swachh bharat abhiyan...भ रत म त क य! ” श नर द म द प ध नम त...

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  • 2स्वच्छता ही सेवा

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    2स्वच्छता ही सेवा

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    “सव्चछ्ता के संसक्ार को हमे ्जवकजसत करना है। िब तक यह जवकजसत ना हो तब तक इस अजभयान को जनरंतर चलाना है। प््धानमंत््ी बनने के बाद नरेद््् मोदी ने सव्चछ्ता की ओर धय्ान जदया और इसे एक िन आंदोलन बनाया है। आिादी के बाद से

    इस ओर जकसी ने धय्ान नही ्जदया था। इस आंदोलन एवं अजभयान की विह से अब हिारो ्गांव, शहर, कसब्े खुले मे ्शौच से मुतत् होरहे है।् पूरे देश मे ्सव्चछ्ता पखवाडा् मनाया िा रहा है इसमे ्शपथ का ही महतव् है इस शपथ का जनव्तहन हमे ्करना चाजहए। ताजक मोदीिी की अपील पर सव्चछ् भारत अजभयान मे ्हम सब अपनी भागीदारी सुजनज््ित कर सके।्” श््ी अजमत शाह राष््््ीय अधय्क््, भारतीय िनता पाट््ी

    “महातम्ा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमे ्जसर्फ रािनैितक आिादी ही नही ्थी बलक्क एक सव्चछ् एवं जवकजसत देश की ककप्ना भी थी। महातम्ा गांधी ने गुलामी की िंिीरोे ्को तोडक्र मां भारती को आिाद कराया। अब हमारा कत्तवय् है जक

    गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करे।्’‘मै ्शपथ लेता हूं जक मै ्सव्यं सव्चछ्ता के प््जत सिग रहूंगा और उसके जलए समय दूंगा। हर वर्त 100 घंटे यानी हर सपत्ाह दो

    घंटे श््मदान करके सव्चछ्ता के इस संककप् को चजरताथ्त करूग्ा। मै ्न गंदगी करूग्ा और न जकसी को करने दूंगा। सबसे पहले मै्सव्यं से, मेरे पजरवार से मेरे मोहकल्े से, मेरे गांव से एवं मेरे काय्तसथ्ल से शुरआ्त करूग्ा। मै ्यह िानता हूं जक दुजनया के िो भी देशसव्चछ् जदखते है,् उसका कारण यह है जक वहां के नागजरक गंदगी नही ्करते और न ही होने देते है।् इस जवचार के साथ मै ्गांव-गांवऔर गली-गली सव्चछ् भारत जमशन का प््चार करूग्ा। मै ्आि िो शपथ ले रहा हूं वह अनय् 100 वय्लत्तयो ्से भी करवाउंगा। वे भी मेरीतरह सव्चछ्ता के जलए 100 घंटे दे,् इसके जलए प््यास करूग्ा। मुझे मालूम है जक सव्चछ्ता की तरर बढा्या गया मेरा एक कदम पूरेभारत देश को सव्चछ् बनाने मे ्मदद करेगा।’

    भारत माता की िय!” श््ी नरेद््् मोदी प््धानमंत््ी

  • 3स्वच्छता ही सेवा

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    स्वच्छता ही सेवा

    संकलनकर्ताआदर्ा तरवतरी

    तरसर्ा एेसोतरयेट, डॉ. श्यतमत प््सतद मुखर््ी रोध अतधष््तन

    कलतप््वीण अतिषेक

    डॉ. श्यामा प््साद मुखर््ी शोध अधधष््ान

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  • 4स्वच्छता ही सेवा

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    अनुक््मधिकाक््म सं. लेख पेज

    1 � सव्चछ् भारत अभभयान के ब््ांड एमब्ेसडर, प््खय्ात गायक कैलाश खेर से आदश्श भतवारी की बातचीत- आदश्श भतवारी 6

    2 � ‘शौचालय क््ांभत’ लाने मे ् कामयाब रही मोदी सरकार - रमेश कुमार दुबे 8

    3 � गाँधी के सव्चछ् भारत के सपने को कांग््ेस ने अनदेखा भकया, मोदी सरकार कर रही पूरा- सतीश भसंह 9

    4 � सव्चछ्ता एक संकलप् - अजय धवले 11

    5 � सव्चछ्ता और महातम्ा गांधी - सनन्ी कुमार 12

    6 � जाभनए, सव्चछ् भारत अभभयान से कैसे बदल रही देश की तसव्ीर! - नवोभदत सकत्ावत 14

    7 � यह योजना नही ्संकलप् है - गौरव दफत्री 16

    8 � सव्चछ् भारत का साकार होता सपना - राजीव प््ताप भसंह 18

    9 � सव्चछ्ता की भदशा मे ्भगीरथ प््यास - महेश भतवारी 20

    10 � सव्चछ् भारत का इरादा कर भलया हमने... - कभनषक्ा भतवारी 23

    11 � सव्चछ् होगा भारत तभी सव्सथ् होगा भारत - आशु दास 24

    12 � लोगो ्मे ्सव्चछ्ता की ‘आदत’ भवकभसत करना है मोदी सरकार का मुखय् लक्््य - अनुराग भसंह 25

  • 5स्वच्छता ही सेवा

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    भूधमका

    कें द्् की सत््ा मे ्आने के बाद 2 अकट्ूबर, 2014 को प््धानमंत््ी नरेद््् मोदी ने ‘सव्चछ् भारत अभभयान’ का शुभारंभभकया। इसका उद््ेशय् न केवल सरकार के स््र पर देश से गनद्गी समापत् करने के भलए प््यतन् करना था, बलक्कसव्चछ्ता के प््भत आम जनमानस की सोच मे ्पभरवत्तन लाना भी था। प््धानमंत््ी के आह््ान पर भसनेमा, उद््ोग,राजनीभत, खेल आभद भवभभनन् क््ेत््ो ्की तमाम बड़ी हभ््सयाँ भी इस अभभयान का भहसस्ा बनी।् इधर सरकार देश मे ्तेजी केसाथ शौचालय भनमा्तण के भनधा्तभरत लक्््य को पूरा करने की भदशा मे ्बढ़ रही है, भजसके पभरणामसव्रप् यह उमम्ीद की जारही भक देश शीघ्् ही खुले मे ्शौच की समसय्ा से मुकत् हो जाएगा। आम लोगो ्मे ्भी सव्चछ्ता के प््भत जागरक्ता का भवकासहो रहा है। कुल भमलाकर, आज तीन वर्त पश््ात यह अभभयान एक भवराट आनद्ोलन का रप् ले चुका है।

    सव्चछ्ता के इस आनद्ोलन को लेकर इन भदनो ्देश मे ्काफी चचा्त है। इस चचा्त के क््म मे ्ही इन भदनो ्ऑनलाइनवैचाभरक पोट्तल नेशनभलसट् ऑनलाइन डॉट कॉम पर भी बहुत से युवा व वभरष्् लेखको ्के लेख प््काभशत हुए, भजनह्े ्एकसथ्ान पर संकभलत कर एक ई-बुकलेट का रप् देने की पहल डॉ. शय्ामा प््साद मुकज््ी शोध अभधष््ान द््ारा की जा रही है।इस संकलन मे ्सलम्मभलत सभी लेखो ्के लेखको ्के प््भत अभधष््ान आभार वय्कत् करता है।

    डॉ. अभनबा्शन गांगुलीभनदेशक, डॉ. शय्ामा प््साद मुकज््ी शोध अभधष््ान

  • 6स्वच्छता ही सेवा

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    सव्चछ् भारत अभभयान के हाल ही मे ्तीन वरश् पूरे हुएहै।् आप इस अभभयान के ब््ांड एमब्ेसडर भी है।् इनतीन सालो ्मे ्सव्चछ्ता को लकेर आप भकस तरह का पभरवत्शनदेख रहे है?्

    2 अकट्ूबर, 2015 को भारत के प््धानमंत््ी श््ी नरेद््् मोदी जी नेमुझे अपने नवरतन्ो ्मे ्शाभमल भकया भजसका भनभमत्् बना सव्चछ्भारत आंदोलन। सव्चछ् भारत को मै ्एक भनभमत्् मात्् मानता हूं,लेभकन इसके जभरये जैसी पौराभणकता, भवशेरता, संसक्ृभत औरभवभवधता के बारे मे ्हम पढ़ते आए है,् वैसा भारत बनाने की बातथी। भदशा बदली, दशा बदली, नेतृतव् बदला और हमे ्नेतृतव् भमलाऐसे प््धानमंत््ी का भजनह्ोन्े सव्चछ् भारत अभभयान की शुरआ्त कीजो राजनीभत से ऊपर है, धमत् से परे है। उनह्ोन्े सव्सथ् भारत कीपभरककप्ना की और यह तभी संभव है जब हम सव्चछ् होग्े। सव्सथ्भारत तब होगा जब भारत सव्चछ् होगा। सव्चछ्ता को जनांदोलन केप््ारप् मे ्प््धानमंत््ी जी ने बदला, यह आंदोलन तब शुर ्हुआ जबभपछली सरकारो ्ने देश को काफ़ी उतार–चढ़ाव वाला बना भदयाहै। ऐसे मे ्उनके सामने काफ़ी चुनौभतयाँ है।्उनके सामने लक्््य है

    भजसको भेदना है।हर क्े्त्् को संतुभलत करना है। हमने सुना थाअकबर के नवरतन् थे, लेभकन उसके बाद पहली बार सुना अलग–अलग क््ेत्् से प््धानमंत््ी ने भवभवधता से जुड़्े हुए लोगो ्को सव्चछ्भारत से जोड़ा खास कर उन लोगो ्को भजनको लोग फॉलो करतेहै।् आँखे ्पहले भी थी,् हाथ पहले भी थे, लेभकन यह दृभ््ि पहलेनही ्थी। पहले यह बात भकसी ने सोची भी नही ्थी। भारत मे ्बहुतगणनायक और जननायक हुए है;् लेभकन उनका सदुपयोग बहुतकम हुआ है। परनत्ु, अब पभरपाटी बदल रही है। आज सव्चछ्ता कोलेकर मनुषय् की चेतना बदल रही है। अभूतपूवत् पभरवतत्न कानूनऔर गाइडलाइंस बनाने से नही ्आता। जरर्ी है भक नीयत बदलेकय्ोभ्क नीयत बदलेगी तो भनयभत बदलेगी। धीरे धीरे सव्चछ्ताजनचेतना व जनांदोलन का रप् ले रही है। इससे मन बदलने लगेहै।् जो लोग जय्ादा गंदगी फैला रहे थे, वह कम फ़ैला रहे है।् शहरो्मे ्मानभसकता तेजी से बदल रही है, गांवो ्मे ् लस्थभत पहले से हीठीक है। गाँव के लोग आज भी अपने कपड़े आभद के थैलो ्का हीइस््ेमाल करते है,् पॉभलथीन का इस््ेमाल कम करते है।्अब शहरो्मे ्भी पॉभलथीन को लेकर बदलाव आ रहा है। अभी तो 3 साल हुएहै,् लेभकन इसका बहुत सकारातम्क प््भाव समाज पर पड़ा् है और

    संवचंछ भारत अभभयान के बंंांड एमंबेसडर, पंंखंयात गायक कैलाश खेर से आदशंश भतवारी की बातचीत

    संवचंछ भारत अभभयान के बंंांड एमंबेसडर, पंंखंयात गायक कैलाश खेर से आदशंश भतवारीकी बातचीत

  • 7स्वच्छता ही सेवा

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    आगे पभरणाम भी सकारातम्क होग्े।आप कई मंचो से लगातार प््धानमंत््ी नरेद््् मोदी की

    तारीफ़ करते आये है,् भजसके चलते आपको आलोचना भीझेलनी पड़ती है। आप अपने आलोचको ्को कय्ा जवाब देनाचाहेग्े?

    देभखए, मै ्भकसी पाभट्तकुलर इंसान को संदेश देना नही ्चाहता।जब भी कुछ असामानय् होता है, तो कुछ आवाज़े ्जरर् उठती है।्चाहे वह मनुषय् के भलए हो या प््कृभत के भलए। भसफ्फ एक बात परआवाज कभी उठती नही ्मनुषय् जो भी करता है, जो भी सोचता है,तो आवाज़ ेउठती है।् कछु सकारातम्क होती है ्तो कछु नकारातम्क।अचानक भूकंप आता है, तब आवाजे ्नही ्उठती।् कय्ो?् कय्ोभ्कउस प््कृभत के आगे भकसी की नही ्चलती, तब कोई भकसी परदोरारोपण नही ्करता। अलग–अलग मभ््सषक् है। भकसी को ठंडअचछ्ी लगती है, भकसी को बुरी लगती है। इस संसार मे ्भांभत-भांभतके लोग है।् ऐसे मे,् अपनी प््भतभ््कया देना तुचछ् बात होती है। केवलपरमातम्ा के सामने जबान नही ्चलती, वरना जबतक जबान है,चलती रहेगी।

    ‘सव्चछ् भारत अभभयान’ के भलए अबतक आपने कय्ा–कय्ा योगदान भदया है? आपने सव्चछ्ता को लेकर जो गानागाया है, वह काफ़ी चभच्शत रहा। कय्ा आपने कभी वह गानानगरपाभलका की गाड़ी पर बजते हुए सुना है?

    हमने तो सव्यं नही ्सुना, पर अरण्ाचल प््देश की राजधानीईटानगर से भकसी ने एक लक्लप भेजी है, भजसमे ्नगरपाभलका कीगाड़ी् मे ्हमारा गाना बज रहा था। मै ्इसके माधय्म से एक संदेशदेता हूँ। भजस बात को आप डायलाग कहकर यानी संवाद के जभरयेप््भावी रप् से नही ्कह सकते हो, लेभकन गाकर हर प््कार के हद्यको प््भाभवत आप कर पात ेहै।् गान ेक ेद््ारा लोगो को सदंशे पहुचंायाजाता है, तो उसका बहुत प््भाव होता है मनुषय् पर। गाना तो बहुतलोग पहले भी गवाते आए है,् पर इस तरह के अप््ोच के साथ भक

    सरकार इस तरह का आयोजन बनाये और एक गाने का प््ारप्बनाये तो, उससे कय्ा होता है गाने का प््भाव धमभनयो ्पर ऐसा होताजैसे हवाओ ्की।अचछ्ी संगीत का असर हमारी धमभनयो ्मे ्हो रहाहै। यह बहुत नयापन था भक भकसी सरकार ने इस तरह का प््ारप्भदया। भसफ्फ गान ेतक नही,् बलक्क कई इवेट् मे ्हम गए है।् रतन्ाभगरीमे ्एक केनद्््ीय मंत््ी लेकर गये थे। बहुत सारे सक्ूलो ्मे ्गए है,्बनारस मे ्असस्ी घाट गए। इस तरीके से सक्ूल के बच््ो ्को जोड़ा्और 5-5 हजार सट्ूडेट् के साथ हमने सव्चछ्ता का संदेश भदया।

    आपके जीवन मे ्संघर््ो ्के कई उतार–चढ़ाव आए है।्आज आप काफी लोकभ््पय है।् कभी राजनीभत मे ्जान ेक ेबारेमे ्सोचा है?

    नही,् हम अगर राजनीभत मे ्आयेग्े तो उससे कय्ा होगा, कटुताबढ़गेी। पहल ेभी कटतुा बहतु लोगो मे ्आ जाती ह ैजब आप चमकतेहै,् कय्ोभ्क मनुषय् का जो मभ््सषक् है ्उसके जो शेल है,् दो प््कारके होते है ्- एक सकारातम्क एक नकारातम्क। यह दोनो ्भमलकरही शलक्तवध्तन करते है।् परंतु, दुभा्तगय् से राजनीभत एक ऐसा क््ेत्् हैभजसमे ्नकारातम्कता और सकारातम्कता से बहुत जय्ादा जूझनापड़त्ा है।् उसमे ्जूझते–जूझते आप भजस मूल क्े्त्् से है,् उसपरप््भाव पड़्ेगा। हम अभी नदी की तरह अभवरल अनवरत एकनसैभग्तक प््वाह मे ्है।् भकतन ेलोग हमे ्सजसेट् करत ेहै,् हम भी सनुतेहै ्उनकी बात। पर,।उधौ मन न भयो दस –बीस, एक ही थो जोगयो शय्ाम संग को अधरावे ईश...।

    केद््् सरकार के कामकाज को कैसे देखते है ् ? अगरसरकार की दो प््मखु उपलबध्धयो ्क ेबार ेमे ्पछूा जाए तो आपभकसे बतायेग्े?

    सव्चछ्ता आंदोलन और योग, इनह्ोने अंतरा्तष््््ीय मंच पर भारतकी गभरमा को बढ़ा्या है। सारा भवश्् मान रहा है भक अंतरा्तष््््ीययोग भारत की देन है। यह अपने आप मे ्दो शुभ काय्त राजनीभत सेऊपर उठकर भारत सरकार ने भकये है।्इसके साथ यह भी है भकसभी सरकारो ्के काम करने का अपना भनयोजन होता है। हाँ ,अगरबहुत जय्ादा लोग वय्ाकुल है ्तो घर के मुभखया को मालूम चल हीजाता है भक लोग वय्ाकुल है।

    सव्चछ्ता को लेकर लोगो ्को कय्ा संदेश देना चाहते है?्यही संदेश देना चाहते है ्भक यह देश आपका है, यह मुहकल्ा

    आपका है, सव्ासथ्य् आपका है। यभद आप इसका धय्ान रखेग्े तोभकसी और का नही,् आप ही का भला होगा। यभद बीमारी फैलती हैऔर भफर महामारी बन जाती ह,ै तो इसस ेभसफ्फ ऐसा नही भक पड़ोसीही परेशान होगा, हम भी परेशान होग्े। यभद एक मचछ्र गंदगी सेबनेगा; यभद एक को भी टीवी होगी, तो जाने भकतने बालको ्कोपकड़ लगेी। इसभलए हम सब को सचते होना पड़गेा। चते र ेनर चतेरे, तेरा भचभड़या चुग गई खेत रे ....अरे नर चेत रे! �

  • 8स्वच्छता ही सेवा

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    ‘शौचालय कंंांभत’ लाने में कामयाब रही मोदी सरकार

    रमेश कुमार दुबेभ्ष्�्टाचार, भाई-भतीजावाद मे ्आकंठ डूबी और जाभत-धम्त कीराजनीभत करन ेवाली कागं््सेी सरकारो ्न ेसाफ-सफाई, भशक््ा,स�्वास�्थ�्य, बेकारी जैसी जमीनी समस�्याओ ्की ओर बहुत कम ध�्यानभदया। दूसरे शब�्दो ्मे ्कांग्े्सी सरकारे ्सत�्ता की राजनीभत से आगेनही ् बढ़ ्पाई।् इसका नतीजा यह हुआ भक अपने नागभरको ्कोस�्वच�्छता की सुभवधाएं मुहैया कराने मे ्भारत पाभकस�्तान, बांग�्लादेशऔर श््ीलंका से ही नही ्युद्् ग््स्् देश अफगाभनस�्तान से भी पीछेरहा।

    स�्वच�्छता के मानको ् पर भपछड़न्े के कारण भारत कोअंतरराष�्ट््ीय मंचो ्पर कई बार शभम्िद्गी झेलनी पड़ी्। 2010 मे्प््काभशत यूभनसेफ की “प््ोग््ेस ऑन सेभनटेशन एंड भ््िंभकंग वाटर”नामक भरपोट्त के अनुसार आधुभनकता और भवकास के तमाम दावो्तथा सूचना प््ौद््ोभगकी क््ेत्् मे ्दुभनया भर मे ्अपना लोहा मनवानेवाला भारत ऐसे देशो ्का सरगना है जहां लोग खुले मे ्शौच जातेहै।् उक�्लेखनीय है भक 2 अक�्टूबर 2014 को स�्वच�्छ भारत अभभयानशुर ्होने तक ग््ामीण भारत मे ्66 फीसदी लोगो ्के पास शौचालयकी सुभवधा नही ्थी, वही ्शहरो ्मे ्यह अनुपात 19 फीसदी था।

    बीमारी-गरीबी की जड़दखेा जाए तो शौचालय की सभुवधा होन ेस ेन कवेल गभरमा और

    सामाभजक प््भतष�्ठा बढ़त्ी है, बक�्भक यह पया्तवरण संरक््ण मे ् भीसहायक होता है। भफर इससे पेयजल को सुरभ््कत बनाने मे ्भी मददभमलती है। गौरतलब है भक साफ-सफाई की बुभनयादी सुभवधाउपलब�्ध न होने के कारण लाखो ्लोग उन बीमाभरयो ्के भशकार होजाते है ्भजन�्हे ्रोका जा सकता है। एक अनुमान के मुताभबक खुले मे्शौच स ेहोन ेवाली बीमाभरयो ्स ेभारत को हर साल बारह अरब रप्एऔर बीस करोड़ ्श््म भदवसो ्स ेहाथ धोना पड़त्ा ह।ै भवश�्व स�्वास�्थ�्यसंगठन के आंकड़ो् ्के मुताभबक दुभनया के भजन क््ेत््ो ् मे ् खुले मे्शौच की प््था प््चभलत है, उन�्ही ्क््ेत््ो ् मे ् बाल मृत�्यु दर अभधक है।हैजे का मूल कारण दूभरत पानी और स�्वच�्छता की कमी है। इसेभारत और चीन की तलुना स ेसमझा जा सकता ह।ै भारत स ेअभधकआबादी वाल ेचीन मे ् खलु े मे ् मल भवसज्तन करन ेवालो ्की सखं�्यामहज पाचं करोड़ ्और डायभरया स ेमरन ेवाल ेबच�्चो ्की सखं�्या मात््चालीस हजार ह।ै भवश�्व स�्वास�्थ�्य सगंठन न ेअपन ेभनष�्कर्त मे ्बतायाहै भक साफ-सफाई व�्यवस�्था के सुधार पर खचत् भकए गए प््त�्येकडालर से औसतन सात डालर का आभथ्तक लाभ होता है।

    प़़धानमंत़़ी नरेद़़़ मोदी ने लाया बदलावयूपीए सरकार ने 2012 तक सभी को स�्वच�्छ पानी और

    शौचालय सुभवधा मुहैया कराने के भलए संपूणत् स�्वच�्छता अभभयानचलाया, लेभकन राजनीभतक इच�्छाशक�्भत की कमी के चलते इसअभभयान ने दम तोड़ ्भदया। प््धानमंत््ी बनने के बाद नरेद््् मोदी नेदेश को खुले मे ्शौच से मुक�्त करने को सव््ोच�्च प््ाथभमकता देतेहुए इसके भलए समयबद्् कायत्क््म तय भकया।महात�्मा गांधी की150वी ्वरत्गांठ अथा्तत 2 अक�्टूबर 2019 तक भारत को खुले मे्शौच क ेअभभशाप स ेमकु�्त करन ेहते ुप््धानमतं््ी न े2 अक�्टबूर 2014को ‘स�्वच�्छ भारत अभभयान’ शुर ्भकया। प््धानमंत््ी इस जमीनीसच�्चाई को जानते थे भक यह महत�्वाकांक््ी लक्््�य महज सरकारीकायत्क््मो ्के जभरए पूरा नही ्होगा। इसभलए उन�्होन्े स�्वच�्छता कोजनांदोलन बनाया। सोशल से लेकर भ््पंट मीभडया, टेलीभवजन सेलेकर भफक�्मो ्के जभरए स�्वच�्छता के बारे मे ्जागरक्ता फैलाई गई।योजना के भलए भवत�्तीय आवंटन बढ़ा्ने के साथ-साथ पंचायतो,्धाभम्तक और गैर-सरकारी संगठनो ्को भागीदार बनाया गया। देशकी जनता ने प््धानमंत््ी की शौचालय क््ांभत को भरपूर समथत्नभदया। यही कारण है भक इसके नतीजे बेहद उत�्साहजनक रहे। अबतक देश के 2.30 लाख गांव खुले मे ्शौच से मुक�्त हो चुके है।् यभदभजला स�्तर पर देखे ्तो 160 भजले इस लक्््�य को हाभसल कर चुकेहै।् राष�्ट््ीय स�्तर पर जहां 2 अक�्टूबर 2014 को स�्वच�्छता कवरेज38.7 फीसदी था, वही ्29 अगस�्त 2017 को यह अनुपात बढ़क्र67.30 फीसदी तक पहुंच गया। भजस रफत्ार से देश मे ्शौचालयो्का भनमा्तण हो रहा ह,ै उस ेदखेत ेयह उम�्मीद ह ैभक 2 अक�्टबूर 2019तक देश खुले मे ्शौच के अभभशाप से मुक�्त हो जाएगा। इससे स�्पष�्टहै भक मोदी सरकार देश मे ्शौचालय क््ांभत लाने मे ्सफल रही।�

    (लेखक केनद्््ीय सभचवालय मे ्अभधकारी है।् ये उनकेभनजी भवचार है।्)

  • 9स्वच्छता ही सेवा

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    महातम्ा गाँधी ने एक “सव्चछ् भारत” का सपना देखा था। वहचाहते थे भक भारत एक सव्चछ् देश के रप् मे ्जाना जाये,लेभकन आजादी के सात दशक बाद भी अभी भारत को सव्चछ् नही्बनाया जा सका है। चूंभक, पूवत्वत््ी कांग्े्स सरकारे ्सव्चछ्ता केमहतव् को समझी ही नही।्

    महात�्मा गांधी के इस अधूरे सपने को पूरा करने के भलयेप््धानमंत््ी नरेद््् मोदी ने 2 अक�्टूबर 2014 को देश के सभी लोगो ्सेइस अभभयान से जुडने की अपील की, भजसके तहत देश को सव्चछ्रखने और खुले मे ्शौच करने की प््था से भनजात पाने का लक्््यरखा गया है। प््धानमंत््ी द््ारा 2 अकट्ूबर, 2019 तक भारत कोएक सव्चछ् देश मे ् बदल देने का संककप् वय्कत् भकया गया।गौरतलब है भक इस भदन महातम्ा गाँधी की 150 वी ्जयंती मनाईजायेगी। जकद् से जकद् इस सपने को साकार करने के भलयेप््धानमंत््ी ने सभी से एक साल मे ्कम से कम 100 घंटे श््मदानकरने की अपील की है। मृदला भसन�्हा, सभचन तेद्ुलकर, बाबारामदवे, अभनल अबंानी, भ््पयकंा चोपड़ा् आभद नामचीन लोग भी इसअभभयान से जुड़े है,् भजससे देशभर मे ् इस सरोकार के प््भतसकारातम्क माहौल बना है।

    इक््ीसवी ्शताबद्ी मे ्जब देश भवश्् पटल पर अपनी मजबूतउपलस्थभत दज्त करा रहा ह।ै तब दशे क ेकई भागो ्मे ्हमारी मा,ँ बहन

    और बेटी को शौच के भलये रात का इंतजार करना पड़ता है। इससेबड़ी शारीभरक यातना उनके भलये कय्ा हो सकती है। सक्ूलो ्मे ्भीआज लड़भकयो ्के भलये अलग से शौचालय की वय्वसथ्ा नही ्है,भजसके कारण एक बड़ी संखय्ा मे ्वे बीच मे ्ही सक्ूल छोड़ने केभलय ेमजबरू है।् दशे क ेकई इलाको ्मे ्आज भी मलैा ढोन ेका चलनहै। लस्थभत मे ्बदलाव के भलये हर घर मे ्शौचालय का होना जरर्ीहै, लेभकन भारत जैसे बड़े एवं भवभवधतापूण्त देश मे ्इस समय भीहर घर मे ्शौचालय नही ्है और इसे बनाने की राह मे ्भी अनेकअड़चने है।् इन भदक््तो ्को दूर करना भी प््धानमंत््ी के सव्चछ्ताअभभयान का लक्््य है और वे इस भदशा मे ्भनरंतर रप् से प््यास कररहे है।्

    सव्चछ् भारत अभभयान का मकसद शहर एवं गाँव मे ्वय्ापत्गंदगी का समूल नाश करना है। इस क््म मे ्सामुदाभयक शौचालयो्एवं घरो ्मे ्शौचालय के भनमा्तण के माधय्म से खुले मे ्शौच करनेकी प््वभृत पर रोक लगान ेका लक्््य रखा गया ह,ै ताभक खलु ेमे ्शौचकरन ेकी मजबरूी को खतम् भकया जा सक।े ग््ामीण क््ते्् मे ्शौचालयकी समसय्ा सबसे जय्ादा गंभीर है। सव्चछ् ग््ामीण क््ेत्् मे ्ही बेहतरग््ामीण जीवन की ककप्ना की जा सकती है।

    ग््ामीण क्े्त््ो ्मे ्2 अकट्ूबर 2019 तक 11 करोड़ ्11 लाखशौचालयो ्के भनमा्तण का लक्््य है, भजसपर एक लाख चौत्ीस हज़ा्र

    गाँधी के संवचंछ भारत के सपने को कांगंंेस नेअनदेखा भकया, मोदी सरकार कर रही पूरा

    सतीश धसंह

  • 10स्वच्छता ही सेवा

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    करोड़ ्रप्ये की लागत आयेगी। तकनीक की मदद से ग््ामीण क््ेत््मे ्अपभशि्् प््बधंन क ेसाथ-साथ जवै उव्तरक और ऊजा्त क ेभवभभनन्रप्ो ्का भी इस््ेमाल भकया जा सकता है। मोदी सरकार चाहती हैभक इस अभभयान को सफल बनाने के भलये ग््ामीण क््ेत्् के बच््े,युवा, बूढ़े खास करके भशक््क बढ़-चढ़ कर भहसस्ा ले,् भजसमे्पंचायत, पंचायत सभमभत एवं भजला पभररद की सहभाभगता को भीसुभनभ््शत भकया जाये।

    प््तय्ेक पाभरवाभरक इकाई के भलये शौचालय की लागत कीसहायता राभश को 10,000 से बढ़ा्कर 12,000 रप्ये भकया गयाहै। शौचालय भनमा्तण के भलए सरकार द््ारा दी जाने वाली भवत््ीयसहायता मे ्केद््् सरकार का योगदान 9,000 रप्ये और राजय्सरकार का योगदान 3,000 रप्ये होगा। वही ्जमम्ू एवं कशम्ीर,उत््रपूव्त राजय्ो ्एवं भवशेर दजा्त प््ापत् राजय्ो ्को केद््् सरकार द््ारा10,800 रप्य ेऔर राजय् सरकार द््ारा 1,200 रप्य ेभदया जायगेा।इस आलोक मे ्शौचालय भनमा्तण की प््भ््कया मे ्तेजी लाने के भलयेदूसरे स््ोतो ्से प््ापत् होने वाली सहायता पर भकसी प््कार की बंभदशनही ्है। 2.5 लाख सामुदाभयक शौचालय, 2.6 लाख साव्तजभनकशौचालय और प््तय्ेक शहर मे ् एक ठोस अपभशि्् प््बंधन कीसुभवधा उपलबध् कराई जायेगी। भजन आवासीय क््ेत््ो ्मे ्वय्लक्तगतघरेलू शौचालयो ्का भनमा्तण करना संभव नही ्है, वहाँ सामुदाभयकशौचालयो ्का भनमा्तण भकया जायेगा। इस क््म मे ्पयत्टन सथ्ल,बाजार, बस सट्ेशन, रेलवे सट्ेशन आभद सथ्ानो ् पर सावत्जभनकशौचालय का भनमा्तण भकया जायेगा।

    आंकड़ो ् के अनुसार 4401 शहरो ् मे ् इस योजना को लागूकराया जायेगा, भजसके अंतग्तत केद््् सरकार द््ारा 14,623 करोड़्रप्ये खचत् भकए जाएंगे, भजसमे ् से 7,366 करोड़ ् रप्ये ठोसअपभशि्् प््बधंन पर 4,165 करोड़ ्रप्य ेवय्लक्तगत घरले ूशौचालयके भनमा्तण पर 1,828 करोड़ ्रप्ये जन-जागरक्ता अभभयान परएवं 655 करोड़ ्रप्ये समुदाय शौचालय बनाने पर खचत् भकयेजायेग्।े इसक ेबरकस् असव्चछ् शौचालयो ्का पनुभन्तमा्तण, मलैा ढ़ो्नेकी प््था का उनम्ूलन, अपभशि्् प््बंधन एवं सव्चछ् रहने के भलयेजन-जागरक्ता अभभयान भी चलाया जायेगा।

    सव्चछ् भारत अभभयान की बदौलत भारत को सव्चछ् बनाने कीभदशा मे ्उकल्खेनीय काय्त भकय ेगय ेहै।् इस अभभयान को शरु ्करनेके समय देश मे ्स�्वच�्छता कवरेज 39 प््भतशत थी, जो अब बढ़क्र67.5 प््भतशत हो गई है। 2.38 लाख गाँव “खुले मे ्शौच से मुलक्त”की श्े्णी मे ् आ गये है।् आंकड़ो् ् के अनुसार शहरी इलाको ् मे्29,79,945 घरेलू शौचालयो ्का भनमा्तण भकया गया है। 44,650वॉड््ो ्मे ्आज शत-प््भतशत कचरा इकठ््ा भकया जा रहा है। शहरो्मे ्2,19,169 सामदुाभयक एव ंसाव्तजभनक शौचालयो ्का भी भनमा्तणभकया गया है, जो लक्््य के अनुरप् प््गभत है। अपभशि्् से भवद््ुतभनमा्तण की क््मता बढ़कर 94.2 मगेावाट हो गई ह।ै 1286 ऐस ेशहरहै ्जहाँ कोई भी खुले मे ्शौच नही ्करता है। ग््ामीण क्े्त््ो ्मे ्2अक�्तबूर, 2014 स ेअब तक 4,80,80,707 शौचालयो ्का भनमा्तणभकया गया है। 196 ऐसे भजले है ्जहाँ कोई खुले मे ्शौच नही ्करताहै। नीभत आयोग के मुताभबक वरत् 2019 तक कोई खुले मे ्शौचनही ्करे इसके भलये 5.5 करोड़ घरेलू शौचालय एवं 1,15,000सामुदाभयक शौचालयो ् का भनमा्तण कराने की जरर्त है। आजभसभ््कम, भहमाचल प््देश, केरल, हभरयाणा, उत�्तराखंड आभद ऐसेराजय् है ्जहाँ कोई भी खुले मे ्शौच नही ्करता है। एक अनुमान केमुताभबक वर्त 2018 तक दस और राज�्य इस श््ेणी मे ्आ जायेग्े।सव्चछ्ता अभभयान हो या शौचालय बनाने की बात हो इसके भलयेभसफ्फ सरकार की तरफ देखना ठीक नही,् ये हमारा और आपका भीकत्तवय् है।

    पयत्टन को बढ़ावा देने के भलए सव्चछ् भारत का भनमा्तणआवशय्क है, कय्ोभ्क असव्चछ्ता से भारत की छभव खराब हो रहीहै। सव्चछ् भारत अभभयान पोटत्ल के माधय्म से लोगो ् को इसअभभयान से जुडने के भलये एक मंच प््दान भकया गया है, भजससेजुड़कर लोग इस अभभयान को तेजी से आगे बढ़ा रहे है।् अभधक-से-अभधक लोगो ् के इस अभभयान से जुड़ने से यह एक जन-आंदोलन का रप् ले रहा है। कहा जा सकता है भक देशभर मे्सव्चछ्ता क ेप््भत सकारातम्क माहौल बन रहा ह।ै “टायलटे एक प््मेकथा” भफकम् इसकी ताजा बानगी है। जब समाज मे ्वय्ापत् समसय्ापर भसनेमा बनने लगे तो समभझए भक समसय्ा के समाधान के भलयेसमाज मे ्संवेदनशीलता बढ़ रही है। सरकार के इस मुद््े पर गंभीररहने से लक्््य को हाभसल करना और भी आसान हो गया है।

    कुल भमलाकर सरकार के इन प््यासो ्को देखते हुए कहा जासकता ह ैभक गाधंी को सव्चछ् भारत क ेसव्पन्, भजस ेउनपर अभधकारजताने वाली कांग््ेस ने अनदेखा भकया, को मोदी सरकार पूरा करनेकी भदशा मे ्पूरी इचछ्ाशलक्त के साथ बढ़ रही है। उमम्ीद है भकसरकार के ये प््यास जकद् ही रंग लाएंगे और हम एक सव्चछ् भारतबनाने मे ्कामयाब होग्े। �

    (लेखक भारतीय सट्ेट बैक् के कॉरपोरेट केद्््,मुंबई केआभथ्शक अनसुधंान भवभाग मे ्मखुय् प््बधंक है।् य ेउनक ेभनजीभवचार है।्)

  • 11स्वच्छता ही सेवा

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    प्ध्ानमतं््ी श््ी नरेद््् मोदी जी द््ारा 2अकट्बूर 2014 को शरु ् भकए गएसव्चछ् भारत अभभयान को तीन साल परू ेहोगए है।् सव्चछ्ता का यह अभभयान इन 70सालो ्मे ्भारत सरकार का दशे मे ्सफाई औरउस ेखलु ेमे ्शौच स ेमकुत् करन ेका कोईपहला कदम हो ऐसा नही ्ह।ैपवू्तवत््ी सरकारेगावंो ् मे ् सव्चछ्ता क े भलए कोई न कोईकाय्तक््म चलाती रही ह।ै इस भदशा मे ्ठोसकदम 1999 मे ्सरकार न ेउठाया था एवंसमग्् सव्चछ्ता क ेउद््शेय् स े‘भनम्तल भारतअभभयान’ की शरुआ्त की गई, भजसका नाम‘सपंणू्त सव्चछ्ता अभभयान’ रखा गया था।भकनत् ुआजादी क ेइतन े वर््ो बाद भी हमारेदशे मे ्सव्छता को लकेर लोग जागरक् नही्ह।ै 2014 मे ्आई सयुकंत् राष्््् की भरपोट्त मे्कहा गया, भजसम ेभवस््तृ रप् स ेलखे थाभक भारत की करीब 60 फीसदी आबादी खलुेमे ्शौच करती ह ैऔर इसी भरपोट्त क ेआधारपर प््धानमतं््ी मोदी जी न े सव्चछ् भारतभमशन की शरुआ्त की एव ं इस े अपनीसरकार की प््ाथभमकता माना।

    आज हमे ्सरुाज की सथ्ापना क ेभलयेसव्चछ्ाग््ही दशेवाभसयो ्क ेजनभागीदारी केमहतव् को रखेाभंकत करन ेकी जरर्त ह।ैहाल ही मे ्सव्चछ् भारत अभभयान क ेतीनसाल परू े होन े पर आयोभजत समारोह कोसबंोभधत करत ेहएु प््धानमतं््ी नरेद््् मोदी जीन ेकहा भक एक हजार गाधंीजी आ जाए,ं एकलाख मोदी आ जाए,ं सभी मखुय्मतं््ी औरसरकारे ्लग जाए ंलभेकन सव्चछ्ता का सपनातब तक परूा नही ्हो सकता जब तक सवासौ करोड़ दशेवासी इस े जनभागीदारी केसाथ आग ेनही ्बढ़ाएगं।े सव्चछ्ता अभभयानक ेतीन वर्त मे ्हम आग ेबढ़ ेहै ्कय्ोभ्क जबइस काय्तक््म को तीन वर्त पहल े शरु ्भकयागया था, तब मीभडया, राजनीभतक दलो ्समतेकई वग््ो ्द््ारा इस अभभयान की आलोचनाकी गयी थी। अभधकतर समाज क ेभहतधारकप््धानमतं््ी जी को उनकी 2 अकट्बूर कीछटुटी खराब करन ेक ेभलए दोरी मानत ेथेभकनत् ुआज व ेसब इस ेमहतव् द ेरह ेह।ै

    वास््व मे ् सव्चछ्ता सभी चाहत े है्लभेकन सफाई कोई नही ्करना चाहता, जब

    तक दशे क ेलोग सफाई का सकंकप् नही ्लेग्ेसव्चछ्ता नही ् होगी अगर समाज अपनीशलक्त को सव्ीकार करक ेचल,े जन भागीदारीको सव्ीकार करक े चल े तो य े अभभयानसफल होता जायगेा।

    गौरतलब ह ैकी भारत स ेही भवश्् केसभी दशेो ्न ेसभय्ता सीखी भकनत् ु आज हमसब भवदशेो ्मे ्साफ-सफाई की भमसाल दतेेहै ्और सव्य ंहम अभी पीछ ेहै।् प््धानमतं््ी नेसव्चछ्ता को एक भमशन बनाया ह ैऔर हरभकसी को इसस ेजड़ुत ेहएु इस ेअपना कत्तवय्बनाना होगा, तभी सव्चछ्ता अभभयान साथ्तकसाभबत हो पायगेा।

    गाधंी जी न े1916 मे ्पहली बार अपनेभारण मे ्भारत मे ्सव्चछ्ता का भवरय उठायाथा और 2014 मे ्प््धानमतं््ी जी न ेइस मदु््ेको उठाया। सव्चछ्ता 21वी ्सदी क ेआजादभारत मे ् एक ‘मदु््ा’ ह,ै यह हम सबभारतवाभसयो ्क ेभलए दभुा्तगय्पणू्त ह ैलभेकन2019 मे ्भी अगर यह एक मदु््ा रहा, तोअभधक दभुा्तगय्पणू्त होगा। वास््व मे ् यहवय्वहार पभरवत्तन का भवरय ह ै और हरनागभरक को सव्चछ्ता हते ुअपन ेवय्वहार मे्पभरवत्तन करना होगा।

    वास््व मे ् कोई भी सरकार या नतेाअकले ेऐस ेभकसी महाअभभयान को सफलनही ्बना सकत।े इसक ेभलए वय्ापक जनभागीदारी चाभहए। महातम्ा गाधंी भी आजादीहाभसल करन े मे ् इसभलए सफल हो पाएकय्ोभ्क लाखो ् लोगो ् न े उस आदंोलन मे्भहसस्ा भलया। कोई भी बड़ा अभभयान यालक्््य तब तक कभठन ह,ै जब तक भक वहजन अभभयान नही ्बनता।

    प््धानमतं््ी जी की इस अभभयान हतेुसकंकप्ता दखेकर समाज क े अभधकतरभहतधारको ्न ेइस ेगभंीरता स ेभलया ह ैऔरअपन ेअपन ेस््र पर इसमे ्सहयोग कर रहेह।ै अब वह भदन दरू नही ्जब हर भारतीययह कह सक ेकी सव्चछ्ता उसक ेजीवनशलैीका मलूभतू अगं ह ै और इसक े भलए वहवय्लक्तगत रप् स ेसमभप्तत ह।ै �

    (लखेक पशे ेस ेकॉप््ोरटे लॉयर है।्)

    संवचंछता एक संकलंपअरय धवले

  • 12स्वच्छता ही सेवा

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    संवचंछता और महातंमा गांधीसन्नी कुमार

    राजनीभतक आदशत् के रप् मे ्यह सूत््वाकय् अकस्र दुहरायाजाता है गांधीजी के सपनो ्का भारत बनाना। वैसे यह भनभम्ततीअपने आप मे ्अप््शन्ेय और भनभव्तवाद तो नही ्है लेभकन भारतीयराजनीभतक जीवन मे ् कमोबेश एक सव्ीकायत् धारणा है।उकल्ेखनीय है भक गांधीजी भसफ्फ देश की आजादी के आंदोलन मे्ही भाग नही ्ले रहे थे बलक्क वो वय्ापक संदभ्त मे ्राष्््् भनमा्तण कीप््भ््कया को भी भनद्े्भशत कर रहे थे। वैसे तो सामाभजक-आभथ्तक-राजनीभतक और सांसक्ृभतक संदभ््ो ्मे ्'गांधीजी के सपनो ्का भारत'एक अनंत भवस््ार भलये हुए है लेभकन उससे अगर एक ततव् ले ्तो‘सव्चछ्ता' के भबना गांधी के सपनो ्का भारत नही ्बन सकता। इसीपृष््भूभम मे ्वत्तमान सरकार ने 2अकट्ूबर(गांधीजी का जनम्भदन)2014 को 'सव्चछ् भारत अभभयान ' शुर ्भकया। इस भमशन काउद््ेशय् 2 अकट्ूबर 2019 यानी गांधीजी की 150वी ्वर्तगाँठ तकभारत को पूरी तरह से गंदगीमुकत् कर देने का है। अब यह अभभयानभकतना सफल हुआ या होगा ये तो समय की गोद मे ्है लेभकन इतनातय है भक इसने साव्तजभनक भवमश्त मे ्सव्चछ्ता को ला भदया। चूँभकयह पूरा भमशन ही गांधीजी के भवचारो ्पर भटका है इसभलए यहजानना अपभरहायत् है भक गांधी के भलए सव्चछ्ता का कय्ा अथत् थाऔर वो इसे भकन भकन संदभ््ो ्मे ्वय्ाखय्ाभयत करते थे। गांधीजी केसंबंध मे ्सव्चछ्ता को भकसी एकहरी वय्ाखय्ा की बजाय बहुस््रीयढंग से देखना होगा। सव्चछ्ता पर गांधीजी का भकतना बल था इसे

    इसी बात से समझा जा सकता है भक वो सव्चछ्ता को राजनीभतकसव्तंत््ता की तुलना मे ्अभधक महतव्पूण्त मानते थे।

    सबसे पहले वय्लक्त के स््र पर देखे ्तो गांधीजी का मानना थाभक सव्चछ्ता मानव जीवन का एक अपभरहाय्त अगं ह ैऔर इस ेअलगसे भकसी कायत् के रप् मे ् देखने की बजाय जीवन शैली कासव्ाभाभवक भहसस्ा बना लेना चाभहए। उनह्ोन्े यहाँ तक कहा भक‘शौचालय उतने ही सव्चछ् होने चाभहए भजतना की बैठकखाना'।गांधीजी अकस्र धाभम्तक सथ्लो ्पर वय्ापत् गंदगी को लेकर भचंभततरहते थे और कहा करते थे भक ऐसी दशा मे ्भकसी धाभम्तक प््योजनकी शुद््ता की सोच भी बेमानी है।कुंभ मेले मे ्अपने एक बार केभ््मण क ेबार ेमे ्उनह्ोन् ेयगं इभंडया मे ्भलखा ‘धम्त क ेनाम पर पभवत््गंगा को अशुद्् भकया जा रहा है। मैन्े वहां वय्ापक असव्चछ्तादेखी- भौभतक और नैभतक दोनो ् रप्ो ् मे।्’ वस्ु्त: गांधी एकराजनीभतक वय्लक्त के साथ साथ सामाभजक कायत्कता्त भी थेइसीभलए सव्चछ्ता जसै े‘साधारण' भवरय पर उनह्ोन् ेखबू काम भकयाजबभक उसी दौर के एलीट नेता इससे बचते रहे।हमसब जानते है्भक गंदगी तमाम प््कार की बीमाभरयो ्को जनम् देता है और उससमय तो पल्ेग जैसी महामारी से बड़ी् संखय्ा मे ्लोग मर रहे थे।इसभलए सव्चछ्ता का महतव् आमजनमानस तक प्े्भरत करने केभलए गांधीजी दृढ़ ्प््भतज्् थे। उनह्ोन्े कहा भक 'हर वय्लक्त अपनासफाईकता्त है'। कुल भमलाकर कहे ्तो वय्लक्त के स््र पर गांधीजी

  • 13स्वच्छता ही सेवा

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    ने सफाई को अभनवाय्त भदनचया्त का भहसस्ा न केवल माना बलक्कउसको लागू करने के भलए बहुत मेहनत की।

    सामाभजक स््र पर गांधीजी के सव्चछ्ता के दश्तन को देखे ्तोयह असप्ृशय्ता उनम्ूलन से जुड़त्ा है। वस्ु्त:गांधी एक तरफसव्तंत््ता की लड़ा्ई तो लड़ ्ही रहे थे दूसरी तरफ समाज के अंभतमवय्लक्त के आजादी की आंतभरक लड़ा्ई भी लड़ ्रहे थे।धय्ातवय् हैभक शुर ्से ही सफाई को एक ‘भनमन् काय्त' समझे जाने की मानय्तारही है और श््म मे ्इस प््कार के अप््ाकृभतक भवभेदीकरण के कारणसफाईकभम्तयो ्को सामाभजक दभृ््ि स ेहये समझा जाता रहा ह।ै दसूरेशबद्ो ्मे ्कहे ्तो सामाभजक पदानुक््म मे ्भनमन् श््ेणी मे ्डाल भदएगए समुदायो ्से सफाई का काय्त भलया जाता था।यही वजह थी भकसफाई काय्त मे ्संलगन् समुदाय को ‘अंतय्ज' कहा गया तथा उनह्े्असप्ृशय् माना गया। गांधीजी ने असप्ृशय्ता की इस भमथय्ा धारणाको खंभडत करने के भलए न केवल सव्यं शौचालय की सफाई कीबलक्क इसके भलए वय्ापक जनांदोलन भी चलाया। उनका माननाथा भक जब तक वय्लक्त सव्यं सफाई नही ्करता तथा इसके भलए‘दूसरो'् को भनयुकत् करता रहेगा तब तक वह असप्ृशय्ता के भवरद्््खड़ा् नही ्हो सकता। इस प््कार उनह्ोन्े सव्चछ्ता को सामाभजकएकता और समरसता का एक उपकरण माना। साथ ही सामुदाभयकस््र पर सव्चछ्ता के महतव् पर नवजीवन मे ्उनह्ोन्े भवस््ार सेभलखा। उनका यहा ँतक मानना था भक साव्तजभनक जगहो ्पर थकूनेभजससे तमाम प््कार की संक््ामक बीमाभरयो ्जनम् लेती है,् एक

    प््कार का आपराभधक कृतय् है।सव्चछ्ता को लेकर एक लड़ा्ई गांधीजी सभय्ता के संदभ्त मे ्भी

    लड़ ्रह ेथ।े दरअसल, गोर ेशासक भजन काल ेउपभनवशेवाभसयो ्परशासन कर रहे थे उनह्े ्‘गंदा' कहकर साव्तजभनक जीवन मे ्उनकीउपलस्थभत को नकारते थे। गांधीजी ने साफ सुथरे रहने को पभ््शमीसभय्ता का एकाभधकार मानने से इंकार भकया कहा भक हम भारतीयभी सव्चछ्ता के मूकय् को मानते और पालन करते है।् दभ््कणअफ््ीका के प््वास के दौरान ही गांधीजी ने सव्चछ्ता को सतय्ाग््हका अभभनन् अंग बना भलया तथा कहा भक यह मानने की कोई वजहनही ्है भक भारतीय भ््िभटशो ्की तरह साफ नही ्रह सकते इसभलएइनह्े ्समान अवसर नही ्भमल सकता। अफ््ीका के बाद तो गांधीजीजब भारत वापस आए तो अनके चरणो ्मे ्उनह्ोन् ेसव्चछ्ता अभभयानचलाया। इसकी दो प््मुख वजह थी। एक तो यह भक अंग्े्जो ्केभवरद््् चल रहे सव्तंत््ता आंदोलन को अभधक धारदार बनाने केभलए गांधीजी एक ‘साझे मोच््े' का भनमा्तण कर रहे थे भजसके भलएअभनवाय्त था भक असप्ृशय्ता जैसी बुराई समापत् हो। दूसरी तरफ वोभारत को न केवल अंग््ेजो ् से आजाद करवाना चाहते थे बलक्क देशकी आंतभरक सव्तंत््ता के भी पक््धर थे। इसके अभतभरकत्आधय्ालत्मक स््र पर भी गांधीजी ने सव्चछ्ता के महतव् को समझा-' मैले पांव को मै ्अपने मन मे ्भी प््वेश न करने दूं', गांधीजी यहांभौभतक सव्चछ्ता क ेसाथ साथ अतंम्तन की सव्चछ्ता की अभनवाय्ततापर भी बल दे रहे है।् सव्चछ्ता पर गांधीजी के दश्तन को भकसी एकलखे मे ्समटेना न तो सभंव न ही ऐसा दसुस्ाहस करन ेका मरेा कोईउद््ेशय्। कहने का भाव इतना ही है भक गांधीजी के भवचार और काय्तवत्तमान ‘सव्चछ् भारत अभभयान ' क ेभलए प््सथ्ान भबदं ुका काय्त करसकते है।्

    2019 तक सव्चछ्ता के लक्््य को प््ापत् करने के भलए अभनवाय्तह ैभक इसको एक ‘सामाभजक उद््म' मे ्बदला जाए। चूभंक यह लोगो्की आदतो ्स ेजड़ुा् मसला ह ैइसभलए जबतक इसक ेमहतव् को सहीढंग से प््साभरत नही ्भकया जाएगा तब तक इसकी सफलता संभदगध्ही रहेगी। श््म के अवैध सोपानीकरण को समापत् कर सामाभजक-सामुदाभयक समानता को बढ़ा्वा देने के भलए आवशय्क है भकसरकार और समाज क ेगणमानय् वय्लक्त प््तीकातम्क रप् स ेही सहीसफाई कर एक आदश्त प््स््तु करे।्हालाभंक सफाई क ेनाम पर फहूड़्भदखावे से बचना ही चाभहए। सव्चछ्ता सव्सथ् जीवन के भलए भीआवशय्क है इसभलए इसे पाठ््क््म का भी भहसस्ा होना चाभहए।बच््ो ्को शुर ्से ही इसके महतव् से पभरभचत कराना चाभहए ताभकयह उनके जीवनचया्त के साथ ही जुड़ ्जाए। प््धानमंत््ी के प््यासो्स ेसव्चछ्ता को लकेर वय्ापक जागरक्ता फलैी ह ैतथा काफी समयबाद सफाई जैसे ‘साधारण' भवरय को सरकारी स््र पर इतनीगंभीरता से उठाया गया है। अंत मे ्यही भक 2 अकट्ूबर 2019 कोजब गांधीजी अपने सपने के भारत को देखे ्तो उनह्े ्कम से कमसव्चछ् भारत भदखे। यह हमारी-आपकी और सरकार सबकेसलम्मभलत प््यासो ्से ही सफल हो सकता है। �

  • 14स्वच्छता ही सेवा

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    2अक�्टूबर, 2014 को प््धानमंत््ी नरेद््् मोदी ने देश मे ्एक नईक््ाभंत का सतू््पात भकया। यह क््ाभंत भवचारो ्की या बल प््दश्तनकी नही ्बलक्क जनजागरक्ता और नागभरकता बोध को लेकरउठाए गए कदम की थी। यह क््ांभत आदतो ्की थी, व�्यवहार कीथी, आचरण की थी। इसका संबंध स�्वास�्थ�्य से और सलीके से था।यह क््ाभंत सफाई की थी। स�्वच�्छ भारत अभभयान का आरभं इस भदनसे हुआ और तीन साल मे ्यह एक भवराट आंदोलन बन चुका है।क�्या मभहला-क�्या पुरर्, क�्या बच�्चे-क�्या बूढ़्े, क�्या अमीर-क�्यागरीब, क�्या आम-क�्या खास, सभी वगत् और तबके इस एक भमशनको लेकर एकजुट, एकमत है;् इसमे ्कोई दोराय नही ्है।

    आज भवश�्व मे ्भारत की इस भमशन के कारण सव्चछ्ता के प््भतबेहद गंभीर देश की छभव बनी है और हमे ्भवश�्व मे ्एक सफाई पसंदजागरक् राष�्ट्् के रप् मे ्रेखांभकत भकया जाने लगा है। भनभ््शत ही

    2014 से पहले ऐसा नही ्था। कहा जा सकता है भक भाजपा कीसरकार ने पक््, भवपक्् सभी को समाभहत कर केवल और केवलदेश को आगे बढ़ा्ने के क््म मे ्यह बड़ा् बीड़ा् उठाया था, भजसमे्आशातीत सफलता भमल रही है।

    देश मे ़शौचालय क़़ांतियभद हम कहे ्भक देश मे ्शौचालय को लेकर जो क््ांभत आई है,

    वह अभूतपूवत् है तो यह अभतश�्योलक्त नही ्होगी। स�्वच�्छता भमशन मे्शौचालय सबसे अहम भहस�्सा है। बरसो ्से देश की ग््ामीण जनताखुले मे ्शौच के भलए जाती रही है। इससे गंदगी फैलती थी औरमभहलाएं सुरभ््कत नही ्थी।् पीएम मोदी ने पहल करते हुए देश कोखुले मे ्शौच से मुक�्त करने का बीड़ा् उठाया। आज नतीजा हमारीआंखो ्के सामने है।

    जाभनए, संवचंछ भारत अभभयान से कैसेबदल रही देश की तसंवीर!

    नवोधदत सक्तावत

  • 15स्वच्छता ही सेवा

    vvv.rolqe.nqf

    भजनके घरो ्मे ्शौचालय नही ्थे, उनके भलए सरकार अनुदानदेकर शौचालयो ्का भनमा्तण करवा रही है। इस क््ांभत से मभहलाओ्व बच�्चो ्को सबसे अभधक लाभ पहुंचा है। जागरक्ता इस स�्तरतक पहुंची भक भबना शौचालय के बहुओ ्ने ससुराल मे ्जाने सेइकंार भकया, भजसक ेचलत ेससरुाल वालो ्को शौचालय का भनमा्तणकरना पड़ा्। इसी माभम्तक भवरय पर अभभनेता अक््य कुमार भी जुड़्ेऔर ‘टाॅयलेट एक प्े्मकथा’ नामक भफक�्म लेकर आए। इसकेमाध�्यम से उन�्होन्े शौचालय के महत�्व को बताया और जनता नेइसे बेहतर प््भतसाद भदया। 2014 के पहले यह सब नही ् था,भनभ््शत ही भाजपा सरकार को देश मे ्युगपत क््ांभत लाने का श्े्यजाता है।

    स�़कूलो,़ संस�़थाओ ़के संस�़कारस�्वच�्छता को लेकर जागरक्ता का ये आलम है भक स�्कूलो,्

    संस�्थाओ ्ने भी कमर कस ली है। अब वहां स�्वच�्छता को महजभकताबी पाठ नही ्वरन एक संस�्कार बनाकर आदतो ्मे ्ढाला जारहा है। समय-समय पर स�्कूलो ्मे ्सफाई की जा रही है, भजसमे्छात््, भशक््क सभी उत�्साह से भाग ले रहे है।् संस�्थाएं अपनी ओरसे भशभवर लगाकर लोगो ्को सफाई का महत�्व बता रही है।्

    समाजो ़के चल समारोह मे ़आया बडा़ बदलावएक बड़ा् बदलाव भवभभन�्न समाजो ् द््ारा भकए जाने वाले

    सावत्जभनक समारोहो ्को लेकर देखने मे ्आया है। 2014 के पहलेयह होता था भक बाराते ्भनकलती थी ्और बारात का स�्वागत करनेवाले अपने खाने-पीने की चीजो ्के खाली पैकेट वगैरह वही ्सड़क्पर फेक्कर आगे भनकल जाया करते थे। इससे वहां गंदगी का ढेरबढ़ता जाता था। अब इसमे ्बदलाव आया है। अब बारात भनकलतीहै तो आयोजक पहले से ही सफाईकभम्तयो ्की तैनाती सुभनभ््शतकरक ेचलत ेहै।् व ेतरुतं सड़क् को साफ करत,े कचरा उठात ेचलतेहै।् यही काम चल समारोहो ् मे ् भी भकया जा रहा है। ऐसे मे्आयोजन मे ्भी खलल नही ्पड़त्ी है और सफाई भी बनी रहती है।भनश�्भचत ही आदतो ्मे ्यह बदलाव देश मे ्आए बदलाव का सूचकहै।

    सफाई मे ़अव�़वल आए इस शहर मे ़घटा बीमातरयो ़काग़़ाफ

    सफाई सव्े्क््ण की सूची मे ्देश भर मे ्अव�्वल आए मध�्यप््देशके शहर इंदौर मे ् स�्वच�्छता अभभयान लगातार नए सोपानो ् परअग््सर है। यहां सबसे उक�्लेखनीय बात सामने आई है भक शहर मे्गंदगी से होने वाली बीमाभरयो ्का ग््ाफ पहले से भगरा है। स�्थानीयभनकाय का दावा है भक यहां सफाई के अभाव मे ्होने वाले रोगो ्मे्70 फीसदी तक भगरावट आई है। शहर से कचरा पेभटयां हट गई है्और घर-घर जाकर कचरा भलया जा रहा है। खुले मे ्शौच परप््भतबंध लगा भदया गया है। इन सब प््यासो ्का पभरणाम ये हुआ हैभक शहर मे ्स�्वास�्थ�्य का स�्तर अच�्छा हो गया है।

    हर पतरवार को होगी 50 हजार की वातष़िक बचियूभनसेफ का कहना है भक सव्चछ् भारत अभभयान देश के भलए

    आभथ्तक रप् से भी लाभकारी है। इससे प््त�्येक पभरवार को वाभर्तकरप् से 50 हजार रप्ए की बचत होगी। यह बात यूभनसेफ ने 12भजलो ्मे ्10 हजार ग््ामीण पभरवारो ्के बीच भकए गए एक अध�्ययनके आधार पर कही है। इस अध�्यययन मे ्पता लगाया गया भकसफाई अभभयान पर सरकार की ओर से खचत् भकए जा रहे 1 रप्एसे भकतना लाभ होगा। भनष�्करत् भनकला भक हर 1 रप्ए की तुलना मे्4.30 रप्या बचाने मे ्मदद भमलेगी।

    अतिनेिाओ ़ और तिलातडयो ़ ने िी तदिाईतदलचस�़पी

    स�्वच�्छता अभभयान महज आम लोगो ्तक ही सीभमत नही ्रहाहै, इसे लेकर सेभलभ््िटी वगत् ने भी रभ्च भदखाई है। स�्वयं पीएम नरेद्््मोदी ने जब हाथो ्मे ्झाडू उठाकर सफाई करके भदखाई तो अन�्यख�्यात लोगो ् को भी इससे प्े्रणा भमली। भखलाभड़य्ो ् मे ् सभचनतेद्ुलकर, भसने कलाकारो ्मे ्भशक�्पा शेट््ी, भरभतक रोशन आभद नेअपने क्े्त्् मे ्स�्वयं सफाई अभभयान मे ्भाग भलया। अभभनेता रणबीरशौरी ने भपछले भदनो ् मुंबई के एक बीच पर एक दल के साथभमलकर सफाई की और समुद्् तट से बड़ी् संख�्या मे ् कचराभनकाला।

    राजनीति नही,़ राष�़ट़़नीति का अतियानस�्वच�्छ भारत अभभयान का राजनीभत से कोई संबंध नही ्है। यह

    राजनीभत से मुक�्त है और इसे राष�्ट््नीभत का अभभयान कहना अभधकश्े्यस�्कर होगा। इसमे ् देश के प््त�्येक नागभरक की भजम�्मेदारीसुभनभ््शत की गई है भक वह अपने आसपास सफाई बनाए रखे औरअपने घर का कचरा सड़क्ो ्पर ना फेक्े। चूंभक, यह देशभलक्त सेप्े्भरत अभभयान है, ऐसे मे ्इसमे ्बढ़ ्चढ़क्र लोग सहभाभगता करतेनज़र् आ रहे है।्

    उत�़िर प़़देश सरकार ने की अनूठी पहलस�्वच�्छ भारत अभभयान के क््म मे ् उत�्तरप््देश सरकार का

    अत�्यंत सराहनीय कदम देखने को भमला है। उप्् के मुख�्यमंत््ी योगीआभदत�्यनाथ ने राज�्य मे ्पूणत्तया स�्वच�्छता को सुभनभ््शत करने केभलए शासकीय काया्तलयो ्से शुरआ्त की। उन�्होन्े इस वरत् माचत् मे्पद संभाल