shirdi shri sai baba ji - vrat niyam, udhyapan vidhi & katha 006

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Page 1: Shirdi Shri Sai Baba Ji - Vrat Niyam, Udhyapan Vidhi & Katha 006
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व्रत के नि�यम

• साईं व्रत कोई भी कर सकतें हैं चाहे - स्त्री, पुरुष और बच्चे|

• यह व्रत किकसी भी जाकित - पाकित के भेद भाव किबना कोई भी व्यक्ति# कर सकता है|

• यह व्रत बहुत ही चमत्कारी है| 1, 9, 11, अथवा 21 करने से किनश्चि+त ही इचु्छक फल प्राप्त होता है|

• इस व्रत को श्री साईं बाबा जी का नाम लेकर किकसी भी गुरुवार से आरम्भ कर सकतें हैं| जिजस काय7 के क्तिलए व्रत किकया गया हो उसके क्तिलए श्री साईं बाबा जी से सच्चे हरदे से प्राथना करनी चाकिहए|

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• किकसी आसन पर पीला कपड़ा किबछाकर उस पर श्री साईं बाबा जी की तस्वीर रखकर स्वच्छ जल से पोंछकर चन्दन या कंुकुम का कितलक लगाना चाकिहए और उन पर पीला फूल या हार चढ़ाकर प्रसाद में कोई भी फल या मिमठाई बंटी जा सकती है|

• यह व्रत फलाहार लेकर किकया जा सकता है जैसे दूध, चाय, फल, मिमठाई आदिद लेकर अथवा एक समय भोजक करके किकया जा सकता है| किबल्कुल भूखे रहकर उपवास नहीं करना चाकिहए|

• प्रत्यके गुरुवार हो सके तो साईं बाबा के मजिन्दर जाकर दर्श7न करने चाकिहए| साईं बाबा के मजिन्दर ना जा सके तो श्रद्धापूव7क घर में ही साईं बाबा की पूजा की जा सकती है|

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• यदिद किकसी करणवर्श गुरुवार को कहीं जाना हो तो व्रत को किनयमनुसार सुचारू रखना चाकिहए|

• यदिद किकसी कारणवर्श किकसी गुरुवार व्रत ना कर पायें तो उस गुरुवार को किगनती में ना लेते हए मन में किकसी प्रकार की रं्शका ना रखते हुए, अगले गुरुवार से व्रत जारी रखें| मन्नत माने हए गुरुवार पूरे कर व्रत का उध्यापर करें|

• एक बार मन्नत अनुसार व्रत पूण7 करने के बाद किफर मन्नत कर सकते हैं, और किफर व्रत कर सकते हैं|

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उद्याप� नि�धि�

• 9 वे गुरूवार को उद्यापन करना चाकिहए इसमें पांच गरीब को भोजन किकया जाए (भोजन अपनी यथार्शक्ति# देना या करवाना)

• साईं बाबा की मकिहमा एव ंव्रत का फैलाव करने के क्तिलए अपने सगे-सम्बन्धी या पडोक्तिसयों को यह किकताबे 5, 11, 21 अपनी यथार्शक्ति# भेट दी जाए इस तरह व्रत का उद्यापन किकया जाय

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• 9 वे गुरूवार को जो किकताबे भेट देनी है उसका यथार्शक्ति# पूजा में रखिखए और बाद में ही भेट दी जाए जिजससे आपकी एव ंअन्य व्यक्ति#यों की भी मनोकामना पूण7 हो उपरो# किवमिध से व्रत करने से एव ंकिवमिधपूव7क उद्यापन करने से किनश्चि+त हो आपकी मनोकामना पूण7 होगी ऐसा साईं भ#ो का किवश्वास है

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व्रत कथा

कोकिकला बहन और उनके पकित महेर्शभाई र्शहर में रहते थे दोनों को एक-दुसरे के प्रकित पे्रम-भाव था परन्तु महेर्शभाई का स्वाभाव झगडालू था बोलने की तमीज ही न थी आदोसी-पडोसी उनके स्वाभाव से परेर्शान थे, लकेिकन कोकिकला बहन बहुत ही धार्मिम]क स्त्री थी, भगवान पर किवश्वास रखती एव ंकिबना कुछ कहे सब कुछ सह लेती धीरे-धीरे उनके पकित का धंधा-रोजगार ठप हो गया कुछ भी कमाई नहीं होती थी महेर्शभाई अब दिदन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली अब उनका स्वभाव पहले से भी अमिधक क्तिचडक्तिचडा हो गया

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दोपहर का समय था एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खडे़ हो गए चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल-चावल की मांग की कोकिकला बहन न ेदल-चावल दिदये और दोनों हाथों स ेउस वृद्ध बाबा को नमस्कार किकया, वृद्ध न ेकहा साईं सुखी रखे कोकिकला बहन न ेकहा महाराज सुख कीमत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वण7न किकया|

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महाराज ने श्री साईं के व्रत के बार ेमें बताया 9 गुरूवार (फलाहार) या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिदर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरूवार पूजा करना, साईं व्रत करना और किवमिध से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किकताबे 5, 11, 21 यथार्शक्ति# लोगों को भेट देना और इस तरह साईं व्रतका फैलाव करना साईबाबा तेरी सभी मनोकामना पूण7 करता है, लेकिकन साईबाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरुरी है धीरज रखनी चाकिहए जो उपरो# किवमिध से व्रत और उद्यापन करेगा साईबाबा उनकी मनोकामना जरुर पूण7 करेंगे

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कोकिकला बहन ने भी गुरुवा7र का व्रत क्तिलया 9 वे गुरूवार को गरीबो को भोजन दिदया सैव्रत की पुस्तके भेट दी उनके घर से झगडे दूर हुए घर में बहुत ही सुख र्शाकंित हो गई, जैस ेमहेर्शभाई का स्वाभाव ही बदल गया हो उनका धंधा-रोजगार किफर से चालू हो गया थोडे़ समय में ही सुख सममृिध बढ़ गई दोनों पकित पत्नी सुखी जीवन किबताने लग ेएक दिदन कोकिकला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए बातो बातो में उन्होंने बताया के उनके बच्चे पढाई नहीं करते परीक्षा में फे़ल हो गए है कोकिकला बहन ने 9 गुरूवार की मकिहमा बताई साईं बाबा के भक्ति# से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएगँे लेकिकन इसके क्तिलए साईं बाबा पर किवश्वास रखना ज़रूरी है साईं सबको सहायता करते है उनकी जेठानी ने व्रते की किवमिध बतान ेके क्तिलए कहा कोकिकला बहन न ेकहा की 9 गुरूवार फलाहार करके अथवा एक समय भोजन करके यह व्रत किकया जा सकता है और 9 गुरूवार तक हो सके तो साईं मदंिदर के दर्श7न के क्तिलए जान ेको कहा और यह कहा की

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• यह व्रत स्त्री, पुरुष या बच्चे कोई भी कर सकते है 9 गुरूवार साईं फोटो की पूजा करना

• फूल चढाना, दीपक, अगरबत्ती अदिद करना प्रसाद चढाना एव ंसाईं बाबा का स्मरण करना आरती करना अदिद किवमिध बताई

• साईं व्रत कथा, साईं स्मरण, साईं चालीसा अदिद का पात करना

•9 वे गुरुवार को गरीबो को भोजन देना

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• 9 वे गुरुवार यह साईं व्रत की किकताबे अपने सगे-सम्बन्धी, अडोसी-पडोसी को भेट देना

सूरत से उनकी जेठानी का थोडे़ दिदनों में पत्र आया की उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अचे्छ तरह से पढ़ते है उन्होंने भी व्रत किकया था और व्रत की किकताबे जेठ के ऑकिफस में दे थी इस बारे में उन्होंने क्तिलखा के उनके सहेली की बेटी र्शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तै हो गई उनके पडोसी का गहेनो का डब्बा दम हो गया वह महीने के बाद गहनों का किडब्बा न जाने कोन वापस रख गया एसा अद्भतु चमत्कार हुआ था

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कोकिकला बहन ने साईं बाबा की मकिहमा महान है वह जान क्तिलया था

हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना............