औोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 industrial...2 भ रत य ख Ò...

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औोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 (1947 का अिधिनयम संयांक 14) 1 [11 माच, 1947] औोिगक िववादᲂ के अवेषण और पिरिनधारण के िलए और कितपय अय योजनᲂ के िलए उपबध करने के िलए अिधिनयम यह समीचीन है िक औोिगक िववादᲂ के अवेषण और पिरिनधारण के िलए और इसमᱶ इसके पचात् विणत कितपय अय योजनᲂ के िलए उपबध िकया जाए; अतः एत्द᳇ारा िननिलिखत प मᱶ यह अिधिनयिमत िकया जाता है :अयाय 1 ारंिभक 1. संित नाम, िवतार और ारंभ(1) यह अिधिनयम औोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 कहा जा सकेगा । 2 [(2) इसका िवतार सपूण भारत पर है : 3 * * * * *] (3) यह 1947 के अैल के थम िदन को वृᱫ होगा । 2. पिरभाषाएंइस अिधिनयम मᱶ, जब तक िक िवषय या संदभ मᱶ कोई बात िव न हो,(क) समुिचत सरकार से(i) केीय सरकार ᳇ारा या उसके ािधकार के अधीन 4 *** या िकसी रेल कपनी ᳇ारा चलाए जाने वाले िकसी उोग से सपृत 5 [अथवा िकसी ऐसे िनयंित उोग से सपृत, जो केीय सरकार ᳇ारा इस िनिमᱫ िविनिदट िकया जाए] 6 *** या िकसी औोिगक िववाद के सबध मᱶ 7 *** या 8 [ 9 [ 10 [ 11 [डॉक कमकार (िनयोजन का िविनयमन) अिधिनयम, 1948 (1948 का 9) की धारा 5क के अधीन थािपत डॉक म बोड या 12 [कंपनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाया गया और रिजीकृत भारतीय औोिगक िवᱫ िनगम िलिमटेड] या कमचारी राय बीमा अिधिनयम, 1948 (1948 का 34) की धारा 3 के अधीन थािपत कमचारी राय बीमा िनगम, या कोयला खान भिवय िनिध और कीण उपबध अिधिनयम, 1948 (1948 का 46) की धारा 3क के अधीन गिठत यासी बोड या कमचारी भिवय िनिध और कीण उपबध अिधिनयम, 1952 (1952 का 19) की मशः धारा 5क और धारा 5ख के अधीन गिठत केीय यासी बोड और राय यासी बोड, 13 *** या जीवन बीमा िनगम अिधिनयम, 1956 (1956 का 31) की धारा 3 के अधीन थािपत भारतीय जीवन बीमा िनगम, या 12 [कंपनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन रिजीकृत तेल और कृितक गैस िनगम िलिमटेड] या िनेप बीमा और यय याभूित िनगम अिधनयम, 1961 (1961 का 47) की धारा 3 के अधीन थािपत िनेप बीमा और यय याभूित िनगम, या भाडागारण िनगम अिधिनयम, 1962 (1962 का 58) की धारा 3 के अधीन थािपत भारतीय यूिनट ट, या खा िनगम अिधिनयम, 1964 (1964 का 37) की धारा 3 के अधीन थािपत 1 इस अिधिनयम का िवतार, 1962 के िविनयम सं० 12 ᳇ारा गोवा, दमण और दीव पर, 1963 के िविनयम सं० 7 ᳇ारा (1-10-1963 से) पािडचेरी पर और 1965 के िविनयम सं० 8 की धारा 3 तथा अनुसूची ᳇ारा लादीव, िमिनकोय और अमीनदीवी ᳇ीप पर िकया गया है । 2 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ᳇ारा (29-8-1956 से) पूववतᱮ उपधारा के थान पर ितथािपत । 3 1970 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 2 तथा अनुसूची ᳇ारा (1-9-1971 से) परतुक का लोप िकया गया । 4 िविध अनुकूलन आदेश, 1948 ᳇ारा फेडरल रेलवे अथािरटी ᳇ाराशदᲂ का लोप िकया गया । 5 1951 के अिधिनयम सं० 65 की धारा 32 ᳇ारा अंतःथािपत । 6 िविध अनुकूलन आदेश, 1950 ᳇ारा िकसी फेडरल रेलवे का संचालनशदᲂ का लोप िकया गया । 7 1963 के अिधिनयम सं० 10 की धारा 47 और अनुसूची 2, भाग 2 ᳇ारा अंतःथािपत कितपय शदᲂ का 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ᳇ारा (19-12-1964 से) लोप िकया गया । 8 1961 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 51 और अनुसूची 2, भाग 3 ᳇ारा (1-1-1962 से) अंतःथािपत । 9 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ᳇ारा (19-12-1964 से) थािपत िनेप बीमा िनगमशदᲂ के थान पर ितथािपत । 10 1971 के अिधिनयम सं० 45 की धारा 2 ᳇ारा (15-12-1971 से) ितथािपत । 11 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ᳇ारा (21-8-1984 से) ितथािपत । 12 1996 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ᳇ारा (11-10-1995 से) ितथािपत । 13 1996 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ᳇ारा (11-10-1995 से) लोप िकया गया ।

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  • औ ोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 (1947 का अिधिनयम सखं्याकं 14)1

    [11 माचर्, 1947] औ ोिगक िववाद के अन्वषेण और पिरिनधार्रण के िलए और कितपय

    अन्य पर्योजन के िलए उपबन्ध करन ेके िलए अिधिनयम

    यह समीचीन ह ैिक औ ोिगक िववाद के अन्वषेण और पिरिनधार्रण के िलए और इसम इसके पश् चात् विणत कितपय अन्य पर्योजन के िलए उपबन्ध िकया जाए;

    अतः एत ्द ारा िनम् निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत िकया जाता ह:ै—

    अध्याय 1

    पर्ारंिभक 1. सिंक्षप् त नाम, िवस्तार और पर्ारंभ—(1) यह अिधिनयम औ ोिगक िववाद अिधिनयम, 1947 कहा जा सकेगा । 2[(2) इसका िवस्तार सम्पूणर् भारत पर ह ै: 3* * * * *]

    (3) यह 1947 के अपैर्ल के पर्थम िदन को पर्वृ होगा ।

    2. पिरभाषाएं—इस अिधिनयम म, जब तक िक िवषय या संदभर् म कोई बात िवरु न हो,—

    (क) “समुिचत सरकार से—

    (i) केन्दर्ीय सरकार ारा या उसके पर्ािधकार के अधीन 4*** या िकसी रेल कम्पनी ारा चलाए जाने वाले िकसी उ ोग से सम्पृक् त 5[अथवा िकसी ऐसे िनयंितर्त उ ोग से सम्पृक् त, जो केन्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िविनिदष् ट िकया जाए] 6*** या िकसी औ ोिगक िववाद के सम्बन्ध म 7*** या 8[9[10[11[डॉक कमर्कार (िनयोजन का िविनयमन) अिधिनयम, 1948 (1948 का 9) की धारा 5क के अधीन स्थािपत डॉक शर्म बोडर् या 12[कंपनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाया गया और रिजस्टर्ीकृत भारतीय औ ोिगक िव िनगम िलिमटेड] या कमर्चारी राज् य बीमा अिधिनयम, 1948 (1948 का 34) की धारा 3 के अधीन स्थािपत कमर्चारी राज्य बीमा िनगम, या कोयला खान भिवष्य िनिध और पर्कीणर् उपबन्ध अिधिनयम, 1948 (1948 का 46) की धारा 3क के अधीन गिठत न्यासी बोडर् या कमर्चारी भिवष्य िनिध और पर्कीणर् उपबन्ध अिधिनयम, 1952 (1952 का 19) की कर्मशः धारा 5क और धारा 5ख के अधीन गिठत केन्दर्ीय न्यासी बोडर् और राज्य न्यासी बोडर्, 13*** या जीवन बीमा िनगम अिधिनयम, 1956 (1956 का 31) की धारा 3 के अधीन स्थािपत भारतीय जीवन बीमा िनगम, या 12[कंपनी अिधिनयम, 1956 (1956 का 1) के अधीन रिजस्टर्ीकृत तले और पर्कृितक गैस िनगम िलिमटेड] या िनक्षेप बीमा और पर्त् यय पर्त्याभूित िनगम अिधनयम, 1961 (1961 का 47) की धारा 3 के अधीन स्थािपत िनक्षेप बीमा और पर्त्यय पर्त्याभूित िनगम, या भाण्डागारण िनगम अिधिनयम, 1962 (1962 का 58) की धारा 3 के अधीन स्थािपत भारतीय यूिनट टर्स्ट, या खा िनगम अिधिनयम, 1964 (1964 का 37) की धारा 3 के अधीन स्थािपत

    1 इस अिधिनयम का िवस्तार, 1962 के िविनयम सं० 12 ारा गोवा, दमण और दीव पर, 1963 के िविनयम सं० 7 ारा (1-10-1963 से) पािण्डचेरी पर और 1965 के

    िविनयम सं० 8 की धारा 3 तथा अनुसूची ारा लक्कादीव, िमिनकोय और अमीनदीवी ीप पर िकया गया ह ै। 2 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (29-8-1956 से) पूवर्वत उपधारा के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 3 1970 के अिधिनयम सं० 51 की धारा 2 तथा अनुसूची ारा (1-9-1971 से) परन्तुक का लोप िकया गया । 4 िविध अनुकूलन आदेश, 1948 ारा “फेडरल रेलवे अथािरटी ारा” शब्द का लोप िकया गया । 5 1951 के अिधिनयम सं० 65 की धारा 32 ारा अंतःस्थािपत । 6 िविध अनुकूलन आदेश, 1950 ारा “िकसी फेडरल रेलवे का संचालन” शब्द का लोप िकया गया । 7 1963 के अिधिनयम सं० 10 की धारा 47 और अनुसूची 2, भाग 2 ारा अंतःस्थािपत कितपय शब्द का 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से)

    लोप िकया गया । 8 1961 के अिधिनयम सं० 47 की धारा 51 और अनुसूची 2, भाग 3 ारा (1-1-1962 से) अंतःस्थािपत । 9 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) “स्थािपत िनक्षेप बीमा िनगम” शब् द के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 10 1971 के अिधिनयम सं० 45 की धारा 2 ारा (15-12-1971 से) पर्ितस्थािपत । 11 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) पर्ितस्थािपत । 12 1996 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ारा (11-10-1995 से) पर्ितस्थािपत । 13 1996 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ारा (11-10-1995 से) लोप िकया गया ।

  • 2

    भारतीय खा िनगम या दो अथवा दो से अिधक समीपस्थ राज्य के िलए धारा 16 के अधीन स्थािपत पर्बन्ध बोडर्, या 1[भारतीय िवमान प न पर्ािधकरण अिधिनयम, 1994 (1994 का 55) की धारा 3 के अधीन गिठत भारतीय िवमान प न पर्ािधकरण] या पर्ादिेशक गर्ामीण बक अिधिनयम, 1976 (1976 का 21) की धारा 3 के अधीन स्थािपत पर्ादिेशक गर्ामीण बक, या िनयार्त, उधार और पर्त्याभूित िनगम िलिमटेड या भारतीय औ ोिगक पुनिनमाण बक 2[रा ीय आवास बक अिधिनयम, 1987 (1987 का 53) की धारा 3 के अधीन स्थािपत रा ीय आवास बक] या] 2[िकसी वायु पिरवहन सेवा अथवा बककारी या बीमा कम्पनी] खान, तेलके्षतर्] 3[छावनी बोडर्] या 4[महाप न, ऐसी िकसी कंपनी, िजसम समाद शेयर पंूजी के इक्यावन पर्ितशत से अन्यून केन्दर्ीय सरकार ारा धािरत ह ैया संसद ् ारा बनाई गई िकसी िविध ारा या उसके अधीन स्थािपत ऐसे िकसी िनगम, जो इस खंड म िनिदष् ट िनगम नह ह ैया केन्दर्ीय पिब्लक सेक्टर उपकर्म, पर्मुख उपकर्म ारा स्थािपत समनषुंगी कंपिनय और केन्दर्ीय सरकार के स्वािमत्वाधीन या िनयंतर्णाधीन स्वशासी िनकाय से सम्पृक् त औ ोिगक िववाद के संबंध म, केन्दर्ीय सरकार, तथा]

    4[(ii) िकसी अन्य औ ोिगक िववाद के संबंध म, िजसके अंतगर्त राज्य पिब्लक सेक्टर उपकर्म, पर्मुख उपकर्म ारा स्थािपत समनषुंगी कंपिनय और राज्य सरकार के स्वािमत्वाधीन या िनयंतर्णाधीन स्वशासी िनकाय से संबंिधत िववाद भी ह,ै राज्य सरकारः

    परन्तु यह िक िकसी ऐसे औ ोिगक स्थापन म, जहां ऐसा िववाद पहली बार हुआ था, िकसी ठेकेदार और ठेकेदार के माध्यम से िनयोिजत ठेका शर्म के बीच िकसी िववाद के मामले म, समुिचत सरकार, यथािस्थित, केन्दर्ीय सरकार या ऐसी राज्य सरकार होगी, िजसका ऐसे औ ोिगक स्थापन पर िनयंतर्ण ह;ै]

    3[(कक) “मध्यस्थ” के अन्तगर्त अिधिनणार्यक आता ह;ै]

    5[6[(ककक)] “औसत वेतन” से उस मजदरूी का औसत अिभपेर्त ह,ै जो कमर्कार को—

    (i) ऐसे कमर्कार की दशा म, िजसे मािसक संदाय िकया जाता ह,ै उन तीन पूरे कलेण्डर मास म,

    (ii) ऐसे कमर्कार की दशा म, िजसे साप् तािहक संदाय िकया जाता ह,ै उन चार पूरे सप् ताह म,

    (iii) ऐसे कमर्कार की दशा म, िजसे दिैनक संदाय िकया जाता ह,ै उन बारह पूरे कायर् िदवस म,

    संदये थी, जो उस तारीख के पूवर्वत हो, िजस तारीख को औसत वेतन संदये हो जाता ह,ै यिद उस कमर्कार ने, यथािस्थित, तीन पूरे कलेण्डर मास तक या चार पूरे सप् ताह तक या बारह पूरे कायर्-िदवस तक काम िकया ह,ै और जहां िक ऐसी गणना नह की जा सकती वहां औसत वेतन की गणना उस मजदरूी के औसत के रूप म की जाएगी जो कमर्कार को, उस कालाविध के दौरान संदये थी, िजसम उसने वास्तव म काम िकया;]

    7[(ख) “अिधिनणर्य” से िकसी औ ोिगक िववाद के या तत्सम्बन्धी िकसी अन्य पर्श् न के सम्बन्ध म िकसी शर्म न्यायालय, औ ोिगक अिधकरण या रा ीय औ ोिगक अिधकरण ारा िकया गया अन्तिरम या अिन्तम अवधारण अिभपेर्त ह,ै और धारा 10क के अधीन िकया गया माध्यस्थम् पंचाट इसके अन्तगर्त आता ह;ै]

    8[(खख) “बककारी कम्पनी” से बककारी कम्पनी अिधिनयम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 म यथापिरभािषत ऐसी बककारी कम्पनी अिभपेर्त ह,ै िजसकी शाखाएं या अन्य स्थापन एक से अिधक राज्य म ह और 9[भारतीय िनयार्त-आयात बक] 10[भारतीय औ ोिगक पुनिनमार्ण बक,] 11*** 12[भारतीय लघु उ ोग िवकास बक अिधिनयम, 1989 (1989 का 39) की धारा 3 के अधीन स्थािपत भारतीय लघु उ ोग िवकास बक], भारतीय िरजवर् बक, भारतीय स्टेट बक, 13[बककारी कम्पनी (उपकर्म का अजर्न और अंतरण) अिधिनयम, 1970 (1970 का 5) की धारा 3 के अधीन गिठत तत्स्थानी नया बक], 14[बककारी कम्पनी (उपकर्म का अजर्न और अंतरण) अिधिनयम, 1980 (1980 का 40) की धारा 3 के अधीन

    1 1996 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ारा (11-10-1995 से) पर्ितस्थािपत । 2 1987 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 56 और दसूरी अनुसूची ारा (9-7-1998 से) अंतःस्थािपत । 3 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) अंतःस्थािपत । 4 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत । 5 1953 के अिधिनयम सं० 43 की धारा 2 ारा (24-10-1953 से) अंतःस्थािपत । 6 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) खण्ड (कक) को खण्ड (ककक) के रूप म पुनःसंख्यांिकत िकया गया । 7 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (10-3-1957 से) खण्ड (ख) के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 8 1949 के अिधिनयम सं० 54 की धारा 3 ारा अंतःस्थािपत खण्ड (खख) के स्थान पर 1959 के अिधिनयम सं० 38 की धारा 64 तथा अनुसूची 3, भाग 2 ारा

    पर्ितस्थािपत । 9 1981 के अिधिनयम सं० 28 की धारा 40 और दसूरी अनुसूची ारा (1-1-1982 से) अंतःस्थािपत । 10 1984 के अिधिनयम सं० 62 की धारा 71 और तीसरी अनुसूची ारा (20-3-1985 से) अंतःस्थािपत । 11 2003 के अिधिनयम सं० 53 की धारा 12 और अनुसूची ारा लोप िकया गया । 12 1989 के अिधिनयम सं० 39 की धारा 53 और अनुसूची 2 ारा (अिधसूचना की तारीख से) अंतःस्थािपत । 13 1970 के अिधिनयम सं० 5 की धारा 20 ारा (19-7-1969 से) “और कोई समनुषंगी बक” के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 14 1980 के अिधिनयम सं० 40 की धारा 20 ारा (15-4-1980 से) पर्ितस्थािपत ।

  • 3

    गिठत तत्सथानी नया बक और भारतीय स्टेट बक (समनषुंगी बक) अिधिनयम, 1959 (1959 का 38) म यथा पिरभािषत कोई भी समनुषगंी बक] [इसके अन्तगर्त आते ह;]

    (ग) “बोडर्” से इस अिधिनयम के अधीन गिठत सलुह बोडर् अिभपेर्त ह;ै

    1[(गग) “बंदी” से िकसी िनयोजन का स्थान या उसके िकसी भाग का स्थायी रूप से बन्द िकया जाना अिभपर्ेत ह;ै]

    (घ) “सुलह अिधकारी” से इस अिधिनयम के अधीन िनयुक् त सुलह अिधकारी अिभपेर्त ह;ै

    (ङ) “सुलह कायर्वाही” से िकसी सुलह अिधकारी या बोडर् ारा इस अिधिनयम के अधीन की गई कोई कायर्वाही अिभपेर्त ह;ै

    2[(ङङ) “िनयंितर्त उ ोग” से कोई ऐसा उ ोग अिभपर्ेत ह ैिजसका संघ ारा िनयंतर्ण म िलया जाना िकसी केन्दर्ीय अिधिनयम ारा लोक िहत म समीचीन घोिषत कर िदया गया ह;ै] 3* * * *

    (च) “न्यायालय” से इस अिधिनयम के अधीन गिठत जांच न्यायालय अिभपेर्त ह;ै

    (छ) “िनयोजक” से—

    (i) 4[केन्दर्ीय सरकार या िकसी राज्य सरकार] के िकसी िवभाग ारा या उसके पर्ािधकार के अधीन चलाए गए उ ोग के सम्बन्ध म, इस िनिम िविहत पर्ािधकारी, या जहां िक कोई पर्ािधकारी िविहत नह ह,ै वहां िवभागाध्यक्ष, अिभपेर्त ह;ै

    (ii) िकसी स्थानीय पर्ािधकारी ारा या उसकी ओर से चलाए गए उ ोग के सम्बन्ध म, उस पर्ािधकारी का मुख्य कायर्पालक अिधकारी अिभपेर्त ह;ै

    5[(छछ) “कायर्पािलका” से िकसी वसाय संघ के संबंध म, ऐसा िनकाय, चाह ेवह िकसी भी नाम से ज्ञात हो, अिभपेर्त ह ैिजसे वसाय संघ के कायर्कलाप का पर्बंध स पा गया हो;] 6* * * *

    (झ) िकसी बोडर्, न्यायालय या अिधकरण के अध्यक्ष या अन्य सदस्य के रूप म अपनी िनयुिक् त के पर्योजन के िलए कोई िक् त “स्वतन्तर्” समझा जाएगा यिद वह ऐसे बोडर्, न्यायालय या अिधकरण को िनदिशत औ ोिगक िववाद से या ऐसे िववाद से पर्त्यक्षतः पर्भािवत िकसी उ ोग से संसक् त नह हःै

    7[परन्तु िकसी भी िक् त का केवल इसी तथ्य के कारण स्वतन्तर् होना समाप् त नह हो जाएगा िक वह िकसी ऐसी िनगिमत कम्पनी का शेयरधारक ह ैजो ऐसे औ ोिगक िववाद से ससंक् त ह ैया िजसका उससे पर्भािवत होना संभा ह,ै िकन्तु ऐसी दशा म वह समुिचत सरकार को यह पर्कट करेगा िक उस कम्पनी म उसके ारा धािरत शेयर िकस पर्कार के ह और िकतने के ह;]

    8[(ञ) “उ ोग” से िनयोजक का कोई भी कारबार, वसाय, उपकर्म, िविनमार्ण या आजीिवका अिभपेर्त ह ैऔर कमर्कार की कोई भी आजीिवका, सेवा िनयोजन, हस्तिशल्प या औ ोिगक उपजीिवका या उप वसाय इसके अन्तगर्त आता ह;ै]

    1 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1980 से) अंतःस्थािपत । 2 1951 के अिधिनयम सं० 65 की धारा 32 ारा अंतःस्थािपत । 3 1953 के अिधिनयम सं० 43 की धारा 2 ारा अंतःस्थािपत खण्ड (ङङङ) का 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) लोप िकया गया । 4 िविध अनुकूलन आदेश, 1948 ारा “िबर्िटश भारत म िकसी सरकार” के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 5 1971 के अिधिनयम सं० 45 की धारा 2 ारा (15-12-1971 से) अंतःस्थािपत । 6 िविध अनुकूलन आदेश, 1950 ारा खण्ड (ज) का लोप िकया गया । 7 1952 के अिधिनयम सं०18 की धारा 2 ारा अंतःस्थािपत । 8 औ ोिगक िववाद (संशोधन) अिधिनयम, 1982 (1982 का 46) की धारा 2 के खण्ड (ग) के पर्वितत होने पर खण्ड (ञ) िनम् निलिखत रूप म पर्ितस्थािपत हो जाएगाः— ‘(ञ) “उ ोग” से ऐसा विस्थत िकर्याकलाप अिभपेर्त ह ैजो िकसी िनयोजक और उसके कमर्कार (चाह ेऐसे कमर्कार को ऐसे िनयोजन ने सीधे या िकसी अिभकरण, िजसके अन्तगर्त ठेकेदार भी ह,ै ारा या उसकी माफर् त, िनयोिजत िकया हो) के बीच सहकािरता से िकया जा रहा हो और जो मानवीय आवश्यकता या इच्छा की (जो केवल आध्याित्मक या धािमक पर्कृित की आवश्यकताएं या इच्छाएं न ह ) पूित के िलए माल के उत्पादन, पर्दाय या िवतरण या सेवा के िलए ह,ै भले ही—

    (i) ऐसे िकर्याकलाप के पर्योजन के िलए िकसी पंूजी का िविनधान िकया गया हो या नह , या (ii) ऐसा िकर्याकलाप कोई अिभलाभ या लाभ पर्ाप् त करने के हतेुक से िकया जा रहा हो या नह ,

    और इसके अन्तगर्त िनम् निलिखत ह,— (क) डॉक कमर्कार (िनयोजन का िविनयमन) अिधिनयम, 1948 (1948 का 9) की धारा 5क के अधीन स्थािपत डॉक शर्म बोडर् का कोई

    िकर्याकलाप; (ख) िकसी स्थापन ारा िकया जाने वाला िवकर्य संवधर्न या कारबार, या दोन से संबंिधत कोई िकर्याकलाप,

    िकन्तु इसके अन्तगर्त िनम् निलिखत नह ह :— (1) कोई कृिषक संिकर्या, ऐसी कृिषक संिकर्या के िसवाय जहां वह िकसी अन्य िकर्याकलाप (ऐसा िकर्याकलाप जो इस खण्ड के पूव क्त उपबन्ध

    म िनिदष् ट ह)ै के साथ समेिकत रीित से की जा रही हो और ऐसा अन्य िकर्याकलाप पर्धान हो ।

  • 4

    (ट) “औ ोिगक िववाद” से िनयोजक और िनयोजक के बीच का, या िनयोजक और कमर्कार के बीच का, या कमर्कार और कमर्कार के बीच का ऐसा िववाद या मतभेद अिभपेर्त ह,ै जो िकसी िक् त के िनयोजन या अिनयोजन से या िनयोजन के िनबंधन या शर्म-पिरिस्थितय से संसक् त ह;ै

    1[(टक) “औ ोिगक स्थापन या उपकर्म” से ऐसा स्थापन या उपकर्म अिभपेर्त ह ै िजसम कोई उ ोग चलाया जाता हःै

    परन्तु जहां िकसी स्थापन या उपकर्म म अनेक िकर्याकलाप िकए जाते ह और ऐसे िकर्याकलाप म से केवल एक उ ोग ह ैया कुछ िकर्याकलाप उ ोग ह वहां,—

    (क) यिद ऐसे िकर्याकलाप, जो एक उ ोग ह, करने वाले स्थापन या उपकर्म की कोई यूिनट ऐसे स्थापन या उपकर्म की अन्य यूिनट या यूिनट से पृथक् करणीय ह,ै तो ऐसे यूिनट को एक पृथक औ ोिगक स्थापन या उपकर्म समझा जाएगा;

    (ख) यिद ऐसे स्थापन या उपकर्म या उसके िकसी यूिनट म िकया जाने वाला पर्धान िकर्याकलाप या पर्धान िकर्याकलाप म से पर्त्येक िकर्याकलाप, एक उ ोग ह ैऔर ऐसे स्थापन या उपकर्म या उसके िकसी यूिनट म चलाया जा रहा अन्य िकर्याकलाप या अन्य िकर्याकलाप म से पर्त्येक िकर्याकलाप पृथक् करणीय नह ह और ऐसे पर्धान िकर्याकलाप या िकर्याकलाप के चलाए जाने या चलाए जाने म सहायता करने के पर्योजन के िलए, यथािस्थित, सम्पूणर् स्थापन या उपकर्म या उसके यूिनट को एक औ ोिगक स्थापन या उपकर्म समझा जाएगा;] 2[(टट) “बीमा कम्पनी” से बीमा अिधिनयम, 1938 (1938 का 4) की धारा 2 म यथापिरभािषत ऐसी बीमा

    कम्पनी अिभपेर्त ह ैिजसकी शाखाएं या अन्य स्थापन एक से अिधक राज्य म हो;]

    1[(टटक) “खादी” का वही अथर् ह ैजो खादी और गर्ामो ोग आयोग अिधिनयम, 1956 (1956 का 6) की धारा 2 के खण्ड (घ) म ह;ै]

    3[4[(टटख)] “शर्म न्यायालय” से धारा 7 के अधीन गिठत शर्म न्यायालय अिभपेर्त ह;ै] 5[(टटट) “कामबंदी” से (उसके ाकरिणक रूप और सजातीय पद सिहत) िकसी िनयोजक की िकसी ऐसे कमर्कार

    को, िजसका नाम उसके औ ोिगक स्थापन के मस्टर रोल म दजर् ह ैऔर िजसकी छंटनी नह की गई ह,ै कोयले, शिक् त या कच् ची सामगर्ी की कमी के या स्टाक के संिचत हो जाने के या मशीनरी के ठप्प हो जाने के कारण 6[या पर्ाकृितक िवपि या िकसी अन्य संबंिधत कारण स]े काम दनेे म असफलता, इन्कार या असमथर्ता अिभपेर्त ह ै।

    स्पष् टीकरण—हर ऐसे कमर्कार के बारे म, िजसका नाम औ ोिगक स्थापन के मस्टर रोल म दजर् ह ैऔर जो िकसी िदन पर्सामान्य काम घंट के दौरान उस समय, जो तत्पर्योजनाथर् िनयत ह,ै औ ोिगक स्थापन म काम करने के िलए स्वयं उपिस्थत होता ह ैऔर िनयोजक ारा उसे काम उसके ऐसे उपिस्थत होने के दो घटें के अन्दर नह िदया जाता ह,ै यह समझा जाएगा िक उसकी इस खंड के अथर् के अन्दर उस िदन के िलए कामबदंी की गई हःै

    परन्तु यिद कमर्कार को िकसी िदन की िकसी पारी के पर्ारंभ म काम िदए जाने के बजाए उससे कहा जाता ह ैिक वह उस िदन की पारी के दसूरे अधर् भाग के दौरान उस पर्योजन के िलए उपिस्थत हो और तब उसे काम िदया जाता ह ैतो उसके बारे म समझा जाएगा िक उसकी उस िदन के केवल आधे भाग के िलए कामबंदी की गई हःै

    स्प ीकरण—इस उपखण्ड के पर्योजन के िलए, “कृिषक संिकर्या” के अन्तगर्त बागान शर्म अिधिनयम, 1951 (1951 का 69) की धारा 2 के खण्ड

    (च) म यथापिरभािषत बागान म िकया जा रहा कोई िकर्याकलाप नह है; या (2) अस्पताल या औषधालय; या (3) शैक्षिणक, वैज्ञािनक, अनुसंधान या पर्िशक्षण संस्थाएं; या (4) िकसी पूतर्, सामािजक या परोपकारी सेवा म पूणर् या पयार् रूप म लगे हुए संगठन के स्वािमत्व म या उनके पर्बन्ध के अधीन संस्थाएं; या (5) खादी या गर्ामो ोग; या (6) सरकार के पर्भुत्व-सम्प कृत्य से संबंिधत सरकार का कोई िकर्याकलाप, िजसके अन्तगर्त केन्दर्ीय सरकार के उन िवभाग के सभी

    िकर्याकलाप ह जो रक्षा अनुसंधान, परमाणु ऊजार् और अंतिरक्ष संबंधी कायर् कर रह ेह; या (7) कोई घरेलू सेवा; या (8) कोई िकर्याकलाप, जो एक ऐसी वृि हो िजसे कोई ि या ि य का िनकाय करता ह ैयिद ऐसी वृि के संबंध म ि या ि य के

    िनकाय ारा िनयोिजत िक्तय की संख्या दस से कम है; या (9) कोई िकर्याकलाप, जो ऐसा िकर्याकलाप हो जो िकसी सहकारी सोसाइटी या क्लब या उसी पर्कार के ि य के िनकाय ारा िकया जा रहा

    ह,ै यिद ऐसे िकर्याकलाप के संबंध म सहकारी सोसाइटी, क्लब या उसी पर्कार के ि य के िनकाय ारा िनयोिजत िक्तय की संख्या दस से कम है;’ । 1 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) अंतःस्थािपत । 2 1949 के अिधिनयम सं० 54 की धारा 3 ारा अंतःस्थािपत । 3 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (10-3-1957 से) अंतःस्थािपत । 4 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) खंड (टटक) को, खंड (टटख) के रूप म अक्षरांिकत । 5 1953 के अिधिनयम सं० 43 की धारा 2 ारा (24-10-1953 से) अंतःस्थािपत । 6 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) “या िकसी अन्य कारण से” शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।

  • 5

    परन्तु यह और िक यिद उसे इस पर्कार उपिस्थत होने पश् चात् भी ऐसा कोई काम नह िदया जाता ह ैतो उसके बारे म यह न समझा जाएगा िक उसकी उस िदन की पारी के दसूरे अधर् भाग के िलए कामबंदी की गई ह ैऔर वह उस िदन के उस भाग के िलए पूरी आधािरक मजदरूी और पूरे मंहगाई भ े का हकदार होगा;]

    (ठ) “तालाबन्दी” से 1[िनयोजन-स्थान का अस्थायी रूप से बन्द कर िदया जाना,] या काम का िनलम्बन, या िनयोजक का अपने ारा िनयोिजत िक् तय म स ेिकतने ही िक् तय को िनयोजन म लगाए रखन ेसे इन्कार करना अिभपेर्त ह;ै

    2[(ठक) “महाप न” से भारतीय प न अिधिनयम, 1908 (1908 का 15) की धारा 3 के खंड (8) म यथापिरभािषत महाप न अिभपेर्त ह;ै

    (ठख) “खान” से खान अिधिनयम, 1952 (1952 का 35) की धारा 2 की उपधारा (1) के खण्ड (ञ) म यथापिरभािषत खान अिभपर्ेत ह;ै]

    3[(ठठ) “रा ीय अिधकरण” से धारा 7ख के अधीन गिठत रा ीय औ ोिगक अिधकरण अिभपर्ेत ह;ै] 4[(ठठठ) “पदािधकारी” के अन्तगर्त िकसी वसाय संघ के संबंध म, उसका कोई भी सदस्य आता ह,ै िकन्तु इसके

    अन्तगर्त लेखापरीक्षक नह आता;]

    (ड) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत ह;ै

    (ढ) “लोक उपयोगी सेवा” से अिभपेर्त ह—ै

    (i) कोई भी रेल सेवा 2[या वायु सेवा ारा याितर्य या माल के वहन के िलए कोई भी पिरवहन सेवा;] 4[(iक) िकसी महाप न या डॉक म या उसके कायर्करण से संबंिधत कोई सेवा;]

    (ii) िकसी औ ोिगक स्थापन का ऐसा अनुभाग, िजसके कायर्करण पर उस स्थापन का या उसम िनयोिजत कमर्कार का के्षम िनभर्र करता ह;ै

    (iii) कोई डाक, टेलीगर्ाफ या टेलीफोन सेवा;

    (iv) कोई उ ोग जो जनता को शिक् त, रोशनी या जल का पर्दाय करता ह;ै

    (v) सावर्जिनक मलवहन या सफाई का कोई तंतर्;

    (vi) 5[पर्थम अनुसूची] म िविनिदष् ट कोई ऐसा उ ोग, िजसे समुिचत सरकार, यिद उसका समाधान हो गया ह ै िक लोक आपात या लोक िहत म ऐसा करना अपेिक्षत ह,ै शासकीय राजपतर् म अिधसचूना ारा, इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए उतनी कालाविध के िलए, िजतनी उस अिधसूचना म िविनिदष् ट की जाए, लोक उपयोगी सेवा घोिषत करेः

    परन्तु इस पर्कार िविनिदष् ट कालाविध पर्थमतः, छह महीने से अिधक की न होगी, िकन्तु उसे वसैी ही अिधसूचना ारा एक समय म छह मास से अनिधक की िकसी कालाविध के िलए समय-समय पर उस दशा म बढ़ाया जा सकेगा िजसम लोक आपात या लोक िहत म इस पर्कार बढ़ाया जाना समुिचत सरकार की राय म अपेिक्षत ह;ै

    (ण) “रेल कम्पनी” से भारतीय रेल अिधिनयम, 1890 (1890 का 9) की धारा 3 म यथापिरभािषत रेल कम्पनी अिभपेर्त ह;ै

    6[(णण) “छंटनी” से िनयोजक ारा िकसी कमर्कार की सेवा का ऐसा पयर्वसान अिभपेर्त ह,ै जो अनशुासन संबधंी कायर्वाही के रूप म िदए गए दडं से िभन् न िकसी भी कारण से िकया गया हो, िकन्तु इसके अन्तगर्त िनम् निलिखत नह आत—े

    (क) कमर्कार की स्वेच्छया िनवृि ; अथवा

    (ख) अिधवािषकी आयु का हो जाने पर कमर्कार की उस दशा म िनवृि िजसम िनयोजक और सयुंक् त कमर्कार के बीच हुई िकसी िनयोजन संिवदा म उस िनिम कोई अनुबन्ध अन्तिवष् ट हो; अथवा

    1 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 2 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) अंतःस्थािपत । 3 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (10-3-1957 से) अंतःस्थािपत । 4 1971 के अिधिनयम सं० 45 की धारा 2 ारा (15-12-1971 से) अंतःस्थािपत । 5 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 2 ारा (19-12-1964 से) “अनुसूची” के स् थान पर पर्ितस्थािपत । 6 1953 के अिधिनयम सं० 43 की धारा 2 ारा (24-10-1953 से) अंतःस्थािपत ।

  • 6

    1[(खख) िनयोजक और सम्पृक् त कमर्कार के बीच हुई िनयोजन संिवदा के समाप् त हो जाने पर उसका नवीकरण न िकए जाने या िनयोजन संिवदा म उस िनिम अन्तिवष् ट िकसी अनुबधं के अधीन ऐसी संिवदा का पयर्वसान िकए जाने के फलस् वरूप िकसी कमर्कार की सेवा का पयर्वसान; या]

    (ग) इस आधार पर कमर्कार की सेवा का पयर्वसान िक उसका स्वास्थ बराबर खराब रहा ह;ै] 2[(त) “समझौता” से सुलह कायर्वाही के अनुकर्म म िकया गया समझौता अिभपर्ेत ह,ै और इसके अन्तगर्त सलुह

    कायर्वाही के अनुकर्म म िकए गए करार से अन्यथा िनयोजक और कमर्कार के बीच हुआ कोई ऐसा िलिखत करार आता ह ैिजस पर उसके पक्षकार ने ऐसी रीित से हस्ताक्षर िकए ह जैसी िविहत की जाए और िजसकी एक पर्ित समुिचत सरकार ारा 3[इस िनिम पर्ािधकृत अिधकारी] को और सुलह अिधकारी को भेज दी गई हो;]

    (थ) “हड़ताल” से िकसी उ ोग म िनयोिजत िक् तय के िनकाय ारा िमलकर काम बन्द कर िदया जाना या िकतने ही ऐसे िक् तय का जो इस पर्कार िनयोिजत ह, या िनयोिजत रह ह काम करते रहने से या िनयोजन पर्ितगृहीत करने से सिम्मिलत रूप से इन्कार करना या सामान्य मित से इन्कार करना अिभपेर्त ह;ै

    4[(थथ) “ वसाय संघ” से वसाय संघ अिधिनयम, 1926 (1926 का 16) के अधीन रिजस्टर्ीकृत वसाय संघ अिभपेर्त ह;ै]

    5[(द) “अिधकरण” से धारा 7क के अधीन गिठत औ ोिगक अिधकरण अिभपेर्त ह,ै और इसके अन्तगर्त इस अिधिनयम के अधीन 10 माचर्, 1957 के पहले गिठत औ ोिगक अिधकरण आता ह;ै]

    4[(दक) “अनुिचत शर्म वहार” से पंचम अनुसचूी म िविनिदष् ट वहार म से कोई वहार अिभपेर्त ह]ै

    (दख) “गर्ामो ोग” का वही अथर् ह ैजो खादी और गर्ामो ोग आयोग अिधिनयन, 1956 (1956 का 61) की धारा 2 के खण्ड (ज) म ह;ै]

    6[(दद) “मजदरूी” से धन के रूप म अिभ क् त हो सकने वाला वह सब पािरशर्िमक अिभपेर्त ह ैजो िकसी कमर्कार को, यिद िनयोजन के अिभ क् त या िवविक्षत िनबन्धन की पूित हो गई होती तो उसके िनयोजन या ऐसे िनयोजन म िकए गए काम की बाबत उसे सदंये होता और इसके अन्तगर्त आते ह:—

    (i) (मंहगाई भ ा सिहत) ऐसे भ े िजनके िलए कमर्कार तत्समय हकदार ह;ै

    (ii) िकसी गृहवास सुिवधा का या रोशनी, जल, िचिकत्सीय पिरचयार् या अन्य सुख-सुिवधा के पर्दाय का या िकसी सेवा का या खा ा या अन्य वस्तु के िरयायती पर्दाय का मूल्य;

    (iii) कोई यातर्ी िरयायत; 4[(iv) िवकर्य या कारबार या दोन के संवधर्न के िलए संदये कोई कमीशन;]

    िकन्तु इसके अन्तगर्त िनम् निलिखत नह आते ह:—

    (क) कोई बोनस;

    (ख) िकसी तत्समय पर्वृ िविध के अधीन िकसी पशन-िनिध या भिवष्य-िनिध म या कमर्कार के फायद के िलए िनयोजक ारा संद या संदये कोई अिभदाय;

    (ग) उसकी सेवा के पयर्वसान पर संदये कोई उपदान;] 7[(ध) “कमर्कार” से कोई ऐसा िक् त (िजसके अन्तगर्त िशकु्ष भी आता ह)ै अिभपेर्त ह,ै जो िकसी उ ोग म भाड़ ेया

    इनाम के िलए कोई शारीिरक, अकुशल, कुशल, तकनीकी, संिकर्यात्मक, िलिपकीय या पयर्वेक्षिणक कायर् करने के िलए िनयोिजत ह,ै चाह ेिनयोजन के िनबंधन अिभ क् त ह या िवविक्षत, और िकसी औ ोिगक िववाद के संबंध म इस अिधिनयम के अधीन की िकसी कायर्वाही के पर्योजन के िलए इसके अन्तगर्त कोई ऐसा िक् त आता ह ैजो उस िववाद के संबंध म या उसके पिरणामस्वरूप पदच्युत या उन्मोिचत कर िदया गया ह ैया िजसकी छंटनी कर दी गई ह ैअथवा िजसकी पदच्युित, उन्मोचन या छंटनी िकए जाने से वह िववाद पैदा हुआ हो, िकन्तु इसके अन्तगर्त कोई ऐसा िक् त नह आता ह ैजो—

    (i) वायु सेना अिधिनयम, 1950 (1950 का 45) या सेना अिधिनयम, 1950 (1950 का 46) या नौसेना अिधिनयम, 1957 (1957 का 62) के अधीन हो; अथवा

    1 1984 के अिधिनयम सं० 49 की धारा 2 ारा (18-8-1984 से) अंतःस्थािपत । 2 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (7-10-1956 से) खण्ड (त) के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 3 1965 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 2 ारा (1-12-1965 से) अंतःस्थािपत । 4 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) अंतःस्थािपत । 5 1957 के अिधिनयम सं० 18 की धारा 2 ारा (10-3-1957 से) खण्ड (द) के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 6 1953 के अिधिनयम सं० 43 की धारा 2 ारा (24-10-1953 से) अंतःस्थािपत । 7 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 2 ारा (21-8-1984 से) खण्ड (ध) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।

  • 7

    (ii) पुिलस सेवा म या िकसी कारागार के अिधकारी या अन्य कमर्चारी के रूप म िनयोिजत हो; अथवा

    (iii) मुख्यतः पर्बन्धकीय या पर्शासिनक हिैसयत म िनयोिजत हो; अथवा

    (iv) पयर्वेक्षिणक हिैसयत म िनयोिजत होते हुए पर्ितमास 1[दस हजार रुपए] से अिधक मजदरूी लतेा हो अथवा या तो पद से संलग् न कतर् की पर्कृित के या अपने म िनिहत शिक् तय के कारण ऐसे कृत्य का पर्योग करता ह ैजो मुख्यतः पर्बन्धकीय पर्कृित के ह ।]

    2[2क. एक कमर्कार की पदच्युित आिद का भी औ ोिगक िववाद समझा जाना—3[(1)] जहां िक कोई िनयोजक िकसी कमर्कार को उन्मोिचत या पदच्युत कर दतेा ह ैया उसकी छंटनी कर दतेा ह,ै या उसकी सेवाएं अन्यथा पयर्विसत कर दतेा ह,ै वहां ऐसे उन्मोचन, पदच्युित या छंटनी या पयर्वसान से संसक् त या उद्भूत कोई िववाद या मतभेद जो उस कमर्कार और उसके िनयोजक के बीच हो, इस बात के होते हुए भी िक न तो अन्य कमर्कार और न कमर्कार का कोई संघ उस िववाद म पक्षकार ह,ै औ ोिगक िववाद समझा जाएगा ।]

    4[(2) धारा 10 म िकसी बात के होते हुए भी, ऐसा कोई कमर्कार, जो उपधारा (1) म िविनिदष् ट ह,ै उस तारीख से, िजसको उसने िववाद के सुलह के िलए समुिचत सरकार के सुलह अिधकारी को आवेदन िकया ह,ै पतालीस िदन की समािप् त के पश् चात् उसम िनिदष् ट िववाद के न्यायिनणर्यन के िलए शर्म न्यायालय या अिधकरण को सीधे आवेदन कर सकेगा और ऐसे आवेदन की पर्ािप् त पर शर्म न्यायालय या अिधकरण को िववाद के संबंध म न्यायिनणर्यन करने की शिक् तयां और अिधकािरता ऐसे ह गी, मानो वह समुिचत सरकार ारा इस अिधिनयम के उपबंध के अनसुार उसे िनदिशत िकया गया िववाद हो और इस अिधिनयम के सभी उपबधं ऐसे न्यायिनणर्यन के संबंध म उसी पर्कार लागू ह गे िजस पर्कार वे समुिचत सरकार ारा उसे िनदिशत िकए गए िकसी औ ोिगक िववाद के संबंध म लागू होते ह ।

    (3) उपधारा (2) म िनिदष् ट आवेदन शर्म न्यायालय या अिधकरण को उपधारा (1) म यथािविनिदष् ट पदभारमुिक् त, पदच्युित, छंटनी या अन्यथा सेवा की समािप् त की तारीख से तीन वषर् की समािप् त से पूवर् िकया जाएगा ।]

    अध्याय 2

    इस अिधिनयम के अधीन पर्ािधकारी 3. कमर् सिमित—(1) ऐसे औ ोिगक स्थापन की दशा म, िजसम एक सौ या उसस ेअिधक कमर्कार िनयोिजत ह या पूवर्वत बारह मास म िकसी भी िदन िनयोिजत रह ेह, समुिचत सरकार िनयोजक से, साधारण या िवशेष आदशे ारा, यह अपेक्षा कर सकेगी िक वह िनयोजक के और उस स्थापन म लगे हुए कमर्कार के पर्ितिनिधय की एक कमर् सिमित िविहत रीित से गिठत करे, िकन्तु ऐसे िक सिमित म कमर्कार के पर्ितिनिधय की संख्या िनयोजक के पर्ितिनिधय की संख्या से कम न हो । कमर्कार के पर्ितिनिध उस स्थापन म लगे हुए कमर्कार म से िविहत रीित से और वसाय संघ अिधिनयम, 1926 (1926 का 16) के अधीन रिजस्टर्ीकृत उनके वसाय संघ से, यिद कोई ह , परामशर् करके चुने जाएंगे ।

    (2) कमर् सिमित का यह कतर् होगा िक वह िनयोजक और कमर्कार के बीच सौहादर्र् और अच्छे सम्बन्ध सुिनिश् चत करने और बनाए रखने के उपाय संपर्वृ करे और इस उ ेश्य से ऐसे मामल पर, िजनम उनका सामान्य िहत ह ैया िजनसे उनका सामान्य सरोकार ह,ै टीका-िटप्पणी करे और ऐसे मामल की बाबत िकसी भी ताित्त्वक मतभेद का पर्शमन करने का पर्यास करे ।

    4. सलुह अिधकारी—(1) समुिचत सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, उतने िक् तय को, िजतने वह ठीक समझे, सुलह अिधकारी िनयुक् त कर सकेगी, जो औ ोिगक िववाद म मध्यस्थता करने और उनम समझौता कराने के कतर् से भािरत िकए जाएंगे ।

    (2) सुलह अिधकारी िकसी िविनिदष् ट के्षतर् के िलए, या िकसी िविनिदष् ट के्षतर् म िविनिदष् ट उ ोग के िलए, या एक या अिधक िविनिदष् ट उ ोग के िलए, और या तो स्थायी रूप से या सीिमत कालाविध के िलए िनयुक् त िकया जा सकेगा ।

    5. सलुह बोडर्—(1) समुिचत सरकार, जब भी ऐसा अवसर उद्भूत हो, औ ोिगक िववाद का समझौता संपर्वृ करने के िलए सुलह बोडर्, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, गिठत कर सकेगी ।

    (2) बोडर्, अध्यक्ष और दो या चार अन्य सदस्य से, जैसा भी समुिचत सरकार ठीक समझे, गिठत होगा ।

    (3) अध्यक्ष स्वतन्तर् िक् त होगा और अन्य सदस्य िववाद के पक्षकार का पर्ितिनिधत्व करने के िलए बराबर-बराबर संख्या म िनयुक् त िक् त ह गे और िकसी पक्षकार का पर्ितिनिधत्व करने के िलए िनयुक् त िक् त उसी पक्षकार की िसफािरश पर िनयुक् त िकया जाएगाः

    परन्तु यिद कोई पक्षकार यथापूव क् त िसफािरश िविहत समय म करने म असफल रह ेतो समुिचत सरकार उस पक्षकार का पर्ितिनिधत्व करने के िलए ऐसे िक् तय को िनयुक् त करेगी िजन्ह वह उिचत समझे ।

    1 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत । 2 1965 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 3 ारा (1-12-1965 से) अंतःस्थािपत । 3 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा संख् यांिकत । 4 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 3 ारा अंतःस्थािपत ।

  • 8

    (4) िविहत गणपूित होने पर ऐसा बोडर्, अध्यक्ष या अपने िकसी सदस्य की अनुपिस्थित या अपनी सदस्य-संख्या म कोई िरिक् त होने पर भी, कायर् कर सकेगाः

    परन्तु यिद समुिचत सरकार बोडर् को यह अिधसूिचत करे िक अध्यक्ष या उसके िकसी अन्य सदस्य की सेवाएं उपलब्ध नह रह गई ह तो बोडर् तक तक कायर् नह करेगा जब तक, यथािस्थित, नया अध्यक्ष या सदस्य िनयुक् त नह कर िदया जाता ।

    6. जाचं न्यायालय—(1) समुिचत सरकार, जब भी ऐसा अवसर उद्भूत हो, िकसी औ ोिगक िववाद से संसक् त या सुसंगत पर्तीत होने वाले िकसी मामले की जांच के िलए जांच न्यायालय का गठन, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, कर सकेगा ।

    (2) न्यायालय एक स्वतन्तर् िक् त से या उतने स्वतन्तर् िक् तय से, िजतने समुिचत सरकार ठीक समझे, गिठत हो सकेगा और जहां िक कोई न्यायालय दो या अिधक सदस्य से गिठत हो वहां उनम से एक अध्यक्ष िनयुक् त िकया जाएगा ।

    (3) िविहत गणपूित होने पर ऐसा न्यायालय अध्यक्ष या अपने िकसी सदस्य की अनुपिस्थित या अपनी सदस्य-संख्या म कोई िरिक् त होने पर भी कायर् कर सकेगाः

    परन्तु यिद समुिचत सरकार न्यायालय को यह अिधसूिचत करे िक अध्यक्ष की सेवाएं उपलब्ध नह रह गई ह तो न्यायालय तब तक कायर् नह करेगा जब तक नया अध्यक्ष िनयुक् त नह कर िदया जाता ।

    1[7. शर्म न्यायालय—(1) समुिचत सरकार ि तीय अनुसचूी म िविनिदष् ट िकसी िवषय सम्बन्धी औ ोिगक िववाद के न्यायिनणर्यन के िलए और ऐसे अन्य कृत्य के पालन के िलए जसैे इस अिधिनयम के अधीन उन्ह स पे जाएं, एक या अिधक शर्म न्यायालय का गठन, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, कर सकेगी ।

    (2) शर्म न्यायायल केवल एक िक् त से गिठत होगा, िजसकी िनयुिक् त समुिचत सरकार ारा की जाएगी ।

    (3) कोई भी िक् त शर्म न्यायालय के पीठासीन अिधकारी के रूप म िनयुक् त िकए जाने के िलए तब तक अिहत नह होगा जब तक िक वह—

    2[(क) उच् च न्यायालय का न्यायाधीश न हो, या न रह चुका हो, अथवा

    (ख) कम से कम तीन वषर् की कालाविध तक िजला न्यायाधीश या अपर िजला न्यायाधीश न रह चुका हो, अथवा 3* * * * 4[(घ)] भारत म कोई न्याियक पद कम से कम सात वषर् तक धारण न कर चुका हो, अथवा 4[(ङ)] िकसी पर्ान्तीय अिधिनयम या राज्य अिधिनयम के अधीन गिठत शर्म न्यायालय का कम से कम पांच वषर् तक

    पीठासीन अिधकारी न रह चुका हो ; 5[(च) ऐसा उप मुख्य शर्म आयुक् त (केन्दर्ीय) या राज्य शर्म िवभाग का संयुक् त आयुक् त न हो या न रह चुका हो,

    िजसके पास िविध म िडगर्ी और शर्म िवभाग म कम-से-कम सात वषर् का अनुभव हो, िजसके अंतगर्त सुलह अिधकारी के रूप म तीन वषर् का अनुभव भी हःै

    परन्तु ऐसा कोई उप मुख्य शर्म आयुक् त या संयुक् त शर्म आयुक् त तब तक िनयुक् त नह िकया जाएगा, जब तक िक वह, पीठासीन अिधकारी के रूप म िनयुक् त िकए जाने से पूवर्, यथािस्थित, केन्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार की सेवा स ेत्यागपतर् नह द ेदतेा ह;ै या

    (छ) भारतीय िविधक सेवा का शेर्णी 3 म अिधकारी न हो या न रह चुका हो और उसके पास उस शेर्णी म तीन वषर् का अनुभव न हो ।]

    7क. अिधकरण—(1) समुिचत सरकार चाह ेि तीय अनुसूची म चाह ेतृतीय अनुसूची म िविनिदष् ट िकसी भी िवषय सम्बन्धी औ ोिगक िववाद के न्यायिनणर्यन के िलए 6[और ऐसे अन्य कृत्य का पालन करने के िलए जो इस अिधिनयम के अधीन उन्ह स पे जाएं] एक या अिधक औ ोिगक अिधकरण, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, गिठत कर सकेगी ।

    (2) अिधकरण केवल एक िक् त से गिठत होगा, िजसकी िनयुिक् त समुिचत सरकार ारा की जाएगी ।

    (3) कोई भी िक् त अिधकरण के पीठासीन अिधकारी के रूप म िनयुक् त िकए जाने के िलए तब तक अिहत नह होगा जब तक िक वह—

    (क) उच् च न्यायालय का न्यायाधीश न हो, या न रह चुका हो, अथवा

    1 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 4 ारा (10-3-1957 से) धारा 7 के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 2 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (19-12-1964 से) अंतःस्थािपत । 3 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 3 ारा (21-8-1984 से) खण्ड (ग) का लोप िकया गया । 4 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 3 ारा (19-12-1964 से) खण्ड (क) और खण्ड (ख) को कर्मशः खण्ड (घ) और खण्ड (ङ) के रूप म पुनःअक्षरांिकत िकया गया । 5 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 4 ारा अंतःस्थािपत । 6 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 4 ारा (21-8-1984 से) अंतःस्थािपत ।

  • 9

    1[(कक) कम से कम तीन वषर् की कालाविध तक िजला न्यायाधीश या अपर िजला न्यायाधीश न रह चुका हो; 2***

    शर्म िवभाग म कम-से-कम सात वषर् का अनुभव हो, िजसके अन्तगर्त सुलह अिधकारी के रूप म तीन व

    प म िनयुक् त िकए जाने से पूवर्, यथािस्थित, केन्दर्ीय सरकार या राज्य सरकार की सेवा स ेत्यागपतर्

    ीय िविधक सेवा का शेर्णी 3 म अिधकारी न हो या न रह चुका हो और उसके पास उस शेर्णी म तीन वषर्

    ठीक समझे, अिधकरण को उसके समक्ष की कायर्वाही म सलाह दनेे के िलए, दो िक् तय

    े पर्भािवत होना सम्भा ह,ै एक या अिधक रा ीय औ ोिगक अिधकरण, शासकीय राजपतर् म अिधसचूना ारा, गिठ

    नयुक् त िकए जाने के िलए तब तक अिहत नह होगा 4[जब तक

    समझे, रा ीय अिधकरण को उसके समक्ष की कायर्वाही म सलाह दनेे के िलए, दो िक् त

    म न्यायालय, अिधकर कारी के पद पर िनयुक् त नह िकया जाएगा, और न बना रहगेा, यिद—

    त, िव अिधिनयम, 2017 के अध् याय 6 के भाग 14 के पर्ार

    िनयम ारा शािसत होना इस पर्कार जारी रहगेा मान िव अिधिनयम, 2017 की धारा 184 के उपबंध पर्वृ ही ह हुए थ

    स पर्कर्म से, जब िरिक् त भरी जाती ह,ै यथािस्थि

    ा न्यायालय म िकसी िरिक् त के या उसके गठन म िकसी तुर्िट के अिस्तत्व के आधार पर ही िकसी भी रीित से पर्श् नगत नह की जाएगी ।

    3[(ख) ऐसा उप मुख्य शर्म आयुक् त (केन्दर्ीय) या राज्य शर्म िवभाग का संयुक् त आयुक् त न हो या न रह चुका हो, िजसके पास िविध म िडगर्ी और

    षर् का अनुभव भी हःै

    परन्तु ऐसा कोई उप मुख्य शर्म आयुक् त या संयुक् त शर्म आयुक् त तब तक िनयुक् त नह िकया जाएगा, जब तक िक वह, पीठसीन अिधकारी के रू

    नह द ेदतेा ह;ै या

    (ग) भारतका अनुभव न हो ।]

    (4) समुिचत सरकार, यिद वह ऐसा करना को असेसर के रूप म िनयुक् त कर सकेगी ।

    7ख. रा ीय अिधकरण—(1) केन्दर्ीय सरकार ऐसे औ ोिगक िववाद के न्यायिनणर्यन के िलए, िजनम केन्दर्ीय सरकार की राय म रा ीय महत्व के पर्श् न अन्तगर्र्स्त ह या जो इस पर्कृित के ह िक एक से अिधक राज्य म िस्थत औ ोिगक स्थापन का ऐसे िववाद म िहतब होना, या उनस

    त कर सकेगी ।

    (2) रा ीय अिधकरण केवल एक िक् त से गिठत होगा, िजसकी िनयुिक् त केन्दर्ीय सरकार ारा की जाएगी ।

    (3) कोई भी िक् त रा ीय अिधकरण के पीठासीन अिधकारी के रूप म ि िक वह िकसी उच् च न्यायालय का न्यायाधीश न हो या न रह चुका हो ।]

    (4) केन्दर्ीय सरकार, यिद वह ऐसा करना ठीक य को असेसर के रूप म िनयुक् त कर सकेगी ।

    7ग. शर्म न्यायालय , अिधकरण और रा ीय अिधकरण के पीठासीन अिधकािरय के िलए िनरहर्ताएं—कोई भी िक् त शर्ण या रा ीय अिधकरण म पीठासीन अिध

    (क) वह स्वतन्तर् िक् त नह ह,ै अथवा

    (ख) उसने पसठ वषर् की आयु पर्ाप् त कर ली ह ै।]

    7घ. पीठासीन अिधकारी की अहर्ता सवेा के अन् य िनबधंन तथा शत—इस अिधिनयम म अंतिवष् ट िकसी बात के होते हुए भी केन् दर्ीय सरकार ारा धारा 7क की उपधारा (1) के अधीन िनयुक् त औ ोिगक अिधकरण के पीठासीन अिधकारी की अहर्ता, िनयुिक् त, पदाविध, वेतन और भ े, त् यागपतर् तथा पद से हटाना और सेवा के अन् य िनबंधन और श

    ंभ के पश् चात् उस अिधिनयम की धारा 184 के उपबंध ारा शािसत ह गी :

    परंतु िव अिधिनयम, 2017 के अध् याय 6 के भाग 14 के पर्ारंभ से पूवर् िनयुक् त पीठासीन अिधकारी का इस अिधिनयम और त ीन बनाए गए न े ।

    5[8. िरिक् तय का भरा जाना—यिद शर्म न्यायालय, अिधकरण या रा ीय अिधकरण के पीठासीन अिधकारी के पद म या बोडर् या न्यायालय के अध्यक्ष के या िकसी अन्य सदस्य के पद म (अस्थायी अनुपिस्थित से िभन् न) कोई िरिक् त िकसी भी कारण से हो जाती ह ैतो रा ीय अिधकरण की दशा म केन्दर्ीय सरकार, और िकसी अन्य दशा म समुिचत सरकार, िकसी अन्य िक् त को उस िरिक् त को भरने के िलए इस अिधिनयम के उपबन्ध के अनुसार िनयकु् त करेगी, और कायर्वाही उ

    त, शर्म न्यायालय, अिधकरण, रा ीय अिधकरण, बोडर् या न्यायालय के समक्ष चालू रखी जा सकेगी ।

    9. बोड आिद को गिठत करन ेवाल ेआदशे की अिंतमता—(1) समिुचत सरकार का या केन्दर्ीय सरकार का कोई भी आदशे, िजससे िकसी िक् त की िनयुिक् त, बोडर् या न्यायालय के अध्यक्ष या िकसी अन्य सदस्य के रूप म या शर्म न्यायालय, अिधकरण या रा ीय अिधकरण के पीठासीन अिधकारी के रूप म की गई ह,ै िकसी भी रीित से पर्श् नगत नह िकया जाएगा; और िकसी बोडर् या न्यायालय के समक्ष का कोई भी कायर् या कायर्वाही ऐसे बोडर् य

    1 1964 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 4 ारा (19-12-1964 से) अंतःस्थािपत । 2 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 4 ारा (21-8-1984 से) “या” शब्द का और खण्ड (ख) का लोप िकया गया । 3 2010 के अिधिनयम सं० 24 की धारा 5 ारा अंतःस्थािपत । 4 1982 के अिधिनयम सं० 46 की धारा 5 ारा (21-8-1984 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत । 5 1956 के अिधिनयम सं० 36 की धारा 5 ारा (10-3-1957 से) धारा 8 और धारा 9 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।

  • 10

    (2) सुलह कायर्वाही के अनुकर्म म िकया गया कोई भी समझौता केवल इस तथ्य के कारण ही अिविधमान्य नह होगा िक ऐसा समझौता, यथािस्थित, धारा 12 की उपधारा (6) म या धारा 13 की उपधारा (5) म िनिदष् ट कालाविध के अवसान के पश् चात् िकया गया था ।

    (3) जहां िक बोडर् के समक्ष की सुलह कायर्वाही के अनुकर्म म िकए गए िकसी समझौत ेकी िरपोटर् पर बोडर् के अध्यक्ष और अन्य सभी सदस्य हस्ताक्षर कर दतेे ह वहां ऐसा समझौता केवल इसी कारण अिविधमान्य नह होगा िक कायर्वाही के िकसी भी पर्कर्म के दौरान बोडर् के सदस्य म से (िजनके अन्तगर्त अध्यक्ष आता ह)ै कोई आकिस्मक अथवा अपूवर्किल्पत रूप म अनुपिस्थत था ।]

    1[अध्याय 2क

    तब्दीली की सचूना 9क. तब्दीली की सचूना—कोई भी िनयोजक, जो िकसी कमर्कार को लागू सेवा की शत म िकसी ऐसे िवषय की बाबत, जो

    चतुथर् अनुसचूी म िविनिदष् ट ह,ै कोई तब्दीली करने की पर्स्थापना करता ह—ै

    (क) ऐसे कमर्कार को, िजस पर ऐसी तब्दीली का पर्भाव पड़ना सम्भा हो, पर्स्थािपत तब्दीली की पर्कृित की िविहत रीित से सूचना िदए िबना, अथवा

    (ख) ऐसी सूचना दनेे के इक् कीस िदन के भीतर, ऐसी तब्दीली नह करेगाः

    परन्तु ऐसी कोई तब्दीली करने के िलए उस दशा म िकसी भी सूचना की अपेक्षा नह होगी िजसम िक—

    (क) तब्दीली 2[िकसी समझौते या अिधिनणर्य] के अनुसरण म की गई ह,ै अथवा

    (ख) वे कमर्कार, िजन पर उस तब्दीली का पर्भाव पड़ना संभा हो, ऐसे िक् त ह िजन्ह फंडामटल एण्ड सप्लीमटरी रूल्स अथार्त् मौिलक और अनुपूरक िनयम, िसिवल सिवसेज (क्लािसिफकेशन, कन्टर्ोल एण्ड अपील) रूल्स अथार्त् िसिवल सेवा (वग करण, िनयंतर्ण और अपील) िनयम, िसिवल सिवसेज (टेम्पोरेरी सिवस) रूल्स अथार्त् िसिवल सेवा (अस्थायी सेवा) िनयम, िरवाइज्ड लीव रूल्स अथार्त् पुनरीिक्षत छु ी िनयम, िसिवल सिवस रेग्युलेशन्स अथार्त् िसिवल सेवा िविनयम, िसिविलन्स इन िडफस सिवसेज (क्लािसिफकेशन, कन्टर्ोल एण्ड अपील) रूल्स अथार्त् रक्षा सेवा के िसिविलयन (वग करण, िनयंतर्ण और अपील) िनयम, या भारतीय रेल स्थापन संिहता या कोई अन्य िनयम या िविनयम, जो समुिचत सरकार ारा शासकीय राजपतर् म इस िनिम अिधसूिचत िकए जाएं, लागू होते ह ।

    9ख. छूट दने ेकी सरकार की शिक् त—जहां िक समुिचत सरकार की यह राय हो िक औ ोिगक स्थापन के िकसी वगर् को या िकसी औ ोिगक स्थापन म िनयोिजत कमर्कार के िकसी वगर् को धारा 9क के उपबन्ध का लागू होना उससे सम्ब िनयोजक पर ऐसा पर्ितकूल पर्भाव डालता ह ै िक इस पर्कार लागू िकए जाने से सम्पृक् त उ ोग पर गम्भीर पर्ितिकर्या होगी और यह िक लोकिहत ऐसा अपेिक्षत करता ह,ै वहां समुिचत सरकार, शासकीय राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनदशे द ेसकेगी िक उक् त धारा के उपबन्ध औ ोिगक स्थापन के उस वगर् को या िकसी औ ोिगक स्थापन म िनयोिजत कमर्कार के उस वगर् को लागू नह ह गे या ऐसी शत के अध्यधीन रहते हुए लागू ह गे िजन्ह अिधसूचना म िविनिदष् ट िकया जाए ।]

    3[अध्याय 2ख

    िशकायत पर्िततोषण ततंर् 9ग. िशकायत पर्िततोषण ततंर् की स्थापना—(1) ऐसे पर्त्येक औ ोिगक स्थापन म, िजसम बीस या अिधक कमर्कार िनयोिजत

    ह, िष् टक िशकायत से उद्भूत होने वाले िववाद के हल के िलए एक या अिधक िशकायत पर्िततोषण सिमित होगी ।

    (2) िशकायत पर्िततोषण सिमित िनयोजक और कमर्कार से बराबर संख्या म सदस्य से िमलकर बनेगी ।

    (3) िशकायत पर्िततोषण सिमित के अध्यक्ष का चयन िनयोजक से और कमर्कार म स