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    DC (KN) 182463© UCLES 2019 [Turn over

    Cambridge Assessment International EducationCambridge International Advanced Subsidiary Level

    *1108808897-I*

    HINDI LANGUAGE 8687/02Paper 2 Reading and Writing October/November 2019INSERT 1 hour 45 minutes

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    NL 169416/2© UCLES 2019 [Turn over

    Cambridge Assessment International EducationCambridge International Advanced Level

    HINDI 9687/02

    Paper 2 Reading and Writing October/November 2019

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    अतंर्पत्र

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    8687/02/INS/O/N/19© UCLES 2019

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    भाग 1

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    बंूद-बूंद नहीं बरतेंगे, तो बंूद-बंूद को तरसेंगे

    रानी की ज़रूरत में लगातार हो रही वृद्धि, भूममगत जल के अधंाधुंध दोहन से भूजल के सतर में जजस तजे़ी से कमी आ रही है, उसे देखत ेहुए लगता है कक वर्प 2100 में रानी के मलये लोग तरस जायेंगे। साफ़ रानी की कमी के कारण हैजा, डेंगू, मलेररया जसैी बीमाररयों के साथ कुरोरण के मामलों में की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। तातरय्प यह कक दनुनया की दो अरब आबादी को आज मजबूरी में दषूरत रानी रीना रड़ रहा है। इनमें से 63 करोड़ लोग भारत और दक्षिण रूव्प एमशयाई देशों में रहत ेहैं। षवशव सवास्थय संगठन की रररोर्प के अनुसार दनुनया भर में दो अरब लोग दषूरत और मलयुकत स्ोत से ननकले हुए रेयजल का उरयोग करत ेहैं।

    खेती रर ननभ्पर लोगों को बढ़त ेतारमान के बीच खाद्ान्न रदैा करने में और मवेमशयों का चारा जुराने में आज की अरेषिा अधधक मुजशकलों का सामना करना होगा। जजस तजे़ी से तले, प्ाकृनतक गैस और कोयले की खरत रर ननभ्परता बढ़ती जा रही है, उसे देखत ेहुए लगता है यह उतराद उतनी मात्रा में उरलबध नहीं होंगे जजतनी उनकी आवशयकता होगी। इनके रया्पपत रह राने की आशा न के बराबर है। इस बात के प्माण हैं कक वर्प 2040 तक तले के उरयोग में राँच से दस प्नतशत तक की कमी आयेगी। अषिय उजा्प यानी रवन और सौर उजा्प के उरयोग में जजस तजे़ी से वृद्धि हो रही है, उसे देखत ेहुए इसमें लगातार होगी।

    भारत शहरी कांनत के कगार रर है। यहाँ नये-नये शहर और कसबे तजे़ी से बढ़ रहे हैं। रररणामसवरूर खेती योगय ज़मीन तजे़ी से कम होती जा रही है। जंगल ख़तम होने के कारण रक्षियों और वनयजीवों के आवास सथल भी उसी तजे़ी से लुपत होत ेजा रहे हैं। संयुकत राष्ट्र के अनुसार इस षिेत्र के शहरों और कसबों की आबादी 2031 तक 60 करोड़ का आकंड़ा रार कर जायेगी।

    वर्प 2050 तक समय से रहले होने वाली मौतों का एक अहम कारण वायु प्दरूण होगा। रया्पवरण में ददनोंददन हो रही धगरावर के कारण 80 अरब डॉलर प्नतवर्प की दर से सकल घरेलू उतराद घरा है। सदी के अतं तक वृधिधों की तादाद दनुनया भर में 23 प्नतशत के करीब होगी। जीवन प्तयाशा वर्प 2100 में 68 साल से बढ़कर 81 साल हो जायेगी। इन हालातों में समरूण्प जनसंखया के बेहतर जीवन की आशा कैसे की जा सकती है। षवशव जनसंखया ददवस 11 जुलाई के ददन जनसंखया ननयंत्रण के केवल संकलर ही को लेने से कुछ नहीं होने वाला, उसे जीवन में काय्पजनवत करना होगा। तभी कुछ बेहतर भषवष्य की उममीद की जा सकती है अनयथा नहीं।

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    भाग 2

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    बाररश के ददनों की संख्ा घटी

    बुंदेलखंड में अकाल और सूखे के घाव गहरे होत ेजा रहे हैं। जीने की संभावनाएं कमशः कम होती जा रही हैं। षरछले 10 सालों में बाररश के ददनों की संखया घर कर कमशः 52 से 23 रर आ गई है। चारों तरफ रहाड़ी शृंखलायें, ताल-तलयेै, बारहमासी नालों और नददयों से नघरा इलाका अतीत में भले ही गौरवशाली रहा हो लेककन इसका वत्पमान जसथनत की एक ऐसी कहानी मलख रहा है, जजससे ककसी बेहतर भषवष्य की आशा नहीं की जा सकती। इसमलए भी नहीं कयोंकक ताज़ा संकर के हल सीममत रहे हैं।

    दभुा्पगय से यह अचंल षवकास के नाम रर सूखा इलाका बना ददया गया है। यहाँ की ज़मीन खाद्ान्न, फलों, और तमबाकू की खेती के मलए बहुत उरयोगी मानी गई है। षरछले 10 वरषों में बुंदेलखंड में खाद्ान्न उतरादन में 55 फीसदी और उतरादकता में 21 प्नतशत की कमी आई है। प्ाकृनतक संसाधनों के बाजारू दोहन के कारण रारंरररक खेती भी नष्र हो गई है। लेककन अभी भी ककसान दहत के सुधार का कोई प्सताव ददखाई नहीं देता है।

    बुंदेलखंड की औसत बाररश 95 सेंरीमीरर है, जजससे यहाँ रानी की कमी बनी रहती है। ऐसे में कम बाररश में रनरने वाली फसलों को प्ोतसाहन देने की ज़रुरत थी। इस इलाके में दालों के उतरादन को बढ़ावा नहीं ददया गया, जो कक शायद बुंदेलखंड के मलए एक अचछा षवकलर हो सकता था। धान की तुलना में इसमें केवल एक नतहाई रानी ही लगता है। लेककन मुनाफे की ललक में बड़ ेककसानों ने सोयाबीन और करास जसेै षवकलरों को चुना।

    यहाँ की ज़मीन उरजाऊरन खो रही हैं, जजसे उरजाऊ बनाए रखने की ज़रूरत है, रर ऐसा ना करके भूमम को खननज खदानों और सीमेंर के कारखानों के मलए बाँरा जा रहा है। सीमेंर के कारखाने केवल अरनी ज़मीन का ही उरयोग नहीं करत ेहैं बजलक आस-रास की सकैड़ों एकड़ ज़मीन को भी बबा्पद कर देत ेहैं। खेतों में कारखानों के प्दरूण ने एक बड़ी आबादी को बीमारी की चरेर में ले रखा है।

    ज़मीन की नमी गयी तो गहरे नलकूर खोद कर ज़मीन का रानी खींच कर ननकालने की शुरुवात हुई और भू-जल स्ोतों को सुखाना शुरू कर ददया गया। जल षवभाग की रररोर्प बताती है कक बुंदेलखंड षिेत्र के जजलों के कुओ ंमें रानी का सतर नीचे जा रहा है। दसूरी ओर हर साल बाररश में धगरने वाले 70 हजार मममलयन कयूबबक मीरर रानी में से 15 हजार मममलयन कयूबबक मीरर रानी ही ज़मीन में उतर राता है। अब ऐसे में यदद 1000 ममलीमीरर बाररश हो भी जाए तो कया रानी थोड़ा भी ज़मीन में उतर रायेगा? कया ऐसे में भू-जल सतर बढ़ रायेगा?

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    To avoid the issue of disclosure of answer-related information to candidates, all copyright acknowledgements are reproduced online in the Cambridge Assessment International Education Copyright Acknowledgements Booklet. This is produced for each series of examinations and is freely available to download at www.cambridgeinternational.org after the live examination series.

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