चाणक्य नीति

51
चचचचचचचचचच आआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआ आआ आआआआआ आआआआ आआआआआ आआआआआआआ आआ आआआआआ आआआआ आआ Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life. आआआआआआ आआआआ-- आआआआआ आआआआआ आआआआ आआ, आआआआ आआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआआआआआआ आआ, आआआ आआआआआआआआ ॥१॥ आआआ आआ आआआआआआ आआआआआ आआ आआआआआआ आआआआ आआ आआ आआआआआ आआआआआ आआ आआआआआआ आआआ, आआआआ आआआआआआआआआ आआ आआआ आआआ आआआआआआआआआआआआआआ आआआआआ आआआआआ आआआआआआ ॥१॥ आआआआ-- आआआआ आआआआ आआआ आआआआआआआ आआ, आआ आआआआ आआ आआआ आआआ आआआआ आआआआआआआआआआ, आआआ आआआआ आआआआआआआ ॥२॥ आआ आआआआ आआ आआआआ आआ आआआआआआआ आआ आआआआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआ आआआआआआआआआआआ आआआ आआआ आआआआआआआ आआआआआआआ आआआ आआआआ आआआ ॥२॥ आआआआ-- आआआ आआआ आआ आआआआ आआआआ , आआआ आआआआआआआ आआआआ आआआआ आआआआ आआ आआ, आआआआ आआआआ आआआआआआआ ॥३॥ आआआआआ आआ आआआआ आआ आआआ आआआ आआ आआआ आआआआआआआ आआ आआआआ आआआआआआ आआआआ आआआआआआ आआआआआआआ आआ आआआआ आआ ॥३॥ आआआआ-- आआआआआआ आआआआआआ आआआ; आआआआआआआआआआआ आआआ आआआ आआआ आआ आआआ आआआआआआआ आआ, आआआआआआआ आआआ आआआआआ ॥४॥ आआआआआआआआआआ आआ आआआआआ आआआआआआ, आआआआआआ आआआआआआ आआ आआआ आआआआ आआआआ आआ आआ आआआआआआआ आआ आआआआआआआ आआआआ आआ आआआआआआ आआआआआआ आआ आआ आआआआआ आआआआ आआआआ आआ ॥४॥ आआआआ-- आआआआआआ आआआआआआ आआआआआ आआ, आआआआआ आआआआआआआ आआआआआआआआ आआआ आआआ आआआआ आआआ, आआ आआआआ आआआआआ आआआआ ॥५॥

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Chanakya neeti

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Page 1: चाणक्य नीति

चाणकयनीति

आरय चाणकरय अपन चाणकरय नीति गरथ म आदरश जीवन मलरय तिवसार स परकट कर ह

Nitishastra is a treatise on the ideal way of life and shows Chanakyas in depth study of the Indian way of life

अधरयारय १ दोहा-- समति बढावन सबतिह जन पावन नीति परकास टिटका चाणकरयनीति कर भन भवानीदास १म उन तिवषण भगवान को परणाम करक तिक जो ीनो लोको क सवामी ह अनक रशासतरो स उद ध राजनीतिसमचचरय तिवषरयक बा कहगा १दोहा-- तव सतिह पटिढ रशासतर रयह नर जान सब बा काज अकाज रशभारशभहिह मरम नीति तिवखरया २इस नीति क तिवषरय को रशासतर क अनसार अधरयरयन करक सजजन धमरशासतर म कह रशभारशभ कारयको जान ल ह २दोहा-- म सोड अब बरनन कर अति तिहकारक अजञ जाक जान हो जन सबही तिवधिध सवजञ ३लोगो की भलाई क लिलए म वह बा बाऊगा तिक जिजस समभकत लन मनषरय सवजञ हो जाा ह ३दोहा-- उपदरश लिरशषमढ कह वयभिभचारिरभिण टिढग वास अरिर को कर तिवशवास उर तिवदषह लह तिवनास ४मरखलिरशषरय को उपदरश दनस कक रशा सतरी का भरण पोषण करन स ओर दखिरखरयो का समपक ररखन स समझदार मनषरय को भी दःरखी होना पडा ह ४दोहा-- भाधिमनी दषटा धिमतर रशठ परति उततरदा भतरयअतिह रय बस अगार म सब तिवधिध मरिरबो सतरय ५जिजस मनषरय की सतरी दषटा ह नौकर उततर दनवाला (मह लगा) ह और जिजस घर म साप रहा ह उस घरम जो रह रहा ह ो तिनशचरय ह तिक तिकसीन तिकसी रोज उसकी मौ होगी ही ५दोहा-- धन गतिह रारखह तिवपति तिह धन वतिना धीर जिज वतिना धनक र सब रारख रशरीर ६आपभिततकाल क लिलए धनको ओर धन स भी बढकर सतरी की रकषा करनी चातिहरय तिकन सतरी ओर धन स भी बढकर अपनी रकषा करनी उलिच ह ६दोहा-- आपद तिह धन राखिरखरय धनहिह आपदा कौन सलिचह नलिरश जा ह जो लकषमी कर गौन ७आपभितत स बचन क लिलए धन तिक रकषा करनी चातिहरय इस पर रयह परशन होा ह तिक शरीमान क पास आपभितत आरयगी ही करयो उततर द ह तिक कोई ऐसा समरय भी आ जाा ह जब लकषमी महारानी भी चल

दी ह तिkर परशन होा ह तिक लकषमी क चल जानपर जो कोछ बचा बचारया धन ह वह भी चला जारयगा ही ७दोहा-- जहा न आदर जीतिवका नहिह तिपररय बनध तिनवास नहिह तिवदया जिजस दरश म करह न टिदन इक वास ८जिजस दरश म न सममान हो न रोजी हो न कोई भाईबनध हो और न तिवदया का ही आगम हो वहा तिनवास नही करना चातिहरय ८दोहा-- धतिनक वदतिपररय भप अर नदी वदय पतिन सोरय बसह नाहिह इक टिदवस ह जह रयह पञच न होरय ९धनी (महाजन) वदपाठी बराहमण राजा नदी और पाचव वदय रय पाच जहा न हो वहा एक टिदन भी न वसो ९दोहा-- दानदकषा लाज भरय रयातरा लोक न जान पाच नही जह दखिरखरय हा न बसह सजान १०जिजसम रोजी भरय लजजा उदारा और तरयागरशीला रय पाच गण तिवदयमान नही ऎस मनषरय स धिमतरा नही करनी चातिहरय १०दोहा-- काज भतरय क जातिनरय बनध परम दरख होरय धिमतर परखिरखरय तिवपति म तिवभव तिवनालिरश जोरय ११सवा कारय उपसथि| होन पर सवको की आपभिततकाल म धिमतर की दःरख म बानधवो की और धन क नषट हो जान पर सतरी की परीकषा की जाी ह ११दोहा-- दरख आर दरभिभकष म अरिर जरय कलह अभडग भपति भवन मसान म बनध सोइ रह सडग १२जो तिबमारी म दरख म दरभिभकष म रशतर दवारा तिकसी परकार का सडकट उपसथि| होनपर राजदवार म और शमरशान पर जो ठीक समरय पर पहचा ह वही बाधव कहलान का अधिधकारी ह १२दोहा-- धरव क जिज अधर अ गह लिचम अति सरख चातिह धरव तिनक नारश र अधर व नषट हव जातिह १३जो मनषरय तिनभिशच वस छोडकर अतिनभिशच की ओर दौडा ह ो उसकी तिनभिशच वस भी नषट हो जाी ह और अतिनभिशच ो मानो पहल ही स नषट थी १३दोहा-- कल जाीरय तिवरप दोउ चार वर करिर चाह रपवी उ नीच जिज समकल करिररय तिववाह १४समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह करपा भी कलवी कनरया क साथ तिववाह कर ल पर नीच सरपवी क साथ न कर करयोतिक तिववाह अपन समान कल म ही अचछा होा ह १४दोहा-- सरिरा शरडगी रशसतर अर जीव जिजन नरखवन तिरयको नपकलको था करहिह तिवशवास न सन १५नटिदरयो का रशसतरधारिररयोका बड-बड नरखवाल जनओ का सीगवालो का सतरिसतररयो का और राजकल क लोगो का तिवशवास नही करना चातिहरय १५दोहा-- गहह सधा तिवष कनक मल बहकरिर रयतन

नीचह तिवदया तिवमल दषकल तिरयरतन १६तिवष स भी अम अपतिवतर |ान स भी कञचन नीच मनषरय स भी उततम तिवदया और दषटकल स भी सतरीरतन को ल लना चातिहए १६दोहा-- तिरय अहार दखिरखरय तिदवगण लाज चरगन जान षटगन तिह वयवसारय तिरय काम अषटगन मान १७सतरिसतररयो म परषकी अपकषा दना आहार चौगनी लजजा छगना साहस और अठगना काम का वग रहा ह १७इति चाणकरयनीतिदपणो परथमोऽधरयारयः १

अधरयारय २ दोहा-- अन साहस मढा कपटर कघन आइ तिनरदरयार मलीना तिरयम सहज रजाइ १

1 झठ बोलना 2 एकाएक कोई काम कर बठना 3 नरखर करना 4 मरखा करना 5 जरयादा लालच ररखना 6 अपतिवतर रहना और 7 तिनदरया का बाव करना

रय सतरिसतररयो क सवाभातिवक दोष ह १दोहा-- सनदर भोजन रशलिकत रति रशलिकत सदा वर नारिर तिवभव दान की रशलिकत रयह बड पkल सरखकारिर २भोजन रयोगरयपदाथ का उपलबध हो रहना भोजन की रशलिकत तिवदयमान रहना (रयानी सवासथरय म तिकसी रह की रखराबी न रहना) रतिरशलिकत बनी रहना सनदरी सतरी का धिमलना इचछानकल धन रहना और साथ ही दानरशलिकत का भी रहना रय बा होना साधारण पसरया का kल नही ह (जो अरखणड पसरया तिकरय रहा ह उसको रय चीज उपलबध होी ह) २दोहा-- स आजञाकारी जिजनाहिह अनगाधिमतिन तिरय जान तिवभव अलप सनोष तिह सर पर इहा तिपछान ३जिजसका पतर अपन वरश म सतरी आजञाकारिरणी हो और जो पराप धन स सनषट ह उसक लिलरय रयहा सवग ह ३दोहा-- स ज तिप भलिकतर तिहकारक तिप होरय जतिह तिवशवास सो धिमतरवर सरखकारक तिरय होरय ४व ही पतर पतर ह जो तिपा क भकत ह वही तिपा तिपा ह हो अपनी सनानका उलिच रीति स पालन पोषण करा ह वही धिमतर धिमतर ह तिक जिजसपर अपना तिवशवास ह और वही सतरी सतरी ह तिक जहा हदरय आनजिनद होा ह ४

दोहा-- ओट कारय की हातिन करिर सममरख कर बरखान अस धिमतरन कह दर ज तिवष घट परयमरख जान ५जो पीठ पीछ अपना काम तिबगारशा हो और महपर मीठीमीठी बा करा हो ऎस धिमतर को तरयाग दना चातिहए वह वस ही ह जस तिकसी घड म गल क तिवष भरा हो तिकन मह पर थोडा सा दध डाल टिदरया गरया हो ५दोहा-- नहिह तिवशवास कधिमतर कर तिकजीरय धिमततह कौन कहतिह धिमतत कह कोपकरिर गोपह सब दरख मौन ६(अपनी तिकसी गप बा क तिवषरय म ) कधिमतर पर ो तिकसी रह तिवशवास न कर और धिमतर पर भी न कर करयोतिक हो सका ह तिक वह धिमतर कभी तिबगड जारय और सार गप भद रखोल द ६दोहा-- मन चिचति काज जो बनन कतिहरयन मनतर गढ राखिरखरय कतिहरय दोष काज सरखदन ७जो बा मनम सोच वह वचन स परकालिरश न कर उस गप बा की मनतरणा दवारा रकषा कर और गप ढग स ही उस काम म भी लाव ७दोहा-- मररखा अर रणा ह दोऊ दरखदारय पर घर बलिसो कषट अति नीति कह अस गारय ८पहला कषट ो मरख होना ह दसरा कषट ह जवानी और सब कषटो स बढकर कषट ह परारय घर म रहना ८दोहा-- परतितिगरिर नहिह मातिनक गतिनरय मौलिकत न परतिगज माहिह सब ठौर नहिह साध जन बन बन चनदन नाहिह ९हर एक पहाड पर माभिणक नही होा सब हालिथरयो क मसक म सकता नही होा सजजन सवतर नही होा सजजन सवतर नही हो और चनदन सब जगलो म नही होा ९दोहा-- चारा सक सतिप लिसरखव बारहिह बार नीतिवन बधवन को पज सब ससार १०

समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह अपन पतरो को तिवतिवध परकार क रशील की लिरशकषा द करयोतिक नीति को जानन वाल और रशीलवान पतर अपन कल म पजिज हो ह १०दोहा-- ा मा अरिर लरय स न पढाव नीच सभा मधरय रशोभ न सो जिजधिम बक हसन बीच ११जो माा अपन बट को पढाी नही वह रशतर ह उसी रह पतर को न पढानवाला तिपा पतर का बरी ह करयोतिक (इस रह माा-तिपा की ना समझी स वह पतर ) सभा म उसी रह रशोभिभ नही होा जस हसो क बीच म बगला ११दोहा-- स लालन म दोष बह गण ाडन ही माहिह तिह सअर लिरशषरयक ातिडरय लालिलरय नाहिह १२बचचो का दलार करन म दोष ह और ाडन करन म बह स गण ह इसलिलए पतर और लिरशषरय को ाडना अधिधक द दलार न कर १२

दोहा-- सीरख शलोरखह अरध क पावह अकषर कोरय वथा गमाव टिदवस ना रशभ चाह तिनज सोरय १३तिकसी एक शलोक रया उसक आध आध भाग रया आध क भी आध भाग का मनन कर करयोतिक भारीरय महरषिषरयो का कहना रयही ह तिक जस भी हो दान अधरयरयन (सवाधरयारय) आटिद सब कम करक बी हए टिदनो को साथक करो इनह रयो ही न गजर न जान दो १३दोहा-- रयधद रशष परयारी तिवरह दरिरद बनध अपमान दषटराज रखलकी सभा दाह तिबनहिह करशान १४सतरी का तिवरयोग अपन जनो दवारा अपमान रयधद म बचा हआ रशतर दषट राजा की सवा दरिरदरा और सवारथिथरयो की सभा रय बा अखिगन क तिबना ही रशरीर को जला डाली ह १४दोहा-- रवर सरिरा ीरपर तिनपट तिनरकरश नारिर नरपति हीन सलाह तिन तिबनस लग न बारिर १५नदी क ट पर लग वकष परारय घर रहन वाली सतरी तिबना मतरी का राजा रय रशीघर ही नषट हो जा ह १५दोहा-- तिवदया बल ह तिवपरको राजा को बल सन धन वशरयन बल रशदरको सवाही बलदन १६बराहमणो का बल तिवदया ह राजाओ का बल उनकी सना ह वशरयो का बल धन ह और रशदरो का बलतिदवजाति की सवा ह १६दोहा-- वशरया तिनधन परष को परजा पराजिज रारय जहिह परखरतिनkल र रखारय अतिलिथ चल जारय १७धनतिवहीन परष को वशरया रशलिकतहीन राजा को परजा जिजसका kल झड गरया ह ऎस वकष को पकषी तरयाग द ह और भोजन कर लन क बाद अतिलिथ उस घर को छोड दा ह १७ दोहा-- लइ दभिकषणा रयजमान सो जिज द बराहमण वग पटिढ लिरशषरयन गर को जहिह हरिरन दगध बन पव १८बराहमण दभिकषणा लकर रयजमान को छोड द ह तिवदया पराप कर लन क बाद तिवदयाथ गर को छोड दा ह और जल हए जगल को बनल जीव तरयाग द ह १८दोहा-- पाप दधिषट दजन दराचारी दबस जोरय जतिह नर सो मतरी कर अवलिरश नषट सो होरय १९दराचारी वयभिभचारी दतिष |ान क तिनवासी इन ीन परकार क मनषय़ो स जो मनषरय धिमतरा करा ह उसका बह जलदी तिवनारश हो जाा ह १९दोहा-- सम सो सोह धिमतरा नप सवा ससोहा बतिनरयाई वयवहार म सनदरिर भवन सहा २०बराबरवाल क साथ धिमतरा भली मालम होी ह राजा की सवा अचछी लगी ह वयवहार म बतिनरयापन भला लगा ह और घर म अनदर सतरी भली मालम होी ह २०इति चाणकरय नीति-दपण तिदवीरयोऽधरयारयः २

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 2: चाणक्य नीति

दी ह तिkर परशन होा ह तिक लकषमी क चल जानपर जो कोछ बचा बचारया धन ह वह भी चला जारयगा ही ७दोहा-- जहा न आदर जीतिवका नहिह तिपररय बनध तिनवास नहिह तिवदया जिजस दरश म करह न टिदन इक वास ८जिजस दरश म न सममान हो न रोजी हो न कोई भाईबनध हो और न तिवदया का ही आगम हो वहा तिनवास नही करना चातिहरय ८दोहा-- धतिनक वदतिपररय भप अर नदी वदय पतिन सोरय बसह नाहिह इक टिदवस ह जह रयह पञच न होरय ९धनी (महाजन) वदपाठी बराहमण राजा नदी और पाचव वदय रय पाच जहा न हो वहा एक टिदन भी न वसो ९दोहा-- दानदकषा लाज भरय रयातरा लोक न जान पाच नही जह दखिरखरय हा न बसह सजान १०जिजसम रोजी भरय लजजा उदारा और तरयागरशीला रय पाच गण तिवदयमान नही ऎस मनषरय स धिमतरा नही करनी चातिहरय १०दोहा-- काज भतरय क जातिनरय बनध परम दरख होरय धिमतर परखिरखरय तिवपति म तिवभव तिवनालिरश जोरय ११सवा कारय उपसथि| होन पर सवको की आपभिततकाल म धिमतर की दःरख म बानधवो की और धन क नषट हो जान पर सतरी की परीकषा की जाी ह ११दोहा-- दरख आर दरभिभकष म अरिर जरय कलह अभडग भपति भवन मसान म बनध सोइ रह सडग १२जो तिबमारी म दरख म दरभिभकष म रशतर दवारा तिकसी परकार का सडकट उपसथि| होनपर राजदवार म और शमरशान पर जो ठीक समरय पर पहचा ह वही बाधव कहलान का अधिधकारी ह १२दोहा-- धरव क जिज अधर अ गह लिचम अति सरख चातिह धरव तिनक नारश र अधर व नषट हव जातिह १३जो मनषरय तिनभिशच वस छोडकर अतिनभिशच की ओर दौडा ह ो उसकी तिनभिशच वस भी नषट हो जाी ह और अतिनभिशच ो मानो पहल ही स नषट थी १३दोहा-- कल जाीरय तिवरप दोउ चार वर करिर चाह रपवी उ नीच जिज समकल करिररय तिववाह १४समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह करपा भी कलवी कनरया क साथ तिववाह कर ल पर नीच सरपवी क साथ न कर करयोतिक तिववाह अपन समान कल म ही अचछा होा ह १४दोहा-- सरिरा शरडगी रशसतर अर जीव जिजन नरखवन तिरयको नपकलको था करहिह तिवशवास न सन १५नटिदरयो का रशसतरधारिररयोका बड-बड नरखवाल जनओ का सीगवालो का सतरिसतररयो का और राजकल क लोगो का तिवशवास नही करना चातिहरय १५दोहा-- गहह सधा तिवष कनक मल बहकरिर रयतन

नीचह तिवदया तिवमल दषकल तिरयरतन १६तिवष स भी अम अपतिवतर |ान स भी कञचन नीच मनषरय स भी उततम तिवदया और दषटकल स भी सतरीरतन को ल लना चातिहए १६दोहा-- तिरय अहार दखिरखरय तिदवगण लाज चरगन जान षटगन तिह वयवसारय तिरय काम अषटगन मान १७सतरिसतररयो म परषकी अपकषा दना आहार चौगनी लजजा छगना साहस और अठगना काम का वग रहा ह १७इति चाणकरयनीतिदपणो परथमोऽधरयारयः १

अधरयारय २ दोहा-- अन साहस मढा कपटर कघन आइ तिनरदरयार मलीना तिरयम सहज रजाइ १

1 झठ बोलना 2 एकाएक कोई काम कर बठना 3 नरखर करना 4 मरखा करना 5 जरयादा लालच ररखना 6 अपतिवतर रहना और 7 तिनदरया का बाव करना

रय सतरिसतररयो क सवाभातिवक दोष ह १दोहा-- सनदर भोजन रशलिकत रति रशलिकत सदा वर नारिर तिवभव दान की रशलिकत रयह बड पkल सरखकारिर २भोजन रयोगरयपदाथ का उपलबध हो रहना भोजन की रशलिकत तिवदयमान रहना (रयानी सवासथरय म तिकसी रह की रखराबी न रहना) रतिरशलिकत बनी रहना सनदरी सतरी का धिमलना इचछानकल धन रहना और साथ ही दानरशलिकत का भी रहना रय बा होना साधारण पसरया का kल नही ह (जो अरखणड पसरया तिकरय रहा ह उसको रय चीज उपलबध होी ह) २दोहा-- स आजञाकारी जिजनाहिह अनगाधिमतिन तिरय जान तिवभव अलप सनोष तिह सर पर इहा तिपछान ३जिजसका पतर अपन वरश म सतरी आजञाकारिरणी हो और जो पराप धन स सनषट ह उसक लिलरय रयहा सवग ह ३दोहा-- स ज तिप भलिकतर तिहकारक तिप होरय जतिह तिवशवास सो धिमतरवर सरखकारक तिरय होरय ४व ही पतर पतर ह जो तिपा क भकत ह वही तिपा तिपा ह हो अपनी सनानका उलिच रीति स पालन पोषण करा ह वही धिमतर धिमतर ह तिक जिजसपर अपना तिवशवास ह और वही सतरी सतरी ह तिक जहा हदरय आनजिनद होा ह ४

दोहा-- ओट कारय की हातिन करिर सममरख कर बरखान अस धिमतरन कह दर ज तिवष घट परयमरख जान ५जो पीठ पीछ अपना काम तिबगारशा हो और महपर मीठीमीठी बा करा हो ऎस धिमतर को तरयाग दना चातिहए वह वस ही ह जस तिकसी घड म गल क तिवष भरा हो तिकन मह पर थोडा सा दध डाल टिदरया गरया हो ५दोहा-- नहिह तिवशवास कधिमतर कर तिकजीरय धिमततह कौन कहतिह धिमतत कह कोपकरिर गोपह सब दरख मौन ६(अपनी तिकसी गप बा क तिवषरय म ) कधिमतर पर ो तिकसी रह तिवशवास न कर और धिमतर पर भी न कर करयोतिक हो सका ह तिक वह धिमतर कभी तिबगड जारय और सार गप भद रखोल द ६दोहा-- मन चिचति काज जो बनन कतिहरयन मनतर गढ राखिरखरय कतिहरय दोष काज सरखदन ७जो बा मनम सोच वह वचन स परकालिरश न कर उस गप बा की मनतरणा दवारा रकषा कर और गप ढग स ही उस काम म भी लाव ७दोहा-- मररखा अर रणा ह दोऊ दरखदारय पर घर बलिसो कषट अति नीति कह अस गारय ८पहला कषट ो मरख होना ह दसरा कषट ह जवानी और सब कषटो स बढकर कषट ह परारय घर म रहना ८दोहा-- परतितिगरिर नहिह मातिनक गतिनरय मौलिकत न परतिगज माहिह सब ठौर नहिह साध जन बन बन चनदन नाहिह ९हर एक पहाड पर माभिणक नही होा सब हालिथरयो क मसक म सकता नही होा सजजन सवतर नही होा सजजन सवतर नही हो और चनदन सब जगलो म नही होा ९दोहा-- चारा सक सतिप लिसरखव बारहिह बार नीतिवन बधवन को पज सब ससार १०

समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह अपन पतरो को तिवतिवध परकार क रशील की लिरशकषा द करयोतिक नीति को जानन वाल और रशीलवान पतर अपन कल म पजिज हो ह १०दोहा-- ा मा अरिर लरय स न पढाव नीच सभा मधरय रशोभ न सो जिजधिम बक हसन बीच ११जो माा अपन बट को पढाी नही वह रशतर ह उसी रह पतर को न पढानवाला तिपा पतर का बरी ह करयोतिक (इस रह माा-तिपा की ना समझी स वह पतर ) सभा म उसी रह रशोभिभ नही होा जस हसो क बीच म बगला ११दोहा-- स लालन म दोष बह गण ाडन ही माहिह तिह सअर लिरशषरयक ातिडरय लालिलरय नाहिह १२बचचो का दलार करन म दोष ह और ाडन करन म बह स गण ह इसलिलए पतर और लिरशषरय को ाडना अधिधक द दलार न कर १२

दोहा-- सीरख शलोरखह अरध क पावह अकषर कोरय वथा गमाव टिदवस ना रशभ चाह तिनज सोरय १३तिकसी एक शलोक रया उसक आध आध भाग रया आध क भी आध भाग का मनन कर करयोतिक भारीरय महरषिषरयो का कहना रयही ह तिक जस भी हो दान अधरयरयन (सवाधरयारय) आटिद सब कम करक बी हए टिदनो को साथक करो इनह रयो ही न गजर न जान दो १३दोहा-- रयधद रशष परयारी तिवरह दरिरद बनध अपमान दषटराज रखलकी सभा दाह तिबनहिह करशान १४सतरी का तिवरयोग अपन जनो दवारा अपमान रयधद म बचा हआ रशतर दषट राजा की सवा दरिरदरा और सवारथिथरयो की सभा रय बा अखिगन क तिबना ही रशरीर को जला डाली ह १४दोहा-- रवर सरिरा ीरपर तिनपट तिनरकरश नारिर नरपति हीन सलाह तिन तिबनस लग न बारिर १५नदी क ट पर लग वकष परारय घर रहन वाली सतरी तिबना मतरी का राजा रय रशीघर ही नषट हो जा ह १५दोहा-- तिवदया बल ह तिवपरको राजा को बल सन धन वशरयन बल रशदरको सवाही बलदन १६बराहमणो का बल तिवदया ह राजाओ का बल उनकी सना ह वशरयो का बल धन ह और रशदरो का बलतिदवजाति की सवा ह १६दोहा-- वशरया तिनधन परष को परजा पराजिज रारय जहिह परखरतिनkल र रखारय अतिलिथ चल जारय १७धनतिवहीन परष को वशरया रशलिकतहीन राजा को परजा जिजसका kल झड गरया ह ऎस वकष को पकषी तरयाग द ह और भोजन कर लन क बाद अतिलिथ उस घर को छोड दा ह १७ दोहा-- लइ दभिकषणा रयजमान सो जिज द बराहमण वग पटिढ लिरशषरयन गर को जहिह हरिरन दगध बन पव १८बराहमण दभिकषणा लकर रयजमान को छोड द ह तिवदया पराप कर लन क बाद तिवदयाथ गर को छोड दा ह और जल हए जगल को बनल जीव तरयाग द ह १८दोहा-- पाप दधिषट दजन दराचारी दबस जोरय जतिह नर सो मतरी कर अवलिरश नषट सो होरय १९दराचारी वयभिभचारी दतिष |ान क तिनवासी इन ीन परकार क मनषय़ो स जो मनषरय धिमतरा करा ह उसका बह जलदी तिवनारश हो जाा ह १९दोहा-- सम सो सोह धिमतरा नप सवा ससोहा बतिनरयाई वयवहार म सनदरिर भवन सहा २०बराबरवाल क साथ धिमतरा भली मालम होी ह राजा की सवा अचछी लगी ह वयवहार म बतिनरयापन भला लगा ह और घर म अनदर सतरी भली मालम होी ह २०इति चाणकरय नीति-दपण तिदवीरयोऽधरयारयः २

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 3: चाणक्य नीति

नीचह तिवदया तिवमल दषकल तिरयरतन १६तिवष स भी अम अपतिवतर |ान स भी कञचन नीच मनषरय स भी उततम तिवदया और दषटकल स भी सतरीरतन को ल लना चातिहए १६दोहा-- तिरय अहार दखिरखरय तिदवगण लाज चरगन जान षटगन तिह वयवसारय तिरय काम अषटगन मान १७सतरिसतररयो म परषकी अपकषा दना आहार चौगनी लजजा छगना साहस और अठगना काम का वग रहा ह १७इति चाणकरयनीतिदपणो परथमोऽधरयारयः १

अधरयारय २ दोहा-- अन साहस मढा कपटर कघन आइ तिनरदरयार मलीना तिरयम सहज रजाइ १

1 झठ बोलना 2 एकाएक कोई काम कर बठना 3 नरखर करना 4 मरखा करना 5 जरयादा लालच ररखना 6 अपतिवतर रहना और 7 तिनदरया का बाव करना

रय सतरिसतररयो क सवाभातिवक दोष ह १दोहा-- सनदर भोजन रशलिकत रति रशलिकत सदा वर नारिर तिवभव दान की रशलिकत रयह बड पkल सरखकारिर २भोजन रयोगरयपदाथ का उपलबध हो रहना भोजन की रशलिकत तिवदयमान रहना (रयानी सवासथरय म तिकसी रह की रखराबी न रहना) रतिरशलिकत बनी रहना सनदरी सतरी का धिमलना इचछानकल धन रहना और साथ ही दानरशलिकत का भी रहना रय बा होना साधारण पसरया का kल नही ह (जो अरखणड पसरया तिकरय रहा ह उसको रय चीज उपलबध होी ह) २दोहा-- स आजञाकारी जिजनाहिह अनगाधिमतिन तिरय जान तिवभव अलप सनोष तिह सर पर इहा तिपछान ३जिजसका पतर अपन वरश म सतरी आजञाकारिरणी हो और जो पराप धन स सनषट ह उसक लिलरय रयहा सवग ह ३दोहा-- स ज तिप भलिकतर तिहकारक तिप होरय जतिह तिवशवास सो धिमतरवर सरखकारक तिरय होरय ४व ही पतर पतर ह जो तिपा क भकत ह वही तिपा तिपा ह हो अपनी सनानका उलिच रीति स पालन पोषण करा ह वही धिमतर धिमतर ह तिक जिजसपर अपना तिवशवास ह और वही सतरी सतरी ह तिक जहा हदरय आनजिनद होा ह ४

दोहा-- ओट कारय की हातिन करिर सममरख कर बरखान अस धिमतरन कह दर ज तिवष घट परयमरख जान ५जो पीठ पीछ अपना काम तिबगारशा हो और महपर मीठीमीठी बा करा हो ऎस धिमतर को तरयाग दना चातिहए वह वस ही ह जस तिकसी घड म गल क तिवष भरा हो तिकन मह पर थोडा सा दध डाल टिदरया गरया हो ५दोहा-- नहिह तिवशवास कधिमतर कर तिकजीरय धिमततह कौन कहतिह धिमतत कह कोपकरिर गोपह सब दरख मौन ६(अपनी तिकसी गप बा क तिवषरय म ) कधिमतर पर ो तिकसी रह तिवशवास न कर और धिमतर पर भी न कर करयोतिक हो सका ह तिक वह धिमतर कभी तिबगड जारय और सार गप भद रखोल द ६दोहा-- मन चिचति काज जो बनन कतिहरयन मनतर गढ राखिरखरय कतिहरय दोष काज सरखदन ७जो बा मनम सोच वह वचन स परकालिरश न कर उस गप बा की मनतरणा दवारा रकषा कर और गप ढग स ही उस काम म भी लाव ७दोहा-- मररखा अर रणा ह दोऊ दरखदारय पर घर बलिसो कषट अति नीति कह अस गारय ८पहला कषट ो मरख होना ह दसरा कषट ह जवानी और सब कषटो स बढकर कषट ह परारय घर म रहना ८दोहा-- परतितिगरिर नहिह मातिनक गतिनरय मौलिकत न परतिगज माहिह सब ठौर नहिह साध जन बन बन चनदन नाहिह ९हर एक पहाड पर माभिणक नही होा सब हालिथरयो क मसक म सकता नही होा सजजन सवतर नही होा सजजन सवतर नही हो और चनदन सब जगलो म नही होा ९दोहा-- चारा सक सतिप लिसरखव बारहिह बार नीतिवन बधवन को पज सब ससार १०

समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह अपन पतरो को तिवतिवध परकार क रशील की लिरशकषा द करयोतिक नीति को जानन वाल और रशीलवान पतर अपन कल म पजिज हो ह १०दोहा-- ा मा अरिर लरय स न पढाव नीच सभा मधरय रशोभ न सो जिजधिम बक हसन बीच ११जो माा अपन बट को पढाी नही वह रशतर ह उसी रह पतर को न पढानवाला तिपा पतर का बरी ह करयोतिक (इस रह माा-तिपा की ना समझी स वह पतर ) सभा म उसी रह रशोभिभ नही होा जस हसो क बीच म बगला ११दोहा-- स लालन म दोष बह गण ाडन ही माहिह तिह सअर लिरशषरयक ातिडरय लालिलरय नाहिह १२बचचो का दलार करन म दोष ह और ाडन करन म बह स गण ह इसलिलए पतर और लिरशषरय को ाडना अधिधक द दलार न कर १२

दोहा-- सीरख शलोरखह अरध क पावह अकषर कोरय वथा गमाव टिदवस ना रशभ चाह तिनज सोरय १३तिकसी एक शलोक रया उसक आध आध भाग रया आध क भी आध भाग का मनन कर करयोतिक भारीरय महरषिषरयो का कहना रयही ह तिक जस भी हो दान अधरयरयन (सवाधरयारय) आटिद सब कम करक बी हए टिदनो को साथक करो इनह रयो ही न गजर न जान दो १३दोहा-- रयधद रशष परयारी तिवरह दरिरद बनध अपमान दषटराज रखलकी सभा दाह तिबनहिह करशान १४सतरी का तिवरयोग अपन जनो दवारा अपमान रयधद म बचा हआ रशतर दषट राजा की सवा दरिरदरा और सवारथिथरयो की सभा रय बा अखिगन क तिबना ही रशरीर को जला डाली ह १४दोहा-- रवर सरिरा ीरपर तिनपट तिनरकरश नारिर नरपति हीन सलाह तिन तिबनस लग न बारिर १५नदी क ट पर लग वकष परारय घर रहन वाली सतरी तिबना मतरी का राजा रय रशीघर ही नषट हो जा ह १५दोहा-- तिवदया बल ह तिवपरको राजा को बल सन धन वशरयन बल रशदरको सवाही बलदन १६बराहमणो का बल तिवदया ह राजाओ का बल उनकी सना ह वशरयो का बल धन ह और रशदरो का बलतिदवजाति की सवा ह १६दोहा-- वशरया तिनधन परष को परजा पराजिज रारय जहिह परखरतिनkल र रखारय अतिलिथ चल जारय १७धनतिवहीन परष को वशरया रशलिकतहीन राजा को परजा जिजसका kल झड गरया ह ऎस वकष को पकषी तरयाग द ह और भोजन कर लन क बाद अतिलिथ उस घर को छोड दा ह १७ दोहा-- लइ दभिकषणा रयजमान सो जिज द बराहमण वग पटिढ लिरशषरयन गर को जहिह हरिरन दगध बन पव १८बराहमण दभिकषणा लकर रयजमान को छोड द ह तिवदया पराप कर लन क बाद तिवदयाथ गर को छोड दा ह और जल हए जगल को बनल जीव तरयाग द ह १८दोहा-- पाप दधिषट दजन दराचारी दबस जोरय जतिह नर सो मतरी कर अवलिरश नषट सो होरय १९दराचारी वयभिभचारी दतिष |ान क तिनवासी इन ीन परकार क मनषय़ो स जो मनषरय धिमतरा करा ह उसका बह जलदी तिवनारश हो जाा ह १९दोहा-- सम सो सोह धिमतरा नप सवा ससोहा बतिनरयाई वयवहार म सनदरिर भवन सहा २०बराबरवाल क साथ धिमतरा भली मालम होी ह राजा की सवा अचछी लगी ह वयवहार म बतिनरयापन भला लगा ह और घर म अनदर सतरी भली मालम होी ह २०इति चाणकरय नीति-दपण तिदवीरयोऽधरयारयः २

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 4: चाणक्य नीति

दोहा-- ओट कारय की हातिन करिर सममरख कर बरखान अस धिमतरन कह दर ज तिवष घट परयमरख जान ५जो पीठ पीछ अपना काम तिबगारशा हो और महपर मीठीमीठी बा करा हो ऎस धिमतर को तरयाग दना चातिहए वह वस ही ह जस तिकसी घड म गल क तिवष भरा हो तिकन मह पर थोडा सा दध डाल टिदरया गरया हो ५दोहा-- नहिह तिवशवास कधिमतर कर तिकजीरय धिमततह कौन कहतिह धिमतत कह कोपकरिर गोपह सब दरख मौन ६(अपनी तिकसी गप बा क तिवषरय म ) कधिमतर पर ो तिकसी रह तिवशवास न कर और धिमतर पर भी न कर करयोतिक हो सका ह तिक वह धिमतर कभी तिबगड जारय और सार गप भद रखोल द ६दोहा-- मन चिचति काज जो बनन कतिहरयन मनतर गढ राखिरखरय कतिहरय दोष काज सरखदन ७जो बा मनम सोच वह वचन स परकालिरश न कर उस गप बा की मनतरणा दवारा रकषा कर और गप ढग स ही उस काम म भी लाव ७दोहा-- मररखा अर रणा ह दोऊ दरखदारय पर घर बलिसो कषट अति नीति कह अस गारय ८पहला कषट ो मरख होना ह दसरा कषट ह जवानी और सब कषटो स बढकर कषट ह परारय घर म रहना ८दोहा-- परतितिगरिर नहिह मातिनक गतिनरय मौलिकत न परतिगज माहिह सब ठौर नहिह साध जन बन बन चनदन नाहिह ९हर एक पहाड पर माभिणक नही होा सब हालिथरयो क मसक म सकता नही होा सजजन सवतर नही होा सजजन सवतर नही हो और चनदन सब जगलो म नही होा ९दोहा-- चारा सक सतिप लिसरखव बारहिह बार नीतिवन बधवन को पज सब ससार १०

समझदार मनषरय का कवय ह तिक वह अपन पतरो को तिवतिवध परकार क रशील की लिरशकषा द करयोतिक नीति को जानन वाल और रशीलवान पतर अपन कल म पजिज हो ह १०दोहा-- ा मा अरिर लरय स न पढाव नीच सभा मधरय रशोभ न सो जिजधिम बक हसन बीच ११जो माा अपन बट को पढाी नही वह रशतर ह उसी रह पतर को न पढानवाला तिपा पतर का बरी ह करयोतिक (इस रह माा-तिपा की ना समझी स वह पतर ) सभा म उसी रह रशोभिभ नही होा जस हसो क बीच म बगला ११दोहा-- स लालन म दोष बह गण ाडन ही माहिह तिह सअर लिरशषरयक ातिडरय लालिलरय नाहिह १२बचचो का दलार करन म दोष ह और ाडन करन म बह स गण ह इसलिलए पतर और लिरशषरय को ाडना अधिधक द दलार न कर १२

दोहा-- सीरख शलोरखह अरध क पावह अकषर कोरय वथा गमाव टिदवस ना रशभ चाह तिनज सोरय १३तिकसी एक शलोक रया उसक आध आध भाग रया आध क भी आध भाग का मनन कर करयोतिक भारीरय महरषिषरयो का कहना रयही ह तिक जस भी हो दान अधरयरयन (सवाधरयारय) आटिद सब कम करक बी हए टिदनो को साथक करो इनह रयो ही न गजर न जान दो १३दोहा-- रयधद रशष परयारी तिवरह दरिरद बनध अपमान दषटराज रखलकी सभा दाह तिबनहिह करशान १४सतरी का तिवरयोग अपन जनो दवारा अपमान रयधद म बचा हआ रशतर दषट राजा की सवा दरिरदरा और सवारथिथरयो की सभा रय बा अखिगन क तिबना ही रशरीर को जला डाली ह १४दोहा-- रवर सरिरा ीरपर तिनपट तिनरकरश नारिर नरपति हीन सलाह तिन तिबनस लग न बारिर १५नदी क ट पर लग वकष परारय घर रहन वाली सतरी तिबना मतरी का राजा रय रशीघर ही नषट हो जा ह १५दोहा-- तिवदया बल ह तिवपरको राजा को बल सन धन वशरयन बल रशदरको सवाही बलदन १६बराहमणो का बल तिवदया ह राजाओ का बल उनकी सना ह वशरयो का बल धन ह और रशदरो का बलतिदवजाति की सवा ह १६दोहा-- वशरया तिनधन परष को परजा पराजिज रारय जहिह परखरतिनkल र रखारय अतिलिथ चल जारय १७धनतिवहीन परष को वशरया रशलिकतहीन राजा को परजा जिजसका kल झड गरया ह ऎस वकष को पकषी तरयाग द ह और भोजन कर लन क बाद अतिलिथ उस घर को छोड दा ह १७ दोहा-- लइ दभिकषणा रयजमान सो जिज द बराहमण वग पटिढ लिरशषरयन गर को जहिह हरिरन दगध बन पव १८बराहमण दभिकषणा लकर रयजमान को छोड द ह तिवदया पराप कर लन क बाद तिवदयाथ गर को छोड दा ह और जल हए जगल को बनल जीव तरयाग द ह १८दोहा-- पाप दधिषट दजन दराचारी दबस जोरय जतिह नर सो मतरी कर अवलिरश नषट सो होरय १९दराचारी वयभिभचारी दतिष |ान क तिनवासी इन ीन परकार क मनषय़ो स जो मनषरय धिमतरा करा ह उसका बह जलदी तिवनारश हो जाा ह १९दोहा-- सम सो सोह धिमतरा नप सवा ससोहा बतिनरयाई वयवहार म सनदरिर भवन सहा २०बराबरवाल क साथ धिमतरा भली मालम होी ह राजा की सवा अचछी लगी ह वयवहार म बतिनरयापन भला लगा ह और घर म अनदर सतरी भली मालम होी ह २०इति चाणकरय नीति-दपण तिदवीरयोऽधरयारयः २

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 5: चाणक्य नीति

दोहा-- सीरख शलोरखह अरध क पावह अकषर कोरय वथा गमाव टिदवस ना रशभ चाह तिनज सोरय १३तिकसी एक शलोक रया उसक आध आध भाग रया आध क भी आध भाग का मनन कर करयोतिक भारीरय महरषिषरयो का कहना रयही ह तिक जस भी हो दान अधरयरयन (सवाधरयारय) आटिद सब कम करक बी हए टिदनो को साथक करो इनह रयो ही न गजर न जान दो १३दोहा-- रयधद रशष परयारी तिवरह दरिरद बनध अपमान दषटराज रखलकी सभा दाह तिबनहिह करशान १४सतरी का तिवरयोग अपन जनो दवारा अपमान रयधद म बचा हआ रशतर दषट राजा की सवा दरिरदरा और सवारथिथरयो की सभा रय बा अखिगन क तिबना ही रशरीर को जला डाली ह १४दोहा-- रवर सरिरा ीरपर तिनपट तिनरकरश नारिर नरपति हीन सलाह तिन तिबनस लग न बारिर १५नदी क ट पर लग वकष परारय घर रहन वाली सतरी तिबना मतरी का राजा रय रशीघर ही नषट हो जा ह १५दोहा-- तिवदया बल ह तिवपरको राजा को बल सन धन वशरयन बल रशदरको सवाही बलदन १६बराहमणो का बल तिवदया ह राजाओ का बल उनकी सना ह वशरयो का बल धन ह और रशदरो का बलतिदवजाति की सवा ह १६दोहा-- वशरया तिनधन परष को परजा पराजिज रारय जहिह परखरतिनkल र रखारय अतिलिथ चल जारय १७धनतिवहीन परष को वशरया रशलिकतहीन राजा को परजा जिजसका kल झड गरया ह ऎस वकष को पकषी तरयाग द ह और भोजन कर लन क बाद अतिलिथ उस घर को छोड दा ह १७ दोहा-- लइ दभिकषणा रयजमान सो जिज द बराहमण वग पटिढ लिरशषरयन गर को जहिह हरिरन दगध बन पव १८बराहमण दभिकषणा लकर रयजमान को छोड द ह तिवदया पराप कर लन क बाद तिवदयाथ गर को छोड दा ह और जल हए जगल को बनल जीव तरयाग द ह १८दोहा-- पाप दधिषट दजन दराचारी दबस जोरय जतिह नर सो मतरी कर अवलिरश नषट सो होरय १९दराचारी वयभिभचारी दतिष |ान क तिनवासी इन ीन परकार क मनषय़ो स जो मनषरय धिमतरा करा ह उसका बह जलदी तिवनारश हो जाा ह १९दोहा-- सम सो सोह धिमतरा नप सवा ससोहा बतिनरयाई वयवहार म सनदरिर भवन सहा २०बराबरवाल क साथ धिमतरा भली मालम होी ह राजा की सवा अचछी लगी ह वयवहार म बतिनरयापन भला लगा ह और घर म अनदर सतरी भली मालम होी ह २०इति चाणकरय नीति-दपण तिदवीरयोऽधरयारयः २

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 6: चाणक्य नीति

अधरयारय ३ दोहा-- कतिह कल दषण नही वयाधिध न कातिह सारय कषट न भोगरयो कौन जन सरखी सदा कोउ नारय १जिजसक कल म दोष नही ह तिकन ऎस पराणी ह जो तिकसी परकार क रोगी नही ह कौन ऎसा जीव ह तिक हमरशा जिजस सरख ही सरख धिमल रहा ह १दोहा-- मह कलहिह आचार भल भाषन दरश बारय आदर परापतिप जनावतिह भोजन दह मटारय २मनषरय का आचरण उसक कल को बा दा ह उसका भाषण दरश का पा द दा ह उसका आदर भाव परम का परिरचरय द दा ह और रशरीर भोजनका हाल कह दाह २दोहा-- कनरया बरयातिहरय उचच कल पतरहिह रशासतर पढारय रशतरहिह दरख दीज सदा धिमतरहिह धम लिसरखारय ३मनषरय का कवय ह तिक अपनी कनरया तिकसी अचछ रखानदान वाल को द पतर को तिवदयाभरयास म लगा द रशतर को तिवपभितत म kसा द और धिमतर को धमकारय म लगा द ३दोहा-- रखलह सप इन सहन म भलो सप रखल नाहिह सप दरश ह काल म रखलजन पद पद माहिह ४दजन और साप इन दोनो म दजन की अपकषा साप कही अचछा ह करयोतिक साप समरय पाकर एक ही बार काटा ह और दजन पद पद पर काटा रहा ह ४दोहा-- भप कलीननह को कर सगरह रयाही ह आटिद मधरय और अन म नपतिह न जिज द ५राजा लोग कलीन परषो को अपन पास इसलिलए ररख ह तिक जो आटिद मधरय और अन तिकसी समरय भी राजा को नही छोडा ५दोहा-- मरयादा सागर ज परलरय होन क काल उ साध छोड नही सदा आपनी चाल ६समदर ो परलरयकाल म अपनी मरयादा भी भग कर द ह (उमड कर सार ससार को डबो द ह) पर सजजन लोग परलरयकाल म भी अपनी मरयादा का उललघन नही कर ह ६दोहा-- मररख को जिज दीजिजरय परगट तिदवपद परश जान वचन रशलरय वधही अडगहिह काट समान ७मरख को दो परवाला परश समझ कर उस तरयाग ही दना चातिहए करयोतिक रयह समरय-समरय पर अपन वाकरयरपी रशल स उसी रह बधा ह जस न टिदरखारयी पडा हआ काटा चभ जाा ह ७दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन रशोभ नही पहप गध हीन ८रप और रयौवन स रयकत तिवरशाल कल म उतपनन होा हआ भी तिवदयातिवहीन मनषरय उसी परकार अचछा नही लगा जस सगधिध रतिह पलास kल ८दोहा-- रप कोतिकला रव तिरयन पतिवर रप अनप तिवदयारप करप को कषमा पसवी रप ९

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 7: चाणक्य नीति

कोरयल का सौनदरय ह उसकी बोली सतरी का सौनदरय ह उसका पतिवर करप का सौनदरय ह उसकी तिवदया और पसविसवरयो का सौनदरय ह उनकी कषमारशलिकत ९दोहा-- कलतिह तरयातिगरय एकक गहह छातिड कल गराम जनपद तिह गरामहिह जिजरय नतिह अवतिन माम १०जहा एक क तरयागन स कल की रकषा हो सकी हो वहा उस एक को तरयाग द रयटिद कल क तरयागन स गाव की रकषा होी हो ो उस कल को तरयाग द रयटिद उस गाव क तरयागन स जिजल की रकषा हो ो गाव को तरयाग द और रयटिद पथवी क तरयागन स आतमरकषा समभव हो ो उस पथवी को ही तरयाग द १०दोहा-- नहिह दारिरद उदयोग पर जप पाक नाहिह कलह रह ना मौन म नहिह भरय जाग माहिह ११उदयोग करन पर दरिरदरा नही रह सकी ईशवर का बार बार समरण कर रहन पर पाप नही हो सका चप रहन पर लडाई झगडा नही हो सका और जाग हए मनषरय क पास भरय नही टिटक सका ११दोहा-- अति छतिब लिसरय हरण भौ नलिरश रावण अति गव अतितिह दान बलिल बध अति जिजरय थल सव १२अतिरशरय रपवी होन क कारण सीा हरी गई अतिरशरय गव स रावण का नारश हआ अतिरशरय दानी होन क कारण वलिल को बधना पडा इसलिलरय लोगो को चातिहरय तिक तिकसी बा म अति न कर १२दोहा-- उदयोतिगन कछ दर नहिह बलिलतिह न भार तिवरशष तिपररयवाटिदन अतिपररय नहिह बधतिह न कटिठन तिवदरश १३समथरयवाल परष को कोई वस भारी नही हो सकी वयवसारयी मनषरय क लिलए कोई परदरश दर नही कहा जा सका और तिपररयवादी मनषरय तिकसी का परारया नही कहा जा सका १३दोहा-- एक सगसतरिनध वकष स सब बन हो सवास जस कल रशोभिभ अह रतिह सपतर गण रास १४(वन) क एक ही kल हए और सगसतरिनध वकष न सार वन को उसी रह सगसतरिनध कर टिदरया जस कोई सप अपन कल की मरयादा को उजजवल कर दा ह १४दोहा-- सरख जर इक रह जस लाग बन दाढ कलका दाहक हो ह स कप की बाढ १५उसी रह वनक एक ही सरख और अखिगन स ज हए वकष क कारण सारा वन जल कर रखाक हो जाा ह जस तिकसी कप क कारण रखानदान का रखानदान बदनाम हो जाा ह १५सोरठा-- एकह स जो होरय तिवदयारय अर साध लिच आनजिनद कल सोरय रयथा चनदरमा स तिनरशा १६एक ही सजजन और तिवदवान पतर स सारा कल आह लाटिद हो उठा ह जस चनदरमा क परकारश स रातितर जगमगा उठी ह दोहा-- करनहार सनाप स जनम कहा अनक दतिह कलहिह तिवशराम जो शरषठ होरय वर एक १७रशोक और सनाप दनवाल बह स पतरो क होन स करया लाभ अपन कल क अनसार चलनवाला एक ही पतर बह ह तिक जहा सारा कल तिवशराम कर सक १७

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 8: चाणक्य नीति

दोहा-- पाच वष लौ लीलिलए दसलौ ाडन दइ सही सोलह वष म धिमतर सरिरस गतिन दइ १८पाच वष क बचच का दलार कर तिkर दस वष क उस ाडना द तिकन सोलह वष क हो जान पर पतर को धिमतर क समान समझ १८दोहा-- काल उपदरव सग सठ अनरय राजरय भरय होरय तिह थल जो भातिगह जीव बलिचह सोरय १९दगा बगरह रखडा हो जान पर तिकसी दसर राजा क आकरमण करन पर भरयानक अकाल पडन पर और तिकसी दषट का साथ हो जान पर जो मनषरय भाग तिनकला ह वही जीतिव रहा ह १९दोहा-- धरमाटिदक चह बरन म जो तिहरय एक न धार जग जनतिन तिह नरन क मरिररय हो अबार २०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसको लिसधद नही हो सका ऎस मनषरय का मतरयलोक म बार-बार जनम कवल मरन क लिलए होा ह और तिकसी काम क लिलए नही २०दोहा-- जहा अनन सलिच रह मरख न पजा पाव दपति म जह कलह नहिह सपभितत आपइ आव २१जिजस दरश म मरख की पजा नही होी जहा भरपर अनन का सचरय रहा ह और जहा सतरी परष म कलह नही होा वहा बस रयही समझ लो तिक लकषमी सवरय आकर तिवराज रही ह २१इति चाणकरय ीरयोऽधरयारयः ३

अधरयारय ४ सोरठा-- आरयबल औ कम धन तिवदया अर मरण रय नीति कह अस मम गभतिह म लिलखिरख जा रय १आरय कम धन तिवदया और मतरय रय पाच बा भी लिलरख दी जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह १दोहा-- बाधव जनमा धिमतर रय रह साध परतिकल ातिह धम कल सक लह वो उनक परतिकल ३ससार क अधिधकारश पतर धिमतर और बानधव सजजनो स पराडमरख ही रह ह लतिकन जो पराडमरख न रह कर सजजनो क साथ रह ह उनही क धम स वह कल पनी हो जाा ह २दोहा-- मचछी पसथिचछतिन कचछपी दरस परस करिर धरयान लिरशरश पाल तिन स ही सजजन सग परमान ३जस मछली दरशन स कछई धरयान स और पभिकषणी सपरश स अपन बचच का पालन करी ह उसी रह सजजनो की सगति मनषरय का पालन करी ह ३दोहा-- जौलो दह समथ ह जबलौ मरिरबो दरिर ौलो आम तिह कर पराण अन सब धरिर ४

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 9: चाणक्य नीति

जब क तिक रशरीर सव| ह और जब क मतरय दर ह इसी बीच म आतमा का कलरयाण कर लो अन समरय क उपसथि| हो जान पर कोई करया करगा ४दोहा-- तिबन औसरह द kल कामधन सम तिनतत माा सो परदरश म तिवदया सलिच तिबतत ५तिवदया म कामधन क समान गण तिवदयमान ह रयह असमरय म भी kल दी ह परदरश म ो रयह माा की रह पालन करी ह इसलिलए कहा जाा ह तिवदया गप धन ह ५दोहा-- सौ तिनगतिनरयन स अधिधक एक पतर सतिवचार एक चनदर म तिक हर ारा नही हजार ६एक गणवान पतर सकडो गणहीन पतरो स अचछा ह अकला चनदरमा अनधकार क दर कर दा ह पर हजारो ार धिमलकर उस नही दर कर पा ६दोहा-- मरख लिचररयन स भलो जनम हो मरिर जारय मर अलप दरख होइह जिजरय सदा दरखदारय ७मरख पतर का लिचरजीवी होकर जीना अचछा नही ह बसविलक उसस वह पतर अचछा ह जो पदा हो ही मर जारय करयोतिक मरा पतर थोड दःरख का कारण होा ह पर जीतिव मरख पतर जनमभर जलाा ही रहा ह ७दोहा-- घर कगाव स मढ तिरय कल नीचतिन सवकाइ मरख पतर तिवधवा सा न तिबन अखिगन जराइ ८रखराब गाव का तिनवास नीच कलवाल परभ की सवा रखराब भोजन कक रशा सतरी मरख पतर और तिवधवा पतरी रय छः तिबना आग क ही पराणी क रशरीर को भन डाल ह ८दोहा-- कहा होरय तिह धन जो दध न गाभिभन होरय कौन अथ वतिह स भरय पसथिणड भकत न होरय ९ऎसी गारय स करया लाभ जो न दध दी ह और न गाभिभन हो उसी परकार उस पतर स करया लाभ जो न तिवदवान हो और न भलिकतमान ही होव ९सोरठा-- रयह ीनो तिवशराम मोह पन जग ाप म हर घोर भव घाम पतर नारिर सतसग पतिन १०सासारिरक ाप स जल हए लोगो क ीन ही तिवशराम |ल ह पतर सतरी और सजजनो का सग १०दोहा-- भपति औ पसथिणड बचन औ कनरया को दान एक एक बार रय ीनो हो समान ११राजा लोग कवल एक बा कह ह उसी परकार पसथिणड लोग भी कवल एक ही बार बोल ह ( आरयधमावलसतरिमबरयोक रयहा ) कवल एक बार कनरया दी जाी ह रय ीन बा कवल एक ही बार होी ह ११दोहा-- प एकतिह दवस पठन गान ीन मग चारिर कषी पाच रन बह धिमल अस कह रशासतर तिवचारिर १२अकल म पसरया दो आदधिमरयो स पठन ीन गारयन चार आदधिमरयो स रासा पाच आदधिमरयो क सघ स रखी का काम और जरयादा मनषरयो को समदारय दवारा रयधद समपनन होा ह १२

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 10: चाणक्य नीति

दोहा-- सतरय मधर भारख बचन और चररशलिच होरय पति परयारी और पतिवरा तितररया जातिनरय सोरय १३वही भारया (सतरी) भारया ह जो पतिवतर काम-काज करन म तिनपण पतिवरा पतिपरारयण और सचची बा करन वाली हो १३दोहा-- ह अपतर का सन घर बानधव तिबन टिदलिरश रशन मररख का तिहरय सन ह दारिरद का सब सन १४जिजसक पतर नही जओ उसका घर सना ह जिजसका कोई भाईबनध नही होा उसक लिलए टिदरशाए रशनरय रही ह मरख मनषरय का हदरय रशनरय रहा ह और दरिरदर मनषरय क लिलए सारा ससार सना रहा ह १४दोहा-- भोजन तिवष ह तिबन पच रशासतर तिबना अभरयास सभा गरल सम रकहिह बढहिह रनी पास १५अनभरयस रशासतर तिवष क समान रहा ह अजीण अव|ा म तिkर स भोजन करना तिवष ह दरिरदर क लिलए सभा तिवष ह और बढ परष क लिलए रयवी सतरी तिवष ह १५दोहा-- दरया रतिह धमहिह ज औ गर तिवदयाहीन करोधमरखी तिपररय परीति तिबन बानधव ज परवीन १६जिजस धम म दरया का उपदरश न हो वह धम तरयाग द जिजस गर म तिवदया न हो उस तरयाग द हमरशा नाराज रहनवाली सतरी तरयाग द और सनहतिवहीन भाईबनधओ को तरयाग दना चातिहरय १६दोहा-- पनथ बराई नरन की हरयन पथ इक धाम जरा अमथन तिरयन कह और वसतरन को धाम १७मनषरयो क लिलए रासा चलना बढापा ह घोड क लिलए बनधन बढापा ह सतरिसतररयो क लिलए मथन का अभाव बढापा ह वसतरो क लिलए घाम बढापा ह १७दोहा-- हौ कतिहको का रशलिकत मम कौन काल अर दरश लाभ रखच को धिमतर को लिचना कर हमरश १८रयह कसा समरय ह मर कौन २ धिमतर ह रयह कसा दरश ह इस समरय हमारी करया आमदनी और करया रखच ह म तिकसक अधीन ह और मझम तिकनी रशलिकत ह इन बाो को बार-बार सोच रहना चातिहरय १८दोहा-- बराहमण कषतिरय वशरय को अखिगन दवा और मतिनजन तिहरय मरति अबध समदरथिरशन सब ठौर १९तिदवजातिरयो क लिलए अखिगन दवा ह मतिनरयो का हदरय ही दवा ह साधारण बखिधदवालो क लिलए परतिमारय ही दवा ह और समदरश क लिलए सारा ससार दवमरय ह १९इति चाणकरय चथyenऽधरयारयः ४

अधरयारय ५ दोहा-- अभरयाग सबको गर नारिर गर पति जान तिदवजन अखिगन गर चारिरह वरन तिवपर गर मान १बराहमण कषतितररय था वशरय इन ीनो का गर अखिगन ह उपरयकत चारो वण का गर बराहमण ह सतरी का गर उसका पति ह और ससार मातर का गर अतिलिथ ह १

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 11: चाणक्य नीति

दोहा-- आतिगाप घलिस काटिट तिपटिट सवरन लरख तिवधिध चारिर तरयागरशील गण कम तिधिम चारिरतिह परष तिवचारिर २जस रगडन स काटन स पान स और पीटन स इन चार उपारयो स सवण की परीकषा की जाी ह उसी परकार तरयाग रशील गण और कम इन चार बाो स मनषरय की परीकषा होी ह २दोहा-- जौलौ भरय आव नही ौलौ डर तिवचार आरय रशका छातिड क चातिहरय कीनह परहार ३भरय स भी क डरो जब क तिक वह महार पास क न आ जारय और जन आ ही जारय ो डरो नही बसविलक उस तिनरभिभक भाव स मार भगान की कोलिरशरश करो ३दोहा-- एकतिह गभ नकषतर म जारयमान रयटिद होरय नाहिह रशील सम हो ह बर काट सम होरय ४एक पट स और एक ही नकषतर म उतपनन होन स तिकसी का रशील एक सा नही हो जाा उदाहरण सवरप बर क काटो को दरखो ४दोहा-- नतिह तिनसपह अधिधकार गह भषण नहिह तिनहकाम नहिह अचर तिपररय बोल नहिह बचक साk कलाम ५तिनसपह मनषरय कभी अधिधकारी नही हो सका वासना स रशनरय मनषरय शरगार का परमी नही हो सका जड मनषरय कभी मीठी वाणी नही बोल सका और साk-साk बा करन वाला धोरखबाज नही होा ५दोहा-- मररख दवषी पसथिणडहिह धनहीनहिह धनवान परकीरया सवतिकरयाह का तिवधवा सभगा जान ६मरख क (पसथिणड) रशतर हो ह दरिरदरो क रशतर धनी हो ह कलवी सतरीरयो क रशतर वशरयारय होी ह और सनदर मनषरयो क रशतर करप हो ह ६दोहा-- आलस तिवदया नरश धन औरन क हाथ अलप बीज स रख अर दल दलपति तिबन साथ ७आलसरय स तिवदया परारय हाथ म गरया धन बीज म कमी करन स रखी और सनापति तिवहीन सना नषट हो जाी ह ६दोहा-- कल रशीलहिह धारिररय तिवदया करिर अभरयास गण जानहिह शरषठ कह नरयनहिह कोप तिनवास ८अभरयास स तिवदया की और रशील स कल की रकषा होी ह गण स मनषरय पतिहचाना जाा ह और आरख दरखन स करोध का पा लग जाा ह ८दोहा-- तिवदया रभिकष रयोग मदा स भपाल रभिकष गह सीरय धन धम तिवरशाल ९धन स धम की रयोग स तिवदया की कोमला स राजा की और अचछी सतरी स घर की रकषा होी ह ९दोहा-- वद रशासतर आचार औ रशासतरह और परकार जो कह लह वथा लोग कलरश अपार १०

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 12: चाणक्य नीति

वद को पासथिणडतरय को रशासतर को सदाचार को और अरशान मनषरय को जो लोग बदनाम करना चाहा ह व वयथ कषट कर ह १०सोरठा-- दारिरद नारशन दान रशील दगतिहिह नालिरशरय बखिधद नारश अजञा भरय नारश ह भावना ११दान दरिरदरा को नषट करा ह रशील दरव|ा को नषट कर दा ह बखिधद अजञान को नषट कर दी ह और तिवचार भरय को नषट कर टिदरया करा ह ११सोरठा-- वयाधिध न काम समान रिरप नहिह दजो मोह सम अखिगन कोप स आन नही जञान स सरख पर १२काम क समान कोई रोग नही ह मोह (अजञान) क समान रशतर नही ह करोध क समान और कोई अखिगन नही ह और जञान स बढकर और कोई सरख नही ह १२सोरठा-- जनम मतरय लह एक भोग ह इक रशभ अरशभ नरक जा ह एक लह एक ही मलिकतपद १३ससार क मनषरयो म स एक मनषरय जनम मरण क चककर म पडा ह एक अपन रशभारशभ कम का kल भोगा ह एक नरक म जा तिगरा ह और एक परम पद को पराप कर ला ह १३दोहा-- बरहमजञातिनहिह सवगन जिजद इजिनदररय णनार रशरहिह ण ह जीवनी तिनसपह कह ससार १४बरहमजञानी क लिलरय सवग तिनक क समान ह बहादर क लिलए जीवन ण क समान ह जिजजिनदररय को नारी और तिनसपह क लिलए सारा ससार ण क समान ह १४दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घर तिरय मी सपरी रोतिगतिह औषध अर मर धम हो ह मी १५परदरश म तिवदया धिमतर ह घर म सतरी धिमतर ह रोगी को औषधिध धिमतर ह और मर हए मनषरय का धम धिमतर ह १५दोहा-- वयथहिह वधिषट समदर म पहिह भोजन दान धतिनकहिह दनो वयथ ह वयथ दीप दीनमान १६समदर म वषा वयथ ह प को भोजन वयथ ह धनाढय को दान दना वयथ और टिदन क समरय दीपक जलाना वयथ ह १६दोहा-- दजो जल नहिह मघ सम बल नहिह आतम समान नहिह परकारश ह नन सम तिपररय अनाज सम आन १७मघ जल क समान उततम और कोई जल नही होा आतमबल क समान और कोई बल नही ह नतर क समान तिकसी म ज नही ह और अनन क समान तिपररय कोई वस नही ह १७दोहा-- अधनी धन को चाह परश चाह वाचाल नर चाह ह सवग कोसरगण मलिकत तिवरशाल १८दरिरदर मनषरय धन चाह ह चौपारय वाणी चाह ह मनषरय सवग चाह ह और दवा लोग मोकष चाह ह १८दोहा-- सतरयतिह रतिव प ह सतरयहिह पर भवभार

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 13: चाणक्य नीति

चल पवनह सतरय सतरयहिह सब आधार १९सतरय क आधार पर पथवी रकी ह सतरय क सहार सरय भगवान ससार को गम पहचा ह सतरय क ही बल पर वारय वहा ह कहन का मलब रयह तिक सब कछ सतरय म ही ह १९दोहा-- चल लकषमी औ पराणह और जीतिवका धाम मह चलाचल जग म अचल धम अभिभराम २०लकषमी चचल ह पराण भी चचल ही ह जीवन था घर दवार भी चचल ह और कहा क कह रयह सारा ससार चचल ह बस धम कवल अचल और अटल ह २०दोहा-- नर म नाई ध ह मालिलन नारिर लरखाहिह चौपारयन म सरयार ह वारयस पभिकषन माहिह २१मनषरयो म नाऊ पभिकषरयो म कौआ चौपारयो म सरयार और सतरिसतररयो म मालिलन रय सब ध हो ह २१दोहा-- तिप आचारज जनम पद भरय रकषक जो कोरय तिवदया दाा पाच रयह मनज तिपा सम होरय २२ससार म तिपा पाच परकार क हो ह ऎस तिक जनम दन वाला तिवदयादाा रयजञोपवी आटिद ससकार करनवाला अनन दनवाला और भरय स बचानवाला २२दोहा-- रजतिरय औ गर तिरय धिमतरतिरयाह जान तिनजमाा और सास रय पाचो मा समान २३उसी रह माा भी पाच ही रह की होी ह जस राजा की पतनी गर की पतनी धिमतर की पतनी अपनी सतरी की माा और अपनी रखास माा २३इति चाणकरय पञचमोऽधरयारयः ५

अधरयारय ६ दोहा-- सतिनक जान धम को सतिन दबधिध जिज द सतिनक पाव जञानह सनह मोकषपद ल १मनषरय तिकसी स सनकर ही धम का तव समझा ह सनकर ही दबखिधद को तरयागा ह सनकर ही जञान पराप करा ह और सनकर ही मोकषपद को पराप कर ला ह १दोहा-- वारयस पभिकषन परशन मह शवान अह चडाल मतिनरयन म जतिह पाप उर सबम तिननदक काल २पभिकषरयो म चाणडाल ह कौआ परशओ म चाणडाल कतता मतिनरयो म चाणडाल ह पाप और सबस बडा चाणडाल ह तिननदक २दोहा-- कास हो रशलिच भसम ामर रखटाई धोइ रजोधम नारिर रशलिच नदी वग होइ ३रारख स कास का बन साk होा ह रखटाई स ाबा साk होा ह रजोधम स सतरी रशधद होी ह और वग स नदी रशधद होी ह ३दोहा-- पज जा भरमण स तिदवज रयोगी औ भप भरमण तिकरय नारी नरश ऎसी नीति अनप ४

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 14: चाणक्य नीति

भरमण करनवाला राजा पजा जाा ह भरमण करा हआ बराहमण भी पजा जाा ह और भरमण करा हआ रयोगी पजा जाा ह तिकन सतरी भरमण करन स नषट हो जाी ह ४दोहा-- धिमतर और ह बनध तिह सोइ परष गण जा धन ह जाक पास म पसथिणड सोइ कहा ५जिजसक पास धन ह उसक बह स धिमतर ह जिजसक पास धन ह उसक बह स बानधव ह जिजसक पास धन ह वही ससार का शरषठ परष ह और जिजसक पास धन ह वही पसथिणड ह ५दोहा-- सोई मति हो ह सोई वयवसारय होनहार जसी रह सोइ धिमल सहारय ६जसा होनहार होा ह उसी रह की बखिधद हो जाी ह वसा ही कारय होा ह और सहारयक भी उसी रह क धिमल जा ह ६दोहा-- काल पचाव जीव सब कर परजन सहार सबक सोरयउ जातिगरय काल टर नहिह टार ७काल सब पराभिणरयो को हजम तिकए जाा ह काल परजा का सहार करा ह लोगो क सो जान पर भी वह जागा रहा ह ातपरय रयह तिक काल को कोई टाल नही सका ७दोहा-- जनम अनध दरख नही काम अनध नहिह जान सोई मद अनध ह अथ दोष न मान ८न जनम का अनधा दरखा ह न कामानध कछ दरख पाा ह और न उनमतत परष ही कोछ दरख पाा ह उसी रह सवाथ मनषरय तिकसी बा म दोष नही दरख पाा ८दोहा-- जीव कम आप कर भोग kलह आप आप भरम ससार म मलिकत लह ह आप ९जीव सवरय कम करा ह और सवरय उसका रशभारशभ kल भोगा ह वह सवरय ससार म चककर रखाा ह और समरय पाकर सवरय छटकारा भी पा जाा ह ९दोहा-- परजापाप नप भोतिगरय पररिर नप को पाप तिरय पाक पति लिरशषरय को गर भोग ह आप १०राजरय क पाप को राजा राजाका पाप परोतिह सतरीका पाप पति और लिरशषरय क दवारा तिकरय हए पाप को गर भोगा ह १०दोहा-- ऋणका तिप रशतर पर-परषगाधिमनी म रपवी तिरय रशतर ह पतर अपतिड जा ११ऋण करनवाल तिपा वयाभिभचारिरणी माा रपवी सतरी और मरख पतर रय मानवजातिक रशतर ह ११दोहा-- धनस लोभी वरश कर गरषिवहिह जोरिर सवपान मररख क अनसरिर चल बध जन सतरय कहान १२लालचीको धनस घमएडी को हाथ जोडकर मरख को उसक मनवाली करक और रयथाथ बा स पसथिणड को वरश म कर १२दोहा-- नहिह कराज तिबन राज भल तरयो कमीह मी लिरशषरय तिबना बर ह भलो तरयो कदार कह नी १३

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 15: चाणक्य नीति

राजरय ही न हो ो अचछा पर कराजरय अचछा नही धिमतर ही न हो ो अचछा पर कधिमतर होना ठीक नही लिरशषरय ही न हो ो अचछा पर कलिरशषरय का होना अचछा नही सतरी ही न हो ो ठीक ह पर रखराब सतरी होना अचछा नही १३दोहा-- सरख कह परजा कराज धिमतर कधिमतर न पररय कह कदार गह सरख कह कलिरशषरय रयरश दरय १४बदमारश राजा क राज म परजा को सरख करयोकर धिमल सका ह दषट धिमतर स भला हदयकब आनजिनद होगा दषट सतरी क रहन पर घर कस अचछा लगगा और दषट लिरशषरय को पढा कर रयरश करयो कर पराप हो सकगा १४दोहा-- एक चिसह एक बकन स अर मगा चारिर काक पच षट सवान गदभ गन ारिर १५चिसह स एक गण बगल स एक गण मगlaquo स चार गण कौए स पाच गण कतत स छ गण और गध स ीन गण गरहण करना चातिहए १५दोहा-- अति उनन कारज कछ तिकरय चाह नर कोरय कर अनन पररयतन गह चिसह गण सोरय १६मनषरय तिकना ही बडा काम करयो न करना चाहा हो उस चातिहए तिक सारी रशलिकत लगा कर वह काम कर रयह गण चिसह स ल १६दोहा-- दरशकाल बल जातिनक गतिह इजिनदररय को गराम बस जस पसथिणड परष कारज करहिह समान १७समझदार मनषरय को चातिहए तिक वह बगल की रह चारो ओर स इजिनदररयो को समटकर और दरश काल क अनसार अपना बल दरख कर सब कारय साध १७दोहा-- परथम उठ रण म जर बनध तिवभागहिह द सवोपारजिज भोजन कर कककट गन चह ल १८ठीक समरय स जागना लडना बनधओक तिहसस का बटवारा और छीन झपट कर भोजन कर लना रय चार बा मगlaquo स सीरख १८दोहा-- अधिधक ढीठ अर गढ रति समरय सआलरय सच नहिह तिवशवास परमाद जतिह गह वारयस गन पच १९एकान म सतरी का सग करना समरय-समरय पर कछ सगरह कर रहना हमरशा चौकस रहना और तिकसी पर तिवशवास न करना ढीठ रहना रय पाच गण कौए स सीरखना चातिहए १९दोहा-- बह मरख थोरह ोष अति सोवतिह रशीघर जगा सवाधिमभकत बड बीरा षटगन सवाननहा २०अधिधक भरख रह भी थोड म सनषट रहना सो समरय होरश ठीक ररखना हलकी नीद सोना सवाधिमभलिकत और बहादरी-- रय गण कतत स सीरखना चातिहरय २०दोहा-- भार बह ाक नही रशी उषण सम जातिह तिहरय अधिधक सनोष गन गरदभ ीतिन गहातिह २१

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 16: चाणक्य नीति

भरपर थकावट रहनपर भी बोभका ढोना सदshy गम की परवाह न करना सदा सनोष ररखकर जीवनरयापन करना रय ीन गण गधा स सीरखना चातिहए २१दोहा-- हिवरशति सीरख तिवचारिर रयह जो नर उर धार सो सब नर जीतिव अबलिस जरय रयरश जग लह २२जो मनषरय ऊपर तिगनारय बीसो गणो को अपना लगा और उसक अनसार चलगा वह सभी कारय म अजरय रहगा २२इति चाणकरय षषठोऽधरयारयः ६

अधरयारय ७ दोहा-- अरथ नारश मन ाप अर दार चरिर घर माहिह बचना अपमान तिनज सधी परकारश नाहिह १अपन धन का नारश मन का सनाप सतरीका चरिरतर नीच मनषरय की कही बा और अपना अपमान इनको बखिधदमान मनषरय तिकसी क समकष जातिहर न कर १दोहा-- सलिच धन अर धानरय क तिवदया सीरख बार कर और वयवहार क लाज न करिररय अगार २धन-धानरयक लन-दन तिवदयाधरयरयन भोजन सासारिरक वयवसारय इन कामो म जो मनषरय लजजा नही करा वही सरखी रहा ह २दोहा-- तिष सधा सनोष लिच रशान लह सरख होरय इ उ दौड लोभ धन कह सो सरख तिह होरय ३सनोषरपी अम स प मनषरयो को जो सरख और रशाति पराप होी ह वह धन क लोभ स इधर-उधर मार-मार तिkरन वालोको कस पराप होगी ३दोहा-- ीन ठौर सनोष धर तिरय भोजन धन माहिह दानन म अधरयरयन म प म कीज नाहिह ४ीन बाो म सनोष धारण करना चातिहए जस-अपनी सतरी म भोजन म और धन म इसी परकार ीन बाो म कभी भी सनषट न होना चातिहए अधरयरयन म जप म और दान म ४दोहा-- तिवपर तिवपर अर नारिर नर सवक सवाधिमहिह अन हला औ बल क मधरय नहिह जाव सरखवन ५दो बराहमणो क बीच म स बराहमण और अखिगन क बीच स सवामी और सवक क बीच स सतरी-परष क बीच स और हल था बल क बीच स नही तिनकलना चातिहए ५दोहा-- अनल तिवपर गर धन पतिन कनरया कआरी द बालक क अर वधद क पग न लगावह रय ६अखिगन गर बराहमण गौ कमारी कनरया वधद और बालक इनको कभी परो स न छए ६दोहा-- हसी हाथ हजार ज रश हाथन स वाजिज शरडग सतिह तिह हाथ दरश दषट दरश ज भाजिज ७

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 17: चाणक्य नीति

हजार हाथ की दरी स हाथी स सौ हाथ की दरी स घोडा स दस हाथ की दरी स सीगवाल जानवरो स बचना चातिहरय और मौका पड जारय ो दरश को ही तरयाग कर दजन स बच ७दोहा-- हसी अकरश हतिनरय हाथ पकरिर रग शरडतिग परशन को लकट अलिस दजन भग ८हाथी अकरश स घोडा चाबक स सीगवाल जानवर लाठी स और दजन लवार स ठीक हो ह ८दोहा-- षट हो भोजन तिकरय बराहमण लखिरख धन मोर पर समपति लखिरख साध जन रखल लखिरख पर दःरख घोर ९बराहमण भोजन स मोर मघ क गजन स सजजन परारय धन स और रखल मनषरय दसर पर आई तिवपभितत स परसनन होा ह ९दोहा-- बलवहिह अनकलही परतिकलहिह बलहीन अतिबलसमबल रशतरको तिवनरय बसतिह वरश कीन १०अपन स परबल रशतर को उसक अनकल चल कर दषट रशतर को उसक परतिकल चल कर और समान बलवाल रशतर का तिवनरय और बल स नीचा टिदरखाना चातिहए १०दोहा-- नपहिह बाहबल बराहमणहिह वद बरहम की जान तिरय बल माधरा कहयो रप रशील गणवान ११राजाओ म बाहबलसमपनन राजा और बराहमणो म बरहमजञानी बराहमण बली होा ह और रप था रयौवन की मधरा सतरिसतररयो का सबस उततम बल ह ११ दोहा-- अतितिह सरल नहिह होइरय दरखह जा बनमाहिह र सीध छद तिनहिह वाक र रतिह जाति १२अधिधक सीधा-साधा होना भी अचछा नही होा जाकर वन म दरखो--वहा सीध वकष काट लिलरय जा ह और टढ रखड रह जा ह १२दोहा-- सजल सरोवर हस बलिस सरख उतिड ह सोउ दखिरख सजल आव बहरिर हस समान न होउ १३जहा जल रहा ह वहा ही हस बस ह वस ही सरख सरोवरको छोड ह और बार-बार आशररय लर ल ह सो मनषरय को हस क समान न होना चातिहरय १३दोहा-- धन सगरहको पखिरखरय परगट दान परतिपाल जो मोरी जल जानक ब नहिह kट ाल १४अरजिज धनका वयरय करना ही रकषा ह जस नरय जल आन पर डाग क भीर क जल को तिनकालना ही रकषा ह १४दोहा-- जिजनक धन तिह मी बह जतिह धन बनध अनन घन सोइ जगम परषवर सोई जन जीवन १५जिजनक धन रहा ह उसक धिमतर हो ह जिजसक पास अथ रहा ह उसीक बध हो ह जिजसक धन रहा ह वही परष तिगना जाा ह जिजसक अथ ह वही जी ह १५दोहा-- सवगवालिस जन क सदा चार लिचहन लखिरख रयतिह दव तिवपर पजा मधर वाकरय दान करिर दतिह १६

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 18: चाणक्य नीति

ससार म आन पर सवग |ातिनरयो क रशरीर म चार लिचहम रह ह दान का सवभाव मीठा वचन दवा की पजा बराहमण को प करना अथा जिजन लोगो म दान आटिद लकषण रह उनको जानना चातिहरय तिक व अपन पणरय क परभाव स सवगवासी मतरय लोक म अवार लिलरय ह १६दोहा-- अतितिह कोप कट वचनह दारिरद नीच धिमलान सवजन वर अकलिलन टहल रयह षट नक तिनरशान १७अतरयन करोध कटवचन दरिरदरा अपन जनो म बर नीचका सग कलहीनकी सवा रय लिचहम नरकवालिसरयोकी दहो म रह ह १७दोहा-- चिसह भवन रयटिद जारय कोउ गजमकता ह पारय वतसपछ रखर चम टक सरयार माद हो जारय १८रयटिद कोई चिसह की गkा म जा पड ो उसको हाथी क कपोलका मोी धिमला ह और लिसरयार क |ान म जान पर बछाव की पछ और गदह क चामड का टकडा धिमला ह १८दोहा-- शवान पछ सम जीवनी तिवदया तिबन ह वयथ दरश तिनवारण न ढकन नहिह एको सामथ १९कतत की पछ क समान तिवदया तिबना जीना वयथ ह कतत की पछ गोपरय इजिनदररय को ढाक नही सकी और न मचछड आटिद जीवॊम को उडा सकी ह १९दोहा-- वचनशखिधद मनरशखिधद और इजिनदररय सरयम रशखिधद भदरया और सवचछा पर अरथिथन रयह बखिधद २०वच की रशखिधद मति की रशखिधद इटिदररयो का सरयम जीवॊ पर दरया और पतिवतरा--रय परमारथिथो की रशखिधद ह २०दोहा-- बास समन तिल ल अखिगन काठ परय घीव उरखहिह गड तिधिम दह म ल आम लरख मतिसीव २१जस kलम गध तिल म ल काषठम आग दध म घी और ईरख म गड ह वस दह म आतमा को तिवचार स दरखो २१इति चाणकरय सपमोऽधरयारयः ७

अधरयारय ८ दोहा-- अधम धनहिह को चाह मधरयम धन अर मान मानतिह धन ह बडन को उततम चह मान १अधम धन चाह ह मधरयम धन और मान दोनो पर उततम मान ही चाह हकरयोतिक महातमाओ का धन मान ही ह १दोहा-- ऊरख वारिर परय मल पतिन औषधह रखारयक था रखारय ामबल सनान दान आटिदक उलिच २ऊरख जल दध पान kल और औषधिध इन वसओ क भोजन करन पर भी सनान दान आटिद तिकररया कर सक ह २दोहा-- दीपक मको रखा ह ो कजजल उपजारय

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 19: चाणक्य नीति

रयदनन भकषरय तिनतरय जारय ादरशी परजा ३टिदरया अधकार को रखाा ह और काजल को जनमाा ह सतरय ह जो जसा अनन सदा रखाा ह उसकी वसही सनति होी ह ३दोहा-- गणहिहन औरहिह दइ धन लखिरखरय जलद जल रखारय मधर कोटिट गण करिर जग जीवन जलतिनधिध जारय ४ह मतिमान गभिणरयो को धन दो औरो को कभी म दो समदर स मघ क मरख म पराप होकर जल सदा मधर हो जाा ह और पथवी पर चर अचर सब जीवॊ को जिजला कर तिkर वही जल कोटिट गण होकर उसी समदर म चला जाा ह ४दोहा-- एक सहसतर चाणडाल सम रयवन नीच इक होरय ततवदरश कह रयवन नीच और नहिह कोरय ५इना नीच एक रयवन होा ह रयवन स बढकर नीच कोई नही होा ५दोहा-- लिचाधम नल लतिग मथन छौर बनारय ब लौ ह चणडाल सम जबलो नाहिह नहारय ६ल लगान पर सतरी परसग करन क बाद और लिचा का धआ लग जान पर मनषरय जब क सनान नही करा ब क चाणडाल रहा ह ६दोहा-- वारिर अजीरण औषधी जीरण म बलवान भोजन क सग अम ह भोजनान तिवषपान ७जब क तिक भोजन पच न जारय इस बीच म तिपरया हआ पानी तिवष ह और वही पानी भोजन पच जान क बाद पीन स अम क समान हो जाा ह भोजन कर समरय अम और उसक पशचा तिवषका काम करा ह ७दोहा-- जञान तिकररया तिबन नषट ह नर जो नषट अजञान तिबन नारयक जस सनह तरयो पति तिबन तिरय जान ८वह जञान वयथ ह तिक जिजसक अनसार आचरण न हो और उस मनषरय का जीवन ही वयथ ह तिक जिजस जञान पराप न हो जिजस सना का कोई सनापति न हो वह सना वयथ ह और जिजसक पति न हो व सतरिसतररया वयथ ह ८दोहा--वधद समरय जो मर तिरया बनध हाथ धन जारय पराधीन भोजन धिमल अह ीन दरखदारय ९बढौी म सतरी का मरना तिनजी धन का बनधओ क हाथ म चला जाना और पराधीन जीतिवका रहना रय परषो क लिलए अभागरय की बा ह ९दोहा-- अखिगनहोतर तिबन वद नहिह रयजञ तिकररया तिबन दान भाव तिबना नहिह लिसखिधद ह सबम भाव परधान १०तिबना अखिगनहोतर क वदपाठ वयथ ह और दान क तिबना रयजञाटिद कम वयथ ह भाव क तिबना लिसखिधद नही पराप होी इसलिलए भाव ही परधान ह १०दोहा-- दव न काठ पाषाणममरषि म नरहारय भाव हाही दवभल कारन भाव कहारय ११

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 20: चाणक्य नीति

दवा न काठ म पतथर म और न धिमटटी ही म रह ह व ो रह ह भाव म इसस रयह तिनषकष तिनकला तिक भाव ही सबका कारण ह ११दोहा-- धा काठ पाषाण का कर सवन रय भाव शरधदा स भगवतकपा स तिह लिसखिधद आव १२काठ पाषाण था धा की भी शरधदापवक सवा करन स और भगवतकपा स लिसखिधद पराप हो जाी ह १२दोहा-- नही सनोष समान सरख प न कषमा सम आन षणा सम नहिह वयाधिध न धरम दरया सम मान १३रशापतिन क समान कोई प नही ह सनोष स बढकर कोई सरख नही ह षणा स बडी कोई वयाधिध नही ह और दरया स बडा कोई धम नही ह १३दोहा-- तितरसना वरणी नदी धरमराज सह रोष कामधन तिवदया कतिहरय ननदन बन सनोष १४करोध रयमराज ह षणा वरणी नदी ह तिवदया कामधन गौ ह और सनोष ननदन वन ह १४दोहा-- गन भषन ह रप को कल को रशील कहारय तिवदया भषन लिसखिधद जन तिह रखरच सो पारय १५गण रप का शरगार ह रशील कलका भषण ह लिसखिधद तिवदया का अलकार ह और भोग धन का आभषण ह १५दोहा-- तिनगण का ह रप ह ह करशील कलगान ह तिवदयाह अलिसधदको ह अभोग धन धान १६गण तिवहीन मनषरय का रप वयथ ह जिजसका रशील ठीक नही उसका कल नषट ह जिजसको लिसखिधद नही पराप हो वह उसकी तिवदया वयथ ह और जिजसका भोग न तिकरया जारय वह धन वयथ ह १६दोहा-- रशधद भधिमग वारिर ह नारिर पतिवरा जौन कषम कर सो भप रशलिच तिवपर ोस सलिच ौन १७जमीन पर पहचा पानी पतिवरा सतरी परजा का कलरयाण करनवाला राजा और सनोषी बराहमण-रय पतिवतर मान गरय ह १७दोहा-- असनोष तिवपर ह नप सनोष रववारिर गतिनका तिवनरश लाज लाज तिबना कल नारिर १८असनोषी बराहमण सनोषी राज लजजावी वशरया और तिनलजज कल सतरिसतररया रय तिनकषट मान गरय ह १८दोहा-- कहा हो बड वरश जो नर तिवदया हीन परगट सरन पजिजरय तिवदया कलहीन १९रयटिद मरख का कल बडा भी हो ो उसस करया लाभ चाह नीच ही कल का करयो न हो पर रयटिद वह तिवदवान हो ो दवाओ दवारा भी पजा जाा ह १९दोहा-- तिवदष पररशलिस हो जग सब थल गौरव पारय तिवदया स सब धिमल ह थल सब सोइ पजारय २०

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 21: चाणक्य नीति

तिवदवान का ससार म परचार होा ह वह सवतर आदर पाा ह कहन का मलब रयह तिक तिवदया स सब कछ पराप हो सका ह और सवतर तिवदया ही पजी जाी ह २०दोहा-- सरय जीवन रप कतिहरय बड कलीन तिवदया तिबन सोभ न जिजभिभ पहप गध हीन २१रप रयौवन रयकत और तिवरशाल कल म उतपनन होकर भी मनषरय रयटिद तिवदयाहीन हो ह ो रय उसी रह भल नही मालम हो जस सगसतरिनध रतिह टस क kल २१दोहा-- मास भकष मटिदरा तिपरय मररख अकषर हीन नरका परशभार गह पथवी नहिह सह ीन २२मासाहारी रशराबी और तिनरकषर मरख इन मानवरपधारी परशओ स पथवी मार बोझ क दबी जा रही ह २२दोहा-- अननहीन राजरयही दह दानहीन रयजमान मतरहीन ऋपतितवजन कह करसम रिरपनहिह आन २३अननरतिह रयजञ दरश का मनतरहीन रयजञ ऋपतितवजो का और दान तिवहीन रयजञ रयजमान का नारश कर दा ह रयजञ क समान कोई रशतर नही ह २३इति चाणकरयऽषटमोऽधरयारयः ८

अधरयारय ९ सोरठा-- मलिकत चहो जो ा तिवषरयन ज तिवष सरिरस दरयारशील सच बा रशौच सरला कषमा गह १ह भाई रयटिद म मलिकत चाह हो ो तिवषरयो को तिवष क समान समझ कर तरयाग दो और कषमा ऋजा (कोमला) दरया और पतिवतरा इनको अम की रह पी जाओ १दोहा-- नीच अधम नर भाष मम परसपर आप तिवलारय ज ह रयथा मधिघ तिबमवट को साप २जो लोग आपस क भद की बा बला द ह व नराधम उसी रह नषट हो जा ह जस बाबी क भीर घसा साप २दोहा-- गनध सोन kल इकष धन बध लिचरारय नरनाह समन मलरय धाातिन तिकरय काह जञान गरनाह ३सोन म सगध ऊरख म kल चनदन म kल धनी तिवदवान और दीघजीवी राजा को तिवधाा न बनारया ही नही करया तिकसी न उनह सलाह भी नही दी ३दोहा-- गरच औषधिध सरखन म भोजन कहो परमान चकष इजिनदररय सब अग म लिरशर परधान भी जान ४सब औषधिधरयो म अम (गरच=तिगलोरय) परधान ह सब सरखो म भोजन परधान ह सब इजिनदररयो म नतर परधान ह और सब अगो म मसक परधान ह ४दोहा-- द वचन गति रग नहिह नभ न आटिद कह कोरय रशलिरश रतिवगरहण बरखान जो नहिह न तिवदष तिकधिम होरय ५

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 22: चाणक्य नीति

आकारश म न कोई द जा सका ह न बाची ही हो सकी ह न पहल स तिकसी न बा ररखा ह न तिकसी स भट ही होी ह ऎसी परिरसथि|ति म आकारशचारी सरय चनदरमा का गरहण समरय जो पसथिणड जान ह व करयो कर तिवदवान न मान जारय ५दोहा-- दवारपाल सवक पलिथक समरय कषधार पारय भडारी तिवदयारथी सोअ सा जगारय ६तिवदयाथ नौकर राही भरख भरयभी भडारी और दवारपाल इन सा सो हए को भी जगा दना चातिहए ६दोहा-- भपति नपति मढमति तरयो बरlaquo ओ बाल साव सा जगाइरय नहिह पर ककर वयाल ७साप राजा रशर बरlaquo बालक परारया कतता और मरख मनषरय रय सा सो हो ो इनह न जगाव ७दोह-- अथह वदहिह पढ रखारय रशदर को धान तिदवज करया कर सका ह तिबन तिवष वयाल समान ८जिजनहोन धनक लिलए तिवदया पढी ह और रशदर का अनन रखा ह ऎस तिवषहीन साप क समान बराहमण करया कर सक ग ८दोहा--रषट भरय भरय षट म नही धनागम सोरय दणड सहारय न करिर सक का रिरसारय कर सोरय ९जिजसक नाराज होन पर कोई डर नही ह परसनन होन पर कछ आमदनी नही हो सकी न वह द सका और न कपा ही कर सका हो ो उसक रषट होन स करया होगा ९दोहा-- तिबन तिबषह क साप सो चातिहरय kन बढारय होउ नही रया होउ तिवष घटाटोप भरयदारय १०तिवष तिवहीन सप का भी चातिहरय तिक वह रखब लमबी चौडी kन kटकार तिवष हो रया न हो पर आडमबर होना ही चातिहरय १०दोहा-- पराः दय परसग स मधरय सतरी परसग सारय चोर परसग कह काल गह सब अडग ११समझदार लोगो का समरय सबर जए क परसग (कथा) म दोपहर को सतरी परसग (कथा) म और रा को चोर की चचा म जाा ह रयह ो हआ रशबदाथ पर भावाथ इसका रयह ह तिक जिजसम जए की कथा आी ह रयानी महाभार दोपहर को सतरी परसग रयानी सतरी स समबनध ररखनवाली कथा अथा रामारयण तिक जिजसम आटिद स अ क सीा की पसरया झलकी ह रा को चोर क परसग अथा शरीकषणचनदर की कथा रयानी शरीमद भागव कह सन ह ११दोहा-- समन माल तिनजकर रलिच सवलिलखिरख पसक पाठ धन इनदरह नारश टिदरय सवघलिस चनदन काठ १२अपन हाथ गथकर पहनी माला अपन हाथ स धिघस कर लगारया चनदन और अपन हाथ लिलरखकर तिकरया हआ सोतरपाठ इनदर की भी शरी को नषट कर दा ह १२दोहा-- ऊरख रशदर दधिध नाधिरयका हम मटिदनी पान ल चनदन इन नवनको मदनही गण जान १३

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 23: चाणक्य नीति

ऊरख तिल रशदर सवण सतरी पथवी चनदन दही और पान रय वसए जिजनी मदन का जाा ह उनी ही गणदारयक होी ह १३दोहा-- दारिरद सोह धीर कपट सभगा पारय लतिह कअनन उषणतव को रशील करप सहारय १४धरय स दरिरदरा की सkाई स रखराब वसतर की गम स कदनन की और रशील स करपा भी सनदर लगी ह १४इति चाणकरय नवमोऽधरयारयः ९

अधरयारय १० दोहा-- हीन नही धन हीन ह धन लिथर नाहिह परवीन हीन न और बरखातिनरय एइदयाहीन सदीन १धनहीन मनषरय हीन नही कहा जा सका वही वासव म धनी ह तिकन जो मनषरय तिवदयारपी रतन स हीन ह वह सभी वसओ स हीन ह १दोहा-- दधिषटसोधिध पग धरिररय मग पीजिजरय जल पट रोधिध रशासतररशोधिध बोलिलरय बचन करिररय काज मन रशोधिध २आरख स अचछी रह दरख-भाल कर पर धर कपड स छान कर जल तिपरय रशासतरसमम बा कह और मन को हमरशा पतिवतर ररख २दोहा-- सरख चाह तिवदया ज सरख जिज तिवदया चाह अरथिथतिह को तिवदया कहा तिवदयारथिथहिह सरख काह ३जो मनषरय तिवषरय सरख चाहा हो वह तिवदया क पास न जारय जो तिवदया का इचछक हो वह सरख छोड सरखाथ को तिवदया और तिवदयाथ को सरख कहा धिमल सका ह ३दोहा-- काह न जान सकतिव जन कर काह नहिह नारिर मदयप काह न बतिक सक काग रखाहिह कतिह वारिर ४कतिव करया वस नही दरख पा सतरिसतररया करया नही कर सकी रशराबी करया नही बक जा और कौव करया नही रखा जा छ० -- बनव अति रकन भधिमपी अर भधिमपीनह रक अति धतिनक धनहीन तिkर करी अधनीन धनी तिवधिधकरिर गी ५तिवधाा कडगाल को राजा राजा को कडगाल धनी को तिनधन और तिनधन को धनी बनाा ही रहा ह ५दोहा-- रयाचक रिरप लोभीन क मढतिन जो लिरशषदान जार तिरयन तिनज पति कहयो चोरन रशलिरश रिरप जान ६लोभी का रशतर ह रयाचक मरख का रशतर ह उपदरश दनवाला कलटा सतरी का रशतर ह उसका पति और चोरो का रशतर चनदरमा ६दोहा-- धमरशील गण नाहिह जहिह नहिह तिवदया प दान

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 24: चाणक्य नीति

मनज रप भतिव भार तिवचर मग कर जान ७जिजस मनषरय म न तिवदया ह न प ह न रशील ह और न गण ह ऎस मनषरय पथवी क बोझ रप होकर मनषरय रप म परश सदरश जीवन-रयापन कर ह ७सोरठा-- रशनरय हदरय उपदरश नाहिह लग कसो करिररय बस मलरय तिगरिर दरश ऊ बास म बास नहिह ८जिजनकी अनरातमा म कछ भी असर नही करा मलरयाचल को तिकसी का उपदरश कछ असर नही करा मलरयाचल क ससग स और वकष चनदन हो जा ह पर बास चनदन नही होा ८दोहा-- सवाभातिवक नहिह बखिधद जतिह ातिह रशासतर कर काह जो नर नरयनतिवहीन ह दपण स कर काह ९जिजसक पास सवरय बखिधद नही ह उस करया रशासतर लिसरखा दगा जिजसकी दोनो आरख kट गई हो करया उस रशीरशा टिदरखा दगा ९दोहा-- दजन को सजजन करन भल नही उपारय हो अपान इजिनदररय न रशलिच सौ सौ धोरयो जारय १०इस पथवील म दजन को सजजन बनान का कोई रयतन ह ही नही अपान परदरश को चाह सकडो बार करयो न धोरया जारय तिkर भी वह शरषठ इजिनदररय नही हो सका १०दोहा-- सन तिवरोध मतरय तिनज धन कषरय करिर पर दवष राजदवष स नस ह कल कषरय कर तिदवज दवष ११बड बढो स दवष करन पर मतरय होी ह रशतर स दवष करन पर धन का नारश होा ह राजा स दवष करन पर सवनारश हो जाा ह और बराहमण स दवष करन पर कल का ही कषरय हो जाा ह ११छनद-- गज बाघ सतिव वकष धन वन मातिह बर रतिहबो कर अर पतर kल जल सवनो ण सज वर लतिहबो कर रशलिछदर वलकल वसतर करिरबह चाल रयह गतिहबो कर तिनज बनध मह धनहीन हव नहिह जीवनो चतिहबो कर १२बाघ और बड-बड हालिथरयो क झणड जिजस वन म रह हो उसम रहना पड तिनवास करक पक kल था जल पर जीवनरयापन करना पड जारय घास kस पर सोना पड और सकडो जगह kट वसतर पहनना पड ो अचछा पर अपनी तिवरादरी म दरिरदर होकर जीवन तिबाना अचछा नही ह १२छनद-- तिवपर वकष ह मल सनधरया वद रशारखा जातिनरय धम कम हव पतर दोऊ मल को नहिह नालिरशरय जो नषट मल हव जारय ो कल रशारख पा न kटिटरय रयही नीति सनीति ह की मल रकषा कीजिजरय १३बराहमण वकष क समान ह उसकी जड ह सधरया वद ह रशारखा और कम पतत ह इसलिलए मल (सनधरया) की रयतन पवक रकषा करो करयोकी जब जड ही कट जारयगी ो न रशारखा रहगी और न पतर ही रहगा १३दोहा-- लकषमी दवी मा ह तिपा तिवषण सवlaquoरश कषणभकत बनध सभी ीन भवन तिनज दरश १४

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 25: चाणक्य नीति

भकत मनषरय की माा ह लकषमीजी तिवषण भगवान तिपा ह तिवषण क भकत भाई बनध ह और ीनो भवन उसका दरश ह १४ दोहा-- बह तिवधिध पकषी एक र जो बठ तिनलिरश आरय भोर दरशो टिदलिरश उतिड चल कह कोही पलिछारय १५तिवतिवध वण (रग) क पकषी एक ही वकष पर रा भर बसरा कर ह और दरशो टिदरशाओ म उड जा ह रयही दरशा मनषरयॊ की भी ह तिkर इसक लिलरय सनाप करन की करया जरर १५दोहा-- बखिधद जास ह सो बली तिनबखिधदतिह बल नाहिह अति बल हाथीहिह सरयारलघ चर हलिस बन माहिह १६जिजसक पास बखिधद ह उसी क पास बल ह जिजसक बखिधद ही नही उसक बल कहा स होगा एक जगल म एक बखिधदमान रखरगोरश न एक मवाल हाथी को मार डाला था १६छनद-- ह नाम हरिरको पालक मन जीवन रशका करयो करनी नहिह ो बालक जीवन कोथन स परय तिनरस करयो जननी रयही जानकर बार ह रयदपति लकषमीप र चरण कमल क सवन स टिदन बी जारय सदा मर १७रयटिद भगवान तिवशवभर कहला ह ो हम अपन जीवन समबनधी झझटो (अनन-वसतर आटिद) की करया लिचना रयटिद व तिवशवभर न हो ो जनम क पहल ही बचच को पीन क लिलए माा क सन म दध कस उर आा बार-बार इसी बा को सोचकर ह रयदप ह लकषमीप म कवल आप क चरणकमलो की सवा करक अपना समरय तिबाा ह १७सो०-- दववातिन बस बखिधद ऊ और भाषा चहौ रयदतिप सधा सर दरश चह अवस सर अधर रस १८रयदयतिप म दववाणी म तिवरशष रयोगरया ररखा ह तिkर भी भाषानर का लोभ ह ही जस सवग म अम जसी उततम वस तिवदयमान ह तिkर भी दवाओ को दवागनाओ क अधराम पान करन की रलिच रही ही ह १८दोहा-- चण दरश गणो अनन ा दरश गण परय जान परय स अठगण मास तिह दरशगण घ मान १९रखड अनन की अपकषा दसगना बल रहा ह तिपसान म तिपसान स दसगना बल रहा ह दध म दध स अठगना बल रहा ह मास स भी दसगना बल ह घी म १९दोहा-- राग बढ ह रशाक परय स बढ रशरीर घ रखारय बीरज बढ मास मास गमभीर २०रशाक स राग दध स रशरीर घी स वीरय और मास स मास की वखिधद होी ह २०इति चाणकरय दरशधिमऽधरयारयः १०

अधरयारय ११ दोहा-- दानरशलिकत तिपररय बोलिलबो धीरज उलिच तिवचार रय गण सीरख ना धिमल सवाभातिवक ह चार १

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 26: चाणक्य नीति

दानरशलिकत मीठी बा करना धरय धारण करना समरय पर उलिच अनलिच का तिनणरय करना रय चार गण सवाभातिवक लिसधद ह सीरखन स नही आ १दोहा-- वग आपनो छोतिड क गह वग जो आन सो आपई नलिरश जा ह राज अधम समान २जो मनषरय अपना वग छोडकर परारय वग म जाकर धिमल जाा ह ो वह अपन आप नषट हो जाा ह जस अधम स राजा लोग चौपट हो जा ह २सवरया- भारिरकरी रह अकरश क वरश का वह अकरश भारी करीसो तरयो म पजतिह नारश दीपसो दीपकह अधिधरयार सरीसो वजर क मार तिगर तिगरिरह कह होरय भला वह वजर तिगरोसो ज ह जास सोई बलवान कहा तिवसवास रशरीर लडीसो ३हाथी मोटा-ाजा होा ह तिकन अकरश क वरश म रहा ह ो करया अकरश हाथी क बराबर ह दीपक क जल जान पर अनधकार दर हो जाा ह ो करया अनधकार क बराबर दीपक ह इनदर क वजरपरहार स पहाड तिगर जा ह ो करया वजर उन पवो क बराबर ह इसका मलब रयह तिनकला तिक जिजसम ज ह वही बलवान ह रयो मोटा-ाजा होन स कछ नही होा ३दोहा-- दस हजार बी बरस कलिल म जिज हरिर दतिह ास अधद सर नदी जल गरामदव अधिध तिह ४कलिल क दस हजार वष बीन पर तिवषण भगवान पथवी छोड द ह पाच हजार वष बाद गगा का जल पथवी को छोड दा ह और उसक आध रयानी ढाई हजार वष म गरामदवा गराम छोडकर चल बन ह ४दोहा-- तिवदया गह आसकत को दरया मास ज रखाहिह लोभहिह हो न सतरया जारहिह रशलिचा नाहिह ५गह|ी क जजाल म kस वयलिकत को तिवदया नही आी मासभोजी क हदरय म दरया नही आी लोभी क पास सचाई नही आी और कामी परष क पास पतिवतरा नही आी ५दोहा-- साध दरशा को नहिह गह दजन बह चिसरखलारय दध घीव स सीलिचरय नीम न दतिप धिमठारय ६दजन वयलिकत को चाह तिकना भी उपदरश करयो न टिदरया जारय वह अचछी दरशा को नही पहच सका नीम क वकष को चाह जड स लकर लिसर क घी और दध स ही करयो न सीचा जारय तिkर भी उसम मीठापन नही आ सका ६दोहा-- मन मलीन रखल ीथ रय रयटिद सौ बार नहाहिह होरय रशधद नहिह जिजधिम सरा बासन दीनह दाहिह ७जिजसक हदरय म पाप घर कर चका ह वह सकडो बार ीथसनान करक भी रशधद नही हो सका जस तिक मटिदरा का पातर अखिगन म झलसन पर भी पतिवतर नही होा ७चा० छ०-- जो न जान उततमतव जातिहक गण गान की तिननदो सो ातिह ो अचज कौन रखान की जरयो तिकरति हालिथ माथ मोतिरया तिवहारय क

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 27: चाणक्य नीति

घ घची पहीनी तिवभषण बनारय क ६जो जिजसक गणो को नही जाना वह उसकी तिननदा करा रहा ह ो इसम आशचरय की कोई बा नही ह दरखो न जगल की रहनवाली भिभलनी हाथी क मसक की मकता को छोडकर घ घची ही पहनी ह ८दोहा-- जो पर इक बरस भर मौन धर तिन रखा रयग कोटिटन क सहस क सवग मातिह पजिज जा ९जो लोग कवल एक वष क मौन रहकर भोजन कर ह व दरश हजार बष क सवगवालिसरयो स सममातिन होकर सवग म तिनवास कर ह ९सोरठा-- काम करोध अर सवाद लोभ शरडगरहिह कौकतिह अति सवन तिनदरातिह तिवदयाथ आठौज १०काम करोध लोभ सवाद शरडगर रखल-मारश अधिधक नीद और तिकसी की अधिधक सवा तिवदयाथ इन आठ कामो को तरयाग द करयोकी रय आठ तिवदयाधरयरयन म बाधक ह १०दोहा-- तिबन जो मतिह मल kल रखारय रह बन मातिह शराधद कर जो परति टिदवस कतिहरय तिवपर ऋतिष ातिह ११जो बराहमण तिबना जो बोरय kल पर जीवन तिबाा हमरशा बन म रहना पसनद करा और परति टिदन शराधद करा ह उस तिवपर को ऋतिष कहना चातिहए ११सोरठा-- एक बार अहार षट सदा षटकमर ऋ म तिपररया तिवहार कर वन सो तिदवज कह १२जो बराहमण कवल एक बार क भोजन स सनषट रहा और रयजञ अधरयरयन दानाटिद षटकम म सदा लीन रहा और कवल ऋकाल म सतरीगमन करा ह उस तिदवज कहना चातिहए १२सोरठा-- तिनर लोक क कम परश पाल बातिनज कर रखी म मन कम कर तिवपर सो वशरय ह १३जो बराहमण सासारिरक धनधो म लगा रहा और परश पालन करा वाभिणजरय वयवसारय करा रया रखी ही करा ह वह तिवपर वशरय कहलाा ह १३सोरठा-- लारख आटिद मदमास घीव कसम अर नील मध ल बलिचरय ास रशदर जातिनरय तिवपर रयटिद १४जो लारख ल नील कसम रशहद घी मटिदरा और मास बचा ह उस बराहमण को रशदर-बराहमण कह ह १४सोरठा-- दभी सवारथ सर पर कारज घाल छली दवषी कोमल करर तिवपर तिबलार कहाव १५जो औरो का काम तिबगाडा पारखणडपरारयण रहा अपना मलब साधन म तपर रहकर छल आटिद कम करा ऊपर स मीठा तिकन हदरय स करर रहा ऎस बराहमण को माजार तिवपर कहा जाा ह १५सोरठा-- कप बावली बाग औ डाग सरमजिनदरहिह नारश जो भरय तरयातिग मलचछ तिवपर कहाव सो १६

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 28: चाणक्य नीति

जो बावली कआ ालाब बगीचा और दवमजिनदरो क नषट करन म नही तिहचका ऎस बराहमण को बराहमण न कहकर मलचछ कहा जाा ह १६सोरठा-- परनारी र जोरय जो गर सर धन को हर तिदवज चाणडालहोरय तिवपरशचाणडाल उचरय १७जो दवदरवय और गरदरवय अपहरण करा परारयी सतरी क साथ दराचार करा और लोगो की वभितत पर ही जो अपना तिनवाह करा ह ऎस बराहमण को चाणडाल कहा जाा ह १७सवरया-- मतिमानको चातिहरय व धन भोजरय ससचहिह नाहिह टिदरयोई कर बलिल तिवकरम कणह कीरति आजलो लोग कहयोई कर लिचरसलिच मध हम लोगन को तिबन भोग टिदरय नलिसबोई कर रयह जातिन गरय मधनास दोऊ मधमखिरखरया पाव धिघसोई कर १८आतम-कलरयाण की भावनावालो को चातिहरय तिक अपनी साधारण आवशरयका स अधिधक बचा हआ अनन वसतर रया धन दान कर टिदरया कर जोड नही दान ही की बदौल कण बलिल और महाराज तिवकरमाटिदतरय की कीरषि आज भी तिवदयमान ह मधमसथिकरखरयो को दखिरखरय व रयही सोची हई अपन पर रगडी ह तिक हारय मन दान और भोग स रतिह मध को बह टिदनो म इकटठा तिकरया और वह कषण म दसरा ल गरया १८इति चाणकरय एकदरशोऽधरयारयः ११

अधरयारय १२ स० साननदमटिदरपसथिणड पतर सबोल रह तिरिररया पतिन पराणतिपरयारी इसथिचछ सति और सवीरय री रह सवक भौह तिनहारी आतिथ औ लिरशवपजन रोज रह घर सच सअनन औ वारी साधनसग उपासा ह तिन धनरय अह गह आशरम धारी १आननद स रहन लारयक घर हो पतर बखिधदमान हो सतरी मधरभातिषणी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो सवक आजञाकारी हो घर आरय हए अतिलिथरयो का सतकार हो परति टिदन लिरशवजी का पजन होा रह और सजजनो का साथ हो ो तिkर वह गह|ाशरम धनरय ह १दोहा-- टिदरया दरयारय साधसो आर तिवपरहिह जौन थोरी धिमल अनन हव तिदवज स धिमल न ौन २जो मनषरय शरधदापवक और दरयाभाव स दीन-दखिरखरयो था बराहमणो को थोडा भी दान द दा ह ो वह उस अननगणा होकर उन दीन बराहमणो स नही बसविलक ईशवर क दरबार स धिमला ह २कतिवा- दकषा सवजनबीच दरया परजन बीच रशठा सदा ही रह बीच दरजन क परीति साधजन म रशरा सरयानन म कषमा पर धराई रारख kरिर बीच नारिरजन क ऎस सब काल म करशल रह ज लोग लोक लिथति रतिह रह बीच तिनतिहन क ३जो मनषरय अपन परिरवार म उदारा दजनो क साथ रशठा सजजनो स परम दषटो म अभिभमान तिवदवानो म कोमला रशतरओ म वीरा गरजनो म कषमा और सतरिसतररयो म धा का वयवहार कर ह ऎस ही कलाकरशल मनषरय ससार म आनद क साथ रह सक ह ३

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 29: चाणक्य नीति

छ०-- रयह पाभिण दान तिवहीन कान पराण वद सन नही अर आखिरख साधन दरशहीन न पाव ीरथ म कही अनरयारय तिवतत भरो सपट उयरयो लिसरो अभिभमानही वप नीच हिनटिद छोड अर लिसरयार सो बगही ४जिजसक दोनो हाथ दानतिवहीन ह दोनो कान तिवदयाशरवण स परागमरख ह नतरसजजनो का दरशन नही कर और पर तिथ का परयटन नही कर जो अनरयारय स अरजिज धन स पट पाल ह और गव स लिसर ऊचा करक चल ह ऎस मनषरयो का रप धारण तिकरय हए ऎ लिसरयार झटपट अपन इस नीच और तिननदनीरय रशरीर को छोड द ४छ०-- जो नर रयसमतिस चरणन म भलिकत हदरय स कीन नही जो राधातिपररय कषण चनदर क गण जिजहवा नाहिह कही जिजनक दोउ कानन माहिह कथारस कषण को पीरय नही कीन माहिह मदग इनह धिधक२एतिह भाति कहतिह कही ५कीन क समरय बजा हआ मदग कहा ह तिक जिजन मनषरयो को शरीकषणचनदरजी क चरण कमलो म भलिकत नही ह शरीराधारानी क तिपररय गणो क कहन म जिजसकी रसना अनरकत नही और शरीकषण भगवान की लीलाओ को सनन क लिलए जिजसक कान उतसक नही ह ऎस लोगो को धिधककार ह धिधककार ह ५छ०-- पा न होरय करीरन म रयटिद दोष बसनतिह कान हा ह तरयो जब दखिरख सक न उलकटिदरय ह सरज दोष कहा ह चाक आनन बदपर नहिह मघन दषन कौन रयहा ह जो कछ परब माथ लिलरखातिवधिध मटनको समरतथ कहा ह ६रयटिद करीर पड म पतत नही लग ो बसन ऋ का करया दोष उलल टिदन को नही दरखा ो इसम सरय का करया दोष बरसा की बद चाक क मरख म नही तिगरी ो इसम मघ का करया दोष तिवधाा न पहल ही ललाट म जो लिलरख टिदरया ह उस कौन धिमटा सका ह ६च० ति०- सतसगसो रखलन साध सवभाव सव साध न दषटपन सग परह लव माटीतिह बास कछ kल न धार पाव माटी सवास कह kल नहिह बसाव ७सतसग स दषट सजजन हो जा ह पर सजजन उनक सग स दषट नही हो जस kल की सगधिध को धिमटटी अपनाी ह पर kल धिमटटी की सगधिध को नही अपना ७दोहा-- साध दरशन पणरय ह साध ीथ क रप काल पारय ीरथ kल रतिह साध अनप ८सजजनो का दरशन बडा पनी होा ह करयोतिक साधजन ीथ क समान रह ह बसविलक ीथ ो कछ समरय बाद kल द ह पर सजजनो का सतसग तकाल kलदारयक ह ८कतिवतत-- कहयो रया नगर म महान ह कौन तिवपर ारन क वकषन क कार ह दाा कहो कौन ह रजक द साझ आतिन धोरय रशभ वसतर को जो द सकार ह दकष कहौ कौन ह परतरयकष सबही ह दकष

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 30: चाणक्य नीति

रहन को करशल परारयो धनदार कौन ह कस म जीव कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय ह कस म जीव बारय कहो मोसो मी तिवष कधिमनरयारय कर लीज तिनराधार ह ९कोई पलिथक तिकसी नगर म जाकर तिकसी सजजन स पछा ह ह भाई इस नगर म कौन बडा ह उसन उततर टिदरया- बड ो ाड क पड ह (परशन) दा कौन ह (उततर) धोबी जो सबर कपड ल जाा और रशाम को वापस द जाा ह (परशन) रयहा चर कौन ह (उततर) पराई दौल ऎठन म रयहा सभी चर ह (परशन) ो तिkर ह सरख म रयहा जी कस हो (उततर) उसी रह जीा ह जस तिक तिवष का कीडा तिवष म रहा हआ भी जिजनदा रहा ह ९दोहा-- तिवपरचरण क उदक स हो जहा नहिह कीच वदधवतिन सवाहा नही व गह मघट नीच १०जिजस घर म बरामहण क पर धलन स कीचड नही होा जिजसक रयहा वद और रशासतरो की धवतिन का गजन नही और जिजस घर म सवाहा सवधा का कभी उचचारण नही होा ऐस घरो को शमरशान क लरय समझना चातिहए १०सोरठा-- सतरय मा तिप जञान सरखा दरया भराा धरम तिरया रशाति स जान छमा रयही षट बनध मम ११कोई जञानी तिकसी क परशन का उततर दा हआ कहा ह तिक सतरय मरी माा ह जञान तिपा ह धम भाई ह दरया धिमतर ह रशाति सतरी ह और कषमा पतर ह रय ही मर छः बानधव ह ११सोरठा-- ह अतिनतरय रयह दह तिवभव सदा नाहिह नर ह तिनकट मतरय तिन हरय चातिहरय कीन सगरह धरम १२रशरीर कषणभगोर ह धन भी सदा रहनवाला नही ह मतरय तिबलकल समीप वदयमान ह इसलिलए धम का सगरह करो १२दोहा-- पति उतसव रयवीन को गौवन को नवघास नव तिदवजन को ह हरिर मोहिह उतसव रणवास १३बराहमण का उतसव ह तिनमनतरण गौओ का उतसव ह नई घास सतरी का उतसव ह पति का आगमन तिकन ह कषण मरा उतसव ह रयधद १३दोहा-- पर धन माटी क सरिरस परतिरय माा भष आप सरीरख जग सब जो दरख सो दरख १४जो मनषरय परारयी सतरी को माा क समान समझा परारया धन धिमटटी क ढल क समान माना और अपन ही रह सब पराभिणरयो क सरख-दःरख समझा ह वही पसथिणड ह १४कतिवा- धम माहिह रलिच मरख मीठी बानी दाह वचन रशलिकतधिमतर सग नहिह ठगन बान ह वधदमाहिह नमरा अर मन मर गनभीरा रशधद ह आचरण गण तिवचार तिवमल ह रशासतर का तिवरशष जञान रप भी सहावन ह लिरशवजी क भजन का सब काल धरयान ह कह पषपवन जञानी राघव बीच मानो सब ओर इक ठौर कतिहन को न मान ह १५वलिरशषठजी शरीरामचनदरजी स कह ह- ह राघव धम म तपरा मरख म मधरा दान म उतसाह धिमतरो म तिनशछल वयवहार गरजनो क समकष नमरा लिचतत म गमभीरा आचार म पतिवतरा रशासतरो म तिवजञा रप म सनदरा और लिरशवजी म भलिकत रय गण कवल आप ही म ह १५

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 31: चाणक्य नीति

कतिवतत-कलपवकष काठ अचल समर लिचनामभिणन भीर जाी जाजिज जातिनरय सरज म उषणाा अर कलाहीन चनदरमा ह सागरह का जल रखारो रयह जातिनरय कामदव नषटन अर राजा बली दतरयदव कामधन गौ को भी परश मातिनरय उपमा शरीराम की इन स कछ ल ना और वस जिजस उपमा बरखातिनरय १६कलपवकष काषठ ह समर अचल ह लिचनामभिण पतथर ह सरय की तिकरण ीरखी ह चनदरमा घटा-बढा ह समदर रखारा ह कामदव रशरीर रतिह ह बलिल दतरय ह और कामधन परश ह इसलिलए इनक साथ ो म आपकी लना नही कर सका ब ह रघप तिकसक साथ आपकी उपमा दी जारय १६दोहा-- तिवदया धिमतर तिवदरश म घरम नारी धिमतर रोतिगहिह औषधिध धिमतर ह मर धम ही मतर १७परवास म तिवदया तिह करी ह घर म सतरी धिमतर ह रोगगरस परष का तिह औषधिध स होा ह और धम मर का उपकार करा ह १७दोहा-- राजस स तिवनरय अर बध स सनदर बा झठ जआरिरन कपट सतरी स सीरखी जा १८मनषरय को चातिहए तिक तिवनरय (हजीब) राजकमारो स अचछी अचछी बा पसथिणडो स झठाई जआरिररयॊ स और छलकपट सतरिसतररयो स सीरख १८दोहा-- तिबन तिवचार रखचा कर झगर तिबनहिह सहारय आर सब तिरय म रह सोइ न बतिग नसारय १९तिबना समझ-बझ रखच करनवाला अनाथ झगडाल और सब रह की सतरिसतररयो क लिलए बचन रहनवाला मनषरय दरख-दरख चौपट हो जाा ह १९ दोहा-- नहिह आहार लिचनहिह समति लिचनतिह धमतिह एक होहिह साथ ही जनम क नरहिह अहार अनक २०तिवदवान को चातिहए तिक वह भोजनकी लिचना न तिकरया कर लिचना कर कवल धम की करयोतिक आहार ो मनषरय क पदा होन क साथ ही तिनरय हो जारया करा ह २०दोहा-- लन दन धन अनन क तिवदया पढन माहिह भोजन सरखा तिववाह म ज लाज सरख ाहिह २१जो मनषरय धन था धानरय क वयवहार म पढन-लिलरख म भोजन म और लन-दन म तिनलजज होा ह वही सरखी रहा ह २१दोहा-- एक एक जल बनद क पर घटह भरिर जारय सब तिवदया धन धम को कारण रयही कहारय २२धीर-धीर एक एक बद पानी स घडा भर जाा ह रयही बा तिवदया धम और धन क लिलए लाग होी ह ातपरय रयह तिक उपरयकत वसओ क सगरह म जलदी न कर करा चल धीर-धीर कभी परा हो ही जारयगा २२दोहा-- बी गरयह उधिमर क रखल रखलही राह जारय पकह धिमठाई गण कह नाहिह हनार पारय २३

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 32: चाणक्य नीति

अव|ा क ढल जान पर भी जो रखल बना रहा ह वसाः वही रखल ह करयोतिक अचछी रह पका हआ इनदरापन मीठापन को नही पराप होा २३इति चाणकरय दवादरशोऽधरयारयः १२

अधरयारय १३ दोहा- वर नर जीव मह भर करिरक रशलिच सतकम नहिह भरिर कलपह लोक दह कर तिवरोध अधम १मनषरय रयटिद उजवल कम करक एक टिदन भी जिजनदा रह ो उसका जीवन सkल ह इसक बदल इहलोक और परलोक इन दोनो क तिवरधद कारय करक कलप भर जिजव ो वह जीना अचछा नही ह १दोहा-- ग वसतिह सोच नही गन न होनी हार कारय करहिह परवीन जन आरय पर अनसार २जो बा बी गरयी उसक लिलए सोच न करो और न आग होनवाली क ही लिलए लिचना करो समझदार लोग सामन की बा को ही हल करन की लिचना कर ह २दोहा-- दव सतपरष औ तिपा करहिह सभाव परसाद सनानपान लतिह बनध सब पतिड पारय सवाद ३दवा भलमानष और बाप रय ीन सवभाव दरखकर परसनन हो ह भाई वनद सनान और पान स साथ वाकरय पालन स पसथिणड लोग रखरश हो ह ३दोहा-- आरयदल धन कम औ तिवदया मरण गनारय पाचो रह गभ म जीवन क रलिच जारय ४आरय कम समपभितत तिवदया और मरण रय पाच बा भी हो जाी ह जब तिक मनषरय गभ म ही रहा ह ४दोहा-- अचरज चरिर तिवलिचतर अति बड जनन क आतिह जो ण सम समपति धिमल ास भार न जाहिह ५ओह महातमाओ क चरिरतर भी तिवलिचतर हो ह वस ो रय लकषमी को तिनक की रह समझ ह और जब वह आ ही जाी ह ो इनक भार स दबकर नमर हो जा ह ५दोहा-- जातिह परीति भरय ाहिहको परीति दःरख को पातर परीति मल दरख तरयातिग क बस ब सरख मातर ६जिजसक हदरय म सनह (परीति) ह उसीको भरय ह जिजसक पास सनह ह उसको दःरख ह जिजसक हदरय म सनह ह उसी क पास रह-रह क दःरख रह ह जो इस तरयाग दा ह वह सरख स रहा ह ६दोहा-- पतिहलिलहिह कर उपारय जो परह र जतिह सप दहन बढ सरख मर जो होनी गण अगप ७जो मनषरय भतिवषरय म आनवाली तिवपभिततस होलिरशरयार ह और जिजसकी बखिधद समरय पर काम कर जाी ह रय दो मनषरय आनद स आग बढ जा ह इनक तिवपरी जो भागरय म लिलरखा होगा वह होगा जो रयह सोचकर बठनवाल ह इनका नारश तिनभिशच ह

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 33: चाणक्य नीति

दोहा-- नप धरमी धरमी परजा पाप पाप मति जान समम सम भपति था परगट परजा तिपछान ८राजा रयटिद धमातमा होा ो उसकी परजा भी धमातमा होी ह राजा पापी होा ह ो उसकी परजा भी पापी होी ह सम राजा होा ह ो परजा भी सम होी ह कहन का भाव रयह तिक सब राजा का ही अनसरण कर ह जसा राजा होगा उसकी परजा भी वसी होगी ८दोहा-- जीवन ही समझ मरउ मनजतिह धम तिवहीन नहिह सरशरय तिनरजीव सो मरउ धम जतिह कीन ९धमतिवहीन मनषरय को म जी मदlaquo की रह माना ह जो धमातमा था पर मर गरया ो वह वासव म दीघजीवी था ९दोहा-- धम अथ अर मोकष न एको ह जास अजाकठ कचक सरिरस वयथ जनम ह ास १०धम अथ काम और मोकष इन चार पदाथ म स एक पदाथ भी जिजसक पास नही ह ो बकरी क गल म लटकनवाल सनो क समान जनम ही तिनरथक ह १०दोहा-- और अतिगन रयरश दसह सो जरिर जरिर दजन नीच आप न सी करिर सक ब तिहिह तिननदहिह बीच ११नीच परकति क लोग औरो क रयरशरपी अखिगन स जल रह ह उस पद क ो पहचन की सामथरय उनम रही नही इसलिलए व उसकी तिननदा करन लग जा ह ११दोहा-- तिवषरय सग परिरबनध ह तिवषरय हीन तिनवाह बध मोकष इन दहन को कारण मन न आन १२तिवषरयो म मन को लगाना ही बनधन ह और तिवषरयो स मन को हटाना मलिकत ह भाव रयह तिक मन ही मनषरयो क बनधन और मोकष का ह ह १२दोहा-- बरहमजञान सो दह को तिवग भरय अभिभमान जहा जहा मन जाा ह हा समाधिधहिह जान १३परमातमाजञान स मनषरय का जब दहाभिभमान गल जाा ह ो तिkर जहा कही भी उसका मन जाा ह ो उसक लिलए सवतर समाधिध ही ह १३दोहा-- इसथिचछ सब सरख कतिह धिमल जब सब दवाधीन रयतिह सोषहिह रशरण चह चर कह कीन १४अपन मन क अनसार सरख तिकस धिमला ह करयोतिक ससार का सब काम दव क अधीन ह इसीलिलए जिजना सरख पराप हो जारय उन म ही सनषट रहो १४दोहा-- जस धन हजार म वतस जारय लखिरख मा स ही कीनहो करम करतिह क टिढग जा १५जस हजारो गौओ म बछडा अपनी ही मा क पास जाा ह उसा रह परतरयक मनषरय का कम (भागरय) अपन सवामी क ही पास जा पहचा ह १५दोहा-- अनलिथर कारज न सरख जन औ वन दह माहिह जन तिह दाह सङग वन असग दातिह १६

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 34: चाणक्य नीति

जिजसका कारय अवयवसथि| रहा ह उस न समाज म सरख ह न वन म समाज म वह ससग स दःरखी रहा ह ो वन म ससग तरयाग स दरखी रहगा १६दोहा-- जिजधिम रखोद ही धिमल भल क मधिध वारिर सतिह सवा क तिकरय गर तिवदया धिमलिल धारिर १७जस kावड स रखोदन पर पथवी स जल तिनकल आा ह उसी रह तिकसी गर क पास तिवदयमान तिवदया उसकी सवा करन स पराप हो जाी ह १७दोहा-- kलालिसधिध कम अधीन ह बखिधद कम अनसार ौह समति महान जन करम करहिह सतिवचार १८रयदयतिप परतरयक मनषरय को कमानसार kल पराप होा ह और बखिधद भी कमानसार ही बनी ह तिkर भी बखिधदमान लोग अचछी रह समझ-बझ कर ही कोई काम कर ह १८दोहा-- एक अकषरदाह गरतिह जो नर बनद नाहिह जनम सकडो शवान हव जन चणडालन माहिह १९एक अकषर दनवाल को भी जो मनषरय अपना गर नही माना ो वह सकडो बार कतत की रयोतिन म रह-रह कर अन म चाणडाल होा ह १९दोहा-- सा लिसनध कलपान चल मर चल रयग अन पर पररयोजन कबह नहिह चल ह सन २०रयग का अन हो जान पर समर पव तिडग जाा ह कलप का अन होन पर साो सागर भी चचल हो उठ ह पर सजजन लोग सवीकार तिकरय हए माग स तिवचलिल नही हो २०म० छ० - अनन बारिर चार बोल ीतिन रतन भ अमोल मढ लोग क पषान टक रतन क पषान २१सच पछो ो पथवी भर म ीन ही रतन ह--अनन जल और मीठ-मीठी बा लतिकन बवकk लोग पतथर क टकडो को ही रतन मान ह २१इति चाणकरय तररयोदरशोऽधरयारयः १३

अधरयारय १४ म०छ०- तिनधनतव दःरख बनध और तिवपभितत सा ह सवकम वकष जा रय kल धरक गा १मनषरय अपन दवारा पललतिव अपराध रपी वकष क रय ही kल kल ह--दरिरदरा रोग दःरख बनधन (कद) और वयसन १म०छ०-kरिर तिवतत kरिर धिमतत kरिर ो धराह तिनतत kरिर kरिर सव एह रय मानषी धिमल न दह २

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 35: चाणक्य नीति

गरया हआ धन वापस धिमल सका ह रठा हआ धिमतर भी राजी तिकरया जा सका ह हाथ स तिनकली हई सतरी भी तिkर वापस आ सकी ह और छीनी हई जमीन भी तिkर धिमल सकी ह पर गरया हआ रयह रशरीर वापस नही धिमल सका २म०छ०- एक हव अनक लोग वीरय रशतर जी रयोग मघ धारिर बारिर ज घास ढर बारिर द ३बह पराभिणरयोका सङगटिठ बल रशतर को परास कर दा ह परचणड वग क साथ बरस हए मघ को सङगठन क बल स कषदर तिनक हरा द ह ३म०छ०-थोर ल बारिर माहिह गपह रखलातिन माहिह दान रशासतर पातरजञातिन रय बड सवभाव आतिह ४जल म ल दषट मनषरय म कोई गप बा सपातर म थोडा भी दान और समझदार मनषरय क पास रशासतर रय थोड हो हए भी पातर क परभाव स रन kल जा ह ४म०छ०- धम वीरा मरशान रोग माहिह जौन जञान जो रह वही सदाइ बनध को न मकत होइ ५कोई धारमिमक आखरयान सनन पर शमरशान म और रगणाव|ा म मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद हमरशा रह ो कौन मोकषपद न पराप कर ल ५म०छ०- आटिद चतिक अन रशोच जो रह तिवचारिर दोष पवही बन जो वस कौन को धिमल न ऎरश ६कोई बरा काम करन पर पछाव क समरय मनषरय की जसी बखिधद रही ह वसी रयटिद पहल ही स रह ो कौन मनषरय उनन न हो जारय ६म०छ०-दान नरय तिवनरय नगीच रशरा तिवजञान बीच कीजिजरय अचज नाहिह रतन ढर भधिम माहिह ७दान ाप वीरा तिवजञान और नीति इनक तिवषरय म कभी तिकसी को तिवसविसम होना ही नही चातिहरय करयोतिक पथवी म बह स रतन भर पड ह ७म०छ०- दरह बस नगीच जास जौन लिचतत बीच जो न जास लिचतत पर ह समीपह सो दर ८जो (मनषरय) जिजसक हदरय म |ान तिकरय ह वह दर रहकर भी दर नही ह जो जिजसक हदरय म नही रहा वह समीप रहन पर भी दर ह ८म०छ०- जातिह चह सपास मीठी बोली ास पास

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 36: चाणक्य नीति

वयाध मारिरब मगान मतर गावो सगान ९मनषरय को चातिहए तिक जिजस तिकसी स अपना भला चाहा हो उसस हमरशा मीठी बा कर करयोतिक बहलिलरया जब तिहरन का लिरशकार करन जाा ह ो बड मीठ सवर स गाा ह ९म०छ०- अति पास नारश ह दरह kलन द सवनीरय मधरय भाग गर भप नारिर आग १०राजा अखिगन गर और सतरिसतररया-इनक पास अधिधक रहन पर तिवनारश तिनभिशच ह और दर रहा जारय ो कछ मलब नही तिनकला इसलिलए इन चारो की आराधना ऎस कर तिक न जरयादा पास रह न जरयादा दर १०म०छ०- अखिगन सप मरख नारिर राजवरश और वारिर रयतन साथ सवनीरय सदय रय हर छ जीरय ११आग पानी मरख नारी और राज-परिरवार इनकी रयतनक साथ आराधना कर करयोतिक रय सब रन पराण लन वाल जीव ह ११म०छ०- जीवो गणी जो होरय रया सधम रयकत जीव धम और गणी न जास जीवनो सवयथ ास १२जो गणी ह उसका जीवन सkल ह रया जो धमातमा ह उसका जनम साथक ह इसक तिवपरी गण और धम स तिवहीन जीवन तिनषपररयोजन ह १२म०छ०- चाह वरश जो कीन एक कम लोक ीन पनदरहो क ो सरखान जान ो बहार आन १३रयटिद म कवल एक काम स सार ससार को अपन वरश म करना चाह हो ो पनदरह मरखवाल राकषस क सामन चरी हई इनदररयरपी गरयो को उधरस हटा लो रय पनदरह मरख कौन ह - आरख नाक कान जीभ और तवचा रय पाच जञानजिनदररया मरख हाथ पाव चिलग और गदा रय पाच कमlaquoजिनदररया रप रस गनध रशबद और सपरश रय पाच जञानजिनदररयो क तिवषरय ह १३सो०-- तिपररय सवभाव अनकल रयोग परसग वचन पतिन तिनजबल क समल कोप जान पसथिणड सोई १४जो मनषरय परसगानसार बा परकति क अनकल परम और अपनी रशलिकतक अनसार करोध करना जाना ह वही पतिड ह १४सो०-- वस एक ही होरय ीतिन रह दरखी गई रति म मास सोरय कामी रयोगी ककर सो १५

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 37: चाणक्य नीति

एक सतरी क रशरीर को ीन जीव ीन दधिषट स दरख ह-रयोगी उस बदबदार मदlaquo क रप म दरख ह कामी उस काधिमनी समझा ह और कतता उस मासतिपणड जाना ह १५सो०--लिसधदौषध औ धम मथन कवचन भोजनो अपन घरको मम चर नही परगटिट कर १६बखिधदमान को चातिहए तिक इन बाो को तिकसी स न जातिहर कर-अचछी रह रयार की हई औषधिध धम अपन घर का दोष दतिष भोजन और हिनदय हिक वदनी बचन १६सो०-- ौलौ मौन ठातिन कोतिकलह टिदन काट जौलौ आननद रखातिन सब को वाणी हो ह १७कोरयम ब क चपचाप टिदन तिबा दी ह जबक तिक व सब लोगो क मन को आनजिनद करनवाली वाणी नही बोली १७सो०-- धम धानरय धनवातिन गर वच औषध पाच रयह धम धन धानरय गर का वचन और औषधिध इन वसओ को सावधानी क साथ अपनाव और उनक अनसार चल जो ऎसा नही करा वह नही जीा १८सो०-- जौ दषट सहवास भजो साध सङगम रलिचर करौ पणरय परकास हरिर सधिमरो जग तिनतरयहिह १९दषटो का साथ छोड दो भल लोगो क समागम म रहो अपन टिदन और रा को पतिवतर करक तिबाओ और इस अतिनतरय ससार म तिनतरय ईशवर का समरण कर रहो १९इति चाणकरय चदरशोऽधरयारयः १४

अधरयारय १५ दोहा-- जास लिचतत सब जन पर गलिल दरया रस माह ास जञान मलिकत जटा भसम लप कर काह १जिजस का लिचतत दरया क कारण दरवीभ हो जाा ह ो उस तिkर जञान मोकष जटाधारण था भसमलपन की करया आवशरयका १दोहा-- एकौ अकषर जो गर लिरशषरयहिह द जनारय भधिम मातिह धन नातिह वह जोद अनण कहारय २रयटिद गर एक अकषर भी बोलकर लिरशषरय को उपदरश द दा ह ो पथवी म कोई ऎसा दरवय ह ही नही तिक जिजस दकर उस गर स उऋण हो जारय २दोहा--

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
Page 38: चाणक्य नीति

रखल काटा इन दहन को दोई जगह उपारय जन मरख ोतिडरयो रतिहबो दरिर बचारय ३दषट मनषरय और कणटक इन दोनो क परतिकार क दो ही माग ह रया ो उनक लिलए पनही (ज) का उपरयोग तिकरया जारय रया उनह दर ही स तरयाग द ३दोहा-- वसन दसन रारख मलिलन बह भोजन कट बन सोव रतिव तिपछव जग ज जो शरी हरिर ऎन ४मल कपड पहननवाला मल दावाला भकरखड नीरस बा करनवाला और सरयyenदरय था सरयास क समरय क सोन-वाला रयटिद ईशवर ही हो ो उस भी लकषमी तरयाग दी ह ४दोहा-- जहिह ीरय तिह मी औ सबक धन जब नाहिह धन आरय बहर सब धन बनध जग माहिह ५तिनधन धिमतर को धिमतर सतरी सवक और सग समबनधी छोड द ह और वही जब तिkर धन हो जाा ह ो व लोग तिkर उसक साथ हो ल ह मलब रयह ससार म धन ही मनषरय का बनध ह ५दोहा--करिर अतिनति धन जोरऊ दरश वष ठहरारय गरयारहव क लाग जडौ मल जारय ६अनरयारय स कमारया हआ धन कवल दस वष क टिटका ह गरयारहवा वष लगन पर वह मल धन क साथ नषट हो जाा ह ६दोहा-- रखोो मल समरथ पह भलौ रखोट लतिह नीच तिवषौ भरयो भषण लिरशवहिह अम राह कह मीच ७अरयोगरय कारय भी रयटिद कोई परभावरशाली वयलिकत कर गजर ो वह उसक लिलए रयोगरय हो जाा ह और नीच परकति का मनषरय रयटिद उततम काम भी करा ह ो वह उसक करन स अरयोगरय सातिब हो जाा ह जस अम भी राह क लिलए मतरय का कारण बन गरया और तिवष लिरशवजी क कठ का शरङगार हो गरया ७दोहा-- तिदवज उबरउ भोजन सोई पर सो मतरी सोरय जतिह न पाप वह चरा धम दमभ तिवन जोरय ८वही भोजन भोजन ह जो बराहमणो क जीम लन क बाद बचा हो वही परम परम ह जो सवाथ वरश अपन ही लोगो म न तिकरया जाकर औरो पर भी तिकरया जारय वही तिवजञा (समझदारी) ह तिक जिजसक परभाव स कोई पाप न हो सक और वही धम धम ह तिक जिजसम आडमबर न हो ८दोहा--मभिण लोट रह पाव र काच रहयो लिरशर नारय ल द मभिणही रह काच काच रतिह जारय ९

वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

  • चाणकयनीति
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वस मभिण परो ल लढक और काच माथ पर ररखा जारय ो इसम उन दोनो क तिवषरय म कछ नही कहा जा सका पर जब व दोनो बाजार म तिबकन आवग और उनका कररय-तिवकररय होन लगगा ब काच काच ही रहगा और मभिण मभिण ही ९दोहा-- बह तिवघन कम काल ह तिवदया रशासतर अपार जल स जस हस परय लीज सार तिनसार १०रशासतर अनन ह बह सी तिवदयारय ह थोडासा समरय जीवन ह और उसम बह स तिवघन ह इसलिलए समझदार मनषरय को उलिच ह जस हस सबको छोडकर पानी स दध कवल ला ह उसी रह जो अपन मलब की बा हो उस ल ल बाकी सब छोड द १०दोहा-- दर दरश स राह थतिक तिबन कारज घर आरय तिह तिबन पज रखारय जो सो चाणडाल कहारय ११जो दर स आ रहा हो इन अभरयागो की सवा तिकरय तिबना जो भोजन कर ला ह उस चाणडाल कहना चातिहए ११दोहा-- पढ चारह वदह धम रशासतर बह बाद आपहिह जान नाहिह जरयो करिरलिछहिहवयञजन सवाद १२तिकन लोग चारो वद और बह स धमरशासतर पढ जा ह पर व आपको नही समझ पा जस तिक कलछल पाक म रहकर भी पाक का सवाद नही जान सकी १२दोहा-- भवसागर म धनरय ह उलटी रयह तिदवज नाव नीच रतिह र जा सब ऊपर रतिह बतिड जारय १३रयह तिदवजमरयी नौका धनरय ह तिक जो इस ससाररपी सागर म उलट ौर पर चली ह जो इसस नीच (नमर) रह ह व र जा ह और जो ऊपर (उधद) रह व नीच चल जा ह १३दोहा-- सघा धाम औषधिधपति छतिव रय अभीरय रशरीर ऊचदर रतिव टिढग मलिलन पर घर कौन गमभीर १४रयदयतिप चदरमा अम का भाणडार ह औषधिधरयो का सवामी ह सवरय अममरय ह और कापतिनमान ह तिkर भी जब वह सरय क मणडल म पड जाा ह ो तिकरण रतिह हो जाा ह पराए घर जाकर भला कौन ऎसा ह तिक जिजसकी लघा न सातिव होी हो १४दो०-- वह अलिल नलिलनी पति मधप तिह रस मद अलसान परिर तिवदस तिवधिधवरश कर kल रसा बह मान १५रयह एक भौरा ह जो पहल कमलदल क ही बीच म कधिमलिलनी का बास ला हा था सरयोगवरश वह अब परदरश म जा पहचा ह वहा वह कौररया क पषपरस को ही बह समझा ह १५

स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

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स०-- करोध स ा तिपरयो चरणन स सवामी हो जिजन रोष छाी बालस वधदमरय क मरख म भारति वरिरभिण धार सघाी मम वासको पषप सदा उन ोड लिरशवजीकी पजा हो परभाी ा दरख मान सदव हरिर म बराहमण कलको तरयाग लिचलाी बराहमण अधिधकारश दरिरदर टिदरखाई द ह कतिव कहा ह तिक इस तिवषरय पर तिकसी परशनोततर क समरय लकषमी जी भगवान स कही ह- जिजसन करधद होकर मर तिपा को पी लिलरया मर सवामी को ला मारा बालरयकाल ही स जो रोज बराहमण लोग वरिरणी (सरसवी) को अपन मरख तिववर म आसन टिदरय रह ह लिरशवाजी को पजन क लिलरय जो रोज मरा घर (कमल) उजाडा कर ह इनही कारणो स नाराज होकर ह नाथ म सदव बराहमण का घर छोड रही ह-वहा जाी ही नही १६दोहा-- बनधन बह र अह परमबनधन कछ और काठौ काटन म तिनपण बधरयो कमल मह भौर १७वस ो बह स बनधन ह पर परम की डोर का बनधन कछ और ही ह काठको काटन म तिनपण भरमर कमलदल को काटन म असमथ होकर उसम बध जाा ह १७दोहा--कट न चनदन महक ज वधद न रखल गजरश ऊरख न पर मधरा रशील न सकल कलरश १८काट जान पर भी चनदन का वकष अपनी सगसतरिनध नही छोडा बढा हाथी भी रखलवाड नही छोडा कोलह म पर जानपर भी ईरख धिमठास नही छोडी ठीक इसी परकार कलीन परष तिनधन होकर भी अपना रशील और गण नही छोडा १८स०--कोऊभधिमकमातिह लघ पव करधार क नाम महारो पर रयो ह भल सवग क बीच सभी न जो तिगरिरवरधारी परलिसधद तिकरयो ह तिह लोक क धारक म को धराकच अगर कतिह रयह को तिगनी ह ा बह कहना ह जो वथा रयरशलाभहर तिनज पणरय धिमली ह १९रसथिकमणी भगवान स कही ह ह करशव आपन एक छोट स पहाड को दोनो हाथो स उठा लिलरया वह इसीलिलरय सवग और पथवी दोनो लोको म गोवधनधारी कह जान लग लतिकन ीनो लोको को धारण करनवाल आपको म अपन कचो क अगल भाग स ही उठा ली ह तिkर उसकी कोई तिगनी ही नही होी ह नाथ बह कछ कहन स कोई पररयोजन नही रयही समझ लीजिजए तिक बड पणरय स रयरश पराप होा ह १९इति चाणकरय पचदरशोऽधरयारयः १५

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