पाठशाला खुला दो महाराज
DESCRIPTION
a poemTRANSCRIPT
![Page 1: पाठशाला खुला दो महाराज](https://reader035.vdocuments.mx/reader035/viewer/2022082206/5695d10d1a28ab9b0294ef27/html5/thumbnails/1.jpg)
7/21/2019
http://slidepdf.com/reader/full/-5695d10d1a28ab9b0294ef27 1/2
पाठशाऱा ख ऱुा दो महाराज / स रदयाऱ ससेना
पाठशाऱा ख ऱुा दो महाराज
मोर जया पढने को चाहे!
आम का पे ये
ठ ू ठे का ठ ूठा
काऱा हो गया
हमरा अगू ठा
यह कालऱख हटा दो महाराज
मोर जया लऱखने को चाहे
पाठशाऱा ख ऱुा दो महाराज
मोर जया पढने को चाहे!
’ज ’ से जमदूार
’क ’ से कारदा
दोन खा रहे
हमको जदा
कोई राह दखा दो महाराज
मोर जया बढने को चाहे
पाठशाऱा ख ऱुा दो महाराज
मोर जया पढने को चाहे!
![Page 2: पाठशाला खुला दो महाराज](https://reader035.vdocuments.mx/reader035/viewer/2022082206/5695d10d1a28ab9b0294ef27/html5/thumbnails/2.jpg)
7/21/2019
http://slidepdf.com/reader/full/-5695d10d1a28ab9b0294ef27 2/2
अग नु भ यहा
ान बघारे
पोथ बाचू े
मतर उचारे
उनसे पणड छ ु ा दो महाराज
मोर जया उने को चाहे
पाठशाऱा ख ऱुा दो महाराज
मोर जया पढने को चाहे!