murdarakshas (sanskrit classics) (hindi edition)

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Page 1: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

म ारा स

पा तरकाररागय राघव

ISBN 9788170287704स करण 2017 copy राजपाल ए ड स ज़

MUDRARAKSHASA (Sanskrit Play) by Vishakhadutta

राजपाल ए ड स ज़1590 मदरसा रोड क मीरी गट- द ली-110006

फोन 011-23869812 23865483 फ स 011-23867791website wwwrajpalpublishingcome-mail salesrajpalpublishingcomwwwfacebookcomrajpalandsons

म ारा स(स कत क स स नाटक lsquoम ारा सrsquo

का ह द पा तर)

वशाखद

भ मका

सामत वशाखद र चत lsquoम ारा सrsquo नामक नाटक का स कत सा ह य म काफमह वपण थान ह इस नाटक क वशषताए यह ह क इनमmdash

एकmdashश स अत तक सब प ष-पा ह कवल एक ी-पा ह जसका कथानक समल प म कोई सबध नह ह कवल क ण रस पदा करन क लए उस थान दया गया हस दय बाद इ लड म श स पयर न भी ऐसा ही एक नाटक lsquoज लयस सीज़रrsquo लखा थाजसम म य प स सभी प ष-पा ह और य का ब त ही गौण थान ह

दोmdashइसका म य कारण ह क दोन ही नाटक म य प स राजनी त क षड य कच और दाव-पच को कट करत ह lsquoम ारा सrsquo म मौयकालीन भारतीय राजन तकप र थ त का च ण ह

तीनmdashतीसरी बात यह ह क वशाखद क इस नाटक म कह भी तबीयत ऊबती नह नरतर नवीनता मलती चलती ह कथानक इसी लए अपनी रोचकता का अत तक नवाहकरता रहता ह

म य प म यही बात इसक मल म हlsquoम ारा सrsquo का अथ ह रा स क अगठ रा स क अगठ म उसक म ा अथात महर

भी ह स कत म म ा श द महर और अगठ दोन क लए आता ह यह अगठ ब तमह वपण ह इसी अगठ क कारण चाण य को पता चलता ह क चदनदास क यहारा स का प रवार छपा आ ह बस इतना पता चलत ही चाण य अपना खल श करदता ह इसी म ा क सहार स स ाथक शकटदास स प लखवाकर महर लगाकरराजनी तक दाव-पच खलता ह इसी क कारण मलयकत का रा स स झगड़ा होता ह औरच ग त मौय का रा ता साफ हो जाता ह य क म ा नाटक क घटना म इतना मह वरखती ह इस नाटक का नाम क व न उ चत ही lsquoम ारा सrsquo रखा ह

वशाखद सामत बट रद का पौ और महाराज पद वाल पथ का प था वह वयबड़ा नी त रहा होगा जसन इतनी राजनी त यो तष आ द क पा ड य का प रचय दयाह उसका नाट यशा का अ ययन भी काफ था य क उसन बर नाटककार और अ छक व क ऊपर भी काश डाला ह क व शकर और व ण दोन को ही भगवान मानता थाका म गौड़ी री त क आ ध य क कारण लोग का अनमान ह क वह गौड़ दश का रहनवाला था उसन lsquo पणकrsquo (बौ साध) दशन को जसा क उस समय व ास था अ छानह माना परत अहत क शसा क ह उसन ब क च र क महानता को भी वीकार

कया ह हम इस वषय म कछ नह कह सकत क वह कौन था और कहा का था भारतका मत ह क पथ वा तव म राजा प वीराज था व तक दत ह क बट रद जस लब नामको ज द म सोम र भी कहा जा सकता ह बट र म सोम र स एक मा ा कम ही ह अतःयह बात कछ भी नह जमती सभवतः सामत का प महाराज कस आ होगा यही उनकसामन सम या थी परत परान समय म महाराज एक पद था तभीmdashlsquoमहाराजपदभाकrsquo भीकहा गया ह महाराज बड़ जागीरदार क म क राजकल स सब धत होत थ इससकवल यही कट होता ह क वशाखद एक ब त कलीन प रवार का था उसक

च कवल राजनी त म ही दखाई दती ह जभाषा म अनक अवध क क वय न क वताक ह इस लए का -शली स क व का थान ढढ़ना उ चत नह ह क व अपन वणन मकसमपर का उ लख करता ह पाट लप का ही सरा नाम कसमपर था ग त क समय मकसमपर का बड़ा मह व था सभवतः क व उसी समय का था धनजय क दश पक म

थम काश क 68व का रका क अत म म ारा स का नाम ह lsquoसर वतीकठाभरणrsquo कतीसर प र छद म उ लख ह चत ाटक म भी नाम ह इसस प होता ह क ई वी दसवशती म यह ब त स नाटक था कछ व ान ल छ श द का योग यहा होन स इससातव सद का मानत ह कत सबस बड़ी इसम तीन बात ह

एक तो इसम जस पथ क रा य क क पना ह वह हमालय स सम तक का ह जोसातव सद तक ास ाय हो चला था मौय स वधन तक ही इसका ज़ोर रहा था जब कसामतीय व था वद शय स जा क र ा करन म ग त का आधार थी

सर इसम जो अ त का भरतवा य ह वह च ग त क शासन को द घजीवी होन काआशीवाद ह उसम प ही त कालीन राजा क स ता क बात ह अ यथा ायःभरतवा य लोक-क याण क अ य प का वणन करत ह च ग त तीय ग त म शका रव मा द य कहलाता था उसन व वा मनी क र ा क थी इस लए उसक म त मउसक तलना दात पर प वी उठान वाल वाराह व ण अवतार स क जाती थी उसक समयम वाराह भगवान क पजा का काफ चार था वाराह का भी भरतवा य म उ लख ह इनबात को दखकर लगता ह क यह नाटक ई वी चौथ -पाचव सद का होना चा हए ल छश द धमशा और पराण म आता ह उसका तक मसलमान स ही सबध जोड़ना चा हएब क तक मसलमान को यवन ही म य प स कहा जाता था य प यवन श द परान

ीक लोग क लए च लत आ था नाटक म खस ल छ शक और ण का भी उ लखह ण क लए यह नह समझना चा हए क कदग त स पहल व अ ात थ उनकशाखाए भारत क उ र म तब भी थ पारसीक आ द भी ाचीन ही थ

तीसरी बात यह ह क जब यह नाटक लखा गया होगा तब मल च ग त मौय क कथाकाफ परानी पड़ चक थी य क इसम कछ गड़ब ड़या भी ह य प इस नाटक नइ तहास पर बड़ा भाव डाला ह फर भी सब बात पण प स ऐ तहा सक ही ह ऐसा नहह इसम यह तो आता ह क च ग त मौय का म य पौ ष वद शय को भगा दना थाअ त म इसपर ज़ोर ह कथा म भी वद शय क सम या दखाई पड़ती ह परत रा य

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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Page 2: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

पा तरकाररागय राघव

ISBN 9788170287704स करण 2017 copy राजपाल ए ड स ज़

MUDRARAKSHASA (Sanskrit Play) by Vishakhadutta

राजपाल ए ड स ज़1590 मदरसा रोड क मीरी गट- द ली-110006

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म ारा स(स कत क स स नाटक lsquoम ारा सrsquo

का ह द पा तर)

वशाखद

भ मका

सामत वशाखद र चत lsquoम ारा सrsquo नामक नाटक का स कत सा ह य म काफमह वपण थान ह इस नाटक क वशषताए यह ह क इनमmdash

एकmdashश स अत तक सब प ष-पा ह कवल एक ी-पा ह जसका कथानक समल प म कोई सबध नह ह कवल क ण रस पदा करन क लए उस थान दया गया हस दय बाद इ लड म श स पयर न भी ऐसा ही एक नाटक lsquoज लयस सीज़रrsquo लखा थाजसम म य प स सभी प ष-पा ह और य का ब त ही गौण थान ह

दोmdashइसका म य कारण ह क दोन ही नाटक म य प स राजनी त क षड य कच और दाव-पच को कट करत ह lsquoम ारा सrsquo म मौयकालीन भारतीय राजन तकप र थ त का च ण ह

तीनmdashतीसरी बात यह ह क वशाखद क इस नाटक म कह भी तबीयत ऊबती नह नरतर नवीनता मलती चलती ह कथानक इसी लए अपनी रोचकता का अत तक नवाहकरता रहता ह

म य प म यही बात इसक मल म हlsquoम ारा सrsquo का अथ ह रा स क अगठ रा स क अगठ म उसक म ा अथात महर

भी ह स कत म म ा श द महर और अगठ दोन क लए आता ह यह अगठ ब तमह वपण ह इसी अगठ क कारण चाण य को पता चलता ह क चदनदास क यहारा स का प रवार छपा आ ह बस इतना पता चलत ही चाण य अपना खल श करदता ह इसी म ा क सहार स स ाथक शकटदास स प लखवाकर महर लगाकरराजनी तक दाव-पच खलता ह इसी क कारण मलयकत का रा स स झगड़ा होता ह औरच ग त मौय का रा ता साफ हो जाता ह य क म ा नाटक क घटना म इतना मह वरखती ह इस नाटक का नाम क व न उ चत ही lsquoम ारा सrsquo रखा ह

वशाखद सामत बट रद का पौ और महाराज पद वाल पथ का प था वह वयबड़ा नी त रहा होगा जसन इतनी राजनी त यो तष आ द क पा ड य का प रचय दयाह उसका नाट यशा का अ ययन भी काफ था य क उसन बर नाटककार और अ छक व क ऊपर भी काश डाला ह क व शकर और व ण दोन को ही भगवान मानता थाका म गौड़ी री त क आ ध य क कारण लोग का अनमान ह क वह गौड़ दश का रहनवाला था उसन lsquo पणकrsquo (बौ साध) दशन को जसा क उस समय व ास था अ छानह माना परत अहत क शसा क ह उसन ब क च र क महानता को भी वीकार

कया ह हम इस वषय म कछ नह कह सकत क वह कौन था और कहा का था भारतका मत ह क पथ वा तव म राजा प वीराज था व तक दत ह क बट रद जस लब नामको ज द म सोम र भी कहा जा सकता ह बट र म सोम र स एक मा ा कम ही ह अतःयह बात कछ भी नह जमती सभवतः सामत का प महाराज कस आ होगा यही उनकसामन सम या थी परत परान समय म महाराज एक पद था तभीmdashlsquoमहाराजपदभाकrsquo भीकहा गया ह महाराज बड़ जागीरदार क म क राजकल स सब धत होत थ इससकवल यही कट होता ह क वशाखद एक ब त कलीन प रवार का था उसक

च कवल राजनी त म ही दखाई दती ह जभाषा म अनक अवध क क वय न क वताक ह इस लए का -शली स क व का थान ढढ़ना उ चत नह ह क व अपन वणन मकसमपर का उ लख करता ह पाट लप का ही सरा नाम कसमपर था ग त क समय मकसमपर का बड़ा मह व था सभवतः क व उसी समय का था धनजय क दश पक म

थम काश क 68व का रका क अत म म ारा स का नाम ह lsquoसर वतीकठाभरणrsquo कतीसर प र छद म उ लख ह चत ाटक म भी नाम ह इसस प होता ह क ई वी दसवशती म यह ब त स नाटक था कछ व ान ल छ श द का योग यहा होन स इससातव सद का मानत ह कत सबस बड़ी इसम तीन बात ह

एक तो इसम जस पथ क रा य क क पना ह वह हमालय स सम तक का ह जोसातव सद तक ास ाय हो चला था मौय स वधन तक ही इसका ज़ोर रहा था जब कसामतीय व था वद शय स जा क र ा करन म ग त का आधार थी

सर इसम जो अ त का भरतवा य ह वह च ग त क शासन को द घजीवी होन काआशीवाद ह उसम प ही त कालीन राजा क स ता क बात ह अ यथा ायःभरतवा य लोक-क याण क अ य प का वणन करत ह च ग त तीय ग त म शका रव मा द य कहलाता था उसन व वा मनी क र ा क थी इस लए उसक म त मउसक तलना दात पर प वी उठान वाल वाराह व ण अवतार स क जाती थी उसक समयम वाराह भगवान क पजा का काफ चार था वाराह का भी भरतवा य म उ लख ह इनबात को दखकर लगता ह क यह नाटक ई वी चौथ -पाचव सद का होना चा हए ल छश द धमशा और पराण म आता ह उसका तक मसलमान स ही सबध जोड़ना चा हएब क तक मसलमान को यवन ही म य प स कहा जाता था य प यवन श द परान

ीक लोग क लए च लत आ था नाटक म खस ल छ शक और ण का भी उ लखह ण क लए यह नह समझना चा हए क कदग त स पहल व अ ात थ उनकशाखाए भारत क उ र म तब भी थ पारसीक आ द भी ाचीन ही थ

तीसरी बात यह ह क जब यह नाटक लखा गया होगा तब मल च ग त मौय क कथाकाफ परानी पड़ चक थी य क इसम कछ गड़ब ड़या भी ह य प इस नाटक नइ तहास पर बड़ा भाव डाला ह फर भी सब बात पण प स ऐ तहा सक ही ह ऐसा नहह इसम यह तो आता ह क च ग त मौय का म य पौ ष वद शय को भगा दना थाअ त म इसपर ज़ोर ह कथा म भी वद शय क सम या दखाई पड़ती ह परत रा य

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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Page 3: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

म ारा स(स कत क स स नाटक lsquoम ारा सrsquo

का ह द पा तर)

वशाखद

भ मका

सामत वशाखद र चत lsquoम ारा सrsquo नामक नाटक का स कत सा ह य म काफमह वपण थान ह इस नाटक क वशषताए यह ह क इनमmdash

एकmdashश स अत तक सब प ष-पा ह कवल एक ी-पा ह जसका कथानक समल प म कोई सबध नह ह कवल क ण रस पदा करन क लए उस थान दया गया हस दय बाद इ लड म श स पयर न भी ऐसा ही एक नाटक lsquoज लयस सीज़रrsquo लखा थाजसम म य प स सभी प ष-पा ह और य का ब त ही गौण थान ह

दोmdashइसका म य कारण ह क दोन ही नाटक म य प स राजनी त क षड य कच और दाव-पच को कट करत ह lsquoम ारा सrsquo म मौयकालीन भारतीय राजन तकप र थ त का च ण ह

तीनmdashतीसरी बात यह ह क वशाखद क इस नाटक म कह भी तबीयत ऊबती नह नरतर नवीनता मलती चलती ह कथानक इसी लए अपनी रोचकता का अत तक नवाहकरता रहता ह

म य प म यही बात इसक मल म हlsquoम ारा सrsquo का अथ ह रा स क अगठ रा स क अगठ म उसक म ा अथात महर

भी ह स कत म म ा श द महर और अगठ दोन क लए आता ह यह अगठ ब तमह वपण ह इसी अगठ क कारण चाण य को पता चलता ह क चदनदास क यहारा स का प रवार छपा आ ह बस इतना पता चलत ही चाण य अपना खल श करदता ह इसी म ा क सहार स स ाथक शकटदास स प लखवाकर महर लगाकरराजनी तक दाव-पच खलता ह इसी क कारण मलयकत का रा स स झगड़ा होता ह औरच ग त मौय का रा ता साफ हो जाता ह य क म ा नाटक क घटना म इतना मह वरखती ह इस नाटक का नाम क व न उ चत ही lsquoम ारा सrsquo रखा ह

वशाखद सामत बट रद का पौ और महाराज पद वाल पथ का प था वह वयबड़ा नी त रहा होगा जसन इतनी राजनी त यो तष आ द क पा ड य का प रचय दयाह उसका नाट यशा का अ ययन भी काफ था य क उसन बर नाटककार और अ छक व क ऊपर भी काश डाला ह क व शकर और व ण दोन को ही भगवान मानता थाका म गौड़ी री त क आ ध य क कारण लोग का अनमान ह क वह गौड़ दश का रहनवाला था उसन lsquo पणकrsquo (बौ साध) दशन को जसा क उस समय व ास था अ छानह माना परत अहत क शसा क ह उसन ब क च र क महानता को भी वीकार

कया ह हम इस वषय म कछ नह कह सकत क वह कौन था और कहा का था भारतका मत ह क पथ वा तव म राजा प वीराज था व तक दत ह क बट रद जस लब नामको ज द म सोम र भी कहा जा सकता ह बट र म सोम र स एक मा ा कम ही ह अतःयह बात कछ भी नह जमती सभवतः सामत का प महाराज कस आ होगा यही उनकसामन सम या थी परत परान समय म महाराज एक पद था तभीmdashlsquoमहाराजपदभाकrsquo भीकहा गया ह महाराज बड़ जागीरदार क म क राजकल स सब धत होत थ इससकवल यही कट होता ह क वशाखद एक ब त कलीन प रवार का था उसक

च कवल राजनी त म ही दखाई दती ह जभाषा म अनक अवध क क वय न क वताक ह इस लए का -शली स क व का थान ढढ़ना उ चत नह ह क व अपन वणन मकसमपर का उ लख करता ह पाट लप का ही सरा नाम कसमपर था ग त क समय मकसमपर का बड़ा मह व था सभवतः क व उसी समय का था धनजय क दश पक म

थम काश क 68व का रका क अत म म ारा स का नाम ह lsquoसर वतीकठाभरणrsquo कतीसर प र छद म उ लख ह चत ाटक म भी नाम ह इसस प होता ह क ई वी दसवशती म यह ब त स नाटक था कछ व ान ल छ श द का योग यहा होन स इससातव सद का मानत ह कत सबस बड़ी इसम तीन बात ह

एक तो इसम जस पथ क रा य क क पना ह वह हमालय स सम तक का ह जोसातव सद तक ास ाय हो चला था मौय स वधन तक ही इसका ज़ोर रहा था जब कसामतीय व था वद शय स जा क र ा करन म ग त का आधार थी

सर इसम जो अ त का भरतवा य ह वह च ग त क शासन को द घजीवी होन काआशीवाद ह उसम प ही त कालीन राजा क स ता क बात ह अ यथा ायःभरतवा य लोक-क याण क अ य प का वणन करत ह च ग त तीय ग त म शका रव मा द य कहलाता था उसन व वा मनी क र ा क थी इस लए उसक म त मउसक तलना दात पर प वी उठान वाल वाराह व ण अवतार स क जाती थी उसक समयम वाराह भगवान क पजा का काफ चार था वाराह का भी भरतवा य म उ लख ह इनबात को दखकर लगता ह क यह नाटक ई वी चौथ -पाचव सद का होना चा हए ल छश द धमशा और पराण म आता ह उसका तक मसलमान स ही सबध जोड़ना चा हएब क तक मसलमान को यवन ही म य प स कहा जाता था य प यवन श द परान

ीक लोग क लए च लत आ था नाटक म खस ल छ शक और ण का भी उ लखह ण क लए यह नह समझना चा हए क कदग त स पहल व अ ात थ उनकशाखाए भारत क उ र म तब भी थ पारसीक आ द भी ाचीन ही थ

तीसरी बात यह ह क जब यह नाटक लखा गया होगा तब मल च ग त मौय क कथाकाफ परानी पड़ चक थी य क इसम कछ गड़ब ड़या भी ह य प इस नाटक नइ तहास पर बड़ा भाव डाला ह फर भी सब बात पण प स ऐ तहा सक ही ह ऐसा नहह इसम यह तो आता ह क च ग त मौय का म य पौ ष वद शय को भगा दना थाअ त म इसपर ज़ोर ह कथा म भी वद शय क सम या दखाई पड़ती ह परत रा य

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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Page 4: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

भ मका

सामत वशाखद र चत lsquoम ारा सrsquo नामक नाटक का स कत सा ह य म काफमह वपण थान ह इस नाटक क वशषताए यह ह क इनमmdash

एकmdashश स अत तक सब प ष-पा ह कवल एक ी-पा ह जसका कथानक समल प म कोई सबध नह ह कवल क ण रस पदा करन क लए उस थान दया गया हस दय बाद इ लड म श स पयर न भी ऐसा ही एक नाटक lsquoज लयस सीज़रrsquo लखा थाजसम म य प स सभी प ष-पा ह और य का ब त ही गौण थान ह

दोmdashइसका म य कारण ह क दोन ही नाटक म य प स राजनी त क षड य कच और दाव-पच को कट करत ह lsquoम ारा सrsquo म मौयकालीन भारतीय राजन तकप र थ त का च ण ह

तीनmdashतीसरी बात यह ह क वशाखद क इस नाटक म कह भी तबीयत ऊबती नह नरतर नवीनता मलती चलती ह कथानक इसी लए अपनी रोचकता का अत तक नवाहकरता रहता ह

म य प म यही बात इसक मल म हlsquoम ारा सrsquo का अथ ह रा स क अगठ रा स क अगठ म उसक म ा अथात महर

भी ह स कत म म ा श द महर और अगठ दोन क लए आता ह यह अगठ ब तमह वपण ह इसी अगठ क कारण चाण य को पता चलता ह क चदनदास क यहारा स का प रवार छपा आ ह बस इतना पता चलत ही चाण य अपना खल श करदता ह इसी म ा क सहार स स ाथक शकटदास स प लखवाकर महर लगाकरराजनी तक दाव-पच खलता ह इसी क कारण मलयकत का रा स स झगड़ा होता ह औरच ग त मौय का रा ता साफ हो जाता ह य क म ा नाटक क घटना म इतना मह वरखती ह इस नाटक का नाम क व न उ चत ही lsquoम ारा सrsquo रखा ह

वशाखद सामत बट रद का पौ और महाराज पद वाल पथ का प था वह वयबड़ा नी त रहा होगा जसन इतनी राजनी त यो तष आ द क पा ड य का प रचय दयाह उसका नाट यशा का अ ययन भी काफ था य क उसन बर नाटककार और अ छक व क ऊपर भी काश डाला ह क व शकर और व ण दोन को ही भगवान मानता थाका म गौड़ी री त क आ ध य क कारण लोग का अनमान ह क वह गौड़ दश का रहनवाला था उसन lsquo पणकrsquo (बौ साध) दशन को जसा क उस समय व ास था अ छानह माना परत अहत क शसा क ह उसन ब क च र क महानता को भी वीकार

कया ह हम इस वषय म कछ नह कह सकत क वह कौन था और कहा का था भारतका मत ह क पथ वा तव म राजा प वीराज था व तक दत ह क बट रद जस लब नामको ज द म सोम र भी कहा जा सकता ह बट र म सोम र स एक मा ा कम ही ह अतःयह बात कछ भी नह जमती सभवतः सामत का प महाराज कस आ होगा यही उनकसामन सम या थी परत परान समय म महाराज एक पद था तभीmdashlsquoमहाराजपदभाकrsquo भीकहा गया ह महाराज बड़ जागीरदार क म क राजकल स सब धत होत थ इससकवल यही कट होता ह क वशाखद एक ब त कलीन प रवार का था उसक

च कवल राजनी त म ही दखाई दती ह जभाषा म अनक अवध क क वय न क वताक ह इस लए का -शली स क व का थान ढढ़ना उ चत नह ह क व अपन वणन मकसमपर का उ लख करता ह पाट लप का ही सरा नाम कसमपर था ग त क समय मकसमपर का बड़ा मह व था सभवतः क व उसी समय का था धनजय क दश पक म

थम काश क 68व का रका क अत म म ारा स का नाम ह lsquoसर वतीकठाभरणrsquo कतीसर प र छद म उ लख ह चत ाटक म भी नाम ह इसस प होता ह क ई वी दसवशती म यह ब त स नाटक था कछ व ान ल छ श द का योग यहा होन स इससातव सद का मानत ह कत सबस बड़ी इसम तीन बात ह

एक तो इसम जस पथ क रा य क क पना ह वह हमालय स सम तक का ह जोसातव सद तक ास ाय हो चला था मौय स वधन तक ही इसका ज़ोर रहा था जब कसामतीय व था वद शय स जा क र ा करन म ग त का आधार थी

सर इसम जो अ त का भरतवा य ह वह च ग त क शासन को द घजीवी होन काआशीवाद ह उसम प ही त कालीन राजा क स ता क बात ह अ यथा ायःभरतवा य लोक-क याण क अ य प का वणन करत ह च ग त तीय ग त म शका रव मा द य कहलाता था उसन व वा मनी क र ा क थी इस लए उसक म त मउसक तलना दात पर प वी उठान वाल वाराह व ण अवतार स क जाती थी उसक समयम वाराह भगवान क पजा का काफ चार था वाराह का भी भरतवा य म उ लख ह इनबात को दखकर लगता ह क यह नाटक ई वी चौथ -पाचव सद का होना चा हए ल छश द धमशा और पराण म आता ह उसका तक मसलमान स ही सबध जोड़ना चा हएब क तक मसलमान को यवन ही म य प स कहा जाता था य प यवन श द परान

ीक लोग क लए च लत आ था नाटक म खस ल छ शक और ण का भी उ लखह ण क लए यह नह समझना चा हए क कदग त स पहल व अ ात थ उनकशाखाए भारत क उ र म तब भी थ पारसीक आ द भी ाचीन ही थ

तीसरी बात यह ह क जब यह नाटक लखा गया होगा तब मल च ग त मौय क कथाकाफ परानी पड़ चक थी य क इसम कछ गड़ब ड़या भी ह य प इस नाटक नइ तहास पर बड़ा भाव डाला ह फर भी सब बात पण प स ऐ तहा सक ही ह ऐसा नहह इसम यह तो आता ह क च ग त मौय का म य पौ ष वद शय को भगा दना थाअ त म इसपर ज़ोर ह कथा म भी वद शय क सम या दखाई पड़ती ह परत रा य

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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Page 5: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

कया ह हम इस वषय म कछ नह कह सकत क वह कौन था और कहा का था भारतका मत ह क पथ वा तव म राजा प वीराज था व तक दत ह क बट रद जस लब नामको ज द म सोम र भी कहा जा सकता ह बट र म सोम र स एक मा ा कम ही ह अतःयह बात कछ भी नह जमती सभवतः सामत का प महाराज कस आ होगा यही उनकसामन सम या थी परत परान समय म महाराज एक पद था तभीmdashlsquoमहाराजपदभाकrsquo भीकहा गया ह महाराज बड़ जागीरदार क म क राजकल स सब धत होत थ इससकवल यही कट होता ह क वशाखद एक ब त कलीन प रवार का था उसक

च कवल राजनी त म ही दखाई दती ह जभाषा म अनक अवध क क वय न क वताक ह इस लए का -शली स क व का थान ढढ़ना उ चत नह ह क व अपन वणन मकसमपर का उ लख करता ह पाट लप का ही सरा नाम कसमपर था ग त क समय मकसमपर का बड़ा मह व था सभवतः क व उसी समय का था धनजय क दश पक म

थम काश क 68व का रका क अत म म ारा स का नाम ह lsquoसर वतीकठाभरणrsquo कतीसर प र छद म उ लख ह चत ाटक म भी नाम ह इसस प होता ह क ई वी दसवशती म यह ब त स नाटक था कछ व ान ल छ श द का योग यहा होन स इससातव सद का मानत ह कत सबस बड़ी इसम तीन बात ह

एक तो इसम जस पथ क रा य क क पना ह वह हमालय स सम तक का ह जोसातव सद तक ास ाय हो चला था मौय स वधन तक ही इसका ज़ोर रहा था जब कसामतीय व था वद शय स जा क र ा करन म ग त का आधार थी

सर इसम जो अ त का भरतवा य ह वह च ग त क शासन को द घजीवी होन काआशीवाद ह उसम प ही त कालीन राजा क स ता क बात ह अ यथा ायःभरतवा य लोक-क याण क अ य प का वणन करत ह च ग त तीय ग त म शका रव मा द य कहलाता था उसन व वा मनी क र ा क थी इस लए उसक म त मउसक तलना दात पर प वी उठान वाल वाराह व ण अवतार स क जाती थी उसक समयम वाराह भगवान क पजा का काफ चार था वाराह का भी भरतवा य म उ लख ह इनबात को दखकर लगता ह क यह नाटक ई वी चौथ -पाचव सद का होना चा हए ल छश द धमशा और पराण म आता ह उसका तक मसलमान स ही सबध जोड़ना चा हएब क तक मसलमान को यवन ही म य प स कहा जाता था य प यवन श द परान

ीक लोग क लए च लत आ था नाटक म खस ल छ शक और ण का भी उ लखह ण क लए यह नह समझना चा हए क कदग त स पहल व अ ात थ उनकशाखाए भारत क उ र म तब भी थ पारसीक आ द भी ाचीन ही थ

तीसरी बात यह ह क जब यह नाटक लखा गया होगा तब मल च ग त मौय क कथाकाफ परानी पड़ चक थी य क इसम कछ गड़ब ड़या भी ह य प इस नाटक नइ तहास पर बड़ा भाव डाला ह फर भी सब बात पण प स ऐ तहा सक ही ह ऐसा नहह इसम यह तो आता ह क च ग त मौय का म य पौ ष वद शय को भगा दना थाअ त म इसपर ज़ोर ह कथा म भी वद शय क सम या दखाई पड़ती ह परत रा य

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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  • सातवा अक
Page 6: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

जीतन क दाव-पच ब त दखत ह इसम सक दर क आ मण का कोई उ लख नह औरपारसीक राजा को भी प प स वदशी नह माना गया ह ग स म रा स मलयकत कोभी ल छ कह जाता ह कथा चाण य क चतरता पर अ धक बल दती ह च ग त कवीरता पर नह य द यह च ग त तीय क समय का नाटक होता तो या चाण य काइतना थान होता परत यहा हम याद रखना चा हए एक च ग त क बहान स सरच ग त क जीत पर ज़ोर दया गया ह गह-कलह र करक शा त था पत क गई हप ष स ी प धरकर छल स शकराज को च ग त तीय न भी मारा था उन दन कराजनी त भी आज क तरह छल स भरी थी पणक का ा ण चाण य का साथ दनाभारतीय पर परा म इन दो सा दाय का वदशी आ मण क समय मल जाना इ गत करताह नाटक मौयकालीन नह ह इसका प रचय यही ह क यहा यह दशाया गया ह क वा तवम नद का रा य ब त ठ क था कवल चाण य क ोध क कारण उस उखाड़ा गया फर

जा को शात करन क लए काफ चाला कया करनी पड़ इसम नद का प होकर भीच ग त मौय दासी-प ह तभी वषल ह नीच ह जब क नद को श नह कहा गया हब क उस कलीन भी कहा ह

इ ही बात स लगता ह क नाटक च ग त तीय क समय का हो सकता हकथा का मख पा मल प स चाण य ह नाटककार न चाण य को ब त ही धत

और क टल दखाया ह वह अपनी त ा पण कर चका ह उसका ोध भयानक था वहसब कछ पहल स ऐसा सोच लता ह क उसक हर चाल ऐसी जाती ह क कोई उस काट हीनह पाता वह सब श को मार डालता ह कछ को हराता ह और रा स को वह चतरऔर मह वपण तथा भावशाली समझन क कारण जीत लता ह उसक सामन व ततःरा स कोई ट कर का आदमी नह ह और चाण य भी उसक इस त पधा को दखकरमन ही मन हसा करता ह चाण य रा स क वा मभ स स ह वस चाण य यागीह टट-फट घर म रहता ह और नडर होकर राजा को वषल कहता ह सरी ओर रा स धनक भी च ता करता ह नः पह भी नह बरी तरह मात खाता ह और अत म नद- वरोधी हीबन जाता ह रा स का अत ब त ही बरा ह और वह अत म ब त ही पदलोलप-सा दखाईदता ह चाण य ब त ही ब मान ह रा स उसक तलना म कछ भी नह हउसका नाम भी व च ह और वह नद क ऐसी त त गाता ह जस उसक समय म बड़ाभारी सख था बाद म च ग त क सवा भी इसी लए वीकार करता ह क च ग त नद काही प ह वस नाटककार न यही दखाया ह क रा स क अमा य बनन का कारणचदनदास क ाण क र ा करना ह कत यहा रा स का लोभ छप नह पाता य द वहआन का प का होता तो ाण द सकता था और तब च दनदास क सम या का भी अत होजाता रा स नतात कायर नह था इसी लए क व उसस तलवार भी उठवाता ह पर रा सक तलवार भी चाण य क ब स र कर द जाती ह क व तो ब दश परी बाधता ह परतरा स का पतन कसी स नह कता क व यह दखाता ह क ह तो रा स वीर चडवा मभ और चतर परत चाण य क सामन वह ह कछ भी नह सबस बड़ी चाण य क

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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  • दसरा अक
  • तीसरा अक
  • चौथा अक
  • पाचवा अक
  • छठा अक
  • सातवा अक
Page 7: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

महानता तो यह ह क वह अत म ब त ही न ह जब क रा स म एक ख सयानापन हऔर वह वा जब भी ह च र - च ण क कोण स इसम दो ही पा ह चाण य औररा स बाक सब काम चलान वाल लोग ह व तो म बजान वाल लोग ह परत नाटक य

स यक बड़ा सफल काय करता ह हर एक का काम उ दा होता ह फर भी हम यहनह भल पात और वय पा भी हम याद दलात रहत ह क इन सब काम क पीछ तोचाण य क ब ह चाण य का लोहा बरसता ह वह पाव उठाता ह तो धरती कापती हउधर रा स परशान रहता ह नाटक म कह भी यह नह दखता क वह कभी चन भी पासका हो उसन कई चाल चल चाण य क न द तो उसन बगाड़ी पर हारा हर जगहकह -कह ही नाटककार पा क मनः थ त का सामा जक और गत प रचय दता हमलयकत को धोखा दत ए भागरायण को ःख होता ह कचक को बढ़ाप क तकलीफह राजनी त क कच म क त वणन नह मलत अ तम य म छक टक स मलता-जलता ह चदनदास बड़ा यागी ह फर भी उसक साथ चा द क -सी सवदना नहजागती वह राज ोही ह और इसी लए हम च ग त को इसक लए अ याचारी ठहरा ही नहपात हम जानत ह क चदनदास मरगा नह य क चा डाल भी वा तव म चा डाल नह हऔर रा स भी कायद स फसता चला आ रहा ह इसी लए म चदनदास क च र को भीमह वपण नह मानता क व बार-बार उस शव जसा यागी बताता ह शायद व य को

स करना उसक मन म अव य था उस समय ापार खब होता था और सठ का भ वभी था अत म तो वह जगत-सठ बनाया जाता ही ह क व यह भी कहलवाता ह क पर ीस व य म नह करत वह बड़ शीलवाल होत ह इसक अ त र इस नाटक म च र -च ण क कोई वशषता नह ह रस क कोण स इसम म य रस वीर ह क ण थोड़ा-सा ह रा स कई जगह क णा-भरी बात कहता ह परत वह सब नद क त ह और नद सहमारी सहानभ त य नह होती क हम च ग त अ छा लगता ह हाला क च ग त कवलअमा य चाण य क हाथ का खलौना ही ह परत ह तो वजयी चाण य का ही य पा नायक क प म वह धीरोदा ह यागी कलीन कती पयौवनो साही द अनर शीलवान नता आ द नायक क को ट म आत ह च ग त मावान गभीर महास वढ़ ती ह अतः धीरोदा ह मलयकत तनायक ह यहा ना यका और व षक ह ही

नह स कत क नाटक क पर परा म यह सखात नाटक ह स कत म ऐसा नाटक लभ हीह भावानसार भाषा का योग ह अलकार काफ य ए ह छोट -छोट अक हशौरसनी महारा ी मागधी आ द ाकत भाषाए इसम स कत क अ त र य ई हइ तहास क बात हम फर हराना चाहत ह व णग त चाण य कौ ट य आ द एक ही

क नाम ह यह म ारा स न ही कट कया और फर इस वषय म कोई सदह नहरहा इस नाटक न भारतीय इ तहास क पवम यकाल क राजनी तक व था का काफप रचय दया ह

भारत ह र न lsquoम ारा सrsquo का अनवाद कया ह कत वह अनवाद ग और पदोन म ह स कत क ग का खड़ी बोली म अनवाद ह और ोक का अनवाद जभाषा

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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  • छठा अक
  • सातवा अक
Page 8: Murdarakshas (Sanskrit Classics) (Hindi Edition)

प म कया गया ह मन इसी कारण म ारा स का आध नक शली म अनवाद करन कच ा क ह जसम प क थान पर ग का योग कया गया ह

भारत ह र न बड़ मनोयोग म lsquoम ारा सrsquo नाटक क पव कथा लखी ह उ ह नअपन समय तक क ऐ तहा सक अ ययन को तत कया ह उस कोण म उन सबबात का समावश ह जनको वशाखद न भी वीकार कया ह य प भारत न ब त-सीबात अपन अ ययन क फल व प तत क ह उनका स त मत यह हmdash

ाचीन काल म मगध स प वश को हटाकर नदवश न 138 वष रा य कया उ ह कसमय म अल ( सक दर) न भी आ मण कया था महानद तापी था उसक दो म ीथ शकटार श और रा स ा ण शकटार ोधी था महानद न हो उस एक न वड़बद गह म डाल दया दो सर स मा उसक प रवार को दता शकटार ःखी हो गयाएक-एक कर भख ही उसक घर क सब लोग मर गए शकटार रह गया एक दन महानद कहसन पर एक दासी वच णा हस पड़ी राजा न कारण पछा तो वह ाण-दड क भय सशकटार स कारण पछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार स कारणपछन आई और इस कार महानद क स होन पर शकटार छट गया उस रा स क नीचम ी बना दया गया शकटार को बदल क आग जला रही थी उसन काला ा ण ढढ़ा जोघास स पाव कटन पर म ा डाल-डालकर उसक जड़ जला रहा था शकटार न उसस नगरम एक पाठशाला खलवा द एक दन राजा क यहा ा म शकटार चाण य को ल गयाऔर उस आसन पर बठा दया चाण य का रग काला आख लाल और दात काल थ नदन उस अ नम त जानकर बाल पकड़कर नकलवा दया चाण य न शखा खोलकरनदवश क वनाश क त ा क शकटार न उस घर बलाकर वच णा को उसक काम ममदद दन को लगाया महानद क 9 बट थ 8 ववा हता रानी स एक मरा नामक नाइन सmdashच ग त इसीस मरा का प मौय कहलाता था वषल भी च ग त बड़ा व ान था आठभाई उसस जलत थ रोम क बादशाह न एक पजर म एक शर भजा था क बना खोल शरबाहर कर दो वह मोम का था च ग त न उस पघलाकर बाहर नकाल दया महानद भीइसस कढ़ता था च ग त बड़ा था सो अपन को रा य का भागी मानता था चाण य औरशकटार न च ग त को रा य का लोभ दया चाण य न अपनी कट म जाकर वष मलपकवान बनाए वच णा न व पकवान महानद को प समत खला दए व सब मर गएशकटार अपन पाप स सत त होकर वन म चला गया और वहा अनशन करक मर गयाचाण य फर अपन अतरग म जीव स को पणक क वश म रा स क पास छोड़करवदश गया और उ र क नवासी पवत र नामक राजा को मगध का आधा रा य दन कलोभ स ल आया पवतक का भाई वरोधक या वराचक था प था मलयकत उसक साथल छ राजा थ उधर रा स न नद क भाई सवाथ स को राजा बना दया चाण य न घरा

डलवाया 15 दन य आ जीव स न सवाथ स को बहका कर तपोवन भज दयारा स उस मनान को च दनदास नामक ापारी क घर अपना प रवार छोड़कर चलाचाण य न उस पहल ही मरवा डाला च ग त को राजा बना दया रा स न पवत र क

म ी को बहकाया म ी न पवत र को लखकर भजा इसक बाद रा स न च ग त कोमारन को वषक या भजी जीव स न बता दया तो चाण य न वषक या को पवत र कपास प चाकर उस मरवा डाला और नगर क त त नाग रक भागरायण स कहकरमलयकत को भी भगवा दया चाण य न साथ ही अपन व त भ भट आ द उसक सनाम भज दए रा स अब मलयकत क साथ हो गया चाण य न यह उड़ा दया क रा स नही वषक या को भजकर च ग त क म पवतक को मरवा डाला और वय आधा रा यदन क बात को छपा गया

तत नाटक इसस आग क कथा का वणन करता ह

च ग त मौय क वषय म इ तहास यह बताता ह क वह मो रयवन क य म स थाइस लए उसका नाम मौय पड़ा था वह दासी प नह था वरन उन य म स था जो क

ा ण धम का भ व वीकार नह करत थ गौतम ब क समय म य न ब -प मतथा दशन क म ा ण स बड़ी ट कर ली थी उस समय मगध का राजा बबसार थाइसका प अजातश आ जसन अपन पता क ह या क थी बबसार का वशशशनागवश कहलाता ह इस वश क उपरात हम नदवश का उ थान दखत ह नदवश कोश वश कहा गया ह नद क वभव का स का जमा आ था कत उस समय ा णअ स थ चाण य त शला म पढ़ाता था बाद म वह मगध प चा जहा उसका अपमान

आ च ग त उस समय राजा नद क मयर और उ ान का रखवाला था उसक वीरता सनद स हो गया और उसन उस सनाप त बना दया कछ दन बाद वह उसस अ स होगया यह दखकर च ग त भाग गया और उसन पाट लप म व लव करा दया जस राजानद न कचल दया च ग त भागकर उ र-प म भारत म आ गया जहा वह सक दर समला परत कसी बात पर उसका सक दर स झगड़ा हो गया और वह फर भाग नकलाबड़ी म कल स चाण य और च ग त न व य दश म डाक को एक करक सना खड़ीक और पहल सीमा ात क रा य को जीता तदन तर अत म मगध पर शासन जमायालगभग बीस वष बाद यवन स यकस नकाटोर न भारत पर आ मण कया जसम यवनको च ग त न परा जत कया और बा ी आ द ात को भी अपन सा ा य म मलालया कछ लोग का मत ह क चाण य अत म तपोवन म चला गया आज क इ तहासन ब त खोज-बीनकर इतन त य पाए ह वशाखद क इस कथा स इतना ही सा य ह कचाण य का नद न अपमान कया था च ग त को चाण य न ग पर बठाया अपनाबदला लया

रा स क वषय म इ तहास कछ नह बोलता शकटदास क बार म भी वशष कछ नहआता कछ लोग का मत ह क नद का म ी वर च था कछ कहत ह का यायन था जोहो कथाए ब त बन जाती ह और परानी घटना को फटककर अलग कर लना व ततःअस भव होता ह वशाखद क समय म परानी कथा काफ चम कार स लद गई थी मौय

का मरा दासी का प हो जाना भी इ तहास क एक भल ही कही जा सकती ह य क तबतक वषल का अथ भला जा चका था दासीप होन स उस चाण य वषल कहता था ऐसीवशाखद न ा या क ह य क मतानसार चाण य नः पह ा ण था और उस नकसी क चता थी न कसी का डर कत यह वशाखद क यग क ा या मा हच ग त का वषल नाम पर परा म च लत रहा होगा और बाद म उस समझन क इस

कार च ा क गई होगी य द तत नाटक को चौथी-पाचव शती का भी माना जाए तोभी जस घटना का इसम वणन ह वह नाटककार स लगभग सात या साढ़ सात सौ बरसपरानी थी जस आज कोई क व या नाटककार गलामवश क बलवन या र ज़या क बार मलख तो उनक इ तहास का जतना अभाव ह उसस कह अ धक वशाखद क यग म थारा स ऐ तहा सक पा था या नह यह भी सदहा पद ह बह कथा म वर च का उ लख हजसक एक रा स स म ता थी रा स मन य नह था वह पाट लप क पास घमा करताथा वह एक रात वर च स मला और बोला क इस नगर म कौन-सी ी सदरी ह वर चन कहाmdashजो जसको च वही सदरी हmdashइस पर रा स न उसस स होकर म ता करली और उसक राजकाज म सहायता करन लगा इस कथा स कछ भी पता नह चलतायहा तो यह लगता ह क य द कोई रा स नामक उस समय था भी तो वह यहा तकआत-आत मन य नह रहा था नामसा य क कारण रा स हो गया था वशाखद कनाटक क ऐ तहा सकता इसी लए ामा णक नह ह परत ामा णक यह ह क क व अपनयग को घोर क लकाल मानता था उसन कहा भी ह क स ची म ता तब लभ थी क व

य था व ण और शकर का उपासक था परत वह व य ा ण और बौ तथा जनका भी वरोधी नह था यह स ह णता हम ग त क उ कष-काल म मलती ह हमवशाखद को उसक ब प म न दखकर नाटक य घात- तघात म ही सी मत करकदखना चा हए जो भी कथा वशाखद न ली ह वह ब त ही आकषक ढग स हमार सामन

तत क गई हएक बात मझ इस नाटक क बार म वशष मह वपण लगी वह यह ह क इसम

घटना क उ लख का बा य ह और यह भी बातचीत म ही अक म घटनाए ती ता सनह चलत कथा म lsquoअब या होगाrsquo का कौतहल अ धक ह वस कोई वशषता नह

पहल अक म चाण य का चतन शकटदास ारा प लखवान क सलाह सनाप तयका भागना शकटदास और स ाथक का भागना चदनदास का अ डग रहना आ द ह परतlsquoए शनrsquo यानी कम ब त कम ह

सर अक म रा स और वराधग त का ायः सवाद ही सवाद ह जसम सारी कथाएहराई जाती ह

तीसर अक म च ग त और चाण य क नकली लड़ाई हो जाती हचौथ अक म मलयकत क मन म भागरायण सदह पदा कर दता हपाचव अक म काफ रोचक घटनाए ह नाटक य ढग भी यह अ धक दखाई दता ह

छठ अक म कोई वशषता नह कछ दया ज़ र पदा होती हसातव अक म भी lsquoए शनrsquo ब त कम ही ह और सार नाटक म यह कमी सबस अ धक

इस लए खटकती ह क नाटक का नायक च ग त पर नाटक म तीसर और सातव अक मदखाई दता ह तीसर अक भर म वह ल जत होता ह और सातव म उसक कोई वशषतानह

इसक वपरीत चाण य पहल तीसर और सातव अक म दखाई पड़ता ह रा स सरचौथ पाचव छठ अक म ह हम तो यही ठ क समझत ह क इस नाटक का नायक जोशा ीय ववचनानसार च ग त माना जाता ह नाटक नह ह नायक तो चाण य ह और

तनायक ह रा स जो अ त म परा जत हो जाता ह इस कोण स यह ब त ही सफलनाटक ह इस मानत ही हम च र - च ण का भी अभाव नह मलता तब तो अपन-आपहम नायक और तनायक क ट कर ही नह एक- सर को ही सीध या घरकर हर तरीकस सब पर छाया आ दखत ह ी-पा का अभाव क त- च ण का अभाव इ या दकछ भी नह अखरत आज तक म ारा स पजा तो ह परत उन कारण को कसी न नहदखा जो इसक मलश ह यह एक ब - धान नाटक ह दय-प वाल अश इसमब त थोड़ ह परत बीच-बीच म उ ह रखकर मम का पश कया गया ह इसम जो सवदनाक कचोट पदा होती ह वह पा क अपनी वशष बात को बार-बार हरान स जस बार-बार रा स और च दनदास वा मभ और म -व सलता क ही बात को कह चल जातह

अत म कह सकत ह क यह नाटक ब त अ छा नाटक ह और इसम एक वशषता ह कआप इस इतना सग ठत पात ह क इसम स आप एक वा य भी इधर स उधर सरलता सनह कर सकत य द कह अतीत का भाव जक मरण ही ह तब भी वह वतमान कतलना म उप थत कया गया ह इसी लए वह अ नवाय ह उस छोड़ा नह जा सकता

य क वह वाह को तोड़ दता हऔर स कत नाटक क भा त एक समय यह भी खला ही गया था उस समय पद का

योग होता था lsquoम ारा सrsquo म यव नकाmdashज द गरन वाल पदmdashका भी उ लख आ हकत सार सट नह बनत थ सामा जक अथात दशक को काफ क पना स काम चलानापड़ता था हम इतना ही कह सकत ह क ब त थोड़ प रवतन स य- वभाजन करक इसनाटक को बड़ी आसानी स खला जा सकता ह जो इस वषय म दलच पी रखत ह उ हअव य खलना चा हए य क स कत नाटक म नाटक यता काफ मा ा म ा त होती ह

lsquoम ारा सrsquo एक सामत का लखा आ नाटक ह कत यह इस बात का माण ह कक व अपन वग म सी मत नह रहता वह द लत और थत क वा त वक मनोभावनाको अपन च र क मनोनकलन अव था क मा यम स न प अ भ दता ह वहराजा क उ रदा य व क वा त वकता भी दखाता ह और राजनी त त मानव क उलझनभी इस लए क यह नाटक अपनी अ भ य म सवत ण वत ह कला क सइसका म य हमारी म काफ ऊचा ह

lsquoम ारा सrsquo म-कथा नह सम या मक कथा को लकर चलता ह और उसका अत तकनवाह भी सफलता स करता ह सभवतः यही कारण ह क भारत ह र न हद कनवयग क उ मष म इसका मह व तपादन करन क लए इसका अनवाद कया था

मन अपन अनवाद को य न कर सहज बनान क च ा क ह य द म इसम सफल होसका तो अव य ही अपन प र म को भी सफल मानगा

mdashरागय राघव

पा

चाण य न दवश- वनाशी ा ण च ग त का अमा यशा रव उसका श य

स ाथक चा डाल का प भी धरता ह चाण य का चर हच दनदास रा स का म

जीण वष (सपरा) रा स का आदमी हवराधग त

रा स नद का पराना अमा य च ग त का श फर अमा यकचक जाज ल मलयकत का कचक

यवदक प ष अथात सवक रा स का सवकशकटदास रा स का काय थ मशी

कचक वहीनर च ग त का कचकराजा च ग त स ाट नद का प

करभक रा स का ग तचरमलयकत पवत र का प च ग त का श

भागरायण च ग त का भ यजीव स पणक

भासरक एक स नक मलयकत क सना का भ यस स ाथक चा डाल का प भी धरता ह स ाथक का म

बालक च दनदास का पकट बनी च दनदास क प नी

चर तहारी अ य तहारी नप य म दो वता लक दौवा रक स नक प ष आ द

पहला अकनाद

शकर- शर- थर-गगा वलोकपछा पावती न ldquoह यतमयह कौन प य इतनी ह जोसर पर धारी ह ह न पमrdquo

बोल ldquoश शकलाrdquo सना बोली ldquo या यही नाम ह सच कहनाrdquoशव बोल ldquoयह ही नाम यया भल ग इतना मलनाrdquo

ldquoम तो नारी क बार म था पछ रहान क इस श श कrdquo

ldquoमानत नह य द तो पछोlsquo वजयाrsquo स कह दगी सब रrsquoयह कह जो पावती स गगाक बात छपात ह शकर

उनक यह स म चतरता हीसबका क याण कर स वर

और भीmdashधस जाए न धरती इस शका स

धरत पग अपन जो सभालर ा दगत क करत जो

सक चत कए नज भज- वशालहो जाए न भवन भ म खोलत

नह इस लए ग ततीयपरा र जट का अ वत

ता डव कराल वह अ तीयसबका क याण कर यग-यग

ह यही कामना बार-बार

डम - ननाद प रव तत होचर सख म धरती पर उदार

स धार बस बस इतना ही काफ ह मझ प रषद न आ ा द हक सामत बट रद क पौ lsquoमहाराजrsquo पद य पथ कप क व वशाखद क क त म ारा स नामक नाटकखल सचाई तो यह ह क नाटक क गण-दोष जाननवाली इस सभा म नाटक खलत ए मझ भी मन म बड़ासतोष हो रहा ह अ छ खत म कसानी स अनजानकसान का डाला आ बीज भी बढ़ता ह उगन क लएबीज बोन वाल क चता नह करता इस लए म घरवालीऔर घर क लोग को बलाकर गान-बजान का काम शकरता (घमकर दखकर) घर आ गया चल( वश कर दखकर) अर आज घर म कोई उ सव हसव अपन-अपन काम स लग ह कोई ी जल ला रहीह कोई सग धत व त को पीस रही ह कोई माला गथरही ह तो कसी क कार मसल क आवाज़ म मली जारही ह घरवाली को बलाकर पछ (नप य क ओरदखकर) अरी सघर घरवाली नयादारी क ब नयाद तही तो ह धम-अथ-काम को त ही तो स करती ह मरघर क नी त का व प बनी डोलती ह मरी य ज़राज द बाहर तो आ

नट ( वश कर) आयप म आ गई आ ा द कताथ होऊस धार रहन द आ ा यह बता क या तन ही प य ा ण को

नम ण दकर घरवाल को उबार लया ह या य अपन-आप आए ह यहा खाना तो ज़ोर स बन रहा ह उ ह कलए न

नट आय मन ही नम त कया हस धार भला य

नट आज च हण ह नस धार कसन कहा

नट सार नगरवासी कह रह हस धार आय मन च सठ अग वाल यो तष-शा को बड़ी

महनत स और गहराई स पढ़ा ह खर ा ण क लएभोजन तो बनाओ पर च हण कहकर कोई त हबहका गया ह दखोmdashयह भयानक रा अपण च को

बलपवक सना चाहता हhellip[नप य म अर मर जी वत रहत कौन च ग त काज़बद ती अपमान करना चाहता ह]

स धार (बात परी करता आ) ल कन बध ह का योग स जातए च मा क र ा करता ह

नट वह तो आय आकाश म रहन वाल च मा क रा सर ा करना चाहता ह

स धार आय म नह जानता जान कौन ह ठहर आवाज़ सपहचानन क च ा करता (जोर स) अर दखो दखोभयावह रा बलपवक अधर च को स लना चाहताह[नप य म अर-अर मर रहत ए च ग त का कौनबलपवक अपमान करना चाहता ह]

स धार (सनकर) लो समझ गया कौ ट य ह[यह सनत ही नट डर जाती ह]

स धार यह वही क टलब कौ ट य ह जसन अपन ोध कअ न स सार नदवश को ही जबरन भ म कर दयाच हण श द को सनकर उस यह सदह हो गया ह ककोई श च ग त पर आ मण न कर द नाम एक-सह इसी स इस लए अब यहा स चलना ही ठ क ह

[दोन का थान][ तावना समा त]

[खली ई च टया को छत ए चाण य का वश]चाण य कौन ह जो मर जीत-जी बल योग करक च ग त का

अपमान करना चाहता ह कौन ह जो ज हाई लत महफलाए सह क मख म स हा थय का ल पी-पीकरस या क च क कला क -सी लाल-लाल दाढ़ कोबलपवक उखाड़न का साहस रखता ह न दकल क लएना गन बनी ई ोधा न क चचल धम रखा क -सी मरीइस शखा को आज भी बधन स रोक रहा ह मन नदवशको समल न कया ह मरा द त ताप दावानल कतरह धधक रहा ह कौन ह जो उसका तर कार करकअपन-पराए का ान खोकर इस चड अ न म पतगक तरह भ म हो जाना चाहता ह शा रव शा रव

श य ( वश कर) ग दव आ ा दचाण य व स बठना चाहता

श य ग दव इस ार क पास वाल को म बत का आसन

ह आप वह ब ठए नचाण य व स इतना काम ह क बार-बार त ह क दना पड़ता ह

मत समझना क तम पर कठोरता करता (बठकरवगत) नगरवा सय म यह बात कस फल गई क नदवश

क वनाश स व ध आ रा स अब पता क म य स और सार ही नदरा य को पान क ती इ छा क

उ साह स भर ए पवत र क प मलयकत स मलकरइस च ा म ह क मलयकत क ारा उपगहीत महानल छराज को भी साथ लकर च ग त पर आ मण कर

द (सोचकर) मन सारी जा क सामन त ा क औरनदवश- वनाश क त ा पी नद को तरकर पार करलया तो या वही म इस वाद को शात नह करसकगा मरी ोधा न ऐसी भयानक ह क वह शोक काधआ फलाकर श -रम णय क -सी दशा कमखच को लान बना चक ह म ी पी व परअपन नी त पी पवन स अ ववक क भ म फलाकर वहनाग रक और ा ण को छोड़कर नदकल क सारअकर को भी भ म कर चक ह अब जलान को कछनह रहा या इसी लए मरी ोधा न दावानल क तरहशात हो रही ह ज ह न एक दन नद क भय स सरझकाकर उसको मन ही मन ध कारत ए शोक सभरकर मझ जस ा ण को आसन स उठाए जानका अपमान दखा था आज व वस ही पवत पर स सह

ारा गराए हाथी क तरह सार कट ब क साथ नद कोसहासन स उतरा आ दख रह ह म त ा क भार सम हो चका कत च ग त क आ ह पर अब भीश धारण कर रहा प वी पर रोग क तरह फलनवनद को मन उखाड़कर फक दया जस सरोवर मकमलनाल होता ह वस ही मन च ग त क रा यल मीको ब त दन क लए थर कर दया मन उ त मन स

ोध और नह क गढ़ त व को श और म मबाटकर फला दया ह ल कन रा स को पकड़ बना याबगाड़ा ह मन नदवश का उसक रहत मन च ग त करा य ी या सचमच थर कर द ह रा स को अब भीनदवश क त अ यत नह ह एक भी नदवशीय आदमीक जीत-जी उस च ग त का म ी बनाना बड़ा क ठन ह

म नदवशीय को तो राजा नह बना सकता हारा स को पकड़ सकता यही सोचकर मन तपोवन मतप या म लग नदवश क आ खरी नशान सवाथ सको भी मरवा डाला ह फर भी रा स अब मलयकत कमदद लकर हम उखाड़ दन म लगा आ ह (आकाश मदखकर जस य दख रहा हो) अमा य रा स तमध य हो म य म बह प त क भा त ब मान तमध य हो ससारी लोग तो धन क लोभ स वामी क सवाकरत ह व तो उसक वप म भी साथ दत ह तोउसक उ त म अपना लाभ दखकर कत जो वामी कमार जान क बाद भी परान उपकार को याद करक ास उसक काम को चलाता ह ऐसा तम जसा आदमी तो

नया म मलना भी क ठन ह इसी लए तो त ह साथरखन क लए मरा यह य न हो रहा ह अब त ह कसच ग त का म ीपद हण कराऊ जसस मरा य नकताथ हो य क उस वा मभ सवक स या लाभजो मख और नबल हो और उस बली और ब मानसवक स भी या लाभ जसम वामी क त कोई भनह होती बल ब और वा मभ जसम तीन ह जो वामी क सख- ःख म साथ रह वही असली सवकह वरना फर उसक तो य क भा त उलट र ा हीकरनी पड़ती ह और म इस बार म सो नह रहा उसपकड़न क लए अपनी परी साम य लगा रहा ldquoच ग त और पवत रmdashइन दो म स कसी एक कमरन स चाण य का नकसान होता ह इसी लए तो रा सन मर परम म पवत र को वषक या1 क ारा मरवाडाला हrdquo मन यह समाचार जनता म फला दया हजनता को व ास दलाया ह क मलयकत क पता कोरा स न मारा ह एकात म भय दखाकर भागरायण कसाथ मलयकत को भगा दया ह रा स क नी त परटककर य -त पर मलयकत को म अपनी ब सपकड़ सकता पर उसक पकड़न स पवत र क वधका कलक तो नह मट सकता मन अपन प औरवप क होन वाल लोग क बार म जानकारी ा त करनको अनक आचार- वचार और भाषा जानन वाल चर को

नय कर दया ह मर ग तचर कसमपर नवासी नद कम य क म क हर एक चाल को यान स दख रह हच ग त का साथ दन वाल भ भट आ द धान प षको खब धन द-दकर तरह-तरह स अपनी ओर कर लयाह श कह वष न द द इस लए अ छ जाच वालहो शयार आदमी मन राजा क पास रख दए ह मरासहा यायी2 व ण शमा तो श नी त और च सठ अगवाल यो तषशा का प डत ह न दवध क त ाकरक मन ही उस भ वश म ल जाकर सब म य सकसमपर म उसक म ता करा द थी रा स को तोउसम वशष व ास ह इसस बड़ा काम नकलगा बाततो कोई न छटगी च ग त तो कवल धान प ष हसब राजकाय हम पर ही छोड़कर उदासीन ह या करनलायक काम म त परता छोड़कर अब राज क सखभोगन म लग गया ह सच ह वभाव स बली राजा औरहाथी दोन ही अपन कमाए रा य या भोजन को पान परथक जान स बस उस भोगत ए थकान का ही अनभवकया करत ह

[यमपट लए चर का वश]चर यम भगवान क चरण क वदना करो सर दवता क

पजा स लाभ भी या यह यमराज तो सर दवता कतड़पत भ को य ही मार डालत ह इन वषम यमराजक भ स ही जीवन मलता ह व सबक सहारक हऔर हम भी उ ह क दया स जी वत ह अब म इसयमपट को दखाकर गाऊ (घमता ह)

श य (दखकर) भ भीतर मत घसोचर अर ा ण यह कसका घर ह

श य यह हमार उपा याय आय चाण य का मकान हचर (हसकर) अर ा ण तब तो यह अपन भाई का ही घर

ह मझ भीतर जान दो ता क त हार उपा याय कोधम पदश द सक

श य ( ोध स) मख त मर ग स भी धम को अ धक जानताह

चर अर ा ण य होत हो सब लोग सारी बात नहजानत अगर कछ त हार ग जानत ह तो कछ हम भीजानत ह

श य ( ोध स) तो या त मख हमार उपा याय क lsquoसब कछ

जानन वालrsquo नाम को मटान आया हचर ा ण य द त हार आचाय सब कछ जानत ह तो या व

यह भी जानत ह क च मा कस अ छा नह लगताश य इस जानन स उ ह मतलब

चर ा ण यह तो व ही जानग क इसस या लाभ ह तमतो सरल ब हो और यही जान सकत हो क कमल कोच अ छा नह लगता होत ह कमल ब त स दर परतकाम उनका होता ह उलटा पण च को दखकर वमरझा जात ह

चाण य (सनकर वगत) अर इसन कहा क म च ग त कावरोध करन वाल को जानता

श य मख या बकार क बात बक रहा हचर ा ण जो मरी बात बलकल ठ क ही हो तो

श य कसचर य द म सनन और समझन वाल मन य को पा सक

चाण य (दखकर) भ सख स वश करो यहा सनन औरजानन वाला मलगा

चर अभी आता ( वश करक पास जा कर) आय कजय

चाण य (दखकर वगत) इतन अ धक काम क कारण यह भीयाद नह आ रहा ह क मन इस य भजा था (सोचकर)हा याद आया इस तो जनता क मनोव का पतालगान भजा गया था ( कट) भ वागत ह बठो

चर जसी आय क आ ा (भ म पर बठता ह)चाण य भ अब बताओ जस लए भज गए थ उसक बार म

या सवाद लाए हो या वषल1 म जनता अनर हचर हा आय आपन जनता क वर क सार कारण मटा

दए ह इस लए उस तो च ग त स ब त नह ह परतनगर म रा स स ब त नह करन वाल तीन ह जोच -वभव को नह सह पात

चाण य ( ोध स) य कहो क व अपन ाण का शरीर म रहनानह सह पात भ उनक नाम का पता ह

चर या बना नाम जान आपस कह सकता चाण य तो कहो

चर आय पहल तो वही भ ह जो आपक वप म हचाण य ( स ता स वगत) पणक हमार व ह ( कट)

या नाम ह उसकाचर जीव स

चाण य तमन यह कस जाना क वह हमार व ह

चर इस लए क उसन रा स- य वषक या पवत र कपास भज द

चाण य ( वगत) जीव स तो हमारा ग तचर ह ( कट) भ सरा कौन ह

चर सरा अमा य रा स का परम म शकटदास काय थ हचाण य ( वगत हसकर) काय थ तो बल व त ह परत श

कसा भी छोटा हो उस कम नह समझना चा हए उसकलए तो मन म बनाकर स ाथक को लगा दया ह( कट) भ तीसरा कौन ह

चर आय तीसरा तो मानो वय सरा रा स ही ह म णयका ापारी च दनदास उसी क घर अपनी ी औरब च को रा स धरोहर क प म रखकर भाग गया ह

चाण य ( वगत) अव य ही गहरी म ता म ही ऐसा हो सकता हवरना या प रवार को वहा रखता ( कट) भ यहतमन कस जाना

चर आय यह अगठ (म ा) आपको बता दगी[म ा दता ह]

चाण य (म ा दखकर रा स का नाम पढ़कर बड़ी स ता सवगत) बस अब रा स मर पज म आ गया ( कट)

भ यह म ा कस मली परी बात कहोचर आय स नए जब आपन मझ नाग रक क मनोव

जानन को भजा तो सर क घर जान स कसी कोकसी तरह का सदह न हो इस लए म इस यमपट कोलकर घमता आ म णकार च दनदास क घर मघसा और वहा यमपट फलाकर मन गाना श कर दया

चाण य फरचर तब लगभग पाच वष का एक ब त सदर बालक

उ सकता स ब चा ही तो था पद क पीछ स बाहरनकलन लगा तब lsquoअर बालक नकल गयाrsquo lsquoबालकनकल गयाrsquo पद क पीछ यह घोर कोलाहल मच उठातब एक ी न थोड़ा-सा मह नकालकर अपनी कोमलबा स बालक को झड़ककर पकड़ लया उस घबराहटम उस ी क हाथ स यह अगठ सरककर दहली क पासगर गई य क यह तो प ष क नाम क ठहरी ी कोबना पता चल ही यह अगठ लढ़ककर मर पास ऐस कगई जस नई हन णाम करक थर हो गई हो इस परअमा य रा स का नाम था सो म इस आय क चरण म

ल आया यही ह इसक मलन क कथाचाण य भ सन लया अब तम जाओ इस प र म का फल

त ह अव य मलगाचर जसी आय क आ ा ( थान)

चाण य शा रवश य ( वश करक) आ ा द उपा याय

चाण य व स दवात और लखन को प 1 लाओश य जसी ग दव क आ ा ( थान करक फर वश)

ग दव यह रह दवात और प चाण य (लकर वगत) या लख इसी प स तो रा स को

जीतना हतहारी ( वश कर) आय क जय

चाण य (सहष वगत) जय श द ल ल ( कट) शोणो र यआई हो

तहारी आय अपन कर-कमल स णाम करत ए दव च ग तआपस नवदन करत ह क म आपक आ ा स दवपवत र का ा आ द करना तथा उनक पहन एआभषण को गणवान ा ण को दना चाहता

चाण य ( स होकर वगत) साध वषल मर ही मन स जससलाह करक तमन यह सदश भजा ह ( कट) शोणो रमरी ओर स वषल स कहना कmdashव स तम ध य होलोक- वहार म तम ब त कशल हो जो तमन न यकया ह उस अव य करो परत पवत र क पहनआभषण कवल गणवान ा ण को ही दन चा हए ऐस

ा ण को भजता जनक गण क परी ा हो चकह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य शा रव श रव मरी ओर स व ावस आ द तीन

भाइय स कहो क व च ग त स आभषण लकर मझसमल

श य जसी ग -आ ा ( थान)चाण य ( वगत) यह जय तो बाद क ह स म जचगी पहल या

लख (सोचकर) समझा ग तचर न मझ बताया ह कल छराज क सना क पाच धान राजा बड़ी ा स

रा स का साथ द रह ह व ह कलत दश का वामीच वमा मलयराज नर सधराज सधषण औरपारसीक नप त मघा जसक पास बड़ी घड़सवार सनाह म इनक नाम लखता अब यह व स य ह क

कवल यमराज क धान लखक च ग त ही अपनी सचीस इनका नाम काट द1 (सोचकर) नह अभी नहलखगा इस बात को छपा ही रहना चा हए ( कट)शा रव श रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य वद पढ़न वाल प डत चाह कतनी भी सावधानी स य

न लख उनक लख अ र साफ नह होत इस लए मरीओर स स ाथक स कहना (कान म कहता ह) lsquo कसीन कसी को कछ लखाrsquo बस लखन वाल का कोई नामन लखवाना शकटदास काय थ स लखवा दना और मरपास ल आना यह कसी स न कहना क इस चाण य नलखवाया ह

श य अ छ बात ह ( थान)चाण य ( वगत) यह लो मलयकत को जीत लया

स ाथक (लख हाथ म लए वश) आय क जय हो आयली जए यह शकटदास क हाथ स लखा लख ह

चाण य (लकर दखकर) अर कतन स दर अ र लखता ह(पढ़कर) भ इस पर महर लगाकर बद कर द

स ाथक जसी आय क आ ा (म त करक) आय कर दयाअब आ ा द या सवा क

चाण य भ कोई ऐसा काम त ह दना चाहता जो वय मरहाथ क यो य ह

स ाथक (सहष) आय क यक य आ आ ा द सवक ततह

चाण य भ सबस पहल सली दन क जगह जाकर वहा कज लाद को दा हनी आख का इशारा करना फर सकतसमझकर भय क बहान स जब व भाग जाए तब वहा सशकटदास को रा स क पास ल जाना उसक म क

ाण बचान क लए उसस काफ इनाम लकर कछ दनवह रहना और अत म श क पास रहत ए यह कामकर डालना (कान म कहता ह) समझ

स ाथक जसी आ ा आयचाण य शा रव शा रव

श य ( वश कर) उपा याय आ ा दचाण य मरी आ ा स कालपा शक और द डपा शक1 स कहो क

वषल क आ ा ह क इस जीव स पणक न रा सक भजी वषक या ारा पवत र को मार डाला ह

इस लए इस यही दोष लगाकर अपमानपवक नगर सबाहर नकाल दो

श य अ छा ग दव (घमता ह)चाण य ठहर व स ठहर इस रा स क म शकटदास को भी

इसी दोष स सली द द जाए वह न य हमारा वरोधकरता ह इसक घर क लोग को बद गह म डाल दयाजाए

श य जसी आ ा ग दव ( थान)चाण य ( चता स वगत) या रा मा रा स अब पकड़ म आ

जाएगास ाथक आय पकड़ लयाचाण य (सहष वगत) रा स को पकड़ लया ( कट) भ

कस पकड़ लयास ाथक मन आय क सदश क त व को पकड़ लया अब

काय स क लए जाता चाण य (महर-लगा लख दकर) भ स ाथक जाओ त हारा

काय सफल होस ाथक जसी आय क आ ा ( णाम करक थान)

श य ( वश कर) उपा याय कालपा शक और द डपा शक नखबर द ह क हम महाराज च ग त क आ ा कापालन अभी करत ह

चाण य स दर व स अब म म णकार च दनदास को दखनाचाहता

श य जसी ग क आ ा[ थान फर च दनदास क साथ वश]इधर आइए 1 इधर

चदनदास ( वगत) नरपराध भी इस क णाहीन चाण य कबलान पर डरता ह फर म तो अपराधी ही ठहरा मन तोतभी धनसन आ द तोन ापा रय स कह दया ह कय द कभी चाण य मर घर क तलाशी लन लग तोवामी अमा य रा स क कट ब को ब पवक कहछपा दना मरा जो हो वह होता रहगा

श य इधर इधरचदनदास आ रहा

[दोन घमत ह ]श य उपा याय य चदनदास आ गए ह

चदनदास (पास आकर) आय क जयश य (अचानक दखकर) वागत इस आसन पर

वराजचदनदास ( णाम कर) या आप नह जानत आय क अन चत

आदर अपमान स भी अ धक ःख दन वाला होता ह मतो अपन लए उ चत इस धरती पर ही बठ जाता

चाण य नह ऐसा नह आपक साथ हमारा ऐसा हीवहार उ चत ह आसन पर ही बठ

चदनदास ( वगत) लगता ह क इसन मर बार म कछ जान लयाह ( कट) जो आ ा (बठता ह)

चाण य या कभी च ग त क दोष जा को पहलराजा क याद दलात ह

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो शरद ऋत कप णमा क च क समान च ग त क ी स सभीअ यत सत ह

चाण य चदनदास य द इतनी ी त ह तो राजा भी अपनी जा सकछ य चाहत ह

चदनदास आ ा द आय हमस कतना धन चाहत हचाण य यह च ग त का रा य ह नदरा य नह ह य क

नद क तो धनलाभ स ही त त हो जाती थी परतच ग त तभी स होत ह जब आप लोग सखी रहतह

चदनदास (सहष) अनगहीत आयचाण य आपन मझस यह नह पछा क वह लश कस र

हो सकता हचदनदास आय ही आ ा दचाण य स प म यही ह क जा को राजा क त वरोधपण

वहार नह करना चा हएचदनदास आय आप ऐसा कस अभाग क बार म कह रह हचाण य सबस पहल आपस ही

चदनदास (कान पर हाथ रखकर) पाप शात हो पाप शात होतनक और आग का वरोध कर

चाण य ऐसा वरोध क आज भी तम राज ोही अमा य रा स ककट ब को अपन घर म छपाए ए हो

चदनदास यह बलकल अस य ह आय कसी अनाय1 न आपसऐसा कहा ह

चाण य डरो मत डर ए परान राजप ष अपन प रवारको अपन परान नगरवासी म क घर छोड़ जाया करतह भल ही व नगरवासी इस न चाहत ह ल कन जानतहो उ ह छपाकर रखन स अत म हा न होती ह

चदनदास बात यह ह क पहल तो मर घर म अमा य रा स काप रवार था

चाण य पहल तो तमन मरी बात को झठ कहा और अब कहत होपहल था या य दोन बात पर पर वरोधी नह ह

चदनदास वह तो मरी वाणी का दोष हचाण य च ग त क रा य म छल क लए थान नह ह

रा स क प रवार को हमार हवाल करो और नद ष होजाओ

चदनदास आय म कहता तो क पहल अमा य रा स का कट बमर घर पर था

चाण य तो अब कहा हचदनदास यह तो पता नह क कहा चला गयाचाण य (म कराकर) पता य नह ह साप सर पर ह

उसस बचन का उपाय ब त र ह और जस नद कोव णग त नhellip (इतना कहकर कछ सकोच स ल जत-सा चप रह जाता ह)

चदनदास ( वगत) यह या मसीबत ह ऊपर मघ का भीषणगजन हो रहा ह या र ह द औष धया तोहमालय पर ह और यहा पर सप सर पर डोल रहा ह

चाण य अमा य रा स च ग त को जड़ स उखाड़ दगा यह मतसमझो दखो जस चचला रा यल मी को नद कजी वत रहन पर नी त म अमा य- व नास भी

थर नह कर सक उसी उ वला लोकहषदा यनी औरन ला रा यल मी को इस च ग त जस च मा सचादनी क तरह कौन अलग कर सकता ह कसम साहसह क सह क मख म लगा मास च च डालकर बाहर ख चल

चदनदास ( वगत) तमन जो कहा सो कया तभी यह आ म शसाभी अ छ लगती ह

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव पता लगाओ क या बात ह

श य जसी आचाय क आ ा ( थान फर वश करक)आचाय महाराज च ग त क आ ा स राज वरोधीजीव स पणक को अपमान करक नगर स नकालाजा रहा ह

चाण य पणक ह-ह-ह राज ोह का फल कौन नह पाएगा चदनदास राजा वरो धय क त ब त कठोर ह

इसी लए मरी अ छ बात को मानकर रा स क प रवार

को सम पत करक ब त दन तक महल क वभव औरसख को भोगो

चदनदास मर घर रा स का प रवार नह ह[नप य म फर कोलाहल]

चाण य शा रव फर पता लगाओ क या बात हश य जसी उपा याय क आ ा (घमकर लौटता ह) उपा याय

यह राजा का वरोधी शकटदास काय थ ह जस राजा ास सली पर चढ़ान को ल जाया जा रहा ह

चाण य अपन कम का फल भोग चदनदास यह राजावरो धय को ब त कड़ा दड दता ह वह आपक इसअपराध को मा नह करगा क आपन रा स क प रवारको छपाया सर क ी-प दकर अपनी और अपनघरवाल क जान बचाओ

चदनदास आय या आप मझ डरात ह य द रा स का प रवारमर घर म होता तब भी म नह स प सकता था फर जबवह ह ही नह तो कहा स

चाण य चदनदास या यही त हारा न य हचदनदास न य यही मरा थर न य हचाण य ( वगत) साध चदनदास साध राजा श व को छोड़कर

त हार बना ऐसा कौन ह जो अपन वाथ क सहजही स हो सकन पर भी पराए को स पन म इतनी ढ़तास नकार सकता हो ( कट) चदनदास यही त हारान य ह

चदनदास जी हाचाण य ( ोध स) रा मा व णक तो राजा क ोध को

भोगोचदनदास (हाथ फलाकर) त पर आय अपन अ धकार क

अनसार काय करचाण य ( ोध स) शा रव मरी आ ा स कालपा शक और

द डपा शक स कहो क व इस रा मा को शी हीपकड़ ल नह ठहरो गपाल और वजयपाल कोआ ा दो क व इसक धन पर अ धकार कर ल जब तकम वषल स नह कहता तब तक इसक ी-प कोपकड़कर बद गह म रख राजा ही इसको ाणदड दगा

श य जसी उपा याय क आ ा इधर आइए इधरचदनदास (उठकर) आय आता ( वगत) सौभा य स म क

काय स मरा वनाश हो रहा ह अपन कसी अ य दोष ककारण नह

[घमकर श य क साथ थान]चाण य (सहष) अहा अब रा स पकड़ा गया जस यह उसक

मसीबत म अपन जीवन का मोह कए बना याग द रहाह वस ही इसक वप म रा स को भी अपन ाणक ममता नह होगी

[नप य म कोलाहल]चाण य शा रव

श य ( वश कर) आ ा द उपा यायचाण य यह कसा शोर ह

श य ( थान कर फर घबराया-सा वश करक) उपा यायव य थान म बध ए शकटदास को लकर स ाथकभाग गया

चाण य ( वगत) ध य स ाथक तमन अपना काम खब कया( कट) या कहा ज़बरद ती उस ल भागा ( ोध स)व स भागरायण स कहो क वह उस शी पकड़

श य ( फर बाहर जाकर स वद लौटकर) उपा याय ःख हक भागरायण भी भाग गया

चाण य ( वगत) काय स क लए जाए ( कट स ोध) व सःख मत करो मरी आ ा स भ भट प षद हगरात

बलग त राजसन रो हता वजय वमा आ द स कहोक व शी ही रा मा भागरायण को पकड़

श य जसी उपा याय क आ ा (बाहर जाकर फर ःख सभरा वश करक) उपा याय ब त बरी खबर ह सारी

जा ाकल ह भ भट आ द भी आज ातः काल हीभाग गए

चाण य ( वगत) सबका माग मगलमय हो ( कट) व स ःख नकरो दखो जो मन म कछ सोचकर चल गए ह व तोगए ही जो यहा ह व भी बशक चल जाए ल कन सबकाम को साधन म अनक सना स भी अ धक शरखन वाली और अपनी म हमा स नद का वनाश करनवाली मरी ब मझ न छोड़ (उठकर आकाश म यक भा त दखकर) अब इन रा मा भ भट आ द कोपकड़ता ( वगत) रा मा रा स अब कहा बचगाम ब त शी ही तझ घर लगा म त और अकल घमनवाल अ यत दानशील और ब त बड़ी सना लकर हमारानाश करन क इ छा रखन वाल ऐ रा स दख लनाजस झड स अलग अकल भटकत ए तालाब को मथ

दन वाल मदम त हाथी को बाध दया जाता ह वस हीअपनी ब क र सी स बाधकर म तझ च ग त कलए अपन वश म क गा

[ थान][पहला अक समा त]

1 ज़हर द दकर बचपन स पाली गई लड़क जसक शरीर म इतना वष हो जाता था कउसक एक चबन स ही आदमी मर जाता था ऐसी वषक याए सदरी होती थ राजा एकसर को मरवान को ऐसी क याए भज दत थ जसक चबन स श मर जात थ

2 साथ पढ़ा आ1 वषलmdashघ टया मान जान वाल य को वषल कहत ह च ग त अ छ ा णधम

य कल का न था वह उन य म था जो ा णधम को मखता नह दत थकत तत नाटक म उस दासी प मानन क कारण ऐसा कहा ह

1 प mdashताड़ का प ा जसपर परान समय म लखा जाता था पर ब त-स लोग इसकागज ही मानत ह उन दन वसा कागज़ था ही नह

1 यानी यह हमन मौत क सची म नाम लख दया1 अफसर1 झठाmdashजो नह ह

सरा अक

[एक सपर का वश]सपरा जो वष क औष ध का योग करना मडल बनाना और

म र ा करना जानता ह वही राजा और साप क सवाकर सकता ह (आकाश क ओर दखकर) आय यापछा तम कौन हो आय म जीण वष नाम का सपरा

( फर ऊपर दखकर) या कहा म भी साप स खलनाचाहता आय बताइए आप या काम करत ह( फर ऊपर दखकर) या कहा राजवश क सवक हतब तो सदा ही साप म खलत रहत ह ग पछत हmdashकस अर बना दवाई जानन वाला सपरा बना अकशलए मदम त हाथी पर चढ़न वाला सवार और अहकारीराजा का सवक इन तीन का तो अव य ही नाश होजाता ह अर चल भी गए बस दखकर ही ( फरआकाश क ओर दखकर) आय या पछत ह आपफर क इन पटा रय म या ह आय मरी जी वका कसाधन साप ह इनम (ऊपर दखकर) या कहत ह आपदखग अ स न ह आपका य दखना उ चत तो नह पर ऐसा ही कौतहल ह तो आइए इस घर म दखा (आकाश क ओर दखकर) या कहत ह क यह अमा यरा स का घर ह यहा हम जस लोग नह घस सकत तोफर आप जाइए जी वका क कपा स यहा मरी प च हअर यह भी गया[चार ओर दखकर (अब स कत1 म)]

( वगत) अर आ य ह चाण य क नी त कसहार खड़ च ग त को दखत ए तो रा स कसब च ाए बकार-सी लगती ह और रा स कब क सहार काम करन वाल मलयकत कोदखकर ऐसा लगता ह क च ग त रा य स हट

जाएगा चाण य क ब क र सी म मौयकलक ल मी को बधा आ दखकर म उस थरमानता पर यह भी दख रहा क रा स कनी त क हाथ उस ख च भी रह ह नदवश करा य- ी इन दोन नी तधरधर म य क झगड़ ककारण बड़ी स द ध-सी अव था म पड़ी ई लगतीह जस अ यत भयानक वन म दो हा थय कलड़ाई क समय बीच म पड़ी ह थनी अ यतभयभीत हो जाती ह वस ही इन दो म य कबीच म रा यल मी आकर ख हो रही ह म अबअमा य रा स क दशन क (इधर-उधर घमकरखड़ा होता ह)

[अकावतार समा त][अपन घर म आसन पर स चव रा स बठ ह सामनअनचर ह रा स चता स भरा ह]

रा स (आस-भर नयन स ऊपर दखकर) हाय कतना क हनी त व म आ द गण क कारण जो सम नदवशश -र हत था उसका नदय भा य क हाथ व ण यादवक भा त सवनाश हो गया कस फर सब लौट सकगायही रात- दन सोचत ए जागत ही बीतत ह पर मरीनी त और य न ऐस नराधार-स लग रह ह जसच फलक क बना कसी च कार क च कला म जोसर का दास बना नी त का योग कर रहा यह न तोवामी क त भ को भलान को न अपन अ ान कलए नह यह मर ाण का भय भी नह न मरी यशक ल सा ही ह म सब कछ कवल इस लए करता कवग य नद क आ मा अपन श क वध स स हो

जाए (आकाश को सा दखकर) भगवती ल मी तमगण नह दखत चचल आन द क कारण राजा नद कोछोड़कर त श मौयप पर य अनर हो गई जसम त हाथी क मरन पर उसक मद क धारा भी सख जातीह त भी राजा नद क साथ ही वन य नह हो गईओ नीचकल पा पनी या कल वाल राजा प वी सउठ गए जो तन इस कलहीन को चन लया ह कास क

रो -सी चचल होती ह य क ब तभी वह प षक गण जानन स वमख रहती ह अरी अ वनीत म तरइस आ य को न करक तर भी मनोरथ को असफलकर गा (सोचकर) नगर स भागत समय मन अ छाकया क अपना प रवार अपन स द म चदनदासक घर छोड़ दया य क रा स उ ोगहीन नह ह औरकसमपर म रहन वाल राजा नद क परान सवक स सबधबना रहगा तो हमारा उ साह भी श थल नह होगाच ग त को जला डालन को मन अनक वषल पदाथआ द शकटदास को दकर उस श - वनाश करन कोनय कया ह हर ण क सचना भजन कोजीव स पणक इ या द को काम म लगाया ह य दकह भा य ही हमार व हो जाए और उसक र ाकरन लग तो और बात ह अ यथा म च ग त क अगको अपनी ब क बाण स बध गा जसको सह-शावक क तरह पाल-पोसकर स तान- मी महाराज नदअपन वश क साथ न हो गए

[कचक का वश]कचक अपनी नी त स जस च ग त मौय स नद का दमन

करवाकर चाण य न उस अ धप त बना दया वस हीबढ़ाप न काम-वासना न करक मझम धम को था पतकया ह अब मलयकत आ द क सहायता स उठ एरा स क भा त लोभ उ तशील च ग त जस धम कोफर जीतना चाहता ह कत अब वह जीत नह सकगा(दखकर) अर यह तो अमा य रा स ह (एक च कर-सालगाकर पास जाकर) यह रहा अमा य रा स का घर

वश क ( वश करक दखकर) अमा य आपकामगल हो

रा स अ भवादन करता आय जाज ल यवदक आपकलए आसन लाओ

प ष ली जए आसन वराज आयकचक (बठकर) अमा य कमार मलयकत न नवदन कया ह

क ब त दन स आपन अपन शरीर का शगार करनाछोड़ दया ह इसस मरा दय ब त ःखी ह म मानता क वामी क गण भलाए नह जा सकत फर भी आपमरी ाथना वीकार कर (आभषण नकालकर

दखाकर) अमा य य आभषण कमार न अपन शरीर सउतारकर भज ह आप इ ह पहन ल

रा स आय जाज ल मरी ओर स कमार स कहना क मनउनक महान गण क कारण वामी क गण भला दए हऔर कहना क ह राजा जब तक श - वनाशकआपका यह सवण सहासन सगाग ासाद तक नहप चा गा तब तक परा महीन श स परा जतउनका तर कार सहन वाल अपन इन अग को त नक भीनह सजाऊगा

कचक यह स य ह अमा य क आप जस नता क रहत एकमार वजयी ह ग ल कन यह उनक म का पहला

वहार ह इस अव य वीकार कररा स आय आपक बात भी कमार क ही भा त टाली नह जा

सकती अ छ बात ह म उनक आ ा मानता कचक (आभषण पहनता ह) आपका मगल हो अब म चलरा स आय अ भवादन वीकार कर

[कचक का थान]रा स यवदक मालम करो क इस समय मझस मलन ार

पर कौन खड़ा हयवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर को दखकर) आय

आप कौन हसपरा भ म जीण वष नामक सपरा अमा य रा स को

साप का खल दखाना चाहता यवदक जरा ठहरो म उनस पछता (रा स क पास जाकर)

सपरा आपको खल दखाना चाहता हरा स (बा आख फड़कन का अ भनय करक वगत) सबस

पहल साप ही का दशन ( कट) यवदक अभी मझसाप का खल दखन क इ छा नह ह इस तम कछ दकरचलता करो

यवदक जसी आय क आ ा (घमकर सपर क पास आकर)भ अमा य त हारा खल बना दख ही स हो गए हअब व उस नह दखना चाहत

सपरा भ तो मरी ओर स उनस क हए क म कवल सपरा हीनह एक ज मजात क व भी और य द आप मझदशन नह करन द सकत तो मर इस प को पढ़कर ही

स ह (प दता ह)यवदक (प लकर रा स क पास जाकर) अमा य वह सपरा

कहता ह क म सपरा ही नह क व भी आप मझ न

बलाए पर मरी क वता पढ़कर स ह रा स (प लकर पढ़ता ह)mdash

नज कौशल स मर कसम समध नकालता ह पीकरउस मध स अ य क होतकाय स इस धरती पर

रा स ( वगत) इसका अथ तो यह ह क कसमपर क खबरलान वाला आपका ग तचर काय इतना अ धक हग तचर भी अनक ह भल-भल जाता अर हा यादआया यह सपरा बना आ तो कसमपर स वराधग तआया होगा ( कट) यवदक यह तो सक व ह इसभीतर ल आ इसस सभा षत सनना चा हए

यवदक जसी आय क आ ा (सपर क पास जाकर) आइएआय

सपरा (भीतर जाकर स कत म वगत) अर य अमा य रा सह इ ह क नी त- नपणता और उ ोग स रा यल मीअभी तक घबरा रही ह उसन अपन बाय कर-कमल कोच ग त मौय क गल म डाल तो दया ह पर अभी मखमोड़ रही ह और दाय हाथ क कध स फसल जान ककारण अभी तक भयभीत-सी उसस गाढ़ आ लगन नहकर पा रही ह ( कट) जय अमा य क जय

रा क (दखकर) अर वराध (इतना कहत ही याद आन पर)यवदक म इनक साप को दखकर मन बहलाता

तम घर क लोग को व ाम कराओ और अपन थान परजाओ

यवदक जसी आय क आ ा (प रवार स हत थान)रा स म वराधग त लो इस आसन पर बठो

वराधग त जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स ( ःख स दखकर) दवपाद-प क सवा करन वाल का

यह हाल ह (रोन लगता ह)वराधग त अमा य शोक न कर आप ज द ही हम परानी अव था

पर फर प चा दगरा स सख वराधग त मझ सनाओ कसमपर क बात कहो

वराधग त अमा य वहा क तो लबी कथा ह आप आ ा द कहास श क

रा स म च ग त क नगर- वश क समय स यह जाननाचाहता क हमन जो वष आ द दन वाल मन य नयकए थ उ ह न या कया

वराधग त स नए कसमपर को चाण य क प पा तय तथा लयक उ ाल सम क तरह शक यवन करात का बोजपारसीक और वा क आ द क नवा सय न घर रखा ह

रा स (घबराहट क साथ श ख चकर) कौन मर रहत एकसमपर को घर सकता ह वरक धनधर को ाचीरपर हर ओर खड़ा करो श क हा थय को कचल दनवाल अपन हा थय को ार पर खड़ा कर दो मरन औरजीन क च ता छोड़कर श - वनाश करन क इ छकप य क त चाहन वाल मर साथ बाहर नकल

वराधग त आवश को छो ड़ए अमा य म कवल वणन कर रहा रा स (सास भरकर) हाय कवल समाचार ह यही तो ःख ह

मन तो समझा था क बस वही समय ह (श रखकरआस-भर नयन स) हा राजा न द ऐस समय पर आपकरा स क त जो ी त थी वह याद आती ह ह राजान द lsquoजहा नील मघ क तरह हा थय क सना चलती हवहा रा स जाए इन अ य त चपल जल क -सीती गामी तरग क सना को रा स रोक मरी आ ा सरा स पदल को न कर दrsquomdashऐसी अनक आ ाए दकरअ यत नह क कारण आप मझ हजार प म दखत थहा वराधग त फर

वराधग त तब चार तरफ स कसमपर क घर जान पर औरनगरवा सय पर घोर अ याचार होता दखकर सरग करा त म परवा सय क सहायता स महाराज सवाथ सको तपोवन भज दया गया वामी क चल जान सस नक न ोग हो गए उ ह न कछ दन क लएजयजयकार रोक दया जा क मन को दखकर जबआप न दरा य लौटा लान क इ छा स भाग आए तबच ग त का वध करन को भजी गई वषक या स जबपवत र मार गएhellip

रा स सख दखो कसा आ य ह जस राधा क प कण नअजन का वध करन को श छोड़ी थी वस ही मन भीच ग त को मारन को वषक या भजी थी ल कन व णक भा त व णग त चाण य का क याण करन क लएजस भगवान क व य घटो कच का उस श स वध होगया था वस ही मरी भजी ए वषक या स पवत र कम य हो गई

वराधग त अमा य यह तो दव का व छाचार ह और कया याजाए

रा स अ छा फरवराधग त तब पता क वध स उ प भय स कमार मलयकत

कसमपर स चल आए और पवतक क भाई वरोचक कोव ास दलाया गया न द-भवन म च ग त क वशक घोषणा कर द गई उस समय रा मा चाण य नकसमपर क बधक को बलाया और कहा कयो त षय क अनसार आज ही आधी रात को च ग त

न द-भवन म वश करग अतः पहल ही ार स भवनको सजाना श कर द उस समय स धार न कहा कमहाराज च दग त भवन म वश करग यह पहल ही ससमझकर श पकार दा वमा न सोन क बदनवार आ दलगाकर राजभवन क ार को सजा दया ह अब भीतरक सजावट बाक ह तब चाण य न सत होकर इसकाअ भनदन कया क दा वमा न बना कह ही महल सजादया ह और कहा क दा वमा तम अपनी कशलता काशी ही फल पाओग

रा स (उ ग स) सख चाण य को सतोष कस हो गया म तोसमझता दा वमा न गलती क उसक ब मोह सभर गई इतना अ धक राज म हो गया क उसन आ ाक भी ती ा नह क इसस तो चाण य क मन म परास दह हो गया होगा हा फर या आ

वराधग त तब ह यार चाण य न सभी श पय और परवा सय कोयह अवगत करा दया क उ चत ल न क अनसार आधीरात को च ग त का न द-भवन म वश होगा फर उसीसमय पवत र क भाई वरोचक को च ग त क साथसहासन पर बठाकर आधी प वी क आध रा य काअ धकारी बना दया

रा स तो या उसन त ा- नवाह कयावराधग त हा बलकल

रा स ( वगत) न य ही उस अ यत धत ा ण न पवत रवधका कलक मटान और जा का व ास ा त करन कलए यह चाल चली ह ( कट) हा फर

वराधग त फर आधी रात को च ग त भवन म वश करगा यहसबम स करक वरोचक का रा या भषक कर दनपर वरोचक को स दर मो तय क ल ड़य स गथ व

पहनाए गए उस र नज टत मकट धारण कराया गयाभीनी-भीनी गध वाली माला क कारण उसकाव थल ऐसा श त लगन लगा क प र चत लोग भीवरोचक को पहचानन म भल कर बठ चाण य क आ ास उस च ग त क च लखा नामक ह थनी परच ग त क सवक क साथ तजी स दव नद क भवन कओर वश करन भजा गया स धार दा वमा न उस हीच ग त समझकर उसी पर गरान क लए ार पर लगव को ठ क कर लया अनयायी बाहर ही क गएउस समय च ग त क महावत बबरक न जस आपनवहा नय कया था सोन क जजीर वाली सोन कय को इस इ छा स पकड़ लया क वह छपी ईतलवार को सोन क यान स बाहर ख च सक

रा स दोन न ही गलत जगह पर काम कया फरवराधग त ह थनी को जब जाघ म चोट लगी तो वह सरी तरफ

भागन को ई एकदम जो जजीर खची तो ार गर पड़ाऔर बबरक का नशाना भी चक गया वह गर ार सटकराकर मर गया उधर दा वमा न ार गर जान सअपनी मौत न त समझकर ज द स ऊपरी ह स परचढ़कर लोह क क ल को य म घमाकर ार को परागरा दया जसस ह थनी पर बठा आ वराचक मर गया

रा स हाय दोन अ न एकसाथ हो गए च ग त मरा नह ब क मर गए वरोचक और बबरक (आवग स वगत)व दो नह मर दव न हम मारा ह ( कट) स धारदा वमा अब कहा ह

वराधग त वरोचक क अनया यय न उस प थर मार-मारकर मारडाला

रा स (आख म आस भरकर) अ त दा ण आज हम परमम दा वमा स भी बछड़ गए तब जो व मन वहानय कया था उस व अभयद न या कया

वराधग त सब कछ अमा यरा स ( स ता स) मारा गया रा मा च ग त

वराधग त नह अमा य भा य स बच गयारा स ( ःख स) फर इतन स त -स या कहत हो क सब

कछ कयावराधग त अमा य उसन च ग त क लए एक चण बनाया

चाण य न सोन क पा म रखकर उसक परी ा क

उसका रग बदल गया तब उसन च ग त स कहा ldquoवषल यह वषली औष ध ह मत लनाrdquo

रा स वह बड़ा ा ण ह अब वह व कहा हवराधग त उस वही दवा पला द और वह मार डाला गया

रा स ( ःख स) हाय एक महान व ा नक उठ गया भ च ग त क सोन क को म अ धकारी मोदक कोरखा था न उसका या आ

वराधग त वनाशरा स (उ ग स) वह कस

वराधग त आपन उस मख को जो धन दया था वह उसन बरी तरहखच करना श कर दया चाण य न पछा क त हारपास इतना धन कहा स आया उ ट-सीध जवाब द गयाऔर पकड़ा गया और तब उस चाण य क आ ा स बड़ीही यातनाए दकर मार डाला गया

रा स (घबराकर) हाय भा य स हम यहा भी मार गए अ छावह जो राजा क महल म नीच क सरग म सोत एच ग त पर हमला करन को बीभ सक आ द को नयकया था उनका या आ

वराधग त अमा य उनका समाचार बड़ा डरावना हरा स (आवश स) या भयानक बात ह या चाण य को

उनका पता चल गयावराधग त जी हा

रा स कसवराधग त च ग त स पहल चाण य न शयन-क म वश करत

ही चार ओर दखा वहा द वार क छद म स मह म भातक टकड़ लए च टया नकल रही थ इसक नीच पकाचावल ह तो अव य आदमी ह ग यह सोचकर चाण य नउस क को ही जलवा दया तब धआ भर गया औरपहल स ही दरवाज आ द ब द कए बठ बीभ सक आ दमार गए

रा स (आस-भर नयन स) म दखो च ग त क भा य कबलता स हमार सब आदमी मार गए (सोचकर चता

स) म रा मा च ग त का भा य ऐसा बल ह जोवषक या मन उस मारन भजी थी वह दवयोग सपवत र क म य का कारण हो गई जो आध रा य काभागी थी जनको वष आ द दन को नय कया था वउ ह य य स मार दए गए मरी सारी चाल च ग तका क याण करन वाली ही बन ग

वराधग त पर श आ काम तो बीच म नह छोड़ना चा हए नीचतो काम का ारभ ही नह करत म यम णी क लोगव न आन पर उस छोड़ दत ह पर आप जस उ म णीक प ष तो वरोध क बार-बार आन पर भी काम अधरानह छोड़त या शषनाग को प वी धारण करन म कनह होता फर भी व प वी को सर स फक तो नहदत या सय को इतना च कर लगान म थकान नहआती फर भी व कब चप बठत ह जन वीकारकए ए काय को छोड़न म ल जा का अनभव करत हय क जो काम उठा लया उस परा करना ही स जन

का कल-पर परागत कत हरा स म यह तो खर ह ही कौन छोड़ता ह हा आग या

आवराधग त तब स चाण य न च ग त क शरीर-र ा म अ य धक

सतक होकर आपक ग तचर को अनथ क जड़समझकर कसमपर म पकड़ लया

रा स (घबराकर) म कौन-कौन पकड़ा गया बताओ मझबताओ

वराधग त अमा य सबस पहल तो जीव स णपक कोअपमा नत करक नगर स नकाल दया गया

रा स ( वगत) खर यह तो स ह वह तो वरागी था कहकसी थान स नकाल जान पर उस पीड़ा नह होगी( कट) पर त म उसका अपराध या बताया गया

वराधग त दोष यह लगाया गया क इसी न रा स क नयक ई वषक या स पवत र को मरवा दया

रा स ( वगत) ध य कौ ट य ध य अपन पर स कलकहटाकर हम पर थोप दया आधा रा य पान कअ धकारी को भी न कर दया तम ध य हो त हारीनी त का एक ही बीज ऐसा फल दता ह ( कट) हाफर

वराधग त फर शकटदास पर यह दोष लगाया गया क इसनच ग त को मारन को दा वमा आ द को नय कयाथा उस इसी लए सली द द गई

रा स (रोकर) हाय म शकटदास त हारी ऐसी मौत तो ब तही अन चत ई पर तम वामी क लए मर हो फर याशोक क शोचनीय तो हम ह जो न दवश क वन होजान पर भी जी वत रहना चाहत ह

वराधग त पर त आप वामी का लाभ ही तो कर रह हरा स म मझ-सा कत न कौन होगा जो परलोकवासी

महाराज का अनगमन न कर सका अब जीना तो नहचाहता पर इस लए जी रहा क उनका काय परा हो

वराधग त हा अमा य य न कह वामी का काय हो इसी लए जीतह

रा स म अब और म क बार म कहो सब सनन को त पर

वराधग त जब यह समाचार मला तब च दनदास न आपका प रवारसरी जगह भज दया

रा स यह तो च दनदास न उस र चाण य क व काय करदया

वराधग त य क म स ोह अन चत होता ह अमा यरा स अ छा तब

वराधग त जब मागन पर भी उसन आपका प रवार उसक हवाल नकया तो उस चाण य नhellip

रा स (उ ग स) उस मार डालावराधग त अमा य मारा नह उसक सप छ नकर ी-प

स हत बद गह म डाल दयारा स यह भी या ऐस खश होकर कहन क बात ह क रा स

का प रवार सरी जगह भज दया अर य कहो कउसन तो रा स को बाध लया[पदा हटाकर एक प ष का वश]

प ष आय क जय आय शकटदास ार पर उप थत हरा स यवदक या यह सच ह

यवदक या म अमा य स झठ कह सकता रा स सख वराधग त यह या बात ह

वराधग त हो सकता ह अमा य दव भा यशाली क र ा करता हरा स यवदक यह बात ह तो दर य करता ह ज द स

उ ह ल आयवदक जसी अमा य क आ ा ( थान)

[ स ाथक पीछ ह आग शकटदासmdash वश करत ह]शकटदास (दखकर वगत) प वी म मौय क त त पद क तरह

गाड़ी ई थर सली को दखकर दय को वद ण करनवाली च ग त क रा यल मी क भा त उस व यमालाको पहनकर तथा वामी क म य क कारण कान कोफाड़न वाल नगाड़ क आवाज सनकर भी न जान यअभी तक मरा दय नह फट गया (रा स को दखकरसहष) य अमा य रा स बठ ह न द क ीण होन पर भी

इनक भ ीण नह ई प वी क सार वा मभ मयही परम ह (पास जाकर) अमा य क जय

रा स (दखकर सहष) सख शकटदास चाण य क हाथ पकड़जान पर भी तम बचकर आ गए हो आओ मर गल सलग जाओ

[गल मलत ह]रा स (आ लगन कर) यहा बठो

शकटदास जसी अमा य क आ ा (बठता ह)रा स म शकटदास आ खर ऐसी हष क बात ई कस

शकटदास ( स ाथक को दखाकर) य म स ाथक न सलीदन वाल व धक को भगाकर मझ बचाया और व मझयहा लाए ह

रा स ( स ता स) भ स ाथक जो तमन कया ह उसकसामन तो य पदाथ कछ भी नह फर भी वीकार करो(अपन शरीर क आभषण उतारकर दता ह)

स ाथक (लकर पाव छकर वगत) यही आय का उपदश था यहीक गा ( कट) अमा य म यहा नया-नया ही आया कसी को जानता नह क इस उसक पास रखकरन त हो जाऊ इस लए आप इस अगठ स इस परम ा लगाकर अपन ही भ डार म रख जब आव यकताहोगी ल लगा

रा स अ छ बात ह यही सही यही करो शकटदासशकटदास जसी आपक आ ा (म ा दखकर धीर स) इस पर तो

आपका नाम लखा हरा स (दखकर ःख स सोचत ए वगत) सचमच घर स

आत समय ा णी न अपनी उ क ठा को सा वना दनको मरी उगली स यह अगठ ल ली थी पर यह इसकपास कस आई ( कट) भ स ाथक यह अगठ त हकहा मली

स ाथक अमा य कसमपर म च दनदास नाम का कोई म णकारह उसक ार पर मझ पड़ी मली थी

रा स हो सकता हस ाथक या हो सकता ह अमा य

रा स यही क बना ध नक क घर भला ऐसी व त और कहामल सकती ह

शकटदास म स ाथक यह म ा अमा य क नाम क ह अमा यत ह काफ धन दग इस लए यह इ ह ही द दो

स ाथक आय यह तो मर लए बड़ी स ता क बात ह क

अमा य ही इस ल रह ह (म ा दता ह)रा स म शकटदास अब इसी म ा स सब काम-काज चलाया

करोशकटदास अमा य म कछ नवदन करना चाहता

रा स न त होकर कहोस ाथक यह तो अमा य जानत ह क चाण य का अ य

करक अब पाट लप म वश करना मर लए स भवनह रहा इसी स अब म आपक चरण क सवा करता

आ यह रहना चाहता रा स भ यह तो बड़ी स ता क बात ह त हारी बात

सनकर तो मझ कहन क भी ज रत नह रही यह रहोस ाथक (सहष) अनगहीत आ

रा स म शकटदास स ाथक क आराम का बध करोशकटदास जसी अमा य क आ ा

[ स ाथक क साथ थान]रा स म वराधग त अब कसमपर क बाक बात भी सना

डालो या कसमपर क जा च ग त स हमार सघषको चाहती ह

वराधग त अमा य य नह चाहती वह तो अपन राजा और म ीक पीछ चलती ह

रा स म इसका कारणवराधग त अमा य बात यह ह क मलयकत क नकल जान स

च ग त न चाण य को चढ़ा दया ह चाण य भी अपनको वजयी समझन क कारण उसक आ ा काउ लघन करक उसको खी कर रहा ह यह तो म जानता

रा स ( स ता स) सख वराधग त तो तम फर सपर क वश

म कसमपर लौट जाओ वहा मरा म तनकलश रहताह उसस मरी ओर स कहना क जब चाण य राजा ाका उ लघन कया कर तब तम च ग त क उ जना-भरगीत स त त कया करना फर जो सदश हो करभकक ारा प चाना मर पास

वराधग त जसी अमा य क आ ा ( थान)प ष ( वश कर) अमा य शकटदास नवदन करत ह क तीन

आभषण बकन को आए ह आप उ ह दख लरा स (दखकर वगत) अर बड़ क मती ह ( कट) भ

शकटदास स कहो क ापा रय को पर दाम चकाकरखरीद ल

प ष जसी अमा य क आ ा ( थान)रा स ( वगत) तो म भी अब करभक को कसमपर भज

या रा मा चाण य और च ग त म फट पड़ सकगीय नह सब काम ठ क होगा च ग त अपन ताप स

राजा का शासक ह और चाण य को इसी का गव हक यह मरी नी त और सहायता स महाराजा आ हदोन का काम तो हो चका एक को रा य मला सरक त ा पण ई अब अपनी-अपनी अह म यता हीदोन को अलग करक रहगी

[ थान]( सरा अक समा त)

1 मल म पहल वह जनभाषा म बोलता ह अब स कत म श करता ह

तीसरा अक

[कचक का वश]कचक अरी त ण जन इ य क सहायता स तन इतनी

त ा पाई थी अब व ही असमथ हो गई ह तरआ ाकारी अग अब श थल हो गए ह जब बढ़ाप न तरसर पर भी पाव धर दया तब त य थ मतवाली होरही ह (घमकर आकाश दखकर) अर सगाग ासाद मनय प षो वनामध य दव च ग त क आ ा ह कव कसमपर को कौमद -महो सव क समय रमणीयतरदखना चाहत ह इस लए उनक दशन क यो य सगाग

ासाद का ऊपर का भाग सजाया जाए अर दर यकर रह हो (आकाश क ओर दख-सनकर) या कहाआय या दव च ग त कौमद -महो सव को रोक दयाजाना नह जानत अर अभागो त ह इस सबस या

य अपनी जान भारी कए हो पणच क करणजस चवर माला स सज त भ और धपग धतआवास स सब कछ स दर बना दो ब त दन ससहासन का बोझ ढोन स थक ई धरती को सग धतफल और च दन क जल स स चो (आकाश क ओरदखकर) या कहा म शी ता कर रहा अर भ ोज द करो दव च ग त आन ही वाल ह वषम पथ मभी अ वचल रहत ए अनक म य क साथ दव न द नजस महान प वी का भार धारण कया था उसी को नईअव था म धारण करक दव च ग त खद का अनभव तोकरत ह पर त ःखी नह होत

[नप य स-lsquoइधर दव इस ओरrsquo][राजा और तहारी का वश]

राजा ( वगत) जा क र ा म लग राजा क लए तो यह रा यअसल म अस तोष का थान ह वह सदा सर क कामलगा रहता ह उसको कोई वत ता नह रहती और जो

सर का काम नह करता वह असल म राजा ही नहह और अपन स यादा जो और क च ता करता हवह राजा वत कहा ह परत मन य भी या सखका अनभव कर सकता ह थर च रहन वाल कलए भी रा यल मी क आराधना क ठन ह न यहअ य त कठोर- दय राजा क पास रहती ह न अपमान कडर स कमजोर राजा क पास ही यह मख स षकरती ह और अ य त प डत राजा स भी इस नहनह ह शरवीर स अ धक डरती ह और कमज़ोर कहसी उड़ाती ह मौका पाकर बदलन वाली व या कभा त इस रा य ी का सवन अ य त क ठनाई स होता हऔर अब आय चाण य का उपदश ह क बनावट लड़ाईकरक म कछ दन उनस वत वहार क मन तोइस पाप समझकर वीकार कया ह म तो नर तर आयक आ ा स प व ब रहता भल ही परत सहीअ छ काम करन वाल श य को ग नह रोकत परजब वह म ती म रा त स गजर रह होत ह तो ग अकशबनकर उस राह पर लात ह हम वनयशील ह तभीवत ह यही कारण ह क हम वसी वत ता नह

चाहत ( कट) आय वहीनर सगाग ासाद का मागदखाओ

कचक महाराज इधर स आए[राजा घमता ह]

कचक (घमकर) यह सगाग ासाद ह आय धीर-धीर आराम-आराम स इसम चढ़ चल

राजा (चढ़त ए दशाए दखकर) आह शरत काल म दशाएकसी स दर हो गई ह रतीली भ म जस त मघ सदशाए कतनी व छ और शा त लगती ह सारस ककार स गजती रात म तार स भरी दस दशाए आकाश

म नद जसी बही जा रही ह अब उ छखल जल- वाहवाभा वक हो गए ह धान लद गए ह और उ वष क

भा त शरद ऋत मोर का गव मटाती जगत को मानोवनय का पाठ पढ़ा रही ह जस र त-कथा म चतर ती

य क अपराध स क पत एव च ता स बल ना यकाको माग बताकर यतम क पास पहचा दती ह वस हीअ य त वषा स म लन और अब ीण हो गई-सी गगा को

यह शरद ऋत स ध क पास ल जा रही ह (चार ओरदखकर) अर या कौमद -महो सव आर भ नह आ

कचक हा दव दव क आ ा स घोषणा तो कर द गई थीराजा आय तो या मरी आ ा का नाग रक न पालन नह

कयाकचक (कान पर हाथ रखकर) दव पाप शा त हो पाप शा त

हो प वी पर आपका अखड शासन ह नगर- नवासीया उ लघन करग

राजा आय वहीनर तो कसमपर म कौमद -महो सव य नहहो रहा ह बात म कशल धत स अनगत व याए सघनजघा क भार स म द-म द चलती ई माग क शोभाकहा बढ़ा रही ह और अपन-अपन वभव क त पधाकरन वाल धनी लोग अपनी यतमा क साथ कौमद -महो सव य नह मना रह ह

कचक नह कर रह दवराजा पर य

कचक दव बात यह हhellipराजा प कहो आय

कचक दव कौमद -महो सव का नषष कया गया हराजा ( ोध स) कसन कया

कचक दव इसस अ धक कहन क मझम साम य नह हराजा तो या कह आचाय चाण य ही न जा क दखन यो य

इस मनोहर उ सव को तो नह रोक दयाकचक दव क शासन का उ लघन और कौन जी वत रहन क

इ छा करन वाला कर सकता हराजा शोणो र म बठना चाहता तहार दव यह आसन ह बठ दवराजा (बठकर) आय वहीनर म आय चाण य को दखना

चाहता कचक जसी आय क आ ा ( थान)

[अपन घर म आसन पर बठ ए ोध म और चता मचाण य का वश]

चाण य ( वगत) अर रा मा रा स मझस य पधा करता हजस अपमा नत चाण य न कसमपर स सप कभा त बाहर रहकर ही न द का वनाश करक मौय कोनप त बना दया वस ही रा स भी अपन बार म सोचरहा ह क वह बाहर रहकर ही च ग त क रा य ी कोछ न लगा (आकाश म य क भा त दखकर) रा स

रा स इस कर काय म हाथ लगान स क जाओराजा न द तो बर म य क ारा राजकाज सभाल जानक कारण अहकारी हो गया था च ग त वसा कहा हऔर न त ही चाण य ह मरी बराबरी करना ही त हारीसबस बड़ी श ता ह (सोचकर) मझ इस बार म अ धकखद नह करना चा हए मर ग तचर पवत र क पमलयकत को बस म कर ही लग स ाथक आ द भीकाम म लग ह इस समय कसी बहान स च ग त सकलह करक भद-नी त क कौशल स रा स को श मलयकत स अलग कर

कचक ( वश कर) सवा का ही नाम क ह पहल तो राजा सडरो फर म ी स फर राजा क य म स और तबराजा क ासाद म साद- ा त वट स उदरप त कलए जहा द नता स मह ऊपर उठाकर गड़ गड़ाकरबोलना पड़ता ह ऐसी त छ बना दन वाली सवा कोव ान न ठ क ही lsquoक क जी वकाrsquo कहा ह (घमकरदखकर) आय चाण य का ही तो घर ह म वश क ( वश करक दखकर) अहा राजा धराज क म ी क घरका कसा वभव ह एक ओर क ड को फोड़न क लएप थर का टकड़ा पड़ा ह और इधर यह चा रय सलाई ई कशा का ढर ह सखती स मधा स दब एछ ज वाला टट -फट द वार स सशो भत कसा घर हठ क ह तभी तो यह दव च ग त को वषल कहत हस यवाद भी जब द न बनकर नर तर गणहीन राजा कत त करत ह तब व त णा क ही मार ए होत ह पर जोनरीह- नः पह ह उ ह तो वामी भी तनक जसा दखाईपड़ता ह (दखकर भय स) आय चाण य बठ ह इ ह नम य को तर कत कर दया एक ही समय न द काअ त और च ग त का उदय कर दया य तो अपन तजस उस सह र म सय को भी परा जत कर रह ह जोलोकालोक पवत को तपाकर म स शीत और उ णता

दान करता ह1 (घटन क बल भ म पर बठकर णामकरक) आय क जय

चाण य (दखकर) वहीनर कस आएकचक आय शी तर णाम करत ए राजा क मकट-म ण

क भा स पील सनहल-स चरण वाल वनाध य दव

च ग त सर झकाकर नवदन करत ह क य दआव यक काय म कसी कार क बाधा न हो तो आयको दखना चाहता

चाण य वषल मझ दखना चाहता ह वहीनर कह मन जोकौमद -महो सव का नषध कया ह वह वषल न सन तोनह लया

कचक हा आय सन लया हचाण य ( ोध स) कसन कहाकचक (डरकर) आय स ह वय सगाग ासाद क शखर

पर गए दव न ही दखा क कसमपर म कोई उ सव नहहो रहा था

चाण य अब म समझा त ह लोग न मरी अनप था त म वषलको भड़काकर कर दया ह[कचक भयभीत-सा सर झकाए खड़ा रहता ह]

चाण य ओह राजा क प रजन को चाण य स इतना ष ह हाअब वषल कहा ह

कचक (भय स) आय सगाग ासाद म आए ए दव न ही मझआय क चरण म भजा ह

चाण य (उठकर) कचक चलो ासाद चलोकचक च लए आय

[घमत ह]कचक ली जए सगाग ासाद आ गया आय ऊपर चढ़-आराम

सचाण य (चढ़कर स ता स दखकर वगत) ओह सहासन पर

वषल बठा ह ध य ध य जनका वभव कबर को भीअपमा नत करता था उन न द स म यह सहासनराजराज वषल जस यो य राजा स सशो भत ह यह सबमझ अ य त सख द रहा ह (पास जाकर) वषल कजय

राजा ( सहासन स उठकर चाण य क पाव पकड़कर) आयच ग त णाम करता ह

चाण य (हाथ पकड़कर) उठो व स उठो जा वी क धारा सशीतल हमालय स लकर रग- बरगी र न भा स शो भतद ण सम तक क राजा भयभीत और नत शर-सत हार चरण क नख को अपन र नज टत मकट कम ण- भात स सदव स दर बनात रह

राजा आय क साद क ताप स इसका अनभव ा त करता बठ आय]

[दोन यथायो य आसन पर बठत ह]चाण य वषल हम य बलाया गया ह

राजा आय क दशन स अपन को अनगहीत करनचाण य (म कराकर) इस न ता को रहन दो वषल अ धकारी

कायक ा को वामी थ ही नह बलात योजनबताओ

राजा आय आपन कौमद -महो सव रोकन म या फल दखाह

चाण य (म कराकर) तो वषल न हम ताना मारन को बलाया हराजा नही आय उपाल भ को नह

चाण य तो फरराजा नवदन करन

चाण य वषल य द यही बात ह तो श य ग क आ ा कापालन कर

राजा इसम या स दह ह आय पर त कभी आय कोई बातबना कोई कारण नह करत यही पछता

चाण य वषल ठ क समझ गए व म भी चाण य कोई बातथ नह करता

राजा तो आय वह योजन मझ बताए इ छा पछन क रणादती ह

चाण य वषल सनो अथशा कार न तीन कार क स यका वणन कया हmdashराजा क अधीन रहन वाली म ी कअधीन रहन वाली और दोन क अधीन रहन वाली यहम ी क अधीन रहन वाली स ह इसस त ह यालाभ होगा हमारा काम ह हम नय ह हम ही जानतह[राजा ोध स मह फर लता ह उस समय नप य स दोवता लक क वता सनात ह]

एक वता लक कौमद -सी त म ड क गल म माल पहनकास कसम -स गगन को भ म-सी उ वल बनातीच मा क र मय स मघ-स नील गहनतमगज-अ जन को रग रही-सी जगमगातीअ हास- नरत सदा शव-सी शरद ऋत यह सहानीराजहस स सशो भत अब कर पीड़ा अजानीर कर द लश य सार त हार पशा ल न

नमला क याण भर द सख नरत भर द सहा स नऔर

जो फन पर शीश धर कर सो रह थवह स व तत शषश या यागन कोखोलत त काल अपन य नयन हव ण अपनी न द स उठ जागन कोअलस अगड़ाई सजल जसको गई करर नम णय क भा न च धया द जो न मत कर

वह ह र क कर र ा त हारीह यही शभ कामना मन म हमारी

सरा वता लक वय वधाता न ही जग मकसी महत अ नवचनीय र-कारण स नमाण कया हह नर जय ाघनीय रतम मद गज यथ को करतवश म सतत परा जत करतसावभौम शासक महान होवीर म नर-पगव लगतअतल परा म फल रहा हसबपर छाया आ ात रकौन सह क दाड़ उखाड़कौन हो उठ भला ात रतम न सहोग नज आ ा काउ लघन ह श वनाशीसदा रह यह जयमय वभवग रमा रह सदा बन दासी

औरजान कतन ही शरीर परअलकार धारण करत हपर या आभषण-धारण सहर कोई वामी बनता हतम जस म हमाव त वीर हीअपनी ग रमा स रहत हmdash

जनका श द न टल एक भीउनको जग वामी कहता ह

चाण य (सनकर वगत) ारभ म तो दवता- वशष क त तकरक शरद ऋत का वणन करत ए एक आशीवाद थापर त सर न या कहा समझ म ठ क नह बठता(सोचकर) ओह समझा यह रा स का ही योग ह अररा मा रा स म तझ दख रहा कौ ट य जाग क ह

राजा आय वहीनर इन वता लक को एक लाख सवण1

दलवा दोकचक जसी दव क आ ा

[उठकर चलता ह]चाण य ( ोध स) वहीनर ठहर क जा वषल इस अन चत

थान म इतना धन य य कर रह होराजा ऐस जो हर तरह आप मरी इ छा म कावट डालग तो

यह मर लए रा य या ह ब धन हचाण य वषल जो राजा वत नह होत उनम य दोष होत ह

य द तम सहन नह करत तो वय अपना रा य चलाओराजा म वय अपना काम कर लगा

चाण य ब त अ छा ह हमार लए हम भी अपन काम म लगगराजा यही बात ह तो मझ कौमद -महो सव रोकन का कारण

बता दया जाएचाण य और म भी यह सनना चाहता वषल क उस मनान स

या लाभ थाराजा सबस पहल तो मरी आ ा का पालन था

चाण य उसीका उ लघन करना तो मरा सबस पहला योजन थावषल सनना चाहत हो य तमाल क नई क पल क-स काल कनार वाल और अ य त भयानक मगरम छ सउठाई ई तरग स भर चार सम क पार स आए एराजागण माला क तरह त हारी आ ा को जो सर परधारण कया करत ह वह आ ा भी मर ही कारण त हारइस वा म व को थत कए ए ह

राजा और सरा या हचाण य वह भी कहता

राजा क हएचाण य शोणो र शोणो र मरी आ ा स अचलद काय थ स

कहो क उन भ भट आ द का लखा प द जो च ग तस नह न रखकर मलयकत-आ त हो गए ह

तहारी जसी आय क आ ा ( थान फर वश कर) आय

यह रहा प चाण य (लकर) वषल सनो

राजा मरा यान लगा हचाण य (पढ़ता ह) ldquoक याण हो वनामध य दव च ग त क

साथ उ थान करन वाल व लोग जो नगर स भागकर अबमलयकत क आ त हो गए ह यह उ ह धान प षका माणप ह इसम गजा य भ भट अ ा यप षद धान ारपाल च भान का भाजा हगरातदव का वजन बलग त दव क बा याव था का सवकराजसन सनानायक सहबल का अनज भागरायणमालवराज का प लो हता और यगण म म यतमवजयवमा ह ( वगत) हम दव का काय ही कर रह हrdquo( कट) यही प ह

राजा आय इन सबको मझस अनराग य नह रहा यहीजानना चाहता

चाण य सनो वषल य जो गजा य भ भट और अ ा यप षद थ य दोन ी म और मगया म लग रहन ककारण हाथी और घोड़ क ठ क स दखभाल नह करतथ तभी मन इ ह पद यत कर दया जी वका न रहन परय लोग भाग गए और मलयकत क यहा जाकर इ हकाम म लग गए य जो हगरात और बलग त ह अ य तलोभी ह और हमार दए धन को कम समझकर और यहसोचकर क वहा यादा मलगा मलयकत स जा मलऔर त हारा बचपन का सवक राजसन तो इस लए भागगया क उस यह शका हो गई क त हार अन ह स जोउस आव यकता स अ धक हाथी घोड़ कोष मल थ वकह छ न न लए जाए सनाप त सहबल का अनजभागरायण पवतक का म था उसी न मलयकत कोएकात म डराया था क चाण य न ही उसक पतापवत र को मारा उसी क कारण मलयकत भाग गयाजब त हार वरोधी च दनदास आ द पकड़ गए तब उसडर हो गया क कह उसका दोष कट न हो जाए वहभी मलयकत क आ य म चला गया मलयकत न उसअपना जीवन-र क समझकर कत ता दखाकर अपनाम ी बना लया लो हता और वजय वमा अ य तअहकारी थ जो धन तमन उनक स ब धय को दया

उस व न सहकर उधर चल गए यही ह न इन सबकवरा य का कारण

राजा क त आय जब आप सबक उदासीनता का कारणजानत थ तब आपन उसका नराकरण करन का य न

य नह कयाचाण य य क इसक आव यकता नह थी यह उ चत नह था

राजा या असाम य क कारण या कोई और बात थीचाण य असाम य कसी सबका कारण था

राजा पछ सकता चाण य वषल सनो और समझो

राजा दोन काम कर रहा आय क हएचाण य वषल जब जा म अनराग नह रहता तो उसको साधन

क दो तरीक होत ह-अन ह या न ह या दया का अथथा क म भ भट और प षद को फर उनक पद परनय कर दता और व सनी अ धकार पाकर साररा य क हाथी-घोड़ को न कर डालत सारा रा यपाकर भी जो सत नह होत ऐस लोभी हगरात औरबलग त पर म दया करता धन-जीवन क नाश-भय सचचल राजसन और भागरायण पर दया कस क जातीउ ह न अवसर ही कब दया और जो अपन स ब धयक धन को न सह सक उन अहकारी लो हता औरवजय वमा स अन ह कस कया जाता इस लए मनन ह अपनाया पर अभी-अभी नद का वभव ा तकरन वाल हम लोग य द धान सहायक प ष को कठोरद ड स पी ड़त करत तो नद वश म अभी तक नह रखनवाली जा हमारा वरोध करती इस लए मन न ह भीछोड़ दया इस समय हमार सवक को आ य दन वालापता क म य स मलयकत रा स क नी त स रत होकर वशाल ल छ सना क साथ हम पर

आ मण करन को आन वाला ह यह प षाथ का समयह या उ सव मनान का जब ग क तयारी आव यक होतब कौमद महो सव स या लाभ होगा इसी लए मनइसका नषध कया

राजा आय इस बार म तो अभी ब त कछ पछन यो य हचाण य वषल व त होकर पछो मझ भी इस बार म ब त

कछ कहना हराजा तो कह म पछता

चाण य अ छा म भी कहता राजा जो हमारी हा न क जड़ ह उस मलयकत को भागत

समय य उप ा करक छोड़ दया गयाचाण य वषल य द उप ा न क जाती तो दो ही तरीक थ या तो

उस पकड़ा जाता या उस पर दया क जाती दया करनस तो पहल स त ा कया आ आधा रा य दनापड़ता और द ड म हम यह कलक भी वीकार करनाही पड़ता क हम न पवतक को कत नतापवक मरवाडाला और त ा कया आ आधा रा य दकर भी तोयही होता क पवतक क ह या कवल कत नता-मा हीफ लत होती इसी लए मन भागत ए मलयकत कउप ा कर द

राजा यह ह उ र आपका ल कन इसी नगर म रहत रा स कउप ा य क इसक लए आपक पास या उ र ह

चाण य रा स आपन वामी का ब त ही भ था वह ब तदन स अमा य था न द क शीलपरायण जा कोउसपर व ास था वह ब उ साह सहायक औरकोषबल स इसी नगर म रहता आ एक भयानकआत रक व ोह फला दता र रहन पर वह बाहर स

ोध उ प अव य करगा पर उसका तकार असा यनह होगा यही सोचकर मन उस भी भागत दखकरउप ा कर द

राजा जब वह यह था तभी य न उपाय स उस वश म करलया गया

चाण य यह कस स भव था उपाय स ही तो हमन उस छाती मगड़ शल को र कर दया और र करन का कारण भीबता दया

राजा आय या उस बलपवक नह पकड़ा जा सकता थाचाण य वषल य द तम उस बलपवक पकड़त तो वह वय मर

जाता या त हारी सना को मार दता दोन ही थ तयाअन चत थ आ मण क समय य द वह मारा जाता तोवसा अलौ कक फर न मलता वषल हम सदाक लए उसस व चत रह जात य द वह त हारी सना कोन कर दता तो या कम ःख क बात थी वह तोजगली हाथी क समान ही तरह-तरह क कौशल स पकड़ाजाए यही उ चत ह

राजा आपको ब स हम नह जीत सकत अमा य रा स ही

सवथा शसनीय हचाण य ( ोध स) क य गए वा य परा करो क lsquoआप नह

हrsquo क त वषल यह भी मत समझो उसन कया हीया ह

राजा य द आप नह जानत तो स नए वह महा मा हमार जीतनगर म ही हमार कठ पर पाव रखकर अपनी इ छा सरहता रहा जब सना का जय-जयकार आ द आ तबउसन काम म बाधा डाली हमको अपनी नी त कचतरता स उसन ऐसा मो हत कर दया क हम अब अपनही व सनीय जन म व ास नह होता

चाण य (हसकर) वषल यह सब रा स न कयाराजा और या यह अमा य रा स का ही काम ह

चाण य वषल मझ तो ऐसा लगा जस उसन नद क ही तरह त हउखाड़कर मलयकत को सहासन पर बठा दया हो

राजा ताना न मा रए आय सब कछ भा य न कया इसमआपका या ह

चाण य अर ई याल भयकर ोध स टढ़ उगली स शखाखोलकर सबक सामन ही समल सव प रवार समत श -वनाश करन क ब त बड़ी त ा करक मर अ त रऔर कौन ह जसन न यानव करोड़ क वामी उनअहकारी न द को रा स क दखत-दखत ही पश कतरह मार डाला ह आकाश म पख को थर करक घराडालन वाल ग क-स काल धए स जो दशा कोमघा छा दत करक सय का भी तज ढक द रही ह औरज ह न मशान क ा णय को न द क शव स आन दतकया ह व चड अ नया उनक अग स वही चब पी-पीकर अभी भी शा त नह ई ह उ ह दखत हो

राजा यह कसी और न ही कया हचाण य कसन

राजा न द कल क षी दव नचाण य अ ानी ही दव को माण मानत ह

राजा व ान कभी वय अपनी शसा नह करतचाण य ( ोध स) वषल वषल तम मझपर सवक क भा त ही

शासन चलाना चाहत हो मरा हाथ फर बधी ई शखाको खोलन को तयार हो रहा हhellip(प वी पर पर पटककर)और एक बार फर मरा पाव त ा करन को आग उठनाचाहता ह नद का नाश करक जो मरी ोधा न शा त हो

रही ह उस त फर काल स रत होकर व लत कररहा ह

राजा (घबराकर वगत) अर या आय सचमच हो गएोध स इनक पलक स नकल जल क ीण हो जान

पर भी आख लाल-लाल द ख रही ह टढ़ भक ट ोधका धआ बन गई ह चाण य क चरण- हार को ता डवन य क समय का यान करती थर-थर कापती धरतीन न जान कस सहन कया ह

चाण य (नकली ोध छोड़कर) वषल वषल बस अब सवाल-जवाब रहन दो य द रा स को अ छा समझत हो तो यहश उस ही द दना (श छोड़कर उठकर आकाश कोएकटक दखकर वगत) रा स रा स कौ ट य कब को जीतन वाली त हारी ब क यही उ तहhelliplsquoम चाण य क त ा न रखन वाल च ग त परचन स वजय ा त कर लगाrsquomdashइस वचार स जो तनषड य रचा हhellipअर नीच आ उसी म फस यही तराअ हत कर ( थान)

राजा आय वहीनर आज स चाण य को अना त करकच ग त वय रा य करगा-सबम यही स चत करा दो

कचक ( वगत) या बना कसी आदरसचक श द क हीचाण य नाम कह दया आय चाण य नह कहा हायसचमच ही अ धकार ल लया गया क त इसम दव काभी या दोष यह दोष भी म ी का ही ह क राजा कछअन चत कर बठ महावत क माद स ही तो हाथी क स ा पाता ह

राजा आय या सोच रह हकचक दव कछ नह क त नवदन ह क सौभा य स दव

वा तव म आज ही दव ए हराजा ( वगत) जब हम लोग ऐसा सचमच ही समझ रह ह तब

अपन काय क स चाहन वाल आप अव य सफलह ( कट) शोणो र इस श क कलह स मर सर मपीड़ा हो रही ह चल शयन-गह का माग दखा

तहारी इधर महाराज इधर सराजा (आसन स उठकर वगत) आय क आ ा स गौरव का

उ लघन करन पर मरी ब प वी म समा जाना चाहतीह फर जो लोग सचमच ही बड़ का आदर नह करतल जा स उनक दय य नह फट जात

[सबका थान][तीसरा अक समा त]

1 परान भगोल क अनसार प वी एक पवत स घरी ह उसक एक ओर लोक (उजाला)और सरी ओर अलोक (अधरा) ह इसको lsquoलोकालोकrsquo कहत ह

1 सोन क स क

चौथा अक

[प थक-वश म एक प ष का वश]प ष आ य परम आ य वामी क आ ा क उ लघन का

भय न हो तो कौन इस तरह सकड़ योजन तक ऐसमारा-मारा फर रा स अमा य क घर ही चल (थका-सा घमकर) अर कोई दौवा रक म स ह यहा वामीअमा य रा स स नवदन करो क करभक करभक1 कतरह ही काय स करक पाट लप स आया ह

दौवा रक ( वश कर) भ धीर बोलो वामी अमा य रा स कोकाय- च ता स जागत रहन क कारण सर म दद ह वअभी तक शया पर ही ह जरा को म अवसर पाकरअभी त हार बार म नवदन करता

प ष अ छ बात ह[शया पर लट रा स और आसन पर बठ शकटदास काच ता त प म वश]

रा स ( वगत) काय क ार भ करन पर भा य क तकलताक वषय म वचार करन स और चाण य क सहजक टल ब क बार म सोचन स तथा मरी हर चाल कटतरहन स यह कस होगा यह स कस मलगीmdashयहीसोचत ए मरी रात जागत ही जागत बीत रही ह ज़रा-सी बात को लकर चलत ए ार भ करक फर व तारकरक ग त बात को गढ़ री त स धीर-धीर कट करककत कत को जानत ए उस तमाम फलाव को फरसमटन क इस लश को या तो नाटककार अनभव करताह या हमार जसा आदमी1 इतन पर भी रा माचाण यhellip

दौवा रक (पास जाकर) जय जयरा स ( वगत) परा जत कया जा सकता हhellip

दौवा रक अमा यरा स (बा आख फड़फड़ाना स चत करक वगत) रा मा

चाण य क जय और परा जत कया जा सकता ह

अमा य यह या सर वती बोल रही ह बा आखफड़काकर फर भी उ म नह छोड़ना चा हए ( कट)भ या कहत हो

दौवा रक अमा य करभक पाट लप स आया ह और आपसमलना चाहता ह

रा स उस बना रोक-टोक क अ दर वश कराओदौवा रक जसी अमा य क आ ा ( नकलकर प ष क पास

जाकर) भ अमा य रा स य रह उनक पास चलजाओ ( थान)

करभक (रा स क पास प चकर) अमा य क जयरा स (दखकर) वागत ह भ करभक बठो

करभक जसी आ ा अमा य (भ म पर बठता ह)रा स ( वगत) इस त को मन कस काय म लगाया था वह

काम क बाढ़ म याद नह आ रहा (सोचता ह)[हाथ म बत लए एक और प ष का वश]

प ष हटो आय हटो हटो हटो या नह दख पात समपवत वासी और क याणमय नरश का दशन प यहीनक लए लभ ह ( फर उनक पास रहना तो ब कल हीलभ ह) (आकाश दखकर) आय या कहा क य

हटाया जा रहा ह आय कमार मलयकत यह सनकरक अमा य रा स क सर म दद ह उ ह दखन आ रह हइस लए हटाया जा रहा ह ( थान)[मलयकत क पीछ भागरायण और कचक का वश]

मलयकत (द घ ास लकर वगत) आज पता को गए1 दस महीनबीत गए बकार य न करत ए मन अभी तक उनक लएजलाज ल भी नह द यह मन पहल ही ण कया ह कजस मरी माता का छाती पीटन स र न-ककण टट गयाप ा अपन थान स खसककर गर पड़ा नर तर

हाहाकर करक क ण वलाप करत समय कश अ त-त और ख हो गए वस ही जब तक म श कय को भी नह बना गा तब तक पता का तपण

नह क गा और थ य सोच या तो वीर क भा तपता क रा त पर चलगा या अपनी माता क आख कआस को श - य क आख म प चा गा ( कट)आय जाज ल मरी आ ा स अनयायी राजा स कहोक म अचानक ही अकला जाकर अमा य रा स क तम कट क गा अतः मर पीछ चलन का क छोड़ द

कचक जो आ ा कमार (घमकर आकाश को दखकर) हराजागण कमार क आ ा ह क उनक पीछ कोई नआए (दखकर स ता स) कमार कमार ली जएआ ा सनत ही राजा लौट गए द खए कमार कछराजा न कड़ी लगाम खीच द जसक कारण चचलटड़ी और ऊची गदन वाल घोड़ क गए व खर स धरतीखोदत आकाश को फाड़ द रह ह क जान स ऊचहा थय क घ ट क गय व भी लौट चल दव यभ मपाल सम क भा त ही आपक मयादा का उ लघननह करत

मलयकत आय जाज ल तम भी प रजन क साथ लौट जाओअकल भागरायण ही मर साथ चल

कचक जो आ ा कमार (प रजन क साथ थान)मलयकत म भागरायण यहा आए भ भट आ द न मझस नवदन

कया था क अमा य रा स क कारण आपका आ यनह ल रह ब क म ी क बस म ए च ग त सउदासीन होकर हम आपक सनाप त शखरसन कअवल ब स कवल आपक गण का आ य ल रह ह मनब त सोचा पर समझ नह पाया क उनका मतलब याथा

भागरायण कमार यह तो ब त क ठन नह ह वजय क ओरउ मख अ छ गणी का आ य लना तो ठ क ही ह

मलयकत म भागरायण अमा य रा स ही हमार सबस अ धकय और सबस अ धक भला चाहन वाल ह

भागरायण कमार ठ क बात ह क त अमा य रा स को चाण यस वर ह च ग त स नह हो सकता ह कभी च ग तअहकारी चाण य को अस समझकर हटा द तबअमा य रा स क जो न द कल म ा ह वह च ग तको भी उसी वश का जानकर अपन म क ाण बचानक ओर रत कर और वह च ग त स स ध कर लऔर च ग त भी कह यह सोचकर क आ खर तो मरपता का पराना सवक ह स ध को मान ल ऐस समय मफर कमार हमारा व ास नह करग यही शायद इनलोग का मतलब हो सकता ह

मलयकत हो सकता ह म भागरायण अमा य रा स क भवनका माग दखाओ

भागरायण इधर स कमार आइए (दोन घमत ह) कमार यही

अमा य रा स का घर ह वश करमलयकत चलो

[दोन वश करत ह]रा स ( वगत) ओह याद आ गया ( कट) भ या तम

कसमपर म तनकलश नामक वता लक स मलकरभक जी हा अमा य

मलयकत म भागरायण कसमपर क बात हो रही ह यह ससनना चा हए य क म ी लोग अपनी प और वत

प स होन वाली बात क रह य खल जान क डर सराजा क सामन उस और ही ढग स कह दत ह

भागरायण जो आ ारा स भ या वह काय स आ

करभक आपक कपा स स आमलयकत म भागरायण कौन-सा काय

भागरायण कमार अमा य का समाचार बड़ा ग भीर ह इसस यापता चलगा अतः यान स स नए

रा स भ परी बात कहोकरभक अमा य स नए आपन मझ आ ा द थी क करभक

मरी आ ा स तनकलश नामक वता लक स कहना करा मा चाण य क आ ा भग करन पर तम च ग त को

उकसानारा स तब

करभक तब मन पाट लप जाकर आपका आदश तनकलश कोसना दया

रा स अ छा फरकरभक इसी बीच च ग त न नद कल क नाश स ःखी नाग रक

को स तोष दन को कौमद महो सव मनान क आ ा दद ब त दन क बाद मनाए जात उ सव क बातसनकर जा न उसका वस ही वागत कया जस कोईअपन बघजन क आन पर करता ह

रा स (आख म आस भरकर) हा दव न द ससार को आन ददन वाल राजा क च मा कमद को आन द दन वालच मा और नाग रक को सख दन वाल च ग त क रहत

ए भी आपक बना या तो कौमद और या उसकामहो सव हा भ फरhellip

करभक अमा य तब च ग त क न चाहन पर भी नयन-रजनउ सव का रा मा चाण य न नषध कर दया इसीसमय तनकलश न च ग त को आवश दलान वाली

प ावली पढ़ रा स या क वता थी

करभक उसका भाव था क च ग त राजा धराज ह उसकआ ा का उ लघन करक कौन बचगा बात लग गई

रा स (सहष) ध य तनकलश ध य तमन ठ क समय परस पात कया इसस अव य ही फल नकलगा साधारण

भी अपन आ दो सव म बाधा नह सह पाता फरलोको र तज वी नर क तो बात ही या ह

मलयकत यही बात हरा स अ छा तब

करभक तब आ ा क उ लघन स च ग त हो गया औरआपक गण क शसा करक उसन रा मा चाण य कोउसक पद स हटा दया

मलयकत सख भागरायण लगता ह रा स क शसा करच ग त न उस अपना मान लया

भागरायण कमार शसा करक उतना नह माना जतना कचाण य का अपमान करक

रा स भ कवल कौमद महो सव ही दोन क मनमटाव काकारण ह या कोई और भी ह

मलयकत म भागरायण च ग त क और कसी ोध क कारणको जानन म इस या लाभ ह

भागरायण कमार लाभ यही ह क अ य त ब मान चाण यअकारण ही च ग त को य करगा और इतन-भरस कत च ग त भी गौरव का उ लघन नही करगाइस लए चाण य और च ग त का जो भद होगा उसकपीछ कोई बड़ी बात अव य होगी

करभक अमा य चाण य पर च ग त क ोध का कारण औरभी ह

रा स या ह वह या हकरभक सबस पहल तो यही क उसन आपक और कमार

मलयकत क भागत समय य उप ा कर द रा स (सहष) म शकटदास अब च ग त मर हाथ म आ

जाएगा अब च दनदास ब धन स छटगा त हारा पऔर ी स मलन होगा और जीव स आ द क लशभी र ह ग

भागरायण ( वगत) सचमच जीव स का क र हो जाएगामलयकत म भागरायण lsquoअब च ग त मर हाथ म आ जाएगाrsquo

का या मतलब हो सकता ह

भागरायण और या होगा यही क चाण य स पथक पड़ गएच ग त का उ मलन करन म यह कोई लाभ नहदखता

रा स भ अ धकार छनन पर चाण य कहा गयाकरभक वह पाट लप म ही रहता ह

रा स (घबराकर) भ वह रहता ह तप या करन वन म नहगया या उसन फर कोई त ा नह क

करभक अमा य सना जाता ह क वह तपोवन म जाएगारा स (घबराकर) शकटदास यह कछ समझ म नह आता

जसन प वी क वामी न द क ारा भोजन क आसन सउठाए जान क अपमान को नह सहा वह अ य त गव लाचाण य वय च ग त क ारा कया तर कार कस सहगया

मलयकत म भागरायण चाण य तपोवन जाए या फर त ाकर इसम इसका या वाथ ह

भागरायण यह तो समझना क ठन नह कमार जस-जस रा माचाण य च ग त स र होगा वस-वस इसका वाथसधगा

शकटदास जस च ग त क चरण अब राजा क चड़ाम णय कच ोपम का त स य कश वाल म तक पर पड़त हवह अपन ही आद मय ारा अपनी आ ा का उ लघनसह सकता ह चाण य न पहल दववश ही सफलता पाईह यह वह वय भी जानता ह और वय अपन आचरणस ःखी ह आग प रणाम म कह असफलता न मलइसी भय स उसन बारा त ा नह क

रा स म शकटदास ठ क ह अब जाओ और करभक कोभी व ाम दो

शकटदास जो आ ा (करभक क साथ थान)रा स म भी कमार स मलना चाहता

मलयकत (पास जाकर) म वय ही आपस मलन आ गया रा स (दखकर) अर कमार ही आ गए (आसन स उठकर)

कमार इस आसन पर वराजमलयकत म बठता आप भी बठ

[दोन उ चत आसन पर बठत ह]

आय सर क दद का या हाल हरा स जब तक कमार क नाम स अ धराज श द न जड़ जाएगा

तब तक सर का दद कस कम होगामलयकत यह तो आपन वय अगीकार कया ह अतः कछ लभ

नह ह सना भी इक हो चक ह पर श परआप काल क ती ा करत-करत हम कब तक य हीउदासीन बठ रहग

रा स कमार अब समय थ य बताया जाए श परवजय पान को चढ़ाई क रए

मलयकत श पर कोई आप आई ह या ऐसा समाचार आयाह

रा स जी हा आया हमलयकत या

रा स म ी क खबर ह और या च ग त चाण य स अलगहो गया

मलयकत बस यहीरा स कमार सर राजा का यह वरोध वसा वरोध न भी हो

सकता पर त च ग त क यह बात नह मलयकत आय या वशषकर च ग त का ही

रा स या कारण ह कhellipमलयकत च ग त क जा कवल चाण य क दोष स ही वर

ह च ग त ह च ग त स जा को पहल भी नह थाऔर अब चाण य क हटाए जान पर भी ह ब क बढ़गया होगा

रा स ऐसा नह ह कमार वहा दो तरह क लोग ह एक वहजा ह जो च ग त क साथ उठ थी सरी ह वह जस

न द कल स म ह च ग त क साथ उठन वाली जाको ही चाण य क दोष स वर ह न द कल मअनर जा तो अपना आ य खोकर अमष स भरी ईह च ग त न पतकल जस न द वश का नाश करदया पर अब जा कर भी या यही सोचती ईच ग त का साथ दती ह अपन बल स श को परा जतकरन म आप जस समथ राजा को पाकर शी ही वहच ग त को छोड़कर आपका आ य हण करगी हमकमार क सामन इसक उदाहरण ह

मलयकत तो या यह म ी- वरोध ही च ग त क हार का कारण हया कोई और भी अमा य

रा स कमार ब त का या करना ह यही धान कारण हमलयकत अमा य यही धान ह या च ग त राज-काज कसी

और म ी या स ब धी पर छोड़कर इसका तकार नहकर सकता

रा स वह असमथ ह कमार

मलयकत य रा स वाय स 1 और उभयाय स 2 राजा भल ही ऐसा

कर ल पर च ग त क लए यह स भव नह वह रा मान य ही रा य-काय म म ी क अधीन रहता ह अधामन य सासा रक वहार स र रहकर या कर सकताह राजल मी म ी-श और नप-श इन दोन पर हीपाव रखकर ठहरती ह पर त य द कोई भी भार सहन मअसमथ हो गया तो रा य ी ी-सलभ वभाव ककारण नबल को छोड़ दती ह म ी क अधीन राजाम ी स अलग होकर सासा रक वहार स अनजानरहन क कारण उस धमह ब च-सा हो जाता ह जसकमह स माता का तन हटा लया जाए वह ण-भर भीअपनी स ा नह जमा सकता

मलयकत ( वगत) भा य स म ऐसा म ी-पराधीन नह ( कट)अमा य यह तो ठ क ह पर अनक अ भयोग क आधाररहन पर कवल म ी क बल पर टककर ही कौन श को जीत सकता ह

रा स आप तो कमार कवल स क ही सोच बलवान सनाक साथ आप य को त पर रहग कसमपर म जा न दम अनर होगी चाण य पद यत ह ही और च ग तनाम-मा का राजा रह गया और मझ वाय कhellip(इतना कहकर सकोच का अ भनय करत ए) मागदशनएव कत - नदशन म स रहन पर अब हमार सा यआपक इ छा क अधीन पड़ ह

मलयकत अमा य य द आप श पर आ मण ठ क समझत ह तोवलब ही य हो यह भीमाकार गज खड़ ही ह जनकग ड थल स मद-जल टपक रहा ह जसपर भ र गज रहह अपन दात स तट-भ म को फोड़न वाल स र सलाल ए मर य सकड़ काल-काल गज तो ऐस चडह क पर वग स उमड़कर बहन वाल व स आ छा दततट वाल एव क लो लत जल- वाह क कटाव स गरत-पड़त कनार वाल महानद शोण को ही पीकर खालीकर द हा थय क य झड ग भीर गजन करत एकसमपर को घरन म ऐस ही समथ ह जस सजल मघक माला व याचल को घर लती ह (भागरायण स हतमलयकत का थान)

रा स अर कौन ह यहामलयकत ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स यवद पता लगाओhellip ार पर कोई यो तषी भी हप ष जो आ ा (बाहर जाकर एक पणक को दखकर फर

वश कर) अमा य एक पणकhellipरा स (अपशकन समझकर वगत) सबस पहल पणक ही

द खाhellipयवदक जीव स हरा स ( कट) उसका बीभ सदशन1 र करक वश कराओ

यवदक जो आ ा ( थान)[ पणक का वश]

पणक मोह जस रोग क लए अहत2 पी व क बात मान उनक बात पहल तो कड़वी लगती ह पर त फर प यबन जाती ह (पास जाकर) उपासक धमलाभ हो

रा स भद त3 हमार थान का म त नका लएपणक (सोचकर) उपासक म त न त कर लया पहर स

सातव त थ का भाग बीतन पर पण च मा वाली शभवला ह उ र स द ण को जात समय न त हारी दातरफ आ जाएगा4 और सय क अ ताचल जान पर चक स पण म डल क साथ उदय पर बध क श ल न कलगन पर और कत क उदय ल न स अ त ल न म चलपड़न पर या ा करना शभ ह5

रा स भद त त थ ही ठ क नह बठतीपणक उपासक त थ एक गना फल दती ह उसस चौगना फल

न स और उसस भी च सठ गना फल ल न स मलताह यो तषशा ऐसा कहता ह रा श शभ फल दनवाली ह बर ह का ससग छोड़कर च मा क स पक मजाकर तम थायी लाभ ा त करोग6

रा स भद त अ य यो त षय स भी राय मला ली जएपणक आप वचार करत रह उपासक म अपन घर जाता रा स या भद त हो गएपणक नह म क पत नह आरा स तो कौन आपणक भगवान यम य क तम जो मझ जस अपन अनकल

को छोड़कर सर को माण मानत हो ( थान)रा स यवदक या समय हो गया

यवदक जो आ ा दखता ( थान करक फर वश कर) सयभगवान अ त होन वाल ह

रा स (आसन स उठकर सोचत ए दखकर) अर सह -र मभगवान सय अ त होना चाहत ह जब सय बल होकरउ दत आ था तब उपवन क सार व छाया-समत पासआ गए थ अब ताप क अ त होत समय य सब र होगए जस धनहीन वामी को वाथ सवक छोड़ दत ह

[सबका थान][चौथा अक समा त]

1 हाथी का ब चा1 नाटककार तावना म छोटा वषय लकर प रकर को तमख स ध म चाहता आ

गभ स ध म ब ध अथ को ग त री त स दखाता ह वमश स ध म उसपर वचारकरता ह तथा ववहण स ध म व तत व त का सकोच करता ह

1 मर1 अपन अधीन राज-काज चलान वाला2 मलकर राज-काज चलान वाल म ी और राजा1 बीभ सता ग दगी घनौनापन स भवतः पणक ग द रहत थ अ यथा बना दख ही

रा स य समझता क वह घनौना-सा होगा2 तीथकर3 प य4 यो तषशा क अनसार व ततः ऐसा ल न अमगलकारी माना जाता ह5 साथ ही यहा lsquoसयrsquo स रा स lsquoच rsquo स च ग त lsquoबधrsquo स चाण य और lsquoकतrsquo स

मलयकत अथ भी अभी ह6 यहा च ग त का आ य हण करन क बात क ओर सकत ह

पाचवा अक

[म त लख और आभषण क पटारी लए स ाथकका वश]

स ाथक आ य परम आ य चाण य क नी त-लता दशकालक घड़ और ब -जल क नझर स स च जान पर बड़फल लाएगी आय चाण य न जसा कहा था वस ही मनशकटदास स लख लखवाकर आमा य रा स क म ालगा ली ह इस आभषण क पटारी पर भी वही म ा हअब पाट लप चलना ह चल (घमकर और दखकर)अर पणक आ रहा ह इसक दशन स जो अपशकनहोगा उस म सय क दशन करक र करता

[ पणक का वश]पणक हम अहत को णाम करत ह ज ह न अपनी ग भीर

ब स लोको र तथा त य माग स स ा त क हस ाथक भद त णाम करता

पणक उपासक धम-लाभ हो म त ह या ा को तयार दख रहाhellip

स ाथक भद त न कस जानापणक इसम या जानना ह उपासक त हार थान का शभ

म त त हार हाथ पर लखा आ दख रहा हस ाथक भद त न ठ क समझा बताइए न आज कसा दन ह

पणक (हसकर) उपासक अब सर मडा-मड कर न पछ रहहो

स ाथक भद त अभी ऐसा या हो गया अनकल होगा तोजाऊगा आप बताइए न होगा तो लौट जाऊगा

पणक क त उपासक इस समय मलयकत क श वर मअनकल और तकल या ा का ही कहा त हारपास माण-प हो तभी जा सकत हो

स ाथक भद त यह कब स लाग आपणक उपासक सनोhellipपहल तो मलयकत क श वर म लोग

बरोक-टोक आत-जात थ पर अब हम कसमपर क पासआ गए ह इसी लए बना म ा कत माण-प क कोई

नह आ-जा सकता इसी लए अगर त हार पासभागरायण का माण-प हो तो मज स जाओ वरनालौटकर मन मारकर बठ रहो अ यथा ग म-नायक सहाथ-पर बधवाकर तम कारागार म जा पड़ोग

स ाथक भद त आप या नह जानत क म अमा य रा स कामनोरजन करन वाला और रह य जानन वाला उनकापा वत स ाथक मर पास म ा न भी हो तो भीमझ रोक कौन सकता ह

पणक उपासक रा स का मनोरजन करन वाल हो या पशाचका पर तम बना म ा कत माण-प क नह जासकत

स ाथक भद त न ह कह द क मरा काय स होपणक उपासक जाओ त हारा काय सफल हो म भी

भागरायण स पाट लप जान का माण-प लन जा रहा (दोन का थान)

[ वशक का अ त][भागरायण तथा उसक पीछ एक प ष का वश]

भागरायण ( वगत) अर आय चाण य क नी त भी कसी व च हकभी तो ल य करन स समझ म आन लगती ह कभीब कल समझ म ही नह आती कभी तो सबपर छाजाती ह कभी इसका पता भी नह चलता कभी तोन फल दखाई पड़न लगती ह और कभी व वध फलको दन वाली मालम पड़ती ह नी त क नी त तोनय त क भा त ही बड़ी व च होती ह ( कट) भभासरक कमार मलयकत मझ र नह रखना चाहतइस लए इसी सभा-मडप म आसन बछाओ

प ष ली जए बछा दया अब आय बठभागरायण ( वगत) कतना ःख ह क हमस इतना म करन पर भी

इस मलयकत को व चत कर दया जाएगा कतनाक ठन ह क त जो मन य परत ह वह णभगर धन कलए कसी धनी क हाथ अपना शरीर बच दता ह वहवश ल जा यश स मान कछ भी नह रख पाताअ छ-बर क वचार स र वह तो कवल वामी क आ ाको मानता ह वह या कभी सोच सकता ह क वह ठ कह या नह [ तहारी क आग-आग मलयकत का वश]

मलयकत ( वगत) उफ रा स क बार म इतना सोचन पर भी मरी

ब कछ नणय कर पाती कौ ट य स अपमा नत यहनद कल स इतना म करन वाला रा स या सचमचच ग त का म बन जाएगा कवल इस लए क मौयभी न द कल म ज मा ह या यह मर ी त-भर वहारक ढ़ता को पण करता आ अपनी त ा म स चाउतरगा मरा मन तो जस क हार क च क पर रखा घमरहा ह कस म म पड़ गया ( कट) वजयभागरायण कहा ह

तहारी कमार व श वर क बाहर जान वाल को म त प द रहह

मलयकत वजय उसका मह इधर ह त चलना ब द कर द म त-भर को म पीछ स जाकर इसक आख अपन हाथ सब द कर

तहारी जसी कमार क आ ाभासरक ( वश कर) आय एक पणक म ा चाहता ह आपस

मलना चाहता हभागरायण उस ल आओ

भासरक जो आ ा आयपणक ( वश कर) उपासक क धमव हो

भागरायण (दखकर वगत) अ छा यह रा स का म जीव सह ( कट) भद त या रा स क ही कसी काम स जारह हो

पणक (कान पर हाथ रखकर) पाप शा त हो पाप शा त होउपासक म तो वहा जाना चाहता जहा रा स औरपशाच का नाम भी सनाई न द

भागरायण भद त अपन म पर बड़ा ी त-भरा ोध दखा रह होरा स न तमस ऐसा या अपराध कर दया ह

पणक उपासक रा स न मरा कोई अपराध नह कया मअभागा तो अपन ही काय पर ल जत

भागरायण मर कौतहल को बढ़ा रह हो भद तमलयकत ( वगत) मर को भी

भागरायण या बात ह मझ बताओ नमलयकत ( वगत) म भी सन

पणक उपासक यह बात सनन यो य नह ह सनकर भी यालाभ होगा

भागरायण भद त कोई ग त बात हो तो रहन दोपणक ग त कछ नह ह

भागरायण तो फर बता दो नपणक नह ब त र बात हhellipकस क

भागरायण भद त म त ह म ा भी नह गापणक ( वगत) इस सनन क इ छक स पा स कहना ठ क ह

( कट) या क कहता उपासक सनो म पहलपाट लप म रहता था तब मझ अभाग क रा स सम ता हो गई तभी रा स न ग त प स वषक या कायोग करक दव पवत र को मरवा डाला

मलयकत (आख म आस भर वगत) या उ ह रा स न मरवायाचाण य न नह

भागरायण हा भद त फरपणक तब मझ रा स का म समझकर रा मा चाण य न

अपमा नत करक नगर स नकाल दया अब कक यकरन म कशल यह रा स कोई ऐसा षड य कर रहा हक म इस ससार स ही नकाल दया जाऊ

भागरायण पर भद त हमन तो सना ह क कहा आ आधा रा य नदना पड़ जाए इस लए चाण य न ही उ ह मरवाया थारा स न नह

पणक (कान ब द करक) पाप शा त हो चाण य तो वषक याका नाम भी नह जानता यह क य तो उसी नीचबरा स न कया ह

भागरायण भद त कसी ःख क बात ह लो यह म ा लो चलोकमार क पास चल

मलयकत म वह दय वदारक बात मन सन ली जो श रा सक बार म उसक म न कही ह आज पता क म य काशोक भी गन वग स बढ़ रहा ह

पणक ( वगत) अर अभाग मलयकत न सन लया म कताथहो गया ( थान)

मलयकत ( य -सा आकाश म दखता आ) रा स यह भी ठ कह तझ म जानकर परी तरह स तझपर व ास करकसारा कायभार छोड़न वाल पता को तन उनक प रवार कआस क साथ ही धरती पर गरा दया त सचमचरा स ह

भागरायण ( वगत) आय चाण य न कहा ह क रा स क ाण कर ा करना ( कट) कमार आवश म मत आइए आपआसन पर बठ म कछ नवदन करना चाहता

मलयकत (बठकर) सख या कहना चाहत होभागरायण कमार राजनी त म श ता म ता उदासीनता यह

सब योजनवश आ करती ह ससारी य क तरहव छावश नह उस समय सवाथ स को राजा बनान

क जो रा स क इ छा थी उसम च ग त स भी अ धकबलशाली और वरोधी वनामध य दव पवत र ही तो थऐसी हालत म य द रा स न ऐसा र काम कर दया तोयह कोई बड़ा दोष नह ह कमार नी त म म श औरश म बन जाता ह जी वत को म य क मख मडाल दत ह जस ज मा तर म प चा दया हो इस बार मरा स पर या ताना मारना जब तक नद का रा य नहमल उसपर कपा करनी चा हए उसक बाद रख यानकाल lsquo-आप इसक लए वत हrsquo

मलयकत अ छा यही हो म तम ठ क सोचत हो अमा य रा सक वध स जा म व ोभ हो जाएगा और फर जीत भीसदहा पद हो जाएगी

प ष ( वश कर) कमार क जय आपक श वर- ार काअ धकारी द घच नवदन करता ह क हमन बनाम ा कत प लए श वर स भागत ए एक प ष कोपकड़ा ह उसक पास एक लख ह

भागरायण भ उस ल आओप ष जो आ ा आय ( थान)

[बध ए स ाथक का एक प ष क साथ वश]स ाथक ( वगत) गण पर मो हत होन वाली और दोष स र रखन

वाली जननी जसी वा मभ को हम णाम करत हप ष (पास आकर) आय यही वह प ष ह

भागरायण (उस दखकर) भ यह कोई आग तक ह या यह कसीका आ त ह

स ाथक आय अमा य रा स का सवक भागरायण तो भ तम बना म ा कत माण-प लए श वर स

य नकल रह थस ाथक आय काम क ज द स

भागरायण वह कसी ज द ह जसक कारण तम राजा क आ ा काउ लघन कर रह थ

मलयकत सख भागरायण यह लख ल लो इसस[ स ाथक भागरायण को दखता ह]

स ाथक (लख लकर म ा दखकर) कमार यह तो रा स क नामक अ कत म ा ह इसपर

मलयकत म ा बना तोड़ खोलकर दखाओ[भागरायण ऐस ही खोलता ह दता ह]

मलयकत (लकर पढ़ता ह) ldquo व त कसी जगह स कोई कसीवशष स नवदन करता ह क हमार श को

हटाकर जो आपन कहा था उस सच करक दखाया हअब आप अपन स मल जान वाल हमार म को स धक लए न त ई व तए दकर उनस म उ प कर यआ य- वहीन उपकत हो जान पर आपक सवा कोत पर रहग हम मालम ह क आप इस भल नह हपर त हम फर भी याद दलात ह इनम स कछ तो श क खजान और हा थय को चाहत ह और कछ लोग रा यचाहत ह आपक भज तीन अलकार मल हमन भी जोलख क उ र म भजा ह उस आप वीकार कर औरमौ खक समाचार अ य त व त स ाथक स सनम भागरायण इस लख का या अथ नकला

भागरायण भ स ाथक यह कसका लख हस ाथक आय म नह जानता

भागरायण अर धत वय जस ल जा रहा ह उसी को नहजानताhellipजान द सब बात यह बता क मौ खक बाततझ कसको सनानी ह

स ाथक (भयभीत-सा) आपकोभागरायण हमको हीस ाथक म पकड़ा गया नह समझता या क

भागरायण ( ोध स) अब समझ जायगा भ भासरक इस बाहर लजाकर तब तक मार लगाओ जब तक यह सब कछ कहन डाल

भासरक जो आ ा आय[ स ाथक क साथ थान फर वश करक]

भासरक आय पटत समय इसक बगल स म ा कत आभषणक यह पटारी गरी ह

भागरायण (दखकर) इस पर रा स क म ा हमलयकत यही वह छपी बात ह म ा बचाकर खोलो

[भागरायण खोलकर दखाता ह]मलयकत (दखकर) अर य तो वही आभषण ह जो मन रा स क

पहनन क लए अपन शरीर स उतारकर दए थ तब तोयह प च ग त क लए ही होगा प हो गया

भागरायण कमार अभी सदह का नणय आ जाता ह भ औरलगाओ मार

प ष जो आ ा आय (जाकर फर लौटकर) आय वहपटकर कहता ह क म कमार को वय बता गा

मलयकत उस ल आओप ष जो कमार क आ ा

[जाकर फर स ाथक क साथ वश]स ाथक (पाव पर गरकर) कमार मझ अभय द दया करमलयकत भ hellipभ पराधीन को अभय ही होता ह पर मझ सारी

बात ठ क-ठ क बता दोस ाथक कमार स नए म अमा य रा स का यह लख च ग त

क पास ही ल जा रहा मलयकत भ मझ मौ खक सदश बताओस ाथक कमार मझ अमा य रा स न यह सदश दया ह- सन

मर इन पाच राजा न आपस पहल ही स ध कर ली ह-कौलत च वमा मलयया घप सहनाद क मीर-नरशप करा सधराज सधसन और पारसीकाधीश मघा कौलत मलया घप और क मीर-नरश तो मलयकत करा य को बाट लना चाहत ह जस आपन चाण य कोहटाकर मझस ी त उ प क ह वस ही इन राजा काभी काम त ानसार पहल ही हो जाना चा हए

मलयकत ( वगत) अ छा च वमा आ द भी भीतर ही भीतरमझस ष करत ह तभी रा स क त उनक इतनीभ ह ( कट) वजय म अमा य रा स स मलनाचाहता

तहारी जो आ ा कगार ( थान)[अपन घर म आसन पर बठ रा स का च तत अव था म

वश सामन सवक प ष खड़ा ह]रा स ( वगत) हमारी सना च ग त क सना स कह अ धक

बल ह क त फर भी मर मन का स दह र नह होताजो सना श वनाश म श शा लनी साथ चलन यो यअनकल और श - व हो वही वजय क साधक बनसकती ह पर जो धमक दकर अपनी ओर कर ली गई हऔर जसम दोन ओर क लोग मल रह ह जो अपन हीश स भरी हो उसी पर व ास कर लन स वामीसदव ही वाद क भा त हार जाता ह अथवा स भवतःश प स वर होकर आए स नक हमार भद जानकरभी हमार अनकल ही बन रह अतः स दह य क ( कट) यवदक मरी आ ा स कमार क अनयायीराजा स कहो क अब दन पर दन कसमपर पासआता जा रहा ह अतः व कायद स इस तरह चल सनाक अ भाग म मर पीछ खस और मगधगण क स नक

याण कर म य भाग म वराजमान गाधार स नक

अपन-अपन यवन सनाप तय क साथ स होकर चलच दय और ण स सर त शकराजगण सना कापछला भाग सभाल और बाक जो कौलत1 आ दराजव द ह व माग म कमार क चार ओर रहकर चल

यवदक जो आ ा अमा य ( थान)तहारी ( वश कर) अमा य क जय अमा य कमार आपस

मलना चाहत हरा स भ त नक ठहर अर कोई हप ष ( वश कर) आ ा द अमा य

रा स भ शकटदास स कहो क अमा य को जो कमार नआभषण पहनाए थ व नह रह तो अब उनक दशनबना आभषण क कस कए जा सकत ह अतः जो तीनआभषण खरीद थ उनम स एक द द

प ष जो आ ा ( फर वश कर) ली जए अमा यरा स (दखकर पहनकर उठत ए) भद राजा क पास ल

चलो माग दखाओतहारी अमा य इधर स आइएरा स ( वगत) अ धकार नद ष क लए भी कतन भय

का कारण ह पहल तो सवक को वामी का ही भय होताह फर वामी क पास रहन वाल म ी स ऊच पद पररहन वाल सवक को दखकर अस जन ई या करत हऔर ती ब क लोग उ ह गराना चाहत ह ऐसी जगहरहन वाल को यही लगा करता ह क अब गया अबगया

तहारी (घमकर) कमार य वराजमान ह इनक पास जाइएरा स (दखकर) ओह कमार बठ ह पाव क अगठ को ऐस

या टकटक बाध दख रह ह (पास जाकर) कमारवजयी ह वजयी ह

मलयकत णाम करता आय यहा आसन पर वराजमलयकत अमा य ब त दन स आपको न दखकर च ता हो गई

थीरा स कमार आ मण क ब ध म इतना त था क आज

आपका उपाल भ सनना ही पड़ामलयकत तो अमा य या ा क तयारी कसी क ह सनना चाहता

रा स मन कमार आपक अनयायी राजा को आदश दया ह

क आग म र मर पीछ रहग खस और मगध क सस यराजा यवनप तय क साथ गा धार सनाए रहगी च द

और ण क साथ शक राजा पीछ रहग कौलत क मीरपारसीक स ध मलय क अ धप आपक चार ओररहग

मलयकत ( वगत) समझता जो च ग त क सवा म त पर ह वही मर चार ओर रहग ( कट) आय या कोई इधरकसमपर भी आन-जान वाला ह

रा स कमार अब आना-जाना ब द हो गया बस पाच-छः दनम हम वह प च जायग

मलयकत ( वगत) सब जानता ( कट) तो फर इस आदमी कोलख दकर कसमपर को य भजा ह

रा स (दखकर) अर स ाथक या बात हस ाथक (रोता आ ल जत-सा) अमा य स ह ब त पटन

क कारण म आपक रह य को छपा नह सकारा स भ कसा रह य म नह जानता

स ाथक यही तो कहता मझ ब त मारन सhellip(डर स इतना हीकहकर सर झका लता ह)

मलयकत भागरायण वामी क सामन डर और ल जा स यह बोलनह सकगा तम ही आय स कहो

भागरायण जो आ ा कमार अमा य यह कहता ह क अमा य नमझ लख और मौ खक स दश दकर च ग त क पासभजा ह

रा स भ स ाथक यह स य हस ाथक (ल जत-सा) ब त पटन पर मन ऐसा कहा

रा स कमार यह झठ ह पटन वाला या न कह दगामलयकत भागरायण यह लख दखाओ और मौ खक सदश यह

वय कहगाभागरायण (लख पढकर सनाता ह)

रा स कमार यह श क चाल हमलयकत ल कन जब लख क बात को परी करन को यह आपन

आभषण भजा ह तब यह श क चाल कस हो सकतीह (आभषण दखाता ह)

रा स (दखकर) कमार इस मन नह भजा यह आपन मझदया था और मन इनाम म इस स ाथक को द दया था

भागरायण अमा य कमार न अपन शरीर स उतारकर जो आभषणभजा था वह आपन ऐस ही द डाला

मलयकत आपन लखा ह क मौ खक स दश भी व तस ाथक स सन ल

रा स कसा स दश कसा लख यह मरा ह ही नह मलयकत तो फर यह म ा कसक ह

रा स धत लोग कपट म ा भी तो बना लत हभागरायण कमार अमा य ठ क कहत ह स ाथक यह लख

कसन लखा ह[ स ाथक रा स क ओर दखकर सर नीचा करक चपखड़ा हो जाता ह]

भागरायण अब बना पट ए भी कह द बोलस ाथक आय शकटदास न

रा स कमार य द शकटदास न लखा ह तब तो मन ही लखाह

मलयकत वजय म शकटदास स मलना चाहता तहारी जो कमार क आ ा

भागरायण ( वगत) जो बात पहल स तय नह ह उस आय चाण यका चर कभी नह कह सकता य द शकटदास आकरकह द यह लख मन पहल ही लखा था और सारी बातसाफ कर द तो मलयकत फर रा स का वरोध करनाबद कर दगा ( कट) कमार शकटदास कभी भीअमा य रा स क सामन यह वीकार नह करगा क यहउसका लख ह अतः उसका लखा कोई और लखमगाईए दोन क अ र को मलात ही पता चल जायगा

मलयकत वजय यही करोभागरायण कमार म ा भी मगाइएमलयकत दोन ल आ

तहारी जो आ ा कमार (बाहर जाती ह फर वश करक)कमार शकटदास क हाथ का लखा ह और म ा य रहदोन

मलयकत (दोन को दखकर मलाकर) आय अ र तो मलत हरा स ( वगत) मलत ह पर शकटदास मरा म ह इस लए

कस मल सकत ह या उसी न लखा ह या न रधन क लोभ स उसन ऐसा कया या ी-प स मलनक लोभ स चर थायी यश का उसन लोभ छोड़करवामीभ को भला दया पर म ा उसक हाथ म रहती

ह स ाथक उसका म ह और प क अ र मल हीरह ह न य ही भदनी त म कशल श न उस मलालया और ी-प ष स मलन क लए आतर शकटदासन वामीभ को छोड़कर ही ऐसा काम कया ह

मलयकत आय आपन लखा ह क जो तीन आभषण भज गए थव मल गए या उ ह म स एक को पहन ए ह(दखकर वगत) अर या य पता का ही पहना आ

आभषण नह ह ( कट) आय यह आभषण कहा सलया

रा स ापा रय स मोल लयामलयकत वजय इस अलकार को तम पहचानती हो

तहारी (दखकर आस भर नयन स) य नह पहचानतीकमार यह तो वनामध य दव पवत र का पहना आह

मलयकत (रोत ए) हा तात हा पता आभषण क मी हकलभषण यह वही अलकार ह जसस आप च का तस सशो भत न स भरी शरत कालीन स या क भा तमनोहर लगत थ

रा स ( वगत) या कहा यह पवत र का पहना आआभषण ह ( कट) प ह क यह भी चाण य क भज

ापा रय न हम बचा हमलयकत आय पता क पहन और वशषकर च ग त क भज

अलकार का ापा रय स खरीदना या ठ क लगता हआप जस र न इन आभषण क म य क एवजम हम अ य धक लाभ क इ छक च ग त क हाथ स पदया

रा स ( वगत) अब श क कटनी त बड़ी प क हो गई अगरक क यह लख मरा नह ह तो यह कौन मानगा म ातो मरी ह शकटदास न म ता म व ासघात कर दयाइस भी कौन मानगाhellipआभषण क खरीद पर व ास हीकौन कर सकता ह अब तो अपराध मान लना ही अ छाह बकार असगत उ र दकर भी या होगा

मलयकत म पछता hellipरा स (आख म आस भरकर) कमार जो आय हो उसस प छए

हम तो अब अनाय हो गएमलयकत च ग त आपक वामी का प ह तो म भी तो आपक

सवा म लग म का प वह आपको धन दगा पर तयहा आपक आ ा स मझ धन मलता ह वहा म ीहोकर भी आप पराधीन ह ग पर यहा आपका भ व हकौन-सी इ छा बच गई थी आपक क उसन आपकोअनाय बना दया

रा स कमार ऐसी अय बात कहकर आपन तो मरा नणयभी कर दया च ग त मर वामी का प ह पर आप भीमरी सवा म लग म -प ह वह मझ धन दगा पर त

यहा मरी आ ा स आपको धन मलता ह वहा म ीहोकर भी म पराधीन र गा पर यहा मरा भ व ह कौन-सी इ छा बच गई थी मरी क उसन मझ अनाय बनादया

मलयकत (लख और आभषण क पटारी दखाकर) यह या हरा स (रोता आ) भा य क ड़ा जन न द स नह कर

हमन दह सम पत क थी उ ह न अपन प क भा तहमस म कया था उन गण- ाहक राजा को ही जबमार डाला गया तब यह वधाता का ही दोष ह औरकसी का नह

मलयकत ( ोध स) या अब भी आप भा य पर दोष डालकरअपना अपराध छपात ह अनाय कत न पहल तोवष-क या भजकर मर व ासी पता को मार डाला औरअब मह वाका ा स श का म ीपद और उसका मपान को हम लोग को मास क भा त बचन को तयार करलया ह

रा स ( वगत) यह एक घाव पर सरी चोट ह ( कट कानब द कर) पाप शा त हो पाप शा त हो मन वषक याका योग नह कया पवत र क बार म मरा कोई पापनह

मलयकत तो फर पता को कसन मारारा स यह वधाता स प छए

मलयकत ( ोध स) वधाता स पछ जीव स पणक स नह रा स ( वगत) या जीव स भी चाण य का ग तचर था

हाय शोक श न तो मर दय पर भी अ धकार करलया

मलयकत ( ोध स) भासरक सनाप त शखरसन को मरी आ ादो क इस रा स स म ता करक हमस ोह करक जोच ग त क सवा करना चाहत ह उनम कौलत च वमामलया धप सहनाद और क मीर-नरश प करा मरारा य बाट लना चाहत ह भ म चाहत ह स धराजसषण और पारसीकाधीश मघा हाथी चाहत ह इस लएपहल तीन को गहर गड ढ म डालकर रत स पाट दो औरबाक दो को हाथी क पर स कचलवा दो

प ष जो आ ा कमार ( थान)मलयकत ( ोध स) रा सhellipरा स म व ासघाती रा स नह

मलयकत चल जाओhellipऔर सब तरह स च ग त क

सवा करो त हार साथ आए चाण य और च ग त कोम ठ क वस ही उखाड़न म समथ जस बरी नी त धमअथ काम तीन का उ मलन कर दती ह

भागरायण कमार समय न न क रए शी ही कसमपर को घर लनक अपनी सना को आ ा द जए लो -कसम कमकरद स य गौड़दशीय य क गाल को ध मलकरती उनक घघराल मर क समान काल कश कस दरता को वकत करती ई हमार घोड़ क खर ाराउड़ाई ई ध ल हा थय क मद-जल स सन-सनकरश क सर पर गर[सबक साथ मलयकत का थान]

रा स (उ ग स) हाय ध कार ह कसा क ह बचारच वमा आ द भी ऐस मार गए तो या रा स म नाशचाहता ह श वनाश नह म अभागा अब क भी

या या तपोवन चला जाऊ पर त श ता-भर मर मनको या तप स श त मल सकगी तो या वामी नदक पथ पर चल पर त यह तो य का-सा काम ह

या खडग लकर श पर टट पड पर त या यहठ क होगा नह च दनदास बधन म ह उस छड़ान कोमरा मन ाकल हो रहा ह य द ाकलता मझ कत नको न रोक तो य ही ठ क होगा ( थान)

[पाचवा अक समा त]

1 कौलत आ द स अ भ ाय कौलता धप क साथ-साथ क मीरा धप पारसीका धपसधराज तथा मलया धप स ह

छठा अक

[अलकार पहन ए स स ाथक का वश]स ाथक मघ याम क शह ता व ण क जय स जन को आन द

दन वाल च मा जस च ग त क जय सनाहीनआ मण स श का नाश करन वाली आय चाण यक नी त क जय ब त दन स अपन ब त परान मस स ाथक स नह मल पाया (घमकर) म उसस मलनचला और वह इधर ही आ रहा ह चल उसक पास[स स ाथक का वश]

स स ाथक जब म स वयोग हो जाता ह तब मन क भीतर बसए वभव भी आपानक 1 और महो सव म पीड़ा दकर

खद उ प करत ह मन सना ह क मलयकत क श वरस य म स ाथक आया ह उस ही ढढ (घमकरपास जाकर) अर वह यह ह

स ाथक (दखकर) अर यह या य म स स ाथक तो इधर हीआ गए (पास जाकर) म अ छ तो हो[दोन आपस म म स आ लगन करत ह]

स स ाथक अर म मझ सख कहा इतन दन तक बाहर रहकरतो आए पर बना कोई समाचार कह-सन कह और हीनकल पड़

स ाथक य सख नाराज़ य होत हो मझ दखत ही आयचाण य न आ ा द द क स ाथक जाओ यदशनदव च ग त को यह य स दह सनाओ इस लएमहाराज को सनाकर स करक तब तमस मलनत हार ही घर जा रहा

स स ाथक म य द म सन सकता तो बताओ क तमनयदशन च ग त को या सनाया

स ाथक म या कोई ऐसी बात भी ह जो म त ह न सना सकसनो आय चाण य क नी त स रा मा मलयकत नरा स को पद स हटाकर च वमा आ द मख राजाको मार डाला तब राजा न मलयकत क बार म यह

सोचकर क यह रा मा तो ववकहीन ह अपन-अपनरा य क र ा क लए मलयकत क श वर न अपनबच-खच साथी इक कए और अपन रा य को लौटगए तब भ भ प षद हगरात बलग त राजसनभागरायण रो हता और वजयवमा आ द धान प षन मलयकत को गर तार कर लया

स स ाथक म जा म तो चचा ह क भ भ आ द दव च ग तक व होकर मलयकत क आ य म चल गए थ तबयह सब या ह जो क कसी अयो य क व क रच एनाटक क भा त आर भ म कछ और ह और अ त म कछऔर

स ाथक वधाता क समान अबो य काम करती ह आय चाण यक नी त उस सौ बार नम कार करो

स स ाथक अ छा फरस ाथक तब आय चाण य न वशाल सना क साथ नकलकर

राजाहीन स पण श -सना पर अपना अ धकार करलया

स स ाथक कहा म स ाथक वह जहा मद-जल बरसात गव ल मघ -स यामल हाथी

चघाड़ रह थ और कशाघात स डर चपल तरग अपनसवार को चचल करत ए य क लए तयार खड़ थ

स स ाथक चलो आ पर सबक सामन इस तरह म ी-पदछोड़कर आय चाण य न फर उसी पद को य वीकारकर लया

स ाथक ब त भोल हो तम म जस आय चाण य क बको अमा य रा स भी नह समझ सका उस तम य हीजानना चाहत हो

स स ाथक अब अमा य रा स कहा हस ाथक म जब लय का-सा कोलाहल बढ़ता चला गया तब

अमा य रा स मलयकत क श वर स नकल पड़ा उ रनामक त पीछा करन लगा अब रा स यह कसमपर मआ प चा ह यह वय उ र न आय चाण य स कहा ह

स स ाथक म न द-रा य को वापस लन म य नशील रा स एकबार कसमपर छोड़ जान पर अब बलकल असफलहोकर यहा य लौट आया ह

स ाथक म अनमान ह क च दनदास क नह क कारणस स ाथक म या सचमच ही च दनदास क नह स या

च दनदास छट सकगा

स ाथक म उस अभाग का छटकारा कहा वह आय चाण यक आ ा स शी ही हम दोन ारा व य थल पर लजाकर मारा जाएगा

स स ाथक ( ोध स) म या आय चाण य क पास और कोईघातक नह रहा क उ ह न हम लोग को ऐस नीच कायम लगाया ह

स ाथक म कौन ऐसा ह क जो जी वत रहन क इ छा भी करऔर आय चाण य क भी व हो जाए बस चलोचल चा डाल का वश धारण करक च दनदास को वध-भ म म ल चल

[दोन का थान][ वशक समा त]

[हाथ म र सी लए एक प ष का वश]प ष छः गण 1 स गथी ई वजय क उपाय स बट ई श

को बाधन म कशल आय चाण य क नी त-र ज2 कजय (घम- फरकर दखकर) आय चाण य क उ रनामक त न यही जगह बताई थी जहा अमा य रा सक आ प चन क आशा ह (दखकर) या य अमा यरा स ही मख को कपड़ म छपाए इधर चल आ रह हतो म इस परान उ ान क व क आड़ म छपकर दखक व कहा कत ह (घमकर बठ जाता ह)

[मह ढक ए सश रा स का वश]रा स (आख म आस भरकर) हाय क दा ण क आ य

वन हो जान पर कलटा क तरह कातर होकररा यल मी परप ष क पास चली गई नह- याग करनपर अपन पवव तय का अनगमन करती जा भी उसील मी क साथ हो ली व सनीय प ष न भीअसफलता क कारण काय का भार उठाना छोड़ दयाhellipकरत भी या व वय सरकट हा थय क तरह होगए ह न द जस भवन र को छोड़कर राचा रणीरा यल मी ढ ठ च र हीना श ा क भा त छल स वषलक पास जाकर थर हो गई ह हम ही या कर भा यभी तो श क तरह हमार हरक य न को असफल करनम लगा आ ह चाण य क हाथ न मार जान यो य दवन द क वगवासी होन पर पवत र का आ य लकर

य न कया पर वह भी मर गया उसक बाद उसक प

क सहायता ली क त फर भी असफलता ही मलीमझ तो लगता ह क भा य ही न द वश का श ह वह

ा ण चाण य नह ह ल छ मलयकत भी कसाब हीन ह सवश न हो जान वाल वामी क जो अभीतक सवा कर रहा ह वह रा स जीत जी श स कसस ध कर सकता ह उस मख अ छ-बर क पहचान नकरन वाल ल छ मलयकत न यह भी नह सोचा नह अथवा भा य स त मन य क ब पहल स ही उलटहो जाती ह ल कन रा स अब भी श क हाथ पड़करमर जाएगा पर त उस च ग त स स ध कभी नही नहकरगा अपनी त ा को पण न करन का कलक फरभी अ छा ह क त श क छल-बल स अपमा नत होनातो अस ह (चार ओर आस-भरी आख स दखकर)यह दव न द क चरण स प व ई कसमपर कउपक ठ भ म1 ह यह यचा ख चन स ढ ली पड़ीलगाम को कसकर पकड़त ए दव न द न घोड़ को खबतज दौड़ाकर भागत ए कौशल स ल य को बाणमारकर बध दया था यह उ ान क णय म उ ह नराजा क साथ बठकर वचार कया था आज यहीभ मया मर दय को अ य त लश द रही ह म अभागाकहा जाऊ (दखकर) इसी जीण उ ान म चल औरकसी तरह च दनदास का पता लगाऊ (घमकर वगत)अर प ष क उतार-चढ़ाव का कोई पता नह लगासकता जो कभी पहल नकलता था तो लोग उस एक-सर को ऐस उग लया उठाकर दखात थ जस नया

च मा हो और जो कभी हजार राजा स घरा आराजा क तरह ही कसमपर स नकला करता था वही मआज असफल होकर चोर क तरह डरता-डरता चपक-चपक इस परान उपवन म वश कर रहा अर जसक

साद स यह सब होता था अब व ही नह रह ( वशकरक) ओह अब जीण ान क वह शोभा कहा चलीगई अ य त प र म स न मत वह ासाद न द वश कभा त ही न हो गया म क वयोग स सख ए दयक भा त तालाब भी सख गया भा य स त व भीनी त क भा त ही फलहीन हो गए और यहा क भ म भी

कनी त क कारण मख क ब क तरह घास-पात सढक गई तीख परश स इन व क अग काट दएगए य कबतर क प या नह ब क उसक घाव कोदखकर ख स रोत ए वजन ह उस खी जानकरउसास-सा लत ए साप डोल रह ह अपनी कचल याछोड़त ह मानो घाव पर फाहा लगा रह ह अ दर स सखगए ह य व क ड़ न सब कछ खा डाला ह रसटपकता ह क य रो रह ह छायाहीन य व तो ऐस लगतह जस कोई मशान जान को उ त हो

इस टट शला पर बठ जाऊ अभाग को यह तोमल ही जाती ह (बठकर और कान लगा सनकर) अरयह शखपटह क वर स सय यह ना द श द कहा होरहा ह कतना च ड श द ह क ोता क कान फाड़द रहा ह जब वह वहा समाया नह तो हवा पर चढ़करइधर आ रहा ह मानो दशा का व तार दखन को यहचचल हो उठा हो (सोचकर) हा समझा मलयकत कोगर तार कर लन क कारण यह राजकल ( ककर ई याऔर ख स) मौय कल का आन द कट कर रहा ह(आख म आस भरकर) हाय दा ण क हाय र लशदववश पहल तो श क वभव क बात ही सनी थी फरभा य न यहा लाकर उस दखा दया अब मझ लगता हक व ध मझ उसको सवा मभाव स वीकार करान काय न कर रही ह

प ष य बठ गए अब मझ भी आय चाण य क आ ा कापालन करना चा हए[रा स क ओर न दखकर अपन गल म र सी का फदालगान लगता ह]

रा स (दखकर वगत) अर यह कौन फासी लगा रहा हअव य यह कोई मर जसा ही खी ह इसस पछ (पासजाकर कट) भ भ यह या कर रह हो

प ष (रोता आ) आय जो य म क नाश स खी हमारजसा अभागा कर सकता ह

रा स ( वगत) मन पहल ही सोचा था क कोई मझ जसा हीअभागा ह ( कट) भ जीवन क ख पी शाला कसहपाठ य द कोई बड़ी और ग त बात न ह तो मझबताओ आ खर मरत य हो

प ष (दखकर) आय न वह रह य ह न कोई बड़ी बात ही परमरा य म मरन को ह इसी ख स म मरता मझमरन दो समय न न कराओ

रा स (द घ ास लकर वगत) हाय अपन म पर पड़ीवप य म भी हम पराय क तरह उदासीन हो गए हmdashइसन हम यह भान करा दया ह ( कट) य द वह रह यनह ह ज़रा-सी बात ह तो मझ बताओ न ख काकारण या ह

प ष उफ कतना आ ह ह आय आपका या क सनाता इस नगर म कोई ज णदास म णकार ह

रा स ( वगत) ज णदास च दनदास का परम म ह ( कट)उसका या आ

प ष वह मरा य म हरा स ( स ता स वगत) अर य म ह तब तो ब त

पास का स ब ध ह अर अब च दनदास का समाचारमल जाएगा ( कट) तो या आ भ

प ष (आस-भरी आख स) इस समय गरीब को अपना धनबाटकर वह अ न- वश करन नगर क बाहर चला गयाह म भी इस समाचार को सनन स पहल ही क मरा

य म मर गया यहा गल म फदा लगाकर मरन आया

रा स भ त हारा म अ न- वश य कर रहा ह या वहकसी असा य रोग स पी ड़त ह

प ष नह आय नह रा स तो या अ न और वष क भा त भयानक राजकोप स

पी ड़त हप ष नह आय नह च ग त क रा य म ऐसी नशसता नह

हरा स तो या कसी ी स म हो गया थाप ष (कान पर हाथ रखकर) आय पाप शात हो पाप शा त

हो अ य त वनयशील व य क लए यह सोचा भी नहजा सकता और फर ज णदास क लए

रा स तो व भी त हारी तरह य म क वनाश क कारण मररह ह

प ष हा आय यही बात हरा स (घबराकर वगत) च दनदास इसक म का य म ह

और म क वनाश क कारण ही वह मर रहा ह सच तोयह ह क य म क च ता मझ ाकल कर उठ ह

( कट) भ मझ अपन म क प व च र का पराववरण सनाओ

प ष आय म अभागा अब मरन म और दर नह कर सकतारा स भ वह बात तो बताओप ष या क अ छा कहता स नए

रा स सन रहा भ प ष आप जानत ह ग इस नगर म म णकार च दनदास

रहता हरा स (खद स वगत) मर वनाश का ार भा य न खोल

दया ह ओ मर दय थर रह तझ अभी और भीवदा ण सवाद सनना ह ( कट) भ कहत ह वह बड़ाम -व सल ह उसको या आ

प ष वह इस ज णदास का परम म हरा स ( वगत) अर दय व सहन को त पर हो जा ( कट)

हा फरप ष आज ज णदास न य क नह स च ग त स उ चत ही

कहारा स या कहा कसप ष कहाः दव मर पास घर-प रवार पालन को काफ धन ह

उस लकर उसक बदल म मर य म च दनदास कोछोड़ द जए

रा स ( वगत) ध य ज णदास ध य तमन म - म नबाहाजस धन क लए प पता को और पता प को श समझन लगता ह म मलना छोड़ दत ह उसी धन कोतम अपन म को म करान क लए उपयोग कर रहहो उस ःख क भा त छोड़ रह हो तमन तो ापारीवभाव ही उलटा कर दया ( कट) भ तब मौय नया कहा

प ष आय ऐसा कहन पर च ग त न उसस कहा क हमनधन क लए च दनदास को द ड नह दया ज णदासइसन अमा य रा स का कट ब कह छपा रखा ह हमनकई बार उस इसस मागा पर इसन नह दया अब भीय द उस हमार हाथ स प द तो हम इस छोड़ दग अ यथा

ाणद ड अव य मलगाhellip इसक बाद च दनदास कोव य- थान क ओर ल जाया जान लगा ज णदास नकहा क इसस पहल क म म क म य क बात सन मही मर जाऊ वह अ न म जल मरन नगर क बाहर

नकल गया म भी ज णदास क मरन का समाचार सननस पहल ही मर जाना चाहता इसी स यहा आया

रा स भ च दनदास अभी मारा तो नह गयाप ष नह आय अभी नह उसस बार-बार अमा य रा स का

कट ब मागा जा रहा ह पर वह म - म क कारण साफमना कर रहा ह इसी लए उसक मरन म दर हो रही ह

रा स (सहष वगत) ध य च दनदास ध य म शरणागतक र ा करक तमन श व क भा त यश पा लया( कट) भ hellipभ तम शी जाओ और ज णदास कोजलन स रोको म भी चदनदास को मरन स रोकता

प ष आय आप च दनदास को मरन स कस रोक सकत हरा स (खड ग ख चकर) और कसी स नह इय खड ग स

पौ ष- य खड ग स दखो नमल आकाश-सा श रण- म क कारण पल कत-सा मर हाथ का साथी बलक अ धकता को स ाम क कसौट पर ही दखान वालामरा यह खड ग म - म क कारण ववश बन ए मझकोअब प षाथ दखान को उकसा रहा ह

प ष आय इस मन सन लया क च दनदास बच सकता हपर ऐस समय म इस खड ग क योग का प रणाम याहोगा यह तो सो चए (दखकर चरण पर गरकर) याआप ही वनामा य अमा य रा स ह स होइएकपया मरा स दह र क रए

रा स भ म वही वामी-कल- वनाश स खी म क वनाशक कारण वनामध य अनाय रा स

प ष ( स ता स फर पाव पर गरकर) स ह स ह आ य दखकर ही कताथ हो गया

रा स भ उठो समय न न करो उठो ज णदास स जाकरकहो क रा स च दनदास को म य स छड़ाता ह इसखड ग म मरा पौ ष ह स ाम म ही इसक कसौट ह

प ष ( फर पाव पर गरकर) स ह अमा य स ह नगर म रा मा च ग त न पहल शकटदास क वध कआ ा द थी उस कसी न व य थल स भगाकर कहऔर प चा दया च ग त न पछा क ऐसा माद य

आ आय शकटदास का वध न होन क कारण उसनअपनी ोधा न को व धक क म य पी जल सबझाया तब स व धक जब कसी श धारी को आग यापीछ कह दखत ह तो रा त म ही अपनी र ा करन को

व य थल म प चन स पहल ही व य प ष को मारडालत ह आप श लकर जाएग तो यही च दनदास कशी म य का कारण बन जाएगा ( थान)

रा स ( वगत) उफ चाण य क नी त का माग कौन समझसकता ह य द शकटदास श क स म त स मर पासप चाया गयाhellipतो श न घातक को य मरवा दयाऔर यह य द जाल ह तो उसन वसा प लखकरन दवश का अ हत य कया तक क आधार पर मरीब कसी न य पर नह प च रही (सोच करक) नह यह श ल जान का समय नह ह इसस तो म कानाश शी तर हो जाएगा नी त का फल ब त समय कप ात कट होता ह अतः यहा उसका या योजनइतन गहर म क त म उदासीन भी नह हो सकताअतः यही सही म अपन म क म क लए अपनशरीर को दकर उसका म य चकाऊगा

[ थान][छठा अक समा त]

1 पीन- पलान क गो या म दरा पीन क गो या परान समय म भारत म ब त च लतथ

1 गण= अथात छः र सया बटकर बनी एक र सी गण का सरा अथ तो प ही ह छःगण राजनी त म हmdashसाम दाम द ड भद इ या द

2 र ज=र सी र सी क नी त स तलना क गई ह1 नगर क बाहर क जगह Suburb जस गाव म ज भाषा म lsquoगौड क धरतीrsquo कहत

सातवा अक

[चाडाल का वश]चाडाल हट जाओ आय हट जाओ हटो मा यो हटो य द

आप अपन जीवन ाण वभव कल ी आ द क र ाकरना चाहत ह तो य नपवक रा य का अ हत करनक भावना का याग क रए अप य भोजन स मन य कोरोग या म य क ही ा त होती ह पर त राज ोह जसअप य स तो सारा वश ही न हो जाता ह य द आपकोव ास नह होता तो बाल-ब च क साथ व य थल परलाए गए इस राज ोही च दनदास को द खए(आकाश को दखकर) आय या कहा या पछा कच दनदास क बचन का कोई रा ता ह कहा इस अभागक बचन का रा ता ही या ह पर नह यह भी होसकता ह य द यह रा स क कट ब को द द ( फरआकाश दखकर) या कहा यह शरणागत-व सल अपन

ाण क र ा क लए ऐसा बरा काम कदा प नहकरगा आय य द यही बात ह तो इसक शभग त कसो चए अब र ा का वचार करन स या लाभ[ सर चा डाल क आग ी-प क साथ व यवश म सलीकध पर रख ए च दनदास का वश]

च दनदास हा धक न य च र -भग क भय म रहन वाल मझ जसआदमी क भी चोर क -सी म य हो रही ह भगवानकता त को नम कार ह र घातक को तो अपराधीऔर नरपराधी म कोई भद नह लगता म य कआशका स मास को छोड़कर कवल तनक पर जीनवाल भोल-भाल हरन को मारन म ही शकारी का वशषहठ य होता ह (चार ओर दखकर) हाय मज णदास मझ जवाब नह दत ऐस आदमी ही लभह जो इस समय दखाई द (अ -भर न स) य लोग जोआस-भरी आख स मझ दखत ए लौट रह ह य मर

म ही ह (घमता ह)दोन चाडाल (घमकर तथा दखकर) आय च दनदास तम व य थल म

आ चक हो अब स ब धय को लौटा दोच दनदास आय कट बनी तम प क साथ लौट आओ यह

व य थल ह इसस आग जाना ठ क नह कट बनी (रोत ए) आय परदश तो नह जा रह परलोक जा रह

ह अतः अब हम लौटकर या करगचदनदास आय ठ क ह मरा वध हो सकता ह पर म क काय क

कारण ही तो फर ऐस हष क अवसर पर भी रोती होकट बनी आय यही बात ह तो घरवाल य लौट जाएच दनदास आय तो त हारा या न य हकट बनी (रोकर) ी को तो प त क चरण का ही अनगमन करना

चा हएचदनदास आय यह रा ह ह यह अबोध ब चा ह इसपर तो दया

करोकट बनी कलदवता स होकर इस बालक क र ा कर व स

आग पता नह रहग इनक चरण को णाम करोप (पाव पर गरकर) पता आप चल जाएग अब म या

क चदनदास प उस दश म चल जाना जहा चाण य नह होचा डाल आय चदनदास सली गड़ चक ह सावधान हो जाओ

कट बनी आय र ा करो र ा करोचदनदास भ ण-भर ठहरो ाण य य रोती हो अब व दव

न द वग चल गए जो न य य पर दया कया करतथ

एक चाडाल अर वणव क इस च दनदास को पकड़ घर क लोगअपन-आप लौट जाएग

सरा चाडाल अर व लोमक अभी पकड़ता चदनदास भ मख एक ण और ठहर जाओ म त नक अपन प

का आ लगन कर ल (प स आ लगन कर नह सउसका सर सघकर) प म य तो कभी न कभी वस भीहोगी ही इस लए म म का काय परा करत ए इससमय मर रहा

प तात या यह हमारा कल-पर परा स आया धम ह (परपर गरता ह)

सरा चाडाल अर व लोमक पकड़[दोन चा डाल सली पर चढ़ान क लए चदनदास कोपकड़त ह]

कट बनी (छाती पीटकर) आय बचाओ बचाओ

रा स (पदा हटाकर वश करत ए) डरो मत डरो मत अरसली दन वालो अब च दनदास को मत मार य कजसन श कल क भा त वामीकल वन होत ए दखाह जो म क आप म आनदो सव मनात कभा त रहा और अपमा नत होकर भी जो मरन को तयारह ऐस मझ रा स को पकड़ो मझ अभाग क गल मयमलोक क माग जसी इस व यमाला को डाल दो

चदनदास (दखकर रोता आ) अमा य यह आपन या कयारा स त हार प व च र क कवल एक अश का अनकरण

चदनदास अमा य मर सार उ ोग को ऐस थ करक या आपनउ चत कया ह

रा स म चदनदास उपाल भ मत दो स पण ससार वाथह भ तम यह समाचार रा मा चाण य स कह दो

एक चाडाल यारा स क लए अ य त य इस भयानक क लकाल म भी

जसन अपन ाण दकर सर क ाण क र ा करन काय न कया ह और इस कार श व क यश को भीतर कत कर दया ह जस प व ा मा क वशाल च रन ब क च र को भी छोटा बना दया हः ऐसवश ा मा पजनीय चदनदास का वध जस कलए तम करन जा रह थ वह म उप थत

एक चाडाल अर वणव क त इस चदनदास को पकड़कर इसमरघट क पड़ क छाया म बठ म आय चाण य क सवाम यह नवदन करक आता क अमा य रा स पकड़गए

सरा चाडाल अर व लोमक ठ क ह यही करएक चाडाल (रा स क साथ घमकर) अर कौन ह यहा ारपाल म

न द वश क सना को मारन क लए व जस तथामौय वश म धम- थापना करन वाल आय चाण य सनवदन करोhellip

रा स ( वगत) यह भी रा स को सनना थाएक चाडाल आपक नी त स क ठतब रा स पकड़ गए ह

[जव नका1 स शरीर ढक और कवल मख खोल चाण यका वश]

चाण य (सहष) भ कहो कहो ऊची लपट क कारण पीलीदखाई दन वाली अ न को कपड़ म कसन बाधा हकसन पवन क ग त को र सय स रोका ह कसन

मतवाल हा थय क मद-जल स सर भत और भीग एसह को पजर म ब द कया ह कसन भयानक मकर-न स भर सम को हाथ स तरकर पार कया ह

एक चाडाल नी त- नपण आय न हीचाण य भ ऐसा नह ह यह कहो क नद वश क षी दव न ही

ऐसा कया हरा स (दखकर वगत) अर वही रा मा या महा मा कौ ट य

ह यह र न क आकर सम क भा त शा का आगारह हम इसक गण स ई या करत ह म नह

चाण य (दखकर सहष) अर य तो अमा य रा स ह जसमहा मा क कारण दर-दर तक जागकर बड़-बड़ उपायसोचत-करत मौय सना और मरी ब थक गई ह (पदाहटाकर और पास आकर) अमा य रा स आपकोव णग त नम कार करता ह

रा स ( वगत) अब lsquoअमा यrsquo वशषण ल जा दन वाला-सालगता ह ( कट) अर व णग त म चा डाल क पश स

षत मझ मत छएचाण य अमा य रा स यह चा डाल नह ह यह तो आपका

पवप र चत रा य-कमचारी स ाथक ह वह सरा भीरा यकमचारी स स ाथक ह और शकटदास क इनदोन स म ता करवाकर इसस मन ही छल क ारा वहप लखवाया था इस स ब ध म वह बचारा तो कछजानता ही नह था

रा स ( वगत) उफ शकटदास क त मरा सदह तो र आचाण य ब त या क स प म यही ह क आपक सवक

भ भ आ द कपट-भरा लख आपका व ासपास ाथक तीन आभषण आपका म पणकजीण ान वाल ःखी प ष चदनदास क क -इनसबका आयोजन-सचालन मर ारा ही आ (कहकरल जा स सक चत होता ह) और वीरवर यह सब मनआपका च ग त स मलन करान क लए ही कयाद खए यह वषल आपस मलन आ रहा ह

रा स ( वगत) या क ( कट) दखता [राजा का अनचर -स हत वश]

राजा ( वगत) बना य कए ही आय न जय श को हरादया म तो सकोच म पड़ गया फल रहत ए भीकाम न करन करन स ल जत होकर ही नीच मह कए

तरकश म पड़ बाण का-सा जीवन मर लए सतोष कावषय नह ह अथवा ऐसा सोचना ठ क नह ह-मरसमान रा य-सख क न द लन वाल जस राजा क रा य-सचालन म नर तर जाग क आचाय चाण य जस

सल न ह (चाण य क पास जाकर) hellipआयच ग त णाम करता ह

चाण य वषल त ह जो आशीष दए थ व सब सफल एइस लए आदरणीय अमा य रा स को णाम करो

य क य त हार पता क धानम ी हरा स ( वगत) इसन तो स ब ध करा दयाराजा (रा स क पास जाकर) आय म च ग त अ भवादन

करता रा स (दखकर वगत) अर यह च ग त ह इसक बचपन म

ही लोग कहत थ क यह बड़ा होकर कछ होगा जसधीर-धीर हाथी अपन झड का अ धप त हो जाता ह वसही यह भी अब सहासन पर चढ़ गया ( कट) राजनवजयी ह

राजा आय जरा सो चएः नी त क छह गण म आपक एव गचाण य क जाग क रहन पर ससार क वह कौन-सीव त ह जो मरी न हो जाए

रा स ( वगत) या कौ ट य- श य च ग त मझ अपना भ यवीकार कर रहा ह या यह कवल इसक न ता ह पर

च ग त क त मरी ई या उस ठ क तरह समझन मबाधक रही ह सब तरह स चाण य यश वी ह यो यओर प षाथ राजा को पाकर तो मख म ी भी क त

ा त कर लता ह पर अयो य राजा क पास जाकर तोअ य त नी त म ी भी कगार पर खड़ पड़ क तरहआ य- वहीन होकर गर जाता ह

चाण य अमा य रा स या आप च दनदास क ाण क र ाचाहत ह

रा स व णग त इसम या स दह हचाण य अमा य आप बना श उठाए ही च ग त पर अन ह

कर रह ह यही स दह ह य द आप सचमच चदनदासक र ा करना चाहत ह तो यह श हण क जए

रा स नह व णग त यह ठ क नह ह म इसक लए अयो य और फर आपका उठाया श धारण क

चाण य अमा य रा स यह कस कहत ह क आप अयो य ह

और म यो य आप तो दा त श का दमन करनवाल ह आपक भय सhellipइन घोड़ को द खएhellipजोनर तर मह म लगाम दबाए रहन स बल हो गए हइनक र क सना क यो ा को द खए जो सदव य -त पर रहन क कारण न खा सक ह न पी सक ह ननहात ह न चन पात ह यह द खए इन य क लए सजहा थय को कस द न दखत ह पर अब इस सबस

या य द आप श नह थामग तो च दनदास भी नहबचगा

रा स ( वगत) दव न द का नह मर दय को छ रहा ह तो भीम उनक श का भ य बन गया अर जन व कोअपन हाथ स पानी द-दकर स चा या उ ह अब वय हीकाटना होगा म क ाण-र ा क लए मझ अमा यपद का यह श आज धारण करना पड़ रहा ह भा य ककाय भी कतन व च होत ह ( कट) व णग त खड गलाओ सब कछ जसस स ह ऐस म - नह क आगम नतम तक या चारा ह म उ त

चाण य ( स ता स अपन हाथ का खड ग उस सम पत कर दताह ) वषल वषल अमा य रा स न श धारण करकत ह अनगहीत कर दया ह सौभा य स त हारा उ कषहो रहा ह

राजा च ग त आपक कपा को जानता ह आयप ष ( वश कर) आय क जय हो आय भ भ भागरायण

आ द मलयकत को हाथ-पाव बाधकर राज ार पर लाएह आ ा द जए

चाण य हा सन लया भ यह अमा य रा स स नवदन करोअब य ही सब राज-काज क व था कया करग

रा स ( वगत) या कौ ट य मझ राजसवक बनाकर मर ही महस कछ कहलवाना चाहता ह क भी या ( कट)राजन च ग त आप जानत ह मन कछ दन मलयकतक यहा नवास कया ह अतः इनक ाण-र ा क जए

[राजा चाण य क मख क ओर दखता ह]चाण य वषल यह अमा य रा स का सबस पहला य ह इस

मानना ही चा हए (प ष को दखकर) भ मरी ओर सभ भट ट आ द स कहो क अमा य रा स क ाथना परच ग त फर स मलयकत को उसक पता का रा यलौटा रह ह इस लए आप लोग उसक साथ जाइए और

उसका रा या भषक करक ही आइएप ष जो आ ा आय

चाण य ठहर भ ठहर दखो भ ऐस ही वजयपाल औरगपाल स कह दो क अमा य रा स न अमा य पद-शहण कर लया ह इस लए दव च ग त उनक त म

क कारण आ ा दत ह क च दनदास प वी क सारनगर म पद पर मान जाए

प ष जो आ ा आय ( थान)चाण य राजन च ग त त हारा और या य क

राजा या अब भी कछ य करना रह गया रा स जसा मदया रा य पर मझ थर कर दया और न द का जड़ सनाश कर दया अब और करना ही या रहा

चाण य वजय वजयपाल और गपाल स कहो क अमा यरा स स म होन का कारण दव च ग त आ ा दत हक कवल हाथी-घोड़ बध रहन दो शष सबको म करदो पर जब अमा य रा स ही नता ह तब उनस भी याकाम इस लए सभी हाथी-घोड़ छोड़ दो अब त ापण ई म भी अपनी शखा बाधता

तहारी जसी आय क आ ा ( थान)चाण य अमा य बताओ अब म आपका या य क

रा स या इसस अ धक कछ ओर भी य हो सकता ह य दइतन पर सतोष न हो तो फरः

भरतवा यक प क आर भ म घन लय म डबी धरा न

अतल बलमय चर दयामय व ण क अवतार जनवीरवर वाराह क उस दत का आ य लया था

आज ल छ स ई जब पी ड़ता वहव ण क स स ढ़ घन भजद ड वाल वीर न य

च ग त महान क भजद ड का आ य लया हव कर र ा धरा क चर समय तकरह वभव सदा उनका भ -सवक

[सबका थान][सातवा अक समा त]

1 जव नकाmdashज द गरन वाला पदा

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