assets.vmou.ac.inassets.vmou.ac.in/mt04.pdf · इकाई-7 n jवचर फलन के लए...

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    पा य म अ भक प स म त अ य ो. (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    संयोजक / सम वयक एवं सद य वषय सम वयक ो. डी.एस. चौहान

    ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    सद य स चव / सम वयक डॉ. अशोक शमा सह आचाय, राजनी त व ान वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    सद य 1. ो. वी.पी. स सेना

    भतूपूव कुलप त एव ं सेवा नवृ त ोफेसर

    जीवाजी व व व यालय, वा लयर (म य देश)

    4. डॉ. ऐ. के. माथुर सेवा नवतृ सह आचाय ग णत वभाग, राज थान व व व यालय, जयपरु

    7. डॉ. वमलेश सोनी या याता –ग णत राजक य नातको तर महा व यालय कोटा (राज थान )

    2. ो. एस.सी. राजवंशी ग णत वभाग, इ ट यूट ऑफ इंजी नय रगं ए ड टे नोलॉजी भ डल, पजंाब-140108

    5. डॉ. के. एन. सहं सह आचाय ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    8. डॉ. के.के. म ा या याता -ग णत एम.एस.जे. महा व यालय, भरतपरु (राज थान)

    3. ो. एस.पी. गोयल ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    6. डॉ. परेश यास सहायक आचाय, ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    9. डॉ. के.एस. शेखावत या याता - ग णत राजक य क याण महा व यालय, सीकर (राज थान)

    स पादन एवं पाठ लेखन स पादक ो. डी. एस. चौहान

    ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    लेखक 1. डॉ. के. एन. सहं

    एसो सयेट ोफेसर, ग णत वभाग, राज थान व व व यालय, जयपरु - (राज थान)

    3. डॉ. के. के. म ा

    या याता, ग णत वभाग एम. एस.जे. कॉलेज भरतपरु (राज थान)

    4. राकेश पा डेय एम. फल या याता - ग णत वभाग एस. एस. जैन सबुोध पी. जी. कॉलेज, जयपरु (राज थान)

    2. डॉ. परेश यास सहायक आचाय, ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु (राज थान)

    अकाद मक एवं शास नक यव था ो. (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खलुा व व व यालय कोटा (राज.)

    ो. (डॉ.) एम.के. घड़ो लया नदेशक

    सकंाय वभाग

    योगे गोयल भार

    पा य म साम ी उ पादन एव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन योगे गोयल

    सहायक उ पादन अ धकार वधमान महावीर खलुा व व व यालय कोटा )राज(.

    पुनः उ पादन : अग त 2010 ISBN-13/978-81-8496-038-9 इस साम ी के कसी भी अंश को व.म.ख.ु व. कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी प म अथवा म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पुनः तुत करने क अनुम त नह ं ह।

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    MT - 04

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    वा त वक व लेषण एवं दरू क समि ट

    इकाई सं या इकाई पृ ठ सं या इकाई-1 वा त वक सं या नकाय (Real Number System) 7—32 इकाई-2 वा त वक सं याओं के सांि थ तक गणुधम

    (Topological Properties of Real Numbers) 33—51

    इकाई-3 वा त वक अनु म- I (Real Sequence-I) 52—75 इकाई-4 वा त वक अनु म- II (Real Sequence II) 76—93 इकाई-5 सांत य (Continuity) 94—116 इकाई-6 अवकलज (Derivative) 117—137 इकाई-7 वचर फलन के लए सीमा एव ंसांत य

    (Limit and Continuity for Function of two Variables) 138—148

    इकाई-8 र मान समाकलन -1 (Riemann Integration-1) 149—175 इकाई-9 र मान समाकलन -2 (Riemann Integration-2) 176—201 इकाई-10 फलन के अनु म का एकसमान अ भसरण-1 (Uniform

    Convergence of Sequences of Functions -1) 202—219

    इकाई-11 फलन के अनु म का एकसमान अ भसरण-2 (Uniform Convergence of Sequences of Functions-2)

    220—247

    इकाई-12 दरू क समाि टयाँ (Metric Spaces) 248—263 इकाई-13 ववतृ एव ंसंवतृ समु चय (Open and closed sets) 264—280 इकाई-14 उपसमि टया,ँ गणुन समि टयाँ,संतत त च ण एव ंअ भसरण

    (Subspaces, product spaces, continuous mappings and covergence)

    281—296

    इकाई-15 संहत समु चय, संहत तथा संब दरू क समि टयाँ (Compact set, compact and connected spaces)

    297—307

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    तावना

    तुत पु तक “वा त वक व लेषण एव ंदरू क समि ट” वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा वारा वारा ता वत पा य मानसुार बी.एससी भाग वतीय के ग णत वषय– थम

    न–प के अ ययन अ यापन हेतु सिृजत क गयी है। पु तक क भाषा शैल को सरल, रोचक एव ंसु ाहा बनाने का अथक यास कया गया है। ग णत जैसे वषय क विृ त को यान म रखते हु ए पु तक म अं जेी श द का समु चत योग कया गया है तथा पु तक को लखत ेसमय यह आव यक समझा गया है क ह द भाषा के साथ-साथ आव यक श दावल अं जेी म भी हो। पु तक क व भ न इकाइय को व वान लेखक वारा लखा गया है । लेखक ने पु तक को त यपरक बनाने के लए मानक थ क सहायता ा त क है, इनके रच यताओं के लए कृत तापन इन पिं तय के मा यम से ततु है। यह पु तक व या थय के लए तयोगी पर ाओं हेतु भी सह मागदशन दान करने म सहायक होगी।

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    इकाई 1 : वा त वक सं या नकाय (Real Numbers System) इकाई क परेखा 1.0 उ े य 1.1 तावना 1.2 े अ भगहृ त

    1.2.1 े 1.2.2 े के कुछ मह वपणू गणुधम

    1.3 म अ भगहृ त 1.3.1 धना मकता या ऋणा मकता के अ भगहृ त 1.3.2 धना मक वग 1.3.3 म स ब ध 1.3.4 म अ भगहृ त 1.3.5 मत े 1.3.6 मत े के गणुधम

    1.4 मत े के प रबधं 1.4.1 ऊपर से प रब समु चय 1.4.2 उ चक 1.4.3 नीचे से प रब समु चय 1.4.4 न नक 1.4.5 प रब समु चय

    1.5 म पणूता अ भगहृ त 1.6 पणू मत े 1.7 वा त वक सं याओं के गणुधम

    1.7.1 आ क मडीय गणुधम 1.7.2 आ क मडीय मत े 1.7.3 सघनता गणुधम 1.7.4 वा त वक सं याओं का मापाकं

    1.8 साराशं 1.9 श दावल 1.10 वमू यांकन न के उ तर 1.11 अ यास न

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    1.0 उ े य (Object) इस इकाई म आप वा त वक सं या नकाय के गणुधम का अ भ हतीय व ध (Axiomatic method) के वारा अ ययन करगे । इस अ भगहृ त व ध म वा त वक सं या नकाय को ऐसी बीजीय संरचना (algebraic structure) के प म अ ययन करगे िजसम े के अ भगह त म अ भगहृ त और पणूता अ भगहृ त स तु ट होत ेह । इन अ भ ह त के अ ययन से पवू आप समु चय क पीरब ता तथा उसके उ चक एव ं न नक के स ब ध म भी अ ययन करगे।

    1.1 तावना (Introduction) वा त वक व लेषण वा त वक सं याओं के समु चय म तवेश क अवधारणा एव ं क संक पना पर आधा रत है । वा त वक सं या नकाय एव इसके गणुधम के अ ययन न न ल खत व धय वारा कया जाता ह (1) वशंानगुत अथवा पर परागत व ध (Genetic method) (2) अ भ हतीय व ध (Axiomatic method) (3) डेडे कंड कट व ध (Dedekind cut method) (4) कै टर का स ा त (Cantor’s theory) पर परागत व ध म ाकृत सं याओं का व तार करके मशः पणूाक, प रमेय सं याएँ एव ंवा त वक सं याएँ ा त करत ेह । डेडे कंड कट व ध का मु य आधार प रमेय सं याओं के कट या वभाजन होता है प रमेय सं याओं का येक कट एक वा त वक सं या ' प रभा षत करता है। के टर का स ा त प रमेय सं याओं के अनु म के अ भसरण पर आधा रत ह और इसके अनसुार प रमेय सं याओं क येक अ भसार अनु म क सीमा एक वा ता वक सं या को प रभा षत करती है । पा य मानसुार इस इकाई म आप अ भगहृ य व ध का व ततृ अ ययन करगे । इस व ध म वा त वक सं या नकाय को ऐसी बीजीय सरंचना के प म अ ययन करगे, िजसम े के अ भगहृ त, म अ भगहृ त और पणूता अ भगहृ त स तु ट होत ेह । इन तीन कार के अ भ हत को स तु ट करने वाले वा त वक सं या नकाय को पणू मत े कहत ेह।

    1.2 े अ भगहृ त (Field axioms) यहा ँआप े क प रभाषा एव इसके गणुधम का अ ययन करगे ।

    1.2.1 े (Field)

    कम से कम दो अवयव वाला अ र त समु चय F े कहलाता है, य द समु चय F मे दो वआधार सं याएँ योग (+) एव गणुन (•) प रभा षत हो और इन सं याओं के लए

    न न ल खत अ भगहृ त स तु ट होत े: (i) यो य अ भगहृ त (The addition axioms) A1 यो य संवृ त नयम (Closer law for addition)

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    ,a b F a b F अतः F, (+) के लए संवतृ है ।

    A2 यो य साहचयता नयम (Associative law for addition) , , ( ) ( )a b c F a b c a b c 2 अत: यो य सं या (+), F म साहचयता का पालन करती है ।

    A3 यो य त समक का अि त व (Existence of additive inverse) ,0a F ता क 0 0a a a

    अत: अवयव 0 े F का यो य त समक कहलाता है और इसे े का शू य (Zero) कहत ेहै ।

    A4 तलोम का अि त व (Existence of inverse) 0b F a b b a a F

    अवयव b, अवयव a का यो य तलोम होगा पर त ु 0a b b a b a अथात ्F म इसके येक अवयव a यो य तलोम इसका ऋणा मक –a होता है ।

    A5 म व नमेयता (Commutativity) ,a b F a b b a

    अथात ्यो य सं या (+),F म म व नमेयता का पालन करती है । (ii) गणुन सं या के लए अ भ ह त M1 गणुन संवृ त नयम (Closure law for multiplication)

    ,a b F a b F अत : F गणुन सं या ( ) के लए संवृ त है ।

    M2 गणुन साहचयता नयम (Associative law for multiplication) , , ( ) ( )a b c F a b c a b c अथात ्गणुन सं या F म साहचयता का पालन करती है ।

    M3 गणुन त समक का अि त व (Existence of multiplication identity) 1 F इस कार व यमान है क

    1 1a a a a F अथात ्F म गणुन सं या के लए इकाई अवयव का अि त व व यमान है ।

    M4 गणुन तलोम का अि त व (Existence of multiplicative inverse)

    1 1 1, 0, 1a F a F a aa a a

    अथात ्F के येक अशू य अवयव का तलोम व यमान है । M5 म व नमेयता (Commutativity)

    ,a b F a b b a

  • 10

    अथात ्गणुनसं या (.) F म म व नमेयता का पालन करती है । (iii) बटंनता अ भगहृ त (Distributivity axiom)

    , , ( )a b c F a b c a b a c या ( )b c a b a c a अथात Fम गणुनसं या ( ) योग स या (+) पर बटंन गणुनधम का पालन करती है। वशेष : प रमेय सं याओं का समु चय (Q,+, ) और वा त वक सं याओं का समु चय (R,+, ) े होत ेह पर त ु(Z,+, ) और (N,+, ) े नह ंहै ।

    1.2.2 े के कुछ मह वपणू गणुधम (Some important properties of field)

    1. येक े म यो य त समक एव ंगणुन त समक अ वतीय होत ेह । 2. े के येक अवयव का यो य तलोम अ वतीय होता है और े के येक अवयव

    का गणुन तलोम भी अ वतीय होता है 3. य द F एक े है, तब े के अवयव x,y,z के लए

    (i) x+y+=x+z y=z (ii) कसी x 0 के लए xy=xz y=z. हो, तो इस नयम को नरसन नयम कहते ह।

    4. य द F एक े है, तब A,B,C F (i) a 0=0 a=0 (ii) –(–a)=a (iii) a(–b)=–(ab)=(–a)b (iv) (–a)(–b)=–ab (v) a b=0 तो a=0 अथवा b–0 (vi) –(a_b)=(–a)+(–b) (vii) a (b–c) =a –a c (viii) (a–1)–1 =a,a 0 (ix) a 0,b 0 (ab)–1 =a–1b–1

    1.3 म अ भगहृ त (The order axioms) आप यहा ँउन अ भगहृ त का अ ययन करगे, जो मत े को प रभा षत करत ेह । मत े प रभाषा से पवू आप े म धना मक/ऋणा मक वग के स ब ध म अ ययन करगे । ।

    1.3.1 धना मकता या ऋणा मकता के अ भगहृ त (Axioms of positveness or negativeness)

    े F का अवयव a धना मक कहलाता है य द a>0 और ऋणा मक कहलाता है य द a

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    1.3.2 धना मक वग (Positive class)

    े F का एक अ र त उपसमु चय P धना मक वग कहलाता है य द (i) a,b P a+b P और a b P हो एव ं(ii) 0 a F तब या तो a P या – a P

    1.3.3 म स ब ध (Order relation)

    य द a,b F और a–b P हो, तो a, b से बड़ा होगा और इसे a>b से द शत करत ेह। य द a,b से बड़ा नह ंहो, तो a–b=0 होगा या –(a–b)=–a+b=b–a P होगा । अथात ्या तो a b है या b a होगा । यहा या को म स ब ध कहते है ।

    1.3.4 म अ भगहृ त (Order axioms)

    म स ब ध ( ) के न न ल खत अ भगहृ त होत ेह : O1 वभागी नयम (Trichotomy law) य द ,a b F हो, तो न न ल खत म से केवल एक ह स य है : (i) a b (ii) a b (iii) a b O2 सं ामक नयम (Transitive law)

    a, b, c ∈ F; > ⋀ > ⇒ > O3 यो य एक द ट नयम (Monotone law for addition) , ,  a b c F a b a c b c O4 गणुन एक द ट नयम (Monotone law for multiplication) , ,  a b c 0;F c a b a c b c अ य स ब ध " " को स ब ध " "  के पद मे न न ल खत कार प रभा षत करते है :

    a b b a और सभी म अ भगहृ त को न न कार लख सकते है :

    10 , ,a b c F के लए न न ल खत म से केवल एक ह स य है: (i) a b (ii) a b (iii) a b

    20 a b b c , ,a c a b c F

    30 a b , ,a c b c a b c F

    40 ,0 , ,a b c a c b c a b c F उपयु त सभी अ भगहृ त को आप धना मक वग के अ भगहृ त से भी ा त कर सकत ेह ।

    1.3.5 मत े (Ordered field)

    (i) य द कसी े के अवयव म अ भगहृ त का पालन करत ेहै तो ऐसा े , मत े है।

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    (ii) य द े F म धना मक वग P व यमान ह , तो F को मत े कहते ह । उदाहरणाथ : प रमेय सं याओं का समु चय ( , , )Q और वा त वक सं याओं का समु य ( , , )R मत े है, पर त ुसि म सं याओं का े ( ( , , )C मत े नह ंहै ।

    1.3.6 मत े के गणुधम (Properties of ordered field)

    मेय : 1.1 य द F एक मत े हो, तथा , ,  a b c F हो, तो (i) 0 0a a

    (ii) 10 0aa

    (iii) 1 1a ba b

    (iv) a b c d a b b d (v) 0 0a b c a b a b (vi)

    2 0a (vii) 0a b c a c b c (viii) 0, 0a b a b (ix) 0, 0 0a b a b (x) 2 2a b उपपि त : (i) मानो क 0a हो, तो स करना है क – 0a है ।

    0 ( ) 0 ( )a a a a (यो य एक द ट नयम से) 0 a

    0a पनु : वलोमत मानो क – 0a तो स करना है 0a है

    ( ) 0 0 ( )a a 0 ( )a a a 0a

    अथात ् 0 0a a

    (ii) मानो क 0a हो, तो स करना हे क 1a 0

    10; 0a a F a a F तो वभागी नयम से या तो 1 0a या

    1 0a या 1 0a मे से केवल एक

    स य है । जब 1 0a तो

    1a b 0 1 0a जो क अस भव है । अत: 1 0a

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    जब 1 0a 0;a 1 0a 1a a a 0

    1 0 जो क अस भव है अथात ् 1a 0 अथात ् 1 0a होगा ।

    10 0aa

    वलोमत : मान क 1a 1 0a हो तो, स करना है क 0a

    1 0a हो तो उपयु तानसुार 1 1( ) 0a 0a

    अथात 1 0a 0a (iii) दया है क 0a b तो स करना है क

    1 10a b

    अथात 1 10 a b

    0 0; 0a b a b 1 10; 0a b

    परंतु a b एव ं 1 0a a 1a b 1a 1b a य द 11 b a एव ं 1 1 1 10 1 ( )b b b ba

    1 1 1( ) )b b b a 1b 1a

    स ब ध (1) एव ं(2) से 1 1 0b a

    1 10a b

    (iv) दया है क a>b,c>d और स करना है क a+c>b+c a b a c b c [यो य एक द ट नयम से] और c d b c b d [यो य एक द ट नयम से] अतः सं ामक नयम से a c b c b d a c b d

    (v) दया हुआ है क 0, 0a b और स करना है क 0a b 0a 0a b b [यो य एक द ट नयम से]

    a b b य द , 0a b b d हो तो सं ामक नयम से 0a b होगा पनुः 0, 0a b

  • 14

    0a b b [गणुन एक द ट नयम से] 0a b

    अथात 0, 0a b 0a b और 0a b Hence Proved (vi) a F हो तो स करना है क 2 0.a

    a F तो वभागी नयम से न न तीन स भावना हो सकती है या तो 0a ,या 0a 0.a जब 0a तो 2 0 0 0a a a जब 0a तो 0, 0a a 0a a a

    2 0a जब 0a तो 0, 0 ( ) ( ) 0 ( )a a a a a

    0.a a 2 0a

    अथात सभी ि थ तय मे 2 0a a F (vii) दया है क 0a एव ं 0c है और स करना है क क

    .a c b c a b b a ( ) 0b a

    अत: गणुन एक द ट नयम से) ( ) 0; ( ) 0b a c b a c c

    0b c a c b c a c a c b c

    अथात , 0a b c a c b c Hence Proved

    (viii) दया हुआ है क 0; 0a b और स करना है क 0a b 0, 0, 0, 0a b a b

    ( ) 0a b 0

    0a b

    a b

    (प रणाम (i) से)

    अथात 0, 0 0a b a b . (ix) दया है क 0, 0a b और स करना है क 0a b .

    0 0a a 0 0b b

    अत: 0, 0 ) ( ) 0 ( )a b a b b [गणुन एक द ट नयम से] 0.a b

  • 15

    अथात 0, 0 0.a b a b (x) य द 2 2, 0; 0a b F a b [प रणाम(iv) से]

    2 2 0a b [प रणाम(v) से] उदाहरण 1: स क िजये क मत े अन त े होता है। उपप त : मानो क ( , , )F एक मत े है तथा a एव ंb इसके अवयव इस कार है क या तो a b या a b हो । मानो क 0a b a b

    a b F तो ,a F F a F

    पनुः ,a F F 2a F इसी कार .......................... a n F जहा n N अत: , , ,a a a ..................... a n F n N है और कोई भी दो अवयव समान नह ं है । अब मानो क ,a m a n F , जहा ,m n N है एव ंm n है । य द ,a m a n

    m n [ नरसन नयम से] m n

    जो क वरोधाभासी है य क m n है, अथात समु या {, , , 2 ,............., }a a a a n n n के कोई भी दो अवयव समान नह ं है अत:

    समु या े F का अन त उपसमुय या है अत: F भी एक अन त े है । उदाहरण 2: य द a और b मत े F दो अवयव हो तो स क िजये क

    2 2

    2x y xy

    उपपि त : दया है क ,x y F है अत: x y F 2( ) 0x y

    2 2 2 0x y xy

    2 2

    2x y xy

    Hence Proved

    1.4 मत े के प रबंध (Bounds of an ordered field)

    1.4.1 ऊपर से प रब समु चय (Bounded above set)

    एक मत े F का अवयव K1, े F के अ र त उपसमु चय S का उप र–प रबधं कहलाता है य द S का येक अवयव K1 से कम अथवा बराबर हो, अथात ्

    1 1,x k x S k F

    2 2x y xy

  • 16

    य द मत े F के अवयव K1 जो क उपयु त तबधं का पालन करता हो, का अि त व हो, समु चय S ऊपर क ओर प रब कहलाता है अ यथा ऊपर से अपीरब कहलाता है । य द S का उप र –प रबधं K1 हो, तो K1 से सभी बड़ी सं याएँ S क उप र –प रबधं होती है, इस कार एक समु चय के अनेक उप र –प रबधं हो सकत ेह । उदाहरणाथ : (i) मान क 2{ : , 16}S x x I x एक समु चय हो, तो इसम एक सं या 4 इस कार

    व यमान है क 4 ,x x S अत : समु चय S ऊपर से प रब समु चय है तथा 4 इसका एक उप र –प रबधं है । यहा यह भी उ लेखनीय है क समु चय S के लए 4 से बड़ी सं याएँ 5, 6,............ इ या द S के उप र –प रबधं होती है ।

    (ii) मान क 2 2{ : } { ,4,9,16, 16.............}S n n N I x के लए कोई सं या 1k

    इस व यमान नह ंहै क येक x S के लए x 1k हो, अत: समु चय S ऊपर से प रब नह ंहै अथात ्ऊपर से अप रबद है ।

    1.4.2 उ चक ( यनूतम उप र –प रबधं) [Supremum (Least upper bound)

    ऊपर से प रब समु चय S के उप र –प रबधं के समु चय का यनूतम अवयव समु चय S का उ चक कहलाता है । अथात ्एक सं या M अ र त समु चय S का उ चक कहलाती है य द, (i) M, समु चय S का उप र –प रबधं हो, अथात ् x M . (ii) M से छोट कोई सं या समु चय S का उप र –प रबधं नह ंहो सकती है । यनूतम उप र –प रबधं (least upper bound) अथवा उ चक को Sup. S से य त करत े

    है। उदाहरणाथ : समु चय 2{ / , 16}S x I x का उप र –प रबधं समु चय है और उसे 4 से बड़ी सं या S का उप र –प रबधं है पर त ुइनम यनूतम 4 है अत : समु चय S का उ चक 4 है, अथात

    4.SupS

    1.4.3 नीचे से प रब समु चय (bunded below set)

    मत े F का अवयव k2 इसके अ र त उपसमु चय S का न न प रबधं कहलाता है य द S का येक अवयव k2 से अ धक अथवा बराबर हो, अथात ्

    12 ,x k x S k F

    य द मत े म उपयु त तबधं को स तु ट करने वाला अवयव K2 व यमान हो, तो समु चय S नीचे से प रब समु चय कहलाता है । य द इस कार क कोई सं या S व यमान नह ंहो, तो समु चय S नीचे से अप रब समु चय कहलाता है ।

  • 17

    उदाहरणाथ : (i) मान क मत े F का उपसमु चय

    2{ : 16, 1}S x x x { 4, 3, 2,0,1,2,3,4,} म सं या – 4 इस कार व यमान है क S का येक अवयव – 4 से बड़ा या बराबर है अथात ् 4x x S अत : समु चय S नीचे से प रब समु चय है । यहा ँ– 4 से छोट येक सं या भी समु चय S के लए न न पीरबधं होती है ।

    (ii) मान क 2{ : }S n n N = { 1, 4, 9,16.............} एक समु चय है, पर त ुइसम कोई सं या k2 इस कार व यमान नह ं है क येक अवयव 2k से बड़ा या बराबर हो, अत : समु चय S नीचे से अप रब समु चय है ।

    1.4.4 न नक (उ चतम न न प रबधं) Infimum gretest lower bound)

    नीचे से प रब समु चय S के न न प रबधंो के समु चय का अ धकतम (उ चतम) अवयव m समु चय S का न नक (उ चतम न न प रबधं) कहलाता है इसे m = Inf S से द शत करत ेह । अथात ्एक सं या m, अ र त समु चय S का न नक कहलाता है य द (i) m, समु चय S का न न प रबधं हो अथात ,m x x S (ii) m से बड़ी कोई सं या समु चय S का न न प रबधं नह ंहो । उदाहरणाथ : समु चय S = 2{ : 1, 16}S x x x एक नीचे से प रबधं समु चय है – 4 और – 4 से छोट येक सं या D का न न प रबधं है अत : समु चय S का न नक –4 है, अथात ् 4SInf

    1.4.5 प रब समु चय (Bounded set)

    मक े F का अ र त उपसमु चय S प रब कहलाता है य द S के दोन उप र और न न प रबधं F मे व यमान हो, अथात ्

    1, 2 2 1k k F k xk x S उदाहरणाथ : समु चय S = ( 2{ : 16, }S x x x I एक प रब समु चय है, य क S ऊपर एव ंनीचे से प रब है । प रबधं से स बि धत मह वपणू प रणाम न न कार होत ेह : (1) येक र त समु चय के उ चक या न नक व यमान नह ंहोत ेह, य क येक

    सं या इसक उप र ( न न) प रबधं होती है । (2) येक एकक समु चय प रब होता है । इसका उ चक एव ं न नक वह अवयव वय ंहोता

    है। Sup S=Inf S. (3) यह आव यक नह ं क कसी समु चय प ुका उ चक एव ं नमक समु चय D का .'कृ ह । (4) प रब समु चय का येक उपसमु चय भी प रब होता है ।

  • 18

    (5) एक प र मत समु चय सदैव पीरब होता है, िजसका उ चतम अवयव तथा न नतम डु' मश: उ चक एव ं नमक होत ेह ।

    उदाहरणाथ – (1) न न समु चय के, य द व यमान ह , तो उ चक एव ं न नक ात क िजय।

    (i) 1: : , 02

    S X X n I nn

    (ii) : :1

    nS X X n Nn

    (iii) : :1

    nS X X n Nn

    (iv) 3 2: :2 1nS X X n Nn

    (v) : 1 :nS X X n n N हल : (i) नानसुार

    1: , , 02

    S x x n I nn

    1 1 1, , ,.....2 6 8

    S

    1 1 1 1 1 1....2 6 8 8 6 2

    अथात ् 12

    R म इस कार व यमान है क 12

    x x S

    1 12 2

    S Sup S

    पनु: 12

    R भी इस कार व यमान है क 12

    x x S

    12

    S अतः 12

    Inf S

    अथात समु चय S एक प रब समु चय है।

    (ii) नानसुार : ,1

    nS x x n Nn

    1 2 3 4 5, , , , , .......2 3 4 5 6

    S

    1 2 3 4 5, .......2 3 4 5 6

  • 19

    यहाँ 12

    R , इस कार वधमान है क 12

    x x S अथात ्समु चय S का न न

    प रबधं 12 है और S नीचे से प रब है और 1 1

    2 2S InfS ; पनु:

    11

    n n Nn

    अत: समु चय S का उप र–प रबधं 1 है । अब यहा ँयह स

    करना है क 1 से छोटा कोई वा त वक सं या S का उप र–प रबधं नह ंहो सकती ह । मान क k R और 1k

    अत: ( 1) 1 111 ( 1) ( 1)

    n nn n n

    1 1 0k k पर त ु1 0k कतनी ह छोट य नह ंहो, कम से

    कम एक n N व यमान होगी िजसके लए 1 1( 1)

    kn

    111 ( 1)

    nk kn n

    ( कसी n N के लए)

    अत: k समु चय S का उप र–प रबधं नह ंहो सकता है । अथात ्S का उप र–प रबधं है और 1 से कोई भी छोट सं या S का उपीर–पीरबधं नह ं है, अत: Sup. S=1 होगा।

    (iii) नानसुार ( 1): 1 ,n

    S x x n Nn

    3 2 5 4 7 60 , , , , ,2 3 4 5 6 7

    S

    0 2 4 6 8 2 2 5 7 9 2 1....., , , , ,..... ...... , , , , .....1 3 5 7 9 2 1 3 4 6 8 2

    n nSn n

    S A B उपयु त से प ट है क समु चय A के अवयव बढ़त े म म है और 1 क ओर अ सर है

    जब क समु चय B के अवयव घटत े म म है और 32 से ार भ होकर 1 क ओर अ सर है

    अत: S का न नक 0 और उ चक 32 होगा ।

    (iv) नानसुार 3 2: ,2 1nS x x n Nn

    5 8 11, , ,.....3 5 7

    S

    समु चय S के अवयव 53 क ओर वृ त हो रहे ह

  • 20

    5 8 11 .......3 5 7

    53

    x x S एव ं 53

    S

    अत: Sup S = 5/3.

    अब 3 2 3 1 02 1 2 2(2 1)n n Nn n

    3 2 32 1 2n n Nn

    अथात ् 3 3 22 2 1

    n x x Sn

    अत: 32 समु चय S का न न–प रबधं है पर त ु 3

    2S अब यहा ँ यह स करगे क

    समु चय S का न नक 32 है अथात ् 3

    2 से बड़ी सं या S का न न प रबधं नह ंहै ।

    य द संभव हो, तो मानो क 32

    k , समु चय S का न न प रबधं है ।

    अथात ् 3 22 1nk n Nn

    3 2 3 02

    k k

    अत: (2 k–3)>0 कतना ह छोटा य नह ंहो, कम से कम एक n N इस कार वधमान है क

    1 2 32 1

    kn

    13 22 1

    kn

    ( कसी n N के लए)

    6 3 1 22 1n k

    n

    3 22 1n kn

    जो क वरोधाभासी है अत: 32

    k , समु चय S का न न प रबधं नह ंहै ।

    अथात ् 32

    InfS

    35 / 3,2

    SupS InfS

    (v) नानसुार : ( 1) :nS x x n n N

  • 21

    1, 2, 3, 4, 5, 6, 7,8.......S 5, 3, 1, 2, 4,6.......S

    यहा ँसमु चय S न तो ऊपर से और न ह नीचे से प रब है, अत: समु चय S के उ चक एव ं न नक व यमान नह ंहै । उदाहरण 2 : स क िजए क सभी धना मक वा त वक सं याओं का समु चय R ऊपर से प रब नह ंहै । उपपि त : नानसुार R { : , 0}x x R x और यहा ँ स करना है क समु चय R ऊपर से प रब नह ंहै । य द स भव हो, तो मान क समु चय R ऊपर से प रब है अत: मान क M समु चय R का ऊपर प रबधं है, अथात ् ;x M x R 1 0 1 R

    और M समु चय R का उपर प रबधं है, अत: 0 1 M 0 1 0 1M M M R और 1 M M जो क वरोधाभासी है, य क ( 1M ) समु चय R का ऐसा अवयव है जो समु चय R के ऊपर प रबधं M से बड़ा है अत: R ऊपर से प रब नह ंहै । मेय 1.2 : माना A, मत े F का एक अ र त उपसमु चय है, तब एक अवयव

    ,F A का उ चक होगा य द और केवल य द (i) x x A , (ii) येक 0 के लए x A ता क x उपपि त : सव थम माना क समु चय A का उ चक है । अत : , A का उप र पीरब ध है । x x A चूँ क समु चय A का उ चक है अत : येक 0 के लए , A का उप र पीरब ध नह ं । फलत: कम से कम एक x A का अि त व होगा िजसके लए x . वलोमत : माना क दये गये दोन तब ध स तु ट होते ह । हम स करना है क समु चय का उ चक है । तब ध (i) x x A , यह द शत करता है क समु चय 4 का उपीर पीरब ध है । हम करना है क समु चय A का उ चक है । इसके लए हम स करगे क कोई वा त वक सं या जो से छोट है वह A उ चक नह ंहो सकती है । य द स भव हो तो माना क वा त वक सं या ' समु चय A क उ चक है।

    ' ' 0 और अब ' लेने पर तथा तब ध (ii) का उपयोग करने पर x A ता क

    ' '.x

  • 22

    'x जो एक वरोधाभास है, य क ' , A का उपीर प रब ध है । अत : हमार प रक पना क ' . समु चय A का उप र पीरब ध है, गलत है । फलत : ' , समु चय A का उ चक है ।

    1.5 म पूणता अ भगहृ त (The order completeness axiom) 1[ ]OC उ चक अ भगहृ त (Superemum axiom)

    मत े F के येक ऊपर क ओर प रब अ र त उपसमु चय S का उ चक F म व यमान होता है ।

    2[ ]OC न नक अ भगहृ त (Infimum axiom) मत े F के येक नीचे क ओर पीरब अ र त उपसमु चय S का उ चक F म

    व यमान होता है । उपरो त दोन अ भगहृ त तु य है, अथात ्(उ चक अ भगहृ त नमक अ भगहृ त)

    1.6 पूण मत े (Compolete 0ardered field) जो मत े म पणूता अ भगहृ त को स तु ट करता है, वह पणू मत े कहलाता है । पणू मत े को ह वा त वक सं याओं का े कहत ेह तथा इसे R से य त करत ेह । पणू मत े अ वतीय होता है । मेय 1.3 : प रमेय सं याओं का समु चय Q पणू मत े नह ंहै ।

    उपपि त : दया है क समु चय Q प रमेय सं याओं का समु चय है, और स करना है, Q एक पणू मत े नह ंहै । आप जानते हो क प रमेय सं याओं का समु चय Q एक मत े होता है । अत : इस मेय को स करने के लए आपको केवल यह स करना है क Q का कम से कम एक

    अ र त ऊपर से प रब उपसमु चय S इस कार व यमान है क िजसका उ चक Q म व यमान नह ंहै । मान क { :S x x Q और 20 2}x Q यहा ँ(i) 21 1 2 अथात ्समु चय S, प रमेय सं याओं के समु चय Q का अ र त समु चय है

    (ii) 2 2 22 4 2 2 2 x x S

    इस लए 2 S तथा 2, समु चय S का एक उप र –प रबधं है । अत : S, समु चय Q का ऊपर क ओर से प रब अ र त उपसमु चय है ।

    (iii) . .SupS Q अब यहा ँ स करना है क S का कोई उ चक Q म नह ं है । य द यह अस य है तो मान क Q समु चय S का उ चक है ।

    x S x और 1 S अत : 1 0 और , समु चय Q का धना मक अवयव है ।

  • 23

    अब 20 . 0 और 2a Q . मत े म वभागी नयम का पालन होता है अत : (i) 2 2a (ii) 2 2a (iii) 2 2a

    म से एक और केवल एक ह स य है । अब हम इन तीन ि थ तय पर वचार करगे । ि थ त (i) 0 : और 20 2a

    माना क 4 33 2

    .....(1)

    2 22

    2 2

    16 24 9 22 29 12 4 (3 2 )

    .....(2)

    24 3 2(2 )3 2 3 2

    .....(3)

    Q अत: Q

    2 2 22 0 2 0 2

    0

    2 20 2 S . अब और S अत : समु चय S का उप र –प रबधं नह ंहो सकता है । अत: थम संभावना 2 2 अस य है ।

    ि थ त (ii) 0 और 2 2 Q अत: , , , 0m n Q n और m,n पर पर अभा य है, इस कार व यमान

    है क 2

    22 2

    m mn n

    2

    2 2mn

    2

    2m nn

    जो क अस भव है य क 2m

    n एक भ न है जब क 2n एक पणूाक है ।

    अत : 2 एक अप रमेय सं या है । अत : वतीय संभावना 2 2 अस य है । ि थ त (iii) : 0 एव 2 2 ि थ त (i) से Q , 2 2 ,

    2 20 2 अब य द S का कोई अवयव x हो, तो

    2 2 20 2 0x x अत : एव दोन ह S के उप र –प रबधं है । पर त ु

  • 24

    एक प रमेय सं या है, अत : यह प रणाम नकाल सकते ह क समु चय S का उ चक कोई प रमेय सं या नह ंहो सकती है । जब क इसके उप र –प रबधं अव य है अथात ् , समु चय S का उ चक है तो .Q

    अत : प रमेय सं याओं का समु चय Q पणू मत े नह ंहै । मेय 1.4 : य द P और Q मश : प रमेय तथा अप रमेय सं या हो, तो p+q और p q

    ( 0)p अप रमेय सं या होती है । उपपि त : दया हुआ है क ; .p Q q R Q स करना है क (i) p q R Q (ii) pq R Q (i) य द संभव हो, तो मान क p q Q .

    p Q है अत: यो य तलोम गणुधम से – p Q व यमान है अत: ( ) ( )p p q Q .

    p p q Q 0 q Q q Q

    जो क वरोधाभासी है अत: p q R Q . अथात ् p q एक अपीरमेय सं या है ।

    (ii) 10 p Q p Q . माना क PQ एक प रमेय सं या है, अथात ् pq Q . अत: 1( )p pq Q . 1p p q Q 1.q Q

    q Q जो क वरोधाभासी है अत: pq Q गलत है अथात PQ R Q अप रमेय है । (Hence Proved) वमू यांकन न

    (1) मत े के अ र त समु चय का येक अवयव शू य से............... होता है। (2) प रमेय सं याओं के े Q म

    (3) 1 2 10, , , ......... .......8 9 6

    nSn

    का उ चक एव ं न नक ात करो ।

    (4) मत े का उदाहरण ल खए । (5) पणू मत े का उदाहरण ल खए ।

  • 25

    1.7 वा त वक सं याओं के गुणधम (Properties of real numbers)

    1.7.1 आ क मडीय गणुधम (Archimedean Property)

    कथन : य द x और y दो धना मक वा त वक सं याएँ ह , तो एक ाकृत सं या n व यमान होगी क nx y . कथन क उपपि त : माना क कथन अस य है अथात ्nx y n N है ।..........(1) अत : समु चय , 2 ,3 , ........ , ( 1) ,.........S x x x nx n x R एक प रब है तथा इसका उप र–प रबधं y है । ...... (2) अत: (1) और (2) से अ र त समु चय S R ऊपर क ओर से प रब है S का उ चक माना क k व यमान है k समु चय S का उप र–प रबधं है nx n N ( 1)n x k चूँ क ( 1)n N ( ) ,nx k x K n N ( )k x जो क k से कम है, S क उप र–प रबधं है जो क वरोधाभासी है अत: nx y n N अत: एक ाकृत सं या व यमान होगी ता क nx y

    1.7.2 आ क मडीय मत े (Archimedean ordered field)

    एक मत े F आ क मडीय े कहलाता है य द , , 0 .x y F x n N nx y मेय 1.5 : प रमेय सं याओं का समु चय आ क मडीय मत े होता है ।

    उपपि त : आप जानते हो क Q एक मत े है । मान क ,x y Q और 0y x

    अब , ,m n N इस कार है क mxr

    एव nyr

    0n mr r

    nm nnm nr r

    अत: n N ता क nx y अथात ्Q एक आ क मडीय मत े है । मेय 1.6 : P येक पणू मत े R आ क मडीय े होता है ।

  • 26

    उपपि त : मान क R एक पणू मत े है और इसके दो अवयव ,x y ऐसे ह क 0x y हो, तो आप को स करना है क आ क मडीय गणु से कसी ाकृत सं या n के

    लए nx y होगा । य द संभव हो, तो मान क ;n N nx y एव ं : ,M nx n N x R R . अथात ्M ऊपर प रब है इस लए इसका उ चक R म व यमान है । R एक पणू मत े है अत : इसके येक अ र त प रब उप समु चय का उ चक R म व यमान है । पनु

    : मान क M का उ चक R है, तो R का कोई भी अवयव , M का उप र –प रबधं नह ंहै । अत: ,x R M का उप र –प रबधं नह ंहै । इस लए N म एक ाकृत सं या K व यमान है क,

    k x kx x ( 1)k x

    जो क को उ चक मानने का वरोधाभासी है अत : .n N nx y

    1.7.3 सघनता गणुधम (Denseness Property)

    क ह ंदो भ न वा त वक सं याओं के म य अन त वा त वक सं याएँ प रमेय और अप रमय सं याएँ व यमान होती है । इसे वा त वक सं याओं का सघनता गणुधम कहत ेह । मेय 1.7 : कसी वा त वक सं या x के लए एक पणूाक n व यमान है ता क

    1n x n उपपि त : माना { :S y y Z और }y x x R x R चूँ क वा त वक सं याओं का समु चय R एक आ क मडीय मत े है और 1 R इस लए एक ाकृत सं या m का अि त व होगा ता क 1.m x या m x जहा ँ m एक पणूाक, अत : m S S । चूँ क R पणू मत े है और S,R का अ र त उप समु चय है जो उपर से x के वारा प रब है, इस लए S का उ चक R म व यमान होगा । चूँ क समु चय S के सभी अवयव पणूाक ह जो वा त वक सं या x से छोटे या बराबर ह, इस लए S का उ चक भी एक पणूाक होगा जो x से छोटा या बराबर होगा । माना n Z समु चय S का उ चक है । अत: n x अब हम स करना है क

    ( 1)x n अत : य द स भव हो तो माना क 1x n 1n x 1n S जो हमार क पना क समु चय S का उ चक है का वरोधाभास

    है। अत : 1x n अत : कसी वा त वक सं या x के लए एक पणूाक n व यमान है ता क 1n x n

  • 27

    मेय 1.8 : दो भ न वा त वक सं याओं के म य अन त अप रमेय सं याएँ व यमान होती है। उपपि त : मान क , ,x y R x y x y तो 0y x और y x R पनु : मान क 0 एक धना मक अप रमेय सं या है

    0 R अत : आ क मडीय गणुधम से ( )n N n x y

    y xn

    2y x x x

    n n

    2 2x x

    n n n

    एक अप रमेय सं या है ।

    अत : xn

    और 2

    xn

    दोन प रमेय सं या नह ंहो सकती य क दोन का अ तर एक

    अप रमेय सं या है । अत : दोन म से कम से कम एक सं या xn

    या 2

    xn

    अप रमेय सं या है , माना वह सं या r है अत : y r x

    x r y अत : दो भ न वा त वक सं याओं x और y के म य एक अप रमेय सं या r व यमान है । उपयु त व ध का बार–बार योग करने पर दो भ न वा त वक सं याओं के म य अन त अप रमेय सं याएँ ा त होती है । मेय 1.9 : क ह ंदो भ न वा त वक सं याओं के म य अन त प रमेय सं याएँ व यमान

    होती है । उपपि त : मान क x और y दो वा त वक सं याए है और 0x y y x आ क मडीय गणुधम से

    , ( ) 1 1n N n y x ny nx …..(1)

    एक ऐसा अ वतीय पणूाक m भी व यमान है क ( 1)m nx m

    (1) एव ं(2) से 1ny nx m nx

    nx m ny mn yn

  • 28

    x q y [ mn= q एक प रमेय सं या]

    अत: एक प रमेय सं या q दो वा त वक सं याओं x तथा y के म य है । उपयु त व ध x और q एव ंq और y के म य प रमेय सं याएँ 1q , और 2q ा त होगी । अथात ् 1 2x q q q y इसी कार बार–बार योग करने पर दोन वा त वक सं याओं x तथा y के म य अन त प रमेय सं याएँ ा त होती है ।

    1.7.4 वा त वक सं या का मापांक (Modulus of a real number)

    एक वा त वक सं या x का मापांक या नरपे मान को x से य त कया जाता है एव ंन न ल खत कार प रभा षत कया जाता है :

    xx

    x

    य दय द

    00

    xx

    मेय 1.10 : य द ,x y R हो, तो

    (i) max{ , }x x x

    (ii) x x और x x

    (iii) xy x y

    (iv) , 0x x y

    y y

    उपपि त :

    (i) स करना है क max{ , }x x x x R x R या तो 0x या 0x

    ि थ त (i) : जब 0x तो x x x x और 0 0x x अत: x x x x

    और x x max{ , }x x x

    ि थ त (ii) जब 0x x x x x

    और 0 0, 0x x x अत: x x x x

    x x

  • 29

    ,x x x x max{ , }x x x

    (ii) स करना है क x x और x x x R जब 0x तो x x और 0x तो x x x

    x x

    जब 0x तो x x x य द 0x तो x x

    x x (iii) स करना .xy x y

    2 2( )xy xy 2 2x y

    2 2.x y 2 2( . )xy x y

    . .xy x y , ,xy x और y सभी धना मक है अत : ऋणा मक च ह को छोड़ने पर

    . .xy x y

    (iv) स करना है क 0.x x yy y

    आप जानत ेहो क 2 2 22

    22

    xx x xy y y y

    22 xxy y

    xxy y

    पर त ुमापांक सदैव धना मक होत ेह

    अत: 0xx y

    y y .

    मेय 1.11 : भुज अस मकाएँ (Triangle inequalities) य द ,x y R हो, तो (i) x y x y

  • 30

    (ii) x y x y भुज अस मकाएँ कहलाती है ।

    उपपि त :

    (i) 2 2( ) ,x y x y x y R

    = 2 2 2x y xy 2 2 2 .x y x y ,x x

    2 2 2 2 .x y x y x y 2 2[ ]x y x y

    x y x y

    (ii) 2 2( )x y x y 2 2x x

    2 2 2x y xy 2 2 2 .x y x y [ ]x x

    2 2 2 2 .x y x y x y 2[ ]x y

    x y x y उप मेय : (i) ,x a a x a x a R

    (ii) x a a x a उदाहरण 3 : स क िजए क कसी भी प रमेय सं या का घन 3 नह ंहै ।

    हल : य द संभव हो, तो मान क ( 0,)p qq

    एक प रमेय सं या है िजसका घन 3 है ।

    यहा ँp और q पर पर अभा य है ।

    अत: 1/3 3 3(3) 3p p qq

    323p q

    q

    जो क असभंव है, य क 3p

    q एक भ न सं या है और 23q एक पणूाक है ।

    अत: 1/3(3) एक प रमेय सं या नह ंहै अथात ् 1/3(3) एक अप रमेय सं या है । उदाहरण 4 : स क िजए क 2 एक अप रमेय सं या है ।

  • 31

    हल : य द संभव हो, तो मानो क 2( 0;p q pq और q पर पर अभा य है) एक

    प रमेय सं या है ।

    अत: 2 22 2 2p p q p qq

    2p एक समपणूाक है p भी एक समपणूाक है

    अत: पनु: मान क 2p m m z 2 22 (2 )q m 2 22 4q m

    2 22q m अथात ् 2q भी एक समपणूाक है अत: p और q दोन ह समपणूाक होने के कारण p और q म 2 उभय न ठ ख ड है जो क p तथा q के पर पर अभा य होने क मा यता के वपर त है अथात ् 2 एक प रमेय सं या मानना गलत है ।

    2 एक अप रमेय सं या है ।

    1.8 साराश इस इकाई म आपने वा त वक सं या नकाय के गणुधम का अ भगृ हतीय व ध से अ ययन कया है । इस इकाई म आपने े , मत े और पणूता मत े का भी अ ययन कया है ।

    1.9 श दावल Field े Orderd field मत े Axioms अ भगहृ त Supermum उ चक Infimum न नक Bounded प रब Completeness पणूता Denseness सघनता Absolute value नरपे मान

    1.10 वमू यांकन न के उ तर (1) बड़ा (2) उ चक 1, न नक 0 (3) प रमेय सं याओं का समु चय (4) वा त वक सं याओं का समु चय

  • 32

    1.11 अ यास न (1) न न समु चय के लए प रब ता क जाचँ क िजए तथा व यमान हो तो, उ चक एव ं

    न नक भी ात क िजए ।

    (i) 1 12 3

    n n

    S n N

    (ii) 3 4 52, , , ,........2 3 4

    S

    (iii) 11n

    S n Nn

    (iv) 1 ,6

    nS n Nn

    (उ तर: (i) प रब , उ चक16, न नक 0; (ii) प रब , उ चक –1, न नक 0;

    (iii) प रब , उ चक 3, न नक 2; (iv) प रब , उ चक 2, न नक 0) (2) स क िजए क ाकृत सं याओं का समु चय अप रब समु चय है । (3) स क िजए क प रमेय सं याओं का समु चय आ क मडीयन े होता है ।

    (4) स क िजए क 3 एव ं 5 प रमेय सं या नह ंहै । (5) स क िजए क वा त वक सं याओं का समु चय सघन होता है ।

  • 33

    इकाई 2: वा त वक सं याओं के सांि थ तक गुणधम, (Topological Properties of Real Numbers)

    इकाई क परेखा 2.0 उ े य 2.1 तावना 2.2 एक वा त वक सं या का तवेश 2.3 समु चय का सीमा ब द ु 2.4 ववतृ समु चय 2.5 संवृ त समु चय 2.6 संहत समु चय 2.7 स ब समु चय 2.8 साराशं 2.9 श दावल 2.10 वमू यांकन न के उ तर 2.11 अ यास न

    2.0 उ े य इस इकाई म वा त वक सं याओं के सांि थ तक गणुधम के वषय म चचा क गयी है । इस को पढ़ लेने के बाद आप कसी वा त वक सं या के तवेश के वषय म जानकार ा त कर सकगे । कसी समु चय के सीमा ब द ु के वषय म जानकार ा त कर कसी दये हु ये का

    सीमा ब द ु ात कर सकगे । ववतृ और संवृ त समु चय के वषय म जानकार ा त कर इनम अ तर समझ

    सकगे और यह जानकार ा त कर सकगे क वा त वक सं याओं का समु चय R और र त समु चय दोन ह ववतृ एव ंसंवृ त होत ेह ।

    संहत और समब समु चय के वषय म भी जानकार ा त कर सकगे ।

    2.1 तावना इस इकाई म हम वा त वक सं याओं के सांि थ तक गणुधम के वषय म चचा करगे । कस वा त वक सं या के तवेश क जानकार देत ेहु ए हम कसी समु चय के सीमा ब द ुके वषय म जानकार दगे और इससे स बि धत वा जन वाइ ास मेय को स करगे । कसी समु चय के आ त रक ब द ुको प रभा षत करगे और इसके बाद ववतृ एव ंसंवृ त समु चय के वषय म व तार प से चचा करगे । इस इकाई के अ त म हम संहत एव ंस ब समु चय के वषय म चचा करत ेहु ए हेने –बोरेल मेय को स करगे ।

  • 34

    2.2 एक वा त वक सं या का तवेश (Neighbourhood of a real number)

    माना a कोई वा त वक सं या है और एक ि थर धना मक सं या है । a का तवेश N (a) से य त करत ेह और इसे न न कार से प रभा षत करत ेह

    N (a) = {X R x – a ।< } = {X R । – < x – a < } = {X R । a– < x < a + } = {X R । x–< a – , a + }

    उपयु त वणन के आधार पर हम कह सकत ेह क ववतृ अ तराल (a – , a + ) को a का तवेश कहत ेह। अथात ्कोई ववतृ अ तराल िजसम a व यमान हो a का तवेश कहलाता है। य द कसी ब द ुके तवेश म से उस ब द ुको ह नकाल दया जाये तो वह उस ब द ुका न का सत तवेश (Deleted nbd) कहलाता है। अत : (a– , a+ ) – (a) = (a– )(a, a+ ), a का न का सत तवेश होगा। एक समु चय GR कसी ब द ुaR का तवेश कहलाता है य द एक धना मक वा त वक सं या (चाहे कतना भी छोटा य न हो) का अि त व हो ता क ववतृ अ तराल

    (a– , a+ )G। उदाहरण 1 : एक अ र त प र मत समु चय A कसी भी ब द ुaR का तवेश नह ंहोता है य क कसी भी धना मक सं या के लए ववतृ अ तराल (a– , a+ ) एक अन त समु चय होता है और अन त समु चय कभी भी कसी प र मत समु चय का उपसमु चय नह ं हो सकता है। उदाहरण 2 : ाकृत सं याओं का समु चय N, पणूाक सं याओं का समु चय Z तथा प रमेय सं याओं का समु चय Q अपने कसी भी ब द ुके तवेश नह ंहोत ेह य क कोई भी ववतृ अ तराल इनका उपसमु चय नह ंहोता है। उदाहरण 3 : वा त वक सं याओं का समु चय R अपने येक ब द ुका तवेश होता है य क य द a कोई वा त वक सं या है और कोई धना मक वा त वक सं या है तो a–

    और a+ भी वा त वक सं याय ह गी और (a– , a+ )R. उदाहरण 4 : येक ववतृ अ तराल (a, b) अपने येक ब द ुका तवेश होता है। पर त ुसंवृ त अ तराल [a, b] अपने ारि भक ब द ुa और अि तम ब द ुb का तवेश नह ंहोता है य क य द >0 कोई वा त वक सं या हो तो (a– , a+ ) [a, b] और (b– , b+

    ) [a, b]

  • 35

    2.3 समु चय का सीमा ब द ु(Limit Point of a Set) माना क समु चय A वा त वक सं याओं के समु चय R का कोई उपसमु चय है। एक वा त वक सं या a समु चय A का सीमा ब द ुकहलाता है य द a के येक तवेश म a के अलावा समु चय A का कम से कम एक ब द ुअव य हो। अथात ् येक >0 के लए ववतृ अ तराल (a– , a+ ) म a के अलावा A का कम से कम एक ब द ुअव य हो। ब द ुa समु चय A का सव य हौ भी सकता है और नह भी हो सकता है। अत: ब द ु aR समु चया A का सीमा ब द ुहोगा य द तके >0 के लए ((a– , a+ ) – {a}) A सीमा ब द ुको गु छ ब द ु(cluster point) या सघनन ब द ु(condensation point) या पुजं – ब द ु(accumulation point) भी कहत ेह। ट पणी: (i) कोई ब द ु xR कसी समु चय A का सीमा ब द ुनह ं होगा य द कम से कम एक

    वा त वक सं या >0 का अि त व हो ता क ((x– , x+ ) – {x}) A=

    (ii) प र मत समु चय का सीमा ब द ुनह ंहोता है। (iii) एक समु चय के अन त सीमा ब द ुहो सकत ेह।

    उदाहरण 1 : माना 1 |A n NN

    1 द शत क िजए 0R, A का सीमा ब द ुहै।

    हल : माना >0 कोई वा त वक सं या है। चू क वा त वक सं याओं का समु चय R एक आ क मडीय मत े है, इस लए येक >0 और ।R के लए nN व यमान होगी ता क

    n >।

    1n

    चू क 10n

    इस लए 1 ( , )n

    .

    अत: येक >0 के लए एक nN व यमान है ता क 1 ( , )n

    । अत: 0 समु चय A

    का सीमा ब द ुहै। यह समु चय म ैम व यमान नह ंहै। उदाहरण 2 : संवृ त अ तराल [a, b] का येक ब द ु [a, b] का सीमा ब द ु है। ववतृ अ तराल (a, b) के सीमा ब दओंु का समु चय [a, b] है। उदाहरण 3 : पणूाक के समु चय Z का कोई भी ब द ुइसका सीमा ब द ुनह ंहोता है य क

    य द a Z हो और 13

    हो तो a के तवेश 1 1,3 3

    a a म a को छो कर Z का कोई

    भी अवयव व यमान नह है।

  • 36

    उदाहरण 4 : वा त वक सं याओं के समु चय R का येक ब द ुR का सीमा ब द ुहोता है। प रमेय सं याओं के समु चय Q के सीमा ब दऔु ंका समु चय R होता है य क येक X R और येक 0 के लए ववतृ अ तराल ( , )x x म Q के अन त अवयव व यमान होत ेहै। मेय 1: य द कसी समु चय A R का सीमा ब द ुहो, तो स करो क के येक तवेश म A के अन त ब द ु व यमान ह गे।

    उपपि त : इस मेय को हम वरोधाभास व ध से स करगे। य द स भव हो तो माना क ब द ु का एक तवेश ( , ) है िजसम A के प र मत ब द ु व यमान है। माना

    1 2, ......., na a a समु चय A के n ब द ुह जो ( , ) म व यमान ह। माना | |; 1,2,..... |i ia i n पनु: माना यनूतम | 1,2,..... |i i n माना 0 तब ( , ) , का एक ऐसा तवेश है िजसम को छो कर समु चय A का कोई भी ब द ु व यमान नह ंहै। अत: समु चय A का सीमा ब द ुनह ंहै। यह एक वरोधाभास है य क हमने माना है क समु चय A का सीमा ब द.ु है। अत: य द कसी समु चय A का सीमा ब द ुहो तो

    के येक तवेश म A के अन त ब द ु व यमान ह गे। मेय 2 : वा जन वाइ ास मेय (Bolzano – Weierstrass Theoren) येक अप र मत प रब समु चय का कम से कम एक सीमा ब द ुहोता है।

    उपपि त : माना क E, R का अप र मत प रब उपसमु चय है। चू क E प रब है इस लए दो वा त वक सं याएँ a और b व यमान ह गी ता क

    a x b x E माना { | ,A xR x E के अ धक से अ धक प र मत अवयव से बड़ा है} चूँ क ,a t t E इस लए a, E के कसी भी अवयव से बड़ा नह ं है। समु चय A के प रभाषा के अनसुार a A अत: A, R का अ र त समु चय है। कसी वा त वक सं या

    0 के लए b b t t E , अथात ्b और b, E के अप र मत अवयव से बड़ ेह और इस लए ,b A b A

    ,x A x b A ऊपर से प रब है ।

    अत : A, R का ऊपर से प रब अ र त समु चय है। चूँ क R एक पणू मत े है और A इसका ऊपर से प रब अ र त समु चय है, इस लए A का उ चक (माना) R म व यमान होगा। अब हम स करगे क , E का सीमा ब द ुहै। चूँ क ,A का उ चक है, इस लए येक x A का अि त व होगा ता क

    | ,x x A x E के प र मत अवयव से ह बड़ा है। , E के कुछ प र मत अवयव से ह बड़ा है य क ( )x ।

  • 37

    E के केवल प र मत अवयव ह ( ) के वाम प म ह। E के अन त अवयव ( ) के द ण प म ह।....... (i)

    पनु: चूँ क ,A का उ चक है, इस लए येक 0 के लए A का द शत करता है क ( ), E के अन त अवयव से बड़ा है। अत: E के अन त अवयव ( ) के वाम प म है। (i) और (ii) के येक 0 के लए अ तराल अन त अवयव है। पर तु ( , ) का तवेश है, इस लए ,E का सीमा ब द ुहै। वमू यांकन न – 1

    1. य द { :E x x R } और0 1x , तो समु चय E के सीमा ब दओंु का समु चय ात क िजए।

    2. य द 1 1 2 2 3 31, 1, , , , , , .........2 2 3 3 4 4

    E

    ,तो E के सीमा ब दओंु का समु चय

    ात क िजए। 3. या समु चय मै {1,2,3,4,5,6,}A अपने कसी भी ब द ुका तवेश है।

    2.4 ववतृ समु चय (Open set) ववतृ समु चय को प रभा षत करने के पहले हम आ त रक ब द ु (Interior point) को प रभा षत करगे। माना A R , ब द ु x A समु चय A का आ त रक ब द ुकहलाता है य द एक वा त वक सं या 0 व यमान हो ता क ववतृ अ तराल ( , ) |x x A अथात ् ब द ु x समु चय A का आ त रक ब द ुकहलाता है य द A का एक – तवेश व यमान हो जो पणूत : A म अ त व ट हो। माना क A वा त वक सं याओं के समु चय R का उपसमु चय है। य द समु चय A का

    येक ब द ुA का आ त रक ब द ुहो, तो A को ववतृ समु चय कहत ेह। अथात ्A ववतृ समु चय कहलायेगा य द येक x A के लए एक वा त वक सं या 0 का अि त व हो ता क ( , ) |x x A उदाहरण 1 : येक ववतृ अ तराल एक ववतृ समु चय होता है। हल : माना (a, b) एक ववतृ अ तराल है। हम यह स करना है क यह एक ववतृ समु चय है। इसके लए हम स करगे क (a, b) का येक ब द ु(a, b) का आ त रक ब द ुहै। माना x ववतृ अ तराल (a, b) का कोई ब द ुहै। ( , )x a b a x b

    0x a तथा 0b x माना = यनूतम {( ),( )}x a b x

    प टत: 0 | एक धना मक वा त वक सं या का चयन इस कार कया क 0 | अब x का तवेश ( , )x x व यमान है ता क ( , ) ( , )x x a b इससे यह स हुआ x, (a, b) का आ त रक ब द ु है पर त ुx अ तराल (a, b) का कोई

  • 38

    ब द ु है, अत: ववतृ अ तराल (a, b) का येक ब द ुइसका आ त रक ब द ु है। फलत : येक ववतृ अ तराल (a, b) एक ववतृ समु चय है।

    उदाहरण 2 : संवृ त अ तराल [a, b] वकृत समु चय नह ं होता है य क , [ , ]a b a b पर त ुa और b संवृ त अ तराल [a, b] के आ त रक ब द ुनह ंहोत ेह। उदाहरण 3 : वा त वक सं याओं का समु चय R और र त समु चय ववतृ समु चय होते ह। हल : माना x कोई वा त वक सं या है। य द 0 कोई वा त वक सं या है तो x और x भी वा त वक सं याएँ होगी और वरत अ तराल ( , )x x R अत: x वा त वक सं याओं के समु चय R का आ त रक ब द ु है। पर त ुx, R का कोई ब द ु है। परंतु x, R का कोई ब द ुहै। अत: R का येक ब द ुR का आ त रक ब द ुहै। फलत: R एक ववतृ समु चय है। र त समु चय म कोई ऐसा ब द ुनह ं है जो क का आ त रक ब द ुन हो। अत: एक ववतृ समु चय है। उदाहरण 4 : प रमेय सं याओं का समु चय Q ववतृ समु चय नह ंहोता है य क य द x एक प रमेय सं या है और 0 कोई वा त वक सं या है तो x और x दो भ न वा त वक सं याय होगी। हम जानते ह क दो भ न वा त वक सं याओं के म य अन त प रमेय और अप रमेय सं याएँ व यमान होती ह। अत: ( , )x x Q फलत : x, Q का आ त रक ब द ुनह ंहै और इस लए Q ववतृ समु चय नह ंहै। मेय 3 :

    (i) ववतृ समु चय का वे छ संघ एक ववतृ समु चय होता है। (ii) ववतृ समु चय का येक प र मत सव न ठ नधारण एक ववतृ समु चय होता है। उपपि त : (i) माना क { | }iG i I ववतृ समु चय का वे छ सं ह है जहा ँI सचूांक समु चय है। हम

    स करना है क 1

    ii

    G भी एक ववतृ समु चय है। इसके लए स करगे क

    1i

    i

    G का

    येक ब द ुइसका आ त रक ब द ुहोगा। माना क 1

    i ii

    x G x G

    कसी j Iके लए। चूँ क jG एक ववतृ समु चय है और jx G ,तो एक वा त वक सं या 0 का अि त व होगा ता क

    1

    ( , ) j ii

    x x x G G

    1

    ( , ) ii

    x x x G

  • 39

    1

    , ii

    x G का आ त रक ब द ु है। पर त ु

    1

    , ii

    x G का कोई ब द ु है, इस लए

    1i

    i

    G

    का येक ब द ुइसका आ त रक ब द ुहोगा। फलत: 1

    ii

    G एक ववतृ समु चय है।

    (ii) { : 1,2,3,......., }iG i n ववतृ समु चय का प र मत सं ह है। हम स करना है क

    1

    n

    ii

    G भी एक ववतृ समु चय होगा। माना

    1

    ,n

    ii

    x G का कोई अवयव है। अब

    1

    1, 2,3,.....,n

    i ii

    x G G i n

    चूँ क iG येक 1,2,3,......,i n के लए ववतृ समु चय है, इस लए x येक

    1,2,3,......,i n के लए iG का आ त रक ब द ुहै। आ त रक ब द ुके प रभाषा के अनसुार , 0i ता क

    ( , ) 1,2,3,..... .i i ix x G i n

    माना क यनूतम { | 1,2,..... }i i n तब 0 ,एक धना मक वा त वक सं या का चयन इस कार कया क 0 | अब x का तवेश ( , )x x व यमान है ता क

    ( , ) ( , ) 1,2,3,..... .i i ix x x x G i n ( , ) 1,2,3,..... .ix x G i n

    1

    ( , )n

    ii

    x x G

    1

    ,n

    ii

    x G का आ त रक ब द ु है। पर त ु

    1

    ,n

    ii

    x G का कोई ब द ु है, इस लए

    1

    n

    ii

    G का येक ब द ु

    इसका आ त रक ब द ुहोगा। फलत: 1

    n

    ii

    G एक ववतृ समु चय है।

    ट पणी : ववतृ समु चय का वे छ सव न ठ नधारण सदैव ववतृ समु चय होता य क

    य द हम 1 1, :nG n Nn n

    ल तो येक nG एक ववतृ समु चय है पर त ु

  • 40

    1 1, {0}nn N n N

    Gn n

    जो क एक प र मत समु चय है और प र मत समु चय ववतृ समु चय नह ंहोता है। मेय 4 : वा त वक सं याओं के समु चय R का एक अ र त उपसमु चय A ववतृ है य द

    और केवल य द A को ववतृ अ तराल के संघ के प म लखा जा सके। उपपि त : सव थम माना क A एक ववतृ समु चय है। चूँ क A एक ववतृ समु चय है,

    येक a A ,समु चय A का आ त रक ब द ुहोगा। पनु: चूँ क ,a A A का आ त रक ब द ुहै, इस लए एक वा त वक सं या 0a का अि त व होगा ता क

    ( , )a aa a a A

    { } ( , )a aa A a A

    A a a a A

    ( , )a aa A

    A a a

    अत: य द A ववतृ समु चय है तो A को ववतृ अ तराल के संघ के प म लखा जा सकता है। वलोमत : माना क A को ववतृ अ तराल के संघ के प म लखा जा सकता है। हम स करना है क A एक ववतृ समु चय है। चूँ क येक ववतृ अ तराल एक ववतृ समु चय होता है और ववतृ समु चय का वेछ संघ भी ववतृ होता है, इस लए समु चय A ववतृ होगा।

    2.5 संवतृ समु चय (Closed set) संवतृ समु चय को प रभा षत करने के पहले हम कसी समु चय के यु प न समु चय (Derived set) को प रभा षत करगे। कसी समु चयF R के सम त सीमा ब दओंु के समु चय को F का यु प न समु चय कहत ेह। इसे सामा यतया 'F या D(F) से य त करत ेह। अत:

    ' { |F x R x समु चय F का सीमा ब द ुहै}। संवतृ समु चय क दो प रभाषाएँ ह. (i) माना .F R F संवतृ समु चय कहलाता है य द F का परूक अथात ् ( )R F ववतृ

    समु चय हो। (ii) F संवतृ समु चय कहलाता है य द F के सभी सीमा ब द ुF म व यमान ह । अत : एक

    समु चय F सवतृ है य द 'F F . उदाहरण 1 : R एव ं संवतृ समु चय ह य क R R एक ववतृ समु चय है और R R भी एक ववतृ समु चय है। अत: और R ऐसे समु चय ह जो क संवतृ एव ंववतृ दोन ह ह। उदाहरण 2 : येक संवतृ अ तराल [a, b] एक संवतृ समु चय होता है य क संवतृ अ तराल [a, b] के सम त सीमा ब दओंु का समु चय भी [a, b] ह होता है और

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    [ , ] [ , ] [ , ].( , )a b a b a b a b और (a, b) न तो संवतृ समु चय है और न ह वकृत समु चय ह। येक ववतृ अ तराल (a, b) संवतृ समु चय नह ं होता है य क ( , ) ' { , ] ( , )a b a b a b . उदाहरण 3 : प रमेय सं याओं का समु चय Q संवतृ समु चय नह ं होता है य क

    'Q R Q पणूाक का समु चय Z संवतृ समु चय है य क 'Z और Z येक प र मत समु चय A भी संवतृ समु चय होता है य क प र मत समु चय का कोई सीमा ब द ुनह ंहोता है अथात ् 'A और A . मेय – 5

    (i) संवतृ समु चय का वे छ