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HINDI ESSAY AND OTHERPROSE FORMS

(HIN5 B07)

V SEMESTER

CORE COURSE

BA HINDI(2019 Admission onwards)

UNIVERSITY OF CALICUTSchool of Distance Education

Calicut University POMalappuram - 673 635 Kerala

19117

School of Distance Education

Hindi essay and other Prose Forms 2

UNIVERSITY OF CALICUTSchool of Distance Education

Study Material

V Semester

Core Course (HIN5 B07)

BA HINDI

HINDI ESSAY AND OTHER PROSEFORMS

Prepared by

Maria Jewel K JAssistant Professor (contract)School of Distance EducationUniversity of Calicut

Scrutinized by

Dr Anitha PLAssistant ProfessorDept of Hindi Maharajarsquos College Ernakulam

DISCLAIMERldquoThe author shall be solely responsible for the

content and views expressed in this bookrdquo

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CONTENTS

MODULE - 1 5

िनबध 6

24

26

29

जीवनी 31

34

37

MODULE - 2 40

- हजारी 40

गह और गलाब - बनीपरी 43

बढ़ापा - पाडय बचन 46

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MODULE - 3 50

कमला - सचदव 50

गौरा - महादवी 52

का रोमास - मोहन राकश 55

MODULE - 4 60

जीवन - रागय राघव 60

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MODULE - 1

िहदी का आधिनक काल भारत क इितहास क बदलतस था और की भावना का

भी आया और कालोगो क जीवन एव सोच - िवचार बदलावकर िदया कला राजनीती और सबधी नई का इसक

19 वी सदी कआसपास काआरभ इसकिजन लखको का इितहास िकया गया ह उनकी

कितयो नही क बराबर ह लिकन खड़ीबोलीका जो आज हमार ह उसकी िवकास आरिभकरचनाओ को भिमका ह |

का भावो या िवचारो का सहज सरल एव भाषािवशष सिहत करना ह िहदी क िवधाओको दो िवभाजन कर सकता ह पहला िवधाओका ह नाटक कहानी िनबधऔर आलोचना को रखाजा सकता ह दसर गौण िवधाओ का ह जीवनी

डायरी आिद का िकया जा सकता

िवधाओ नाटक कहानी िनबध और आलोचनाका आरभ यग हो गया था गौण िवधाओ कछ कािवकास यग तथा शष का छायावाद- यग था यह बात दना योग ह िक िवधाए अपनी - रचनाएक दसर स ह जबिक गौण िवधाओ स अनकिनबध स सबध रखती ह एक ही स सबध रखन ककारण यह एक दसर क िनकट होता ह

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िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 2

UNIVERSITY OF CALICUTSchool of Distance Education

Study Material

V Semester

Core Course (HIN5 B07)

BA HINDI

HINDI ESSAY AND OTHER PROSEFORMS

Prepared by

Maria Jewel K JAssistant Professor (contract)School of Distance EducationUniversity of Calicut

Scrutinized by

Dr Anitha PLAssistant ProfessorDept of Hindi Maharajarsquos College Ernakulam

DISCLAIMERldquoThe author shall be solely responsible for the

content and views expressed in this bookrdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 3

CONTENTS

MODULE - 1 5

िनबध 6

24

26

29

जीवनी 31

34

37

MODULE - 2 40

- हजारी 40

गह और गलाब - बनीपरी 43

बढ़ापा - पाडय बचन 46

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Hindi essay and other Prose Forms 4

MODULE - 3 50

कमला - सचदव 50

गौरा - महादवी 52

का रोमास - मोहन राकश 55

MODULE - 4 60

जीवन - रागय राघव 60

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Hindi essay and other Prose Forms 5

MODULE - 1

िहदी का आधिनक काल भारत क इितहास क बदलतस था और की भावना का

भी आया और कालोगो क जीवन एव सोच - िवचार बदलावकर िदया कला राजनीती और सबधी नई का इसक

19 वी सदी कआसपास काआरभ इसकिजन लखको का इितहास िकया गया ह उनकी

कितयो नही क बराबर ह लिकन खड़ीबोलीका जो आज हमार ह उसकी िवकास आरिभकरचनाओ को भिमका ह |

का भावो या िवचारो का सहज सरल एव भाषािवशष सिहत करना ह िहदी क िवधाओको दो िवभाजन कर सकता ह पहला िवधाओका ह नाटक कहानी िनबधऔर आलोचना को रखाजा सकता ह दसर गौण िवधाओ का ह जीवनी

डायरी आिद का िकया जा सकता

िवधाओ नाटक कहानी िनबध और आलोचनाका आरभ यग हो गया था गौण िवधाओ कछ कािवकास यग तथा शष का छायावाद- यग था यह बात दना योग ह िक िवधाए अपनी - रचनाएक दसर स ह जबिक गौण िवधाओ स अनकिनबध स सबध रखती ह एक ही स सबध रखन ककारण यह एक दसर क िनकट होता ह

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Hindi essay and other Prose Forms 6

िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 3

CONTENTS

MODULE - 1 5

िनबध 6

24

26

29

जीवनी 31

34

37

MODULE - 2 40

- हजारी 40

गह और गलाब - बनीपरी 43

बढ़ापा - पाडय बचन 46

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Hindi essay and other Prose Forms 4

MODULE - 3 50

कमला - सचदव 50

गौरा - महादवी 52

का रोमास - मोहन राकश 55

MODULE - 4 60

जीवन - रागय राघव 60

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Hindi essay and other Prose Forms 5

MODULE - 1

िहदी का आधिनक काल भारत क इितहास क बदलतस था और की भावना का

भी आया और कालोगो क जीवन एव सोच - िवचार बदलावकर िदया कला राजनीती और सबधी नई का इसक

19 वी सदी कआसपास काआरभ इसकिजन लखको का इितहास िकया गया ह उनकी

कितयो नही क बराबर ह लिकन खड़ीबोलीका जो आज हमार ह उसकी िवकास आरिभकरचनाओ को भिमका ह |

का भावो या िवचारो का सहज सरल एव भाषािवशष सिहत करना ह िहदी क िवधाओको दो िवभाजन कर सकता ह पहला िवधाओका ह नाटक कहानी िनबधऔर आलोचना को रखाजा सकता ह दसर गौण िवधाओ का ह जीवनी

डायरी आिद का िकया जा सकता

िवधाओ नाटक कहानी िनबध और आलोचनाका आरभ यग हो गया था गौण िवधाओ कछ कािवकास यग तथा शष का छायावाद- यग था यह बात दना योग ह िक िवधाए अपनी - रचनाएक दसर स ह जबिक गौण िवधाओ स अनकिनबध स सबध रखती ह एक ही स सबध रखन ककारण यह एक दसर क िनकट होता ह

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Hindi essay and other Prose Forms 6

िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 4

MODULE - 3 50

कमला - सचदव 50

गौरा - महादवी 52

का रोमास - मोहन राकश 55

MODULE - 4 60

जीवन - रागय राघव 60

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Hindi essay and other Prose Forms 5

MODULE - 1

िहदी का आधिनक काल भारत क इितहास क बदलतस था और की भावना का

भी आया और कालोगो क जीवन एव सोच - िवचार बदलावकर िदया कला राजनीती और सबधी नई का इसक

19 वी सदी कआसपास काआरभ इसकिजन लखको का इितहास िकया गया ह उनकी

कितयो नही क बराबर ह लिकन खड़ीबोलीका जो आज हमार ह उसकी िवकास आरिभकरचनाओ को भिमका ह |

का भावो या िवचारो का सहज सरल एव भाषािवशष सिहत करना ह िहदी क िवधाओको दो िवभाजन कर सकता ह पहला िवधाओका ह नाटक कहानी िनबधऔर आलोचना को रखाजा सकता ह दसर गौण िवधाओ का ह जीवनी

डायरी आिद का िकया जा सकता

िवधाओ नाटक कहानी िनबध और आलोचनाका आरभ यग हो गया था गौण िवधाओ कछ कािवकास यग तथा शष का छायावाद- यग था यह बात दना योग ह िक िवधाए अपनी - रचनाएक दसर स ह जबिक गौण िवधाओ स अनकिनबध स सबध रखती ह एक ही स सबध रखन ककारण यह एक दसर क िनकट होता ह

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Hindi essay and other Prose Forms 6

िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 5

MODULE - 1

िहदी का आधिनक काल भारत क इितहास क बदलतस था और की भावना का

भी आया और कालोगो क जीवन एव सोच - िवचार बदलावकर िदया कला राजनीती और सबधी नई का इसक

19 वी सदी कआसपास काआरभ इसकिजन लखको का इितहास िकया गया ह उनकी

कितयो नही क बराबर ह लिकन खड़ीबोलीका जो आज हमार ह उसकी िवकास आरिभकरचनाओ को भिमका ह |

का भावो या िवचारो का सहज सरल एव भाषािवशष सिहत करना ह िहदी क िवधाओको दो िवभाजन कर सकता ह पहला िवधाओका ह नाटक कहानी िनबधऔर आलोचना को रखाजा सकता ह दसर गौण िवधाओ का ह जीवनी

डायरी आिद का िकया जा सकता

िवधाओ नाटक कहानी िनबध और आलोचनाका आरभ यग हो गया था गौण िवधाओ कछ कािवकास यग तथा शष का छायावाद- यग था यह बात दना योग ह िक िवधाए अपनी - रचनाएक दसर स ह जबिक गौण िवधाओ स अनकिनबध स सबध रखती ह एक ही स सबध रखन ककारण यह एक दसर क िनकट होता ह

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Hindi essay and other Prose Forms 6

िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 6

िनबध

िनबध का एक िवधा ह िजस िहदीकी एकआधिनक िवधा की भी दी गई ह जगतएव का पान वाल को

क िलए िनबध एक खला मच करता ह साधारण िवषय सलकर गभीर िवषय तक िनबध का िवषय हो सकता ह इसस िनबध कािवषय-आयाम हो जाता ह यही कारण ह िक िनबध क

लख डायरी आिद िवषय आ जाता रचना लख और आिद िनबध क कछ ह

िनबध की अनक की गई ह

िन + + ndash lsquo इित अिधकरण िनबधनमrsquondash िवचार बाधा अथवा गथा गया हो ऐसी रचना

िन + + घन ndash lsquo िवषयम rsquo ndashस िकसी िवषय पर िवचारोकी बाधना

रोकना अथवा करना

क अनसार lsquoिनबधनातीित rsquo - जो बाधताह वही ह

lsquo rsquo की िनबध क बारह होत ह ndashबाधनाजोड़ना रचना िलखना टीका या कितआिद ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 7

िनबध की और

ldquoमर िनबध मर मन की उड़ान ह अपन िनबधोअपन आपको क उदघािटत करन काकरता rdquo - Montaigne

ldquoAn essay consists of few pages of concentrated wisdomwith little elaboration of ideas expressedrdquo - बकन

[ िनबध कछ इन िगन क लघ होत हमन क िबखर ठोस िवचारो कापाया जाता ह ]

ldquoआधिनक क अनसार िनबध उसी को कहनाचािहए िवशषता हो -

िवशषता का यह मतलब नही ह िक उसक किलए िवचार की रखी ही न जाय या जानबझकर जगह-जगह स तोड़ दी जाय भाषा स वालो याहठयोिगयो जस आसन कराए जाय िजनका तमाशा िदखनक िसवाय और कछ न होrdquo -आ

ldquoिनबध उस रचना को कहत ह एक सीिमत आकारक भीतर िकसी िवषय का या एक िवशषिनजीपन सजीवता तथा सगीत और

क साथ िकया गया होrdquo - बाब गलाबराय

ldquo का िवचार न करन वाला रचना क वहकी हो िवषय हो

लखकका स हो िजस शलीमौिलक तथा कोिट की हो िनबध कहलायगा rdquo

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 8

-आ दलार वाजपयी

िहदी िवधाओ िनबध को एक ह आधिनक यग क िवकास क साथ िनबध का और िवषय भी गभीर एविवशाल बन गय साधारण िवषय स लकर गभीर स गभीर िवषयो परलखक को अपनी एव - को करक

ढग स करन की िवधा ह िनबध इसिलए जी मानत ह ndash किवयोकी कसौटी ह तो िनबधकी कसौटी ह आ हज़ारी न िलखा ह िक भावो या

िवचारो की उस शली की रमणीयता क योग स िजन नवीनका उस ही िनबध की दी गई ह

िनबध िनबधकार की का होतह िकसी िवषय या िवषयाश का लघ एव

ढग स अपन मत और को करन व न भलतह िनबध की दसर िवशषता यह ह िक िनबध रचनाक स लखक और पाठक क बीच सीधा सबध होत ह

यह सघिटत और रचना का शली होत ह

िनबध की िवशषताए ह-

1 िनबध की भाषा िवषय क होनी चािहए

2 िवचारो सबध होनी चािहए

3 िनबध लखक का होना ह

4 होनी चािहए िवराम का उिचतिकया जाना चािहए

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 9

5 िनबध लखन की सीमा का रखना चािहए

6 िनबध लखन िवचारो की एक अखड धारा होती ह उसका एकहोना चािहए

7 िवषय स सबिधत सभी पहलओ पर िनबध की जानाचािहए

8 िनबध क अितम ऊपर कही गई सभी बातो कासाराश होना चािहए

िनबध को चार अग होत ह व ह ndash

1 ndash पाठको को करन होनीचािहए पाठक क मन पठन की पदा करन की

भी होनी चािहए ह

2 भिमका - यह िनबध की िवषय ह िनबध कीकी यह नीव होती ह इसिलए भिमका

एव रोचक होनी चािहए की झलक यहा होनाह

3 ndash यह िनबध का अश ह यह लखकएव सयिमत प अपनी िवचारो एव भावो काकरता ह

4 उपसहार ndash िनबध की उपसहार लखक को अपनी मौिलकशली अपनाया जा सकता ह लिकन यहा पर िनबध का समापनकी सचना होना ह लखक चाह अपनी

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 10

उपदश दसरो क िवचारो को करक या किवता कीक स िकया जा सकता ह

िनबध क भद

िवषय ndash भाषा ndash शली रचना आिद की िविवधता ककारण िनबध का कोई करना किठन ह िवषयकी स राजनीितक एव

िनबध का करता ह कोईक अनसार ndash

तथा - पाच भद मानता ह शली क आधार पर िनबधका कई भद ह ह ndash शली अलकत शली समासया शली शली - िवनोद शली आिद कछ न िनबध को दो बाटा गया ह जो

होता ह वह ह

1 िवषय अथवा या

2 िवषयी या अथवा

िवषय क ndash एव िनबध तथा िवषयीक - तथा िनबधो की

गणना करत ह

िवषय िनबधो िवषय की होती ह िवषयको छोड़कर कही नही जा सकता ह पर िनबध िवषय का

एव होती ह लखक कागौण होता ह िवषय िनबध गभीर नीरस

होत इस िनबध क और दो भद भीिकए गय ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 11

िनबध ndashउस िनबध को कहत ह िकसी घटना आिद का होता ह िनबधकार नदी पहाड़जगल आिद का यथावत

करता ह ऐस क स कहोन का भाव होन लगता ह िनबधकार क

िलए पनी होनी चािहए क अग -को सरल एव रोचक ढग स करन की

होनी चािहए िकसी जस ndashहोलीदीपावलीईद या या घटना

िदवस की परड ओिलिपक खल ताज महल आिद परिलख गया िनबध होत ह इस क िनबधक िलए अिधक मानी गई ह

माधव पदमलाल बाब गलाब राय महादवी आिद िनबधकार आत

िनबध - उस िनबध को कहत ह िकसीकथा का या िकसी ऐितहािसक घटना काकालगत िववचन पाया जाता ह सामािजक पौरािणक एवऐितहािसक की पायी जाती ह िनबधकार कथाशली का लकर िवषय का करता ह कथाशली होन क कारण एव अनभितयो क साथ यथोिचत

का भी समावश की जाती ह नारायण महावीर आिद का नाम

िवषयी िनबध का सबध लखक की औरउसकी अनभित आिद स ह िनबधो की लखककी साफ़ िदखाई दत ह पाठक क साथ सीधा सबध

करक लखक िवषय एव करत ह बीच

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 12

िवषय स हटकर कोई या िवषय की ओरउड़न की छट यह शली करत ह िनबध को

या िनबध भी कहा जाता ह इसक और िनबधो की

गणना की जाती ह

िनबध ndash ऐस िनबध िनबधकार क िलए गभीर मनन िचतन एव अनभव की रखत ह

होत िवषय को एव क स लखकअपन िनबध करत ह सरसता कम िदखाईदत ह कही गई बातो का आपसी सबध या होना

ह िकसी की बात को ऐसी बारीकी एवस िकया जाता ह िक व पाठक की चतना को

कर दत ह और समास शली कापाया जाता ह भदान अिहसा िवधवा- िववाह ऐस सामािजक एकता ऐसराजनीितक तथा - जस िवषयआत ह महावीर

दास नद दलार वाजपयी आिद क िनबधइसक आत

िनबध - इन िनबधो गौण होकर भावकी पाई जाती ह लखक की भावकता सख-दःख एव -बर सबध का

- मनोिवकार आिद का रहता ह िनबधकार क साथ अपनी भावो को करतह पाठक हो जात ह लखक धारा तरगऔर शली क स अपनी अनभितयो की सचालनिनबधो करता ह नारायण सरदार

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 13

िसह िवयोगी हरी बनीपरी आिद िनबधकारो कीगणना ऐस िनबध लखको की जाती ह

िनबध ndash िनबधो की इस कोिट क मानजात ह सजगता तथा अिमट गणपाए जात ह िनबधकार िवषय - बनकरहोत ह उनकी जीवन की िवध अनभवो एव

का इस सजा दता ह की िनबध इन सभीउपादनो को क करन िहचक नही रखता और का अपना एक

ह अपनी गण - अवगण - घणा आनद - िवषाद मद- कट - आिद कलखक िनबध कही-कही - एव िवनोद की छटा भी

करत ह

िवधाओ िनबध सबस िवधा ह इसका िवषय शली आिद को कोई सीमा नही ह इसिलए िनबधो का

भी की ह िनबध का कीिवधाओ की ह आधिनक यग ही िनबध को

की िवधा क िमली ह

िहदी िनबध का िवकास

िवधा क िहदी िनबध का और िवकासआधिनक यग ही जागरणदश

मशीनो का का का कला का

- का आिद अनक कारणो िनबध काभिमका िनभाई िहदी िनबध का उदय

सदी क क और

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 14

उपकरणो क स यहा पर अनक छापाखानो का छपी कम पर भाषा क एव

क स की जान लगी इस समाजसमाज राम िमशन आिद न समाज सधारएव सबधी िवचारो को िकया

अनक - का और कीसहायता स लखक अपनी भावनाओ - िवचारो को जनता तकसफल - क क साथ ही की इस िनबधिवधा का जो क अपनीिवकासमान िदशा

िनबध की इस िवकास ndash को सिवधा की स चार भागोिवभािजत कर सकत ह

1 िहदी िनबध का उदय काल ( सन 1850 स 1900 तक )

2 िहदी िनबध का िवकास काल ( सन 1900 स 1920 तक )

3 िनबध का काल( सन1920 स 1955 तक )

4 िहदी िनबध का काल ( सन 1955 स आज तक )

िहदी िनबध का उदय काल

क िहदी परपरा का हीअनसरण कर रहा था परत इस समय खड़ी बोली क की अपनी एक

िदशा का भान होन लगा था इस समय खड़ी बोली िविवधिवषयो स सबिधत रचनाए होन लगी थी क

स खड़ीबोली अपनी िवकास की ओर को न करक सार - अपन िवचारो का

क िलए थ ndash lsquo rsquo lsquoबगदतrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 15

lsquoबनारस अख़बारrsquo lsquoसधाकरrsquo ह कीlsquo rsquo lsquoकिववचन सधाrsquo का lsquo rsquo

का lsquoिहदी rsquo बदरी नारायण चौधरी का lsquoनागरीनीरदrsquo और lsquoआनदकादिबनीrsquo लाला का lsquo rsquo

का lsquoपीयष rsquo और बालमकद का lsquoभारतrsquo आिद - न खडीबोली को िवकिसत करन

योगदान िदया इन क सपादको एवस कई िनबध लखक भी थ इन लखको न अपन लखो

सामािजक राजनीितक और सबधी अपनी िवचारकी जी को िहदी क जनक मान जात

इस काल को िहदी िनबध का उदय काल करन िकसी कोभी कोई िहचक नही ह इस काल क िहदी िनबधो -

ही िजसका समाज की करीितयो वपर करना था जी न अपनी रचनाओ सरल

तथा दशज कहावतो महावरो औरिवदशी का िकया न भी -

िवषयो पर अपन िनबध िलख lsquo rsquo हीअपनी अिधकाश िनबधो िकया सामािजक -

िवषय स सबिधत - तथा -िनबध िलख ह एक सफल िनबधकार की सारी गण जी

मौजद थ औररोचक ढग स पाठको क िलए अपन िवचार िनबधो क सकी

न इितहास कला समाज सधार जीवनी- भाषा आिद अनक िवषयो पर िनबध िलख

स अनक - शली का ह क िनबध ह - lsquo कसमrsquo lsquoउदय परोदयrsquo

lsquo rsquo lsquoबादशाह rsquo lsquoलवी लवीrsquo lsquo rsquo lsquoजातीय

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 16

सगितrsquo lsquoनाटको का इितहासrsquo lsquo की rsquo lsquo िवचारसभाका अिधवशनrsquo lsquoजाती िववचनी सभाrsquo lsquo पगबरrsquo lsquo rsquolsquoककड नrsquo lsquo और rsquo lsquo िहदी भाषाrsquo lsquo rsquolsquoकाशीrsquo lsquo rsquo lsquoनाटकrsquo lsquo बड़ा हrsquo lsquo की

कस हो सकती ह rsquo आिद

इस यग क िनबधकारो पिडत बदरीनारायण चौधरी lsquo rsquo राधाचरण ठाकर

जगमोहन िसह मोहनलाल आिदस ह आ न और

दोनो को िहदी का lsquo rsquo और lsquoएिडसनrsquo कहा ह सभी िवधाओ को िवकिसत एव करन इनका

योगदान ह

यग क िनबधकार ह उनकीlsquo rsquo क स सारी सामािजक िवषयो पर िनबध

िकया जी क िनबधो उनका गभीर एव िचतन की िदखाई दता ह उनक

िनबधो को िवषय की स छः भागो िकया जा सकताह-

(क) तथा असाधारण िवषय पर (ख) सामािजक िवषयो पर (ग)िवषयो पर (घ) गभीर तथा (ङ) सामािजक तथा

राजनीितक (च) इनक िनबधो की लब औरमहावर पर ह सरल एव शली एकिवशषता ह lsquoबालिववाहrsquo lsquo और उनकी rsquo lsquoराजा और rsquolsquoदश - सवा - rsquo lsquoकषको की rsquo lsquo और rsquolsquoमिहला rsquo आिद िनबध सामािजक िवषयो पर ह lsquoभी ठठोल हrsquo lsquoचली सो चलीrsquo lsquoदवताओ स हमारी बातचीतrsquo lsquoनय

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 17

तरह का जननrsquo lsquoखटकाrsquo आिद िनबध की ककारण बन पड ह

अपनी lsquo rsquo क स अपनिवचारो को जनसाधारण तक उनक िलए िवषय की कोई सीमानही थी क अनसार - ldquo जी

िवशष थी इसी स उनकी वाणी कीरहती ह इसक साथ ही व परबीपन की परवाह न करक अपन

lsquoबसवारrsquo की और भी कभी बधडक रख िदया करतथ कसा भी िवषय हो िवनोद और मनोरजन की ढढ लत हrdquo lsquoदातrsquo lsquoभौrsquo lsquoखशमदrsquo lsquoधोखाrsquo lsquoआपrsquo lsquoबातrsquo lsquoनारीrsquo lsquoहrsquolsquoदrsquo lsquoसमझदार की मौत हrsquo lsquoमनयोगrsquo आिद अनक िनबधोअपनी मौज कही ह दश की काकरक सभी सधार एव की दी lsquoिनबध नवनीतrsquolsquo िपयषrsquo lsquo rsquo आिद की िनबधह इनक िनबधो गभीरता चलबलापन हास - िवचारो की

आिद िमलती

यग क िनबधकार शली की स एव

भाषण आिद क िनबध िलख इनका -जागरण था जन - जीवन स उनक िनबधो सीध सबिधत थ इस आधार पर इस यग क िनबध को एक क

करना समीचीन होगा

िहदी िनबध का िवकास काल -

यग िनबध का िवकास - क सथा लिकन यग आकर िवधाओ क समान िनबध

भी िहदी क िवकास काल को

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 18

यग की दी गई ह इस िहदी भाषा क का यग भीकहा जाता ह का स

होकर िहदी का िवकास करना था यग की तलना यग िनबधो की परपरा

होता ह लखको का क िविवध स - सचयकी ओर अिधक गया की ओर कम इस यग क अिधकतर

रह इसिलए क सजन कसबधी शली को अपनाया गया

इस यग लखक का - मनन करकउनकी शली को अपनान क िलए कोिशश करत रह महावीर

न भी लखक एव िवचारक बकन स ही थ यह उनक िनबध क िलए नयी िदशा की जी अपनीlsquo rsquo क स िजतना िनबध का िकया वह िवचारणीयह अनक क उपयोगी िवषयक ऐितहािसक

तथा सबधी िनबध िलख क िवकास एव सधार कसाथ जी न भाषा का भी िदया था अपनी िनबधो

की बगला की कोमलकात पदावली औरकी महावरदार शिलया भी अपनायी गयी

महावीर अनक िनबध िलखा हlsquoकिव और किवताrsquo lsquo की rsquo आिद ह lsquoएक योगीकी समािधrsquo और lsquo rsquo आिद िनबध ह lsquo क कारनामrsquo िनबध उनकी शली का दखाजा सकता ह lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoसतापराध दडrsquo आिदिनबधो क भी िमलत ह आ एक

सपादक आलोचक अनवादक और िनबधकार थ भाषागत सबधी को रख कर

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 19

रचनाए की और अपन लखको क रचनाओ का सशोधनभी िकया

इस यग क िनबधकारो प महावीर बाबसदर दास सरदार िसह गोिवदनारायण बालमकद माधव गलरी सहदव माधवराव आिद ह

बालमकद यग क िनबधकार ह यग भी लखन िकया ह जी न lsquo rsquo और

lsquoबगवासीrsquo का सपादन िकया इन क सअनक िनबध ह lsquoिशवशभ का rsquo क आठो उनकी

की भावना का ह तो ही और गहरीिवचारशीलता क भी ह

माधव क lsquo rsquo िनकलत थ इनक िनबध ह lsquoमाधव िनबधमालाrsquo भारत की

क व गहरी थ साधारण जनता कीसकट एव की नितक पर भी व ही िनबध

िलख lsquoसब हो गयाrsquo lsquoहोलीrsquo lsquoरामलीलाrsquo lsquo rsquo lsquo rsquolsquoबवर का rsquo आिद इनक िनबध ह

यग कम स कम छह िनबधो स आलोको एव पाठकोका करन वाल िनबधकार ह सरदार िसह नितकताऔर सामािजकता इनक िनबध का िवषय ह इनक िनबधो

स िवचारो की शली याशली दखन को िमलत lsquoआचरण की rsquo lsquo

वीरताrsquo lsquoमज़दरी और rsquo lsquo rsquo और lsquo rsquo िनबध ह गलरी भी यग क नामी िनबधकार ह इनक

lsquoकछवा rsquo और lsquoमारिस मोिह कठावrsquo इनक िनबध ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 20

शली िनबध िलख कर दास िहदी िनबध किवकास भिमका िनभाई

िहदी िनबध का -

िहदी िनबध क इस काल कािदखाई दता ह जी की लखनी का

यग स ही होन लगा था परत इस काल उनक िवचारोकी गभीर की कटता तथा कीिदखाई पडन लगी धीर - धीर व िनबधकार क िहदी

नाम कमाई लोगो न इस काल को यग तक कीकी

इस यग िनबधो को िवशष िदया का था जी न अपन िनबध

एव का का िकया एक बार उस पढ़नपर पाठक की होकर नवीन सरिण की ओरहो जात ह उनक िनबध lsquoनागरी rsquo

थ जी को िलख गय िनबधlsquoिवचारवीथीrsquo नाम स इसक एव िनबध

क lsquoिचतामणीrsquo भाग - 1 तथा भाग - 2 क नाम स िनबधो का दखन को िमलत

लोकमगल की भावना जी की सभी िनबधो िदखाई दत lsquoभयrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo lsquoघणाrsquo lsquo rsquo lsquo और rsquo

lsquoलोभ और rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo आिद मनोिवकार सबधी दस िनबधlsquoिचतामणीrsquo सकिलत ह lsquoकिवता हrsquo lsquoसाधारणीकरणrsquo lsquo

rsquo lsquo बोध क िविवध rsquo lsquo लोकमगल कीrsquo आिद िनबध उनक गभीर िचतन िववचन एव

का खला ह lsquoतलसी rsquo lsquoजायसी

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 21

rsquo lsquo गीत सारrsquo lsquo की भिमकाएrsquo आिद उनकका ह

यग क िनबधकारो बाब गलाबरायजयशकर माखनलाल िनराला दलार वाजपयीिवयोगी चतरसन कमार महादवी

हज़ारी बनीपरी िदनकर पआिद ह िनबधकार का िवषय िहदी िनबध

को धरातल की सामािजक एव इस यग की महान

क बाद इस यग क िनबधकारो आहज़ारी का ह

और आिद सभी क िनबधोका सजन िकया ह हज़ारी भारतीय क पोषक ह lsquoअशोक क कलrsquo lsquoकटजrsquo आिद िनबधो का ह अपनी िनबधो शली को अपनायी औरमनोरजन इनकी िनबध को अिधक बनात ह इस यग क

िनबधकार ह दलार वाजपयी व अिधक स अिधकिनबध िलख ह इनक िनबध िविवध

उनकी कितयो वादो औरगितिविधयो स सबध ह lsquoिहदी rsquo lsquoजयशकर

rsquo lsquo rsquo lsquoनया नय rsquo और lsquoआधिनक rsquo इनकिनबध ह महादवी न िनबध िलख

स कछ नारी कछिवषय स सबिधत ह उनक िनबध lsquoअतीत क

rsquo lsquo की रखाएrsquo lsquo की किडयाrsquo lsquo rsquo lsquoपथ क साथीrsquolsquo की rsquo आिद ह और कमार जस लखको

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 22

न भी इस यग तथा िनबध िलखा ह lsquo rsquolsquo rsquo lsquoअर यायावर रहगा यादrsquo lsquoएक बद सहसा उछलीrsquo आिद

जी क िनबध ह इनकी कालमान जात

िहदी िनबध का -

यग जीवन की जिटलता तथा राजनीितकसामािजक एव का ह िनबध क

स होकर िनबधकार कर रहा ह िनबध क िवषय और उनक की योजना जो

तथा उनक क यग िदखाई दती ह अब उसका तोनही कछ न कछ िदखाई पडता ह इस कालिनबध कम िलख गय िनबध लिलत िनबधिनबध और क डायरी

आिद की िदखाई पडती ह िनबधो की िवशषता िदखाई पडती ह डॉ गजानन माधव

डॉ रामिवलास डॉ नामवर िसहकबरनाथ राय भारती िसह परसाई

शरद जोशी डॉ रघवश राजकमल चौधरीआिद काल की िनबधकार ह

डॉ िनबधकार ह इनक िनबधोशोध और की दखन लायक ह एव गवषण

इनक िनबधो की खािसयत ह िनबधो आिद िविवध की शली अपनायी ह

lsquoिवचार और िववचनrsquo lsquoिववचन और rsquo lsquoिवचार और अनभितrsquoिनबध ह गभीर िचतन एव जीवन क अनभावक ह

गजानन माधव इनक िनबधो क जीवन का

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 23

दखन को िमलत lsquo rsquo lsquoहसrsquo lsquo rsquo lsquo rsquoआिद अपन िनबध िकया lsquoनयी किवताका rsquo lsquoकामायनी एक rsquo lsquoएक कीडायरीrsquo lsquoनया का rsquo आिद इनक ह

एव हज़ारी क बादया लोक परपरा का एव रोचक शली

करनवाल पिडत ह क पोषण क साथ साथइनकी िनबधो जीवन की िविवध िवसगितया एव िवषमताओ को भीरोचक शली अपन िनबध का िवषय बनाया ह जी न अिधकाशतःअपनी लिलत िनबधो क कारण ही की ह इनकी िनबधगतरचना को रख कर इनक िनबधो को दो भागो

िकया जा सकता ह - िनबधिनबध lsquoिछतवन की छावrsquo lsquoतम चदन हम पानीrsquo lsquoआगन कापछी और बनजारा मनrsquo lsquoबसत आ गया पर कोई नहीrsquo lsquoमर रामका मकट भीग रहा हrsquo आिद सकिलत िनबध ह lsquoिहदीकी - rsquo और lsquo rsquo आिद को रखा जा सकता ह लिलत िनबधकारो नाम कबरनाथ राय का ह lsquoनीलकठीrsquo lsquoकामधनrsquo lsquoमहाकिव की rsquo और lsquoरस आखटकrsquolsquo rsquo lsquoिनषाद बासरीrsquo आिद इनक िनबध ह

यग क िहदी - काआधिनक काल सभव - िनबधकारो

परसाई शरद जोशी आिद ह अपन िनबधो क -समाज करीितयो एव राजनीितक -

सामािजक का खरदरा का िकया lsquoिशकायत मझ भी हrsquo lsquoपगडिडयो का ज़मानाrsquo lsquoतब की तब और थीrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 24

lsquoबईमान की परतrsquo आिद परसाई क - िनबधह

इस िहदी का िनबध अपनकाल स होता लगभग डढ सौ आज स िवकिसतएव सबिधत होता अनवरत स आग की ओर बढता जा रहा ह इस अनक नय लखक िनबधकार अपनी

को करत दीख पडत ह

रखाओ बना ह इस कहत इस का सबध स ह िजस अपन टढ़ी-ितरछी रखाओ स बनता ह उसी कस बनाता ह इसिलए इस भी कहा जाता ह

रखाए जो काम करती वही करत जब लखकक िकसी घटना या आिद का इस

करता ह िक क आग उस घटनाया का खीचता चला जाए तो वह कहलाता ह

को और कछ स दखनकी होती ह आकित को भद कर अतः का अकन इसका

ह की िवशषता इस बात पर भी ह िक वहनायक को हटाकर उसक पर की

करता ह

िहदी का आरभ यग स मानना अनिचत न होगा नारायण आिद की

कई रचनाओ की झलक िमलती ह परत को

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 25

िवधा क करन का को ही ह उनकीकित पराग(1929) िहदी का ह हस औरमधकर न क िवकास अहम योगदान िदया ह

बनारसीदास महादवी बनीपरी मिलक

आिदह

िहदी क ह व िशकारीजीवन का लखक ह िशकारी जीवन क अपनी अनभवो कोअपनी लखन क स िकया ह बोलती क सौदा जगल क जीव और व कस जीत उनक

महादवी कशल और क ह अतीत क

की रखाए पथ क साथी तथा मरा उनकह महादवी जी क यिद एक ओर बाहरी

का अकन ह तो दसरी ओर और सहानभित काधरातल पर बराबर घल िमल अतीत क

अिधकाश गाव की बाल िवधवाओ और शोिषत लोगो किकए गए की सरलता ममता सवा

परायणता आिद को करक ही की रखाए नामकिलखी ह पथ क साथी समकालीन रचनाकारो

मिथलीशरण कमारी चौहान िनराला पतबनीपरी बनारसीदास आिद

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 26

प बनारसीदास जी क सकलन ह उनक यह को क इितहास महान मानी जातीह छोटी - मोटी घटनाओ और साधारण - कोबनाकर िवनयमोहन रखा और रग नामक िनकालाउनक घर की पसी भी शािमल ह और उनक भी

बनीपरी क की शली जीवत औरह माटी की और गलाब और ललतारा उनकरचनाए ह भल चहर िजदगी माटी हो गई सोना दीपजल शख बज आिद क ह

क रखाए बोल उठी गौरी सावरी आिदह

लखक का और ह रोचकता और मनोरजन होती ह छोट - छोट सरल

लघ-आकार आिद की िवशषताए ह अनभित होती ह इसका िवषय न होकर

होता ह यह पर होता ह आजकलिवधा का एकदम बदल गया ह उसको हम कही कहानीअथवा क भीतर पात और कही िवधा क

भी दख सकत

की एक िवधा ह औरअतर ह का होता ह

इस lsquo rsquo कहत ह िजसका होता ह- क आधार परिलखा गया लखक अतीत की अनक

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 27

स कछ रमणीय अनभितयो को अपनी भावना या कीिवशषताओ स अनरिजत कर ढग स करता ह|कछ न और को एक-दसर की परक िवधा भीकहा ह गणो स िकसी महान को यादकरत उसक क साथ उसका िकया जाताह लखक िवषय का यथावत अकन न करक उसका

करता ह की तरह यह िवषय क नही होता िवधा होत भी स

रखता ह लखन क िलए यह िनतात ह िक लखकन उस या का िकया हो िजसका वहिलख रहा ह

आिद मान जात ह

िहदी क आरिभक लखको का नामह िहदी को कला- की क स

िमलती ह अपन आरिभक होन पर भी महाकिव अकबरनारायण भीमसन क सबध िलख गए

क आज भी बजोड़

lsquoपहली सलामीrsquo चतरसन जी नभगतिसह बम का आखो दखा िकया ह

ितलक लखक न उनक की कट - मधरका जो खीचा ह राजनीित की उथल - पथल

का भी हो गया ह जी का अनक किहदी की भी की ह

िहदी क लखको बनीपरी का नाम भीह उनक lsquoमाटी की rsquo सकिलत व

पाठको क सहानभित िवमढ़ता आिद करन

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 28

भाषा सरलता और सहजता क साथ तीखीभी िमलती ह

क lsquoसन बयालीस क rsquo रचना ह क lsquo की rsquo lsquoय rsquo

सकिलत पबनारसीदास क िलख कछ महानभावो कlsquo rsquo नाम स हो गय क साथिववचन भी ह आपकी lsquo rsquo नाम कीक क और भी

महावीर क िलख बड उनका 21का ह मावलकर जी न बड़ सदर िलख

न भी अपनी पर िलख lsquo इनकाऋणी rsquo नाम स कछ पर भी आपन िलखा ह डॉसशील नायक की िलखी lsquoकारावास की कहानीrsquo अनिदत होतभी क क िलए दन ह डॉ

क बड़ रोचक औरहो गय महादवी क

lsquoअतीत क rsquo बड़ रोचक और सजीव

महादवी का ह आपक किव की कोमलता भावकता और मधरतािमलती ह आिद स सज होत lsquo की रखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo और lsquo rsquo आपक

हो चक महादवी क व िवशष अथवा घटना िवशष क नही ह अिपतउनकी अनभित स आई ह

की lsquo rsquo मानी गई जी कत lsquoभल चहरrsquo lsquoदीप जल शख बजrsquo कत

lsquoरखाए बोल उठीrsquo lsquo गोरी सावरीrsquo बलराज साही

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 29

क lsquoमनोरजक rsquo गलाबराय कत lsquoमरी असफलताएrsquoकत lsquoबचपन की rsquo जोशी कत lsquo

क rsquo लिलत कत lsquoमर पित मर दवताrsquo आिद इस िवधाकितया ह

िकशोरीलाल वाजपयी कजीवन क रोचक और भगवती

वाजपयी का lsquoमहाराणा िनरालाrsquo िवनयमोहन का lsquoवाजपईrsquo आिद - भी कलाकारो राजनताओ पर होत रहत

न अपन एव क सदर अनभवो एवको उतारन का िकया िहदी यह नवीन िवधा

क स आई िववरण का दश -ह एक ओर की पकार ह तो दसरी ओरह मानवीय एव क िवकास का ऊचा ह

क अनक होत - मनोरजन -गवषण साधना आिद क

िनिहत यायावरी िनरतर क िलए करत रहगा कआिदम था कवल एव का ही नही यायावर को अनक कड़व-मीठ अनभवोको करता ह लखक अपनी स पनः करकपाठको की को कर दता ह यायावर कोसाहस को अनकल बना लन की

िवपदाओ धारण करना आिद गणकरन पड़त

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 30

कछ िववरण िलख गए िजससहोकर कहा गया ह िक एक साथ और

का िवराट कहानी का गीित की मोहक भावकताकी और िनबधो की िदखाई पड़ती ह और

रोचकता क ह

आरिभक तः औरथ न कई िववरण अपनी रोचक शली

िकए थ पर य िनबध थ िहदी कबाब की कित (1924)

ह का रोचक इस ह इसकबाद मौलानी महश का मरी ईरान (1930) सरल एव शली अपनी िकया था िवदशी क आधार बनती थी लदन क कई इनिदनो िलख गए भगवानदीन दब कई िकए

सन 1984 महादवी लदन नाम स अपनीकी यह आग िहदी क एक महान बन गई

यग इद आिद सबधीअनक लख ठाकर गदाधर िसह का भारत

का मरी कलाश का कलाशपथ पर आिद इस यग क ह

आधिनक यग भी िववरण िलख गए और कछ

ह - गोपाल का का सागर डॉ का यरोप क बनीपरी का परो

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 31

पख बाधकर डॉ भगवतशरण का लाला चीर का अरयायावर रहगा याद का चीडो पर चादनी आिद

िहदी लखको और गाथाकारकई िकया ह भौगोिलक िवशषताओ क

अपनी सामािजक एवऐितहािसक को भी िदया ह उनक क भी पाठकोक मन कौतहलता बनात - जस मरी लदाख लका सवा मरी यरोप क दश साल एिशया क खडो आिद इन सबक

उनक (1948) को वतात क मील कक मान जात की और रोचक शली

उनक त को बनात कछ ऐस हीक लखको भी ह

मरी यरोप की सखद मरी कलाश मरी पाचवी आिद इनक ह

जीवनी

िकसी क जीवन का िववरणघटनाओ क स जब िकसी लखक

िकया जाता ह तो उस रचना को जीवनी कहा जाता ह इस Biography कहा जाता ह लखक अपनी िनजी जीवनको लखन िवषय बनाता ह तो जीवनी िकसी महान

क जीवन को एव ढग स करता ह

िहदी गोकलनाथ की lsquoचौरासीकी rsquo और lsquoदो सौ बावन की rsquo तथा नाभादास की

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 32

lsquo rsquo को जीवनी - लखन का कहा जा सकता ह सतो और का जीवन अमौिलक घटनाओ क साथिकया गया ह इस यग अिधकतर पौरािणक और ऐितहािसक औरकभी - कभी समसामियक को जीवनी क नायक चना जाताथा इस यग क जीवनीकार की और जीवन अिकतकरन की ह

खड़ीबोली जीवनी - लखन का यग दवी दास स माना जा सकता ह

गोपाल न उस यग की महान िवभित परिहदी की पहली जीवनी lsquo rsquo िलखी कत ndashlsquo rsquo lsquoबादशाह ndash rsquo lsquoपच rsquo तथा lsquo

rsquo कत - नारायण की जीवनीकत - मीराबाई का जीवन तथा

िशवजी का जीवन रमाशकर कत - नपोिलयन काजीवन - ईसाई िलखी गई कछ जीविनया तथाजीविनयो का कछ अनवाद यग क जीवनी क

यग जीवनी लखन की िदशा सतोषजनक िवकास इस यग परमहस तथा

पर िलखन वालो क नाम ह - रामिवलास शारदा दयाराम कत नानक रामनारायण

कत ईसा कत हजरत तथा बलदवकत यग की जीविनया ह

जीवनी लखन क दौर क साथ - साथभाषा शली का भी िवकास हो रहा था इस की

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 33

और जीविनयो स सीताराम कत lsquoमहामना पिडतमदनमोहन मालवीयrsquo िवशष स ह

प बनारसीदास न प lsquo rsquo की जीवनीिलखी ह lsquo rsquo की जीवनी क सीध - सादजीवन को लखक न बड़ भाव स िकया ह

जी न बाब पर lsquo rsquo नामक बड़ाजीवन - िलखा ह िदवाकर की िलखी lsquoसततकारामrsquo की जीवनी भी ह इनकlsquoगणशशकर rsquo lsquoवीर कसरी िशवाजीrsquo lsquoमीरा कािसमrsquo lsquoक rsquo आिद कई इन न जीवनी

की आिशक की ह रामनरश की lsquoमालवीय जी कसाथ तीन िदनrsquo lsquoमालवीय जी क स सनी rsquo उनकी जीवनी ह जीवनी लखन क इस दौर छिवनाथ पाडय आिद न

िकया क अमतराय न की जीवनी lsquoकलमका िसपाहीrsquo तथा रामिवलास lsquoिनराला कीसाधनाrsquo ससार कर चकी ह

कत पर िलखी lsquoआवारा मसीहाrsquo तोमानी जाती ह राही मासम रज़ा की शहीद हिमद पर भगवती

िसह की गोपीनाथ किवराज पर ओकार शरद की राममनोहरलोिहया पर जोशी की पर िलखी जीविनया भी

बालोपयोगी जीवनी िलखन क कानाम ह

को बनाकर पर समाज का करन कीएक ऐसी होती ह जहा जीवनी - नायक क होन कीनही रह जाती एक साधारण - को बनाकर भीसमाज और का सजीव अकन सभव होता ह यह जीवनी लखनक एक नया और िवकास ह िनराला lsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 34

भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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भाटrsquo ऐसी ही रचना ह िहदी का जीवनी िवषय कीस आशाजनक बन पड़ा ह

िहदी की नव िवकिसत िवधा कह िजसका ह - lsquoअपनी कथाrsquo लखक

अपन बीत जीवन की कहानी का िववचन क साथ करता ह का ह अपनी कहानी

आिद क िलए ह अनभित मौिलकता रोचकता आिद

क गण होत ह लखक क पास ऐसाहोना ह िक वह अपन दोषो और को

िनःसकोच कर कयो कहा ह ndash ldquo जीवन ( ) तभी समाज किलए

उपयोगी होगी जब उस कथा पाठक को समाज या यग याका ससमय और स िमल | उस पढ़करपाठक उन बराईयो क सचत हो जो समाज को िपछड़पन दती ह |rdquo

लखक क होत ह - अनभवो की भोग की

आिद | लखन लखक को िवधाओ सछट होती ह इसकिलए कोई खास शली या न होती

| कोई भी िलख सकता ह और कस भी कही जा सकती हइसका सबध जीवन स होती ह |

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क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 35

क भी जी न lsquoकछ आप बीती कछ जगबीतीrsquo िलखकर पहल की थी िकत बनारसीदास जन िलखा गयाlsquo rsquo को िहदी कीमाना जाता ह लिकन वह भाषा नही ह साथ हीभावना का ह कत lsquoमझ दव - जीवन कािवकासrsquo (1910) तथा दयानद कत lsquoजीवन rsquo (1917) इस िवधाकी आरिभक कितया ह छायावादी यग अनिदत कोखब िमली की lsquo rsquo का अनवाद

न सन 1927 िकया नता जी बोस कीका अनवाद lsquo क rsquo (1935) नाम स जोशी

न िकया भाई परमानद कत lsquoआपबीतीrsquo (1921) मौिलक रचना ह

आधिनक काल क पहल तीन कालखडो की तलनाकाल की अिधक दास

िवयोगी यशपाल चतरसन पदमलाल वदावनलाल रामिवलास रामदरश आिद ऐस कछ

ह िजनकी का इस यग

दास न lsquoमरी rsquo (1941) अपन सलकर सन 1940 तक की घटनाओ का लखा - जोखा िकया ह

की पाच खडो lsquoमरी जीवन rsquo की lsquo की खोज rsquo

की lsquo rsquo चतरसन की दोlsquoयादो की परछाइयाrsquo (1956) तथा lsquoमरी rsquo (1963) सठगोिवददास की lsquo rsquo आिद ह िवचारधारा स कथाकार यशपाल की lsquoिसहावलोकनrsquo

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 36

तीन खडो य खड 1951 1952 और 1955

दवराज न अपनीक आधार पर िकया जो lsquoबचपन क दो िदनrsquo (1958) तथा lsquoयौवन कपरrsquo नाम स िहदी क किवकी lsquo भल याद rsquo (1969) lsquoनीड क िफरrsquo(1970) lsquoबसर स दरrsquo (1977) तथा lsquo स सोपान तकrsquo (1985)

स चार खडो ह पाडय बचन न lsquoअपनीखबरrsquo वदावनलाल lsquoअपनी कहानीrsquo िकया

इस कालखड राजनीितक व सामािजक काम करनवालअनक की भी जानकीदव बजाज नरदव आिषदअली आज़ाद आिद

ह कालाविध अनकह - डॉ की lsquo rsquo रण कीlsquo rsquo की का पाचवा खड lsquoचहरअनकrsquo की lsquoतपती पगडिडयो पर

rsquo रामदरश की lsquoअपनी धरती अपन लोगrsquoयादव की lsquoमड - मड कर दखता rsquo साहनी की

lsquoआज क अतीतrsquo दीपक की lsquo माड नही दखाrsquo आिद दिलत लखको कीlsquoअपन -अपन िपजरrsquo(मोहनदास ) lsquoजठनrsquo (

) lsquo rsquo (सरजपत चौहान) आिद ह

अनक समय अपनी इस ह - lsquoजो कहा

नही गया (कसम असल) lsquoलगता नही ह िदल मराrsquo ( )

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 37

lsquoबद बावडीrsquo (पदमा सचदव) lsquo बस rsquo ( ) lsquoदोहराअिभशापrsquo ( वसती) lsquoहादसrsquo (रमिणका ) आिद

क तथा को कहत हमशा एव पर होत कोकोई नही ह आखो दखी और कानो सनी घटनाओ कािवषय हो सकता ह परत एव घटनाओ क िववरण स कोईलख नही बन सकती लखक क सहोना ह | साधारणतः किलए िलखी जाती ह

सािह कता नही क बराबर ह जब औरका उिचत होता ह तब उस की

रखा जा सकता ह घटना होता ह लखकको एक साथ एव कलाकार की भिमका िनभानी पड़ती ह व

और सही जानकारी को ढग स करता ह

ह इस िवधा का आरभक आसपास िवशषतः और इस िवधाकाफी थ इसकी स िहदी िवधा काआरभ िहदी का जनक िशवदान िसह चौहान को मानाजाता ह क िदसबर 1948 कोिहदी का माना जाता ह इसक कछ समय बाद उनकामौत क की लड़ाई नामक हस

िहदी यह क आरभ काकाल था कई लखको न इस िवधा को िकया अमतराय और ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 38

िहदी क लखको रागय राघव जी कोह उनक 1946 तफानो क बीच बगला क अकाल का

ह भवन का बाज़ारrsquo और lsquoबगाल काअकाल की ह क बादलखन की चलन तज़ होन लगा रामनारायण कत अमीर औरगरीब िवभाजन की को उजाकर करनवालाह ऋण जल धन जल और नपाली रण क

ह भदत आनद क दश कीबलाती ह भारती कत और बहादर िसह कत का ह

1953 lsquo बोल कण rsquo नामकन की का अपोला का रथ

िववकीराय क जलस ह क एक आिदह

लखक को िनबध शली शली डायरी शलीिकसी का भी कर सकता ह | लखन का

िपसनवाल जन की वीरता साहस आिद कोकरक पाठक क भावनाओ और सवदनाओ को जागत करना ह

|

1 िहदी िनबध - एव िवकास |

2 िहदी िनबध क िवकास का योगदान |

3 िहदी िनबध - और |

4 को कहत ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 39

5 और जीवनी अतर |

6 िहदी |

7 lsquo rsquo का दीिजय |

8 लखक किलए िकन-िकन गण ह

9 िहदी क का दीिजय |

10 महादवी और िहदी |

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 40

MODULE ndash 2

हजारी

हजारी जी का 19 1907 ई को कबिलया िजल क आरत दब का छपरा ओझविलया नामक गावथा उनका क िलए था उनक िपता पअनमोल क पिडत थ जी काबड़ा ह व िहदी और बगला भाषाओ क

हजारी यग क िनबधकारह िनबध की परपरा जी का योगदानह जी क िनबधो िवषय की िविवधता होती ह

राजनीित कला ऋत - मनोिवनोद यह सब इनक िनबध का िवषय रहा ह lsquoिवचार ndash

rsquo lsquoअशोक क फलrsquo lsquo rsquo lsquoकटजrsquo आिद इनक िनबधह

िनबध कटज स िलया गया ह इितहासएव का मक ह वह यग-यगो की इितहास को अपनसमट कर खड़ा रहता ह वह यगो स अपनी गौरवमयी परपरा का

स कर रहा लिकन वह कभी भी िकसी क सामननही िजदगी क और िवषमताओ

गौरव क साथ जीन क िलए करता क क बार भी हजारी जी

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 41

िनबध बताया ह स सबिधत सभी औरिमथको को सही ढग स समटन जी सफल

को वह नाम कस और पड़ा यह कह नही सकत लिकन नाम ही पराना ह महाभारत स भी पराना कहा जाता ह यहदवताओ का ह इसकी ऊचाई क कारण इस गगन भीकहा गया ह यह पहाड़ी पाया जाता ह इसकीगहरी होती ह इस दवताओ का इसिलए कहा जाता ह िकमहादव िशव न समािध लगान क िलए विदका को हीआसन समझा इसकी जड़ो ही िशव न अपना आसन लगाया कामदव न समािध को भग करन का िकया लिकन उन िवपरीत

अचल खड़ा रहा दवताओ की तलनह कोई को उस वश नही सकता

इसिलए इस दवता का काठ भी कहा जाता ह दवता होत भी वहमहादव और कामदव जस दवताओ क समान और चचल नही ह िकसी भी अचल अिडग रहन क कारण इस दवता काकाठ कहा जाता ह कहा जाता ह ndash महादवी - काको दखन क कारण यह नही बन सका साथ ही न

क का पालन नही कर पाया फल उपजात नहीजो फल ह वह काठ क समान ही ह

का भी सचक ह इसका पराना नाम दव-ह दव- का दवता का नही दवता भी और (पड़) भी दवता होकर वह ह होकर वह ह लखक क गाव एकमहान भत-भगवान ओझा ह जो क लकड़ी स भत को भगात इसस वह पर गाव महान पिडत बना लिकन इनका यहलकड़ी का गाव क कोई नही जानत थ एक बार पिडत सनसानअधकार बगीच स गज़र रह थ तब सामन भत को दखकर वह उसललकारा वह भत घोड़ पर चला आ रहा था और उसको नही था

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 42

तब पिडत जी न जता उतारा और मह स का करकलकड़ी स भत को मारन लग क भयकर मार स भत

माफी मागकर कहन लगा िक अबकी बार छोड़ दो पिडत जी पहचाननही सका था आग वह भत पिडत जी का गलाम बन गया

लखक क मन क गहरी का भाव ह वकहत - तम भत भगवान हो तम वहम-िमटावन हो तम नसवानहो तम दवता क दलार हो महादव क हो तम हो भी सब एक स नही होत खसट पाधा खम सनकी िसझोटा झबरला

गदरना झमरना धोकरा नटखटाचनमन बागस चौरगी क का नाम ह हरका अपना होता ह एक इतना कमनीय था िक महादवन उस अपना बटा बना िलया था और की स दध ढरक पडाथा

एक शानदार ह वह सदर सडौल भी ह वह धरतीस रस पी लता ह और अपनी शाखाओ स आकाश को छन काकरता ह उसको बार-बार झमन एक िवशष का िदखाईदता ह यग - यगातर की सिचत अनभित न ही यह की ह ज़माना बदलन क साथ अनक और लताओ न वातावरण क साथसमझौता कर िलया लिकन अब भी अचल अपनी कोबनाया रखता ह

क झमनवाली बाहो स यो कहन का होताह िक - सब जानता सब समझता मझ मालमह मझस तम िछपा सकत हो हजारो क उतार-चढ़ाव का ऐसा

साथी ह

िनबध स लखक यह कहना चाहत ह िक कसामन क समान अटल रहना चािहए काल

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 43

क साथ अपन को बदलत िबना अपनी क साथ खड़ रहत उसीहम भी चाह हो या समाज अपन को हमशा

बनाया रखना चािहए को हज़ारी जी न एकक पाठक क सामन रखा गया ह

और गलाब

बनीपरी

बनीपरी जी भारत क कहानीकारिनबधकार और नाटककार थ सन 1899 िदसबर 23 िजलका छोप गाव बनीपर उनका बचपन का नामथा आग अपनी गाव क नाम बनीपर अपनी उपनाम किकया बनीपरी जी एक महान िवचारक िचतक सपादक एव क ह व एक

और भी थ भारतीय आठ जल िबताय इनक कई ndash lsquoपिततो क दश rsquo( ) lsquoिचता क फलrsquo (कहानी) lsquoमाटी की rsquo ( )lsquo rsquo (नाटक) lsquo और गलाबrsquo (िनबध ) lsquoपरो बाधकरrsquo ( ) lsquoजजीरो और rsquo ( ) आिद

बनीपरी की िनबध ह और गलाब और गलाबको लखक ढग स िकया गया ह का सबधशरीर को होन उसकी भौितक सख - सिवधाओ स ह औरगलाब का सबध उसक मन एव मानिसक आनद स ह मानव जीवन और गलाब दोनो को अपना अपना ह मानवकिलए पट और दोनो की ही उपयोिगता ह खान का काम

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 44

आता ह इसस हमारा शरीर होता ह अतः हमारी भख औरका ह गलाब को हम सघत ह इसस हमारा मन

पलिकत होता ह इसिलए गलाब हमारी का ह

आरभ स अपना भख को शात करन किलए मानकरदता आया ह समय उसन भख िमटान को ही

अपन जीवन का मल नही समझा अपनी क साथअपनी मानिसक को भी उपाय खोज जहा उसन जानवर कोमारकर उनका मास खाया वही उसन उनकी खाल स ढोल और िसगोस तरही भी बनाई भख को शात करन किलए जब उसन ऊखल और

को कटा और पीसा तो उसस सगीत उस आनदिकया उस समय धन और या भख और

था समय मानव का बदल गया ह वहधन क पीछ पागल क समान भाग रहा ह पट भरना उनका परमबन गया ह कला एव स अपना सबध तोड डाला कलाऔर गहरा कीचड़ धस चकी ह इसिलए लोग दखी हजीवन ह अपन को ऊपर उठान किलए सयमन और

का ह सयमन स ह- अपनीपर पाना और का ह- अपन आचरण कोबनाना उस ऊपर की ओर उठाना | सयमन और सआशय ह- अपनी पर सयम रखकर अपन आचरण को ऊपरउठाना ऐस करना िजसस िकसी को कोई चोट अथवा नकसाननही सयमन क अपनी पर

रखन सहयोग िमलगा लिकन पर सयम रखनाआसान नही ह बड़ - बड़ ऋिष - मिन भी असफल रह ह गाधी भी अपनी पर सयम रखन असफल रह ह अपनीको बताना उनकी बदलना सयमन का उिचत उपायनही ह इसस का सभव ह

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Hindi essay and other Prose Forms 45

पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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पशओ किलए कवल का ह उसकिलए गलाब कोईनही रखता उसका तथा पट ऊपर स

नीच की ओर होता ह पशओ ऐसा न होकर सबकछ एकसीध होता ह किलए मानिसक ह वही

को बनात ह क जीवन स अिधक गलाब कीउपयोिगता ह भौितक स अिधक मानिसक

ह एक न एक िदन यह बात होकर जबका भौितक ससाधनो को जटान स होन वाल

की ओर जाएगा इसकिलए को सजनशील बननाहोगा उस जीवन की पर दना होगा कस ऐसा क खाद बीज और िसचाई और जताई कतरीक िकए जाए िजसस की का समाधान होजाए और हवा और पानी क समान सभी कोहोगा

लखक क अनसार गलाब और भौितक कदिनया आरभ होन जा रही ह यह दिनया सतोष करन की होगा इस दिनया मन को सतोष िमलगा और मानव िवकिसतहो सकगी हम शरीर क क बधन स हो

और हमारा मन शाित का नया ससार िवकिसतहोगा |बनीपरी जी अपन एक िवशष की अलकत

भाषा का िकया ह उनकी िनबधो को िवशष बनातह| एक क अपनी बात को कह दत उनकी शली

भावकता ह भाषा आपन को सजीव बनािदया ह lsquo और गलाबrsquo िवचारो की दखन को

िमलती ह साथ ही भी आ गयी ह

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बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 46

बढ़ापा

पाडय बचन

पाडय बचन lsquo rsquo क िजल क चनारतहसील 29 िदसबर 1900 को अभावो ककारण न पा सक लिकन अपनी औरसाधना स व अपन समय क क मतवाला - मडल क थ कहानी क

आिद भी िलख उनकी lsquoअपनीखबरrsquo जगत रही ह lsquoचद हसीनो खततrsquo lsquoका दलालrsquo lsquoबधवा की बटीrsquo lsquoशराबीrsquo lsquoघटाrsquo lsquoसरकार आखो rsquolsquoफागन क िदन चारrsquo आिद lsquoरशमीrsquo lsquo rsquolsquoसनकी अमीरrsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquo rsquo lsquoचाकलटrsquo आिद

कहानी ह

िहदी को गितशील करक उस नवीनपथ पर करनवाल यग क िनबधकारो जी काअसाधारण माना जाएगा उनक िनबधो को वस अिधकतर हीकहा जाएगा िकत िववरण एव मानव क अितम क िवचार की

स पाठको को िमलती ह का िनबधो कोताज़गी करती ह तो दसरी ओर क साथ कथा

नया जीवन डाल दता ह lsquoगालीrsquo और lsquoबढ़ापाrsquo जी किनबध ह िहदी को गितशीलता एव करनउनका योगदान ह

lsquoबढ़ापाrsquo नामक िनबध जी जीवन की झझलाहटएव परशािनयो को िकया ह लड़कपन जवानी क

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 47

बाद आनवाला बढ़ाप कोलखक नरक मानत ह साठ लखक अपनी

स चाहत ह जी िनबध क स बढ़लोगो आजकल इस समाज सामन करनवाल मानिसक परकरार िकया गया ह चाह हो या समाज कोई

या न दत उनक नज़र स को कोईगण नही ह भी कम ह बाज़ारीकरण कदिनया व चीज़ बन गय | जी अपनी जीवन को

रखकर आधिनक मानव क स सबिधत बरी एव गलतिवचारो पर िकया ह समाज बढ़ो को उिचत आदर औरिमलना चािहए

लड़कपन क बाद जवानी को लोग हस - हसकर करतीह लड़कपन होन कोई दःख न होती आग जवानी फल -फल कर हस रही ह लिकन जब जवानी होकर बढ़ाप करतह तब लोग हायहाय मचात ह बढ़ाप का िदन उतना सदरऔर सरल नही ह इसिलए इस गभीर क बाद होन वाल गहरपतन को लखक दिनया क धोखपन मानत ह इसिलए व कहत ह िकldquoदिनया क बालको और जवानो को बतलाएग िक जीवन का lsquoवाहrsquoनही lsquoआहrsquo हसी नही ह नही नरक ह rdquo

लड़कपन क जवानी की थी जवानी क कईधन मान आिद लौिकक सख क पीछ भटककर

बढ़ाप भजन साधना पजा पाठ आिद करकजवानी बट - बिटयो क बनकर की जीतह ldquoवही वही पतन मझस पछो कहता ndash और छातीठोकर कहता - जीवन का ह ndash lsquoपतनrsquordquo िजस रोज़

काल क साथ उिदत होत ह और पर िदन ककणो स खल खलकर सायकाल की छाती पर

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 48

रहता ह उस क जीवन का असलीभी इस और ह और कछ नही

एक बार लखक गली पार करक जात समय कछ लड़कोlsquoहनमान गढी का जानवरrsquo कहकर उपहास िकया सामािजक

और करीितयो को करन का कोिशश िकया गया बढ़ लोगो क जो मानिसकता ह वह गलत और ह लखकसोचन लगा ldquoबढ़ा हो जान स ही इसान हो जाता ह इतना अपमान बढ़ो की ऐसी rdquo | लखक स कहा- नालायको आज कमरझक गई ह आज कम दखन और कान कम सनन की आदत होगया ह आज की रािगनी अतीत की की तरहसनाई पड़ रही ह मगर हमशा यही हालत नही थी

ससार ह लिकन लड़कपन और जवानी हमशाबढ़ाप पर करत रहत ह लिकन बढ़ाप को कभी भी लड़कपनया जवानी पर नही कर सकती उनक मन लड़कपनऔर जवानी क अटट ह आशा ह ह आज भी

धनी जवानो अपन बढ़ बापो की कपा स बन की महनत का फल भोगन वाल ह िफर भी उनक इतनऔर अपमान उनक भीतर दया का अनत

ह लिकन उस कोई पहचानत नही

लखक अपनी स वापस जवानी जाना चाहता ह उनकमन जवानी क लालसा ह ldquoसब कछ दकर जवानी लन को राज़ी

कोई हकीम हो सामन आए उस िनहाल कर दगा बढ़ाप क रोगस परशान ndash जवानी का दवा चाहता कोई हो तो आग बढ़महमागा दगा rdquo तन- मन स और अपनी को

नही कर सकत ह वसत और ऋत का सखिवलास आनद आमोद आिद सब अनभव नही कर पात

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 49

भी बार - बार परशािनया दत रहत ह एक बार िफर यौवन की ओरलौटन की आशा होन पर भी लखक जानत ह िक यह रोगनही िजसकी दवा की जा सक इस भोगना ही पड़गा इसिलए लखक

ही जीवन की इस को काटन क िलए करत ह नयी िसर स लड़कपन और जवानी को भोगन क िलए व आतर ह

1 को दवताओ का कहा गया ह का िनबध lsquo rsquo क आधार पर कीिजए |

2 और गलाब की करक लखक क परडािलए

3 सयमन और स आप समझत य

4 ldquoजीवन का lsquoवाहrsquo नही lsquoआहrsquo ह हसी नही ह नही नरक हrdquo ndash लखक की बात को कीिजए |

5 lsquoबढ़ापाrsquo िनबध का ह

6 गली क लखक को उपहास िकया

7 ही जीवन इस को तोड़न किलए लखककरत ह ndash इसका कारण ह

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Hindi essay and other Prose Forms 50

MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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Hindi essay and other Prose Forms 51

कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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MODULE ndash 3

कमलासचदव

सचदव जी का 17 1940 को था औररिडयो कलाकार क पद पर िकया एव बाद

रिडयो डोगरी समाचार वाचक पद पर िकया डोगरीभाषा की और सचदव को इितहासिवरासत िमला ह उनक िपता एव िहदी क पिडत थ

िहदी और डोगरी पर भी वसा अिधकार िदखाया जो चौधरीकिवता पर उनका मरी किवता मर गीत को 1972 का

अकादमी िमला उनक िहदी एकह अब न बनगी दहरी

क आधार पर िकसी िवषय या क सबध िकसी लख याको कहत लखक अतीत क स कछ

रमणीय अनभितयो को अपनी एव की िवशषताओ कोअनरिजत करक सरल एव ढग स अपनी लखन का िवषयबनाता ह सचदव जी की एक िनबध ह कमला

क घर झाड लगान और कपड़ धोन क िलए कमला कभी-कभी आया करती थी घर क नौकरानी होन पर भी कमला कएव को हमशा करत रह कमला बीच बीच

स कही गई को िवकिसत करक जी न उसक नामपर िनबध तयार िकए कमला यहा

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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कामकाजी औरत की ह जो तन तोड़कर महनत करन पर भीएव समाज का बन जाती

कमला एक बगाली ह और उसकी पित उड़ीसा का ह उसकोएक बटा ह कमला को काम करक िमलनवाल सार पस पित पीनक िलए ल जाता ह घर खब बिढ़या खती - बाड़ी ह लिकन पित कामनही करना चाहता इसीिलए घर क और बट की पढ़ाई सब कछकमला ही सभालती ह कमला का मानना ह िक शादी क समय वह

था लिकन बाद लग गई | कमला की बचपनथी व पाच थ वह अपनी बाबा को एव

दखभाल करता था बचपन स ही घर का सारा काम कमला करती थी कमला को एक जड़वा बहन ह कम ही एक शहरी आदमीक फसकर हो गई उसक बाद उस आदमी का पताभी नही था उस का पालन और पोषण बाबा न िकया था वहिकसी एक नौकरी किलए िबना अपनी आदमी को तलाश

भटक रही थी कमला अपनी बहन की याद हमशा एक हसीक साथ कर दती थी

बाबा की बात करत ही कमला की आख चमकन लगती परी दहखशी स भर उठती कमला का कहना ह िक बाबा कभी मारत नही थ बस िदखात थ आख बड़ी करत तो हम सभी चह की तरहिबल चल जात थ मा भी बाबा स डरती थी बचपन कमला को

जान की अनमित नही थी या को ही पढ़ाता था वह परिदन घर का सभालती थी धीर-धीर वह पास क घरो काम करनलगी बाबा स अलग हो कर वह कई िदनो तक दादा क साथ रहती थीउसक बाद कमला मा की एक मौसी क साथ आई नानी क साथ रहकर नौकरी करक पस कमाई समय समय पर बाबा जीको पसा भजता था इसस बाबाजी भी खश था एक िदन नानीउसकी शादी तय की और ही उनकी शादी हो गयी व अपन पित

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क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 52

क साथ िकराए पर घर लकर रहन लग भी हो गया शादी कखशी का िदन था दोनो न अपन पस िमलाकर

एक छोटा सा घर खरीदा लिकन एक िदन उनकी आदमी गाव गयाऔर दसरी शादी कर ली लिकन कमला कभी भी अपनी पित को हरामीन मानी स लड़की न अपनी आदमी कोफसा िलया था वह अपनी आदमी को उस लड़की स करान किलएहजारो -टोना और पजा वगरह किलए िकया था कछमहीन बाद कमला क आदमी न उसी गली ही एक घर िकराए पर लकरउस लड़की क साथ रहन लगी वह भी एक को िदया साथही घर का सारा का सारा सामान पित न ल गया घर का बाकी सामानपस किलए बच िदया न बार- बार पिलस मकदमा करनकिलए आदश िदया और उसकी सहायता भी की लिकन अपन पितको बचान किलए वह पिलस पर न होन की बहाना िकया कमलाक बट को पढ़त क एक लड़की सहो गयी उसक बाद वह पढ़ाई बद कर दी कमला इस लड़की को बरीमानती ह उसका था िक उसन अपन शानदार कोपकड़ िलया कभी कभी को कमला क य सनकर हसी आजाती थी उधर बढ़ ससर भी एक औरत क साथ रहन लग ह ससर और उस औरत क बीच खती- ज़मीन की मकदमा चलता था ससर इसका अत औरत को शादी करना ठीक समझा

पित की बढ़ जान स की मदद स कीभी तयार िकया िफर भी घर पित का आना- जाना और शोषण

चलता रहा कमला किलए का कवल अपनी सदकचीबद करक रखन िक कागज़ था मानिसक स अपनीको छोडन का मन न थी वह कहा करती - इतनी कहा जाएगा यहा रात भर कलर की हवा खाता ह रजाई सोता ह जाओ जाओ आपको कछ पता नही ह एक बार हो जान दोिफर यह डरकर रहगा आप तो समझता ह नही ह अपनी बातो

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 53

कमला को समझान किलए हमशा हो जाती थी लिकनहर िदन जी को कछ समझाती रही कमला की अलगह समझ अलग ह उसकी अदालत और पिलस वह ही ह अपनीबाबा पित बटा इन सबकिलए को करन किलए वतयार होन पर भी उसका म

सभी लोग उसउपभोग िकया लिकन कमला को उस पर कोई दःख नही ह

गौरा

महादवी

महादवी छायावादी यग की ह इनककी वदना एव पीड़ा की एव अलौिकक

क का भाव िमलता ह इस कारण महादवी कोआधिनक यग की मीरा कहा जाता ह इनका 27 1907 कोहोली क िदन एक बहद ही था महादवी जी होन क साथ-साथ भी थ एव िवधाओ व ह अतीत क rsquo lsquo कीरखाएrsquo lsquoपथ क साथीrsquo आिद इनक ह महादवी

न अपनी स इलाहाबाद मिहला कीकी

गौरा महादवी जी की ह कहा जाता ह िक परपरागत नायक को हटाकर उसक पर

एव की करता ह उस गौरा

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Hindi essay and other Prose Forms 54

का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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का भी नायक एक गाय ह जो महादवी की छोटी बहन क घर पलीबिछया पाकर बह खब सदर गई थी बहन क कहन परमहादवी न गौरा का पालन िकया उसकी गहरी काली औरखब चमकीली थी और रोम भी िवशष चमक िझलिमलाती थी महादवीजी की परीचायको न उसको कसर रोली का टीका लगायाऔर आरती उतारी गई और दही पडा गया और उसका नामरखा गया गौरा महादवी क बगल गौरा था उसकीकाली आखो को करत थ उन आखो

क और झलकता था

थोड़ िदनो गौरा नए स घल िमल गया महादवीक घर क पश- क साथ वह खलन लगा उसकी

पीठ और माथ पर बठत थ उसक पट क नीच परो क बीच खलतीथी गौरा भी खश था घर क लोगो क परो की आहट सवह चारा या भोजन िमलत समय उसक आखोका भाव था अपनी आखो ही वह दःख उदासीनता

ऐसा सारा मानवीय भावनाए करता था एक बादवह एक सदर बछड़ को िदया बछड़ा क पतल जसा लालरग का था माथ पर पान क आकार का सफद ितलक था बछड़ कानाम लालमिण रखा गया गौरा -साय करीब दस िलटर दध दता था घरवालो को भी नही पड़ोसवाल लोगो और वहा क पश - कोभी दध िमलता था महादवी िजस स पहल दध खरीदता था उसदध दहन किलए रखा गया तीन महीन बाद गौरा को बीमार पड गयी पश न कहा िक कोई गड़ सई िपरोकर गाय कोह सारा घर दःख एव मक बदल गया का कोई पतानही िमला न गौरा की िनकट होन की सचना दी सईभीतर उसक पार करन क सभव होगा गौरा अपनीअितम महादवी क पास िकया स उसका घोरमहादवी अपन आखो स दखा और अपनी स भोगा गौरा को जब

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गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 55

गगा करन किलए लाया गया तब मह स आह मरा गौ पालकदश का िनकला

कहा जाता ह भारतवािसयो किलए गाय मा क समान ह गोमाताका पजन एव पालन करना अपनी ह कअिधकारी नही ह जो अिधकार यहा को ह वही अिधकार यहा क

को भी ह लिकन इन पश- स कोिववक एव िचतन की ह लिकन मानव अपनी

किलए अपनी आनद किलए का उपभोगकरत गौरा नामक पाठ अपनी धन एव कीकिलए एक जीवी को वदना करता ह गड़ सईिमलाकर ह लिकन गौरा अपनी अपनी मािलको एव

सहजीिवयो को एव सहायता िकया पाठऔर पश दोनो क सीमा रखा कही-कही टट होन क सचना दता ह

पशओ क भीतर की मानवता और मानव क भीतर की पशता यहिवरोधाभास की ओर यह पाठ हमारी िचता को करत

का रोमास

मोहन राकश

क िवकास एक भिमका िनभाई ह इसीिलएऔर जीवन क बीच अटट सबध ह मानव क जीवन को बहता

पानी क समान ताज़ा और बनात लिकन आधिनक यग- तकनीकी - िवकास को अपनी ओर अपनकी ओर अपन काम की ओर समट िदया और बधनो

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 56

पड़कर को भलन लगा ह िजदगी की घटनोस मन - को एव रखन क िलए सहायता

करता ह क एक िवधा ह का ह का िववरण पाठक को क

स बाहरी दिनया को अनभव करन क िलए मदद करती ह

का रोमास का लखक मोहन राकश ह उनका असलीनाम मदन मोहन गगलानी 8 जनवरी 1924 को पजाब कअमतसर था अमतसर क लाहौर कॉलज सकी उपािध की तथा एम ए िकया दश िवभाजन क बादउनका जालधर आ बसा अनक तककरत थ लिकन अपनी एव क कारण कही न पाया कछ समय तक का सपादक रह

स नौकरी करन क बाद लखन हीिकया था कहानी नाटक और िनबध िलख लिकन िहदी उनक नाम अमर रखन लहरो का राजाहसआषाढ़ का एक िदन और आध - अधर नामक तीन नाटक ही काफी ह तक और उनक का सकलन ह क तीसर खड स का रोमास िलया गया ह कारोमास िनबध और का ह

का रोमास मोहन राकश जी यायावर की काएव उनको सामना करनवाला और मन -

की मनोरम और उसस िमलन वाल आिदका िववरण िदया गया ह

व कहत ह - यायावर क जीवन का सबस बड़ा सतोष या असतोषह िक उसका कभी नही होता पगडिडयो क

हमशा उस करत रहगा

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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Hindi essay and other Prose Forms 58

जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 57

यायावर की कमज़ोरी कभी भी अपन मन को नही करगा नई पगडिडयो उनक सामन एक नए किलएकरत रहगा का यह पकार कभी भी उसको अनदखा नही करपाएगा िजस स एक बार गज़र जाए उस स दसरी बार जानका मन नही होता इसीिलए यायावर हमशा नए की खोजभटकता-िफरता ह

क दौरान यायावर क मन सी झलक भीऔर जगा दती ह उनक जहा-तहा िबखरा रहताह यायावर उस तन मन स अनभव करत कभी छता ह कभी सनताह तो कभी सघता ह यह िवशष अनभित उस -करनवाल यायावर को समझ सकता ह क बीच होन वालीथकान और बाधाओ भी वह आनद महसस करता ह

मोहनराकश जी अपनी िपछली स दो - एकपाठक क सामन करत सागर झील क िकनार एकयायावर अपन नग पर को सहलाता रहता था | वह िपछल

स लकर ऊटी तक क करक आया ह घर स तयकरक िनकला ह िक तीन उस पर भारत घम लना ह उनकोयह िवदशी स िमली ह इन िवदशी क पास कमरा

स लकर गाइड जस सारी सिवधाए ह और होटलोऔर - हाउसो जगह भी कर रखी ह सिवधाओ कम होनपर भी वह यायावर पीछ मड़त नही धीर - धीर यह आदत होजान की आग बढ़ता ह व अपनी बीवी स कहा था िक जो - जो

दखगा उन सबक बार रोज़ रात को िलखा गा लिकनयह भी अब तक सभव नही ह रात को वह इतना थक जाता ह िक

िलखत कछ भी याद नही होता सारी औरकिठनाइयो को पार करक वह अपनी जारी करत सबाडीपर तक आत-आत अपनी तीन पाइप कही खो

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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जान स परशान होनवाल एक आदमी स एक बार लखक की मलाकात अपन और आसपास वालो क जब बार बार टटोलन वाला

राकश जी अपनी क बीच मद हसी स दखत रह था

यायावर को जो दती ह वह रोज़ क जीवनरहकर नही होती अपन जीवन क िनकट वातावरण स हटकर

िनजी और नए क साथ अिधक औरसबध हो सकता ह ऐस अपनी

क अिधक अनकल होकर जी सकता ह - अिधक भाव सउसकी नितकता क मानदड बदल जात वह एक आरोिपत नितकता

न जीकर अपनी नितकता क अनसार जीन लगता ह इससअिधक होता ह अपन स बाहर यायावर न सबधो

क की सीमा नही रहती वह कमनािवकता का अश ढढ लता ह पर धरती को अपना छोटा - सा घरलगती ह और आकाश िबखर उनकी पड़ोसी िजनसबढ़ान को उसका मन होता ह अपनी खामोिशया किझलिमलाहट दर हो जाता ह

िजसकी मिजल पहल स तय हो व यायावर नही ह यायावर काह अपन मन की तरगो क अनसार चलत चलना वह जहा

स गज़र जाए वही उसका ह और जहा पड़ क तन स टक लगा लवही उसकी मिज़ल ह पहल स सबकछ तय करक चल

क पथ पर नही ह यायावर पथ का होना चािहए अपनपथ क सख दःख पथ क साथ बाटना चािहए तब पथ भी हमस सख -दःख

एक बार मोहन राकश जी अपन दो क साथदखन गए एक घोडवाल क साथ व तीनो वहा वहा

स पता चला िक पहाड़ी क ऊपर दधसर नामक सदर झील ह

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राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

School of Distance Education

Hindi essay and other Prose Forms 61

की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 59

राकश जी अपन क साथ िबना पगडडी की पहाड़ी पर चढ़न लगा घास स लदी पहाड़ी पर चढ़त जगह-जगह पाव िफसल गए

जहा लगता ह िक अब और आग चढ़ सकना असभव ह वही पहाड़ी कीकरवट आग का खोल दती ह चोटी पर झीलका तब सारी किठनाइया भल गई वह इतनासदर था - झील क िकनार इस तरह टहलता जस वह क

का पहला हो और का पहला आदमी िजसकीपहली बार उसी कछ भी दख सकन क िलए खली हो

पहाड़ी क उस तरफ परा ह साझ उतरन लगी औरभी स ढकन लगी िजस स व आए थ उसपर अब इतनी

िफसलन हो गई िक एक - एक कदम चलना ह एक परपाव रखन स दस नीच सरक जात बीच घर लन लगी अपन को हाथ रखकर चारो एक दसर को सहाय करक सउतरन लग लढ़कत- नीच पर परो की ठोसढकी थी रात-भर रहन और स अपन को बचाए रखन का कछभी समान नही था क डाक-बगल तक परममाना लिकन अधरा पानी कीचड़ को पार करन किलएघोड़वाल को अथक करना पड़ा थक-टट तीनो डाक-बगल

वहा स पता चला िक वह अमावास की रात थी और डाक-बगल लोगो न इनका लौटकर आन की आशा छोड़ दी थी सबह खली तो घोड़वाल वहा नही था वह की तरफ चलगया था क बीच एक कमरा हो गया था

का रोमास नामक क पहल भागयायावर की िवशषताए और गण आिद का िकया तो दसरभाग की और िकए गए का अनभव सरलकौतकहलता को छोड िबना िकया ह

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Hindi essay and other Prose Forms 60

MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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MODULE - 4

जीवन

रागय राघव

रागय राघव का मल नाम नबाकम वीर राघव था उनका17 जनवरी 1923 को आगरा था क उन और

रचनाकारो स जो कम लकर इस ससारआए लिकन ही एकसाथ कहानीकारिनबधकार आलोचक नाटककार किव तथालखक क को कर िदया विवचारधारा स थ िकत अपनी लखन को इन सभी िवचारधाराओक बधन स करन क थ lsquoिवषाद मठrsquo lsquoसीध - सादा rsquolsquoदवकी का बटाrsquo lsquoघरौदाrsquo आिद उनक ह lsquoऊट कीकरवटrsquo lsquoकठपतलrsquo lsquoतबल का धधलकाrsquo lsquoजाित और पशाrsquo lsquoनई िज़दगीक िलएrsquo आिद उनक कहानी भी ह

रागय राघव lsquoतफानो क बीचrsquo (1946) िहदीकी एक कित ह िजसको चार भागो िलखा ह -

lsquoबध भाग दाओrsquo lsquoएक रातrsquo lsquo साथ िजएग साथrsquo एव lsquo जीवनrsquo यह सन 1942 - 44 क बगाल पड़न वाल भीषणअकाल की भयावहता का ह िजस पढ़कर वहा की िवषम

स लखक की की होती ह उस समय आगरा क लखक सघ डॉ क

एक दल बगाल भजा गया था रागय राघव 19

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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Hindi essay and other Prose Forms 62

रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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की एक क इस दल क साथ गए थ बगालक जनजीवन सामािजक - राजनीितक को

रचना क स आकलन िकया ह की वहिवधा ह जहा लखक एक सवाददाता या क समान ईमानदारी क साथ दखा क घर करत

lsquo जीवनrsquo बगाल क गाव की परबगाल-जन जीवन का ह एव िवभीिषकाओ ककारण व लोग जीवन िबता रह व सरकारो

सभी अिधकारी का िनरतर शोषण सह रह बरोज़गारीगरीबी भख उनक िलए हो गयी मानवता का अश भी कही भी िदखाई नही दता सभी सवदनाए मर चकी ह िफर भी उन लोगो कमन एव सपनाए शष ह

लखक अपनी क साथवहा सब कही ही ह वहा करत ही स पहलही नज़र आत एक छोट लड़क कल पड़ो क शीतल छाया बठकरआम की गठली खा रहा था उस क सामन चौदह मदी पडीथी वह होकर अपन को भोग रहा ह नरागय राघव जी स कहा िक ldquoबाहर स तरह ही -स लोग आत

हम चाहत िक तम यहा की एक - एक स बात करो औरक कोन - कोन जाकर कहो िक िजस ढाक की मलमल एक

िदन शहशाह पहनत थ आज वहा जलाह चहो की तरह मर रह rdquo एक- एक को अपनी कथा होती ह भख और बीमारी स तड़प-तड़प कर

को वरण करन तक की -गाथा

लखक एक को दखा उसकी शरीर मन सब कछअधमरा पड़ा था उनक अब तक िजयाअब भी जी रहन पर

असहमित थ गाव क उसी िदनो को याद िकया जब

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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रात-िदन रोन-कराहन स िबना और कछ सनाई नही दता था लिकनअब कही िकसी को रोत-कलपत नही दख सकगा सभी लोगोमानवीयता सवदनाओ और वदना सब कछ हो चका ह व

स समझौता कर िलया ह

लखक का वहा क मकानो पड़ा बास स बनाझोपिड़या लिकन अब उस घरो सब कही उदास और मकता

ह उनक शरीर कवल ही शष थी अकाल आया बीमारीआई और िफर दसर अकाल िसर उठान लगी ह िफर भी व सभी

आग बढ़ रह ह क उपरात सार लाशो कोदफनाया गया और सकड़ो को बहा िलया

गाव रहमत नामक स लखक का उसकीिवचार सभी स अलग लगा आनवाल सभी कोस करन किलए उसका मन सजग ह अकाल खतम होन परभी का कोई अत नही बसत और जसतरह तरह क बीमार िदन-बिदन बठत जा रह थ अनाज कीअब गभीर थी भख िमटान किलए शरीर बचना कई की आदतबन गई रहमत का कथन ह -ldquoबाब बात तो बरी ह मगर ह सच कछथी ऐसी मगर बरा कहकर भी िकतनी बरी थी व नही जनता कछकहत ह िक जस इतन मर व भी मर जाती तो ही था परसोचता मर जाना सहज हrdquo | रहमत की घरवालो सभी मर चक थऔर वह अब अपन घर दसरो को दती ह वह लखक स कहतीह िक हमार यहा अनक मसलमानो को िबना कफ़न सदफना िदया ह जीनवालो किलए भी कपड़ो की कमी ह यह

शासन क ह िक आज कपड़ बनानवाला नग

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गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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Hindi essay and other Prose Forms 63

गाव अनक क रोगी थ एक ही सरकारीदवाखाना था कोई खास दवाई नही थी लगरखानास वापस आन की कछ लड़िकयो को दखा जो ज़ोर सlsquoइक़लाब िज़दाबादrsquo रही थी यह सनकर लखक का मन सभर उठी व मन ही मन सोचा कौन कहा ह बगाल मर गया ह यहकभी मर नही सकता भख और बीमारी स तड़पन पर भी

का नाश नही ह लखक यहा स ही आशाओ क साथिनकलत ह

भख रोग और क बीच क जीवन काह lsquo rsquo यह शली िलखा गया

ह लिकन कही कही तथा क भी घलिमल गए

1 सचदव की lsquoकमलाrsquo क आधार पर कमला का -|

2 गौरा कौन थी और उसका अत कस

3 क दौरान लखक को िकन-िकनको सामना करना पड़ा

4 यायावर क जीवन क सबस बड़ा सतोष या असतोष ह मोहनराकश क िनबध lsquo क रोमासrsquo क आधार पर |

5 गौरा कहानी क अत अपनी मन की न िकनिकया ह और

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Hindi essay and other Prose Forms 64

6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह

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6 lsquo जीवनrsquo िवषय ह

7 lsquo जीवनrsquo का कीिजए |

8 lsquo जीवनrsquo की िकन-िकन िवशषताए पायीजाती ह


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