ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

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भावपूण ज़ल कहने के लए, हमे ज़ल कहने के बाद देखना पड़ ता है कही काेई कमी ताे नही रह गई है जसके कारण ज़ल मे काेई दाेष पैदा हाे रहा हाे या भाव मे कमी अा रही हाे ज़ल के दाेष काे सलयत के अाधार पर िनलखत खडाे मे बाटा जा सकता है - रदफ का दाेष - काफ या का दाेष - कहन का दाेष - भाषा का दाेष - उारण का दाेष - बहर का दाेष इस ले ख माला मे हम लाेग एक-एक करके इन सभी पर चचा करेगे अाैर अापसी समझ से इन दाेषाे से बचने का उपाय खाेजेगे | अाप सभी का सय सहयाेग अपेत है ... शअात रदफ के दाेष पर चचा से जाए .... (ज़ल के दाेष िनराकरण से सबधत सभी लेखाे मे तत रचनाए ले खक ारा वशेष से उदाहरण वप तत करने के लए वरचत है) रदफ का दाेष - रदफ का हफ बदलना रदफ के बारे मे रदफ मे वतार जानने के बाद है ज़ल मे हम रदफ काे या इसके अश काे बदल नही सकते यद एेसा कया गया ताे शेर मे रदफ का दाेष पैदा हाे जायेगा उदाहरण झूठ का वाे राे गया अाैर सा हाे गया

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ग़ज़ल कहने में किन बातों को दोष माना जाता है.

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Page 1: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

भावपण गजल कहन क लए, हम गजल कहन क बाद दखना पडता ह क कही काई कमी ता

नही रह गई ह जसक कारण गजल म काई दाष पदा हा रहा हा या भाव म कमी अा रही हा

गजल क दाष का सलयत क अाधार पर िनलखत खडा म बाटा जा सकता ह १ - रदफ का दाष २ - काफया का दाष

३ - कहन का दाष

४ - भाषा का दाष

- उारण का दाष

६ - बहर का दाष

इस लख माला म हम लाग एक-एक करक इन सभी पर चचा करग अार अापसी समझ स इन दाषा स बचन का उपाय खाजग | अाप सभी का सय सहयाग अपत ह ...

शअात रदफ क दाष पर चचा स क जाए ....

(गजल क दाष व िनराकरण स सबधत सभी लखा म तत रचनाए लखक ारा वशष प स उदाहरण वप तत करन क लए वरचत ह) रदफ का दाष

१ - रदफ का हफ बदलना

रदफ क बार म म २ रदफ म वतार जानन क बाद प ह क गजल म हम रदफ का या इसक अश का बदल नही सकत यद एसा कया गया ता शर म रदफ का दाष पदा हा जायगा

उदाहरण

झठ का वा रा गया

अार सा हा गया

Page 2: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

मर सब सच झठ क

वादया म खा गए

मतला म गया रदफ तय हान क बाद दसर शर म गए नही ल सकत यह रदफ का दाष ह

िनराकरण =

झठ का वा रा गया अार सा हा गया

एक सच फर झठ क वादया म खा गया ----------------------------------------------------------------------

२ - तल रदफ शर म एस शद का याग करना जसम काफया अार रदफ याजत हा जाए अार दाना का पालन हा जाए एसी रदफ का तल रदफ कहत ह उदाहरण - सब स मलता ह जा रा कर रह न जाए खद का हा कर ल मजा अावारगी का मजला का मार ठाकर

मतला ए अनसार रा, हा काफया ह अार कर रदफ ह मगर दसर शर म इनका ठाकर शद क

कारण सयाजत हा कर याग ए ह जसम रदफ काफया क साथ चपा हा गई ह, इस तल रदफ कहत ह

(अज क कई कताबा म तल रदफ का दाष माना गया ह मगर इस वषय म कछ मतभद ह ाक तल रदफ का कछ अजया न दाष न मान कर गण माना ह)

---------------------------------------------------------

Page 3: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

३ - रदफ का शर स रत न हाना

जब शर म रदफ का काई अथ नही िनकल पाए अथवा रदफ का शद बवह िनभाया गया मालम पडता ह ता इसस शर म हकापन अा जाता ह, इस जानन का सबस सरल उपाय यह ह

क रदफ का हटा कर दखा जाए, अगर वा वयास पर काई फक नही पड रहा ह ता रदफ

भती क मानी जायगी अार इसस शर म हकापन अा जाता ह

उदाहरण - अाप जा हमस दर गए

दल स हम मजबर गए अाप न थ ता ा थ हम अापस मल मशर गए प ह क रदफ-कवाफ का याग िनयमानसार कया गया ह परत पहल प म ही रदफ चपा ई ह अार मतला क सानी म अार दसर शर क सानी म रदफ का उचत िनवाह नही हा पा रहा ह िनराकरण - अाप जा हमस दर ए दल स हम मजबर ए अाप न थ ता ा थ हम

अापस मल मशर ए

--------------------------------------------------------------- ४ = तकाबल रदफ

यद गजल म मतला, मतला क अितर कसी शर (जसक मसरा-ए- उला म रदफ नही

हाता ह) म रदफ का तकात अश अा जाता ह ता इस रदफ का दाष तकाबल रदफ कहा जाता ह

Page 4: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

इसका कारण यह ह क शर अपन अाप म वत हात ह अार शाइर कही कवल एक शर भी पढ

सकता ह / काट कर सकता ह,, इस अधर रचना नही कहा जा सकता अार तकाबल रदफ दाष हान पर कछ म उप हा जाए ह

वत प स पढन पर तकाबल रदफ दाष वाल शर का पढन वाल पाठक का उस शर क मतला

हान का म हाता ह इस कारण ही इस दाष माना जाता ह अाईय जान क यह कस हाता ह ...

उदाहरण - १ = य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ .... मतला वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ -- शर यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह प ह क दसर शर म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का उपयाग नही अा ह अार हम पता ह क काफया ा चना गया ह ( अा, नशा, सका अथात "अा" क माा अार रदफ = "ह मझ") मगर यद हम मतला न पढन का मल कबल दसरा शर पढन का मल तब ?

वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल

मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ

कवल दसर शर का पढा जाए ता हम लगगा क शाइर न इस मतला क प म कहा ह अार यह

गर मरफ (बना रदफ क) गजल ह जसम काफया ह = "भल" "मझ" अाद अथात "ए" क

मा का िनभाना ह अार शर मतला क प म बकल दत ह, अब दख ता एक मरफ गजल का शर, गर मरफ गजल का मतला हान का म पदा करता ह | म स बचन क लए हम

Page 5: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

तकाबल रादफन दाष स बचना चाहए

िनराकरण

य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ .... मतला

वा हफ हफ मझ याद कर चका ह मगर

मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ -- शर

उदाहरण = २

वा मरा हल जब जब पछता ह मर हान का मतलब पछता ह उजाला अपन हान पर मगन ह अधरा मझका जब तब पछता ह अब यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह समझ म अा जाता ह क दसर शर म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का याग नही अा ह न ही रदफ (पछता ह) का याग अा ह मगर यद हम मतला पढन का न मल तब ?

उजाला अपन हान पर मगन ह अधरा मझका जब तब पछता ह

कवल इस शर का पढा जाए ता हम लगगा क यह मतला भी हा सकता ह, इस मतला क

अनसार दख ता एसा अाभास हाता ह क रदफ ''ह'' का पालन ता सही स कया गया ह परत

शाइर स काफयाबद म चक हा गई ह, एस म स बचन क लए ही इस दाष का दर करना

अावयक ह

Page 6: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

िनराकरण -

वा मरा हल जब जब पछता ह

मर हान का मतलब पछता ह उजाला ता भला बठा ह मझका

अधरा मझका जब तब पछता ह

तकाबल रदफ दाष क भद तकाबल रदफ दाष क दा भद हात ह तकाबल रदफ दाष भद १ - लातमा-ए-जब-ए-रदफन = मतला क अितर यद रदफ का तकात वर मसरा-ए- उला क अत अा जाय ता उस लातमा-ए-जब-ए-रादफन कहत ह उदाहरण य खद ता जान गया क ा अा ह मझ तझ य कस बताऊ तरा नशा ह मझ --- मतला वा हफ हफ मरा याद कर चका ह भल मझ पता ह कहा तक समझ सका ह मझ --- शर

दख - ह मझ रदफ का तकात वर ए शर क मसरा-ए-उला क अत म भल स टकरा रहा ह,

इसम कवल वर टकरा रहा ह इसलए यह लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह यान रह - अजया अार उताद शाइरा ारा कवल वर का उला क अत म टकराना कई थितया म

वीकाय बताया गया ह

यद शर खराब न हा रहा हा अार यह एब दर हा सक ता इसस अवय बचना चाहए परत इस दाष का दर करन क चर म शर खराब हा जा रहा ह अथात, अथ का अनथ हा जा रहा ह,

Page 7: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

सहजता समा अा जा रही ह अथवा लय भग हा रह ह अथवा शद वयास गडबड हा रहा ह ता

इस रखा जा सकता ह अार बड स बड शाइर क कलाम म यह दाष दखन का मलता ह

उदाहरा वप खदा-ए-सखन मीर तक मीर साहब क मर अशअार दख - १ -

जस सर का गर अाज ह या ताजवर का

कल उसप यही शार ह फर नाहागर का

हर ज जगर दावर महशर स हमारा

इसाफ तलब ह तर बदादगर का (यहा दसर शर म लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह) २ - फकराना अाए सदा कर चल मया खश रहा हम दअा कर चल वा ा चीज ह अाह जसक लए हर एक चीज स दल उठा कर चल परतश क या तक क ए बत तझ नजर म सभा क खदा कर चल

(यहा दसर अार तीसर शर म लातमा-ए-जब-ए-रदफन दाष ह)

तकाबल रदफ दाष भद २ - लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन = मतला अार मतला क अितर कसी शर म यद रदफ का तकात परा एक शद या पर रदफ मसरा-ए-उला क अत अा जाय ता उस लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन कहत ह

उदाहरण -

वा मरा हल जब जब पछता ह मर हान का मतलब पछता ह

Page 8: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

उजाला अपन हान पर मगन ह

अधरा मझका जब तब पछता ह

अब यद हम मतला सहत इस दसर शर का पढत ह ता यह समझ म अा जाता ह क दसर शर

म तकाबल रदफ का दाष ह ाक दसर शर क मसरा उला म काफया का याग नही अा ह

न ही रदफ (पछता ह) का याग अा ह

यहा दसर शर म लातमा-ए-तकाबल-ए-रादफन दाष ह शर क दाषपण मतला हान म क थित स बचन क लए इस दाष स बचन क हर सभव काशश करनी चाहए| हालाक कछ उताद शअरा अार अजया ारा इस भी लातमा-ए-जब-ए-रादफन क तरह वीकाय बताया गया ह अार अपन मत का तक सगत ठहरात ए उहान उताद शअरा क कलाम पश कय ह जसम लातमा-ए-तकाबल-ए-रदफन माजद ह परत मरा मानना ह क हम गजल म इस दाष स िनत प स बचना चाहए याद रख - (गजल म रदफ का न हाना दाष नही हाता ह ाक बना रदफ क गजल भी वीकाय ह अार

इस गर मरफ गजल कहत ह)

---------------------------

2.

काफया क दाष

काफया गजल का एक मय हसा हाता ह यह गजल का क हाता ह जहा अपन अनठ याग

स शाइर ाता का चाका भी सकता ह अार चमकत भी कर सकता ह

काफया का रख रखाव बत सावधानी स करना चाहए ाक इसम छाट सी चक स भी शर

Page 9: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

दाषपण हा जाता ह, काफया क कछ दाषा का बडा दाष माना जाता ह अार इसस शर खारज हा

जाता ह इसलए इसका यान मय प स रखना चाहए

++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

वर, यजन, अर = अ स अ वर तथा क स यजन हाता ह जहा दाना क मत बात

करनी हा वहा अर शद का याग कया गया ह यथा अथ िनकालत ए लख का समझ (अ, इ,

उ हव वर तथा बाक वर सभी दघ हात ह) ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ हफ -रवी - काफया क दाष पर चचा करत ए काफया क ९ हफ म स एक मय भद हफ -रवी का याग कई जगह अा ह इसलए चचा क पव इस समझना अावयक ह इसक परभाषा यह ह क कसी शद क मल प का अितम अर हफ -रवी हाता ह उदाहरण - कल लज म ल हफ -रवी ह

बीमार लज म र हफ -रवी ह (मल लज बीमार का अाखर अर)

बीमार (बीमार+ई) लज म र हफ -रवी ह (मल लज बीमार का अाखर अर)

पानी लज म ई हफ -रवी ह (मल लज पानी का अाखर अर)

दात लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

दाती (दात+ई) लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

दाताना (दात+ अाना) लज म त हफ -रवी ह (मल लज दात का अाखर अर)

चल लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चला (चल+अा) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलए (चल+इए) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

Page 10: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

चलना (चल+ना) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलता (चल+ता) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

चलवाता (चल+वाता) लज म ल हफ -रवी ह (मल लज चल का अाखर अर)

वाब लज म ब हफ -रवी ह (मल लज वाब का अाखर अर)

वाबगाह (वाब +गाह) लज म ब हफ -रवी ह (मल लज वाब का अाखर अर)

सखन लज म न हफ -रवी ह (मल लज सखन का अाखर अर)

सखनवर (सखन+वर) लज म न हफ -रवी ह (मल लज सखन का अाखर अर) अाशा करता प अा हागा .... ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ नाट - काफया क दाष पर चचा करत ए यक थान पर अशअार का उदाहरण वप तत करना अावयक नही ह इसलए इसस बचा गया ह, हा जहा इसस अितर सहायता मल ह वहा अशअार तत कय गय ह जा क कवल उदाहरण क लए वरचत ह ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ अाईय अब मल लख क अार बढा जाए ..... काफया क िनलखत दाष चहत कय गय ह -

१ - शर म काफया न हाना - गजल म रदफ न हान पर भी गजल अज क अनसार वीकाय ह अार एसी गजल का गर मरफ गजल कहा जाता ह परत शर म िनत काफया का हाना अित अावयक ह यद

काफया का नही िनभाया गया ह ता एसी रचना म उत भाव, शानदार कहन अार अशअार क बहर म हान क बावजद रचना का गजल नही कहा जा सकता ह

उदाहरण - जा झठा ह उस झठा कहा कर

Page 11: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

अर अा अाइन त सच कहा कर

कहा कर रदफ क पव झठा सच अफाज हमकफया नही ह

अथात इस मतला म काफया ह ही नही, इस शर का गजल का मतला नही कहा जा सकता ह

२ - इकवा दाष (हफ रवी क पव हव वर का वराध)

मतला म कवाफ का चनाव करत समय हम यान रखना हाता ह क उनम रवी क पव वर का

पालन अवय प स हा

उदाहरण - हवा, मला का यद गजल म काफया क लए याग करत ह ता अितम यजन अलग अलग व, ल हान क कारण कवल वर का साय ह इसलए अाग क अशअार म एस शद ल सकत ह जसम कवल "अा" वर का िनभाया गया हा जस - नया, चका, मला, कया अाद| अा क माा क पहल काई भी यजन हा सकता ह अार उसक पहल काई भी वर हा, काई फक नही पडता परत यद मतल म हमन एस कवाफ ल लए जनम अाखर वर क पहल का यजन भी साय ह जस - हवा, दवा म "वा" ता हम बाय हा जात ह क अा क माा क साथ साथ "व" का भी हर काफया म िनभाए मगर इसक साथ हम व क पहल अाए हव वर का भी िनभाना हाता ह अथात वा क पहल क यजन म जा हव वर ह उस भी हर काफया म िनभाना हागा हवा, दवा क बाद हम सवा या यवा का नही ल सकत ाक इनम वा क पहल का हव वर हवा, दवा स भ ह यद एसा कया गया ता इकवा का दाष हा जाता ह कछ अार उदाहरण दख - काितल मकल शामल अाद क साथ, मल, बादल, घायल, मजल, खल अाद का याग करन

पर इकवा दाष हा जायगा ाक काितल मकल शामल म ल क पव इ हव वर ह अार मल, बादल, घायल, मजल, खल म अ अथवा उ हव वर ह

इस दाष क कारण हम पागल, बादल क दल काफया नही बाध सकत पागल, बादल क बाद काफया म अल का िनभाना हागा जस - पायल, काजल अाद

(अभी तक इस मच पर इकवा दाष का भी सनाद दाष माना जाता रहा ह सनाद दाष का जानन पर अतर प हा जायगा)

Page 12: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

३ - सनाद दाष - (हफ रवी क पव दघ वर का वराध)

मतला म कवाफ का चनाव करत समय हम यान रखना हाता ह क उनम वर का पालन अवय

प स हा उदाहरण - दता, नता का यद गजल म काफया क लए याग करत ह ता हम बाय हा जात ह

क अा क माा क साथ साथ "त" का भी हर काफया म िनभाए मगर इसक साथ हम त क

पहल अाए दघ वर का भी िनभाना हाता ह अथात दता, नता क पहल क कवाफ म जा दघ

वर ए ह उस भी हर काफया म िनभाना हागा दता, नता क बाद हम राता या अाता का नही ल सकत ाक इनम ता क पहल का दघ वर ए स भ ह यद एसा कया गया ता सनाद का

दाष हा जाता ह कछ अार उदाहरण दख - दवार, अासार बीमार क साथ तासीर शमशीर मजदर मजबर अाद काफया नही लया जा सकता ह एसा करन पर सनाद दाष हा जायगा ाक दवार, अासार बीमार म र क पव अा दघ वर ह जसका पालन तासीर शमशीर मजदर मजबर म नही अा ह ४ - इफा दाष (मलत जलत हफ क कारण हफ रवी बदल जाना) यद एस शदा का हमकाफया मानकर शर म बाध दया जाए जा अल म अलग अलग उारण क हा अथात दा अलग अलग हफ हा ता इफा दाष हा जाता ह हद म श अार ष म ही एसा साय ह इसलए इसस इस समझना अासान हागा

यद हम शष क साथ कश का काफया बाधग ता शर दाषपण हा जायगा ाक उारण साय हान क बावजद दाना अलग अलग यजन ह इसलए इफा दाष हा जाता ह

इसी कार उद क कई यजन हद म अा कर उारण साय हा जात ह परत वह अलग अलग

यजन हात ह इसलए एक ही गजल म काफया क प म याग करन पर इफा दाष हा जाता

जस - उद म ज का पाच उारण ह इन पाचा हफ रवी क अफाज अापस म हमकाफया नही हा

Page 13: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

सकत| अथात - राज क साथ अाज का काफया मानना गलत ह | इसस इफा दाष हा जाता ह

अय उदाहरण - सलाह (हाय ी) क साथ गवाह (हाय हज) का बाधना गलत ह इसस इफा दाष हा जाता ह

परत उद क समीपवती अथवा साय उारण क कारण हद म अा कर समान तीत हान वाल

अर क कवाफ म अतर कर पाना हद भाषी क लए सभव नही ह इसलए उद क समीपवती अथवा साय अर का हद म इस दाष स म रखा गया ह

हद म जन अरा का अतर प ह उनस अवय बचना चाहए जस - पास - ताश, ताड - राड, झठ - टट, साठ - साथ, लट-ठ अाद का हमकाफया मानन स भी इफा का दाष पदा हा जाता ह - गल दाष - यद हफ रवी साकन हा अथात हलत यजन हा ता इसक साथ मतहरक रवी वाला अथात सवर यजन काफया नही लया जा सकता ह एसा करन पर गल दाष हा जाएगा उदाहरण - अासमान, उडान क साथ खता न बाधन पर गल का दाष हा जायगा अथात - जा हासला स उड ह ता फर उडान समझ अा अा न अा ख अासमान समझ क साथ य शीर लब जा पयाला बन ता पी ल ज य अ ह इस त भल कर खता न समझ

उडान, अासमान म न (हलत) ह जबक खता न म सवर ह इस वजह स यहा गल का दाष पदा

हा रहा ह

{यह दाष उद म ही सभव ह ाक हद का यह गण ह क इसम यजन क साथ हव वर पव स ही वमान हाता ह अथात उद का अान हद म अासमान (न म सवर सहत) लखा जाता

Page 14: ग़ज़ल के ऐब पहली किस्त 1

ह}

अत यह दाष हद म माय नही हा सकता कवल जानकार क पण हान क लए जानना

अावयक ह अथवा उद शाइर करन पर यान दना हागा