free edition (nonprofit publications) jyotish oct-2019.pdf · free edition (nonprofit...

154
Free Edition (Nonprofit Publications)रल कामाारम ᳇ाया त भासवक -ऩिका अट फय-2019 | 1 Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi

Upload: others

Post on 22-Jan-2020

9 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • Free Edition (Nonprofit Publications).

    गुरुत्ल कामाारम द्वाया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका अक्टूफय-2019 | 1

    Our Web Site: www.gurutvajyotish.com Shp Our Product Online www.gurutvakaryalay.com

    Join Us: fb.com/gurutva.karyalay | twitter.com/#!/GURUTVAKARYALAY | plus.google.com/u/0/+ChintanJoshi

  • FREE E CIRCULAR

    गरुुत्ल ज्मोततऴ भासवक ई-ऩत्रिका भें रेखन शेतु

    फ्रीराॊव (स्लतॊि) रेखकों का

    स्लागत शैं...

    गरुुत्ल ज्मोततऴ भासवक ई-ऩत्रिका भें आऩके द्वारा सरखे गमे भॊि, मॊि, तॊि, ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ, लास्तु, पें गळुई, टैयों, येकी एलॊ अन्म आध्मात्त्भक सान लधाक रेख को प्रकासळत कयने शेत ु बेज वकते शैं।

    अधधक जानकायी शेतु वॊऩका कयें।

    GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

    Call Us: 91 + 9338213418,

    91 + 9238328785

    Email Us:- [email protected], [email protected]

    गुरुत्ल ज्मोततऴ भासवक ई-ऩत्रिका अक्टूफय 2019

    वॊऩादक ध ॊतन जोळी वॊऩका गुरुत्ल ज्मोततऴ वलबाग गुरुत्ल कामाारम 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA

    पोन 91+9338213418, 91+9238328785,

    ईभेर [email protected], [email protected],

    लेफ www.gurutvakaryalay.com

    www.gurutvakaryalay.in

    http://gk.yolasite.com/

    www.shrigems.com

    www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

    ऩत्रिका प्रस्तुतत ध ॊतन जोळी, गुरुत्ल कामाारम पोटो ग्राफपक्व ध ॊतन जोळी, गुरुत्ल कामाारम

    mailto:[email protected]:[email protected]:[email protected]:[email protected]://www.gurutvakaryalay.com/http://www.gurutvakaryalay.in/http://gk.yolasite.com/http://shrigems.com/http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

  • अनुक्रभ प्रथभ ळैरऩुिी 7 नलयाि व्रतकथा 69 द्वलतीमॊ ब्रह्भ ारयणी 8 वप् तश्र्लरोकी दगुाा 72 ततृीमॊ न्रघण्टा 9 दगुाा आयती 72 तथुा कूष्भाण्डा 10 ॥दगुाा ारीवा॥ 73 ऩॊ भ स्कॊ दभाता 11 श्रीकृष्ण कृत देली स्ततुत 74 ऴष्ठभ ्कात्मामनी 12 ऋग्लेदोक्त देली वूक्तभ ् 74 वप्तभ कारयात्रि 13 सवद्धकुॊ त्जकास्तोिभ ् 75 अष्टभ भशागौयी 14 दगुााष्टकभ ् 75 नलभ ्सववद्धदािी 15 बलान्मष्टकभ ् 76 नलयाि भें दगुाा उऩावना का आध्मात्त्भक भशत्ल 16 षभा-प्राथाना 76 ळायदीम नलयाि व्रत वुख-वभवृद्ध दामक शैं 17 दगुााष्टोत्तय ळतनाभ स्तोिभ ् 77 क्मा फकवी के ळयीय भें देली-देलता आ वकते शैं ? 21 दलुाा ऩजून भें यखे वालधातनमाॊ 77 ऩूजा भें करळ स्थाऩन का भशत्ल 23 वलश्लॊबयी स्तुतत 78 ळुब कामों भें श्रीपर ढ़ाने का भशत्ल? 24 भहशऴावुयभहदातनस्तोिभ ् 79 नलयाि व्रत की वयर वलधध? 25 ळाऩ वलभो न भॊि 81 वयर वलधध-वलधान वे ळायदीम नलयाि व्रत उऩावना 26 श्रीदगुााअष्टोत्तय ळतनाभ ऩजून 82 आत्श्लन नलयात्रि घट स्थाऩना भुशूता, वलधध-वलधान… 27 ऩयळुयाभ कृत श्रीदगुाास्तोि 85 नलयाि वलळेऴ घट स्थाऩना वलधध 29 श्री दगुाा कल भ ्(रुरमाभरोक्त) 89 भाॊ के यणों तनलाव कयते वभस्त शैं तीथा 33 श्री भाका ण्डमे कृत रघ ुदगुाा वप्तळती स्तोिभ ् 91 देली उऩावना भें उऩमुक्त एलॊ तनवऴद्ध ऩि ऩुष्ऩ 34 नल दगुाा स्ततुत 92 ? 35 नलदगुाा यषाभॊि 92 नलयािी भाॉ को प्रवन्न कयने का वुनशया अलवय 37 देव्ऩयाधषभाऩनस्तोिभ ् 93 नलयाि भें दव भशावलद्मा की उऩावना वलळऴे राबप्रद शैं 38 गुप्त वप्तळती 95 ज 41 भाॉ दगुाा के भत्कायी भन्ि 98 नलयािी भें ग्रश ळाॊतत के वयर उऩाम 43 जफ देली दगुाा ने भहशवाशवुय का लध फकमा 101 वलसबन्न काभनाऩतूत ा शेतु नलाणा भॊि वाधना 45 आद्मळत्क्त का नाभ दगुाा केवे ऩड़ा? 102 ऩतत-ऩत्नी भें करश तनलायण शेत ु 47 ऩाऩाॊकुळा एकादळी व्रत 09-अक्टूफय-2019 103 दगुााष्टाषय भन्ि वाधना 47 ळयद ऩूर्णाभा 13-अक्टूफय-2019 105 कुभायी ऩूजन वे वकर भनोयथ सवद्ध शोते शैं। 48 ळयद ऩूर्णाभा का भशत्ल 106 50 कोजागयी ऩरू्णाभा 13-अक्टूफय-2019 107 नलयाि भें राबदामक कन्मा ऩूजन 51 कयला ौथ व्रत 17-अक्टूफय-2019 108 भाता के 52 ळत्क्त ऩीठ 53 रोऩदी ने बी फकमा था कयला ौथ का व्रत ! 109 नलदगुाा मॊि वला भॊगरकायी ल वौबाग्म दामक शैं… 59 च ? 110 आद्मळत्क्त के तीन भत्कायी मॊि 61 कातत ाक स्नान का आध्मात्त्भक भशत्ल 111 देली कल दबुााग्म को वौबाग्म भें फदर वकते शै… 63 अशोई अष्टभी 21-अक्टूफय-2019 112 भाॉ दगुाा की कृऩा प्रात्प्त शेत ुवयर वाधनाएॊ 66 यभा एकादळी (यम्बा एकादळी) व्रत कथा 24 अक्टूफय.. 113

    स्थामी औय अन्म रेख वॊऩादकीम 4 दैतनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका 140 अक्टूफय 2019 भासवक ऩॊ ाॊग 130 हदन के ौघडडमे 141 अक्टूफय 2019 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 132 हदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक 142 अक्टूफय 2019 -वलळेऴ मोग 140

  • वप्रम आत्त्भम,

    फॊध/ु फहशन

    जम गुरुदेल जमन्ती भङ्गराकारी बरकारी कऩासरनी।

    दगुाा षभा सळला धािी स्लाशा स्लधानभोऽस्तुते॥

    नलयाि अथाात भाॉ दगुाा की उऩावना भें वभवऩात नौ यात। दगुाा का अथा हैं, दगुातत नासळनी शैं, जगत ्की उत्ऩत्त्त, ऩारन एलॊ वॊ ारन तीनों व्मलस्थाएॊ त्जव ळत्क्त के आधीन वम्ऩाहदत शोती शै लश जगत जननी भाॉ आहदळत्क्त बगलती शैं।

    भाॉ दगुाा के रुऩ अनॊत शैं, रेफकन देली को प्रधान नौ रूऩों भें नलदगुाा के नाभ वे जाना जाता शैं। आहद ळत्क्त भाॉ दगुाा वभग्र रोक भें अऩनी कृऩा औय करूणा लऴााती शै, भाॉ दगुाा अऩने बक्तों भें वद्द गुणों का वलकाव कयके उनभें अऩनी ळत्क्त का वॊ ाय कयते शुले वॊवाय के वभग्र प्रार्णमों का वॊ ारन कयती शै।

    नलयाि को ळत्क्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा शैं। भाका ण्डमेऩुयाण के अनुळाय देली भाशात्म्म भें स्लमॊ भाॊ जगदम्फा का ल न शैं-।

    ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा लावऴाकी।

    तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊशु्रत्लाबत्क्तवभत्न्लत:॥

    वलााफाधावलतनभुाक्तोधनधान्मवुतात्न्लत:।

    भनुष्मोभत्प्रवादेनबवलष्मततन वॊळम:॥

    अथाात् ळयद ऋत ुके नलयािभें जफ भेयी लावऴाक भशाऩूजा शोती शैं, उव कार भें जो भनुष्म भेये भाशात्म्म (दगुाावप्तळती) को बत्क्तऩूलाकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद वे वफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि वे वम्ऩन्न शो जामेगा।

    नलयाि भें दगुाावप्तळती को ऩढने मा वुनन े वे देली अत्मन्त प्रवन्न शोती शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं। वप्तळती का ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृत भें कयन ेऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शैं।

    इव लऴा नलयाि आत्श्लन ळुक्र प्रततऩदा, 13 अक्टूफय ळायदीम नलयाि आयॊब शो यशे शैं। जो अत्श्लन ळुक्र नलभी को वभाप्त शोत ेशैं, इन नौ हदनों देवल दगुाा की वलळऴे आयाधना कयन ेका वलधान शभाये ळास्िो भें फतामा गमा शैं। ऩयॊतु इव लऴा 2015 प्रथभा ततधथ की लवृद्ध शोने के कायण नलयाि नौ हदन की जगश दव हदनो के शोंगे। नलयाि भें भाॊ दगुाा देली का आह्लान, स्थाऩना ल ऩूजन का वभम प्रात:कार शोता शैं। घट स्थाऩना का वभम वे वॊफॊधधत जानकायी इव अॊक भें उऩरब्ध शैं। य रग्न के ौघड डए अथला असबत्जत कार भें बी घट स्थाऩना की जा वकती शै। ळायदीम नलयाि देली उऩावना के सरए अधधक अतत उत्तभ भाना गमा शै।

    नलयाि के नौ हदनों भें तीन देवलमों िभळ् ऩालाती, रक्ष्भी औय वयस्लती औय देली के नौ रुऩों का कभळ् ळैरऩुिी, ब्रह्भा ारयणी, ॊरघण्टा, कूष्भाण्डा, स्कॊ दभाता, कात्मामनी, कारयात्रि, भशागौयी औय सववद्धदािी का ऩूजन

  • फकमा जाता शैं।, नलयाि ेके प्रथभ तीन हदन ऩालाती के तीन स्लरुऩों का ऩूजन फकमा जाता शैं, अगरे तीन हदन भाॉ रक्ष्भी के स्लरुऩों का ऩूजन फकमा जाता शैं औय आर्खयी के तीन हदन वयस्लती भाता के स्लरुऩों की ऩूजा की जाती शैं। उवी प्रकाय नौ देलीमों को िभळ् प्रथभ हदन ळैरऩुिी, द्वलतीम हदन ब्रह्भा ारयणी, ततृीम हदन न्रघण्टा, तुथा हदन कुष्भाण्डा, ऩॊ भ ् हदन स्कन्द भाता, ऴष्ठभ ् हदन कात्मातमनी, वाप्तभ ् हदन कारयात्रि, अष्टभ ् हदन भशागौयी औय नौलें हदन सववद्धदािी के रुऩ का ऩूजन फकमा जाता शैं। नलयाि ेके नौ हदनों तक बक्त के भन भें मश कौतुशर शोता शैं, फक लश भाता को बोग भें क्मा ढ़ामे, त्जववे भाॉ ळीघ्र प्रवन्न शों जामे. हशन्द ूधभा भें कोई बी त्मौशाय, व्रत-उऩलाव देली-देलताओॊ को बोग, प्रवाद अत्ऩाण फकमे त्रफना वॊऩन्न नशीॊ शोता शै। नलयाि ेके नौ हदन भें नौ देवलमों को अरग-अरग बोग रगाने का वलधान धभाळास्िों भें लर्णात शैं। ऩाठकों के भागादळान शेतु इवकी वलस्ततृ जानकायी अॊक भें उऩरब्ध शैं।

    भाॊ दगुाा का ऩूजन हशन्द ूवॊस्कृती भें वलााधधक रोकवप्रम शैं मशीॊ कायण शैं की वैकड़ों लऴो वे देली दगुाा का ऩूजन छोटे-फड़ ेवबी प्रादेसळक षेिों भें वलााधधक प्र सरत यशा शैं। देली दगुाा को आद्य ळत्क्त बगलती का वाषात स्लरुऩ भाना जाता शैं। देली दगुाा की भहशभा अऩयॊऩाय शैं, जो अऩने बक्तों के दु् खों का नाळ कयने लारी, दषु्टों वे यषा कयने लारी एलॊ अऩन ेबक्तों के वकर भनोयथ को सवद्ध कयने लारी वाषात देली शैं।

    नलयाि भें दव भशावलद्या की उऩावना वलळऴे राबप्रद शैं क्मोफक, दव भशावलद्या को देली दगुाा के शी दव रूऩ भाने जाते शैं। दवों भशावलद्या भें शय भशावलद्या अऩनी अद्वलतीम ळत्क्त वे भनषु्म के वभस्त वॊकटों को दयू कयने लारी

    शैं। इन दव भशावलद्याओॊ के भशत्ल को वलसबन्न धभाळास्िों भें अत्मॊत उऩमोगी औय भशत्लऩूणा भाना गमा शैं। दळ भशावलद्या को ळास्िों भें आद्या बगलती के दव बेद कशे गमे शैं, जो िभळ् (1) कारी, (2) ताया, (3) ऴोडळी, (4) बुलनेश्लयी, (5) बैयली, (6) तछन्नभस्ता, (7) धभूालती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एलॊ (10) कभात्त्भका।

    इव भासवक ई-ऩत्रिका भें वॊफॊधधत जानकायीमों के वलऴम भें वाधक एलॊ वलद्वान ऩाठको वे अनुयोध शैं, महद

    दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामों मा अन्म जानकायी के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें, डडजाईन भें, टाईऩीॊग भें, वप्रॊहटॊग भें, प्रकाळन भें कोई िहुट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोततऴी, गुरु मा वलद्वान व ेवराश वलभळा कय रे । क्मोफक वलद्वान ज्मोततऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के तनजी अनुबल वलसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालों का लणान कयने भें बेद शोने ऩय काभना सववद्ध शेतु फक जाने लारी लारी ऩूजन वलधध एलॊ उवके प्रबालों भें सबन्नता वॊबल शैं।

    आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॉ आद्य ळत्क्त दगुाा की कृऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे। भाॉ दगुाा वे मशी प्राथना शैं…

    ध ॊतन जोळी

  • 6 अक्टूफय - 2019

    ***** भासवक ई-ऩत्रिका वे वॊफॊधधत व ूना ***** ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत वबी रेख गुरुत्ल कामाारम के अधधकायों के वाथ शी आयक्षषत शैं। ई-ऩत्रिका भें लर्णात रेखों को नात्स्तक/अवलश्लाव ुव्मत्क्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकत ेशैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख आध्मात्भ वे वॊफॊधधत शोन े के कायण बायततम धभा ळास्िों वे पे्ररयत

    शोकय प्रस्तुत फकमा गमा शैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊधधत फकवी बी वलऴमो फक वत्मता अथला प्राभार्णकता ऩय फकवी

    बी प्रकाय की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं। ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत जानकायीकी प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की

    नशीॊ शैं औय ना शीॊ प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी देन े शेतु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शैं।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना वलश्लाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी व्मत्क्त वलळऴे को फकवी बी प्रकाय वे इन वलऴमो भें वलश्लाव कयन ेना कयन ेका अॊततभ तनणाम स्लमॊ का शोगा।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊधधत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी। ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख शभाये लऴो के अनबुल एलॊ अनवुॊधान के आधाय ऩय हदए गमे शैं। शभ

    फकवी बी व्मत्क्त वलळऴे द्वाया प्रमोग फकमे जाने लारे धासभाक, एलॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नहशॊ रेत ेशैं। मश त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयन ेलारे व्मत्क्त फक स्लमॊ फक शोगी।

    क्मोफक इन वलऴमो भें नैततक भानदॊडों, वाभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त महद नीजी स्लाथा ऩूतत ा शेतु प्रमोग कताा शैं अथला प्रमोग के कयन े भे िुहट शोने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं।

    ई-ऩत्रिका भें प्रकासळत रेख वे वॊफॊधधत जानकायी को भाननन ेवे प्राप्त शोन ेलारे राब, राब की शानी मा शानी की त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं।

    शभाये द्वाया प्रकासळत फकमे गमे वबी रेख, जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभन ेवैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कल , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वाया तनत्श् त वपरता प्राप्त शुई शैं।

    ई-ऩत्रिका भें गुरुत्ल कामाारम द्वाया प्रकासळत वबी उत्ऩादों को केलर ऩाठको की जानकायी शेतु हदमा गमा शैं, कामाारम फकवी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का िम कयन े शेतु फकवी बी प्रकाय वे फाध्म नशीॊ कयता शैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कशीॊ वे बी िम कयन ेशेतु ऩूणात् स्लतॊि शैं। अधधक जानकायी शेतु आऩ कामाारम भें वॊऩका कय वकत ेशैं।

    (वबी वललादो केसरमे केलर बुलनेश्लय न्मामारम शी भान्म शोगा।)

  • 7 अक्टूफय - 2019

    प्रथभ ळैरऩुिी वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के प्रथभ हदन भाॊ के ळैरऩुिी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। ऩलातयाज (ळैरयाज) हशभारम के मशाॊ ऩालाती रुऩ भें जन्भ रेने वे बगलती को ळैरऩुिी कशा जाता शैं।

    बगलती नॊदी नाभ के लऴृब ऩय वलाय शैं। भाता ळैरऩुिी के दाहशने शाथ भें त्रिळूर औय फाएॊ शाथ भें कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत शैं।

    भाॊ ळैरऩुिी को ळास्रों भें तीनो रोक के वभस्त लन्म जील-जॊतुओॊ का यषक भाना गमा शैं। इवी कायण वे लन्म जीलन जीन ेलारी वभ्मताओॊ भें वफवे ऩशरे ळैरऩुिी के भॊहदय की स्थाऩना की जाती शैं त्जव वें उनका तनलाव स्थान एलॊ उनके आव-ऩाव के स्थान वुयक्षषत यशे।

    भूर भॊत्र:- लन्दे लाॊतछतराबाम न्दाधाकृतळखेयाभ।् लऴृारूढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळत्स्लनीभ।्। ध्मान भॊत्र:- लन्दे लाॊतछतराबामा न्राघाकृतळखेयाभ।् लऴृारूढाॊळूरधयाॊळैरऩुिीमळत्स्लनीभ।् ऩूणेन्दतुनबाॊगौयी भूराधाय त्स्थताॊप्रथभ दगुाा त्रिनेिा। ऩटाम्फयऩरयधानाॊयत्नफकयीठाॊनानारॊकायबूवऴता। प्रपुल्र लॊदना ऩल्रलाधॊयाकातॊकऩोराॊतुगकु ाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीषीणभध्माॊतनतम्फनीभ।्

    स्तोत्र:- प्रथभ दगुाा त्लॊहशबलवागय तायणीभ।् धन ऐश्लमा दामनीॊळैरऩुिीप्रणभाम्शभ।् या येश्लयीत्लॊहशभशाभोश वलनासळन। बुत्क्त भुत्क्त दामनी,ळैरऩुिीप्रणभाम्मशभ।् कवच:- ओभकाय: भेसळय: ऩातुभरूाधाय तनलासवनी। शीॊकायऩातुरराटेफीजरूऩाभशेश्लयी। श्रीॊकायऩातुलदनेरज्जारूऩाभशेश्लयी। शुॊकाय ऩातुरृदमेतारयणी ळत्क्त स्लघतृ। पट्काय:ऩातुवलाागेवला सववद्ध परप्रदा।

    भाॊ ळैरऩुिी का भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त को वदा धन-धान्म व ेवॊऩन्न यशता शैं। अथाात उवे त्जलन भें धन एलॊ अन्म वुख वाधनो को कभी भशवुव नशीॊ शोतीॊ।

    नलयाि के प्रथभ हदन की उऩावना वे मोग वाधना को प्रायॊब कयने लारे मोगी अऩने भन वे 'भूराधाय' ि को जाग्रत कय अऩनी उजाा ळत्क्त को कें हरत कयते शैं, त्जवव ेउन्शें अनेक प्रकाय फक सववद्धमाॊ एलॊ उऩरत्ब्धमाॊ प्राप्त शोती शैं।

    ***

  • 8 अक्टूफय - 2019

    द्वद्वतीमॊ ब्रह्भ ारयणी वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के दवूये हदन भाॊ के ब्रह्भ ारयणी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। क्मोफक ब्रह्भ का अथा शैं तऩ। भाॊ ब्रह्भ ारयणी तऩ का आ यण कयने लारी बगलती शैं इवी कायण उन्शें ब्रह्भ ारयणी कशा गमा।

    ळास्िो भें भाॊ ब्रह्भ ारयणी को वभस्त वलद्याओॊ की साता भाना गमा शैं। ळास्िो भें ब्रह्भ ारयणी देली के स्लरूऩ का लणान ऩूणा ज्मोततभाम एलॊ अत्मॊत हदव्म दळाामा गमा शैं।

    भाॊ ब्रह्भ ारयणी श्लेत लस्ि ऩशने उनके दाहशने शाथ भें अष्टदर फक जऩ भारा एलॊ फामें शाथ भें कभॊडर वुळोसबत यशता शैं। ळत्क्त स्लरुऩा देली ने बगलान सळल को प्राप्त कयने के सरए 1000 वार तक सवपा पर खाकय तऩस्मा यत यशीॊ औय 3000 वार तक सळल फक तऩस्मा सवपा ऩेड़ों व ेधगयी ऩत्त्तमाॊ खाकय फक, उनकी इवी कहठन तऩस्मा के कायण उन्शें ब्रह्भ ारयणी नाभ वे जाना गमा। भॊत्र: दधानाऩयऩद्माभ्माभषभाराककभण्डरभ।् देली प्रवीदतु भतम ब्रह्भ ारयण्मनुत्तभा।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत राबाम न्राघाकृतळखेयाभ।् जऩभाराकभण्डरुधयाॊब्रह्भ ारयणी ळुबाभ।् गौयलणाास्लाधधष्ठानत्स्थताॊद्वलतीम दगुाा त्रिनेिाभ।् धलर ऩरयधानाॊब्रह्भरूऩाॊऩुष्ऩारॊकायबूवऴताभ।् ऩदभलॊदनाॊऩल्रलाधयाॊकातॊकऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीॊतनम्न नासबॊतनतम्फनीभ।्।

    स्तोत्र:- तऩश् ारयणीत्लॊहशताऩिमतनलायणीभ।् ब्रह्भरूऩधयाब्रह्भ ारयणीॊप्रणभाम्मशभ।्। नल ग्रबेदनी त्लॊहशनलऐश्लमाप्रदामनीभ।् धनदावुखदा ब्रह्भ ारयणी प्रणभाम्मशभ॥् ळॊकयवप्रमात्लॊहशबुत्क्त-भुत्क्त दातमनी ळाॊततदाभानदाब्रह्भ ारयणी प्रणभाम्मशभ।्

    कवच:- त्रिऩुया भेशदमेऩातुरराटेऩातुळॊकयबासभनी। अऩाणावदाऩातुनेिोअधयो कऩोरो॥ ऩॊ दळीकण्ठेऩातुभध्मदेळऩेातुभाशेश्लयी ऴोडळीवदाऩातुनाबोगशृो ऩादमो। अॊग प्रत्मॊग वतत ऩातुब्रह्भ ारयणी॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त को अनॊत पर फक प्रात्प्त शोती शैं। व्मत्क्त भें तऩ, त्माग, वदा ाय, वॊमभ जैवे वद् गुणों फक लवृद्ध शोती शैं।

    ***

  • 9 अक्टूफय - 2019

    ततृीमॊ न्रघण्टा वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के तीवये हदन भाॊ के न्रघण्टा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। न्रघण्टा का स्लरूऩ ळाॊततदामक औय ऩयभ कल्माणकायी शैं। न्रघण्टा के भस्तक ऩय घण्टे के आकाय का अधा न्र ळोसबत यशता शैं । इव सरमे भाॊ को न्रघण्टा देली कशा जाता शैं। न्रघण्टा के देश का यॊग स्लणा के वभान भकीरा शैं औय देवल उऩत्स्थतत भें ायों तयप अद्भतु तेज हदखाई देता शैं।

    भाॊ तीन नेि एलॊ दव बुजाए शैं, त्जवभें कभर, धनुऴ-फाण, खड्ग, कभॊडर, तरलाय, त्रिळूर औय गदा आहद अस्ि-ळस्ि, फाण आहद वुळोसबत यशते शैं। भाॊ के कॊ ठ भें वपेद ऩुष्ऩों फक भारा औय ळीऴा ऩय यत्नजड डत भुकुट ळोबामभान शैं। न्रघण्टा का लाशन सवॊश शैं, इनकी भुरा मुद्ध के सरए तैमाय यशने की शोती शैं। इनके घण्टे वी बमानक प्र ॊड ध्लतन वे अत्मा ायी दैत्म, दानल, याषव ल दैल बमसबत यशते शैं।

    भॊत्र: वऩण्डज प्रलयारूढ़ा ण्डकोऩास्िकैमुाता। प्रवादॊ तनुते भशमॊ न्दघण्टेतत वलश्रतुा।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत राबाम न्राघाकृतळखेयाभ।् सव ॊशारूढादळबजुाॊ न्रघण्टामळस्लनीभ॥् कॊ नाबाॊभर्णऩयु त्स्थताॊततृीम दगुाा त्रिनेिाभ।् खॊग गदा त्रिळरू ाऩशयॊऩदभकभण्डर ुभारा लयाबीतकयाभ।् ऩटाम्फयऩरयधाॊनाभदृशुास्माॊनानारॊकायबवूऴताभ।् भॊजीय, शाय, केमयू फकॊ फकर्णयत् नकुण्डरभत्ण्डताभ॥् प्रपुल्र लॊदना त्रफफाधायाकातॊकऩोराॊतुॊग कु ाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊषीणकॊ हटतनतम्फनीभ॥्

    स्त्रोत:- आऩददु्वारयणी स्लॊहशआघाळत्क्त: ळबुा ऩयाभ।् भर्णभाहदसवहदधदािी न्रघण्टेप्रणबाम्मशभ॥् न्रभखुीइष्टदािी इष्ट भॊि स्लरूऩणीभ।् धनदािीआनॊददािी न्रघण्टेप्रणभाम्मशभ॥् नानारूऩधारयणीइच्छाभमीऐश्लमादामनीभ।् वौबाग्मायोग्मदामनी न्रघण्टेप्रणभाम्मशभ॥्

    कवच:- यशस्मॊ श्रुणुलक्ष्मासभळलेैळीकभरानने। श्री न्रघण्टास्मकल ॊवलासववद्ध दामकभ॥् त्रफना न्मावॊत्रफना वलतनमोगॊत्रफना ळाऩोद्धायत्रफना शोभॊ। स्नानॊळौ ाहदकॊ नात्स्तश्रद्धाभािणेसववद्धदभ॥् कुसळष्माभकुहटरामलॊ कामतनन्दाकाम । न दातव्मॊन दातव्मॊऩदातव्मॊकदाध तभ॥्

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने वे व्मत्क्त का भर्णऩुय ि जाग्रत शो जाता शैं। उऩावना वे व्मत्क्त को वबी ऩाऩों वे भुत्क्त सभरती शैं उवे वभस्त वाॊवारयक आधध-व्माधध वे भुत्क्त सभरती शैं। इवके उऩयाॊत व्मत्क्त को ध यामु, आयोग्म, वुखी औय वॊऩन्न शोनता प्राप्त शोती शैं। व्मत्क्त के वाशव एल वलयता भें लवृद्ध शोती शैं। व्मत्क्त स्लय भें सभठाव आती शैं उवके आकऴाण भें बी लवृद्ध शोती शैं। न्रघण्टा को सान की देली बी भाना गमा शै।

  • 10 अक्टूफय - 2019

    तुथा कूष्भाण्डा वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के तथुा हदन भाॊ के कूष्भाण्डा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। अऩनी भॊद शॊवी द्वाया ब्रह्भाण्ड को उत्ऩन्न फकमा था इवीके कायण इनका नाभ कूष्भाण्डा देली यखा गमा।

    ळास्िोक्त उल्रेख शैं, फक जफ वतृ्ष्ट का अत्स्तत्ल नशीॊ था, तो ायों तयप सवपा अॊधकाय हश था। उव वभम कूष्भाण्डा देली ने अऩने भॊद वी शास्म वे ब्रह्भाॊड फक उत्ऩत्त्त फक। कूष्भाण्डा देली वूयज के घेये भें तनलाव कयती शैं। इवसरमे कूष्भाण्डा देली के अॊदय इतनी ळत्क्त शैं, जो वूयज फक गयभी को वशन कय वकें । कूष्भाण्डा देली को जीलन फक ळत्क्त प्रदान कयता भाना गमा शैं।

    कूष्भाण्डा देली का स्लरुऩ अऩने लाशन सवॊश ऩय वलाय शैं, भाॊ अष्ट बुजा लारी शैं। उनके भस्तक ऩय यत्न जड डत भुकुट वुळोसबत शैं, त्जस्वे उनका स्लरूऩ अत्मॊम उज्जलर प्रततत शोता शैं। उनके शाथभें शाथों भें िभळ: कभण्डर, भारा, धनुऴ-फाण, कभर, ऩुष्ऩ, करळ, ि तथा गदा वुळोसबत यशती शैं।

    भॊत्र: वुयावम्ऩूणाकरळॊ रूधधयाप्रुतभेल । दधाना शस्तऩद्माभ्माॊ कुष्भाॊडा ळुबदास्तुभे।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत काभथे न्राघाकृतळखेयाभ।् सवॊशरूढाअष्टबुजा कुष्भाण्डामळस्लनीभ॥् बास्लय बानु तनबाॊअनाशत त्स्थताॊ तुथा दगुाा त्रिनेिाभ।् कभण्डरु ाऩ, फाण, ऩदभवुधाकरळ ि गदा जऩलटीधयाभ॥् ऩटाम्फयऩरयधानाॊकभनीमाकृदशुगस्मानानारॊकायबूवऴताभ।् भॊजीय शाय केमूय फकॊ फकणयत् नकुण्डरभत्ण्डताभ।् प्रपुल्र लदनाॊनारू ध कुकाॊकाॊत कऩोराॊतुॊग कू ाभ।् कोराॊगीस्भेयभुखीॊषीणकहटतनम्ननासबतनतम्फनीभ॥्

    स्त्रोत:- दगुाततनासळनी त्लॊहशदारयराहदवलनासळनीभ।् जमॊदाधनदाॊकूष्भाण्डपे्रणभाम्मशभ॥् जगन्भाता जगतकिीजगदाधायरूऩणीभ।् या येश्लयीकूष्भाण्डपे्रणभाम्मशभ॥् िरैोक्मवुॊदयीत्लॊहशद:ुख ळोक तनलारयणाभ।् ऩयभानॊदभमीकूष्भाण्डपे्रणभाम्मशभ॥्

    कवच:- शवयै भेसळय: ऩातुकूष्भाण्डबेलनासळनीभ।् शवरकयीॊनेिथ,शवयौश् रराटकभ॥् कौभायी ऩातुवलागािलेायाशीउत्तयेतथा। ऩूल ेऩातुलैष्णली इन्राणी दक्षषणेभभ। हदत्ग्दधवलािलैकूॊ फीजॊवलादालतु॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का अनाशत ि जाग्रत शो शैं। भाॊ कूष्भाण्डाका के ऩूजन वे वबी प्रकाय के योग, ळोक औय क्रेळ वे भुत्क्त सभरती शैं, उवे आमुष्म, मळ, फर औय फुवद्ध प्राप्त शोती शैं।

    ***

  • 11 अक्टूफय - 2019

    ऩॊ भ स्कॊ दभाता वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के ऩाॊ लें हदन भाॊ के स्कॊ दभाता स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं।स्कॊ दभाता कुभाय अथाात ्कातताकेम फक भाता शोने के कायण, उन्शें स्कन्दभाता के नाभ वे जाना जाता शैं। सवॊश औय भमूय स्कॊ दभाता के लाशन शैं।

    देली स्कॊ दभाता कभर के आवन ऩय ऩद्मावन फक भुरा भें वलयाजभान यशती शैं, इवसरए उन्शें ऩद्मावन देली के नाभ वे बी जाना जाता शैं। स्कॊ दभाता का स्लरुऩ ाय बुजा लारा शैं। उनके दोनों शाथों भें कभरदर सरए शुए शैं, उनकी दाहशनी तयप फक ऊऩय लारी बुजा भें ब्रह्भस्लरूऩ स्कन्र कुभाय को अऩनी गोद भें सरमे शुए शैं। औय स्कॊ दभाता के दाहशने तयप फक नी ेलारी बुजा लयभुराभें शैं। स्कॊ दभाता मश स्लरुऩ ऩयभ कल्माणकायी भनागमा शैं।

    भॊत्र: सवॊशावानगता तनतमॊ ऩद्माधश्रतकयद्वमा। ळुबदास्तु वदा देली स्कन्दभाता मळत्स्लनी।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत काभथे न्राघाकृतळखेयाभ।् सव ॊशारूढा तबुुाजास्कन्धभातामळस्लनीभ॥् धलरलणाावलळदु्ध ित्स्थताॊऩॊ भ दगुाा त्रिनेिाभ। अबम ऩदभमगु्भ कयाॊदक्षषण उरूऩिुधयाभबजेभ॥् ऩटाम्फयऩरयधानाकृदशुसवमानानारॊकायबवूऴताभ।् भॊजीय शाय केमयू फकॊ फकर्णयत्नकुण्डरधारयणीभ।। प्रबलु्रलॊदनाऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊजारूत्रिलरीॊतनतम्फनीभ॥्

    स्तोत्र:- नभासभ स्कन्धभातास्कन्धधारयणीभ।् वभग्रतत्लवागयभऩायऩायगशयाभ॥् सळप्रबाॊवभलु्लराॊस्पुयच्छळागळखेयाभ।् रराटयत् नबास्कयाजगतप्रदीप्तबास्कयाभ॥् भशेन्रकश्मऩाध ाताॊवनत्कुभायवॊस्ततुाभ।् वयुावेयेन्रलत्न्दताॊमथाथातनभारादबतुाभ॥् भभुषुुसबवलाध त्न्तताॊवलळऴेतत्लभधू ताभ।् नानारॊकायबवूऴताॊकृगेन्रलाशनाग्रताभ।्। वळुदु्धतत्लातोऴणाॊत्रिलेदभायबऴणाभ।् वधुासभाककौऩकारयणीवयेुन्रलरैयघाततनीभ॥् ळबुाॊऩषु्ऩभासरनीवलुणाकल्ऩळार्खनीभ।् तभोअन्कायमासभनीसळलस्लबालकासभनीभ॥् वशस्िवमूायात्जकाॊधनज्जमोग्रकारयकाभ।् वळुदु्धकार कन्दराॊवबुडृकृन्दभज्जुराभ॥् प्रजातमनीप्रजालती नभासभभातयॊवतीभ।् स्लकभाधायणेगतत ॊशरयप्रमच्छऩालातीभ॥् इनन्तळत्क्तकात्न्तदाॊमळोथभतु्क्तदाभ।् ऩनु:ऩनुजागवद्धताॊनभाम्मशॊवयुाध ाताभ॥ जमेश्लरयत्रिरा नेप्रवीददेवल ऩाहशभाभ॥्

    कवच:- ऐॊ फीजासरॊकादेली ऩदमुग्भधयाऩया। रृदमॊऩातुवा देली काततकममुता॥ श्रीॊशीॊ शुॊ ऐॊ देली ऩूलास्माॊऩातुवलादा। वलााग भें वदा ऩातुस्कन्धभाताऩुिप्रदा॥ लाणलाणाभतृशुेॊ पट् फीज वभत्न्लता। उत्तयस्मातथाग्ने लारूणेनेितेअलत॥ु इन्राणी बैयली ैलासवताॊगी वॊशारयणी। वलादाऩातुभाॊ देली ान्मान्मावुहश हदषलै॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का वलळुद्ध ि जाग्रत शोता शैं। व्मत्क्त फक वभस्त इच्छाओॊ की ऩूतत ा शोती शैं एलॊ जीलन भें ऩयभ वुख एलॊ ळाॊतत प्राप्त शोती शैं।

    ***

  • 12 अक्टूफय - 2019

    ऴष्ठभ ्कात्मामनी वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के छठें हदन भाॊ के कात्मामनी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। भशवऴा कात्मामन फक ऩुिी शोने के कायण उन्शें कात्मामनी के नाभवे जाना जाता शैं। कात्मामनी भाता का जन्भ आत्श्लन कृष्ण तदुाळी को शुला था, जन्भ के ऩश् माता भाॊ कात्मामनी ने ळुक्र वप्तभी, अष्टभी तथा नलभी तक तीन हदन तक कात्मामन ऋवऴ फक ऩूजा ग्रशण फकथी एलॊ वलजमा दळभी को भहशऴावुय का लध फकमा था।

    देली कात्मामनी का लणा स्लणा के वभान भकीरा शैं, इव कायण देली कात्मामनी का स्लरूऩ अत्मॊत शी बव्म एलॊ हदव्म प्रततत शोता शैं। कात्मामनी फक ाय बुजाएॊ शैं। उनेके दाहशनी तयप का ऊऩय लारा शाथ अबम भुराभें शै, तथा नी े लारा लयभुराभें, फाई तयप के ऊऩय लारे शाथ भें कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत शैं, नी े लारे शाथभें तरलाय वुळोसबत यशती शैं। कात्मामनी देली अऩने लाशन सवॊश वलयाजन शोती शैं। भॊत्र: ॊरशावोज्जलरकया ळाइरलयलाशना। कात्मामनी ळबुॊ दद्यादे्दली दानलघाततनी।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत भनोयथाथा न्राघाकृतळखेयाभ।् सवॊशारूढ तुबुाजाकात्मामनी मळस्लनीभ॥् स्लणालणााआसा ित्स्थताॊऴष्ठम्दगुाा त्रिनेिाभ। लयाबीतॊकयाॊऴगऩदधयाॊकात्मामनवुताॊबजासभ॥ ऩटाम्फयऩरयधानाॊस्भेयभुखीॊनानारॊकायबूवऴताभ।् भॊजीय शाय केमुयफकॊ फकर्णयत्नकुण्डरभत्ण्डताभ।्। प्रवन्नलॊदनाऩज्जलाधयाॊकातॊकऩोरातुगकु ाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊत्रिलरीवलबूवऴततनम्न नासबभ॥्

    स्तोत्र:- कॊ नाबाॊ कयाबमॊऩदभधयाभुकुटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूवऴताॊ। सवॊशात्स्थताॊऩदभशस्ताॊकात्मामनवुतेनभोअस्तुत॥े ऩयभदॊदभमीदेवल ऩयब्रह्भ ऩयभात्भा। ऩयभळत्क्त,ऩयभबत्क्तक्ात्मामनवुतेनभोअस्ततुे॥ वलश्लकतॉ,वलश्लबतॉ,वलश्लशतॉ,वलश्लप्रीता। वलश्लाध ताॊ,वलश्लातीताकात्मामनवुतेनभोअस्तुते॥ काॊ फीजा, काॊ जऩानॊदकाॊ फीज जऩ तोवऴते। काॊ काॊ फीज जऩदावक्ताकाॊ काॊ वन्तुता॥ काॊकायशवऴाणीकाॊ धनदाधनभावना। काॊ फीज जऩकारयणीकाॊ फीज तऩ भानवा॥ काॊ कारयणी काॊ भूिऩूत्जताकाॊ फीज धारयणी। काॊ कीॊ कूॊ कै क:ठ:छ:स्लाशारूऩणी॥

    कवच:- कात्मामनौभुख ऩातुकाॊ काॊ स्लाशास्लरूऩणी। रराटेवलजमा ऩातुऩातुभासरनी तनत्म वॊदयी॥ कल्माणी रृदमॊऩातुजमा बगभासरनी॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का आसा ि जाग्रत शोता शैं। देली कात्मामनी के ऩूजन वे योग, ळोक, बम वे भुत्क्त सभरती शैं। कात्मामनी देली को लैहदक मुग भें मे ऋवऴ-भुतनमों को कष्ट देने लारे यष-दानल, ऩाऩी जील को अऩने तेज वे शी नष्ट कय देने लारी भाना गमा शैं।

    ***

  • 13 अक्टूफय - 2019

    वप्तभ कारयात्रि वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के वातलें हदन भाॊ के कारयात्रि स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। कारयात्रि देली के ळयीय का यॊग घने अॊधकाय फक तयश एकदभ कारा शैं, सवय के फार पैराकय यखने लारी शैं।

    कारयात्रि का स्लरुऩ तीन नेि लारा एलॊ गरे भें भकने लारी भारा धायण कयने लारी शैं। कारयात्रि फक आॊखों वे अत्ग्न की लऴाा शोती शै एलॊ नासवका के श्लाव भें अत्ग्न की बॊमकय ज्लाराएॊ तनकरती यशती शैं। कारयात्रि के ऊऩय उठे शुए दाहशने शाथ के लयभुरावे वबी भनुष्मो को लय प्रदान कयती शैं। दाहशनी तयप का नी े लारा शाथ अबमभुराभें शैं। एक शाथ वे ळिओुॊ की गदान ऩकड ेशुए शैं, दवूये शाथ भें खड्ग-तरलाय ळस्ि वे ळि ुका नाळ कयन ेलारी कारयात्रि वलकट रूऩ भें अऩने लाशन गदाब(गध)े वलयाजभान शैं। भॊत्र् एक लधेी जऩाकणाऩूया नग्ना खयात्स्थता। रम्फोष्ठी कर्णकााकणी तैराभ्मक्तळयीरयणी॥ लाभऩदोल्रवल्रोशरताकण्टक बूऴणा। लधानभूधाध्लजा कृष्णा कारयात्रिबामॊकयी॥ ध्मान:- कयारलदनाॊ घोयाॊभुक्तकेळीॊ तुबुाताभ।् कारयात्रि ॊकयासरॊकाहदव्माॊवलद्मुत्भारावलबूवऴताभ॥् हदव्म रौशलज्रखड्ग लाभाघो ध्लाकयाम्फुजाभ।् अबमॊलयदाॊ ैलदक्षषणोध्र्लाघ:ऩार्णकाभ॥् भशाभेघप्रबाॊश्माभाॊतथा ैऩगदाबारूढाॊ। घोयदॊष्टाकायारास्माॊऩीनोन्नतऩमोधयाभ॥् वुख प्रवन्न लदनास्भेयानवयोरूशाभ।् एलॊ वॊध मन्तमेत्कारयात्रि ॊवलाकाभवभवृद्धधदाभ॥्

    स्तोत्र:- शीॊ कारयात्रि श्रीॊकयारी क्रीॊकल्माणी करालती। कारभाताकसरदऩाध्नीकभदीॊळकृऩत्न्लता॥ काभफीजजऩान्दाकभफीजस्लरूवऩणी। कुभततघनीकुरीनाततानसळनीकुर कासभनी॥ क्रीॊशीॊ श्रीॊभॊिलणेनकारकण्टकघाततनी। कृऩाभमीकृऩाधायाकृऩाऩायाकृऩागभा॥

    कवच:- ॐ क्रीॊभें शदमॊऩातुऩादौश्रीॊकारयात्रि। रराटेवततॊऩातदुषु्टग्रशतनलारयणी॥ यवनाॊऩातुकौभायी बैयली षुणोभाभ शौऩषृ्ठेभशेळानीकणोळॊकयबासभनी। लत्जातातनतुस्थानासबमातन कल नेहश। तातनवलाार्णभें देली वततॊऩातुस्तत्म्बनी॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का बानु ि जाग्रत शोता शैं। कारयात्रि के ऩूजन वे अत्ग्न बम, आकाळ बम, बूत वऩळा इत्मादी ळत्क्तमाॊ कारयात्रि देली के स्भयण भाि व ेशी बाग जाते शैं, कारयात्रि का स्लरूऩ देखने भें अत्मॊत बमानक शोते शुल ेबी वदैल ळुब पर देने लारा शोता शैं, इव सरमे कारयात्रि को ळुबॊकयी के नाभवे बी जाना जाता शैं। कारयात्रि ळि ुएलॊ दषु्टों का वॊशाय कय ने लारी देली शैं।

    ***

  • 14 अक्टूफय - 2019

    अष्टभ भशागौयी वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के आठलें हदन भाॊ के भशागौयी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। भशागौयी स्लरूऩ उज्जलर, कोभर, श्लेतलणाा तथा श्लेत लस्िधायी शैं। भशागौयी भस्तक ऩय न्र का भुकुट धायण फकमे शुए शैं। कात्न्तभर्ण के वभान कात्न्त लारी देली जो अऩनी ायों बुजाओॊ भें िभळ् ळॊख, ि, धनुऴ औय फाण धायण फकए शुए शैं, उनके कानों भें यत्न जडडतकुण्डर र्झरसभराते यशते शैं। भशागौयीलऴृब के ऩीठ ऩय वलयाजभान शैं। भशागौयी गामन एलॊ वॊगीत वे प्रवन्न शोने लारी 'भशागौयी' भाना जाता शैं।

    भॊत्र: श्लेते लऴृे वभरूढ़ा श्लेताम्फयाधया ळुध :। भशागौयी ळुबॊ दद्यान्भशादेलप्रभोददा।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछत काभाथे न्राघाकृतळखेयाभ।् सवॊशारूढा तुबुाजाभशागौयीमळस्लीनीभ॥् ऩुणेन्दतुनबाॊगौयी वोभलित्स्थताॊअष्टभ दगुाा त्रिनेिभ। लयाबीततकयाॊत्रिळूर ढभरूधयाॊभशागौयीॊबजेभ॥् ऩटाम्फयऩरयधानाभदृशुास्मानानारॊकायबूवऴताभ।् भॊजीय, काय, केमूय, फकॊ फकर्णयत्न कुण्डर भत्ण्डताभ॥् प्रपुल्र लदनाॊऩल्रलाधयाॊकाॊत कऩोराॊ लैोक्मभोशनीभ।् कभनीमाॊरालण्माॊभणृाराॊ ॊदन गन्ध सरप्ताभ॥्

    स्तोत्र:- वलावॊकट शॊिीत्लॊहशधन ऐश्लमा प्रदामनीभ।् सानदा तुलेदभमी,भशागौयीप्रणभाम्मशभ॥् वुख ळाॊतत दािी, धन धान्म प्रदामनीभ।् डभरूलाघवप्रमा अघा भशागौयीप्रणभाम्मशभ॥् िरैोक्मभॊगरात्लॊहशताऩिमप्रणभाम्मशभ।् लयदा तैन्मभमीभशागौयीप्रणभाम्मशभ॥्

    कवच:- ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, शीॊ फीजॊभाॊ रृदमो। क्रीॊफीजॊवदाऩातुनबोगशृो ऩादमो॥ रराट कणो,शूॊ, फीजॊऩात भशागौयीभाॊ नेि घ्राणों। कऩोर ध फुकोपट् ऩातुस्लाशा भाॊ वलालदनो॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का वोभ ि जाग्रत शोता शैं। भशागौयी के ऩूजन वे व्मत्क्त के वभस्त ऩाऩ धरु जाते शैं। भशागौयी के ऩूजन कयने लारे वाधन के सरमे भाॊ अन्नऩूणाा के वभान, धन, लैबल औय वुख-ळाॊतत प्रदान कयने लारी एलॊ वॊकट वे भुत्क्त हदराने लारी देली भशागौयी शैं।

    ***

  • 15 अक्टूफय - 2019

    नलभ ्सववद्धदािी वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नलयाि के नौलें हदन भाॊ के सववद्धदािी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। देली सववद्धदािी का स्लरूऩ कभर आवन ऩय वलयात्जत, ाय बुजा लारा, दाहशनी तयप के नी ेलारे शाथ भें ि, ऊऩय लारे शाथ भें गदा, फाई तयप वे नी ेलारे शाथ भें ळॊख औय ऊऩय लारे शाथ भें कभर ऩुष्ऩ वुळोसबत यशते शैं।

    भॊत्र : सवद्धगॊधलामषाद्मैयवुयैययभयैयवऩ। वेव्मभाना वदा बूमात सववद्धदा सववद्धदातमनी।।

    ध्मान:- लन्दे लाॊतछतभनयोयाथे न्राघाकृतळखेयाभ।् कभरत्स्थता तुबुाजासववद्ध मळस्लनीभ॥् स्लणाालणाातनलााण ित्स्थतानलभ ्दगुाा त्रिनेिाभ। ळॊख, ि, गदा ऩदभधया सववद्धदािीबजेभ॥् ऩटाम्फयऩरयधानाॊवुशास्मानानारॊकायबूवऴताभ।् भॊजीय, शाय केमूय, फकॊ फकर्णयत्नकुण्डरभत्ण्डताभ॥् प्रपुल्र लदनाऩल्रलाधयाकाॊत कऩोराऩीनऩमोधयाभ।् कभनीमाॊरालण्माॊषीणकहटॊतनम्ननासबॊतनतम्फनीभ॥् स्तोत्र:- कॊ नाबा ळॊख िगदाभधयाभुकुटोज्लराॊ। स्भेयभुखीसळलऩत्नीसववद्धदािीनभोअस्तुते॥ ऩटाम्फयऩरयधानाॊनानारॊकायबूवऴताॊ। नसरनत्स्थताॊऩसरनाषीॊसववद्धदािीनभोअस्तुते॥ ऩयभानॊदभमीदेवल ऩयब्रह्भ ऩयभात्भा। ऩयभळत्क्त,ऩयभबत्क्तसववद्धदािीनभोअस्तुते॥ वलश्लकतीॊवलश्लबतॉवलश्लशतीॊवलश्लप्रीता। वलश्लध ातावलश्लतीतासववद्धदािीनभोअस्तुते॥ बुत्क्तभुत्क्तकायणीबक्तकष्टतनलारयणी। बलवागय तारयणी सववद्धदािीनभोअस्तुते।। धभााथकाभप्रदातमनीभशाभोश वलनासळनी। भोषदातमनीसववद्धदािीसववद्धदािीनभोअस्तुते॥

    कवच:- ओॊकाय: ऩातुळीऴोभाॊ, ऐॊ फीजॊभाॊ रृदमो। शीॊ फीजॊवदाऩातुनबोगशृो ऩादमो॥ रराट कणोश्रीॊफीजॊऩातुक्रीॊफीजॊभाॊ नेि घ्राणो। कऩोर ध फुकोशवौ:ऩातुजगत्प्रवूत्मैभाॊ वला लदनो॥

    भॊि-ध्मान-कल - का वलधध-वलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्क्त का तनलााण ि जाग्रत शोता शैं। सववद्धदािी के ऩूजन वे व्मत्क्त फक वभस्त काभनाओॊ फक ऩूतत ा शोकय उवे ऋवद्ध, सववद्ध फक प्रात्प्त शोती शैं। ऩूजन वे मळ, फर औय धन फक प्रात्प्त कामो भें रे आ यशे फाधा-वलध्न वभाप्त शो जाते शैं। व्मत्क्त को मळ, फर औय धन फक प्रात्प्त शोकय उवे भाॊ फक कृऩा वे धभा, अथा, काभ औय भोष फक बी प्रात्प्त स्लत् शो जाती शैं।

    ***

  • 16 अक्टूफय - 2019

    नलयाि भें दगुाा उऩावना का आध्मात्त्भक भशत्ल वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    नभो देव्म ैभशादेव्मै सळलामै वततॊ नभ:। नभ: प्रकृत्म ैबरामै तनमता: प्रणता: स्भताभ॥्

    अथाात: देली को नभस्काय शैं, भशादेली को नभस्काय शैं। भशादेली सळला को वलादा नभस्काय शैं। प्रकृतत एलॊ बरा को भेया प्रणाभ शैं। शभ रोग तनमभऩूलाक देली जगदम्फा को नभस्काय कयते शैं।

    उऩयोक्त भॊि वे देली दगुाा का स्भयण कय प्राथाना कयने भाि वे देली प्रवन्न शोकय अऩन े बक्तों की इच्छा ऩूणा कयती शैं। वभस्त देल गण त्जनकी स्तुतत प्राथना कयते शैं। भाॉ दगुाा अऩन ेबक्तो की यषा कय उन ऩय कृऩा रष्टी लऴााती शैं औय उवको उन्नती के सळखय ऩय जान ेका भागा प्रवस्त कयती शैं। इव सरमे ईश्लय भें श्रद्धा वलश्लाय यखने लारे वबी भनुष्म को देली की ळयण भें जाकय देली वे तनभार रृदम वे प्राथाना कयनी ाहशमे।

    देली प्रऩन्नातताशये प्रवीद प्रवीद भातजागतोsर्खरस्म। ऩवीद वलश्लेतरय ऩाहश वलश्लॊ त्लभीश् यी देली या यस्म।

    अथाात: ळयणागत फक ऩीड़ा दयू कयने लारी देली आऩ शभ ऩय प्रवन्न शों। वॊऩूणा जगत भाता प्रवन्न शों। वलश्लेश्लयी देली वलश्ल फक यषा कयो। देली आऩ हश एक भाि या य जगत फक अधधश्लयी शो।

    वलाभॊगर-भाॊगल्मे सळलेवलााथावाधधके । ळयण्मे िमम्फके गौरय नायामर्ण नभोऽस्तुते॥ वतृ्ष्टत्स्थतत वलनाळानाॊ ळत्क्तबूत ेवनाततन। गुणाश्रमे गुणभमे नायामर्ण नभोऽस्तुते॥

    अथाात: शे देली नायामणी आऩ वफ प्रकाय का भॊगर प्रदान कयने लारी भॊगरभमी शो। कल्माण दातमनी सळला शो। वफ ऩुरूऴाथों को सवद्ध कयने लारी ळयणा गतलत्वरा तीन नेिों लारी गौयी शो, आऩको नभस्काय शैं। आऩ वतृ्ष्ट का ऩारन औय वॊशाय कयने लारी ळत्क्तबूता वनातनी देली, आऩ गुणों का आधाय तथा वलागुणभमी शो। नायामणी देली तुम्शें नभस्काय शै।

    इव भॊि के जऩ वे भाॉ फक ळयणागती प्राप्त शोती शैं। त्जस्वे भनुष्म के जन्भ-जन्भ के ऩाऩों का नाळ शोता शै। भाॊ जननी वतृ्ष्ट फक आहद, अॊत औय भध्म शैं।

    देवी से प्राथाना कयें – ळयणागत-दीनाता-ऩरयिाण-ऩयामणे

    वलास्माततिंशये देवल नायामर्ण नभोऽस्तुत॥े अथाात: ळयण भें आए शुए दीनों एलॊ ऩीड डतों की यषा भें वॊरग्न यशन े लारी तथा वफ फक ऩीड़ा दयू कयने लारी नायामणी देली आऩको नभस्काय शै।

    योगानळऴेानऩशॊसव तुष्टा रूष्टा तु काभान वकरानबीष्टान।् त्लाभाधश्रतानाॊ न वलऩन्नयाणाॊ त्लाभाधश्रता शाश्रमताॊ प्रमात्न्त। अथाात् देली आऩ प्रवन्न शोन ेऩय वफ योगों को नष्ट कय देती शो औय कुवऩत शोन ेऩय भनोलाॊतछत वबी काभनाओॊ का नाळ कय देती शो। जो रोग तुम्शायी ळयण भें जा केु शै। उनको वलऩत्त्त आती शी नशीॊ। तुम्शायी ळयण भें गए शुए भनुष्म दवूयों को ळयण देने लारे शो जाते शैं।

    वलाफाधाप्रळभनॊ िरेोक्मस्मार्खरेश्लयी। एलभेल त्लमा कामाभस्मध्दैरयवलनाळनभ।्

    अथाात् शे वलेश्लयी आऩ तीनों रोकों फक वभस्त फाधाओॊ को ळाॊत कयो औय शभाये वबी ळिओुॊ का नाळ कयती यशो।

    ळाॊततकभार्ण वलाि तथा द:ुस्लप्रदळाने। ग्रशऩीडावु ोग्रावु भशात्भमॊ ळणुमात्भभ।

    अथाात् वलाि ळाॊतत कभा भें, फुये स्लप्न हदखाई देने ऩय तथा ग्रश जतनत ऩीड़ा उऩत्स्थत शोने ऩय भाशात्म्म श्रलण कयना ाहशए। इववे वफ ऩीड़ाएॉ ळाॊत औय दयू शो जाती शैं।

    महह कायण हैं सहस्त्रमुगों स े भाॊ बगवती जगतजननी दगुाा की उऩासना प्रतत वषा वसॊत, आश्ववन एवॊ गुप्त नवयात्री भें ववशषे रुऩ स ेकयने का ववधान हहन्द ुधभा ग्रॊथो भें हैं।

    ***

  • 17 अक्टूफय - 2019

    ळायदीम नलयाि व्रत वुख-वभवृद्ध दामक शैं वॊकरन गुरुत्ल कामाारम

    इव दौयान ऋतुओॊ के ऩरयलतान के वाथ नलयािों का तौशाय भनुष्म के जीलन भें फाह्म औय आॊतरयक ऩरयलतान भें एक वलळऴे वॊतुरन स्थावऩत कयने भें वशामक शोता शैं। त्जव तयश फाह्म जगत भें ऩरयलतान शोता शै उवी प्रकाय भनुष्म के ळयीय भें बी ऩरयलतान शोता शै। इव सरमे नलयाि उत्वल को आमोत्जत कयन ेका उदे्दश्म भनुष्म के बीतय भें उऩमुक्त ऩरयलतान कय उवे फाह्म ऩरयलतान के अनुकूर फनाकय स्लमॊ के औय प्रकृतत के फी भें वॊतुरन फनामे यखना शोता शैं।

    नलयािों के दौयान फकए जाने लारी ऩूजा-अ ाना, व्रत इत्माहद वे ऩमाालयण की ळुवद्ध शोती शैं। उवीके वाथ-वाथ भनुष्म के ळयीय औय आॊतरयक बालना की बी ळुवद्ध शो जाती शैं। क्मोफक व्रत-उऩलाव ळयीय को ळुद्ध कयन ेका ऩायॊऩरयक तयीका शैं जो प्राकृततक-ध फकत्वा का बी एक भशत्लऩूणा तत्ल शै। मशी कायण शैं की वलश्ल के प्राम् वबी प्रभुख धभों भें वलसबन्न अलवयों ऩय व्रत का भशत्ल शैं। महश कायण शैं की हशन्द ूवॊस्कृतत भें मुगो-मुगो व े नलयािों के दौयान व्रत कयने का वलधान शैं। क्मोकी व्रत के भाध्मभ वे ऩशरे भनुष्म का ळयीय ळुद्ध शोता शैं, औय महद ळयीय ळुद्ध शो, तो भनुष्म का भन एलॊ बालनाएॊ बी ळुद्ध शोती शैं। ळयीय की ळुवद्ध के त्रफना भन एलॊ बालना की ळुवद्ध वॊबल नशीॊ शैं। इव सरए नलयािों के दौयान वबी प्रकाय के व्रत-उऩलाव ळयीय औय भन की ळुवद्ध भें वशामक शोत ेशैं।

    नलयािों भें फकमे गमे व्रत-उऩलाव का वीधा अवय शभाये अच्छे स्लास््म औय योगभुत्क्त के सरमे बी

    वशामक शोता शैं। फड़ी धभू-धाभ वे फकमा गमा नलयािों का आमोजन शभें वुखानुबूतत एलॊ आनॊदानुबूतत प्रदान कयता शैं।

    भनुष्म के सरए आनॊद की अलस्था वफव ेअच्छी अलस्था शैं। जफ व्मत्क्त आनॊद की अलस्था भें शोता शैं

    तो उवके ळयीय भें तनाल उत्ऩन्न कयने लारे वूक्ष्भ कोऴ वभाप्त शो जाते शैं औय जो वूक्ष्भ कोऴ उत्वत्जता शोत ेशैं ले शभाये ळयीय के सरए अत्मॊत राबदामक शोते शैं। जो शभें नई व्माधधमों वे फ ाने के वाथ शी योग शोने की दळा भें ळीघ्र योगभुत्क्त प्रदान कयने भें बी वशामक शोत ेशैं।

    नलयाि को ळत्क्त की उऩावना का भशाऩला भाना गमा शैं। भाका ण्डमेऩुयाण के अनुळाय देली भाशात्म्म भें स्लमॊ भाॊ जगदम्फा

    का ल न शैं-।

    ळयत्कारे भशाऩूजा फिमतेमा लावऴाकी। तस्माॊभभैतन्भाशात्म्मॊशु्रत्लाबत्क्तवभत्न्लत:॥ वलााफाधावलतनभुाक्तोधनधान्मवुतात्न्लत:। भनुष्मोभत्प्रवादेनबवलष्मततन वॊळम:॥

    अथाात् ळयद ऋत ु के नलयािभें जफ भेयी लावऴाक भशाऩूजा शोती शैं, उव कार भें जो भनुष्म भेये भाशात्म्म (दगुाावप्तळती) को बत्क्तऩूलाकवुनेगा, लश भनुष्म भेये प्रवाद व ेवफ फाधाओॊ वे भुक्त शोकय धन-धान्म एलॊ ऩुि व ेवम्ऩन्न शो जामेगा।

    नलयाि भें दगुाावप्तळती को ऩढने मा वुनन ेवे देली अत्मन्त प्रवन्न शोती शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं।

  • 18 अक्टूफय - 2019

    वप्तळती का ऩाठ उवकी भूर बाऴा वॊस्कृत भें कयन ेऩय शी ऩूणा प्रबाली शोता शैं।

    व्मत्क्त को श्रीदगुाावप्तळती को बगलती दगुाा का शी स्लरूऩ वभझना ाहशए। ऩाठ कयने वे ऩूला श्रीदगुाावप्तळती फक ऩुस्तक का इव भॊि वे ऩॊ ोऩ ायऩूजन कयें-

    नभोदेव्मैभशादेव्मैसळलामैवततॊनभ:। नभ: प्रकृत्मैबरामैतनमता:प्रणता:स्भताभ॥्

    जो व्मत्क्त दगुाावप्तळतीके भूर वॊस्कृत भें ऩाठ कयने भें अवभथा शों तो उव व्मत्क्त को वप्तश्रोकी दगुाा को ऩढने वे राब प्राप्त शोता शैं। क्मोफक वात श्रोकों लारे इव स्तोि भें श्रीदगुाावप्तळती का वाय वभामा शुला शैं।

    जो व्मश्क्त सप्तवरोकी दगुाा का बी न कय सके वह केवर नवााण भॊत्र का अधधका