hindi poem by sankalp

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Page 1: Hindi Poem by Sankalp

फि�र सु�बह आएगी�

कल फि�र सुवे�र� ह�गी� -कल फि�र सु�बह मु�स्क�एगी� |

कल फि�र सु�रज शि�खर पर आएगी�-कल फि�र चाँ��द धरती� क� दरमिमुयाँ�� लहर�याँगी� ||

ज�वेन चाँलन� क� न�मु ह"- हमुसु� अब और चाँल� न� ज�एगी� |

थक गीयाँ� ह" रूह हमु�र� -पर फि�र भी� दिदल कहती� ह" हमुसु� रुक� न� ज�एगी� |

क� छ ��ख मु*ज़ि,ल� प�ई ह. पर असुल� सुफ़र अब आएगी� ||

रुकन� नह0 ह" अब कभी� सुवे�र� एक दिदन ,रूर आएगी� |

कल क� सु�नहर� सुपन� अब कभी� आ�ख1 सु� न� ज�एगी� ||

सु�रज फि�र चाँलती� हुए कदमु1 क� डगीमुगी�एगी� |

क�ई ल�ख क�शि�� क्याँ1 न� कर ल� -पर अब याँह ब*द� कदमु प�छ� न� हटा�एगी� ||

आज ज� मु. प�छ� हटा गीयाँ� ती� कल दुफिनयाँ� क� सु�मुन� क�फिफ़र कहल�एगी� |

र�ह मु7 ह1 फिकतीन� ह� फ़�सुल� पर याँ� �ख्सु मु*ज़ि,ल क� ,रूर प�याँगी� |

ह1गी� कई तीकल��7 र�ह मु7 पर हमु�र� लक्ष्याँ हमुसु� दूर न रह प�एगी� ||

कह7गी� दुफिनयाँ� वे�ल� अब इसु र�फिगीस्ती�न पर ती�मुसु� और चाँल� न� ज�एगी�

पर हमु कहती� ह. क< याँ� रहन�मु� अब फिकसु� आ�ध� सु� भी� न� र�क� ज�एगी� ||

अभी� ती� प�याँ� ह" बसु एक मु*ज़ि,ल क�- पर रूह कहती� ह" |

कभी� न� कभी� असुल� सुपन� क< मु*ज़ि,ल पर ज�ती क� परचाँमु ,रूर लहर�याँगी� ||

सु*घर्ष? भी�र� ह" याँह ज़ि,न्दगी�न� -सु*घर्ष? क< ह" याँ� द� पल क< कह�न� |

ह� गीयाँ� ह" ��मु सु�ह�न� -आज चाँ��दन� र�ती भी� ह" दAवे�न� |

Page 2: Hindi Poem by Sankalp

आज ती� प� ल� ह" मु*ज़ि,ल पर कल फि�र मु�स्क� र�एगी� सु�बह मुस्ती�न� |

कहती� ह" दिदल हमु�र� मु*ज़ि,ल फि�र एक दिदन हमुक� ,रूर ब�ल�एगी� ||

"सु*कल्प"