book-notionpress- dawn to dusk_cover_final_6x9_462pages(1)

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िजंदगी क� नवीनता प�रवतन होने ह� वाला है। प�रवतन अ�नवाय है। समत धरा पर रहने वाले लोग स बह से शाम तक छोट� अथवा बड़ी च नौ�तय� के बीच होते ह� ह�। उनके अंदर अितव खोज क� सयता जार� रहती है। इसे खा�रज करने क� इछा अथवा अ�नछा यित �वशेष का अपना मसला है। धम जीवन है, न क� सोच। इसे जीने क� आदत डालनी चा�हए। िजंदगी का रहय �श�ा और अन भव से ह� समझा जा सकता है। �कसी भी धम का यित हो उसे अंतरामा से संत ट होना ह� चा�हए। करोड़�-करोड़� लोग इस द �नया म� क छ बनने क� को�शश म� लगे ह�, बह और शाम उह� इस काय म� सहायता करती ह�। इसका मतलब यह नह�ं है �क वतमान म� द �नया महान स धारक� से खाल� है। ऐसा भी नह�ं है �क मानवता के �लए क छ भी नह�ं हो रहा है। म� जोर देकर कहता ह �क मानवता को था�पत करने क� आवाज िजस कार अपार जन सम ह के बीच संघष कर रह� है; म� भी उपलध साधन� और भाव के ब ते इसे था�पत करने क� को�शश कर रहा ह म� प र� द �नया के साथ इस म े को साझा करना चाहता ह , ता�क नट होने से पहले तेजी के साथ जागकता फैलायी जा सके। म� उमीद करता ह �क �वव म�वयमान अनेक समाज व संगठन, समाज मचेतना जाग त करने हेत , इसे गंभीरता से सोच�गे। डाँन् डक् डॉ. ी रमन बे Price 480

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