प्र -1-अ अपिठत गयांश को पढ़ कर प्रन के उर...

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(CLASS-7 TH HINDI ASSIGNMENT) (पठन भाग) -1--अपिठत गɮयांश को पढ़ कर æनɉ के उƣर िलिखए- काय का महǂव और उसकी सुंदरता उसके समय पर संपािदत िकए जाने पर ही है। अ×यंत सुघड़ता से िकया काय भी यिद आवæयकता के पूव पूरा हो सके तो उसका िकया जाना िनçफले ही होगा। िचिड़यɉ ɮवारा खेत चुग िलए जाने पर यिद रखवाला उसकी सुरा की åयवèथा करे तो सव उपहास का पा ही बनेगा। उसके देर से िकए गए उɮयम का कोई मूãय नहीं होगा। Įम का गौरव तभी है जब उसका लाभ िकसी को िमल सके । इसी कारण यिद बादलɉ ɮवारा बरसाया गया जल षक की फ़सल को फलने फू लने मɅ मदद नहीं कर सकता तो उसका बरसना åयथ ही है। अवसर-का सदुपयोग करने वाले åयित को इसी कारण पæचाताप करना पड़ता है। ) जीवन मɅ समय का महǂव यɉ है ? ) खेत का रखवाला उपहास का पा यɉ बनता है ? ) बादल का बरसना åयथ कब है ? ) गɮयांश का मुय भाव या है ? -मानव जाित को अÛय जीवधािरयɉ से अलग करके महǂव दान करने वाला जो एकमा गुǽ है , वह है उसकी िवचार- शित। मनुçय के पास बुिध है , िववेक है , तक शित है अथात उसके पास िवचारɉ की अमूãय पू ँजी है। अपने सिवचारɉ की नींव पर ही आज मानव ने अपनी Įेçठता की èथापना की है और मानवसßयता का िवशाल महल खड़ा -ि◌या है। यही कारण है ििवचारशील मनुçय के पास जब सिवचारɉ का अभाव रहता है तो उसका वह शूÛय मानस िवचारɉ से èत होकर एक कार से शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानवी बुिध जब सɮभावɉ से ेिरत होकर कãयाणकारी योजनाओं मɅ ƣ रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, िकं तु जब वहाँ िवचार अपना घर बना लेते हɇ तो उसकी पाशिवक िƣयाँ उस पर हावी हो उठती हɇ। िहंसा और पापाचार का दानवी सााÏय इस बात का ɮयोतक है िमानव की िवचारशित-, जो उसे पशु बनने से रोकती है , उसका साथ देती है। ) मानव जाित को महǂव देने मɅ िकसका योगदान है ? ) िवचारɉ की पू ँजी मɅ या शािमल नहीं है ? ) मानव मɅ पाशिवक िƣयाँ यɉ जाग होती हɇ ? ) मनुçय के पास बुिध है , िववेक है , तक शित हैउपयुत वाय मɅ िवशेषण चुिनए है | ) गɮयांश का उिचत शीषक िलिखए| 

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  • (CLASS-7TH HINDI ASSIGNMENT)

    (पठन भाग) प्र-1-अ-अपिठत ग यांश को पढ़ कर प्र न के उ र िलिखए-

    कायर् का मह व और उसकी सुंदरता उसके समय पर संपािदत िकए जाने पर ही है। अ यंत सुघड़ता से िकया हुआ कायर् भी यिद आव यकता के पूवर् न पूरा हो सके तो उसका िकया जाना िन फले ही होगा। िचिड़य वारा खेत चुग िलए जाने पर यिद रखवाला उसकी सरुक्षा की यव था करे तो सवर्त्र उपहास का पात्र ही बनेगा। उसके देर से िकए गए उ यम का कोई मू य नहीं होगा। म का गौरव तभी है जब उसका लाभ िकसी को िमल सके। इसी कारण यिद बादल वारा बरसाया गया जल कृषक की फ़सल को फलने फूलने म मदद नहीं कर सकता तो उसका बरसना यथर् ही है। अवसर-का सदपुयोग न करने वाले यिक्त को इसी कारण प चाताप करना पड़ता है।

    क) जीवन म समय का मह व क्य है? ख) खेत का रखवाला उपहास का पात्र क्य बनता है? ग) बादल का बरसना यथर् कब है? घ) ग यांश का मुख्य भाव क्या है? 

    ब-मानव जाित को अ य जीवधािरय से अलग करके मह व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गु है, वह है उसकी िवचार-शिक्त। मनु य के पास बुिध है, िववेक है, तकर् शिक्त है अथार्त उसके पास िवचार की अमू य पूँजी है। अपने सिवचार की नींव पर ही आज मानव ने अपनी े ठता की थापना की है और मानवस यता का िवशाल महल खड़ा क-ि◌या है। यही कारण है िक िवचारशील मनु य के पास जब सिवचार का अभाव रहता है तो उसका वह शू य मानस कुिवचार से ग्र त होकर एक प्रकार से शतैान के वशीभूत हो जाता है। मानवी बुिध जब स भाव से पे्रिरत होकर क याणकारी योजनाओं म प्रवृ रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, िकंतु जब वहाँ कुिवचार अपना घर बना लेते ह तो उसकी पाशिवक प्रविृ याँ उस पर हावी हो उठती ह। िहसंा और पापाचार का दानवी साम्रा य इस बात का योतक है िक मानव की िवचारशिक्त-, जो उसे पश ुबनने से रोकती है, उसका साथ देती है। क) मानव जाित को मह व देने म िकसका योगदान है? ख) िवचार की पूँजी म क्या शािमल नहीं है? ग) मानव म पाशिवक प्रविृ याँ क्य जागतृ होती ह? घ) “मनु य के पास बुिध है, िववेक है, तकर् शिक्त हैउपयुर्क्त वाक्य ’म िवशषेण चुिनए है| ङ) ग यांश का उिचत शीषर्क िलिखए| 

  • क-संसार म सबसे मू यावान व तु समय है क्य िक दिुनया की अिधकांश व तुओं को घटायाबढ़ाया जा सकता है-, पर समय का एक क्षण भी बढ़ा पाना यिक्त के बस म नहीं है। समय के बीत जाने पर यिक्त के पास पछताव ेके अलावा कुछ नहीं होता। िव याथीर् के िलए तो समय का और भी अिधक मह व है। िव याथीर् जीवन का उ दे य है िशक्षा प्रा त करना। समय के उपयोग से ही िशक्षा प्रा त की जा सकती है। जो िव याथीर् अपना बहुमू य समय खेलकूद-, मौजम ती -तथा आल य म खो देत ेह वे जीवन भर पछताते रहते ह, क्य िक वे अ छी िशक्षा प्रा त करने से वंिचत रह जाते ह और जीवन म उ नित नहीं कर पाते। मनु य का कतर् य है िक जो क्षण बीत गए ह, उनकी िचतंा करने के बजाय जो अब हमारे सामने ह, उसका सदपुयोग कर। क) समय को सबसे अमू य व तु क्य कहा गया है? ख) िव याथीर् जीवन का उ दे य क्या है? ग) िव याथीर् जीवन भर क्य पछताते रहते ह ? घ) संमय के संबंध म यिक्त का क्या कतर् य बताया गया है? ङ) उपयुर्क्त ग यांश का उपयुक्त शीषर्क सुझाइए|  प्र-2-अ-अपिठत ग यांश को पढ़ कर प्र न के उ र िलिखए:- हे मजूर, जो जेठ मास के इस िनधूम अनल म कमर्मग्न है अिवकल दग्ध हुआ पल -पल म ; यह मजूर, िजसके अंग पर िलपटी एक लगोटी; यह मजूर, जजर्र कुिटया म िजसकी वसुधा छोटी; िकस तप म त लीन यहाँ है भूख -यास को जीते , िकस कठोर साधन म इसके युग के युग ह बीते। िकतने महा महािधप आए, हुए िवलीन िक्षितज म, नहीं ि ट तक डाली इसने, िनिवर्कार यह िनज म। यह अिवकंप न जाने िकतने घंूट िपए ह िवष के, आज इसे देखा जब मने बात नहीं की इससे। अब ऐसा लगता है, इसके तप से िव व िवकल है, नया इंद्रपद इसके िहत ही िनि चत है िन संशय। 1-जेठ के महीने म अपने काम म लगा हुआ मजदरू क्या अनुभव कर रहा है? 1-जेठ के महीने म अपने काम म लगा हुआ मजदरू अपने काम म मग्न है। गरम मौसम भी उसके कायर् को बािधत नहीं कर रहा है। 2-उसकी दीनहीन दशा को किव ने िकस तरह प्र तुत िकया है-? 2- किव बताता है िक मजदरू की दशा खराब है। वह िसफर् एक लगोटी पहने हुए है। उसकी कुिटया टूटी फूटी है। वह पेट भरने भर भी नहीं कमा पाता है।

  • 3-उसका पूरा जीवन कैसे बीता है? उसने बडबेड़ ेलोग को भी अपना क ट क्य नहीं बताया-से-?

    3-मजदरू का पूरा जीवन तगंहाली म बीतता है। उसने बड़सेे बड़ ेलोग को भी अपना क ट नहीं बताया-, क्य िक वह अपने काम म त लीन रहता था। 4-आशय प ट कीिजए‘ :नया इंद्रपद इसके िहत ही िनि चत है िन संशय। ’

    4- इसका अथर् है िक मजदरू के कठोर तप से यह लगता है िक उसे नया इंद्रपद िमलेगा अथार्त ्किव को लगता है िक अब उसकी हालत म सुधार होगा।

    ब- ओ नए साल, कर कुछ कमाल, जाने वाले को जाने दे. िदल से अिभनंदन करते ह, कुछ नई उमंग आने दे। आने जाने से क्या डरना, ये मौसम आतेजाते ह-, तन झुलसे िशखर दपुहरी म कभी बादल भी छा जाते ह। इक वह मौसम भी आता है, जब प े भी िगर जाते ह, हर मौसम को मनमीत बना, नवगीत खशुी के गाने दे। जो भूल हुई जा भूल उसे, अब आगे भूल सुधार तो कर, बदले म यार िमलेगा भी, पहले और से यार तो कर, फूटगे यार के अंकुर भी, वह जमीं ज़रा तैयार तो कर, भले जीत का ज न मना, पर हार को भी वीकार तो कर, मत नफरत के शोले भड़का, बस गीत यार के गाने दे।

    1.का यांश का शीषर्क िलिखए। 1-का यांश का शीषर्क हैनए साल का अिभनंदन।-

    2.‘वह ज़मीं ज़रा तैयार तो कर’ पंिक्त म िनिहत अलकंार का नाम बताइए। 2-‘वह ज़मीं ज़रा तैयार तो कर’ पंिक्त म अनुप्रास अलकंार है।

    3.किव नए साल से क्या अपेक्षा रखता है? 3-किव नए साल से यह अपेक्षा रखता है िक वह कुछ िवशेष करे और सबके िलए नई उमगं लाए।

    4.‘आने-जाने से क्या डरना’ के मा यम से किव िकसके आने-जाने की बात कहता है? इसके िलए प्रकृित से िकन-िकन उदाहरण का सहरा लेता है ? 4-आने-जाने के मा यम से किव ने सखु और दखु के आने-जाने की बात कही है। इसके िलए उसने मौसम के बदलते रहने, दोपहरी म बादल छाने, पतझड़ के आने-जाने के उदाहरण का सहारा िलया है।

  • 5.किव ने किवता म मनु य के िलए जो सीख दी है, उसे प ट कीिजए। 5-किवता के मा यम से किव ने मनु य को सीख दी है िक (क) पीछे हो चुकी भलू का सधुार कर। (ख) दसूर से यार पाने के िलए उनसे यार कर। (ग) दखु और सखु को समान प से अपनाना सीख। (घ) घणृा फैलाना बंद करके पे्रम के गीत गाएँ।

    (लेखन भाग)

    1)समय का सदपुयोग :- 'समय' िनरंतर बीतता रहता है, कभी िकसी के िलए नहीं ठहरता। जो यिक्त समय के मोल को पहचानता है, वह अपने जीवन म सफलता प्रा त करता है। समय बीत जाने पर िकए गए कायर् का कोई फल प्रा त नहीं होता और प चाताप के अितिरक्त कुछ हाथ नहीं आता। जो िव याथीर् सबुह समय पर उठता है, अपने दैिनक कायर् समय पर करता है तथा समय पर सोता है, वही आगे चलकर सफल व उ नत यिक्त बन पाता है। जो यिक्त आलस म आकर समय गँवा देता है, उसका भिव य अधंकारमय हो जाता है। सतंकिव कबीरदास जी ने भी अपने दोहे म कहा है -

    ''काल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल म परल ैहोइगी, बहुिर करेगा कब।।''

    समय का एक-एक पल बहुत मू यवान है और बीता हुआ पल वापस लौटकर नहीं आता। इसिलए समय का मह व पहचानकर प्र येक िव याथीर् को िनयिमत प से अ ययन करना चािहए और अपने ल य की प्राि त करनी चािहए। जो समय बीत गया उस पर वतर्मान समय म सोच कर और अिधक समय बरबाद न करके आगे अपने कायर् पर िवचार कर-लेना ही बु िधमानी है।

    2-क यूटर एक जादईु िपटारा आज का युग िवज्ञान का युग है। वतर्मान समय म िवज्ञान ने हम क यूटर के प म एक अनमोल उपहार िदया है। आज जीवन के हर क्षेत्र म क यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनु य वारा पहले बड़ी किठनाई के साथ िकया जाता था, आज वही काम क यूटर वारा बड़ ेही आराम से िकये जा रहे ह। कं यूटर का उपयोग िदनो-िदन बढ़ता जा रहा है। क यूटर ने दिुनया को बहुत छोटा कर िदया है। इंटरनेट वारा गगूल, याहू एवं िबगं आिद वेबसाइट पर दिुनयाभर की जानकारी घर बैठे ही प्रा त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के वारा िव व म िकसी भी जगह बैठे यिक्त से सपंकर् िकया जा सकता है। इसके िलए केवल ई-

  • मेल अकाउंट और पासवडर् का होना आव यक होता है। क यूटर मनोरंजन का भी मह वपूणर् साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते ह। कुल िमलकर कह तो क यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना िदया है। क यूटर सचमचु एक जादईु िपटारा है।

    3-हमारी निदयाँ:-

    भारत म निदय को पिवत्र माना जाता है। गगंा, यमनुा, गडंक और कोशी समेत सभी निदयाँ पिवत्र होने के साथ ही बहुत मददगार भी ह क्य िक देशभर म यह कृिष और दसुरे काय के िलए जल प्रदान करती ह। भारतवासी निदय को मिंदर मानते ह और इसे माँ कहके भी पुकारते ह।

    भारतीय निदय से पे्ररणा लेकर कई ने किवय , सतं और दाशर्िनक ने कायर् िकये है। इलाहाबाद म ित्रवेणी सगंम एक यारा थान है लेिकन, इससे भी अिधक, यह एक पिवत्र थान है। कोई आ चयर् नहीं, पुराने और सतं के िवचारक इन निदय के िकनारे रहते और मर जाते थे।

    एक माँ, िजसे हम जानते ह, उसे अपने ब च के िलए दःुख भगुतना पड़ता है। हमारी निदय का भी यही हाल है। हमारी सभी बड़ी निदयाँ िकसी न िकसी पहाड़ी या पहाड़ पर पैदा होती ह। उ ह बफर् या बािरश या दोन से पानी िमलता है। तो, िसधंु, गगंा, कोसी, नमर्दा और कावेरी पूरे साल बहती ह। अ य निदयाँ केवल बािरश के दौरान पैदा होती ह। इसिलए, वे गिमर्य म सखू जाती ह।इस तरह, हमारी निदयाँ साधारण पानी – बफर् का पानी और बािरश के पानी से बनती ह। लेिकन जो पानी वे हम देते ह वह जीवन का पानी है:

    वे हमारे खेत और जंगल को वा य देती ह। वह हमारी िम टी का भोजन है। भूिम का एक बंजर टुकड़ा एक सुंदर बगीचे म बदल जाता है यिद वहां पानी की भरपूर मात्रा उपल ध होती है।

    वे न केवल हमारी भूिम और पौध को, बि क हमारी िमल और कारखान की भी मदद करती ह। नदी के पानी को िबजली नामक एक नई शिक्त म बदल िदया जाता है, और इस प्रकार, हमारे यापार और उ योग म मदद िमलती है।बड़ी संख्या म भारतीय शहर जैसे नई िद ली, कोलकाता, इलाहाबाद, आगरा आिद निदय के िकनारे ि थत ह। भारतीय निदयाँ िकतनी महान ह !उनका सफर िकतना किठन है !लेिकन वे इसे िब कुल भी बुरा नहीं मानते।

    ( िनबधं ) 1- ीकृ ण ज मा टमी प्र तावना- जब ससंार म पाप, अ याचार, वेष और घणृा बढ़ जाते ह, धमर् का नाश होने लगता है, स जन और दीन दिुखय को सताया जाने लगता है, तब इस ससंार की महान शिक्त अवतार लेती है और धमर् की थापना करती है। कृ ण ने भी इस धरती पर तभी अवतार िलया था जब कंस के अ याचार बहुत बढ़ गए थे और दीन

  • दिुखय को सताया जाने लगा था। ीकृ ण का ज म- ीकृ ण का ज म भाद्रपद म कृ ण अ टमी को रात के बारह बजे हुआ था। इनके िपता का नाम वासदेुव और माता का नाम देवकी था।

    पौरािणक कथा- देवकी कंस की बहन थी। कंस मथुरा का राजा था। वह बहुत अ याचारी था। जब वह अपनी बहन देवकी को िववाह के बाद उसकी ससरुाल रथ पर लेकर जा रहा था तब आकाशवाणी हुई। िजस बहन को तुम इतने यार से िवदा कर रहे थे, उसकी आठवीं सतंान तु हारी मृ य ुका कारण बनेगी। यह भिव यवाणी सनुकर कंस घबरा गया। उसने अपनी बहन को कारावास म ब द कर िदया। देवकी के सात पुत्र हुए, िक तु कंस ने उनके पुत्र को पटक पटक कर मार डाला। आठव पुत्र का जब ज म हुआ तब जेल के पहरेदार सब सोए हुए थे। वसदेुव अपने ब चे को लेकर गोकुल म नंद के घर छोड़ आए और उसकी लड़की को लेकर लौट आए। प्रातः काल होने पर वसदेुव ने इस क या को कंस को स प िदया। कंस ने जसेै ही उसे प थर पर पटका, वह उड़कर आकाश म चली गई। उड़ते उड़ते उसने कहा िक तेरा मारने वाला अभी जीिवत है। वह गोकुल पहँुच गया है।कंस की घबराहट- यह आकाशवाणी सनुकर कंस घबरा गया। उसने कृ ण को मारने के िलए कई ष य त्र रचे। पूतना, वकासरु आिद अनेक राक्षस को कृ ण को मारने के िलए भेजा पर कोई भी ीकृ ण को मार नहीं पाया। ीकृ ण ने सभी की ह या कर दी।

    ीकृ ण की बाल लीला- ीकृ ण ने गोकुल म रहकर अनेक बाल लीलाएँ कीं। वे िमत्र के साथ गोएँ चराने जाते थे। गोकुल के सभी नर नारी उससे यार करते थे। वह भी सब की सहायता करने को तैयार रहते थे। गद का खेल उ ह बहुत िप्रय था। उ ह ने कािलम नामक राक्षस को मारकर लोग को भय मकु्त िकया। इ द ुके घमडं को चूर िकया। बड़ी बड़ी िवपि य से ब्रज को बचाया।

    ज मा टमी मनाने का ढंग- ज मा टमी के योहार को मनाने का ढंग सरल और रोचक है। इस योहार को मनाने के िलए सभी धाल ुभक्त सवेरे सवेरे अपने घर की सफाई करके उसे सजाते ह। कई लोग इस िदन वत भी रखते ह। वे ीकृ ण की लीला का गान करते ह और ीकृ ण कीतर्न करते ह। राित्र के बारह बजे ीकृ ण का ज म मनाया जाता है। तभी पूजा तथा आरती कर भक्त जन अपना त तोड़ते ह।

    मि दर के य- सभी मि दर म ीकृ ण ज मा टमी बड़ ेधूम धाम से मनाई जाती है। ीकृ ण अपने िमत्र के साथ कैसे गौएँ चराने जाते थे। गोिपयाँ उ ह िकतना यार करती थीं। उनकी बाँसरुी की धुन को सनुने के िलए वे सारा काम काज छोड़कर भाग खड़ी होती थीं। इस प्रकार की िक्रयाओं की झाँिकयाँ इस िदन प्राय सभी मि दर म िदखाई जाती ह। मथुरा वृ दावन तथा ब्रज के अ य नगर और गाँव म यह योहार बड़ ेही उ साह के साथ मनाया जाता है। उपसहंार- ीकृ ण ज मा टमी के पवर् से हम यह सदेंह िमलता है िक पाप का नाश अव यमेव होता है। जब जब ससंार म क ट बढ़ते ह, पाप, अनाचार और भ्र टाचार बढ़ता है उसे समा त करने के िलए कोई न कोई महान शिक्त भी अव य ज म लेती है। इसिलए मनु य को सदा स कमर् म लगे रहना चािहए।

  • 2-हमारे पेड़-पौधे :- पेड़ प्रकृित की वो देन है िजसका कोई िवक प उपल ध नहीं है। पेड़ हमारा सबसे घिन ठ िमत्र है। हमारे वारा लगाया गया पेड़ िसफर् हम ही लाभ नहीं पहँुचाता बि क आने वाली कई पीिढ़य को लाभ पहँुचाता है।हवा, पानी, खाने-पीने की सामग्री, ईंधन, व त्र, जानवर का चारा अ य काय म प्रयोग करने के िलए लकड़ी सब हम पेड़ से ही िमलता है। पेड़ पयार्वरण से काबर्न डाईऑक्साईड लेकर बदले म ऑक्सीजन देते ह।पेड़ पर कई जीव-ज तु अपना घर बनाते ह। यिद पेड़ न ह तो हम इन सब चीज की क पना तक नहीं कर सकते।लेिकन क्या मनु य इस प्राकृितक ससंाधन से अपना लाभ लेना ही जानता है या वह इसके सरंक्षण और सवं र्धन की और भी जाग क है? वतर्मान की ि थित देखकर ऐसा लगता है िक हम पेड़ को बचाना तो चाहते ह पर शायद उतना प्रयास नहीं कर पा रहे ह िजतना आव यक है। ऐसी पिरि थित धीरे-धीरे प्रकृित का सतंुलन िबगड़ता जायेगा और हम प्रकृित की इस अमू य स पदा को धीरे-धीरे अ य प्रजाितय को लु त कर दगे। इस प्रकार इस धरती पर न जीवन होगा न जीव। अतः हम चािहये िक हमारे आसपास हम िजतनी भी खाली भिूम िदखाई दे हम वहाँ पौधारोपण कर और कुछ न अपने घर म गमल म ही इस अमू य धरोहर को सरंिक्षत कर। यिद यह छोटा सा कदम हर यिक्त उठायेगा तो यह धरती और धरती पर जीवन सब खुशहाल रहेगा।

    3-िवज्ञान के चमा कार-

    िवज्ञान हर नए अनुसधंान के साथ मानव जीवन को अिधक सरल बनाता चला जा रहा है। आज िवज्ञान के बढ़ते चहंुओर िवकास के कारण मानव दिुनया के हर क्षेत्र म अग्रसर िदखाई दे रहा है। मानव ने िवज्ञान की सहायता से पृ वी पर उपल ध हर चीज को अपने काबू म कर िलया है। िवज्ञान की सहायता से हम ऊंचे आसमान म उड़ सकते ह व गहरे पानी म सांस ले सकते ह। िवज्ञान के बढ़ते हुए िवकास के कारण ही हम चंद्रमा से लेकर मगंल ग्रह म पहंुच पाए ह। हाल ही म भारत के मगंलयान का सफलता पूवर्क मगंल की कक्षा म पहंुचना मानव की िवज्ञान के क्षेत्र म बढ़ रही प्रगित का उदाहरण है। पुरातन काल म जो चीज असभंव सी प्रतीत होती थी। िवज्ञान के बढ़ते उपयोग के कारण अब वह साधारण सी महससू होती ह। िचिक सा के क्षेत्र म : िवज्ञान के नए नए शोध के चलते मानव हर िदन एक नई मसुीबत से छुटकारा पा लेता है। 20 साल पहले मलेिरया जहां जानलेवा बीमारी मानी जाया करती अब िवज्ञान की प्रगित के साथ मलेिरया एक आम बीमार बनकर रह गई ह। िवज्ञान ने िचिक सा यव था म बहुत प्रगित कर ली है। िपछले साल से लाइलाज बीमारी मानी जा रही ए स पर भी वैज्ञािनक ने धीरे-धीरे पकड़ बनाना शु कर िदया है। माना जा रहा है िक नई िचिक सा प यित के चलते अब ए स की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है। और माना जा रहा है िक िनकट भिव य म इस जानलेवा बीमारी का जड़ से खा मा हो जाएगा। यातायात के क्षेत्र म : आज िवज्ञान यातायात के क्षेत्र म िदन दनूा और रात चौगनुा तरक्की कर रहा है। कहां पहले एक जगह से दसूरे जगह जाने के िलए िदन लग जाते थे। अब हवाई जहाज और तेज र तार की टे्रन

  • के दौर म पलक झपकते एक जगह से दसूरी जगह पहंुचा जा सकता है। जहां पहले आम लोग के िलए यादा िकराया होने हवाई यात्रा करना मात्र एक सपना हुआ करता था। आज बदलते दौर के साथ आम लोग

    भी हवाई यात्रा का िकराया वहन कर पाते ह और हवाई यात्रा का आनंद उठा पाते ह। िपछले दस साल म भारत के लगभग हर घर म कार पहंुच गई है जो िवज्ञान की प्रगित को सीधे तौर पर बयां करती है। सचंार के क्षेत्र म : ऑनलाइन यूजपेपर, ऑनलाइन यूजसाइट पर एक िक्लक पर खबर का ससंार मौजदू है। वै वीकरण के इस दौर म दिुनया के च पे-च पे की खबर हम अपने मोबाइल की एक बटन दबाते ही जान लेते ह। फेसबुक, िवटर, वा सऐप के सहारे चाहे हम अपने सगे सबंंिधय से िकतने ही दरू क्य न ह । पर इन सबके मा यम से अब हम उनसे 24 घंटे जड़ु ेरह सकते ह। उपसहंार : इस प्रकार िवज्ञान के िनत नए अिव कार हमारे जीवन म रोज चम कार उ प न कर रहे ह। हर िदन एक नई खोज, नए उ पाद से हमारा पिरचय होता है जो हमारे जीवन की जिटलता को सरल बना रहे ह।

    ( पत्र-लेखन ) औपचािरक पत्र,:- 1-दीदी या बहन की शादी पर अवकाश के िलए आवेदन पत्र या प्राथर्ना पत्र सेवा म, प्रधानाचायर् मोहदय, 1िह दी कूल भुवने वर (ओिडशा) िदनांक – 15/09/20** िवषय – बहन की शादी के िलए अवकाश प्रदान हेतु प्राथर्ना पत्र महोदय, सिवनय िनवेदन है िक म आपके िव यालय के कक्षा 7 का िव याथीर् हँू। मेरे घर म मेरे बहन की शादी है िजसकी िदनांक 10/09/20** है , िजसका सारा कायर् भार मझु ेही सभंालना है क्य िक म ैअपने िपता का इकलौता पुत्र हु और मेरे िपता जी की तिबयत खराब है इसी कारण मुझ े10/09/20**से 11/09/20** तक का अवकाश चािहए। अतः मझु ेअवकाश प्रदान करने की कृपा कर , इसके िलए म आपका आभारी रहंुगा। सध यवाद,

    अ.ब.क.

     

     

  • 2- प्रधानाचायर् को पत्र िलिखए िजसम पु तकालय म कुछ और िहदंी पित्रकाएँ मँगवाने के िलए िनवेदन िकया गया हो।

    सेवा म प्रधानाचायर् ……….. िव यालय ……….. नई िद ली । िवषय – पु तकालय म िहदंी पित्रकाएँ मँगवाने हेतु।। महाशय िनवेदन है िक हमारे िव यालय के पु तकालय म ज्ञान-िवज्ञान व खेल सबंंधी िहदंी की पित्रकाओं का अभाव है। यहाँ पर अगें्रज़ी की अनेक पित्रकाएँ आती ह लेिकन कई ब चे अगें्रज़ी नहीं समझते। अतः आप से अनुरोध है िक पु तकालय म िक्रकेट सम्राट, प्रितयोिगता दपर्ण, िवज्ञान प्रगित, नदंन आिद िहदंी की पित्रकाएँ िनयिमत प से मँगवाई जाएँ, तािक अिधक से अिधक छात्र ज्ञान छात्र ज्ञान ग्रहण कर सक। आशा है आप मेरी माँग पूरी करगे। ध यवाद भवदीय क ख ग िदनांक ……

    3--टीसी िनकलवाने के िलए पत्र :

    सेवा म, ीमान प्रधानाचायर् जी,

    राजकीय सह िशक्षा उ च मा यिमक िव यालय, उ म नगर, नई िद ली – 110057, िवषय :- टीसी िनकलवाने की प्राथर्ना महोदय, सिवनय िनवेदन यह है िक म आपके िव यालय का ही छात्र हँू। म आपके िव यालय की कक्षा 9 के बी वगर् म पढ़ता हंू। बीते िदन मेरे िपताजी का ट्रा सफर उ र प्रदेश के कानपुर िजले म हो गया, िजस कारण हम सपिरवार वहां पलाियत होना पड़ रहा है। ीमान मझु ेआगे की पढ़ाई अब वहीं से करनी होगी क्यूंिक म यहां पर अकेले नहीं रह सकता। ीमान आप जानते है िक वहां पर दािखला लेने के िलए मेरे पास टीसी (ट्रा सफर

  • सिटर्िफकेट) का होना अिनवायर् है। िबना टीसी के मझु ेिकसी भी कूल म दािखला नहीं िमलेगा। कृपया मझु ेटीसी देने की कृपा कर। म आपका आजीवन आभारी रहँूगा। बहुत बहुत ध यवाद। आपका आदरणीय छात्र 4 -“ ट्रीट लाइट की सम या” िवषय पर सपंादक को एक पत्र िलख.

    सेवा म सपंादक महोदय श स ह दैिनक नई िद ली -110077

    िवषय: ट्रीट लाइट की सम या

    आपके प्रिति ठत अखबार के स मािनत मचं के मा यम से, म आपके क्षेत्र म ट्रीट लाइट की सम या की ओर आपका यान आकिषर्त करना चाहंूगा।

    हमने ख़राब ट्रीट लाइट के बारे म कई बार िशकायत की है लेिकन कोई फायदा नहीं हुआ। इसके कारण लोग को काफी मिु कल का सामना करना पड़ रहा है। रात म सड़क के सकेंत पूरी तरह से अ य हो जाते ह। पीड बे्रकर, ग ढे और मनैहोल प ट प से िदखाई नहीं देते ह, िजससे हमारे क्षेत्र म घातक दघुर्टनाओं का खतरा अिधक होता है। इससे नागिरक के जीवन को भारी खतरा है। यहाँ शाम के बाद बहुत अधेंरा और असरुिक्षत माहौल हो जाता है।

    अधेंरा होने के बाद मिहलाएं और ब चे अपने घर से बाहर िनकलने से डरते ह। सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से प्रभावहीन ह। चोरी की घटनाएँ असमान प से बढ़ रही ह। असामािजक त व को अपनी गितिविधय को अजंाम देने के िलए प्रो साहन िमल रहा है और इस िवषय पर िकसी का यान नहीं जा रहा है। यह वा तव म नागिरक म भय की भावना को बढ़ा रहा है। अपहरणकतार् ऐसे क्षेत्र को उनके अपिवत्र कृ य के िलए अनुकूल पाते ह।इस खतरे को रोकने के िलए त काल कारर्वाई की ज रत है। यह पूरी तरह से समाज के कानून और यव था को ठ प कर रहा है. इस गभंीर सम या का सजं्ञान लेने का अनुरोध है। ट्रीट लाइट का रखरखाव हमारे सचुा और सरुिक्षत जीवन के िलए त काल आव यक है।

    हम इस मामले म आपके समथर्न की बहुत सराहना करगे।

    ध यवाद, भवदीय

  • अनौपचािरक-पत्र-:-

    5-अपने छोटे भाई नरेश को एक पत्र िलख िजसम कई िवक प प्र न के िलए कं यूटर आधािरत परीक्षाओं के परीक्षण के िविभ न लाभ और किमय को उजागर कर।

    अ ब स अपाटर्मट लोधी रोड नई िद ली 29 िसतंबर, 20** िप्रय नरेश यहाँ सब कुशल मगंल ह , आशा करती हँू वहां भी सब प्रस नता पूवर्क ह गे. मझु ेपता चला िक आपकी SSC CGL / CHSL परीक्षा होने जा रही है और आप इसे उ ीणर् करने के िलए अपना सवर् े ठ दे रहे ह। कं यूटर आधािरत परीक्षा के बारे म कुछ बात ह जो म आपको बताना चाहंूगी। इसने छात्र के िलए िकए गए ‘प्र न की सखं्या’, ‘दौरा िकया या नहीं’, ‘प्र न हल िकया या नहीं’, का लेखा-जोखा रखना बहुत आसान बना िदया है। वहाँ क्रीन पर एक प्र न पैलेट है जो हर समय िदखाई देता है और आपको एक से दसूरे भाग म नेिवगेट करने म मदद करता है। घडी बचे हुए समय को िनरंतर िदखाती रहती है.

    लेिकन चूंिक पैटनर् नया है, इसिलए लोग इससे अ य त होने म कुछ मु द का सामना कर रहे ह। साइन इन करते समय पयार् त सावधानी बरत। यिद आपको ऐसा करने म िकसी भी सम या का सामना करना पड़ता है, तो प्रवेशकतार् की त काल सहायता ले. आपकी परीक्षा शु होने के बाद कीबोडर् पर कोई भी कंुजी न दबाएँ। यिद आपका पी सी अचानक काम करना बंद कर देता है, तो िजतनी ज दी हो सके वहां सिूचत कर और घबराएं ना. दसूर को परेशान न करने की कोिशश कर और न ही िकसी से िवचिलत ह । ऑनलाइन परीक्षाओं के दौरान समय िकंग मेकर है। इसे बबार्द मत करो।

    आपकी परीक्षा के िलए शुभकामनाएँ।

    तु हारा यारी बहन सीमा

  • 6-अपनी बेटी को उसकी शैक्षिणक सफलता पर बधाई देने के िलए एक पत्र िलख। अ ब स अपाटर्मट लोधी रोड नई िद ली 29 िसतंबर, 20** िप्रय गुजंन यहाँ सब कुशल मगंल ह , आशा करती हँू वहां भी सब प्रस नता पूवर्क ह गे.

    मझु ेहाल ही म आपके अिंतम वषर् के पिरणाम के बारे म पता चला। आपके िपताजी ने मझु ेबताया िक आपने पूरे िव विव यालय म पहला थान प्रा त िकया है। आपने एक बार िफर हम सबको गौरवाि वत िकया है। यह उ थान और उ सव का क्षण है। म आपको आपकी सफलता पर बधाई देती हंू। आप की मेहनत रंग लायी है।

    िजस तरह से आपने िदन-रात एक िकया, मझु ेपहले से ही भरोसा था िक आप बेहतरीन प्रदशर्न करगी। आपकी सफलता आपके छोटे भाई के िलए पे्ररणा है। वह आपको यिक्तगत प से भी बधाई देना चाहता है। आपकी दादी गाँव के िलए िनकलने से पहले आपसे िमलना और आशीवार्द देना चाहती थी। हम आपके छात्रावास की यात्रा करने की योजना बना रहे ह। हम अपने कायर्क्रम के बारे म सिूचत कर। और सफलता की नई ऊंचाइय को छूते रह। हमारी शुभकामनाएं और आशीवार्द हमेशा आपके साथ है।

    तुमसे ज द िमलने की आशा करती हँू।

    तु हारी माँ

    7-आपको एक अ छा इंसान बनाने के िलए अपने पुराने कूल िशक्षक को ध यवाद देने के िलए एक पत्र िलख।

    अ ब स अपाटर्मट लोधी रोड नई िद ली 29 िसतंबर, 20**

    आदरणीय अ यािपका जी,

  • हम लबें समय से सपंकर् म नहीं ह। यहाँ सब कुशल मगंल ह , आशा करती हँू वहां भी सब प्रस नता पूवर्क ह गे.

    िशक्षक िदवस के इस खूबसरूत अवसर पर, म आपके अपार योगदान के िलए आभार यक्त करना चाहती हंू। माता-िपता के साथ, िशक्षक जीवन के मागर्दशर्क ह। िजस तरह से आपने हमारे यिक्त व को आकार िदया है वह हमारी सफलता के पीछे का कारण है। हमारे कूल के िदन म आपके वारा िकए गए ईमानदार प्रयास के कारण हम सफल ह।

    आप जसेै िशक्षक को ढंूढना मिु कल है। आपने हम िसफर् िसलेबस ही नहीं िसखाया, आपने हम जीवन के िलए तैयार िकया। आपके ज्ञान के श द अभी भी हमारे कान म जोर से और प ट प से गूजंते ह। हम आपकी माँ की तरह देखभाल और िशक्षक की तरह यान देने के िलए ध यवाद करते ह। म आपको बताना चाहती हंू, िक जब हमारी कक्षा म आपका प्रित थापन होता था, तो छात्र बहुत खुश होते थे। आपने हमारे साथ एक िमत्र की तरह यवहार िकया जो हम आपके और करीब लाया। बैचमेट एक पुनिमर्लन की योजना बना रहे ह, सभी आप से और पूरे टाफ से िमलने के िलए उ सकु ह।

    आप से ज द िमलने की आशा करती हँू।

    आपकी िश य

    ( सािह य भाग ) *-अित लघु प्र न उ र- 

    1-कनक कटोरी मदैा िकसका प्रतीक है? 

    उ र-पराधीन जीवन का| 

    2-पिक्षय का क्या अरमान था? 

    उ र-खुले आकाश म दरू दरू तक उड़ना पिक्षय का अरमान था| 

    4- खाक अपनी कमजोरी िकसे मानता है? 

    उ र-लेखक बीस वषर् का होने पर भी जऱा सी परेशानी से घबरा जाने को अपनी कमजोरी मानता है | 

    5-लेखक िक उम्र िकतनी लगती है? 

  • उ र-बीस साल से अिधक | 

    6-दादीजी के आंचल िक गाँठ म क्या बंधा है? 

    उ र-दादीजी के आँचल िक गाँठ म िम टी बंधी है| 

    7-लेखक ने िहमालय िक बेटी िक ह कहा है? 

    उ र-िहमालय से िनकलने वाली निदय को लेखक ने अपनी बेटी कहा है| 

    8-मदैानी भाग म निदयाँ कैसी िदखती है? 

    उ र-मदैानी भाग म निदयाँ बड़ी शांत,गभंीर और अपने म खोई हुई िदखती है| 

    9-िहमालय के जगंल म मखु्यता कौन कौन से वकृ्ष है? 

    उ र-िहमालय के जगंल म साग,सगोन ,देवदार,चीड,सफेदा ,केर,िचनार के वकृ्ष है| 

    10-कठपुतली को गु सा क्य आया? 

    उ र-कठपुतली को अपनी पराधीनता पर गु सा आया| 

    11-कठपुतली को अपने पाँव पर खड़ ेहोने की इ छा है,पर वः खडी नही हो पा रही? 

    उ र-क्य िक कठपुतली धाग से बंधी है इसिलए वह चाह कर भी अपने पाँव पर खडी नही हो पा रही | 

    12-िमठाई वाला महीन बाद क्य आया? 

    उ र-ब च म उ सकुता बनाये रखने के िलए िमठाई वाला महीन बाद आया| 

    13-िद या को डाक्टर के पास क्य ले जाना पड़ा ? 

    उ र-कुछ िदन से िद या को थकान लग रही थी ,इसिलए उसे डाक्टर के पास ले जाना पडा| 

    14-डाक्टर ने िद या िक िरपोटर् के बारे म अिनल से क्या कहा? 

    उ र-डाक्टर ने िद या िक िरपोटर् के बारे म अिनल को बताया िक िद या को अिनमीया है | 

    15-लाल क् कर् न िकस आकार के होता है? 

    उ र-बालशूाही के आकार के होते है| 

    *-लघु प्र न उ र- 1-हर तरह की सुख सुिवधाएँ पाकर भी पक्षी िपजंरे म बंद क्य नहीं रहना चाहते ? 

  • उ र-पक्षी के पास वो सारी सुख सुिवधाएँ ह, जो उनके जीवन के िलए आव यक है। पर तु वह वत त्रता नहीं है, जो उ ह िप्रय ह◌ं। वे इस खुले आकाश म आज़ादीपूवर्क उड़ना चाहते ह। इस प्रकार की उड़ान उनम नई उमंग व प्रस नता भर देती है, जो िपजंरे की सुखसुिवधाएँ नहीं दे सकती है। इसिलए हर तरह की सुख -सुिवधाएँ पाकर भी पक्षी िपजंरे म बंद नहीं रहना चाहते ह।

    2-पक्षी उ मुक्त रहकर अपनी कौन कौन सी इ छाएँ पूरी करना चाहते ह-?

    उ र-पक्षी उ मुक्त रहकर जंगल की कड़वी िनबौरी खाना चाहते ह, प्रकृित के सु दर प का आन द लेना चाहते ह, खुले नीले आकाश म उ मुक्त उड़ान भरना चाहते ह। वे निदय का शीतल जल पीना चाहते ह, वे तो िक्षितज के अ त तक उड़कर जाना चाहते ह। इसके िलए उनको अपने प्राण की भी िच ता नहीं है।

    3-लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथिकन बात की याद आ जाती है-साथ बचपन की और िकन-? उ र-जब लेखक को मालूम हुआ िक दादी माँ की मृ यु हो गई है तो उसके सामने दादी माँ की सभी याद सजीव हो उठीं। साथ ही उसे अपने बचपन की मिृतयाँगंधपूणर् झागभरे जलाशय म कूदना-, बीमार होने पर दादी का िदनरात -सेवा करना, िकशन भैया की शादी पर औरत वारा गाए जाने वाले गीत और अिभनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़ ेजाना, रामी चाची की घटना आिद भी याद आ जाती ह।

    4-दादा की मृ यु के बाद लेखक के घर की आिथर्क ि थित खराब क्य हो गई थी? उ रदादा की मृ यु के बाद लेखक के घर की आिथर्क ि थित खराब हो गई-, क्य िक कपटी िमत्र एवं शभुिचतंक की बाढ़ आ गई । इन गलत िमत्र की संगित ने सारा धन न ट कर डाला। इसके अलावा दादा के ा ध म भी दादी माँ के मना करने के बावजूद लेखक के िपता जी ने बेिहसाब दौलत यथर् की। यह संपि घर की नहीं थी, कजर् म ली गई थी। दादी माँ के मना करने के बावजूद उ ह ने नहीं माना िजससे घर की माली हालत डाँवाडोल हो गई।

    5-निदय को माँ मानने की पर परा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेिकन लेखक नागाजुर्न उ ह और िकन प म देखते ह?

    उ र:- निदय को माँ मानने की परंपरा भारतीय सं कृित म अ यंत पुरानी है। निदय को माँ का व प तो माना ही गया है लेिकन लेखक नागाजुर्न ने उ ह बेिटय , पे्रयसी व बहन के प म भी देखते है। 6-िहमालय की यात्रा म लेखक ने िकनिकन की प्रशंसा की है-? उ र:- िहमालय की यात्रा म लेखक ने िहमालय की अनुपम छटा की, निदय की अठखेिलय की, बरफ से ढँकी पहािड़य की, पेड़-पौध से भरी घािटय की, देवदार, चीड, सरो, िचनार, सफैदा, कैल से भरे जगंल की प्रशंसा की है। 7- लडबक म रक्तदान से क्या लाभ ह-? उ र:- लड-बक म दान िकये गए रक्त को आपातकालीन ि थित के िलए सरुिक्षत रखा जाता है। िकसी भी यिक्त को रक्त की आव यकता पड़ ेतो उसके िलए िकसी भी रक्त-समहू का रक्त लड-बक से िलया जा सकता है। इससे मरीज़ की जान बच सकती है। 8 -साँस लेने पर साफ़ हवा से ऑक्सीजन प्रा त होती है, उसे शरीर के हर िह से िन न म से कौन पहँुचाता है?सफ़ेद कण, लालकण, साँस नाली, फेफड़ े

  • उ र:- साँस लेने पर शु ध वायु से जो ऑक्सीजन प्रा त होती है, उसे हर िह से म लाल रक्त कण पहँुचाते ह। 9-रक्त म हीमोग्लोिबन के िलए िकस खिनज की आव यकता पड़ती है ज ता –, शीशा, लोहा, लिैटनम उ र:- रक्त म हीमोग्लोिबन के िलए लोहा खिनज की आव यकता पड़ती है। 10-िब बाण ुटाइफायड – की कमी िकस बीमारी म पाई जाती है ( लेटलटै कण), मलेिरया, डग,ू फाइलेिरया उ र:- िब बाण ु( लेटलटै कण) की कमी डग ूबीमारी म पाई जाती है। *-दीघर् प्र न उ र- 

    1-भाव प ट कीिजए –“या तो िक्षितज िमलन बन जाता”या तनती साँस की डोरी।/ उ र-: प्र तुत पंिक्त का भाव यह है िक पक्षी िक्षितज के अतं तक जाने की चाह रखते ह, जो िक ममुिकन नहीं है पर तु िफर भी िक्षितज को पाने के िलए पक्षी िकसी भी ि थित का सामना करने के िलए तैयार है यहाँ तक िक वे इसके िलए अपने प्राण को भी योछावर कर सकते ह।

    2-क्या आपने या आपकी जानकारी म िकसी ने कभी कोई पक्षी पाला? उसकी देखरेख िकस प्रकार की जाती होगी, िलिखए। उ र:- एक बार एक घायल कबूतर हमारे घर आ गया। िजसकी हमने देखभाल की और उसके ठीक होने के बाद वह हमारे साथ ही रहने लगा। सब घरवाल के िलए वह कौतूहल का िवषय बन गया था। हम सब घरवाले एक न ह ब चे की तरह उसकी देखभाल करते थे। उसे रोज नहलाया जाता। उसके खाने-पीने का बराबर ख्याल रखा जाता। इस प्रकार से हम अपने पक्षी का पूरा ख्याल रखते थे। 3-पिक्षय को िपजंरे म बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अिपतु पयार्वरण भी प्रभािवत होता है। इस िवषय पर दस पंिक्तय म अपने िवचार िलिखए। उ र:- पिक्षय को िपजंर म बंद करने से सबसे बड़ी सम या पयार्वरण म आहार ृखंला असतंुिलत हो जाएगी। जैसे घास को छोटे कीट खाते ह तो उन कीट को पक्षी। यिद पक्षी न रहे तो इन कीट की सखं्या म वृ िध हो जाएगी जो हमारी फसल के िलए उिचत नहीं है। इस कारण पयार्वरण असतंुिलत हो जाएगा। पक्षी जब फल का सेवन करते ह तब बीज को यहाँ वहाँ िगरा देते ह िजसके फल व प नए-नए पौध पनपते ह। कुछ पक्षी हमारी फैलाई गदंगी को खाते ह िजससे पयार्वरण साफ़ रहता है यिद ये पक्षी नहीं रहगे तो पयार्वरण दिूषत हो जाएगा और मानव कई बीमािरय से ग्र त हो जाएगा अत: िजस प्रकार पयार्वरण ज री है, उसी प्रकार पक्षी भी ज री ह। 4-लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ िकन बात की-साथ बचपन की और िकन- याद आ जाती है? उ र:- जब लेखक को मालमू हुआ िक दादी माँ की मृ यु हो गयी है तो उनके सामने दादी माँ के साथ िबताईं गई कई याद सजीव हो उठती है। उसे अपने बचपन की मिृतयाँ-गधंपूणर् झाग भरे जलाशय म कूदना, बीमार होने पर दादी का िदन-रात सेवा करना, िकशन भयैा की शादी पर औरत वारा िकए जानेवाले गीत और अिभनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़ ेजाना साथ ही उसे रामी चाची की घटना भी याद आ जाती ह।

  • 5-दादा की मृ यु के बाद लेखक के घर की आिथर्क ि थित खराब क्य हो गयी थी? उ र:- दादा की मृ यु के प चात ्लेखक के घर की आिथर्क ि थित खराब होने का कारण उनके िपताजी व भयैा वारा धन का सही उपयोग न िकया जाना था। ग़लत िमत्र की सगंित से सारा धन न ट कर डाला। दादा के ा ध म भी दादी माँ के मना करने पर भी लेखक के िपताजी ने अपार सपंि यय की।

    6-दादी माँ के वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अ छा लगता है और क्य ? उ र:- दादी माँ के वभाव का सेवा, सरंक्षण, परोपकारी व सरल वभाव आिद का पक्ष हम सबसे अ छा लगता है। दादी माँ मुँह से भले कड़वी लगती थी पर तु घर के सद य तथा दसूर की आिथर्क मदद के िलए हर समय तैयार रहती थी। रामी चाची का कजर् माफ़ कर उसे नकद पए भी िदए तािक उसकी बेटी का िववाह िनिवर्घ्न सपं न हो जाए। इ हीं के कारण ही वे दसूर का मन जीतने म सदा सफल रहीं। 7-िस धु और ब्र मपुत्र की क्या िवशेषताएँ बताई गयी ह? उ र:- िसधंु और ब्र मपुत्र िहमालय की दो ऐसी निदयाँ ह िज ह ऐितहािसकता के आधार पर पुि लगं प म नद भी माना गया है। इ हीं दो निदय म सारी निदय का सगंम भी होता है। प्राकृितक और भौगोिलक ि ट से भी इनकी मह ा है। कहा जाता है िक ये दो ऐसी निदयाँ ह जो दयाल ुिहमालय की िपघले हुए िदल की एक-एक बूँद से िनिमर्त हुई ह। इनका प िवशाल और िवराट है। इनका प इतना लभुावना है िक सौभाग्यशाली समदु्र भी पवर्तराज िहमालय की इन दो बेिटय का हाथ थामने पर गवर् महससू करता है। 8-काका कालेलकर ने निदय को लोकमाता क्य कहा है? उ र:- निदया ँयुग -युग से मानव जीवन के िलए क याणकारी रहीं है। ये युग से एक माँ की तरह हमारा भरण-पोषण करती है। इनका जल भूिम की उवर्राशिक्त बढ़ाने म िवशेष भिूमका िनभाता है। इसिलए निदयाँ माता के समान पिवत्र एवं क याणकारी है। मानव नदी को दिूषत करने के म कोई कसर नहीं छोड़ता पर तु इसके बावजूद भी अपार दःुख सहकर भी इस प्रकार का क याण केवल माता ही कर सकती है। अत: काका कालेलकर ने निदय की माँ समान िवशेषताओं के कारण उ ह लोकमाता का दजार् िदया है 9- िहमालय की यात्रा म लेखक ने िकनिकन की प्रशंसा की है-? उ र:- िहमालय की यात्रा म लेखक ने िहमालय की अनुपम छटा की, निदय की अठखेिलय की, बरफ से ढँकी पहािड़य की, पेड़-पौध से भरी घािटय की, देवदार, चीड, सरो, िचनार, सफैदा, कैल से भरे जगंल की प्रशंसा की है। 10-िखलौनेवाले के आने पर ब च की क्या प्रितिक्रया होती थी? उ र:- िखलौनेवाले की मादक मधुर आवाज़ सनुकर ब चे चचंल हो उठत।े उसके नेहपूणर् कंठ से फूटती हूई आवाज़ सनुकर िनकट के मकान म हल-चल मच जाती। गिलय तथा उनके भीतर ि थत छोटे-छोटे उ यान म खेलते और इठलाते हुए ब च का समहू अपनी जतूे- टोपी को उ यान म ही भलूकर उसे घेर लेता और वे अपने-अपने घर से पैसे लाकर िखलौन का मोल-भाव करने लगते। 11-रोिहणी को मरुलीवाले के वर से िखलौनेवाले का मरण क्य हो गया? उ र:- रोिहणी को मरुलीवाले के वर से िखलौनेवाले का मरण हो आया क्य िक उसे वह आवाज़ जानी-पहचानी लगी। उसे मरण हो आया िक िखलौनेवाला भी इसी प्रकार मधुर कंठ से गाकर िखलौने बेचा करता

  • था और इस मरुलीवाले का वर भी उसी तरह का था। ये भी ठीक वैसे ही मधुर आवाज़ म गा-गाकर मरुिलयाँ बेच रहा था। 12- िकसकी बात सनुकर िमठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन यवसाय को अपनाने का क्या कारण बताया? उ र:- िमठाईवाला रोिहणी की बात सुनकर भावुक हो गया था। उसने इस छोटे यवसाय को अपनाने का कारण यह बताया िक इससे उसे अपने मतृ ब च की झलक दसूर के ब च म िमल जाती है। ब च के साथ रहकर उसे सतंोष, धैयर् व असीम सखु की प्राि त होती है। 13-रक्त के बहाव को रोकने के िलए क्या करना चािहए? उ र:- रक्त के बहाव को रोकने िलए उस थान पर कसकर साफ़ कपड़ा बाँध देना चािहए, क्य िक दबाव पड़ने पर रक्त का बहना कम हो जाता है, जो उस यिक्त के िलए बड़ा लाभप्रद िस ध होता है िफर ज दी ही हम उस यिक्त को डॉक्टर के पास ले जाना चािहए। 14-खून को क्य कहा जाता है ’भानुमती का िपटारा‘? उ र:- ‘भानमुती का िपटारा’ िह दी म एक लोकोिक्त है िजसका अथर् है एक िपटारे म कई तरह की व तुएँ। खून को ‘भानुमती का िपटारा’ कहा जाता है क्य िक यिद सू मदशीर् से खून की एक बूँद को जाँचा जाए तो उसम लाख की सखं्या म लाल रक्त कण मौजूद िमलगे िजसकी हम क पना भी नहीं कर सकते। इसके अलावा कुछ कण सफ़ेद तथा कुछ रंगहीन होते ह। तरल भाग ला मा होता है रंगहीन कण ला मा म तैरते रहते ह। इ हीं िविवधताओं के कारण खून को भानुमती का िपटारा कहा जाता है। 15-एनीिमया से बचने के िलए हम क्याक्या करना चािहए-? उ र:- एनीिमया से बचने के िलए हम पौि टक आहार का सेवन करना चािहए। हम अपने भोजन म उिचत मात्रा म हरी सि जयाँ, फल, दधू, अडं व गो त खाना चािहए तािक हमारे शरीर को प्रोटीन, लौह-त व और िवटािमन िमलते रहे िजससे हमारे शरीर म रक्त की कमी न हो। 16-पेट म कीड़ ेक्य हो जाते ह? इनसे कैसे बचा जा सकता है? उ र:- पेट म कीड़ ेदिूषत पानी और दिूषत खा य पदाथ के कारण होते ह। इनसे बचने के िलए हम सफाई से बने खा य पदाथ का सेवन करना चािहए। भोजन करने से पहले हम अ छी तरह से हाथ धो लेना चािहए एवं साफ़ जल ही पीना चािहए। कुछ कीड़ के लाव जमीन की ऊपरी सतह पर भी होते ह इसिलए नंगे पैर इधर-उधर नहीं घूमना चािहए, शौचालय का इ तेमाल करने के प चात साबुन से भली-भांित हाथ-पैर धोने चािहए। इस प्रकार के कुछ सफाई सबंि धत उपाय करने से हम पेट के कीड़ से बीमार होने से बच सकते ह। 17-रक्त के सफ़ेद कण को क्य कहा गया है ’वीर िसपाही‘? उ र:- रक्त के सफ़ेद कण को ‘वीर िसपाही’ कहा गया है क्य िक यह रोग के कीटाणओुं को शरीर म घुसने नहीं देते, जहाँ तक सभंव हो सके रोगी कीटाण ुकी कायर् क्षमता को िशिथल कर उनसे डटकर मकुाबला करते ह। इस प्रकार वे बहुत से रोग से हमारी रक्षा करते ह।

  • 18- लडबक म रक्तदान से क्या लाभ ह-? उ र:- लड-बक म दान िकये गए रक्त को आपातकालीन ि थित के िलए सरुिक्षत रखा जाता है। िकसी भी यिक्त को रक्त की आव यकता पड़ ेतो उसके िलए िकसी भी रक्त-समहू का रक्त लड-बक से िलया जा सकता है। इससे मरीज़ की जान बच सकती है। 19-साँस लेने पर साफ़ हवा से ऑक्सीजन प्रा त होती है, उसे शरीर के हर िह से िन न म से कौन पहँुचाता है?सफ़ेद कण, लालकण, साँस नाली, फेफड़ ेउ र:- साँस लेने पर शु ध वायु से जो ऑक्सीजन प्रा त होती है, उसे हर िह से म लाल रक्त कण पहँुचाते ह। 20-रक्त म हीमोग्लोिबन के िलए िकस खिनज की आव यकता पड़ती है ज ता –, शीशा, लोहा, लिैटनम उ र:- रक्त म हीमोग्लोिबन के िलए लोहा खिनज की आव यकता पड़ती है। 21-िब बाण ुटाइफायड – की कमी िकस बीमारी म पाई जाती है ( लेटलटै कण), मलेिरया, डग,ू फाइलेिरया) उ र:- िब बाण ु( लेटलटै कण) की कमी डग ूबीमारी म पाई जाती है। (बाल-महाभारत) 1-गंगा ने शांतनु से कहा-"राजन! क्या आप अपना वचन भूल गए?" तु हारे िवचार से शांतनु ने गगंा को क्या वचन िदया होगा? 1-राजा शांतनु ने गंगा को यह वचन िदया होगा िक वे गंगा के िकसी भी कायर् म ह तक्षेप नहीं करगे तथा उसकी इ छा का स मान करगे। 2-महाभारत के समय म राजा के बड़ ेपुत्र को अगला राजा बनाने की परपंरा थी। इस परंपरा को यान म रखते हुए बताओ िक तु हारे अनुसार िकसे राजा बनाया जाना चािहए था-युिधि ठर या दयु धन को? अपने उ र का कारण बताओ। 2-पांडु भरत वंश के राजा थे। उनकी मृ यु के प चात ्युिधि ठर को राजा बनना चािहए था पर तु युिधि ठर की आयु कम होने के कारण उनके बड़ ेहोने तक रा य की िज़ मेदारी धतृरा ट्र को दी गई थी। युिधि ठर के बड़ ेहोने के प चात ् यायोिचत तो यही था िक युिधि ठर को उनका कायर्-भार स प िदया जाता। अत: भरत वंश की परंपरा के अनुसार रा य पद के अिधकारी युिधि ठर ही थे। 3-तु हारे अनुसार महाभारत कथा म िकस पात्र के साथ सबसे अिधक अ याय हुआ और क्य ? 3-हमारे िवचार से सबसे अिधक अ याय कणर् के साथ हुआ है। जसेै-

    1. सयूर्-पुत्र कणर् को उसकी ज मदात्री ने याग िदया। 2. श त्र-परीक्षण के िदन पहचान लेने के बाद भी कंुती ने उसे नहीं अपनाया। 3. उ म कुल म उ प न होकर भी वह सतू-पुत्र कहलाया। 4. इंद्र ने उसके साथ छल िकया। 5. परशुराम ने उसे शाप िदया।

  • 6. अजुर्न ने उसे छल से मारा।।

    4-इस पु तक म से कोई पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्य म प्रयोग करो।

    पाठ पर आधािरत मुहावरे :-

    (1) वज्र के समान िगरना - (अिधक क ट होना) अपमान के कटु वचन उसके दय पर ज के समान लगे।

    (2) ज म से बैरी - (घोर शत्रतुा होना) दोन भाई इतना लड़ते ह, मानो ज म से बैरी हो।

    (3) खलबली मच जाना - (िनयंत्रण न होना) िशक्षक के न आने से पूरी कक्षा म खलबली मच गई।

    (4) दंग करना - (हैरान करना) छोटे से ब चे म इतना बल देखकर म दंग रह गया।

    (5) दग्ध- दय - (मन दःुखी होना) दग्ध दय के साथ उसने अपने पुत्र को अंितम बार िवदा िकया।

    6-महाभारत के यु ध म िकसकी जीत हुई? (याद रखो िक इस यु ध म दोन पक्ष के लाख लोग मारे गए थे।)

    6-महाभारत के यु ध म पांडव की जीत होती है। क्य िक दोन पक्ष म लोग की मृ यु होने के बाद भी पाँच पांडव जीिवत थे। उ ह कौरव की अपेक्षा कम क्षित उठानी पड़ी।

    7-तु हारे िवचार से महाभारत की कथा म सबसे अिधक वीर कौन था/थी? अपने उ र का कारण भी बताओ।

    7-महाभारत की कथा म सबसे अिधक वीरता अजुर्न पुत्र अिभम यु म देखी गई क्य िक पूरे यु ध म सबसे छोटा बालक होते हुए भी उसने अपनी वीरता का पिरचय देते हुए अकेले ही छ: महारिथय के साथ यु ध िकया, चक्र यूह तोड़ने का प्रयास िकया तथा अ त्र समा त होने के बाद भी रथ के पिहए को अ त्र बना कर लड़ता रहा।

    8-युिधि ठर ने आचायर् द्रोण से कहा-"अ व थामा मारा गया, मनु य नहीं, हाथी।" युिधि ठर सच बोलने के िलए प्रिस ध थे। तु हारे िवचार से उ ह ने द्रोण से सच कहा था या झूठ? अपने उ र का कारण भी बताओ।

    8-युिधि ठर का यह कथन अधूरा सच है। युिधि ठर के मन म उस समय गु द्रोणाचायर् को धोखा देने की बात चल रही थी। वह झूठ बोलना चाहते थे, पर तु सच बोलने के िलए बा य थे। युिधि ठर के मुख से िनकले हुए श द का अथर् कुछ और था, यह वे जानते थे।

    9-मान लो तुम भी म िपतामह