ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

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ग़ज़ल कहने में किन बातों को दोष माना जाता है.

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भावपण गजल कहन क लए, हम गजल कहन क बाद दखना पडता ह क कही काई कमी ता

नही रह गई ह जसक कारण गजल म काई दाष पदा हा रहा हा या भाव म कमी अा रही हा

गजल क दाष का सलयत क अाधार पर िनलखत खडा म बाटा जा सकता ह १ - रदफ का दाष २ - काफया का दाष

३ - कहन का दाष

४ - भाषा का दाष

- उारण का दाष

६ - बहर का दाष

इस लख माला म हम लाग एक-एक करक इन सभी पर चचा करग अार अापसी समझ स इन दाषा स बचन का उपाय खाजग | अाप सभी का सय सहयाग अपत ह ...

शअात रदफ क दाष पर चचा स क जाए ....

(गजल क दाष व िनराकरण स सबधत सभी लखा म तत रचनाए लखक ारा वशष प स उदाहरण वप तत करन क लए वरचत ह) रदफ का दाष

१ - रदफ का हफ बदलना

रदफ क बार म म २ रदफ म वतार जानन क बाद प ह क गजल म हम रदफ का या इसक अश का बदल नही सकत यद एसा कया गया ता शर म रदफ का दाष पदा हा जायगा

उदाहरण

झठ का वा रा गया

अार सा हा गया

मर सब सच झठ क

वादया म खा गए

मतला म गया रदफ तय हान क बाद दसर शर म गए नही ल सकत यह रदफ का दाष ह

िनराकरण =

झठ का वा रा गया अार सा हा गया

एक सच फर झठ क वादया म खा गया ----------------------------------------------------------------------

२ - तल रदफ शर म एस शद का याग करना जसम काफया अार रदफ याजत हा जाए अार दाना का पालन हा जाए एसी रदफ का तल रदफ कहत ह उदाहरण - सब स मलता ह जा रा कर रह न जाए खद का हा कर ल मजा अावारगी का मजला का मार ठाकर

मतला ए अनसार रा, हा काफया ह अार कर रदफ ह मगर दसर शर म इनका ठाकर शद क

कारण सयाजत हा कर याग ए ह जसम रदफ काफया क साथ चपा हा गई ह, इस तल रदफ कहत ह

(अज क कई कताबा म तल रदफ का दाष माना गया ह मगर इस वषय म कछ मतभद ह ाक तल रदफ का कछ अजया न दाष न मान कर गण माना ह)

---------------------------------------------------------

३ - रदफ का शर स रत न हाना

जब शर म रदफ का काई अथ नही िनकल पाए अथवा रदफ का शद बवह िनभाया गया मालम पडता ह ता इसस शर म हकापन अा जाता ह, इस जानन का सबस सरल उपाय यह ह

क रदफ का हटा कर दखा जाए, अगर वा वयास पर काई फक नही पड रहा ह ता रदफ

भती क मानी जायगी अार इसस शर म हकापन अा जाता ह

उदाहरण - अाप जा हमस दर गए

दल स हम मजबर गए अाप न थ ता ा थ हम अापस मल मशर गए प ह क रदफ-कवाफ का याग िनयमानसार कया गया ह परत पहल प म ही रदफ चपा ई ह अार मतला क सानी म अार दसर शर क सानी म रदफ का उचत िनवाह नही हा पा रहा ह िनराकरण - अाप जा हमस दर ए दल स हम मजबर ए अाप न थ ता ा थ हम

अापस मल मशर ए

--------------------------------------------------------------- ४ = तकाबल रदफ

यद गजल म मतला, मतला क अितर कसी शर (जसक मसरा-ए- उला म रदफ नही

हाता ह) म रदफ का तकात अश अा जाता ह ता इस रदफ का दाष तकाबल रदफ कहा जाता ह

इसका कारण यह ह क शर अपन अाप म वत हात ह अार शाइर कही कवल एक शर भी पढ

सकता ह / काट कर सकता ह,, इस अधर रचना नही कहा जा सकता अार तकाबल रदफ दाष हान पर कछ म उप हा जाए ह

वत प स पढन पर तकाबल रदफ दाष वाल शर का पढन वाल पाठक का उस शर क मतला

हान का म हाता ह इस कारण ही इस दाष माना जाता ह अाईय जान क यह कस हाता ह ...

उदाहरण - १ = य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ .... मतला वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ -- शर यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह प ह क दसर शर म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का उपयाग नही अा ह अार हम पता ह क काफया ा चना गया ह ( अा, नशा, सका अथात "अा" क माा अार रदफ = "ह मझ") मगर यद हम मतला न पढन का मल कबल दसरा शर पढन का मल तब ?

वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल

मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ

कवल दसर शर का पढा जाए ता हम लगगा क शाइर न इस मतला क प म कहा ह अार यह

गर मरफ (बना रदफ क) गजल ह जसम काफया ह = "भल" "मझ" अाद अथात "ए" क

मा का िनभाना ह अार शर मतला क प म बकल दत ह, अब दख ता एक मरफ गजल का शर, गर मरफ गजल का मतला हान का म पदा करता ह | म स बचन क लए हम

तकाबल रादफन दाष स बचना चाहए

िनराकरण

य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ .... मतला

वा हफ हफ मझ याद कर चका ह मगर

मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ -- शर

उदाहरण = २

वा मरा हल जब जब पछता ह मर हान का मतलब पछता ह उजाला अपन हान पर मगन ह अधरा मझका जब तब पछता ह अब यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह समझ म अा जाता ह क दसर शर म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का याग नही अा ह न ही रदफ (पछता ह) का याग अा ह मगर यद हम मतला पढन का न मल तब ?

उजाला अपन हान पर मगन ह अधरा मझका जब तब पछता ह

कवल इस शर का पढा जाए ता हम लगगा क यह मतला भी हा सकता ह, इस मतला क

अनसार दख ता एसा अाभास हाता ह क रदफ ''ह'' का पालन ता सही स कया गया ह परत

शाइर स काफयाबद म चक हा गई ह, एस म स बचन क लए ही इस दाष का दर करना

अावयक ह

िनराकरण -

वा मरा हल जब जब पछता ह

मर हान का मतलब पछता ह उजाला ता भला बठा ह मझका

अधरा मझका जब तब पछता ह

तकाबल रदफ दाष क भद तकाबल रदफ दाष क दा भद हात ह तकाबल रदफ दाष भद १ - लातमा-ए-जब-ए-रदफन = मतला क अितर यद रदफ का तकात वर मसरा-ए- उला क अत अा जाय ता उस लातमा-ए-जब-ए-रादफन कहत ह उदाहरण य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ --- मतला वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ --- शर

दख - ह मझ रदफ का तकात वर ए शर क मसरा-ए-उला क अत म भल स टकरा रहा ह,

इसम कवल वर टकरा रहा ह इसलए यह लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह यान रह - अजया अार उताद शाइरा ारा कवल वर का उला क अत म टकराना कई थितया म

वीकाय बताया गया ह

यद शर खराब न हा रहा हा अार यह एब दर हा सक ता इसस अवय बचना चाहए परत इस दाष का दर करन क चर म शर खराब हा जा रहा ह अथात, अथ का अनथ हा जा रहा ह,

सहजता समा अा जा रही ह अथवा लय भग हा रह ह अथवा शद वयास गडबड हा रहा ह ता

इस रखा जा सकता ह अार बड स बड शाइर क कलाम म यह दाष दखन का मलता ह

उदाहरा वप खदा-ए-सखन मीर तक मीर साहब क मर अशअार दख - १ -

जस सर का गर अाज ह या ताजवर का

कल उसप यही शार ह फर नाहागर का

हर ज जगर दावर महशर स हमारा

इसाफ तलब ह तर बदादगर का (यहा दसर शर म लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह) २ - फकराना अाए सदा कर चल मया खश रहा हम दअा कर चल वा ा चीज ह अाह जसक लए हर एक चीज स दल उठा कर चल परतश क या तक क ए बत तझ नजर म सभा क खदा कर चल

(यहा दसर अार तीसर शर म लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह)

तकाबल रदफ दाष भद २ - लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन = मतला अार मतला क अितर कसी शर म यद रदफ का तकात परा एक शद या पर रदफ मसरा-ए-उला क अत अा जाय ता उस लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन कहत ह

उदाहरण -

वा मरा हल जब जब पछता ह मर हान का मतलब पछता ह

उजाला अपन हान पर मगन ह

अधरा मझका जब तब पछता ह

अब यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह समझ म अा जाता ह क दसर शर

म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का याग नही अा ह

न ही रदफ (पछता ह) का याग अा ह

यहा दसर शर म लातमा-ए-तकाबल-ए-रादफन दाष ह शर क दाषपण मतला हान म क थित स बचन क लए इस दाष स बचन क हर सभव काशश करनी चाहए| हालाक कछ उताद शअरा अार अजया ारा इस भी लातमा-ए-जब-ए-रादफन क तरह वीकाय बताया गया ह अार अपन मत का तक सगत ठहरात ए उहान उताद शअरा क कलाम पश कय ह जसम लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन माजद ह परत मरा मानना ह क हम गजल म इस दाष स िनत प स बचना चाहए याद रख - (गजल म रदफ का न हाना दाष नही हाता ह ाक बना रदफ क गजल भी वीकाय ह अार

इस गर मरफ गजल कहत ह)

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2.

काफया क दाष

काफया गजल का एक मय हसा हाता ह यह गजल का क हाता ह जहा अपन अनठ याग

स शाइर ाता का चाका भी सकता ह अार चमकत भी कर सकता ह

काफया का रख रखाव बत सावधानी स करना चाहए ाक इसम छाट सी चक स भी शर

दाषपण हा जाता ह, काफया क कछ दाषा का बडा दाष माना जाता ह अार इसस शर खारज हा

जाता ह इसलए इसका यान मय प स रखना चाहए

++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

वर, यजन, अर = अ स अ वर तथा क स यजन हाता ह जहा दाना क मत बात

करनी हा वहा अर शद का याग कया गया ह यथा अथ िनकालत ए लख का समझ (अ, इ,

उ हव वर तथा बाक वर सभी दघ हात ह) ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ हफ -रवी - काफया क दाष पर चचा करत ए काफया क ९ हफ म स एक मय भद हफ -रवी का याग कई जगह अा ह इसलए चचा क पव इस समझना अावयक ह इसक परभाषा यह ह क कसी शद क मल प का अितम अर हफ -रवी हाता ह उदाहरण - कल लज म ल हफ -रवी ह

बीमार लज म र हफ -रवी ह (मल लज बीमार का अाखर अर)

बीमार (बीमार+ई) लज म र हफ -रवी ह (मल लज बीमार का अाखर अर)

पानी लज म ई हफ -रवी ह (मल लज पानी का अाखर अर)

दात लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

दाती (दात+ई) लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

दाताना (दात+ अाना) लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

चल लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चला (चल+अा) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलए (चल+इए) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलना (चल+ना) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलता (चल+ता) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलवाता (चल+वाता) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

वाब लज म ब हफ -रवी ह (मल लज वाब का अाखर अर)

वाबगाह (वाब +गाह) लज म ब हफ -रवी ह (मल लज वाब का अाखर अर)

सखन लज म न हफ -रवी ह (मल लज सखन का अाखर अर)

सखनवर (सखन+वर) लज म न हफ -रवी ह (मल लज सखन का अाखर अर) अाशा करता प अा हागा .... ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ नाट - काफया क दाष पर चचा करत ए यक थान पर अशअार का उदाहरण वप तत करना अावयक नही ह इसलए इसस बचा गया ह, हा जहा इसस अितर सहायता मल ह वहा अशअार तत कय गय ह जा क कवल उदाहरण क लए वरचत ह ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ अाईय अब मल लख क अार बढा जाए ..... काफया क िनलखत दाष चहत कय गय ह -

१ - शर म काफया न हाना - गजल म रदफ न हान पर भी गजल अज क अनसार वीकाय ह अार एसी गजल का गर मरफ गजल कहा जाता ह परत शर म िनत काफया का हाना अित अावयक ह यद

काफया का नही िनभाया गया ह ता एसी रचना म उत भाव, शानदार कहन अार अशअार क बहर म हान क बावजद रचना का गजल नही कहा जा सकता ह

उदाहरण - जा झठा ह उस झठा कहा कर

अर अा अाइन त सच कहा कर

कहा कर रदफ क पव झठा सच अफाज हमकफया नही ह

अथात इस मतला म काफया ह ही नही, इस शर का गजल का मतला नही कहा जा सकता ह

२ - इकवा दाष (हफ रवी क पव हव वर का वराध)

मतला म कवाफ का चनाव करत समय हम यान रखना हाता ह क उनम रवी क पव वर का

पालन अवय प स हा

उदाहरण - हवा, मला का यद गजल म काफया क लए याग करत ह ता अितम यजन अलग अलग व, ल हान क कारण कवल वर का साय ह इसलए अाग क अशअार म एस शद ल सकत ह जसम कवल "अा" वर का िनभाया गया हा जस - नया, चका, मला, कया अाद| अा क माा क पहल काई भी यजन हा सकता ह अार उसक पहल काई भी वर हा, काई फक नही पडता परत यद मतल म हमन एस कवाफ ल लए जनम अाखर वर क पहल का यजन भी साय ह जस - हवा, दवा म "वा" ता हम बाय हा जात ह क अा क माा क साथ साथ "व" का भी हर काफया म िनभाए मगर इसक साथ हम व क पहल अाए हव वर का भी िनभाना हाता ह अथात वा क पहल क यजन म जा हव वर ह उस भी हर काफया म िनभाना हागा हवा, दवा क बाद हम सवा या यवा का नही ल सकत ाक इनम वा क पहल का हव वर हवा, दवा स भ ह यद एसा कया गया ता इकवा का दाष हा जाता ह कछ अार उदाहरण दख - काितल मकल शामल अाद क साथ, मल, बादल, घायल, मजल, खल अाद का याग करन

पर इकवा दाष हा जायगा ाक काितल मकल शामल म ल क पव इ हव वर ह अार मल, बादल, घायल, मजल, खल म अ अथवा उ हव वर ह

इस दाष क कारण हम पागल, बादल क दल काफया नही बाध सकत पागल, बादल क बाद काफया म अल का िनभाना हागा जस - पायल, काजल अाद

(अभी तक इस मच पर इकवा दाष का भी सनाद दाष माना जाता रहा ह सनाद दाष का जानन पर अतर प हा जायगा)

३ - सनाद दाष - (हफ रवी क पव दघ वर का वराध)

मतला म कवाफ का चनाव करत समय हम यान रखना हाता ह क उनम वर का पालन अवय

प स हा उदाहरण - दता, नता का यद गजल म काफया क लए याग करत ह ता हम बाय हा जात ह

क अा क माा क साथ साथ "त" का भी हर काफया म िनभाए मगर इसक साथ हम त क

पहल अाए दघ वर का भी िनभाना हाता ह अथात दता, नता क पहल क कवाफ म जा दघ

वर ए ह उस भी हर काफया म िनभाना हागा दता, नता क बाद हम राता या अाता का नही ल सकत ाक इनम ता क पहल का दघ वर ए स भ ह यद एसा कया गया ता सनाद का

दाष हा जाता ह कछ अार उदाहरण दख - दवार, अासार बीमार क साथ तासीर शमशीर मजदर मजबर अाद काफया नही लया जा सकता ह एसा करन पर सनाद दाष हा जायगा ाक दवार, अासार बीमार म र क पव अा दघ वर ह जसका पालन तासीर शमशीर मजदर मजबर म नही अा ह ४ - इफा दाष (मलत जलत हफ क कारण हफ रवी बदल जाना) यद एस शदा का हमकाफया मानकर शर म बाध दया जाए जा अल म अलग अलग उारण क हा अथात दा अलग अलग हफ हा ता इफा दाष हा जाता ह हद म श अार ष म ही एसा साय ह इसलए इसस इस समझना अासान हागा

यद हम शष क साथ कश का काफया बाधग ता शर दाषपण हा जायगा ाक उारण साय हान क बावजद दाना अलग अलग यजन ह इसलए इफा दाष हा जाता ह

इसी कार उद क कई यजन हद म अा कर उारण साय हा जात ह परत वह अलग अलग

यजन हात ह इसलए एक ही गजल म काफया क प म याग करन पर इफा दाष हा जाता

जस - उद म ज का पाच उारण ह इन पाचा हफ रवी क अफाज अापस म हमकाफया नही हा

सकत| अथात - राज क साथ अाज का काफया मानना गलत ह | इसस इफा दाष हा जाता ह

अय उदाहरण - सलाह (हाय ी) क साथ गवाह (हाय हज) का बाधना गलत ह इसस इफा दाष हा जाता ह

परत उद क समीपवती अथवा साय उारण क कारण हद म अा कर समान तीत हान वाल

अर क कवाफ म अतर कर पाना हद भाषी क लए सभव नही ह इसलए उद क समीपवती अथवा साय अर का हद म इस दाष स म रखा गया ह

हद म जन अरा का अतर प ह उनस अवय बचना चाहए जस - पास - ताश, ताड - राड, झठ - टट, साठ - साथ, लट-ठ अाद का हमकाफया मानन स भी इफा का दाष पदा हा जाता ह - गल दाष - यद हफ रवी साकन हा अथात हलत यजन हा ता इसक साथ मतहरक रवी वाला अथात सवर यजन काफया नही लया जा सकता ह एसा करन पर गल दाष हा जाएगा उदाहरण - अासमान, उडान क साथ खता न बाधन पर गल का दाष हा जायगा अथात - जा हासला स उड ह ता फर उडान समझ अा अा न अा ख अासमान समझ क साथ य शीर लब जा पयाला बन ता पी ल ज य अ ह इस त भल कर खता न समझ

उडान, अासमान म न (हलत) ह जबक खता न म सवर ह इस वजह स यहा गल का दाष पदा

हा रहा ह

{यह दाष उद म ही सभव ह ाक हद का यह गण ह क इसम यजन क साथ हव वर पव स ही वमान हाता ह अथात उद का अान हद म अासमान (न म सवर सहत) लखा जाता

ह}

अत यह दाष हद म माय नही हा सकता कवल जानकार क पण हान क लए जानना

अावयक ह अथवा उद शाइर करन पर यान दना हागा

 

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