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IAS EXAM Online Coaching IAS सीसैट ऩेऩर-2 © UPSCPORTAL.COM www.upscportal.com नणयन मता एवं समया समाधान तथा ऩारऩरक कौशऱ (Decision Making & Problem Solving & Interpersonal Skills) अयाय : अतमतक कौशर : आमक तम?

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IAS EXAM

Online Coaching

IAS सीसैट ऩेऩर-2

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ननर्णयन ऺमता एव ंसमस्या समाधान तथा ऩारस्ऩररक कौशऱ (Decision Making &

Problem Solving & Interpersonal Skills)

अध्याय : अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक तमों?

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? प्रशासननक सेर्वाओॊ भें ननहहत दानमत्र्वों को ऩूया कयने के लरए एक ऐसे

व्मक्ततत्र्व की आर्वश्मकता होती है जो प्रशासन की चुनौनतमों को फखुफी से सॊबार सके। सॊघ रोक सेर्वा आमोग की ऐसे ही ‘उऩमुतत’ व्मक्ततत्र्व

की तराश होती है जो इन गणुों से ऩरयऩूणण हो - तथ्मों एर्वॊ घटनाओॊ से

जडुा हुआ, रोकताॊत्रिक भलू्मों से फॊघा हुआ, तार्कण क एर्वॊ वर्वश्रेषणात्भक दृक्टटकोण के साथ, कुशर सॊपे्रषण-कौशर, सभहू भें यहने र्वारा, सकायात्भक, बार्वनात्भक फुविभत्ता यखते हुए, गरत एर्वॊ सही की ऩहचान यखने र्वारा, नम्म दृक्टटकोण, ननटकऩटता, मोजनाशीर, व्मार्वहारयक, सभरे्वदना से ऩरयऩूणण, गणु-दोष की सही वर्वरे्वचना कयने र्वारा इत्माहद।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? प्रशासक के लरए अन्तर्वमैक्ततक कौशर का भहत्त्र्व

प्रशासननक तकण , व्मर्वस्था एर्वॊ औऩचारयक अधधकाय के उधचत प्रमोग

ऩय आधारयत सॊगठन का एक रूऩ है, अत् प्रशासकों को व्मर्वक्स्थत,

न्मामोधचत एर्वॊ अनत कुशर होना चाहहए। मह सफ प्राप्त कयने के लरए

एक लसवर्वर सेर्वक को ऩायस्ऩरयक व्मर्वहाय के वर्ववर्वध आमाभों के फाये भें स्ऩटट जानकायी होनी चाहहए।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक अन्तर्वैमक्ततक कौशर को एक धचि के भाध्मभ से इस प्रकाय दशाणमा जा सकता है। 1. नेततृ्र्व् र्कसी रक्ष्म को प्राप्त कयने के लरए र्कसी सभहू की गनतवर्वधधमों को पे्ररयत मा प्रोत्साहहत कयना नेततृ्र्व कहराता है। एक

नेता भजफूत अन्तर्वैमक्ततक कौशर एर्वॊ अन्त्रे्वमक्ततक कौशर से

ऩरयऩूणण होना चाहहए तथा उसके ऩास बाषा ऩय अच्छी ऩकड, ननऩुणता, इत्माहद जसेै गणुों से दसूयों को प्रबावर्वत कयने की मोग्मता होनी चाहहए। अऩने अन्तर्वैमक्ततक कौशर के भाध्मभ से र्वह भागणदशणन

कयने, ननणणम रेने, प्रनतननधधत्र्व कयने एर्वॊ दसूयों को प्रोत्साहहत कयने

जसेै कौशरों का प्रमोग कयता है।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक भागणदशणन एक व्मक्तत का ऻान मा अनुबर्व प्राप्त कयने मा रक्ष्मों की प्राक्प्त के लरए ऩयाभशण देना भागणदशणन कहराता है। भागणदशणक को एक अच्छा सराहकाय एर्वॊ अनुबर्वी सहामक होना चाहहए। ननणणम-ननभाणण (रेना) ऩूर्वण के अनुबर्वों का प्रमोग कय उऩरब्ध कई

वर्वकल्ऩों भें से सर्वणशे्रटठ वर्वकल्ऩ का चमन कयने की प्रर्िमा ननणणमन

(ननणणम रेना) कहराता है। एक नेता ननणणम एर्वॊ इसके ऩरयणाभों का उत्तयदानमत्र्व रेता है। र्वह सबी क्स्थनतमों के अध्ममन के आधाय ऩय ननणणम रेता है।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक प्रनतननधधत्र्व इसके अन्तगणत र्कसी नेता के ननणणम रेने के अधधकाय को वर्वरे्वक के आधाय ऩय सभहू के अन्म सदस्मों को कामण, उत्तयदानमत्र्व

एर्वॊ अधधकाय वर्वतरयत कयना शालभर होता है। मह ऩूये कामण को उऩ-

कामों एर्वॊ आगे उऩ-खण्डों भें र्वगॉकृत कयने का एक तयीका है। कामण की तीव्रता एर्वॊ प्रबार्वकायी सभाऩन सनुनक्श्चत कयने के लरए मह र्कमा जाता है। •दसूयों को प्रोत्साहहत कयना एक नेता को एक कुशर श्रोता होना चाहहए

एर्वॊ उसे दसूयों को उनके वर्वचायों को सनुकय सभाधानों की चचाण कय एर्वॊ ननभाणणकायी प्रनतऩुक्टट देकय प्रोत्साहहत कयना चाहहए।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक दसूयों को प्रोत्साहहत कयना एक नेता को एक कुशर श्रोता होना चाहहए एर्वॊ उसे दसूयों को उनके वर्वचायों को सनुकय सभाधानों की चचाण कय एर्वॊ ननभाणणकायी प्रनतऩुक्टट देकय प्रोत्साहहत कयना चाहहए। एक

नेता का व्मर्वहाय सकायात्भक होना चाहहए तथा उसे असाभान्म

ऩरयक्स्थनत भें बी शान्त यहना चाहहए। दसूयों को प्रोत्साहहत कय इक्च्छत

ऩरयणाभ प्राप्त र्कए जा सकत ेहैं।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक 2. सभहू कामण मह अन्तर्वैमक्ततक कौशर का एक प्रभखु उऩकयण है। इसके अन्तगणत एक साभान्म रक्ष्म की प्राक्प्त के लरए दसूयों के साथ

सभहू भें कामण कयना शालभर होता है। इसके लरए ऩयस्ऩय सहमोग, एक

सभहू भें दसूयों के साथ साॊभजस्म, सीखने के लरए साभहूहक प्रमास औय रक्ष्म के वर्वकास एर्वॊ उसकी प्राक्प्त के लरए उत्तयदानमत्र्व रेने की अच्छी सभझ का होना आर्वश्मक है। सभहू भें कामण कयत ेसभम िोध

एर्वॊ धचडधचडाहट ऩय ननमन्िण आर्वश्मक है। इसके अन्तगणत

भागणदशणन, सभहू कामण, ननणणमन, प्रनतननधधत्र्व एर्वॊ ऩयस्ऩय सहमोग

जसेै कौशर बी ऩटृठबलूभ के रूऩ भें शालभर होते हैं।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक साभहूहक कामण सभहू भें कामण कयना साभहूहक कामण कहराता है। कोई र्िमाकराऩ क्जसे छािों के सभहूों मा जोडों भें सम्ऩन्न कयने के

लरए तैमाय र्कमा जाता है, इसके अन्तगणत आता है। साभहूहक कामण कयते सभम सभहू के सदस्मों भें सकायात्भक गणु एर्वॊ व्मर्वहाय वर्वकलसत होते हैं। सहमोग सहमोग का अथण होता है रक्ष्म का प्राक्प्त के लरए ऩयस्ऩय सहमोग सहहत टीभ के अन्म सदस्मों के साथ कुशरताऩूर्वणक कामण कयना।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक 3. साभाक्जक सम्ऩकण अन्म रोगों के साथ प्रबार्वी सम्ऩकण फनाकय उन

सम्ऩकों को ऩायस्ऩरयक राब के लरए फनाए यखने एर्वॊ उनका प्रमोग

कयने की मोग्मता साभाक्जक सम्ऩकण है। बभूण्डरीकयण के इस मुग भें नेटर्वर्किं ग एक अनत भजफूत उऩकयण है, तमोर्क मह कामणबाय को घटाता है। आत्भ-वर्वश्र्वास, नेटर्वकण त्रफक्ल्डग एर्वॊ प्रबार्वी सम्पे्रषण

नेटर्वर्किं ग के भहत्र्वऩूणण ऩहर ूहैं। आत्भ-वर्वश्र्वास एक वर्वश्र्वस्त आदभी अधधक सकायात्भक यर्वैमे के

साथ कामण कय सकता है, जो गणुर्वत्ताऩूणण कामण सनुनक्श्चत कयता है। आत्भ-वर्वश्र्वास व्मक्तत के सम्पे्रषण के तयीके एर्वॊ कैरयमय को प्रत्मऺ

रूऩ से प्रबावर्वत कयता है।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर के सॊघटक नेटर्वकण -ननभाणण मह उन रोगों के फाये भें सचूना प्राप्त कयने, सम्ऩकण फनाने एर्वॊ उन्हें फनाए यखने की प्रर्िमा है, जो र्कसी वर्वशेष ऩरयक्स्थनत

भें राबदामक सात्रफत हो सकत ेहैं। कामण के कुशर एर्वॊ स्ऩटट प्रर्वाह के

लरए एक अच्छा नेटर्वकण फनाना आर्वश्मक है। प्रबार्वी सम्पे्रषण प्रबार्वी सम्पे्रषण हभाये अन्म रोगों से फात कयने के

साभान्म सम्पे्रषण से अधधक है। इसके अन्तगणत हभ र्कसी से फात

कयते सभम कैसी प्रनतर्िमा कयत ेहैं, शायीरयक हार्व- बार्व, फोरने का तयीका इत्माहद फातें शालभर होती हैं।

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तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर को कैसे वर्वकलसत कयें ? अन्तरे्वमक्ततक कौशर के तीन आमाभ, क्जनको वर्वकलसत कयने की आर्वश्मकता होती है

श्रर्वण कौशर मह सत्म ही कहा गमा है र्क एक व्मक्तत को 80%

अच्छा श्रोता एर्व 20% अच्छा र्वतता होना चाहहए। दसूयों को सनुना अन्तर्वैमक्ततक कौशर के वर्वकास का अनत भहत्र्वऩूणण ऩहर ूहै, तमोंर्क

ऩरयणाभ एर्वॊ प्रनतर्िमा ऩूणणत् इस ऩय ननबणय कयते हैं र्क हभ र्कसी चीज को र्कस रूऩ भें देखते हैं। इसभें दसूयों के सन्देश के अथण को ऩूणणत् एर्वॊ सटीक सभझने के लरए सर्िमता बी शालभर है। एक अच्छा श्रोता सार्वधान एर्वॊ एकाग्र दोनों होना चाहहए।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर को कैसे वर्वकलसत कयें ? प्रबार्व कौशर ऩायस्ऩरयक रूऩ से कुशर व्मक्तत को फोरते सभम

आश्र्वस्त होना चाहहए एर्वॊ ननक्श्चत तकों के साथ ही कुछ कहना चाहहए। व्मक्तत की कुशरता के सन्दबण भें कुशरताऩूर्वणक एर्वॊ उधचत

तयीके से फोरना ननणाणमक कायक है। हभें मह ऩता होना चाहहए र्क तमा कहा जाए, कैसे कहा जाए, कहाॉ रुका जाए एर्वॊ तमा नहीॊ कहा जाए। मे

सबी साभान्म फातें रगती हैं, ऩयन्तु हैं फहुत जहटर । र्कसी सॊगठन का कुशरताऩूर्वणक सॊचारन सभहू भें रोगों की रुधचमों के टकयार्व के अर्वसयों की क्स्थनत भें भजफूत प्रफन्धन एर्वॊ दृढ़ननश्चम ऩय ननबणय कयता है। इनसे फचने के लरए, एक अच्छा प्रफन्धक आत्भ-वर्वश्र्वास से ऩरयऩूणण होना चाहहए तार्क र्वह अऩनी फातों को ननश्चमऩूर्वणक कह सके।

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तमों? अन्तर्वमैक्ततक कौशर को कैसे वर्वकलसत कयें ? सहमोगऩूर्वणक सभस्मा-सभाधान कौशर सभस्मा सभाधान कौशर

इन सबी भें सर्वाणधधक भहत्र्वऩूणण है। इसका कायण मह है र्क अन्म फातें केर्वर सभस्मा-सभाधान के उद्देश्म हेतु ही की जाती हैं। सही दृक्टटकोण

के साथ सभस्मा को सरुझाना, तार्क सभस्मा त्रफना धैमण खोए हर हो जाए, सहमोगऩूणण दृक्टटकोण ऩय ननबणय कयता है। श्रर्वण कौशर एर्वॊ दृढ़

ननश्चम कौशर के सहमोग के साथ सबी अनुबर्वों एर्वॊ दसूयो की प्रनतऩुक्टटमों का उऩमोग कयना, सभस्मा सभाधान भें सहामक हो सकता है। मह कौशर सकायात्भक दृक्टटकोण एर्वॊ शाक्न्त फनाए यखकय वर्वकलसत र्कमा जा सकता है। महाॉ अनुबर्व बी काभ आता है, तमोंर्क

आगे की कायणर्वाई के लरए क्स्थनत का वर्वश्रेषण कयना आर्वश्मक होता है।

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तमों? आऩ अऩने अनर्वैंमक्ततक कौशर भें सुधाय कय सकते हैं!

काभ एर्वॊ जीर्वन के प्रनत सकायात्भक, उत्साहऩूणण एर्वॊ प्रभहुदत यर्वैमा फनाए यखें। अतसय भसु्कुयाएॉ, आऩसे, उत्सक्जणत सकायात्भक ऊजाण दसूयों को आऩकी ओय आकवषणत कयेगी । भसु्कुयाहट सकायात्भकता दशाणती है। हॉलसए एर्वॊ दसूयों को हॉसाइए। अऩने आस-ऩास के रोगों की प्रशॊसा कयना एर्वॊ उन्हें प्रोत्साहहत कयना, कामण कयने के लरए एक अच्छा भाहौर फनाने भें आऩकी भदद कयेगा।

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तमों? आऩ अऩने अनर्वैंमक्ततक कौशर भें सुधाय कय सकते हैं!

ध्मान देना एर्वॊ उन्हें भहत्र्वऩूणण र्व सहज अनुबर्व कयना, आस-ऩास के

रोगों के साथ स्र्वस्थ सम्फन्ध सनुनक्श्चत कयता है। व्मक्तत की आॉखों भें आॉखें डारकय सनुने का एर्वॊ ऩरयक्स्थनतमों के अनुरूऩ सही शब्द के चमन का कौशर होना चाहहए। दसूयों को धैमण ऩूर्वणक सनुनए एर्वॊ र्वतता के इयादे एर्वॊ सही सन्देश को सभझने का प्रमास कीक्जए। सहानुबनूत दशाणना एर्वॊ व्मक्तत को मह एहसास

कयाना र्क र्वह जो कहना चाहता है आऩ उसको सभझ यहे हैं, एक अच्छा सॊकेत है।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? आऩ अऩने अनर्वैंमक्ततक कौशर भें सुधाय कय सकते हैं!

रोक-सहज र्वातार्वयण फनाइए, जहाॉ प्रत्मेक की इच्छाओॊ का ख्मार यखा जाता हो एर्वॊ जहाॉ ननम्न से उच्चतय ऩदों तक, प्रत्मेक त्रफना सॊकोच के फोर

सकता हो। आत्भ-वर्वश्र्वास से ननणणम दीक्जए एर्वॊ न्मामऩूणण यहहए। प्रबार्वी भध्मस्थ फनना सीखखए एर्वॊ वर्वर्वादों का दोनों ऩऺों को सनुते हुए

एर्वॊ ननटऩऺ यहते हुए मथासम्बर्व फेहतय तयीके से ननऩटाया कीक्जए, मह

दसूयों से सम्भान एर्वॊ प्रशॊसा ऩाने भें आऩकी भदद कयेगा।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण

सम्पे्रषण र्वह तयीका है, क्जसके द्र्वाया व्मक्तत अऩने वर्वचायो, सचूना, याम एर्वॊ अनुबनूतमों को साझा कयता हैं। मह दो मा अधधक व्मक्ततमों के

फीच एक दो-तयपा र्िमाकराऩ है। सम्पे्रषण के कई आमाभ हैं, क्जनभें से कुछ का प्रमोग साभान्म रूऩ भें र्कमा जाता है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण सवंाद

भौखखक सम्पे्रषण भौखखक सम्पे्रषण र्वह है क्जसभें व्मक्तत अऩना सन्देश फोरकय ऩहुॉचाता है। सन्देश एक व्मक्तत, टीभ मा सभहू को बेजा जा सकता है। सन्देश बेजने र्वारे व्मक्तत को स्ऩटट रूऩ भें सन्देश

अलबव्मतत कयना चाहहए तार्क प्राप्तकताण उसे सभझ सके एर्वॊ महद

आर्वश्मक हो तो सन्देश ऩय अऩनी प्रनतर्िमा दे सके । सन्देश को प्राप्त

कयने र्वारा कहे गए कथन को सभझने के मोग्म होना चाहहए। कबी-कबी सन्देश पे्रषक के इयादे के अनुरूऩ प्राप्त नहीॊ होता, इसके कई

कायण होते हैं क्जसभें ध्मान मा रुधच का अबार्व बी शालभर है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण सवंाद

गैय-भौखखक सम्पे्रषण कई वर्वचाय, सोच एर्वॊ अनुबनूतमों हैं, जो त्रफना शब्दों के सम्पे्रवषत की जाती हैं। एक सन्देश का केर्वर एक-नतहाई बाग

व्मक्तत से व्मक्तत तक केर्वर शब्दों के रूऩ भें बेजा जाता है। रोगों के ऩास

गैय-भौखखक सॊकेतों को ऩढ़ने की मोग्मता होती है। मे सॊकेत र्वातार्वयण से

एर्वॊ सॊस्कृनत के जरयए सीखे जा सकत ेहैं एर्वॊ इसलरए इनकी गरत

व्माख्मा की जाती है। गैय-भौखखक सम्पे्रषण के उदाहयण हैं-जम्हाई, आॉस;ू

फाॉहों को आऩस भें भोडना, आॉख भटकाना इत्माहद । इन्हें छ् प्रकायों भें वर्वबाक्जत र्कमा जा सकता है-शायीरयक बाषा, शायीरयक वर्वशेषताएॉ एर्वॊ प्रतीनत, र्वाणी, स्थान, र्वातार्वयण एर्वॊ सभम । भौन यहना बी गैय-भौखखक

सम्पे्रषण का एक प्रकाय है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण सवंाद

लरखखत सम्पे्रषण लरखखत सम्पे्रषण बवर्वटम भें अध्ममन कयने एर्वॊ प्राप्तकताण की अऩनी गनत से सन्देश को ग्रहण कयने के लरए लरखखत

दस्तारे्वज उऩरब्ध कयाते हैं। मह स्थामी होता है एर्वॊ गहया प्रबार्व

डारता है। लरखखत सम्पे्रषण भें ऩि, स्भारयकाएॉ, डाक, घोषणा-ऩि,

रयऩोटण, आयेख, भानधचि, अन्म सहामक धचि साभग्री इत्माहद शालभर

हैं। लरखखत सम्पे्रषण को फहुत दयू तक ऩहुॉचामा जा सकता है। रोगों की अधधक सॊख्मा तक सचूना ऩहुॉचाने भें मह उऩमोगी होता है तथा भौखखक सम्पे्रषण को ऩुनफणलरत कय सकता है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण सवंाद

ऩढना ऩाठ्म साभग्री भें सबाओॊ के घोषणा-ऩि, स्र्वास्थ्म एर्वॊ सयुऺा कामणवर्वधधमों र्व अभ्मास, कामण प्रवर्वधधमाॉ, रयऩोटण इत्माहद आते हैं। कई

कामणकताणओॊ के लरए आर्वश्मक ऩाठ की भािा के कायण ऩठन कौशर

वर्वकलसत कयने की आर्वश्मकता होती है तार्क ऩाठ कुशर एर्वॊ प्रबार्वी हो। ऩाठ के ऩरयणाभ, सचूना को माद कयना, वर्वस्ततृ दृक्टटकोण ऩाना, साक्ष्म ऩाना, जो हुआ उसे खोजना, प्रश्न के उत्तय देना, वर्वचाय देना इत्माहद हो सकत ेहैं।

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अन्तर्वेंमक्ततक कौशर : आर्वश्मक

तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण समरेषर् के रकार भौखखक भौखखक सम्पे्रषण आभने-साभने देखकय मा सनुकय सम्पे्रषण कयने का प्रकाय है। इसभें लरखखत रूऩ भें कुछ नहीॊ होता । टेरीपोन ऩय फातचीत. साऺात्काय, एक-भागॉ प्रस्तुनतमाॉ, व्माख्मान,

चरधचि इत्माहद बी भौखखक सम्पे्रषण हैं। शायीरयक एर्वॊ चेहये के हार्व-

बार्व बी भौखखक सम्पे्रषण का एक बाग है। लरखखत लरखखत सम्पे्रषण भें लरखखत रूऩ से सम्पे्रषण कयना शालभर है। इसभें व्माऩक बाषा का प्रमोग शालभर है, क्जससे र्क पे्रषक

प्राप्तकताण तक उधचत सन्देश बेज सके । डाक, टेरीग्राप, पैतस,

एसएभएस, ऩत्रिकाएॉ, ऩुस्तकें , सभाचाय ऩि, ऩैम्ऩरेट्स इत्माहद

लरखखत सम्पे्रषण के उदाहयण हैं।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण समरेषर् के रकार औऩचारयक औऩचारयक सन्देश औऩचारयक सम्पे्रषण के लरए

सॊचारयत र्कए जाते हैं। इसका सम्फन्ध साभान्मत् सम्पे्रषणकताण की र्कसी खास क्स्थनत से होता है। त्मागऩि, ननदेश, सचूनाएॉ इत्माहद

इसके उदाहयण है। अनौऩचारयक इस प्रकाय का सम्पे्रषण सबी प्रकाय की औऩचारयकताओॊ से भतुत होता है। मह ऩाहटणमों के फीच अनौऩचारयक

सम्फन्ध ऩय आधारयत होता है। इसे साभान्म दृक्टट ‘गे्रऩ र्वाइन’

सम्पे्रषण कहा जाता है। साभान्म दृक्टट, हार्व- बार्व, भसु्कुयाहट,

स्र्वागत, आलरॊगन इत्माहद को अनौऩचारयक सम्पे्रषण कहा जा सकता है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण समरेषर् के रकार उध्र्र्वभखुी जफ सम्पे्रषण अधीनस्थ से उसके फाॅॎस मा र्वरयटठ तक

होता है तफ इसे उधोभखुी सम्पे्रषण कहा जाता है। ऐसे सम्पे्रषण भें कभणचारयमों की प्रनतर्िमा, सराह मा उनकी लशकामतें इत्माहद शालभर

होती हैं। इस प्रकाय का सम्पे्रषण ननमोतता के लरए प्रोत्साहन के भखु्म

स्रोत के रूऩ भे कामण कयता है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण गैर- मौखिक समरेषर् के तरीके

शायीरयक बाषा की शक्तत गैय-भौखखक सम्पे्रषण के भाध्मभ से हभ

अऩने चरयि का बार्वनात्भक ऩऺ प्रकट कयत ेहैं। शायीरयक बाषा र्वततता को तुयन्त प्रनतऩुक्टट उऩरब्ध कयाता है एर्वॊ उसे फताता है र्क

र्वह कैसे चर यहा है। महद र्वतता इस प्रनतऩुक्टट के भहत्र्व को सभझ नहीॊ ऩाता, उसका अऩना सम्पे्रषण कभ प्रबार्वी हो जाएगा।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण गैर- मौखिक समरेषर् के तरीके

चेहये का बार्व चेहये का बार्व ननयन्तय व्मक्तत की सटीक बार्वनाओॊ की झरक प्रदान कयता है, चाहे र्वह आश्चमण, अवर्वश्र्वास, कयाय अस्र्वीकृनत, िोध, पे्रभ, इत्माहद हों । शयीय की अन्म र्िमाओॊ, क्जन ऩय ननमन्िण कयना अधधक कहठन है औय इसलरए जो सच्ची बार्वनाओॊ के

र्वास्तवर्वक सॊकेतक होते हैं, के सन्दबण भें चेहये के बार्व ऩढ़ने भे

सार्वधानी फयतनी चाहहए। चेहये के हार्व- बार्व ऩय ननमन्िण कयना सर्वाणधधक आसान है।

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तमों? अन्तर्वमैवर्वतक सम्पे्रषण

शारीररक भाषा के माध्यम से ऩढ़ना शायीरयक भदु्रा की बाषा भौन की बाषा अन्तयार की बाषा

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