . कठोर वचन . अपने ही सं बं धयों से शुता . नीच लोगो से मैी . हीन हरकते करने वालो की चाकरी. यद आप शेर की गुफा जाते हो तो आप को हाथी के माथे का मण मल सकता है . लेकन यद आप लोमड़ी जहा रहती है वहा जाते हो तो बछड़े की पूछ या गधे की ही के अलावा कु नहीं मलेगा. एक अनपढ़ आदमी की जं दगी कसी कु की पूछ की तरह बेकार है . उससे ना उसकी इत ही ढकती है और ना ही कीड़े मखयों को भागने के काम आती है . यद आप दयता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इियों शुता होनी चाहए. उसी कार आपके दय कणा होनी चाहए. जस कार एक फूल खु शबु है . तील तेल है . लकड़ी है . दूध घी है . गे गुड है . उसी कार यद आप ठीक से देखते हो तो हर परमामा है . अयाय आठ नीच वग के लोग दौलत चाहते है , मयम वग के दौलत और इत, लेकन वग के लोग समान चाहते है यों की समान ही लोगो की असली दौलत है . दीपक अँधेर का भण करता है इसीलए काला धुआ बनाता है . इसी कार हम जस कार का खाते है . माने सािवक, राजसक, तामसक उसी कार के वचार उप करते है . हे वान् पुष ! अपनी सं प के वल पा को ही दे और दूसरो को कभी ना दे . जो जल बादल को समु देता है वह बड़ा मीठा होता है . बादल वषा करके वह जल पृवी के सभी चल अचल जीवो को देता है और फर उसे समु को लौटा देता है . वान् लोग जो तव को जानने वाले है उहों ने कहा है की मास खाने वाले चां डालो से हजार गुना नीच है . इसलए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं . शरीर पर मालश करने के बाद, मशान चता का धुआ शरीर पर आने के बाद, सभोग करने के बाद, दाढ़ी बनाने के बाद जब तक आदमी नहा ना ले वह चां डाल रहता है . जल अपच की दवा है . जल चैतय नमा ण करता है , यद उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है . पानी को भोजन के बाद तु रंत पीना वष पने के समान है . यद ान को उपयोग ना लाया जाए तो वह खो जाता है . आदमी यद अानी है तो खो जाता है . सेनापत के बना सेना खो जाती है . पत के बना पनी खो जाती है . वह आदमी अभागा है जो अपने बुढ़ापे पनी की मृ यु देखता है . वह भी अभागा है जो अपनी सपदा सं बं धयों को सौप देता है . वह भी अभागा है जो खाने के लए सरो पर नभ र है . यह बाते बेकार है . वेद मं ो का उारण करना लेकन नहत कमो को ना करना. करना लेकन बाद लोगो को दान दे कर तृ ना करना. पू णता तो से ही आती है . ही सभी सफलताओ का मूल है . एक सं यमत मन के समान कोई तप नहीं . सं तोष के समान कोई सुख नहीं . लोभ के समान कोई रोग नहीं . दया के समान कोई गुण नहीं . ोध साात् यम है . तृणा नरक की और ले जाने वाली वैतरणी है . ान कामधेनु है . सं तोष ही तो नं दनवन है . नीत की उमता ही के सौं दय का गहना है . उम आचरण से उरोर ऊँचे लोक जाता है . सफलता ही वा का आभू षण है . उचत वनयोग ही सं प का गहना है . नत होने से सुदरता का नाश होता है . हीन आचरण से अछे कु का नाश होता है . पू णता आने से वा का नाश होता है . उचत वनयोग के बना धन का नाश होता है . जो जल धरती समां गया वो शु है . परवार को समप त पनी शु है . लोगो का कयाण करने वाला राजा शु है . वह ाण शु है जो संतु है . असंतु ाण, संतु राजा, ला रखने वाली वेया, कठोर आचरण करने वाली गृहणी ये सभी लोग वनाश को होते है . या करना उचे कु का यद बुमा ना हो. एक नीच कु उप होने वाले वान् का समान देवता भी करते है . वान् लोगो से समान पाता है . वान् उसकी वा के लए हर जगह समान पाता है . यह बलकु सच है की वा हर जगह समानत है . जो लोग दखने सुदर है , जवान है , ऊँचे कु पैदा है , वो बेकार है यद उनके पास वा नहीं है . वो तो पलाश के फूल के समान है जो दखते तो अछे है पर महकते नहीं . यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है , जो मास खाते है , दा पीते है , बेवकूफ है , वे सब तो आदमी होते पशु ही है . उस के समान कोई शु नहीं जसके उपरां त लोगो को बड़े पैमाने पर भोजन ना कराया जाए. ऐसा रायों को ख़तम कर देता है . यद पुरोहत ठीक से उारण ना कर तो उसे ख़तम कर देता है . और यद यजमान लोगो को दान एवं भेटवतू ना दे तो वह भी ारा ख़तम हो जाता है . अयाय नौ तात, यद तुम जम मरण के से मु होना चाहते हो तो जन वषयो के पीछे तुम इियों की संतु के लए भागते फरते हो उह ऐसे याग दो जै से तुम वष को याग दे ते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तता, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचता और सय इसका अमृत पयो. वो कमीने लोग जो दूसरो की गु खामयों को उजागर करते फरते है , उसी तरह हो जाते है जस तरह कोई साप चीटयों के टीलों जा कर मर जाता है . शायद कसीने ाजी, जो इस सृ के नमा ता है , को यह सलाह नहीं दी की वह ... सु वण को सु गंध दान कर . गे के झाड को फल दान कर . चदन के वृ को फूल दान कर . वान् को धन दान कर . राजा को लबी आयु दान कर . अमृत सबसे बढ़या औषध है . इिय सुख अछा भोजन सवे सुख है . ने सभी इियों है . मतक शरीर के सभी भागो मे है . कोई संदेशवाहक आकाश जा नहीं सकता और आकाश से कोई खबर नहीं सकती. वहा रहने वाले लोगो की आवाज सुनाई नहीं देती. और उनके साथ कोई संपक नहीं हो सकता. इसीलए वह ाण जो सू य और हण की भवय वाणी करता है , उसे वान मानना चाहए. इन सातो को जगा दे यद ये सो जाए... . वाथी . सेवक . पथक . भूखा आदमी . डरा आदमी . खजाने का रक . खजां ची इन सातो को नीं द से नहीं जगाना चाहए... . साप . राजा . बाघ . डं ख करने वाला कीड़ा . छोटा बा . सरो का कु . मु ख जहों ने वेदों का अययन पैसा कमाने के लए कया और जो नीच काम करने वाले लोगो का दया खाते है उनके पास कौनसी हो सकती है . वो ऐसे भु जंगो के समान है जो दं श नहीं कर सकते . जसके डाटने से सामने वाले के मन डर नहीं पैदा होता और होने के बाद जो सामने वाले को कु देता नहीं है . वो ना कसी की रा कर सकता है ना कसी को नयं त कर सकता है . ऐसा आदमी भला या कर सकता है . यद नाग अपना फना खड़ा कर तो भले ही वह जहरीला ना हो तो भी उसका यह करना सामने वाले के मन डर पैदा करने को पया है . यहा यह बात कोई माइना नहीं रखती की वह जहरीला है की नहीं . सुबह उठकर दन भर जो दाव आप लगाने वाले है उसके बार सोचे . दोपहर को अपनी मा को याद कर . रात को चोरो को ना भूले . आपको के समान वैभव होगा यद आप.. अपने भगवान् के गले की माला अपने हाथो से बनाये . अपने भगवान् के लए चदन अपने हाथो से घसे . अपने हाथो से पव ं थो को लखे . गरीबी पर धैय से मात कर . पुराने वो को वछ रखे . बासी को गरम कर . अपनी कु पता पर अपने अछे यवहार से मात कर . अयाय दस जसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है , वह तो असल रहीस है , यद उसके पास वा है . लेकन जसके पास वा नहीं है वह तो सब कार से नध न है . हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे . हम छाना जल पए. हम वही बात बोले जो शा समत है . हम वही काम कर जसके बार हम सावधानीपु वक सोच चुके है . जसे अपने इियों की तु चाहए, वह वा अज न करने के सभी वचार भूल जाए. और जसे ान चाहए वह अपने इियों की तु भूल जाये . जो इिय वषयों लगा है उसे ान कै सा, और जसे ान है वह यथ की इिय तु लगा रहे यह सं भव नहीं . वह या है जो कवी कपना नहीं सकता. वह कौनसी बात है जसे करने औरत सम नहीं है . ऐसी कौनसी बकवास है जो दा पया आदमी नहीं करता. ऐसा या है जो कौवा नहीं खाता. नयत एक भखारी को राजा और राजा को भखारी बनाती है . वह एक अमीर आदमी को गरीब और गरीब को अमीर. भखारी यह कं जूस आदमी का मन है . एक अछा सलाहकार एक मु ख आदमी का शु है . वह पनी जो पर पुष रखती है , उसके लए उसका पत ही उसका शु है . जो चोर रात को काम करने नकलता है , चमा ही उसका शु है . जनके पास यह कु नहीं है ... वा. तप. ान. अछा वभाव. गुण. दया भाव. ...वो धरती पर मनुय के घुमने वाले पशु है . धरती पर उनका भार है . जनके भे जे खाली है , वो कोई उपदेश नहीं समझते . यद बास को मलय पव त पर उगाया जाये तो भी उसमे चदन के गुण नहीं आते . जसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शा या भलाई कर गे . एक अँधा आदमी आयने का या कर े गा. एक बुरा आदमी सुधर नहीं सकता. आप पृ भाग को चाहे जतना साफ़ कर वो भागो की बराबरी नहीं कर सकता. अपने नकट सं बं धयों का अपमान करने से जान जाती है . सरो का अपमान करने से दौलत जाती है . राजा का अपमान करने से सब कु जाता है . एक ाण का अपमान करने से कु का नाश हो जाता है . यह बेहतर है की आप जं गल एक झाड के नीचे रहे , जहा बाघ और हाथी रहते है , उस जगह रहकर आप फल खाए और जलपान कर , आप घास पर सोये और पुराने पेड़ो की खाले पहने . लेकन आप अपने सगे सं बं धयों ना रहे यद आप नध न हो गए है . ाण एक वृ के समान है . उसकी ाथ ना ही उसका मूल है . वह जो वेदों का गान करता है वही उसकी शाखाए है . वह जो पुय कम करता है वही उसके पे है . इसीलए उसने अपने मूल को बचाना चाहए. यद मूल हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और पे भी. लमी मेरी माता है . वणु मेर पता है . वैणव जन मेर सगे सबधी है . तीनो लोक मेरा देश है . रा के समय कतने ही कार के पं छी वृ पर वाम करते है . भोर होते ही सब पं छी दसो दशाओ उड़ जाते है . हम यों भला ःख कर यद हमार अपने हम छोड़कर चले गए. जसके पास वा है वह शशाली है . नबु पुष के पास या हो सकती है ? एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमत हाथी को तालाब गरा देता है . हे वभर तू सबका पालन करता है . मै मेर गुजार की यों चं ता जब मेरा मन तेरी महमा गाने लगा है . आपके अनुह के बना एक माता की छाती से दूध नहीं बह सकता और शशु का पालन नहीं हो सकता. मै हरदम यही सोचता , हे वं शयो के भु , हे लमी पत, मेरा पूरा समय आपकी ही चरण सेवा खच करता हू . अयाय यारह उदारता, वचनों मधुरता, साहस, आचरण ववेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल होनी चाहए. जो अपने समाज को छोड़कर सर समाज को जा मलता है , वह उसी राजा की तरह हो जाता है जो अधम के माग पर चलता है . हाथी का शरीर कतना वशाल है लेकन एक छोटे से अंकु से नयं त हो जाता है . एक दया घने अधकार का नाश करता है , या अँधेर से दया बड़ा है . एक कड़कती बजली एक पहाड़ को तोड़ देती है , या बजली पहाड़ जतनी वशाल है . जी नहीं . बलकु नहीं . वही बड़ा है जसकी छा जाती है . इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार कतना है . जो घर गृहथी के काम लगा रहता है वह कभी ान नहीं कर सकता. मॉस खाने वाले के दय दया नहीं हो सकती. लोभी कभी सय भाषण नहीं कर सकता. और एक शकारी कभी शुता नहीं हो सकती. एक कभी पवता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जै से समझा लो. नीम का वृ कभी मीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी शखा से मूल तक घी और शर छड़क दे . आप चाहे सौ बार पव जल नान कर , आप अपने मन का मैल नहीं धो सकते . उसी कार जस कार मदरा का पा पव नहीं हो सकता चाहे आप उसे गरम करके सारी मदरा की भाप बना दे . इसम कोई आय नहीं की उन बातो के अनुदगार कहता है जसका उसे कोई ान नहीं . उसी कार जै से एक जं गली शकारी की पनी हाथी के सर का मण फे ककर गूं जे की माला धारण करती है . जो एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का यान कर े गा और मुह से कु नहीं बोलेगा उसे एक हजार करोड़ वष तक वग लोक की होगी. एक वाथी पू ण से नन लखत बातो का याग कर . . काम . ोध . लोभ . वाद भोजन की अपेा. . शरीर का शृं गार . अयाधक जासा . अधक ना . शरीर नवा ह के लए अयाधक यास. वही सही ाण है जो के वल एक बार के भोजन से संतु रहे , जस पर १६ सं कार कये गए हो, जो अपनी पनी के साथ महीने के वल एक दन समागम कर . माहवारी समा होने के सर दन. वह ाण जो कानदारी लगा है , असल वैय ही है . नन तर के लोगो से जस यवसाय संपक आता है , वह यवसाय ाण को शु बना देता है . वह ाण जो सरो के काम अड़ं गे डालता है , जो दभी है , वाथी है , धोखेबाज है , सरो से घृणा करता है और बोलते समय मुह मठास और दय ूरता रखता है , वह एक बी के समान है . एक ाण जो तालाब को, कु को, टाके को, बगीचे को और मं दर को करता है , वह लेछ है . वह ाण जो भगवान् के मू त की सपदा चुराता है और वह अयािमक गु जो सर की पनी के साथ समागम करता है और जो अपना गुजारा करने के लए कु भी और सब कु खाता है वह चां डाल है . एक गुणवान को वह सब कु दान देना चाहए जो उसकी आवयकता से अधक है . के वल दान के कारण ही कण , बाली और राजा वमादय आज तक चल रहे है . देखये उन मधु मखयों को जो अपने पैर खे से धारती पर पटक रही है . वो अपने आप से कहती है " आखर सब चला ही गया. हमने हमार शहद को जो बचा कर रखा था, ना ही दान दया और ना ही खुद खाया. अभी एक पल ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया." अयाय बारह वह गृहथ भगवान् की कृपा को पा चुका है जसके घर आनं ददायी वातावरण है . जसके बे गुणी है . जसकी पनी मधुर वाणी बोलती है . जसके पास अपनी जरते पूरा करने के लए पया धन है . जो अपनी पनी से सु खपूण सबध रखता है . जसके नौकर उसका कहा मानते है . जसके घर मेहमान का वागत कया जाता है . जसके घर मं गल दायी भगवान की पूजा रोज की जाती है . जहा वाद भरा भोजन और पान कया जाता है . जसे भगवान् के भो की सं गती आनं द आता है . जो एक सं कट का सामना करने वाले ाण को भाव से अप दान देता है उसे बदले वपुल लाभ होता है . वे लोग जो इस नया सुखी है . जो अपने सं बं धयों के उदार है . अनजाने लोगो के सदय है . अछे लोगो के ेम भाव रखते है . नीच लोगो से धू तता पू ण यवहार करते है . वानों से कु नहीं छु पाते . मनों के सामने साहस दखाते है . बड़ो के वन और पनी के सत है . अर लोमड़ी !!! उस के शरीर को तु रंत छोड़ दे . जसके हाथो ने कोई दान नहीं दया. जसके कानो ने कोई वा हण नहीं की. जसके आँ खों ने भगवान् का सा नहीं देखा. जसके पा ँव कभी तीथ ेो नहीं गए. जसने अधम के माग से कमाए धन से अपना पेट भरा. और जसने बना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा रखा है . अर लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दूषत हो जाएगी. धार है उह जह भगवान् कृण जो मा यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो कोई नहीं . मृ दंग की वन धक् तम धक् तम करके ऐसे लोगो का धार करती है . बसं त ऋतू या कर े गी यद बास पर पे नहीं आते . सू य का या दोष यद उू दन देख नहीं सकता. बादलो का या दोष यद बारश की बूं दे चातक पी की चोच नहीं गरती. उसे कोई कै से बदल सकता है जो कसी के मूल है . एक के मन सणों का उदय हो सकता है यद वह एक से ससं ग करता है . लेकन का सं ग करने से दूषत नहीं होता. जमीन पर जो फूल गरता है उससे धरती सुगिधत होती है लेकन पुप को धरती की गं ध नहीं लगती. उसका सही कयाण हो जाता है जसे के दश न होते है . तु रंत शु करने की मता है . पव तो लबे समय के संपक से शु होती है . एक अजनबी ने एक ाण से पूछा. "बताइए, इस शहर महान या है ?". ाण ने जवाब दया की खजूर के पेड़ का समूह महान है . अजनबी ने सवाल कया की यहा दानी कौन है ? जवाब मला के वह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है . यहा सबसे काबल कौन है . जवाब मला यहा हर कोई सर का और दारा हरण करने काबल है . की आप ऐसी जगह रह कै से ले ते हो? जवाब मला की जै से एक कीड़ा एक ग ध यु जगह पर रहता है . वह घर जहा ाणों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वैदक मं ो का जोर से उारण नहीं होता. और जहा भगवान् को और पतरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक मशान है . सय मेरी माता है . अयािमक ान मेरा पता है . धमा चरण मेरा बं धू है . दया मेरा है . भीतर की शां त मेरी पनी है . मा मेरा पु है . मेर परवार ये छह लोग है . हमार शारीर नर है . धन तो कोई थायी भाव नहीं है . यु हरदम हमार नकट है . इसीलए हम तु रंत पुय कम करने चाहए. ाणों को वाद भोजन आनं द आता है . गायो को ताज़ी कोमल घास खाने . पनी को पत के साय . यो को यु आनं द आता है . जो सर के पनी को अपनी माता मानता है , सर को धन को मटटी का ढेला, सर के सुख ःख को अपने सुख ःख. उसी को सही दृी है और वही वान है . भगवान राम ये सब गुण है . . सणों ीती. . मीठे वचन . दान दे ने की ती इछा . . मो के साथ कपट रहत यवहार. . गु की उपथत वनता . मन की गहरी शाित. . शु आचरण . गु णों की परख . शा के ान की अनु भूत . की सुदरता . भगवत . कप तो एक लकड़ी ही है . सु वण का सुमेर पव त तो नछल है . चं ता मण तो एक पथर है . सू य ताप है . चमा तो घटता बढ़ता रहता है . अमया द समु तो खारा है . काम देव का तो शरीर ही जल गया. महाराज बल तो रास कु पैदा . कामधेनु तो पशु ही है . भगवान् राम के समान कौन है . वा सफ़र हमारा है . पनी घर पर है . औषध की है . मरते तो पुय कम ही है . राज परवारों से शाचार सीखे . पं डतो से बोलने की कला सीखे . जुआरयो से झूट बोलना सीखे . एक औरत से छल सीखे . बना सोचे समझे खच करने वाला, नटखट बा जसे अपना घर नहीं , झगड़े पर आमदा आदमी, अपनी पनी को ल त करने वाला, जो अपने आचरण पर यान नहीं देता है . ये सब लोग जदी ही बबा द हो जायगे . एक वान ने अपने भोजन की चं ता नहीं करनी चाहए. उसे सफ अपने धम को नभाने की चं ता होनी चाहए. हर का भोजन पर जम से ही अधकार है . जसे दौलत, अनाज और वा अज त करने और भोजन करने शम नहीं आती वह सुखी रहता है . बूं द बूं द से सागर बनता है . इसी तरह बूं द बूं द से ान, गुण और सं प होते है . जो अपने बुढ़ापे भी मु ख है वह सचमुच ही मु ख है . उसी कार जस कार वण का फल कतना भी पके मीठा नहीं होता. अयाय तेरह यद आदमी एक पल के लए भी जए तो भी उस पल को वह शुभ कम करने खच कर . एक कप तक जी कर कोई लाभ नहीं . दोनों लोक इस लोक और पर-लोक तकलीफ होती है . हम उसके लए ना पछताए जो बीत गया. हम भवय की चं ता भी ना कर . ववेक बु रखने वाले लोग के वल वत मान जीते है . यह देवताओ का, सं त जनों का और पालको का वभाव है की वे जदी हो जाते है . नकट के और दूर के रतेदार तब होते है जब उनका आदर समान कया जाए. उनके नहाने का, खाने पने का बं ध कया जाए. पं डत जन जब उह अयािमक सदेश का मौका दया जाता है तो होते है . जब बा मा के गभ होता है तो यह पाच बाते तय हो जाती है ... . कतनी लबी होगी. . वह या कर े गा . और . कतना धन और ान अज त कर े गा. . मौत कब होगी. देखये या आय है ? बड़े लोग अनोखी बाते करते है . वे पै से को तो तनके की तरह मामूली समझते है लेकन जब वे उसे करते है तो उसके भार से और वन होकर जाते है . जो अपने घर के लोगो से बहोत आस रखता है वह भय और ःख को पाता है . आस ही ःख का मूल है . जसे सुखी होना है उसे आस छोडनी पड़ेगी. जो भवय के लए तैयार है और जो कसी भी परथत को चतुराई से नपटता है . ये दोनों सुखी है . लेकन जो आदमी सफ नसीब के सहार चलता है वह बबा द होता है . यद राजा पुयामा है तो जा भी वैसी ही होती है . यद राजा पापी है तो जा भी पापी. यद वह सामाय है तो जा सामाय. जा के सामने राजा का उहारण होता है . और वो उसका अनुसरण करती है . मेरी नजरो वह आदमी मृत है जो जीते जी धम का पालन नहीं करता. लेकन जो धम पालन अपने ाण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लबा जीता है . जस ने ही कोई ान सं पादन कया, ना ही पैसा कमाया, मु के लए जो आवयक है उसकी पू त भी नहीं कया. वह एक नहायत बेकार जं दगी जीता है जै से के बकरी की गदन से झू लने वाले तन. जो नीच लोग होते है वो सर की कीत को देखकर जलते है . वो सर के बार अपशद कहते है यों की उनकी कु करने की औकात नहीं है . यद वषय बत है तो वो बं धन डालते है . वषय सुख की अनास से मु की और गत होती है . इसीलए मु या बं धन का मूल मन ही है . जो आम वप का बोध होने से खुद को शारीर नहीं मानता, वह हरदम समाधी ही रहता है भले ही उसका शरीर कही भी चला जाए. कस को सब सुख जसकी कामना की. सब कु भगवान् के हाथ है . इसलए हम सं तोष जीना होगा. जस कार एक गाय का बछड़ा, हजारो गायो अपनी मा के पीछे चलता है उसी तरह कम आदमी के पीछे चलते है . जस के काम करने कोई यवथा नहीं , उसे कोई सुख नहीं मल सकता. लोगो के बीच या वन . लोगो के मलने से उसका दय जलता है और वन तो कोई सुवधा होती ही नहीं . यद आदमी उपकरण का सहारा ले तो गभ जल से पानी नकाल सकता है . उसी तरह यद वाथी अपने गु की सेवा कर तो गु के पास जो ान नध है उसे करता है . हम अपने कम का फल मलता है . हमारी बु पर इसके पहले हमने जो कम कये है उसका नशान है . इसीलए जो बुमान लोग है वो सोच वचार कर कम करते है . जस ने आपको अयािमक महा का एक अर भी पढाया उसकी पूजा करनी चाहए. जो ऐसे गु का समान नहीं करता वह सौ बार कु का जम लेता है . और आखर चं डाल बनता है . चां डाल वह है जो कु खाता है . जब युग का अं त हो जायेगा तो मे पव त डग जाएगा. जब कप का अं त होगा तो सातों समु का पानी वचलत हो जायगा. लेकन साधू कभी भी अपने अयािमक माग से नहीं डगेगा. इस धरती पर , जल और मीठे वचन ये असली रन है . मू खो को लगता है पथर के टुकड़े रन है . अयाय चौदह गरीबी, ःख और एक बं दी का जीवन यह सब के कए पापो का ही फल है . आप दौलत, , पनी और राय गवाकर वापस पा सकते है लेकन यद आप अपनी काया गवा दे ते है तो वापस नहीं मलेगी. यद हम बड़ी सं या एक हो जाए तो मन को हरा सकते है . उसी कार जै से घास के तनके एक सर के साथ रहने के कारण भारी बारश भी नहीं होते . पानी पर तेल, एक कमीने आदमी को बताया राज, एक लायक को दया दान और एक बुमान को पढाया शाों का ान अपने वभाव के कारण तेजी से फै लते है . वह यों मु को नहीं पायेगा जो नन लखत परथतयों जो उसके मन की अवथा होती है उसे कायम रखता है ... जब वह धम के अनुदेश को सुनता है . जब वह मशान घाट होता है . जब वह बीमार होता है . वह यों पू णता नहीं हासल कर े गा जो पाताप जो मन की अवथा होती है , उसी अवथा को काम करते वत बनाए रखगा. हम अभमान नहीं होना चाहए जब हम ये बाते करते है .. . परोपकार . आम सं यम . पराम . शा का ान हासल करना. . वनता . नीतमा यह करते वत अभमान करने की इसलए जरत नहीं यों की नया बत कम दखाई दे ने वाले ल भ रनों से भरी पड़ी है . वह जो हमार मन रहता हमार नकट है . हो सकता है की वातव वह हमसे बत दूर हो. लेकन वह जो हमार नकट है लेकन हमार मन नहीं है वह हमसे बहोत दूर है . यद हम कसीसे कु पाना चाहते है तो उससे ऐसे शद बोले जससे वह हो जाए. उसी कार जै से एक शकारी मधुर गीत गाता है जब वह हरन पर बाण चलाना चाहता है . जो राजा से , से , धम गु से और से बत परचय बढ़ाता है वह वनाश को होता है . जो इनसे पू ण से अल रहता है , उसे अपना भला करने का कोई अवसर नहीं मलता. इसलए इनसे सुरत अं तर रखकर सबध रखना चाहए. हम इनके साथ बत सावधानी से पेश आये .. . . पानी . औरत . मु ख . साप . राज परवार के सदय. जब जब हम इनके संपक आते है . योक ये हम एक झटके मौत तक पं चा सकते है . वही जीवत है जो गुणवान है और पुयवान है . लेकन जसके पास धम और गुण नहीं उसे या शुभ कामना दी जा सकती है . यद आप नया को एक काम करके जतना चाहते हो तो इन पं धरा को अपने काबू रखो. इह इधर उधर ना भागने दे . पां च इियों के वषय . जो दखाई देता है . जो सुनाई देता है . जसकी गं ध आती है . जसका वाद आता है . . जसका पश होता है . पां च इिय . आँख . कान . नाक . जहा . वचा पां च कमेिय . हाथ . पा ँव . मुह . जननय . गुदा वही पं डत है जो वही बात बोलता है जो सं ग के अनुप हो. जो अपनी के अनुप सरो की ेम से सेवा करता है . जसे अपने ोध की मया दा का पता है . एक ही वतु देखने वालो की योयता के अनुप बलग बलग दखती है . तप करने वाले वतु को देखकर कोई कामना नहीं जागती. लपट आदमी को हर वातु दखती है . कु को हर वतु मां स दखता है . जो बुमान है वह नन लखत बाते कसी को ना बताये ... वह औषध उसने कै से बनायीं जो अछा काम कर रही है . वह परोपकार जो उसने कया. उसके घर के झगडे . उसकी उसके पनी के साथ होने वाली यगत बाते . उसने जो ठीक से पका खाना खाया. जो गालया उसने सुनी. कोकल तब तक मौन रहते है . जबतक वो मीठा गाने की क़ाबलयत हासल नहीं कर ले ते और सबको आनं द नहीं पं चा सकते . हम नन लखत बाते कर और उसे कायम रखे . हम पुय कम के जो आशीवा द मले . धन, अनाज, वो शद जो हमने हमार अयािमक गु से सु ने . कम पायी जाने वाली दवाइया. हम ऐसा नहीं करते है तो जीना मुिकल हो जाएगा. कु सं ग का याग कर और सं त जानो से मेलजोल बढाए. दन और रात गु णों का सं पादन कर . उसपर हमेशा चं तन कर जो शात है और जो अनय है उसे भूल जाए. अयाय पं ह वह जसका दय हर ाणी मा के कणा से पघलता है . उसे जरत या है कसी ान की, मु की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की. इस नया वह खजाना नहीं है जो आपको आपके सदगु ने ान का एक अर दया उसके कजे से मु कर सके . काटो से और लोगो से बचने के दो उपाय है . पैर जु ते पहनो और उह इतना शम सार करो की वो अपना सर उठा ना सके और आपसे दूर रहे . जो अवछ कपडे पहनता है . जसके दात साफ़ नहीं . जो बहोत खाता है . जो कठोर शद बोलता है . जो सू योदय के बाद उठता है . उसका कतना भी बड़ा यव यों हो, वह लमी की कृपा से वं चत रह जायेगा. जब दौलत खोता है तो उसके , पनी, नौकर, सबधी उसे छोड़कर चले जाते है . और जब वह दौलत वापस हासल करता है तो ये सब लौट आते है . इसीलए दौलत ही सबसे अछा रतेदार है . पाप से कमाया पैसा दस साल रह सकता है . यारवे साल वह लु हो जाता है , उसकी मुल के साथ. एक महान आदमी जब कोई गलत काम करता है तो उसे कोई कु नहीं कहता. एक नीच आदमी जब कोई अछा काम भी करता है तो उसका धार होता है . देखये अमृत पीना तो अछा है लेकन राहू की मौत अमृत पने से ही . वष पीना नुकसानदायी है लेकन भगवान् शं कर ने जब वष ाशन कया तो वष उनके गले का अलं कार हो गया. एक सा भोजन वह है जो ाण को दे ने के बाद शेष है . ेम वह सय है जो सरो को दया जाता है . खुद से जो ेम होता है वह नहीं . वही बुमा है जो पाप करने से रोकती है . वही दान है जो बना दखावे के कया जाता है . यद आदमी को परख नहीं है तो वह अनमोल रनों को तो पैर की धुल पडा रखता है और घास को सर पर धारण करता है . ऐसा करने से रनों का मूय कम नहीं होता और घास के तनको की महा नहीं बढती. जब ववेक बु वाला आदमी आता है तो हर चीज को उसकी जगह दखाता है . शाों का ान अगाध है . वो कलाए अनं त जो हम सीखनी छाहये . हमार पास समय थोडा है . जो सखने के मौके है उसमे अनेक वन आते है . इसीलए वही सीखे जो अयं त महवपू ण है . उसी कार जै से हं स पानी छोड़कर उसमे मला दूध पी लेता है . वह आदमी चं डाल है जो एक दूर से अचानक आये थके मांदे अतथ को आदर सकार दए बना रा का भोजन खुद खाता है . एक को चारो वेद और सभी धमशाों का ान है . लेकन उसे यद अपने आमा की अनु भूत नहीं तो वह उसी चमचे के समान है जसने अनेक पकवानों को हलाया लेकन कसी का वाद नहीं चखा. वह लोग धय है , ऊँचे उठे है जहों ने सं सार समु को पार करते एक से ाण की शरण ली. उनकी शरणागत ने नौका का काम कया. वे ऐसे मुसाफरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामाय जहाज पर सवार है जसके डूबने का खतरा है . चमा जो अमृत से लबालब है और जो औषधयों की देवता माना जाता है , जो अमृत के समान अमर और दैदीयमान है . उसका या होता है जब वह सू य के घर जाता है अथा त दन दखाई देता है . तो या एक सामाय आदमी सर के घर जाकर लघुता को नहीं होगा. यह मधु मखी जो कमल की नाजुक पं खडयो बैठकर उसके मीठे मधु का पान करती थी, वह अब एक सामाय कु टज के फूल पर अपना ताव मारती है . यों की वह ऐसे देश गयी है जहा कमल है ही नहीं , उसे कु टज के पराग ही अछे लगते है . हे भगवान् वणु , मेर वामी, मै ाणों के घर इस लए नहीं रहती यों की..... अगय ऋष ने गुसे समु को ( जो मेर पता है ) पी लया. भृ गु मुन ने आपकी छाती पर लात मारी. ाणों को पढने बहोत आनं द आता है और वे मेरी जो पध क है उस सरवती की हरदम कृपा चाहते है . और वे रोज कमल के फूल को जो मेरा नवास है जलाशय से नकलते है और भगवान् शव की पूजा करते है . नया बा ँधने के ऐसे अनेक तरीके है जससे को भाव लाया जा सकता है और नयं त कया जा सकता है . सबसे मजबूत बं धन ेम का है . इसका उदाहरण वह मधु मखी है जो लकड़ी को छेड़ सकती है लेकन फूल की पंखु डयो को छेदना पसं द नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए. चदन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते . हाथी बुढा होने पर भी अपनी लीला नहीं छोड़ता. गा नचोड़े जाने पर भी अपनी मठास नहीं छोड़ता. उसी कार ऊँचे कु पैदा अपने उत गु णों को नहीं छोड़ता भले ही उसे कतनी भी गरीबी यों ना बसर करना पड़े . अयाय सोलह (यहा लपट या पुष अभेत है ) का दय पू ण नहीं है वह बटा है . जब वह एक आदमी से बात करती है तो सर की ओर वासना से देखती है और मन तीसर को चाहती है . मु ख को लगता है की वह हसीन लड़की उसे यार करती है . वह उसका गुलाम बन जाता है और उसके इशारो पर नाचता है . ऐसा यहा कौन है जसमे दौलत पाने के बाद मती नहीं आई. या कोई बेलगाम आदमी अपने सं कटों पर रोक लगा पाया. इस नया कस आदमी को औरत ने कजे नहीं कया. कस के ऊपर राजा की हरदम मेहेरबानी रही. कसके ऊपर समय के कोप नहीं . कस भखारी को यहा शोहरत मली. कस आदमी ने के गु ण पाकर सुख को कया. को महा उसके गुण दान करते है वह जन पदों पर काम करता है सफ उससे कु नहीं होता. या आप एक कौवे को गड़ कहगे यद वह एक ऊँची ईमारत के छत पर जाकर बैठता है . जो गु णों से रहत है लेकन जसकी लोग सराहना करते है वह नया काबल माना जा सकता है . लेकन जो आदमी खुद की ही डींगे हाकता है वो अपने आप को सर की नजरो गराता है भले ही वह वग का राजा इं हो. यद एक ववेक सं प अछे गु णों का परचय देता है तो उसके गु णों की आभा को रन जैसी मायता मलती है . एक ऐसा रन जो वलत है और सोने के अलं कर मढने पर और चमकता है . वह जो सव गुण सं प है अपने आप को नहीं कर सकता है जबतक उसे समुचत सं रण नहीं मल जाता. उसी कार जै से एक मण तब तक नहीं नखरता जब तक उसे आभू षण सजाया ना जाए. मुझे वह दौलत नहीं चाहए जसके लए कठोर यातना सहनी पड़े , या सदाचार का याग करना पड़े या अपने शु की चापलूसी करनी पड़े . जो अपनी दौलत, पकवान और औरते भोगकर संतु नहीं ऐसे बहोत लोग पहले मर चुके है . अभी भी मर रहे है और भवय भी मर गे . सभी परोपकार और तप ताकालक लाभ दे ते है . लेकन सुपा को जो दान दया जाता है और सभी जीवो को जो सं रण दान कया जाता है उसका पुय कभी नहीं होता. घास का तनका हका है . कपास उससे भी हका है . भखारी तो अनं त गुना हका है . फर हवा का झोका उसे उड़ाके यों नहीं ले जाता. योक वह डरता है कही वह भीख मां ग ले . बेइत होकर जीने से अछा है की मर जाए. मरने एक का ःख होता है पर बेइत होकर जीने हर रोज ःख उठाना पड़ता है . सभी जीव मीठे वचनों से आनं दत होते है . इसीलए हम सबसे मीठे वचन कहे . मीठे वचन की कोई कमी नहीं है . इस नया के वृ को दो मीठे फल लगे है . मधुर वचन और ससं ग. पहले के जमो की अछी आदते जै से दान, वाज न और तप इस जनम भी चलती रहती है . योक सभी जनम एक ुंखला से जुड़े है . जसका ान कताबो समट गया है और जसने अपनी दौलत सरो के सुपुद कर दी है वह जरत आने पर ान या दौलत कु भी इतमाल नहीं कर सकता. अयाय सह वह वान जसने असं य कताबो का अययन बना सदगु के आशीवा द से कर लया वह वानों की सभा एक से वान के नहीं चमकता है . उसी कार जस कार एक नाजायज औलाद को नया कोई ता हासल नहीं होती. हम सरो से जो मदद है उसे हम लौटना चाहए. उसी कार यद कसीने हमसे यद ता की है तो हम भी उससे ता करनी चाहए. ऐसा करने कोई पाप नहीं है . वह चीज जो दूर दखाई देती है , जो असं भव दखाई देती है , जो हमारी पच से बहार दखाई देती है , वह भी आसानी से हासल हो सकती है यद हम तप करते है . यों की तप से ऊपर कु नहीं . लोभ से बड़ा गु ण या हो सकता है . पर नं दा से बड़ा पाप या है . जो सय थापत है उसे तप करने की या जरत है . जसका दय शु है उसे तीथ याा की या जरत है . यद वभाव अछा है तो और कस गुण की जरत है . यद कीत है तो अलं कार की या जरत है . यद यवहार ान है तो दौलत की या जरत है . और यद अपमान है तो मृ यु से भयं कर नहीं है या. समु ही सभी रनों का भडार है . वह शं ख का पता है . देवी लमी शं ख की बहन है . लेकन दर दर पर भीख मांगने वाले हाथ शं ख ले कर घू मते है . इससे यह बात होती है की उसी को मलेगा जसने पहले दया है . जब आदमी नहीं रह जाती वह साधू हो जाता है . जसके पास दौलत नहीं होती वह चारी बन जाता है . भगवान् का हो जाता है . जब औरत बूढी होती है तो पत के समप त हो जाती है . साप के दं श वष होता है . कीड़े के मुह वष होता है . बछू के डं ख वष होता है . लेकन तो पू ण से वष से भरा होता है . जो अपने पत की समत के बना रखती है और उपवास करती है , वह उसकी आयु घटाती है और खुद नरक जाती है . दान दे कर, उपवास रख कर और पव जल का पान करके पावन नहीं हो सकती. वह पत के चरणों को धोने से और ऐसे जल का पान करने से शु होती है . एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान दे ने से है . चदन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से नम लता आती है . एक भोजन खलाने से नहीं समान दे ने से संतु होता है . मु खुद को सजाने से नहीं होती, अयािमक ान को जगाने से होती है . टु ंडी फल खाने से आदमी की समझ खो जाती है . वच मूल खलाने से लौट आती है . औरत के कारण आदमी की खो जाती है , दूध से वापस आती है . जसमे सभी जीवो के परोपकार की भावना है वह सभी सं कटों पर मात करता है और उसे हर कदम पर सभी कार की सपता होती है . वह इं के राय जाकर या सुख भोगेगा.... जसकी पनी ेमभाव रखने वाली और सदाचारी है . जसके पास सं प है . जसका पु सदाचारी और अछे गुण वाला है . जसको अपने पु ारा पौ है . मनुयों और नन तर के ाणयों खाना, सोना, घबराना और गमन करना समान है . मनुय अय ाणयों से है तो ववेक ान की बदौलत. इसलए जन मनुयों ान नहीं है वे पशु है . यद मद मत हाथी अपने माथे से टपकने वाले रस को पीने वाले भौरों को कान हलाकर उड़ा देता है , तो भौरों का कु नहीं जाता, वे कमल से भर तालाब की ओर ख़ुशी से चले जाते है . हाथी के माथे का शृं गार कम हो जाता है . ये आठो कभी सरो का ःख नहीं समझ सकते ... . राजा . वेया . यमराज . . चोर . छोटा बा . भखारी और . कर वसूल करने वाला. हे महला, तुम नचे ककर या देख रही हो? या तुहारा कु जमीन पर गर गया है ? हे मु ख , मेर ताय का मोती जाने कहा फसल गया. हे के तकी पुप! तुममे तो कीड़े रहते है . तुमसे ऐसा कोई फल भी नहीं बनता जो खाया जाय. तुहार पे काटो से ढके है . तुम टे ढ़े होकर बढ़ते हो. कीचड़ खलते हो. कोई तुहे आसानी से पा नहीं सकता. लेकन तुहारी अतुलनीय खु शबु के कारण सर पु पों की तरह सभी को हो. इसीलए एक ही अछाई अनेक बुराइयों पर भारी पड़ती है .

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  • अ�याय एक

    १. तीनो लोको के �वामी सव� श��मान भगवान �व�णु को नमन करते �ए मै एक रा�य के �लए नी�तशा� के �स�ांतों को कहता हँू. मै यह सू� अनेक शा�ों का आधार ले कर कह रहा हँू।

    2. जो �य�� शा�ों के सू�ों का अ�यास करके �ान �हण करे गा उसे अ�यंत वैभवशाली कत� �य के�स�ांत �ात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा �क �कन बातों का अनुशरण करना चा�हए और�कनका नहीं। उसे अ�छाई और बुराई का भी �ात होगा और अंततः उसे सवो� �म का भी �ान होगा।

    ३. इस�लए लोगो का भला करने के �लए मै उन बातों को कहंूगा �जनसे लोग सभी चीजों को सहीप�रपे��य मे देखेगे।

    ४. एक पं�डत भी घोर क� म� आ जाता है य�द वह �कसी मुख� को उपदेश देता है, य�द वह एक ��प�नी का पालन-पोषण करता है या �कसी �खी �य�� के साथ अतयंत घ�न� स�ब�ध बना लेता है.

    ५. �� प�नी, झूठा �म�, बदमाश नौकर और सप� के साथ �नवास सा�ात् मृ�यु के समान है।

    ६ . �य�� को आने वाली मुसीबतो से �नबटने के �लए धन संचय करना चा�हए। उसे धन-स�पदा�यागकर भी प�नी की सुर�ा करनी चा�हए। ले�कन य�द आ�मा की सुर�ा की बात आती है तो उसे

    धन और प�नी दोनो को तु��य समझना चा�हए।

    ७ .भ�व�य म� आने वाली मुसीबतो के �लए धन एक��त कर� । ऐसा ना सोच� की धनवान �य�� कोमुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संग�ठत धन भी तेजी से घटने लगता है।

    ८. उस देश मे �नवास न कर� जहाँ आपकी कोई ई�त नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते,जहा आपका कोई �म� नहीं और जहा आप कोई �ान आ�ज� त नहीं कर सकते।

    ९ . ऐसे जगह एक �दन भी �नवास न कर� जहाँ �न�न�ल�खत पांच ना हो:

    एक धनवान �य�� ,

    एक �ा�ण जो वै�दक शा�ों म� �नपुण हो,

    एक राजा,

    एक नदी ,

    और एक �च�क�सक।

    १० . बु��मान �य�� को ऐसे देश म� कभी नहीं जाना चा�हए जहाँ :

    रोजगार कमाने का कोई मा�यम ना हो,

    जहा लोगों को �कसी बात का भय न हो,

    जहा लोगो को �कसी बात की ल�ा न हो,

    जहा लोग बु��मान न हो,

    और जहाँ लोगो की वृ�� दान धरम करने की ना हो।

    ११ . नौकर की परी�ा तब कर� जब वह क�� �य का पालन न कर रहा हो,

    �र�तेदार की परी�ा तब कर� जब आप मुसीबत मे �घर� हों,

    �म� की परी�ा �वपरीत प�र��थ�तयों मे कर� ,

    और जब आपका व� अ�छा न चल रहा हो तब प�नी की परी�ा करे ।

    १२ . अ�छा �म� वही है जो हमे �न�न�ल�खत प�र��थ�तयों म� नहीं �यागे:

    आव�यकता पड़ने पर,

    �कसी �घ� टना पड़ने पर,

    जब अकाल पड़ा हो,

    जब यु� चल रहा हो,

    जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,

    और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।

    १३ . जो �य�� कसी नाशवंत चीज के �लए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तोउसके हाथ से अ�वनाशी व�तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी

    वह खो देता है।

    १४ . एक बु��मान �य�� को �कसी इ�तदार घर की अ�ववा�हत क�या से �कस वयंग होने केबावजूद भी �ववाह करना चा�हए। उसे �कसी हीन घर की अ�यंत सु�दर �ी से भी �ववाह नहीं करनी

    चा�हए। शादी-�ववाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही िउचत होता है।

    १५ . इन ५ पर कभी �व�ास ना कर� :

    १. न�दयां,

    २. �जन �य��यों के पास अ��-श� हों,

    ३. नाख़ून और सींग वाले पशु,

    ४. औरत� (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )

    ५. राज घरानो के लोगो पर।

    १७ . म�हलाओं म� पु�षों �क अपे�ा:

    भूख दो गुना,

    ल�ा चार गुना,

    साहस छः गुना,

    और काम आठ गुना होती है।

    अ�याय दो

    1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अप�व�ता और �नद� यता ये औरतो केकुछ नैस�ग� क �गु� ण है।

    2.भोजन के यो�य पदाथ� और भोजन करने की �मता, सु�दर �ी और उसे भोगने के �लए काम श��,पया� � धनराशी तथा दान देने की भावना - ऐसे संयोगों का होना सामा�य तप का फल नहीं है।

    ३. उस �य�� ने धरती पर ही �वग� को पा �लया : १. �जसका पु� आ�ांकारी है, २. �जसकी प�नीउसकी इ�छा के अनु�प �य�हार करती है, ३. �जसे अपने धन पर संतोष है।

    ४. पु� वही है जो �पता का कहना मानता हो, �पता वही है जो पु�ों का पालन-पोषण करे , �म� वही है�जस पर आप �व�ास कर सकते हों और प�नी वही है �जससे सुख �ा� हो।

    ५. ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बात� करते ह� , ले�कन आपके पीठ पीछे आपकोबबा� द करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस �वष के घड़े के समान है �जसकी उपरी

    सतह दूध से भरी है।

    ६. एक बुरे �म� पर तो कभी �व�ास ना करे । एक अ�छे �म� पर भी �व�ास ना कर� । �यंू�क य�द ऐसेलोग आपसे �� होते है तो आप के सभी राज से पदा� खोल द� गे।

    ७. मन म� सोंचे �ए काय� को �कसी के सामने �कट न कर� बि�क मनन पूव� क उसकी सुर�ा करते �एउसे काय� म� प�रणत कर द� ।

    ८. मुख� ता �खदायी है, जवानी भी �खदायी है,ले�कन इन सबसे कहीं �यादा �खदायी �कसी �सरेके घर जाकर उसका अहसान लेना है।

    ९. हर पव� त पर मा�ण�य नहीं होते, हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, स�न पु�ष भी हर जगह नहींहोते और हर वन मे च�दन के वृ� भी नहीं होते ह� ।

    १०. बु��मान �पता को अपने पु�ों को शुभ गुणों की सीख देनी चा�हए �यों�क नी�त� और �ानी�य��यों की ही कुल म� पूजा होती है।

    ११. जो माता व् �पता अपने ब�ों को �श�ा नहीं देते है वो तो ब�ों के श�ु के सामान ह� । �यों�क वे�व�ाहीन बालक �व�ानों की सभा म� वैसे ही �तर�कृत �कये जाते ह� जैसे हंसो की सभा मे बगुले।

    १२. लाड-�यार से ब�ों मे गलत आदते ढलती है, उ�ह� कड़ी �श�ा देने से वे अ�छी आदते सीखते है,इस�लए ब�ों को ज�रत पड़ने पर दि�डत कर� , �यादा लाड ना कर� ।

    १३. ऐसा एक भी �दन नहीं जाना चा�हए जब आपने एक �ोक, आधा �ोक, चौथाई �ोक, या �ोकका केवल एक अ�र नहीं सीखा, या आपने दान, अ�यास या कोई प�व� काय� नहीं �कया।

    १४. प�नी का �वयोग होना, आपने ही लोगो से बे-इजजत होना, बचा �आ ऋण, �� राजा की सेवाकरना, गरीबी एवं द�र�ों की सभा - ये छह बात� शरीर को �बना अ�� के ही जला देती ह� ।

    १५. नदी के �कनारे वाले वृ�, �सरे �य�� के घर मे जाने अथवा रहने वाली �ी एवं �बना मं��यों काराजा - ये सब �न�य ही शी� न�ट हो जाते ह� ।

    १६. एक �ा�ण का बल तेज और �व�ा है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बलउसकी दौलत मे है तथा एक शु� का बल उसकी सेवा परायणता मे है।

    १७. वे�या को �नध� न �य�� को �याग देना चा�हए, �जा को परा�जत राजा को �याग देना चा�हए,प��यों को फलर�हत वृ� �याग देना चा�हए एवं अ�त�थयों को भोजन करने के प�ात् मेजबान के घर

    से �नकल देना चा�हए।

    १८. �ा�ण द��णा �मलने के प�ात् आपने यजमानो को छोड़ देते है, �व�ान �व�ा �ा�� के बाद गु�को छोड़ जाते ह� और पशु जले �ए वन को �याग देते ह� ।

    १९. जो �य�� �राचारी, कुदृ�� वाले, एवं बुरे �थान पर रहने वाले मनु�य के साथ �म�ता करता है, वहशी� न� हो जाता है।

    २०. �ेम और �म�ता बराबर वालों म� अ�छी लगती है, राजा के यहाँ नौकरी करने वाले को ही स�मान�मलता है, �यवसायों म� वा�ण�य सबसे अ�छा है, अवं उ�म गुणों वाली �ी अपने घर म� सुर��त रहती

    है।

    अ�याय तीन

    1. इस ��नया मे ऐसा �कसका घर है �जस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और �ख सेमु� है.सदा सुख �कसको रहता है?

    २. मनु�य के कुल की �या�त उसके आचरण से होती है, मनु�य के बोल चल से उसके देश की �या�तबढ़ती है, मान स�मान उसके �ेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.

    ३. लड़की का बयाह अ�छे खानदान मे करना चा�हए. पु� को अचछी �श�ा देनी चा�हए, श�ु कोआप�� और क�ों म� डालना चा�हए, एवं �म�ों को धम� कम� म� लगाना चा�हए.

    4. एक �ज� न और एक सप� मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरे गा जब उसकी जान को खतरा होले�कन �ज� न पग पग पर हा�न प�चने की को�शश करे गा .

    ५. राजा लोग अपने आस पास अ�छे कुल के लोगो को इस�लए रखते है �यों�क ऐसे लोग ना आर�भमे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है.

    ६. जब �लय का समय आता है तो समु� भी अपनी मयारदा छोड़कर �कनारों को छोड़ अथवा तोड़जाते है, ले�कन स�न पु�ष �लय के सामान भयंकर आप�� अवं �वप�� म� भी आपनी मया� दा नहीं

    बदलते.

    ७. मूखो� के साथ �म�ता नहीं रखनी चा�हए उ�ह� �याग देना ही उ�चत है, �यों�क ��य� �प से वे दोपैरों वाले पशु के सामान ह� ,जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृ�य

    काँ टा शारीर म� घुसकर छलनी करता है .

    ८. �प और यौवन से स�प� तथा कुलीन प�रवार म� ज�मा लेने पर भी �व�ा हीन पु�ष पलाश के फूलके समान है जो सु�दर तो है ले�कन खुशबु र�हत है.

    ९. कोयल की सु�दरता उसके गायन मे है. एक �ी की सु�दरता उसके अपने �परवार के ��त समप� णमे है. एक बदसूरत आदमी की सु�दरता उसके �ान मे है तथा एक तप�वी की सु�दरता उसकी

    �माशीलता मे है.

    १०. कुल की र�ा के �लए एक सद�य का �बलदान द� ,गाव की र�ा के �लए एक कुल का �बलदान द� ,देश की र�ा के �लए एक गाव का �बलदान द� , आतमा की र�ा के �लए देश का �बलदान द� .

    ११.जो उ�मशील ह� , वे गरीब नहीं हो सकते, जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छूसकता. जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते. जो जागृत रहते है वो ि◌नभरय होते है.

    12. आ�या�धक सु�दरता के कारन सीताहरण �आ, अ�यंत घमंड के कारन रावन का अंत �आ,अ�य�धक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन म� बंधना पड़ा, अतः सव� � अ�त को �यागना चा�हए.

    १3. श��शाली लोगों के �लए कौनसा काय� क�ठन है ? �यापा�रओं के �लए कौनसा जगह दूर है,�व�ानों के �लए कोई देश �वदेश नहीं है, मधुभा�षयों का कोई श�ु नहीं.

    १४. �जस तरह सारा वन केवल एक ही पु�प अवं सुगंध भरे वृ� से महक जाता है उसी तरह एक हीगुणवान पु� पुरे कुल का नाम बढाता है.

    १५. �जस �कार केवल एक सुखा �आ जलता वृ� स�पूण� वन को जला देता है उसी �कार एक हीकुपु� सरे कुल के मान, मया� दा और ��त�ा को न� कर देता है.

    १६. �व�ान एवं सदाचारी एक ही पु� के कारन स�पूण� प�रवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे च��माके �नकालने पर रा�� जगमगा उठती है.

    १७. ऐसे अनेक पु� �कस काम के जो �ःख और �नराशा पैदा करे . इससे तो वह एक ही पु� अ�छा हैजो समपूणर घर को सहारा और शांि◌त पदान करे .

    १८. पांच साल तक पु� को लाड एवं �यार से पालन करना चा�हए, दस साल तक उसे छड़ी की मार सेडराए. ले�कन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे �म� के समान वयवहार करे .

    १९. वह �य�� सुर��त रह सकता है जो नीचे दी �ई प�र��थ�तयां उ�प� होने पर भाग जाए. १. भयावहआपदा. २. �वदेशी आ�मण ३. भयंकर अकाल ४. �ष �य�� का संग.

    २०. जो �य�� �न�न�ल�खत बाते अ�ज� त नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है. १. धमर २.अथ� ३. काम ४. मो�

    २१. धन की देवी ल��मी �वयं वहां चली आती है जहाँ ... १. मूखो का स�मान नहीं होता. २. अनाजका अचछे से भणडारण ि◌कया जाता है. ३. �पत, प�नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है.

    अ�याय चार

    �न�न�ल�खत बात� माता के गभ� म� ही �न��त हो जाती है.... १. �य�� �कतने साल �जयेगा २. वह �कस�कार का काम करे गा ३. उसके पास �कतनी संप�� होगी ४. उसकी मृ�यु कब होगी .

    पु� , �म�, सगे स�ब�धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, ले�कन जो लोग साधुओं का अनुशरणकरते है उनमे भ�� जागृत होती है और उनके उस पु�य से उनका सारा कुल ध�य हो जाता है .

    जैसे मछली दृ�ी से, कछुआ �यान देकर और पंछी �पश� करके अपने ब�ो को पालते है, वैसे हीसंतजन पु�षों की संगती मनु�य का पालन पोषण करती है.

    जब आपका शरीर �व�थ है और आपके �नयं�ण म� है उसी समय आ�मसा�ा�कार का उपाय कर लेनाचा�हए �यों�क मृ�यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.

    �व�ा अज� न करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम म� अमृत �दान करती है. वह �वदेशम� माता के समान र�क अवं �हतकारी होती है. इसी�लए �व�ा को एक गु� धन कहा जाता है.

    सैकड़ों गुणर�हत पु�ों से अ�छा एक गुणी पु� है �यों�क एक च��मा ही रा�� के अ�धकार कोभगाता है, असं�य तारे यह काम नहीं करते.

    एक ऐसा बालक जो ज�मते व�त मृत था, एक मुख� दीघा� यु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक�ण के �लए �ःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को �जंदगी भर �ःख की अ�� म� जलाता है.

    �न�न�ल�खत बाते �य�� को �बना आग के ही जलाती है... १. एक छोटे गाव म� बसना जहा रहने कीसु�वधाए उपल�ध नहीं. २. एक ऐसे �य�� के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल म� पैदा �आ है. ३.अ�वा�थ�वध� क भोजन का सेवन करना. ४. �जसकी प�नी हरदम गु�से म� होती है. ५. �जसको मुख�

    पु� है. ६. �जसकी पु�ी �वधवा हो गयी है.

    वह गाय �कस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो ब�े को ज�म देती है. उसी �कार उस ब�े काज�म �कस काम का जो ना ही �व�ान �आ ना ही भगवान् का भ� �आ.

    जब �य�� जीवन के �ःख से �लसता है उसे �न�न�ल�खत ही सहारा देते है... १. पु� और पु�ी २.प�नी ३. भगवान् के भ�.

    यह बाते एक बार ही होनी चा�हए.. १. राजा का बोलना. २. �ब�ान �य�� का बोलना. ३. लड़की का�याहना.

    जब आप तप करते है तो अकेले करे . अ�यास करते है तो �सरे के साथ करे . गायन करते है तो तीनलोग करे . कृ�ष चार लोग करे . यु� अनेक लोग �मलकर करे .

    वही अ�छी प�नी है जो शु�चपूण� है, पारंगत है, शु� है, प�त को �स� करने वाली है और स�यवादी है.

    �जस �य�� के पु� नहीं है उसका घर उजाड़ है. �जसे कोई स�ब�धी नहीं है उसकी सभी �दशाए उजाड़है. मुख� �य�� का �दय उजाड़ है. �नध� न �य�� का सब कुछ उजाड़ है.

    �जस अ�याि�मक सीख का आचरण नहीं �कया जाता वह जहर है. �जसका पेट ख़राब है उसके �लएभोजन जहर है. �नध� न �य�� के �लए लोगो का �कसी सामा�जक या �य��गत काय� �म म� एक�

    होना जहर है.

    �जस �य�� के पास धम� और दया नहीं है उसे दूर करो. �जस गु� के पास अ�याि�मक �ान नहीं है उसेदूर करो. �जस प�नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो. �जन �र�तेदारों के पास �ेम नहीं उ�ह� दूर

    करो.

    सतत �मण करना �य�� को बूढ़ा बना देता है. य�द घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा होजाता है. य�द �ी उसके प�त के साथ �णय नहीं करती हो तो बुढी हो जाती है. धुप म� रखने से कपडे

    पुराने हो जाते है.

    इन बातो को बार बार गौर करे ... सही समय सही �म� सही �ठकाना पैसे कमाने के सही साधन पैसेखचा� करने के सही तरीके आपके उजा� �ोत.

    ��ज अ�� म� भगवान् देखते है. भ�ो के �दय म� परमा�मा का वास होता है. जो अ�प म�त के लोग हैवो मू�त� म� भगवान् देखते है. ले�कन जो �यापक दृ�ी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान

    सव� �यापी है.

    पांचवा अ�याय

    �ा�णों को अ�� की पूजा करनी चा�हए . �सरे लोगों को �ा�ण की पूजा करनी चा�हए . प�नी कोप�त की पूजा करनी चा�हए तथा दोपहर के भोजन के �लए जो अ�त�थ आये उसकी सभी को पूजा

    करनी चा�हए

    सोने की परख उसे �घस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह �य�� कापरी�ण वह �कतना �याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका

    �यवहार कैसा है इससे होता है

    य�द आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. ले�कन य�द मुसीबत आ जाती है तो �कसीभी तरह उससे छुटकारा पाए.

    अनेक �य�� जो एक ही गभ� से पैदा �ए है या एक ही न�� म� पैदा �ए है वे एकसे नहीं रहते. उसी�कार जैसे बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते.

    वह �य�� �जसके हाथ �व�छ है काया� लय म� काम नहीं करना चाहता. �जस ने अपनी कामना कोख़तम कर �दया है, वह शारी�रक शंृगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा �आ �य�� है वो मीठे बोल बोल

    नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता.

    मूढ़ लोग बु��मानो से इ�या� करते है. गलत माग� पर चलने वाली औरत प�व� �ी से इ�या� करती है.बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इ�या� करती है.

    बुवाई करने वाला �कसान अपने बीजो का नाश करता है. य�द सेनाप�त नहीं है तो सेना का नाशहोता है.

    अ�ज� त �व�ा अ�यास से सुर��त रहती है.

    घर की इ�त अ�छे �यवहार से सुर��त रहती है.

    अ�छे गुणों से इ�तदार आदमी को मान �मलता है.

    �कसीभी �य�� का गु�सा उसकी आँखों म� �दखता है

    .

    धम�ं की र�ा पैसे से होती है.

    �ान की र�ा जमकर आजमाने से होती है.

    राजा से र�ा उसकी बात मानने से होती है.

    घर की र�ा एक द� गृ�हणी से होती है.

    जो वै�दक �ान की �नंदा करते है, शा�्त स�मत जीवनशैली की मजाक उड़ाते है, शांतीपूण� �वभावके लोगो की मजाक उड़ाते है, �बना �कसी आव�यकता के �ःख को �ा� होते है.

    दान गरीबी को ख़�म करता है. अ�छा आचरण �ःख को �मटाता है. �ववेक अ�ान को न� करता है.जानकारी भय को समा� करती है.

    वासना के समान ��कर कोई रोग नहीं. मोह के समान कोई श�ु नहीं. �ोध के समान अ�� नहीं.�व�प �ान के समान कोई बोध नहीं.

    �य�� अकेले ही पैदा होता है. अकेले ही मरता है. अपने कमो� के शुभ अशुभ प�रणाम अकेले हीभोगता है. अकेले ही नरक म� जाता है या सदग�त �ा� करता है.

    �जसने अपने �व�प को जान �लया उसके �लए �वग� तो �तनके के समान है. एक परा�मी यो�ाअपने जीवन को तु�छ मानता है. �जसने अपनी कामना को जीत �लया उसके �लए �ी भोग का

    �वषय नहीं. उसके �लए स�पूण� ��ा�ड तु�छ है �जसके मन म� कोई आस�� नहीं.

    जब आप सफ़र पर जाते हो तो �व�ाज� न ही आपका �म� है. घर म� प�नी �म� है. बीमार होने पर दवा�म� है. अ�ज� त पु�य मृ�यु के बाद एकमा� �म� है.

    समु� म� होने वाली वषा� �यथ� है. �जसका पेट भरा �आ है उसके �लए अ� �यथ� है. पैसे वाले आदमीके �लए भेट व�तु का कोई अथ� नहीं. �दन के समय जलता �दया �यथ� है.

    वषा� के जल के समान कोई जल नहीं. खुदकी श�� के समान कोई श�� नहीं. ने� �यो�त के समानकोई �काश नहीं. अ� से बढ़कर कोई संप�� नहीं.

    �नध� न को धन की कामना. पशु को वाणी की कामना. लोगो को �वग� की कामना. देव लोगो कोमु�� की कामना.

    स�य की श�� ही इस ��नया को धारण करती है. स�य की श�� से ही सूय� �काशमान है, हवाएचलती है, सही म� सब कुछ स�य पर आ��त है.

    ल��मी जो संप�� की देवता है, वह चंचला है. हमारी �ास भी चंचला है. हम �कतना समय �जय� गेइसका कोई �ठकाना नहीं. हम कहा रह� गे यह भी प�ा नहीं. कोई बात यहाँ पर प�ी है तो यह है की

    हमारा अ�ज� त पु�य �कतना है.

    आद�मयों म� नाई सबसे धूत� है. कौवा प�ीयों म� धूत� है. लोमड़ी �ाणीयो म� धूत� है. औरतो म� ल�पटऔरत सबसे धूत� है.

    ये सब आपके �पता है...१. �जसने आपको ज�म �दया. २. �जसने आपका य�ोप�वत सं�कार �कया. ३.�जसने आपको पढाया. ४. �जसने आपको भोजन �दया. ५. �जसने आपको भयपूण� प�र��थ�तयों म�

    बचाया.

    अ�याय छह

    �वण करने से धम�ं का �ान होता है, �ेष दूर होता है, �ान की �ा�� होती है और माया की आस��से मु�� होती है.

    प�ीयों म� कौवा नीच है. पशुओ म� कु�ा नीच है. जो तप�वी पाप करता है वो �घनौना है. ले�कन जोदूसरो की �नंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है.

    राख से �घसने पर पीतल चमकता है . ता�बा इमली से साफ़ होता है. औरते �दर से शु� होती है. नदीबहती रहे तो साफ़ रहती है.

    राजा, �ा�ण और तप�वी योगी जब �सरे देश जाते है, तो आदर पाते है. ले�कन औरत य�द भटकजाती है तो बबा� द हो जाती है.

    धनवान �य�� के कई �म� होते है. उसके कई स�ब�धी भी होते है. धनवान को ही आदमी कहाजाता है और पैसेवालों को ही पं�डत कह कर नवाजा जाता है.

    सव� श��मान के इ�छा से ही बु�� काम करती है, वही कमो� को �नयं�ीत करता है. उसी की इ�छा सेआस पास म� मदद करने वाले आ जाते है.

    काल सभी जीवो को �नपुणता �दान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागतारहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता.

    जो ज�म से अंध है वो देख नहीं सकते. उसी तरह जो वासना के अधीन है वो भी देख नहीं सकते.अहंकारी �य�� को कभी ऐसा नहीं लगता की वह कुछ बुरा कर रहा है. और जो पैसे के पीछे पड़े है

    उनको उनके कमो� म� कोई पाप �दखाई नहीं देता.

    जीवा�मा अपने कम� के माग� से जाता है. और जो भी भले बुरे प�रणाम कमो� के आते है उ�ह� भोगता है.अपने ही कमो� से वह संसार म� बंधता है और अपने ही कमो� से ब�धनों से छूटता है.

    राजा को उसके नाग�रको के पाप लगते है. राजा के यहाँ काम करने वाले पुजारी को राजा के पापलगते है. प�त को प�नी के पाप लगते है. गु� को उसके �श�यों के पाप लगते है.

    अपने ही घर म� �य�� के ये श�ु हो सकते है... उसका बाप य�द वह हरदम कज� म� डूबा रहता है.उसकी माँ य�द वह �सरे पु�ष से संग करती है. सु�दर प�नी वह लड़का �जसने �श�ा �ा� नहीं की.

    एक लालची आदमी को भेट वा�तु दे कर संतु� करे . एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतु� करे .एक मुख� को स�मान देकर संतु� करे . एक �व�ान् आदमी को सच बोलकर संतु� करे .

    एक बेकार रा�य का राजा होने से यह बेहतर है की �य�� �कसी रा�य का राजा ना हो. एक पापी का�म� होने से बेहतर है की �बना �म� का हो. एक मुख� का गु� होने से बेहतर है की �बना �श�य वाला

    हो. एक बुरीं प�नी होने से बेहतर है की �बना प�नी वाला हो.

    एक बेकार रा�य म� लोग सुखी कैसे हो? एक पापी से �कसी शाि�त की �ा�� कैसे हो? एक बुरी प�नीके साथ घर म� कौनसा सुख �ा� हो सकता है. एक नालायक �श�य को �श�ा देकर कैसे की�त�

    �ा� हो?

    शेर से एक बात सीखे. बगुले से एक. मुगे� से चार. कौवे से पाच. कु�े से छह. और गधे से तीन.

    शेर से यह ब�ढ़या बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एक�दली से और जबरद�त �यास सेकरे .

    बु��मान �य�� अपने इि��यों को बगुले की तरह वश म� करते �ए अपने ल��य को जगह, समय औरयो�यता का पूरा �यान रखते �ए पूण� करे .

    मुगे� से हे चार बाते सीखे... १. सही समय पर उठे. २. नीडर बने और लढ़े. ३. संप�� का �र�तेदारों सेउ�चत बटवारा करे . ४. अपने क� से अपना रोजगार �ा� करे .

    कौवे से ये पाच बाते सीखे... १. अपनी प�नी के साथ एकांत म� �णय करे . २. नीडरता ३. उपयोगीव�तुओ का संचय करे . ४. सभी ओर दृ�ी घुमाये. ५. �सरो पर आसानी से �व�ास ना करे .

    कु�े से ये बाते सीखे १. ब�त भूख हो पर खाने को कुछ ना �मले या कम �मले तो भी संतोष करे . २.गाढ़ी नींद म� हो तो भी �ण म� उठ जाए. ३. अपने �वामी के ��त बे�हचक इमानदारी रखे ४. नीडरता.

    गधे से ये तीन बाते सीखे. १. अपना बोझा ढोना ना छोड़े. २. सदी� गमी� की �चंता ना करे . ३. सदा संतु�रहे.

    जो �य�� इन बीस गुणों पर अमल करे गा वह जो भी करे गा सफल होगा.

    अ�याय सात

    एक बु��मान �य�� को �न�न�ल�खत बात� �कसी को नहीं बतानी चा�हए .. १. की उसकी दौलत खोचुकी है. २. उसे �ोध आ गया है. ३. उसकी प�नी ने जो गलत �यवहार �कया. ४. लोगो ने उसे जो

    गा�लया दी. ५. वह �कस �कार बेइ�त �आ है.

    जो �य�� आ�थ� क �यवहार करने म� , �ान अज� न करने म� , खाने म� और काम-धंदा करने म� शमा� तानहीं है वो सुखी हो जाता है.

    जो सुख और शां�त का अनुभव �व�प �ान को �ा� करने से होता है, वैसा अनुभव जो लोभी लोगधन के लोभ म� यहाँ वहा भटकते रहते है उ�ह� नहीं होता.

    �य�� नीचे दी �ए ३ चीजो से संतु� रहे... १. खुदकी प�नी २. वह भोजन जो �वधाता ने �दान �कया.३. उतना धन �जतना इमानदारी से �मल गया.

    ले�कन �य�� को नीचे दी �ई ३ चीजो से संतु� नहीं होना चा�हए... १. अ�यास २. भगवान् का नाम�मरण. ३. परोपकार

    इन दोनों के म�य से कभी ना जाए.. १. दो �ा�ण. २. �ा�ण और उसके य� म� जलने वाली अ��. ३.प�त प�नी. ४. �वामी और उसका चाकर. ५. हल और बैल.

    अपना पैर कभी भी इनसे न छूने दे...१. अ�� २. अ�याि�मक गु� ३. �ा�ण ४. गाय ५. एक कुमा�रका६. एक उ� म� बड़ा आदमी. ५. एक ब�ा.

    हाथी से हजार गज की �री रखे. घोड़े से सौ की. �संग वाले जानवर से दस की. ले�कन �� जहा होउस जगह से ही �नकल जाए.

    हाथी को अंकुश से �नयं��त करे . घोड़े को थप थपा के. �संग वाले जानवर को डंडा �दखा के. एकबदमाश को तलवार से.

    �ा�ण अ�छे भोजन से तृ� होते है. मोर मेघ गज� ना से. साधू �सरो की स�प�ता देखकर और ���सरो की �वपदा देखकर.

    एक श��शाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करे . एक �� का ��तकार करे . और�जनकी श�� आपकी श�� के बराबर है उनसे समझौता �वन�ता से या कठोरता से करे .

    एक राजा की श�� उसकी श��शाली भुजाओ म� है. एक �ा�ण की श�� उसके �व�प �ान म� है.एक �ी की श�� उसकी सु�दरता, ता��य और मीठे वचनों म� है.

    अपने �यवहार म� ब�त सीधे ना रहे. आप य�द वन जाकर देखते है तो पाय� गे की जो पेड़ सीधे उगे उ�ह�काट �लया गया और जो पेड़ आड़े �तरछे है वो खड़े है.

    हंस वहा रहते है जहा पानी होता है. पानी सूखने पर वे उस जगह को छोड़ देते है. आप �कसी आदमीको ऐसा �यवहार ना करने दे की वह आपके पास आता जाता रहे.

    सं�चत धन खच� करने से बढ़ता है. उसी �कार जैसे ताजा जल जो अभी आया है बचता है, य�द पुराने��थर जल को �नकल बहार �कया जाये.

    वह �य�� �जसके पास धन है उसके पास �म� और स�ब�धी भी बहोत रहते है. वही इस ��नया म��टक पाता है और उसीको इ�त �मलती है.

    �वग� म� �नवास करने वाले देवता लोगो म� और धरती पर �नवास करने वाले लोगो म� कुछ सा�य पायाजाता है. उनके समान गुण है १. परोपकार २. मीठे वचन ३. भगवान् की आराधना. ४. �ा�णों के

    ज�रतों की पू�त� .

    नरक म� �नवास करने वाले और धरती पर �नवास करने वालो म� सा�यता - १. अ�या�धक �ोध २.कठोर वचन ३. अपने ही संबं�धयों से श�ुता ४. नीच लोगो से मै�ी ५. हीन हरकते करने वालो की

    चाकरी.

    य�द आप शेर की गुफा म� जाते हो तो आप को हाथी के माथे का म�ण �मल सकता है. ले�कन य�दआप लोमड़ी जहा रहती है वहा जाते हो तो बछड़े की पूछ या गधे की ह�ी के अलावा कुछ नहीं

    �मलेगा.

    एक अनपढ़ आदमी की �जंदगी �कसी कु�े की पूछ की तरह बेकार है. उससे ना उसकी इ�त हीढकती है और ना ही कीड़े म��खयों को भागने के काम आती है.

    य�द आप �द�यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इि��यों म� शु�ता होनी चा�हए. उसी �कारआपके �दय म� क�णा होनी चा�हए.

    �जस �कार एक फूल म� खुशबु है. तील म� तेल है. लकड़ी म� अ�� है. दूध म� घी है. ग�े म� गुड है. उसी�कार य�द आप ठीक से देखते हो तो हर �य�� म� परमा�मा है.

    अ�याय आठ

    नीच वग� के लोग दौलत चाहते है, म�यम वग� के दौलत और इ�त, ले�कन उ� वग� के लोग स�मानचाहते है �यों की स�मान ही उ� लोगो की असली दौलत है.

    दीपक अँधेरे का भ�ण करता है इसी�लए काला धुआ बनाता है. इसी �कार हम �जस �कार काअ� खाते है. माने साि�वक, राज�सक, ताम�सक उसी �कार के �वचार उ�प� करते है.

    हे �व�ान् पु�ष ! अपनी संप�� केवल पा� को ही दे और दूसरो को कभी ना दे. जो जल बादल कोसमु� देता है वह बड़ा मीठा होता है. बादल वषा� करके वह जल पृ�वी के सभी चल अचल जीवो को

    देता है और �फर उसे समु� को लौटा देता है.

    �व�ान् लोग जो त��व को जानने वाले है उ�होंने कहा है की मास खाने वाले चांडालो से हजार गुनानीच है. इस�लए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं.

    शरीर पर मा�लश करने के बाद, �मशान म� �चता का धुआ शरीर पर आने के बाद, स�भोग करने केबाद, दाढ़ी बनाने के बाद जब तक आदमी नहा ना ले वह चांडाल रहता है.

    जल अपच की दवा है. जल चैत�य �नमा� ण करता है, य�द उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है. पानीको भोजन के बाद तुरंत पीना �वष �पने के समान है.

    य�द �ान को उपयोग म� ना लाया जाए तो वह खो जाता है. आदमी य�द अ�ानी है तो खो जाता है.सेनाप�त के �बना सेना खो जाती है. प�त के �बना प�नी खो जाती है.

    वह आदमी अभागा है जो अपने बुढ़ापे म� प�नी की मृ�यु देखता है. वह भी अभागा है जो अपनीस�पदा संबं�धयों को सौप देता है. वह भी अभागा है जो खाने के �लए �सरो पर �नभ� र है.

    यह बाते बेकार है. वेद मं�ो का उ�ारण करना ले�कन �न�हत य� कमो� को ना करना. य� करनाले�कन बाद म� लोगो को दान दे कर तृ� ना करना. पूण� ता तो भ�� से ही आती है. भ�� ही सभी

    सफलताओ का मूल है.

    एक संय�मत मन के समान कोई तप नहीं. संतोष के समान कोई सुख नहीं. लोभ के समान कोई रोगनहीं. दया के समान कोई गुण नहीं.

    �ोध सा�ात् यम है. तृ�णा नरक की और ले जाने वाली वैतरणी है. �ान कामधेनु है. संतोष ही तोनंदनवन है.

    नी�त की उ�मता ही �य�� के सौंदय� का गहना है. उ�म आचरण से �य�� उ�रो�र ऊँचे लोक म�जाता है. सफलता ही �व�ा का आभूषण है. उ�चत �व�नयोग ही संप�� का गहना है.

    �न�त �� होने से सु�दरता का नाश होता है. हीन आचरण से अ�छे कुल का नाश होता है. पूण� ता नआने से �व�ा का नाश होता है. उ�चत �व�नयोग के �बना धन का नाश होता है.

    जो जल धरती म� समां गया वो शु� है. प�रवार को सम�प� त प�नी शु� है. लोगो का क�याण करनेवाला राजा शु� है. वह �ा�ण शु� है जो संतु� है.

    असंतु� �ा�ण, संतु� राजा, ल�ा रखने वाली वे�या, कठोर आचरण करने वाली गृ�हणी ये सभी लोग�वनाश को �ा� होते है.

    �या करना उचे कुल का य�द बु��म�ा ना हो. एक नीच कुल म� उ�प� होने वाले �व�ान् �य�� कास�मान देवता भी करते है.

    �व�ान् �य�� लोगो से स�मान पाता है. �व�ान् उसकी �व��ा के �लए हर जगह स�मान पाता है. यह�बलकुल सच है की �व�ा हर जगह स�मा�नत है.

    जो लोग �दखने म� सु�दर है, जवान है, ऊँचे कुल म� पैदा �ए है, वो बेकार है य�द उनके पास �व�ा नहींहै. वो तो पलाश के फूल के समान है जो �दखते तो अ�छे है पर महकते नहीं.

    यह धरती उन लोगो के भार से दबी जा रही है, जो मास खाते है, दा� पीते है, बेवकूफ है, वे सब तोआदमी होते �ए पशु ही है.

    उस य� के समान कोई श�ु नहीं �जसके उपरांत लोगो को बड़े पैमाने पर भोजन ना कराया जाए. ऐसाय� रा�यों को ख़तम कर देता है. य�द पुरो�हत य� म� ठीक से उ�ारण ना करे तो य� उसे ख़तम करदेता है. और य�द यजमान लोगो को दान एवं भेटव�तू ना दे तो वह भी य� �ारा ख़तम हो जाता है.

    अ�याय नौ

    तात, य�द तुम ज�म मरण के च� से मु� होना चाहते हो तो �जन �वषयो के पीछे तुम इि��यों कीसंतु�� के �लए भागते �फरते हो उ�ह� ऐसे �याग दो जैसे तुम �वष को �याग देते हो. इन सब को छोड़कर

    हे तात �त�त�ा, ईमानदारी का आचरण, दया, शु�चता और स�य इसका अमृत �पयो.

    वो कमीने लोग जो दूसरो की गु� खा�मयों को उजागर करते �ए �फरते है, उसी तरह न� हो जाते है�जस तरह कोई साप ची�टयों के टीलों म� जा कर मर जाता है.

    शायद �कसीने ��ाजी, जो इस सृ�� के �नमा� ता है, को यह सलाह नहीं दी की वह ... सुवण� कोसुगंध �दान करे . ग�े के झाड को फल �दान करे . च�दन के वृ� को फूल �दान करे . �व�ान् को धन

    �दान करे . राजा को ल�बी आयु �दान करे .

    अमृत सबसे ब�ढ़या औष�ध है. इि��य सुख म� अ�छा भोजन सव� �े� सुख है. ने� सभी इि��यों म� �े�है. म�तक शरीर के सभी भागो मे �े� है.

    कोई संदेशवाहक आकाश म� जा नहीं सकता और आकाश से कोई खबर आ नहीं सकती. वहा रहनेवाले लोगो की आवाज सुनाई नहीं देती. और उनके साथ कोई संपक� नहीं हो सकता. इसी�लए वह

    �ा�ण जो सूय� और च�� �हण की भ�व�य वाणी करता है, उसे �व�ान मानना चा�हए.

    इन सातो को जगा दे य�द ये सो जाए... १. �व�ाथी� २. सेवक ३. प�थक ४. भूखा आदमी ५. डरा �आआदमी ६. खजाने का र�क ७. खजांची

    इन सातो को नींद से नहीं जगाना चा�हए... १. साप २. राजा ३. बाघ ४. डंख करने वाला कीड़ा ५.छोटा ब�ा ६. �सरो का कु�ा ७. मुख�

    �ज�होंने वेदों का अ�ययन पैसा कमाने के �लए �कया और जो नीच काम करने वाले लोगो का �दया�आ अ� खाते है उनके पास कौनसी श�� हो सकती है. वो ऐसे भुजंगो के समान है जो दंश नहीं कर

    सकते.

    �जसके डाटने से सामने वाले के मन म� डर नहीं पैदा होता और �स� होने के बाद जो सामने वाले कोकुछ देता नहीं है. वो ना �कसी की र�ा कर सकता है ना �कसी को �नयं��त कर सकता है. ऐसा

    आदमी भला �या कर सकता है.

    य�द नाग अपना फना खड़ा करे तो भले ही वह जहरीला ना हो तो भी उसका यह करना सामने वालेके मन म� डर पैदा करने को पया� � है. यहाँ यह बात कोई माइना नहीं रखती की वह जहरीला है की

    नहीं.

    सुबह उठकर �दन भर जो दाव आप लगाने वाले है उसके बारे म� सोचे. दोपहर को अपनी माँ को यादकरे . रात को चोरो को ना भूले.

    आपको इ�� के समान वैभव �ा� होगा य�द आप.. अपने भगवान् के गले की माला अपने हाथो सेबनाये. अपने भगवान् के �लए च�दन अपने हाथो से �घसे. अपने हाथो से प�व� �ंथो को �लखे.

    गरीबी पर धैय� से मात करे . पुराने व�ो को �व�छ रखे. बासी अ� को गरम करे . अपनी कु�पता परअपने अ�छे �यवहार से मात करे .

    अ�याय दस

    �जसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल म� रहीस है, य�द उसके पास �व�ा है. ले�कन�जसके पास �व�ा नहीं है वह तो सब �कार से �नध� न है.

    हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना �आ जल �पए. हम वही बात बोले जो शा�स�मत है. हम वही काम करे �जसके बारे हम सावधानीपुव� क सोच चुके है.

    �जसे अपने इि��यों की तु�� चा�हए, वह �व�ा अज� न करने के सभी �वचार भूल जाए. और �जसे �ानचा�हए वह अपने इि��यों की तु�� भूल जाये. जो इि��य �वषयों म� लगा है उसे �ान कैसा, और �जसे

    �ान है वह �यथ� की इि��य तु�� म� लगा रहे यह संभव नहीं.

    वह �या है जो कवी क�पना म� नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है �जसे करने म� औरत स�म नहींहै. ऐसी कौनसी बकवास है जो दा� �पया �आ आदमी नहीं करता. ऐसा �या है जो कौवा नहीं खाता.

    �नय�त एक �भखारी को राजा और राजा को �भखारी बनाती है. वह एक अमीर आदमी को गरीब औरगरीब को अमीर.

    �भखारी यह कंजूस आदमी का ��मन है. एक अ�छा सलाहकार एक मुख� आदमी का श�ु है. वहप�नी जो पर पु�ष म� ��च रखती है, उसके �लए उसका प�त ही उसका श�ु है. जो चोर रात को काम

    करने �नकलता है, च��मा ही उसका श�ु है.

    �जनके पास यह कुछ नहीं है... �व�ा. तप. �ान. अ�छा �वभाव. गुण. दया भाव. ...वो धरती पर मनु�यके �प म� घुमने वाले पशु है. धरती पर उनका भार है.

    �जनके भेजे खाली है, वो कोई उपदेश नहीं समझते. य�द बास को मलय पव� त पर उगाया जाये तो भीउसमे च�दन के गुण नहीं आते.

    �जसे अपनी कोई अकल नहीं उसकी शा� �या भलाई कर� गे. एक अँधा आदमी आयने का �याकरे गा.

    एक बुरा आदमी सुधर नहीं सकता. आप पृ� भाग को चाहे �जतना साफ़ करे वो �े� भागो कीबराबरी नहीं कर सकता.

    अपने �नकट संबं�धयों का अपमान करने से जान जाती है. �सरो का अपमान करने से दौलत जातीहै. राजा का अपमान करने से सब कुछ जाता है. एक �ा�ण का अपमान करने से कुल का नाश हो

    जाता है.

    यह बेहतर है की आप जंगल म� एक झाड के नीचे रहे, जहा बाघ और हाथी रहते है, उस जगह रहकरआप फल खाए और जलपान करे , आप घास पर सोये और पुराने पेड़ो की खाले पहने. ले�कन आप

    अपने सगे संबं�धयों म� ना रहे य�द आप �नध� न हो गए है.

    �ा�ण एक वृ� के समान है. उसकी �ाथ� ना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वहीउसकी शाखाए है. वह जो पु�य कम� करता है वही उसके प�े है. इसी�लए उसने अपने मूल को

    बचाना चा�हए. य�द मूल न� हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और प�े भी.

    ल��मी मेरी माता है. �व�णु मेरे �पता है. वै�णव जन मेरे सगे स�ब�धी है. तीनो लोक मेरा देश है.

    रा�� के समय �कतने ही �कार के पंछी वृ� पर �व�ाम करते है. भोर होते ही सब पंछी दसो �दशाओम� उड़ जाते है. हम �यों भला �ःख करे य�द हमारे अपने हम� छोड़कर चले गए.

    �जसके पास म� �व�ा है वह श��शाली है. �नबु� � पु�ष के पास �या श�� हो सकती है? एक छोटाखरगोश भी चतुराई से मदम�त हाथी को तालाब म� �गरा देता है.

    हे �व��भर तू सबका पालन करता है. मै मेरे गुजारे की �यों �चंता क� जब मेरा मन तेरी म�हमा गानेम� लगा �आ है. आपके अनु�ह के �बना एक माता की छाती से दूध नहीं बह सकता और �शशु कापालन नहीं हो सकता. मै हरदम यही सोचता �आ, हे य� वं�शयो के �भु, हे ल��मी प�त, मेरा पूरा

    समय आपकी ही चरण सेवा म� खच� करता हू.

    अ�याय �यारह

    उदारता, वचनों म� मधुरता, साहस, आचरण म� �ववेक ये बाते कोई पा नहीं सकता ये मूल म� होनीचा�हए.

    जो अपने समाज को छोड़कर �सरे समाज को जा �मलता है, वह उसी राजा की तरह न� हो जाता हैजो अधम� के माग� पर चलता है.

    हाथी का शरीर �कतना �वशाल है ले�कन एक छोटे से अंकुश से �नयं��त हो जाता है. एक �दया घनेअ�धकार का नाश करता है, �या अँधेरे से �दया बड़ा है. एक कड़कती �ई �बजली एक पहाड़ कोतोड़ देती है, �या �बजली पहाड़ �जतनी �वशाल है. जी नहीं. �बलकुल नहीं. वही बड़ा है �जसकी

    श�� छा जाती है. इससे कोई फरक नहीं पड़ता की आकार �कतना है.

    जो घर गृह�थी के काम म� लगा रहता है वह कभी �ान �ा� नहीं कर सकता. मॉस खाने वाले के�दय म� दया नहीं हो सकती. लोभी �य�� कभी स�य भाषण नहीं कर सकता. और एक �शकारी म�

    कभी शु�ता नहीं हो सकती.

    एक �� �य�� म� कभी प�व�ता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जैसे समझा लो. नीम का वृ� कभीमीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी �शखा से मूल तक घी और श�र �छड़क दे.

    आप चाहे सौ बार प�व� जल म� �नान करे , आप अपने मन का मैल नहीं धो सकते. उसी �कार �जस�कार म�दरा का पा� प�व� नहीं हो सकता चाहे आप उसे गरम करके सारी म�दरा की भाप बना दे.

    इसम� कोई आ�य� नहीं की �य�� उन बातो के ��त अनुदगार कहता है �जसका उसे कोई �ान नहीं.उसी �कार जैसे एक जंगली �शकारी की प�नी हाथी के सर का म�ण फेककर गंूजे की माला धारण

    करती है.

    जो �य�� एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का �यान करे गा और मुह से कुछ नहीं बोलेगाउसे एक हजार करोड़ वष� तक �वग� लोक की �ा�� होगी.

    एक �व�ाथी� पूण� �प से �न�न �ल�खत बातो का �याग करे . १. काम २. �ोध ३. लोभ ४. �वा�द�भोजन की अपे�ा. ५. शरीर का शंृगार ६. अ�या�धक �ज�ासा ७. अ�धक �न�ा ८. शरीर �नवा� ह के

    �लए अ�या�धक �यास.

    वही सही म� �ा�ण है जो केवल एक बार के भोजन से संतु� रहे, �जस पर १६ सं�कार �कये गए हो,जो अपनी प�नी के साथ महीने म� केवल एक �दन समागम करे . माहवारी समा� होने के �सरे �दन.

    वह �ा�ण जो �कानदारी म� लगा है, असल म� वै�य ही है.

    �न�न �तर के लोगो से �जस �यवसाय म� संपक� आता है, वह �यवसाय �ा�ण को शु� बना देता है.

    वह �ा�ण जो �सरो के काम म� अड़ंगे डालता है, जो द�भी है, �वाथी� है, धोखेबाज है, �सरो से घृणाकरता है और बोलते समय मुह म� �मठास और �दय म� �ूरता रखता है, वह एक �ब�ी के समान है.

    एक �ा�ण जो तालाब को, कुए को, टाके को, बगीचे को और मं�दर को न� करता है, वह �ले�छ है.

    वह �ा�ण जो भगवान् के मू�त� की स�पदा चुराता है और वह अ�याि�मक गु� जो �सरे की प�नी केसाथ समागम करता है और जो अपना गुजारा करने के �लए कुछ भी और सब कुछ खाता है वह

    चांडाल है.

    एक गुणवान �य�� को वह सब कुछ दान म� देना चा�हए जो उसकी आव�यकता से अ�धक है.केवल दान के कारण ही कण� , बाली और राजा �व�मा�द�य आज तक चल रहे है. दे�खये उन मधुम��खयों को जो अपने पैर �खे से धारती पर पटक रही है. वो अपने आप से कहती है " आ�खर म�सब चला ही गया. हमने हमारे शहद को जो बचा कर रखा था, ना ही दान �दया और ना ही खुद

    खाया. अभी एक पल म� ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया."

    अ�याय बारह

    वह गृह�थ भगवान् की कृपा को पा चुका है �जसके घर म� आनंददायी वातावरण है. �जसके ब�ेगुणी है. �जसकी प�नी मधुर वाणी बोलती है. �जसके पास अपनी ज�रते पूरा करने के �लए पया� �धन है. जो अपनी प�नी से सुखपूण� स�ब�ध रखता है. �जसके नौकर उसका कहा मानते है. �जसकेघर म� मेहमान का �वागत �कया जाता है. �जसके घर म� मंगल दायी भगवान की पूजा रोज की जातीहै. जहा �वाद भरा भोजन और पान �कया जाता है. �जसे भगवान् के भ�ो की संगती म� आनंद आताहै. जो एक संकट का सामना करने वाले �ा�ण को भ�� भाव से अ�प दान देता है उसे बदले म�

    �वपुल लाभ होता है.

    वे लोग जो इस ��नया म� सुखी है. जो अपने संबं�धयों के ��त उदार है. अनजाने लोगो के ��त स�दयहै. अ�छे लोगो के ��त �ेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूत� ता पूण� �यवहार करते है. �व�ानों से कुछनहीं छुपाते. ��मनों के सामने साहस �दखाते है. बड़ो के ��त �वन� और प�नी के ��त स�त है.

    अरे लोमड़ी !!! उस �य�� के शरीर को तुरंत छोड़ दे. �जसके हाथो ने कोई दान नहीं �दया. �जसकेकानो ने कोई �व�ा �हण नहीं की. �जसके आँखों ने भगवान् का स�ा भ� नहीं देखा. �जसके पाँ वकभी तीथ� �े�ो म� नहीं गए. �जसने अधम� के माग� से कमाए �ए धन से अपना पेट भरा. और �जसने�बना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा रखा है. अरे लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दू�षत हो जाएगी.

    �ध�ार है उ�ह� �ज�ह� भगवान् �ी कृ�ण जो माँ यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो म� कोई भ��नहीं. मृदंग की �व�न �धक् तम �धक् तम करके ऐसे लोगो का �ध�ार करती है.

    बसंत ऋतू �या करे गी य�द बास पर प�े नहीं आते. सूय� का �या दोष य�द उ�ू �दन म� देख नहींसकता. बादलो का �या दोष य�द बा�रश की बंूदे चातक प�ी की चोच म� नहीं �गरती. उसे कोई कैसे

    बदल सकता है जो �कसी के मूल म� है.

    एक �� के मन म� स�णों का उदय हो सकता है य�द वह एक भ� से स�संग करता है. ले�कन ��का संग करने से भ� दू�षत नहीं होता. जमीन पर जो फूल �गरता है उससे धरती सुगि�धत होती है

    ले�कन पु�प को धरती की गंध नहीं लगती.

    उसका सही म� क�याण हो जाता है �जसे भ� के दश� न होते है. भ� म� तुरंत शु� करने की �मता है.प�व� �े� म� तो ल�बे समय के संपक� से शु�� होती है.

    एक अजनबी ने एक �ा�ण से पूछा. "बताइए, इस शहर म� महान �या है?". �ा�ण ने जवाब �दया कीखजूर के पेड़ का समूह महान है. अजनबी ने सवाल �कया की यहाँ दानी कौन है? जवाब �मला केवह धोबी जो सुबह कपडे ले जाता है और शाम को लौटाता है. �� �आ यहाँ सबसे का�बल कौन है.जवाब �मला यहाँ हर कोई �सरे का ��य और दारा हरण करने म� का�बल है. �� �आ की आप ऐसी

    जगह रह कैसे लेते हो? जवाब �मला की जैसे एक कीड़ा एक �ग� �ध यु� जगह पर रहता है.

    वह घर जहा �ा�णों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वै�दक मं�ो का जोर से उ�ारण नहींहोता. और जहा भगवान् को और �पतरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक �मशान है.

    स�य मेरी माता है. अ�याि�मक �ान मेरा �पता है. धमा� चरण मेरा बंधू है. दया मेरा �म� है. भीतर कीशां�त मेरी प�नी है. �मा मेरा पु� है. मेरे प�रवार म� ये छह लोग है.

    हमारे शारीर न�र है. धन म� तो कोई �थायी भाव नहीं है. ��यु हरदम हमारे �नकट है. इसी�लए हम�तुरंत पु�य कम� करने चा�हए.

    �ा�णों को �वा�द� भोजन म� आनंद आता है. गायो को ताज़ी कोमल घास खाने म� . प�नी को प�त केसा���य म� . ���यो को यु� म� आनंद आता है.

    जो �सरे के प�नी को अपनी माता मानता है, �सरे को धन को �मटटी का ढेला, �सरे के सुख �ःखको अपने सुख �ःख. उसी को सही दृ�ी �ा� है और वही �व�ान है.

    भगवान राम म� ये सब गुण है. १. स�णों म� �ीती. २. मीठे वचन ३. दान देने की ती� इ�छा श��. ४.�म�ो के साथ कपट र�हत �यवहार. ५. गु� की उप��थ�त म� �वन�ता ६. मन की गहरी शाि�त. ६. शु�आचरण ७. गुणों की परख ८. शा� के �ान की अनुभू�त ८. �प की सु�दरता ९. भगवत भ��.

    क�प त� तो एक लकड़ी ही है. सुवण� का सुमेर पव� त तो �न�छल है. �चंता म�ण तो एक प�थर है. सूय�म� ताप है. च��मा तो घटता बढ़ता रहता है. अमया� द समु� तो खारा है. काम देव का तो शरीर ही जलगया. महाराज ब�ल तो रा�स कुल म� पैदा �ए. कामधेनु तो पशु ही है. भगवान् राम के समान कौन है.

    �व�ा सफ़र म� हमारा �म� है. प�नी घर पर �म� है. औष�ध ��ण �य�� की �म� है. मरते व� तो पु�यकम� ही �म� है.

    राज प�रवारों से �श�ाचार सीखे. पं�डतो से बोलने की कला सीखे. जुआ�रयो से झूट बोलना सीखे.एक औरत से छल सीखे.

    �बना सोचे समझे खच� करने वाला, नटखट ब�ा �जसे अपना घर नहीं, झगड़े पर आमदा आदमी,अपनी प�नी को �ल� ��त करने वाला, जो अपने आचरण पर �यान नहीं देता है. ये सब लोग ज�दी ही

    बबा� द हो जाय� गे.

    एक �व�ान �य�� ने अपने भोजन की �चंता नहीं करनी चा�हए. उसे �सफ� अपने धम� को �नभाने की�चंता होनी चा�हए. हर �य�� का भोजन पर ज�म से ही अ�धकार है.

    �जसे दौलत, अनाज और �व�ा अ�ज� त करने म� और भोजन करने म� शम� नहीं आती वह सुखी रहताहै.

    बंूद बंूद से सागर बनता है. इसी तरह बंूद बंूद से �ान, गुण और संप�� �ा� होते है.

    जो �य�� अपने बुढ़ापे म� भी मुख� है वह सचमुच ही मुख� है. उसी �कार �जस �कार इ�� व�ण काफल �कतना भी पके मीठा नहीं होता.

    अ�याय तेरह

    य�द आदमी एक पल के �लए