ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

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- इता दाेष - जब ज़ल के मतला मे लए गये हफ - कवाफ अल मे समतकात हाे कर भी सतकात हाेने का पैदा करे ताे इसे इता का दाेष कहते है , कही शदाे के हमकाफ या हाेने के लए उनका हफ रवी अथवा हफ वल का समान हाेना एक अावयक शत है (याद रखे हफ रवी, अल शद का अितम यजन हाेता है वल शद का अितम अर) इता दाेष काे समझने के लए अल ज़ अाैर वल ज़ काे समझना जर है पछले ले ख मे काफ या के दाेष पर वतार से चचा गयी जसमे ईता दाेष पर अाते अाते चचा काे अप वराम दया गया था अाज ईता दाेष पर वतार से चचा करते है - ईता दाेष लेखमाला -ारा काफ या के बारे मे जानने से है हम समतकात शदाे काे ही ज़ल मे काफ या रख सकते है उदाहरण = चल कल पल हल जल अापस मे समतकात है इसलए ज़ल मे काफ या हाे सकते है अथवा, अभी - रही मे माा काे िनभाया गया है अत यह भी हमकाफ या शद है अज ज़बान मे कहा जाए ताे अफाज़ काे हफे -कवाफ हाेने के लए उसका हफे रवी का एक हाेना अावयक है ... उदाहरण – "पानी - यार" अापस मे हमकाफ या अफाज़ है ईता दाेष परभाषा - जब शदाे मे हफ रवी सम हाेते भी शद समतकात हाेने का पैदा करे अाैर उसे काफ या के मे याेग कर लया जाये ताे इससे ईता का दाेष उप हाे जाता है कही शदाे के हमकाफ या हाेने के लए उनका हफ रवी का समान हाेना एक अावयक शत है याद रखे - हफ रवी, मूल(अल) अथात ढ़ शद का अितम अर हाेता है याैगक (वल) शद का अितम अर

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ग़ज़लों के ऐब पर सिलसिलेवार जानकारी की दूसरी किस्त

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Page 1: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

६ - इता दाषे - जब ग़ज़ल के मतला मे लए गये हफे़ - कवाफ़ अल मे समतकात न हा ेकर

भी सतकात हाेन ेका म पैदा करे ताे इसे इता का दाेष कहते है, कही शदाे के हमकाफ़या

हाेने के लए उनका हफे़ रवी अथवा हफे़ वल का समान हाेना एक अावयक शत है (याद रखे क हफे़ रवी, अल शद का अितम यजन हाेता है न क वल ए शद का अितम

अर)

इता दाेष का ेसमझने के लए अल ल़ज़ अारै वल ल़ज़ काे समझना जर ह ै

पछले लेख मे काफ़या के दाषे पर वतार स ेचचा क गयी जसमे ईता दाषे पर अात ेअात े चचा का ेअप वराम दया गया था अाज ईता दाषे पर वतार स ेचचा करत ेहै ६ - ईता दाषे – लेखमाला म-२ ारा काफ़या के बारे मे जानन ेसे प है क हम समतकात शदाे काे ही ग़ज़ल मे काफ़या रख सकते है उदाहरण = चल – कल – पल – हल – जल अापस मे समतकात है इसलए ग़ज़ल मे काफ़या हाे सकत ेहै अथवा, अभी - रही मे ई क माा काे िनभाया गया ह ैअत यह भी हमकाफ़या शद है अज क ज़बान मे कहा जाए ताे अफाज़ का ेहफे -कवाफ़ हाेन ेके लए उसका हफे रवी का एक हाेना अावयक ह ै ... उदाहरण – "पानी - यार" अापस मे हमकाफ़या अफाज़ है

ईता दाषे क परभाषा -

जब शदाे मे हफे़ रवी सम न हाेते ए भी शद समतकात हानेे का म पैदा करे अाैर उसे काफ़या

के प मे याेग कर लया जाये ता ेइससे ईता का दाेष उप हा ेजाता है कही शदाे के हमकाफ़या हाेन ेके लए उनका हफे़ रवी का समान हाेना एक अावयक शत ह ै

याद रखे - हफे़ रवी, मूल(अल) अथात ढ़ शद का अितम अर हाेता है न क याैगक (वल) शद का अितम अर

Page 2: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

पछले लेख मे इसे वतार स ेबताया गया था स मे पुन देख ले ...

चल ल़ज़ मे ल हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ चल का अाख़र अर)

चला (चल+अा) ल़ज़ मे ल हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ चल का अाख़र अर)

चलए (चल+इए) ल़ज़ मे ल हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ चल का अाख़र अर)

पानी ल़ज़ मे ई हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ पानी का अाख़र अर) अभी ल़ज़ मे ई हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ अभी का अाख़र अर) खला ल़ज़ मे अा हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ खला का अाख़र अर) ा ल़ज़ मे अा हफे़ -रवी ह ै(मलू ल़ज़ ा का अाख़र अर)

ईता दाेष का ेसमझने के लए शद के मूल (अल) अारै याैगक (वल) प काे समझना जर है

मुय प स ेशद के दा ेवप हाेत ेहै १ - मूल (अल) २ - याैगक (वल) १ - मलू (अल) (ढ़ शद) = जस शद के वप मे कुछ अय अर न जाेड़ा गया हा ेउसे

मूल शद अथवा ढ़ शद कहते है

जैसे – चल, पानी, हम, दाेत, दुमन, अादम, सदर, सेठ, लाहेा, रग, बत, बा अाद मूल शद का ेपहचानने का अासान तरका यह ह ैक कसी अथवान शद के पीछे स ेएक एक

अर हटा कर देखा जाए, यद एक एक अर हटाते ए कही समान अथ का शद नही मलता है ताे वह मलू शद ह ै

उदाहरण -

Page 3: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

(अ) चल मे से ल हटाने पर च बचता है जाे िनरथक है अत चल मूल शद ह ै

(ब) पानी मे से ई हटाने पर पान बचाता है जसका अथ बदल गया (अथ जल स ेबदल कर पान

"पान सपार वाला" हा ेगया ह)ै अब पान से न हटाने पर पा बचाता है जाे पानी के अथ मे अथवान नही है अब पा से अा हटाने पर प बचता ह ै

अत पानी मलू शद ह ै

इसी कार एक अय उदाहरण देखे

(स) दाेती (मता) मे से ई हटाने पर दाेत(म) बचता ह ैजाे समान अथवान ह ैअत दाेती मूल शद नही ह,ै, मूल शद दाेत है

२ - याैगक (वल) (याेजत) जस शद के पहले अथवा बाद मे काेई अर या अर समूह जाेड़ कर शद का अथ बदल दया जाये या दा ेमूल शदाे काे जाेड़ कर शद बनाया जाये उसे याैगक शद (लज़े वल) कहते है याैगक शद मुय प स ेचार कार है - (अ) सध = दा ेसमीपवती वणाे के मेल परवतन हाेता ह ैउसे सध कहते है नव + अागत = नवागत मत + अनसुार = मतानुसार रजनी + ईश = रजनीश कमल + ईश = कमलेश

वमल + ईश = वमलेश

सत् + जन = सन पार + छेद = परछेद अनु + छेद = अनुछेद

(ब) समास = जब दाे मूल (अल) शदाे काे जाेड़ कर नया शद बनाते है जसमे दाेनाे मूल शद

का अथ मल जाता है ताे उसे समास कहते है (इसक पहचान यह ह ैक दाेनाे शदाे काे अलग करने पर दानेाे अलग अलग अपना मूल अथ रखत है)

Page 4: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

उदाहरण -

ित + दन = ितदन (राजे)

हाथ + कड़ = हथकड़ (हाथ मे लगाने वाले कड़) तीन + लाेक = िलाेक (अथ प ह)ै

समास का एक भेद बीही समास ह ैजसमे दाे मूल शद मल कर एक तीसरे अथ वाला शद

बनाते है जैसे -

महा + वीर = महावीर (तीसरा अथ = हनुमान) पीत + अबर = पीताबर (तीसरा अथ = ी कृण) गुल + अाब = गुलाब (तीसरा अथ = एक वशषे पुप) शर् + अाब = शराब (तीसरा अथ = म) एेसे शद का ेहद याकरण मे यागेढ़ शद माना गया है अथात समास हाेन ेके बाद भी ये मलू ढ़ शद के प मे यागे हाेते है (स) उपसग - जब मूल (अल) शद के पहले काईे अर या अर समहू जाेड़ कर शद के वप अारै अथ का ेबदल दया जाता ह ैता ेउसे उपसग कहते है उपसग वा ेअर अथवा अर समूह हाेत ेहै जनका अलग से काेई अथ नही हाेता मगर मूल(अल) शद के श मे जुड कर

उसके अथ काे बदल देता ह ै

उदाहरण -

ना + पसद = नापसद िन + डर = िनडर

परा + जय = पराजय

अप + यश = अपयश

(उपसग का काफ़या के दाषे मे काईे महव नही ह ैइस ेकेवल याैगक शद के तीनाे कार बतान ेके लए लख दया गया ह ैइसलए इस पर वतार स ेचचा करन ेक काईे जरत नही ह)ै

(द) यय - जब मूल (अल) शद के बाद काेई अर या अर समहू जाेड़ कर शद के वप

Page 5: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

अाैर अथ का ेबदल दया जाता है ताे उसे यय कहते है यय वाे अर अथवा अर समूह हाेते

है जनका अलग से काेई अथ नही हाेता मगर मलू(अल) शद के अत मे जुड कर उसके अथ का े

बदल देता ह ै

हद के कुछ यय

यय मूल शद\धात यय जुड़ने के बाद

अक लेख,् पाठ्, कृ, गै लेखक, पाठक, कारक,

गायक

अन पाल्, सह्, ने, चर् पालन, सहन, नयन, चरण

अना घट्, तल्, वद्, वद् घटना, तलना, वदना, वेदना

अनीय मान्, रम्, श्, पूज्, ु माननीय, रमणीय, दशनीय, पूजनीय,

वणीय

अा सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भ् सूखा, भूला, जागा, पूजा, इछा, भा

अाई लड़, सल, पढ़, चढ़ लड़ाई, सलाई, पढ़ाई, चढ़ाई

अान उड़, मल, दाैड़ उड़ान, मलान, दाैड़ान

इ हर, गर, दशरथ, माला हर, गर, दाशरथ, माल

इया छल, जड़, बढ़, घट छलया, जड़या, बढ़या, घटया

इत पठ, यथा, फल, पुप पठत, यथत, फलत, पुपत

इ चर्, पाे, खन् चर, पव, खिन

Page 6: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

इयल अड़, मर, सड़ अड़यल, मरयल, सड़यल

ई हस, बाेल, यज्, रेत हसी, बाेल, यागी, रेती

उक इ्, भ् इक, भक

तय कृ, वच् कतय, वय

ता अा, जा, बह, मर, गा अाता, जाता, बहता, मरता, गाता

ते जा, खा जाते, खाते

अय, सव, अस् अय, सव, अ

न द, वद, मद, खद्, बेल, ले दन, वदन, मदन, ख, बेलन, लेन

ना पढ़, लख, बेल, गा पढ़ना, लखना, बेलना, गाना

म दा, धा दाम, धाम

य गद्, पद्, कृ, पडत, ग, प, कृय, पाडय,

या मृग, वद् मृगया, वा

गे गे

वाला देना, अाना, पढ़ना देनेवाला, अानेवाला, पढ़नेवाला

हार हाेना, रखना, खेवना हाेनहार, रखनहार, खेवनहार

अाइ पछताना, जगना पछताइ, जगाइ

अाइन पडत, ठाकुर पडताइन, ठकुराइन

अाई पडत, ठाकुर, लड़, चतर, चाैड़ा पडताई, ठकुराई, लड़ाई, चतराई, चाैड़ाई

Page 7: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

अानी सेठ, नाैकर, मथ सेठानी, नाैकरानी, मथानी

अायत बत, पच, अपना बतायत, पचायत, अपनायत

अार/अारा लाेहा, सानेा, दधू, गाव लाेहार, सनार, दधूार, गवार

अाहट चकना, घबरा, च, कड़वा चकनाहट, घबराहट, चाहट, कड़वाहट

इल फेन, कूट, त, जटा, पक, व, फेिनल, कुटल, तल, जटल,

पकल, वल

इ कन्, वर्, गु, बल किन, वर, गर, बल

ई सदर, बाेल, प, खेत, ढाेलक, सदर, बाेल, पी, खेती, ढाेलक,

ईन ाम, कुल ामीण, कुलन

ईय भवत्, भारत, पाणनी, रा भवदय, भारतीय, पाणनीय, रा ीय

ए बा, लेखा, लड़का बे, लेख,े लड़के

एय अितथ, अि, कु ती, पुष, राधा अाितथेय, अाेय, काैतेय, पाैषेय,

राधेय

एल फुल, नाक फुलेल, नकेल

एेत डाका, लाठ डकैत, लठैत

एरा/एेरा अध, साप, बत, मामा अधरेा, सपेरा, बतेरा, ममेरा,

अाेला खाट, पाट, साप खटाेला, पटाेला, सपाेला

अाैती बाप, ठाकुर, मान बपाैती, ठकराैती, मनाैती

अाैटा बा, काजर बलाैटा, कजराैटा

Page 8: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

क धम, चम, बैठ, बाल, दश, ढाेल धमक, चमक, बैठक, बालक, दशक, ढाेलक

कर वशेष, ख़ास वशेषकर, ख़ासकर

का खट, झट खटका, झटका

जा ाता, दा े भतीजा, दजूा

ड़ा, ड़ चाम, बाछा, पख, टाग चमड़ा, बछड़ा, पखड़, टगड़

त रग, सग, खप रगत, सगत, खपत

तन अ अतन

तर गु, े गुतर, ेतर

त अश, व अशत, वत

ती कम, बढ़, चढ़ कमती, बढ़ती, चढ़ती

उदू के कुछ यय

अा सफे़द सफेदा

अाना जुम, दत, मद जुमाना, दताना, मदाना

अानी ज, बफ जानी, बफानी

इयत इसान, खरै इसािनयत, खैरयत

कार दत, सलाह दतकार, सलाहकार

खाेर घूस, हराम घूसखाेर, हरामखाेर

Page 9: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

गर बाज़ी, जाद ू बाजीगर, जादगूर

गार परहेज़, मदद परहेज़गार, मददगार

गी ज़दा, बदा ज़दगी, बदगी

चा/ची देग, सदकू देगचा, सदकूची

ज़ाद/ ज़ादा अादम, शाह अादमज़ाद, शाहज़ादा

दा उदू, क उदूदा, कदा

दान इ, कलम इदान, कलमदान

दानी चाय, गाेद चायदानी, गाेददानी

दार ईमान, माल ईमानदार, मालदार

बाज़/बाज़ी चाल, मुक़दमा चालबाज़, मुक़दमेबाज़ी

बान दर, बाग दरबान, बागबान

मद अ, दाैलत अमद, दाैलतमद

साज घड़ घड़साज

अजेी के कुछ यय

इ बु, साेशल बु, साेशल

इट बु, साेशल बुट, साेशलट

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Page 10: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

अब ईता दाषे काे वतार से समझते है, जैसा क हमने परभाषा मे समझा ...

जब अफाज़ समतकात न हाते ेए भी समतकात हाने ेका म पदैा करे अारै उस ेकाफ़या के प मे यागे कर लया जाय ेता ेइसस ेईता का दाषे उप हा ेजाता ह ै

यद हम काफ़या के प मे शद के दाे वप मे से पहले वप अथात मलू शदाे (अल) का

याेग करते है ता ेईता दाेष उप हा ेही नही सकता ह ै उदाहरण -

चल - पल / पानी - रानी / कर - पथर / नर - सफ़र / सलाम - कलाम / शाम - काम / काितल - मुकल ये सभी मलू शद है अत एेसे शदाे काे मतले मे काफ़या के प मे यागे करने पर ईता दाेष हा ेही नही सकता ह ै उदाहरण वप कुछ अशअार देखे जनमे मूल शद (अल) का काफ़या बाधा गया है-

शैख़ साहब से राे राह न क

श है ज़दगी तबाह न क - फैज़ अहमद फैज़

देखे करब से भी ताे अछा दखाई दे

इक अादमी ताे शहर मे एेसा दखाई दे꠰ - ज़फर गाेरखपुर

बेनाम सा ये दद ठहर ाे नही जाता

जाे बीत गया है वा ेगुज़र ाे नही जाता - िनदा फाज़ल

Page 11: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

जसे दुमन समझता वही अपना िनकलता ह ै

हर इक पथर से मरेे सर का कुछ रता िनकलता है - मुनर राणा

अागन मे धपू ढल गई हम देखते रहे बीमार शमअ जल गई हम देखते रह े- कुमार रवी

ईता दाषे यु काफय े

अब हम हफे़ वल क अाेर बढते है जहा ज़रा सी चूक हाेन ेपर ईता दाषे हाे जाने क सभावना बन जाती ह ै जब हम मतले के दाेनाे मसराे मे याैगक शद का ेकाफ़या बनाते है ता ेतभी ईता दाेष क सभावाना बनती ह ै सेप मे ईता दाेष का एक उदाहरण देखे - मटाया / जलाया जब हम इहे मतला मे काफ़या रखते है ताे ईता दाेष उप हाे जाता ह,ै अाईये देखे क ये कैसे हाेता है -

अपने दल काे ही जलाया जाए

इस अधरेे काे मटाया जाए - (उदाहरण हेत वरचत)

प ह ैक दाेनाे काफ़या याैगक शद है अज़ के अनुसार काफ़या के मूल शद जल - मट मे वल ए हफ़ अाया काे भी रदफ़ का

हसा माना लया जाता है अाैर अाया काे हटाने के बाद काफ़या के लए जल - मट बचता ह ै

जाे समतकात नही ह ैअथात हम-काफ़या नही है अत इहे काफ़या नही मान सकत े

इस तरह ईता दाेष उप हा ेरहा ह ैाेक मटाया-जलाया अनुसार ता ेये सतकात हाेने का म

पैदा कर रहा है परत अल जल-मट मे ये सतकातता नही है

Page 12: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

अब वतार से .....

इत दाेष के दाे भदे है

१ - इत ए खफ़ (सू)

२- ईता ए जल (थूल)

१ - इत ए खफ़ (सू)(अप) - ईता दाेष के अतगत जब काफ़या मे ईता दाेष प न दख रहा हाे अारै वशेष प से समास वह (दाेनाे पद काे अलग लगा करना), यय वह अथवा सध वछेद के बाद ही दाेष प हाेता हा ेता ेउसे इत-ए-खफ़ कहते है यह तब उप हाेता ह ैजब बीही समास से याैगक ए दाे शदाे का ेमतला मे काफ़या बनाया जाता है अथवा यय से शद का वप बदल कर मूल शद का म पैदा हाेने वाले दा ेशदाे काे मतला मे काफ़या बनाया जाता ह ै उदाहरण - (अ) बीही समास के कारण उनक शहरत गुलाब जैसी ह ै

अाैर फतरत शराब जैसी ह ै

अज़ के अनुसार गलुाब- शराब याैगक काफ़या मे से दसूरा मूल शद अाब हटाने पर गुल अाैर

शर् शद बचते है जाे सतकात नही है अत इसमे ईता-ए-खफ़ दाेष हाे रहा ह ै

(परत हद मे गुल+अाब का अथ फूल के अक से न िनकाल कर एक वश पुप क सा के

प मे यागे हाेता ह ैअाैर शर्+अाब काे भी बुरे पानी के अथ मे न ्ले कर "वाइन"(म) के अथ

Page 13: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

मे याेग हाेता ह ैअथात हद मे अा कर ये यागेढ़ शद हाे गये है अत मेरा वचार ह ैक

गुलाब - शराब काे हद के वचार स ेईता-ए-खफ़ नही मानना चाहए)

(ब) काफ़या न हाने ेक दशा मे -

जब यहा पीने काे काेई जल नही ह ै

अाप कहते है क गगाजल नही ह ै? (उदाहरण हते वरचत)

एकबरगी जल - गगाजल काफ़या के प मे दखाई पड़ते है परत गगाजल समास काे अलग करने पर जल रदफ़ का हसा हाे जा रहा ह ैअाैर उसके पूव मतला मे हफे़ -काफ़या ह ैही नही, इसलए यहा भी ईता-ए-खफ़ दाेष उप हाे रहा ह,ै इसे िनत प से दुत करना पडे़गा ाेक काफ़या के बना ग़ज़ल हाे ही नही सकती ह ै इसका एक अय उदाहरण - नाम / बदनाम (स) सध के कारण - परछेद / अनुछेद जैसे सध ए शद काे मतला मे काफ़या बनाने पर ईता-ए-जल दाेष उप हाे जायेगा ाेक सध वछेद करने पर पर + छेद / अन ु+ छेद हातेा ह ैपर/अन ु अापस मे हमकाफ़या नही है मगर यह प नही दखता इस लए ईता-ए-खफ़ दाेष हाे जाता ह ै

(द) मतला के अितर अय शरे मे - ईता ए खफ़ मतला के अितर अय अशअार मे भी अा सकता ह,ै देखे -

मतला मे एक मूल अारै एक याैगक काफ़या बाधने पर अय अशअार मे ईता ए खफ़ दाेष हा ेसकता ह ैदेखे - मतला मे काजल / गगाजल केने के बाद कसी शेर मे जल काफ़या बाधने पर भी ईता ए खफ़

दाेष उप हाे जाता ह ै

Page 14: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

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२ - ईता-ए-जल (थलू) (प) -

ईता दाेष के अतगत जब काफ़या मे बना समास वह (दाेनाे पद काे अलग लगा करना), यय वह अथवा सध वछेद के ईता दाषे प दख रहा हाे ता ेउसे ईता-ए-जल कहते है

ईता-ए-जल दाेष के कार देखे -

(अ) मपणू काफय े

गाव मे पखा नही है फर भी रहकर देख ले इन हवाअाे मे है मती सास भरकर देख ले (उदाहरण हेत वरचत) रहकर भरकर न मूल शद है न यय से बने याैगक शद न समास स ेबने याैगक शद है न् इनमे सध ई है | इहे मवश मूल शद मान कर काफ़या बनाने स ेईता-ए-जल दाेष है ाेक

कर हटाने के बाद मतला मे काफ़या बच ही नही रहा ह ै यहा प प से दखने के कारण ईता-ए-जल दाेष ह ै (ब) समास का काफ़या - समास शद सयूपु / राजपु काे मतला मे काफ़या बनाने पर ईता-ए-जल दाेष उप हा ेजायेगा ाेक समास वह करने पर पु हटाने पर दाेनाे शद सयू/राज अापस मे हमकाफ़या नही है (स) यय का काफ़या - यय के शद - दाेती/दुमनी काे मतला मे काफ़या बनाने पर ईता-ए-जल दाेष उप हा ेजायेगा

ाेक दाेनाे मे से यय ई हटाने पर दाेनाे शद दाेत/दुमन सम तकात नही है

ईता-ए-जल दाेष यु काफ़या के अय उदाहरण देखे - दाेती - खशी

सदाए - सासे

उखडे़गा - टूटेगा जला - मटा

Page 15: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

सनाने - जलाने

बेबसी - खशी

दबाए - सजाए

ईता दाषे मे मलन ेवाल ट

हमने देखा क एेसे शदाे काे हम काफ़या नही मा सकते जसके हफे़ रवी के न मल रहे हाे अयथा ईता दाेष उप हाे जायेगा परत एेसा करने से शाइर पर बत बड़ बदश लग जाती ह ै

क वह यय के शदाे काे खल कर याेग नही कर सकता है ाेक यय के पूव के अर अथात रवी काे मलाना अावयक हातेा ह ै इसलए अज मे कुछ ट िनधारत क गई जसके अनुसार हम ईता दाषे स ेमु हा ेसकते है ईता दाेष मे मलने वाल ट िनलखत है (क) दानेाे काफ़या याैगक हाने ेपर भी हफे़ रवी एक हाने ेपर - मतला मे यद दानेाे काफ़या याैगक शद है परत बढे़ ए अश काे हटाने के बाद भी शद अापस मे सतकात हातेे है ताे काफ़या दाेषमु ह ै उदाहरण - सूलयाे से गुज़रना पड़ा

हमकाे कताे मे मरना पड़ा - नसुरत "वालयर" गजुरना/मरना से ना हटाने के बाद भी गुजर / मर मूल शद अापस मे सम तकात है इसलए ये

काफ़या दाेष मु है ाेक दाेनाे काफ़या मे हफे़ रवी र ह ै

अय उदाहरण देखे -

अे दिुनया देखते है कतनी हरैानी के साथ ज़दगी हमने बसर कर ल ह ैनादानी के साथ - महताब हदैर नक़वी

(काफ़या मे हफे़ रवी न है)

Page 16: ग़ज़ल के ऐब दूसरी किस्त 2

यही अावाज़ का माैसम है न टालाे मुझका े

कुछ जवाबाे से िनपटने दाे सवालाे मझुकाे - रमशे "तहा"

(काफ़या मे हफे़ रवी ल है)

कस मरत मे दन िनकलता ह ै

शाम तक सफ हाथ मलता ह ै- बालवप राही

(काफ़या मे हफे़ रवी ल है)

(ख) एक मलू एक याैगक काफ़या - एक मूल काफ़या अाैर एक याैगक काफ़या लेने पर ईता दाेष उप नही हाे सकता ह ैाेक एेसा करने पर हफे़ रवी का मलान हाे जाता ह|ै उदाहरण - अाग पानी ई ई न ई मेहरबानी ई ई न ई - बलबीर सह 'रग' मतला मे पानी/ मेबानी काफ़या लेने पर मूल शद पानी का हफे़ रवी ई याैगक शद मेबान+ई से तकात हा ेगया ह ैअारै हफे़ रवी मलने पर काफ़या दाेषमु माना जाता ह ै अय उदाहरण देखे - सारे श मे अ का चचा रहा बत

फर भी घराे मे अादमी डरता रहा बत

मूल शद चचा का हफे़ रवी अा याैगक शद डर+ता से तकात हा ेगया ह ैअारै हफे़ रवी मलने

पर काफ़या दाेषमु माना जाता है

दरू तक फैला नही दल का धुअा अछा अा

फर समट अाई मझुी मे अाधया अछा अा

मूल शद चचा का हफे़ रवी अा याैगक शद डर+ता से तकात हा ेगया ह ैअारै हफे़ रवी मलने पर काफ़या दाेषमु माना जाता है

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(ग) मतला के दानेाे काफ़या मे यय अलग अलग हानेा अथवा समास अथवा सध मे दसूरे पद

का अलग -अलग हानेा -

सतह के समथक समझदार िनकले

जाे गहरे मे उतरे गुनाहगार िनकले - शरेजग गग

समझदार / गनुाहगार काफ़या मे बढ़ा अा अश अलग अलग है इसलए अब पहले अश से

काेईमतलब नही रह जाता ह ैअब काफ़या का शद दार/गार तय हाे गया अाैर इसमे र हफे़ रवी हाे गया इस तरह इस मतला मे दाेष पैदा हे नही हा ेरहा है अाैर अय शरे मे काफ़या मे केवल अार िनभाने क बधश हातेी ह ैइस ग़ज़ल का दसूरा शेर देखे - गुलाबाे क दिुनया बसाने क वाहश लए दल मे जगल स ेहर बार िनकले इसके अय उदाहरण देखे - लूटा गया ह ैमुझका ेअजब दगी के साथ इक हादसा अा है मरे बेबसी के साथ - सरेश रामपरु दल+लगी / बबेस + ई के कारण लगी का ई हफे़ रवी अा अब अय शेर मे केवल ई का े

िनभाना है इस ग़ज़ल का दसूरा शरे देखे -

मै ाे कसी से उसक ज़फ़ा का गला क मजबूरया बत है हर इक अादमी के साथ

सीलबद / अमद (बद / मद = द हफे़ रवी)

सलाहकार / कज़दार (कार / दार = र हफे़ रवी)

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(घ) याकरण भदे - मतला मे यद दानेाे काफ़या याैगक शद है तथा हफे़ रवी अलग लग है

परत दाेनाे काफ़या के शद मे याकरण भेद ह ैताे ट के अनुसार मतला दाेषमु हाे जाता ह ै

उदाहरण -

रे दवानगी ए शाैक िनभा द जाए

राेशनी हाे के धुअा अाग लगा द जाए िनभा / लगा दाेनाे काफ़या का बढ़ा अा अश भी एक ह ैअारै िनभ लग मूल शद मे हफे़ रवी

अलग अलग है इसलए इसमे ईता-ए-जल दाेष है परत िनभ भाववाचक शद है अारै लग या शद है इसलए ट अनसुार मतला दाेषमु हा ेजाता ह ै अय उदाहारण देखे - इक चुभन काटाे सी फूलाे सी हसी देता ह ैकाैन ये जाे इसान है इस ेगम अाैर खशी देता ह ैकाैन - राजशे रे हसी / खशी = हस (या) / खश (भाव) दाेती / हसी (भाववाचक/ या)

(च) मतला मे दा ेअलग अथ वाला एक ही काफ़या -

तबीअत वही मूल शकर क बदल मटे कु बस दल स ेयह शत बद ल

कुहाड़ पये नले अवतारे बद ल

ई सरबसर शक क दरू बदल - नारायण साद 'बेताब'

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१- बदल गई

२ - िता

३ - सभालना

४- बादल, मेघ एक ही शद बदल के अलग अलग अथाे मे याेग से अशअार दाेष मु हाे गये है

अय उदाहरण - बुरा हाे इस घड़ का, इस समय का एेसे अवसर का

महासागर बना पायाब जल सामाय से सरका

पसीना भी ताे पचा बह के एड़ तक मेरे सर का

मगर अफ़सासे इसपर भी न पवत बाल भर सरका - नारायण साद 'बेताब'

(छ) दानेाे काफ़या के काल (जमाना) मे अतर - मतला मे यद दाेनाे काफ़या याैगक शद के है अाैर बढ़ा अा अश हटाने पर हफे़ रवी अलग अलग हाे ता ेइससे इता-ए-जल दाेष उप हाे जायेगा परत यद दाेनाे काफया मे काल का अतर हा ेअथात एक भतू काल अारै एक वतमान काल हाे

अथवा दाेनाे भूत, वतमान अारै भवय काल मे स ेअलग अलग हाे ताे ट अनुसार मतला दाेष मु हाे जाता ह ै

(छ) एक अर के बढ़न ेपर -

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कुछ जानकाराे का मानना ह ैक दाेनाे काफ़या के मूल शद मे एक वर बढ़ा हाे अारै कसी कार

दाेष मु न हाे रहा हाे ताे भी उसे भी दाषेमु मानना चाहए यद एक से अधक अर बढ़ा हा े

ताे उस ेदाषेयु मानना चाहए

उदाहरण - रही / कमी

इस अनुसार रही / कमी इता-ए-जल से दाेष मु हा ेजायेगा परत यह इस कार क ट मुझ ेयतगत प से तक सगत नही लगती