great hindi poems by h r bachan

72
HindiBooksOnline.blogspot.com

Upload: vijay-dubey

Post on 30-Oct-2014

37 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: Great Hindi Poems by H R Bachan

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकस कर म यह वीणा धर ददवो न था िजस बनाया दवो न था िजस बजाया

मानव क हाथो म कस इसको आज समिपरत कर द

िकस कर म यह वीणा धर द

इसन ःवगर िरझाना सीखा ःविगरक तान सनाना सीखा

जगती को खश करनवाल ःवर स कस इसको भर द

िकस कर म यह वीणा धर द

कयो बाकी अिभलाषा मन म झकत हो यह िफर जीवन म

कयो न हदय िनमरम हो कहता अगार अब धर इस पर द

िकस कर म यह वीणा धर द

ndash

साथी सब कछ सहना होगामानव पर जगती का शासन

जगती पर ससित का बधन

ससित को भी और िकसी क ितबधो म रहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

हम कया ह जगती क सर म जगती कया ससित सागर म

एक बल धारा म हमको लघ ितनक-सा बहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

आओ अपनी लघता जान अपनी िनबरलता पहचान

जस जग रहता आया ह उसी तरह स रहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

िदन जलदी-जलदी ढलता ह

हो जाय न पथ म रात कही मिज़ल भी तो ह दर नही -

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी चलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग -

यह धयान परो म िचिड़यो क भरता िकतनी चचलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

मझस िमलन को कौन िवकल

म होऊ िकसक िहत चचल -

यह शन िशिथल करता पद को भरता उर म िवहवलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

ndash

किव की वासनाकह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 1

HindiBooksOnlineblogspotcom

सिषट क ारमभ म मन उषा क गाल चम

बाल रिव क भागय वाल

दीपत भाल िवशाल चम

थम सधया क अरण दग

चम कर मन सलाए

तािरका-किल स ससिजजत

नव िनशा क बाल चम

वाय क रसमय अधर पहल सक छ हॉठ मर

मिततका की पतिलयॉ स

आज कया अिभसार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 2

िवगत-बालय वसनधरा क

उचच तग-उरोज उभर तर उग हिरताभ पट धर काम क धवज मतत फहर

चपल उचछखल करो न

जो िकया उतपात उस िदन

ह हथली पर िलखा वह

पढ़ भल ही िवशव हहर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयास वािरिध स बझाकर भी रहा अतपत ह म

कािमनी क कच-कलश स

आज कसा पयार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 3

इनिधन पर शीश धरकर बादलो की सज सखकर सो चका ह नीद भर म चचला को बाह म भर

दीप रिव-शिश-तारको न

बाहरी कछ किल दखी

दख पर पाया न कोई

ःवपन व सकमार सनदर

जो पलक पर कर िनछावर थी गई मध यािमनी वह

यह समािध बनी हई ह

यह न शयनागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 4

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 2: Great Hindi Poems by H R Bachan

िकस कर म यह वीणा धर ददवो न था िजस बनाया दवो न था िजस बजाया

मानव क हाथो म कस इसको आज समिपरत कर द

िकस कर म यह वीणा धर द

इसन ःवगर िरझाना सीखा ःविगरक तान सनाना सीखा

जगती को खश करनवाल ःवर स कस इसको भर द

िकस कर म यह वीणा धर द

कयो बाकी अिभलाषा मन म झकत हो यह िफर जीवन म

कयो न हदय िनमरम हो कहता अगार अब धर इस पर द

िकस कर म यह वीणा धर द

ndash

साथी सब कछ सहना होगामानव पर जगती का शासन

जगती पर ससित का बधन

ससित को भी और िकसी क ितबधो म रहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

हम कया ह जगती क सर म जगती कया ससित सागर म

एक बल धारा म हमको लघ ितनक-सा बहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

आओ अपनी लघता जान अपनी िनबरलता पहचान

जस जग रहता आया ह उसी तरह स रहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

िदन जलदी-जलदी ढलता ह

हो जाय न पथ म रात कही मिज़ल भी तो ह दर नही -

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी चलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग -

यह धयान परो म िचिड़यो क भरता िकतनी चचलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

मझस िमलन को कौन िवकल

म होऊ िकसक िहत चचल -

यह शन िशिथल करता पद को भरता उर म िवहवलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

ndash

किव की वासनाकह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 1

HindiBooksOnlineblogspotcom

सिषट क ारमभ म मन उषा क गाल चम

बाल रिव क भागय वाल

दीपत भाल िवशाल चम

थम सधया क अरण दग

चम कर मन सलाए

तािरका-किल स ससिजजत

नव िनशा क बाल चम

वाय क रसमय अधर पहल सक छ हॉठ मर

मिततका की पतिलयॉ स

आज कया अिभसार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 2

िवगत-बालय वसनधरा क

उचच तग-उरोज उभर तर उग हिरताभ पट धर काम क धवज मतत फहर

चपल उचछखल करो न

जो िकया उतपात उस िदन

ह हथली पर िलखा वह

पढ़ भल ही िवशव हहर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयास वािरिध स बझाकर भी रहा अतपत ह म

कािमनी क कच-कलश स

आज कसा पयार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 3

इनिधन पर शीश धरकर बादलो की सज सखकर सो चका ह नीद भर म चचला को बाह म भर

दीप रिव-शिश-तारको न

बाहरी कछ किल दखी

दख पर पाया न कोई

ःवपन व सकमार सनदर

जो पलक पर कर िनछावर थी गई मध यािमनी वह

यह समािध बनी हई ह

यह न शयनागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 4

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 3: Great Hindi Poems by H R Bachan

आओ अपनी लघता जान अपनी िनबरलता पहचान

जस जग रहता आया ह उसी तरह स रहना होगा साथी सब कछ सहना होगा

िदन जलदी-जलदी ढलता ह

हो जाय न पथ म रात कही मिज़ल भी तो ह दर नही -

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी चलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग -

यह धयान परो म िचिड़यो क भरता िकतनी चचलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

मझस िमलन को कौन िवकल

म होऊ िकसक िहत चचल -

यह शन िशिथल करता पद को भरता उर म िवहवलता ह िदन जलदी-जलदी ढलता ह

ndash

किव की वासनाकह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 1

HindiBooksOnlineblogspotcom

सिषट क ारमभ म मन उषा क गाल चम

बाल रिव क भागय वाल

दीपत भाल िवशाल चम

थम सधया क अरण दग

चम कर मन सलाए

तािरका-किल स ससिजजत

नव िनशा क बाल चम

वाय क रसमय अधर पहल सक छ हॉठ मर

मिततका की पतिलयॉ स

आज कया अिभसार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 2

िवगत-बालय वसनधरा क

उचच तग-उरोज उभर तर उग हिरताभ पट धर काम क धवज मतत फहर

चपल उचछखल करो न

जो िकया उतपात उस िदन

ह हथली पर िलखा वह

पढ़ भल ही िवशव हहर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयास वािरिध स बझाकर भी रहा अतपत ह म

कािमनी क कच-कलश स

आज कसा पयार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 3

इनिधन पर शीश धरकर बादलो की सज सखकर सो चका ह नीद भर म चचला को बाह म भर

दीप रिव-शिश-तारको न

बाहरी कछ किल दखी

दख पर पाया न कोई

ःवपन व सकमार सनदर

जो पलक पर कर िनछावर थी गई मध यािमनी वह

यह समािध बनी हई ह

यह न शयनागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 4

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 4: Great Hindi Poems by H R Bachan

सिषट क ारमभ म मन उषा क गाल चम

बाल रिव क भागय वाल

दीपत भाल िवशाल चम

थम सधया क अरण दग

चम कर मन सलाए

तािरका-किल स ससिजजत

नव िनशा क बाल चम

वाय क रसमय अधर पहल सक छ हॉठ मर

मिततका की पतिलयॉ स

आज कया अिभसार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 2

िवगत-बालय वसनधरा क

उचच तग-उरोज उभर तर उग हिरताभ पट धर काम क धवज मतत फहर

चपल उचछखल करो न

जो िकया उतपात उस िदन

ह हथली पर िलखा वह

पढ़ भल ही िवशव हहर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयास वािरिध स बझाकर भी रहा अतपत ह म

कािमनी क कच-कलश स

आज कसा पयार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 3

इनिधन पर शीश धरकर बादलो की सज सखकर सो चका ह नीद भर म चचला को बाह म भर

दीप रिव-शिश-तारको न

बाहरी कछ किल दखी

दख पर पाया न कोई

ःवपन व सकमार सनदर

जो पलक पर कर िनछावर थी गई मध यािमनी वह

यह समािध बनी हई ह

यह न शयनागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 4

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 5: Great Hindi Poems by H R Bachan

पयास वािरिध स बझाकर भी रहा अतपत ह म

कािमनी क कच-कलश स

आज कसा पयार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 3

इनिधन पर शीश धरकर बादलो की सज सखकर सो चका ह नीद भर म चचला को बाह म भर

दीप रिव-शिश-तारको न

बाहरी कछ किल दखी

दख पर पाया न कोई

ःवपन व सकमार सनदर

जो पलक पर कर िनछावर थी गई मध यािमनी वह

यह समािध बनी हई ह

यह न शयनागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 4

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 6: Great Hindi Poems by H R Bachan

आज िमटटी स िघरा ह

पर उमग ह परानी सोमरस जो पी चका ह

आज उसक हाथ पानी

होठ पयालो पर झक तो थ िववश इसक िलए व

पयास का ोत धार बठा आज ह मन िकनत मानी

म नही ह दह -धमोर स

बधा जग जान ल त

तन िवकत हो जाए लिकन

मन सदा अिवकार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 5

िनपिरौम छोड़ िजनको मोह लता िवशन भर को मानवो को सर-असर को वदध हमा िवण हर को

भग कर दता तपःया िसदध ऋिष मिन सततमो की व समन क बाण मन

ही िदए थ पचशर को

HindiBooksOnlineblogspotcom

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 7: Great Hindi Poems by H R Bachan

शिकत रख कछ पास अपन

ही िदया यह दान मन

जीत पाएगा इनही स

आज कया मन मार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 6

ाण ाणो स सक िमल

िकस तरह दीवार ह तन

काल ह घिड़या न िगनता बिड़यो का शबद झन-झन

वद-लोकाचार हरी ताकत हर चाल मरी

बदध इस वातावरण म कया कर अिभलाष यौवन

अलपतम इचछा यहा मरी बनी बनदी पड़ी ह

िवशव बीड़ाःथल नही र िवशव कारागार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 7

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 8: Great Hindi Poems by H R Bachan

थी तषा जब शीत जल की खा िलए अगार मन

चीथड़ो स उस िदवस था कर िलया ौगार मन

राजसी पट पहनन को जब हई इचछा बल थी

चाह-सचय म लटाया था भरा भडार मन

वासना जब तीोतम थी बन गया था सयमी म ह रही मरी कषधा ही सवरदा आहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा 8

कल िछड़ी होगी ख़तम कल

म की मरी कहानी कौन ह म जो रहगी िवशव म मरी िनशानी

कया िकया मन नही जो कर चका ससार अबतक

वदध जग को कयो अखरती ह कषिणक मरी जवानी

HindiBooksOnlineblogspotcom

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 9: Great Hindi Poems by H R Bachan

म िछपाना जानता तो जग मझ साध समझता शऽ मरा बन गया ह

छल-रिहत वयवहार मरा

कह रहा जग वासनामय

हो रहा उदगार मरा ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

This poem was originally inspired by a comment by Pt Banarsi Das Chaturvedi in the publication ldquoVishaal Bharatrdquo of which he was the

editor In response to that comment Bachchan wrote this poem and sent it to another well-known publication ldquoSaraswatirdquo with a note that it is in

response to somebodyrsquos comment (without naming him) When Pt Banarsi Das Chaturvedi noticed this poem he got it publihed in

ldquoViashaal Bharatrdquo itself while openly accepting that he was the one who had written a comment like that (Source Preface by Bachchan in the 7th

edition of Madhukalash)

इस पार उस पार1

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा यह चाद उिदत होकर नभ म कछ ताप िमटाता जीवन का लहरालहरा यह शाखाए

कछ शोक भला दती मन का

HindiBooksOnlineblogspotcom

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 10: Great Hindi Poems by H R Bachan

कल मझारनवाली किलया हसकर कहती ह मगन रहो बलबल तर की फनगी पर स

सदश सनाती यौवन का तम दकर मिदरा क पयाल

मरा मन बहला दती हो उस पार मझ बहलान का उपचार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

2

जग म रस की निदया बहती रसना दो बद पाती ह

जीवन की िझलिमलसी झाकी नयनो क आग आती ह

ःवरतालमयी वीणा बजती िमलती ह बस झकार मझ

मर समनो की गध कही यह वाय उड़ा ल जाती ह

ऐसा सनता उस पार िय

य साधन भी िछन जाएग

तब मानव की चतनता का आधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

3

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 11: Great Hindi Poems by H R Bachan

पयाला ह पर पी पाएग

ह जञात नही इतना हमको इस पार िनयित न भजा ह

असमथरबना िकतना हमको कहन वाल पर कहत ह

हम कमोर म ःवाधीन सदा करन वालो की परवशता

ह जञात िकस िजतनी हमको

कह तो सकत ह कहकर ही कछ िदल हलका कर लत ह उस पार अभाग मानव का अिधकार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

4

कछ भी न िकया था जब उसका उसन पथ म काट बोय

व भार िदए धर कधो पर जो रो-रोकर हमन ढोए

महलो क सपनो क भीतर जजरर खडहर का सतय भरा उर म ऐसी हलचल भर दी दो रात न हम सख स सोए

अब तो हम अपन जीवन भर उस बर किठन को कोस चक

उस पार िनयित का मानव स

HindiBooksOnlineblogspotcom

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 12: Great Hindi Poems by H R Bachan

वयवहार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

5

ससित क जीवन म सभग

ऐसी भी घिड़या आएगी जब िदनकर की तमहर िकरण तम क अनदर िछप जाएगी

जब िनज ियतम का शव रजनी तम की चादर स ढक दगी

तब रिव-शिश-पोिषत यह पथवी िकतन िदन खर मनाएगी जब इस लब-चौड़ जग का अिःततव न रहन पाएगा तब हम दोनो का ननहा-सा ससार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

6

ऐसा िचर पतझड़ आएगा कोयल न कहक िफर पाएगी

बलबल न अधर म गागा जीवन की जयोित जगाएगी

अगिणत मद-नव पललव क ःवर lsquoमरमरrsquo न सन िफर जाएग

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 13: Great Hindi Poems by H R Bachan

अिल-अवली किल-दल पर गजन

करन क हत न आएगी जब इतनी रसमय धविनयो का अवसान िय हो जाएगा तब शक हमार कठो का उदगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

7

सन काल बल का गर-गजरन

िनझरिरणी भलगी नतरन

िनझरर भलगा िनज lsquoटलमलrsquo

सिरता अपना lsquoकलकलrsquo गायन

वह गायक-नायक िसनध कही चप हो िछप जाना चाहगा मह खोल खड़ रह जाएग

गधवर अपसरा िकननरगण

सगीत सजीव हआ िजनम

जब मौन वही हो जाएग

तब ाण तमहारी तऽी का जड़ तार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

8

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 14: Great Hindi Poems by H R Bachan

उतर इन आखो क आग

जो हार चमली न पहन

वह छीन रहा दखो माली सकमार लताओ क गहन

दो िदन म खीची जाएगी ऊषा की साड़ी िसनदरी

पट इनिधनष का सतरगा पाएगा िकतन िदन रहन

जब मितरमती सतताओ की शोभा-सषमा लट जाएगी

तब किव क किलपत ःवपनो का ौगार न जान कया होगा

इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

9

दग दख जहा तक पात ह तम का सागर लहराता ह

िफर भी उस पार खड़ा कोई

हम सब को खीच बलाता ह

म आज चला तम आओगी कल परसो सब सगीसाथी दिनया रोती -धोती रहती िजसको जाना ह जाता ह

मरा तो होता मन डगडग

तट पर ही क हलकोरो स जब म एकाकी पहचगा

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 15: Great Hindi Poems by H R Bachan

मझधार न जान कया होगा इस पार िय मध ह तम हो उस पार न जान कया होगा

ndash

Collection Madhubala (Published 1936)

मधबालाम मधबाला मधशाला की म मधशाला की मधबाला म मध-िवबता को पयारी

मध क धट मझपर बिलहारी पयालो की म सषमा सारी मरा रख दखा करती ह

मध-पयास नयनो की माला म मधशाला की मधबाला

2

इस नील अचल की छाया म जग-जवाला का झलसाया आकर शीतल करता काया मध-मरहम का म लपन कर अचछा करती उर का छाला म मधशाला की मधबाला

3

मधघट ल जब करती नतरन

मर नपर क छम-छनन

HindiBooksOnlineblogspotcom

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 16: Great Hindi Poems by H R Bachan

म लय होता जग का बदन

झमा करता मानव जीवन

का कषण-कषण बनकर मतवाला म मधशाला की मधबाला

4

म इस आगन की आकषरण

मध स िसिचत मरी िचतवन

मरी वाणी म मध क कण

मदमतत बनाया म करती यश लटा करती मधशाला म मधशाला की मधबाला

5

था एक समय थी मधशाला था िमटटी का घट था पयाला थी िकनत नही साकीबाला था बठा ठाला िवबता द बद कपाटो पर ताला म मधशाला की मधबाला

6

तब इस घर म था तम छाया था भय छाया था म छाया था मातम छाया गम छाया ऊषा का दीप िलए सर पर म आई करती उिजयाला म मधशाला की मधबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 17: Great Hindi Poems by H R Bachan

7

सोन की मधशाना चमकी मािणत दयित स मिदरा दमकी मधगध िदशाओ म चमकी चल पड़ा िलए कर म पयाला तयक सरा पीनवाला म मधशाला की मधबाला

8

थ मिदरा क मत-मक घड़

थ मितर सदश मधपाऽ खड़

थ जड़वत पयाल भिम पड़

जाद क हाथो स छकर

मन इनम जीवन डाला म मधशाला की मधबाला

9

मझको छकर मधघट छलक

पयाल मध पीन को ललक

मािलक जागा मलकर पलक अगड़ाई लकर उठ बठी

िचर सपत िवमिचछरत मधशाला म मधशाला की मधबाला

10

पयास आए मन आका वातायन स मन झाका पीनवालो का दल बाका

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 18: Great Hindi Poems by H R Bachan

उतकिठत ःवर स बोल उठा lsquoकर द पागल भर द पयालाrsquo म मधशाला की मधबाला

11

खल दवार गए मिदरालय क

नार लगत मरी जय क

िमट िचहन गए िचता भय क

हर ओर मचा ह शोर यही lsquoला-ला मिदरा ला-लाrsquo म मधशाला की मधबाला

12

हर एक तिपत का दास यहा पर एक बात ह खास यहा पीन स बढ़ती पयास यहा सौभागय मगर मरा दखो दन स बढ़ती ह हाला म मधशाला की मधबाला

13

चाह िजतना म द हाला

चाह िजतना त पी पयाला चाह िजतना बन मतवाला सन भद बताती ह अिनतम

यह शात नही होगी जवाला म मधशाला की मधबाला

14

HindiBooksOnlineblogspotcom

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 19: Great Hindi Poems by H R Bachan

मध कौन यहा पीन आता ह िकसका पयालो स नाता जग दख मझ ह मदमाता

िजसक िचर तििल नयनो पर तनती म ःवपनो का जाला म मधशाला की मधबाला

15

यह ःवपन-िविनिमरत मधशाला यह ःवपन रिचत मध का पयाला ःविपनल त णा ःविपनल हाला ःवपनो की दिनया म भला

िफरता मानव भोलाभाला म मधशाला की मधबाला

ndash

Other Information

Collection Madhubala (Published 1936)

lsquoमघदतrsquo क ितlsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

1

हो धरिण चाह शरद की चादनी म ःनान करती

HindiBooksOnlineblogspotcom

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 20: Great Hindi Poems by H R Bachan

वाय ऋत हमनत की चाह

गगन म हो िवचरती

हो िशिशर चाह िगराता पीत-जजरर पऽ तर क

कोिकला चाह वनो म हो वसनती राग भरती

मीम का मातरणड चाह

हो तपाता भिम-तल को िदन थम आषाढ़ का म lsquoमघ-चरrsquo दवारा बलाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

2

भल जाता अिःथ-मजजा- मास यकत शरीर ह म

भासता बस - ध-सयत

जयोित-सिलल समीर ह म

उठ रहा ह उचच भवनो क

िशखर स और ऊपर

दखता ससार नीच

इनि का वर वीर ह म

मनद गित स जा रहा ह

पा पवन अनकल अपन

HindiBooksOnlineblogspotcom

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 21: Great Hindi Poems by H R Bachan

सग ह बक-पिकत चातक- दल मधर ःवर म गीत गाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

3

झोपड़ी गह भवन भारी महल औrsquo ासाद सनदर

कलश गमबद ःतमभ उननत

धरहर मीनार दढ़तर

दगर दवल पथ सिवःतत

और बीड़ोदयान-सार

मिनऽता किव-लखनी क

ःपशर स होत अगोचर

और सहसा रामिगिर पवरत

उठाता शीश अपना गोद िजसकी िःनगध-छाया- वान कानन लहलहाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

4

दखता इस शल क ही अक म बह-पजय प कर

HindiBooksOnlineblogspotcom

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 22: Great Hindi Poems by H R Bachan

पणय-जल िजनको िकया था जनक-तनया न नहाकर

सग जब ौी राम क व

थी यहा जब वास करती

दखता अिकत चरण उनक

अनक अचल-िशला पर

जान य पद-िचहन विदत

िवशव स होत रह ह दख इनको शीश म भी भिकत-ौदधा स नवाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

5

दखता िगिर की शरण म एक सर क रमय तट पर एक लघ आौम िघरा वन

तर लताओ म सघनतर

इस जगह कतरवय स चयत

यकष को पाता अकला

िनज िया क धयान म जो अौमय उचछवास भर-भर कषीणतन हो दीनमन हो और मिहमाहीन होकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 23: Great Hindi Poems by H R Bachan

वषर भर काता-िवरह क

शाप म दिदरन िबताता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

6

था िदया अिभशाप अलका- धयकष न िजस यकषवर को वषर भर का दणड सहकर

वह गया कब का ःवघर को

यसी को एक कषण उर स

लगा सब कषट भला

िकनत शािपत यकष तरा र महाकिव जनम-भर को

रामिगिर पर िचर िवधर हो यग-यगानतर स पड़ा ह

िमल न पाएगा लय तक

हाय उसका ौाप ऽाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

7

दख मझको ाण-पयारी दािमनी को अक म भर

HindiBooksOnlineblogspotcom

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 24: Great Hindi Poems by H R Bachan

घमत उनमकत नभ म वाय क मद-मनद रथ पर

अटटहास-िवहास स मख- िरत बनात शनय को भी

जन तखी भी कषबध होत

भागय सख मरा िसहाकर

यिणनी भज-पाश स जो ह रहा िचरकाल विचत

यकष मझको दख कस

िफर न दख म डब जाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

8

दखता जब यकष मझको शल-ौगो पर िवचरता एकटक हो सोचता कछ

लोचनो म नीर भरता

यिकषणी को िनज कशल- सवाद मझस भजन की

कामना स वह मझ उठ

बार-बार णाम करता कनक िवलय-िवहीन कर स

िफर कटज क फल चनकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 25: Great Hindi Poems by H R Bachan

ीित स ःवागत-वचन कह

भट मर ित चढ़ाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

9

पकरावतरक घनो क

वश का मझको बताकर कामरप सनाम द कह

मघपित का मानय अनचर

कणठ कातर यकष मझस

ाथरना इस भाित करता -

lsquoजा िया क पास ल

सनदश मरा बनध जलधर

वास करती वह िवरिहणी धनद की अलकापरी म शमभ िशर-शोिभत कलाधर जयोितमय िजसको बनाता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

10

यकष पनः याण क अन- कल कहत मागर सखकर

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 26: Great Hindi Poems by H R Bachan

िफर बताता िकस जगह पर िकस तरह का ह नगर घर

िकस दशा िकस रप म ह

ियतमा उसकी सलोनी

िकस तरह सनी िबताती रािऽ कस दीघर वासर

कया कहगा कया करगा म पहचकर पास उसक

िकनत उततर क िलए कछ

शबद िजहवा पर न आता

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

11

मौन पाकर यकष मझको सोचकर यह धयर धरता सतपरष की रीित ह यह

मौन रहकर कायर करता

दखकर उदयत मझ

ःथान क िहत कर उठाकर

वह मझ आशीष दता- lsquoइषट दशो म िवचरता ह जलद ौीविदध कर त सग वषार-दािमनी क

HindiBooksOnlineblogspotcom

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 27: Great Hindi Poems by H R Bachan

हो न तझको िवरह दख जो आज म िविधवश उठाताrsquo

lsquoमघrsquo िजस-िजस काल पढ़ता म ःवय बन मघ जाता

ndash

Other Information

Collection Madhukalash (Published 1937)

तीकषा

मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीणा पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल

पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल

तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स

मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 28: Great Hindi Poems by H R Bachan

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

अधर का दीपक

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कलपना क हाथ स कमनीय जो मिदर बना था भावना क हाथ स िजसम िवतानो को तना था

ःवपन न अपन करो स था िजस रिच स सवारा ःवगर क दापय रगो स रसो स जो सना था ढह गया वह तो जटाकर ईट पतथर ककड़ो को एक अपनी शाित की किटया बनाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

बादलो क अौ स धोया गया नभनील नीलम का बनाया था गया मधपाऽ मनमोहक मनोरम

थम उशा की िकरण की लािलमासी लाल मिदरा थी उसी म चमचमाती नव घनो म चचला सम

वह अगर टटा िमलाकर हाथ की दोनो हथली एक िनमरल ॐोत स त णा बझाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 29: Great Hindi Poems by H R Bachan

कया घड़ी थी एक भी िचता नही थी पास आई कािलमा तो दर छाया भी पलक पर थी न छाई

आख स मःती झपकती बातस मःती टपकती थी हसी ऐसी िजस सन बादलो न शमर खाई वह गई तो ल गई उललास क आधार माना

पर अिथरता पर समय की मसकराना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व उनमाद क झोक िक िजसम राग जागा वभवो स फर आख गान का वरदान मागा

एक अतर स धविनत हो दसर म जो िनरनतर भर िदया अबरअविन को मततता क गीत गागा अनत उनका हो गया तो मन बहलन क िलय ही ल अधरी पिकत कोई गनगनाना कब मना ह

ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

हाय व साथी िक चमबक लौहस जो पास आए पास कया आए हदय क बीच ही गोया समाए

िदन कट ऐस िक कोई तार वीणा क िमलाकर एक मीठा और पयारा िज़नदगी का गीत गाए व गए तो सोचकर यह लौटन वाल नही व

खोज मन का मीत कोई लौ लगाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

कया हवाए थी िक उजड़ा पयार का वह आिशयाना

HindiBooksOnlineblogspotcom

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 30: Great Hindi Poems by H R Bachan

कछ न आया काम तरा शोर करना गल मचाना नाश की उन शिकतयो क साथ चलता ज़ोर िकसका िकनत ऐ िनमारण क ितिनिध तझ होगा बताना जो बस ह व उजड़त ह कित क जड़ िनयम स पर िकसी उजड़ हए को िफर बसाना कब मना ह ह अधरी रात पर दीवा जलाना कब मना ह

जगन

अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

उठी ऐसी घटा नभ म िछप सब चाद औ तार उठा तफान वह नभ म गए बझ दीप भी सार

मगर इस रात म भी लौ लगाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

गगन म गवर स उठउठ

गगन म गवर स िघरिघर गरज कहती घटाए ह

नही होगा उजाला िफर मगर िचर जयोित म िनषठा जमाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 31: Great Hindi Poems by H R Bachan

ितिमर क राज का ऐसा किठन आतक छाया ह उठा जो शीश सकत थ उनहोन िसर झकाया ह

मगर िविोह की जवाला जलाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय का सब समा बाध लय की रात ह छाई

िवनाशक शिकतयो की इस ितिमर क बीच बन आई

मगर िनमारण म आशा दढ़ाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

भजन मघ दािमनी न

न कया तोड़ा न कया फोड़ा धरा क और नभ क बीच कछ सािबत नही छोड़ा

मगर िवशवास को अपन बचाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

लय की रात म सोच

णय की बात कया कोई मगर पड़ म बधन म

समझ िकसन नही खोई

HindiBooksOnlineblogspotcom

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 32: Great Hindi Poems by H R Bachan

िकसी क पथ म पलक िबछाए कौन बठा ह अधरी रात म दीपक जलाए कौन बठा ह

कहत ह तार गात ह कहत ह तार गात ह

सननाटा वसधा पर छाया नभ म हमन कान लगाया

िफर भी अगिणत कठो का यह राग नही हम सन पात ह कहत ह तार गात ह

ःवगर सना करता यह गाना पिथवी न तो बस यह जाना

अगिणत ओस-कणो म तारो क नीरव आस आत ह कहत ह तार गात ह

ऊपर दव तल मानवगण नभ म दोनो गायन-रोदन

राग सदा ऊपर को उठता आस नीच झर जात ह कहत ह तार गात ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 33: Great Hindi Poems by H R Bachan

लो िदन बीता लो रात गई

लो िदन बीता लो रात गई सरज ढलकर पिचछम पहचा डबा सधया आई छाई

सौ सधया-सी वह सधया थी कयो उठत-उठत सोचा था

िदन म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

धीम-धीम तार िनकल धीर-धीर नभ म फल

सौ रजनी-सी वह रजनी थी कयो सधया को यह सोचा था

िनिश म होगी कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

िचिड़या चहकी किलया महकी परब स िफर सरज िनकला जस होती थी सबह हई कयो सोत-सोत सोचा था

होगी ातः कछ बात नई लो िदन बीता लो रात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 34: Great Hindi Poems by H R Bachan

मधशाला मद भावो क अगरो की आज बना लाया हाला ियतम अपन ही हाथो स आज िपलाऊगा पयाला पहल भोग लगा ल तरा िफर साद जग पाएगा सबस पहल तरा ःवागत करती मरी मधशाला१

पयास तझ तो िवशव तपाकर पणर िनकालगा हाला एक पाव स साकी बनकर नाचगा लकर पयाला जीवन की मधता तो तर ऊपर कब का वार चका

आज िनछावर कर दगा म तझ पर जग की मधशाला २

ियतम त मरी हाला ह म तरा पयासा पयाला अपन को मझम भरकर त बनता ह पीनवाला

म तझको छक छलका करता मःत मझ पी त होता एक दसर की हम दोनो आज परःपर मधशाला ३

भावकता अगर लता स खीच कलपना की हाला

किव साकी बनकर आया ह भरकर किवता का पयाला कभी न कण-भर खाली होगा लाख िपए दो लाख िपए पाठकगण ह पीनवाल पःतक मरी मधशाला४

मधर भावनाओ की समधर िनतय बनाता ह हाला भरता ह इस मध स अपन अतर का पयासा पयाला उठा कलपना क हाथो स ःवय उस पी जाता ह अपन ही म ह म साकी पीनवाला मधशाला५

HindiBooksOnlineblogspotcom

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 35: Great Hindi Poems by H R Bachan

मिदरालय जान को घर स चलता ह पीनवला

िकस पथ स जाऊ असमजस म ह वह भोलाभाला अलग-अलग पथ बतलात सब पर म यह बतलाता ह - राह पकड़ त एक चला चल पा जाएगा मधशाला ६

चलन ही चलन म िकतना जीवन हाय िबता डाला

दर अभी ह पर कहता ह हर पथ बतलानवाला िहममत ह न बढ आग को साहस ह न िफर पीछ िककतरवयिवमढ़ मझ कर दर खड़ी ह मधशाला ७

मख स त अिवरत कहता जा मध मिदरा मादक हाला हाथो म अनभव करता जा एक लिलत किलपत पयाला धयान िकए जा मन म समधर सखकर सदर साकी का और बढ़ा चल पिथक न तझको दर लग गी मधशाला८

मिदरा पीन की अिभलाषा ही बन जाए जब हाला अधरो की आतरता म ही जब आभािसत हो पयाला बन धयान ही करत-करत जब साकी साकार सख रह न हाला पयाला साकी तझ िमलगी मधशाला९

सन कलक छलछ मधघट स िगरती पयालो म हाला सन रनझन रनझन चल िवतरण करती मध साकीबाला बस आ पहच दर नही कछ चार कदम अब चलना ह चहक रह सन पीनवाल महक रही ल मधशाला१०

HindiBooksOnlineblogspotcom

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 36: Great Hindi Poems by H R Bachan

जलतरग बजता जब चबन करता पयाल को पयाला वीणा झकत होती चलती जब रनझन साकीबाला डाट डपट मधिवबता की धविनत पखावज करती ह मधरव स मध की मादकता और बढ़ाती मधशाला११

महदी रिजत मदल हथली पर मािणक मध का पयाला

अगरी अवगठन डाल ःवणर वणर साकीबाला पाग बजनी जामा नीला डाट डट पीनवाल

इनिधनष स होड़ लगाती आज रगीली मधशाला१२

हाथो म आन स पहल नाज़ िदखाएगा पयाला अधरो पर आन स पहल अदा िदखाएगी हाला बहतर इनकार करगा साकी आन स पहल

पिथक न घबरा जाना पहल मान करगी मधशाला१३

लाल सरा की धार लपट सी कह न इस दना जवाला फिनल मिदरा ह मत इसको कह दना उर का छाला ददर नशा ह इस मिदरा का िवगत ःमितया साकी ह पीड़ा म आनद िजस हो आए मरी मधशाला१४

जगती की शीतल हाला सी पिथक नही मरी हाला जगती क ठड पयाल सा पिथक नही मरा पयाला

जवाल सरा जलत पयाल म दगध हदय की किवता ह जलन स भयभीत न जो हो आए मरी मधशाला१५

बहती हाला दखी दखो लपट उठाती अब हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 37: Great Hindi Poems by H R Bachan

दखो पयाला अब छत ही होठ जला दनवाला होठ नही सब दह दह पर पीन को दो बद िमल ऐस मध क दीवानो को आज बलाती मधशाला१६

धमरमनथ सब जला चकी ह िजसक अतर की जवाला मिदर मसिजद िगिरज सब को तोड़ चका जो मतवाला पिडत मोिमन पािदरयो क फदो को जो काट चका

कर सकती ह आज उसी का ःवागत मरी मधशाला१७

लालाियत अधरो स िजसन हाय नही चमी हाला हषर-िवकिपत कर स िजसन हा न छआ मध का पयाला हाथ पकड़ लिजजत साकी को पास नही िजसन खीचा वयथर सखा डाली जीवन की उसन मधमय मधशाला१८

बन पजारी मी साकी गगाजल पावन हाला

रह फरता अिवरत गित स मध क पयालो की माला और िलय जा और पीय जा इसी मऽ का जाप कर

म िशव की ितमा बन बठ मिदर हो यह मधशाला१९

बजी न मिदर म घिड़याली चढ़ी न ितमा पर माला बठा अपन भवन मअिजज़न दकर मिःजद म ताला लट ख़जान नरिपतयो क िगरी गढ़ो की दीवार रह मबारक पीनवाल खली रह यह मधशाला२०

बड़ बड़ िपरवार िमट यो एक न हो रोनवाला

हो जाए सनसान महल व जहा िथरकती सरबाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 38: Great Hindi Poems by H R Bachan

राजय उलट जाए भपो की भागय सलआमी सो जाए जम रहग पीनवाल जगा करगी मधशाला२१

सब िमट जाए बना रहगा सनदर साकी यम काला सख सब रस बन रहग िकनत हलाहल औ हाला

धमधाम औ चहल पहल क ःथान सभी सनसान बन झगा करगा अिवरत मरघट जगा करगी मधशाला२२

भरा सदा कहलायगा जग म बाका मदचचल पयाला छल छबीला रिसया साकी अलबला पीनवाला पट कहा स मध औ जग की जोड़ी ठीक नही

जग जजरर ितदन ितकषण पर िनतय नवली मधशाला२३

िबना िपय जो मधशाला को बरा कह वह मतवाला पी लन पर तो उसक मह पर पड़ जाएगा ताला दास िोिहयो दोनो म ह जीत सरा की पयाल की

िवशविवजियनी बनकर जग म आई मरी मधशाला२४

हरा भरा रहता मिदरालय जग पर पड़ जाए पाला वहा महररम का तम छाए यहा होिलका की जवाला ःवगर लोक स सीधी उतरी वसधा पर दख कया जान पढ़ मिसरया दिनया सारी ईद मनाती मधशाला२५

एक बरस म एक बार ही जगती होली की जवाला एक बार ही लगती बाज़ी जलती दीपो की माला

दिनयावालो िकनत िकसी िदन आ मिदरालय म दखो

HindiBooksOnlineblogspotcom

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 39: Great Hindi Poems by H R Bachan

िदन को होली रात िदवाली रोज़ मनाती मधशाला२६

नही जानता कौन मनज आया बनकर पीनवाला कौन अिपिरचत उस साकी स िजसन दध िपला पाला जीवन पाकर मानव पीकर मःत रह इस कारण ही जग म आकर सबस पहल पाई उसन मधशाला२७

बनी रह अगर लताए िजनस िमलती ह हाला

बनी रह वह िमटटी िजसस बनता ह मध का पयाला बनी रह वह मिदर िपपासा तपत न जो होना जान बन रह य पीन वाल बनी रह यह मधशाला२८

सकशल समझो मझको सकशल रहती यिद साकीबाला मगल और अमगल समझ मःती म कया मतवाला िमऽो मरी कषम न पछो आकर पर मधशाला की

कहा करो जय राम न िमलकर कहा करो जय मधशाला२९

सयर बन मध का िवबता िसध बन घट जल हाला बादल बन-बन आए साकी भिम बन मध का पयाला

झड़ी लगाकर बरस मिदरा िरमिझम िरमिझम िरमिझम कर बिल िवटप तण बन म पीऊ वषार ऋत हो मधशाला३०

तारक मिणयो स सिजजत नभ बन जाए मध का पयाला

सीधा करक भर दी जाए उसम सागरजल हाला मजञलतऌा समीरण साकी बनकर अधरो पर छलका जाए फल हो जो सागर तट स िवशव बन यह मधशाला३१

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 40: Great Hindi Poems by H R Bachan

अधरो पर हो कोई भी रस िजहवा पर लगती हाला भाजन हो कोई हाथो म लगता रकखा ह पयाला हर सरत साकी की सरत म पिरवितरत हो जाती

आखो क आग हो कछ भी आखो म ह मधशाला३२

पौध आज बन ह साकी ल ल फलो का पयाला भरी हई ह िजसक अदर िपरमल -मध-सिरभत हाला माग मागकर मरो क दल रस की मिदरा पीत ह

झम झपक मद-झिपत होत उपवन कया ह मधशाला३३

ित रसाल तर साकी सा ह ित मजिरका ह पयाला छलक रही ह िजसक बाहर मादक सौरभ की हाला छक िजसको मतवाली कोयल कक रही डाली डाली

हर मधऋत म अमराई म जग उठती ह मधशाला३४

मद झकोरो क पयालो म मधऋत सौरभ की हाला भर भरकर ह अिनल िपलाता बनकर मध-मद-मतवाला हर हर नव पललव तरगण नतन डाल वललिरया

छक छक झक झक झम रही ह मधबन म ह मधशाला३५

साकी बन आती ह ातः जब अरणा ऊषा बाला तारक-मिण-मिडत चादर द मोल धरा लती हाला

अगिणत कर-िकरणो स िजसको पी खग पागल हो गात ित भात म पणर कित म मिखरत होती मधशाला३६

HindiBooksOnlineblogspotcom

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 41: Great Hindi Poems by H R Bachan

उतर नशा जब उसका जाता आती ह सधया बाला बड़ी परानी बड़ी नशीली िनतय ढला जाती हाला जीवन क सताप शोक सब इसको पीकर िमट जात सरा-सपत होत मद-लोभी जागत रहती मधशाला३७

अधकार ह मधिवबता सनदर साकी शिशबाला

िकरण िकरण म जो छलकाती जाम जमहाई का हाला पीकर िजसको चतनता खो लन लगत ह झपकी तारकदल स पीनवाल रात नही ह मधशाला३८

िकसी ओर म आख फर िदखलाई दती हाला िकसी ओर म आख फर िदखलाई दता पयाला िकसी ओर म दख मझको िदखलाई दता साकी

िकसी ओर दख िदखलाई पड़ती मझको मधशाला३९

साकी बन मरली आई साथ िलए कर म पयाला िजनम वह छलकाती लाई अधर-सधा-रस की हाला योिगराज कर सगत उसकी नटवर नागर कहलाए दखो कसो-कसो को ह नाच नचाती मधशाला४०

वादक बन मध का िवबता लाया सर-समधर-हाला रािगिनया बन साकी आई भरकर तारो का पयाला िवबता क सकतो पर दौड़ लयो आलापो म

पान कराती ौोतागण को झकत वीणा मधशाला४१

िचऽकार बन साकी आता लकर तली का पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 42: Great Hindi Poems by H R Bachan

िजसम भरकर पान कराता वह बह रस -रगी हाला मन क िचऽ िजस पी-पीकर रग-िबरग हो जात

िचऽपटी पर नाच रही ह एक मनोहर मधशाला४२

घन यामल अगर लता स िखच िखच यह आती हाला अरण-कमल-कोमल किलयो की पयाली फलो का पयाला लोल िहलोर साकी बन बन मािणक मध स भर जाती

हस मजञलतऌा होत पी पीकर मानसरोवर मधशाला४३

िहम ौणी अगर लता-सी फली िहम जल ह हाला चचल निदया साकी बनकर भरकर लहरो का पयाला कोमल कर-करो म अपन छलकाती िनिशिदन चलती पीकर खत खड़ लहरात भारत पावन मधशाला४४

धीर सतो क हदय रकत की आज बना रिकतम हाला वीर सतो क वर शीशो का हाथो म लकर पयाला अित उदार दानी साकी ह आज बनी भारतमाता

ःवतऽता ह तिषत कािलका बिलवदी ह मधशाला४५

दतकारा मिःजद न मझको कहकर ह पीनवाला ठकराया ठाकरदवार न दख हथली पर पयाला

कहा िठकाना िमलता जग म भला अभाग कािफर को शरणःथल बनकर न मझ यिद अपना लती मधशाला४६

पिथक बना म घम रहा ह सभी जगह िमलती हाला

सभी जगह िमल जाता साकी सभी जगह िमलता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 43: Great Hindi Poems by H R Bachan

मझ ठहरन का ह िमऽो कषट नही कछ भी होता िमल न मिदर िमल न मिःजद िमल जाती ह मधशाला४७

सज न मिःजद और नमाज़ी कहता ह अललाताला सजधजकर पर साकी आता बन ठनकर पीनवाला शख कहा तलना हो सकती मिःजद की मिदरालय स

िचर िवधवा ह मिःजद तरी सदा सहािगन मधशाला४८

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भल गया अललाताला गाज िगरी पर धयान सरा म मगन रहा पीनवाला शख बरा मत मानो इसको साफ़ कह तो मिःजद को

अभी यगो तक िसखलाएगी धयान लगाना मधशाला४९

मसलमान औ िहनद ह दो एक मगर उनका पयाला एक मगर उनका मिदरालय एक मगर उनकी हाला दोनो रहत एक न जब तक मिःजद मिनदर म जात बर बढ़ात मिःजद मिनदर मल कराती मधशाला५०

कोई भी हो शख नमाज़ी या पिडत जपता माला बर भाव चाह िजतना हो मिदरा स रखनवाला एक बार बस मधशाला क आग स होकर िनकल दख कस थाम न लती दामन उसका मधशाला५१

और रसो म ःवाद तभी तक दर जभी तक ह हाला इतरा ल सब पाऽ न जब तक आग आता ह पयाला कर ल पजा शख पजारी तब तक मिःजद मिनदर म

HindiBooksOnlineblogspotcom

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 44: Great Hindi Poems by H R Bachan

घघट का पट खोल न जब तक झाक रही ह मधशाला५२

आज कर परहज़ जगत पर कल पीनी होगी हाला आज कर इनकार जगत पर कल पीना होगा पयाला होन दो पदा मद का महमद जगत म कोई िफर

जहा अभी ह मनिदर मिःजद वहा बनगी मधशाला ५३

यजञ अिगन सी धधक रही ह मध की भटठी की जवाला ऋिष सा धयान लगा बठा ह हर मिदरा पीन वाला मिन कनयाओ सी मधघट ल िफरती साकीबालाए

िकसी तपोवन स कया कम ह मरी पावन मधशाला५४

सोम सरा परख पीत थ हम कहत उसको हाला िोणकलश िजसको कहत थ आज वही मधघट आला

विदविहत यह रःम न छोड़ो वदो क ठकदारो यग यग स ह पजती आई नई नही ह मधशाला५५

वही वारणी जो थी सागर मथकर िनकली अब हाला रभा की सतान जगत म कहलाती साकीबाला दव अदव िजस ल आए सत महत िमटा दग

िकसम िकतना दम खम इसको खब समझती मधशाला५६

कभी न सन पड़ता इसन हा छ दी मरी हाला कभी न कोई कहता उसन जठा कर डाला पयाला सभी जाित क लोग यहा पर साथ बठकर पीत ह

सौ सधारको का करती ह काम अकल मधशाला५७

HindiBooksOnlineblogspotcom

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 45: Great Hindi Poems by H R Bachan

ौम सकट सताप सभी तम भला करत पी हाला

सबक बड़ा तम सीख चक यिद सीखा रहना मतवाला वयथर बन जात हो िहरजन तम तो मधजन ही अचछ ठकरात िहर मिदरवाल पलक िबछाती मधशाला५८

एक तरह स सबका ःवागत करती ह साकीबाला अजञ िवजञ म ह कया अतर हो जान पर मतवाला रक राव म भद हआ ह कभी नही मिदरालय म

सामयवाद की थम चारक ह यह मरी मधशाला५९

बार बार मन आग बढ़ आज नही मागी हाला समझ न लना इसस मझको साधारण पीन वाला हो तो लन दो ऐ साकी दर थम सकोचो को

मर ही ःवर स िफर सारी गज उठगी मधशाला६०

कल कल पर िवशवास िकया कब करता ह पीनवाला हो सकत कल कर जड़ िजनस िफर िफर आज उठा पयाला आज हाथ म था वह खोया कल का कौन भरोसा ह

कल की हो न मझ मधशाला काल किटल की मधशाला६१

आज िमला अवसर तब िफर कयो म न छक जी-भर हाला आज िमला मौका तब िफर कयो ढाल न ल जी-भर पयाला छड़छाड़ अपन साकी स आज न कयो जी-भर कर ल एक बार ही तो िमलनी ह जीवन की यह मधशाला६२

HindiBooksOnlineblogspotcom

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 46: Great Hindi Poems by H R Bachan

आज सजीव बना लो यसी अपन अधरो का पयाला भर लो भर लो भर लो इसम यौवन मधरस की हाला

और लगा मर होठो स भल हटाना तम जाओ अथक बन म पीनवाला खल णय की मधशाला६३

समखी तमहारा सनदर मख ही मझको कनचन का पयाला छलक रही ह िजसम मािणक रप मधर मादक हाला

म ही साकी बनता म ही पीन वाला बनता ह जहा कही िमल बठ हम त वही गयी हो मधशाला६४

दो िदन ही मध मझ िपलाकर ऊब उठी साकीबाला भरकर अब िखसका दती ह वह मर आग पयाला नाज़ अदा अदाजो स अब हाय िपलाना दर हआ

अब तो कर दती ह कवल फ़ज़र -अदाई मधशाला६५

छोट-स जीवन म िकतना पयार कर पी ल हाला आन क ही साथ जगत म कहलाया जानवाला ःवागत क ही साथ िवदा की होती दखी तयारी बद लगी होन खलत ही मरी जीवन-मधशाला६६

कया पीना िनदवरनद न जब तक ढाला पयालो पर पयाला कया जीना िनरिचत न जब तक साथ रह साकीबाला खोन का भय हाय लगा ह पान क सख क पीछ

िमलन का आनद न दती िमलकर क भी मधशाला६७

मझ िपलान को लाए हो इतनी थोड़ी-सी हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 47: Great Hindi Poems by H R Bachan

मझ िदखान को लाए हो एक यही िछछला पयाला इतनी पी जीन स अचछा सागर की ल पयास मर

िसध-तषा दी िकसन रचकर िबद-बराबर मधशाला६८

कया कहता ह रह न गई अब तर भाजन म हाला कया कहता ह अब न चलगी मादक पयालो की माला थोड़ी पीकर पयास बढ़ी तो शष नही कछ पीन को

पयास बझान को बलवाकर पयास बढ़ाती मधशाला६९

िलखी भागय म िजतनी बस उतनी ही पाएगा हाला िलखा भागय म जसा बस वसा ही पाएगा पयाला

लाख पटक त हाथ पाव पर इसस कब कछ होन का िलखी भागय म जो तर बस वही िमलगी मधशाला७०

कर ल कर ल कजसी त मझको दन म हाला द ल द ल त मझको बस यह टटा फटा पयाला म तो स इसी पर करता त पीछ पछताएगी

जब न रहगा म तब मरी याद करगी मधशाला७१

धयान मान का अपमानो का छोड़ िदया जब पी हाला गौरव भला आया कर म जब स िमटटी का पयाला साकी की अदाज़ भरी िझड़की म कया अपमान धरा दिनया भर की ठोकर खाकर पाई मन मधशाला७२

कषीण कषि कषणभगर दबरल मानव िमटटी का पयाला भरी हई ह िजसक अदर कट -मध जीवन की हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 48: Great Hindi Poems by H R Bachan

मतय बनी ह िनदरय साकी अपन शत-शत कर फला काल बल ह पीनवाला ससित ह यह मधशाला७३

पयाल सा गढ़ हम िकसी न भर दी जीवन की हाला नशा न भाया ढाला हमन ल लकर मध का पयाला जब जीवन का ददर उभरता उस दबात पयाल स

जगती क पहल साकी स जझ रही ह मधशाला७४

अपन अगरो स तन म हमन भर ली ह हाला कया कहत हो शख नरक म हम तपाएगी जवाला तब तो मिदरा खब िखचगी और िपएगा भी कोई

हम नमक की जवाला म भी दीख पड़गी मधशाला७५

यम आएगा लन जब तब खब चलगा पी हाला पीड़ा सकट कषट नरक क कया समझगा मतवाला बर कठोर किटल किवचारी अनयायी यमराजो क डडो की जब मार पड़गी आड़ करगी मधशाला७६

यिद इन अधरो स दो बात म भरी करती हाला

यिद इन खाली हाथो का जी पल भर बहलाता पयाला हािन बता जग तरी कया ह वयथर मझ बदनाम न कर मर टट िदल का ह बस एक िखलौना मधशाला ७७

याद न आए दखमय जीवन इसस पी लता हाला जग िचताओ स रहन को मकत उठा लता पयाला

शौक साध क और ःवाद क हत िपया जग करता ह

HindiBooksOnlineblogspotcom

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 49: Great Hindi Poems by H R Bachan

पर म वह रोगी ह िजसकी एक दवा ह मधशाला ७८

िगरती जाती ह िदन ितदन णयनी ाणो की हाला भगन हआ जाता िदन ितदन सभग मरा तन पयाला रठ रहा ह मझस रपसी िदन िदन यौवन का साकी

सख रही ह िदन िदन सनदरी मरी जीवन मधशाला७९

यम आयगा साकी बनकर साथ िलए काली हाला पी न होश म िफर आएगा सरा-िवसध यह मतवाला यह अितम बहोशी अितम साकी अितम पयाला ह

पिथक पयार स पीना इसको िफर न िमलगी मधशाला८०

ढलक रही ह तन क घट स सिगनी जब जीवन हाला पऽ गरल का ल जब अितम साकी ह आनवाला हाथ ःपशर भल पयाल का ःवाद सरा जीवहा भल

कानो म तम कहती रहना मध का पयाला मधशाला८१

मर अधरो पर हो अितम वःत न तलसीदल पयाला मरी जीवहा पर हो अितम वःत न गगाजल हाला मर शव क पीछ चलन वालो याद इस रखना

राम नाम ह सतय न कहना कहना सचची मधशाला८२

मर शव पर वह रोय हो िजसक आस म हाला आह भर वो जो हो सिरभत मिदरा पी कर मतवाला द मझको वो कानधा िजनक पग मद डगमग होत हो और जल उस ठौर जहा पर कभी रही हो मधशाला८३

HindiBooksOnlineblogspotcom

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 50: Great Hindi Poems by H R Bachan

और िचता पर जाय उढला पऽ न ियत का पर पयाला कठ बध अगर लता म मधय न जल हो पर हाला ाण िय यिद ौाध करो तम मरा तो ऐस करना

पीन वाला को बलवा कऱ खलवा दना मधशाला८४

नाम अगर कोई पछ तो कहना बस पीनवाला काम ढालना और ढालना सबको मिदरा का पयाला जाित िय पछ यिद कोई कह दना दीवानो की

धमर बताना पयालो की ल माला जपना मधशाला८५

जञात हआ यम आन को ह ल अपनी काली हाला पिडत अपनी पोथी भला साध भल गया माला और पजारी भला पजा जञान सभी जञानी भला

िकनत न भला मरकर क भी पीनवाला मधशाला८६

यम ल चलता ह मझको तो चलन द लकर हाला चलन द साकी को मर साथ िलए कर म पयाला ःवगर नरक या जहा कही भी तरा जी हो लकर चल ठौर सभी ह एक तरह क साथ रह यिद मधशाला८७

पाप अगर पीना समदोषी तो तीनो - साकी बाला िनतय िपलानवाला पयाला पी जानवाली हाला

साथ इनह भी ल चल मर नयाय यही बतलाता ह कद जहा म ह की जाए कद वही पर मधशाला८८

HindiBooksOnlineblogspotcom

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 51: Great Hindi Poems by H R Bachan

शात सकी हो अब तक साकी पीकर िकस उर की जवाला और और की रटन लगाता जाता हर पीनवाला िकतनी इचछाए हर जानवाला छोड़ यहा जाता

िकतन अरमानो की बनकर क खड़ी ह मधशाला८९

जो हाला म चाह रहा था वह न िमली मझको हाला जो पयाला म माग रहा था वह न िमला मझको पयाला िजस साकी क पीछ म था दीवाना न िमला साकी

िजसक पीछ था म पागल हा न िमली वह मधशाला९०

दख रहा ह अपन आग कब स मािणक -सी हाला दख रहा ह अपन आग कब स कचन का पयाला

बस अब पाया- कह-कह कब स दौड़ रहा इसक पीछ िकत रही ह दर िकषितज -सी मझस मरी मधशाला९१

कभी िनराशा का तम िघरता िछप जाता मध का पयाला िछप जाती मिदरा की आभा िछप जाती साकीबाला कभी उजाला आशा करक पयाला िफर चमका जाती आिखमचौली खल रही ह मझस मरी मधशाला९२

आ आग कहकर कर पीछ कर लती साकीबाला होठ लगान को कहकर हर बार हटा लती पयाला नही मझ मालम कहा तक यह मझको ल जाएगी बढ़ा बढ़ाकर मझको आग पीछ हटती मधशाला९३

हाथो म आन-आन म हाय िफसल जाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 52: Great Hindi Poems by H R Bachan

अधरो पर आन-आन म हाय ढलक जाती हाला दिनयावालो आकर मरी िकःमत की ख़बी दखो

रह-रह जाती ह बस मझको िमलत- िमलत मधशाला९४

ापय नही ह तो हो जाती लपत नही िफर कयो हाला ापय नही ह तो हो जाता लपत नही िफर कयो पयाला दर न इतनी िहममत हार पास न इतनी पा जाऊ

वयथर मझ दौड़ाती मर म मगजल बनकर मधशाला९५

िमल न पर ललचा ललचा कयो आकल करती ह हाला िमल न पर तरसा तरसाकर कयो तड़पाता ह पयाला

हाय िनयित की िवषम लखनी मःतक पर यह खोद गई दर रहगी मध की धारा पास रहगी मधशाला९६

मिदरालय म कब स बठा पी न सका अब तक हाला यतन सिहत भरता ह कोई िकत उलट दता पयाला मानव-बल क आग िनबरल भागय सना िवदयालय म

भागय बल मानव िनबरल का पाठ पढ़ाती मधशाला९७

िकःमत म था खाली खपपर खोज रहा था म पयाला ढढ़ रहा था म मगनयनी िकःमत म थी मगछाला िकसन अपना भागय समझन म मझसा धोखा खाया

िकःमत म था अवघट मरघट ढढ़ रहा था मधशाला ९८

उस पयाल स पयार मझ जो दर हथली स पयाला उस हाला स चाव मझ जो दर अधर स ह हाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 53: Great Hindi Poems by H R Bachan

पयार नही पा जान म ह पान क अरमानो म पा जाता तब हाय न इतनी पयारी लगती मधशाला९९

साकी क पास ह ितनक सी ौी सख सिपत की हाला सब जग ह पीन को आतर ल ल िकःमत का पयाला

रल ठल कछ आग बढ़त बहतर दबकर मरत जीवन का सघषर नही ह भीड़ भरी ह मधशाला१००

साकी जब ह पास तमहार इतनी थोड़ी सी हाला कयो पीन की अिभलषा स करत सबको मतवाला

हम िपस िपसकर मरत ह तम िछप िछपकर मसकात हो हाय हमारी पीड़ा स ह बीड़ा करती मधशाला१०१

साकी मर खपकर यिद कोई आग कर पाया पयाला पी पाया कवल दो बदो स न अिधक तरी हाला जीवन भर का हाय िपरौम लट िलया दो बदो न भोल मानव को ठगन क हत बनी ह मधशाला१०२

िजसन मझको पयासा रकखा बनी रह वह भी हाला िजसन जीवन भर दौड़ाया बना रह वह भी पयाला मतवालो की िजहवा स ह कभी िनकलत शाप नही

दखी बनाय िजसन मझको सखी रह वह मधशाला १०३

नही चाहता आग बढ़कर छीन औरो की हाला नही चाहता धकक दकर छीन औरो का पयाला

साकी मरी ओर न दखो मझको ितनक मलाल नही

HindiBooksOnlineblogspotcom

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 54: Great Hindi Poems by H R Bachan

इतना ही कया कम आखो स दख रहा ह मधशाला १०४

मद मिदरा मध हाला सन-सन कर ही जब ह मतवाला कया गित होगी अधरो क जब नीच आएगा पयाला साकी मर पास न आना म पागल हो जाऊगा

पयासा ही म मःत मबारक हो तमको ही मधशाला१०५

कया मझको आवयकता ह साकी स माग हाला कया मझको आवयकता ह साकी स चाह पयाला

पीकर मिदरा मःत हआ तो पयार िकया कया मिदरा स म तो पागल हो उठता ह सन लता यिद मधशाला १०६

दन को जो मझ कहा था द न सकी मझको हाला दन को जो मझ कहा था द न सका मझको पयाला समझ मनज की दबरलता म कहा नही कछ भी करता

िकनत ःवय ही दख मझ अब शरमा जाती मधशाला१०७

एक समय सतषट बहत था पा म थोड़ी -सी हाला भोला-सा था मरा साकी छोटा-सा मरा पयाला छोट-स इस जग की मर ःवगर बलाए लता था

िवःतत जग म हाय गई खो मरी ननही मधशाला१०८

बहतर मिदरालय दख बहतरी दखी हाला भाित भाित का आया मर हाथो म मध का पयाला एक एक स बढ़कर सनदर साकी न सतकार िकया

जची न आखो म पर कोई पहली जसी मधशाला१०९

HindiBooksOnlineblogspotcom

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 55: Great Hindi Poems by H R Bachan

एक समय छलका करती थी मर अधरो पर हाला एक समय झमा करता था मर हाथो पर पयाला एक समय पीनवाल साकी आिलगन करत थ

आज बनी ह िनजरन मरघट एक समय थी मधशाला११०

जला हदय की भटटी खीची मन आस की हाला छलछल छलका करता इसस पल पल पलको का पयाला

आख आज बनी ह साकी गाल गलाबी पी होत कहो न िवरही मझको म ह चलती िफरती मधशाला १११

िकतनी जलदी रग बदलती ह अपना चचल हाला िकतनी जलदी िघसन लगता हाथो म आकर पयाला िकतनी जलदी साकी का आकषरण घटन लगता ह

ात नही थी वसी जसी रात लगी थी मधशाला११२

बद बद क हत कभी तझको तरसाएगी हाला कभी हाथ स िछन जाएगा तरा यह मादक पयाला पीनवाल साकी की मीठी बातो म मत आना

मर भी गण यो ही गाती एक िदवस थी मधशाला११३

छोड़ा मन पथ मतो को तब कहलाया मतवाला चली सरा मरा पग धोन तोड़ा जब मन पयाला अब मानी मधशाला मर पीछ पीछ िफरती ह

कया कारण अब छोड़ िदया ह मन जाना मधशाला११४

HindiBooksOnlineblogspotcom

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 56: Great Hindi Poems by H R Bachan

यह न समझना िपया हलाहल मन जब न िमली हाला तब मन खपपर अपनाया ल सकता था जब पयाला जल हदय को और जलाना सझा मन मरघट को

अपनाया जब इन चरणो म लोट रही थी मधशाला११५

िकतनी आई और गई पी इस मिदरालय म हाला टट चकी अब तक िकतन ही मादक पयालो की माला िकतन साकी अपना अपना काम खतम कर दर गए िकतन पीनवाल आए िकनत वही ह मधशाला११६

िकतन होठो को रकखगी याद भला मादक हाला िकतन हाथो को रकखगा याद भला पागल पयाला िकतनी शकलो को रकखगा याद भला भोला साकी िकतन पीनवालो म ह एक अकली मधशाला११७

दर दर घम रहा था जब म िचललाता - हाला हाला

मझ न िमलता था मिदरालय मझ न िमलता था पयाला िमलन हआ पर नही िमलनसख िलखा हआ था िकःमत म म अब जमकर बठ गया ह घम रही ह मधशाला११८

म मिदरालय क अदर ह मर हाथो म पयाला पयाल म मिदरालय िबिबत करनवाली ह हाला इस उधड़-बन म ही मरा सारा जीवन बीत गया - म मधशाला क अदर या मर अदर मधशाला११९

िकस नही पीन स नाता िकस नही भाता पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 57: Great Hindi Poems by H R Bachan

इस जगती क मिदरालय म तरह-तरह की ह हाला अपनी-अपनी इचछा क अनसार सभी पी मदमात

एक सभी का मादक साकी एक सभी की मधशाला१२०

वह हाला कर शात सक जो मर अतर की जवाला िजसम म िबिबत-ितबिबत ितपल वह मरा पयाला

मधशाला वह नही जहा पर मिदरा बची जाती ह भट जहा मःती की िमलती मरी तो वह मधशाला१२१

मतवालापन हाला स ल मन तज दी ह हाला

पागलपन लकर पयाल स मन तयाग िदया पयाला साकी स िमल साकी म िमल अपनापन म भल गया

िमल मधशाला की मधता म भल गया म मधशाला१२२

मिदरालय क दवार ठोकता िकःमत का छछा पयाला गहरी ठडी सास भर भर कहता था हर मतवाला िकतनी थोड़ी सी यौवन की हाला हा म पी पाया

बद हो गई िकतनी जलदी मरी जीवन मधशाला१२३

कहा गया वह ःविगरक साकी कहा गयी सिरभत हाला कहा गया ःविपनल मिदरालय कहा गया ःविणरम पयाला

पीनवालो न मिदरा का मलय हाय कब पहचाना फट चका जब मध का पयाला टट चकी जब मधशाला १२४

अपन यग म सबको अनपम जञात हई अपनी हाला अपन यग म सबको अदभत जञात हआ अपना पयाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 58: Great Hindi Poems by H R Bachan

िफर भी वदधो स जब पछा एक यही उजञलतऌार पाया - अब न रह व पीनवाल अब न रही वह मधशाला१२५

मय को करक शदध िदया अब नाम गया उसको हाला मीना को मधपाऽ िदया सागर को नाम गया पयाला कयो न मौलवी चौक िबचक ितलक-िऽपडी पिडत जी

मय-मिहफल अब अपना ली ह मन करक मधशाला१२६

िकतन ममर जता जाती ह बार-बार आकर हाला िकतन भद बता जाता ह बार-बार आकर पयाला िकतन अथोर को सकतो स बतला जाता साकी

िफर भी पीनवालो को ह एक पहली मधशाला१२७

िजतनी िदल की गहराई हो उतना गहरा ह पयाला िजतनी मन की मादकता हो उतनी मादक ह हाला िजतनी उर की भावकता हो उतना सनदर साकी ह

िजतना ही जो िरसक उस ह उतनी रसमय मधशाला१२८

िजन अधरो को छए बना द मःत उनह मरी हाला िजस कर को छ द कर द िविकषपत उस मरा पयाला आख चार हो िजसकी मर साकी स दीवाना हो

पागल बनकर नाच वह जो आए मरी मधशाला१२९

हर िजहवा पर दखी जाएगी मरी मादक हाला हर कर म दखा जाएगा मर साकी का पयाला हर घर म चचार अब होगी मर मधिवबता की

HindiBooksOnlineblogspotcom

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 59: Great Hindi Poems by H R Bachan

हर आगन म गमक उठगी मरी सिरभत मधशाला१३०

मरी हाला म सबन पाई अपनी-अपनी हाला मर पयाल म सबन पाया अपना-अपना पयाला मर साकी म सबन अपना पयारा साकी दखा

िजसकी जसी रिच थी उसन वसी दखी मधशाला१३१

यह मिदरालय क आस ह नही-नही मादक हाला यह मिदरालय की आख ह नही-नही मध का पयाला िकसी समय की सखदःमित ह साकी बनकर नाच रही

नही-नही िकव का हदयागण यह िवरहाकल मधशाला१३२

कचल हसरत िकतनी अपनी हाय बना पाया हाला िकतन अरमानो को करक ख़ाक बना पाया पयाला

पी पीनवाल चल दग हाय न कोई जानगा िकतन मन क महल ढह तब खड़ी हई यह मधशाला १३३

िवशव तमहार िवषमय जीवन म ला पाएगी हाला यिद थोड़ी-सी भी यह मरी मदमाती साकीबाला

शनय तमहारी घिड़या कछ भी यिद यह गिजत कर पाई जनम सफल समझगी जग म अपना मरी मधशाला१३४

बड़-बड़ नाज़ो स मन पाली ह साकीबाला

िकलत कलपना का ही इसन सदा उठाया ह पयाला मान-दलारो स ही रखना इस मरी सकमारी को

िवशव तमहार हाथो म अब सौप रहा ह मधशाला १३५

HindiBooksOnlineblogspotcom

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 60: Great Hindi Poems by H R Bachan

िपिरशषट स

ःवय नही पीता औरो को िकनत िपला दता हाला ःवय नही छता औरो को पर पकड़ा दता पयाला पर उपदश कशल बहतरो स मन यह सीखा ह ःवय नही जाता औरो को पहचा दता मधशाला

म कायःथ कलोदभव मर परखो न इतना ढ़ाला

मर तन क लोह म ह पचहजञलतऌार ितशत हाला पतनी अिधकार मझ ह मिदरालय क आगन पर मर दादो परदादो क हाथ िबकी थी मधशाला

बहतो क िसर चार िदनो तक चढ़कर उतर गई हाला बहतो क हाथो म दो िदन छलक झलक रीता पयाला पर बढ़ती तासीर सरा की साथ समय क इसस ही और परानी होकर मरी और नशीली मधशाला

िपऽ पकष म पऽ उठाना अधयर न कर म पर पयाला बठ कही पर जाना गगा सागर म भरकर हाला

िकसी जगह की िमटटी भीग तिपत मझ िमल जाएगी तपरण अपरण करना मझको पढ़ पढ़ कर क मधशाला

HindiBooksOnlineblogspotcom

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 61: Great Hindi Poems by H R Bachan

मझ पकार लो इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ज़मीन ह न बोलती न आसमान बोलता जहान दखकर मझ नही जबान खोलता

नही जगह कही जहा न अजनबी िगना गया कहा-कहा न िफर चका िदमाग-िदल टटोलता कहा मनय ह िक जो उमीद छोड़कर िजया इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

ितिमर-समि कर सकी न पार नऽ की तरी िवनषट ःवपन स लदी िवषाद याद स भरी

न कल भिम का िमला न कोर भोर की िमली न कट सकी न घट सकी िवरह-िघरी िवभावरी कहा मनय ह िजस कमी खली न पयार की इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ दलार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो

उजाड़ स लगा चका उमीद म बहार की िनदघ स उमीद की बसत क बयार की

मरःथली मरीिचका सधामयी मझ लगी अगार स लगा चका उमीद म तषार की

HindiBooksOnlineblogspotcom

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 62: Great Hindi Poems by H R Bachan

कहा मनय ह िजस न भल शल-सी गड़ी इसीिलए खड़ा रहा िक भल तम सधार लो

इसीिलए खड़ा रहा िक तम मझ पकार लो पकार कर दला र लो दलार कर सधार लो

तीकषा मधर तीकषा ही जब इतनी िय तम आत तब कया होता

मौन रात इस भाित िक जस कोई गत वीण पर बज कर अभी-अभी सोई खोई-सी सपनो म तारो पर िसर धर

और िदशाओ स ितधविनया जामत सिधयो-सी आती ह कान तमहार तान कही स यिद सन पात तब कया होता

तमन कब दी बात रात क सन म तम आन वाल पर ऐस ही वकत ाण मन मर हो उठत मतवाल

सास घमघम िफरिफर स असमजस क कषण िगनती ह िमलन की घिड़या तम िनिशचत यिद कर जात तब कया होता

उतसकता की अकलाहट म मन पलक पावड़ डाल

अमबर तो मशहर िक सब िदन रहता अपन होश समहाल तारो की महिफल न अपनी आख िबछा दी िकस आशा स मर मौन कटी को आत तम िदख जात तब कया होता

HindiBooksOnlineblogspotcom

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 63: Great Hindi Poems by H R Bachan

बठ कलपना करता ह पगचाप तमहारी मग स आती रगरग म चतनता घलकर आस क कणसी झर जाती नमक डलीसा गल अपनापन सागर म घलिमलसा जाता अपनी बाहो म भरकर िय कणठ लगात तब कया होता

रात आधी खीच कर मरी हथली रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

फ़ासला था कछ हमार िबःतरो म और चारो ओर दिनया सो रही थी तािरकाऐ ही गगन की जानती ह

जो दशा िदल की तमहार हो रही थी म तमहार पास होकर दर तमस

अधजगा सा और अधसोया हआ सा रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

एक िबजली छ गई सहसा जगा म कणपकषी चाद िनकला था गगन म इस तरह करवट पड़ी थी तम िक आस बह रह थ इस नयन स उस नयन म

म लगा द आग इस ससार म ह पयार िजसम इस तरह असमथर कातर

HindiBooksOnlineblogspotcom

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 64: Great Hindi Poems by H R Bachan

जानती हो उस समय कया कर गज़रन क िलए था कर िदया तयार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

एक उगली स िलखा था पयार तमन

ात ही की ओर को ह रात चलती औ उजाल म अधरा डब जाता मच ही परा बदलता कौन ऐसी खिबयो क साथ परद को उठाता एक चहरा सा लगा तमन िलया था और मन था उतारा एक चहरा

वो िनशा का ःवपन मरा था िक अपन पर ग़ज़ब का था िकया अिधकार तमन

रात आधी खीच कर मरी हथली एक उगली स िलखा था पयार तमन

और उतन फ़ासल पर आज तक

सौ यतन करक भी न आय िफर कभी हम िफर न आया वकत वसा

िफर न मौका उस तरह का िफर न लौटा चाद िनमरम

और अपनी वदना म कया बताऊ कया नही य पिकतया खद बोलती ह

बझ नही पाया अभी तक उस समय जो रख िदया था हाथ पर अगार तमन रात आधी खीच कर मरी हथली

HindiBooksOnlineblogspotcom

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 65: Great Hindi Poems by H R Bachan

याऽा और याऽी सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

चल रहा ह तारको का दल गगन म गीत गाता चल रहा आकाश भी ह शनय म मता-माता

पाव क नीच पड़ी अचला नही यह चचला ह

एक कण भी एक कषण भी एक थल पर िटक न पाता

शिकतया गित की तझ सब ओर स घर हए ह

ःथान स अपन तझ टलना पड़गा ही मसािफर

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

थ जहा पर गतर परो को ज़माना ही पड़ा था पतथरो स पाव क

छाल िछलाना ही पड़ा था घास मखमल-सी जहा थी मन गया था लोट सहसा

HindiBooksOnlineblogspotcom

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 66: Great Hindi Poems by H R Bachan

थी घनी छाया जहा पर तन जड़ाना ही पड़ा था

पग परीकषा पग लोभन ज़ोर-कमज़ोरी भरा त इस तरफ डटना उधर

ढलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

शल कछ ऐस पगो म चतना की ःफितर भरत तज़ चलन को िववश

करत हमशा जबिक गड़त शिबया उनका िक व

पथ को रह रक बनाए िकनत कछ ऐस िक रकन क िलए मजबर करत

और जो उतसाह का दत कलजा चीर ऐस कटको का दल तझ

दलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

सयर न हसना भलाया चिमा न मःकराना

HindiBooksOnlineblogspotcom

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 67: Great Hindi Poems by H R Bachan

और भली यािमनी भी तािरकाओ को जगाना

एक झोक न बझाया हाथ का भी दीप लिकन

मत बना इसको पिथक त बठ जान का बहाना

एक कोन म हदय क आग तर जग रही ह दखन को मग तझ

जलना पड़गा ही मसािफर सास चलती ह तझ

चलना पड़गा ही मसािफर

वह किठन पथ और कब उसकी मसीबत भलती ह सास उसकी याद करक भी अभी तक फलती ह

यह मनज की वीरता ह या िक उसकी बहयाई

साथ ही आशा सखो का ःवपन लकर झलती ह

सतय सिधया झठ शायद ःवपन पर चलना अगर ह

झठ स सच को तझ छलना पड़गा ही मसािफर

HindiBooksOnlineblogspotcom

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 68: Great Hindi Poems by H R Bachan

सास चलती ह तझ चलना पड़गा ही मसािफर

जो बीत गई सो बात गई जीवन म एक िसतारा था माना वह बहद पयारा था वह डब गया तो डब गया

अबर क आनन को दखो िकतन इसक तार टट

िकतन इसक पयार छट

जो छट गए िफर कहा िमल

पर बोलो टट तारो पर कब अबर शोक मनाता ह जो बीत गई सो बात गई

जीवन म वह था एक कसम

थ उस पर िनतय िनछावर तम

वह सख गया तो सख गया मधवन की छाती को दखो सखी िकतनी इसकी किलया मरझाई िकतनी वललिरया जो मरझाई िफर कहा िखली पर बोलो सख फलो पर

कब मधवन शोर मचाता ह जो बीत गई सो बात गई

HindiBooksOnlineblogspotcom

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 69: Great Hindi Poems by H R Bachan

जीवन म मध का पयाला था तमन तन-मन द डाला था वह टट गया तो टट गया

मिदरालय का आगन दखो िकतन पयाल िहल जात ह िगर िमटटी म िमल जात ह जो िगरत ह कब उठत ह पर बोलो टट पयालो पर

कब मिदरालय पछताता ह जो बीत गई सो बात गई

मद िमटटी क ह बन हए

मधघट फटा ही करत ह लघ जीवन लकर आए ह पयाल टटा ही करत ह

िफर भी मिदरालय क अदर मध क घट ह मधपयाल ह जो मादकता क मार ह व मध लटा ही करत ह वह कचचा पीन वाला ह

िजसकी ममता घट-पयालो पर जो सचच मध स जला हआ

कब रोता ह िचललाता ह जो बीत गई सो बात गई

- हिरवशराय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 70: Great Hindi Poems by H R Bachan

आदशर म

पयार िकसी को करना लिकन

कहकर उस बताना कया | अपन को अपणर करना पर औ र को अपनाना कया |

गण का माहक बनना लिकन

गाकर उस सनाना कया | मन क किलपत भावो स

औरो को म म लाना कया |

ल लना सगनध समनो की तोड़ उनह मरझाना कया | म हार पहनाना लिकन

म पाश फलाना कया |

तयाग अक म पल म िशश उनम ःवाथर बताना कया | दकर दय दय पान की आशा वयथर लगाना कया |

HindiBooksOnlineblogspotcom

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 71: Great Hindi Poems by H R Bachan

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

िोकष हो भल खड़

हो घनहो बड एक पऽ-छाह भी माग मत माग मतमाग मत

अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

त न थकगा कभी त न थमगा कभी

त न मड़गा कभी- कर शपथ कर शपथ कर शपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

यह महान िय ह- चल रहा मनय ह

अौ-ःवद-रकत स लथपथ लथपथ लथपथ अिगन पथ अिगन पथ अिगन पथ

-हिरवश राय बचचन

HindiBooksOnlineblogspotcom

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन
Page 72: Great Hindi Poems by H R Bachan

नव वषर- हिरवश राय बचचन

वषर नव

हषर नव

जीवन उतकषर नव

नव उमग

नव तरग

जीवन का नव सग

नवल चाह

नवल राह

जीवन का नव वाह

गीत नवल

ीित नवल

जीवन की रीित नवल

जीवन की नीित नवल

जीवन की जीत नवल

HindiBooksOnlineblogspotcom

  • अगनि पथ
  • नव वरष- हरिवश राय बचचन