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हदी (के क) - ऩामभ कोड सॊ. 302 का XII (फायहिीॊ ) अऩहठत फोध (गमाॊश औय कावमाॊश-फोध) 15+5=20 यचनाभक-रेखन एिॊ जनसॊचाय भामभ, असबवमत औय भामभ (वॊट भामभ, सऩादकीम, रयऩोटय, आरेख, पीचय-रेखन) 5+5+5+5+5= 25 ऩामऩुतक आयोह बाग-२ (कावमाॊश-20 गमाॊश-20) 40 ऩूयक-ऩुतक वितान बाग-२ 15 र अॊक 100 () अऩठित फोध 20 1-कावमाॊश फोध ऩय आधारयत ऩाॉच रघूतयाभक न 1*5= 5 2-गमाॊश फोध ऩय आधारयत फोध, मोग, यचनातयण, शीयक आहद ऩरघूतयाभक न 15 () यचनाभक-रेखन एवॊ जनसॊचाय भामभ 25 3- ननफॊध (ककसी एक विम ऩय) 5 4- कामायरम ऩ (विकऩ सहहत) 5 5-(अ) ॊट भामभ, सऩादकीम, रयऩोटट, आरेख आठद ऩय ऩाॉच अनत रघूतयाभक 1*5=5 (आ) आरेख (ककसी एक विम ऩय) 5 6- पीचय रेखन (जीिन-सदब से जुडी घटनाओॊ औय थनतम ऩय पीचय रेखन विकऩ सहहत) 5 () आयोह बाग-२ (काम बाग औय गम बाग) (20+20) =40 7- दो कावमाॊश भ से कसी एक ऩय अथय हण के ४ न 8 8- कावमाॊश के सदमय-फोध ऩय दो कावमाॊश भ विकऩ हदमा जाएगा तथा कसी एक कावमाॊश के तीन न के उतय देने हगे | 6 9- कविताओॊ की विमितु से सॊफॊधधत तीन भ से दो रघूतयाभक न (3+3)= 6 10- दो भ से ककसी एक गमाॊश ऩय आधारयत अथय-हण के चाय न (2+2+2+2) =8 11- ऩाठ की विमितु ऩय आधारयत ऩाॉच भ चाय फोधाभक न (3+3+3+3)=12 ऩूयक ऩुतक वतान बाग -२ 15 12-ऩाठ की विमितु ऩय आधारयत तीन भ से दो फोधाभक न (3+3)=6 13-विचाय/सॊदेश ऩय आधारयत तीन भ से दो रघूतयाभक (2+2)=4 14- विमितु ऩय आधारयत दो भ से एक ननफॊधाभक न 5 नधाटरयत ऩुतक (i) आयोह बाग-२ (एन.सी.ई.आय.टी. िाया कासशत) (ii) वितान बाग-२ (एन.सी.ई.आय.टी. िाया कासशत) (ii) असबवमत औय भामभ (एन.सी.ई.आय.टी. िाया कासशत) ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW.STUDIESTODAY.COM ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW.STUDIESTODAY.COM

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Page 1: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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हहनददी (कनदनददरक) - ऩाठमकरभ

कोड सॊ 302

का XII (फायहिीॊ )

अऩहठत फोध (गदमाॊश औय कावमाॊश-फोध) 15+5=20

यचनातभक-रखन एिॊ जनसॊचाय भाधमभ असबवमनदकत औय भाधमभ (वपरॊट भाधमभ समऩादकीम रयऩोटय आरख पीचय-रखन) 5+5+5+5+5= 25

ऩाठमऩसतक ndash आयोह बाग-२ (कावमाॊश-20 गदमाॊश-20) 40

ऩयक-ऩसतक वितान बाग-२ 15

कर अॊक 100

(क) अऩठित फोध 20

परशन 1-कावमाॊश फोध ऩय आधारयत ऩाॉच रघततयातभक परशन 15= 5

परशन 2-गदमाॊश फोध ऩय आधारयत फोध परमोग यचनानदतयण शीरयक आहद ऩय

रघततयातभक परशन 15

(ख) यचनातभक-रखन एवॊ जनसॊचाय भाधमभ 25

परशन 3- ननफॊध (ककसी एक विरम ऩय) 5

परशन 4- कामायरम ऩतर (विकलऩ सहहत) 5

परशन 5-(अ) पपरॊट भाधमभ समऩादकीम रयऩोटट आरख आठद ऩय

ऩाॉच अनत रघततयातभक परशन 15=5

(आ) आरख (ककसी एक विरम ऩय) 5

परशन 6- पीचय रखन (जीिन-सनददबो स जडी घटनाओॊ औय नदसथनतमो ऩय

पीचय रखन विकलऩ सहहत) 5

(ग) आयोह बाग-२ (कावम बाग औय गदम बाग) (20+20) =40

परशन 7- दो कावमाॊशो भ स ककसी एक ऩय अथय गरहण क ४ परशन 8

परशन 8- कावमाॊश क सौदमय-फोध ऩय दो कावमाॊशो भ विकलऩ हदमा जाएगा तथा ककसी एक

कावमाॊश क तीनो परशनो क उततय दन होग | 6

परशन 9- कविताओॊ की विरमिसत स सॊफॊधधत तीन भ स दो रघततयातभक परशन (3+3)= 6

परशन 10- दो भ स ककसी एक गदमाॊश ऩय आधारयत अथय-गरहण क चाय परशन (2+2+2+2) =8

परशन 11- ऩाठो की विरमिसत ऩय आधारयत ऩाॉच भ चाय फोधातभक परशन (3+3+3+3)=12

ऩयक ऩसतक पवतान बाग -२ 15

परशन 12-ऩाठो की विरमिसत ऩय आधारयत तीन भ स दो फोधातभक परशन (3+3)=6

परशन 13-विचायसॊदश ऩय आधारयत तीन भ स दो रघततयातभक परशन (2+2)=4

परशन 14- विरमिसत ऩय आधारयत दो भ स एक ननफॊधातभक परशन 5

ननधाटरयत ऩसतक

(i) आयोह बाग-२ (एनसीईआयटी दिाया परकासशत)

(ii) वितान बाग-२ (एनसीईआयटी दिाया परकासशत) (ii) असबवमनदकत औय भाधमभ (एनसीईआयटी दिाया परकासशत)

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अधममन-साभगरी

ठहॊदी (क ठिक) २०१२-१३ अऩठितननधाटरयत अॊक २० (गदम क लरए १५ तथा ऩदम क लरए ५ अॊक ननधाटरयत ह) अऩठित अॊश को हर कयन क लरए आवशमक ननदश

अऩठित अॊश भ २० अॊको क परशन ऩछ जाएॉग जो गदम औय ऩदम दो रऩो भ होग| म परशन एक मा दो अॊको क होत ह | उततय दत सभम ननमन फातो को धमान भ यख कय उततय दीजजए ndash

१ ठदए गए गदमाॊश अथवा ऩदमाॊश कोऩछ गए परशनो क साथ धमान ऩवटक दो फाय ऩठिए | २ परशनो क उततय दन क लरए सफस ऩहर सयरतभ परशन का उततय दीजजए औय लभरन ऩय

उसको यखाॊककत कय परशन सॊखमा लरख दीजजए कपय सयरतभ स सयरतय को करभ स छाॉट कय यखाॊककत कय परशन सॊखमा लरखत जाएॉ |

३ उततय की बाषा आऩकी अऩनी बाषा होनी चाठहए | ४ गदमाॊश भ वमाकयण स तथा कावमाॊश भ सौदमट-फोध स सॊफॊधधत परशनो को बी ऩछा

जाता ह इसलरए वमाकयण औय कावमाॊग की साभानम जानकायी को अदमतन यख | ५ उततय को अधधक पवसताय न दकय सॊऩ भ लरख| ६ ऩछ गए अॊश क कथम भ जजस तथम को फाय-फाय उिामा गमा ह उसी क आधाय ऩय

शीषटक लरख | शीषटक एक मा दो शबदो का होना चाठहए | १ अऩठित गदमाॊश का नभना- ननधाटरयत अॊक १५

भ नदजस सभाज की कलऩना कयता हॉ उसभ गहसथ सॊनदमासी औय सॊनदमासी गहसथ होग अथायत सॊनदमास औय गहसथ क फीच िह दयी नहीॊ यहगी जो ऩयॊऩया स चरती आ यही ह| सॊनदमासी उततभ कोहट का भनरषम होता ह कमोकक उसभ सॊचम की िनदतत नहीॊ होती रोब औय सिाथय नहीॊ होता | मही गण गहसथ भ बी होना चाहहए | सॊनदमासी बी िही शररषठ ह जो सभाज क सरए कछ काभ कय| ऻान औय कभय को सबनदन कयोग तो सभाज भ विरभता उतऩनदन होगी ही |भख भ कविता औय कयघ ऩय हाथ मह आदशय भझ ऩसॊद था |इसी की सशा भ दसयो को बी दता हॉ औय तभन सना ह मा नहीॊ की नानक न एक अभीय रडक क हाथ स ऩानी ऩीना असिीकाय कय हदमा था | रोगो न कहा ndashldquoगर जी मह रड़का तो अतमॊत सॊभाॊत कर का ह इसक हाथ का ऩानी ऩीन भ कमा दोर ह rdquo नानक फोर-ldquoतरहतथी भ भहनत क ननशाननहीॊ ह | नदजसक हाथ भ भहनत क ठर ऩड़ नहीॊ होत उसक हाथ का ऩानी ऩीन भ भ दोर भानता हॉ |rdquo नानक ठीक थ | शररषठ सभाज िह ह नदजसक सदसम जी खोरकय भहनत कयत ह औय तफ बी जरयत स जमादा धन ऩय अधधकाय जभान की उनकी इचछा नहीॊ होती | परशनो का नभना-

(क) lsquoगहसथ सॊनदमासी औय सॊनदमासी गहसथ होगrsquo स रखक का कमा आशम ह २ (ख) सॊनदमासी को उततभ कोहट का भनरषम कहा गमा ह कमो १

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(ग) शररषठ सभाज क कमा रण फताए गए ह १ (घ) नानक न अभीय रड़क क हाथ स ऩानी ऩीना कमो असिीकाय ककमा २ (ङ) lsquoभख भ कविता औय कयघ ऩय हाथrsquo- मह उनदकत ककसक सरए परमोग की गई ह औय

कमो २ (च) शररषठ सॊनदमासी क कमा गण फताए गए ह १ (छ) सभाज भ विरभता स आऩ कमा सभझत ह औय मह कफ उतऩनदन होती ह २ (ज) सॊनदमासी शबद का सॊधध-विचछद कीनदजए | १ (झ) विरभता शबद का विरोभ सरख कय उसभ परमकत परतमम अरग कीनदजए | २ (ञ) गदमाॊश का उऩमकत शीरयक दीनदजए | १

उततय ndash (क) गहसथ जन सॊनदमाससमो की बाॉनत धन-सॊगरह औय भोह स भकत यह तथा सॊनदमासी जन

गहसथो की बाॉनत साभानदजक कभो भ सहमोग कय ननठलर न यह | (ख) सॊनदमासी रोब सिाथय औय सॊचम स अरग यहता ह | (ग) शररषठ सभाज क सदसम बयऩय ऩरयशरभ कयत ह तथा आिशमकता स अधधक धन ऩय

अऩना अधधकाय नहीॊ जभात | (घ) अभीय रड़क क हाथो भ भहनतकश क हाथो की तयह भहनत कयन क ननशान नहीॊ

थ औय नानक भहनत कयना अननिामय भानत थ | (ङ) rdquoभख भ कविता औय कयघ भ हाथrsquo कफीय क सरए कहा गमा ह | कमोकक उसक घय

भ जराह का कामय होता था औय कविता कयना उनका सिबाि था | (च) शररषठ सॊनदमासी सभाज क सरए बी कामय कयता ह | (छ) सभाज भ जफ ऻान औय कभय को सबनदन भानकय आचयण ककए जात ह तफ उस

सभाज भ विरभता भान री जाती ह |ऻान औय कभय को अरग कयन ऩय ही सभाज भ विरभता परती ह |

(ज) सभ + नदमासी (झ) विरभता ndash सभता lsquoताrsquo परतमम (ञ) सॊनदमास-गहसथ

२ अऩठित कावमाॊश का नभना- ननधाटरयत अॊक ५ तभ बायत हभ बायतीम ह तभ भाता हभ फट ककसकी हहमभत ह कक तमह दरषटता-दनदरषट स दख | ओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारी सफकी या भ तभ सभ हो अदमम फरशारी |

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3

बारा िश परदश सबनदन ह कपय बी बाई-बाई बायत की साझी सॊसकनत भ ऩरत बायतिासी | सहदनो भ हभ एक साथ हॉसत गात सोत ह दहदयन भ बी साथ-साथ जागत ऩौरर धोत ह | तभ हो शसम-शमाभरा खतो भ तभ रहयाती हो परकनत पराणभमी साभ-गानभमी तभ न ककस बाती हो | तभ न अगय होती तो धयती िसधा कमो कहराती गॊगा कहाॉ फहा कयती गीता कमो गाई जाती

परशन नभना (क) साझी सॊसकनत का कमा बाि ह १ (ख) बायत को अदमम फरशारी कमो कहा गमा ह १ (ग) सख-द ख क हदनो भ बायतीमो का ऩयसऩय सहमोग कसा होता ह १ (घ) साभ-गानभमी का कमा तातऩमय ह १ (ङ) lsquoओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारीrsquo भ कौन-सा अरॊकाय

ह१

उततय ndash (क) बारा िश परदश सबनदन होत हए बी सबी क सख-द ख एक ह | (ख) बायत की एक अयफ स अधधक जनता अऩनी भजफत बजाओॊ स सफकी सया कयन

भ सभथय ह | (ग) बायतीमो का वमिहाय आऩसी सहमोग औय अऩनऩन स बया ह सफ सॊग-सॊग हॉसत-

गात ह औय सॊग-सॊग कहठनाइमो स जझत ह | (घ) सभधय सॊगीत स मकत | (ङ) रऩक |

३ ननफॊध-रखन - ननधाटरयत अॊक ५

ननफॊध-रखन कयत सभम छातरोको ननमन फात धमान भ यखनी चाहहए ndash हदए गए विरम की एक रऩयखा फना र | रऩयखा-रखन क सभम ऩिायऩय सॊफॊध क ननमभ का ननिायह ककमा जाए | ऩिायऩय

सॊफॊध क ननिायह का अथय ह कक ऊऩय की फात उसक ठीक नीच की फात स जड़ी होनी चाहहए नदजसस विरम का करभ फना यह |

ऩनयािनदतत दोर न आए | बारा सयर सहज औय फोधगमम हो | ननफॊध का परायमब ककसी कहाित उनदकत सनदकत आहद स ककमा जाए |

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4

विरम को पराभाणणक फनान क उददशम स हहनददी सॊसकत अॊगरजीउदय की सनदकतमाॉएिॊ उदधयण बी फीच-फीच भ दत यहना चाहहए |

बसभकापरसतािना भ विरम का साभानदम ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भ विरम का ननरषकरय होना चाहहए |

ननफॊध हत नभना रऩयखा पवऻान वयदान मा अलबशाऩ

१ बसभका परसतािना २ विऻान का अथय ३ विऻान ियदान ह ndash

सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

४ विऻान असबशाऩ ह ndash सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

५ विऻान क परनत हभाय उततयदानमति ६ उऩसॊहाय

पवशष उकत रऩयखा को आवशमकता क अनरऩ पवलबनन तरो को जोड़कय फिामा जा सकता ह |

अभमास हत ननफॊध-

१ भहानगयीम जीिन असबशाऩ मा ियदान २ आधननक सशा-ऩदधनत गण ि दोर ३ विऻान ि करा ४ फदरत जीिन भलम ५ नई सदी नमा सभाज ६ काभकाजी भहहराओॊ की सभसमाएॉ दश की परगनत भ भहहराओॊ का मोगदान

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७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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6

ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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7

लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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8

जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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1

अधममन-साभगरी

ठहॊदी (क ठिक) २०१२-१३ अऩठितननधाटरयत अॊक २० (गदम क लरए १५ तथा ऩदम क लरए ५ अॊक ननधाटरयत ह) अऩठित अॊश को हर कयन क लरए आवशमक ननदश

अऩठित अॊश भ २० अॊको क परशन ऩछ जाएॉग जो गदम औय ऩदम दो रऩो भ होग| म परशन एक मा दो अॊको क होत ह | उततय दत सभम ननमन फातो को धमान भ यख कय उततय दीजजए ndash

१ ठदए गए गदमाॊश अथवा ऩदमाॊश कोऩछ गए परशनो क साथ धमान ऩवटक दो फाय ऩठिए | २ परशनो क उततय दन क लरए सफस ऩहर सयरतभ परशन का उततय दीजजए औय लभरन ऩय

उसको यखाॊककत कय परशन सॊखमा लरख दीजजए कपय सयरतभ स सयरतय को करभ स छाॉट कय यखाॊककत कय परशन सॊखमा लरखत जाएॉ |

३ उततय की बाषा आऩकी अऩनी बाषा होनी चाठहए | ४ गदमाॊश भ वमाकयण स तथा कावमाॊश भ सौदमट-फोध स सॊफॊधधत परशनो को बी ऩछा

जाता ह इसलरए वमाकयण औय कावमाॊग की साभानम जानकायी को अदमतन यख | ५ उततय को अधधक पवसताय न दकय सॊऩ भ लरख| ६ ऩछ गए अॊश क कथम भ जजस तथम को फाय-फाय उिामा गमा ह उसी क आधाय ऩय

शीषटक लरख | शीषटक एक मा दो शबदो का होना चाठहए | १ अऩठित गदमाॊश का नभना- ननधाटरयत अॊक १५

भ नदजस सभाज की कलऩना कयता हॉ उसभ गहसथ सॊनदमासी औय सॊनदमासी गहसथ होग अथायत सॊनदमास औय गहसथ क फीच िह दयी नहीॊ यहगी जो ऩयॊऩया स चरती आ यही ह| सॊनदमासी उततभ कोहट का भनरषम होता ह कमोकक उसभ सॊचम की िनदतत नहीॊ होती रोब औय सिाथय नहीॊ होता | मही गण गहसथ भ बी होना चाहहए | सॊनदमासी बी िही शररषठ ह जो सभाज क सरए कछ काभ कय| ऻान औय कभय को सबनदन कयोग तो सभाज भ विरभता उतऩनदन होगी ही |भख भ कविता औय कयघ ऩय हाथ मह आदशय भझ ऩसॊद था |इसी की सशा भ दसयो को बी दता हॉ औय तभन सना ह मा नहीॊ की नानक न एक अभीय रडक क हाथ स ऩानी ऩीना असिीकाय कय हदमा था | रोगो न कहा ndashldquoगर जी मह रड़का तो अतमॊत सॊभाॊत कर का ह इसक हाथ का ऩानी ऩीन भ कमा दोर ह rdquo नानक फोर-ldquoतरहतथी भ भहनत क ननशाननहीॊ ह | नदजसक हाथ भ भहनत क ठर ऩड़ नहीॊ होत उसक हाथ का ऩानी ऩीन भ भ दोर भानता हॉ |rdquo नानक ठीक थ | शररषठ सभाज िह ह नदजसक सदसम जी खोरकय भहनत कयत ह औय तफ बी जरयत स जमादा धन ऩय अधधकाय जभान की उनकी इचछा नहीॊ होती | परशनो का नभना-

(क) lsquoगहसथ सॊनदमासी औय सॊनदमासी गहसथ होगrsquo स रखक का कमा आशम ह २ (ख) सॊनदमासी को उततभ कोहट का भनरषम कहा गमा ह कमो १

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2

(ग) शररषठ सभाज क कमा रण फताए गए ह १ (घ) नानक न अभीय रड़क क हाथ स ऩानी ऩीना कमो असिीकाय ककमा २ (ङ) lsquoभख भ कविता औय कयघ ऩय हाथrsquo- मह उनदकत ककसक सरए परमोग की गई ह औय

कमो २ (च) शररषठ सॊनदमासी क कमा गण फताए गए ह १ (छ) सभाज भ विरभता स आऩ कमा सभझत ह औय मह कफ उतऩनदन होती ह २ (ज) सॊनदमासी शबद का सॊधध-विचछद कीनदजए | १ (झ) विरभता शबद का विरोभ सरख कय उसभ परमकत परतमम अरग कीनदजए | २ (ञ) गदमाॊश का उऩमकत शीरयक दीनदजए | १

उततय ndash (क) गहसथ जन सॊनदमाससमो की बाॉनत धन-सॊगरह औय भोह स भकत यह तथा सॊनदमासी जन

गहसथो की बाॉनत साभानदजक कभो भ सहमोग कय ननठलर न यह | (ख) सॊनदमासी रोब सिाथय औय सॊचम स अरग यहता ह | (ग) शररषठ सभाज क सदसम बयऩय ऩरयशरभ कयत ह तथा आिशमकता स अधधक धन ऩय

अऩना अधधकाय नहीॊ जभात | (घ) अभीय रड़क क हाथो भ भहनतकश क हाथो की तयह भहनत कयन क ननशान नहीॊ

थ औय नानक भहनत कयना अननिामय भानत थ | (ङ) rdquoभख भ कविता औय कयघ भ हाथrsquo कफीय क सरए कहा गमा ह | कमोकक उसक घय

भ जराह का कामय होता था औय कविता कयना उनका सिबाि था | (च) शररषठ सॊनदमासी सभाज क सरए बी कामय कयता ह | (छ) सभाज भ जफ ऻान औय कभय को सबनदन भानकय आचयण ककए जात ह तफ उस

सभाज भ विरभता भान री जाती ह |ऻान औय कभय को अरग कयन ऩय ही सभाज भ विरभता परती ह |

(ज) सभ + नदमासी (झ) विरभता ndash सभता lsquoताrsquo परतमम (ञ) सॊनदमास-गहसथ

२ अऩठित कावमाॊश का नभना- ननधाटरयत अॊक ५ तभ बायत हभ बायतीम ह तभ भाता हभ फट ककसकी हहमभत ह कक तमह दरषटता-दनदरषट स दख | ओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारी सफकी या भ तभ सभ हो अदमम फरशारी |

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3

बारा िश परदश सबनदन ह कपय बी बाई-बाई बायत की साझी सॊसकनत भ ऩरत बायतिासी | सहदनो भ हभ एक साथ हॉसत गात सोत ह दहदयन भ बी साथ-साथ जागत ऩौरर धोत ह | तभ हो शसम-शमाभरा खतो भ तभ रहयाती हो परकनत पराणभमी साभ-गानभमी तभ न ककस बाती हो | तभ न अगय होती तो धयती िसधा कमो कहराती गॊगा कहाॉ फहा कयती गीता कमो गाई जाती

परशन नभना (क) साझी सॊसकनत का कमा बाि ह १ (ख) बायत को अदमम फरशारी कमो कहा गमा ह १ (ग) सख-द ख क हदनो भ बायतीमो का ऩयसऩय सहमोग कसा होता ह १ (घ) साभ-गानभमी का कमा तातऩमय ह १ (ङ) lsquoओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारीrsquo भ कौन-सा अरॊकाय

ह१

उततय ndash (क) बारा िश परदश सबनदन होत हए बी सबी क सख-द ख एक ह | (ख) बायत की एक अयफ स अधधक जनता अऩनी भजफत बजाओॊ स सफकी सया कयन

भ सभथय ह | (ग) बायतीमो का वमिहाय आऩसी सहमोग औय अऩनऩन स बया ह सफ सॊग-सॊग हॉसत-

गात ह औय सॊग-सॊग कहठनाइमो स जझत ह | (घ) सभधय सॊगीत स मकत | (ङ) रऩक |

३ ननफॊध-रखन - ननधाटरयत अॊक ५

ननफॊध-रखन कयत सभम छातरोको ननमन फात धमान भ यखनी चाहहए ndash हदए गए विरम की एक रऩयखा फना र | रऩयखा-रखन क सभम ऩिायऩय सॊफॊध क ननमभ का ननिायह ककमा जाए | ऩिायऩय

सॊफॊध क ननिायह का अथय ह कक ऊऩय की फात उसक ठीक नीच की फात स जड़ी होनी चाहहए नदजसस विरम का करभ फना यह |

ऩनयािनदतत दोर न आए | बारा सयर सहज औय फोधगमम हो | ननफॊध का परायमब ककसी कहाित उनदकत सनदकत आहद स ककमा जाए |

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विरम को पराभाणणक फनान क उददशम स हहनददी सॊसकत अॊगरजीउदय की सनदकतमाॉएिॊ उदधयण बी फीच-फीच भ दत यहना चाहहए |

बसभकापरसतािना भ विरम का साभानदम ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भ विरम का ननरषकरय होना चाहहए |

ननफॊध हत नभना रऩयखा पवऻान वयदान मा अलबशाऩ

१ बसभका परसतािना २ विऻान का अथय ३ विऻान ियदान ह ndash

सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

४ विऻान असबशाऩ ह ndash सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

५ विऻान क परनत हभाय उततयदानमति ६ उऩसॊहाय

पवशष उकत रऩयखा को आवशमकता क अनरऩ पवलबनन तरो को जोड़कय फिामा जा सकता ह |

अभमास हत ननफॊध-

१ भहानगयीम जीिन असबशाऩ मा ियदान २ आधननक सशा-ऩदधनत गण ि दोर ३ विऻान ि करा ४ फदरत जीिन भलम ५ नई सदी नमा सभाज ६ काभकाजी भहहराओॊ की सभसमाएॉ दश की परगनत भ भहहराओॊ का मोगदान

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७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 3: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

2

(ग) शररषठ सभाज क कमा रण फताए गए ह १ (घ) नानक न अभीय रड़क क हाथ स ऩानी ऩीना कमो असिीकाय ककमा २ (ङ) lsquoभख भ कविता औय कयघ ऩय हाथrsquo- मह उनदकत ककसक सरए परमोग की गई ह औय

कमो २ (च) शररषठ सॊनदमासी क कमा गण फताए गए ह १ (छ) सभाज भ विरभता स आऩ कमा सभझत ह औय मह कफ उतऩनदन होती ह २ (ज) सॊनदमासी शबद का सॊधध-विचछद कीनदजए | १ (झ) विरभता शबद का विरोभ सरख कय उसभ परमकत परतमम अरग कीनदजए | २ (ञ) गदमाॊश का उऩमकत शीरयक दीनदजए | १

उततय ndash (क) गहसथ जन सॊनदमाससमो की बाॉनत धन-सॊगरह औय भोह स भकत यह तथा सॊनदमासी जन

गहसथो की बाॉनत साभानदजक कभो भ सहमोग कय ननठलर न यह | (ख) सॊनदमासी रोब सिाथय औय सॊचम स अरग यहता ह | (ग) शररषठ सभाज क सदसम बयऩय ऩरयशरभ कयत ह तथा आिशमकता स अधधक धन ऩय

अऩना अधधकाय नहीॊ जभात | (घ) अभीय रड़क क हाथो भ भहनतकश क हाथो की तयह भहनत कयन क ननशान नहीॊ

थ औय नानक भहनत कयना अननिामय भानत थ | (ङ) rdquoभख भ कविता औय कयघ भ हाथrsquo कफीय क सरए कहा गमा ह | कमोकक उसक घय

भ जराह का कामय होता था औय कविता कयना उनका सिबाि था | (च) शररषठ सॊनदमासी सभाज क सरए बी कामय कयता ह | (छ) सभाज भ जफ ऻान औय कभय को सबनदन भानकय आचयण ककए जात ह तफ उस

सभाज भ विरभता भान री जाती ह |ऻान औय कभय को अरग कयन ऩय ही सभाज भ विरभता परती ह |

(ज) सभ + नदमासी (झ) विरभता ndash सभता lsquoताrsquo परतमम (ञ) सॊनदमास-गहसथ

२ अऩठित कावमाॊश का नभना- ननधाटरयत अॊक ५ तभ बायत हभ बायतीम ह तभ भाता हभ फट ककसकी हहमभत ह कक तमह दरषटता-दनदरषट स दख | ओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारी सफकी या भ तभ सभ हो अदमम फरशारी |

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बारा िश परदश सबनदन ह कपय बी बाई-बाई बायत की साझी सॊसकनत भ ऩरत बायतिासी | सहदनो भ हभ एक साथ हॉसत गात सोत ह दहदयन भ बी साथ-साथ जागत ऩौरर धोत ह | तभ हो शसम-शमाभरा खतो भ तभ रहयाती हो परकनत पराणभमी साभ-गानभमी तभ न ककस बाती हो | तभ न अगय होती तो धयती िसधा कमो कहराती गॊगा कहाॉ फहा कयती गीता कमो गाई जाती

परशन नभना (क) साझी सॊसकनत का कमा बाि ह १ (ख) बायत को अदमम फरशारी कमो कहा गमा ह १ (ग) सख-द ख क हदनो भ बायतीमो का ऩयसऩय सहमोग कसा होता ह १ (घ) साभ-गानभमी का कमा तातऩमय ह १ (ङ) lsquoओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारीrsquo भ कौन-सा अरॊकाय

ह१

उततय ndash (क) बारा िश परदश सबनदन होत हए बी सबी क सख-द ख एक ह | (ख) बायत की एक अयफ स अधधक जनता अऩनी भजफत बजाओॊ स सफकी सया कयन

भ सभथय ह | (ग) बायतीमो का वमिहाय आऩसी सहमोग औय अऩनऩन स बया ह सफ सॊग-सॊग हॉसत-

गात ह औय सॊग-सॊग कहठनाइमो स जझत ह | (घ) सभधय सॊगीत स मकत | (ङ) रऩक |

३ ननफॊध-रखन - ननधाटरयत अॊक ५

ननफॊध-रखन कयत सभम छातरोको ननमन फात धमान भ यखनी चाहहए ndash हदए गए विरम की एक रऩयखा फना र | रऩयखा-रखन क सभम ऩिायऩय सॊफॊध क ननमभ का ननिायह ककमा जाए | ऩिायऩय

सॊफॊध क ननिायह का अथय ह कक ऊऩय की फात उसक ठीक नीच की फात स जड़ी होनी चाहहए नदजसस विरम का करभ फना यह |

ऩनयािनदतत दोर न आए | बारा सयर सहज औय फोधगमम हो | ननफॊध का परायमब ककसी कहाित उनदकत सनदकत आहद स ककमा जाए |

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विरम को पराभाणणक फनान क उददशम स हहनददी सॊसकत अॊगरजीउदय की सनदकतमाॉएिॊ उदधयण बी फीच-फीच भ दत यहना चाहहए |

बसभकापरसतािना भ विरम का साभानदम ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भ विरम का ननरषकरय होना चाहहए |

ननफॊध हत नभना रऩयखा पवऻान वयदान मा अलबशाऩ

१ बसभका परसतािना २ विऻान का अथय ३ विऻान ियदान ह ndash

सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

४ विऻान असबशाऩ ह ndash सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

५ विऻान क परनत हभाय उततयदानमति ६ उऩसॊहाय

पवशष उकत रऩयखा को आवशमकता क अनरऩ पवलबनन तरो को जोड़कय फिामा जा सकता ह |

अभमास हत ननफॊध-

१ भहानगयीम जीिन असबशाऩ मा ियदान २ आधननक सशा-ऩदधनत गण ि दोर ३ विऻान ि करा ४ फदरत जीिन भलम ५ नई सदी नमा सभाज ६ काभकाजी भहहराओॊ की सभसमाएॉ दश की परगनत भ भहहराओॊ का मोगदान

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७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 4: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

3

बारा िश परदश सबनदन ह कपय बी बाई-बाई बायत की साझी सॊसकनत भ ऩरत बायतिासी | सहदनो भ हभ एक साथ हॉसत गात सोत ह दहदयन भ बी साथ-साथ जागत ऩौरर धोत ह | तभ हो शसम-शमाभरा खतो भ तभ रहयाती हो परकनत पराणभमी साभ-गानभमी तभ न ककस बाती हो | तभ न अगय होती तो धयती िसधा कमो कहराती गॊगा कहाॉ फहा कयती गीता कमो गाई जाती

परशन नभना (क) साझी सॊसकनत का कमा बाि ह १ (ख) बायत को अदमम फरशारी कमो कहा गमा ह १ (ग) सख-द ख क हदनो भ बायतीमो का ऩयसऩय सहमोग कसा होता ह १ (घ) साभ-गानभमी का कमा तातऩमय ह १ (ङ) lsquoओ भाता तभ एक अयफ स अधधक बजाओॊ िारीrsquo भ कौन-सा अरॊकाय

ह१

उततय ndash (क) बारा िश परदश सबनदन होत हए बी सबी क सख-द ख एक ह | (ख) बायत की एक अयफ स अधधक जनता अऩनी भजफत बजाओॊ स सफकी सया कयन

भ सभथय ह | (ग) बायतीमो का वमिहाय आऩसी सहमोग औय अऩनऩन स बया ह सफ सॊग-सॊग हॉसत-

गात ह औय सॊग-सॊग कहठनाइमो स जझत ह | (घ) सभधय सॊगीत स मकत | (ङ) रऩक |

३ ननफॊध-रखन - ननधाटरयत अॊक ५

ननफॊध-रखन कयत सभम छातरोको ननमन फात धमान भ यखनी चाहहए ndash हदए गए विरम की एक रऩयखा फना र | रऩयखा-रखन क सभम ऩिायऩय सॊफॊध क ननमभ का ननिायह ककमा जाए | ऩिायऩय

सॊफॊध क ननिायह का अथय ह कक ऊऩय की फात उसक ठीक नीच की फात स जड़ी होनी चाहहए नदजसस विरम का करभ फना यह |

ऩनयािनदतत दोर न आए | बारा सयर सहज औय फोधगमम हो | ननफॊध का परायमब ककसी कहाित उनदकत सनदकत आहद स ककमा जाए |

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विरम को पराभाणणक फनान क उददशम स हहनददी सॊसकत अॊगरजीउदय की सनदकतमाॉएिॊ उदधयण बी फीच-फीच भ दत यहना चाहहए |

बसभकापरसतािना भ विरम का साभानदम ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भ विरम का ननरषकरय होना चाहहए |

ननफॊध हत नभना रऩयखा पवऻान वयदान मा अलबशाऩ

१ बसभका परसतािना २ विऻान का अथय ३ विऻान ियदान ह ndash

सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

४ विऻान असबशाऩ ह ndash सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

५ विऻान क परनत हभाय उततयदानमति ६ उऩसॊहाय

पवशष उकत रऩयखा को आवशमकता क अनरऩ पवलबनन तरो को जोड़कय फिामा जा सकता ह |

अभमास हत ननफॊध-

१ भहानगयीम जीिन असबशाऩ मा ियदान २ आधननक सशा-ऩदधनत गण ि दोर ३ विऻान ि करा ४ फदरत जीिन भलम ५ नई सदी नमा सभाज ६ काभकाजी भहहराओॊ की सभसमाएॉ दश की परगनत भ भहहराओॊ का मोगदान

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७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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6

ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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9

१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 5: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

4

विरम को पराभाणणक फनान क उददशम स हहनददी सॊसकत अॊगरजीउदय की सनदकतमाॉएिॊ उदधयण बी फीच-फीच भ दत यहना चाहहए |

बसभकापरसतािना भ विरम का साभानदम ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भ विरम का ननरषकरय होना चाहहए |

ननफॊध हत नभना रऩयखा पवऻान वयदान मा अलबशाऩ

१ बसभका परसतािना २ विऻान का अथय ३ विऻान ियदान ह ndash

सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

४ विऻान असबशाऩ ह ndash सशा क तर भ धचककतसा क तर भ भनोयॊजन क तर भ कवर क तर भ मातामात क तर भ

५ विऻान क परनत हभाय उततयदानमति ६ उऩसॊहाय

पवशष उकत रऩयखा को आवशमकता क अनरऩ पवलबनन तरो को जोड़कय फिामा जा सकता ह |

अभमास हत ननफॊध-

१ भहानगयीम जीिन असबशाऩ मा ियदान २ आधननक सशा-ऩदधनत गण ि दोर ३ विऻान ि करा ४ फदरत जीिन भलम ५ नई सदी नमा सभाज ६ काभकाजी भहहराओॊ की सभसमाएॉ दश की परगनत भ भहहराओॊ का मोगदान

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७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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5

७यारषर-ननभायण भ मिा ऩीढ़ी का मोगदान ८ इॊटयनट की दननमाॉ ९ ऩयाधीन सऩनहॉ सख नाहीॊ १० रोकतॊतर भ भीडडमा की बसभका ११ परगनत क ऩथ ऩय बायत १२ जन आॊदोरन औय सयकाय १३ भरषटाचाय सभसमा औय सभाधान १४ भहॉगाई की भाय १५ खर-कद भ उतयता बायत ऑरॊपऩक २०१२

४ ऩतर-रखन-ननधाटरयत अॊक ५ विचायो बािो सॊदशो एिॊ सचनाओॊ क सॊपररण क सरए ऩतर सहज सयर तथा ऩायॊऩरयक भाधमभ ह ऩतर अनक परकाय क हो सकत ह ऩय पराम ऩयीाओॊ भ सशकामती-ऩतर आिदन-ऩतर तथा सॊऩादक क नाभ ऩतर ऩछ जात ह इन ऩतरो को सरखत सभम ननमन फातो का धमान यखा जाना चाहहए

ऩतर-रखन क अॊग- १ ऩता औय ठदनाॊक- ऩतर क ऊऩय फाई ओय पररक का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता ह

(छातर ऩत क सरए ऩयीा-बिन ही सरख) २ सॊफोधन औय ऩताndash नदजसको ऩतर सरखा जायहा ह उसको मथानरऩ सॊफोधधत ककमा

जाता ह औऩचारयक ऩतरो भ ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता ह | ३ पवषम ndash किर औऩचारयक ऩतरो भ परमोग कय (ऩतर क कथम का सॊकषपत रऩ नदजस

ऩढ़ कय ऩतर की साभगरी का सॊकत सभर जाता ह ) ४ ऩतर की साभगरी ndash मह ऩतर का भर विरम ह इस सॊऩ भ सायगसबयत औय विरम क

सऩरषटीकयण क साथ सरखा जाए | ५ ऩतर की सभाजतत ndash इसभ धनदमिाद आबाय सहहत अथिा साबाय जस शबद सरख कय

रखक अऩन हसताय औय नाभ सरखता ह | धमान द छातर ऩतर भ कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न द | औऩचारयक ऩतरो भ विरमानरऩ ही अऩनी फात कह | दवि-अथयक औय फोणझर शबदािरी स फच |

६ बारा शदध सयर सऩरषट विरमानरऩ तथा परबािकायी होनी चाहहए ऩतर का नभना असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोर वमकत कयत हए धचककतसा-अधीक को ऩतर सरणखए | ऩयीा-बवन

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ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 7: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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ठदनाॊक ----- भानाथट धचककतसा-अधीक कोयोनशन असऩतार दहयादन | पवषम असऩतार क परफॊधन ऩय सॊतोष वमकत कयन क सॊदबट भ - भानमवय इस ऩतर क भाधमभ स भ आऩक धचककतसारम क सपरफॊधन स परबापवत हो कय आऩको धनमवाद द यहा हॉ | गत सतताह भय पऩता जी रदम-आघात स ऩीड़ड़त होकय आऩक महाॉ दाखखर हए थ | आऩक धचककतसको औय सहमोगी सटाप न जजस ततऩयता कतटवमननषिा औय ईभानदायी स उनकी दखबार तथा धचककतसा की उसस हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतषट ह | हभाया पवशवास फिा ह | आऩक धचककतसारम का अनशासन परशॊसनीम ह | आशा ह जफ हभ ऩनऩटयीण हत आएॉग तफ बी वसी ही सवमवसथा लभरगी | साबाय बवदीम क ख ग अभमासाथट परशन-

१ ककसी दननक सभाचाय-ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए नदजसभ ि ो की कटाई को योकन क सरए सयकाय का धमान आकवरयत ककमा गमा हो

२ हहॊसा-परधान किलभो को दख कय फारिगय ऩय ऩड़न िार दरषपरबाि का िणयन कयत हए ककसी दननक ऩतर क सॊऩादक क नाभ ऩतर सरणखए

३ अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयत हए ऩोसटभासटय को ऩतर सरणखए ४ सरवऩक ऩद हत विदमारम क पराचामय को आिदन-ऩतर सरणखए ५ अऩन तर भ बफजरी-सॊकट स उतऩनदन कहठनाइमो का िणयन कयत हए अधधशासी असबमनदता विदमत-फोडय को ऩतर सरणखए ७ दननक ऩतर क सॊऩादक को ऩतर सरणखए नदजसभ हहॊदी बारा की दवि-रऩता को

सभापत कयन क सझाि हदए गए हो |

५ (क) अलबवमजकतऔयभाधमभ (एक-एक अॊक क ५ परशन ऩछ जाएॉग तथा उततय सॊऩ भ ठदए जाएॉग )

उततभ अॊक परातत कयन क लरए धमान दन मोगम फात- १ अलबवमजकत औय भाधमभ स सॊफॊधधत परशन पवशष रऩ स तथमऩयक होत ह अत उततय

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 8: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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लरखत सभम सही तथमो को धमान भ यख २ उततय बफॊदवाय लरख भखम बफॊद को सफस ऩहर लरख द ३ शदध वतटनी का धमान यख ४ रख साफ़-सथया एवभ ऩिनीम हो ५ उततय भ अनावशमक फात न लरख ६ ननफॊधातभक परशनो भ करभफदधता तथा पवषम क ऩवाटऩय सॊफॊध का धमान यख तथमो

तथा पवचायो की ऩनयावजतत न कय जनसॊचायभाधमभ

१ सॊचाय ककस कहत ह lsquoसॊचायrsquo शबद चय धात क साथ सभ उऩसगय जोड़न स फना ह- इसका अथय ह चरना मा एक सथान स दसय सथान तक ऩहॉचना |सॊचाय सॊदशो का आदान-परदान ह | सचनाओॊ पवचायो औय बावनाओॊ का लरखखत भौखखक मा दशम-शरवम भाधमभो क जरयम सफ़रता ऩवटक आदान-परदान कयना मा एक जगह स दसयी जगह ऩहॉचाना सॊचाय ह

२ ldquoसॊचाय अनबवो की साझदायी हrdquo- ककसन कहा ह परससदध सॊचाय शासतरी विलफय शरभ न |

३ सॊचाय भाधमभ स आऩ कमा सभझत ह सॊचाय-परककरमा को सॊऩनदन कयन भ सहमोगी तयीक तथा उऩकयण सॊचाय क भाधमभ कहरात ह

४ सॊचाय क भर तततव लरखखए | सॊचायक मा सरोत एनदकोडड ॊग (कटीकयण ) सॊदश ( नदजस सॊचायक परापतकताय तक ऩहॉचाना चाहता ह) भाधमभ (सॊदश को परापतकताय तक ऩहॉचान िारा भाधमभ होता ह जस- धिनन-

तयॊग िाम-तयॊग टरीपोन सभाचायऩतर यडडमो टी िी आहद) परापतकतताय (डीकोडड ॊग कय सॊदश को परापत कयन िारा) पीडफक (सॊचाय परककरमा भ परापतकतताय की परनतककरमा) शोय (सॊचाय परककरमा भ आन िारी फाधा)

५ सॊचायकपरभखपरकायोकाउलरखकीजजए साॊकनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊतिमनदकतकसॊचाय अॊतयिमनदकतकसॊचाय सभहसॊचाय

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 9: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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जनसॊचाय ६ जनसॊचायसआऩकमासभझतह

परतम सॊिाद क फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबतरक भाधमभ क दिाया सभाज क एकविशार िगयस सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता ह

७ जनसॊचाय क परभख भाधमभो का उलरख कीजजए | अखफाय यडडमो टीिी इॊटयनट ससनभा आहद

८ जनसॊचाय की परभखपवशषताएॉ लरखखए | इसभ िीडफक तयॊत परापत नहीॊ होता इसक सॊदशो की परकनत साियजननक होती ह सॊचायक औय परापतकतताय क फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता जनसॊचाय क सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिशमकता होती ह इसभढय साय दिायऩार काभ कयत ह

९ जनसॊचाय क परभख कामट कौन-कौनसह सचना दना सशकषत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजडा तम कयना विचाय-विभशय क सरए भॊच उऩरबध कयाना

१० राइव स कमा अलबपराम ह ककसी घटना का घटना-सथर स सीधा परसायण राइि कहराता ह |

११ बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककस भाना जाता ह दिवरय नायद

१२ जन सॊचाय का सफस ऩहरा भहततवऩणट तथा सवाटधधक पवसतत भाधमभ कौन सा था सभाचाय-ऩतर औय ऩबतरका

१३ पपर ॊट भीड़िमा क परभख तीन ऩहर कौन-कौन स ह सभाचायो को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भदरण तथा परसायण

१४ सभाचायो को सॊकलरत कयन का कामट कौन कयता ह सॊिाददाता

१५ बायत भ ऩतरकारयता की शरआत कफ औय ककसस हई बायत भ ऩतरकारयता की शरआत सन १७८० भ जमस आगसट ठहकी क फॊगार गजट स हई जो करकतता स ननकरा था |

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 10: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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१६ ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩतर ककस भाना जाता ह हहॊदी का ऩहरा सापताहहक ऩतर lsquoउदॊत भातडrsquo को भाना जाता ह जो करकतता स ऩॊडडत जगर ककशोय शकर क सॊऩादन भ ननकरा था |

१७ आजादी स ऩवट कौन-कौन परभख ऩतरकाय हए भहातभा गाॊधी रोकभानदम नतरक भदन भोहन भारिीम गणश शॊकय विदमाथी भाखनरार चतिदी भहािीय परसाद दवििदी परताऩ नायामण सभशर फार भकॊ द गपत आहद हए |

१८ आजादी स ऩवट क परभख सभाचाय-ऩतरो औय ऩबतरकाओॊ क नाभ लरखखए | कसयी हहनददसतान सयसिती हॊस कभयिीय आज परताऩ परदीऩ विशार बायत आहद |

१९ आजादी क फाद की परभख ऩतर-ऩबतरकाओॊ तथा ऩतरकायो क नाभ लरखए | परभख ऩतर ---- नि बायत टाइमस जनसतता नई दननमा हहनददसतान अभय उजारा दननक बासकय दननक जागयण आहद | परभख ऩबतरकाएॉ ndash धभयमग सापताहहक हहनददसतान हदनभान यवििाय इॊडडमा टड आउट रक आहद | परभख ऩतरकाय- अऻम यघिीय सहाम धभयिीय बायती भनोहयशमाभ जोशी याजनददर भाथय परबार जोशी आहद

अनम भहततवऩणट परशन १ जनसॊचाय औय सभह सॊचाय का अॊतय सऩरषट कीनदजए २ कटिाचन स आऩ कमा सभझत ह ३ कटीकयण ककस कहत ह ४ सॊचायक की बसभका ऩय परकाश डासरए ५ पीडफक स आऩ कमा सभझत ह ६ शोय स कमा तातऩमय ह ७ औऩचारयक सॊगठन स आऩ कमा सभझत ह ८ सनसनीखज सभाचायो स समफॊधधत ऩतरकारयता को कमा कहत ह ९ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह १० सॊऩादकीम ऩरषठ स आऩ कमा सभझत ह ११ भीडडमा की बारा भ दिायऩार ककस कहत ह ऩतरकारयता क पवपवध आमाभ

१ ऩतरकारयताकमाह ऐसी सचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठको तक ऩहॉचाना नदजनभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो तथा जो अधधक स अधधक रोगो को परबावित कयती हो ऩतरकारयताकहराता ह(दश-पवदश भ घटन वारी घटनाओॊ की सचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय क रऩ भ ऩािको तक ऩहॉचान की ककरमापवधा को ऩतरकारयता कहत

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 11: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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ह) २ ऩतरकायीम रखन तथा साठहजतमक सजनातभक रखन भ कमा अॊतय ह

ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम सचना परदान कयना होता ह इसभ तथमो की परधानता होती ह जफकक साहहनदतमक सजनातभक रखन बाि कलऩना एिॊ सौदमय-परधान होता ह

३ ऩतरकारयता क परभख आमाभ कौन-कौन स ह सॊऩादकीम िोटो ऩतरकारयता काटयन कोना यखाॊकन औय काटोगराि |

४ सभाचायककसकहतह सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना विचाय मा सभसमा की रयऩोटय हनदजसभ अधधक स अधधक रोगो की रधच हो औय नदजसका अधधक स अधधक रोगो ऩय परबाि ऩड़ता हो

५ सभाचायक तततवो को लरखखए | ऩतरकारयता की दनदरषट स ककसी बी घटना सभसमा ि विचाय को सभाचाय का रऩ धायण कयन क सरए उसभ ननमन तततिो भ स अधधकाॊश मा सबी का होना आिशमक होता ह- नवीनता ननकटता परबाव जनरधच सॊघषट भहततवऩणट रोग उऩमोगी जानकारयमाॉ अनोखाऩन आहद

६ ििराइनसआऩकमासभझतह सभाचाय भाधमभो क सरए सभाचायो को किय कयन क सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडराइनकहत ह

७ सॊऩादन स कमा अलबपराम ह परकाशन क सरए परापत सभाचाय-साभगरी स उसकी अशवदधमो को दय कयक ऩठनीम तथा परकाशन मोगम फनाना सॊऩादन कहराता ह

८ सॊऩादकीमकमाह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजस सॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत हसॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

९ ऩतरकारयता क परभखपरकायलरखखए | खोजी ऩतरकारयता विशरीकत ऩतरकारयता िॉचडॉग ऩतरकारयता एडिोकसी ऩतरकारयता- ऩीतऩतरकारयता ऩज थरी ऩतरकारयता

१० खोजी ऩतरकारयता कमाह नदजसभआभ तौय ऩय साियजननक भहतति क भाभरोजस-भरषटाचाय अननमसभतताओॊ

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 12: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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औय गड़फडड़मो की गहयाई स छानफीन कय साभन रान की कोसशश की जाती ह नदसटॊग ऑऩयशन खोजी ऩतरकारयता का ही एक नमा रऩ ह

११ वॉचिॉगऩतरकारयता स आऩ कमा सभझत ह रोकतॊतर भ ऩतरकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भखम उततयदानमति सयकाय क काभकाज ऩय ननगाह यखना ह औय कोई गड़फड़ी होन ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता ह ऩयॊऩयागत रऩ स इस िॉचडॉग ऩतरकारयता कहत ह

१२ एिवोकसी ऩतरकारयता ककसकहतह इस ऩधय ऩतरकारयता बी कहत ह ककसी खास भदद मा विचायधाया क ऩ भ जनभत फनान कसरए रगाताय असबमान चरान िारी ऩतरकारयता को एडिोकसी ऩतरकारयता कहत ह

१३ ऩीतऩतरकारयतासआऩकमासभझतह ऩाठको को रबान क सरए झठी अििाहो आयोऩो-परतमायोऩो परभसॊफॊधो आहद स सॊफॊधधत सनसनीखज सभाचायो स सॊफॊधधत ऩतरकारयता को ऩीतऩतरकारयता कहत ह

१४ ऩज थरी ऩतरकारयता ककसकहतह ऐसी ऩतरकारयता नदजसभ िशन अभीयो की ऩाहटयमो भहकिरो औय जानभान रोगो क ननजी जीिन क फाय भ फतामा जाता ह

१५ ऩतरकारयता क पवकास भ कौन-सा भर बाव सककरम यहता ह नदजऻासा का

१६ पवशषीकत ऩतरकारयता कमा ह ककसी विशर तर की विशर जानकायी दत हए उसका विशररण कयना विशरीकत ऩतरकारयता ह |

१७ वकजलऩक ऩतरकारयता ककस कहत ह भखम धाया क भीडडमा क विऩयीत जो भीडडमा सथावऩत वमिसथा क विकलऩ को साभन राकय उसक अनकर सोच को असबवमकत कयता ह उस िकनदलऩक ऩतरकारयता कहा जाता ह आभ तौय ऩय इस तयह क भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩॉजी का सभथयन परापत नहीॊ होता औय न ही उस फड़ी कॊ ऩननमो क विऻाऩन सभरत ह

१८ विशरीकत ऩतरकारयता क परभख तरो का उलरख कीनदजए | सॊसदीम ऩतरकारयता नदमामारम ऩतरकारयता आधथयक ऩतरकारयता खर ऩतरकारयता विऻान औय विकास ऩतरकारयता

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 13: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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अऩयाध ऩतरकारयता पशन औय कपलभ ऩतरकारयता

अनम भहततवऩणट परशन १ ऩतरकारयता क विकास भ कौन-सा भर बाि सककरम यहता ह २ कोई घटना सभाचाय कस फनती ह ३ सचनाओॊ का सॊकरन सॊऩादन कय ऩाठको तक ऩहॉचान की ककरमा को कमा कहत ह ४ समऩादकीम भ समऩादक का नाभ कमो नहीॊ सरखा जाता ५ ननमन क फाय भ सरणखए ndash

(क) डड राइन (ख) फरशबरककॊ ग नदमज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 14: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

13

पवलबनन भाधमभो क लरए रखन पपरॊट भाधमभ (भठित भाधमभ)-

१ पपरॊट भीड़िमा स कमा आशम ह छऩाई िार सॊचाय भाधमभ को वपरॊट भीडडमा कहत ह | इस भिण-भाधमभ बी कहा जाता ह | सभाचाय-ऩतर ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद इसक परभख रऩ ह |

२ जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कौन-सा ह जनसॊचाय क आधननक भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ वपरॊट भाधमभ ह |

३ आधननक छाऩाखान का आपवषकाय ककसन ककमा आधननक छाऩाखान का आविरषकाय जभयनी क गटनफगय न ककमा

४ बायत भ ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरा था बायत भ ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भ गोिा भ खरा इस ईसाई सभशनरयमो न धभय-परचाय की ऩसतक छाऩन क सरए खोरा था |

५ जनसॊचाय क भठित भाधमभ कौन-कौन स ह भहदरत भाधमभो क अनदतगयत अखफाय ऩबतरकाएॉ ऩसतक आहद आती ह ६ भठित भाधमभ की पवशषताएॉ लरखखए |

छऩ हए शबदो भ सथानमति होता ह इनदह सविधानसाय ककसी बी परकाय स ऩढा ा जा सकता ह

मह भाधमभ सरणखत बारा का विसताय ह मह धचॊतन विचाय- विशररण का भाधमभ ह

७ भठित भाधमभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननययो क सरए भहदरत भाधमभ ककसी काभ क नहीॊ होत म तयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकत इसभ सऩस तथा शबद सीभा का धमान यखना ऩड़ता ह इसभ एक फाय सभाचाय छऩ जान क फाद अशवदध-सधाय नहीॊ ककमा जा सकता

८ भठित भाधमभो क रखन क लरए लरखत सभम ककन-ककन फातो का धमान यखा जाना चाठहए | बारागत शदधता का धमान यखा जाना चाहहए परचसरत बारा का परमोग ककमा जाए सभम शबद ि सथान की सीभा का धमान यखा जाना चाहहए रखन भ तायतममता एिॊ सहज परिाह होना चाहहए

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14

यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 15: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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यड़िमो (आकाशवाणी) १ इरकराननक भाधमभ स कमा तातऩमट ह

नदजस जन सॊचाय भ इरकराननक उऩकयणो का सहाया सरमा जाता ह इरकराननक भाधमभ कहत ह यडडमो दयदशयन इॊटयनट परभख इरकराननक भाधमभ ह

२ आर इॊड़िमा यड़िमो की पवधधवत सथाऩना कफ हई सन १९३६ भ

३ एफ़एभ यड़िमो की शरआत कफ स हई एिएभ (किकिसी भाडमरशन) यडडमो की शरआत सन १९९३ स हई

४ यड़िमो ककस परकाय का भाधमभ ह यडडमो एक इरकरोननक शरवम भाधमभ ह इसभ शबद एिॊ आिाज का भहतति होता ह मह एक एक यखीम भाधमभ ह

५ यड़िमो सभाचाय ककस शरी ऩय आधारयत होत ह यडडमो सभाचाय की सॊयचना उलटावऩयासभड शरी ऩय आधारयत होती ह

६ उलटा पऩयालभि शरी कमा ह मह ककतन बागो भ फॉटी होती ह नदजसभ तथमो को भहतति क करभ स परसतत ककमा जाता ह सियपरथभ सफस जमादा भहततिऩणय तथम को तथा उसक उऩयाॊत भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ तथमो को यखा जाता ह उस उलटा वऩयासभड शरी कहत ह उलटावऩयासभड शरी भ सभाचाय को तीन बागो भ फाॉटा जाता ह-इॊरो फाॉडी औय सभाऩन

७ यड़िमो सभाचाय-रखन क लरए ककन-ककन फननमादी फातो ऩय धमान ठदमा जाना चाठहए सभाचाय िाचन क सरए तमाय की गई काऩी साि-सथयी ओ टाइपड कॉऩी हो कॉऩी को हरऩर सऩस भ टाइऩ ककमा जाना चाहहए ऩमायपत हासशमा छोडा ा जाना चाहहए अॊको को सरखन भ सािधानी यखनी चाहहए सॊकषपतायो क परमोग स फचा जाना चाहहए

टरीपवजन(दयदशटन) १ दयदशटन जन सॊचाय का ककस परकाय का भाधमभ ह

दयदशटन जनसॊचाय का सफस रोकवपरम ि सशकत भाधमभ ह इसभ धिननमो क साथ-साथ दशमो का बी सभािश होता ह इसक सरए सभाचाय सरखत सभम इस फात का धमान यखा जाता ह कक शबद ि ऩद ऩय हदखन िार दशम भ सभानता हो

२ बायत भ टरीपवजन का आयॊब औय पवकास ककस परकाय हआ बायत भ टरीविजन का परायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हआ मनसको की एक शकषक ऩरयमोजना क अनदतगयत हदलरी क आसऩास क एक गाॉि भ दो टीिी सट रगाए गए नदजनदह २०० रोगो न दखा १९६५ क फाद विधधित टीिी सिा आयॊब हई १९७६ भ दयदशयन नाभक ननकाम की सथाऩना हई

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 16: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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३ टी०वी० खफयो क पवलबनन चयणो को लरखखए दयदशयन भ कोई बी सचना ननमन चयणो मा सोऩानो को ऩाय कय दशयको तक ऩहॉचती ह

(१) फ़रश मा बरककॊ ग नदमज (सभाचाय को कभ-स-कभ शबदो भ दशयको तक ततकार ऩहॉचाना)

(२)डराई एॊकय (एॊकय दिाया शबदो भ खफय क विरम भ फतामा जाता ह) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय स िोन ऩय फात कय दशयको तक सचनाएॉ ऩहॉचाता ह ) (४) एॊकय-विजअर(सभाचाय क साथ-साथ सॊफॊधधत दशमो को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का परतमदशी मा सॊफॊधधत वमनदकत क कथन मा फातचीत दिाया पराभाणणक खफय परसतत कयना) (६) राइि(घटनासथर स खफय का सीधा परसायण) (७) एॊकय-ऩकज (इसभ एॊकय दिाया परसतत सचनाएॉ सॊफॊधधत घटना क दशम फाइट गराकिकस आहद दिाया वमिनदसथत ढॊग स हदखाई जाती ह) इॊटयनट

१ इॊटय नट कमा ह इसक गण-दोषो ऩय परकाश िालरए इॊटयनट विशिवमाऩी अॊतजायर ह मह जनसॊचाय का सफस निीन ि रोकवपरम भाधमभ ह इसभ जनसॊचाय क सबी भाधमभो क गण सभाहहत ह मह जहाॉ सचना भनोयॊजन ऻान औय वमनदकतगत एिॊ साियजननक सॊिादो क आदान-परदान क सरए शररषठ भाधमभ ह िहीॊ अशरीरता दरषपरचायि गॊदगी िरान का बी जरयमा ह

२ इॊटयनट ऩतरकारयताकमा ह इॊटयनट(विशववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायो का परकाशन मा आदान-परदान इॊटयनट ऩतरकारयता कहराता ह इॊटयनट ऩतरकारयता दो रऩो भ होती ह परथभ- सभाचाय सॊपररण क सरए नट का परमोग कयना दसया- रयऩोटयय अऩन सभाचाय को ई-भर दिाया अनदमतर बजन ि सभाचाय को सॊकसरत कयन तथा उसकी सतमताविशिसनीमता ससदध कयन क सरए कयता ह

३ इॊटयनट ऩतरकारयता को औय ककन-ककन नाभो स जाना जाता ह ऑनराइन ऩतरकारयता साइफयऩतरकारयतािफ ऩतरकारयता आहद नाभो स

४ पवशव-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का पवकास ककन-ककन चयणो भ हआ विशि-सतय ऩय इॊटयनट ऩतरकारयता का विकास ननमनसरणखत चयणो भ हआ-

परथभ चयण------- १९८२ स १९९२ दवितीम चयण------- १९९३ स २००१ ततीम चयण------- २००२ स अफ तक

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 17: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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५ बायत भ इॊटयनट ऩतरकारयता का परायमब कफ स हआ ऩहरा चयण १९९३ स तथा दसया चयण २००३ स शर भाना जाता ह बायत भ सचच अथो भ िफ ऩतरकारयता कयन िारी साइट rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquo इॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquoह यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता ह

६ वफ साइट ऩय पवशदध ऩतरकारयता शर कयन का शरम ककसको जाता ह rsquoतहरका डॉटकॉभrsquo

७ बायत भ सचच अथो भ वफ ऩतरकारयता कयन वारी साइटो क नाभ लरखखए | rsquoयीडडि डॉट कॉभrsquoइॊडडमाइॊिोराइनrsquoिrsquoसीिीrsquo

८ बायत भ कौन-कौन स सभाचाय-ऩतर इॊटयनट ऩय उऩरबध ह टाइमस आि इॊडडमा हहॊदसतान टाइमस इॊडडमन एकसपरस हहॊद हरबमन आहद

९ बायत की कौन-सी नट-साइट बगतान दकय दखी जा सकती ह rsquoइॊडडमा टडrsquo

१० बायत की ऩहरी साइट कौन-सी ह जो इॊटयनट ऩय ऩतरकारयता कय यही ह यीडडि

११ लसफ़ट नट ऩय उऩरबध अखफाय का नाभ लरखखए rdquoपरबा साीrsquo नाभ का अखफाय वपरॊट रऩ भ न होकय ससिय नट ऩय उऩरबध ह

१२ ऩतरकारयता क लरहाज स ठहॊदी की सवटशरषि साइट कौन-सी ह ऩतरकारयता क सरहाज स हहनददी की सियशररषठ साइट फीफीसी की ह जो इॊटयनट क भानदॊडो क अनसाय चर यही ह

१३ ठहॊदी वफ जगत भ कौन-कौनसी साठहजतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह हहॊदी िफ जगत भ rsquoअनबनतrsquo असबवमनदकत हहॊदी नसट सयाम आहद साहहनदतमक ऩबतरकाएॉ चर यही ह

१४ ठहॊदी वफ जगत की सफस फड़ी सभसमा कमा ह हहनददी िफ जगत की सफस फडी ा सभसमा भानक की-फोडय तथा िोट की ह डामनसभक िोट क अबाि क कायण हहनददी की जमादातय साइट खरती ही नहीॊ ह

अभमासाथट परशन १ बायत भ ऩहरा छाऩाखान ककस उददशम स खोरा गमा २ गटनफगय को ककस तर भ मोगदान क सरए माद ककमा जाता ह ३ यडडमो सभाचय ककस शरी भ सरख जात ह ४ यडडमो तथा टरीविजन भाधमभो भ भखम अॊतय कमा ह ५ एॊकय फाईट कमा ह ६ सभाचाय को सॊकसरत कयन िारा वमनदकत कमा कहराता ह ७ नट साउॊड ककस कहत ह

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 18: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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८ बरककॊ ग नदमज स आऩ कमा सभझत ह ऩतरकायीम रखन क पवलबनन रऩ औय रखन परककरमा

१ ऩतरकायीम रखन कमा ह सभाचाय भाधमभो भ काभ कयन िार ऩतरकाय अऩन ऩाठको तथा शरोताओॊ तक सचनाएॉ ऩहॉचान क सरए रखन क विसबनदन रऩो का इसतभार कयत ह इस ही ऩतरकायीम रखन कहत ह ऩतरकायीम रखन का सॊफॊध सभसाभनमक विरमो विचायो ि घटनाओॊ स ह ऩतरकाय को सरखत सभम मह धमान यखना चाहहए िह साभानदम जनता क सरए सरख यहा ह इससरए उसकी बारा सयर ि योचक होनी चाहहए िाकम छोट ि सहज हो कहठन बारा का परमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए बारा को परबािी फनान क सरए अनािशमक विशरणोजागटनस(अपरचलरत शबदावरी) औय करीश (पऩषटोजकत दोहयाव) का परमोग नहीॊ होना चहहए

२ ऩतरकायीम रखन क अॊतगटत कमा-कमा आता ह ऩतरकरयता मा ऩतरकायीम रखन क अनदतगयत समऩादकीम सभाचाय आरख रयऩोटय िीचय सतमब तथा काटयन आहद आत ह

३ ऩतरकायीम रखन का भखम उददशम कमा होता ह ऩतरकायीम रखन का परभख उददशम ह- सचना दना सशकषत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता ह |

४ ऩतरकायीम रखन क परकाय लरखए | ऩतरकायीम रखन क कईपरकाय ह मथा- खोजऩयक ऩतरकारयताrsquo िॉचडॉग ऩतरकारयता औय एडिोकसी ऩतरकारयता आहद

५ ऩतरकायककतन परकाय क होत ह ऩतरकाय तीन परकाय क होत ह-

ऩणय कासरक अॊशकासरक (नदसरॊगय) िीराॊसय मा सितॊतर ऩतरकाय

६ सभाचाय ककस शरी भ लरख जात ह सभाचाय उरटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह मह सभाचाय रखन की सफस उऩमोगी औय रोकवपरम शरी ह इस शरी का विकास अभरयका भ गह मदध क दौयान हआ इसभ भहततिऩणय घटना का िणयन ऩहर परसतत ककमा जाता ह उसक फाद भहतति की दनदरषट स घटत करभ भ घटनाओॊ को परसतत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता ह सभाचाय भ इॊरो फॉडी औय सभाऩन क करभ भ घटनाएॉ परसतत की जाती ह

७ सभाचाय क छह ककाय कौन-कौन स ह सभाचाय सरखत सभम भखम रऩ स छह परशनो- कमा कौन कहाॉ कफ कमो औय कस का उततय दन की कोसशश की जाती ह इनदह सभाचाय क छह ककाय कहा जाता ह

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 19: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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परथभ चाय परशनो क उततय इॊरो भ तथा अनदम दो क उततय सभाऩन स ऩिय फॉडी िार बाग भ हदए जात ह

८ फ़ीचय कमा ह िीचय एक परकाय का सवमिनदसथत सजनातभक औय आतभननरषठ रखन ह

९ फ़ीचय रखन का कमा उददशम होता ह िीचय का उददशम भखम रऩ स ऩाठको को सचना दना सशकषत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता ह १० फ़ीचय औय सभचाय भ कमा अॊतय ह

सभाचाय भ रयऩोटयय को अऩन विचायो को डारन की सितॊतरता नहीॊ होती जफकक िीचय भ रखक को अऩनी याम दनदरषटकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयन का अिसय होता ह सभाचाय उलटा वऩयासभड शरी भ सरख जात ह जफकक िीचय रखन की कोई सनननदशचत शरी नहीॊ होती िीचय भ सभाचायो की तयह शबदो की सीभा नहीॊ होती आभतौय ऩय िीचय सभाचाय रयऩोटय स फड़ होत ह ऩतर-ऩबतरकाओॊ भ पराम २५० स २००० शबदो तक क िीचय छऩत ह

११ पवशष रयऩोटट स आऩ कमा सभझत ह साभानदम सभाचायो स अरग ि विशर सभाचाय जो गहयी छान-फीन विशररण औय वमाखमा क आधाय ऩय परकासशत ककए जात ह विशर रयऩोटय कहरात ह

१२ पवशष रयऩोटट क पवलबनन परकायो को सऩषट कीजजए खोजी रयऩोटट इसभ अनऩलबध तथमो को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता ह (२)इनितथ रयऩोटट साियजाननक रऩ स परापत तथमो की गहयी छान-फीन कय उसक भहततिऩणय ऩो को ऩाठको क साभन रामा जाता ह (३) पवशरषणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा का विियण सकषभता क साथ विसताय स हदमा जाता ह रयऩोटय अधधक विसतत होन ऩय कई हदनो तक ककसतो भ परकासशत की जाती ह (४)पववयणातभक रयऩोटट इसभ ककसी घटना मा सभसमा को विसताय एिॊ फायीकी क साथ परसतत ककमा जाता ह

१३ पवचायऩयक रखन ककस कहत ह नदजस रखन भ विचाय एिॊ धचॊतन की परधानता होती ह उस विचाय ऩयक रखन कहा जाता हसभाचाय-ऩतरो भ सभाचाय एिॊ िीचय क अनतरयकत सॊऩादकीम रख ऩतर हटपऩणी िरयरषठऩतरकायो ि विशरऻो क सतॊब छऩत ह म सबी विचायऩयक रखन क अॊतगयत आत ह

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 20: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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१४ सॊऩादकीम स कमा अलबपराम ह सॊऩादक दिाया ककसी परभख घटना मा सभसमा ऩय सरख गए विचायातभक रख को नदजससॊफॊधधत सभाचायऩतर की याम बी कहा जाता ह सॊऩादकीम कहत ह सॊऩादकीम ककसी एक वमनदकत का विचाय मा याम न होकय सभगर ऩतर-सभह की याम होता ह इससरए सॊऩादकीम भ सॊऩादक अथिा रखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता

१५ सतॊबरखन स कमा तातऩमट ह मह एक परकाय का विचायातभक रखन ह कछ भहततिऩणय रखक अऩन खास िचारयक रझान एिॊ रखन शरी क सरए जान जात ह ऐस रखको की रोकवपरमता को दखकय सभाचयऩतर उनदह अऩन ऩतर भ ननमसभत सतॊब-रखन की नदजमभदायी परदान कयत ह इस परकाय ककसी सभाचाय-ऩतर भ ककसी ऐस रखक दिाया ककमा गमा विसशरषट एिॊ ननमसभत रखन जो अऩनी विसशरषट शरी एिॊ िचारयक रझान क कायण सभाज भ खमानत-परापत हो सतॊब रखन कहा जाता ह

१६ सॊऩादक क नाभ ऩतर स आऩ कमा सभझत ह सभाचाय ऩतरो भ सॊऩादकीम ऩरषठ ऩय तथा ऩबतरकाओॊ की शरआत भ सॊऩादक क नाभ आए ऩतर परकासशत ककए जात ह मह परतमक सभाचायऩतर का ननमसभत सतॊब होता ह इसक भाधमभ स सभाचाय-ऩतर अऩन ऩाठको को जनसभसमाओॊ तथा भददो ऩय अऩन विचाय एिभयाम वमकत कयन का अिसय परदान कयता ह

१७ साातकायइॊटयवम स कमा अलबपराम ह ककसी ऩतरकाय क दिाया अऩन सभाचायऩतर भ परकासशत कयन क सरए ककसी वमनदकत विशर स उसक विरम भ अथिा ककसी विरम मा भदद ऩय ककमा गमा परशनोततयातभक सॊिाद साातकाय कहराता ह

अनम भहततवऩणट परशन १ साभानदम रखन तथा ऩतरकायीम रखन भ कमा अॊतय ह २ ऩतरकायीम रखन क उददशम सरणखए ३ ऩतरकाय ककतन परकाय क होत ह ४ उलटा वऩयासभड शरी का विकास कफ औय कमो हआ ५ सभाचाय क ककायो क नाभ सरणखए | ६ फाडी कमा ह ७ िीचय ककस शरी भ सरखा जाता ह ८ िीचय ि सभाचाय भ कमा अॊतय ह ९ विशर रयऩोटय स आऩ कमा सभझत ह १० विशर रयऩोटय क बद सरणखए ११ इनदडपथ रयऩोटय ककस कहत ह १२ विचायऩयक रखन कमा ह तथा उसक अनदतगयत ककस परकाय क रख आत ह

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 21: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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१३ सितॊतर ऩतरकाय ककस कहत ह १४ ऩणयकासरक ऩतरकाय स कमा असबपराम ह १५ अॊशकासरक ऩतरकाय कमा होता ह

पवशष रखन सवरऩ औय परकाय १ पवशष रखन ककस कहत ह

विशर रखनककसी खास विरम ऩय साभानदम रखन स हट कय ककमा गमा रखन ह नदजसभ याजनीनतक आधथयक अऩयाध खर किलभकवर कानन विऻान औय अनदम ककसी बी भहततिऩणय विरम स सॊफॊधधत विसतत सचनाएॉ परदान की जाती ह

२ िसककमा ह सभाचायऩतर ऩबतरकाओॊ टीिी औय यडडमो चनरो भ अरग-अरग विरमो ऩय विशर रखन क सरए ननधायरयत सथर को िसक कहत ह औय उस विशर डसक ऩय काभ कयन िार ऩतरकायो का बी अरग सभह होता ह मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय क सरए अरग तथा खर की खफयो क सरए अरग डसक ननधायरयत होता ह

३ फीटस कमा तातऩमट ह विसबनदन विरमो स जड़ सभाचायो क सरए सॊिाददाताओॊ क फीच काभ का विबाजन आभ तौय ऩय उनकी हदरचसऩी औय ऻान को धमान भ यख कय ककमा जाता ह भीडडमा की बारा भ इस फीट कहत ह

४ फीट रयऩोठटिग तथा पवशषीकत रयऩोठटिग भ कमा अनतय ह फीट रयऩोहटग क सरए सॊिाददाता भ उस तर क फाय भ जानकायी ि हदरचसऩी का होना ऩमायपत ह साथ ही उस आभ तौय ऩय अऩनी फीट स जड़ीसाभानदम खफय ही सरखनी होती ह ककनदत विशरीकत रयऩोहटग भ साभानदम सभाचायो स आग फढ़कय सॊफॊधधत विशर तर मा विरम स जड़ी घटनाओॊ सभसमाओॊ औय भददो का फायीकी स विशररण कय परसततीकयण ककमा जाता ह फीट किय कयन िार रयऩोटयय को सॊिाददाता तथा विशरीकत रयऩोहटग कयन िार रयऩोटयय को विशर सॊिाददाता कहा जाता ह

५ पवशष रखन की बाषा-शरी ऩय परकाश िालरए | विशर रखन की बारा-शरी साभानदम रखन स अरग होती ह इसभ सॊिाददाता को सॊफॊधधत विरम की तकनीकी शबदािरी का ऻान होना आिशमक होता ह साथ ही मह बी आिशमक होता ह कक िह ऩाठको को उस शबदािरी स ऩरयधचत कयाए नदजसस ऩाठक रयऩोटय को सभझ सक विशर रखन की कोई नननदशचत शरी नहीॊ होती

६ पवशष रखन क तर कौन-कौन स हो सकत ह विशर रखन क अनक तर होत ह मथा- अथय-वमाऩाय खर विऻान-परौदमोधगकी कवर विदश या ऩमायियण सशा सिासथम किलभ-भनोयॊजन अऩयाध कानन ि साभानदजक भदद आहद

अभमासाथट भहततवऩणट परशन

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 22: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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१ ककसी खास विरम ऩय ककए गए रखन को कमा कहत ह २ विशर रखन क तर सरणखए ४ऩतरकायीम बारा भ रखन क सरए ननधायरयत सथर को कमा कहत ह ५ फीट स आऩ कमा सभझत ह ६ फीट रयऩोहटग कमा ह ७ फीट रयऩोहटग तथा विशरीकत रयऩोहटग भ कमा अॊतय ह ८ विशर सॊिाददाता ककस कहत ह

फोिट ऩयीा भ ऩछ गए परशन एवॊ अनम भहततवऩणट ऩषटवम परशनो का कोश

१ वपरॊट भाधमभ ककस कहत ह २ जनसॊचाय क परचसरत भाधमभो भ सफस ऩयाना भाधमभ कमा ह ३ ककनदहीॊ दो भहदरत भाधमभो क नाभ सरणखए | ४ छाऩाखान क आविरषकाय का शरम ककसको जाता ह ५ हहॊदी का ऩहरा सभाचाय-ऩतर कफ कहाॉ स ककसक दिाया परकासशत ककमा गमा ६ हहॊदी भ परकासशत होन िार दो दननक सभाचाय-ऩतरो तथा ऩबतरकाओॊ क नाभ सरणखए | ७ यडडमो की अऩा टीिी सभाचायो की रोकवपरमता क दो कायण सरणखए | ८ ऩतरकायीम रखन तथा साहहनदतमक सजनातभक रखन का अॊतय फताइए | ९ ऩतरकारयता का भरतति कमा ह १० सतॊबरखन स कमा तातऩमय ह ११ ऩीत ऩतरकारयता ककस कहत ह १२ खोजी ऩतरकारयता का आशम सऩरषट कीनदजए | १३ सभाचाय शबद को ऩरयबावरत कीनदजए | १४ उलटा वऩयासभड शरी कमा ह १५ सभाचाय रखन भ छह ककायो का कमा भहतति ह १६ भहदरत भाधमभो की ककनदहीॊ दो विशरताओॊ का उलरख कीनदजए | १७ डड राइन कमा ह १८ यडडमो नाटक स आऩ कमा सभझत ह १९ यडडमो सभाचाय की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए २० एॊकय फाईट ककस कहत ह २१ टरीविजन सभाचायो भ एॊकय फाईट कमो जरयी ह २२ भहदरत भाधमभ को सथामी भाधमभ कमो कहा जाता ह

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 23: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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२३ ककनदहीॊ दो सभाचाय चनरो क नाभ सरणखए | २४ इॊटयनट ऩतरकारयता क रोकवपरम होन क कमा कायण ह २५ बायत क ककनदहीॊ चाय सभाचाय-ऩतरो क नाभ सरणखए जो इॊटयनट ऩय उऩरबध ह २६ ऩतरकारयता की बारा भ फीट ककस कहत ह २७ विशर रयऩोटय क दो परकायो का उलरख कीनदजए | २८ विशर रखन क ककनदहीॊ दो परकायो का नाभोलरख कीनदजए | २९ विशर रयऩोटय क रखन भ ककन फातो ऩय अधधक फर हदमा जाता ह ३० फीट रयऩोटयय ककस कहत ह ३१ रयऩोटय रखन की बारा की दो विशरताएॉ सरणखए | ३२ सॊऩादकीम क साथ सॊऩादन-रखक का नाभ कमो नहीॊ हदमा जाता ३३ सॊऩादकीम रखन कमा होता ह

अथिा सॊऩादकीम स कमा तातऩमय ह

३४ सॊऩादक क दो परभख उततयदानमतिो का उलरख कीनदजए | ३५ ऑऩ-एड ऩरषठ ककस कहत ह ३६ नदमजऩग कमा ह ३७ आडडएॊस स आऩ कमा सभझत ह ३८ इरकरोननक भीडडमा कमा ह ३९ काटयन कोना कमा ह ४० बायत भ ननमसभत अऩडट साइटो क नाभ फताइए ४१ कमपमटय क रोकवपरम होन का परभख कायण फताइए ४२ विऻाऩन ककस कहत ह ४३ पीडफक स कमा असबपराम ह ४४ जनसॊचाय स आऩ कमा सभझत ह ४५ सभाचाय औय पीचय भ कमा अॊतय ह

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(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 24: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

23

(ख)आरखरयऩोटट ndash ननधाटरयत अॊक५

आरख आरख-रखन हत भहततिऩणय फात

१ ककसी विरम ऩय सिागऩणय जानकायी जो तथमातभक विशररणातभक अथिा विचायातभक हो आरख कहराती ह |

२ आरख का आकाय सॊकषपत होता ह | ३ इसभ विचायो औय तथमो की सऩरषटता यहती ह म विचाय करभफदध रऩ भ होन चाहहए| ४ विचाय मा तथम की ऩनयािनदतत न हो | ५ आरख की शरी वििचन विशररण अथिा विचाय-परधान हो सकती ह | ६ जिरॊत भददो सभसमाओॊ अिसयो चरयतर ऩय आरख सरख जा सकत ह | ७ आरख गॊबीय अधममन ऩय आधारयत पराभाणणक यचना होती ह |

नभना आरख शय का घय जजभकाफट नशनर ऩाकट ndash जॊगरी जीिो की विसबनदन परजानतमो को सयॊण दन तथा उनकी सॊखमा को फढान क उददशम स हहभारम की तयाई स रग उततयाखॊड क ऩौड़ी औय ननीतार नदजर भ बायतीम भहादिीऩ क ऩहर यारषरीम अबमायणम की सथाऩना परससदध अॊगयजी रखक नदजभ काफट क नाभ ऩय की गई | नदजभ काफट नॎशनर ऩाकय ननीतार स एक सौ ऩनददरह ककरोभीटय औय हदलरी स २९० ककरोभीटय दय ह मह अबमायणम ऩाॉच सौ इककीस ककरोभीटय तर भ परा ह | निमफय स जन क फीच महाॉ घभन-कपयन का सिोततभ सभम ह | मह अबमायणम चाय सौ स गमायह सौ भीटय की ऊॉ चाई ऩय ह | हढकारा इस ऩाकय का परभख भदानी सथर ह औय काॊडा सफस ऊॉ चा सथान ह| जॊगर जानिय ऩहाड़ औय हयी-बयी िाहदमो क ियदान स नदजभकाफट ऩाकय दननमा क अनठ ऩाको भ ह | यामर फॊगार टाइगय औय एसशमाई हाथी ऩसॊदीदा घय ह | मह एसशमा का सफस ऩहरा सॊयकषत जॊगर ह | याभ गॊगा नदी इसकी जीिन-धाया ह | महाॉ एक सौ दस तयह क ऩड़-ऩौध ऩचास तयह क सतनधायी जीि ऩचचीस परजानतमो क सयीसऩ औय छह सौ तयह क यॊग-वियॊग ऩी ह | हहभारमन तदआ हहयन बार जॊगरी कतत बडड़म फॊदय रॊगय जॊगरी बस जस जानियो स मह जॊगर आफाद ह | हय िरय राखो ऩमयटक महाॉ आत ह | शार ि ो स नघय रॊफ-रॊफ िन-ऩथ औय हय-बय घास क भदान इसक पराकनतक सौदमय भ चाय चाॉद रगा दत ह | ननमनलरखखत पवषमो ऩय आरख लरखखए-

फढ़ती आफादी दश की फयफादी साॊपरदानमकसदभािना कजय भ डफा ककसान आतॊकिाद की सभसमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 25: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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डॉकटय हड़तार ऩय भयीज ऩयशान ितयभान ऩयीा-परणारी फजट औय फचत शनदकत सॊमभ औय साहस रयशित का योग सऩना सच हो अऩना

रयऩोटटपरनतवदन रयऩोटटपरनतवदन का साभानम अथट सचनाओॊ क तथमऩयक आदान-परदान को रयऩोटय मा रयऩोहटग कहत ह | परनतिदन इसका हहॊदी रऩाॊतयण ह | रयऩोटय ककसी सॊसथा आमोजन मा कामयकरभ की तथमातभक जानकायी ह | फड़ी-फड़ी कॊ ऩननमाॊ अऩन अॊशधायको को िावरयक अदधयिावरयक परगनत रयऩोटय बजा कयती ह| रयऩोटट क गण

तथमो की जानकायी सऩरषट सटीक पराभाणणक हो | सॊसथा विबाग क नाभ का उलरख हो | अधम आहद ऩदाधधकारयमो क नाभ | गनतविधधमाॉ चरानिारो क नाभ | कामयकरभ का उददशम | आमोजन-सथर हदनाॊक हदन तथा सभम | उऩनदसथत रोगो की जानकायी | हदए गए बारणो क परभख अॊश | सरम गए ननणयमो की जानकायी | बारा आरॊकारयक मा साहहनदतमक न हो कय सचनातभक होनी चाहहए | सचनाएॉ अनदमऩरर शरी भ दी जाती ह | भ मा हभ का परमोग नहीॊ होता | सॊकषपतता औय करसभकता रयऩोटय क गण ह | नई फात नए अनचछद स सरख | परनतिदक मा रयऩोटयय क हसताय |

ननमनलरखखत पवषमो ऩय रयऩोटट तमाय कीजजए- १ ऩजा-सथरो ऩय दशयनाधथयमो की अननमॊबतरत बीड़ २ दश की भहॉगी होती वमािसानमक सशा ३ भतदान कनददर का दशम ४ आए हदन होती सड़क दघयटनाएॉ ५ आकनदसभक फाढ़ स हई जनधन की नत

६पीचय रखन- ननधाटरयत अॊक५ सभकारीन घटना तथा ककसी बी तर विशर की विसशरषट जानकायी क सधचतर तथा भोहक

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 26: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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विियण को पीचय कहत ह |पीचय भनोयॊजक ढॊग स तथमो को परसतत कयन की करा ह | िसतत पीचय भनोयॊजन की उॊगरी थाभ कय जानकायी ऩयोसता ह| इस परकाय भानिीम रधच क विरमो क साथ सीसभत सभाचाय जफ चटऩटा रख फन जाता ह तो िह पीचय कहा जाता ह | अथायत- ldquoऻान + भनोयॊजन = पीचयrdquo | पीचय भ अतीत ितयभान औय बविरषम की परयणा होती ह | पीचय रखक ऩाठक को ितयभान दशा स जोड़ता ह अतीत भ र जाता ह औय बविरषम क सऩन बी फनता ह | पीचय रखन की शरी विसशरषट होती ह | शरी की मह सबनदनता ही पीचय को सभाचाय आरख मा रयऩोटय स अरग शरणी भ रा कय खडा कयती ह | पीचय रखन को अधधक सऩरषट रऩ स सभझन क सरए ननमन फातो का धमान यख ndash

१ सभाचाय साधायण जनबारा भ परसतत होता ह औय पीचय एक विशर िगय ि विचायधाया ऩय क हदरत यहत हए विसशरषट शरी भ सरखा जाता ह |

२ एक सभाचाय हय एक ऩतर भ एक ही सिरऩ भ यहता ह ऩयनदत एक ही विरम ऩय पीचय अरग-अरग ऩतरोभ अरग-अरग परसतनत सरम होत ह | पीचय क साथ रखक का नाभ यहता ह |

३ पीचय भ अनतरयकत साज-सजजा तथमो औय कलऩना का योचक सभशरण यहता ह | ४ घटना क ऩरयिश विविध परनतककरमाएॉ िउनक दयगाभी ऩरयणाभ बी पीचय भ यहा कयत

ह | ५ उददशम की दनदरषट स पीचय तथमो की खोज क साथ भागयदशयन औय भनोयॊजन की दननमा

बी परसतत कयता ह | ६ पीचय पोटो-परसतनत स अधधक परबािशारी फन जाता ह |

नभना पीचय पऩमककड़ तोता

सॊगत का असय आता ह कपय चाह िह आदभी हो मा तोता | बबरटन भ एक तोत को अऩन भासरक की सॊगत भ शयाफ की ऐसी रत रगी कक उसन घय िारो औय ऩड़ोससमो का जीना फहार कय हदमा | जफ तोत को सधायन क साय हथकॊ ड पर हो गए तो भजफयन भासरक को ही शयाफ छोड़नी ऩड़ी | भाकय फटोककमो न अफरीकी परजानत का तोता भसरयन ऩारा| भाकय मदा-कदा शयाफ ऩी रत | धगरास भ फची शयाफ भसरयन चट कय जाता | धीय-धीय भसरयन की तरफ फढ़न रगी| िह िकत-फिकत शयाफ भाॉगन रगा |-------------------------------

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 27: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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ननमनलरखखत पवषमो ऩय फ़ीचयलरखखए चनािी िामद भहॉगाई क फोझतर भजदय िाहनो की फढ़ती सॊखमा िरयरषठ नागरयको क परनत हभाया नजरयमा ककसान का एक हदन कराॊनत क सिपन-दररषटा अबदरकराभ ककरकट का नमा सॊसकयण टिटी-टिटी फहतय सॊसाधन फन सकती ह जनसॊखमा

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अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 28: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

27

अधममन-साभगरी

का दवादश- ठहॊदी (क ठिक)

ऩदम खॊि

इस खॊि स तीन परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash

परशन -७ ठदए गए कावमाॊश भ स अथट गरहण सॊफॊधी चाय परशन- २४ = ८ अॊक

परशन ८ - ठदए गए कावमाॊश भ स सौदमट-फोध सॊफॊधी तीन परशन -२३= ६ अॊक

परशन ९ -पवषम-वसत ऩय आधारयत तीन परशनो भ स दो परशनो क उततय -३२=६ अॊक

अधधक अॊक-पराजतत हत धमान दन मोगम फात -

कवि कविता का नाभ एक दो िाकमो भ सगहठत परसॊग मा ऩॊनदकतमो का साय अननिामय रऩ स माद होना चाहहए

ितयनी एिॊ िाकम गठन की अशवदधमाॉ ० ( जीयो) यखन क सरए उततयो का सरणखत अभमास अननिामय ह

तीन अॊक क परशन क उततय भ अननिामयत तीन विचाय-बफ ॊद शीरयक फना कय यखाॊककत कयत हए करभफदध रऩ स उततय सरखा जाना चाहहए अनदम परशनो क उततयो भ बी इसी परकाय अॊको क अनसाय विचाय-बफ ॊदओॊ की सॊखमा होनी चाहहए

सभम ऩय ऩणय परशन-ऩतर हर कयन क सरए उततयो क भखम बफॊद करभ स माद होन चाहहए

उततयो क विचाय-बफनददओॊ एिॊ िाकमो का नननदशचत करभ होना चाहहए जो ऩहर स उततय माद ककए बफना सॊबि नहीॊ होता

कावम-सोदमय सॊफॊधी परशनो भ अरॊकाय छॊद आहद विशरताएॉ कविता भ स उदाहयण अॊश सरख कय सऩरषट की जानी चाहहए

बाि-सामम क रऩ भ अथय स सभरती-जरती अनदम कविमो की ऩॊनदकतमाॉ सरखना उऩमकत ह

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 29: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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कवि एिॊ कविता की ऩरषठबसभ सशक की सहामता स अननिामय रऩ स सभझ र | उऩमकत सथान ऩय इस उततय भ सॊकनतत बी कय

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 30: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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1 कपवता ndash आतभ ऩरयचम

हरयवॊश याम फचचन

lsquoआतभऩरयचमrsquo- lsquoननशा ननभॊतरणrsquo गीत-सॊगरह का एक गीत

साय -

१ सिमॊ को जानना दननमा को जानन स अधधक कहठन बी ह औय आिशमक बी

२ वमनदकत क सरए सभाज स ननयऩ एिॊ उदासीन यहना न तो सॊबि ह न ही उधचत ह दननमा अऩन वमॊगम फाणो शासन ndashपरशासन स चाह ककतना करषट द ऩय दननमा स कट कय वमनदकत अऩनी ऩहचान नहीॊ फना सकता ऩरयिश ही वमनदकत को फनाता ह ढारता ह

३ इस कविता भ कवि न सभाज एिॊ ऩरयिश स परभ एिॊ सॊघरय का सॊफॊध ननबात हए जीिन भ साभॊजसम सथावऩत कयन की फात की ह

४ छामािादोततय गीनत कावम भ परीनत-करह का मह वियोधाबास हदखाई दता ह वमनदकत औय सभाज का सॊफॊध इसी परकाय परभ औय सॊघरय का ह नदजसभ कवि आरोचना की ऩयिाह न कयत हए सॊतरन सथावऩत कयत हए चरता ह

५ lsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo ऩॊनदकत क भाधमभ स कवि सतम की खोज क सरए अहॊकाय को तमाग कय नई सोच अऩनान ऩय जोय द यहा ह

कावम-खॊि ऩय आधारयत दो परकाय क परशन ऩछ जाएॉग ndash अथटगरहण-सॊफॊधी एवॊ सौदमट-फोध-सॊफॊधी

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

1‐ldquoभ जग-जीिन का बाय सरए कपयता हॉ

कपय बी जीिन भ पमाय सरए कपयता हॉ

कय हदमा ककसी न झॊकत नदजनको छकय

भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquo

परशन १-कवि अऩन रदम भ कमा - कमा सरए कपयता ह

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 31: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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उततय- कवि अऩन साॊसारयक अनबिो क सख - दख रदम भ सरए कपयता ह

परशन २- कवि का जग स कसा रयशता ह

उततय- कवि का जगजीवन स खटटाभीिा रयशता ह

परशन३- ऩरयिश का वमनदकत स कमा सॊफॊध ह भ साॉसो क दो ताय सरए कपयता हॉldquoक भाधमभ स कवि कमा कहना चाहता ह

उततय- सॊसाय भ यह कय सॊसाय स ननयऩता सॊबव नहीॊह कमोकक ऩरयवश भ यहकय ही वमजकत की ऩहचान फनती हउसकी अनदसभता सयकषत यहती ह

परशन४- वियोधो क फीच कवि का जीिन ककस परकाय वमतीत होता ह

उततय-दननमा क साथ सॊघरयऩणय सॊफॊध क चरत कवि का जीवन-पवयोधो क फीच साभॊजसम कयत हए वमतीत होता ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

ldquo भ सनह-सया का ऩान ककमा कयता हॉ

भ कबी न जग का धमान ककमा कयता हॉ

जग ऩछ यहा उनको जो जग की गात

भ अऩन भन का गान ककमा कयता हॉrdquo

परशन १- कविता की इन ऩॊनदकतमो स अरॊकाय छाॉट कय सरणखए|

उततय -सनह- सयाndash रऩक अरॊकाय

परशन २- कविता भ परमकत भहािय सरणखए -

उततय -lsquoजग ऩछ यहाrsquosbquo lsquoजग की गातrsquosbquo lsquoभन का गानrsquo आहद भहाियो का परमोग

परशन३- कविता भ परमकत शरी का नाभ सरख |

उततय - गीनत-शरी

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 32: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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कपवता

आतभ-ऩरयचम

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि कौन-कौन-सी नदसथनतमो भ भसत यहता ह औय कमो

उततय- कवि साॊसारयक सख-दख की दोनो ऩरयनदसथनतमो भ भगन यहता ह उसक ऩास परभ की साॊतिना दानमनी अभलम ननधध ह

परशन२-कवि बि-सागय स तयन क सरए कमा उऩाम अऩना यहा ह

उततय- सॊसाय क करषटो को सहत हए हभ मह धमान यखना चाहहए कक करषटो को सहना ऩड़गा इसक सरए भनरषम को हॉस कय करषट सहना चाहहए

परशन३-rsquoअऩन भन का गानrsquo का कमा आशम ह

उततय- सॊसाय उन रोगो को आदय दता ह जो उसकी फनाई रीक ऩय चरत ह ऩयॊत कवि किर िही कामय कयता ह जो उसक भन फवदध औय वििक को अचछा रगता ह

परशन४- rsquoनादान िहीॊ ह हाम जहाॉ ऩय दानाrsquo का कमा आशम ह

उततय- जहाॉ कहीॊ भनरषम को विदितता का अहॊकाय ह िासति भ िही नादानी का सफस फड़ा रण ह

परशन५- rsquoयोदन भ यागrsquo कस सॊबि ह

उततय- कवि की यचनाओॊ भ वमकत ऩीड़ा िासति भ उसक रदम भ भानि भातर क परनत वमापत परभ का ही सचक ह

परशन६- rdquoभ पट ऩड़ा तभ कहत छॊद फनानाrdquo का अथय सऩरषट कीनदजए

उततय- कवि की शररषठ यचनाएॉ िासति भ उसक भन की ऩीड़ा की ही असबवमनदकत ह नदजनकी सयाहना सॊसाय शररषठ साहहतम कहकय ककमा कयता ह

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कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 33: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

32

कपवता

ठदन जलरदी जलदी ढरता ह

परसतत कविता भ कवि फचचन कहत ह कक सभम फीतत जान का एहसास हभ रकषम-परानदपत क सरए परमास कयन क सरए पररयत कयता ह

भागय ऩय चरन िारा याही मह सोचकय अऩनी भॊनदजर की ओय कदभ फढ़ाता ह कक कहीॊ यासत भ ही यात न हो जाए

ऩकषमो को बी हदन फीतन क साथ मह एहसास होता ह कक उनक फचच कछ ऩान की आशा भ घोसरो स झाॊक यह होग मह सोचकय उनक ऩॊखो भ गनत आ जाती ह कक ि जलदी स अऩन फचचो स सभर सक

कविता भ आशावादी सवय हगॊतवम का सभयण ऩधथक क कदभो भ सपनतट बय दता हआशा की ककयण जीवन की जड़ता को सभातत कय दती ह िमनदकतक अनबनत का कवि होन ऩय बी फचचन जी की यचनाएॉ ककसी सकायातभक सोच तक र जान का परमास ह

अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoफचच परतमाशा भ होग नीड़ो स झाॊक यह होग

मह धमान ऩयो भ धचडड़मा क बयता ककतनी चॊचरता हrdquo

परशन १ -ऩथ औय यात स कमा तातऩमय ह

उततय -जीिन रऩी ऩथ भ भतम रऩी यात स सचत यहन क सरए कहा गमा ह

परशन२ -ऩधथक क ऩयो की गनत ककस परकाय फढ़ जाती ह

उततय -भॊनदजर क ऩास होन का अहसासsbquo वमनदकत क भन भ सपनतय बय दता ह

परशन३ -धचडड़मा की चॊचरता का कमा कायण ह

उततय -धचडड़मा क फचच उसकी परतीा कयत होग मह विचाय धचडड़मा क ऩॊखो भ गनत बय कय उस चॊचर फना दता ह

परशन४ -परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को कमा कयना चाहहए

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 34: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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उततय - परमासो भ तजी रान क सरए भनरषम को जीिन भ एक नननदशचत भधय रकषम सथावऩत कयना चाहहए

2 ऩतॊग

आरोक धनवा

ऩतॊग कविता भ कवि आरोक धनदिा फचचो की फार सरब इचछाओॊ औय उभॊगो तथा परकनत क साथ उनक यागातभक सॊफॊधो का अतमॊत सनददय धचतरण ककमा हबादो भास गजय जान क फाद शयद ऋत का आगभन होता हचायो ओय परकाश पर जाता हसिय क समय का परकाश रार चभकीरा हो जाता हशयद ऋत क आगभन स उतसाह एिॊ उभॊग का भाहौर फन जाता ह

शयद ऋत का मह चभकीरा इशाया फचचो को ऩतॊग उड़ान क सरए फराता ह औय ऩतॊग उड़ान क सरए भॊद भॊद िाम चराकय आकाश को इस मोगम फनाता ह कक दननमा की सफस हरक यॊगीन कागज औय फाॊस की सफस ऩतरी कभानी स फनी ऩतॊग आकाश की ऊॉ चाइमो भ उड़ सकlsquoफचचो क ऩाॉिो की कोभरता स आकवरयत हो कय भानो धयती उनक ऩास आती ह अनदमथा उनक ऩाॉि धयती ऩय ऩड़त ही नहीॊ| ऐसा रगता ह भानो ि हिा भ उड़त जा यह हऩतॊग उड़ात सभम फचच योभाॊधचत होत ह |एक सॊगीतभम तार ऩय उनक शयीय हिा भ रहयात हि ककसी बी खतय स बफरकर फखफय होत हफार भनोविऻान फार ककरमाndash कराऩो एिॊ फार सरब इचछाओॊ का सॊदय बफॊफो क भाधमभ स अॊकन ककमा गमा ह

सौदमट-फोध सॊफॊधी परशन

lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo

lsquoऔय बी ननडय हो कय सनहर सयज क साभन आत हrsquo

lsquoछतो को औय बी नयभ फनात हएrsquo

lsquoजफ ि ऩग बयत हए चर आत ह

डार की तयह रचीर िग स अकसयlsquo

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 35: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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परशन १- lsquoजनदभ स ही रात ह अऩन साथ कऩासrsquo-

इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता सरणखए |

उततय - इस ऩॊनदकत की बारा सॊफॊधी विशरता ननमनसरणखत ह -

नए परतीको का परमोग -कऩास-कोभरता

परशन२- इस ऩॊनदकत भ परमकत राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए|

उततय - राणणकता -lsquoहदशाओॊ को भदॊग की फजात हएrsquo-सॊगीतभम िाताियण की सनदरषट

परशन३ - सनहरा सयज परतीक का अथय सरख |

उततय - सनहर सयज क साभन ndash ननडय उतसाह स बय होना

3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

कॉ िय नायामणकी यचनाओॊ भ सॊमभsbquo ऩरयषकाय एवॊ साप सथयाऩन हमथाथट का करातभक सॊवदनाऩणट धचतरण उनकी यचनाओॊ की विशरता हउनकी यचनाएॉ जीवन को सभझन की जजऻासा ह मथाथयndash परानदपत की घोरणा नहीॊवमजकतक एवॊ साभाजजक तनाव वमॊजनाऩणय ढ़ॊग स उनकी यचनाओॊ भ सथान भ ऩाता हपरसतत कविता भ कविति शनदकत का िणयन ह कविता धचडड़मा की उड़ान की तयह कलऩना की उड़ान ह रककन धचडड़मा क उड़न की अऩनी सीभा ह जफकक कवि अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय दश औय कार की सीभाओॊ स ऩय उड़ जाता ह

पर कविता सरखन की परयणा तो फनता ह रककन कविता तो बफना भयझाए हय मग भ अऩनी खशफ बफखयती यहती ह

कविता फचचो क खर क सभान ह औय सभम औय कार की सीभाओॊ की ऩयिाह ककए बफना अऩनी कलऩना क ऩॊख ऩसायकय उड़न की करा फचच बी जानत ह

भानिी बफॊफो क भाधमभ स कावम यचनाndash परककरमा को परसतत ककमा गमा ह कविता भ धचडड़मा पर औय फचच क परतीको क भाधमभ स फचच की यचनातभक ऊजाट

की तरना कपवता-यचना स की गई ह धचडड़मा की उड़ान पर का पवकास अऩनी सीभा भ आफदध ह ऩयनदत कवि की कलऩना शनदकत एिॊ फारक क सवतन व ऊजाट असीभ ह

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 36: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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साहहतम का भहतिsbquo पराकनतक सौनदमट की अऩा भानव क बाव-सौनदमट की शरषिता का परनतऩादन ककमा गमा ह

ldquoकविता की उड़ान ह धचडड़मा क फहान

कविता की उड़ान बरा धचडड़मा कमा जान

फाहय बीतय

इस घय उस घय

कविता क ऩॊख रगा उड़न क भान

धचडड़मा कमा जानrdquo

परशन १- इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखत ह -

१ नए परतीक -धचडड़माsbquo

२ भहावयो का सटीक परमोग ndashसफ घय एक कय दनाsbquo कवि की कलऩना की उियय शनदकत नदजसका परमोग कयन भ कवि जभीन-आसभान एक कय दता ह |

परशन २ कविता की उड़ान ndashका राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -कावम की सकषभ अथय ननरऩण शनदकत कवि की कलऩना का विसताय

परशन - कविता क ऩॊख ककसका परतीक ह

उततय -कवि की कलऩना शनदकत का |

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 37: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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3 कपवता क फहान

कॉ वय नायामण

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-धचडड़मा की उड़ान एिॊ कविता की उड़ान भ कमा सभानता ह

उततय -उऩकयणो की सभानता - धचडड़मा एक घोसर का सजन नतनक एकतर कयक कयती ह| कवि बी उसी परकाय अनक बािो एिॊ विचायो का सॊगरह कयक कावम यचना कयता ह

भता की सभानता - धचडड़मा की उड़ान औय कवि की कलऩना की उड़ान दोनो दय तक जाती ह|

परशन२ - कविता की उड़ान धचडड़मा की सभझ स ऩय कमो ह

उततय - कविता की उड़ान धचडड़मा की उड़ान स कहीॊ अधधक सकषभ औय भहततिऩणय होती ह

परशन३ -ldquoपर भयझा जात ह ऩय कविता नहीॊrdquo कमो सऩरषट कीनदजए

उततय - कविता कारजमी होती ह उसका भलम शाशवत होता ह जफकक पर फहत जलदी कमहरा जात ह

परशन४ -ldquoफचच की उछर-कद सफ घय एक कय दनाrsquo एिॊ lsquoकवि का कविता सरखनाrsquo दोनो भ कमा सभानता एिॊ विरभता ह

उततय -फचचा खर-खर भ घय का साया साभान असतवमसत कय दता ह सफ कछ टटोरता ह एक सथान ऩय एकतर कय रता ह कावरम यचना-परककरमा भ कवि बी ऩया भानव जीवन खॊगार रता ह एक जगह पऩयोता ह ऩय कपय बी दोनो क परमासो भ फार-ककरमाओॊ का आनॊद कवि नहीॊ सभझ सकता

कपवता ndash फात सीधी थी ऩय

परसतत कविता भ बाि क अनरऩ बारा क भहतति ऩय फर हदमा गमा ह

कवि कहत ह कक एक फाय िह सयर सीध कथम की असबवमनदकत भ बी बारा क चककय भ ऐसा पॉ स गमा कक उस कथम ही फदरा -फदरा सा रगन रगा कवि कहता ह कक नदजस परकाय जोय

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 38: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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जफयदसती कयन स कीर की चड़ी भय जाती ह औय तफ चड़ीदाय कीर को चड़ीविहीन कीर की तयह ठोकना ऩड़ता ह उसी परकाय कथम क अनकर बारा क अबाि भ परबािहीन बारा भ बाि को असबवमनदकत ककमा जाता ह

अॊत भ बाि न एक शयायती फचच क सभान कवि स ऩछा कक तन कमा अबी तक बारा का सिाबाविक परमोग नहीॊ सीखा

इस कविता भ बारा की सॊपररण-शनदकत का भहतति दशायमा गमा ह कबतरभता एिॊ बारा की अनािशमक ऩचचीकायी स बारा की ऩकड़ कभज़ोय हो जाती ह शबद अऩनी अथयितता खो फठता ह ldquo उनकी कविता भ वमथय का उरझाि अखफायी सतहीऩन औय िचारयक धॊध क फजाम

सॊमभ ऩरयरषकाय औय साि-सथयाऩन ह ldquo ldquo आणखयकाय िही हआ नदजसका भझ डय था

ज़ोय ज़फयदसती स

फात की चड़ी भय गई

औय िह बारा भ फकाय घभन रगी

हाय कय भन उस कीर की तयह ठोक हदमा

ऊऩय स ठीकठाक

ऩय अॊदय स

न तो उसभ कसाि था

न ताकत

फात न जो एक शयायती फचच की तयह

भझस खर यही थी

भझ ऩसीना ऩोछत दखकय ऩछा ndash

कमा तभन बारा को

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 39: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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सहसरमत स फयतना कबी नहीॊ सीखा

परशन१- इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए |

उततय - इनऩॊनदकतमो की बारा सॊफॊधी विशरताएॊ ननमनसरणखतह -

१ बफॊफ भहावयो का परमोग

२ नए उऩभान

परशन २ कावमाॊश भ आए भहाियो का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय -

बफॊफ भहावयो का अथट - फात की चड़ी भय जाना ndashफात भ कसािट न होना

फात का शयायती फचच की तयह खरना ndashफात का ऩकड़

भ न आना

ऩच को कीर की तयह ठोक दना ndashफात का परबािहीन

हो जाना

परशन ३ - कावमाॊश भ आएउऩभानो को सऩरषट कीनदजए|

उततय-

नए उऩभान ndash अभतय उऩभम बारा क सरए भतय उऩभान कीर का परमोग फात क सरए शयायती फचच का उऩभान

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 40: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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कपवताndash

फात सीधी थी ऩय

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन १ - बारा क चककय भ फात कस पॊ स जाती ह

उततय -आडॊफयऩणय बारा का परमोग कयन स फात का अथय सभझना कहठन हो जाता ह

परशन२ - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि कमा कमा परमास कयत ह

उततय - बारा को अथय की ऩरयणनत तक ऩहॉचान क सरए कवि उस नाना परकाय क अरॊकयणो स

सजाता ह कई परकाय क बारा औय अरॊकाय सॊफॊधी परमोग कयता ह

परशन३- बारा भ ऩच कसना कमा ह

उततय -बारा को चाभतकारयक फनान क सरए विसबनदन परमोग कयना बारा भ ऩच कसना ह

ऩयॊत इसस बारा का ऩच जमादा कस जाता ह अथायत कथम एिॊ शबदो भ कोई तारभर नहीॊ फठता फात सभझ भ ही नहीॊ आती

परशन४- कवि ककस चभतकाय क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

उततय -कवि शबदो क चाभतकारयक परमोग क फर ऩय िाहिाही की उमभीद कयता ह

परशन५-फात एिॊ शयायती फचच का बफॊफ सऩरषट कीनदजए

उततय -नदजस परकाय एक शयायती फचचा ककसी की ऩकड़ भ नहीॊ आता उसी परकाय एक उरझा दी गई फात तभाभ कोसशशो क फािजद सभझन क मोगम नहीॊ यह जाती चाह उसक सरए ककतन परमास ककए जाएॊिह एक शयायती फचच की तयह हाथो स कपसर जाती ह

४ कभय भ फॊद अऩाठहज

यघवीय सहाम

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

हभ दयदशयन ऩय फोरग

हभ सभथय शनदकतिान

हभ एक दफयर को राएॉग

एक फॊद कभय भ

उसस ऩछ ग तो आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह

परशन १- lsquoहभ दयदशयन ऩय फोरग हभ सभथय शनदकतिानrsquo-का ननहहत अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - इन ऩॊनदकतमो भ अहॊ की धिननत असबवमनदकत ह sbquo ऩतरकारयता का फढ़ता िचयसि दशायमा गमा ह

परशन२- हभ एक दफयर को राएॉगndash ऩॊनदकत का वमॊगमाथय सऩरषट कीनदजए |

उततय - ऩतरकारयता क तर भ करणा का खोखरा परदशयन एक ऩरयऩाटी फन गई ह|

परशन३- आऩ कमा अऩाहहज ह

तो आऩ कमो अऩाहहज ह ऩॊनदकत दिाया कवि ककस विसशरषट अथय की असबवमनदकत कयन भ सपर हआ ह

उततय - ऩतरकारयता भ वमािसानमकता क चरत सॊिदनहीनता फढ़ती जा यही ह | महाॉ अऩकषत उततय परापत कयन का अधमय वमकत हआ ह

सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी अनम परशन

परशन १- इन ऩॊनदकतमो का राणणक अथय सऩरषट कीनदजए |

ldquoकपय हभ ऩयद ऩय हदखराएॉग

परी हई ऑ ॊख की एक फड़ी तसिीय

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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फहत फड़ी तसिीय

औय उसक होठो ऩय एक कसभसाहट बीrdquo

उततय- - राणणक अथय - दशम भाधमभ का परमोग करातभक कावमातभक साॊकनतक परसतनत का भातर हदखािा

ldquoकभया फस कयो

नहीॊ हआ

यहन दोrdquo

राणणक अथय - वमािसानमक उददशम ऩया न होन की खीझ

ldquoऩयद ऩय िकत की कीभत हldquondash

राणणक अथय -- सतर िाकम sbquoकरय वमािसानमक उददशम का उदघाटन

परशन२ - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉ सरणखए |

उततय - यघिीय सहाम की कावम करा की विशरताएॉननमनसरणखत ह -

कहानीऩन औय नाटकीमता फोरचार की बारा क शबदndash फनान क िासतsbquo सॊग ररान ह साॊकनतकताndash ऩयद ऩय िकत की कीभत ह बफॊफ ndashपरी हई आॉख की एक फड़ी तसिीय

कभय भ फॊद अऩाठहज

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकाय ककस उददशम स हदखामा जाता ह

उततय -दयदशयन ऩय एक अऩाहहज का साातकायsbquo वमावसानमक उददशमो को ऩया कयन क लरए हदखामा जाता ह

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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Page 43: ISSUED BY KENDRIYA VIDYALAYA - DOWNLOADED FROM WWW ... · ूऩय /खा-र /खन क / भम ऩूिायऩय फध क / ननमभ का ननिाय ककमा

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परशन२- अॊध को अॊधा कहना ककस भानससकता का ऩरयचामक ह

उततय -अॊध को अॊधा कहनाsbquo करय औय सॊवदनाशनम भानलसकता का ऩरयचामक ह

परशन३ -कविता भ मह भनोिनत ककस परकाय उदघाहटत हई ह

उततय - दयदशयन ऩय एक अऩाहहज वमनदकत को परदशटन की वसत भान कय उसक भन की ऩीड़ा को कयदा जाता हsbquo साातकायकतरता को उसक ननजी सखदख स कछ रनादना नहीॊ होता ह

परशन४ -lsquoहभ सभथय शनदकतिान एिॊ हभ एक दफयर को राएॊगrsquo भ ननहहताथय सऩरषट कीनदजए

उततय -साातकायकताय सवमॊ को ऩणट भान कयsbquo एक अऩाहहज वमनदकत को दफटर सभझन का अहॊकाय ऩार हए ह

परशन५- अऩाहहज की शबदहीन ऩीड़ा को भीडडमाकभी ककस परकाय असबवमकत कयाना चाहता ह

उततय -भीडडमाकभी अऩाहहज की रार सजी हई ऑ ॊखो कोsbquo ऩीड़ा की साॊकनतक अलबवमजकत क रऩ भ परसतत कयना चाहता ह

परशन६-कमाभीडडमाकभी सपर होता हsbquo महद नहीॊ तो कमो

उततय -भीडडमाकभी सपर नहीॊ होता कमो कक परसायण सभम सभापत हो जाता ह औय परसायण सभम क फाद महद अऩाहहज वमनदकत यो बी दता तो उसस भीडडमाकभी का वमािसानमक उददशम ऩया नहीॊ हो सकता था उससरए अफ उस अऩाहहज वमनदकत क आॊसओॊ भ कोई हदरचसऩी नहीॊ थी

परशन७- नाटकीम कविता की अॊनतभ ऩरयणनत ककस रऩ भ होती ह

उततय -फाय फाय परमास कयन ऩय बी भीडडमाकभीsbquo अऩाहहज वमनदकत को योता हआ नहीॊ हदखा ऩातािह खीझ जाता ह औय खखलसमानी भसकयाहट क साथ कामटकरभ सभातत कय दता ह |rsquoसाभाजजक उददशम स मकत कामटकरभrsquoशबदो भ वमॊगम ह कमोकक भीडडमा क छदम वमावसानमक उददशम की ऩनत ट नहीॊ हो ऩाती |

परशन८ -lsquoऩयद ऩय िकत की कीभत हrsquo भ ननहहत सॊकताथय को सऩरषट कीनदजए

उततय -परसायण सभम भ योचक साभगरी ऩयोस ऩाना ही भीडडमा कसभयमो का एकभातर उददशम होता हअनदमथा उनक साभाजजक सयोकाय भातर एक ठदखावा ह

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

साय

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

सनह की परगाढ़ता अऩनी चयभ सीभा ऩय ऩहॉच कय विमोग की कलऩना भातर स तरसत हो उठती ह

परभारॊफन अथायत वपरमजन ऩय मह बािऩणय ननबययताsbquo कवि क भन भ विसभनत की चाह उतऩनदन कयती हिह अऩन वपरम को ऩणयतमा बर जाना चाहता ह |

िसतत विसभनत की चाह बी सभनत का ही रऩ ह मह विसभनत बी सभनतमो क धॊधरक स अछती नहीॊ हवपरम की माद ककसी न ककसी रऩ भ फनी ही यहती ह|

ऩयॊत कवि दोनो ही ऩरयनदसथनतमो को उस ऩयभ सतता की ऩयछाई भानता हइस ऩरयनदसथनत को खशी ndashखशी सिीकाय कयता ह |द ख-सख सॊघरय ndashअिसाद उठा ndashऩटक सभरन-बफछोह को सभान बाि स सिीकाय कयता ह|वपरम क साभन न होन ऩय बी उसक आस-ऩास होन का अहसास फना यहता ह|

बािना की सभनत विचाय फनकय विशि की गनदतथमाॊ सरझान भ भदद कयती ह| सनह भ थोड़ी ननससॊगता बी जरयी ह |अनत ककसी चीज की अचछी नहीॊ |rsquoिहrsquo महाॉ कोई बी हो सकता ह हदिॊगत भाॉ वपरम मा अनदम |कफीय क याभ की तयह िडयसिथय की भातभना परकनत की तयह मह परभ सियवमाऩी होना चाहता ह |

ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया हrdquo

छामािाद क परितयक परसाद की रखनी स मह सिय इस परकाय धिननत हआ ह ndash ldquoदख की वऩछरी यजनी फीच विकसता सख का निर परबात एक ऩयदा मह झीना नीर नछऩाए ह नदजसभ सख गातldquo मह कविता lsquoनई कविताrsquo भ वमकत यागातभकता को आधमानदतभकता क सतय ऩय परसतत कयती ह

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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अथटगरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoनदज़ॊदगी भ जो कछ बी ह सहरय सिीकाया ह

इससरए कक जो कछ बी भया ह िह तमह पमाया ह|

गयफीरी गयीफी मह म गॊबीय अनबि सफमह िबि विचाय सफ दढ़ता महबीतय की सरयता मह असबनि सफ

भौसरक ह भौसरक ह इससरए कक ऩर-ऩर भ

जो कछ बी जागरत ह अऩरक ह- सॊिदन तमहाया हrdquo

परशन १- कवि औय कविता का नाभ सरणखए|

उततय- कवि- गजानन भाधि भनदकतफोध

कविताndash सहरय सिीकाया ह परशन२- गयफीरी गयीफीबीतय की सरयता आहद परमोगो का अथय सऩरषट कीनदजए |

उततय -गयफीरी गयीफीndash ननधयनता का सिासबभानी रऩ कवि क विचायो की भौसरकता अनबिो की गहयाई दढ़ता रदम का परभ उसक गिय कयन का कायण ह |

परशन३ - कवि अऩन वपरम को ककस फात का शरम द यहा ह

उततय- ननजी जीिन क परभ का सॊफॊर कवि को विशि वमाऩी परभ स जड़न की परयणा दता ह |अत कवि इसका शरम अऩन वपरम को दता ह |

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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सौदमट-फोध-गरहण सॊफॊधी परशन

ldquoजान कमा रयशता ह जान कमा नाता ह

नदजतना बी उॊडरता हॉ बय ndashबय कपय आता ह

हदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता ह

बीतय िह ऊऩय तभ

भसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात- बय

भझ ऩय तमो तमहाया ही णखरता िह चहया ह |rdquo

परशन१- कविता की बारा सॊफॊधी दो विशरताएॉ सरणखए |

उततय- १-सटीक परतीको

२- नम उऩभानो का परमोग

परशन२ - ldquoहदर भ कमा झयना ह

भीठ ऩानी का सोता हrdquo- -क राणणक अथय को सऩरषट कीनदजए |

उततय - ldquoहदर भ कमा झयना ह-रदम क अथाह परभ का ऩरयचामक

भीठ ऩानी का सोता हrdquo -अवियर कबी सभापत होन िारा परभ

परशन३- कविता भ परमकत बफॊफ का उदाहयण सरणखए |

दशम बफॊफndash ldquoभसकाता चाॉद जमो धयती ऩय यात बय भझ ऩय तमहाया ही णखरता िह चहयाldquo

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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5 सहषट सवीकाया ह

गजानन भाधव भजकतफोध

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१-कवि न ककस सहरय सिीकाया ह उततय-

कविता भ जीिन क सखndash दखsbquo सॊघरयndash अिसादsbquo उठाndash ऩटक को सभान रऩ स सिीकाय कयन की फात कही गई ह

वपरम स बफछड़ कय बी उसकी सभनतमो को वमाऩक सतय ऩय र जाकय विशि चतना भ सभरा दन की फात कही गई ह |

परशन२- कवि को अऩन अनबि विसशरषट एिॊ भौसरक कमो रगत ह

उततय- कवि को अऩनी सिासबभानमकत गयीफी जीिन क गमबीय अनबि विचायो का िबि वमनदकतति की दढ़ता भन की बािनाओॊ की नदी मह सफ नए रऩ भ भौसरक रगत ह कमो कक उसक जीिन भ जो कछ बी घटता ह िह जागरत ह पवशव उऩमोगी ह अत उसकी उऩरनदबध ह औय िह उसकी पपरमा की परयणा स ही सॊबव हआ ह उसक जीिन का परतमक अबाि ऊजाय फनकय जीवन भ नई ठदशा ही दता यहा ह |

परशन३- ldquoहदर का झयनाrdquo का साॊकनतक अथय सऩरषट कीनदजए

उततय-नदजस परकाय झयन भ चायो ओय की ऩहाडड़मो स ऩानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कबी खतभ न होन वार सरोत क रऩ भ परमोग ककमा जा सकता ह उसी परकाय कवि क हदर भ नदसथत परभ उभड़ता ह कबी सभापत नहीॊ होता जीवन का लसॊचन कयता ह| वमजकतगत सवाथट स दय ऩय सभाज क लरए जीवनदामी हो जाता ह |

परशन४- lsquoनदजतना बी उॉड़रता हॉ बय-बय कपय आता ह ldquo का वियोधाबास सऩरषट कीनदजए

उततय-रदम भ नदसथत परभ की विशरता मह ह कक नदजतना अधधक वमकत ककमा जाए उतना ही फढ़ता जाता ह

परशन५- िह यभणीम उजारा कमा ह नदजस कवि सहन नहीॊ कय ऩाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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उततय-कवि न वपरमतभा की आबा सपरभ क सखद बािो स सदि नघय यहन की नदसथनत को उजार क रऩ भ धचबतरत ककमा ह इन सभनतमो स नघय यहना आनॊददामी होत हए बी कवि क सरए असहनीम हो गमा ह कमोकक इस आनॊद स िॊधचत हो जान का बम बी उस सदि सताता यहता ह

6 उषा

शभशय फहादय लसॊह

साय

उरा कविता भ समोदम क सभम आकाश भॊडर भ यॊगो क जाद का सनददय िणयन ककमा गमा ह समोदम क ऩिय परातकारीन आकाश नीर शॊख की तयह फहत नीरा होता ह बोयकारीन नब की तरना कारी ससर स की गमी ह नदजस अबी-अबी कसय ऩीसकय धो हदमा गमा ह कबी कवि को िह याख स रीऩ चौक क सभान रगता ह जो अबी गीरा ऩड़ा ह नीर गगन भ समय की ऩहरी ककयण ऐसी हदखाई दती ह भानो कोई सॊदयी नीर जर भ नहा यही हो औय उसका गोया शयीय जर की रहयो क साथ णझरसभरा यहा हो

परातकारीन ऩरयवतटनशीर सौदमट का दशम बफॊफ पराकनतक ऩरयितयनो को भानवीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा गमा ह मथाथट जीवन स चन गए उऩभानो जस- याख स रीऩा चौका कारी ससरनीरा शॊख सरटरार खडड़मा चाक आहद का परमोग परसाद की कनत ndashफीती पवबावयी जाग यी स तरना की जा सकती ह

कपवताndash उषा

अथट-गरहण-सॊफॊधी परशन

ldquoपरात नब था फहत नीरा शॊख जस बोय का नब

याख स रीऩा चौका (अबी गीरा ऩड़ा ह )

फहत कारी ससर ज़या स रार कसय स कक जस धर गई हो

सरट ऩय मा रार खडड़मा चाक भर दी हो ककसी न

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

परशन१ -उरा कविता भ समोदम क ककस रऩ को धचबतरत ककमा गमा ह

उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

ldquo फहत कारी ससर जया स रार कसय स कक जस धर गई हो

नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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नीर जर भ मा ककसी की गौय णझरसभर दह जस हहर यही हो |

औय जाद टटता ह इस उरा का अफ

समोदम हो यहा ह|rdquo

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उततय -कवि न परातकारीन ऩरयितयनशीर सौदमय का दशम बफॊफ भानिीम ककरमाकराऩो क भाधमभ स वमकत ककमा ह

परशन२ -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ कमा सभानता ह

उततय -बोय क नब औय याख स रीऩ गए चौक भ मह सभानता ह कक दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर ह नभी स मकत ह

परशन३ - सरट ऩय रार ऩॊनदकत का अथय सऩरषट कीनदजए|

उततय - बोय का नब रासरभा स मकत समाही सरए हए होता ह | अत रार खडड़मा चाक स भरी गई सरट जसा परतीत होता ह |

परशन४- उरा का जाद ककस कहा गमा ह

उततय विविध रऩ यॊग फदरती सफह वमनदकत ऩय जादई परबाि डारत हए उस भॊतर भगध कय दती ह |

सौदमट-फोध-सॊफॊधी पवशषताएॉ

परशन१- कविता भ परमकत उऩभानो को सऩरषट कीनदजए

बोय का नब याख स रीऩा चौका दोनो ही गहय सरटी यॊग क हऩवितर हनभी स मकत ह

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कारी ससर बोय का नब औय रारकसय स धरी कारी ससर दोनो ही रासरभा स मकत ह

कारी ससरट जो रार खडड़मा चाक स भर दी गई हो औय बोय का नब दोनो ही रासरभा स मकत ह

परात कार क सिचछ ननभयर आकाश भ समय ऐसा परतीत होता ह भानो नीरजर भ कोई सिणणयभ दह नहा यही हो

परशन२- कविता की बारा एिॊ असबवमनदकत सॊफॊधी विशरताएॊ सरणखए

उततय -१ मथाथय जीिन स चन गए उऩभान ndashयाख स रीऩा चौका

२ दशमबफॊफ

परशन ३ कविता भ आए अरॊकायो को छॉ ॊटकय सरणखए

उततय - उऩभा अरॊकाय- बोय का नब याख स रीऩा चौका

उतपरा अरॊकाय-

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नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

पवषम-वसत ऩय आधारयत परशनोततय

परशन१- कविता क ककन उऩभानो को दख कय कहा जा सकता ह कक उरा गाॉि की सफह का गनतशीर शबद धचतर ह

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नीर जर भ मा ककसी की

गौय णझरसभर दह

जस हहर यही हो ldquo

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उततय -कविता भ नीर नब को याख स सरऩ गीर चौक क सभान फतामा गमा ह | दसय बफॊफ भ उसकी तरना कारी ससर स की गई ह| तीसय भ सरट ऩय रार खडड़मा चाक का उऩभान ह|रीऩा हआ आॉगन कारी ससर मा सरट गाॉि क ऩरयिश स ही सरए गए ह |परात कारीन सौदमय करभश विकससत होता ह | सियपरथभ याख स रीऩा चौका जो गीरी याख क कायण गहय सरटी यॊग का अहसास दता ह औय ऩौ पटन क सभम आकाश क गहय सरटी यॊग स भर खाता

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