12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् १॥ ·...

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) 12 ॥नपपयनम -१॥ तवन भरतयससक त मलस वद भवसत। वर वद मवदत। त ऋव , यजवरद, समवद, अथरववदमत। त अमप तष र वदष ऋवद अयतस लकस वतरत। पन सपणर ऋवद गदमय मवदत। पन ऋव दमदष मवदमनमन उपयनमन ऋवदय मयम असधकतय वधरयसत। नपपयनम ऋवदय अयतस सम आयनस मवलसमत। नपपयनऋवदय अनक ष सक ष मवदत (/२४-२५)। तन इयस घन सयसत आसत इमत तयत। ऐतरयबण (/) इदमयनममतमवतरण स वमणरतम असत। अय उपयनय आद रय अत मववममय सबधस पररकय परवसधरतस क तमसत।वणय क पत ऐवक - नप-रय पपमभवत। समपरणसमय अरय तय पलयनम , रमदरजयरगप, मगर अजगत रय मयमपनपय यणम , दवतय क पततय वयपवत ममक मववममदरण तस क तक-पकरणदनस घनयरयनम अमतससमसत। अमत बत इदम उपयनम। अत यदमप एक एव मवषय अनवतरत तथमप उपयनय ध भगन कय पठयस रमतम असत। मष पठष समगम उपयनमसत इमत अवधयम। उदयमन अमस पठस पमठव भवन - नपपयनस जतस नयत। नपपयनय तपयर जतस नयत। वमदकयगन जतस नयत। वमदकलमककय यगय भदस जतस नयत। वयमव मय ययनस कत र समथ भवत। वयमव लकय अवयस कत र यय भवत। सक सथतस यकरणस जतस नयत। मय समयथरम जत स भवत। वदययनम 209 12

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Page 1: 12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् १॥ · सकस नक रल स सकरसजन स सकर क श्रश कसण

)12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥प्रस्तमावनमा

भमारतष्ट्रीयससस्कपृ तवेयाः मसूलस ववेदमायाः भवसन्त। चित्वमारयाः ववेदमायाः मवदन्तवे। तवे चि ऋग्ववेदयाः, यजपुवरदयाः, समामववेदयाः,अथरवववेदश्चिवेमत। तत्र अमप चितषपुर ववेदवेषपु ऋग्ववेदयाः अत्यन्तस लनोकप्रससद्धयाः वतरतवे। पपुनश्चि सम्पसूणरयाः ऋग्ववेदयाःगदमययाः मवदतवे। पपुनश्चि ऋग्ववेदमामदषपु मवदममानमामन उपमाख्यमानमामन ऋग्ववेदस्य ममाहिमात्म्यमम् असधकतयमावधरयसन्त।

शिपुनयाःशिनोपनोपमाख्यमानमम् ऋग्ववेदस्य अत्यन्तस प्रससद्धमम् आख्यमानस मवलसमत। शिपुनयाःशिनोपनोपमाख्यमानमम्ऋग्ववेदस्य अनवेकवे षपु ससूकवे षपु मवदतवे (१/२४-२५)। तवेन इयस घटिनमा सत्यमासश्रितमा आसष्ट्रीतम् इमत प्रतष्ट्रीयतवे।ऐतरवेयबमाह्मणवे (७/३) इदममाख्यमानममतमवस्तरवेण सहि वमणरतमम् असस्त। अस्य उपमाख्यमानस्य आदयौहिररश्चिन्द्रिस्य अन्तवे मवश्वमाममत्रस्य चि सम्बन्धस पररकल्प्य पररवसधरतस कपृ तमसस्त।वरुणस्य कपृ पमातयाः ऐक्ष्वमाकपु -नपृप-हिररश्चिन्द्रिस्य गपृहिवे पपुत्रनोत्पन्निमभवतम्। समपरणसमयवे अरण्यवे तस्य पलमायनमम्,हिररश्चिन्द्रिमपुदरजन्यरनोगनोत्पत्तयौ, ममागर अजष्ट्रीगतरस्य मध्यमपपुत्रशिपुनयाःशिवेपस्य क्रयणमम्, दवेवतमायमायाः कपृ पमातस्तस्यवध्यपशित्वमातम् मपुमकयाः मवश्वमाममत्रदमारवेण तस कपृ तक-पपुत्रकरणमादष्ट्रीनमास घटिनमायमारमाख्यमानमम् अमतप्रससद्धमसस्त।

अमत बपृहितम् इदमम् उपमाख्यमानमम्। अतयाः यदमप एक एव मवषययाः अनपुवतरतवे तथमामप उपमाख्यमानस्यत्रवेधमा भमागमानम् प्रकल्प्य पमाठत्रयस रमचितमम् असस्त। मत्रषपु पमाठवेषपु समगमम् उपमाख्यमानमसस्त इमत अवधवेयमम्।

उदवेश्यमामन

अमपुस पमाठस पमठत्वमा भवमानम् -

शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानस जमातपुस शिक्नपुयमातम्। शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानस्य तमात्पयर जमातपुस शिक्नपुयमातम्। ववैमदकप्रयनोगमानम् जमातपुस शिक्नपुयमातम्। ववैमदकलयौमककयनोयाः प्रयनोगयनोयाः भवेदस जमातपुस शिक्नपुयमातम्। स्वयमवेव मन्त्रस्य व्यमाख्यमानस कतपुर समथर्मो भववेतम्। स्वयमवेव श्लनोकस्य अन्वयस कतपुर यनोग्यनो भववेतम्। ससूकवे सस्थतस व्यमाकरणस जमातपुस शिक्नपुयमातम्। मन्त्रस्य समाममान्यमाथरमम् जमातपुस प्रभववेतम्।

ववेदमाध्ययनमम् 209

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Page 2: 12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् १॥ · सकस नक रल स सकरसजन स सकर क श्रश कसण

मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

प्रथमखण्डयाः

. )12 1 इदमानष्ट्रीमम् मसूलपमाठमम् पठमाम

हररश्चन्द्रर्यः ह वहैधन ऐक्ष्वचाकतो रचाजचाऽपकत्र आस तस्र ह शतस जचारचा बभभवकर्यः तचासक पकत्रस न लतभत तस्र ह पवरतनचारदनौ गमहत ऊषतकर्यः स ह नचारदस पप्रच्छ इसत।

रस सन्वरस पकत्रसरच्छसन्त रत सवजचानसन्त रत च न। सकस सस्वतन पकत्रतण सवन्दतत तन्र आचक नचारदतसत॥ इसत।

स एकरचा पमषतो दशसभर्यः प्रत्रकवचाच इसत।

ऋणरसस्रनन ससनरत्ररमतत्वस च गच्छसत। सपतचा पकत्रस्र जचातस्र पश्रतच्चतजश्रीवततो रकखिरन॥ इसत।

रचावन्तर्यः पमसथव्रचास भतोगचा रचावन्ततो जचातवतदसस। रचावन्ततो अप्सक प्रचासणनचास भभरचानन पकत्रत सपतकस्ततर्यः॥ इसत।

शश्वतन पकत्रतण सपतरतोऽत्रचारनन वहहलस तरर्यः। आत्रचा सह जजत आत्रनर्यः स इरचावत्रसततचाररणश्री॥ इसत।

सकस नक रलस सकरसजनस सकरक श्रशकसण सकस तपर्यः। पकत्रस ब्रहचाण इच्छध्वस स वहै लतोकत ऽवदचावदर्यः॥ इसत।

अन्नस ह प्रचाण शरणस ह वचासतो रूपस सहरण्रस पशवतो सववचाहचार्यः। सखिचा ह जचारचा कम पणस ह दकसहतचा ज्रतोसतहर पकत्रर्यः व्रतोरनन॥ इसत।

पसतजचाररचास प्रसवशसत गभर भभत्वचा स रचातररन।

तस्रचास पकननरवत भभत्वचा दशरत रचासस जचारतत॥ इसत।

210 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

तज्ज्रचा जचारचा भवसत रदस्रचास जचारतत पकनर्यः। आभभसतरतषचा भभसतवर्वीजरततन्नधश्रीरतत॥ इसत।

दतवचाश्चहैतचारमषरश्च ततजर्यः सरभरन्रहतन। दतवचा रनकष्रचानब्रभवन्नतषचा वतो जननश्री पकनर्यः॥ इसत।

नचापकत्रस्र लतोकतोऽस्तश्रीसत तत्सवर्वे पशवतो सवदकर्यः। तस्रचातन पकत्रतो रचातरस स्वसचारस चचाधरतोहसत॥ इसत।

एष पन्थचा उरगचारर्यः सकशतवतो रस पकसत्रण आक्ररन्तत सवशतोकचार्यः। तस पश्रसन्त

पशवतो, वरचाससस च तस्रचात्तत रचात्रचाऽसप सरथकनश्री भवसन्त। इसत हचास्रचा आख्रचार॥

मदतष्ट्रीयखण्डयाः

अथहैनरकवचाच वरणस रचाचचानरकपधचाव पकत्रतो रत जचारतचास ततन त्वचा रजचा इसत।

तथतसत स वरणस रचाजचानरकपससचार पकत्रतो रत जचारतचास ततन त्वचा रजचा इसत तथतसत तस्र पकत्रतो जजत रतोसहततो नचार इसत।

तस हतोवचाचचाजसन वहै तत पकत्रतो रजस्व रचानतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै पशकसनरदरशतो भवत्रथ स रतध्रतो भवसत सनदरशतो न्वस्त्वथ त्वचा रजचा इसत तथतसत इसत।

स ह सनदरश आस तस हतोवचाच सनदरशतो न्वभभदजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचावहै पशतोदरन्तचा जचारन्ततऽथ स रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र जचारन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत इसत।

तस्र ह दन्तचा जसजरत तस हतोवचाचचाजत वचा अस्र दन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रचा वहै पशतोदरन्तचार्यः पदन्ततऽथ स रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र पदन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

ववेदमाध्ययनमम् 211

Page 4: 12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् १॥ · सकस नक रल स सकरसजन स सकर क श्रश कसण

मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

तस्र ह दन्तचा पतसदरत तस हतोवचाचचापत्सत वचा अस्र दन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै पशतोदरन्तचार्यः पकनजचाररन्तत

अथ न रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र पकनजचाररन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

तस्र ह दन्तचार्यः पकनजरसजरत तस हतोवचाचचाजत वचा अस्र पकनदरन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै कसत्ररर्यः सचासनचाहहकतो भवत्रथ रतध्रतो भवसत ससनचाहस नक प्रचाप्नतोत्वथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

स ह ससनचाहस प्रचापत्तस हतोवचाच ससनचाहस नक प्रचाप्नतोदजस्व रचाऽनतनतसत स तथतत्रकक्त्वचा पकत्ररचारन्त्ररचारचास ततचारस वहै रहस त्वचारददचादन्त त्वरचाऽहसररस रजचा इसत।

स ह नतत्रकक्त्वचा धनकरचारचारण्ररकपचातस्थनौ स ससवत्सरररण्रत चचचार।

प्रथमखण्डयाः

. . )12 1 1 इदमानणीं मसूलपमाठमम् अवगच्छमाम -

हररश्चन्द्रर्यः ह वहैधस ऐक्ष्वचाकतो रचाजचाऽपकत्र आस तस्र ह शतस जचारचा वभभवकर्यः तचासक पकत्रस न लतभत तस्र ह पवरतनचारदनौ गमह ऊषतकर्यः स ह नचारदस पप्रच्छ इसत।

व्यमाख्यमा- हिररश्चिन्द्रिनो नमाम रमाजमषरयाः प्रस्कण्वहिररश्चिन्द्रिमावपृषष्ट्री इमत पमामणमननमा ससूमत्रतत्वमातम्। स चिववेधसनो नपृपतवेयाः पपुत्र इक्ष्वमाकपु वसशिनोदवनो रमाजमा पपुत्रहिष्ट्रीन आस। स चि शितससख्यमानमास जमायमानमास मध्यवे कस्यमासमचिदमपजमायमायमास पपुत्रस न लवेभवे। तस्य रमाजनो गपृहिवे पवरतनमारदनमाममानयौ यमावपृषष्ट्री तयौ मनवमासस चिक्रतपुयाः। तयनोमरध्यवेनमारदमपृमषमवेतयनो गमाथयमा रमाजमा पप्रच्छ।

सरलमाथर याः- ईक्ष्वमाकपु वसशिष्ट्रीययाः ववेधसयाः पपुत्रयाः रमाजमा हिररश्चिन्द्रियाः अपपुत्रयाः असष्ट्रीतम्। तस्य शितस पत्न्ययाःआसनम्। परन्तपु तमामभयाः पपुत्रलमाभयाः न जमातयाः। तस्य गपृहिवे पवरतनमारदयौ नमाम दयौ ऋषष्ट्री आस्तमामम्। स (हिररश्चिन्द्रियाः)तयनोयाः ऋषयनोयाः नमारदस पपृषवमानम्।

व्यमाकरणमम्-

212 ववेदमाध्ययनमम्

Page 5: 12 ॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् १॥ · सकस नक रल स सकरसजन स सकर क श्रश कसण

॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

आस- असम्-धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। गमाथयमा- गमाथमा सवरयाः गमातपुस यनोग्यमा गष्ट्रीमतयाः। तयमा इमत।

रस सन्वरस पकत्रसरच्छसन्त रत सवजचानसन्त रत च न। सकस सस्वतन पकत्रतण सवन्दतत तन्र आचक नचारदतसत॥ इसत।

व्यमाख्यमा- यवे दवेवमनपुष्यमादयनो मवजमानसन्त मवववेकजमानयपुकमायाः। यवे चि पश्वमादयनो न मवजमानसन्तमवववेकजमानरमहितमायाः। तवे सवरऽमप नपु मकप्रस यमममस पपुत्रममच्छसन्त तवेन पपुत्रवेण मकस सस्वतम् मवन्दतवे मकस नमाम फलसमपत्रमा लभतवे हिवे नमारद मवे मह्यस तत्फलममाचिकवेमत रमाजयाः प्रश्नयाः।

सरलमाथर याः- यवे जमामननयाः यवे चि अजमायाः तवे सवररवेव पपुत्रयाः इषयाः, तवेन पपुत्रवेण तवे मकस लभन्तवे इमत ममासकथयतपु।

व्यमाकरणमम्-

मवजमानसन्त -मव इत्यपुपसगरपसूवरकमातम् जमा-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। मवदन्तवे- मवदम्-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्।

स एकरचा पमषतो दशसभर्यः प्रत्रकवचाच इसत।

व्यमाख्यमा- स नमारद एकयमा गमाथयमा पपृषयाः सनम् दशिमभगमारथमामभयाः प्रत्यपुत्तरमपुकवमानम्।

सरलमाथर याः- स (नमारदयाः) एकयमा गमाथयमा पपृषयाः दशिमभयाः गमाथमामभयाः उत्तरस दत्तवमानम्।

व्यमाकरणमम्-

पपृषयाः - प्रच्छ-धमातनोयाः तप्रत्ययमान्तस रूपमम्। उवमाचि- वचिम्-धमातनोयाः सलटि-लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

ऋणरसस्रनन ससनरत्ररमतत्वस च गच्छसत। सपतचा पकत्रस्र जचातस्र पश्रतच्चतजश्रीवततो रकखिरन॥ इसत।

व्यमाख्यमा- उत्पन्निस्य सपुखस्य जष्ट्रीवतयाः पपुत्रस्य मपुखस मपतमा यमद पश्यवेतदमानष्ट्रीमसस्मनम् पपुत्रवे स्वककीयमपृणसलयौमककस ववैमदकस चि ससनयमत। सम्यगवस्थमापयमत। लयौमककस्य अवस्थमापनमातम् पपुत्रपयौत्रमामदमभयाः ऋणसप्रत्यपरणष्ट्रीयमममत स्मपृतकमारमा आहिहयाः। ववैमदकस मत्रमभयाः ऋणवमा जमायत इत्यमामद श्रिपुत्यपुकस पसूवरमवेवनोदमाहृतमम्। तस्य चिपपुत्रमावस्थमापनस ससपसत्तनमामकवे न कमरणमा सम्पदतवे। तच्चि कमर वमाजसनवेमयमभयाः आम्नमातमम्। -'अथमातयाःससपसत्तयरदमा प्रवैष्यनम् मन्यतवे अथ पपुत्रममाहि त्वस बह्म त्वस यजस्त्वस लनोक इमत। स पपुत्रयाः प्रत्यमाहिमाहिस यजनोहिस लनोकइमत। बह्म मयमा कतरव्यस ववेदमाध्ययनस मयमा अनपुष्ठवेयमा यजमाश्चि मयमा ससपमाद उत्तममा लनोकमाश्चिवेत्यवेततम् सवर पपुत्रवेणत्वयवैव ससपमादनष्ट्रीयमममत मपतपृवमाक्यस्यमाथरयाः। सवरमहिस ससपमादमयष्यमामष्ट्रीमत पपुत्रवमाक्यस्यमाथरयाः॥

ववेदमाध्ययनमम् 213

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

अत्रमाप्यमारण्यककमाण्डवे ससमकप्य ससदशिरमयष्यतवे- सनोस्यमायममात्ममा पपुणवेभ्ययाः कमरभ्ययाः प्रमतधष्ट्रीयतवे इमत। एवमपृणस पपुत्रवेसमपरयमत। तथवैवमामपृतत्वस मरणरमहितस मपुमकपदस चि गच्छमत। पपुत्रमामपरतलयौमककववैमदकभमारस्यमामवघ्नवेनतत्त्वजमानससपमादनमातम्।

सरलमाथर याः- मपतमा यमद उत्पन्निस्य मकञ्च जष्ट्रीमवतस्य पपुत्रस्य मपुखदशिरनस कपु यमारतम् तमहिर पपुत्रमाय समस्तसववैमदकस लयौमककस चि ऋणस प्रदमाय अमपृतत्वस लभतवे।

व्यमाकरणमम्-

गच्छमत- गम्धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। पश्यवेतम्- दृशिम्-धमातनोयाः मवसधसलङम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

रचावन्तर्यः पमसथव्रचास भतोगचा रचावन्ततो जचातवतदसस। रचावन्ततो अप्सक प्रचासणनचास भभरचानन पकत्रत सपतकस्ततर्यः॥ इसत।

व्यमाख्यमा- पपृसथव्यमास भनोगमायाः सस्यमनवमासमादययाः। जमातववेदस्यमागयौ भनोगमा दहिनपचिनमादययाः। अप्सपु भनोगमायाःस्नमानपमानमादययाः। प्रमामणनमामवेतवे सवर भनोगमा यमावन्तयाः ससन्त ततस्तमावद्भ्ययाः सवरभ्यनो भनोगवेभ्यनो भसूयमानभ्यसधकयाःमपतपुयाः पपुत्रवे भनोगनो मवदतवे। अत्यन्तसपुखहिवेतपुत्वमातम्। तथमा चिमाहिहयाः- पपुत्रनोत्पसत्तमवपसत्तभ्यमास नमापरस सपुखदपुयाःखयनोयाः इमत।

सरलमाथर याः- पपृसथव्यमास प्रमामणगणवेषपु ययाः भनोगयाः उपलभ्यममानयाः, अगयौ जलवे चि ययाः भनोगयाः उपलभ्यममानयाः,मपतपुयाः कपृ तवे सवमारसधकयाः भनोगयाः पपुत्रवे एव मवरमाजममानयाः असस्त।

व्यमाकरणमम्-

भनोगमायाः - भनोग इमत पपुससलङ्गस्य अकमारमान्तप्रमामतपमदकस्य प्रथममायमायाः बहिहवचिनवे रूपमम्।भनोगमायाः इत्यपुकवे भनोग्यमवषयसमसूहियाः।

अप्सपु- अपम् इमत स्त्रष्ट्रीसलङ्गस्य मनत्यस बहिहवचिनमान्तस्य प्रमामतपमदकस्य सप्तम्यमायाः बहिहवचिनवे रूपमम्।

शश्वतन पकत्रतण सपतरतोऽत्रचारनन वहहलस तरर्यः। आत्रचा सह जजत आत्रनर्यः स इरचावत्रसततचाररणश्री॥ इसत।

व्यमाख्यमा- मपतरनो जनकमा उत्पन्निवेन पपुत्रवेण शिश्वतम् सवरदमा लनोकदयवेमप बहिहलमभ्यसधकस तमम्ऐमहिकममामपुसष्मकस चि दपुयाःखमत्यमायन्निमतक्रमामसन्त। तथमा वयौधमायन आहि- पपुमदमत नरकस्यमाख्यमा दपुयाःखस चि नरकसमवदपुयाः। पपुत्तस्तमारणमात्ततयाः पपुत्रममहिवेच्छसन्त परत्र चि। इमत। मकस चि महि यस्ममातम् कमारणमातम् मपतपुयाः पपुत्र उत्पन्निइत्यपुकवे समत मपतमा स्वस्ममातम् स्वयमवेव यज उत्पन्नि इत्यपुकस भवमत। ततयाः मपतमा यथमा स्वयस स्वककीयस दपुयाःखसमवनमाशियवेतम् तथमा पपुत्रनोप्यवेतदपुयाःखस मवनमाशियतष्ट्रीमत द्रिषव्यमम्। तस्ममातम् स पपुत्र इरमावत्यन्नियपुकमामततमाररणष्ट्रीनदष्ट्रीसमपुद्रिमादवेरमततरणहिवेतपुनर्थौरमत शिवेषयाः। यथमा ननोद पुरघरटिस नदमामदकस तमारयत्यवेवस पपुत्रनोप्यवैमहिकममामपुसष्मकस चि दपुयाःखसतमारयतष्ट्रीत्यथरयाः।

214 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

सरलमाथर याः- मपतमा सवरदमा (इहिलनोकवे परलनोकवे चि) पपुत्रस्य समाहिमाय्यमाथर बहिहदपुयाःखमम् अमतक्रमाममत। यतयाःआत्मरूपस्य मपतपुयाः समष्ट्रीपवे आत्ममा एव पपुत्ररूपवेण जमायतवे। अतयाः एव पपुत्रयाः मपतपुयाः समष्ट्रीपवे द पुयाःखमाणरवस्यअमतक्रमणस कतपुर यनोग्ययाः अन्नियपुकयाः उत्कपृ षयाः नयौकमातपुल्ययाः।

व्यमाकरणमम्-

जजवे- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे ) इत्यस्ममातम् सलटिम् -लकमारस्य धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। आत्ममा- आत्मनम् इमत नकमारमान्तप्रमामतपमदकस्य प्रथममायमायाः एकवचिनवे रूपमम्।

सकस नक रलस सकरसजनस सकरक श्रशकसण सकस तपर्यः। पकत्रस ब्रहचाण इच्छध्वस स वहै लतोकत ऽवदचावदर्यः॥ इसत।

व्यमाख्यमा- अत्र मलमासजनश्मश्रिपुतपयाः शिब्दवैरमाश्रिमचितपुषयस मववमकतमम्। मलरूपमाभ्यमास शिपुक्लशिनोमणतमाभ्यमासससयनोगमान्मलशिब्दवेन गमाहिरस्रयस मववमकतमम्। कपृ ष्णमासजनससयनोगमादसजनशिब्दवेन बह्मचियर मववमकतमम्।कयौरकमररमामहित्यमाच्छमाश्रिशिब्दवेन वमानप्रस्थस मववमकतमम्। मलस गमाहिरपत्यस मकस नपु मकस नमाम सपुखस कररष्यमत नमकसञ्चदत्यथरयाः। एवमपुत्तरत्रमामप यनोज्यमम्। हिवे बह्ममाणनो मवप्रमा मवप्रकमत्रयमादमायाः सवर यसूयस सपुखहिवेतपुत्वमातम्पपुत्रममच्छध्वमम्। स ववै एव पपुत्रनोवदमावदनो लनोकयाः। वमदतपुमयनोग्यमामन मनन्दमावमाक्यमान्यवदमास्तवैवमारक्यवैनर्मोदन्तवे नकरयन्तवे इत्यवदमावदयाः। अवदमावदनो दनोषरमामहित्यमामन्निन्दमानहिर इत्यथरयाः। तमादृशिनो लनोकनो भनोगहिवेतपुयाः पपुत्रयाः।तस्ममादमाश्रिमवेभ्यनोप्यमासधक्यवेन पपुत्रवेच्छमा कतरव्यमा यदमप हिररश्चिन्द्रियाः एवमात्र प्रषमा तथमामप तवेन सहि ऋषष्ट्रीणमास बहिहणमाससभमायमामवस्थमानमादम् बह्ममाण इमत सम्बनोधनमम्।

सरलमाथर याः- गमाहिरस्रयवेन बह्मचियरण वमानप्रस्थवेन पमाररव्रमाज्यवेन मकस भववेतम्। हिवे मवप्रगणमायाः, यसूयस पपुत्रसकमामयत, पपुत्रयाः एव आनन्दनष्ट्रीययाः।

व्यमाकरणमम्-

इच्छध्वमम्- इषम्-धमातनोयाः मध्यमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे ववैमदकस रूपमम्। अवदमावदयाः - वमदतपुमम् अयनोग्यमामन मनन्दमावमाक्यमामन अवदमायाः। तवैयाः वमाक्यवैयाः न उदतवे न करयतवे इमत

अवदमावदयाः।

अन्नस ह प्रचाण शरणस ह वचासतो रूपस सहरण्रस पशवतो सववचाहचार्यः। सखिचा ह जचारचा कम पणस ह दकसहतचा ज्रतोसतहर पकत्रर्यः व्रतोरनन॥ इसत।

व्यमाख्यमा- अन्निमादयनो लनोकवे सपुखहिवेतपुत्ववेन प्रससद्धमायाः। यथमा महि शिरष्ट्रीरवे प्रमाणमावसस्थमतहिवेतपुत्वमादन्निमवेवप्रमाणयाः। वमासयाः शिष्ट्रीतनोपद्रिवमाद्रिककत्ववेन शिरणस गपृहिसममानमम्। महिरण्यस कणमारभरणमामदकस दृमषमप्रयत्वमाद्रिसूपससपमादकमम्।पशिवनो गवमाश्वमादयनो मववमाहिमवशिवेषवेण मनवमारहिकमायाः। जमायमा भनोगवे सहिकमाररत्वमातम् सखमा हि ससखस्वरूपवैव। एवमवेतवेसपुखहिवेतपुत्ववेन प्रससद्धमा अमप तमात्कमासलकमल्पमवेव सपुखस प्रयच्छसन्त। दपुमहितमा हि पपुत्रष्ट्रीमत कपृ पणसकवे वलदपुयाःखकमाररत्वमादवैन्यहिवेतपुयाः। तथमा चि स्मयरतवे-

ववेदमाध्ययनमम् 215

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

ससभववे स्वजनदपुयाःखकमाररकमा ससप्रदमानसमयवेऽऽथरहिमाररकमा।

ययौवनवेऽमप बहिहदनोषकमाररकमा दमाररकमा हृदयदमाररकमा मपतपुयाः। इमत।

पपुत्रनो हि पपुत्रस्तपु ज्यनोमतयाःस्वरूपस तमनोमनवमारकत्ववेन स महि मपतरस परमवे व्यनोमन्निपुत्कपृ ष आकमाशिवेपरबह्मस्वरूपवेऽवस्थमापयमत। आकमाशिस्तमल्लिङ्गमामदत्यनवेन पसूवरमवेवमामपृतत्वस चि गच्छतष्ट्रीत्यत्र प्रमतपमामदतमम्।

सरलमाथर याः- अन्निमवेव प्रमाणयाः (प्रमाणधमारणस्य सहिमायकयाः), वस्त्रमवेव शिरणस (आश्रिययाः), महिरण्यमवेव रूपस(रूपनोत्पमादकयाः), मववमाहियाः एव पशिपुलमाभस्य उपमाययाः। जमायमा पत्नष्ट्री वमा ससखस्वरूपमा, दपुमहितमा दपुयाःखस्य हिवेतपुयाः,परन्तपु पपुत्र एव उत्कपृ षयाः ऊध्वरलनोकवे ज्यनोमतयाःस्वरूपयाः।

व्यमाकरणमम्-

सखमा- ससखनम् इमत प्रमामतपमदकस्य प्रथममायमायाः एकवचिनवे रूपमम्। दपुमहितमा- दपुमहितपृ इमत प्रमामतपमदकस्य प्रथममायमायाः एकवचिनवे रूपमम्।

पसतजचाररचास प्रसवशसत गभर भभत्वचा स रचातररन।तस्रचास पकननरवत भभत्वचा दशरत रचासस जचारतत॥ इसत।

व्यमाख्यमा- पत्यपुरमाकमारदयमसस्त। वतरममानपपुरूषमाकमार एकनो रवेतनोरूपवेण गभमारकमारनो मदतष्ट्रीययाः। जमायमायमाअमप आकमारदयमसस्त। पमतरूपममाकमारस प्रमत जमायमा भवमत। गभररूपममाकमारस प्रमत ममातमा भवमत। अतयाः सतमादृशियाः पमतयाः स्वयस रवेतनोरूपवेण गभर्मो भसूत्वमा पसूवरमवसस्थतमास जमायमास भमवष्यदमाकमारवेण ममातरस सतणीं प्रमवशिमत।तस्यमास ममातरर पपुननरवनो भसूत्वमा पसूवरमन्यस्यमास ममातयपुरत्पन्निनो जरठयाः। इदमानणीं पपुननसूरतनवमालनो भसूत्वमातस्यमाममदमानष्ट्रीन्तन्यमामस्यमास ममातरर गभरपमाकवे समत दशिमवे ममास्यपुत्पदन्तवे तस्ममातम् पपुत्रयाः स्वस्ममादन्यनो न भवमत।

सरलमाथर याः- पमतयाः (रवेतनोरूपवेण) जमायमास प्रमवशिमत, गभररूपवेण स एव (भमवष्यत्कमालवे मवदममानमास) ममातरसप्रमवशिमत। स एव पपुनयाः दशिममासमाभ्यन्तरवे उत्पन्नियाः भवमत।

व्यमाकरणमम्-

प्रमवशिमत- प्र इत्यपुपसगरपसूवरकमातम् मवशिम्(प्रववेशिनवे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। भसूत्वमा- भसू- (सत्तमायमामम्) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः क्त्वमाप्रत्ययमान्तस रूपमम्। जमायतवे- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यस्ममातम् धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

तज्ज्रचा जचारचा भवसत रदस्रचास जचारतत पकनर्यः। आभभसतरतषचा भभसतवर्वीजरततन्नधश्रीरतत॥ इसत।

व्यमाख्यमा- यदस्ममात्कमारणमादस्यमास गभरधमाररण्यमामयस मपतमा पपुत्ररूपवेण पपुनजमारयतवेतत्तस्ममात्कमारणमाल्लिनोकप्रससद्धमा यमा जमायमाऽसस्त समा जमायतवेऽस्यमामममत व्यपुत्पत्त्यमा जमायमाशिब्दवमाच्यमा भवमत। मकसचिवैषमा भसूत्यमाभसूतशिब्दमाभ्यमाममभधष्ट्रीयतवे। भवत्यस्यमास पपुत्ररूपवेण पमतररत्यवेषमा भसूतशिब्दवमाच्यमा रवेतनोरूपवेणऽऽगत्यमास्यमास

216 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

पपुत्ररूपवेण भवतष्ट्रीत्यमाभसूमतशिब्दवमाच्यमा। एतदवेतस्यमास सस्त्रयमास बष्ट्रीजस रवेतनोरूपस मनधष्ट्रीयतवे प्रमकप्यतम् तस्ममादपुकमायाः शिब्दमाउपपदन्तवे।

सरलमाथर याः- पमतयाः पत्नष्ट्रीमध्यवे (पपुत्ररूपवेण) पपुनयाः जमायतवे, तस्ममातम् पत्नष्ट्री जमायमा (जमायमा इमत आख्यमासलभतवे) भवमत। समा एव भसूमतयाः आभसूमतयाः इमत शिब्ददयवमाच्यमा भवमत, एतस्यमामवेव बष्ट्रीजस स्थमामपतस भवमत।

व्यमाकरणमम्-

जमायतवे- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यस्ममातम् धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। भवमत- भसू(सत्तमायमामम्) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

दतवचाश्चहैतचारमषरश्च ततजर्यः सरभरन्रहतन। दतवचा रनकष्रचानब्रभवन्नतषचा वतो जननश्री पकनर्यः॥ इसत।

व्यमाख्यमा- एतमामवेतस्यमास यनोमषमत दवेवमाश्चि महिषरयश्चि स्वककीयस महित्तवेजनो रवेतनोरूपस समारस समभरनम्पपुत्रनोत्पमादनमाय ससपमामदतवन्तयाः। स्वयमवेव ससपमाद ततनो मनपुष्यमामनत्यबसूवनम्। हिवे मनपुष्यमा जमायमारूपवेण वतरतवे सवेयसयपुष्ममाकस पपुत्ररूपवे जन्ममन जननष्ट्री भवमत।

सरलमाथर याः- दवेवमायाः मनपुष्यमायाः चि एतसस्मनम् (पत्नष्ट्रीगभर) महिमातवेजसयाः स्थमापनस चिक्रपु याः, दवेवमायाः मनपुष्यमानम्प्रमत उकवन्तयाः- हिवे मनपुष्यमायाः एषमा पपुनयाः यपुष्ममाकस जननष्ट्री भमवष्यमत।

व्यमाकरणमम्-

अबसूवनम्- बसूञम्-धमातनोयाः लङम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्।

नचापकत्रस्र लतोकतोऽस्तश्रीसत तत्सवर्वे पशवतो सवदकर्यः। तस्रचातन पकत्रतो रचातरस स्वसचारस चचाधरतोहसत॥ इसत।

व्यमाख्यमा- लनोकनो लनोकजन्यस सपुखपपुत्रस्य नमासस्त। नमहि पपुत्रदशिरनवेन यत्सपुखस तदन्यदशिरनवेनक्वमचिदमप दृश्यतवे इमत यदसस्त तत्सवर गनोममहिष्यमादयनो जमानसन्त यस्ममात्तस्ममादवेव कमारणमातम् पशिपुजमातयौ जमातयाःपपुत्रनो वत्सयाः स्वककीयमास ममातरस भमगनणीं वमा पपुत्रनोत्पमादनमाथरमसधरनोहिमत।

सरलमाथर याः- अपपुत्रस्य कसश्चिदमप लनोकयाः न भवमत- एतसस्मनम् मवषयवे सवर पशिवयाः जमानसन्त।एतस्ममातम् कमारणमातम् (पशिपुषपु) पपुत्रयाः स्वस्य जनन्यमा भमगन्यमा वमा (पपुत्रनोत्पमादनमाय) ममलमत।

व्यमाकरणमम्-

असस्त- असम्-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। असधरनोहिमत- असध इत्यपुपसगरपसूवरकमातम् रुहिम्-धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

ववेदमाध्ययनमम् 217

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

एष पन्थचा उरगचारर्यः सकशतवतो रस पकसत्रण आक्ररन्तत सवशतोकचार्यः। तस पश्रसन्त

पशवतो, वरचाससस च तस्रचात्तत रचात्रचाऽसप सरथकनश्री भवसन्त॥ इसत हचास्रचा आख्रचार॥

व्यमाख्यमा- पपुमत्रण पपुत्रवन्तनो दवेवमनपुष्यमादयनो मवशिनोकमायाः शिनोकरमहितमायाः सन्तनो यस पन्थमानस सपुखमानपुभवरूपसममागरममाक्रमन्तवे प्रमाप्नपुवन्त्यवेष पन्थमायाः पपुत्रमासपुखमानपुभवरूपनो ममागर उरुगमाय उरुमभमरहिमदयाः शिमास्त्रजवैयाःरमाजमाममात्यमामदमभश्चि गष्ट्रीयतवे। तथमा सपुशिवेव सपुष्ठपु सवेमवतपुस यनोग्ययाः सपुखमासधक्यस्य मवदममानत्वमातम्। तसपपुत्रसपुखमानपुभवरूपस पशिवनो गवमादयनो वयमाससस पमकणयाः ससपश्यसन्त जमानसन्त। तस्ममात्तवे पशिपुपक्ष्यमादययाः पपुत्रसपुखमाथरममात्रमा सहि ममथपुनष्ट्रीभवसन्त मकस मकमपुतमान्ययमा सस्त्रयमा सहिवेत्यथरयाः।

इमत (अनवेन प्रकमारवेण) हि अस्मवै (रमाजवे हिररश्चिन्द्रिमाय) आख्यमाय (अमभधमाय) (स नमारदयाः मवररमामइमत शिवेषयाः)।

सरलमाथर याः- पपुत्रवन्तयाः जनमायाः मवगतशिनोकमायाः भवन्तयाः यस ममागर स्वष्ट्रीकपु वर सन्त स ममागर एव बहिहजनवैयाःप्रशिससनष्ट्रीययाः मकञ्च सपुष्ठपु तयमा सवेवनस्य यनोग्ययाः। पशिवयाः पमकणयाः चि एतसस्मनम् मवषयवे जमानसन्त, अतयाः एव तवेस्वस्य ममात्रमा ममलमत। (नमारदमषरयाः) तस (हिररश्चिन्द्रिस) एततम् सवरमम् उकवमानम्।

व्यमाकरणमम्-

पश्यसन्त- दृशिम्-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिवचिनवे रूपमम्। भवसन्त- भसू-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिवचिनवे रूपमम्। आक्रमतवे- आङम् इत्यपुपसगरपसूवरकमातम् क्रमपु-धमातनोयाः प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

पमाठगतप्रश्नमायाः-१

.1 हिररश्चिन्द्रियाः कस्य पपुत्रयाः।

.2 हिररश्चिन्द्रिस्य पपुत्रयाः आसष्ट्रीतम् न वमा।

.3 हिररश्चिन्द्रिस्य कमत पत्न्ययाः ससन्त।

.4 हिररश्चिन्द्रिस्य कयौ ऋषष्ट्री स्तयाः।

.5 तयनोयाः ऋषयनोयाः कस हिररश्चिन्द्रियाः पपृषवमानम्।

.6 नमारदयाः कमतमभयाः गमाथमामभयाः प्रत्यपुत्तररतवमानम्।

.7 मपतपुयाः मनकटिवे कसस्मनम् सवमारसधकभनोगयाः मतष्ठमत।

.8 मकस प्रमाणतपुल्यमम्।

.9 मकस शिरणमम्।

.10 भसूमतयाः आभसूमतयाः इमत शिब्ददयस्य कमा वमाच्यमा भवमत।

218 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

मदतष्ट्रीयखण्डयाः

. . )12 1 2 इदमानणीं मसूलपमाठमम् अवगच्छमाम -

अथहैनरकवचाच वरणस रचाचचानरकपधचाव पकत्रतो रत जचारतचास ततन त्वचा रजचा इसत।

व्यमाख्यमा- पपुत्रमनममत्तलमाभप्रमतपमामदकमा नमारदनोकमा दशि गमाथमा उगमाहृत्य पपुत्रजन्मनोपमायनोपदवेशिपरसनमारदवमाक्यमवतमारयमत-

अथ पपुत्रवेच्छमामनममत्तकथनमानन्तरमवेनस पपुत्रमासथरनस हिररशिचिन्द्रिस नमारद उवमाचि। हिवे हिररशिचिन्द्रि वरुणसरमाजमानमपुपधमार प्रमाथरयस्व। यवेन प्रकमारवेण मनश्चिययाः सनोऽमभधष्ट्रीयतवे। हिवे वरुण त्वत्प्रसमादमान्मवे पपुत्रनो जमायतमासततस्तवेन पपुत्रवेण त्वमास यजवै त्वमामपुमदश्य यजस करवमाणष्ट्रीमत।

सरलमाथर याः- अनन्तरस (नमारदयाः) हिररश्चिन्द्रिमम् उकवमानम्- भवमानम् रमाजयाः वरुणस्य मनकटिवे प्रमाथरयतपु यतम्मम पपुत्रयाः जमायतमामम्। तवेन(पपुत्रवेण) अहिस त्वमामम् उमदश्य यमागस कररष्यमामम।

व्यमाकरणमम्-

उवमाचि – वचिम्-धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जमायतमामम्- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

तथतसत स वरणस रचाजचानरकपससचार पकत्रतो रत जचारतचास ततन त्वचा रजचा इसत तथतसत तस्र पकत्रतो जजत रतोसहततो नचार इसत।

व्यमाख्यमा- नमारदनोपदवेशिमङ्गष्ट्रीकपृ त्य हिररशिचिन्द्रिनो। वरुणमपुपसमारवे प्रमाथरयमाममास। स वरुणनोऽमपतथमाऽसस्त्वमत तदष्ट्रीयपपुत्रनोत्पत्त्यवै वरस दत्तवमानम्। तवेन चि वरनोणत्पन्निस्य रनोमहित इत्यवेतन्निमाममाभसूतम्।

सरलमाथर याः- तथवैव कररष्यमामम। (एवमम् उक्त्वमा) हिररश्चिन्द्रियाः रमाजयाः वरुणस्य समष्ट्रीपमम् अप्रमाथरयतम् ममपपुत्रयाः जमायतमामम्, तस प्रदमाय तव यमागस कररष्यमामम। (वरुणयाः उवमाचि) तथवैव भवतपु। अनन्तरस तस्य रनोमहितनमामकयाःएकयाः पपुत्रयाः अजमायत।

व्यमाकरणमम्-

जमायतमामम्- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जजवे- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

ववेदमाध्ययनमम् 219

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

तस हतोवचाचचाजसन वहै तत पकत्रतो रजस्व रचानतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै पशकसनरदरशतो भवत्रथ स रतध्रतो भवसत सनदरशतो न्वस्त्वथ त्वचा रजचा इसत तथतसत इसत।

व्यमाख्यमा- अथ बहिहमभयाः पयमारयवैवरुणस्यनोमकहिरररशितन्द्रिस्य प्रत्यपुमकश्चिवेत्यपुभयस प्रमतपमादतवे। तत्र प्रथमसपयमारयस दशिरयमत-

तस हिररशिचिन्द्रि वरुणस उवमाचि। हिवे हिररशिचिन्द्रि तवे पपुत्रनोऽजमन वमा उत्पन्नि एवमानवेन पपुत्रवेण ममामपुमदश्य यमागसकपु मवरमत। एवस वरुणवेननोकवे हिररशिचिन्द्रियाः पपुनयाः प्रत्यपुवमाचि। यमागमाथरयाः पशिपुयरदमा मनदरशिनो भवमत तदमा स पशिपुमरध्यनोयमागयमाग्यनो भवमत। मनगरतमान्यशियौचिमदनमामन दशिससख्यमाकमामन यस्ममातम् पशिनोयाः सनोऽयस मनदरशियाः। तस्ममादयस नपु मकप्रसमनदरशिनोऽस्तपु। अथमानन्तरस त्वमा प्रत्यहिस यजमा इत्यतदमाक्यस वरुणस्तथमाऽसस्त्वत्यङ्गष्ट्रीचिकमार।

सरलमाथर याः- (अनन्तरस) वरुणयाः तमम् (हिररश्चिन्द्रिस) अवदतम्- तव पपुत्रयाः अजमायत, तवेन ममामम् उमदश्ययमागस कपु रु। हिररश्चिन्द्रियाः उकवमानम्- (जन्मनयाः परस) दशिमदनवेषपु अमतक्रमान्तवेषपु एव पशिपुमवेध्ययमागयाः भवमत। अतयाःशिष्ट्रीघ्रस दशि मदनमामन गच्छन्तपु ततयाः त्वमामम् उमदश्य यमागस कररष्यमामम। (वरुणयाः उकवमानम्) तथवैवमास्तपु।

व्यमाकरणमम्-

उवमाचि- वचि- धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। भवमत- भसू(सत्तमायमामम्) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

स ह सनदरश आस तस हतोवचाच सनदरशतो न्वभभदजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचावहै पशतोदरन्तचा जचारन्ततऽथ स रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र जचारन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत इसत।

व्यमाख्यमा- दशिमदनमाशियौचिमापगमवे शिपुद्धत्वमादथमा यमागयनोग्यत्वस तथमा दन्तनोत्पन्नित्वमादयवससपसूत्यमारयमागयनोग्यत्वममत्यमभप्रमाययाः। स्पषमन्यतम्।

सरलमाथर याः- तस्य(रनोमहितस्य) दशिमदनमामन गतमामन, (तदमा वरुणयाः) हिररश्चिन्द्रिमम् उकवमानम्- दशिमदनमामन गतमामन, अधपुनमा त्वमम् अनवेन यमागस कपु रु। हिररश्चिन्द्रियाः उवमाचि- यदमा पशिपुदन्तयाः भवमत, तदमा स मवेध्ययाःभवमत। अस्य दन्तयाः भवतपु। ततयाः वयस यमागस कररष्यमामयाः। (वरुणयाः उकवमानम्) तथवैवमास्तपु।

व्यमाकरणमम्-

जमायन्तवे- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। भवमत- भसू(सत्तमायमामम्) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जमायन्तमामम्- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। उवमाचि- वचि- धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

220 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

तस्र ह दन्तचा जसजरत तस हतोवचाचचाजत वचा अस्र दन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रचा वहै पशतोदरन्तचार्यः पदन्ततऽथ स रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र पदन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

व्यमाख्यमा-अजत ववै जमातमा एव। पदन्तवे पतसन्त। प्रथमनोत्पमान्निमानमास दन्तमानमस्थमामयत्ववेनमपुख्यपश्ववयवत्वमाभमावमात्तमात्पमातवे समत पशिनोमरध्यत्वमम्।

सरलमाथर याः- ततयाः तस्य दन्तमायाः अजमायन्त। (वरुणयाः) हिररश्चिन्द्रिमम् अवदतम् अस्य दन्तमायाः सञ्जमातमायाः,अधपुनमा मम अनवेन यमागस कपु रु। हिररश्चिन्द्रियाः उकवमानम्- यदमा पशिपुदन्तमायाः पतसन्त तदमा स मवेध्ययाः भवमत, अस्यदन्तमायाः पतन्तपु तदमा त्वमामम् उमदश्य यमागस कररष्यमामयाः। (वरुणयाः उकवमानम्) तथवैवमास्तपु।

व्यमाकरणमम्-

उवमाचि- वचि- धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जसजरवे- जनष्ट्री इमत धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। पदन्तवे - पद-गतयौ इमत धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। पदन्तमामम्- पद-गतयौ इमत धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्।

तस्र ह दन्तचा पतसदरत तस हतोवचाचचापत्सत वचा अस्र दन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै पशतोदरन्तचार्यः पकनजचाररन्तत अथ न रतध्रतो भवसत दन्तचा न्वस्र पकनजचाररन्तचारथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

व्यमाख्यमा-अपत्सत ववै पमततमायाः। पपुनरुत्पन्निमानमास दन्तमानमास सस्थरत्ववेन ससपसूणमारवयवत्वमातम्पशिनोमरध्यत्वमम्।

सरलमाथर याः- तस्य (रनोमहितस्य) दन्तमायाः पमततवन्तयाः। (वरुणयाः) हिररश्चिन्द्रिमम् उवमाचि- अस्य दन्तमायाःपमततमायाः, अधपुनमा एमभयाः मम यमागस कपु रु। हिररश्चिन्द्रियाः उकवमानम्- यदमा पशिपुदन्तमायाः पपुनयाः जमायन्तवे तदमा स मवेध्ययाःभवमत। अतयाः अस्य दन्तमायाः पपुनयाः जमायन्तमास ततयाः तव यमागस कररष्यमामयाः। (वरुणयाः उकवमानम्) तथवैवमास्तपु।

व्यमाकरणमम्-

जमायन्तमामम् -जनष्ट्री प्रमादपुभमारववे इमत धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। भवमत- भसू(सत्तमायमामम्) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जमायन्तमामम्- जनष्ट्री(प्रमादपुभमारववे) इत्यथरकमातम् धमातनोयाः लनोटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्।

तस्र ह दन्तचार्यः पकनजरसजरत तस हतोवचाचचाजत वचा अस्र पकनदरन्तचा रजस्व रचाऽनतनतसत स हतोवचाच रदचा वहै कसत्ररर्यः सचासनचाहहकतो भवत्रथ रतध्रतो भवसत ससनचाहस नक प्रचाप्नतोत्वथ त्वचा रजचा इसत तथतसत।

ववेदमाध्ययनमम् 221

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

व्यमाख्यमा-अजमात ववै जमातमा एव। पश्वन्तरस्य पपुनदरन्तनोत्पसत्तक्रमवेण मवेध्यत्ववेऽप्यस्य पशिनोयाःकमत्रयत्वमातम् स्वजमात्यपुमचितधनपुवमारणकवचिमामदसससहिनमाहिशिष्ट्रीसलत्ववे समत जमात्यपुमचितव्यमापमारससपसूतर्थौ मवेधमात्वमम्।तस्ममान्निपु मकप्रमवेवमासयौ ससनमाहिस प्रमाप्तनोत्वन्तरमवेव यजमा इत्यपुत्तरस वरुणनोऽङ्गष्ट्रीचिकमार।

सरलमाथर याः- तस्य (रनोमहितस्य) दन्तमायाः पपुनयाः उत्पन्निमायाः, तमम् (हिररश्चिन्द्रिस) उकवमानम्- अस्य दन्तमायाःपपुनयाः उत्पन्निमायाः। अधपुनमा एमभयाः मम यमागस कपु रु। हिररश्चिन्द्रियाः उकवमानम्- कमत्रययाः यदमा सन्निमाहिहकयाः भवमत तदमा समवेध्ययाः भवमत। मम पपुत्रयाः सन्निमाहिहकयाः भवतपु तदमा तव यमागस कररष्यमामयाः। (वरुणयाः उकवमानम्) तथवैवमास्तपु।

व्यमाकरणमम्-

उवमाचि- वचि- धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। जसजरवे- जनष्ट्री इमत धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य बहिहवचिनवे रूपमम्। प्रमाप्ननोमत- प्र इत्यपुपसगरकमातम् आपम्-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

स ह ससनचाहस प्रचापत्तस हतोवचाच ससनचाहस नक प्रचाप्नतोदजस्व रचाऽनतनतसत स तथतत्रकक्त्वचा पकत्ररचारन्त्ररचारचास ततचारस वहै रहस त्वचारददचादन्त त्वरचाऽहसररस रजचा इसत।

व्यमाख्यमा- ससनमाहिप्रमाप्तनोरुद्धर स हिररशिचिन्द्रिनो वरुणनोमकमङ्गष्ट्रीकपृ त्य पपुत्रममामन्त्र्यवैवमपुवमाचि। उपलमालनमाथरपपुत्रवे मपततपृवमामचितशिब्दप्रयनोगयाः। हिवे तमात हिवे पपुत्रमाय एव वरुणनो मह्यस त्वमास पपुत्रवरवेण दत्तवमानम्। हिन्त द पुषनोऽहिमममसवरुणस यत्त्वयमा पपुत्रवेण यजवै यमागरूपमास करवमाणष्ट्रीमत हिररशिचिन्द्रिस्यनोमकयाः।

सरलमाथर याः- ततयाः स बमालकयाः सन्निमाहिहकयाः अभवतम्। (वरुणयाः) हिररश्चिन्द्रिमम् उवमाचि- अयस सन्निमाहिहकयाःजमातयाः। अतयाः अनवेन मम यमागस कपु रु। (रमाजमा) हिररश्चिन्द्रियाः तथवैव भवतपु इत्यपुक्त्वमा पपुत्रमम् आहिहय अवदतम् - वत्सअयस वरुणदवेवयाः त्वमास मह्यस प्रदत्तवमानम्। अहिनो (अधपुनमा) त्वयमा वरुणमम् उमदश्य यमागयाः कतरव्ययाः।

व्यमाकरणमम्-

उवमाचि- वचि- धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। प्रमाप्ननोमत- प्र इत्यपुपसगरकमातम् आपम्-धमातनोयाः लटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। यजस्व – यज इत्यथरकमातम् लनोटिम् -लकमारस्य मध्यमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्।

स ह नतत्रकक्त्वचा धनकरचारचारण्ररकपचातस्थनौ स ससवत्सरररण्रत चचचार।

व्यमाख्यमा-स हि स खलपु रनोमहितमाख्ययाः पपुत्रयाः मपतपृवमाक्यस मनमषध्य स्वरकणमाथर धनपुयाः स्वष्ट्रीकपृ त्यमाहिरणसप्रत्यपुपगतनोऽभसूतम्। कसस्मससश्चिदरण्यनो नवैरन्तयरन स रनोमहितयाः ससवत्सरस चिचिमारवेमत।

सरलमाथर याः- ततम् नवैव भवतपु इत्यपुक्त्वमा स रनोमहितयाः धनपुयाः आदमाय अरण्यस गतवमानम्। मकञ्च एकवत्सरसयमावतम् स अरण्यवे मवचिरनम् आसष्ट्रीतम्।

222 ववेदमाध्ययनमम्

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॥शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम्-१॥ मटिप्पणष्ट्री

व्यमाकरणमम्-

चिचिमार – चिर-धमातनोयाः सलटिम् -लकमारस्य प्रथमपपुरुषस्य एकवचिनवे रूपमम्। उक्त्वमा - वदम्- धमातनोयाः क्त्वमाप्रत्ययमान्तस रूपमम्।

पमाठगतप्रश्नमायाः-२

.11 असस्मनम् पमाठवे कस्य कथमा वमणरतमा।

.12 हिररश्चिन्द्रियाः रमाजयाः वरुणस्य समष्ट्रीपमम् मकमम् अप्रमाथरयतम्।

.13 हिररश्चिन्द्रियाः कमम् उमदश्य यमागस कपृ तवमानम्।

.14 पशिपुमवेध्ययमागयाः कदमा अनपुष्ठष्ट्रीयतवे।

.15 ककीदृशिनो पशिपुयाः पशिपुमवेध्ययमागयनोग्यनो भवमत।

.16 हिररश्चिन्द्रियाः कमम् उकवमानम् यतम् अस्य दन्तमायाः सञ्जमातमायाः।

.17 कयाः धनपुयाः आदमाय अरण्यस गतवमानम्।

.18 सन्निमाहिहकयाः इत्यस्य कयाः अथरयाः।

.19 हिररश्चिन्द्रियाः स्वस्य गपृहिस्थस नमारदमषर मकमम् पपृषवमानम्।

.20 सयाः कथस प्रत्यपुत्तररतवमानम्।

पमाठसमारयाः

असस्मनम् पमाठवे एकमम् उपमाख्यमानमम् असस्त। एवमवेव शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानवे हिररश्चिन्द्रिस्य कथमा वमणरतमा।तत्र हिररश्चिन्द्रिस्य यदमप शितस पत्न्ययाः आसनम् तथमामप तस्य कश्चिदमप पपुत्रयाः नमासष्ट्रीतम्। तस्ममातम् स स्वस्यगपृहिस्थस नमारदमषर पपृषवमानम्। स दशिमभयाः गमाथमामभयाः प्रत्यपुत्तररतवमानम्। स मवमवधप्रकमारवेण पपुत्रस्य ममाहिमात्म्यमम्अवदतम्। यथमा पपुत्रयाः सवमारसधकभमाग्यमवषययाः मपतपुयाः मनकटिवे इत्यमामदप्रकमारवेण। ततम् सवरमवेव मन्त्रवेषपु स्पषमवेव।

पमाठमान्तप्रश्नमायाः

.1 शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमम् इत्यस्य समारस सलखत।

.2 हिररश्चिन्द्रिनो हि ववैधस... इमत शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमासशिस समायणभमाष्यमानपुसमारर व्यमाख्यमानस कपु रु।

.3 अन्निस हि प्रमाणयाः... इमत शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमासशिस समायणभमाष्यमानपुसमारर व्यमाख्यमानस कपु रु।

.4 पमतजमारयमास प्रमवशिमत... इमत शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमासशिस समायणभमाष्यमानपुसमारर व्यमाख्यमानस कपु रु।

ववेदमाध्ययनमम् 223

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मटिप्पणष्ट्री ववेदमाध्ययनमम्

.5 नमापपुत्रस्य... इमत शिपुनयाःशिवेपनोपमाख्यमानमासशिस समायणभमाष्यमानपुसमारर व्यमाख्यमानस कपु रु।

पमाठगतप्रश्नमानमामम् उत्तरमामण

उत्तरकसू टियाः-१.1 ववेधसयाः।

.2 आमम्।

.3 शितमम्।

.4 पवरतनमारदयौ।

.5 नमारदमम्।

.6 दशिमभयाः।

.7 पपुत्रवे।

.8 अन्निमम्।

.9 वस्त्रमम्।

.10 पत्नष्ट्री।

उत्तरकसू टियाः-२.11 हिररश्चिन्द्रिस्य।

.12 मम पपुत्रयाः जमायतमामम्।

.13 वरुणमम्।

.14 जन्मनयाः परस दशिमदनवेषपु अमतक्रमान्तवेषपु।

.15 यमागमाथरयाः पशिपुयरदमा मनदरशिनो भवमत तदमा स पशिपुमरध्यनो यमागयमाग्यनो भवमत।

.16 वरुणमम्।

.17 रनोमहितयाः।

.18 कवचिपररधमानस्य यनोग्ययाः पपुरुषयाः।

.19 शितस पत्न्ययाः सत्यमप तस्य कश्चिदमप पपुत्रयाः मकमथर नमासष्ट्रीतम् इमत।

.20 दशिमभयाः।

॥ इमत दमादशियाः पमाठयाः ॥

224 ववेदमाध्ययनमम्