ईसमाचार · 2016. 2. 22. · ई-समाचार का 08 वााँअंक...

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िमािक िमाचार पिका -समाचार अंक - 08 नवंबर-ििंबर वष - 2015 भारतीय ौोगिकी संथान भुवनेवर ारा गिनांक 07 नवंबर 2015 को अरिुल पगरसर म उनत भारत अगभयान काययशाला/ बैठक का आयोजन गकया िया। उनत भारत अगभयान (यूबीए) मानव संसाधन गवकास मंालय की एक गवशेष पहल है गजसका उेय, उच तकनीकी गशा के गतठठत शैगिक संथान उपलध गवशेषता का योि करते हुए नवाचार एवं वहनीय ौोगिकी के मायम से ामीि जीवन की ििवा म सुधार लाना। सवयथम संथान ारा िो िाव को अंिीकृ त गकया िया था और इसके गवकास से संबंगधत कायय गकए िए थे। चतुथय िीांत समारोह म मुय अगतगथ के ऱप म उपथत माननीय मानव संसाधन गवकास मंी ीमती मृगत जूगबन इरानी ने अपने संबोधन के िौरान भा.ौ.सं.भुवनेवर ारा गकए जा रहे यास की सराहना की और इस गिशा म और अय िाव को भी अंिीकृ त करने पर बल गिया था। संथान ारा यूबीए के अधीन अंिीकृ त गकए िए िाव म अरिुल, पोिपाडा, कांसापाडा एवं खुिुपुर शागमल है । इस योजना के अधीन और अय िो िा व कटक गजला का जोरकु ल और जाजपुर गजला के संिुगरया ह। बैठक के िौरान ामीि जीवन शैली के गवकास के गलए थम चरि के ऱप म गनन कायय करने का गनिय गलया िया गवालय की गशा म िु िवा, संथान के थाई पगरसर के समीप थत िाव म इंटरनेट की सुगवधा, जल शुगिकरि, शौच यवथा, वाथ िेखभाल, िता गवकास, गिगजटल इंगिया की ओर जािऱकता, अय ऊजा कयोि इयागि। इस योजना को मूतय ऱप िेने के गलए खोधा गजला के गजलागधकारी ने हर संभव सहायता मुहैया कराने हेतु आशावत गकया । इस बैठक म यह भी जानकारी िी िई गक राय सरकार के गवगभन गवभाि ारा ामीि गवकास के गलए संचागलत की जा रही िगतगवगधय को यूबीए के अधीन शागमल गकया जाएिा और गजलागधकारी इस कायय के समवयक हिे। संथान ने औोगिक-शैगिक अंतः गिया की गिशा म महवपू िय किम उठाए है। माननीय राठरपगत ी िब मुखजी की उपथगत म संथान गनिेशक ो. आर. वी. राज कुमार और ी िी.एस.रवव राजू, पूियकागलक गनिेशक, पारिीप फॉफेट गलगमटेि ने गिनांक 04 नवंबर 2015 को समझौता ापन पर हतार गकए । यह काययिम उोि और शैगिक के आपसी सहयोि के समवयन को बढावा िने के गलए गकया िया है। हदी का पौधा दिणवाल ने याग से सचा ै। - करराव कपीकेरी। भारतीय ौोिकी िंथान भुवनेवर

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Page 1: ईसमाचार · 2016. 2. 22. · ई-समाचार का 08 वााँअंक आपके समक्ष प्रस्तुत करतेहुए अत्यंत

द्विमाद्विक िमाचार पद्विका

ई-समाचार

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर द्वारा गिनाकं 07 नवबंर 2015 को अरिुल पगरसर में उन्नत भारत अगभयान काययशाला/ बैठक का आयोजन गकया िया। उन्नत भारत अगभयान (यूबीए) मानव संसाधन गवकास मंत्रालय की एक गवशेष पहल है गजसका

उदे्दश्य, उच्च तकनीकी गशक्षा के प्रगतष्ठठत शैक्षगिक संस्थानों में उपलब्ध गवशेषज्ञता का प्रयोि करते हुए नवाचार एव ं वहनीय प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीि जीवन की िुिवत्ता में सुधार लाना। सवयप्रथम संस्थान द्वारा िो िा ाँवों को अंिीकृत गकया िया था और इसके गवकास से

संबंगधत कायय गकए िए थे। चतुथय िीक्षातं समारोह में मुख्य अगतगथ के रूप में उपष्स्थत माननीय मानव संसाधन गवकास मंत्री श्रीमती स्मगृत जगूबन इरानी ने अपने संबोधन के िौरान भा.प्रौ.सं.भवुनेश्वर द्वारा गकए जा रहे प्रयासों की सराहना की और इस गिशा में और अन्य िा ाँवों को भी अंिीकृत करने पर बल गिया था। संस्थान द्वारा यूबीए के अधीन अंिीकृत गकए िए िा ाँवों में अरिुल, पोिपाडा, कासंापाडा एव ंखुिुपुर शागमल है । इस योजना के अधीन और अन्य िो िा ाँव – कटक गजला का जोरकुल और जाजपुर गजला के संिुगरया हैं। बैठक के िौरान ग्रामीि जीवन शैली के गवकास के गलए प्रथम चरि के रूप में गनम्न कायय करने का गनियय गलया िया – गवद्यालयों की गशक्षा में िुिवत्ता, संस्थान के स्थाई पगरसर के समीप ष्स्थत िा ाँवों में इंटरनेट की सुगवधा, जल शुगिकरि, शौच व्यवस्था, स्वास्थ िेखभाल, िक्षता गवकास, गिगजटल इंगिया की ओर जािरूकता, अक्षय ऊजा का प्रयोि इत्यागि। इस योजना को मूतय रूप िेने के गलए खोधा गजला के गजलागधकारी ने हर संभव सहायता मुहैया कराने हेतु आशाष्न्वत गकया । इस बठैक में यह भी जानकारी िी िई गक राज्य सरकार के गवगभन्न गवभािों द्वारा ग्रामीि गवकास के गलए सचंागलत की जा रही िगतगवगधयों को यूबीए के अधीन शागमल गकया जाएिा और गजलागधकारी इस कायय के समन्वयक होंिे।

संस्थान ने औद्योगिक-शैक्षगिक अंतः गिया की गिशा में महत्वपूिय किम उठाए है। माननीय राठरपगत श्री प्रिब मुखजी की उपष्स्थगत में संस्थान गनिेशक प्रो. आर. वी. राज कुमार और श्री िी.एस.रववद्र राजू, पूियकागलक गनिेशक, पारिीप फॉस्फेट गलगमटेि ने गिनाकं 04 नवबंर 2015 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर गकए । यह काययिम उद्योि और शैक्षगिक के आपसी सहयोि के समन्वयन को बढावा िने के गलए गकया िया है।

हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा िैं। - शंकरराव कप्पीकेरी।

भारतीय प्रौद्योद्विकी िंस्थान भवुनशे् वर

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ई-समाचार का 08 वा ाँ अंक आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए अत्यतं हषय की अनुभगूत हो रही है। इस अंक में हमने संस्थान द्वारा प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्नत भारत अगभयान की पहल को मूतय िेने का प्रयास गकया है। उन्नत भारत की संकल्पना में संस्थान हमेशा से ही अपनी भगूमका अहम मानता आया है। संस्थान और ओगिशा राज्य सरकार इस कायय के गलए प्रगतबि है। इसी को ध्यान में रखकर एक काययशाला/बठैक का आयोजन गकया िया था गजससे संबंगधत समाचार इस अंक में प्रकागशत गकए िए है।

26 जनवरी 1950 को हमारा संगवधान प्रवृत्त हुआ और तब से लेकर अब तक हम सगंवधान में लिभि एक सौ बार संशोधन गकए जा चुके है। गकसी भी लोकतागंत्रक िेश के गलए संगवधान उसकी नींव होती है। सगंवधान के माध्यम से ही कोई भी िेश अपनी काययप्रिाली को गिशा िेने में सक्षम हो पाता है। इस वषय हमने 26 नवबंर को प्रथम सगंवधान गिवस के रूप में मनाया।

इस अंक में हमने संस्थान एव ंओगिशा राज्य सरकार द्वारा राज्य के गवकास के गलए गकए जा रहे प्रयासों से संबंगधत खबर को भी प्रकागशत गकया। संस्थान ओगिशा राज्य में ष्स्थत है और संस्थान इसके गवकास के गलए गनरंतर प्रयत्नशील है, इसी गिशा में संस्थान ने राज्य सरकार के साथ गमल कर अनेक िगतगवगधयों को मूतय रूप िेने से संबंगधत खबरों को प्रकागशत गकया है।

संस्थान द्वारा मानव संसाधन गवकास मंत्रालय की महत्वपूिय पहल ईशान गवकास काययिम का भी आयोजन गकया िया जो पूवोत्तर छात्रों के स्कूली छात्रों को िेश के बडे शैक्षगिक संस्थान के साथ जोडने की एक पहल है। इस काययिम का उदे्दश्य पूवी छात्रों के बच्चों को तकनीकी गशक्षा से जोडना है और उनकी प्रगतभाओं का गनखाराना है। काययिमों से संबगंधत खबर भी इस अंक में प्रकागशत की िई है। िेश के गवकास का पगहया िेश की युवा पीढी पर आगश्रत है। संस्थान इस तथ्य को हमेशा स्मरि करता है और नई-नई योजना को गियाष्न्वत कर िेश को गवकास के पथ पर अग्रसागरत कर रहा है।

इस अंक में सागहत्य मंच के अधीन वहिी के प्रमुख रचनाकार “ धमयवीर भारती” को 90 वें जन्मगिवस पर उनकी रचना “ठंिा लोहा” को संकगलत गकया िया है। - क्षनक्षिन जैन

ओगिशा राज्य के मुख्य सगचव श्री जी.सी. पगत ने गिनाकं 22 नवबंर 2015 को ससं्थान के स्थाई पगरसर का भ्रमि गकया और संस्थान पगरसर के गनमािागधन कायों को और तीव्र िगत प्रिान करने पर चचा की। उन्होंने बठैक के िौरान भा.प्रौ.स.ं भवुनेश्वर की आिामी योजनाओ ंको गियाष्न्वत करने में राज्य सरकार द्वारा हर संभव सहायत मुहैया कराने हेतु भी अपनी सहमगत िी।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर में उडीसा राज्य के माधव िगित प्रगतयोगिता गिनाकं. 13.12.2015 को आयोगजत की िई । यह एक राठरीय स्तर की प्रगतयोगिता है जो अवर स्नातक छात्रों के गलए एस.पी.कॉलेज, पुिे एव ंहॉमी भाभा गवज्ञान गशक्षा कें द्र , टी.आई.एफ.आर. मुम्बई द्वारा आयोगजत की जाती है। यह प्रगतयोगिता राठरीय उच्च िगित बोिय द्वारा गवत्त पोगषत्त है। िॉ. ताराकातं नायक, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ इस प्रगतयोगिता के के्षत्रीय समन्वयक है।

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

भारि की परंपरागि राष्ट्रभाषा हिंदी िैं। - नक्षलनक्षवलोचन शर्मा।

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गिनाकं 26 नवबंर 2015 को संस्थान के तोषाली भवन पगरसर के बोिय रुम में प्रथम संगवधान गिवस का अनुपालन गकया िया। सवयप्रथम संस्थान गनिेशक प्रो. आर. वी. राज कुमार ने संगवधान गनमाि सगमगत के अध्यक्ष िॉ. बी. आर. अंबेिर की फोटो पर माल्यापयि गकया और उनके द्वारा िेश को सौंपे िए संगवधान के गलए धन्यवाि ज्ञागपत गकया । उन्होंने अपने संबोधन में बताया गक हमारा सगंवधान गकसी भी लोकतागंत्रक िेश की तुलना में सबसे बडा है। इसके साथ ही उन्होंने संगवधान से संबगंधत महत्वपूिय पहलुओं पर प्रकाश िाला। तत्पश्चात गनिेशक महोिय ने उपष्स्थत सभी संकाय सिस्यों, अगधकागरयों एव ंकमयचागरयों को सगंवधान के अनुपालन हेतु शपथ गिलवाई।

ग्रामीि सडकों के सुधार के गलए भा.प्रौ.सं. भवुनेश्वर अपने स्थाई पगरसर अरिुल में “प्रबंधन, प्रगशक्षि एव ंअनुसंधान कें द्र की स्थापना करने जा रहा है। यह ग्रामीि गवकास गवभाि, ओगिशा सरकार द्वारा गवत पोगषत्त होिा। कें द्र की स्थापना को ध्यान में रखते हुए, ओगिशा राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री नवीन पटनायक एव ंमुख्य सगचव श्री जी.सी.पगत की उपष्स्थगत में गिनाकं 31 नवबंर 2015 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर गकया िया। यह कें द्र भा.प्रौ.ससं्थानों में अपनी तरह का पहला कें द्र होिा गजसका उदे्दश्य प्रगशक्षि के माध्यम से सरकारी इंजीगनयरों की िक्षता एव ंउनका ज्ञानवधयन करना है। इस कें द्र

में अगभमुखी काययिम एव ं काययशाला के माध्यम से ग्रामीि सडकों के गनमाि एव ंअनुरक्षि सबंंधी प्रगशक्षि गिया जाएिा गजसका उदे्दश्य स्थानीय उपलब्ध एव ंवहनीय पिाथों तथा नवाचार प्रौद्योगिगकयों के प्रभावी प्रयोि पर अगधक बल िेना होिा। इस प्रगशक्षि काययिम में िुिवत्ता गनयंत्रि पर जोर िेने के साथ ग्रामीि सडकों में िीपीआरएस को तैयार करने, गनयोजन एव ं अगभकल्प एव ं अपगशठट प्रबंधन का प्रयोि शागमल होिा। यह कें द्र भा.प्रौ.स.ं भवुनेश्वर के आधागरक संरचना गवद्यापीठ का अगभन्न अंि होिा।

ईशान गवकास काययिम मानव ससंाधन गवकास मंत्रालय, भारत सरकार की एक महत्वपूिय पहल है गजसकी शुरुआत पूवोत्तर

के्षत्र के स्कूली छात्रों को िेश के उच्च गशक्षि संस्थानों के साथ जोडने को ध्यान में रख कर की िई है। यह एक

बृहि योजना है गजसमें नौवीं एव ं ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को िेश के प्रगतष्ठठत ससं्थानों जैसे भा.प्रौ.स.ं, रा.प्रौ.सं. एव ंभारतीय गवज्ञान गशक्षा एव ं अनुसधंान संस्थान में ग्रीठमकालीन में िो समूह काययिम एव ं शीतकालीन सत्र में एक समूह काययिम के माध्यम से जोडने का प्रयास गकया जाएिा। छात्रों को समाज की आवश्यकता के अनुरूप गवज्ञान, प्रौद्योगिकी,

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

अपनी सरलिा के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वि: राष्ट्रभाषा िंो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

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अगभयागंत्रकी एव ंअन्य उपयुक्त के्षत्रों में कायय करने के गलए प्रोत्सागहत गकया जाएिा। मंत्रालय के इस महत्वपूिय काययिम का उदे्दश्य युवा मष्स्तठक का गवकास करना है गजससे व ेअपने भगवठय के मािों के गलए प्रशस्त हो सके और समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार हो सके।

भा.प्रौ.सं. भवुनेश्वर में गिनाकं 07-18 गिसंबर 2015 के िौरान इस काययिम में पूवोत्तर के्षत्र के ऑयल इंगिया उच्च गशक्षा गवद्यालय िुगलयाजन, गिबरुिढ (असम), िीपीएस िुगलयाजन, गिबरुिढ (असम), वी.के.वी गनरजुली, पापुम्परे (अरुिाचल प्रिेश) एव ंवी.के.वी याजली, लोवर सुवनसीगर (अरुिाचल प्रिेश) के लिभि 40 छात्रों ने भाि गलया। इस िौरान उपष्स्थत छात्रों के स्कूल के प्राध्यापक भी उपष्स्थत थे। काययिम का शुभारंभ संस्थान गनिेशक के संबोधन “ ” के साथ हुआ। काययिम में उपष्स्थत िेश के प्रगतष्ठठत व्याख्याता प्रो.बी.के.विंिवा, प्रो. स्वाधीन पट्टनायक, प्रो. आगित्य मोहातंी, प्रो. गवनायक रथ एव ंप्रो. प्रिय कुमार ने भी उपष्स्थत छात्रों को अगभयागंत्रकी, गवज्ञान, मानगवकी एव ंसामागजक गवज्ञान व्यष्क्तित गवकास एव ंसंचार आगि गवषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत गकया। प्रो. एस. महापात्र, प्राध्यापक, यागंत्रकी गवज्ञान गवद्यापीठ एव ंिॉ. ए. मंिल, खगनज, पिाथय एव ंधातुकमय अगभयागंत्रकी गवद्यापीठ काययिम के समन्वयक थे।

भारतीय प्रौद्योगिकी ससं्थान भवुनेश्वर की अगभकल्प नवप्रवतयन कें द्र द्वारा 09-12 गिसंबर 2015 के िौरान संस्थान पे्रक्षािृह में रॉबोगटक्स पर चार गिवसीय काययशाला का आयोजन गकया िया। संस्थान के गवगभन्न गवद्यापीठों के कुल 37 छात्रों ने काययशाला में भाि गलया।

इस काययशाला में सहभागियों ने सष्न्नगहत रॉबोगटक्स के गवगभन्न पहुलओं के बारे में जानकारी प्राप्त की और संविेकों, प्रवतयकों एव ंगनयंत्रकों के गवगभन्न प्रकारों पर व्यावहागरक प्रगशक्षि प्राप्त गकया।

काययशाला के अगंतम गिन में प्रगतभागियों ने इस िौरान प्राप्त गकए तकनीकी िुरों के माध्यम से स्वयं का रॉबोट तैयार गकया। इस िौरान बनाए िए सबसे तेज और समस्याओं को हल करने वाले रॉबोट को तैयार करने वाले प्रगतभागियों को गवगभन्न परुस्कार प्रिान गकया िया। काययशाला का आयोजन सफल रहा और छात्रों के बीच इस िौरान अच्छी प्रगतस्पधा िेखने को गमली।

भा.प्रौ.सं. भवुनेश्वर ष्स्थत आधागरक सरंचना गवद्यापीठ ने गिनाकं 28 गिसंबर 2015 को प्रथम जीयान पाठ्यिम

(ग्लोबल इगनगसएगटव ऑन एकािगमक नेटवकय )“सॉयल स्रक्चर इटंरएक्शन” की शुरुआत की। भारत सरकार के इस प्रमुख काययिम का मुख्य उदे्दश्य वैष्श्वक स्तर पर उपलब्ध शैक्षगिक एव ंऔद्योगिक के माध्यम से छात्रों एव ंसंकाय सिस्यों के प्रिशयन को प्रिर्शशत करना गजससे हमारी गशक्षा की प्रिागलयों में सवयश्रेठठ अतंरराठरीय गवशेषज्ञों को जुटाया जा सके। उद् घाटन समारोह में प्रो.वी.आर.पेगिरेडी,ी, संकायाध्यक्ष, सत श गशक्षा, प्रो.आर.के.पंिा, आधागरक सरंचना गवद्यापीठ, िॉ.एस.आर.िास, पाठ्यिम समन्वयक एव ंप्रो. शुभमय भट्टाचायय, अतंरराठरीय अगतगथ संकाय, सुरे गवश्वगवद्यालय, यूके सगहत ससं्थान के अन्य प्राध्यापकिि तथा रा.प्रौ.स.ं, भा.प्रौ.सं. एव ंअन्य संस्थानों के गवगभन्न प्रगतभािीिि उपष्स्थत थे। संस्थान गनिेशक प्रो. आर.वी. राज कुमार ने इस अवसर पर जानकारी िी गक यह मानव संसाधन गवकास मंत्रालय की एक महत्वपूिय पहल है जो वैष्श्वक स्तर पर प्रगतष्ठठत पेशेवरों को राठरीय महत्व के संस्थानों में अल्प पाठ्यिम गशक्षा प्रिान करने हेतु अवसर प्रिान करती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा गक यह 06 पाठ्यिमों में सबसे पहला पाठ्यिम गजसकी शुरुआत ससं्थान द्वारा की िई है। इस पाठ्यिम में शागमल है -

हाइलाइट ऑफ ि गफल्ि कंिीशन गवच गरक्वाइअर ि कंगसिरेशन ऑफ सॉयल-स्रक्चर इंटरएक्शन (एसएसआई)

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा िैं। - शंकरराव कप्पीकेरी।

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प्रोवाइि िाइिेंस ऑन ि सॉयल गबहेगवयर एंि मॉिवलि पैरागमटसय फॉर एसएसआई

एक्पोज ि पार्शटगसपेंट्स टू वगेरअस न्यूमेगरकल टूल्स अवलेबल टू मॉिल सॉयल-स्रक्चर इटंरएक्शन प्रोब्लम गवथ वगेरअस इग्जैम्पल एंि केस स्टिीज।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर ने गनयोजन एव ंसमन्वयन गवभाि, ओगिशा सरकार के सहयोि के साथ गिनाकं 30 गिसंबर 2015 को “इन्नोवगेटव एंि सस्टैनबल एनजी टेक्नोलॉजीस – आईसेट-01 पर एक गिवसीय काययशाला का आयोजन गकया। इस काययशाला का मुख्य उदे्दश्य नीगत गनमाताओं, उद्योिपगतयों, उद्यगमयों, वैज्ञागनकों एव ंगशक्षागविों को एक मंच प्रिान करना था गजसके माध्यम से वहनीय ऊजा से संबंधी मुद्दों पर चचा की जा सके और वहनीय प्रौद्योगिगकयों में नवाचार को बढावा िेने के गलए एक रूपरेखा तैयार की जा सके। इस काययशाला में माननीय श्रीमती ऊषा िेवी, मगहला एव ं बाल गवकास, गनयोजन एव ं समन्वयन मंत्री उपष्स्थत थी। उन्होंने अपने संबोधन में वहनीय ऊजा के नवाचार प्रयोि को बढावा िेने पर बल गिया। श्री आर. बालकृठिन्, िी.सी. सह एसीएस, श्री गवनोि कुमार, ओएसिी, पी एव ं सी गवभाि एव ं िॉ. एन. पंिा, संयुक्त गनिेशक, पी एव ं सी भी काययिम में उपष्स्थत थे। श्री बालकृठि ने जलवायु पगरवतयन से होने वाली तबाही पर चचा की और कहा गक जीवाश्म ईंधन आधागरत ऊजा के प्रयोि से आज क्षगत हो रही है। हम प्राकृगतक संसाधनों का प्रयोि भी ठीक िंंि से नहीं कर पा रहे है हमें इस गिशा में और अगधक चेतना जािृत करने की आवश्यकता है।

काययशाला में मुख्य अगतगथ के रूप में उपष्स्थत प्रो. अगनल िुप्ता, भारतीय प्रबंध संस्थान अहमिाबाि ने अपने संबोधन में कहा गक जमीनी स्तर पर अभी अगधक कायय करना शेष है और नवाचार को प्रोत्साहन िेने की आवश्यकता है। आज भी हमारे िेश में कई ऐसे प्रगतभावान व्यष्क्त है गजन्हें सही मंच नहीं गमल पा रहा है। काययिम में सम्माननीय अगतगथ के रूप में उपष्स्थत िॉ.एस.बी.वसह, गनिेशक एनआरएमल, िीआरिीओ, माननीय अगतगथ ने कहा गक आज इस काययशाला में उपष्स्थत युवा मष्स्तठकों को जािरुक करने की आवश्यकता है। काययिम में उपष्स्थत संस्थान गनिेशक प्रो. आर. वी. राज कुमार ने कहा गक ऊजा एव ंअक्षय ऊजा संस्थान के महत्वपूिय अनुसंधान के्षत्रों में शागमल है। हमारे ससं्थान के संकाय सिस्य इस कायय में गवगभन्न पगरयोजना के माध्यम से संगलप्त है। इसके साथ ही उन्होंने कहा गक भा.प्रौ.स.ं भवुनेश्वर ने वतयमान में 05 िा ाँवों को अंिीकृत गकया है गजससे ओगिशा राज्य के ग्रामीि इलाकों में व्यापक पगरवतयन गकया जा सके।

गिनाकं 24.11.2015 को ससं्थान गनिेशक प्रो. आर.वी. कुमार की अध्यक्षता में राजभाषा कायान्वयन सगमगत की 11 वीं. बैठक का आयोजन गकया िया। बठैक में कमयचागरयों को प्रगशक्षि िेने के साथ उनके द्वारा वहिी में काम करने पर भी जोर गिया िया। सगमगत के सिस्य-सगचव ने सगमगत को जानकारी िी गक ससं्थान, राजभाषा गवभाि, िृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वार्शषक काययिम के गनधागरत लक्ष्यों को प्राप्त करने में हर संभव प्रयास कर रहा है। िॉ. राज कुमार

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

हिंदी हिंद की, हिंक्षदयों की भाषा िैं। - र. रा. क्षदवाकर।

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वसह, प्राध्यापक प्रभारी ने जानकारी िी गक संस्थान द्वारा वहिी में गवज्ञापन जारी नहीं गकए जा रहे है, संसिीय सगमगत के गनरीक्षिों के िौरान इस पर भी अगधक बल गिया जाता है। इसके साथ ही सगमगत के सिस्य प्रो. पी.सी. पािेंय, अभ्याित प्राध्यापक, एसईओसीएस ने प्रत्येक सप्ताह में एक गिन वहिी गिन के रूप में अनुपालन हेतु अनुरोध गकया और कहा गक इससे न केवल संस्थान में राजभाषा का प्रचार-प्रसार होिा बष्ल्क संस्थान अपने गनधागरत लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो जाएिा।

1. िॉ. िी. स्वाई,ं सहायक प्राध्यापक पृथ्वी, महासािर एव ंजलवायु गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 19 नवबंर 2015 को आईएनसीओआईएस, हैिराबाि में आईआईसी-बीओबीसीओ पगरयोजना (एमओईएस एव ं भा.प्रौ.स.ंभ.ु की संयुक्त पहल) की पहली समीक्षा हेतु प्रोजेक्ट एिवाइजरी एंि मॉगनटवरि कगमगट ऑन ओसेन साईसं एंि गरसोसेस (पीएएमसी-ओएसआर) की 06वीं समीक्षा बैठक में भाि गलया। 2. िॉ. िी. स्वाईं, सहायक प्राध्यापक पृथ्वी, महासािर एव ंजलवायु गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 20 नवबंर से 02 गिसंबर 2015 के िौरान राठरीय समुद्र गवज्ञान ससं्थान, िोवा में आयोगजत “िायनागमक्स ऑफ ि इंगियन ओसेन : परेस्पेष्क्टव एंि रेरोस्पेष्क्टव” पर अंतरराठरीय गसम्पोगजयम में भाि गलया। 3.िॉ. अगनमेष मंिल, सहायक प्राध्यापक, खगनज, धातुकार्शमकी और पिाथय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 24-27 नवबंर, 2015 के िौरान गिफें स मटैलर्शजकल गरसचय लैबोरेटरी, हैिराबाि, भारत में आयोगजत सॉगलगिगफकेशन साईसं एंि प्रोसेवसि (आईसीएसएसपी6-2015) पर छठा ंअंतरराठरीय सम्मेलन में “Al-14Si—3Mg एल्लॉय गरटेि गवथ स्रोनगटयम एंि गमस्च मेटल” गवषय पर आमगंत्रत व्याख्यान प्रस्तुत गकया।

4. िॉ. तबरेज खान, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 30 नवबंर 2015 के िौरन चनै्नई में आयोगजत फ्रॉष्न्टयसय इन एम एस टेक्नोलॉजी एंि एमगजिंि एष्प्लकेशन पर राठरीय सम्मेलन में भाि गलया। 5.िॉ. सौरव सील, सहायक प्राध्यापक, पृथ्वी, महासािार एव ंजलवायु गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 30 नवबंर से 02 गिसंबर 2015 के िौरान राठरीय समुद्र गवज्ञान (एनआईओ), िोवा में आयोगजत इंटरनेशनल इंगियन ओसेन एक्सपीगिशन 2 (आईआईओई2) गसम्पयोगजयम में भाि गलया और “एनालाइगसस ऑफ एचएफ रेिर गिराइव्ि ओसेन करेंट्स इन नाथयवसे्टनय बे ऑफ बंिाल” पर पोस्टर प्रस्तुत गकया। 6. िॉ. श्रीकातं पात्र, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 03-05 गिसंबर 2015 के िौरान जािवपरु

गवश्वगवद्यालय, कोलकाता में आयोगजत मािेन रेंड्स इन इनआिगेनक कैमेस्री, एमटीआईसी-XV सम्मेलन में भाि गलया और “फैगसल टेंिम सुजुकी कप्प्लि/रासंफर हाइड्रोजेनेशन गरएक्शन बाइ गहस-हेटेरोस्कॉरगपनेट-पीिी-आरयू कॉम्पलेक्स” गवषय पर पेपर प्रस्तुत गकया। 7. िॉ. अगखलेश कुमार वसह, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 03-05 गिसंबर 2015 के िौरान जािवपरु गवश्वगवद्यालय, कोलकाता में आयोगजत मािेन रेंिस इन इनआिगेनक कैमेस्री, एमटीआईसी-XV पर सम्मेलन में वसथेगसस एंि कैरेक्टराइजेशन ऑफ ए नोवल, िाइटॉगपक, गरवर्शसबस एंि हाइली सेलेष्क्टव, “टनय-ऑन फ्लरेूसेंट कैमोसेंसर फॉर Al3+ गवषय पर पेपर प्रस्तुत गकया। 8. िॉ. िेबी प्रसाि िोिरा, सहायक प्राध्यापक, गवदु्यत गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 03-06 नवबंर 2015 के िौरान कुआला लम्पुर, मलेगशया में आयोगजत तीसरी आईएपीआर एगशयन कॉन्फरेंस ऑन पैटनय गरकॉिगनजशन पर अंतरराठरीय सम्मेलन में भाि गलया और “सैग्मेनटेशन एंि गरकॉष्ग्नगजशन ऑफ टेक्स गरटेन इन 3िी यवूजि लीप मोशन इंटरफेस” गवषय पर पेपर प्रस्तुत गकया।. 9. िॉ. नरेश चदं्र साहू, सहायक प्राध्यापक, मानगवकी, सामागजक गवज्ञान एव ं प्रबधं गवद्यापीठ ने गिनाकं 07 गिसंबर 2015 के िौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर में आयोगजत ईशान गवकास काययिम में “ ि लाइफ गहस्री ऑफ गरनॉन्लि पसेनेगलगटज ऑफ ि वल्िय” एव ं “ि रोल एंि इम्पोटेंस ऑफ सोशल साईंस” गवषय पर व्याख्यान प्रस्तुत गकया। 10. िॉ. अमृता सत्पती, सहायक प्राध्यापक, मानगवकी, सामागजक गवज्ञान एव ं प्रबंध गवद्यापीठ ने गिनाकं 07 गिसंबर 2015 के िौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर में आयोगजत ईशान गवकास काययिम में “इम्पोटेंस ऑफ कम्यगूनकेशन ष्स्कल्स” गवषय पर

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

क्षशिा के प्रसार के क्षलए नागरी क्षलक्षप का सववत्र प्रचार आवश्यक िैं। - क्षशवप्रसाद क्षसिारेहिंद।

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व्याख्यान प्रस्तुत गकया। 11. िॉ. ताराकातं नायक, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने राठरीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सूरतकल, कनाटक में गिनाकं 08-12 गिसंबर 2015 के िौरान टॉपोलॉगजकल िायनागमक्स पर आयोगजत काययशाला 2015 में गवषय गवशेषज्ञ के रूप में भाि गलया। 12. िॉ. एस.आर.सामंतराय, सहायक प्राध्यापक, गवदु्यत गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 09-11 गिसंबर 2015 के िौरान भा.प्रौ.सं. गिल्ली में आयोगजत कंरोल ऑफ पावर एंि एनजी गसस्टम पर 9वा ाँ आईएफएसी गसम्पोगजयम में भाि गलया और “कॉर्शिनेटेि कंरोल एंि प्रोटेक्शन ऑफ स्माटय-ग्रीि” गवषय पर पेपर प्रस्तुत गकया। 13. िॉ. सौमेंद्र रािा, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 10-11 गिसंबर 2015 के िौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर में आयोगजत ईशान गवकास काययिम में “ि कैमेस्री इन िे टू िे लाइफ : फन फैक्ट्स नोन” गवषय पर व्याख्यान प्रस्तुत गकया। 14.िॉ. राजन झा, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 16-17 गिसबंर 2015 के िौरान भा.गव.संस्थान बेंिलुरु में आईईईई रैप 2015 की तकनीकी काययिम सगमगत के सिस्य के रूप में भाि गलया और “गरफै्रक्रोमेटरी यूवजि माइिोकैगवटी बसे्ि पीसीएफ मॉिल इंटरफेरोगमटर” गवषय पर पेपर प्रस्तुत गकया। 15.िॉ. सष्स्मता बागरक, सहायक प्राध्यापक, आधारीय

गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 16-19 गिसंबर, 2015 को अमृता गवश्वगवद्यालय, कोयबंतूर, तगमलनािु, भारत में ऑन ग्राफ्स गवथ गसम्पली स्रक्चिय लैपलागसयन इजेनवके्टसय” गवषय पर व्याख्यान प्रस्तुत गकया। 16. िॉ. अगभजीत ित्ता बागिक, सहायक प्राध्यापक, आधारीय गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 17-19 गिसंबर 2015 के िौरान कोयंबतूर, भारत में “कंप्यटेूशनल एनालाइगसस ऑफ ए वसिल सवयर क्यू गवथ बैच मालोगवयल एंि एक्सपोनेनगशयल वसिल वगकिं ि वैकेशन पर पेपर प्रस्तुत गकया। 17. िॉ. िेबाशीष बसु, सहायक प्राध्यापक, आधागरक संरचना गवद्यापीठ ने गिनाकं 17-20 गिसंबर 2015 के िौरान कोलकाता में आयोगजत रासंपोटेशन गरसचय गु्रप ऑफ इगंिया (सीटीआरजी) तीसरा सम्मेलन में “वैल्यूइंि रेवल एरीब्यटू्स ऑफ पष्ब्लक रासंपोटय एज परगसव्ि बाइ कॉमम्यटूसय इन भवुनेश्वर” में पेपर प्रस्तुत गकया। 18. िॉ. राज कुमार वसह, सहायक प्राध्यापक, पृथ्वी, महासािर एव ंजलवायु गवज्ञान गवद्यापीठ ने गिनाकं 18-20 गिसंबर 2015 के िौरान गवज्ञान संस्थान, औरंिाबाि में आयोगजत 25वा ाँ इंगियन कॉगलक्यूम में “पैलोओसेनोग्राफी गसष्ग्नगफकें स ऑफ लेट क्वाटरनरी िीप सी बेंगथक फोरामाइगनफसय ऑफ ि जापान सी- ए गप्रगमलनरी गरज्लट” पर पेपर प्रस्तुत गकया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भवुनेश्वर के पृथ्वी, महासािर एव ं जलवायु गवज्ञान गवद्यापीठ द्वारा गिनाकं 15-20 गिसंबर 2015 के िौरान गवस्तागरत रेंज पूवानुमान प्रिाली का प्रयोि करते हुए कृगष हेतु जलवायु जोगखम प्रबंधन उपकरि के गवकास पर प्रगशक्षि काययिम का आयोजन गकया िया। यह प्रगशक्षि काययिम भा.प्रौ.सं.

भवुनेश्वर एव ं भारत मौसम गवज्ञान गवभाि द्वारा संयुक्त रूप से आयोगजत गकया िया था। यह कृगष एव ं सहकारी गवभाि द्वारा गवत्तपोगषत है। इस प्रगशक्षि काययिम में िेश के गवगभन्न कृगष गवश्वगवद्यालयों एव ं संिठनों के प्रगतष्ठठत वैज्ञागनकों एव ं प्रगतभागियों ने भाि गलया और कृगष में फसल

से संबगंधत जोगखम को कम करने के गलए वषा एव ंसतह तापमान के गवस्तागरत रेंज पूवानुमान (मागसक मौसमी स्कैल भगवठयवािी) पर गवशेष चचा की तथा इसे और अगधक बहेतर बनाने पर चचा की।

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

यिं क्षनर्वववाद िैं क्षक हिंदुओं को उददव भाषा से कभी दे्वष निंीं रिंा। - ब्रजनंिन िास।

रं्मचस्थ अक्षिक्षथगण

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भारतीय प्रौद्योगिकी ससं्थान भवुनेश्वर के गवदु्यत गवज्ञान गवद्यापीठ द्वारा गिनाकं 18-20 गिसबंर 2015 के िौरान सूक्ष्म तरंि, प्रकागशय एव ं संचार अगभयागंत्रकी पर अंतरराठरीय सम्मेलन का आयोजन गकया िया। यह सम्मेलन

राजभाषा एकक द्वारा 28-29 गिसंबर 2015 के िौरान संस्थान के समूह ‘क’ अगधकागरयों/ गनजी सगचवों/ कमयचागरयों के गलए “राजभाषा नीगत का कायान्वयन, व्यवहागरक प्रयोि एव ंप्रगशक्षि पर िो गिवसीय काययशाला का आयोजन गकया िया। काययशाला की अध्यक्षता िॉ. िी. िुिसेकरि, कुलसगचव ने की। यह काययशाला चार सत्रों में आयोगजत की िई थी। प्रथम सत्र संस्थान के समूह ‘क’ अगधकागरयों के गलए आयोगजत गकया िया।

सूक्ष्म तरंि, प्रकाशीय एव ं संचार अगभयागंत्रकी के वतयमान गवकास के गलए समर्शपत था। काययिम के उद् घाटन समारोह की अध्यक्षता संस्थान गनिेशक प्रो. आर. वी. राज कुमार ने की। सम्मेलन में पद्मभषूि

िॉ. बी.बी. रथ, सह गनिेशक, नेवल गरसचय लैबोरेटगरज, यूएसए मुख्य अगतगथ के रूप में उपष्स्थत थे।

सम्मेलन में वतयमान की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, जैव संविेक एव ंजैवगचगकत्सीय प्रगतवबब, ऊजा एव ंपयावरि, वाच एव ंप्रगतवबब प्रसंस्करि आगि सम्मेलन के मुख्य गवषय थे।

इस सम्मेलन में आयोजक मिंल ने सूक्ष्मतरंि, प्रकाशीय एव ंसंचार अगभयागंत्रकी एव ंइसके गवपुल अनुप्रयोि के्षत्रों के वतयमान प्रवृगत्तयों एव ं चनुौगतयों के अग्रिी छोरों एव ं तकनीकी कायों की समस्याओं के गनवारि के गलए तकय साध्य पगरचचा के माध्यम से सभी को जािरूक गकया। यह काययिम वषय 2015 के अंतरराठरीय प्रकाश वषय के अनुपालन की पहल का एक भाि था।

यह सम्मेलन तकनीकी रूप से आईईईई खडिपरु कें द्र द्वारा सह –प्रायोजक था और इस िौरान प्रस्तुत गकए िए पेपरों को आईईईई एक्सप्लोर में प्रकागशत करने पर गवचार गकया िया था। यह सम्मेलन मुख्य रूप से िीआरिीओ, एलआरएसबी, िीईआईटीवाई एव ं सीएसआईआर एव ं कॉरपोरेट संिठन जैसे पेगरिॉट टेक्नोलॉगजस एव ं गकसाइट टेक्नोलॉगजस द्वारा प्रायोगजत था।

काययशाला में मुख्य वक्ता के रूप में िॉ. राजीव कुमार रावत, वहिी अगधकारी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खडिपुर को व्याख्यान िेने हेतु आमंगत्रत गकया िया था। काययशाला का आरंभ करते हुए श्री गनगतन जैन, कगन. वहिी अनुवािक ने सभी समूह ‘क’ अगधकागरयों को काययशाला में स्वाित गकया और कहा गक कें द्र सरकार के कमयचागरयों होने के कारि हम सभी का िागयत्व है गक हम अपना िैगनक सरकारी कायालयीन कामकाज राजभाषा वहिी में करें। इसी उदे्दश्य की पूर्शत के गलए इस काययशाला का आयोजन गकया िया है। इस काययशाला को और उपयोिी बनाने के गलए इसमें राजभाषा नीगत से संबंगधत अनेक गवषयों को भी शागमल गकया िया।

तत्पश्चात िॉ. राज कुमार वसह, प्राध्यापक प्रभारी, राजभाषा ने अपने संबोधन में कहा गक राजभाषा नीगतयों का अनुपालन तभी संभव होिा जब अगधकागरयों की राजभाषा की नीगत के कायान्वयन में गवशेष भगूमका हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा गक इसी उदे्दश्य को ध्यान में रखते हुए ससं्थान गनिेशक प्रो. आर. वी. राज कुमार के अनुमोिन से इस काययशाला का आयोजन गकया िया। काययशाला की अध्यक्षता कर रहे िॉ. िी. िुिसेकरि, कुलसगचव ने सवयप्रथम काययशाला में मुख्य वक्ता के रूप में आमंगत्रत िॉ. राजीव कुमार रावत, वहिी अगधकारी का स्वाित गकया और कहा गक इस

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हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्ि िेत्र र्में प्रखर गक्षि से प्रकाक्षशि िंो रिंी िैं। - छक्षवनाथ पांडेय।

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तरह के काययशाला के आयोजन से अगधकागरयों को न गसफय राजभाषा नीगत का ज्ञान होिा बष्ल्क इसके अनुपालन में उनकी भगूमकाओं से भी उन्हें अवित कराया जा सकेिा। काययशाला में जो गवषय गिए िए वह बहुत ही उपयोिी है और इससे संस्थान को अवश्य लाभ गमलेिा।

तिोपरातं िॉ. राजीव कुमार रावत, वहिी अगधकारी, भा. प्रौ.सं. खडिपरु ने पावर प्वाइंट की प्रस्तुगत के माध्यम से बहुत ही सरल तरीके से ससं्थान के अगधकागरयों को राजभाषा से संबंगधत नीगत, अगधकागरयों की भगूमकाओ,ं संसिीय सगमगत की अपेक्षाएं जैसे गवषयों पर अपने अनुभवों को साझंा।

काययशाला का गद्वतीय सत्र संस्थान के गनजी सगचवों के गलए आयोगजत गकया िया था जो गक उनकी कायय-शैली पर कें गद्रत था। इस िौरान िॉ. राजीव कुमार रावत ने सभी प्रगतभागियों को राजभाषा नीगत का पगरचय, वार्शषक काययिम की जानकारी, पत्राचार से संबंगधत लक्ष्य, वहिी गटप्पगियों की ििना, वहिी के संसागधत उपकरि जैसे गवषयों पर जानकारी प्रस्तुत की और अपेक्षा की गक व ेअपने िागयत्वों का गनवाहन करते हुए संस्थान में राजभाषा का प्रचार-प्रसार बढाए।

काययशाला का तृतीय सत्र गिनाकं 29.12.2015 को संस्थान के कमयचागरयों के गलए आयोगजत गकया िया था। काययशाला में गवगभन्न अनुभािों/गवभािों से लिभि 20 कमयचागरयों ने भाि गलया। मुख्य वक्ता िॉ. रावत ने राजभाषा नीगत का पगरचय, नोवटि एव ं ड्राप्फ्टि, अनुवाि प्रगशक्षि, िाक प्रगवष्ठट में वहिी की प्रगवष्ठट, वहिी से संबगधत प्रोत्साहन योजनाए,ं वहिी उपकरिों की जानकारी के साथ वहिी के कायान्वयन के गलए महत्वपूिय वबेसाइटों की जानकारी िी। इस िौरान श्री गनगतन जैन ने उपष्स्थत कमयचागरयों से अपेक्षा की गक व ेसभी अपने िैगनक कामकाजों में वहिी का प्रयोि बढाए ंगजससे संस्थान राजभाषा गवभाि, िृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गनधागरत लक्ष्यों को प्राप्त कर सके। इसके साथ ही उन्होनें कहा गक हमारा प्रयास तभी सफल होिा जब आप सभी प्रगतभािीिि अपने िैगनक कायालयीन िगतगवगधयों में वहिी के प्रयोि को बढाए।

1. प्रो.बी.के.विंिव ने गिनाकं 02.11.2015 को अभ्याित प्राध्यापक के रूप में काययग्रहि गकया और उन्हें खगनज, धातुकार्शमकी एव ंपिाथय गवज्ञान गवद्यापीठ में पिस्थागपत गकया िया ।

2. श्री िुिा प्रसाि आचायय ने गिनाकं 02.11.2015 को सह नेटवकय प्रशासक (सगंविा पर) के रूप में काययग्रहि गकया और उन्हें कंप्यटूर एव ंसूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं एव ंप्रकोठठ (सीआईटीएससी) में पिस्थागपत गकया िया।

3. िॉ. गिव्या उंद्राकोंिा ने गिनाकं 06.11.2015 को गचगकत्सा अगधकारी (आवासीय) के रूप में काययग्रहि गकया और उन्हें गचगकत्सा इकाई के रूप में पिस्थागपत गकया िया।

4. श्री गबलेंिु मोहातंी ने गिनाकं 16.12.2015 को अधीक्षि अगभयंता (संगविा पर) के रूप में काययग्रहि गकया और उन्हें अगभयागंत्रकी प्रकोठठ में पिस्थागपत गकया िया।

5. िॉ. ललन कुमार ने गिनाकं 28.12.2015 को सहायक प्राध्यापक (सगंविा पर) के रूप में काययग्रहि गकया और उन्हें गवदु्यत गवज्ञान गवद्यापीठ में पिस्थागपत गकया िया।

6. िॉ. के.आर.श्रीवत्सन ने गिनाकं 30.12.2015 को अभ्याित प्राध्यापक के रूप में काययग्रहि गकया है और उन्हें गवदु्यत गवज्ञान गवद्यापीठ में पिस्थागपत गकया िया है।

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िंर्मारी नागरी दुक्षनया की सबसे अक्षधक वैज्ञाक्षनक क्षलक्षप िैं। - रािुंल सांकृत्यायन।

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धमयवीर भारती का जन्म 25 गिसंबर 1926 को प्रयाि में हुआ और गशक्षा-िीक्षा भी वहीं गवश्वगवद्यालय से हुई। भारती ने प्रथम श्रेिी में एम ए करने के बाि िॉ धीरेन्द्र वमा के गनिेशन में गसि सागहत्य पर शोध प्रबधं गलखकर पीएच.िी की उपागध प्राप्त की। िा. भारती की गशक्षा-िीक्षा और काव्य-संस्कारों की प्रथम संरचना प्रयाि में हुई। उनके व्यष्क्तत्व और उनकी प्रारंगभक रचनाओं पर पगंित माखनलाल चतुवेिी के उच्छल और मानगसक स्वच्छंि काव्य संस्कारों का काफी प्रभाव था। भारती के कगव की बनावट का सबसे प्रमुख िुि उनकी वैठिवता है। पावनता

साक्षिंत्य रं्मच

ठंिा लोहा! ठंिा लोहा! ठंिा लोहा! मेरी िुखती हुई रिों पर ठंिा लोहा!

मेरी स्वप्न भरी पलकों पर

मेरे िीत भरे होठों पर मेरी ििय भरी आत्मा पर स्वप्न नहीं अब िीत नहीं अब ििय नहीं अब

एक पतय ठंिे लोहे की मैं जम कर लोहा बन जाऊाँ -

हार मान लूाँ - यही शतय ठंिे लोहे की

ओ मेरी आत्मा की सगंिनी!

तुम्हें समर्शपत मेरी सासं सासं थी, लेगकन मेरी सासों में यम के तीखे नेजे सा

कौन अडा है?

और हल्की रोमागंटकता का स्पशय और भीनी झनकार भारती की कगवताओं में सवयत्र पाई जाती है। इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'ठंडा लोहा' और प्रथम उपन्यास 'िुनाहों का िेवता' अत्यंत लोकगप्रय हुए। इनके द्वारा गलखा हुआ प्रथम काव्य नाटक 'अंधा युि' संपूिय भारतीय सागहत्य में अपने िंंि की अलि रचना है। इनकी कगवताओं की अलि और महत्वपूिय पहचान के कारि ही अजे्ञय ने उन्हें अपने द्वारा संपागित िूसरे सप्तक में संकगलत गकया। 'ठंडा लोहा' के अगतगरक्त उनका एक कगवता-संग्रह 'सात िीत वषय' भी प्रकागशत हुआ। लंबी कगवता के के्षत्र में राधा के चगरत्र को लेकर कनुगप्रया नामक उनकी कगवता अत्यंत प्रगसध्ि हुई। इसके अगतगरक्त उन्होंने प्रयोि के स्तर पर 'सूरज का सातवा ंघोडा' नामक एक सवयथा नये िंंि का उपन्यास गलखा। 'चािं और टूटे लोि' तथा 'बंि िली का आगखरी मकान' उनके िो कथा-संग्रह हैं। वषय 1972 में धमयवीर भारती को पद्मश्री से अलंकृत गकया िया। उनकी 90वीं जन्मजयंती पर प्रस्तुत है उनकी लोकगप्रय कगवता :- “ठंडा लोिंा”

ठंिा लोहा! मेरे और तुम्हारे भोले गनश्चल गवश्वासों को

कुचलने कौन खडा है ? ठंिा लोहा!

ओ मेरी आत्मा की सगंिनी! अिर वजििी की कारा में

कभी छटपटाकर मुझको आवाज लिाओ और न कोई उत्तर पाओ

यही समझना कोई इसको धीरे धीरे गनिल चकुा है इस बस्ती में िीप जलाने वाला नहीं बचा है

सूरज और गसतारे ठंिें राहे सूनी

गववश हवाए ं शीश झुकाए खडी मौन हैं

बचा कौन है? ठंिा लोहा! ठंिा लोहा! ठंिा लोहा!

: डॉ. राज कुर्मार हसिं (प्राध्यापक प्रभारी, राजभाषा)

डॉ. अक्षखलेश कुर्मार हसिं, सिंायक प्राध्यापक, एसबीएस एवं डॉ. राजन झा, सिंायक प्राध्यापक, एसबीएस

श्री क्षनक्षिन जैन, कक्षनष्ट्ठ हिंदी अनुवादक

अंक - 08 नवंबर-द्वििंबर वर्ष - 2015

अंगे्रजी से भारि की रिा निंीं िंो सकिी। - पं. कृ. क्षपल्लयार।