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1 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS VISIONIAS www.visionias.in समसामयिकी अैल 2017 Copyright © by Vision IAS All rights are reserved. No part of this document may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without prior permission of Vision IAS.

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    समसामयिकी अपै्रल – 2017

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  • 2 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    विषय सूची

    1. राजव्यिस्था और सवंिधान ................................................ 5

    1.1. मोटर िाहन (संशोधन) विधेयक, 2017 ........................... 5

    1.2. विछड़े िगों के वलए राष्ट्रीय अयोग.................................. 6

    1.3. िािस बुलाने का ऄवधकार ............................................ 7

    1.4. तवमलनाडु में हुअ ईिचुनाि रद्द .................................... 8

    1.5. हहदी भाषा का संिधधन................................................. 8

    1.6. राष्ट्रध्िज और राष्ट्रगान ................................................. 9

    1.7. IPC की धारा 295A के ऄंतगधत धमध के ऄिमान िर SC का

    वनणधय ............................................................................ 9

    1.8. यातना रोधी विधान की अिश्यकता ............................. 10

    1.9. राजमागों के ककनारे शराब िर प्रवतबन्ध ......................... 11

    1.10. RTI वनयम, 2017 का प्रारूि ................................... 12

    1.11. राज्यिाल की भूवमका: ऄंतरराज्यीय िररषद ................. 12

    1.12. संसदीय सवमवतया ं.................................................. 14

    1.13. राष्ट्रीय लोक ऄदालत ............................................... 14

    1.14. किल्मों की िूिध सेंसरवशि हो या नहीं? ......................... 15

    1.15. ररयल एस्टेट (डेिलिमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट 2016 ........ 16

    1.16. सािधजवनक सेिाओं में भ्रष्टाचार में वगरािट.................... 16

    1.17. िोटर िेररिाआड िेिर ऑवडट टे्रल्स (VVPAT) .............. 17

    2. ऄतंराधष्ट्रीय/ भारत और विश्व............................................. 19

    2.1. भारत-बांग्लादशे ...................................................... 19

    2.2. भारत-तुकी ............................................................. 20

    2.3. भारत-साआप्रस ......................................................... 21

    2.4. भारत- अमीवनया .................................................... 22

    2.5. भारत-िोलैंड ........................................................... 22

    2.6. भारत-ऑस्टे्रवलया ..................................................... 23

    2.7. भारत-यूरोिीय संघ .................................................. 24

    2.8. भारत-चीन ............................................................. 24

    2.9. भारत-िाककस्तान ..................................................... 24

    2.10. भारत-ऄमरीका ..................................................... 25

    2.11. तुकी का जनमत संग्रह ............................................. 25

    2.12. ऄिगावनस्तान िर िैवश्वक सम्मेलन............................. 26

    2.13. 457 िृकग िीजा में िररितधन ................................... 27

    2.14. यूरेवशयाइ अर्थथक संघ............................................. 27

    3. ऄथधव्यिस्था ................................................................ 29

    3.1 कृवष वििणन ........................................................... 29

    3.1.1. कृवष वििणन िर मॉडल कानून का मसौदा ............... 29

    3.1.2. नीवत अयोग द्वारा ऄनुशंवसत कृवष वििणन सुधार ..... 29

    3.2. कृवष ऊण मािी ...................................................... 30

    3.3. कागज क्षेत्रक ........................................................... 31

    3.4. िॉिरटैक् स आंवडया..................................................... 32

    3.5. रेलिे क्षेत्रक में विकास ............................................... 33

    3.5.1. रेलिे विकास प्रावधकरण ...................................... 33

    3.5.2. भारतीय रेलिे की ियधटन नीवत का मसौदा .............. 34

    3.5.3. ऄव्यिहाररक मागों के वलए ऄनुदान ....................... 34

    3.6. ऄिसंरचना वित्तिोषण .............................................. 35

    3.6.1. दीघाधिवधक वित्त बैंक .......................................... 35

    3.6.2. राज्यों को विदशेी ऊण के वलए ऄनुमवत .................. 35

    3.7. FRBM की समीक्षा के वलए गरित सवमवत की वसिाररशें ... 36

    3.8. जनरल एंटी-ऄिॉयडेंस रूल्स ....................................... 37

    3.9. तकनीकी िस्त्र .......................................................... 38

    3.10. रत्न और अभूषण क्षेत्रक ........................................... 39

    3.11. िाम ऑयल के ईत्िादन में िृवि करना ......................... 40

    3.12. स्टाटध-ऄप्स बौविक सम्िदा सरंक्षण योजना ................... 41

    3.13. वबजनेस ररिामध ऐक्शन प्लान 2017 .......................... 41

    3.14. ED ने 300 शेल (छद्म) िमों िर कड़ी कायधिाही की ....... 42

    3.15. ग्लोबल एिडीअइ कॉवन्िडेंस आंडेक्स .......................... 42

    3.16. विदशेी िमों के साथ विलय के वनयम सरल ककए गए ...... 43

  • 3 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    3.17. नया कमधचारी िेंशन योजना ...................................... 43

    3.18. यात्रा एिं ियधटन प्रवतस्िधाधत् मक सूचकांक ..................... 43

    3.19. राष्ट्रीय कृवष विकास योजना (RKVY) के ऄंतगधत सृवजत

    िररसंिवत्तयों की वजयो-टैहगग ............................................. 44

    3.20. अईटकम बजट ...................................................... 45

    3.21. गत्यात्मक ईंधन मूल्य वनधाधरण .................................. 45

    3.22. भारतीय ररजिध बैंक की संशोवधत त्िररत सुधारात्मक

    कारधिाइ ........................................................................ 46

    4. सरुक्षा ....................................................................... 47

    4.1.वडिेन्स प्रोक्योरमेंट अगेनाआजेशन ................................. 47

    4.2. सीमा प्रबंधन और संघषध विराम ईल्लंघन ........................ 47

    4.3. सशस्त्र बल विशेष शवियां ऄवधवनयम ........................... 49

    4.4. वित्तीय क्षेत्र की साआबर सुरक्षा ..................................... 49

    4.5. रासायवनक हवथयार ................................................. 50

    5. ियाधिरण .................................................................... 51

    5.1. ड्राफ्ट गंगा मॉडल लॉ ................................................ 51

    5.2. िौधों और बीज के क्षेत्र में व्यािार को सुरवक्षत करने हतेु नए

    िैवश्वक मानक को ऄिनाया गया ......................................... 52

    5.3. हाआड्रोजन फ्यूल व्हीकल ............................................ 53

    5.4. वसटी कम्िोस्ट िॉवलसी .............................................. 54

    5.5. शाहतूश व्यािार ....................................................... 54

    5.6. िृक्षिासी केकड़े की प्रजावत ......................................... 54

    5.7. कांग्रेस घास ............................................................ 55

    5.8.मेसोिेलेवजक मैहिग ................................................... 55

    5.9. िन ऄवधकारों के विरुि NTCA का अदशे .................... 56

    5.10 जलिायु िररितधन के कारण कनाडा की नदी की प्रिाह की

    कदशा में िररितधन: ऄध्ययन................................................ 57

    5.11 विवशष्ट महुअ िृक्ष ................................................... 57

    5.12. निीकरणीय उजाध: हाल में हुए विकास ........................ 58

    5.12.1 2016-17 में 5,400 मेगािाट ररकॉडध ििन उजाध का

    ईत्िादन .................................................................... 58

    5.12.2 ििन, सौर संसाधन: ऄिवस्थवत ............................ 58

    5.12.3 ििन उजाध सुधार: भुगतान सुरक्षा ......................... 59

    5.12.4 सोलर रूिटॉप्स िर कोइ शुल्क नहीं ...................... 59

    5.13 ओवडशा को GCF द्वारा ऄनमुोकदत िररयोजना प्राप्त हुइ ... 60

    5.14 कृवष क्षेत्रों िर ऄमोवनया हॉटस्िॉट्स ............................ 60

    5.15 िराली दहन िर रोक लगाने हतेु नीवत में िररितधन .......... 60

    5.16 सीमेंट ईद्योग: प्रदषूण ............................................... 61

    5.17 खराइ उंट ............................................................. 62

    6. विज्ञान और प्राद्यौवगकी .................................................. 63

    6.1. ऄंतररक्ष मलबे को नष्ट करने के वलए प्रयास ..................... 63

    6.2. सिे ऑफ़ आंवडया ...................................................... 63

    6.3. डेटा आक्सक्लुवसविटी ................................................. 65

    6.4. CERN द्वारा नइ भौवतकी के "संकेत" ........................... 65

    6.5. शरीर की गवत से चाजध होने िाला िेिर वडिाआस .............. 66

    6.6. शवन का छोटा चन्रमा जीिन को िोवषत कर सकता ह:ै नासा66

    6.7. साआंस वसटीज स्कीम ................................................. 67

    6.8.सुिर प्रेशर बैलून टेक्नालजी:.......................................... 68

    6.9.एक्सोप्लेनेट: GJ 1132B ........................................... 68

    6.10. H1N1 ................................................................ 68

    6.11. BELLE II प्रोजेक्ट ................................................ 69

    6.12. ब्रॉबो रोबोट......................................................... 70

    6.13. प्रथम ग्लोबल आंटरनेट एटलस ................................... 70

    6.14. निीन ग्रािीन आलेवक्ट्रकल कंडक्टर ............................. 70

    6.15.अँख के लेंस के सदशृ स्माटध ग्लासेज ............................. 71

    6.16. IDEAS - समस्या के वनदान हतेु 1 करोड़ रु का िुरस्कार 71

    7. सामावजक .................................................................. 72

    7.1. राष्ट्रीय स्िास््य नीवत 2017 ....................................... 72

    7.2. HIV/एड्स विधेयक .................................................. 73

    7.3. िर्टटक्युलली िल्नरेबल ट्राआबल गु्रप्स.............................. 75

    7.4. प्रवतसूक्ष्मजीिी प्रवतरोध िर राष्ट्रीय कायध योजना .............. 76

    7.5. जेनेररक दिाओं के वलए कानून ..................................... 77

    7.6. मानवसक स्िास््य ..................................................... 78

    7.7. शोधगंगा ................................................................ 79

  • 4 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    7.8. भारत ने दवृष्टहीनता की िररभाषा में िररितधन ककया ......... 80

    7.9. बेघर िररिारों की संख्या में िृवि: जनगणना 2011 .......... 81

    7.10. ट्रॉविकल नेग्लेक्टेड वडजीज ....................................... 81

    8. ससं्कृवत ...................................................................... 83

    8.1 चंिारण सत्याग्रह ..................................................... 83

    8.2 िाषाण कला ........................................................... 83

    8.3 दक्कन की प्राचीन धरोहरों का जीणोिार एिं संरक्षण .......... 84

    8.4 हसधी भाषा ............................................................. 84

    8.5 सावहत्य ऄकादमी िुरस्कार ......................................... 85

    8.6 चेन्नाकेशि मंकदर ....................................................... 85

    8.7 BORI द्वारा दलुधभ िांडुवलवियों का वडवजटलीकरण ........... 86

    8.8 िाआक विरोह ........................................................... 86

    9. एवथक्स ..................................................................... 87

    9.1. मेवडकल एवथक्स- डॉक्टरों िर अक्रमण ......................... 87

    9.2. सेवलवब्रटी विज्ञािनकताधओं की वजम्मेदारी ....................... 87

    10. विविध .................................................................... 89

    10.1. VIP बीकन लाआट .................................................. 89

    10.2. ‘भारत के िीर’ िेब िोटधल ......................................... 89

    10.3. ऄसम सरकार ने दो बच्चों (टू-चाआल्ड) के वनयम का प्रस्ताि

    रखा ............................................................................. 89

    10.4. TRAI के िरामशध ित्र िर टेवलकॉम का जिाब ............... 90

    10.5. ऄंतराधष्ट्रीय योग कदिस के वलए डाक रटकट .................... 90

    10.6. नेशनल ओरल हले्थ प्रोग्राम ....................................... 91

    10.7. राष्ट्रीय ईच्चतर वशक्षा ऄवभयान .................................. 91

    10.8. मवहलाओं के प्रिेश को बढ़ाने के वलए IIT सीटों में 20%

    की िृवि करेगा ............................................................... 91

    10.9. ईन्नत खेती-समृि ककसान योजना ............................... 92

    10.10. िचुधऄल करेंसी रेग्युलेशन के वलए सवमवत ................... 92

    10.11. IndAS में ट्रांजीशन .............................................. 92

    10.12. सागरमाथा फ्रें डवशि - 2017 .................................. 93

    10.13. मैवसि ऑडधनेंस एयर ब्लास्ट बम .............................. 93

    10.14. िायर सेफ्टी वबल का मसौदा .................................. 93

    10.15. टेस्ट एंड ट्रीट िॉवलसी िॉर HIV .............................. 94

  • 5 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    1. राजव्यिस्था और संविधान

    (POLITY AND CONSTITUTION)

    1.1. मोटर िाहन (सशंोधन) विधयेक, 2017

    (Motor Vehicles (Amendment) Bill, 2017)

    सरु्थियों में क् यों?

    मोटर िाहन (संशोधन) विधेयक लोकसभा द्वारा ऄप्रैल 2017 में िाररत ककया गया।

    2017 के आस विधयेक के महत् ििणूध प्रािधान

    थडध िाटी आंश्योरेंस – 2017 के आस विधेयक में, 2016 के विधेयक (संशोधन) में ईिलब्ध थडध िाटी आंश्योरेंस के वलए दयेता िर वनधाधररत

    उिरी सीमा को समाप्त कर कदया गया ह।ै

    थडध िाटी आंश्योरेंस के ऄतंगधत क्षवतिरू्थत चाहन े िाल े दािाकताधओं को ऄतंररम राहत प्रदान करन े हते ु योजना- 2017 का विधेयक आस

    योजना के ऄंतगधत ऄथधदडं से संबंवधत प्रािधानों को हटाता ह।ै

    वहट एंड रन दघुधटनाओं हते ुवनवधयाँ – घायल व्यवि के ईिचार, क्षवतिूर्थत प्रदान करने एिं वहट एंड रन दघुधटनाओं के मामले में घायल हुए

    व्यवि या मृत व् यवि के प्रवतवनवध को क्षवतिूर्थत प्रदान करने के वलए मोटर िाहन दघुधटना वनवध का गिन ककया गया ह।ै 2016 के विधेयक

    में आस वनवध हतेु रावश के वलए कर/ईिकर के संबंध में ककए गए प्रािधान को समाप् त कर कदया गया है।

    एग्रीगटेर (aggregators) के वलए कदशावनदशे - राज्य सरकारों को केन्र सरकार द्वारा जारी ककए गए कदशा-वनदशेों के ऄनुरूि एग्रीगेटसध

    को लाआसेंस जारी करने थे, वजसे 2017 के विधेयक में िैकवल्िक बना कदया गया ह।ै

    2016 का विधेयक एग्रीगेटसध को वडवजटल वबचौवलयों या बाजार स् थलों के रूि में िररभावषत करता ह ै वजन् हें यावत्रयों द्वारा िररिहन के

    प्रयोजन से िाहन चालकों से संिकध स्थावित करने के वलए ईियोग ककया जा सकता ह ै(टैक्सी सेिाएं)।

    सड़क सरुक्षा के वलए एजेंसी – 2017 का विधेयक केन् र सरकार द्वारा ऄवधसूवचत राट ट्रीय सड़क सुरक्षा बोडध का प्रािधान करता ह ै(सुंदर सवमवत

    द्वारा की गइ ऄनुशंसा के ऄनुसार)।

    सड़क वडज़ाआन एि ंऄवभयावंत्रकी– 2017 का विधेयक यह प्रािधान करता ह ैकक सड़कों की वडज़ाआन, वन माधण, या रखरखाि हतेु वजम् मेदार

    ककसी भी िेकेदार या िरामशधदाता को राज्य/केन् र सरकार द्वारा वनिदष्ट मानकों का ऄनुिालन करना होगा और सड़क दघुधटनाओं के वलए बुरे

    चालकों के स् थान िर ईसे भी वजम् मेदार माना जाएगा और ऄथधद ड लगाया जाएगा।

    िरेशानी मिु और त्िररत सिेाएं: यह विधेयक ड्राआहिग लाआसेंसों की िैधता को बढ़ाने, लुनग लाआसेंस ऑनलाआन प्राप् त करने एिं ड्राआहिग

    लाआसेंस जारी ककए जाने हतेु न्यूनतम योग्यता की अिश्यकता को समाप् त करता ह।ै

    किोर ऄथधद ड: शराब िीकर िाहन चालन, खतरनाक िाहन चालन, चालकों द्वारा सुरक्षा मानदडों (जैसे हेलमेट िहनना आत् याकद) के गैर-

    ऄनुिालन हतेु किोर ऄथधदडं का प्रािधान ककया गया है। आस विधेयक ने िाहन चलाते समय िकड़े गए ऄल् िियस् कों के माता-विता के वलए

    तीन िषध का कारािास एिं साथ ही िीवड़ त व् यवि को 10 गुना क्षवतिरू्थत प्रदान करना प्रस्तावित ककया ह।ै

    अधार: ड्राआहिग लाआसेंस हतेु अिेदन करने के वलए आस संख्या की अिश् यकता ह।ै

    नए विधयेक के लाभ

    एकीकृत दवृष्टकोण – सड़क सुरक्षा सुवनवित करने के वलए प्रत् येक स्तर िर प्रत्येक व् यवि को समान रूि से वजम्मेदार बनाने के वलए दावयत्ि

    तय ककया जा रहा है।

    वडवजटलीकरण – यह िजी ड्राआहिग लाआसेंस प्राप् त करने के कायध को करिन बनाएगा क् योंकक आसे अधार के साथ हलक ककया जाएगा एिं

    िाहनों का इ-िंजीकरण चोरी को हतोत्सावहत करेगा एिं एक राज्य से दसूरे राज् य में िाहन के िंजीकरण के ऄंतरण (portability) की दवृष्ट

    से सुगमता को प्रोत्सावहत करेगा।

    वनयम बि – कायाधवन्ित ककए जाने िर, िरीक्षण के वबना ड्राआहिग लाआसेंस प्राप्त करना राजनेताओं सवहत ककसी भी व् यवि के वलए ऄसभंि

    होगा।

    सड़क सरुक्षा – विशेष रूि से यातायात के ईल्लंघनकताधओं को लवक्ष त करते हुए कड़े दंड प्रािधानों का प्रयोग एिं प्राथवमकता क्षेत्रकों की

    िहचान करना सड़क सुरक्षा में सुधार करेगा।

    चनुौवतया ँ

    यकद हम सड़क दघुधटना के कारण होने िाले मौतों को कम करना चाहते हैं तो हमें िुवलस बल को िेशेिर और जिाबदेह बनाने की

    अिश् यकता ह।ै 2015 में आसकी संख्या 1,46,133 थी।

  • 6 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    राज्य सरकारों को संशोवधत कानून में वनधाधररत प्रशासवनक सुधारों के प्रारंवभक रोल-अईट का भी ऄवनिायध रूि से वनमाधण करना चावहए,

    जैसे लुनग लाआसेंस को ऑनलाआन जारी करना।

    ररसचध से िता चलता ह ैकक किोर ऄथधदडं ऄवधरोवित करने से सड़क के वनयमों के प्रितधन का स्तर कम होता ह।ै IIT कदल्ली की भारत में

    सड़क सुरक्षा ररिोटध, 2015 के ऄनसुार कानून का वनिारक प्रभाि दडं की गंभीरता और तीव्रता एिं साथ ही साथ ईल्लंघनों के वलए िकड़े

    जाने की ईच् च संभािना की धारणा िर वनभधर करता है।

    1.2. विछड़े िगों के वलए राष्ट्रीय अयोग

    (National Commission for Backward Classes)

    सरु्थियों में क्यों ?

    लोकसभा ने एक संिैधावनक संशोधन विधेयक िाररत ककया ह ैजो संविधान में राट ट्रीय विछड़ा िगध अयोग (NCBC) को शवैक्षक और

    सामावजक रूि स ेविछड़े िगों के वलए राष्ट्रीय अयोग के नाम से िुनधनामकरण करता है।

    आसके साथ-साथ 1993 के कानून का वनरसन करने के वलए राष्ट्रीय विछड़ा िगध अयोग विधेयक, 2017 नामक एक विधेयक भी िाररत

    ककया गया।

    विधयेक की विशेषताएं

    सिंैधावनक प्रवस्थवत: शैवक्षक और सामावजक रूि से विछड़े िगों के वलए ऄनचु् छेद 338B के ऄंतगधत एक अयोग का गिन।

    दो के स् थान िर एक सचूी: यह ऄनुसूवचत जावत और ऄनुसूवचत जनजावत हतेु सूची की भाँवत, ऄन् य विछड़ा िगध के वलए भी केिल एक

    कें रीय सूची का ऄनुबंध करता ह।ै केन्र तथा राज्य विछड़ा िगध सूवचयों का कोइ समांतर ऄवस्तत् ि नहीं होगा।

    समािशे/बवहटकार का वनणधय ससंद द्वारा ककया जाना - ऄनुच्छेद 342A के ऄंतगधत राष्ट्रिवत विवभन्न राज्यों और संघ राज् य क्षेत्रों में शैवक्षक

    और सामावजक रूि से विछड़े िगों को वनिदट ट कर सकता ह।ै यह कायध िह संबंवधत राज्य के राज्यिाल के िरामशध से कर सकता ह।ै लेककन,

    यकद विछड़े िगों की सूची में संशोधन ककया जाना ह ैतो संसद के कानून की अिश्यकता होगी।

    विकास: अरक्षण के ऄवतररक् त आस विधेयक ने विकासात्मक अिश्यकताओं को मान्यता प्रदान की ह।ै यह शैवक्षक और सामावजक रूि से

    विछड़े िगों की वशकायतों को सुनेगा। ईल्लेखनीय ह ैकक यह कायध ऄब तक ऄनुच् छेद 338 के ऄंतगधत राष्ट्रीय ऄनुसूवचत जावत अयोग द्वारा

    सम् िन् न ककया जाता रहा ह।ै

    शवैक्षक और सामावजक रूि स ेविछड़े िगों की िररभाषा: ऄनुच् छेद 342A के ऄंतगधत ''शैवक्षक और सामावजक रूि से विछड़े िगध'' माने जान े

    िाले विछड़े िगों को िररभावषत करने के वलए ऄनुच् छेद 366 के ऄंतगधत ख ड (26C) का समािेश।

    सशंोधन के लाभ

    िारदर्थशता: ऄब कायधकारी अदशे के माध्यम से वलए जान े िाले वनणधय के बजाए संसद के माध्यम से ऐसे वनणधय लेने होंगे, वजससे

    िारदर्थशता को बढ़ािा वमलेगा।

    राजनीवतक ऄिसरिाद: गैर विछड़ा िगध समुदायों द्वारा आस सूची में ऄिना नाम सवम्मवलत ककए जान ेहतेु दबाि डाले जाने के प्रवत राज्य

    सरकारों एिं कें र सरकार के मनमानेिन िर ऄंकुश लगेगा, क्योंकक वििक्ष सरकार िर सरलतािूिधक दोषारोिण नहीं कर सकेगा और आस

    प्रकार चुनािों के दौरान जनसमथधन प्राप्त करने हतेु महत् ििूणध बढ़त नहीं प्राप्त कर सकेगा।

    सिंैधावनक प्रावधकरण: आसे संिैधावनक प्रावधकरण का दजाध दनेे से यह सुवनवित होगा कक ऄनसुूवचत जावत/जनजावत अयोगों के समान

    ऄन्य विछड़ा िगध के सदस्यों की वशकायतों की सुनिाइ करने के संबंध में आसे ऄवधक शवि प्राप्त होगी।

    मदु्दे

    गिन: मंडल मामलें में सिोच्च न्यायालय के वनणधय के प्रकाश में विशेषज्ञ वनकाय के रूि में NCBC का गिन करने के मामले में NCBC

    ऄवधवनयम 1993 में यह प्रािधान ह ैकक आसका ऄध्यक्ष कोइ िूिध न्यायाधीश एिं सदस्य सवचि भारत सरकार का कोइ सेिावनिृत सवचि

    स्तर का ऄवधकारी होना चावहए, एक सदस्य सामावजक िैज्ञावनक होना चावहए एिं दो व्यवि सामावजक रूि से विछड़े िगों के संबंध में

    विशेष जानकारी रखने िाले होने चावहए। नए NCBC विधेयक में विशेषज्ञ वनकाय की यह विशेषता प्रदान नहीं की गइ ह।ै

    सघंीय सरंचना: यह राज्यों में चल रही अरक्षण की मांगों को सभंालने की राज्य सरकार की शवि को कम कर देगा। आस प्रकार, यह

    विधेयक संघीय संरचना को प्रभावित करता ह।ै हालांकक, आस संशोधन विधेयक को ऄभी राज्यसभा द्वारा 2/3 बहुमत से िाररत ककया

    जाना एिं 50% से ऄवधक राज्य सरकारों द्वारा िुष्ट ककया जाना शेष ह।ै यह आस मुद्दे िर राज्यों की सहमवत को सुवनवित करेगा।

    नए NCBC की ऄनुशंसाएं ऄभी भी बाध्यकारी नहीं हैं।

    सचूी की िनुसमीक्षा: ऄनुच् छेद 338B (5) NCBC के िरामशध से सामावजक और शैवक्षक रूि से विछड़े िगध की सूची के अिवधक िुनरीक्षण

    िर सिोच् च न् यायालय के ऄवधदशे िर भी मौन ह।ै

  • 7 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    ऄनचु्छेद 366 का सशंोधन: ऄन् य विछड़े िगों की िररभाषा ईनके ितधमान सामावजक और शैक्षवणक मािदडंों की सीमाओं से िरे जाने की

    संभािना ह।ै

    ऄनसुवूचत जावत और ऄनसुवूचत जनजावत के ऄनसुार समान स्तर िर: आस संशोधन विधेयक में विछड़े िगों एिं ऄनुसूवचत जावत या

    ऄनुसूवचत जनजावत दोनों को भेदभाि, बवहटकार और हहसा की दवृष्ट से एक ही लीग में सवम्मवलत ककया ह ैवजसमें तकध और ऐवतहावसक

    औवचत्य का ऄभाि ह।ै

    चनुौवतया ँ

    यह एक ऄनसुलझा प्रश् न ह ैकक क् या राज् य आस विधेयक से सहमत होंगे। राज्यों को विश्वास में लेने की अिश् यकता होगी और यह कदखाने की

    अिश् यकता होगी कक ककसी भी प्रकार से विछड़े िगों के प्रवत कोइ ऄन्याय नहीं ककया जाएगा।

    मंडल मामले के वनणधय िर सिोच्च न्यायालय के कदशा-वनदशेों से विचलनों को सुधारे जाने की अिश्यकता ह।ै

    1.3. िािस बलुान ेका ऄवधकार

    (Right to Recall- RTR)

    िािस बुलाना मूल रूि से एक ऐसी प्रकक्रया ह ैवजसके ऄंतगधत वनिाधवचत ऄवधकाररयों को ईनके सामान्य कायधकाल की समावप्त से िहले हटाने की

    शवि मतदाताओं को प्राप् त होती ह।ै

    तावलका 1: भारत में नगर वनगम स् तर िर िािस बुलान ेके ऄवधकार हते ुप्रािधान

    मध्य प्रदशे, 2000

    मध्यप्रदशे नगरिावलका वनगम ऄवधवनयम, 1956 की धारा 24 एिं मध्य प्रदशे नगर िावलका ऄवधवनयम, 1961 की धारा 47

    छत्तीसगढ़, 2011

    छत्तीसगढ़ नगर िावलका ऄवधवनयम 1961 की धारा 47 (ऄध् यक्ष को िािस बुलाना)

    राजस्थान, 2011

    राजस्थान नगर िावलका ऄवधवनयम, 2009 की धारा 53 को 2011 में राजस्थान नगर िावलका (संशोधन) विधेयक, 2011 के रूि में

    संशोधन ककया गया था।

    वबहार, 2007

    वबहार नगरिावलका ऄवधवनयम , 2007 की धारा 17

    स्रोत: राज्य चुनाि अयोगों के अंकड़े।

    RTR की अिश्यकता क् यों?

    जिाबदेही बढ़ाना - ितधमान में, यकद मतदाता ऄिने वनिाधवचत प्रवतवनवध से ऄप्रसन् न हैं तो आस हतेु कोइ ईिाय विद्यमान नहीं ह।ै

    ऄतंरराष्ट्रीय ऄनभुि – कनाडा के एक प्रान् त में यह विद्यमान ह।ै संयुक् त राज्य ऄमेररका में कुछ राज्य विवशष्ट अधारों (जैसे कदाचार या

    भ्रष्टाचार) िर िािस बुलाने की ऄनुमवत दतेे हैं।

    तकध और न्याय - दटुकमों में संलग्न होने या ऄिने दावयत्िों के वनिधहन में वििल होने िर प्रवतवनवधयों को चुनने की तरह ही ईन्हें हटाने का

    भी ऄवधकार लोगों को प्राप् त होना चावहए।

    धनशवि की भवूमका को कम करना - यह चुनाि ऄवभयान में ककए जाने िाले व् यय को सीवमत कर सकता है, क् योंकक नैवतक रूि स े

    डांिाडोल ईम्मीदिारों द्वारा िािस बुलाए जाने के जोवखम िर विचार करते हुए व् यय कम ककया जाएगा।

    स्थानीय स्तर िर RTR स ेसबंवंधत मदु्दे

    मध्य प्रदशे में िािस बुलाने के ऄवधकार से संबंवधत ऄनुभिों (जहां यह विछले 16 िषों से संचावलत ह)ै ने सुधार के साथ जुड़ी हुइ कुछ

    कायाधत्मक समस्याओं को प्रकट ककया है, जैसे -

    िािस बुलाने के अधार मनमाने थे।

    वजला कलेक्टर द्वारा हस्ताक्षर सत्यािन प्रकक्रया ऄसंतोषजनक थी।

    िािस बुलाने के बाद होने िाले चुनाि में भाग लेने िाले नए मतदाताओं ने अम चुनाि में मतदान नहीं ककया था।

    मध्य प्रदशे में, 2000 के बाद से, नगर वनगम स्तर िर िािस बुलाने संबंधी 33 चुनाि अयोवजत ककए गए थे, जहां िदावधकाररयों को 17 बार

    िािस बुलाया गया था।

    राज्य और राष्ट्रीय स्तर िर RTR स ेसबंवंधत संभावित चनुौवतया ँ

    स्थावयत्ि का ऄभाि - यह दशे को ऄवस्थर कर सकता ह ैक्योंकक जहाँ भी कोइ ऄसंतोष ईत् िन् न होगा लोग िािस बुलाना अरम् भ कर देंगे।

    राजनीवतक ईिकरण – ऄनवभप्रेत (unintended) राजनीवतक संदेश ईत् िन् न करने में आसका दरुूियोग ककया जा सकता ह ैविशेष रूि स े

    कश्मीर और ईत्तर-िूिी राज्यों जैसे स्थानों में जहां लोग िहले से ही ऄलगाि ऄनुभि करते हैं।

  • 8 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    चनुािी ऄवनच्छा- ईम्मीदिारों को िािस बुलाने/ खाररज करने एिं एक और चुनाि होने से चुनािी ऄवनच्छा ईत् िन् न हो सकती है और

    मतदान हतेु अने िाले मतदाताओं की संख्या में कमी हो सकती है।

    अग ेकी राह

    RTR को लागू ककया जा सकता ह ैलेककन ियाधप्त सुरक्षा ईिायों के साथ। ईदाहरण के वलए RTR हतेु प्रस्ताि चुनाि के केिल 2 िषध के

    ईिरांत ही अरंभ ककया जाना चावहए, आत् याकद।

    स्थानीय स्तर िर समृि ऄनुभिों से सीख लेकर हमारी अिश्यकताओं के ऄनुरूि ईियुि विवशष्ट मॉडल विकवसत करने की अिश्यकता ह ै

    जो यहां की राजनीवतक ऄवस्थरता को संकटग्रस्त न करे।

    1.4. तवमलनाडु में हुअ ईिचनुाि रद्द

    (Bypoll Cancellation in Tamil Nadu)

    सरु्थियों में क्यों?

    चुनाि अयोग ने ऄनुच्छेद 324 की शवि का प्रयोग करके चेन्नइ में अर.के. नगर वनिाधचन क्षेत्र का ईिचुनाि रद्द कर कदया I यह सीट

    मुख्यमंत्री जयलवलता की मृत्यु के ईिरांत ररि हुयी थी ।

    चनुाि रद्द करन ेका कारण?

    मतदाताओं को लगभग 89 करोड़ रुिये तक के बड़े िैमाने िर घूस देना वजसने स्ितंत्र और वनटिक्ष चुनाि संिन् न कराना ऄसंभि हो गया

    था।

    दधू टोकन, मोबाआल िोन ररचाजध कूिन, ऄखबार सदस्यताएँ, नो-कफ्रल बैंक खातों में नकद ऄंतरण एिं मोबाआल िॉलेट में भुगतान आत् याकद

    प्रलोभन के नए-नए तरीकों द्वारा चुनाि कानूनों का ईल्लंघन।

    अग ेकी राह

    घूसखोरी को संज्ञेय ऄिराध (cognizable offence) बनाना जैसा कक कानून मंत्रालय के एक मसौदा प्रस्ताि में प्रस् तावित ककया गया ह।ै

    यह वगरफ्तारी और िुवलस जांच के वलए ऄनुमवत दगेा।

    शीषध नेतृत्ि और िार्टटयों द्वारा चनुाि ऄवभयानों के वनरीक्षण हतेु वनयुि प्रबंधकों को आन ऄिैध गवतविवधयों हतेु जिाबदहे बनाया जाना

    चावहए।

    या तो सीधे व्यय या प्रचार हतेु प्रावधकृत सीमा से ऄवधक वनिाधचन व्यय करने िर 6 िषध की ऄिवध तक के वलए एिं व् यय का सही वििरण

    प्रदान न करने िर 3 िषध तक के वलए ककसी ईम्मीदिार को ऄिात्र घोवषत करना I आस बात की संभािना चुनाि अयोग के अदशे में ईिाइ

    गइ थी।

    जन प्रवतवनवध ऄवधवनयम (RPA) में सशंोधन के वलए चनुाि अयोग द्वारा हाल ही का प्रस्ताि – ऐसे ईम्मीदिारों को 5 िषध के वलए

    ऄयोग्य घोवषत करना वजन् हें ऄन्य ईम्मीदिारों को घूस दनेे के अरोिों में सूचीबि ककया गया ह।ै हालांकक, यह प्राकृवतक न्याय के आन

    वसिांतों के विरुि ह ैजहां दोष वसि न होने तक व् यवि वनदोष होता ह।ै

    1.5. हहदी भाषा का सिंधधन

    (Promotion of Hindi Language)

    राजभाषा ऄवधवनयम के ऄंतगधत गरित एक िैनल ने 2011 में राष्ट्रिवत को ऄिनी ऄनुशंसाएं प्रस्तुत की थीं। राष्ट्रिवत ने आनमें से कुछ को हाल ही

    में कुछ ऄनुशंसाओं की सैधांवतक ऄनुमवत दी ह ै-

    मानि संसाधन विकास मंत्रालय को वहन्दी को ऄवनिायध विषय बनाने हतेु विश्वसनीय प्रयास करने की अिश् यकता हIै साथ ही सभी

    CBSE स्कूलों एिं KVS में दसिीं कक्षा तक वहन्दी ऄवनिायध रूि से वसखाइ जानी चावहए।

    शीषध सरकारी िद धारण करने िाले, विशेष रूि से वहन्दी िढ़ने और बोलने में सक्षम व् यवियों को ऄिने भाषण/िक् तव् य वहन्दी में दनेे

    चावहए।

    मंत्रालयों द्वारा अयोवजत हहदी कायधशालाओं में ऄवतवथ ििाओं को भी ऄन्य कायधशालाओं के ििाओं के जैसे मानदये कदया जाना चावहए ।

    हहदी ऄनुिादकों और अकाशिाणी के सह-ईदघोषकों को विदशेी भाषाओं के ऄनुिादकों के सामान िेतन कदया जाए।

    विवभन्न विभागों में हहदी ऄवधकाररयों की ररवियों को भरा जाना चावहए I

    गैर वहन्दी भाषी राज्यों के ईच्च वशक्षण संस्थानों में ईत् तर वलखने एिं साक्षात्कार दनेे हतेु िैकवल्िक भाषा के रूि में वहन्दी की ऄनुमवत होनी

    चावहए ।

    रेलिे और एयर-आंवडया के रटकट में वहन् दी में भी सूचनाएं हों।

  • 9 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    हहदी भाषा को बढ़ािा दने ेका अधार

    ऄनचु्छेद 351: संघ का यह कतधव्य होगा कक िह हहदी भाषा का प्रसार बढाए, ईसका विकास करे वजससे िह भारत की सामावसक संस्कृवत

    के सभी तत्िों की ऄवभव्यवि का माध्यम बन सके और ईसकी प्रकृवत में हस्तक्षेि ककये वबना वहन्दसु्तानी में और अििीं ऄनुसूची में

    विवनिदष्ट भारत की ऄन्य भाषाओं में प्रयुि रूि, शैली और िदों को अत्मसात करते हुए और जहाँ अिश्यक या िांछनीय हो िहाँ ईसके

    शब्द भडार के वलए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः ऄन्य भाषाओँ से शब्द ग्रहण करते हुए ईसकी समृवि सुवनवित करे।

    संसद एिं राज्य विधानमंडल में ईियोग की जाने िाली भाषा के संबंध में क्रमश: ऄनचु्छेद 120 और 210 वहन्दी में भी कायध-संचालन करने

    का विकल् ि प्रदान करते हैं।

    ऄनचु्छेद 343 संसद को कानून के माध् यम से सरकारी काम के वलए ईियोग की जाने िाली भाषा वनधाधररत करने का विकल् ि प्रदान करता

    ह।ै

    ऄनचु्छेद 344 राष्ट्रिवत को संघ के सरकारी प्रयोजनों के वलए हहदी भाषा के प्रगवतशील ईियोग एिं ऄंग्रेजी के प्रयोग िर प्रवतबंध हेतु

    ऄनुशंसाएं प्रदान करने के वलए प्रत् येक 10 िषध में संसदीय सवमवत गरित करने का प्रािधान प्रदान करता ह।ै

    आस अदशे का विरोध क् यों?

    यह एक और हहदी विरोधी अंदोलन को जन्म द ेसकता है।

    अलोचकों का तकध है कक ईत्तर भारत के लोग ककसी भी दवक्षण भारतीय भाषा को सीखने का प्रयास तक नहीं करते हैं, तो दवक्षण भारत के

    लोगों को ककसी विवशट ट भाषा को सीखने के वलए वििश क् यों ककया जाना चावहए।

    ककसी राट ट्र की एक ही भाषा होना अिश् यक नहीं ह,ै ईदाहरण के वलए- बेवल्जयम और वस्िट्जरलैंड जैसे छोटे राष्ट्रों तक में भी क्रमश: तीन

    एिं चार भाषाएं हैं।

    1.6. राष्ट्रध्िज और राष्ट्रगान

    (National Flag and Anthem)

    सरु्थियों में क्यों?

    सिोच्च न्यायालय के एक नोरटस के जिाब में कें र सरकार ने दढ़ृतािूिधक कहा ह ैकक राष्ट्रगान और राष्ट्रध्िज का सम्मान करना, “राष्ट्रीय गौरि

    का विषय ह ैऔर ईस िर ककसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो सकता।”

    SC ने यह नोरटस श्याम नारायण चौकसे की जनवहत यावचका के सन्दभध में जारी की है। यावचका में संसद द्वारा संविधान के ऄनचु्छेद

    51A(a) के ऄंतगधत राष्ट्रगान और राष्ट्रध्िज के प्रवत सम्मान को ‘िररभावषत’ ककए जाने या, आस सम्बन्ध में कदशा-वनदशे बनाने के वलए

    सिोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को िरमादशे (mandamus) की ररट जारी करने की मांग की गइ है।

    आससे िूिध, आसी प्रकरण में, कदसम्बर 2016 में, SC ने सभी वसनेमाघरों को कफ़ल्म के प्रारम्भ होने से िहले राष्ट्रगान बजाने का वनदशे कदया था।

    राष्ट्रीय प्रतीकों स ेसम्बवन्धत काननू और वनयम:

    ऄनचु्छेद 51A–संविधान के ऄनुच्छेद 51A के ऄंतगधत संविधान का िालन और ईसके अदशों और संस्थाओं, राष्ट्रध्िज और राष्ट्रगान का

    सम्मान करना प्रत्येक नागररक का मौवलक कतधव्य है।

    वप्रिेंशन ऑफ़ आन्सल्ट टू नशेनल हॉनर एक्ट, 1971: यह संविधान, राष्ट्र ध्िज और राष्ट्रगान के ऄिमान और ईस से सम्बंवधत दंड के मामलों

    से सम्बवन्धत है। िरन्तु आस ऄवधवनयम या भारतीय दंड संवहता (IPC), 1860 का कोइ भी खंड राष्ट्रगान बजाए जाने के समय नागररकों के

    खड़े होने को ऄवनिायध नहीं बनाता ह।ै

    भारत की ध्िज सवंहता 2002: यह राष्ट्रीय ध्िज के प्रवत सम्मान युि अचरण से सम्बवन्धत भारत सरकार के कायधकारी वनदशेों का समूह

    ह।ै

    1.7. IPC की धारा 295A के ऄतंगधत धमध के ऄिमान िर SC का वनणधय

    (SC Judgement on Insult to Religion Under 295A of IPC)

    सरु्थियों में क्यों?

    हाल ही में, सिोच्च न्यायालय ने IPC की धारा 295A के ऄंतगधत िषध 2013 में धोनी को एक िवत्रका के मुखिृष्ट िर भगिान विटणु के रूि

    में वचवत्रत करने के मामले में एम.एस. धोनी और एक िवत्रका के सम्िादक के विरुि दायर ककये गये एक अिरावधक मामले को रद्द कर

    कदया।

    वनणधय की मखु्य विशेषताएं:

    धारा 295A में यह अिश्यक ह ैकक कायधिाही जानबूझकर, वबना ककसी ईवचत कारण या बहाने के धार्थमक भािनाओं को िेस िहुचँाने की

    भािना से की गयी हो।

  • 10 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    यह धारा केिल धमध के विरुि ऄिमान के ईन गम्भीर स्िरूिों िर ही लागू होती है, वजनसे कानून व्यिस्था भंग होती हो। 1957 के एक

    वनणधय में आसे िहले ही स्िष्ट ककया जा चुका है।

    आस वनणधय में ककसी भी समूह के धार्थमक/जातीय/सांस्कृवतक भािनाओं के ऄिमान से सम्बवन्धत ऄल्ि महत्त्ििूणध एिं छोटे मामलों में

    ऄधीनस्थ न्यायालयों द्वारा प्रवतकक्रयात्मक संज्ञान लेने के सन्दभध में भी चेतािनी दी गयी ह।ै

    वनणधय का प्रभाि:

    आससे धारा 295A की व्यवििरकता (subjectivity) के कारण होने िाले दरुूियोग में कमी अएगी, क्योंकक वनणधय में वबना ककसी दभुाधिना

    के की गयी ऄनौिचाररक रटप्िवणयों िर आसकी प्रासंवगकता को सम्मवलत नहीं ककया गया है।

    वनणधय आस धारा की सीमा को भी स्िष्ट करता है, वजससे व्यवियों और सािधजवनक हवस्तयों, राजनीवतक कायधकताधओं और ऄवत-ईत्साही

    प्रशासवनक ऄवधकाररयों (overzealous administrative authorities) से लोगों की रक्षा करने में सहायता वमलेगी।

    यह ऄनुच्छेद 19 और ऄनुच्छेद 25 में संतुलन स्थावित करता है।

    धारा 295A

    आस धारा में यह ईल्लेख ह ैकक जो भी भारत के नागररकों के ककसी भी िगध की धार्थमक भािनाओं को जानबूझकर और दभुाधिनािूणध ऄवभप्राय स े

    ईकसाता या भड़काता ह ै (वलवखत या मौवखक, या संकेतों या प्रत्यक्ष या ऄन्य वनरूिण द्वारा), ऄिमावनत करता है, या धमध या ईस िगध की

    धार्थमक मान्यताओं का ऄिमान करने का प्रयास करता है, ईसे तीन िषध का कारािास, या अर्थथक दडं या दोनों के साथ दवंडत ककया जायेगा।

    1.8. यातना रोधी विधान की अिश्यकता

    (Need for Anti-Torture Legislation)

    सरु्थियों में क्यों?

    सिोच्च न्यायालय ने हाल ही में सरकार को एक ऐसा व्यािक कानून िाररत करने के वलए कहा ह ैजो “यातना” (torture) को िररभावषत

    करे और ईसके वलए दंड का प्रािधान करे।

    ऐस ेकाननू की अिश्यकता क्यों है?

    आससे प्रत्यिधण संबंधी मामलों में तेजी अएगी और यह कायध कािी सरल भी हो जायेगा, क्योंकक आससे ऄवभयुि यातना कदए जाने का

    बहाना नहीं कर िाएंगे।

    यह ऄनचु्छेद 21 के ऄंतगधत जीिन और व्यवि की गररमा सम्बन्धी मूल ऄवधकार को संकट में िड़ने से बचाएगा और विवध के शासन को

    सशि करेगा।

    आससे वहरासत में यातना के दरुूियोग को रोका जा सकेगा, वजसका ईियोग राज्य के ऄवधकारी “मानिीय ऄप्रवतष्ठा (human

    degradation)” के ईिकरण के रूि में करते हैं।

    राष्ट्रीय मानिावधकार अयोग ऐसे कानूनों को ऄिनाने हतेु मजबूती स ेसमथधन करता है।

    यातना रोधी विधयेक 2010 के मखु्य प्रािधान:

    दोषी सरकारी कमधचाररयों के वलए यह विधेयक दस िषध तक की कारािास की सजा का प्रािधान करता ह।ै

    आसमें यातना को "गंभीर िीड़ा" के रूि में तथा जीिन, मानिीय ऄगं और मानि स्िास््य के वलए एक संकट के रूि में िररभावषत ककया

    गया ह।ै

    यातना के विरुि वशकायत 6 महीने के ऄन्दर करनी िड़ेगी।

    न्यायालय द्वारा ककसी वशकायत िर विचार करने से िूिध ईियुि सरकारी (appropriate government) ऄनुमवत अिश्यक ह।ै

    मदु्दे: यातना की िररभाषा बहुत ही संकीणध है, क्योंकक आसमें मानवसक िीड़ा, ऄिराधी की भािना अकद शावमल नही हैI 6 महीने की समय सीमा

    ितधमान कानूनों को कमजोर बनाती है; जांच के वलए कोइ स्ितंत्र प्रावधकरण नहीं ह ै; िीवड़तों को मुअिजे हतेु कोइ प्रािधान नहीं है।

    सम्बवन्धत कदम जो सरकार द्वारा ईिाय ेजान ेचावहए

    भारत को UN कन्िेंशन ऄगेंस्ट टॉचधर को स्िीकृवत दनेी चावहए, वजस िर ईसने 1997 में हस्ताक्षर ककए थे। आसमें यातना को एक

    अिरावधक कृत्य के रूि में िररभावषत ककया गया है।

    लोकसभा द्वारा 2010 में िाररत एिं राज्यसभा की सलेेक्ट कवमटी द्वारा ऄनुशंवसत यातना रोधी विधेयक 2010 लागू करने के वलए कदम

    ईिाने चावहए।

    वहरासत में यातना सम्बन्धी मामलों की वनयवमत और प्रभािी जाँच के वलए और िीवड़तों के िुनिाधस के वलए एक स्ितंत्र तन्त्र की स्थािना

    की जानी चावहए, क्योंकक स्ियं िुवलस द्वारा जाँच करना िक्षिातिूणध होगा I

  • 11 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    काननू के विरोध में तकध :

    आस प्रकार के मामलों के वलए IPC और CrPC ही ियाधप्त हैं। (िरन्तु ये विवशष्ट रूि से यातना सम्बन्धी मुद्दों के वलए नहीं हैं)

    िुवलस वहरासत में हुइ मौतों की ररिोटध NHRC को भेजनी अिश्यक ह।ै (िरन्तु यातना के ऐसे मामले वजनमें मृत्यु नहीं होती ह ैईनकी

    ररिोटध नहीं की जाती ह।ै िषध 2015 में केिल एक वतहाइ मामलों में ही न्यावयक जाँच की गयी थी।)

    1.9. राजमागों के ककनारे शराब िर प्रवतबन्ध

    (Highway Liquor Ban)

    सरु्थियों में क्यों?

    1 ऄप्रैल 2017 से राष्ट्रीय और राज्य राजमागों के 500 मीटर के भीतर शराब की वबक्री िर सिोच्च न्यायालय ने प्रवतबन्ध लगा कदया ह।ै

    िृष्ठभवूम

    गैर-सरकारी संगिन एराइि सिे ने सिोच्च न्यायालय में एक जनवहत यावचका दायर की थी, वजसमें कहा गया था कक प्रवतिषध लगभग

    1.42 लाख लोग सड़क दघुधटनाओं में शराब िी कर गाडी चलाने के कारण मारे जाते हैं।

    आस वनणधय में प्रवतबन्ध के अधार के रूि में सड़क सुरक्षा के संबंध में सिोच्च वनकाय (apex road safety body) की वसिाररशों, कें र द्वारा

    राज्यों को जारी ककये गये िरामशध और सड़क दघुधटनाओं की ईच्च दरों के अंकडे प्रस्तुत ककए गए हैं।

    यह वनणधय शराब की दकुानों के साथ सभी िबों और शराब िरोसने िाले सभी रेस्टोरेंट िर लागू है।

    राज्यों िर भी शराब की वबक्री के वलए राजमागों के ककनारे नए लाइसेंस प्रदान करने िर रोक लगाइ है।

    आस प्रवतबन्ध का विस्तार शहरों और नगरों से होकर वनकलने िाले राजमागों िर भी है।

    भारत में सड़कों का िगीकरण:

    आंवडयन रोड कांग्रसे ने भारतीय सड़कों को िांच श्रेवणयों में बांटा ह:ै

    राष्ट्रीय राजमागध

    राज्य राजमागध

    प्रमुख वजला सड़कें

    ऄन्य वजला सड़कें

    ग्रामीण सड़कें

    आंवडयन रोड कांग्रेस एक ऄधध-सरकारी वनकाय है, वजसे सरकार द्वारा जयकर सवमवत की ऄनुशंसा िर 1934 में स्थावित ककया गया था।

    सडक ऄवभयंताओं के वलए यह एक शीषध संस्था ह ैऔर यह वनयवमत रूि से चौड़ाइ, प्रत्यक्ष दरूी अकद को ऄिडेट करती रहती है।

    1943 की नागिुर योजना में भारतीय सड़कों को चार श्रेवणयों में िररभावषत ककया गया था।

    2010 तक राष्ट्रीय राजमागों को राष्ट्रीय राजमागध ऄवधवनयम 1956 के ऄंतगधत शावमल ककया जाता था।

    2010 के बाद से ििूी-ईत्तरी राजमागों के क्रमाकं को विषम सखं्या से वनरुवित ककया गया ह ैऔर ईत्तर-दवक्षण राजमागों के क्रमाकं को सम

    सखं्या से।

    सड़क के ककसी भी भाग को राष्ट्रीय राजमागध के रूि में िगीकरण करने का ऄवधकार केिल कें र सरकार के िास ह ै।

    राष्ट्रीय राजमागों की दखे-रेख का ईत्तरदावयत्ि भारतीय राष्ट्रीय राजमागध प्रावधकरण (NHAI) िर है। आसकी स्थािना राष्ट्रीय राजमागध

    प्रावधकरण ऄवधवनयम 1988 के ऄंतगधत की गइ थी।

    सम्बंवधत राज्यों के PWD विभागों िर ऄिने राज्यों के राजमागों की दखेरेख का ईत्तरदावयत्ि है।

    प्रवतबन्ध के वनवहताथध:

    आसके कारण नौकररयां जा सकती हैं और ररयल-एस्टेट क्षेत्र की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।

    आसके बाद कइ राज्यों ने आस वनणधय से बचने के वलए राज्यों के राजमागों की ऄवधसूचना को रद्द कर कदया ह ैऄथाधत ईन्हें वडनोरटिाआड

    कर कदया ह ै।

    राज्यों का दािा ह ैकक आसके कारण राजस्ि और ियधटन में कमी अएगी।

    क्या प्रवतबन्ध ईियुि ह?ै

    सडक िररिहन और राजमागध मंत्रालय द्वारा प्रकावशत अंकड़ों के ऄनुसार, केिल 3.3% सड़क दघुधटनाएं शराब या ड्रग्स के प्रभाि में हुइ

    थी।

    बाकी दघुधटनायें िाहनों की तेज गवत और ऄवतभाररत (overloaded) िाहनों के कारण हुइ थी।

    वजन क्षेत्रों में यातायात टै्रकिक िुवलस के वनयन्त्रण में नहीं था, िहां सड़क दघुधटनाएं ऄवधक हुइ थी।

  • 12 APRIL/2017/0004 www.visionias.in ©Vision IAS

    ऄन्य ईत्तम विकल्ि:

    राजमागों के साथ शराब की वबक्री िर प्रवतबन्ध कोइ स्थायी समाधान नहीं ह।ै आस समस्या को हल करने के वलए, टै्रकिक वनयमों में और

    सुरक्षा के प्रवत लोगों की मनोिृवत्त में िररितधन अिश्यक है।

    मोटर िाहन विधेयक 2016 में यातयात के वनयमों का ईलंघन करने िालों के वलए ऄवधक किोर मानकों और ऄथधदडं का प्रािधान है।

    1.10. RTI वनयम, 2017 का प्रारूि

    (Draft RTI Rules, 2017)

    सरु्थियों में क्यों?

    कार्थमक और प्रवशक्षण विभाग (DoPT) ने सूचना के ऄवधकार ऄवधवनयम (RTI), 2005 को कायाधवन्ित करने के वलए RTI वनयम 2017

    का प्रारूि प्रकावशत ककया है।

    नये वनयम सािधजवनक सुझािों के वलए खुले हैं और यकद यह ऄनुमोकदत हुए तो ये ितधमान RTI वनयम 2012 का स्थान लेंगे।

    सकारात्मक िक्ष:

    आसमें केन्रीय सचूना अयोग (CIC) के अदशेों और वनदशेों की ऄिज्ञा से वनिटन ेके वलए प्रािधान हैं– गैर-ऄनुिालन के बढ़ते हुए मामलों

    से वनिटने के वलए 2012 के वनयमों में यह ईिलब्ध नहीं थे।

    लोकवहत की ऄिज्ञा के मामलों को CIC की बड़ी िीि के समक्ष रखा जायेगा।

    वशकायत दजध करने की प्रकक्रया को स्िष्ट रूि से िररभावषत ककया गया ह।ै

    नकारात्मक िक्ष:

    वशकायत और ऄिील के वलए ऄलग प्रारूि- आसका ऄथध ह ैकक ऄिीलकताध/वशकायतकताध एक ऄिील और वशकायत को अिस में वमला नहीं

    सकते हैं आससे सम्िूणध प्रकक्रया बहुत लम्बी हो जाएगी।

    यकद कोइ अिेदक ऄिनी ऄिील िािस लनेा चाहता ह ैतो ईस ेवलवखत ऄनरुोध करना होगा–यह RTI के वलए एक घातक कदम की तरह

    ह।ै कायधकताधओं को ईनकी ऄिील िािस लेने के वलए ईन िर दबाि बनाया जा सकता है, वजससे ईनका जीिन संकट में िड़ सकता ह।ै

    कोइ ऄिील सनुिाइ के वलए ईियिु ह ैया नहीं यह वनणधय CIC िर वनभधर करता है – आसे एक किोर ईिाय के रूि में दखेा जा रहा ह।ै

    प्रत्येक ऄिील की सुनिाइ होनी चावहए।

    वशकायतकताध को सभी दस्तािेजों की ऄवग्रम प्रवतवलवि और वशकायत प्रस्तुत करने से िूिध सािधजवनक प्रावधकरण को प्रस्तुत ककये गये सभी

    वलवखत ऄनुरोधों को CIC के िास वशकायत प्रस्तुत करने से िहले जमा करना अिश्यक ह।ै यह न्यायालय की सामान्य प्रकक्रया है, िरन्तु

    CIC के मामलों के वलए सिधथा ऄनुवचत ह।ै

    िहली ऄिीलों िर वनणधय – वनयमों का प्रारूि, “ककसी भी ऄन्य सक्षम व्यवि” वजसे ऄिीलीय प्रावधकारी के रूि में वनिदष्ट नहीं ककया गया

    ह,ै ईसके द्वारा िहली ऄिील िर वनणधय लेने हतेु सम्भि बनाता ह।ै यह RTI ऄवधवनयम की धारा 19 (1) का ईल्लंघन ह।ै

    ड्राफ्ट वनयम के ऄनुसार जहाँ वशकायतकताध के वलए वशकायत दजध कराने के वलए समय-सीमा वनधाधररत की गयी है िही ँयह सुवनवित करन े

    के वलए कोइ समय सीमा नहीं ह ैकक ऄिील या वशकायत में सुनिाइ की नोरटस नागररक को ऄच्छी तरह से ऄवग्रम रूि से िहुचँ सके।

    गैर-ऄनिुालन (ऄिज्ञा) के मामलों को ऄन्य अयिुों के समक्ष प्रस्ततु करना: CIC आस बात का वनणधय करने के वलए ऄवधकृत है कक ऄिज्ञा

    के मामले को िह ककसी ऄन्य िीि के समक्ष प्रस्तुत करे, वजसने प्रारवम्भक मामले में वनणधय कदया था या एक बड़ी िीि के समक्ष प्रस्तुत करे।

    CIC के जैसे प्रशासवनक न्यायावधकरण के मामलों में एक िीि के समक्ष सुनिाइ की अिश्यकता नहीं होती ह।ै

    सझुाि:

    एक ही यावचका में अिेदक को ऄिील और वशकायत को वमलाने का प्रािधान होना चावहए।

    ऄिीलकताध/वशकायतकताध द्वारा ईसके ऄिील की प्रवतवलवि प्रवतिादी को कदया जाना ऄवनिायध नहीं ककया जाना चावहए। यकद आसे

    ऄिीलकताध/वशकायतकताध द्वारा नहीं भेजा गया ह ैतो आसे िंजीयन कायाधलय द्वारा भेजा जाना चावहए।

    िहली ऄिील िर वनणधय का प्रारूि बनाया जाना चावहए।

    CIC द्वारा एक ऄिील/वशकायत िर सुनिाइ के वलए नोरटस प्रस्तुत ककये जाने के वलए 15 कदन की ऄवग्रम समय सीमा वनधाधररत की जानी

    चावहए।

    ऄिील के वनिटारे के वलए समय सीमा वनधाधररत की जानी चावहए।

    1.11. राज्यिाल की भवूमका: ऄतंरराज्यीय िररषद

    (Role of Governor: Interstate Council)

    सरु्थियों में क्यों?

    हाल ही में 12 िषों के ऄंतराल के बाद ऄंतरराज्यीय िररषद की स्थायी सवमवत की बैिक संिन्न हुइ। आस बैिक में ऄन्य मुद्दों के साथ-साथ

    सरकार के गिन के दौरान राज्यिाल की वििेकाधीन शवियों से सम्बि मु